धर्म एवं ज्योतिष
अंगूठा बता देता है आपके अंदर का राज
15 May, 2025 06:15 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
सभी को भविष्य में क्या छिपा है यह राज जानने की जिज्ञासा होती है। जन्मकुंडली के साथ ही हाथ की रेखाएं देखकर भी भविष्य के राज जाने जा सकते हैं।
हस्तरेखा विज्ञान में अंगूठे को चरित्र का आइना कहा जाता है। आप इसे देखकर व्यक्ति के बारे में कई गुप्त बातें जान सकते हैं। व्यक्ति की आर्थिक स्थिति, बचत, काम वासना और रोगों का पता भी अंगूठे से लग जाता है।
अंगूठा लंबा
जिनका अंगूठा लंबा होता है वह बुद्धिमान और उदार होते हैं। ऐसे व्यक्ति शौकीन भी खूब होते हैं। अगर अंगूठा तर्जनी उंगली के दूसरे पोर तक पहुंच रहा है तो व्यक्ति नेक होता है और कभी किसी को नुकसान नहीं पहुंचाता।
अंगूठा छोटा
अंगूठा छोटा होना अच्छा नहीं माना जाता। ऐसे लोगों के उधार और कर्ज देने से बचना चाहिए क्योंकि पैसा डूबने का डर रहता है। इन्हें जीवन में कई बार हानि उठानी पड़ती और पारिवारिक जीवन में भी उथल-पुथल मचा रहता है।
अंगूठा अधिक चौड़ा
अगर अंगूठा अधिक चौड़ा हो तो व्यक्ति खर्चीले स्वभाव का होता है। ऐसे लोग अक्सर कोई न कोई बुरी लत अपना लेते हैं।
कम खुलने वाला अंगूठा
कम खुलने वाला अंगूठा हस्तरेखा विज्ञान में अच्छा नहीं माना गया है। ऐसे लोगों के हर काम में बाधा आती रहती है और सफलता देर से मिलती है। ऐसे लोग चाहकर भी कमाई के अनुसार बचत नहीं कर पाते हैं।
ऊपर मोटा और गोल हो तो
अगर अंगूठा नीचे पतला और ऊपर मोटा और गोल हो तो ऐसा व्यक्ति शंकालु होते और इन्हे भी अपने काम में बाधाओं का सामना करना पड़ता है। लेकिन हाथ भारी हो तो उन्नति करते हैं।
अंगूठा हो लंबा पतला तो
अंगूठा पतला और लंबा हो तो व्यक्ति शांत स्वभाव का होता है। ऐसे व्यक्ति अपने काम वासना पर नियंत्रण रखने में कुशल होते हैं। इन्हें व्यवहारकुशल भी माना जाता है। ऐसे लोग भावुक भी खूब होते हैं।
ऐसे लोग धनी होते हैं
जिनका अंगूठा ज्यादा खुलता है ऐसे लोग धनी होते हैं। अपने व्यक्तित्व के कारण इन्हें समाज में खूब सम्मान मिलता है।
जीवन की समस्याओं का समाधान बताते हैं यंत्र
15 May, 2025 06:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
हिन्दू धर्म के अनेक ग्रंथों में कई तरह के चक्रों और यंत्रों के बारे में विस्तार से उल्लेख किया गया है। जिनमें राम शलाका प्रश्नावली, हनुमान प्रश्नावली चक्र, नवदुर्गा प्रश्नावली चक्र, श्रीगणेश प्रश्नावली चक्र आदि प्रमुख हैं। कहते हैं इन चक्रों और यंत्रों की सहायता से लोग अपने मन में उठ रहे सवालों, जीवन में आने वाली कठिनाइयों आदि का समाधान पा सकते हैं। इन चक्रों और यंत्रों की सहायता लेकर केवल आम आदमी ही नहीं बल्कि ज्योतिष और पुरोहित लोग भी सटीक भविष्यवाणियां तक कर देते हैं।
श्री राम शलाका प्रश्नावली
श्री राम शलाका प्रश्नावली का उल्लेख गोस्वामी तुलसीदास द्वारा रचित श्रीरामचरित मानस में प्राप्त होता है। यह राम भक्ति पर आधारित है। इस प्रश्नावली का प्रयोग से लोग जीवन के अनेक प्रश्नों का जवाब पाते हैं। इस प्रश्नावली का प्रयोग के बारे कहा जाता है कि सबसे पहले भगवान श्रीराम का स्मरण करते हुए किसी सवाल को मन में अच्छी तरह सोच लिया जाता है।फिर शलाका चार्ट पर दिए गए किसी भी अक्षर पर आंख बंद कर उंगली रख दी जाती है। जिस अक्षर पर उंगली रखी जाती है, उसके अक्षर से प्रत्येक 9वें नम्बर के अक्षर को जोड़ कर एक चौपाई बनती है, जो प्रश्नकर्ता के प्रश्न का उत्तर होती है।
हनुमान प्रश्नावली चक्र
यह बात बहुत कम लोगों को पता है कि हनुमानजी एक उच्च कोटि के ज्योतिषी भी थे। इसका कारण शायद यह हो सकता है कि वे शिव के ग्यारहवें अंशावतार थे, जिनसे ज्योतिष विद्या की उत्पत्ति हुई मानी जाती है। कहते हैं, हनुमानजी ने ज्योतिष प्रश्नावली के 40 चक्र बनाए हैं। यहां भी प्रश्नकर्ता आंख मूंद कर चक्र के नाम पर उंगली रखता है। अगर उंगली किसी लाइन पर रखी गई होती है, तो दोबारा उंगली रखी जाती है। फिर नाम के अनुसार शुभ-अशुभ फल का निराकरण किया जाता है। कहते हैं। रामायण काल के परम दुर्लभ यंत्रों में हनुमान चक्र श्रेष्ठ यंत्रों का सिरमौर है।
नवदुर्गा प्रश्नावली चक्र
अनेक लोग, विशेष देवी दुर्गा के परम भक्त, यह मानते हैं कि नवदुर्गा प्रश्नावली चक्र एक चमत्कारिक चक्र है, जिसे के माध्यम से कोई भी अपने जीवन की समस्त परेशानियों और मन के सवालों का संतोषजनक हल आसानी से पा सकते हैं। इस चक्र के उपयोग की विधि के लिए पहले पांच बार ऊँ ऐं ह्लीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे मंत्र का जप करना पड़ता फिर एक बार या देवी सर्वभूतेषु मातृरुपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम: मंत्र का जप कर, आंखें बंद करके सवाल पूछा जाता है और देवी दुर्गा का स्मरण करते हुए प्रश्नावली चक्र पर उंगली घुमाते हुए रोक दिया जाता है, जिस कोष्ठक उंगली होती है। उस कोष्ठक में लिखे अंक के अनुसार फलादेश को जाना जाता है।
श्रीगणेश प्रश्नावली चक्र
हिंदू मान्यता के अनुसार, भगवान गणेश प्रथमपूज्य हैं। वे सभी मांगलिक कार्यों में सबसे पहले पूजे जाते हैं। उनकी पूजा के बिना कोई भी शुभ कार्य नहीं किया जाता। श्रीगणेश प्रश्नावली यंत्र के माध्यम से भी लोग अपने जीवन की सभी परेशानियों और सवालों के हल जानने की कोशिश करते हैं। जिसे भी अपने सवालों का जवाब या परेशानियों का हल जानना होता है, वे पहले पांच बार ऊँ नम: शिवाय: और फिर 11 बार ऊँ गं गणपतयै नम: मंत्र का जप करते हैं और फिर आंखें बंद करके अपना सवाल मन में रख भगवान गणेश का स्मरण करते हुए प्रश्नावली चक्र प्रश्नावली चक्र पर उंगली घुमाते हुए रोक देते हैं, जिस कोष्ठक उंगली होती है। उस कोष्ठक में लिखे अंक के अनुसार फलादेश को जाना जाता है।
शिव प्रश्नावली यंत्र
इस यंत्र में भगवान शिव के एक चित्र पर 1 से 7 तक अंक दिए गए होते हैं। श्रद्धालु अपनी आंख बंद करके पूरी आस्था और भक्ति के साथ शिवजी का ध्यान करते हैं और और मन ही मन ऊं नम: शिवाय: मंत्र का जाप कर उंगली को शिव यंत्र पर घुमाते हैं और फिर उंगली घुमाते हुए रोक देते हैं, जिस कोष्ठक उंगली होती है। उस कोष्ठक में लिखे अंक के अनुसार फलादेश को जाना जाता है1
इन प्रश्नावलियों और यंत्रों के अलावा अनेक लोग साईं प्रश्नावली का उपयोग भी अपने मन में उठ रहे सवालों का जवाब पाने के लिए करते हैं।
राशिफल: कैसा रहेगा आपका आज का दिन
15 May, 2025 12:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
मेष राशि :- साधन सम्पन्नता का योग फलप्रद हो, आर्थिक योजना अवश्य सफल होगी।
वृष राशि :- अपने किये पर पछताना पड़ेगा, मानसिक बेचैनी, क्लेश तथा अशांति होगी।
मिथुन राशि :- सफलता के साधन जुटाएं, व्यवसायिक क्षमता में वृद्धि हो, समय का ध्यान रखें।
कर्क राशि :- दैनिक कार्यों में सफलता, स्त्री से सुख, इष्ट मित्र सुख वर्धक हो।
fिसंह राशि :- स्त्री वर्ग से हर्ष-उल्लास होगा, भोग-ऐश्वर्य की प्राप्ति होगी, ध्यान दें।
कन्या राशि :- धन प्राप्ति, आशानुकूल सफलता में वृद्धि, बिगड़ी कार्य-योजना अवश्य ही बनेगी।
तुला राशि :- आशानुकूल सफलता से हर्ष, बिगड़े हुए कार्य अवश्य ही बनेंगे, कार्य पर ध्यान दें।
वृश्चिक राशि :- दैनिक समृद्धि के साधन बनेंगे, अधिकारियों से कार्य-योजना बनेगी, ध्यान दें।
धनु राशि :- योजनापूर्ण हो, बड़े-बड़े लोगों से मेल-मिलाप होगा, कार्य अवरोध होगा।
मकर राशि :- कार्य-कुशलता से संतोष, स्थिति में सुधार तथा चिन्ता कम होगी।
कुंभ राशि :- अर्थिक योजनापूर्ण हो, शरीर कष्ट, मानसिक बेचैनी होगी, ध्यान अवश्य दें।
मीन राशि :- दैनिक कार्यगति में बाधा, चिन्ता, उद्विघ्नता, धन का व्यय होगा, ध्यान दें।
शनि या राहु-केतु की पीड़ा से हैं परेशान? बचने के लिए घर के बाहर लगाएं ये पौधा, जीवन में कभी नहीं होगा अमंगल!
14 May, 2025 06:45 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
शनि या राहु-केतु की पीड़ा से बचने के लिए क्या करें? यह सवाल आपका भी हो सकता है. वैसे तो न्याय के देवता की टेड़ी नजर से बचने के लिए लोग तमाम उपाय करते हैं, लेकिन एक आसान उपाय अधिक कारगर हो सकता है. यह उपाय है घर के बाहर नीम का पौधा लगाना. जी हां, हिन्दू धर्म में नीम के पेड़ की खूब पूजा की जाती है. इस पेड़ का सेहत और ज्योतिष उपायों के दृष्टि से अपना विशेष स्थान है. ज्योतिष आचार्यों की मानें तो, नीम का पेड़ शनि के दोषों को खत्म करता है. लेकिन, ध्यान रहे कि आपको नीम का पेड़ सही दिशा में लगाना है. ऐसा करने से दोषों से मुक्ति मिलेगी, साथ ही घर में बरकत होने लगेगी. अब सवाल है
घर के बाहर क्यों लगाना चाहिए नीम का पेड़
कि, घर के बाहर नीम का पेड़ होने से नकारात्मक शक्तियों की हानि होती है. साथ ही, नीम का पेड़ शनि, राहु-केतु की पीड़ा से भी बचाता है. ऐसे में यदि घर के बाहर सही दिशा में इस पेड़ को लगाते हैं तो घर की बरकत होने लगती है.
घर के बाहर किस दिशा में लगाएं नीम का पेड़
ज्योतिषाचार्य के मुताबिक, नीम के पेड़ का सीधा संबंध मंगल ग्रह से होता है. इसके साथ ही केतु और शानि ग्रह भी इससे संबंध रखते हैं. ऐसे में यदि आप नीम का पेड़ लगाना चाहते हैं तो दक्षिण दिशा बेहद शुभ रहेगी. दक्षिण दिशा में नीम का पेड़ लगाने से घर में लंबे समय से रुकी बरकत दोबारा से शुरू हो जाएगी.
मई में पितरों को प्रसन्न करने का दिन, पितृ पक्ष समान मिलेगा फल, जानें क्या करना है?
14 May, 2025 06:30 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
वैदिक पंचांग के अनुसार हिंदू धर्म में अश्विन मास में होने वाले पितृपक्ष का विशेष महत्व बताया गया है. पितृपक्ष के दिनों में नाराज पितरों को मनाने और उन्हें प्रसन्न करने के लिए अनेक प्रकार के अनुष्ठान, पूजा-पा, हवन, दान आदि किए जाते हैं. अपने पितरों को प्रसन्न करने के लिए पितृपक्ष के दिन बेहद ही खास बताए गए हैं. सालभर में कुछ तिथि ऐसी आती हैं, जिस दिन पितरों के निमित्त कोई भी कार्य करने पर लाभ की प्राप्ति होती है. ज्येष्ठ मास में पितृ कार्येषु अमावस्या के दिन यदि पितरों के निमित्त धार्मिक कार्य किया जाएं, तो साधकों को विशेष लाभ की प्राप्ति होने की मान्यता है.
इस बारे में ज्यादा जानकारी देते हुए उत्तराखंड के हरिद्वार के ज्योतिषी पंडित श्रीधर शास्त्री लोकल 18 को बताते हैं कि पितरों की शांति के लिए पितृपक्ष बेहद ही खास होते हैं. इन दिनों में नाराज पितरों को मनाने और प्रेत योनि में भटक रहे पितरों को मोक्ष देने के लिए धार्मिक अनुष्ठान करने का महत्व होता है. साल में सभी अमावस्या पर भी पितरों के निमित्त धार्मिक अनुष्ठान करने का महत्व है. ऐसे ही ज्येष्ठ मास में पितरों को मोक्ष देने और प्रसन्न करने के लिए खास दिन का आगमन होता है. साल 2025 में 26 मई को ज्येष्ठ मास की चतुर्दशी को पितृ कार्येषु अमावस्या मनाई जाएगी, जो पितरों के लिए बेहद ही खास तिथि है.
पितृ पक्ष के समान ही मिलेगा फल
उन्होंने कहा कि साल 2025 में चतुर्दशी विद्धा अमावस्या है, जिस कारण पितृ कार्येषु अमावस्या यानी 26 मई के दिन पितृ संबंधी कार्य अनुष्ठान, पिंडदान, तर्पण, पितरों को जलांजलि, तिलांजलि, दान आदि देने पर प्रेत योनि में भटक रहे पितरों को शांति मिलेगी और मोक्ष की प्राप्ति भी हो जाएगी. इस दिन पितरों से संबंधित धार्मिक अनुष्ठान, पूजा-पाठ, हवन, यज्ञ, दान आदि करने पर आश्विन मास में होने वाले पितृ पक्ष के समान ही फल की प्राप्ति होने की धार्मिक मान्यता है.
जय जय जय गणपति गणराजू… हर बुधवार करें गणेश चालीसा का पाठ
14 May, 2025 06:15 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
प्रथम पूज्य भगवान गणेश की पूजा अर्चना करने से सभी कष्ट व दूख दूर होते हैं. भगवान गणेश को विघ्नहर्ता भी कहा जाता है क्योंकि भगवान गणेश सभी तरह के विघ्नों को भी दूर करते हैं. गणेश चालीसा का हर रोज पाठ करने से ज्ञान, बल, साहस, बुद्धि, भाग्य में वृद्धि होती है. साथ ही कुंडली में बुध ग्रह की स्थिति भी मजबूत होती है. आइए गणेश चालीसा का पाठ करते हैं…
श्री गणेश चालीसा
दोहा
जय गणपति सदगुण सदन, कविवर बदन कृपाल।
विघ्न हरण मंगल करण, जय जय गिरिजालाल॥
चौपाई
जय जय जय गणपति गणराजू।
मंगल भरण करण शुभः काजू॥
जै गजबदन सदन सुखदाता।
विश्व विनायका बुद्धि विधाता॥
वक्र तुण्ड शुची शुण्ड सुहावना।
तिलक त्रिपुण्ड भाल मन भावन॥
राजत मणि मुक्तन उर माला।
स्वर्ण मुकुट शिर नयन विशाला॥
पुस्तक पाणि कुठार त्रिशूलं।
मोदक भोग सुगन्धित फूलं॥
सुन्दर पीताम्बर तन साजित।
चरण पादुका मुनि मन राजित॥
धनि शिव सुवन षडानन भ्राता।
गौरी लालन विश्व-विख्याता॥
ऋद्धि-सिद्धि तव चंवर सुधारे।
मुषक वाहन सोहत द्वारे॥
कहौ जन्म शुभ कथा तुम्हारी।
अति शुची पावन मंगलकारी॥
एक समय गिरिराज कुमारी।
पुत्र हेतु तप कीन्हा भारी॥
भयो यज्ञ जब पूर्ण अनूपा।
तब पहुंच्यो तुम धरी द्विज रूपा॥
अतिथि जानी के गौरी सुखारी।
बहुविधि सेवा करी तुम्हारी॥
अति प्रसन्न हवै तुम वर दीन्हा।
मातु पुत्र हित जो तप कीन्हा॥
मिलहि पुत्र तुहि, बुद्धि विशाला।
बिना गर्भ धारण यहि काला॥
गणनायक गुण ज्ञान निधाना।
पूजित प्रथम रूप भगवाना॥
अस कही अन्तर्धान रूप हवै।
पालना पर बालक स्वरूप हवै॥
बनि शिशु रुदन जबहिं तुम ठाना।
लखि मुख सुख नहिं गौरी समाना॥
सकल मगन, सुखमंगल गावहिं।
नाभ ते सुरन, सुमन वर्षावहिं॥
शम्भु, उमा, बहुदान लुटावहिं।
सुर मुनिजन, सुत देखन आवहिं॥
लखि अति आनन्द मंगल साजा।
देखन भी आये शनि राजा॥20॥
निज अवगुण गुनि शनि मन माहीं।
बालक, देखन चाहत नाहीं॥
गिरिजा कछु मन भेद बढायो।
उत्सव मोर, न शनि तुही भायो॥
कहत लगे शनि, मन सकुचाई।
का करिहौ, शिशु मोहि दिखाई॥
नहिं विश्वास, उमा उर भयऊ।
शनि सों बालक देखन कहयऊ॥
पदतहिं शनि दृग कोण प्रकाशा।
बालक सिर उड़ि गयो अकाशा॥
गिरिजा गिरी विकल हवै धरणी।
सो दुःख दशा गयो नहीं वरणी॥
हाहाकार मच्यौ कैलाशा।
शनि कीन्हों लखि सुत को नाशा॥
तुरत गरुड़ चढ़ि विष्णु सिधायो।
काटी चक्र सो गज सिर लाये॥
बालक के धड़ ऊपर धारयो।
प्राण मन्त्र पढ़ि शंकर डारयो॥
नाम गणेश शम्भु तब कीन्हे।
प्रथम पूज्य बुद्धि निधि, वर दीन्हे॥
बुद्धि परीक्षा जब शिव कीन्हा।
पृथ्वी कर प्रदक्षिणा लीन्हा॥
चले षडानन, भरमि भुलाई।
रचे बैठ तुम बुद्धि उपाई॥
चरण मातु-पितु के धर लीन्हें।
तिनके सात प्रदक्षिण कीन्हें॥
धनि गणेश कही शिव हिये हरषे।
नभ ते सुरन सुमन बहु बरसे॥
तुम्हरी महिमा बुद्धि बड़ाई।
शेष सहसमुख सके न गाई॥
मैं मतिहीन मलीन दुखारी।
करहूं कौन विधि विनय तुम्हारी॥
भजत रामसुन्दर प्रभुदासा।
जग प्रयाग, ककरा, दुर्वासा॥
अब प्रभु दया दीना पर कीजै।
अपनी शक्ति भक्ति कुछ दीजै॥
दोहा
श्री गणेश यह चालीसा, पाठ करै कर ध्यान।
नित नव मंगल गृह बसै, लहे जगत सन्मान॥
सम्बन्ध अपने सहस्त्र दश, ऋषि पंचमी दिनेश।
पूरण चालीसा भयो, मंगल मूर्ती गणेश॥
राशिफल: कैसा रहेगा आपका आज का दिन
14 May, 2025 12:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
मेष राशि :- ईष्ट मित्रों से ईष्या रहेगी, सुख का कार्य होगा, व्यवसाय गति उत्तम होवेगी।
वृष राशि :- अचानक शुभ समाचार प्राप्त होगा, धन की प्राप्ति होगी, संवेदनशील होंगे।
मिथुन राशि :- क्रोध से अशांति-तनाव, झगड़े से बचें, अर्थ-व्यवस्था कुछ अनुकूल ही बनेगी।
कर्क राशि :- कार्य-कुशलता से सहयोग, स्त्री से हर्ष तथा भोग-ऐश्वर्य की प्राप्ति होगी।
सिंह राशि :- इष्ट मित्र सुखवर्धक हो, कुटुम्ब की समस्याऐं अवश्य ही सुलझ जाएंगी।
कन्या राशि :- व्यर्थ व्यय, असमंजस और अस्थिरता का वातावरण हीन भावना करे।
तुला राशि :- अधिकारियों का समर्थन विफल हो, कार्य-व्यवसाय गति अनुकूल हो।
वृश्चिक राशि :- समय की अनुकूलता से लाभांवित हों, कार्य-कुशलता से अनुकूलता बनेगी।
धनु राशि :- व्यवसाय गति उत्तम, भाग्य साथ देगा, बिगड़े कार्य सुधर जाऐंगे।
मकर राशि :- स्त्री वर्ग से हर्ष-उल्लास, स्वास्थ्य नरम रहे, स्थिति में सुधार होगा।
कुंभ राशि :- स्त्री शरीर सुख, मानसिक बेचैनी से बचिये, कार्यगति अनुकूल अवश्य बने।
मीन राशि :- धन लाभ, आशानुकूल सफलता का हर्ष होगा, बिगड़े कार्य अवश्य ही बने।
अपमान का करारा जवाब कैसे दें? सामने वाली की बोलती हो जाए बंद, जानें आचार्य चाणक्य की खास नीतियां
13 May, 2025 06:45 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
आचार्य चाणक्य एक महान विद्वान थे. उन्हें राजनीति, धर्म, समाज, अर्थशास्त्र की गहरी समझ थी. उन्होंने नीतिशास्त्र की रचना की, उनकी नीतियां आज भी हमारे लिए बेहद उपयोगी हैं. उनकी बातें हमें जीवन में सफलता प्राप्त करने और परेशानियों से बचने का रास्ता दिखाती हैं. आज के इस दौर में भी चाणक्य की नीतियां उतनी ही प्रासंगिक हैं. अक्सर देखा जाता है कि कई लोग अपमान के घूंट पीते रहते हैं और चुप रहते हैं, लेकिन क्या वाकई यह समझदारी है? चाणक्य नीति ने बताया है कि अपमान करने वालों को कैसे जवाब देना चाहिए.
चुप्पी को कमजोरी समझने लगते हैं लोग
आचार्य चाणक्य कहते हैं, अगर कोई व्यक्ति एक बार अपमान सहता है, तो वह समझदार कहलाता है. अगर दो बार सहता है, तो वह महान कहलाता है, लेकिन जो बार-बार अपमान सहता है, वह मूर्ख कहलाता है. आचार्य चाणक्य के अनुसार इंसान के जीवन में सम्मान की कीमत मृत्यु से भी अधिक होती है. कई लोग अपमान सहकर चुप रहते हैं, लेकिन बार-बार अपमान सहना सही नहीं है. अपमान का घूंट जहर से भी ज्यादा कड़वा होता है.अगर कोई व्यक्ति लगातार आपका अपमान कर रहा है, तो उसे उसी समय करारा जवाब देना चाहिए, वरना लोग आपकी चुप्पी को कमजोरी समझने लगते हैं.
अपमान का सबसे बड़ा बदला है सफलता
आचार्य चाणक्य के अनुसार, खुद को इतना सफल बनाओ कि जो लोग आज आपको अपमानित करते हैं, कल आपकी प्रशंसा करने पर मजबूर हो जाएं. इससे उन्हें एक दिन खुद अपनी गलती का एहसास होगा.
मधुर व्यवहार से भी दें जवाब
गुस्से में आकर जवाब देने की बजाय, शांत और मधुर व्यवहार अपनाएं. इससे सामने वाला अपनी गलती खुद महसूस करेगा. अगली बार वह ऐसा करने से पहले जरूर सोचेगा.
अपमान करने वाले स्वयं दुखी होते हैं
जो लोग दूसरों का अपमान करते हैं, वे स्वयं भी जीवन में दुख और असफलता झेलते हैं. ऐसे लोगों से दूरी बनाना ही उचित है.
अपमान को चुनौती समझें
अपमान को दिल से न लगाएं, बल्कि इसे अपनी प्रेरणा बनाएं और खुद को इतना मजबूत बनाएं कि वही लोग आपकी सफलता को सलाम करें.
ध्यान रखें ये जरूरी बातें
1. अपनी ऊर्जा को अपमान का जवाब देने में व्यर्थ न करें, उसे अपने लक्ष्य को पाने में लगाएं.
2. समय सबका हिसाब करता है. धैर्य रखें, सफलता अवश्य मिलेगी.
3. सम्मान सबसे बड़ा धन है, इसे कभी खोने न दें.
4. खुद की कीमत समझें, तभी लोग भी आपकी कद्र करेंगे.
5. हमेशा संयम और विवेक से काम लें, यही चाणक्य नीति का सार है.
महाभारत: वो सुंदरी जिसने बाबा पर डोरे डाले और पोते अर्जुन पर भी, किससे रचाई थी शादी
13 May, 2025 06:30 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
महाभारत में एक सुंदरी थी, जो उम्र की सीमा से बंधी नहीं थी. वह सदाबहार जवां, हसीं और बला की खूबसूरत थी. बड़े बड़े ऋषि उसे देखकर डोल जाते थे. उसका दिल जबरदस्त तरीके से अर्जुन पर आया. यही सुंदरी महान धनुर्धर अर्जुन के बाबा के महल में भी उन्हें रिझाने जा पहुंची थी. मजे की बात ये भी है कि इसी सुंदरी ने पांडवों – कौरवों के वंश में एक राजा से शादी भी की थी. एक बेटा भी पैदा किया था.
आप सोच रहे होंगे कि ये सुंदरी कौन थी, जो पीढ़ियां गुजरने के बाद भी ना केवल हसीं और जवां बनी रही बल्कि जिसकी कातिल अदाएं हर दौर में बिजलियां गिराती थीं. जब वह नृत्य करती थी तो लोग मुग्ध होकर देखते रह जाते थे. बड़े बड़े राजा और देवता उसके प्रेम में पागल थे लेकिन उसने सबके प्रेम निवेदन को खारिज कर दिया.
स्वर्ग की सभा में जब अप्सराएं नृत्य करतीं, तो उनमें सबसे अनूठी थी नह. उसके सौंदर्य की तुलना चंद्रमा की शीतलता और सूरज की तेजस्विता से की जाती थी. उसकी चाल, आंखों की मादकता, उसकी मुस्कान से देवता क्या हर कोई मोहित हो जाता था.
जिन पर मोहित हुई, उन्होंने ठुकराया
उसने कभी नहीं सोचा कि महाभारत के जिन दो दिग्गजों पर वह मोहित हो गई है, वो उसको ठुकरा देंगे. एक बार वह गुस्से में पागल होकर अर्जुन को श्राप भी दे डाला. हालांकि फिर इस शाप को उसने हल्का किया. अब क्या आप अंदाज लगा पा रहे हैं कि वो सुंदरी कौन है. कौन थे अर्जुन के वो बाबा, जिनके प्यार में भी वह पागल हो गई थी.
घर में पितरों की एक से अधिक तस्वीर तो नहीं लगी? तुरंत करें ये काम, वरना झेल नहीं पाएंगे नुकसान!
13 May, 2025 06:15 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
वास्तु शास्त्र में कई ऐसी चीजों का उल्लेख है, जो हमारे जीवन में सकारात्मक और नकारात्मक बदलाव ला सकती है. इसी तरह, वास्तु में यह भी बताया गया कि घर में किस जगह कौनसी तस्वीर लगानी चाहिए. देवी-देवताओं की तस्वीर के साथ बहुत से लोग अपने पूर्वजों की तस्वीर भी घर में लगा लेते हैं. लेकिन, ये गलती आप न करें. जानें पूर्वजों की तस्वीर कहां लगाएं?
उज्जैन के आचार्य आनंद भारद्वाज ने बताया कि वास्तु शास्त्र के अनुसार, घर में पितरों की एक से अधिक तस्वीर भूलकर भी नहीं लगानी चाहिए. मृत पूर्वजों की एक से अधिक तस्वीर लगाने से घर में नकारात्मक शक्तियों का प्रभाव बढ़ सकता है और घर में शुभ की जगह अशुभ परिणाम देखने को मिलते हैं. किस दिशा में पूर्वजों की तस्वीर लगाना शुभ होता है और कौन सी जगह अशुभ.
पूर्वजों की तस्वीर लगाने की सही दिशा क्या है?
वास्तु शास्त्र के अनुसार, पितरों की तस्वीर लगाने के लिए दक्षिण दिशा सबसे सही मानी गई है. दक्षिण दिशा में पितरों की तस्वीर लगाने से उनका मुख उत्तर दिशा की तरफ होना चाहिए. दक्षिण दिशा को यम की दिशा माना जाता है. इस दिशा में यदि पितरों की तस्वीर लगाई जाती है तो घर में सुख-समृद्धि बनी रहती है.
यहां भूलकर भी न लगाएं पितरों की फोटो
शास्त्रों के अनुसार, पितरों की तस्वीर भूलकर भी ड्राइंग रूम या बेडरूम में नहीं लगानी चाहिए. ऐसा करने से घर के सदस्यों के स्वास्थ्य पर नकारात्मक असर पड़ने लगता है, जिसकी वजह से परिवार में कई तरह की बीमारियां पैर पसारने लगती हैं.
बड़े मंगल पर घर लाएं ये 4 चीजें, बजरंगबली की कृपा से बन जाएंगे बिगड़े काम, हर मुराद होगी
13 May, 2025 06:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
हर साल ज्येष्ठ माह में आने वाले सभी मंगलवारों को खास महत्व है. इन्हें बड़ा मंगल या बुढ़वा मंगल कहा जाता है. यह दिन भगवान हनुमान को प्रसन्न करने का खास समय होता है. इस दिन भक्त उपवास रखते हैं, पूजा करते हैं और जरूरतमंदों को भोजन कराते हैं. मान्यता है कि जो व्यक्ति सच्चे मन से बड़े मंगल के दिन हनुमान जी की पूजा करता है, उसकी परेशानियां कम होती हैं और जीवन में आगे बढ़ने का रास्ता खुलता है. बड़े मंगल का त्योहार उत्तर भारत में बहुत धूमधाम से मनाया जाता है. इस दिन कई शहरों में जगह-जगह भंडारे का आयोजन होता है. मंदिरों में भीड़ उमड़ती है. साल 2025 में बड़ा मंगल और भी खास होने वाला है क्योंकि इस साल कुल 5 बड़े मंगल आएंगे. इस दिन कुछ खास चीजें घर लाने से सभी परेशानियों से मुक्ति मिलती है और सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं.
क्यों होता है बड़े मंगल का पर्व खास?
धार्मिक मान्यता है अनुसार, हनुमान जी की पहली मुलाकात भगवान श्रीराम से ज्येष्ठ माह के मंगलवार को हुई थी. इसलिए यह दिन विशेष माना जाता है. ऐसा कहा जाता है कि इस दिन अगर कुछ खास चीजें घर लाकर पूजा में उपयोग की जाएं, तो हनुमान जी की कृपा से बिगड़े काम भी बन सकते हैं.
आइए जानते हैं कि वे कौन सी चीजें हैं जो बड़े मंगल के दिन घर लाने से जीवन में सकारात्मक बदलाव आ सकता है.
नारंगी सिंदूर
हनुमान जी को नारंगी रंग बहुत प्रिय है. बड़े मंगल के दिन ताजा नारंगी सिंदूर लाकर उसे हनुमान जी को अर्पित करें. इस सिंदूर को उनके मुकुट या चरणों में लगाएं. ऐसा करने से जीवन में साहस, आत्मबल और ऊर्जा का संचार होता है. जीवन में आ रही सभी बाधाएं दूर होती हैं.
गदा और केसरिया रंग का झंडा
हनुमान जी की पहचान उनकी गदा और केसरिया ध्वज से जुड़ी है. बड़े मंगल के दिन आप एक छोटी गदा या केसरिया झंडा अपने घर में लाएं और उसे छत पर लगाएं. यह प्रतीक होता है विजय और सुरक्षा का. इससे नकारात्मक असर कम होता है और घर का वातावरण शांत रहता है. परिवार में खुशहाली बनी रहती है.
केसर का भी उपयोग करें
केसर को शुभता और सौभाग्य का प्रतीक माना जाता है. बड़े मंगल के दिन केसर खरीदें और पूजा में केसर का उपयोग करें. ऐसा करने से घर में लक्ष्मी का वास होता है और काम में तरक्की मिलती है.
इस दिन लाल रंग के कपड़े खरीदें
हनुमान जी को लाल रंग बेहद प्रिय है. इस दिन आप लाल रंग की वस्तुएं या कपड़े खरीदकर घर ला सकते हैं. चाहें तो पूजा में नया लाल वस्त्र चढ़ाएं या खुद पहनें. इससे मनोबल बढ़ता है और कार्यों में सफलता मिलती है. इससे कुंडली में अगर आपका मंगल कमजोर है तो वह मजूबत होता है.
साल 2025 के बड़े मंगल इन तारीख में हैं
1. 13 मई 2025
2. 20 मई 2025
3. 27 मई 2025
4. 3 जून 2025
5. 10 जून 2025
इन सभी दिनों पर विशेष पूजा करना, व्रत रखना और किसी एक वस्तु का दान करना बहुत शुभ माना गया है. अगर आप ऐसा करते हैं तो इससे बजरंगबली की विशेष कृपा आप पर और आपके परिवार पर बरसती है.
राशिफल: कैसा रहेगा आपका आज का दिन
13 May, 2025 12:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
मेष राशि :- भाग्य का सितारा साथ देगा, बिगड़े कार्य बनेंगे, कार्य योजना अवश्य बनेगी।
वृष राशि :- नवीन कार्य योजना सफल हो, संवेदनशील होने से बचिये, समय पर ध्यान दें।
मिथुन राशि :- स्त्री वर्ग से हर्ष, कुछ चिन्ता, व्यवसायिक अवरोध, कष्ट अवश्य होगा।
कर्क राशि :- व्यग्रता, मन में उद्विघ्नता एवं कार्यगति अनुकूल बनी ही रहेगी।
सिंह राशि :- साधन सम्पन्नता के योग बनेंगे, दैनिक व्यवसाय गति अनुकूल बनी ही रहेगी।
कन्या राशि :- विरोधी परेशान करें, व्यर्थ धन का व्यय, असमंजस व अस्थिति बनी ही रहेगी।
तुला राशि :- कार्य व्यवसाय में बाधा तथा तनाव-क्लेश से आप बचने का प्रयास करें।
वृश्चिक राशि :- चिन्ता बनी ही रहेगी, कुटुम्ब की समस्याओं को समझदारी से सुलझाएं।
धनु राशि :- बिगड़े हुए कार्य बनेंगे, आशानुकूल सफलता का हर्ष होगा, सहयोग मिलेगा।
मकर राशि :- परिश्रम विफल हो, चिन्ता व यात्रा, व्यग्रता तथा स्वास्थ्य नरम होगा।
कुंभ राशि :- स्वास्थ्य नरम रहेगा एवं कहीं तनावपूर्ण स्थिति कष्टप्रद होगी। ध्यान दें।
मीन राशि :- दूसरों के कार्यों में समय तथा धन नष्ट न करें, समय स्थिति का ध्यान रखें।
जेठ महीने में तुलसी पौधा सूख जाए तो क्या करें? जान लें ये पूजा विधि, लक्ष्मी प्रसन्न होंकर भर देंगी घर!
12 May, 2025 06:45 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
हिंदू धर्म में तुलसी का बेहद खास महत्व है. तुलसी को साक्षात माता लक्ष्मी का स्वरूप माना जाता है. मान्यता है कि जो जातक तुलसी की पूजा करते हैं, उनके घर में कभी पैसों की कमी नहीं होती. साथ ही घर में सुख-समृद्धि और शांति का वास होता है. हालांकि, माह के अनुसार तुलसी पूजा का विधान भी बदलता है. वैशाख माह खत्म होने को है और इसी के बाद ज्येष्ठ माह की शुरुआत होगी. इस महीने में भीषण गर्मी के कारण तुलसी सूख जाती हैं. ऐसे में उनके पूजन का विधान भी बदल जाता है. देवघर के आचार्य ने बताया कि जेठ में तुलसी पूजन से कैसे लक्ष्मी की कृपा पाई जा सकती है.
देवघर के पागल बाबा आश्रम स्थित मुद्गल ज्योतिष केंद्र के प्रसिद्ध ज्योतिषाचार्य पंडित नंदकिशोर मुद्गल ने लोकल 18 को बताया कि 12 मई को वैशाख पूर्णिमा है. इसके साथ ही 13 मई से जेठ महीने की शुरुआत होने जा रही है. हिंदू पंचांग के अनुसार, जेठ सबसे बड़ा महीना है. इस महीने में गंगा दशहरा, वट सावित्री व्रत और बड़ा मंगला जैसे प्रमुख व्रत-त्योहार मनाए जाते हैं. वहीं, जेठ महीने में तुलसी पूजन का भी विशेष महत्व है. क्योंकि, इस महीने में तुलसी का पेड़ सूख जाता है. उस सूखे पेड़ की जड़ से कुछ खास उपाय कर सकते हैं. इससे माता लक्ष्मी बेहद प्रसन्न होंगी और घर में हमेशा धन की वर्षा करेंगी.
जेठ माह में ऐसे करें पूजा
ज्योतिषाचार्य बताते हैं कि जेठ महीने में हर रोज तुलसी के पौधे में जल अर्पण अवश्य करना चाहिए. उस जल में दूध मिला लें. लाल चुनरी अवश्य अर्पण करें. साथ ही, हर संध्या का दीपक तुलसी पेड़ के नीचे जरूर जलाएं. इससे माता लक्ष्मी बेहद प्रसन्न होती हैं. घर में सुख-समृद्धि का वास होता है. वहीं, जेठ महीने में अगर तुलसी के पेड़ सूख जाते हैं तो उसकी जड़ को एक पीले कपड़े में बांधकर अपने घर के मुख्य द्वार पर लटका दें. इससे हमेशा घर में लक्ष्मी की कृपा बनी रहेगी.
स्नान के बाद लड्डू गोपाल का जल ऐसे करें उपयोग, प्रेमानंद जी महाराज ने बताए भक्ति से जुड़े उपयोग के नियम
12 May, 2025 06:15 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
भगवान श्रीकृष्ण के बालरूप लड्डू गोपाल की पूजा घर-घर में होती है. भक्तगण उन्हें बच्चे की तरह मानते हैं उन्हें जगाते हैं, नहलाते हैं, वस्त्र पहनाते हैं, भोजन कराते हैं और फिर सुलाते हैं. यह भाव, यह अपनापन, भक्ति का ऐसा स्वरूप है जो भक्त और भगवान के बीच विशेष संबंध बना देता है. लड्डू गोपाल की सेवा करते समय हर छोटी-बड़ी बात का ध्यान रखना बहुत जरूरी होता है, खासकर उनके स्नान के बाद बचे हुए जल के संबंध में.
स्नान कराने के बाद इस तरह करे जल का उपयोग
प्रेमानंद जी महाराज ने अपने एक सत्संग में इस विषय पर बहुत ही सरल और स्पष्ट मार्गदर्शन दिया है. जब किसी भक्त ने उनसे पूछा कि लड्डू गोपाल को स्नान कराने के बाद उस जल का क्या किया जाए, तो उन्होंने दो विकल्प सुझाए या तो उसे स्वयं पी लिया जाए या फिर तुलसी के पौधे में डाल दिया जाए. यह केवल परंपरा या रिवाज नहीं, बल्कि भाव का विषय है. भगवान के शरीर को स्पर्श करने वाला जल अब केवल पानी नहीं रह जाता, वह एक पवित्र द्रव्य बन जाता है. ऐसे में उसका सम्मानपूर्वक उपयोग करना ही भक्त का धर्म है.
जल को सही स्थान पर डाले
अगर घर में तुलसी का पौधा नहीं है तो यह जल किसी भी ऐसे स्थान पर नहीं डालना चाहिए जहां लोगों के पैर पड़ें. आप चाहें तो इसे एक पात्र में एकत्र कर लें और बाद में किसी पवित्र नदी जैसे गंगा या यमुना में अर्पित करें. अगर नदी तक जाना संभव न हो तो किसी सुरक्षित, शांत स्थान पर भूमि में एक गड्ढा खोदकर उसमें डाल सकते हैं.
प्रेमानंद जी महाराज ने यह भी बताया कि लड्डू गोपाल की सेवा में उपयोग किए जाने वाले फूलों का भी विशेष ध्यान रखा जाना चाहिए. रोजाना जो फूल अर्पित किए जाते हैं, उन्हें कचरे में फेंकना अनुचित है. इन्हें भी किसी पेड़-पौधे के पास या नदी किनारे भूमि में दबा देना चाहिए. सिर्फ जल या फूल ही नहीं, भगवान के वस्त्र भी सावधानी से धोए जाने चाहिए. इन्हें किसी आम कपड़े की तरह नहीं बल्कि श्रद्धा के साथ साफ कर सुरक्षित रखना चाहिए.
खाटूश्याम जी मंदिर की महिमा, चिट्ठी भेजकर पूरी होती हैं मन्नतें
12 May, 2025 06:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
विश्व प्रसिद्ध खाटूश्याम जी मंदिर की महिमा दिनो दिन बढ़ती जा रही है. यहां बाबा श्याम के दरबार में दिल्ली, मुंबई, कोलकाता और हरियाणा सहित देश-विदेश से श्रद्धालु आते हैं. यहां आने वाले लाखों श्रद्धालु बाबा श्याम के दरबार में मन्नतें मांगने आते हैं. इन्होंने हारे का सहारा कहा है. खाटूश्याम जी मंदिर एक अनूठी परंपरा है.
जिसमें भक्त चिट्ठी लिखकर बाबा तक अपनी मनोकामनाएं पहुंच जाते हैं. मान्यता है कि ऐसा करने से बाबा श्याम भक्तों की मन्नत जरूर पूरी करते हैं. खाटूश्याम जी मंदिर में प्रसाद के साथ भक्तों के लिए चिट्ठी रखने के पात्र भी बनाए हुए हैं. जिसमें भक्त चिट्ठी रखकर बाबा श्याम तक अपनी मनोकामनाएं पहुंच सकते हो.
क्या है चिट्ठी भेजने की विधि
बाबा श्याम के भजन गाकर चंद्रप्रकाश ने बताया बाबा श्याम तक छुट्टी पहुंचने से पहले एक विधि का पालन होता है जिसमें पहले भक्त सफेद या पीले कागज पर अपनी मनोकामना साफ-साफ लिखी जाती है. चिट्ठी में केवल मूल इच्छा ही लिखी जाती है. इसके बाद मंदिर जाने से पहले या किसी हाथ से पहुंचाने से पहले रात को इसे घर के मंदिर में रख दे. इसके बाद चिट्ठी को खाटूश्याम मंदिर में जाकर पत्र बॉक्स में डाल दे या पुजारियों को सौंप दे. चिट्ठी देने के बाद भक्त प्रसाद अर्पित करते हैं और आरती में शामिल होते हैं.
क्या होता है चिट्ठी भेजने के बाद
बाबा श्याम के भजन गाकर चंद्रप्रकाश ने बताया कि मान्यता है कि बाबा श्याम हर भक्त की चिट्ठी पढ़ते हैं उनकी मनोकामना पूरी करते हैं. कई भक्तों का दावा है कि उनकी समस्याए चमत्कारिक ढंग से हल हो गई है. कुछ भक्त मन्नत पूरी होने पर मंदिर में छत्र या श्याम निशान भी चढ़ाते हैं. यहीं, कारण है कि खाटूश्याम जी मंदिर में पद यात्रियों की संख्या सबसे अधिक रहती है. ऐसे में अगर आपकी भी कोई समस्या है या इच्छा है जो पूरी नहीं हो रही है तो आप खाटूश्याम जी मंदिर में जा सकते हैं या अपनी चिट्ठी भेज सकते हैं.