राजनीति
सिंधिया का ममता सरकार पर तीखा हमला, "सत्ता में रहने का कोई हक नहीं"
18 Apr, 2025 09:00 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
इंदौर: देश की संसद से पास नए वक्फ कानून का विरोध देश के कई हिस्सो में देखने मिल रहा है. वक्फ कानून के विरोध में सबसे ज्यादा हिंसा पश्चिम बंगाल में देखने मिली. इस हिंसा को शांत करने के बजाए खुद बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी इस नए कानून का विरोध जता रही हैं. वहीं केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया शुक्रवार को मध्य प्रदेश के इंदौर पहुंचे. जहां उन्होंने बंगाल के मुर्शिदाबाद में हो रही हिंसा को लेकर ममता बनर्जी पर निशाना साधा.
ममता सरकार पर सिंधिया का निशाना
केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने पश्चिम बंगाल की ममता बनर्जी सरकार को आड़े हाथों लिया. सिंधिया ने कहा कि "जिस प्रदेश की सरकार एक अमन-चैन का वातावरण तैनात नहीं कर सकती. उस प्रदेश की सरकार को सरकार में रहने का औचित्य नहीं है." रतलाम में आयोजित कार्यक्रम में शामिल होने के लिए ज्योतिरादित्य सिंधिया इंदौर पहुंचे थे.
मणिपुर पर क्या बोले सिंधिया
इस दौरान उन्होंने मणिपुर हिंसा को लेकर जारी बैठक और आगामी रणनीति को लेकर भी बताया. सिंधिया द्वारा किए गए पूर्वोत्तर के दौरे के दौरान उनकी राज्यपाल से चर्चा हुई है. इसके अलावा उत्तर पूर्व काउंसिल की आठ कमेटी के आगामी फैसलों पर चर्चा हुई है. उन्होंने कहा आने वाले दिनों में केंद्र सरकार द्वारा मणिपुर का विकास किया जाएगा. इसके अलावा मणिपुर के विकास के लिए पूर्वोत्तर काउंसिल की आठ समितियों को भी निर्देश दिए गए हैं.
केंद्र ने की नार्थ ईस्ट काउंसिल गठित
गौरतलब है कि मणिपुर में राष्ट्रपति शासन लागू है. हालांकि यहां एक बार फिर हिंसा भड़क रही है. 8 मार्च को यहां फ्री ट्रैफिक मूवमेंट की शुरुआत की गई थी, लेकिन इसके बाद भी कई जिलों में हिंसा भड़की है. इसके अलावा यहां सुरक्षा बलों और आम लोगों के बीच हुई मुठभेड़ में एक सुरक्षाकर्मी की मौत हो चुकी है. जबकि आगजनी में यहां लाखों रुपए का नुकसान हो चुका है. इसके बावजूद भी मणिपुर में फिलहाल हालात सामान्य नहीं है. जिसे लेकर केंद्र सरकार ने नॉर्थ ईस्ट काउंसिल गठित की है.
8 राज्यों के मुख्यमंत्री के जिम्मे शांति बहाली
जिसमें अलग-अलग राज्यों के आठ मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में मणिपुर में शांति बहाली और विकास के मुद्दों पर बैठक के बाद समिति केंद्र सरकार को अपनी राय भेजेगा. इधर केंद्र सरकार भी मणिपुर में शांति बहाली और विकास को लेकर अपनी अलग रणनीति लेकर चल रही है. जिसे लेकर अब केंद्र सरकार सक्रिय नजर आ रही है.
महागठबंधन की तैयारी: सीएम सस्पेंस से बिहार में बदलाव की उम्मीद
18 Apr, 2025 08:00 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
नई दिल्ली। बिहार विधानसभा चुनाव 2025 की सरगर्मी के बीच महागठबंधन में मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार को लेकर अनिश्चितता बनी हुई है। तेजस्वी यादव की अगुवाई में गठबंधन ने कोआर्डिनेशन कमेटी बनाई है। सीट बंटवारे को लेकर भी आरजेडी और कांग्रेस में मतभेद हैं। कांग्रेस की रणनीति बिना सीएम चेहरे के चुनाव लड़ने की है, जबकि आरजेडी तेजस्वी यादव को सीएम चेहरा बनाना चाहती है। बिहार विधानसभा चुनाव की सियासी सरगर्मी बढ़ने के साथ-साथ राजनीतिक दलों के बीच शह-मात का खेल शुरू हो गया है। आरजेडी के नेतृत्व वाले महागठबंधन की एक के बाद एक बैठक हो रही है, लेकिन सीएम चेहरे पर सस्पेंस बना हुआ है। दिल्ली के बाद पटना में हुई बैठक में महागठबंधन को पशुपति पारस के रूप में नया साथ मिल गया है, तो मुकेश सहनी मजबूती से खड़े नजर आ रहे हैं। महागठबंधन की पटना में गुरुवार को हुई बैठक में एक कोआर्डिनेशन कमेटी बनाने का फैसला किया। इस कमेटी के अध्यक्ष आरजेडी नेता तेजस्वी यादव होंगे। इस तरह से तेजस्वी यादव 2025 के चुनाव में महागठबंधन में लीड रोल में रहेंगे, लेकिन सीएम पद के चेहरे का सवाल जस का तस बना रहा। कांग्रेस तेजस्वी को सीएम का चेहरा घोषित कर चुनाव नहीं लड़ना चाहती, जो उसकी रणनीति का हिस्सा नहीं है। बिहार की राजधानी पटना में महागठबंधन की ढाई घंटे तक बैठक चली। तेजस्वी यादव के नेतृत्व में हुई बैठक में एलजेपी (आर) के प्रमुख पशुपति पारस के महागठबंधन में शामिल होने का ऐलान किया गया। बैठक में यह तय हुआ कि महागठबंधन में तालमेल बिठाने के लिए एक कोआर्डिनेशन कमेटी गठित की जाएगी, जिसे लीड तेजस्वी यादव करेंगे और इस कमेटी में सभी दलों के सदस्य होंगे। कांग्रेस के बिहार प्रभारी कृष्णा अल्लावरु ने कहा कि विधानसभा चुनाव में इंडिया गठबंधन एकता और स्पष्टता के साथ चुनाव लड़ेगा। उन्होंने कहा कि इंडिया गठबंधन बिहार की जनता के मुद्दों पर चुनाव लड़ेगा। हालांकि, सीएम चेहरे के सवाल पर अल्लापरु गोल-मोल जवाब देते नजर आए और तेजस्वी के नाम पर मुहर नहीं लगाई। हां एक बात जरूर कही कि तेजस्वी यादव के अगुवाई में महागठबंधन चुनाव लड़ेगी। वहीं, सीएम फेस पर सहमति नहीं बनने के सवाल तेजस्वी यादव ने कहा कि महागठबंधन में कोई चिंता नहीं है। चिंता एनडीए गठबंधन के लोगों को होनी चाहिए। मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार पर उन्होंने कहा कि एक ही दिन में सब कुछ घोषणा नहीं होगी, थोड़ा इंतजार का मजा लीजिए। इस दौरान उन्होंने यह भी दावा किया कि महागठबंधन के सभी दल एक साथ हैं और जो भी होगा, सब मिलकर साझा करेंगे। सीएम चेहरे पर सस्पेंस बनाए रखने की स्ट्रैटेजी के साथ कांग्रेस बिहार चुनाव लड़ना चाहती है, जिस तरह से 2024 के लोकसभा चुनाव में इंडिया गठबंधन ने किसी को पीएम का चेहरा घोषित नहीं किया था। इस फॉर्मूले पर बिहार चुनाव में उतरने की कवायद है। आरजेडी प्रमुख लालू प्रसाद यादव कह चुके हैं कि तेजस्वी यादव सीएम का चेहरा होंगे,तो तेजस्वी भी अपने नाम का ऐलान कर चुके हैं। इसके बाद भी कांग्रेस तेजस्वी को मुख्यमंत्री चेहरा घोषित कर चुनाव नहीं लड़ना चाहती। कांग्रेस का तर्क है कि तेजस्वी यादव को सीएम का चेहरा घोषित कर महागठबंधन चुनावी मैदान में उतरी, तो उससे सियासी समीकरण गड़बड़ा सकता है। तेजस्वी के नाम पर यादव को छोड़कर, दलित अन्य पिछड़ी जातियां और सवर्ण समाज का वोट नहीं मिल पाएगा। ये बात राहुल गांधी और मल्लिकार्जुन खरगे ने सीधे तौर पर दिल्ली बैठक में तेजस्वी यादव को बता दी। हां, ये जरूर आश्वासन दिया कि अगर बिहार में सरकार बनाने का मौका हाथ आता है, तो तेजस्वी यादव को सीएम बनाया जा सकता, लेकिन चुनाव में उनके नाम की घोषणा कर लड़ना जोखिम भरा कदम हो सकता है। महागठबंधन अगर तेजस्वी यादव को आगे कर चुनावी मैदान में उतरी है, तो सवर्ण जाति के वोटों के छिटकने का ज्यादा खतरा कांग्रेस को लग रहा। इसीलिए कांग्रेस बिहार में 2024 के लोकसभा चुनाव वाले फार्मूले पर लड़ने की तैयारी में है। इंडिया गठबंधन ने 2024 में पीएम पद का चेहरा घोषित करके चुनाव नहीं लड़ा था। इंडिया गठबंधन ने एक ज्वाइंट कमेटी जरूर बनाई थी, उसी तर्ज पर बिहार में कोआर्डिनेशन कमेटी बनाई जा रही है। कांग्रेस की रणनीति है कि बिना सीएम चेहरे के उतरने से किसी समाज के वोट छिटकने का खतरा नहीं होगा। इसी रणनीति के तहत कांग्रेस तेजस्वी को सीएम चेहरे की बात नहीं कर रही, ऐसे में कांग्रेस ने रणनीति बनाई है कि चुनाव के बाद जो पार्टी सबसे बड़ी बनकर उभरेगी, वही पार्टी नेता तय करेगी, जिस तरह लोकसभा चुनाव के बाद कांग्रेस के सबसे बड़ी पार्टी बनने के बाद राहुल गांधी को नेता प्रतिपक्ष बनाया गया है। उसी तरह बिहार में महागठबंधन की सत्ता में वापसी होती है और आरजेडी अगर सबसे बड़ी पार्टी बनती है तो तेजस्वी यादव को सीएम बनाया जा सकता है। कांग्रेस के फॉर्मूले पर तेजस्वी यादव और उनकी पार्टी आरजेडी ने अपनी फाइनल स्वीकृति नहीं दी है, लेकिन तेजस्वी ने जिस तरह से कहा कि महागठबंधन में कन्फ्यूजन नहीं है। इससे जाहिर होता है कि आरजेडी वेट एंड वॉच के मूड में है और कांग्रेस के फार्मूले पर मंथन कर रही है। वहीं, कांग्रेस नेतृत्व सीएम के नाम पर आधिकारिक घोषणा से पहले सभी गठबंधन सहयोगियों के बीच सीट बंटवारे पर स्पष्टता जैसी औपचारिकताओं को पूरा कर लेना चाहता है।
कर्नाटक में नया कानून लाने की तैयारी? राहुल गांधी ने सिद्धारमैया को भेजा प्रस्ताव
18 Apr, 2025 05:00 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया को पत्र लिखकर राज्य सरकार से रोहित वेमुला एक्ट नाम से एक कानून बनाने का आग्रह किया है, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि शिक्षा प्रणाली में किसी को भी जाति आधारित भेदभाव का सामना न करना पड़े। कर्नाटक के सीएम को लिखे अपने पत्र में कांग्रेस सांसद ने बीआर अंबेडकर के साथ उनके जीवनकाल में हुए भेदभाव पर प्रकाश डाला।
बीआर अंबेडकर की एक घटना का किया जिक्र
राहुल गांधी ने बीआर अंबेडकर के एक घटना को दोहराते हुए कहा "हमारे पास बहुत सारा भोजन था। हमारे भीतर भूख जल रही थी, इन सबके साथ हमें बिना भोजन के सोना पड़ा, ऐसा इसलिए था क्योंकि हमें पानी नहीं मिल सकता था और हमें पानी इसलिए नहीं मिल सकता था क्योंकि हम अछूत थे।"
राहुल गांधी ने अंबेडकर को उद्धृत करते हुए कहा, "वे हमें स्कूल में अपने अनुभव के बारे में बताते हैं, 'मैं जानता था कि मैं अछूत हूं और अछूतों को कुछ अपमान और भेदभाव का सामना करना पड़ता है। उदाहरण के लिए, मैं जानता था कि स्कूल में अपने सहपाठियों के बीच अपनी रैंक के अनुसार नहीं बैठ सकता था, बल्कि मुझे एक कोने में अकेले बैठना था।"
कर्नाटक सीएम से राहुल गांधी की मांग
कांग्रेस नेता ने कहा कि सिद्धारमैया इस बात से सहमत होंगे कि अंबेडकर ने जो झेला वह शर्मनाक था और भारत के किसी भी बच्चे को यह नहीं सहना चाहिए। राहुल गांधी ने कहा, "यह शर्म की बात है कि आज भी दलित, आदिवासी और ओबीसी समुदायों के लाखों छात्रों को हमारी शिक्षा प्रणाली में इस तरह के क्रूर भेदभाव का सामना करना पड़ता है।"
उन्होंने कहा, "रोहित वेमुला, पायल तड़वी और दर्शन सोलंकी जैसे प्रतिभाशाली युवाओं की हत्या बिल्कुल भी स्वीकार्य नहीं है। इसे पूरी तरह से समाप्त करने का समय आ गया है। मैं कर्नाटक सरकार से रोहित वेमुला अधिनियम लागू करने का आग्रह करता हूं ताकि भारत के किसी भी बच्चे को वह न सहना पड़े जो डॉ. बीआर अंबेडकर, रोहित वेमुला और लाखों अन्य लोगों को सहना पड़ा है।"
राहुल ने एक्स पर किया पोस्ट
बता दें, 2016 में जाति आधारित भेदभाव के कारण दलित छात्र रोहित वेमुला की आत्महत्या कर ली थी। एक्स पर लिखे पत्र को साझा करते हुए रहुल गांधी ने कहा, "हाल ही में, मैं संसद में दलित, आदिवासी और ओबीसी समुदायों के छात्रों और शिक्षकों से मिला। बातचीत के दौरान, उन्होंने मुझे बताया कि उन्हें कॉलेजों और विश्वविद्यालयों में जाति-आधारित भेदभाव का सामना कैसे करना पड़ता है।"
उन्होंने कहा कि अंबेडकर ने दिखाया था कि शिक्षा ही एकमात्र ऐसा साधन है जिसके द्वारा वंचित भी सशक्त बन सकते हैं और जाति व्यवस्था को तोड़ सकते हैं। लेकिन यह बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है कि दशकों बाद भी, लाखों छात्र हमारी शिक्षा प्रणाली में जातिगत भेदभाव का सामना कर रहे हैं।
'अन्याय पर पूरी तरह से लगे रोक'
उन्होंने कहा, "इस भेदभाव ने रोहित वेमुला, पायल तड़वी और दर्शन सोलंकी जैसे होनहार छात्रों की जान ले ली है। ऐसी भयावह घटनाओं को किसी भी कीमत पर बर्दाश्त नहीं किया जा सकता। अब इस अन्याय पर पूरी तरह रोक लगाने का समय आ गया है।"
राहुल गांधी ने कहा, "मैंने सिद्धारमैया को पत्र लिखकर अनुरोध किया है कि रोहित वेमुला एक्ट को कर्नाटक में लागू किया जाए। भारत में किसी भी बच्चे को उस जातिवाद का सामना नहीं करना चाहिए जिसका सामना बाबासाहेब अंबेडकर, रोहित वेमुला और करोड़ों लोगों ने किया है।"
बंगाल हिंसा शर्मनाक, रेखा गुप्ता ने ममता बनर्जी की भूमिका पर उठाए सवाल
18 Apr, 2025 11:22 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
नई दिल्ली, 18 अप्रैल दिल्ली की मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने गुरुवार को पश्चिम बंगाल में वक्फ अधिनियम को लेकर हुई सांप्रदायिक हिंसा को ‘शर्मनाक’ और इसे सीएम ममता बनर्जी के कामकाज पर लगा धब्बा बताया।
आईएएनएस से खास बातचीत में सीएम गुप्ता ने कहा, “जिस तरह से पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री खुद लोगों के बीच दरार पैदा करने में लगी हैं, वह निंदनीय है।”
पश्चिम बंगाल में अस्थिर स्थिति की ओर इशारा करते हुए उन्होंने कहा, “बहुत शर्मनाक है, अगर राज्य में इस प्रकार का माहौल है और उसमें खुद मुख्यमंत्री शामिल होकर जनता को बांटने का काम कर रही हैं।”
दिल्ली की मुख्यमंत्री ने अल्पसंख्यक बहुल मुर्शिदाबाद जिले में सांप्रदायिक हिंसा का खामियाजा भुगतने वाले हिंदू परिवारों के प्रति सहानुभूति जताई।
उन्होंने कहा, “जो हिंदू परिवार हैं, उनके ऊपर इतना अत्याचार और इतनी दर्दनाक स्थिति है कि लोगों को वहां से जाना पड़े तो एक महिला मुख्यमंत्री के लिए इससे ज्यादा शर्म की बात नहीं हो सकती है।”
सीएम रेखा गुप्ता की ये टिप्पणी ऐसे समय में आई है जब कलकत्ता उच्च न्यायालय ने मुर्शिदाबाद में स्थिति की समीक्षा के लिए एक समिति के गठन का निर्देश दिया है।
सीएम गुप्ता ने अपने पूर्ववर्ती और दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल पर कई मुद्दों को लेकर दोहरा रवैया अपनाने का आरोप लगाया और उन्हें अवसरवादी करार दिया। मुख्यमंत्री बोलीं, “वह अवसरवाद की राजनीति में माहिर हैं। वह केवल उन्हीं मुद्दों पर बयान देते हैं, जो उनके अनुकूल हों।” उन्होंने कहा कि केजरीवाल अपने बच्चों के नाम की कसम खाते हैं और फिर से गलत कामों में लिप्त हो जाते हैं और दागी लोगों से हाथ मिला लेते हैं।
मुख्यमंत्री ने केजरीवाल के इस दावे पर आश्चर्य व्यक्त किया जिसमें उन्होंने आरोप लगाया था कि अधिकारी उनकी सरकार को स्वतंत्र रूप से काम नहीं करने दे रहे हैं। सीएम गुप्ता ने कहा, “सरकार का मुखिया उनका लीडर होता है, तो देखना होता है कि वह उनसे काम लेना चाहता है या नहीं लेना चाहता। अधिकारी भी काम करना चाहते थे, उपराज्यपाल भी काम करना चाहते थे और केंद्र भी पूरा समर्थन दे रहा था। अब किसी की आदत ऐसी ही हो जाए, कि हमेशा कोसना है और मदद लेनी ही नहीं है तो क्या कह सकते हैं। पिछली सरकार का ऐसा व्यवहार बन गया था।”
संजय सिंह का बड़ा बयान: वक्फ एक्ट की समीक्षा जरूरी
18 Apr, 2025 09:24 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
नई दिल्ली। वक्फ कानून में हाल में किए गए संशोधनों की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट में गुरुवार को दूसरे दिन सुनवाई जारी रही। भारत के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति संजीव खन्ना, जस्टिस संजय कुमार और जस्टिस के.वी. विश्वनाथन की बेंच ने केंद्र सरकार को जवाब दाखिल करने के लिए सात दिन की मोहलत दी है। सरकार ने अदालत को भरोसा दिलाया कि इस दौरान डिनोटिफिकेशन या नई नियुक्ति नहीं की जाएगी। अगली सुनवाई 5 मई को होगी। इसके बाद वक्फ कानून पर लगातार राजनीतिक प्रतिक्रियाएं भी आ रही हैं। इसी कड़ी में आम आदमी पार्टी के राज्यसभा सांसद संजय सिंह ने केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार पर निशाना साधा है। उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा, वक्फ संशोधन बिल पूरी तरह गैर संवैधानिक है, यही बात मैंने जेपीसी के समक्ष और सदन में उठाई थी। सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से जो सवाल किए हैं, उसका कोई जवाब मोदी सरकार के पास नही है। अभी भी वक्त है बात मान लो ये देश बाबासाहेब के लिखे संविधान से चलेगा किसी मोदी के फरमान से नही। वहीं सुप्रीम कोर्ट में हुई सुनवाई पर पक्ष-विपक्ष में अलग-अलग प्रतिक्रियाएं आ रही हैं। विपक्ष में आई प्रतिक्रियाओं पर संजय सिंह ने लिखा, मोदी के समर्थक सुप्रीम कोर्ट को धमकाने में जुट गए। बीजेपी न संविधान मानती है न कोर्ट। मोदी जी के मंसूबों को धक्का लगा है। बीजेपी धार्मिक संपत्तियों पर कब्जा करके अपने दोस्तों को देना चाहती है। इन्होंने काशी में 300 से अधिक मंदिर तोड़कर जमीन अपने दोस्तों धंधा करने के लिए दे दी। बता दें कि गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने अदालत से कहा कि यह मुद्दा ऐसा नहीं है कि कोई सेक्शन देखकर उस पर फैसला किया जाए। इसके लिए पूरे कानून और इतिहास को भी देखना होगा। कई लाख सुझावों पर गौर करके यह कानून पारित हुआ था। उन्होंने कहा कि यदि अदालत कोई आदेश जारी करती है तो उसका बहुत बड़ा प्रभाव पड़ेगा। उन्होंने जवाब दाखिल करने के लिए एक सप्ताह का समय मांगा, जिसे अदालत ने स्वीकार कर लिया। इसके बाद सीजेआई ने कहा कि अदालत चाहती है कि कोई भी पक्ष प्रभावित न हो। सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि अगर आप वक्फ बाय यूजर को लेकर भी कुछ कहना चाहते हैं, तो उसके लिए हमारा पक्ष सुने। उन्होंने आश्वासन दिया कि एक सप्ताह तक वक्फ बोर्ड में कोई भी नियुक्ति नहीं होगी। सुप्रीम कोर्ट ने सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता से पूछा कि क्या वह आश्वासन दे सकते हैं कि 1995 के वक्फ कानून के तहत रजिस्टर्ड वक्फ प्रॉपर्टी को डिनोटिफाई नहीं करेंगे? सॉलिसिटर जनरल ने अदालत को इसका भी भरोसा दिलाया। अंतरिम आदेश में शीर्ष अदालत ने अगली सुनवाई की तारीख 5 मई तय करते हुए कहा कि सॉलिसिटर जनरल ने कहा है कि केंद्र सरकार सात दिन के भीतर जवाब दाखिल करना चाहती है। वह अदालत को आश्वासन देते हैं कि वक्फ कानून की संशोधित धारा 9 और 14 के तहत परिषद और बोर्ड में कोई नियुक्ति नहीं की जाएगी। कोर्ट ने कहा कि अगली सुनवाई की तारीख तक, वक्फ, जिसमें पहले से पंजीकृत या अधिसूचना द्वारा घोषित वक्फ शामिल हैं, को न तो डिनोटिफाई किया जाएगा और न ही कलेक्टर द्वारा इसमें कोई बदलाव किया जाएगा। हम इस बयान को रिकॉर्ड पर लेते हैं।
राहुल की रणनीति को ब्रेक? जाति जनगणना पर फैसला टालते सिद्धारमैया
18 Apr, 2025 08:21 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
बिहार से लेकर तेलंगाना तक राहुल गांधी जहां भी जाते हैं जाति जनगणना की बात करते हैं. उनका मेन एजेंडा ही जाति जनगणना और आरक्षण की 50 फीसदी की सीमा क्रॉस करना है. लेकिन अब कांग्रेस शासित राज्य कर्नाटक इसी जात जनगणना में उलझ गया है. गुरुवार को सीएम सिद्धारमैया ने जाति जनगणना पर स्पेशल कैबिनेट मीटिंग बुलाई, लंबी चर्चा हुई. लेकिन कोई फैसला नहीं हो पाया. वजह सिर्फ एक ही है, एक को खुश करने के चक्कर में कई जातियां नाराज हो गई हैं. कर्नाटक की राजनीति के जानकारों का कहना है कि सिद्धारमैया सरकार के लिए यह गले की फांस बन गया है. उन्हें समझ नहीं आ रहा कि इससे निकलें कैसे.
कर्नाटक सरकार ने गुरुवार को स्पेशल कैबिनेट मीटिंग बुलाई, जिसमें सोशल-इकनॉमिक एंड एजुकेशनल सर्वे रिपोर्ट यानी जाति जनगणना पर चर्चा होनी थी. रिपोर्ट में ओबीसी कोटा को 51% तक बढ़ाने का सुझाव है, लेकिन वोकालिगा और लिंगायत जैसे प्रभावशाली समुदायों ने इसे अनसाइंटिफिक करार दे रहे हैं. वे ओबीसी कोटा बढ़ाने का विरोध कर रहे हैं. उनका तर्क है कि रिपोर्ट में उनका हक मारा जा रहा है. न्यूज18 को सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक, बैठक में इसी वजह से कोई अंतिम निर्णय नहीं हो सका. स्पेशल कैबिनेट ने रिपोर्ट को एक सब-कमेटी या विशेषज्ञ पैनल को भेजने पर विचार किया, लेकिन इस पर सहमति नहीं बनी. कहा जा रहा कि सिद्धारमैया सरकार इस मुद्दे पर फिर बाद में चर्चा करेगी.
कहां फंसा पेंच
कांग्रेस सरकार के लिए इसे पूरा कर पाना बड़ी चुनौती है, क्योंकि वोटबैंक की राजनीति आड़े आ रही है. राज्य में वोटरों का एक बड़ा वर्ग वोकालिगा और लिंगायत समुदाय से आने वाले मंत्रियों ने अपनी जातियों के गलत वर्गीकरण और ओबीसी में विभाजन पर आपत्ति जताई. सूत्रों का तो ये भी कहना है कि वे इसे खारिज करने की मांग कर रहे हैं और फिर से गणना की डिमांड कर रहे हैं. जेडीएस की भी मांग है कि नई जाति गणना कराई जाए. बीजेपी इसे सरकार की नाकामी बता रही है.
सोशल मीडिया में रिएक्शन
सोशल मीडिया में तमाम बुद्धिजीवी लोगों ने कमेंट लिखे हैं. प्रमोद मिश्रा नाम के एक शख्स ने लिखा, कर्नाटक में जाति गणना पर कैबिनेट का बिना फैसले के खत्म होना कांग्रेस की कमजोरी दिखाता है. सिद्धारमैया वोटबैंक की राजनीति में फंस गए हैं. सोफिया अहमद लिखती हैं, जाति गणना पर फैसला टालना सही कदम हो सकता है, क्योंकि जल्दबाजी में लिया गया निर्णय विवाद बढ़ा सकता है, लेकिन सरकार को पारदर्शिता दिखानी होगी. विजय शर्मा ने लिखा, वोकालिगा और लिंगायत का विरोध कांग्रेस के लिए सिरदर्द बन गया. बिना फैसले के बैठक खत्म होना सिद्धारमैया की रणनीति की नाकामी है.
डिजिटल रणभूमि में कांग्रेस की एंट्री, सोशल मीडिया से देगी विरोधियों को टक्कर
17 Apr, 2025 10:00 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
पटना । बिहार विधानसभा चुनाव की तैयारियों में जुटी कांग्रेस अब डिजिटल मोर्चे पर भी आक्रामक होने वाली है। 40 नए जिलाध्यक्षों की नियुक्ति के बाद अब पार्टी ने 37 जिलों में सोशल मीडिया जिलाध्यक्ष नियुक्त कर दिए हैं। बिहार प्रदेश अध्यक्ष राजेश राम ने नियुक्ति की घोषणा कर सोशल मीडिया कार्यकर्ताओं से अनुशासित और सक्रिय टीम बनाने के निर्देश दिए हैं। आधिकारिक पत्र में लिखा गया है कि नियुक्त कार्यकर्ता भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की विचारधारा और नीतियों को डिजिटल माध्यम से जन-जन तक पहुंचाएंगे। साथ ही, प्रत्येक जिले में सोशल मीडिया वॉलंटियर्स की मजबूत टीम तैयार करे, जो पंचायत, प्रखंड और विधानसभा स्तर पर जनता के मुद्दों को सोशल मीडिया के द्वारा उजागर करेगी।
इसके पहले दिल्ली में राहुल गांधी ने नवनियुक्त जिलाध्यक्षों के साथ बैठक कर सोशल मीडिया को चुनावी रणनीति का अहम हिस्सा बताया था। राहुल गांधी ने कहा कि हर मुद्दे पर सक्रिय रहना, समावेशी दृष्टिकोण अपनाना, और बूथ लेवल पर संगठन को मज़बूत करना चुनावी सफलता की कुंजी होगी।
कांग्रेस अब टिकट बंटवारे में जिला अध्यक्षों की राय को प्राथमिकता देगी। राहुल गांधी ने कहा कि जिलाध्यक्षों का पावर बढ़ाया जाएगा, और यह बदलाव वे स्वयं अनुभव कर सकते है।
राजनीतिक जानकारों का मानना है कि कांग्रेस की यह सोशल मीडिया टीम बिहार में पार्टी के लिए डिजिटल युद्ध की नींव रखेगी। यदि यह रणनीति सही ढंग से लागू होती है, तब यह जनता से सीधा संवाद और मुद्दा-आधारित चुनावी अभियान के लिए बेहद कारगर साबित हो सकती है।
हमने भाजपा छोड़ी, हिंदुत्व नहीं: उद्धव ठाकरे का स्पष्ट संदेश
17 Apr, 2025 09:00 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
नासिक। शिवसेना (यूबीटी) प्रमुख और पूर्व सीएम उद्धव ठाकरे ने कहा कि उन्होंने भाजपा से नाता तोड़ा है, हिंदुत्व की विचारधारा से मुंह नहीं मोड़ा है। भाजपा का घिसा-पिटा हिंदुत्व मुझे स्वीकार नहीं है। दरअसल भाजपा ने उद्धव पर हिंदुत्व छोड़ने का आरोप लगाया था। इस पर उद्धव ने यह बात नासिक में पार्टी के संकल्प शिविर में कही।
उद्धव ने कार्यकर्ताओं से कहा कि भाजपा झूठी कहानी फैला रही है कि हम लोगों ने हिंदुत्व छोड़ दिया। शिवसेना (यूबीटी) के हिंदुत्व का मतलब राष्ट्रवाद है। जलती हुई मशाल पार्टी का चुनाव चिन्ह हो सकता है, लेकिन भगवा इसकी पहचान है। मैं भाजपा के घिसे-पिटे हिंदुत्व को स्वीकार नहीं करता।
ठाकरे ने कहा कि राज्यपाल को कहीं और शिफ्ट किया जाए। मुंबई के राजभवन को शिवाजी महाराज के स्मारक में बदला जाए। पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि अगर भाजपा को शिवाजी महाराज के प्रति सच्चा सम्मान है, तब केंद्र को उनकी जयंती पर पूरे देश में अवकाश घोषित करे।
वहीं ठाकरे ने कहा कि जब 1992 में बाबरी मस्जिद गिराई गई थी, तब भाजपा के अटल बिहारी वाजपेयी और लालकृष्ण आडवाणी ने माफी मांगी थी। जबकि बालासाहेब ने कहा था कि अगर उनकी पार्टी के कार्यकर्ताओं ने ढांचा गिराया है, तब उन्हें इस बात पर गर्व है।
उद्धव ठाकरे ने 3 अप्रैल को वक्फ संशोधन बिल पर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और बीजेपी सांसदों के भाषण पर टिप्पणी की थी। ठाकरे ने कहा था, बीजेपी और उसके सहयोगियों ने मुसलमानों के बारे में जो चिंता दिखाई है, उससे मुहम्मद अली जिन्ना भी शर्मिंदा हो जाएंगे। बीजेपी हिंदू-मुस्लिम की राजनीति कर रही है।
बीजेपी प्रवक्ता गौरव भाटिया ने कांग्रेस पे साधा सवालिया निशाना! बोले- क्या इस परिवार ने कसम खा रखी है देश के लोगो व किसानों को लूटना?
17 Apr, 2025 07:45 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
नई दिल्ली: भारतीय जनता पार्टी के नेता गौरव भाटिया ने रॉबर्ट वाड्रा और गांधी परिवार पर जमकर निशाना साधा है. उन्होंने उन्हें वंशानुगत भ्रष्ट परिवार बताया है. दरअसल, ईडी रॉबर्ट वाड्रा के गुरुग्राम जमीन मामले की जांच कर रही है. इस मामले को लेकर गौरव भाटिया ने उन पर निशाना साधा. मीडिया को संबोधित करते हुए भाटिया ने उन पर आरोप लगाया और उन्हें भू-माफिया बताया, जो किसानों की जमीन हड़पने में शामिल रहे हैं. उन्होंने विपक्षी नेता राहुल गांधी पर नेशनल हेराल्ड घोटाले में शामिल होने और पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी पर वीवीआईपी हेलीकॉप्टर घोटाले में शामिल होने और पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी पर बोफोर्स घोटाले में शामिल होने का आरोप लगाया.
बीजेपी ने साधा निशाना
इस दौरान भाटिया ने पूछा, 'क्या इस परिवार ने कसम खाई है कि वे जहां भी जाएंगे, भारत की जमीन और किसानों को लूटेंगे?' उन्होंने कहा, 'वे नहीं चाहते कि कोई उनसे कोई सवाल पूछे.' गौरव भाटिया ने आगे कांग्रेस पर निशाना साधते हुए कहा, उनकी और कांग्रेस की नजर में रॉबर्ट वाड्रा एक जनता के नेता हैं. लेकिन जनता की नजर में वे भू-माफिया और भ्रष्ट व्यक्ति हैं और यही हकीकत है. आपको बता दें कि रॉबर्ट वाड्रा आज लगातार तीसरे दिन ईडी के सामने पेश हुए। वाड्रा ने इस कार्रवाई को 'राजनीतिक प्रतिशोध' करार दिया है और सरकार पर विपक्षी आवाजों को निशाना बनाने के लिए जांच एजेंसियों का दुरुपयोग करने का आरोप लगाया है। सोनिया और राहुल गांधी के खिलाफ चार्जशीट दाखिल: आपको बता दें कि ईडी ने नेशनल हेराल्ड मामले में चार्जशीट दाखिल की है।
इसके बाद सोनिया गांधी और राहुल गांधी की मुश्किलें बढ़ सकती हैं। सोनिया गांधी और राहुल गांधी की मुश्किलें बढ़ सकती हैं। दरअसल, ईडी ने सोनिया-राहुल के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की है। आपको बता दें कि ईडी ने मनी लॉन्ड्रिंग से जुड़े एक मामले में चार्जशीट दाखिल की है। ईडी ने नेशनल हेराल्ड मनी लॉन्ड्रिंग मामले में कांग्रेस नेताओं- सोनिया गांधी, राहुल गांधी और अन्य के खिलाफ राउज एवेन्यू कोर्ट में चार्जशीट दाखिल की है। यह मामला एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड (एजेएल) और यंग इंडियन प्राइवेट लिमिटेड से जुड़ा है।
नेशनल हेराल्ड मामले पर बोले सीएम सुक्खू- हेराल्ड हमारा पेपर...हम इसे भरपूर विज्ञापन देते रहेंगे
17 Apr, 2025 06:30 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
शिमला: हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुखू ने बुधवार को कहा कि "नेशनल हेराल्ड हमारा अखबार है और हम इसे भरपूर विज्ञापन देते रहेंगे।" नेशनल हेराल्ड मामले में ईडी ने पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी तथा अन्य के खिलाफ नई दिल्ली की विशेष अदालत में आरोप पत्र दाखिल किया है, जिसमें उन पर 988 करोड़ रुपये के धन शोधन का आरोप लगाया गया है। सुखू हिमाचल प्रदेश भाजपा इकाई के अध्यक्ष राजीव बिंदल के इस दावे पर प्रतिक्रिया दे रहे थे कि राज्य की कांग्रेस सरकार ने नेशनल हेराल्ड को बड़े पैमाने पर विज्ञापन जारी किए हैं। प्रदेश भाजपा प्रमुख के दावों के बारे में पूछे जाने पर मुख्यमंत्री ने कहा, "नेशनल हेराल्ड हमारा अखबार है और हम इसे भरपूर विज्ञापन देते रहेंगे।"
'नेशनल हेराल्ड में घोटाले का पर्दाफाश'
इससे पहले विपक्ष के नेता जयराम ठाकुर ने भी कहा था कि कांग्रेस की सुखू सरकार अब देशभर की जांच एजेंसियों को डराना चाहती है। कांग्रेस चाहती है कि देश की जांच एजेंसियां कांग्रेस को किसी भी तरह का भ्रष्टाचार करने की खुली छूट दें और उनके खिलाफ कोई कार्रवाई न करें। उन्होंने आरोप लगाया कि भ्रष्टाचार करना और फिर भ्रष्टाचारियों का साथ देना कांग्रेस की पुरानी आदत रही है। उन्होंने आगे कहा कि नेशनल हेराल्ड में करोड़ों रुपए का घोटाला दर्ज है। दस्तावेज, सबूत और गवाह भी हैं। कांग्रेस इससे कैसे भाग सकती है, इसलिए इस तरह अराजकता फैलाने की बजाय कांग्रेस के लोगों को कानून की स्थापित प्रक्रियाओं का सम्मान करना चाहिए। अगर वे दोषी नहीं हैं तो उन्हें डरना नहीं चाहिए। आज कांग्रेस देशभर में ईडी दफ्तरों का घेराव कर रही है। यह घेराव इसलिए किया जा रहा है क्योंकि ईडी ने मनी लॉन्ड्रिंग मामले में कांग्रेस सुप्रीमो राहुल और सोनिया गांधी के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की है, जिसमें उनका नाम शामिल है। इस तरह से जांच एजेंसियों के दफ्तरों का घेराव करना किसी भी तरह से उचित नहीं ठहराया जा सकता। 'जो अखबार एक भी कॉपी नहीं छापता, उसे सुखू सरकार ने 1000 रुपए का विज्ञापन दे दिया।
'2.5 करोड़ रुपये खर्च किए जा रहे हैं'
जयराम ठाकुर ने कहा कि जिस नेशनल हेराल्ड के बारे में हिमाचल के लोगों ने भ्रष्टाचार के अलावा कभी सुना ही नहीं होगा, जिसे हिमाचल के लोगों ने कभी पढ़ा ही नहीं होगा, जिसकी हिमाचल प्रदेश में एक भी कॉपी नहीं छपती, उसे सुखविंदर सिंह सुक्खू की सरकार ने ढाई साल में करीब 2.5 करोड़ रुपये का विज्ञापन दिया है। यह विज्ञापन सिर्फ इसलिए दिया गया है क्योंकि यह राहुल गांधी का अखबार है। यह कांग्रेस का अखबार है। उन्होंने कहा कि एक तरफ प्रदेश में एक महिला को अपने इलाज के लिए अपने गहने गिरवी रखने पड़ रहे हैं। एक बेटी को सिर्फ 50 हजार रुपये के इंजेक्शन के लिए अपने पिता को खोना पड़ रहा है, इस प्रदेश में सरकार राहुल गांधी के अखबार के लिए 2.5 करोड़ रुपये खर्च कर रही है। एक सरकार के लिए इससे ज्यादा हास्यास्पद और असंवेदनशील क्या हो सकता है।
मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा कि जाति जनगणना का मामला राज्य सरकार पर छोड़ दिया गया
17 Apr, 2025 11:34 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
कलबुर्गी । कर्नाटक में जाति आधारित जनगणना रिपोर्ट को लेकर तीखी चर्चाएं हो रही हैं। मुख्यमंत्री सिद्दारमैया के नेतृत्व वाली सरकार इस रिपोर्ट पर विचार-विमर्श करने की तैयारी में है। सीएम सिद्दारमैया की अध्यक्षता में गुरुवार को बेंगलुरु में राज्य कैबिनेट की बैठक होने जा रही है, जिसमें इस रिपोर्ट पर विस्तृत चर्चा होगी। इस बीच कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा है कि जाति जनगणना का मामला राज्य सरकार पर छोड़ दिया गया है।
कलबुर्गी में मीडिया से बात करते हुए कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा, “जाति जनगणना का मामला राज्य सरकार पर छोड़ दिया गया है। मैंने रिपोर्ट भी नहीं देखी है। देखना यह है कि कैबिनेट में चर्चा के बाद राज्य सरकार क्या फैसला लेती है? यह मुद्दा पूरी तरह से कर्नाटक सरकार पर छोड़ दिया गया है।”
मुख्यमंत्री सिद्दारमैया ने बुधवार को मीडिया से बात करते हुए जाति जनगणना के सवाल पर कहा था कि हमने 17 अप्रैल को एक बैठक बुलाई है और सभी कैबिनेट मंत्री इसमें हिस्सा लेंगे। जाति आधारित जनगणना के विषय पर ही चर्चा होगी। उन्होंने कहा था कि यह जाति जनगणना नहीं, एक सामाजिक-आर्थिक सर्वेक्षण है। हम इस पर चर्चा करेंगे और निर्णय लेंगे।
इसके अलावा सीएम ने कलबुर्गी में रोजगार मेले पर कहा था कि “हम रोजगार मेला आयोजित कर रहे हैं। हम पहले ही बेंगलुरु में एक रोजगार मेला आयोजित कर चुके हैं। अब हम कलबुर्गी, मैसूर और हुबली-धारवाड़ में भी मेले का आयोजन कर रहे हैं। हमारा उद्देश्य बेरोजगारी को खत्म करना है। युवाओं को नौकरी मिलनी चाहिए। हम स्नातक होने के बाद नौजवानों को दो साल तक 3,000 रुपये प्रति माह प्रदान कर रहे हैं। हमने युवा निधि योजना लागू की है और युवाओं को रोजगार के अवसर भी प्रदान कर रहे हैं। युवा पीढ़ी के लिए रोजगार सुनिश्चित करना हमारी पार्टी की प्रतिबद्धता है।”
केंद्रीय गृहमंत्री शाह ने सीआरपीएफ की देश की सुरक्षा में दिए जा रहे योगदान की चर्चा की
17 Apr, 2025 10:46 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
नीमच । केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने एक बार फिर 31 मार्च 2026 तक देश से नक्सलवाद के खात्मे का संकल्प दोहराया है, क्योंकि देश में नक्सलवाद लगातार सिकुड़ रहा है। मध्य प्रदेश के नीमच जिले में केंद्रीय रिजर्व पुलिस फोर्स (सीआरपीएफ) दिवस के समारोह में हिस्सा लेते हुए अमित शाह ने केंद्रीय सुरक्षा बलों के योगदान की चर्चा की।
उन्होंने कहा कि नक्सलवाद से मुक्त करने में सीआरपीएफ ने बहुत बड़ा योगदान दिया है। जब भी कोबरा बटालियन के जवानों के नक्सलियों की तरफ बढ़ने के समाचार मिलते हैं, तो नक्सलवादियों की रूह कांप जाती है। देश से 31 मार्च 2026 तक नक्सलवाद हमेशा के लिए समाप्त हो जाएगा, यह प्रण है जो आपके ही बल पर इस देश ने तय किया है।
उन्होंने देश की सुरक्षा में बलिदान देने वाले 2,264 जवानों को श्रद्धासुमन अर्पित किए और उनके परिवारों के त्याग तथा बलिदान का स्मरण किया। उन्होंने कहा कि वर्तमान में 248 बटालियन सहित 4 जोनल मुख्यालय, 21 सेक्टर मुख्यालय, 17 रेंज और 39 प्रशासनिक रेंज में लगभग तीन लाख जवान तैनात हैं, जो हर जगह देश की शांति और सुरक्षा के लिए काम कर रहे हैं। सीआरपीएफ को इस देश का ही नहीं, पूरी दुनिया का सबसे बड़ा अर्धसैनिक बल होने का गौरव हासिल है। सीआरपीएफ के जवानों ने हर मोर्चे पर कामयाबी हासिल की है।
केंद्रीय गृहमंत्री शाह ने सीआरपीएफ की देश की सुरक्षा में दिए जा रहे योगदान की चर्चा करते हुए कहा कि 2001 में हमारी लोकतंत्र की सबसे बड़ी पंचायत संसद भवन पर हमला हुआ, इसको नाकाम सीआरपीएफ के जवानों ने किया। 2005 में राम जन्मभूमि पर आतंकी हमला हुआ, उसको भी निरस्त करने का काम सीआरपीएफ के जवानों ने किया और मंदिर को सुरक्षित रखा। सबसे बड़ी कामयाबी सीआरपीएफ के इतिहास में लिखी जाएगी, वह अनेक सालों तक याद रखी जाएगी कि इस देश को नक्सलवाद से मुक्त करने में उसका बहुत बड़ा योगदान रहा है।
उन्होंने कश्मीर से धारा 370 हटाए जाने के बाद शांति बहाली का जिक्र किया और कहा कि सीआरपीएफ के बगैर यह संभव नहीं था कि धारा 370 हटाने के बाद कश्मीर में शांति बनाए रखी जाती या हर चुनाव को बहुत अच्छे तरीके से किया जाता। कश्मीर से धारा 370 हटाने के बाद जब जम्मू-कश्मीर में विधानसभा चुनाव हो रहे थे, तब बहुत सारी आशंकाएं हो रही थीं, मगर इस बात का गर्व है कि सीआरपीएफ और बाकी सुरक्षा बलों के जवानों ने इतनी सुरक्षा सुनिश्चित की थी कि एक भी बूथ को लूटने नहीं दिया। एक भी जगह गोली नहीं चलानी पड़ी। यह बहुत बड़ी उपलब्धि है।
वहीं बीते 10 साल में नक्सली हिंसा में 70 प्रतिशत से ज्यादा की कमी आई है और वह अब समाप्ति की ओर है। सीआरपीएफ ने अमरनाथ की यात्रा हो, श्री राम जानकी सुरक्षा हो, श्री कृष्ण भूमि सुरक्षा हो या कुंभ या महाकुंभ का अवसर हो, हर जगह मुस्तैदी के साथ अपनी उपस्थिति दर्ज की है। कानून-व्यवस्था बनाए रखने में बहुत सामाजिक कामों में भी सीआरपीएफ ने बड़ी भूमिका निभाई।
महागठबंधन की बैठक में रालोजपा को नहीं मिला न्योता
17 Apr, 2025 09:40 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
Bihar Politics: बिहार की राजनीति में रालोजपा नेता पशुपति कुमार पारस पूरी तरह से अलग थलग पड़ गये हैं. पिछले दिनों उन्होंने विधिवत रूप से एनडीए से अलग होने की घोषणा की. अब महागठबंधन की बैठक में भी रालोजपा को न्योता नहीं मिला है. बिहार विधानसभा चुनाव को लेकर बिहार में महागठबंधन के सभी छह घटक दलों की पहली औपचारिक बैठक गुरुवार को होने जा रही. इस बैठक में छह राजनीतिक दलों को न्योता भेजा गया है. जानकारी के अनुसार पूर्व केंद्रीय मंत्री पशुपति कुमार पारस की पार्टी रालोजपा को अभी तक बैठक में शामिल होने के लिए आमंत्रण नहीं दिया गया है. इस संबंध में रालोजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता श्रवण अग्रवाल ने बताया कि अभी उनकी पार्टी एनडीए से अलग हुई है, महागठबंधन में शामिल नहीं है.
इन दलों की होगी भागीदारी
पटना में हो रही बैठक में महागठबंधन के घटक दलों के नेता राज्य में अगली सरकार बनाने को लेकर रणनीति तय करेंगे. प्रदेश राजद कार्यालय में यह बैठक एक बजे दिन में शुरू होगी. बैठक में राजद की ओर से नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव, सांसद प्रो. मनोज झा, सांसद संजय यादव शामिल होंगे. कांग्रेस की ओर से पार्टी के बिहार प्रभारी कृष्णा अल्लावरू और प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष राजेश राम शामिल होंगे. वाम दलों में भाकपा माले, भाकपा एवं माकपा के राज्य सचिव मंडल के प्रमुख नेता शामिल होंगे. बैठक में वीआईपी के मुकेश सहनी, राष्ट्रीय प्रवक्ता देवज्योति भी मौजूद रहेंगे. सूत्रों के अनुसार बैठक में नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव के नेतृत्व में चुनाव लड़ने पर सहमति बनने की संभावना है.
तय होंगे विधानसभा चुनाव के एजेंडे
बिहार में महागठबंधन की सरकार बनाने को लेकर सभी दल अपने-अपने विचार रखेंगे. इसमें एनडीए को हराने को लेकर सामूहिक कार्यक्रम तय करने का संकल्प लिया जाएगा. इसी क्रम में चुनावी रणनीति तय की जाएगी. महागठबंधन सूत्रों के अनुसार, वक्फ कानून को लेकर सामूहिक राजनीतिक कार्यक्रम तय किया जा सकता है. वहीं, राज्य में 65 प्रतिशत आरक्षण को लागू किए जाने को लेकर भी जनता के बीच महागठबंधन के जाने को लेकर सहमति जतायी जाएगी. इस बैठक में आगे की बैठकों का एजेंडा व कार्यक्रम भी तय किया जाएगा.
विधानसभा चुनाव में ये नए खिलाड़ी बिगाड़ सकते हैं एनडीए-IND का खेल
16 Apr, 2025 05:45 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
बिहार में इस साल विधानसभा चुनाव होने हैं। विधानसभा चुनाव को लेकर एनडीए और एनडीए गठबंधन ने अपनी तैयारियां तेज कर दी हैं। वहीं, छोटे राजनीतिक दलों ने भी चुनाव की तैयारी शुरू कर दी है। पिछले 8 महीनों में विधानसभा चुनाव को लेकर राज्य में कई नई पार्टियां उभरी हैं। जिसमें प्रशांत किशोर ने 'जन सुराज पार्टी', आरसीपी सिंह ने 'आप सबकी आवाज', शिवदीप लांडे ने 'हिंद सेना' और आईपी गुप्ता ने भारतीय इंकलाब पार्टी बनाई है।
जन सुराज पार्टी से किस गठबंधन को होगा नुकसान
बिहार में प्रशांत किशोर की जन सुराज पार्टी से एनडीए और भारत गठबंधन को नुकसान हो सकता है। प्रशांत किशोर की पार्टी मुस्लिम-यादव (MY) वोट बैंक में सेंध लगाने की कोशिश कर रही है। दरअसल, प्रशांत किशोर ने यह भी घोषणा की कि उनकी पार्टी विधानसभा चुनाव में 40 मुस्लिम उम्मीदवार उतारेगी। इससे आरजेडी का पारंपरिक MY समीकरण कमजोर हो सकता है, क्योंकि मुस्लिम वोट बंट सकते हैं।
एनडीए को भी होगा नुकसान
दरअसल, प्रशांत किशोर ने दलित नेता मनोज भारती को अध्यक्ष बनाकर और गांधी-आंबेडकर के प्रतीकों का इस्तेमाल कर दलित और अति पिछड़ा वर्ग (ईबीसी) वोटों को अपनी ओर आकर्षित करने की कोशिश की है। इससे एनडीए का ईबीसी और दलित समर्थन कमजोर पड़ सकता है, जो जेडीयू और बीजेपी दोनों के लिए महत्वपूर्ण है।
आरसीपी की पार्टी एनडीए गठबंधन को पहुंचाएगी नुकसान
दोनों प्रमुख गठबंधनों में से आरसीपी सिंह की नई पार्टी "आप सबकी आवाज" (आसा) के बिहार की राजनीति में उतरने से एनडीए को सबसे ज्यादा नुकसान हो सकता है। आपको बता दें कि नीतीश कुमार की पार्टी जेडीयू एनडीए गठबंधन का हिस्सा है। वहीं, नीतीश कुमार और आरसीपी सिंह दोनों ही कुर्मी समुदाय से हैं। पारंपरिक रूप से जेडीयू का मजबूत आधार रहे कुर्मी मतदाता अब बिखर सकते हैं, क्योंकि आरसीपी सिंह अपनी नई पार्टी के जरिए इसी समुदाय को टारगेट कर रहे हैं।
किस गठबंधन को 'हिंद सेना' से होगा नुकसान
शिवदीप लांडे की 'हिंद सेना' पार्टी आगामी विधानसभा चुनाव में एनडीए गठबंधन को नुकसान पहुंचा सकती है। शिवदीप लांडे की 'हिंद सेना' पार्टी का नाम और चिह्न (त्रिपुंड, खाकी रंग) राष्ट्रवाद और हिंदुत्व की भावना को दर्शाता है, जो भाजपा के मूल मतदाताओं (विशेष रूप से उच्च जाति और हिंदू समुदायों) को आकर्षित कर सकता है। उनकी पार्टी का 'जय हिंद' और राष्ट्रवाद पर जोर, जो भाजपा की विचारधारा से मेल खाता है, भाजपा के वोट बैंक में सेंध लगा सकता है। इसके अलावा, लांडे ने युवाओं को अपनी पार्टी का मुख्य लक्ष्य बताया है, जो बिहार में फ्लोटिंग वोटरों का एक बड़ा हिस्सा हैं। ये मतदाता पारंपरिक रूप से भाजपा और जेडीयू हैं।
आईपी गुप्ता भारत गठबंधन को नुकसान पहुंचा सकते हैं
हाल ही में आईपी गुप्ता ने भारतीय इंकलाब पार्टी का गठन किया। आगामी विधानसभा चुनाव में आईपी गुप्ता की पार्टी भारत गठबंधन को नुकसान पहुंचा सकती है, क्योंकि आईपी गुप्ता ने अखिल भारतीय पान महासंघ के अध्यक्ष के रूप में तांत्रिक-तत्व समुदाय को एकजुट करने की कोशिश की थी। यह समुदाय कुछ विधानसभा क्षेत्रों में प्रभावशाली है और पारंपरिक रूप से राजद और कांग्रेस जैसी पार्टियों का समर्थन करता रहा है। गुप्ता की पार्टी इस वोट बैंक में सेंध लगा सकती है, जिससे अखिल भारतीय गठबंधन को नुकसान हो सकता है।
बिहार विधानसभा चुनाव: महागठबंधन सरकार में CM पद के चेहरे को लेकर चर्चा तेज
16 Apr, 2025 04:40 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
बिहार में आगामी विधानसभा चुनाव को लेकर महागठबंधन की गतिविधियां तेज हो गई हैं, लेकिन टिकट बंटवारे और मुख्यमंत्री के चेहरे को लेकर अभी भी स्थिति साफ नहीं हो पाई है। मंगलवार को दिल्ली में कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे, राहुल गांधी और आरजेडी नेता तेजस्वी यादव की बैठक के बाद भी कोई ठोस नतीजा नहीं निकल सका। अब गुरुवार 17 अप्रैल को पटना में महागठबंधन की बड़ी बैठक प्रस्तावित है, जिसमें सभी सहयोगी दल हिस्सा लेंगे। इस बैठक में सीट शेयरिंग और सीएम चेहरे को लेकर अंतिम रणनीति तैयार की जा सकती है।
पटना में होगी महागठबंधन की अहम बैठक
बिहार में महागठबंधन की तैयारियों के बीच मुख्यमंत्री के चेहरे को लेकर मतभेद उभरता नजर आ रहा है। मंगलवार को दिल्ली में कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे, राहुल गांधी और तेजस्वी यादव के बीच हुई बैठक में भी सीट शेयरिंग पर कोई ठोस सहमति नहीं बन पाई। अब 17 अप्रैल (गुरुवार) को पटना में महागठबंधन की अहम बैठक बुलाई गई है, जिसमें सभी सहयोगी दल हिस्सा लेंगे।
तेजस्वी के नाम पर छोटे दलों की सहमति जरूरी
मुख्यमंत्री पद के चेहरे को लेकर चर्चाएं तेज हैं। आरजेडी तेजस्वी यादव को सीएम चेहरे के तौर पर आगे करना चाहती है, लेकिन सहयोगी दलों की सहमति अभी साफ नहीं है। सूत्रों के मुताबिक, कई छोटे दल तेजस्वी के नेतृत्व को स्वीकार कर सकते हैं, लेकिन वे सीट शेयरिंग में सम्मानजनक हिस्सेदारी की मांग कर रहे हैं। पटना की बैठक में इस पर अंतिम फैसला संभव है।
सीएम चेहरे पर तेजस्वी ने क्या कहा
दिल्ली की बैठक के बाद मीडिया से बात करते हुए तेजस्वी यादव ने कहा कि महागठबंधन पूरी ताकत के साथ चुनाव मैदान में उतरने को तैयार है। मुख्यमंत्री पद के चेहरे को लेकर पूछे गए सवाल पर उन्होंने कहा, आप लोग चिंता न करें, हम मिल बैठकर इस पर फैसला करेंगे।
तेजस्वी को लेकर आरजेडी ने किया बड़ा दावा
हालांकि, राजनीतिक गलियारों में इस बात पर चर्चा गरम है कि क्या सभी दल तेजस्वी यादव को मुख्यमंत्री के चेहरे के तौर पर स्वीकार करेंगे। आरजेडी प्रवक्ता मृत्युंजय तिवारी ने कहा, बिहार की जनता तेजस्वी यादव को मुख्यमंत्री के तौर पर देखना चाहती है। गठबंधन पूरी एकजुटता के साथ आगे बढ़ रहा है।
कांग्रेस के खराब स्ट्राइक रेट ने बढ़ाई टेंशन
कांग्रेस की कमजोर स्थिति भी गठबंधन के भीतर असमंजस की वजह बन रही है। पिछले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने 70 सीटों पर चुनाव लड़ा था, जिसमें से उसे सिर्फ 19 पर ही सफलता मिली थी। आरजेडी का मानना है कि कांग्रेस के गलत उम्मीदवार चयन और खराब स्ट्राइक रेट की वजह से ही महागठबंधन बहुमत से दूर रह गया। इसलिए इस बार सीट शेयरिंग और उम्मीदवार चयन को लेकर ज्यादा सतर्कता बरती जा रही है।
महागठबंधन में शामिल हो सकती है लोजपा
सूत्रों के मुताबिक लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) का एक गुट भी महागठबंधन में शामिल हो सकता है। पटना की बैठक में इस संभावना पर भी चर्चा होगी। माना जा रहा है कि यह बैठक महागठबंधन की दिशा तय करने में निर्णायक भूमिका निभा सकती है।