धर्म एवं ज्योतिष
पीरियड्स के बारे में बहुत गहरी बात कहता है गरुड़ पुराण, इस दौरान किन बातों का ध्यान रखे महिलाएं
29 Mar, 2025 06:45 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
गरुड़ पुराण हिंदू धर्म का एक प्रमुख ग्रंथ है, जिसमें न सिर्फ धार्मिक और आध्यात्मिक विषयों पर चर्चा की गई है, बल्कि शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य को लेकर भी महत्वपूर्ण निर्देश दिए गए हैं. इस ग्रंथ में जीवन के हर पहलू पर ध्यान केंद्रित किया गया है और यह व्यक्ति के शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक कल्याण के लिए मार्गदर्शन करता है. विशेष रूप से महिलाओं के मासिक धर्म (पीरियड्स) से संबंधित कई बातें इस पुराण में बताई गई हैं, जो उनके शारीरिक और मानसिक संतुलन को बनाए रखने में मदद करती हैं. इस विषय में अधिक जानकारी दे रहे हैं भोपाल निवासी ज्योतिषी एवं वास्तु सलाहकार पंडित हितेंद्र कुमार शर्मा.
गरुड़ पुराण के अनुसार, मासिक धर्म को एक प्राकृतिक और जरूरी शारीरिक प्रक्रिया माना गया है. इसे महिलाओं के जीवन चक्र का एक महत्वपूर्ण हिस्सा माना गया है. इस दौरान महिला को शारीरिक और मानसिक रूप से आराम की जरूरत होती है. गरुड़ पुराण के अनुसार, इस समय महिलाएं अपनी शारीरिक थकान और मानसिक तनाव को कम करने के लिए विश्राम करना चाहिए. यह समय शरीर को फिर से ऊर्जावान बनाने का होता है और इसलिए इसे आराम करने के लिए एक सही समय माना जाता है.
गरुड़ पुराण में यह भी बताया गया है कि इस दौरान महिलाओं को बहुत ज्यादा काम में भाग लेने से बचना चाहिए. इसका कारण यह है कि मासिक धर्म के समय शरीर और मन दोनों पर एक्स्ट्रा प्रेशर होता है. इसलिए यह समय पूजा-पाठ और धार्मिक अनुष्ठानों से कुछ समय दूर रहने का होता है. साथ ही, महिलाओं को इस समय शुद्धता बनाए रखने की सलाह दी जाती है, जिससे शारीरिक और मानसिक संतुलन बनाए रखा जा सके. शुद्धता के साथ-साथ मानसिक शांति भी जरूरी है, ताकि किसी भी प्रकार का तनाव न हो और शरीर की ऊर्जा सही दिशा में बनी रहे.
गरुड़ पुराण में यह भी कहा गया है कि इस दौरान महिलाओं को परिवार और समाज से कुछ हद तक अलग रखा जाना चाहिए, ताकि वे शारीरिक और मानसिक रूप से ठीक से खुद को पुनः स्थापित कर सकें. हालांकि, यह सलाह न तो सामाजिक अलगाव के लिए है, बल्कि एक उचित विश्राम और शांति की जरूरत को ध्यान में रखते हुए दी जाती है.
इस पुराण में यह भी बताया गया है कि यदि महिलाएं इस समय पूजा और व्रत करती हैं, तो इससे उनकी शारीरिक और मानसिक स्थिति पर सकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है. मासिक धर्म को एक दायित्व या दोष के रूप में न देखकर इसे एक प्राकृतिक प्रक्रिया के रूप में स्वीकार करना चाहिए, ताकि महिलाएं इसके दौरान खुद को सम्मानित और सहज महसूस कर सकें.
एक ऐसा मंदिर जहां कागज़ों पर लिखकर अपनी फरियाद भेजते हैं भक्त! मुराद पूरी होने पर चढ़ाते हैं घंटियां
29 Mar, 2025 06:30 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
गोलू देवता का मंदिर उत्तराखंड में स्थित है. गोलू देवता को न्याय के देवता माना जाता है जो लोगों को सच्चा न्याय दिलाते हैं. इस मंदिर को घंटियों वाला मंदिर भी कहा जाता है क्योंकि यहां लाखों की संख्या में घंटियां टंगी हुई हैं. ऐसा माना जाता है कि उनकी अदालत में बिना किसी वकील और जज के हर किसी को न्याय मिलता है. आज भी कई गांवों में गोलू दरबार की परंपरा जारी है जहां भक्तों का मानना है कि गोलू देवता खुद प्रकट होकर उनकी समस्याओं का समाधान करते हैं. .
गोलू देवता का अनोखा दरबार
जो लोग यहां स्वयं नहीं आ सकते वे अपनी चिट्ठियों के माध्यम से अपनी फरियाद भेजते हैं. ये चिट्ठियां मंदिर में रखी जाती हैं और जब किसी की मनोकामना पूरी होती है तो वह श्रद्धालु यहां घंटी चढ़ाकर धन्यवाद अर्पित करता है. यही कारण है कि मंदिर में हर जगह घंटियां ही घंटियां देखने को मिलती हैं.
कैसे पूरी होती है मनोकामना?
यहां लोग कागज़ों पर अपनी अर्जी लिखकर गोलू देवता के सामने रखते हैं और जब उनकी मनोकामना पूरी होती है, तो वे घंटी चढ़ाकर अपनी श्रद्धा प्रकट करते हैं. यह भारत का एकमात्र मंदिर है, जहां इस तरह से न्याय की परंपरा चली आ रही है. गोलू देवता को भगवान शिव का अवतार माना जाता है.
क्या लोग सच में न्याय पाते हैं?
मान्यता है कि जो भी अपनी समस्या लेकर यहां आता है, वह गोलू देवता के दरबार से निराश नहीं लौटता. कई लोग यहां अपनी प्रॉपर्टी विवाद, कानूनी मामले और व्यक्तिगत समस्याओं को लेकर आते हैं और अपनी अर्जियां लिखकर मंदिर में जमा करते हैं. ऐसा माना जाता है कि गोलू देवता हर सच्ची प्रार्थना सुनते हैं और न्याय दिलाते हैं.
मंदिर का वातावरण और दर्शन
मंदिर परिसर में घुसते ही चारों ओर घंटियों की गूंज सुनाई देती है, जो भक्तों की पूरी हुई मनोकामनाओं का प्रतीक है. मंदिर के गर्भगृह में गोलू देवता की मूर्ति विराजमान है, जहां श्रद्धालु अपनी प्रार्थना अर्पित करते हैं.
गोलू देवता की उत्पत्ति
गोलू देवता को न्याय का देवता माना जाता है. ऐतिहासिक रूप से वे राजा झल राय और उनकी पत्नी कालिंका के पुत्र थे. उनका जन्मस्थान चंपावत को माना जाता है.
पिंडदान नहीं कर पाए? इन 4 जगहों पर दीपक जला दीजिए, पितर हो जाएंगे प्रसन्न
29 Mar, 2025 06:15 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
हिंदू धर्म में चैत्र अमावस्या का दिन न केवल पितरों को समर्पित होता है, बल्कि इसे आत्मिक शांति और दिव्य ऊर्जा से भरपूर माना जाता है. इस दिन तर्पण और पिंडदान करने से पूर्वजों को मोक्ष की प्राप्ति होती है, लेकिन यदि कोई व्यक्ति किसी कारणवश यह कर्म न कर पाए, तो कुछ विशेष दीपक उपायों के माध्यम से भी पितरों का आशीर्वाद पाया जा सकता है.
उज्जैन के आचार्य आनंद भारद्वाज बताते हैं कि चैत्र अमावस्या 2025 में 29 मार्च को मनाई जाएगी. यह तिथि 28 मार्च की रात से शुरू होकर 29 मार्च की शाम तक रहेगी, परंतु उदयातिथि के अनुसार 29 मार्च को पूजा, दान और दीपदान करना शुभ होगा.
आचार्य भारद्वाज के अनुसार, यदि तर्पण या पिंडदान न हो सके तो चार स्थानों पर दीपक जलाने मात्र से ही पितरों और देवी लक्ष्मी की कृपा प्राप्त हो सकती है.
पहला दीपक – घर के मुख्य द्वार पर.
माता लक्ष्मी के स्वागत के लिए घी या सरसों के तेल का दीपक जलाएं. साथ में एक लोटा जल रखें और दरवाजा खुला रखें. इससे नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है और लक्ष्मी जी का आगमन होता है.
दूसरा दीपक – दक्षिण दिशा में, घर के बाहर.
यह दीपक सरसों के तेल का होना चाहिए. पौराणिक मान्यता है कि अमावस्या की शाम पितर धरती से अपने लोक की ओर लौटते हैं. उन्हें मार्ग में प्रकाश मिले तो वे प्रसन्न होकर आशीर्वाद देते हैं.
तीसरा दीपक – पितरों की तस्वीर या स्मृति स्थान पर.
घर में जहां आपने पितरों की तस्वीर लगाई हो, वहां दीपक जलाएं. यह श्रद्धा का प्रतीक है और आत्मिक संबंध को मजबूत करता है.
चौथा दीपक – पीपल के वृक्ष के नीचे.
इस दिन पीपल की पूजा विशेष फलदायी होती है. पीपल के नीचे देवताओं के लिए तिल के तेल और पितरों के लिए सरसों के तेल का दीप जलाएं.
इन सरल लेकिन श्रद्धा से भरे उपायों से पितृदोष शांत होता है, और जीवन में सुख, समृद्धि और मानसिक शांति का संचार होता है. दीप से न सिर्फ अंधकार दूर होता है, बल्कि आत्मा भी आलोकित होती है.
भूलकर भी घर की इस दिशा में बैठकर न करें भोजन, कंगाल हो जाएगा पूरा परिवार !
29 Mar, 2025 06:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
स्वस्थ भोजन केवल यह नहीं है कि आप क्या खा रहे हैं, बल्कि यह भी महत्वपूर्ण है कि आप कहां और कैसे खा रहे हैं. वास्तु शास्त्र एक प्राचीन विज्ञान है, जो हमारे स्वास्थ्य पर गहरा प्रभाव डालता है. वास्तु शास्त्र के अनुसार, हमारे घर की दिशाएं और स्वास्थ्य आपस में जुड़े हुए हैं. वास्तु शास्त्र हमारे घर को सकारात्मक ऊर्जा से भरने के लिए खास दिशा-निर्देश देता है. क्या आप जानते हैं कि किस दिशा में बैठकर खाना खाने से आपकी जिंदगी पर असर पड़ सकता है?
बैठने की सही दिशा
अगर आप पूर्व या उत्तर-पूर्व दिशा में मुंह करके खाना खाते हैं, तो यह बहुत शुभ माना जाता है. ऐसा करने से मां लक्ष्मी प्रसन्न होती हैं और घर में धन-वैभव बढ़ता है. यह दिशा आर्थिक समृद्धि और खुशहाली लाने वाली मानी जाती है. इससे पाचन अच्छा होता है, मन शांत रहता है और सकारात्मक ऊर्जा बढ़ती है.
इस दिशा में बैठकर न करें भोजन
दक्षिण दिशा में मुंह करके खाना खाने से बचें. यह नकारात्मक ऊर्जा को बढ़ाता है, जिससे सेहत खराब हो सकती है और जीवन में परेशानियां आ सकती हैं.
बिस्तर पर बैठकर खाना
बिस्तर पर बैठकर खाना वास्तु के अनुसार अशुभ होता है. इससे मां लक्ष्मी नाराज हो सकती हैं और घर में आर्थिक तंगी आ सकती है.
शांत और सुखद माहौल बनाएं
डाइनिंग एरिया में हल्के और सुकून देने वाले रंगों का इस्तेमाल करें, जैसे हल्का हरा, नीला या सफेद. गहरे या ज्यादा चमकीले रंगों से बचें, क्योंकि ये नकारात्मकता ला सकते हैं और खाने के समय अशांति पैदा कर सकते हैं.
खाना बनाते समय ध्यान देने योग्य बातें
अगर आप खुद खाना बना रहे हैं, तो हमेशा शांत और खुश मन से बनाएं.
गुस्से या तनाव में खाना पकाने से नकारात्मक ऊर्जा भोजन में समा जाती है, जो पूरे परिवार पर असर डाल सकती है.
कोशिश करें कि भोजन बनाने के दौरान सकारात्मक विचारों पर ध्यान दें.
अगर इन छोटे-छोटे वास्तु नियमों का पालन किया जाए, तो घर में खुशहाली, स्वास्थ्य और समृद्धि बनी रहती है.
राशिफल: कैसा रहेगा आपका आज का दिन
29 Mar, 2025 12:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
मेष राशि :- इष्ट मित्र सुखवर्धक होंगे, व्यवसायिक क्षमता में विशेष वृद्धि होगी, ध्यान दें।
वृष राशि :- सतर्कता से कार्य करें, मनोबल उत्साहवर्धक होगा, कार्य उत्तम बन जायेगा।
मिथुन राशि :- कार्य-कुशलता से संतोष होगा, समृद्धि के रास्ते खुलेंगे, योजना फलीभूत होगी।
कर्क राशि :- भाग्य की प्रबलता, प्रभुत्व वृद्धि तथा शालीनता से मेल-मिलाप अवश्य होगा।
सिंह राशि :- अधिकारी वर्ग से सफलता के साधन फलप्रद होंगे, अचानक शुभ-समाचार मिलें।
कन्या राशि :- योजनाऐं फलीभूत होंगी, सफलता का लाभ लेवें, अधिकारी वर्ग से अर्थिक लाभ मिले।
तुला राशि :- विघटनकारी तत्व परेशान करें, अग्निचोट आदि का भय बना ही रहेगा।
वृश्चिक राशि :- तनाव-क्लेश, अशांति, व्यर्थ धन का व्यय, विरोधी तत्व परेशान करेंगे।
धनु राशि :- दैनिक समृद्धि के साधन बनें, योजना फलीभूत होंगी, कार्य विशेष बनेंगे।
मकर राशि :- स्त्री शरीर कष्ट, चिन्ता-व्याग्रता, मानसिक बेचैनी, उद्विघ्नता से बचें।
कुंभ राशि :- दैनिक कार्यगति में बाधा, विघटन सम्भव होवे तथा कार्य अवरोध होगा।
मीन राशि :- दैनिक कार्यगति में अनुकूलता, चिन्ताएं कम हों तथा कार्य योजना अवश्य बनेगी।
केदारनाथ धाम के इस दिन खुल जाएंगे कपाट, द्वार बंद होने पर कहां चले जाते हैं भगवान भोले?
28 Mar, 2025 06:45 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
उत्तराखंड में चारधाम यात्रा के लिए देश ही नहीं बल्कि विदेश के लोगों में भी खासा उत्साह देखने को मिल रहा है. यात्रा के लिए ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है और देखते ही देखते लाखों की संख्या में लोगों ने पंजीकरण करा लिया. चारों धाम- गंगोत्री, यमुनोत्री, केदारनाथ और बद्रीनाथ की यात्रा कुछ महीनों के लिए श्रद्धालुओं के लिए खुलती है. ऐसे में सवाल उठता है कि केदारनाथ धाम के कपाट बंद होने के बाद भगवान शिव कहां चले जाते हैं.
कब खुलेंगे बाबा के कपाट
गढ़वाल हिमालय की मनमोहक पहाड़ियों में बसा केदारनाथ मंदिर 6 महीने तक बंद रहने के बाद अब 2 मई को फिर से खुलने वाला है. यह मंदिर, सबसे पवित्र हिंदू तीर्थ स्थलों में से एक है, जो चार धाम यात्रा का हिस्सा है. हर साल हजारों श्रद्धालु इस यात्रा में शामिल होने आते हैं. केदारनाथ उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग जिले में 11,968 फीट की ऊंचाई पर स्थित है.
यह मंदिर साल में अप्रैल-मई से अक्टूबर-नवंबर के बीच लगभग 6 से 7 महीने तीर्थयात्रियों के लिए खुला रहता है और सीजन के दौरान सालाना लगभग 20 लाख तीर्थयात्री यहां आते हैं. अगर आप भी लंबे समय से केदारनाथ धाम जाने की योजना बना रहे हैं, तो कुछ जरूरी बातों के बारे में जान लीजिए.
12 ज्योतिर्लिंगों में से एक धाम
बता दें, 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक केदारनाथ चारधाम और पंच केदार का एक हिस्सा है. यहां पर भगवान शिव ज्योतिर्लिंग के रूप में विराजमान हैं. बता दें कि पिछले साल केदारनाथ मंदिर के कपाट 10 मई को खोले गए थे और जैसे ही कपाट खुले लाखों भक्त बाबा के दर्शन के लिए पहुंच गए. भीड़ इतनी ज्यादा थी कि कई लोग दर्शन भी नहीं कर पाए और उन्हें वापस लौटना पड़ा. ऐसे में अब इस साल लोग बाबा के दर्शन कर सकते हैं.
कपाट बंद होने के बाद कहां मिलते हैं बाबा भोलेनाथ
केदारनाथ के कपाट हर साल सर्दियों में बंद कर दिए जाते हैं. केदारनाथ मंदिर हिमालय की ऊंचाइयों पर स्थित है, जहां सर्दियों के समय भारी बर्फबारी होती है. बर्फबारी के चलते वहां जाने वाले सारे रास्ते बंद हो जाते हैं और उस इलाके में रहना बहुत मुश्किल हो जाता है.इसलिए सर्दियों की शुरुआत से पहले हर साल मंदिर के कपाट बंद कर दिए जाते हैं. जब कपाट बंद होते हैं तो भक्त अगले साल के खुलने का इंतजार करते हैं. हालांकि, कपाट बंद होने के बाद भगवान शिव उखीमठ में विराजते हैं. उखीमठ को पंचकेदार में एक खास स्थान माना जाता है और शीतकाल में भगवान केदारनाथ की डोली यहीं लाई जाती है.
मिल गया सबसे चमत्कारी मंदिर! नवरात्रि में होता है यहां विशेष पूजा, जानें छत्तीसगढ़ के काली माई मंदिर के बारे में
28 Mar, 2025 06:30 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
शहर के भरकापारा स्थित सिद्ध पीठ मां काली माई का मंदिर काफी प्राचीन है. यह मंदिर 100 साल से भी ज्यादा पुराना है. इस मंदिर में माता काली विराजमान हैं. भक्तों का मानना है यहां मां हर मनोकामना पूर्ण करती हैं. दोनों नवरात्रि पर्व पर भारी संख्या में श्रद्धालु यहां पहुंचते हैं और ज्योति कलश की स्थापना की जाती है.
आपको बता दें, राजनांदगांव ऐतिहासिक शहर है. राजा महाराजाओं के जमाने से ही यहां कई मंदिर और ऐतिहासिक स्थान हैं, वहीं शहर के भरकापारा स्थित सिद्ध पीठ मां काली माई मंदिर की अपनी एक अलग मान्यता है. यहां मां काली की विधि विधान से पूजा अर्चना की जाती है और दर्शन के लिए दूर-दूर से भक्त यहां आते हैं. यह मंदिर 100 साल से भी अधिक पुराना है. यहां मां काली के दर्शन मात्र से ही मनोकामना पूर्ण होती है. मंदिर में विधि विधान से पूजा अर्चना कर प्रदेश के पहले मंडई मेला की शुरुआत होती है, जो हर साल लगता है. ऐसी मान्यता है, कि मां काली के आशीर्वाद से ही इस मंडई की शुरुआत होती है, जिसके बाद पूरे छत्तीसगढ़ में मंडई मेला का आयोजन होता है.
भक्त ने दी जानकारी
वही मंदिर को लेकर स्थानीय नागरिक व भक्त संजय शर्मा ने लोकल 18 को बताया, कि यह प्राचीन सिद्ध पीठ मां काली माई मंदिर है. शहर के शीतला मंदिर के बाद दूसरा मंदिर यह है, जहां दोनों नवरात्रि पर विशेष ज्योति कलश की स्थापना की जाती है, जो 500 से साढ़े 500 तक होते हैं. वे आगे बताते हैं, कि हम बचपन से ही इस सिद्ध पीठ मंदिर में आ रहे हैं. यहां सभी भक्तों की मनोकामना पूर्ण होती है. विदेशों से भी ज्योति कलश यहां बिठाया जाता है. आगे वे बताते हैं, कि दोनों नवरात्र पर्व पर जो भक्त डोंगरगढ़ पदयात्रा में जाते हैं वह भक्त यहां जरूर आते हैं. वहीं विशाल रूप से ज्योति कलश यात्रा यहां से निकलती है जो, कि शहर के विभिन्न क्षेत्रों से निकलती है. इसके साथ ही चुनरी यात्रा भी यहां से निकाली जाती है. वे बताते हैं, मां काली की मंडई यहां हर साल होती है जो छत्तीसगढ़ में प्रथम मंडई के रूप में मानी जाती है.
क्या है इस सिद्धपीठ काली माई मंदिर की मान्यता
मां काली के इस मंदिर में विधि विधान से पूजा अर्चना भक्तों द्वारा की जाती है, जो भी भक्त यहां पहुंचते हैं, उनकी मनोकामना पूर्ण होती है. मंदिर को भव्य रूप में बनाया गया है. दोनों नवरात्रि पर्व पर विशेष ज्योति कलश की स्थापना होती है, इसके साथ ही विधि विधान से पूजा अर्चना की जाती है. प्रत्येक दिन विशेष श्रृंगार और पूजा अर्चना मां काली की जाती है. वहीं दूर-दूर से भक्त यहां पहुंचते हैं और माता के दर्शन करते हैं.
सूर्य और चंद्र ग्रहण आखिर क्यों लगता है? बेहद रोचक है राहु-केतु से जुड़ी यह कहानी
28 Mar, 2025 06:15 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
साल का पहला सूर्य ग्रहण 29 मार्च 2025 को लगेगा. यह आंशिक सूर्य ग्रहण होगा. होली के दिन 14 मार्च को साल का पहला चंद्र ग्रहण लगा था. ग्रहण केवल एक खगोलीय घटना ही नहीं बल्कि ज्योतिष और पौराणिक कथाओं से भी जुड़ा हुआ है. राहु और केतु सूर्य और चंद्रमा से बदला लेने के लिए उन्हें समय-समय पर ग्रस लेते हैं, जिससे सूर्य और चंद्र ग्रहण की घटना होती है.
समुद्र मंथन और अमृत कलश की कथा
जब देवताओं और असुरों ने मिलकर समुद्र मंथन किया तो उसमें से 14 रत्न निकले. इनमें अमृत कलश भी था जिसे पाकर देवता और असुर आपस में लड़ने लगे. इन वस्तुओं को देवताओं और असुरों में बांटने का प्रस्ताव रखा गया. लेकिन असुरों की एक ही इच्छा थी केवल अमृत प्राप्त करना. अन्य कोई भी वस्तु उन्हें उपयोगी नहीं लग रही थी. देवता जानते थे कि अगर असुर अमृत प्राप्त कर लेते हैं तो वे अमर हो जाएंगे और फिर देवता उनसे कभी विजय प्राप्त नहीं कर पाएंगे.
मोहिनी अवतार और अमृत वितरण
इस विवाद को सुलझाने के लिए भगवान विष्णु ने मोहिनी रूप धारण किया. मोहिनी के सौंदर्य से मोहित होकर असुर शांत हो गए और उन्होंने अमृत वितरण का कार्य मोहिनी को सौंप दिया. मोहिनी ने कहा-“मैं अपनी इच्छा से अमृत का वितरण करूंगी. अगर तुम मेरी इस शर्त को स्वीकार करते हो तो मैं अमृत बांट सकती हूं.” असुर मोहिनी की बातों में आ गए और उन्होंने अमृत से भरा कलश उसके हाथों में सौंप दिया.
राहु और केतु का जन्म
अगले दिन मोहिनी के आदेशानुसार असुर और देवता अमृत पान के लिए पंक्ति में बैठ गए. मोहिनी अवतार में श्री हरि ने पहले देवताओं को अमृत पान कराना शुरू किया और असुरों को छल से वंचित कर दिया. जब मोहिनी देवताओं को अमृत पिला रही थी,तभी एक असुर, स्वर्भानु को इस छल पर संदेह हुआ. वह देवता का रूप धारण करके उनकी पंक्ति में बैठ गया और अमृत पान करने लगा. देवताओं की पंक्ति में बैठे सूर्य और चंद्रमा ने उसे पहचान लिया और भगवान विष्णु को इसकी जानकारी दी.
इस कारण लगता है सूर्य और चंद्र ग्रहण
इससे क्रोधित होकर,मोहिनी अवतार में श्री हरि विष्णु ने अपने सुदर्शन चक्र से स्वर्भानु का सिर धड़ से अलग कर दिया. लेकिन चूंकि उसने अमृत पान कर लिया था इसलिए वह अमर हो चुका था. इसके बाद स्वर्भानु का सिर राहु बन गया. उसका धड़ केतु बन गया. इसी कारण राहु और केतु सूर्य और चंद्रमा को अपना शत्रु मानते हैं और पूर्णिमा और अमावस्या के दिन ग्रहण लगाते हैं.
क्या 2025 का सूर्य ग्रहण भारत में दिखाई देगा?
29 मार्च 2025 का सूर्य ग्रहण भारत में दिखाई नहीं देगा. 21 सितंबर 2025 का सूर्य ग्रहण भी भारत में नहीं दिखेगा. हालांकि, लोग इसे ऑनलाइन लाइव स्ट्रीमिंग के जरिए देख सकते हैं.
सूर्य ग्रहण से जुड़ी धार्मिक मान्यताएं
भारत में सूर्य ग्रहण को लेकर कई धार्मिक मान्यताएं और परंपराएं प्रचलित हैं. माना जाता है कि ग्रहण के दौरान नकारात्मक ऊर्जा बढ़ जाती है, इसलिए कई लोग विशेष सावधानियां बरतते हैं.
खाने-पीने से बचना: ग्रहण के दौरान भोजन और पानी ग्रहण नहीं करने की परंपरा है, क्योंकि इसे अशुद्ध माना जाता है.
मंत्र जाप करना: इस दौरान गायत्री मंत्र और महामृत्युंजय मंत्र का जाप करना शुभ माना जाता है.
स्नान करना: ग्रहण से पहले और बाद में स्नान करना पवित्र माना जाता है.
गर्भवती महिलाओं के लिए सावधानियां: ऐसा माना जाता है कि गर्भवती महिलाओं को ग्रहण के दौरान घर के अंदर रहना चाहिए और तेज चीजों (चाकू, कैंची आदि) का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए.
29 मार्च को साल का पहला सूर्य ग्रहण, जानें किस मूलांक पर क्या होगा असर, कैसे करें उपाय
28 Mar, 2025 06:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
वैज्ञानिक दृष्टि से सूर्य ग्रहण एक साधारण खगोलीय घटना है. जब पृथ्वी और सूर्य के बीच में चंद्रमा आ जाता है तो इस अवस्था में सूर्य की रोशनी पृथ्वी तक नहीं पहुंचती है जिसकी वजह से सूर्य ग्रहण हो जाता है. ज्योतिष शास्त्र में तीन प्रकार के ग्रहण का वर्णन मिलता है. 29 मार्च 2025 को इस साल का पहला सूर्य ग्रहण होगा यह सूर्य ग्रहण आंशिक सूर्य ग्रहण होगा. यह ग्रहण भारत के समय अनुसार दोपहर में 2:20 से शुरू होगा हालांकि यह ग्रहण भारत में दिखाई नहीं देगा. इस ग्रहण का सूतक काल भी भारत में मान्य नहीं होगा. लेकिन इस ग्रहण का देश और दुनिया के प्रत्येक व्यक्ति पर असर पड़ेगा.
मूलांक 1 : मूलांक 1 के जातकों के लिए यह सूर्य ग्रहण कैरियर, व्यवसाय, फाइनेंस और दांपत्य जीवन में दिक्कत है लेकर आ सकता है.दाम्पत्य जीवन में जीवनसाथी के साथ विवाद एवं स्वास्थ्य समस्या बन सकती है.
उपाय : ग्रहण काल में सफाई कर्मियों को गेहूं का दान करें.
मूलांक 2 : सूर्य ग्रहण के पक्ष करियर और मैरिड लाइफ में बहुत अच्छा समय मिलने की संभावना है. नए लोगों से रिश्ते बनेंगे और नया व्यापार, नौकरी और प्रोजेक्ट मिलने की संभावनाएं होगी.
उपाय : ग्रहण काल के पश्चात मंदिर अथवा गरीबों में चावल और चीनी का दान करें.
मूलांक 3 : सूर्य ग्रहण के दौरान मूलांक 3 के जातकों के लिए आर्थिक मुश्किलें आ सकती है. व्यवसाय एवं कार्य स्थल पर लोगों के साथ अनबन होगी. लवमेट अथवा जीवनसाथी के साथ भी तनाव होने की संभावना है.
उपाय : ग्रहण काल के दौरान एकांतवास में भगवान विष्णु का ध्यान करके ओम नमो भगवते वासुदेवाय नमः मंत्र का जाप करें.
मूलांक 4 : मूलांक 4 के लोगों के लिए यह सूर्य ग्रहण खुशियां लेकर आएगा. व्यवसाय अथवा नौकरी में नये प्रोजेक्ट एवं डील मिलने की संभावना है. कुंवारे लोगों के लिए इस ग्रहण के पश्चात नए रिश्ते आ सकते हैं. जीवनसाथी के साथ संबंध मधुर होंगे.
उपाय : सूर्य ग्रहण के पश्चात स्नान आदि से निव्रत होकर पक्षियों को दाना डालें.
मूलांक 5 : इस साल का पहला सूर्य ग्रहण मूलांक 5 के लोगों के जीवन में कैरियर व्यापार के लिहाज से तरक्की लेकर आएगा. नई व्यापार की शुरुआत करने वाले लोगों के लिए अच्छा समय आने वाला है. मुलाकात के जातकों की प्रगति होगी एवं धीरे-धीरे सकारात्मक बदलाव की ओर जीवन अग्रसर होगा.
उपाय : ग्रहण कल के पश्चात हरी सब्जी एवं मूंग दाल का दान करें अथवा किसी गाय को खिलाएं.
मूलांक 6 : मूलांक 6 के जातकों के जीवन में सूर्य ग्रहण के पश्चात खुशियां आएगी. विवाहित लोगों के जीवन में प्रेम भरा जाएगा और अविवाहित लोगों को नए रिश्ते मिलेंगे. करियर एवं व्यापार में आप लोगों को बड़ी सफलता प्राप्त होगी.
उपाय : ग्रहण काल में गायत्री मंत्र का जाप करें साथ ही ग्रहण के पश्चात मंदिर में देसी घी का दान करें.
मूलांक 7 : सूर्य ग्रहण के दौरान के साथ के जातकों के जीवन में खुशियां आएंगी. व्यवसाय एवं नौकरी आदि में विशेष सफलता प्राप्त होने की उम्मीद है. पूर्व से चली आ रही स्वास्थ्य समस्याओं में लाभ मिलेगा. दांपत्य जीवन सुखमय होगा.
उपाय : मूलांक 7 के जातक ग्रहण काल के बाद कबूतर और पक्षियों को दाना डालें एवं गणेश द्वादशनाम स्त्रोत का पाठ करें.
मूलांक 8 : मुलाकात के जातकों के जीवन में सूर्य ग्रहण के पश्चात कुछ सकारात्मक बदलाव आएंगे. नई नौकरी अथवा प्रमोशन के योग बन रहे हैं. व्यवसाय में विशेष लाभ की स्थिति बनेगी.
उपाय : काले तिल अथवा साबुत उड़द का दान ग्रहण कल के पश्चात करें. गरीबों में नीले रंग के वस्त्र बाटें.
मूलांक 9 : मूलांकनों के जातकों के लिए सूर्य ग्रहण काफी नकारात्मक परिणाम देने वाला रह सकता है. इन्हें कई तरीके की स्वास्थ्य समस्याओं का सामना भी करना पड़ेगा. दैनिक जीवन और वैवाहिक जीवन में भी तनाव की स्थिति बनेगी.
उपाय : सूर्य ग्रहण काल में सुंदरकांड का पाठ करें एवं हनुमान जी को मीठा पान अर्पित करें.
राशिफल: कैसा रहेगा आपका आज का दिन
28 Mar, 2025 12:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
मेष राशि :- स्त्री वर्ग से हर्ष-उल्लास, अधिकारियों का समर्थन फलप्रद होगा, मनोनुकूल कार्य बना लेवें।
वृष राशि :- योजनाएं फलीभूत हों, शुभ समाचार संभव बनेंगे, रुके कार्य बन ही जाएंगे।
मिथुन राशि :- धन लाभ, आशानुकूल सफलता का हर्ष, बिगड़े कार्य अवश्य ही बनेंगे।
कर्क राशि :- कार्य-व्यवस्था की चिन्ता बनी ही रहेगी, प्रयास करने से लाभ होगा।
सिंह राशि :- भोग-एश्वर्य की प्राप्ति होगी, कार्यगति उत्तम, सुख के साधन अवश्य बनेंगे।
कन्या राशि :- अर्थिक योजना पूर्ण हो, समय पर सोचे कार्य पूर्ण होंगे, रुके कार्य बन ही जायेंगे।
तुला राशि :- पारिवारिक बाधायें परेशान करेंगी, विरोधी तत्व कष्टप्रद रखें, ध्यान रखें।
वृश्चिक राशि :- मानसिक बेचैनी, उद्विघ्नता से बचें तथा समय से लाभांवित होंगे।
धनु राशि :- कुटुम्ब की समस्याऐं कष्टप्रद हों तथा व्यर्थ भ्रमण में व्यय होगा।
मकर राशि :- योजनऐं फलीभूत हो, सफलता के साधन जुटायें तथा कार्य बनें, ध्यान रखें।
कुंभ राशि :- स्वभाव में खिन्नता, मानसिक बेचैनी तथा मानसिक कष्ट के साथ शरीर पीड़ा।
मीन राशि :- तनाव-क्लेश व अशांति बनेगी, परिश्रम विफल होंगे, कार्यगति मंद हो।
06 अप्रैल को मनायी जाएगी रामनवमी
27 Mar, 2025 07:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
सनातन धर्म में रामनवमी का पर्व विशेष महित्व रखता है। राम नवमी हर साल चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को मनायी जाती है। ये दिन भगवान श्रीराम के जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाता है और विशेष रूप से भगवान श्रीराम की पूजा की जाती है। राम नवमी का पर्व भारतीय संस्कृति और परंपरा में काफी विशेष स्थान रखता है। इसे भगवान श्रीराम की मर्यादा, वीरता, और धर्म के प्रति उनकी निष्ठा का प्रतीक माना जाता है। इस दिन श्रद्धालु भगवान श्रीराम की पूजा करने के साथ-साथ उनके आदर्शों को अपनाने का प्रयास करते हैं।
मान्यता है कि इस दिन भगवान श्रीराम की पूजा करने से भक्तों के जीवन में सुख, शांति और समृद्धि का वास होता है, साथ ही जीवन के तमाम संकट समाप्त होते हैं। साथ ही, इस दिन विशेष रूप से मां दुर्गा के नौवें रूप सिद्धिदात्री की भी पूजा की जाती है, जो सुख-समृद्धि और सभी बाधाओं से मुक्ति प्रदान करने वाली मानी जाती हैं। राम नवमी का पर्व में श्रद्धा और भक्ति से मनाया जाता है। यह पर्व धार्मिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण है। आइए जानते हैं इस बार राम नवमी की सही तिथि, पूजा मुहूर्त और पूजा विधि के बारे में।
नवमी तिथि आरंभ: 05 अप्रैल 2025, शनिवार, सायं 07:26 मिनट पर
नवमी तिथि समाप्त: 06 अप्रैल 2025, रविवार, सायं 07:22 मिनट पर
उदया तिथि के अनुसार राम नवमी का पर्व 06 अप्रैल 2025 को मनाया जाएगा।
शुभ मुहूर्त 2025
पूजा का शुभ समय: 06 अप्रैल 2025, प्रातः 11:08 मिनट से दोपहर 01:39 मिनट तक
मध्याह्न मुहूर्त - प्रातः 11:07 से दोपहर 13:39 तक
किस प्रकार करें पूजा की तैयारी
राम नवमी के दिन सबसे पहले ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान करें और स्वयं को शुद्ध करें।
इसके बाद व्रत का संकल्प लें और भगवान श्रीराम की पूजा करने का मन बनाएं। व्रत का पालन करते समय पूरे दिन सत्य बोलने और उत्तम आचरण का ध्यान रखें।
पूजा स्थान को गंगाजल से शुद्ध करके वहां एक चौकी रखें और उस पर पीले रंग का वस्त्र बिछाएं।
फिर उस पर भगवान श्रीराम, माता सीता, भाई लक्ष्मण और श्री हनुमान की प्रतिमा स्थापित करें। भगवान श्रीराम की पूजा के लिए यह चौकी विशेष रूप से शुभ मानी जाती है।
अब, भगवान श्रीराम का ध्यान करते हुए उनका आह्वान करें।
भगवान राम को अपने घर में आमंत्रित करते हुए उनके चरणों में श्रद्धा अर्पित करें।
इसके बाद पंचोपचार पूजा करें जिसमें फूल, चंदन, दीपक, नैवेद्य (प्रसाद) और अर्पण किया जाता है।
अब राम स्त्रोत और राम चालीसा का पाठ करें। राम स्त्रोत का पाठ करने से भगवान श्रीराम की कृपा प्राप्त होती है। राम चालीसा का पाठ विशेष रूप से शक्ति और सौभाग्य को बढ़ाने वाला माना जाता है। पूजा के अंत में भगवान श्रीराम की आरती करें और उनका धन्यवाद अर्पित करें। अंत में प्रसाद का वितरण करें ।
गणेश जी को इसलिए चढ़ाई जाती है दूर्वा
27 Mar, 2025 06:30 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
भगवान गणेश को कई चीज़ें अर्पित भी की जाती हैं जिसमें से एक दूर्वा भी है। कहा जाता है कि बिना दूर्वा के भगवान गणेश की पूजा पूरी नहीं होती है। आइए जानते हैं क्यों गणपति को दूर्वा चढ़ाना इतना महत्वपूर्ण है।
दूर्वा चढ़ाते समय बोलें ये मंत्र
ॐ गणाधिपाय नमः ,ॐ उमापुत्राय नमः ,ॐ विघ्ननाशनाय नमः ,ॐ विनायकाय नमः
ॐ ईशपुत्राय नमः ,ॐ सर्वसिद्धिप्रदाय नमः ,ॐ एकदन्ताय नमः ,ॐ इभवक्त्राय नमः
ॐ मूषकवाहनाय नमः ,ॐ कुमारगुरवे नमः
कथा
कहते हैं कि प्रचीन काल में अनलासुर नामक एक असुर था जिसकी वजह से स्वर्ग और धरती के सभी लोग परेशान थे। वह इतना खतरनाक था कि ऋषि-मुनियों सहित आम लोगों को भी जिंदा निगल जाता था। इस असुर से हताश होकर देवराज इंद्र सहित सभी देवी-देवता और ऋषि-मुनि के साथ महादेव से प्रार्थना करने पहुंचे। सभी ने भगवान शिव से प्रार्थना की कि वे इस असुर का वध करें। शिवजी ने सभी देवी-देवताओं और ऋषि-मुनियों की प्रार्थना सुनकर उन्हें बताया कि अनलासुर का अंत केवल गणपति ही कर सकते हैं।
पेट में होने लगी थी जलन
कथा के अनुसार जब गणेश ने अनलासुर को निगला तो उनके पेट में बहुत जलन होने लगी। कई प्रकार के उपाय किए गए, लेकिन गणेशजी के पेट की जलन शांत ही नहीं हो रही थी। तब कश्यप ऋषि को एक युक्ति सूझी। उन्होंने दूर्वा की 21 गठान बनाकर श्रीगणेश को खाने के लिए दी। जब गणेशजी ने दूर्वा खाई तो उनके पेट की जलन शांत हो गई। तभी से भगवान श्रीगणेश जी को दूर्वा अर्पित करने की परंपरा शुरु हुई।
गुड़ी पड़वा 30 मार्च को चैत्र नवरात्रि की शुरुआत के साथ मनाया जाएगा
27 Mar, 2025 06:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
हिंदू नव वर्ष की शुरुआत गुड़ी पड़वा से होती है। ये सांस्कृतिक और आध्यात्मिक ऊर्जा से भरपूर एक विशेष दिन है। हर साल चैत्र शुक्ल प्रतिपदा का सूरज कुछ अलग होता है। जैसे उसकी किरणों में कोई नई उम्मीद, नई शुरुआत और नवचेतना समाई होती है। यही है गुड़ी पड़वा, हिंदू नववर्ष की पहली सुबह, जो सिर्फ एक तारीख नहीं, बल्कि जीवन में शुभता के प्रवेश की तरह है।
गुड़ी पड़वा न केवल धार्मिक, बल्कि सांस्कृतिक और वैज्ञानिक दृष्टिकोण से भी बेहद खास पर्व है। ब्रह्मा जी ने इसी दिन सृष्टि की रचना की थी, इसलिए यह दिन नए आरंभ का प्रतीक बन चुका है। इस बार गुड़ी पड़वा 30 मार्च को चैत्र नवरात्रि की शुरुआत के साथ मनाया जाएगा, जिससे इसका महत्व और भी बढ़ जाता है।
तीन परंपराएं जो इस पर्व पर नजर आती हैं।
गुड़ी की पूजा
गुड़ी यानी एक डंडे पर उल्टा रखा गया लोटा, जिस पर चेहरे की आकृति उकेरी जाती है और रेशमी वस्त्र लपेटा जाता है। यह प्रतीक है विजय, समृद्धि और संरचना का। खासतौर पर महाराष्ट्रीय परंपरा में इसका विशेष स्थान ह।. इसे घर के मुख्य द्वार या छत पर फहराया जाता है, मानो कह रहा हो—”अब नया आरंभ हो चुका है।”
नीम और मिश्री का सेवन
इस दिन नीम की कोमल पत्तियां और मिश्री खाना न केवल परंपरा है, बल्कि मौसम परिवर्तन के इस काल में रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने का उपाय भी। ”
पकवान, खासतौर पर पूरन पोली
मीठे का स्वाद हर शुभ अवसर पर ज़रूरी होता है। गुड़ी पड़वा पर पूरन पोली सबसे जरुरी है। चने की दाल और गुड़ से बनी यह पारंपरिक रोटी केवल स्वाद नहीं, बल्कि ऊर्जा और पाचन के लिहाज़ से भी अद्भुत है
राशिफल: कैसा रहेगा आपका आज का दिन
27 Mar, 2025 12:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
मेष राशि :- स्त्री वर्ग से हर्ष-उल्लास, अधिकारियों का समर्थन फलप्रद होगा, मनोनुकूल कार्य बना लेवें।
वृष राशि :- योजनाएं फलीभूत हों, शुभ समाचार संभव बनेंगे, रुके कार्य बन ही जाएंगे।
मिथुन राशि :- धन लाभ, आशानुकूल सफलता का हर्ष, बिगड़े कार्य अवश्य ही बनेंगे।
कर्क राशि :- कार्य-व्यवस्था की चिन्ता बनी ही रहेगी, प्रयास करने से लाभ होगा।
सिंह राशि :- भोग-एश्वर्य की प्राप्ति होगी, कार्यगति उत्तम, सुख के साधन अवश्य बनेंगे।
कन्या राशि :- अर्थिक योजना पूर्ण हो, समय पर सोचे कार्य पूर्ण होंगे, रुके कार्य बन ही जायेंगे।
तुला राशि :- पारिवारिक बाधायें परेशान करेंगी, विरोधी तत्व कष्टप्रद रखें, ध्यान रखेंं।
वृश्चिक राशि :- मानसिक बेचैनी, उद्विघ्नता से बचें तथा समय से लाभांवित होंगे।
धनु राशि :- कुटुम्ब की समस्याऐं कष्टप्रद हों तथा व्यर्थ भ्रमण में व्यय होगा।
मकर राशि :- योजनऐं फलीभूत हो, सफलता के साधन जुटायें तथा कार्य बनें, ध्यान रखें।
कुंभ राशि :- स्वभाव में खिन्नता, मानसिक बेचैनी तथा मानसिक कष्ट के साथ शरीर पीड़ा।
मीन राशि :- तनाव-क्लेश व अशांति बनेगी, परिश्रम विफल होंगे, कार्यगति मंद हो।
आर्थिक तंगी से हैं परेशान? चैत्र माह में करें तुलसी के ये खास उपाय; धन लाभ के खुलेंगे सारे मार्ग, हो जाएंगे मालामाल!
26 Mar, 2025 06:45 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
हिंदू कैलेंडर में चैत्र माह का बहुत खास महत्व होता है. हिंदू धर्म में चैत्र का महीना नए साल के रूप में मनाया जाता है यानी चैत्र माह हिंदू कैलेंडर का पहला महीना होता है. इस माह से ही हिंदू नववर्ष की शुरुआत हो जाती है. यह महीना होली के बाद शुरू हो जाता है. इस बार चैत्र माह 15 मार्च से शुरू हो गया है और इसका समापन 12 अप्रैल को होगा.
ज्योतिष के अनुसार, चैत्र माह में सूर्य अपनी उच्च राशि यानी मेष में प्रवेश करता है. चैत्र का महीना भक्ति और संयम का माना गया है, जिसमें सेहत संबंधी बदलाव भी बहुत होते हैं. साथ ही इस अवधि में तुलसी की पूजा-अर्चना द्वारा आप जीवन में काफी अच्छे परिणाम प्राप्त कर सकते हैं. तो चलिए जानते हैं
जरूर करे चैत्र माह मे यह तुलसी के उपाय
वैवाहिक जीवन: चैत्र माह में तुलसी की पूजा करने के साथा मां तुलसी को सोलाह श्रृंगार की वस्तुएं अर्पित करना चाहिए. कुछ समय बाद इन सभी वस्तुओं को किसी सुहागिन महिलाओं को दान करें. मान्यता है कि ऐसा करने से साधक की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं. साथ ही वैवाहिक जीवन में खुशियां बनी रहती है.
आर्थिक तंगी: आर्थिक तंगी और धन लाभ के लिए चैत्र माह में तुलसी की पूजा के दौरान कच्चा दूध अर्पित करें. साथ ही तुलसी जी के मंत्र और तुलसी नामाष्टक मंत्र का जाप करें. उसके बाद देसी घी का दीपकर जलाकर आरती करें. मान्यता है कि ऐसा करने से व्यक्ति को आर्थिक तंगी से छुटकारा मिलता है और धन लाभ के मार्ग खुलते हैं.
घी का दीपक: चैत्र माह में गुरुवार के दिन सुबह स्नान कर मां लक्ष्मी की विधि-विधान से पूजा करें और तुलसी के पास घी का दीपक जलाएं. मान्यता है कि ऐसा करने व्यक्ति को जीवन की से सभी दुख और संकटों से मुक्ति मिलती है. इसके अलावा मां लक्ष्मी की कृपा बनी रहती है.
जरूर करे उन मंत्रो का जाप
देवी त्वं निर्मिता पूर्वमर्चितासि मुनीश्वरैः
नमो नमस्ते तुलसी पापं हर हरिप्रिये।।
तुलसी श्रीर्महालक्ष्मीर्विद्याविद्या यशस्विनी।
धर्म्या धर्मानना देवी देवीदेवमन: प्रिया।।
लभते सुतरां भक्तिमन्ते विष्णुपदं लभेत्।
तुलसी भूर्महालक्ष्मी: पद्मिनी श्रीर्हरप्रिया।।