धर्म एवं ज्योतिष
जेठ महीने में तुलसी पौधा सूख जाए तो क्या करें? जान लें ये पूजा विधि, लक्ष्मी प्रसन्न होंकर भर देंगी घर!
12 May, 2025 06:45 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
हिंदू धर्म में तुलसी का बेहद खास महत्व है. तुलसी को साक्षात माता लक्ष्मी का स्वरूप माना जाता है. मान्यता है कि जो जातक तुलसी की पूजा करते हैं, उनके घर में कभी पैसों की कमी नहीं होती. साथ ही घर में सुख-समृद्धि और शांति का वास होता है. हालांकि, माह के अनुसार तुलसी पूजा का विधान भी बदलता है. वैशाख माह खत्म होने को है और इसी के बाद ज्येष्ठ माह की शुरुआत होगी. इस महीने में भीषण गर्मी के कारण तुलसी सूख जाती हैं. ऐसे में उनके पूजन का विधान भी बदल जाता है. देवघर के आचार्य ने बताया कि जेठ में तुलसी पूजन से कैसे लक्ष्मी की कृपा पाई जा सकती है.
देवघर के पागल बाबा आश्रम स्थित मुद्गल ज्योतिष केंद्र के प्रसिद्ध ज्योतिषाचार्य पंडित नंदकिशोर मुद्गल ने लोकल 18 को बताया कि 12 मई को वैशाख पूर्णिमा है. इसके साथ ही 13 मई से जेठ महीने की शुरुआत होने जा रही है. हिंदू पंचांग के अनुसार, जेठ सबसे बड़ा महीना है. इस महीने में गंगा दशहरा, वट सावित्री व्रत और बड़ा मंगला जैसे प्रमुख व्रत-त्योहार मनाए जाते हैं. वहीं, जेठ महीने में तुलसी पूजन का भी विशेष महत्व है. क्योंकि, इस महीने में तुलसी का पेड़ सूख जाता है. उस सूखे पेड़ की जड़ से कुछ खास उपाय कर सकते हैं. इससे माता लक्ष्मी बेहद प्रसन्न होंगी और घर में हमेशा धन की वर्षा करेंगी.
जेठ माह में ऐसे करें पूजा
ज्योतिषाचार्य बताते हैं कि जेठ महीने में हर रोज तुलसी के पौधे में जल अर्पण अवश्य करना चाहिए. उस जल में दूध मिला लें. लाल चुनरी अवश्य अर्पण करें. साथ ही, हर संध्या का दीपक तुलसी पेड़ के नीचे जरूर जलाएं. इससे माता लक्ष्मी बेहद प्रसन्न होती हैं. घर में सुख-समृद्धि का वास होता है. वहीं, जेठ महीने में अगर तुलसी के पेड़ सूख जाते हैं तो उसकी जड़ को एक पीले कपड़े में बांधकर अपने घर के मुख्य द्वार पर लटका दें. इससे हमेशा घर में लक्ष्मी की कृपा बनी रहेगी.
स्नान के बाद लड्डू गोपाल का जल ऐसे करें उपयोग, प्रेमानंद जी महाराज ने बताए भक्ति से जुड़े उपयोग के नियम
12 May, 2025 06:15 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
भगवान श्रीकृष्ण के बालरूप लड्डू गोपाल की पूजा घर-घर में होती है. भक्तगण उन्हें बच्चे की तरह मानते हैं उन्हें जगाते हैं, नहलाते हैं, वस्त्र पहनाते हैं, भोजन कराते हैं और फिर सुलाते हैं. यह भाव, यह अपनापन, भक्ति का ऐसा स्वरूप है जो भक्त और भगवान के बीच विशेष संबंध बना देता है. लड्डू गोपाल की सेवा करते समय हर छोटी-बड़ी बात का ध्यान रखना बहुत जरूरी होता है, खासकर उनके स्नान के बाद बचे हुए जल के संबंध में.
स्नान कराने के बाद इस तरह करे जल का उपयोग
प्रेमानंद जी महाराज ने अपने एक सत्संग में इस विषय पर बहुत ही सरल और स्पष्ट मार्गदर्शन दिया है. जब किसी भक्त ने उनसे पूछा कि लड्डू गोपाल को स्नान कराने के बाद उस जल का क्या किया जाए, तो उन्होंने दो विकल्प सुझाए या तो उसे स्वयं पी लिया जाए या फिर तुलसी के पौधे में डाल दिया जाए. यह केवल परंपरा या रिवाज नहीं, बल्कि भाव का विषय है. भगवान के शरीर को स्पर्श करने वाला जल अब केवल पानी नहीं रह जाता, वह एक पवित्र द्रव्य बन जाता है. ऐसे में उसका सम्मानपूर्वक उपयोग करना ही भक्त का धर्म है.
जल को सही स्थान पर डाले
अगर घर में तुलसी का पौधा नहीं है तो यह जल किसी भी ऐसे स्थान पर नहीं डालना चाहिए जहां लोगों के पैर पड़ें. आप चाहें तो इसे एक पात्र में एकत्र कर लें और बाद में किसी पवित्र नदी जैसे गंगा या यमुना में अर्पित करें. अगर नदी तक जाना संभव न हो तो किसी सुरक्षित, शांत स्थान पर भूमि में एक गड्ढा खोदकर उसमें डाल सकते हैं.
प्रेमानंद जी महाराज ने यह भी बताया कि लड्डू गोपाल की सेवा में उपयोग किए जाने वाले फूलों का भी विशेष ध्यान रखा जाना चाहिए. रोजाना जो फूल अर्पित किए जाते हैं, उन्हें कचरे में फेंकना अनुचित है. इन्हें भी किसी पेड़-पौधे के पास या नदी किनारे भूमि में दबा देना चाहिए. सिर्फ जल या फूल ही नहीं, भगवान के वस्त्र भी सावधानी से धोए जाने चाहिए. इन्हें किसी आम कपड़े की तरह नहीं बल्कि श्रद्धा के साथ साफ कर सुरक्षित रखना चाहिए.
खाटूश्याम जी मंदिर की महिमा, चिट्ठी भेजकर पूरी होती हैं मन्नतें
12 May, 2025 06:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
विश्व प्रसिद्ध खाटूश्याम जी मंदिर की महिमा दिनो दिन बढ़ती जा रही है. यहां बाबा श्याम के दरबार में दिल्ली, मुंबई, कोलकाता और हरियाणा सहित देश-विदेश से श्रद्धालु आते हैं. यहां आने वाले लाखों श्रद्धालु बाबा श्याम के दरबार में मन्नतें मांगने आते हैं. इन्होंने हारे का सहारा कहा है. खाटूश्याम जी मंदिर एक अनूठी परंपरा है.
जिसमें भक्त चिट्ठी लिखकर बाबा तक अपनी मनोकामनाएं पहुंच जाते हैं. मान्यता है कि ऐसा करने से बाबा श्याम भक्तों की मन्नत जरूर पूरी करते हैं. खाटूश्याम जी मंदिर में प्रसाद के साथ भक्तों के लिए चिट्ठी रखने के पात्र भी बनाए हुए हैं. जिसमें भक्त चिट्ठी रखकर बाबा श्याम तक अपनी मनोकामनाएं पहुंच सकते हो.
क्या है चिट्ठी भेजने की विधि
बाबा श्याम के भजन गाकर चंद्रप्रकाश ने बताया बाबा श्याम तक छुट्टी पहुंचने से पहले एक विधि का पालन होता है जिसमें पहले भक्त सफेद या पीले कागज पर अपनी मनोकामना साफ-साफ लिखी जाती है. चिट्ठी में केवल मूल इच्छा ही लिखी जाती है. इसके बाद मंदिर जाने से पहले या किसी हाथ से पहुंचाने से पहले रात को इसे घर के मंदिर में रख दे. इसके बाद चिट्ठी को खाटूश्याम मंदिर में जाकर पत्र बॉक्स में डाल दे या पुजारियों को सौंप दे. चिट्ठी देने के बाद भक्त प्रसाद अर्पित करते हैं और आरती में शामिल होते हैं.
क्या होता है चिट्ठी भेजने के बाद
बाबा श्याम के भजन गाकर चंद्रप्रकाश ने बताया कि मान्यता है कि बाबा श्याम हर भक्त की चिट्ठी पढ़ते हैं उनकी मनोकामना पूरी करते हैं. कई भक्तों का दावा है कि उनकी समस्याए चमत्कारिक ढंग से हल हो गई है. कुछ भक्त मन्नत पूरी होने पर मंदिर में छत्र या श्याम निशान भी चढ़ाते हैं. यहीं, कारण है कि खाटूश्याम जी मंदिर में पद यात्रियों की संख्या सबसे अधिक रहती है. ऐसे में अगर आपकी भी कोई समस्या है या इच्छा है जो पूरी नहीं हो रही है तो आप खाटूश्याम जी मंदिर में जा सकते हैं या अपनी चिट्ठी भेज सकते हैं.
राशिफल: कैसा रहेगा आपका आज का दिन
12 May, 2025 12:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
मेष राशि :- बचैनी, उद्विघ्नता से बचिये, समय पर सोचे कार्य अवश्य ही बन जायेंगे।
वृष राशि :-चिन्ताऐं कम हों, सफलता के साधन जुटायें, अचानक लाभ के योग अवश्य ही बनें।
मिथुन राशि :- सफलता के साधन जुटायें, व्यवसायिक क्षमता मेंं वृद्धि अवश्य ही होगी।
कर्क राशि :- व्यर्थ धन का व्यय, समय व शांति नष्ट होवे, विघटनकारी तत्व परेशान करें।
fिसंह राशि :- भोग-ऐश्वर्य में वृद्धि, स्वास्थ्य नरम रहे, विद्यार्थी जीवन आपके लिये परेशानी का हो।
कन्या राशि :- समय व धन नष्ट हो, क्लेश व अशांति, यात्रा से कष्ट व चिन्ता अवश्य बने।
तुला राशि :- परिश्रम से सफलता के साधन अवश्य जुटायें, कार्य बाधा, कार्य अवश्य हो।
वृश्चिक राशि :- चोटादि से बचिये, भाग्य का सितारा बड़ा ही प्रबल होगा।
धनु राशि :- क्लेश व अशांति से बचिये, मानसिक उद्विघ्नता होगी, समय का ध्यान दें।
मकर राशि :- परिश्रम विफल हो, चिन्ता व यात्रा, व्याग्रता, स्वास्थ्य नरम रहे।
कुंभ राशि :- आकस्मिक घटना से चोटादि का भय होगा, समय का ध्यान रखें।
मीन राशि :- अधिकारियों से कष्ट, इष्ट मित्र सहायक न होवे, समय का साथ होगा।
बुढ़वा मंगल को हनुमान जी के सामने करें ये एक उपाय, कर्ज से मिलेगी मुक्ति, मनोकामना भी होगी पूरी!
11 May, 2025 06:30 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
हिंदू पंचांग के अनुसार, ज्येष्ठ महीने में आने वाले सभी मंगलवारों को विशेष महत्व दिया जाता है. इन्हें बड़ा मंगल या बुढ़वा मंगल कहा जाता है. इस समय में भगवान हनुमान की खास पूजा की जाती है. मान्यता है कि इन दिनों में भक्त हनुमान जी की वृद्ध अवस्था (बुजुर्ग रूप) की पूजा करते हैं. हनुमान जी को भगवान राम के सबसे बड़े भक्त के रूप में पूजा जाता है. आप कर्ज से परेशान हैं, धन संबंधित कोई परेशानी है या फिर आप कोई ऐसा कार्य करना चाहते हैं जिसमें आपको लंबे समय से सफलता नहीं मिल रही है, तो आप बड़ा मंगल के दिन इस उपाय को कर सकते हैं. ज्योतिषाचार्य अंशुल त्रिपाठी के अनुसार, मंगल और शनि के बुरे प्रभाव भी हनुमान जी की पूजा से शांत हो सकते हैं. बुढ़वा मंगल को की गई पूजा और विशेष उपाय से हनुमान जी की विशेष कृपा प्राप्त होती और मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं.
बड़ा मंगल 2025 उपाय
बड़ा मंगलवार के दिन आप राम रक्षा स्तोत्र का पाठ करें. आप घर के किसी नजदीक वाले हनुमान मंदिर में जाएं. वहां पहले भगवान राम और उसके बाद हनुमान की पूजा करें. मंदिर में बैठकर भगवान राम का मन में स्मरण करें और फिर राम रक्षा स्तोत्र का पाठ प्रारंभ करें. राम रक्षा स्तोत्र का पाठ करने से काम में आ रही सभी बाधाएं दूर होती है और बिगड़े हुए सभी काम बन जाते हैं. बड़ा मंगल के दिन राम रक्षा स्तोत्र का पाठ सुनना भी लाभयादक होता है.
राम रक्षा स्तोत्र पाठ
विनियोग
अस्य श्रीरामरक्षास्त्रोतमन्त्रस्य बुधकौशिक ऋषिः।
श्री सीतारामचंद्रो देवता।
अनुष्टुप छंदः। सीता शक्तिः।
श्रीमान हनुमान कीलकम।
श्री सीतारामचंद्रप्रीत्यर्थे रामरक्षास्त्रोतजपे विनियोगः।
अथ ध्यानम्
ध्यायेदाजानुबाहुं धृतशरधनुषं बद्धपदमासनस्थं,
पीतं वासो वसानं नवकमल दल स्पर्धिनेत्रम् प्रसन्नम।
वामांकारूढ़ सीता मुखकमलमिलल्लोचनम्नी,
रदाभम् नानालंकारदीप्तं दधतमुरुजटामण्डलम् रामचंद्रम॥
राम रक्षा स्तोत्रम्
चरितं रघुनाथस्य शतकोटि प्रविस्तरम्।
एकैकमक्षरं पुंसां महापातकनाशनम्॥1॥
ध्यात्वा नीलोत्पलश्यामं रामं राजीवलोचनम्।
जानकीलक्ष्मणोपेतं जटामुकुटमण्डितं॥2॥
सासितूणधनुर्बाणपाणिं नक्तंचरान्तकम्।
स्वलीलया जगत्त्रातुमाविर्भूतमजं विभुम्॥3॥
रामरक्षां पठेत प्राज्ञः पापघ्नीं सर्वकामदाम्।
शिरो मे राघवः पातु भालं दशरथात्मजः॥4॥
कौसल्येयो दृशो पातु विश्वामित्रप्रियः श्रुति।
घ्राणं पातु मखत्राता मुखं सौमित्रिवत्सलः॥5॥
जिह्वां विद्यानिधिः पातु कण्ठं भरतवन्दितः।
स्कन्धौ दिव्यायुधः पातु भुजौ भग्नेशकार्मुकः॥6॥
करौ सीतापतिः पातु हृदयं जामदग्न्यजित।
मध्यं पातु खरध्वंसी नाभिं जाम्बवदाश्रयः॥7॥
सुग्रीवेशः कटी पातु सक्थिनी हनुमत्प्रभुः।
उरु रघूत्तमः पातु रक्षःकुलविनाशकृताः॥8॥
जानुनी सेतुकृत पातु जंघे दशमुखांतकः।
पादौ विभीषणश्रीदः पातु रामअखिलं वपुः॥9॥
एतां रामबलोपेतां रक्षां यः सुकृति पठेत।
स चिरायुः सुखी पुत्री विजयी विनयी भवेत्॥10॥
पातालभूतल व्योम चारिणश्छद्मचारिणः।
न द्रष्टुमपि शक्तास्ते रक्षितं रामनामभिः॥11॥
रामेति रामभद्रेति रामचंद्रेति वा स्मरन।
नरौ न लिप्यते पापैर्भुक्तिं मुक्तिं च विन्दति॥12॥
जगज्जैत्रैकमन्त्रेण रामनाम्नाभिरक्षितम्।
यः कण्ठे धारयेत्तस्य करस्थाः सर्वसिद्धयः॥13॥
वज्रपञ्जरनामेदं यो रामकवचं स्मरेत।
अव्याहताज्ञाः सर्वत्र लभते जयमंगलम्॥14॥
आदिष्टवान् यथा स्वप्ने रामरक्षामिमां हरः।
तथा लिखितवान् प्रातः प्रबुद्धो बुधकौशिकः॥15॥
आरामः कल्पवृक्षाणां विरामः सकलापदाम्।
अभिरामस्त्रिलोकानां रामः श्रीमान स नः प्रभुः॥16॥
तरुणौ रूपसम्पन्नौ सुकुमारौ महाबलौ।
पुण्डरीकविशालाक्षौ चीरकृष्णाजिनाम्बरौ॥17॥
फलमूलाशिनौ दान्तौ तापसौ ब्रह्मचारिणौ।
पुत्रौ दशरथस्यैतौ भ्रातरौ रामलक्ष्मणौ॥18॥
शरण्यौ सर्वसत्वानां श्रेष्ठौ सर्वधनुष्मताम्।
रक्षःकुलनिहन्तारौ त्रायेतां नो रघूत्तमौ॥19॥
आत्तसज्जधनुषाविषुस्पृशा वक्ष याशुगनिषङ्गसङ्गिनौ।
रक्षणाय मम रामलक्ष्मणावग्रतः पथि सदैव गच्छताम॥20॥
सन्नद्धः कवची खड्गी चापबाणधरो युवा।
गच्छन् मनोरथान नश्च रामः पातु सलक्ष्मणः॥21॥
रामो दाशरथी शूरो लक्ष्मणानुचरो बली।
काकुत्स्थः पुरुषः पूर्णः कौसल्येयो रघूत्तमः॥22॥
वेदान्तवेद्यो यज्ञेशः पुराणपुरुषोत्तमः।
जानकीवल्लभः श्रीमानप्रमेयपराक्रमः॥23॥
इत्येतानि जपन नित्यं मद्भक्तः श्रद्धयान्वितः।
अश्वमेधाधिकं पुण्यं सम्प्राप्नोति न संशयः॥24॥
रामं दुर्वादलश्यामं पद्माक्षं पीतवाससम।
स्तुवन्ति नामभिर्दिव्यैर्न ते संसारिणो नरः॥25॥
रामं लक्ष्मणपूर्वजं रघुवरं सीतापतिं सुन्दरं,
काकुत्स्थं करुणार्णवं गुणनिधिं विप्रप्रियं धार्मिकम।
राजेन्द्रं सत्यसंधं दशरथतनयं श्यामलं शांतमूर्तिं,
वन्दे लोकाभिरामं रघुकुलतिलकं राघवं रावणारिम॥26॥
रामाय रामभद्राय रामचंद्राय वेधसे।
रघुनाथाय नाथाय सीतायाः पतये नमः॥27॥
श्रीराम राम रघुनन्दनराम राम,
श्रीराम राम भरताग्रज राम राम।
श्रीराम राम रणकर्कश राम राम,
श्रीराम राम शरणं भव राम राम॥28॥
श्रीराम चन्द्रचरणौ मनसा स्मरामि,
श्रीराम चंद्रचरणौ वचसा गृणामि।
श्रीराम चन्द्रचरणौ शिरसा नमामि,
श्रीराम चन्द्रचरणौ शरणं प्रपद्ये॥29॥
माता रामो मत्पिता रामचंन्द्र:।
स्वामी रामो मत्सखा रामचंद्र:।
सर्वस्वं मे रामचन्द्रो दयालु।
नान्यं जाने नैव जाने न जाने॥
दक्षिणे लक्ष्मणो यस्य वामे च जनकात्मज।
पुरतो मारुतिर्यस्य तं वन्दे रघुनन्दनम्॥31॥
लोकाभिरामं रणरंगधीरं राजीवनेत्रं रघुवंशनाथं।
कारुण्यरूपं करुणाकरं तं श्रीरामचन्द्रं शरणं प्रपद्ये॥32॥
मनोजवं मारुततुल्यवेगं जितेन्द्रियं बुद्धिमतां वरिष्ठम।
वातात्मजं वानरयूथमुख्यं श्रीराम दूतं शरणं प्रपद्ये॥33॥
वैशाख पूर्णिमा पर है विशेष संयोग, इस मंत्र का कर लें जाप, सिद्ध हो जाएंगे सारे अधूरे पड़े काम!
11 May, 2025 06:15 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
महीने की एक तिथि ऐसी होती है जो बेहद शुभ और उत्तम मानी जाती है. वह है पूर्णिमा तिथि. पूर्णिमा की तिथि भगवान विष्णु को समर्पित मानी जाती है. वैसे तो हर महीने पूर्णिमा आती है लेकिन वैशाख पूर्णिमा का महत्व विशेष होता है. इस तिथि को बुद्ध पूर्णिमा भी कहा जाता है क्योंकि मान्यता है कि इसी दिन महात्मा बुद्ध का जन्म हुआ था.
बुद्ध या वैशाख पूर्णिमा के दिन गंगा स्नान कर लक्ष्मी नारायण की पूजा करना और सतनारायण की कथा सुनना अत्यंत शुभ माना गया है. ऐसा करने से घर में सुख, समृद्धि और शांति का वास होता है. इस वर्ष बुद्ध पूर्णिमा के दिन एक अत्यंत दुर्लभ संयोग बन रहा है जो इस दिन को और भी खास बना देता है.
इस बार कब है वैशाख पूर्णिमा और क्या है विशेष संयोग
देवघर के पागल बाबा आश्रम स्थित मुद्गल ज्योतिष केंद्र के प्रसिद्ध ज्योतिषाचार्य पंडित नंदकिशोर मुद्गल ने लोकल 18 से बातचीत में बताया कि इस साल वैशाख पूर्णिमा का व्रत 12 मई को रखा जाएगा. इस बार के पूर्णिमा पर भद्रा का साया भी रहेगा. सामान्यतः भद्रा को अशुभ माना जाता है और उसमें पूजा-पाठ वर्जित होता है. लेकिन इस बार का भद्रा पाताल लोक में रहेगा इसलिए यह शुभ माना जा रहा है.
कोई भी नया कार्य शुरू करने का शुभ समय
ज्योतिषाचार्य के अनुसार वैशाख पूर्णिमा के दिन कोई भी नया कार्य शुरू करने के लिए यह सबसे शुभ दिन रहेगा. पूजा-पाठ पर किसी प्रकार की मनाही नहीं होगी.
स्वाती नक्षत्र, सर्वार्थ सिद्धि और वरियान योग
इस दिन स्वाती नक्षत्र रहेगा. साथ ही सर्वार्थ सिद्धि योग और वरियान योग भी बन रहा है. इन शुभ योगों के कारण इस दिन का महत्व और भी अधिक बढ़ गया है.
हरिहर की पूजा से मिल सकता है दोगुना फल
ज्योतिषाचार्य के अनुसार पूर्णिमा का दिन भगवान विष्णु को समर्पित होता है लेकिन इस वर्ष यह तिथि सोमवार को पड़ रही है, जो भगवान शिव को समर्पित है. इसलिए इस बार के वैशाख पूर्णिमा पर हरिहर यानी विष्णु और शिव दोनों की पूजा अवश्य करनी चाहिए. इस दिन हरिहर मंत्र का 108 बार जाप करें. इससे दोगुना फल प्राप्त होता है और मनोकामनाएं पूरी होती हैं.
इस व्रत से कट जाते हैं जाने-अनजाने किए गए पाप! खुश होते हैं विष्णु भगवान, मिलता है पितरों का आशीर्वाद!
11 May, 2025 06:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
साल भर में होने वाली सभी एकादशी का अपना-अपना महत्व होता है. हिंदू कैलेंडर के अनुसार साल भर में 24 एकादशी आती हैं. सभी एकादशी तिथि विष्णु भगवान को समर्पित होती हैं. इस दिन विष्णु भगवान की आराधना, पूजा पाठ, विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ, विष्णु भगवान के स्तोत्र आदि का पाठ करने पर चमत्कारी लाभ प्राप्त होने की धार्मिक मान्यता है.
ऐसे ही ज्येष्ठ मास कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि का विशेष महत्व बताया गया है. ज्येष्ठ मास में अपरा एकादशी का व्रत करने से जाने अनजाने में हुए अनेक पापों से मुक्ति मिल जाती है. साल 2025 में अपरा एकादशी का व्रत 23 मई शुक्रवार को किया जाएगा.
क्या है इस दिन का महत्व
अपरा एकादशी पर किन पापों से मुक्ति मिलती है इसकी ज्यादा जानकारी देते हुए हरिद्वार के विद्वान ज्योतिषी पंडित श्रीधर शास्त्री बताते हैं कि साल भर में होने वाली 24 एकादशी में अपरा एकादशी का अपना महत्व है. ये एकादशी ज्येष्ठ मास कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को होती है. हिंदू धर्म में स्थिति का विशेष महत्व होता है धार्मिक ग्रंथो के अनुसार अपरा एकादशी का व्रत विधि विधान से करने पर जाने अनजाने में हुए कहीं पापों से मुक्ति मिल जाती है.व
मिलती है पापों से मुक्ति
वे आगे बताते हैं कि धार्मिक ग्रंथो के अनुसार अपरा एकादशी का व्रत करने से जाने अनजाने में हुए गोहत्या का पाप, परस्त्रीगमन का पाप, झूठ बोलने का पाप, निंदा करना, झूठी गवाही देना आदि सभी पापों से मुक्ति मिल जाती है. अपना एकादशी के दिन पापों से मुक्ति मोक्ष की प्राप्ति और जीवन में चल रही सभी आर्थिक मानसिक समस्याएं खत्म हो जाते हैं.
पितरों का आशीर्वाद मिलता है
वह आगे बताते हैं कि अपरा एकादशी का व्रत करने से जहां इन सभी पापों से मुक्ति मिलती है तो वही पितरों के लिए भी यह एकादशी बेहद ही खास और विशेष फल प्रदान करने वाली होती है. अगर पितृ प्रेत योनि में भटक रहे हों तो पितरों को उनके लोक जाने और मुक्ति दिलाने में अपरा एकादशी के दिन घर के बाहर आंगन में या तुलसी के पास चौहमुखी दीपक जलाने पर पितरों की शांति हो जाती है. यह उपाय अपरा एकादशी के दिन करने से पितृ प्रसन्न होकर अपने लोक चले जाते हैं और वंशजों पर आशीर्वाद बनाए रखते हैं.
राशिफल: कैसा रहेगा आपका आज का दिन
11 May, 2025 12:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
मेष राशि :- कुटुम्ब में तनाव, क्लेश व अशांति, व्यर्थ का व्यय तथा प्रतिष्ठा हानि होगी।
वृष राशि :- इष्ट मित्र से सुख, अधिकारियों से मेल-मिलाप, समय लाभप्रद बना ही रहेगा।
मिथुन राशि :- अर्थ व्यवस्था अनुकूल हो, सफलता के साधन जुटायें तथा कार्य अवश्य ही बनेंगे।
कर्क राशि :- मनोवृत्ति उदार बनाये रखें, तनाव व क्लेश से हानि की संभावना बनी रहेगी।
fिसंह राशि :- समय नष्ट न करें, व्यवसायिक गति रहे, असमंजस की स्थिति से बच कर चलें।
कन्या राशि :- आर्थिक योजना सफल हो, व्यवसायिक क्षमता अवश्य अनुकूल बनी रहेगी।
तुला राशि :- धन का व्यय, परिश्रम से हानि, मानसिक उद्विघ्नता से आप दूर चलें।
वृश्चिक राशि :- स्त्री कार्य से क्लेश व हानि, विघटनकारी तत्व आप को परेशान कर सकते हैं।
धनु राशि :- कुटुम्ब की समस्या सुलझे तथा धन का व्यय होगा, व्यर्थ भ्रमण आवश्य ही होगा।
मकर राशि :- अर्थ व्यवस्था छिन्न-भिन्न रहे, छोटे कार्य व्यय से कार्यगति मंद हो सकती है।
कुंभ राशि :- दैनिक कार्यगति में सुधार होगा, चिन्ताऐं कम होंगी, सफलता के साधन जुटाएंगे।
मीन राशि :- मनोबल उत्साह वर्धक होवे तथा कार्यगति अनुकूल अवश्य ही बन जाएगी।
पैरों की उंगलियां खोलती हैं आपके राज, इस उम्र के बाद चमक जाती है ऐसे लोगों की किस्मत!
10 May, 2025 06:45 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
शरीर के हर अंग का अपना एक अलग संकेत होता है. सामुद्रिक शास्त्र के अनुसार, इन संकेतों के माध्यम से व्यक्ति के स्वभाव, व्यवहार और भविष्य के बारे में जाना जा सकता है. आपने अक्सर हाथों की रेखाओं, अंगूठे के आकार और हथेली की बनावट के संकेतों के बार में जरूर सुना होगा. लेकिन आज हम बात करेंगे पैरों की उंगलियों के बारे में. जी हां, पैरों की उंगलियों और अंगूठे के आकार से भी किसी के स्वभाव और उसके बारे में कई चीजों का पता लगाया जा सकता है. इस बारे में विस्तार से बता रहे हैं
शांत और संतुलित स्वभाव वाले लोग
यदि आपके पैरों का अंगूठा सबसे बड़ा है और बाकी उंगलियां लगभग एक जैसी लंबाई की हैं, तो ऐसे लोग आमतौर पर बेहद शांत, सरल, और संवेदनशील स्वभाव के होते हैं. ये किसी भी विवाद से बचते हैं और निर्णय लेने में समय लेते हैं. इन्हें अक्सर गलत समझा जाता है कि इनकी निर्णय लेने की शक्ति कमज़ोर है, जबकि वास्तव में ये सोच-समझकर फैसला लेने में विश्वास रखते हैं. प्यार में ये बेहद वफादार और गंभीर होते हैं.
डोमिनेटिंग और आत्मविश्वासी लोग
अगर आपके पैरों का अंगूठा सबसे बड़ा है और बाकी उंगलियां क्रमशः घटती लंबाई में हैं, तो ऐसे लोग आत्मविश्वासी, मुखर और कभी-कभी जिद्दी स्वभाव के होते हैं. इन्हें अपने फैसलों पर पूरा भरोसा होता है और जीवन में हर अनुभव से कुछ सीखने की चाह रखते हैं. हालांकि, इनका डोमिनेटिंग स्वभाव कई बार रिश्तों में चुनौती बन जाता है.
जिम्मेदार और मेहनती लोग
अगर आपके पैरों का अंगूठा, दूसरी और तीसरी उंगलियों के बराबर है और बाकी दो उंगलियां छोटी हैं, तो ऐसे लोग जिम्मेदार, मेहनती और परिवार के लिए समर्पित होते हैं. दूसरों की मदद करना, खुद की गलतियों की ज़िम्मेदारी लेना और हमेशा पॉज़िटिव सोचना इनकी खासियत होती है. ये लोग रिश्तों को निभाने में विश्वास करते हैं और काफी भरोसेमंद होते हैं.
मेहनत से अलग पहचान बनाते हैं
अगर आपके पैरों की दूसरी उंगली अंगूठे से बड़ी है और उसके बाद की उंगलियां क्रमशः छोटी हैं, तो ऐसे लोग अपनी मेहनत से किस्मत बदलने वाले होते हैं. बचपन से ही जिम्मेदारियां निभाते हैं और ज्यादातर काम खुद ही करते हैं. इन्हें नई चीज़ें सीखने और कुछ अलग करने का शौक होता है. हालांकि इनकी सफलता अक्सर 28 या 30 की उम्र के बाद ही आती है, लेकिन जब आती है तो धमाकेदार होती है. ये समाज और दुनिया में मेहनत से अलग पहचान बनाते हैं.
प्रदोष व्रत के दिन इस स्तोत्र के पाठ से मिलेगा हजारों गुना लाभ, विद्या-धन-बल और ज्ञान का वरदान देंगे भोलेनाथ!
10 May, 2025 06:30 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
हिंदू कैलेंडर के अनुसार प्रदोष व्रत भगवान शिव को समर्पित होता है. साल में आने वाले कृष्ण पक्ष और शुक्ल पक्ष में कुल 24 प्रदोष व्रत का आगमन मानव कल्याण के लिए होता है. प्रदोष व्रत के दिन भगवान शिव की पूजा-पाठ, आराधना, स्तोत्र आदि का पाठ करने पर साधकों को कई चमत्कारी लाभ मिलते हैं. शास्त्रों के अनुसार, प्रदोष व्रत के दिन यदि श्रद्धा और भक्तिभाव से पवित्र मन और हृदय से भोलेनाथ के रुद्राष्टक, पशुपत्येष्टक, शिव महिम्न, शिव तांडव आदि स्तोत्र का पाठ किया जाए, तो हजारों गुना लाभ प्राप्त होता है. प्रदोष व्रत के दिन प्रदोष काल में ही भगवान शिव की आराधना करने का विधान होता है लेकिन भगवान शिव के कुछ स्तोत्र ऐसे भी हैं, जिनका ब्रह्म मुहूर्त, दोपहर और प्रदोष काल के समय पाठ करने पर कई गुना लाभ मिलता है.
प्रदोष व्रत के दिन स्तोत्र का पाठ करने की ज्यादा जानकारी देते हुए हरिद्वार के विद्वान ज्योतिषी पंडित श्रीधर शास्त्री लोकल 18 को बताते हैं कि प्रदोष व्रत त्रयोदशी तिथि में करने का विधान होता है. इस दिन भगवान शिव की आराधना करने पर संपूर्ण लाभ प्राप्त होता है. प्रदोष व्रत के दिन हजारों गुना लाभ प्राप्त करने के लिए चारों वेदों के ज्ञाता राजा रावण द्वारा रचित शिव तांडव स्तोत्र का पाठ प्रदोष व्रत के दिन करने पर सबसे अधिक लाभ की प्राप्ति होती है. इस साल ज्येष्ठ मास कृष्ण पक्ष का प्रदोष व्रत 24 मई को विधि विधान से करने और तीन समय शिव तांडव स्तोत्र का पाठ करने पर विद्या, धन, बल, ज्ञान आदि सुखों की प्राप्ति मिलने की धार्मिक मान्यता है.
‘ॐ नमः शिवाय’ का मन ही मन करें जाप
वह आगे बताते हैं कि ब्रह्म मुहूर्त में उठकर दैनिक नित्यकर्म व स्नान आदि के बाद शिवलिंग का गंगाजल, दूध, शहद, दही, तिल आदि से अभिषेक और पूजा-पाठ करने पर व्रत का संकल्प करें. पूरे दिन व्रत रखकर भगवान शिव के मंत्र ‘ॐ नमः शिवाय’ का मन ही मन जाप करते रहें. इस दिन शिव तांडव स्तोत्र का पाठ ब्रह्म मुहूर्त में करें. इसके बाद दोपहर और प्रदोष काल यानी सूर्यास्त से 45 मिनट पूर्व और सूर्यास्त के 45 मिनट बाद वाले समय में भी शिव तांडव स्तोत्र का पाठ करने पर विद्या, धन, बल, ज्ञान, आरोग्यता आदि सभी की प्राप्ति होने की धार्मिक मान्यता है.
रातों-रात में भूतों ने किया इस मंदिर का निर्माण, इतिहास जानकर दंग रह जाएंगे आप, 1 बच्चे ने खोला था राज
10 May, 2025 06:15 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
भारत में कई मंदिर अपनी खूबसूरती और रहस्यों के लिए जाने जाते हैं. ऐसा ही एक मंदिर है काकनमठ, जो मध्य प्रदेश के मुरैना जिले में स्थित है. कहा जाता है कि यह मंदिर एक ही रात में भूतों और अलौकिक शक्तियों ने बनाया था. इसकी अनोखी बनावट और कहानी लोगों को हैरान कर देती है. यह मध्य प्रदेश राज्य के मुरैना जिले के सिहोनिया गांव में स्थित है, जो रहस्यमयी और अद्भुत स्थापत्य कला का उदाहरण है. 11वीं शताब्दी में निर्मित यह शिव मंदिर न केवल अपनी भव्यता के लिए प्रसिद्ध है, बल्कि इसके निर्माण से जुड़ी एक लोककथा इसे और भी रहस्यमय बनाती है.
स्थानीय मान्यताओं के अनुसार, काकनमठ मंदिर का निर्माण कच्छपघात वंश के एक राजा ने भगवान शिव की भक्ति में करवाया था. राजा ने भगवान शिव से प्रार्थना की कि वह इस मंदिर का निर्माण स्वयं करें. भगवान शिव ने राजा के सपने में आकर कहा कि वह इस मंदिर का निर्माण एक ही रात में कर देंगे, लेकिन शर्त यह है कि कोई भी मानव इस निर्माण प्रक्रिया को नहीं देखेगा.
TOI में छपी रिपोर्ट के अनुसार, राजा ने पूरे गांव को आदेश दिया कि उस रात कोई भी अपने घर से बाहर नहीं निकले. रात में मंदिर निर्माण की आवाजें सुनाई दीं, लेकिन किसी ने बाहर झांकने की हिम्मत नहीं की. हालांकि, एक जिज्ञासु बालक ने खिड़की से बाहर झांक लिया, जिससे निर्माण कार्य कर रहे अलौकिक प्राणी अदृश्य हो गए और मंदिर अधूरा रह गया.
कला और विशेषताएं
काकनमठ मंदिर की वास्तुकला अद्वितीय है. यह पूरी तरह से पत्थरों से निर्मित है, और इसमें किसी भी प्रकार का सीमेंट या चूना नहीं लगाया गया है. मंदिर की दीवारें और स्तंभ इतनी मजबूती से जुड़े हैं कि यह आज भी मजबूती से खड़ा है. मंदिर का ऊपरी हिस्सा अधूरा है, जो उस रात के अधूरे निर्माण की कहानी को दर्शाता है. काकनमठ मंदिर न केवल एक धार्मिक स्थल है, बल्कि यह भारतीय स्थापत्य कला और लोककथाओं का भी एक महत्वपूर्ण हिस्सा है. यह मंदिर आज भी श्रद्धालुओं और पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करता है. मंदिर की रहस्यमयी कथा और अद्भुत निर्माण इसे भारत के सबसे रहस्यमय मंदिरों में से एक बनाते हैं.
क्या कलावा पहनने की भी होती है सीमा? जानिए ज्यादा समय तक पहनने के नुकसान, क्यों समय पर उतारना होता है जरूरी?
10 May, 2025 06:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
हिन्दू धर्म में कलावा यानी रक्षा सूत्र का खास महत्व है. पूजा पाठ के बाद जब पंडित हमारे हाथ में यह रंग बिरंगा धागा बांधते हैं, तो हम इसे शुभ मानकर लंबे समय तक हाथ में बांधे रखते हैं. लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि इस धागे को कब तक पहनना चाहिए? क्या इसे महीनों तक हाथ में रखना सही है? अगर नहीं, तो क्यों? दरअसल, कलावा सिर्फ एक धागा नहीं होता. इसमें बहुत सारी ऊर्जा जुड़ी होती है. इसे बांधते समय मंत्र पढ़े जाते हैं और आस्था के साथ इसे हाथ में बांधा जाता है. यही वजह है कि इसे सही तरीके से पहनना और सही समय पर उतारना बहुत ज़रूरी माना गया है.
कलावा को क्यों माना जाता है खास
कलावा को भगवान विष्णु, शिव और ब्रह्मा से जोड़ा गया है. साथ ही इसमें मां लक्ष्मी, पार्वती और सरस्वती का भी वास माना जाता है. जब यह धागा हाथ में बांधा जाता है, तो माना जाता है कि यह व्यक्ति को बुरी नज़र से, बीमारी से और नकारात्मक सोच से बचाता है. लेकिन समय बीतने के साथ इस धागे का असर कम होने लगता है.
कब तक पहनना चाहिए कलावा?
ज्योतिष के जानकारों के अनुसार, कलावा को सिर्फ 21 दिन तक ही पहनना चाहिए. इसकी सबसे बड़ी वजह यह है कि 21 दिन के बाद अक्सर इसका रंग उड़ने लगता है या धागे टूटने लगते हैं. जब कलावा कमजोर हो जाए या उसका रंग उतर जाए, तो उसका असर भी खत्म होने लगता है. ऐसे में इसे पहनना अशुभ माना जाता है.
पुराना कलावा क्या कर दें?
अगर आप 21 दिन के बाद कलावा उतार रहे हैं, तो उसे कहीं भी न फेंकें. न ही उसे मंदिर में रखें या किसी पेड़ पर लटकाएं. माना जाता है कि पुराना कलावा नकारात्मक ऊर्जा से भर जाता है. इसलिए सबसे अच्छा तरीका है कि आप उसे मिट्टी में दबा दें. इससे उस धागे के साथ जुड़ी नकारात्मक ऊर्जा भी धरती में समा जाती है.
क्या होता है अगर पुराना कलावा न हटाएं?
अगर कोई व्यक्ति बहुत समय तक एक ही कलावा पहनता है, तो उसे इसका उल्टा असर देखने को मिल सकता है. शास्त्रों के अनुसार, ऐसा करने से ग्रहों का संतुलन बिगड़ सकता है और जीवन में रुकावटें आने लगती हैं. कई बार बिना वजह तनाव, बीमारी और घर में अशांति का कारण भी यही हो सकता है.
राशिफल: कैसा रहेगा आपका आज का दिन
10 May, 2025 12:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
मेष राशि :- सामाजिक कार्यों में प्रतिष्ठा, प्रभुत्व वृद्धि, कार्य कुशलता से संतोष होगा।
वृष राशि :- व्यर्थ थकावट, बेचैनी, मानसिक विभ्रम, धन का व्यय होगा, भ्रमणशीलता होगी।
मिथुन राशि :- विशेष कार्य स्थिगित रखें, सामाजिक कार्यों में प्रभुत्व वृद्धि होगी, कार्य करें।
कर्क राशि :- इष्ट मित्रों से सुख, समय ऐश्वर्य-विलास व उत्साह में बीतेगा तथा सुख होगा।
fिसंह राशि :- सामाजिक कार्यों में समय बीते, प्रतिष्ठा, समय पर सोचे कार्य पूर्ण होंगे, ध्यान दें।
कन्या राशि :- दूसरों के कार्यों में समय शांति नष्ट न करें, व्यावसायिक क्षमता में बाधा होगी।
तुला राशि :- अनायास विभ्रम, मानसिक बेचैनी, स्वभाव नरम-गरम रहेगा, हर्ष से कुशलता की संभावना।
वृश्चिक राशि :- धन लाभ, आशानुकूल सफलता का हर्ष, कुशलता से संतोष हो, तनाव व क्लेश से बचें।
धनु राशि :- तनाव व क्लेश, अशांति, मानसिक बेचैनी, उद्विघ्नता, कार्य-योजनाऐं बनी रहेंगी, व्यवसाय हो।
मकर राशि :- योजनाएँ फलीभूत हों, मित्रों से परेशानी, चिन्ता होगी, मानसिक विभ्रम हो सकता है।
कुंभ राशि :- इष्ट मित्र सुखवर्धक हों, व्यवसाय गति अनुकूल, चिन्ता कम होगी।
मीन राशि :- किसी अपने का कार्य बनाने से संतोष, दैनिक अनुकूलता बनी रहेगी, ध्यान दें।
घर से निकलने से पहले मीठा खाना शुभ या अंधविश्वास? जानिए इसके पीछे छिपे शुभ संकेत और ज्योतिषीय कारण
9 May, 2025 06:45 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
भारत में रोज़मर्रा की जिंदगी से जुड़ी कई परंपराएं हैं, जिनका सीधा संबंध हमारे विश्वास, भावनाओं और पुराने अनुभवों से होता है. इन्हीं में से एक है घर से बाहर जाते समय कुछ मीठा खाना. बहुत से लोग मानते हैं कि इससे दिन अच्छा जाता है और काम में सफलता मिलती है. लेकिन कुछ लोगों को यह उलझन भी होती है कि क्या यह सिर्फ एक रिवाज है या इसके पीछे कोई ठोस वजह भी है. चलिए जानते हैं
मीठा खाना क्यों माना जाता है शुभ?
जब भी किसी ज़रूरी काम पर निकलना हो, तो घर के बड़े बुज़ुर्ग अक्सर कहते हैं ‘थोड़ा सा दही शक्कर खा लो’ या ‘कुछ मीठा खाकर जाओ.’ इसके पीछे यह मान्यता है कि मीठे स्वाद से मन खुश होता है और सोच में ताज़गी आती है. मीठा खाने से जुबान पर मिठास आती है, जिससे बातचीत में नरमी बनी रहती है और मन शांत रहता है.
यही नहीं, जब कोई इंसान अच्छे मूड में होता है, तो वह ज्यादा आत्मविश्वास से भरा होता है और किसी भी काम को अच्छी तरह कर पाता है. यही वजह है कि घर से निकलते समय मीठा खाना एक तरह से अच्छा संकेत माना जाता है.
क्या अकेले मीठा खाना काफी है?
कुछ मान्यताओं के अनुसार, सिर्फ मीठा खाना ही नहीं, उसके साथ पानी पीना भी ज़रूरी होता है. कहा जाता है कि यह मिलकर शुभ फल देते हैं. पानी शरीर को ठंडक देता है और मन को संतुलन में रखता है. जब आप बाहर गर्मी या तनाव में निकलते हैं, तो पानी शरीर को तरोताज़ा रखता है और मन को शांत करता है. इसलिए कहा जाता है कि मीठे के साथ थोड़ा पानी पी लेना और भी बेहतर होता है.
ज्योतिष में क्या है इसका मतलब?
ज्योतिष की भाषा में देखें तो मीठा और जल दोनों ही कुछ खास ग्रहों से जुड़े होते हैं. जैसे चंद्रमा मन और शांति से जुड़ा होता है, वहीं बृहस्पति मिठास और शुभता का प्रतीक होता है. शुक्र को भी सुंदरता और स्वाद का ग्रह माना गया है.
ऐसा कहा जाता है कि जब इंसान कुछ मीठा खाता है, तो वह बृहस्पति और शुक्र दोनों को मजबूत करता है. वहीं पानी पीने से चंद्रमा शांत होता है और राहु जैसे ग्रहों का असर कम होता है. कई बार यह भी कहा जाता है कि मीठा और जल दोनों मिलकर मानसिक संतुलन और सकारात्मक सोच को बढ़ाते हैं.
जयपुर के आराध्य गोविंददेव जी करेंगे नौका विहार, गर्भगृह में प्रवाहित की जाएगी सुगंधित जल धारा, लगाए जाएंगे भोग
9 May, 2025 06:30 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
जयपुर. राजधानी जयपुर के आराध्य गोविंददेवजी ज्येष्ठ माह की शुरुआत के साथ ही जल विहार करेंगे. इस दिन से मंदिरों में जलविहार की झांकियां सजना भी शुरू हो जाएगी. गोविंददेवजी मंदिर और गोपीनाथजी मंदिर सहित अन्य मंदिरों में ठाकुरजी के जेष्ठाभिषेक शुरू होगा. मंदिर महंत अंजन कुमार गोस्वामी ने बताया कि गोविंददेवजी मंदिर में 12 मई को जलयात्रा उत्सव के साथ जलविहार की झांकियों की शुरुआत होगी. ठाकुरजी दोपहर 12.30 से 12:45 बजे तक 15 मिनट जलविहार करेंगे. मंदिर में 11 जून को ज्येष्ठाभिषेक तक जलयात्रा उत्सव मनाया जाएगा.
12 मई से 11 जून तक जलयात्रा उत्सव होगा
मंदिर महंत ने बताया कि गोविंददेवजी मंदिर में 12 मई से 11 जून तक जलयात्रा उत्सव मनाया जाएगा. दोपहर 12:30 से 12:45 बजे तक मंदिर के गर्भगृह में सुगंधित जल की धारा प्रवाहित करता चांदी का फव्वारा चलेगा. इस दौरान ठाकुरजी सफेद धोती और दुपट्टा धारण किए हुए रहेंगे. जल विहार झांकी 15 मिनट के लिए खुली रहेगी. झांकी के बाद ठाकुरजी को पांच प्रहार के फलों और हलवे-पूड़ी का भोग लगेगा. इसके अलावा मंदिर में 12 मई के बाद 18 मई, 12 मई, 23 मई अपरा एकादशी पर, 26 मई, 27 मई, 28 मई व 31 मई और 5 जून, 7 जून निर्जला एकादशी, 10 जून और 11 जून को जल विहार झांकियां सजाई जाएगी. इनमें निर्जला एकादशी पर 7 जून और 11 जून को जेष्ठाभिषेक दोपहर 12:30 बजे से 1:00 तक जबकि बाकी दिन दोपहर 12.30 से 12:45 तक जलविहार की झांकी सजेगी.
एक माह में 12 दिन करेंगे नौका विहार
गोविंददेवजी मंदिर महंत अंजन कुमार गोस्वामी ने बताया कि जयपुर के आराध्य देव गोविंददेव जीएक माह में 12 दिन ठाकुरजी नौका विहार करेंगे. यह दिन मंदिर में पर्व की तरह ही मनाया जाएगा. आपको बता दें कि गोविंद देव जी मंदिर में विशेष आयोजनों पर भक्तों की बाहरी भीड़ रहती है. ऐसे में अनुमान है कि ठाकुर जी के नौका विहार उत्सव में भी बड़ी संख्या में श्रद्धालु शामिल होंगे.