मध्य प्रदेश
रीजनल इंडस्ट्री कॉनक्लेव से विंध्य क्षेत्र के सर्वांगीण विकास के खुले हैं द्वार: उप मुख्यमंत्री शुक्ल
18 Apr, 2025 11:45 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
भोपाल : उप मुख्यमंत्री राजेन्द्र शुक्ल ने कहा कि हाल ही में आयोजित रीजनल इंडस्ट्री कॉनक्लेव, रीवा के माध्यम से विंध्य क्षेत्र में निवेश के अपार अवसर खुले हैं। जो विंध्य के सर्वांगीण विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभायेंगे। पतंजलि समूह जैसे प्रतिष्ठित संस्थानों की भागीदारी से इस क्षेत्र में औद्योगिक क्रांति की मजबूत आधारशिला रखी जा सकती है। उप मुख्यमंत्री शुक्ल से अमहिया, रीवा स्थित निज निवास पर पतंजलि योगपीठ के संस्थापक सचिव आचार्य बालकृष्ण ने सौजन्य भेंट की।
इस अवसर पर पतंजलि संस्थान द्वारा विंध्य क्षेत्र में किए जा रहे निवेश एवं संभावित औद्योगिक परियोजनाओं को लेकर विस्तृत चर्चा हुई। क्षेत्रीय विकास, स्थानीय संसाधनों के समुचित उपयोग तथा युवाओं को रोजगार से जोड़ने के विषयों पर गहन विचार-विमर्श किया गया। क्षेत्र की औद्योगिक क्षमता, प्राकृतिक संसाधनों और जनभागीदारी के माध्यम से आत्मनिर्भर विंध्य के निर्माण की दिशा में सार्थक चर्चा हुई।
ग्रामीण क्षेत्रों में विशेषज्ञ परामर्श के लिए टेली-मेडिसिन सेवा वरदान: उप मुख्यमंत्री शुक्ल
18 Apr, 2025 11:30 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
भोपाल : उप मुख्यमंत्री राजेन्द्र शुक्ल ने कहा है कि सरकार प्रदेश के हर क्षेत्र में उन्नत एवं गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवाओं के प्रदाय के लिये प्रतिबद्ध है। उन्होंने कहा कि टेली-मेडिसिन सेवा दूरस्थ ग्रामीण क्षेत्रों में विशेषज्ञ सेवाओं के प्रदाय का सशक्त माध्यम है। उप मुख्यमंत्री शुक्ल ने श्यामशाह चिकित्सा महाविद्यालय रीवा में टेली-मेडिसिन सेवा का शुभारंभ किया। इस सेवा से रीवा और सीधी जिलों के प्राथमिक एवं सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों के चिकित्सकों को वरिष्ठ विशेषज्ञों का परामर्श प्राप्त होगा।
इस सेवा के तहत अब संजय गांधी अस्पताल, रीवा के मेडिसिन, शिशु रोग (पेडियाट्रिक्स) तथा स्त्री रोग (गायनी) विभाग के वरिष्ठ विशेषज्ञ चिकित्सक, दूरस्थ क्षेत्रों में कार्यरत डॉक्टरों को फोन या अन्य संचार माध्यमों से जरूरी परामर्श देंगे। इससे उन मरीजों को तुरंत लाभ मिलेगा जिन्हें विशेषज्ञ सलाह की आवश्यकता होती है। अब ग्रामीण क्षेत्र के नागरिकों को विशेषज्ञ सेवाओं के लिए ज़िला मुख्यालय आने की आवश्यकता विशेष परिस्थितियों में ही पड़ेगी।
उप मुख्यमंत्री शुक्ल ने कहा कि यह सेवा न सिर्फ मरीजों की यात्रा की आवश्यकता को कम करेगी, बल्कि समय, धन और संसाधनों की भी बचत करेगी। साथ ही, इससे प्राथमिक स्तर पर कार्यरत चिकित्सकों को विशेषज्ञों की मदद से त्वरित एवं सटीक निर्णय लेने में सुविधा होगी। इससे मातृ-शिशु स्वास्थ्य, गंभीर बीमारियों की प्रारंभिक पहचान व इलाज की गुणवत्ता में सुधार होगा।
उप मुख्यमंत्री शुक्ल ने कहा कि टेली-मेडीसिन सेवा का प्रभावी उपयोग "सशक्त व स्वस्थ मध्यप्रदेश" के विजन को धरातल पर उतारने में सहयोगी होगा। उप मुख्यमंत्री शुक्ल ने टेली-मेडिसिन कक्ष की व्यस्थाओं का अवलोकन किया एवं विधिवत संचालन के निर्देश दिये। उन्होंने कहा कि वे अगले सप्ताह प्रदान की जा रही सेवाओं की गुणवत्ता की समीक्षा करेंगे। डीन मेडिकल कॉलेज रीवा डॉ. सुनील अग्रवाल सहित अन्य चिकित्सक उपस्थित थे।
विकास कार्यों में लापरवाही नहीं चलेगी, अधिकारियों को समय पर करना होगा पूरा काम
18 Apr, 2025 11:15 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
भोपाल : पिछड़ा वर्ग एवं अल्पसंख्यक कल्याण राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) कृष्णा गौर ने कहा कि विकास कार्यों में लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी। अधिकारियों को समय पर काम करना होगा। मंत्री गौर ने अधिकारियों द्वारा लंबे समय तक फाइल अटकाने पर नाराजगी व्यक्त की। राज्य मंत्री गौर ने शुक्रवार को वार्ड-61 का औचक निरीक्षण कर रहवासियों की समस्याएं सुनीं और मौके पर ही उनका निराकरण किया।
राज्य मंत्री गौर ने भ्रमण के दौरान कहा कि नागरिक सुविधाओं के स्थायी समाधान के लिए हम संकल्पित हैं। हमारा निरंतर प्रयास है कि क्षेत्र में मूलभूत सुविधाओं की कोई कमी नहीं रहे, इसके लिए आवश्यक कार्य किए जा रहे हैं। मंत्री गौर को गोविंदपुरा स्थानीय रहवासियों ने पेयजल से जुड़ी कुछ परेशानियाँ बताईं। उन्होंने पानी का प्रेशर कम होना और निर्धारित समय से कम अवधि तक पानी मिलने की शिकायत की। मंत्री गौर ने अधिकारियों को पाइपलाइन का प्रेशर ठीक करने, पानी लाइन नेटवर्क को दुरुस्त करने और जल आपूर्ति की समय सीमा बढ़ाने के निर्देश दिए।
राज्य मंत्री गौर को लवकुश नगर, समृद्धि परिसर खजूरीकलां के रहवासियों ने बताया कि यहां मौजूद 40 फीट रोड पर बारिश में पानी भर जाता है। रहवासियों ने नाली पर से अतिक्रमण हटा कर सफाई की मांग की। राज्यमंत्री गौर ने अधिकारियों से पानी निकासी की व्यवस्था करने और मंदिर में पेवर ब्लॉक लगाने के निर्देश दिए। रचना विहार एवं अवंतिका विहार में कॉलोनी की प्रस्तावित सड़क एवं पार्क सौंदर्यीकरण कार्यों को शीघ्र व गुणवत्तापूर्ण कराने के अधिकारियों को निर्देश दिए। मंदिर सौंदर्यीकरण कार्य के लिये विधायक निधि से 5 लाख रूपये की सहयोग राशि प्रदान की गई है, ताकि धार्मिक व सांस्कृतिक स्थलों का स्वरूप और अधिक आकर्षक बन सके। तुलसी परिसर में मार्ग चौड़ीकरण, नाला सफाई, सीवेज के खुले में बहने तथा मंदिर सौंदर्यीकरण कार्यों के संबंध में निर्देश दिए गए हैं।
राज्यमंत्री गौर ने अमृतपुरी खजूरीकलां क्षेत्र के अमृतेश्वर महादेव मंदिर के समीप भ्रमण के दौरान रहवासियों से स्थानीय समस्याओं की जानकारी ली। पार्क के सौंदर्यीकरण व बाउंड्रीवाल की मांग को प्राथमिकता पर लेते हुए संबंधित अधिकारियों को शीघ्र निराकरण के निर्देश दिए। त्र्यंबकेश्वर मंदिर टैगोर नगर में रहवासियों ने खाली पड़ी जमीन को पार्क में विकसित करने की मांग की और सीवेज की समस्या से भी अवगत कराया। राज्यमंत्री गौर ने मांग को प्राथमिकता पर लेते हुए संबंधित अधिकारियों को शीघ्र 100 मीटर की खराब हुई सीवेज लाइन को दुरुस्त करने के निर्देश दिए। राधाकुंज कॉलोनी में रहवासियों ने पुलिया के निर्माण, ट्रांसफार्मर खराब होने, नर्मदा जल नहीं मिलने की समस्या बताई। श्रीराम साईं परिसर के रहवासियों ने बारिश के पानी की निकासी नहीं होने, सीवेज लाइन के नेटवर्क को दुरुस्त करने और स्ट्रीट लाइट की व्यवस्था की मांग की।
पार्षद मधु सबनानी, रुपेश कुमार पाटि, अंकित मेश्राम, शिवलाल मकोरिया, राकेश मालवीय, अशोक गुप्ता, आनंद पाठक, हरि प्रसाद तिवारी, संजय सबनानी, नीलेश गौर सहित सैकड़ों की संख्या में रहवासी, कार्यकर्ता और विभिन्न विभागों के अधिकारी भ्रमण के दौरान उपस्थित थे।
नर्सिंग घोटाले में कड़ी कार्यवाही, 79 कर्मचारियों के खिलाफ जांच शुरू
18 Apr, 2025 11:00 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
भोपाल : मध्य प्रदेश के बहुचर्चित नर्सिंग घोटाले में चिकित्सा शिक्षा विभाग ने बड़ी कार्रवाई करते हुए आरोपपत्र जारी कर विभागीय जांच के निर्देश दिए हैं. कुल मिलाकर 70 कर्मचारियों के खिलाफ विभागीय जांच होगी. वहीं, भोपाल के गांधी मेडिकल कॉलेज (GMC) की नर्सिंग प्राचार्य राधिका नायर को पद से हटाया गया है. इस मामले में NSUI ने आरोप लगाया "सरकार कुछ चुनिंदा लोगों को बचने का प्रयास कर रही है. नर्सिंग प्रिंसिपल को केवल पद से हटाया गया है, इन्हें सस्पेंड क्यों नहीं किया गया."
NSUI ने चिकित्सा शिक्षा आयुक्त की भूमिका पर उठाए सवाल
NSUI के प्रदेश उपाध्यक्ष रवि परमार का कहना है "वर्तमान चिकित्सा शिक्षा आयुक्त तरूण राठी की भूमिका संदिग्ध है. घोटाले के कई आरोपी अधिकारियों और कर्मचारियों को बचाने का प्रयास किया जा रहा है. एक वर्ष पूर्व तत्कालीन चिकित्सा शिक्षा आयुक्त ने लगभग 110 नर्सिंग स्टाफ और डॉक्टरों को कारण बताओ नोटिस जारी किए थे, लेकिन वर्तमान आयुक्त द्वारा केवल 70 के लगभग लोगों के विरुद्ध ही आरोप पत्र जारी किए गए हैं. यह कहीं न कहीं दोषियों को बचाने का प्रयास है."
इन डॉक्टर्स के खिलाफ जारी हुए थे नोटिस
NSUI ने प्रदेशभर में व्यापक आंदोलन करने की चेतावनी दी है. अगर सभी 110 संदिग्ध नर्सिंग स्टाफ और डॉक्टरों के विरुद्ध कार्रवाई नहीं की गई तो सड़कों पर उतरेंगे. रवि परमार का कहना है "नर्सिंग घोटाले में जिनको नोटिस जारी हुए थे, उनमें जीएमसी के पूर्व प्राचार्य रोसी शाहुल समेत प्रोफेसर में डॉ. जितेंद्र महावर, डॉ. हरिसिंह मकवाना, डॉ. संदीप कुमार मर्सकोले, डॉ. वीरेंद्र धुर्वे. नर्सिंग स्टाफ में रजनी नायर, प्रियदर्शनी डेहरिया, दीपिका कुंभारे, राजश्री मालवीय शामिल हैं, लेकिन इन पर अभी तक कोई कार्रवाई क्यों नहीं की गई. गांधी मेडिकल कॉलेज की नर्सिंग प्राचार्य राधिका नायर पर अनियमितताओं के आरोप हैं, उन्हें तत्काल निलंबित किया जाना चाहिए."
नर्सिंग घोटाला मामले की हाई कोर्ट में लगातार सुनवाई
गौरतलब है कि मध्य प्रदेश में नर्सिंग घोटाले की जबलपुर हाई कोर्ट में सुनवाई जारी है. दरअसल, नर्सिंग कॉलेजों को मनमाने तरीके से मान्यता देने का मामला गर्माने के बाद इसकी जांच सीबीआई ने की. इसके बाद कई कॉलेज अपात्र पाए गए. इस दौरान नर्सिंग के हजारों स्टूडेंट्स का भविष्य चौपट हो गया. सीबीआई ने जांच करके इसकी रिपोर्ट हाई कोर्ट में पेश की थी.
हाई कोर्ट में दायर याचिका में क्या है
इस मामले में लॉ स्टूडेंट्स एसोसिएशन के अध्यक्ष विशाल बघेल की तरफ से हाई कोर्ट में याचिका दायर की गई थी. इसमें कहा गया था "मध्यप्रदेश में नियम विरुद्ध नर्सिंग कॉलेज संचालित हो रहे हैं. नियमों को ताक पर रखकर कॉलेजों को मान्यता प्रदान की गयी है. तत्कालीन अधिकारियों द्वारा मान्यता नियम 2018 में 3 बार संशोधन किए गए. अपात्र कॉलेजों को निरंतर लाभ पहुंचाया गया." बता दें कि साल 2018 से 2022 तक कई नर्सिंग कॉलेजों को नियमों को दरकिनार कर मान्यता दी गई है.
हिनौती गौधाम में सभी आवश्यक व्यवस्थायें सुनिश्चित करायें : उप मुख्यमंत्री शुक्ल
18 Apr, 2025 10:45 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
भोपाल : उप मुख्यमंत्री राजेन्द्र शुक्ल ने कहा कि हिनौती गौधाम में गौवंशों के लिए शेड की व्यवस्था सहित चारा व पानी सुविधा सुनिश्चित करायें। गौधाम में पानी की कमी न होने पाये इस पर विशेष ध्यान दें। सर्किट हाउस राजनिवास में हिनौती गौधाम के संबंध में बैठक में उप मुख्यमंत्री शुक्ल ने अधोसंरचना विकास के कार्यों सहित अन्य निर्माणाधीन कार्यों की विस्तार से जानकारी ली।
उप मुख्यमंत्री शुक्ल ने कहा कि हिनौती गौधाम में टैंकर के माध्यम से पानी पहुंचाने की व्यवस्था करायें तथा गौवंश के लिए पशु आहार की भी उपलब्धता सुनिश्चित करायें। उन्होंने कहा कि गौधाम में व्यवस्था के अनुरूप ही गौवंश संरक्षित रखे जाय। उन्होंने निर्माणाधीन कार्यों की धीमी प्रगति व व्यवस्थाओं में कमी होने पर नाराजगी व्यक्त की तथा एसडीएम को निर्देश दिये कि प्रतिदिवस हिनौती गौधाम जाकर व्यवस्थाओं की मानीटरिंग करें। बैठक में कलेक्टर प्रतिभा पाल, अध्यक्ष गंगेव जनपद विकास तिवारी, एसडीएम राजेश सिन्हा, समाजसेवी राजेश पाण्डेय, उप संचालक पशुपालन डॉ. राजेश मिश्रा सहित विभागीय अधिकारी उपस्थित रहे।
वन प्रबंधन में औपनिवेशिक सोच से मुक्त होना जरूरी : मुख्यमंत्री डॉ. यादव
18 Apr, 2025 10:30 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
भोपाल : मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा है कि वन, आजीविका से सम्बद्ध विषय है। जनजातीय क्षेत्र में अपार वन संपदा उपलब्ध है। इसके प्रबंधन में ध्यान रखना होगा कि विकास से जनजातीय वर्ग के हित प्रभावित न हो। भारतीय जीवन पद्धति वनों पर आधारित रही है। वनों के प्रबंधन में औपनिवेशिक सोच से मुक्त होने की आवश्यकता है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने विरासत से विकास और प्रकृति को जोड़ते हुए प्रगति और प्रकृति में सामंजस्य स्थापित कर आगे बढ़ने का मार्ग प्रशस्त किया है। पेसा एक्ट इसी दिशा में महत्वपूर्ण कदम है। उन्होंने कहा कि जीवन का आनंद समग्रता में है, और प्रकृति आधारित जीवन जीने से कई समस्याओं का समाधान स्वतः ही हो जाता है। मुख्यमंत्री डॉ. यादव जनजातीय क्षेत्रों में वन पुनर्स्थापना, जलवायु परिवर्तन और समुदाय आधारित आजीविका पर प्रशासन अकादमी में राष्ट्रीय कार्यशाला के उद्घाटन सत्र को संबोधित कर रहे थे। मुख्यमंत्री डॉ. यादव तथा केन्द्रीय वन, पर्यावरण और जलवायु परिवर्तन मंत्री भूपेंद्र यादव ने दीप प्रज्ज्वलित कर तथा भगवान बिरसा मुंडा और वीरांगना रानी दुर्गावती के चित्र पर पुष्पांजलि अर्पित कर कार्यशाला का शुभारंभ किया। प्रदेश के महिला बाल विकास मंत्री सुनिर्मला भूरिया, केन्द्रीय जनजातीय कार्य राज्य मंत्री दुर्गादास उईके भी उपस्थित थे।
मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने प्रदेश में वनों की स्थिति में सुधार और वन प्रबंधन में नवाचार के लिए के लिए वन विभाग को बधाई दी। उन्होंने कहा कि वन्य जीवों के संरक्षण से इको सिस्टम बेहतर हो रहा है। प्रधानमंत्री मोदी की पहल पर चीतों का पुनर्स्थापना हो पाया है। उन्होंने किंग कोबरा सहित रैप्टाइल्स की प्रजातियों के संरक्षण के लिए भी व्यवस्था विकसित करने की आवश्यकता जताते हुए कहा कि इससे सर्पदंश की घटनाओं में कमी आएगी। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि वन क्षेत्र में विद्यमान जनजातीय समुदाय के पूजा और आस्था स्थलों के संरक्षण के लिए उचित व्यवस्था की जाएगी। आवश्यकता होने पर केंद्र शासन से भी सहयोग प्राप्त किया जाएगा।
मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि मध्य प्रदेश वन की दृष्टि से बहुत संपन्न है। प्रदेश में यद्यपि कोई ग्लेशियर नहीं है, किन्तु प्राकृतिक रूप से वनों से निकलने वाली जल राशि से ही प्रदेश से निकलने वाली बड़ी नदियां आकार लेती हैं। मध्यप्रदेश से निकली सोन, केन, बेतवा, नर्मदा नदियां देश के कई राज्यों में जल से जीवन पहुंचा रही हैं। बिहार, गुजरात और उत्तर प्रदेश की प्रगति में प्रदेश के वनों से निकले इस जल का महत्वपूर्ण योगदान है। इस दृष्टि से मध्यप्रदेश के वन, पूरे देश के वन हैं। इन नदियों के संरक्षण और उनके निर्मल अविरल प्रवाह को बनाए रखने के लिए मध्यप्रदेश के वनों का संरक्षण और संवर्धन महत्वपूर्ण है।
मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि नर्मदा समग्र के माध्यम से नर्मदा नदी के संरक्षण के लिए कार्य किया जा रहा है। अन्य नदियों पर भी कार्य किया जाएगा। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने केन-बेतवा नदी जोड़ो परियोजना तथा पार्वती-कालीसिंध-चंबल (पीकेसी) लिंक परियोजना के लिए प्रधानमंत्री मोदी का आभार माना। उन्होंने कहा कि इन परियोजनाओं से प्रदेश के बड़े क्षेत्र में पेयजल की उपलब्धता और सिंचाई सुविधा सुनिश्चित होगी।
मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने जल जीवों के संरक्षण पर कार्य करने की आवश्यकता बताई। उन्होंने कहा कि मध्यप्रदेश ने वन्य प्राणियों के संरक्षण में विशेष पहचान बनाई है। उन्होंने प्रवासी पक्षियों पर केंद्रित अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठी आयोजित करने की आवश्यकता बताई। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने वन संरक्षण के साथ-साथ आजीविका को सरल और सुलभ बनाने के लिए आयोजित कार्यशाला की सफलता की कामना करते हुए कहा कि जनजातीय क्षेत्रों की सामाजिक-आर्थिक प्रगति के साथ-साथ वन-पर्यावरण के संरक्षण में भी यह कार्यशाला उपयोगी सिद्ध होगी।
केन्द्रीय पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री यादव ने कहा कि हमें प्रकृति के संरक्षण के लिए समुदाय आधारित योजनाएं तैयार करने की जरूरत है। केन्द्रीय मंत्री यादव ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी प्रकृति के संरक्षण के लिए एनवायरमेंट फ्रेंडली लाइफ पर ध्यान देने के लिए जनता को निरंतर प्रेरित कर रहे हैं। पृथ्वी पर निवासरत प्रत्येक व्यक्ति को ऊर्जा, अन्न और जल को सुरक्षित रखना होगा। पर्यावरण संरक्षण में सॉलिड वेस्ट और ई-वेस्ट मैनेजमेंट बड़ी चुनौती हैं। प्लास्टिक के उपयोग को कम करना और स्वस्थ जीवन शैली अपनाना आवश्यक है।
केन्द्रीय मंत्री यादव ने कहा कि विकास की इस धारा में वन और प्रकृति के संरक्षण को साथ लेकर चलना होगा। केंद्र सरकार ने कैपेसिटी बिल्डिंग के माध्यम से वनों में रहने वाले लोगों के जीवन में परिवर्तन के लिए कार्य किया है। वन और यहां रहने वाले लोगों के विकास और संरक्षण के लिए समग्र चिंतन की आवश्यकता है। प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में पर्यावरण संरक्षण के लिए कार्य हो रहे हैं। एक पेड़ मां के नाम हमारा बड़ा अभियान बन चुका है। नवकरणीय ऊर्जा को बढ़ावा देते हुए सोलर एनर्जी अलायंस बनाया गया है। प्राकृतिक आपदा से निपटने के लिए भी अलायंस की स्थापना की गई है। प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में अंतर्राष्ट्रीय बायोफ्यूल अलायंस बनाया गया है। भारत आज दुनिया के विकासशील देशों में ग्लोबल साऊथ का नेतृत्व कर रहा है। हमें वोकल फॉर लोकल तो होना है, साथ में भारत को जनजातीय वर्ग और पर्यावरण के संरक्षण में वैश्विक नेतृत्वकर्ता भी बनना है।
केन्द्रीय जनजातीय कार्य राज्य मंत्री दुर्गादास उइके ने कहा कि जनजातीय समाज और वनों का संबंध अभिन्न है। मिश्रित वनों के शरण के कारण जनजातीय समुदाय वन क्षेत्र से पलायन के लिए विवश हो रहा है। इसी का परिणाम है कि वन प्रबंधन और जनजातीय समुदाय के आजीविका के संसाधनों पर विचार-विमर्श की आवश्यकता उत्पन्न हो रही है। भारत में अरण्यक संस्कृति में ही वेद पुराण आदि का लेखन संपन्न हुआ। भारतीय ज्ञान परंपरा और वन्य व जनजातीय समाज एक दूसरे पर आश्रित हैं। इनका समग्रता में महत्व स्वीकारते हुए भविष्य की नीतियां निर्धारित करना आवश्यक है।
मुख्य वक्ता, विचारक तथा चिंतक गिरीश कुबेर ने कहा कि वन और वनवासियों के परस्पर हित एक दूसरे में निहित हैं। जनजातीय समाज की अजीविका का विषय वर्तमान परिदृश्य में बहुत संवेदनशील है। भारतीय ज्ञान परंपरा, वाचिक स्रोतों और पीढ़ी दर पीढ़ी चले आ रहे ज्ञान को महत्व देना आवश्यक है। प्रधानमंत्री मोदी द्वारा जय अनुसंधान को दी जा रही प्राथमिकता के अनुरूप जनजातीय समुदायों की वनों को लेकर जानकारी पर अध्ययन के लिए विशेष पहल होना चाहिए। वन संसाधनों के समान वितरण की परंपरागत प्रक्रिया को महत्व देने, नैसर्गिक गांव को ग्राम सभा के रूप में मान्य करने, जनजातीय समुदाय के वन अधिकारों की मान्यता को भी उन्होंने आवश्यक बताया।
जनजातीय कार्य मंत्री डॉ. कुंवर विजय शाह ने कहा कि जनजातीय क्षेत्रों में समुदाय आधारित वन पुनर्स्थापना, जलवायु अनुकूल आजीविका पर चर्चा आज की महती आवश्यकता है। इससे भविष्य में जनजातीय क्षेत्रों में सुरक्षित आजीविका की गारंटी मिलेगी। उन्होंने कहा कि देश से आये विषय विशेषज्ञों के अनुभवों एवं विचारों से प्राप्त होने वाले निष्कर्ष जनजातीय क्षेत्रों के निवासियों के सुरक्षित भविष्य का मार्ग प्रशस्त करेगा।
प्रमुख सचिव जनजातीय कार्य, गुलशन बामरा ने बताया कि कार्यशाला में वन संरक्षण की वर्तमान कानूनी व्यवस्थाएं, उनकी सीमाएं और समाधान, जैव विविधता संशोधन अधिनियम-2023, सामुदायिक वन अधिकार, पारंपरिक ज्ञान का दस्तावेजीकरण और वन पुनर्स्थापन जैसे मुद्दों पर विस्तृत चर्चा होगी।
मुख्यमंत्री डॉ. यादव से केन्द्रीय वन मंत्री भूपेंद्र यादव ने की सौजन्य भेंट
18 Apr, 2025 10:15 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
भोपाल : मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव से शुक्रवार को मुख्यमंत्री निवास स्थित समत्व भवन में केन्द्रीय पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री भूपेंद्र यादव ने सौजन्य भेंट की। उन्होंने प्रदेश में पर्यावरण एवं वन विकास गतिविधियों के संबंध में विस्तार से चर्चा की। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने केन्द्रीय वन मंत्री यादव का अंगवस्त्रम एवं पुष्प-गुच्छ भेंट कर स्वागत किया। साथ ही राजा भोज की कांस्य प्रतिमा स्मृति चिन्ह के रूप में भेंट की गई।
बाघ, तेंदुआ के बाद सांपों की गिनती, सीएम ने उठाई गंभीर चिंता
18 Apr, 2025 10:00 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
भोपाल: किंग कोबरा लाए जाने के बाद अब मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने वन विभाग के अधिकारियों से सांपों की गिनती भी कराए जाने के लिए कहा है. मुख्यमंत्री ने कहा कि "मैं इसके लिए पहले भी तीन-चार बार कह चुका हूं. मुख्यमंत्री ने मंच से ही वन विभाग के अपर मुख्य सचिव से इसके प्रावधान के बारे में सवाल किया. मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव भोपाल के प्रशासन अकादमी में शुरू हुए दो दिवसीय वन संरक्षण व जलवायु समर्थ आजीविका विषय पर आयोजित राष्ट्रीय कार्यशाला के शुभारंभ कार्यक्रम में पहुंचे थे. कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि केन्द्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्री भूपेन्द्र यादव भी मौजूद थे.
सांपों की गिनती क्यों नहीं
मुख्यमंत्री ने प्रदेश में सापों की गिनती को लेकर कहा कि "रेप्टाइल में सांपों की गिनती नहीं होती. फॉरेस्ट का यह हिसाब समझ ही नहीं आता. प्राणी तो वह भी हैं. इसकी वजह से किंग कोबरा धीरे-धीरे गायब हो गया. जिस तरह जंगल में टाइगर की कमी की वजह से ईको सिस्टम बिगड़ता है, इसी तरह किंग कोबरा की वजह से वनों का ईको सिस्टम बिगड़ा है. सीएम ने कहा कि सर्प की गिनती भी कराई जानी चाहिए.
कार्यक्रम में मंच के सामने बैठे एसीएस अशोक वर्णवाल से मुख्यमंत्री ने पूछा कि क्या सांपों की गिनती का एक्ट में प्रावधान नहीं है. मंच पर बैठे केन्द्रीय मंत्री भूपेंद्र यादव ने कहा कि "एक्ट में इसका प्रावधान है. इसके बाद मुख्यमंत्री ने कहा कि फिर तो इसकी गिनती कराई जानी चाहिए. मैं पहले भी तीन-चार बार कह चुका हूं. समझ नहीं आता कि एक्ट में इसका प्रावधान क्यों नहीं है, कि जानवर ही जंगल में नहीं हैं. इसके नुकसान वनांचल इलाकों में दिखाई देता है. महाकौशल इलाके में बड़ी संख्या में सर्पदंश की वजह से लोगों की मौत हो रही है. जहरीले सांपों की संख्या बढ़ी है, इसलिए किंग कोबरा की बात आई.
सीएम बोले अंग्रेजों के आदेशों की लाश क्यों ढो रहे
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री मोहन यादव ने कहा कि "वनों में पेड़ लगना चाहिए, लेकिन सागौन के ही लगने चाहिए, यह समझ नहीं आता. जंगल में पेड़ लग रहे हैं या फिर फसल पैदा हो रही है. जंगल तो वही है. जिसमें सभी तरह के पेड़ पौधे होने चाहिए. हम अंग्रेजों की उस भावना को नहीं समझ पाए कि वह इससे फायदा कमा कर चले गए. अंग्रेज तो चले गए, लेकिन हम उनकी लाश ढो रहे हैं. हम उस रास्ते पर जा रहे हैं, जिससे हमें बाहर आना चाहिए था."
अधिकारियों ने वन को लेकर एक नया शब्द निकाला है बिगड़े वनों का. मध्य प्रदेश के अधिकारियों ने दो साल में बिगड़े वनों में सुधार किया है, लेकिन यह बिगड़े वन समझ ही नहीं आता. उजड़े वन तो समझ आते हैं, लेकिन बिगड़े वन नहीं. प्रदेश के वनों में सुधार किया गया है. वनों को लेकर कई तरह के प्रयोग किए जा रहे हैं. मुख्यमंत्री ने वन क्षेत्रों में जनजातियों के पूजा स्थलों को लेकर कहा कि वन क्षेत्र में पूजा-पाठ के कई स्थान हैं. यह भावना-आस्था से जुड़े विषय होते हैं. आस्था पर चोट कर हम किसको बचाएंगे. पूजा स्थल के नाम पर वहां कोई महल तो बनाए नहीं जाते. इसके लिए नियम बदलने की जरूरत हुई तो यहां केन्द्र के मंत्री भी बैठे हैं और हम भी हैं.
मध्य प्रदेश को गुजरात से मिले पानी की राशि
मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश में प्राकृतिक वन संपदा की वजह से ही प्रदेश से निकलने वाली बड़ी-बड़ी नदियों का पानी दूसरे राज्यों तक जाता है. गुजरात की प्रगति हो रही है, केन-बेतवा के माध्यम से उत्तर प्रदेश और केन का पानी बिहार में जा रहा है. इसलिए जल राशि ली जा रही है, तो मध्य प्रदेश का उसका हिस्सा मिलना चाहिए. जंगल इन नदियों को बचाने के लिए है, इसलिए मध्य प्रदेश सरकार ने अपने स्तर पर नर्मदा समग्र का काम किया है, लेकिन एक बड़े समग्र रूप से इस पर जल राशि को लेकर विचार होना चाहिए.
मुख्यमंत्री डॉ. यादव से थल सेना प्रमुख जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने की सौजन्य भेंट
18 Apr, 2025 09:45 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
भोपाल : मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव से थल सेना प्रमुख जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने समत्व भवन (मुख्यमंत्री निवास) में सौजन्य भेंट की। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने पुष्प-गुच्छ, अंग वस्त्रम और राजा भोज की प्रतिमा भेंट कर थल सेना प्रमुख द्विवेदी का स्वागत किया। मुख्यमंत्री डॉ. यादव को जनरल द्विवेदी ने मणिपुरी शैली में निर्मित राधा कृष्ण की प्रतिकृति भेंट की। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने भेंट में प्रदेश में जारी विकास गतिविधियों, उद्योगों के विस्तार तथा युवाओं में कौशल उन्नयन के लिए चलाए जा रहे अभियान की जानकारी दी। इस अवसर पर प्रदेश में विद्यमान सैन्य इकाईयों के प्रबंधन संबंधी विषयों पर भी चर्चा हुई। इस अवसर पर लेफ्टिनेंट जनरल पी.पी. सिंह तथा मेजर जनरल सुमित उपस्थित थे।
प्रदीप मिश्रा करेंगे बंगाल में शिव महापुराण का आयोजन, ममता बनर्जी होंगी मेज़बान
18 Apr, 2025 09:30 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
सीहोर : आजकल पंडित प्रदीप मिश्रा राजस्थान के रतनगढ़ में शिव महापुराण सुना रहे हैं. इस दौरान बड़ी संख्या में श्रद्धालु कथा सुनने आ रहे हैं. पंडित प्रदीप मिश्रा ने प्रवचन के दौरान पश्चिम बंगाल के मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को चेतावनी देते हुए कहा "सनातनियों पर हमले सहन नहीं किए जाएंगे. सनातन धर्म से बढ़कर कोई भी धर्म इस दुनिया में नहीं है. सनातन धर्म इतना नरम, इतना आनंदित और इतना प्रफुल्लित करने वाला है कि सारी दुनिया प्रभावित है."
राजा को रंक बनने में देर नहीं लगती
पंडित प्रदीप मिश्रा ने कहा "पं. बंगाल में रोजाना हिंसा हो रही है. मुख्यमंत्री मैडम बैठी-बैठी तमाशा देख रही हैं. पं.बंगाल में प्रतिदिन सनातनियों पर चोट पहुंचाई जा रही है. अब तो लगता है कि सीएम मैडम को सुधारने के लिए भी एक शिव महापुराण कथा बंगाल में करनी पड़ेगी." प्रदीप मिश्रा ने कहा "ममता बनर्जी का विवेक काम नहीं कर रहा है. राजा का काम पूरी प्रजा को एक समान देखना है. लेकिन जब राजा ही अंधों की तरह काम करने लगता है तो ऐसे राजा को रंक बनने में देरी नहीं लगती."
धीरेंद्र शास्त्री ने भी की थी ममता बनर्जी की आलोचना
बता दें कि पं. बंगाल के मुर्शिदाबाद में हिंसा की लगातार खबरें सामने आ रही हैं. इस मामले को लेकर पं.धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री भी ममता बनर्जी पर निशाना साध चुके हैं. रतलाम पहुंचे धीरेंद्र शास्त्री ने ममता बनर्जी को लेकर कहा था "सनातन धर्म के विरोध में पं. बंगाल में अभियान चल रहा है. इसे किसी कीमत पर सहन नहीं किया जा सकता है. सनातन धर्म के लोग भारत में नहीं रहेंगे तो कहां रहेंगे. ममता बनर्जी अपने राज्य में बांग्लादेशियों को शरण दे रही हैं और वहां पहले से रह रहे सनातनी लोगों पर अत्याचार करवा रही हैं."
गांधीसागर अभयारण्य की जलवायु चीतों के लिए अनुकूल, 20 अप्रैल को छोड़े जाएंगे चीते : मुख्यमंत्री डॉ. यादव
18 Apr, 2025 09:15 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
भोपाल : मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा है कि इको सिस्टम के प्रॉपर डेवलपमेंट के लिए मध्यप्रदेश में वृहद स्तर पर काम हो रहा है। वन्य पर्यटन हमारी अर्थव्यवस्था को गति देता है और अब यही हमारी समृद्धि का प्रवेश द्वार बन रहा है। हमारी सरकार कूनो राष्ट्रीय उद्यान को एक आदर्श वन्य प्राणी पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करेगी। प्रदेश में सिर्फ कूनो ही नहीं, अब मंदसौर जिले का गांधीसागर अभयारण्य भी चीतों से गुलजार होगा। उन्होंने कहा कि केन्द्र सरकार के सहयोग से आगामी 20 अप्रैल को गांधी सागर अभयारण्य में चीते छोड़े जाएंगे। कड़ी सुरक्षा में कूनो नेशनल पार्क से 2 चीते शिफ्ट कर गांधीसागर अभयारण्य में ले जाये जायेंगे। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि कूनो नेशनल पार्क में पर्यटन तेजी से बढ़े, इसके लिए मध्यप्रदेश सरकार ग्वालियर से कूनो के लिए डायरेक्ट रोड और एयर कनेक्टिविटी भी विकसित करने पर गंभीरता से विचार कर रही है।
मुख्यमंत्री डॉ. यादव शुक्रवार को समत्व भवन (मुख्यमंत्री निवास) में केंद्रीय पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री भूपेंद्र यादव के साथ मध्यप्रदेश में चीता प्रोजेक्ट के क्रियान्वयन संबंधी समीक्षा बैठक को संबोधित कर रहे थे।
भारत में जन्में चीता शावकों की सर्वाइवल रेट विश्व में है अधिकतम
मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने अधिकारियों द्वारा यह जानकारी दिए जाने पर हर्ष व्यक्त किया कि भारत (मध्यप्रदेश) में जन्में चीता शावकों की जीवन प्रत्याशा (सर्वाइवल रेट) पूरे विश्व में सर्वाधिक है। दूसरे देशों में चीता शावक जलवायु से अनुकूलन के अभाव में सर्वाइव नहीं कर पाते हैं। चीतों के लिए जरूरी जलवायु और वातावरण की दृष्टि से गांधीसागर अभयारण्य बेहद अनुकूल है, इसलिए सरकार यहां चीते छोड़कर इस अभयारण्य को भी चीतों से गुलजार करेगी।
कूनो जुड़ेगा रोड टू एयर कनेक्टिविटी से
मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि केन्द्र सरकार के साथ मिलकर सबके सहयोग से हम चीतों का पुनर्वास करेंगे। ग्वालियर से कूनो नेशनल पार्क तक पक्की बारहमासी रोड बनाई जाएगी। कूनो में टेंट सिटी तैयार कर यहां आने वाले पर्यटकों को जंगल में प्रकृति के पास समय बिताने का सुनहरा अवसर उपलब्ध कराया जाएगा। उन्होंने कहा कि केंद्रीय वन मंत्री यादव की मंशा के अनुरूप हम कूनो प्रक्षेत्र में इंटरनेशनल लेवल का एक पशु चिकित्सालय और रेस्क्यू सेंटर भी खोलेंगे। इसके लिए केंद्र सरकार से भी मदद लेंगे। पशु चिकित्सालय के संचालन से कूनों के चीतों के इलाज के साथ-साथ इस पूरे क्षेत्र में गौवंश के उपचार में भी मदद मिलेगी। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार प्रदेश के नेचर टूरिज्म सेक्टर में निहित असीम संभावनाओं को एक्सप्लोर करेगी। राज्य के अधिक से अधिक युवाओं और महिलाओं को वन्य पर्यटन से जोड़ेंगे। चीता मित्र और महिला स्व-सहायता समूह की महिलाओं को टूरिस्ट गाईड भी बनाएंगे, कूनो परिक्षेत्र में राज्य आजीविका विकास मिशन से दीदी कैफे संचालित किए जाएंगे, जिससे चीता मित्रों और महिलाओं को स्थानीय रोजगार के अधिकाधिक अवसर उपलब्ध कराए जा सकें।
सरकार किंग कोबरा और दुर्लभ प्रजाति के कछुओं का भी करेगी संरक्षण
मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि प्रदेश की धरती पर चीतों के पुनर्वास से एक सदी का इंतजार खत्म हुआ है। राज्य सरकार किंग कोबरा, घड़ियाल और दुर्लभ प्रजाति के कछुओं के संरक्षण के लिए भी प्रयासरत है। उन्होंने कहा कि सरकार किंग कोबरा संरक्षण के लिए योजनाबद्ध तरीके से कार्य कर रही है। प्रदेश के जंगलों में जहरीले सांपों की संख्या नियंत्रित करने के लिए किंग कोबरा को बसाना आवश्यक है। पहले चरण में 10 किंग कोबरा मध्यप्रदेश लाने पर विचार हो रहा है। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने वन अधिकारियों को चंबल नदी से घड़ियाल और कछुओं को प्रदेश की 4 बड़ी नदियों और जलाशयों में पुर्नवासित करने के निर्देश दिए।
चीता मित्रों को प्रशिक्षित करने के लिए आईआईएफएम की लें सेवाएं : केन्द्रीय मंत्री भूपेन्द्र यादव
केंद्रीय वन मंत्री भूपेंद्र यादव ने कहा कि मध्यप्रदेश के पर्यटन क्षेत्र में बड़ी क्षमताएं विद्यमान हैं। उन्होंने कूनो में चीतों के पुनर्वास और वन टूरिज्म को बढ़ावा देने के लिए मुख्यमंत्री डॉ. यादव के प्रयासों की प्रशंसा की। केंद्रीय मंत्री यादव ने वन्य प्राणियों के संरक्षण और पर्यटन को बढ़ाने के लिए महत्वपूर्ण सुझाव भी दिए। उन्होंने कहा कि मध्यप्रदेश में चल रहे वन्य प्राणियों की पुनर्वास परियोजनाओं की देखरेख के लिए वन, पर्यटन, पशु चिकित्सा, पंचायत एवं ग्रामीण विकास, जनजातीय कार्य एवं परिवहन विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों का एक टास्क फोर्स बनाया जाए। यह टास्क फोर्स नियमित रूप से सभी प्रोजेक्ट्स की निगरानी करें। उन्होंने कहा कि श्योपुर जिले के 80 गांवों के 400 चीता मित्रों को प्रशिक्षित करने के लिए भारतीय वन प्रबंधन संस्थान (आईआईएफएम), भोपाल के साथ अनुबंध कर सकते हैं। चीता मित्रों को होम स्टे के लिए प्रशिक्षित कर उन्हें नेचर टूरिज्म के लिए तैयार करने की दिशा में भी कार्य किए जाएं। उन्होंने कहा कि इसके साथ ही कूनो के आसपास स्थित ऐतिहासिक धरोहरों को पर्यटकों के लिए विकसित किया जाए। कूनो में मौजूद एक पुराने किले को हेरिटेज वॉक के रूप में विकसित किया जा सकता है। मगरमच्छ और घड़ियाल के दीदार के लिए व्यू प्वाइंट्स बने, वन्य प्राणियों के रेस्क्यू के लिए सेंटर और पर्यटकों के लिए आयुर्वेदिक सेंटर तैयार किए जाएं।
केन्द्रीय वन मंत्री यादव ने कहा कि पर्यटन से रोजगार के अवसर बढ़ाने के लिए कूनो समेत प्रदेश के अन्य पर्यटन स्थलों पर पर्यटकों को सुविधाएं और मार्गदर्शन उपलब्ध कराने के लिए स्व-सहायता समूहों की महिलाओं को जोड़ा जाए। देश-विदेश से कूनो आने वाले पर्यटकों को आवास, भोजन, स्वच्छता से जुड़ी बेहतर और गुणवत्तापूर्ण सुविधाएं उपलब्ध कराई जाएं। अगर सुविधाएं विश्वस्तरीय होंगी, तो निश्चित रूप से दुनिया से टूरिस्ट चीता देखने के लिए पर्यटक कूनो नेशनल पार्क और गांधीसागर अभयारण्य आएंगे।
बोत्सवाना से दो चरण में लाए जाएंगे 8 चीते
बैठक में राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (एनटीसीए) की ओर से बताया गया कि देश में चीता प्रोजेक्ट पर अब तक 112 करोड़ रुपए से अधिक राशि व्यय की जा चुकी है। इसमें से 67 प्रतिशत राशि मध्यप्रदेश में हुए चीता पुनर्वास पर व्यय हुई है। प्रोजेक्ट चीता के तहत ही अब गांधीसागर अभयारण्य में भी चीते चरणबद्ध रूप से विस्थापित किए जाएंगे। गांधीसागर अभयारण्य राजस्थान की सीमा से लगा हुआ है, इसलिए अंतर्राज्यीय चीता संरक्षण परिसर की स्थापना के लिए मध्यप्रदेश और राजस्थान राज्य के बीच सैद्धांतिक सहमति बन चुकी है। अभी कूनो और गांधीसागर अभयारण्य में चीता मित्रों की क्षमता संवर्धन के लिए उन्हें विशेष ट्रेनिंग दी जा रही है। अधिकारियों ने बताया कि दक्षिण अफ्रीका, बोत्सवाना तथा केन्या से और अधिक चीते भारत लाने के लिए प्रयास जारी हैं। दो चरण में 8 चीते भारत लाए जाएंगे। मई 2025 तक बोत्सवाना से 4 चीते भारत लेकर आने की योजना है। इसके बाद 4 और चीते लाये जाएंगे। फिलहाल भारत और केन्या के बीच अनुबंध पर सहमति बनाई जा रही है।
सैटेलाइट कॉलर आईडी हो रही चीतों की मॉनीटरिंग, चीता सफारी प्रारंभ करने की भी है तैयारी
बैठक में वन अधिकारियों ने बताया कि कूनो राष्ट्रीय उद्यान में वर्तमान में कुल 26 चीते हैं। इनमें से 16 चीते खुले जंगल में हैं और 10 पुनर्वास केंद्र में हैं। कूनो में चीतों की संख्या लगातार बढ़ रही है। यहां ज्वाला, आशा, गामिनी और वीरा मादा चीता ने शावकों को जन्म दिया है। चीतों की निगरानी के लिए सैटेलाइट कॉलर आईडी से 24 घंटे ट्रैकिंग की जा रही है। चीतों के पुनर्स्थापना के बाद कूनो राष्ट्रीय उद्यान में पर्यटकों की संख्या बढ़कर 2 साल में दोगुनी हो चुकी है। राज्य सरकार ने कूनो में चीता सफारी शुरू करने के लिए माननीय सुप्रीम कोर्ट में याचिका लगाकर मंजूरी मांगी है, क्योंकि वन क्षेत्र या इको सेंसिटिव जोन में सफारी प्रारंभ करने के लिए सुप्रीम कोर्ट से अनुमति लेनी जरूरी है। इस याचिका पर निर्णय होना अभी शेष है।
बैठक में चीता प्रोजेक्ट के क्रियान्वयन के लिए केन्द्रीय सचिव पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय तन्मय कुमार, मुख्य सचिव अनुराग जैन, वन महानिदेशक एवं विशेष सचिव सुशील कुमार अवस्थी, अतिरिक्त महानिदेशक टाइगर प्रोजेक्ट एवं सदस्य सचिव राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (एनटीसीए) डॉ. गोविंद सागर भारद्वाज, अंतरिम महानिदेशक इंटरनेशनल बिग कैट अलायंस (आईबीसीए) एस.पी. यादव, अतिरिक्त वन महानिदेशक एनटीसीए संजयन कुमार, उप वन महानिदेशक एनटीसीए वैभव सी. माथुर एवं उप वन महानिदेशक (वन्यजीव विभाग) केन्द्रीय पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय अंजन कुमार मोहंती सहित अपर मुख्य सचिव वन अशोक वर्णवाल, प्रधान मुख्य वन संरक्षक असीम श्रीवास्तव, मुख्य वन्यजीव अभिरक्षक एवं प्रधान मुख्य वन संरक्षक (वन्य जीव) शुभरंजन सेन, अपर प्रधान मुख्य वन संरक्षक (वन्य जीव) एल. कृष्णमूर्ति, सचिव वन अतुल कुमार मिश्रा तथा सचिव एवं आयुक्त जनसम्पर्क डॉ. सुदाम खाड़े व अन्य अधिकारी उपस्थित थे।
क्राइस्ट द किंग चर्च, बैरागढ़, भोपाल में गुड फ्राइडे श्रद्धा और भक्ति के साथ मनाया गया
18 Apr, 2025 08:31 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
भोपाल । 18 अप्रैल 2025 को बैरागढ़, भोपाल स्थित क्राइस्ट द किंग चर्च में गुड फ्राइडे अत्यंत श्रद्धा, भक्ति और गंभीरता के साथ मनाया गया। क्रूस को कंधे पर लेकर प्रभु येसु के दुःखभोग और बलिदान की स्मृति में विश्वासियों ने गिरजाघर परिसर में क्रूस रास्ता के 14 विश्रामों की स्मृति की। गुड फ्राइडे वह पवित्र दिन है जब प्रभु येसु ख्रीस्त ने संपूर्ण मानवजाति के पापों के लिए क्रूस पर अपने प्राण अर्पित किए। यह दिन ख्रीस्तीय समुदाय के लिए सबसे पवित्र दिनों में से एक है। बड़ी संख्या में विश्वासियों ने इस अवसर पर आराधना में भाग लिया और देश तथा उसके नेताओं के लिए विशेष प्रार्थनाएं कीं। मुख्य याजक फादर अमृतलाल टोप्पो ने प्रवचन में कहा, “प्रभु का दुःखभोग और क्रूस-मरण हमारे जीवन को नया अर्थ देता है — कि दुःखों में भी ईश्वरीय आशीर्वाद और पूर्ण जीवन की अनुभूति होती है। सबसे बड़ा प्रेम यह है कि कोई दूसरों के लिए अपने प्राण अर्पित करे, और येसु ने यह एक बार सदा के लिए किया।”
फादर मारिया स्टीफन, पल्ली-पुरोहित ने कहा, “येसु का क्रूस पर मरना कोई दुर्घटना नहीं थी, बल्कि ईश्वर की योजना थी कि उनका इकलौता पुत्र मानवजाति के लिए बलिदान हो। मनुष्य जन्म लेता है जीने के लिए, लेकिन येसु का जन्म हुआ मरने के लिए।” गिरजाघर परिसर में क्रूस मार्ग की साधना के दौरान कुछ थानों पर प्रभु येसु के दुःखभोग और क्रूस-मरण का मंचन भी किया गया।फादर विपिन तिग्गा, फादर राज कुमार और फादर अमृतलाल टोप्पो ने लाल रंग के पूजन विधि के वस्त्र धारण किए थे, जो मसीह के रक्त और शहीदों के बलिदान का प्रतीक हैं। बाइबिल से दुःखभोग का वृतांत पढ़ा गया, जिसके पश्चात पवित्र क्रूस की उपासना और देश व उसके नेताओं के लिए विशेष प्रार्थना अर्पित की गई।
मप्र में 22 अप्रैल से शुरू होंगे तबादले: नई नीति से क्या बदलेंगे हालात?
18 Apr, 2025 08:30 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
Mp Govt Transfers : मध्य प्रदेश में इन दिनों ट्रांसफर्स को लेकर खूब चर्चा हो रही है. मोहन यादव सरकार लंबे समय से प्रदेश में तबादला नीति पर विचार कर रही है, जिसे अगले हफ्ते की शुरुआत में हरी झंडी मिल सकती है. हालांकि, मध्य प्रदेश में ट्रांसफर नीति किसी के लिए राहत तो किसी के लिए आफत ला सकती है. आइए जानते हैं सरकार की ये नीति क्यों कुछ लोगों के लिए परेशानी का सबब बन सकती है.
मध्य प्रदेश की तबादला नीति कब होगी लागू?
सबसे पहले जान लेते हैं कि मध्य प्रदेश सरकार की नई तबादला नीति यानी ट्रांसफर पॉलिसी कब लागू होगी? तो बता दें कि अगले हफ्ते की शुरुआत में यानी 22 अप्रैल को मंत्री परिषद की एक विशेष बैठक होने जा रही है. इस बैठक में लंबे समय बाद मध्य प्रदेश की तबादला नीति 2025 को मंजूरी मिल सकती है. मंजूरी मिलते ही तबादला नीति के आदेश जारी होंगे और यह तत्काल प्रभाव से लागू हो जाएगी. इसके लागू होते ही लंबे समय से लगा ट्रांसफर बैन हट जाएगा.
मध्य प्रदेश की तबादला नीति से किसे मिलेगी राहत?
मध्य प्रदेश की तबादला नीति उन शासकीय कर्मचारियों के लिए राहत ला सकती है, जो 2 साल से भी ज्यादा वक्त से ट्रांसफर बैन हटने का इंतजार कर रहे हैं. ट्रांसफर पॉलिसी लागू होते ही कर्मचारी स्वेच्छा से ट्रांसफर के लिए आवेदन कर सकेंगे. विशेष परिस्थितियों में कर्मचारी को मांगी गई लोकेशन पर ट्रांसफर दे दिया जाएगा.
मध्य प्रदेश की तबादला नीति किसके लिए बनेगी आफत?
मध्य प्रदेश की नई ट्रांसफर नीति उन शासकीय कर्मचारियों के लिए आफत बन सकती है जो 3 सालों से एक जगह पर टिके हुए हैं. सरकार ने साफ इशारा कर दिया है कि ऐसे अधिकारियों को हटाकर दूसरी जगह भेजा जाएगा. तबादला नीति में अंतिम मुहर लगनी बाकी है कि किस विभाग के कितने प्रतिशत कर्मचारियों को यहां से वहां किया जाना है. किसी भी विभाग में 10 प्रतिशत से ज्यादा कर्मचारियों के तबादले नहीं होंगे.
ट्रांसफर होने पर मिलेगा भत्ता?
सरकार की तबादला नीति में भत्ते का भी जिक्र है. इसमें साफ कहा गया है कि जो कर्मचारी स्वैच्छिक आधार पर तबादले लेंगे, उन्हें सरकार किसी भी तरह के भत्ते का लाभ नहीं देगी. वहीं, जिनका तबादला प्रशासनिक आधार पर होगा, उन्हें भत्ते का लाभ दिया जाएगा.
बड़े और जरूरी ट्रांसफर्स पर रोक नहीं
पिछले दिनों महेश्वर में हुई कैबिनेट की बैठक में सीएम ने साफ कह दिय था कि बेहद जरूरी मामलों से जुड़े तबादलों पर रोक नहीं होगी. ऐसे में कई विभागीय अधिकारियों के ट्रांसफर भी इस दौरान होते रहे हैं. वहीं, अब जल्द ही पूरी तरह से ट्रांसफर पर लगा प्रतिबंध हटने वाला है.
सीएम ने दिए ट्रांसफर नीति के लिए सुझाव
मंत्रालय सूत्रों की मानें तो मध्य प्रदेश की नई ट्रांसफर नीति का ड्राफ्ट पहले से ही तैयार है. हालांकि, मुख्यमंत्री मोहन यादव ने इनमें कुछ सुझाव दिए हैं, जिनके आधार पर ड्राफ्ट अपडेट किया जा रहा है और 22 अप्रैल को फिर सरकार के सामने पेश किया जाएगा.
ट्रांसफर करने में मंत्रियों की रहेगी अहम भूमिका
जैसा कि शुरुआत से बताया जा रहा है मध्य प्रदेश की तबादला नीति 2025 में मंत्रियों की खास भूमिका रहेगी. मंत्रियों को अपने विभाग के कर्मचारियों के ट्रांसफर करने के अधिकार होंगे. हालांकि, गजेटेड अधिकारियों का तबादला करने के लिए मुख्यमंत्री मोहन यादव से चर्चा करनी होगी. वहीं, जिले के अंदर के ट्रांसफर का अधिकार उस जिले के प्रभारी मंत्री के पास भी होगा. अब देखान ये होगा कि मध्य प्रदेश सराकर की नई तबादला नीति लागू होने के बाद किसके लिए राहत लाती है और किसके लिए आफत.
मोहन सरकार का नया फरमान – अब शिक्षकों की मनमानी नहीं चलेगी
18 Apr, 2025 07:00 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
भोपाल। अब सरकारी स्कूल से शिक्षक गायब नहीं रह पाएंगे। इसके लिए स्कूल शिक्षा विभाग ने नई पहल की है। प्रदेश के करीब चार लाख शिक्षकों की उपस्थिति ऑनलाइन दर्ज होगी। विभाग अब सार्थक एप के जरिए शिक्षकों की उपस्थिति ऑनलाइन दर्ज होगी।
ग्रीष्मावकाश के बाद स्कूल खुलेंगे तो जुलाई से शिक्षकों की ऑनलाइन उपस्थिति अनिवार्य कर दिया जाएगा। इस बार चेहरा दिखाकर उपस्थिति दर्ज होगी। इससे जो शिक्षक अपने स्थान पर दूसरों को पढ़ाने भेजते है, उस पर लगाम लग सकेगी।
हर जिले से दो प्रोग्रामरों की ट्रेनिंग
ऑनलाइन शिक्षकों की उपस्थिति को पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर उज्जैन और नरसिंहपुर जिले से लागू किया जाएगा। इसके लिए हर जिले से दो प्रोग्रामरों की ट्रेनिंग भी दी जा रही है।
विद्यार्थियों की ऑनलाइन हाजिरी
बता दें कि प्रदेश के 99145 स्कूलों में से केवल 8051 स्कूलों में ही विद्यार्थियों की ऑनलाइन हाजिरी दर्ज की गई, यानी 91094 स्कूलों में इस व्यवस्था का उपयोग ही नहीं हो रहा है, जबकि, यह व्यवस्था ऐच्छिक नहीं अनिवार्य की गई थी।
क्यों लागू नहीं हो सकी व्यवस्था?
तीन बार व्यवस्था बनी, लेकिन फेल हो गई स्कूल शिक्षा विभाग की ओर से 2017, 2020 और 2022 में ऑनलाइन उपस्थिति शिक्षा मित्र एप के जरिए शुरू की गई थी। लेकिन शिक्षकों ने इस प्रक्रिया का विरोध किया। कभी स्मार्ट फोन तो कभी नेटवर्क का बहाना बनाकर ऑनलाइन उपस्थिति की प्रक्रिया ठीक से लागू नहीं हो पाई।
नहीं होगी गड़बड़ी
ग्रामीण क्षेत्र में नेटवर्क की समस्या को देखते हुए एम शिक्षा मित्र एप से उपस्थिति लगाना शुरू किया था।इसके माध्यम से अगर हाजिरी लगाते समय नेटवर्क न मिलें तो भी हाजिरी भरी जाएगी। जैसे ही मोबाइल में नेटवर्क मिलेंगे हाजिरी अपडेट हो जाएगी। इस प्रक्रिया में बहुत ही गड़बड़झाला होता था।इस कारण अब सार्थक एप से चेहरा दिखाकर उपस्थिति लगेगी।
सरकारी स्कूलों में अब शिक्षकों की सार्थक एप के जरिए ऑनलाइन उपस्थिति दर्ज की जाएगी। इस बार इसे बेहतर तरीके से लागू किया जाएगा। जुलाई से अनिवार्य किया जाएगा। (उदय प्रताप सिंह, मंत्री स्कूल शिक्षा विभाग)
अवकाश के लिए भी कर सकेंगे आवेदन
सार्थक एप केवल शिक्षकों की लोकेशन के साथ-साथ और कई महत्वपूर्ण कार्य भी करेगा। विभाग की नई व्यवस्था में कर्मचारी व शिक्षक छुट्टी के लिए भी आवेदन कर सकेंगे और शासन से किसी भी प्रकार का पत्राचार इस एप से हो जाएगा। सार्थक एप मध्य प्रदेश सरकार का पोर्टल और मोबाइल एप्लीकेशन है।जिससे शिक्षकों को पत्राचार करने संबंधी परेशानी नहीं उठानी पड़ेगी।
जुनून, जोश और जश्न के संग- सेज यूनिवर्सिटी में 'स्वर्णिम-सीजन 2' का अविस्मरणीय आगाज़।
18 Apr, 2025 06:38 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
भोपाल। हर आँख में उत्सुकता, चेहरे पर विश्वास की झलक, जीतने की चाह व जीवन में बेहतर करने की ललक हर प्रतिभागी स्टूडेंट की बॉडी लैंग्वेज में देखने को मिल रही थी , मौका था देश में तेज़ी से उभरती सेज यूनिवर्सिटी के नेशनल फेस्ट सेज स्वर्णिम -सीजन २ का। 14 से अधिक रोचक प्रतियोगिताओं में देश के कई राज्यों से आये स्टूडेंट्स ने अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन किया। तीन दिवसीय इस नेशनल फेस्ट का शुभांरभ सेज ग्रुप के मैनेजिंग डायरेक्टर करण खुराना , पदमश्री डॉ विजय दत्त श्रीधर , पदमश्री सुल्तान सिंह करनाल, श्री पंकज दुबे , जॉइंट डायरेक्टर एमएसएमई , डॉ आभा ऋषि , एग्जीक्यूटिव हेड , मध्य प्रदेश स्टार्टअप मिशन , सेज यूनिवर्सिटी के डायरेक्टर जनरल डॉ आशीष दत्ता व आमंत्रित गणमान्य अतिथियों के द्वारा दीप प्रज्वलन व सरस्वती वंदना के साथ हुआ।
स्वर्णिम का पहला दिन देश के प्रसिद्ध सेलेब्रिटी फैशन डिज़ाइनर रॉकी स्टार के फैशन शो के नाम रहा है। मॉडल्स ने लेटेस्ट स्टाइल, वेस्टर्न - इंडियन ऑउटफिट में बेहतरीन कलेक्शंस प्रेजेंट किया। रॉकी एस के रैंप पर आते ही सेज यूनिवर्सिटी का रॉयल सेज हॉल का ऑडिटोरियम ताली की गड़गड़हाट से गूंज उठा। फैशन शो ने सभी का मन मोह लिया। रोशिनी व ग्लैमर की चकाचौंध से भरे इस फैशन शो में रैंप पर प्रतिभागियों ने फैशन का जलवा बिखेरा। शो ने अंत में रॉकी स्टार व फैशन डिज़ाइनर देव ऋषि ने स्टूडेंट्स को फैशन इंडस्ट्री से जुडी कई बारीकियों पर टिप्स दिए। सेज ग्रुप की मैनेजिंग डायरेक्टर आर्किटेक्ट शिवानी अग्रवाल ने अपने संबोधन में कहाँ कि सेज यूनिवर्सिटी भोपाल देश में तेज़ी से उभरती प्राइवेट यूनिवर्सिटी में अपना स्थान रखती है। यूनिवर्सिटी स्टूडेंट्स को इंडस्ट्री रेडी एजुकेशन के साथ स्टूडेंट्स के ओवरआल डेवलपमेंट , उनके टैलेंट को उचित प्लेटफार्म देने के लिए सदैव प्रयासरत रहती है। सेज यूनिवर्सिटी का सेज स्वर्णिम ऐसा ही एक मंच है। जहाँ देश भर के स्टूडेंट्स "स्वर्णिम" में भाग ले अपनी प्रतिभा का मंचन करते है , उनके सपनो को सही दिशा और उड़न देने का मंच है। पिछले वर्ष, स्वर्णिम में पूरे भारत से 7000+ से ज्यादा स्टूडेंट्स ने हिस्सा लिया। देश के अलग-अलग राज्यों से आए 25+ कॉलेजों के टैलेंटेड युवाओं ने अपनी कला, ज्ञान और क्रिएटिव आइडियाज से सभी को हैरान कर दिया।
इस वर्ष स्वर्णिम 2025 में फैशन शो के अलावा यूनिवर्सिटी कैंपस में शार्क टैंक , युथ पार्लियामेंट , किसान मेला , बैटलग्राउंड फुर्री, फोटग्राफी , फार्माथांन कम्पीटीशन का आयोजन हो रहा है। जिसमे देश भर से आये स्टूडेंटस ने अपनी प्रतिभा दिखा रहे है। काव्यांजलि में प्रसिद्ध कवि अमन अक्षर , वरुण आनंद व प्रतीक सिंह चौहान ने अपनी कविताओं से सबका का मन मोह लिया। शार्क टैंक में मध्य प्रदेश व दूसरे राज्यों से आये स्टूडेंट्स ने अपनी आइडियाज को बाखूबी प्रेजेंट किया। सेज ग्रुप के मैनेजिंग डायरेक्टर कारन खुराना ने प्रतिभागियों का प्रोत्साहन किया। यूनिवर्सिटी के चांसलर इंजी संजीव अग्रवाल ने सेज स्वर्णिम के सफल शुभारंभ पर टीम को बधाई दी , उन्होंने मीडिया को बताया ऐसे आयोजन स्टूडेंट्स की प्रतिभा को निखारने में सहयोग सिद्ध होते है। सेज स्वर्णिम में 10 लाख तक की पुरुस्कार राशि दी जाएगी। स्वर्णिम में पधारे स्टूडेंट्स , स्पांसर व अतिथिगण ने आयोजन की प्रशंसा की।