धर्म एवं ज्योतिष
क्यों हुआ था समुद्र मंथन, किन 4 स्थानों पर गिरीं अमृत की बूंदें? जानते हैं इन जगहों के नाम
21 Apr, 2025 06:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
पौराणिक धर्म ग्रंथों में समुद्र मंथन की कथा मिलती है. समुद्र मंथन हिंदू धर्म की सबसे रोचक और गूढ़ कथाओं में से एक है. यह सिर्फ एक पौराणिक घटना नहीं, बल्कि इसमें जीवन के गहरे आध्यात्मिक और दार्शनिक संदेश छिपे हुए हैं, जो आज भी हमारे जीवन में मायने रखते हैं. पौराणिक कथा के अनुसार, जब समुद्र मंथन हुआ उस दौरान भगवान अमृत के कलश को राक्षसों से बचाकर ले जा रहे थे, तब अमृत की कुछ बूंदें भारत के चार पवित्र स्थानों पर गिर गई थीं. आइए जानते हैं इन उन 4 जगहों के बारे में.
हरिद्वार, उत्तराखंड
मान्यता है कि जब भगवान अमृत कलश को लेकर भाग रहे थे, इसी छीना-छपटी में अमृत की कुछ बूंदें हरिद्वार में गिर गईं. यहां हर 12 साल में कुंभ मेला लगता है, जिसमें लाखों लोग गंगा स्नान करने आते हैं, ये मानकर कि इससे उन्हें आध्यात्मिक शुद्धि और मोक्ष की प्राप्ति होगी.
उज्जैन, मध्य प्रदेश
मान्यता है कि अमृत की एक बूंद यहां शिप्रा नदी के किनारे गिरी थी. यही वजह है कि उज्जैन भी भारत के प्रमुख तीर्थों में गिना जाता है. हर 12 साल में यहां सिंहस्थ कुंभ मेला आयोजित होता है, जिसमें साधु-संतों से लेकर लाखों श्रद्धालु भाग लेते हैं.
प्रयागराज, उत्तप्रदेश
मान्यताओं के अनुसार जब देवता राक्षसों से अमृत की रक्षा कर रहे थे उसी दौरान कलश से अमृत की कुछ बूंदें गिरीं थीं, जिससे यह स्थान तीर्थराज बन गया.
नासिक, महाराष्ट्र
मान्यता है कि अमृत की एक बूंद नासिक में भी गिरी थी, खासकर गोदावरी नदी के पास. नासिक में भी हर 12 साल में कुंभ मेला आयोजित होता है, जहां लोग पवित्र स्नान करते हैं और मोक्ष की कामना करते हैं.
समुद्र मंथन की शुरुआत कैसे हुई?
एक बार इंद्र देव अपने हाथी ऐरावत के साथ घूम रहे थे. उन्हें रास्ते में ऋषि दुर्वासा मिले जिन्होंने उन्हें एक चमत्कारी माला दी. इंद्र ने वो माला अपने हाथी की सूंड़ पर रख दी, लेकिन हाथी ने उसे पैरों से कुचल दिया. इससे ऋषि दुर्वासा को बहुत क्रोध आया, और उन्होंने इंद्र व सभी देवताओं को श्राप दे दिया कि वे अपनी ताकत, शक्ति और सम्मान खो देंगे.
कमज़ोर हो चुके देवता राक्षसों से हारने लगे और डर के मारे उन्होंने भगवान विष्णु से सहायता मांगी. विष्णु ने बताया कि अगर वे क्षीर सागर को मथें, तो अमृत निकलेगा, जिसे पीकर वे अमर हो जाएंगे. लेकिन समुद्र मंथन करना आसान नहीं था, और देवता अब शक्तिहीन थे. इसीलिए इंद्र ने असुरों से मदद मांगी और उन्हें अमृत में हिस्सा देने का वादा किया. असुर लालच में मान गए.
समुद्र मंथन की प्रक्रिया
मंदराचल पर्वत को मथनी (रस्सी घुमाने की डंडी) बनाया गया और वासुकी नाग को रस्सी के रूप में इस्तेमाल किया गया. जब मंदराचल को समुद्र में रखा गया तो वो डूबने लगा. तब विष्णु ने कूर्म अवतार (कछुए का रूप) लिया और पर्वत को अपनी पीठ पर टिकाया. वासुकी को पर्वत पर लपेट दिया गया और देवताओं और असुरों ने उसके दोनों सिरों को पकड़कर उसे खींचना शुरू किया.
अमृत मिलने के बाद शुरू हो गया झगड़ा
कई सालों तक मंथन के बाद, धन्वंतरि अमृत कलश लेकर प्रकट हुए. जैसे ही अमृत निकला, देवताओं और असुरों में झगड़ा शुरू हो गया. एक असुर अमृत का घड़ा लेकर भाग गया. भगवान विष्णु ने मोहिनी रूप धारण किया. एक सुंदर स्त्री बनकर असुरों का ध्यान भटकाया और देवताओं को अमृत पिला दिया.
लेकिन एक असुर “स्वर्भानु” ने छल से अमृत पी लिया. सूर्य और चंद्रमा ने उसे पहचान लिया और विष्णु ने उसे दो टुकड़ों में काट दिया. उसका सिर “राहु” और धड़ “केतु” बना. इस तरह देवताओं ने अमृत पीकर अपनी शक्तियां वापस पाईं.
राशिफल: कैसा रहेगा आपका आज का दिन
21 Apr, 2025 12:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
मेष राशि :- तनाव पूर्ण वातावरण से बचिये, स्त्री शरीर कष्ट, मानसिक बेचैनी अवश्य बनेगी।
वृष राशि :- अधिकारियों के समर्थन से सुख होगा, कार्यगति विशेष अनुकूल होगा।
मिथुन राशि :- भोग-एश्वर्य प्राप्ति के बाद तनाव व क्लेश होगा, तनाव से बचकर अवश्य रहें।
कर्क राशि :- अधिकारियों का समर्थन फलप्रद हो, भाग्य का सितारा साथ देगा, बिगड़े कार्य अवश्य ही बनेंगे।
सिंह राशि :- परिश्रम सफल हो, व्यवसाय गति मंद हो, आर्थिक योजना पूर्ण अवश्य ही होगी।
कन्या राशि :- कार्य-व्यवसाय गति सामान्य रहे, व्यर्थ परिश्रम, कार्य गति मंद होगी।
तुला राशि :- किसी दुर्घटना से बचें, चोट-चपेट आदि कम हो, रुके कार्य व्यवसाय होंगे।
वृश्चिक राशि :- कार्यगति अनुकूल रहे, लाभांवित कार्य योजना बनेगी, बाधा आदि से बचें।
धनु राशि :- कुछ प्रतिष्ठा के साधन बनें किन्तु हाथ में कुछ न लगे, कार्य अवरोध होगा।
मकर राशि :- अधिकारी वर्ग से तनाव, क्लेश होगा, मानसिक अशांति के कार्य बनें, ध्यान दें।
कुंभ राशि :- मनोबल बनाये रखें, हाथ में कुछ न लगे किन्तु नया कार्य अवश्य ही होगा।
मीन राशि :- दैनिक कार्यगति उत्तम, कुटुम्ब में सुख समय उत्तम बनेगा, समय का ध्यान अवश्य रखें।
भानु सप्तमी पर 4 बेहद शुभ योग, इन 4 राशियों की सूर्यदेव की कृपा से बढ़ेगी प्रतिष्ठा और यश
20 Apr, 2025 06:45 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
20 अप्रैल दिन रविवार को भानु सप्तमी का पर्व मनाया जाएगा और इस दिन सूर्यदेव की पूजा करने का विशेष विधान है. मान्यता है कि भानु सप्तमी का व्रत रखकर सूर्यदेव को अर्घ्य देने और सूर्य मंत्रों का जप करने से सभी संकट दूर होते हैं. साथ ही मान-सम्मान और आरोग्य की प्राप्ति भी होती है. भानु सप्तमी 2025 पर इस बार 4 बेहद शुभ योग बन रहे हैं, जिससे इस दिन का महत्व और भी बढ़ गया है. पंचांग के अनुसार, भानु सप्तमी पर त्रिपुष्कर योग, रवि योग, सिद्ध और सर्वार्थ सिद्धि नामक शुभ योग बन रहे हैं, जिसका फायदा 4 राशियों को मिलने वाला है. इन राशियों की सूर्यदेव की कृपा से मान-सम्मान और आरोग्य में वृद्धि होगी और कुंडली में सूर्यदेव की स्थिति मजबूत होगी. आइए जानते हैं भानु सप्तमी का फायदा किन किन राशियों को मिलेगा.
वृषभ राशि
भानु सप्तमी 2025 पर बन रहे शुभ योग का लाभ वृषभ राशि वालों को मिलेगा. वृषभ राशि वाले अगर स्वास्थ्य संबंधी समस्या से परेशान हैं तो उनकी सेहत में सुधार देखने को मिलेगा. अगर आपका कोई बहुत जरूरी कार्य काफी समय से अटका हुआ है तो शुभ योग के प्रभाव से कार्यों में तेजी आएगी. यह समय आपके लिए नई संभावनाओं के द्वार खोलेगा और कई अच्छे अवसर आएंगे, जिससे आर्थिक स्थिति में सुधार आएगा.
सिंह राशि
भानु सप्तमी 2025 पर हने शुभ योग का फायदा सिंह राशि वालों को मिलेगा. सिंह राशि वालों के मान सम्मान में अच्छी वृद्धि होगी और अपनी वाणी व कौशल से सभी का दिल जीतने में सफल रहेंगे. समाज के कई खास लोगों के साथ आपका उठना बैठना शुरू होगा, जिससे आपकी प्रतिष्ठा में भी वृद्धि होगी. शुभ योग के प्रभाव से सिंह राशि वालों को धन प्राप्ति के कई अवसर मिलेंग और आपको प्रतिभा दिखाने का मौका भी मिलेगा.
तुला राशि
भानु सप्तमी 2025 पर बने 4 शुभ योग के प्रभाव से तुला राशि वालों को अचानक धन प्राप्ति के अवसर मिलेंगे. आपके द्वारा किए गए हर कार्य सिद्ध होंगे और आपके बिजनस दिन दूनी रात चौगुनी तरक्की करेगा. सूर्यदेव की कृपा से आपके सुख सौभाग्य में अच्छी वृद्धि होगी और आपकी सोच सकारात्मक दिशा में आगे भी बढ़ेगी, जिसका फायदा आपको जीवन के हर क्षेत्र में देखने को मिलेगा.
मकर राशि
भानु सप्तमी 2025 पर बन रहे शुभ योग से मकर राशि वालों को शत्रुओं से मुक्ति मिलेगी और आपके विचारों से लोग काफी प्रभावित भी होंगे, जिसकी वजह से आपके सलाह भी लेंगे. आपके द्वारा की गई मेहनत का पूरा फल मिलेगा और सफलता आपको ऊंचाइयों पर ले जाएगी. नौकरी व कारोबार करने वालों की आर्थिक स्थिति में सुधार आएगा और आप अधिक प्रेरित भी होंगे.
अक्षय तृतीया पर भूलकर भी ये सामान घर न लाएं, साथ में आएगी आर्थिक तंगी, मां लक्ष्मी होंगी नाराज!
20 Apr, 2025 06:30 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
हिंदू धर्म में अक्षय तृतीया बेहद शुभ तिथि मानी गई है. इसमें किसी शुभ कार्य के लिए शुभ मुहूर्त विचारने की जरूरत नहीं पड़ती. यही वजह है कि इस दिन लोग बड़ी संख्या में नए सामान या सोना-चांदी की खरीदारी करते हैं. ये भी मान्यता है कि अक्षय तृतीया पर खरीदे गए सामान का क्षय नहीं होता, वहीं देवी लक्ष्मी भी प्रसन्न होती है. लेकिन, कई बार अनजाने में लोग कुछ ऐसी सामग्री भी खरीद लेते हैं, जो बड़ा नुकसान करा देती है.
वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि पर अक्षय तृतीया मनाई जाएगी. इस साल 30 अप्रैल को अक्षय तृतीया है. इस दिन भगवान विष्णु, माता लक्ष्मी और धन के देवता कुबेर की पूजा करनी चाहिए. घर में धन-धान की वृद्धि होती है. माता लक्ष्मी स्वयं उस घर में पास करती हैं. वहीं, शुभ वस्तुएं और सोने की खरीदारी करनी चाहिए.
भूलकर भी ये चीजें न खरीदें
नुकिली वस्तुएं: ज्योतिषाचार्य के अनुसार, अक्षय तृतीया के दिन नुकीली वस्तुएं जैसे चाकू, सुई, टांगा, इत्यादि बिल्कुल नहीं खरीदना चाहिए. इससे माता लक्ष्मी रुष्ट हो सकती हैं. घर में पारिवारिक कलह बढ़ सकती है, मन अशांत रहेगा.
लोहा या एल्युमिनियम की वस्तु: अक्षय तृतीया पर आभूषण की खरीदारी करना शुभ माना जाता है. लेकिन, लोहा और एल्युमिनियम की वस्तुएं भूलकर भी न खरीदें. उनकी जगह पीतल, तांबा, सोना, चांदी इत्यादि चीजों के बर्तन खरीदें.
काले रंग की वस्तु: काला रंग तामसिक ऊर्जा का प्रतीक माना जाता है. अक्षय तृतीया शुभ और सौभाग्य का प्रतीक होता है. इसलिए शुभ दिन में तामसिक पूजा का प्रतीक माने जाने वाले काले रंग की वस्तुएं बिल्कुल भी न खरीदें.
कांटेदार पौधा: अगर अक्षय तृतीया के दिन आप कांटेदार पौधे खरीदते हैं तो घर में वास्तु दोष का कारण भी बन सकता है. लक्ष्मी नाराज हो सकती हैं. आर्थिक तंगी भी आ सकती है.
लकड़ी से बनी वस्तु: ज्योतिषाचार्य बताते हैं कि अक्षय तृतीया के दिन लकड़ी से बनी वस्तु बिल्कुल न खरीदें. यह शुभ नहीं माना जाता है.
राशिफल: कैसा रहेगा आपका आज का दिन
20 Apr, 2025 12:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
मेष राशि :- मनोबल उत्साह वर्धक रहे, कार्य गति में सुधार, शुभ समाचार अवश्य मिलेगा।
वृष राशि :- कुछ बाधायें कष्टप्रद रखे, स्त्री शरीर कष्ट, कुछ बाधायें कारोबार पर असर डालेगी।
मिथुन राशि :- कार्यकुशलता से संतोष, परिश्रम सफल होंगे तथा स्त्री वर्ग से सुख होगा।
कर्क राशि :- कुटुम्ब की समस्यायें सुलझे तथा सुख शांति से व्यतीत होगा।
सिंह राशि :- परिश्रम से समय पर कार्य पूर्ण होंगे तथा व्यावसायिक क्षमता बढ़ेगी।
कन्या राशि :- स्त्री वर्ग से हर्ष उल्लास आशानुकूल सफलता से हर्ष, बिगड़े कार्य बन जायेगे।
तुला राशि :- योजनाएं फलीभूत ही सर्तकता से कार्य निपटा लेंवे, कार्य अवश्य ही होंगे।
वृश्चिक राशि :- कार्यगति उत्तम, चिन्ताएं कम हो, प्रभुत्व एवं प्रतिष्ठा अवश्य ही बढ़ेगी।
धनु राशि :- आशानुकूल सफलता का हर्ष, कार्यगति उत्तम भावनाएं संवेदन शील अवश्य बनेगी।
मकर राशि :- अधिकारी वर्ग के तनाव से क्लेश व अशांति रुके कार्य बन जायेंगे।
कुंभ राशि :- मनोबल बनायें रखे, किन्तु हाथ में कुछ न लगे तथा कार्य अवश्य ही होंगे।
मीन राशि :- दैनिक कार्य गति उत्तम, कुटुम्ब में सुख, समय उत्तम बीतेगा, ध्यान रखें।
गृह कलेश और आर्थिक संकट से जूझ रहा है परिवार? वैशाख में जरूर करें ये व्रत! मिलेगा 1000 गुना लाभ
19 Apr, 2025 06:30 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
सनातन धर्म में एकादशी के व्रत का विशेष महत्व है. हर महीने में 2 एकादशी के व्रत रखे जाते हैं. वैशाख मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी व्रत का खासा महत्व शास्त्रों में बताया गया है. इसे वरुथिनी एकादशी के नाम से जाना जाता है. धार्मिक मान्यता है कि एकादशी का व्रत भगवान विष्णु की कृपा पाने के लिए रखा जाता है.
कि वरुथिनी एकादशी का व्रत रखने से मनुष्य को 10 हजार साल तप के बराबर फल मिलता है. इसलिए इस व्रत को सनातन धर्मावलंबी पूरे श्रद्धा भाव से रखते हैं. राजा मानधाता ने भी इस व्रत को रखा था जिसके प्रभाव से उन्हें बैकुण्ठ प्राप्त हुआ था.
ये लोग जरूर करें व्रत
वरुथिनी एकादशी के व्रत से दुर्भाग्य भी सौभाग्य में बदल जाता है. इसी वजह से जो लोग आर्थिक और पारिवारिक समस्याओं से जूझ रहे हैं, उन्हें यह व्रत जरूर रखना चाहिए. इससे न सिर्फ सौभाग्य की प्राप्ति होती है बल्कि घर में सुख, शांति और समृद्धि का वास भी होता है.
कब है वरुथिनी एकादशी?
हिन्दू वैदिक पंचांग के अनुसार, इस बार वैशाख कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि की शुरुआत 23 अप्रैल को शाम 4 बजकर 54 मिनट से हो रही है, जो अगले दिन यानी 24 अप्रैल को दोपहर 3 बजकर 1 मिनट पर समाप्त होगी. ऐसे में उदयातिथि के अनुसार, वरुथिनी एकादशी का व्रत 24 अप्रैल के दिन ही रखा जाएगा.
ऐसे लें संकल्प
इस दिन सुबह स्नान के बाद भगवान विष्णु का ध्यान करके व्रत का संकल्प लेना चाहिए. फिर पूरे दिन व्रत रखकर अगले दिन व्रत का पारण करना चाहिए. इस दौरान सिर्फ फलाहार का ही सेवन करना चाहिए.
पितरों को खुश करने के लिए इस खास दिन करें ये उपाय, देंगे आशीर्वाद, पूरी होगी हर इच्छा!
19 Apr, 2025 06:15 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
हिंदू धर्म में पितृ पक्ष के लिए आश्विन मास का विशेष महत्व होता है. इन दिनों में पितृ संबंधित कोई भी धार्मिक अनुष्ठान, धार्मिक क्रिया, पिंडदान आदि करने का महत्व होता है. वही साल में होने वाली सभी 12 अमावस्या पर भी पितृ पक्ष की पूजा, अनुष्ठान आदि करने का विधान बताया गया है. धर्म कर्म के लिए वैशाख मास यानी हिंदू वर्ष का दूसरा महीना बेहद ही खास बताया गया है. वैशाख अमावस्या पर पितृ दोष से पीड़ित व्यक्ति पितरों की शांति के लिए पूजा पाठ, तर्पण, पिंडदान आदि कर सकते हैं.
पितृ दोष होने पर जीवन में अनेक प्रकार की समस्याएं घर कर लेती हैं. अपने पितरों, पूर्वजों को तृप्त करने और पितृ दोष से मुक्ति पाने के लिए वैशाख अमावस्या का दिन खास होता है. इस दिन पितृ तृप्त होकर अपने लोक चले जाते हैं और अपने वंशजों को सुख शांति से जीवन व्यतीत करने का आशीर्वाद देते हैं.
करें ये खास उपाय
पितृ नाराज हैं तो अमावस्या के दिन क्या खास उपाय करें इसकी जानकारी देते हुए हरिद्वार के विद्वान ज्योतिषी पंडित श्रीधर शास्त्री बताते हैं कि वैशाख अमावस्या हिंदू धर्म में विशेष फल प्रदान करने वाली होती है. इस दिन अपने पितरों के निमित्त कोई भी धार्मिक कार्य करने पर संपूर्ण लाभ प्राप्त होता है. वह बताते हैं कि पितृ दोष होने पर जीवन में अनेक प्रकार की समस्याएं आनी शुरू हो जाती हैं.
पितृ दोष की शांति के लिए वैशाख अमावस्या के दिन जानकारी पितृ निवारण दोष के निवारण का अनुष्ठान करने पर पितृ प्रसन्न होते हैं और जीवन में चल रही समस्याएं खत्म हो जाती है हरिद्वार में वैशाख अमावस्या के दिन धार्मिक अनुष्ठान पूजा पाठ तर्पण पिंडदान पितरों को जलांजलि पितरों को तिलांजलि आदि देने पर जीवन में सुख शांति सुख समृद्धि आती है. साल 2025 में वैशाख अमावस्या 27 अप्रैल को होगी. इस दिन हरिद्वार में ब्रह्म मुहूर्त से कोई भी कर्मकांड करने का विशेष विशेष फल की प्राप्ति होगी.
अक्षय तृतीया पर न करें ये काम, घर में आ जाएगी दरिद्रता, रूठ जाएंगीं मां लक्ष्मी !
19 Apr, 2025 06:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
अक्षय तृतीया हिन्दू धर्म में एक बहुत ही खास और शुभ पर्व माना जाता है. इसे अखा तीज के नाम से भी जाना जाता है. यह दिन वैशाख महीने के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को आता है. नए काम शुरू करने, व्यापार की शुरुआत करने, नौकरी, सगाई, और शादी जैसे शुभ कार्यों के लिए ये दिन बहुत ही अच्छा माना जाता है. लोग इस दिन सोना-चांदी की चीज़ें भी खरीदते हैं क्योंकि माना जाता है कि इस दिन खरीदी गई चीज़ें कभी खत्म नहीं होतीं. लेकिन, कुछ काम ऐसे भी हैं जो अक्षय तृतीया के दिन नहीं करने चाहिए. इन्हें करने से मां लक्ष्मी नाराज़ हो सकती हैं और घर में दरिद्रता आ सकती है.
कब है अक्षय तृतीया?
इस साल 2025 में यह पर्व बुधवार, 30 अप्रैल को मनाया जाएगा. इस दिन की तिथि यानी तृतीया तिथि 29 अप्रैल को शाम 5:31 बजे शुरू होकर 30 अप्रैल को दोपहर 2:12 बजे तक रहेगी.
अक्षय तृतीया पर क्या न करें
प्लास्टिक, एल्युमीनियम या स्टील के बर्तन
इस दिन सोना-चांदी खरीदना शुभ माना जाता है, लेकिन प्लास्टिक, एल्युमीनियम या स्टील की चीज़ें खरीदने से बचें. ऐसा करने से राहु का प्रभाव बढ़ सकता है और घर में दरिद्रता आ सकती है.
पूजा स्थान या तिजोरी को गंदा न रखें
इस दिन पूजा का स्थान, तिजोरी या जहां पैसे रखते हैं, वहां गंदगी बिल्कुल न होने दें. गंदगी से मां लक्ष्मी नाराज़ हो जाती हैं और इससे घर में नकारात्मकता आती है.
बुरी आदतों से दूर रहें
इस पवित्र दिन पर जुआ, चोरी, झूठ बोलना, शराब पीना, झगड़ा करना जैसी बुरी चीज़ों से दूर रहना चाहिए. ये काम मां लक्ष्मी को अप्रिय लगते हैं.
किसी को उधार न दें
इस दिन किसी को पैसे उधार बिल्कुल न दें. ऐसा करने से मां लक्ष्मी की कृपा दूर हो सकती है और आर्थिक नुकसान हो सकता है.
लहसुन, प्याज और मांसाहार से बचें
अक्षय तृतीया के दिन प्याज, लहसुन, मांसाहार जैसी चीज़ों का सेवन नहीं करना चाहिए. यह दिन शुद्ध और सात्विक भोजन का है, वरना घर में दरिद्रता आ सकती है.
2025 में क्यों है ये दिन और भी खास?
इस साल अक्षय तृतीया बुधवार को रोहिणी नक्षत्र में पड़ रही है, जो इसे और भी शुभ बनाता है. ऐसा योग बहुत कम बनता है और माना जाता है कि इससे किए गए शुभ कार्यों का असर कई गुना बढ़ जाता है.
राशिफल: कैसा रहेगा आपका आज का दिन
19 Apr, 2025 12:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
मेष राशि :- कुटुम्ब की चिन्तायें मन व्यग्र रखें, किसी के कष्ट के कारण हानि अवश्य ही होगी।
वृष राशि :- भाग्य का सितारा साथ देगा, बिगड़े हुये कार्य अवश्य ही बनेंगे, ध्यान दें।
मिथुन राशि :- इष्ट-मित्रों से तनाव, क्लेश व अशांति, कार्य-व्यवसाय में बाधा होगी।
कर्क राशि :- दैनिक कार्यगति अनुकूल, परिश्रम अधिक करना पड़ेगा तथा फल कम मिलेगा।
सिंह राशि :- योजनायें पूर्ण हों, सुख के साधन बनें, तनाव, क्लेश, अशांति से बचें।
कन्या राशि :- बड़े-बड़े लोगों से मेल-मिलाप एवं समस्यायें सुधरें, सुख के कार्य अवश्य होंगे।
तुला राशि :- साधन-सम्पन्नता के योग बनें तथा कुटुम्ब में क्लेश, हानि अवश्य होगी।
वृश्चिक राशि :- असमंजस बना रहे, प्रभुत्व वृद्धि तथा कार्यगति अनुकूल अवश्य होगी।
धनु राशि :- असमर्थता का वातावरण क्लेश युक्त रखे, अवरोध, विवाद से बचकर चलें।
मकर राशि :- धन लाभ, आशानुकूल सफलता का हर्ष होगा तथा बिगड़े कार्य बन जायेंगे।
कुंभ राशि :- इष्ट-मित्र सुख वर्धक होंगे, बड़े-बड़े लोगों से मेल-मिलाप अवश्य होगा।
मीन राशि :- मनोवृत्ति संवेदनशील हो, धन और शक्ति नष्ट हो, मानसिक व्यग्रता बनेगी।
निगेटिव एनर्जी और बुरी नजर को खत्म करने के लिए इस दिन करें यह खास व्रत, पुराणों में भी लिखा है महत्व!
18 Apr, 2025 06:45 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
हिंदू कैलेंडर का दूसरा महीना वैशाख होता है. इस माह में किए गए धार्मिक कार्यों का कई गुना फल प्राप्त होने की मान्यता है. इस माह में प्रदोष व्रत का आगमन दो बार होता है. वैशाख कृष्ण पक्ष के प्रदोष व्रत को करने से जीवन में खुशहाली का आगमन होता है. वैशाख कृष्ण पक्ष के प्रदोष व्रत को विधि विधान से पूर्ण करने पर भगवान शिव और माता पार्वती प्रसन्न होकर आशीर्वाद देते हैं. इस दिन भगवान शिव की आराधना, स्तोत्र, मंत्रो का जाप करने से सभी बाधाएं, समस्याएं खत्म हो जाती हैं और सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं. वैशाख कृष्ण पक्ष के प्रदोष व्रत का महत्व स्कंद पुराण में वर्णित है.
क्या कहना है एक्सपर्ट का
इसकी ज्यादा जानकारी देते हुए उत्तराखंड हरिद्वार के ज्योतिषी पंडित श्रीधर शास्त्री बताते हैं कि वैशाख कृष्ण पक्ष का प्रदोष व्रत बेहद ही खास और विशेष फल देने वाला होता है. स्कंद पुराण में वैशाख कृष्ण पक्ष के प्रदोष व्रत के महत्व का वर्णन किया गया है. इस प्रदोष व्रत को करने से बुरे प्रभाव और नकारात्मक ऊर्जा पूर्ण रूप से खत्म हो जाती है. भगवान शिव और माता पार्वती को समर्पित यह व्रत बेहद ही खास और विशिष्ट महत्व वाला है.
इस मंत्र का करें जाप
इस व्रत के दिन भगवान शिव की आराधना, रुद्राष्टक स्तोत्र, पशुपत्येष्टक स्तोत्र, शिव तांडव स्तोत्र, शिव महिम्न आदि स्तोत्र का पाठ, एकाक्षरी मंत्र ‘ॐ नमः शिवाय’ का जाप, भगवान शिव के संपुट मंत्र का जाप करने से जीवन सुखमय हो जाता है और कार्यों में आ रही बाधा, रुकावट, नकारात्मक ऊर्जा, डर से मुक्ति आदि सभी में विशिष्ट लाभ प्राप्त होते हैं. साल 2025 में वैशाख कृष्ण पक्ष का प्रदोष व्रत 25 अप्रैल शुक्रवार के दिन होगा. वैदिक पंचांग के अनुसार 25 अप्रैल को प्रदोष व्रत की उदया तिथि होगी. उदया तिथि 25 अप्रैल को होने से यह व्रत 25 अप्रैल को करना शुभ होगा.
मोहिनी एकादशी के दिन भूलकर भी न करें ये काम, लगेगा पाप, व्यर्थ हो जाएगा सारा पूजा-पाठ!
18 Apr, 2025 06:30 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
सभी 24 एकादशी में मोहिनी एकादशी का अपना महत्व होता है. मोहिनी एकादशी के व्रत को करने से मोह माया के सभी बंधन कट जाते हैं और व्यक्ति के जीवन में सुख समृद्धि, खुशहाली का आगमन होता है. मोहिनी एकादशी का व्रत करने से मोह माया से छुटकारा मिल जाता है और सांसारिक सुखों की प्राप्ति होने की धार्मिक मान्यता बताई गई है.
हिंदू धार्मिक ग्रंथो के अनुसार अगर मोहिनी एकादशी का व्रत विधि विधान से किया जाए तो अनेक लाभ मिलते हैं लेकिन व्रत विधि विधान से नहीं किया जाता तो जीवन में अनेक समस्याएं घर कर लेती हैं और कई जन्मों तक इसका दोष दूर नहीं होता है. मोहिनी एकादशी व्रत के दिन कुछ वस्तुओं का सेवन और कुछ कार्य करने वर्जित बताए गए हैं.
इन चीजों से रहें दूर
24 एकादशी में मोहिनी एकादशी का व्रत वैशाख मास शुक्ल पक्ष में एकादशी तिथि के दिन किया जाता है. मोहिनी एकादशी पर भगवान विष्णु की आराधना, पूजा पाठ, स्तोत्र का पाठ, मंत्रों का जाप आदि करने से मोह माया के सभी बंधन टूट जाते हैं, ऐसी मान्यता है.
लेकिन अगर इस एकादशी पर तामसिक वस्तुएं प्याज, लहसुन, अंडा, मांस, शराब, चावल आदि का सेवन किया जाए तो साधक के जीवन में समस्याएं आनी शुरू हो जाती हैं साथ ही इसका पाप जन्मों जन्म तक दूर नहीं होता है.
इन नियमों का करें पालन
वह आगे बताते हैं कि अगर साधक द्वारा भूलवश भी वर्जित वस्तुओं का सेवन किया जाता है तो उसका जीवन नरक के समान हो जाता है. शास्त्रों के अनुसार मोहिनी एकादशी व्रत से 24 घंटे पूर्व ही इन सभी तामसिक वस्तुओं का सेवन बंद करना जरूरी होता है. व्रत को करने के दौरान मन में पवित्रता और भक्ति भाव का होना भी जरूरी होता है.
अगर व्रत के दिन किसी साधक के मन में ईर्ष्या, क्रोध, लोभ, मोह, अहंकार आदि हो तो उसे व्रत का कोई लाभ नहीं मिलता बल्कि इसके विपरीत पाप लगता है. साल 2025 में मोहिनी एकादशी का व्रत 8 मई को होगा और इन वस्तुओं का सेवन 7 मई से ही बंद करना होगा. पंडित श्रीधर शास्त्री बताते हैं कि मोहिनी एकादशी व्रत का पालन 7 मई की संध्याकाल से शुरू होगा जिसका समापन द्वादश यानि 9 अप्रैल की सुबह तक होगा.
इस रत्न से बढ़ जाता है प्रॉपर्टी और रियल एस्टेट का काम,ये लोग बिल्कुल भी ना पहनें! साढ़ेसाती के प्रभाव से मिलेगी मुक्ति
18 Apr, 2025 06:15 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
ज्योतिष शास्त्र में रत्न का विशेष महत्व होता है. अधिकतर लोगों में मान्यता है कि रत्न धारण करने से उनकी किस्मत बदल जाती है. जीवन में आ रही समस्याओं से छुटकारा मिल जाता है. ज्योतिष शास्त्र में कुल 84 प्रकार के रत्नों का विवरण मिलता है. हर राशि एवं ग्रह के लिये अलग अलग रत्न पहनने का नियम है. रत्न को पहनने में हमें बहुत सावधानी रखनी चाहिये. कोई रत्न अच्छा होने पर जितने अच्छे परिणाम देता है उससे अधिक खराब होने पर बुरे परिणाम देता है.ऐसा ही एक रत्न है मूंगा, जिसे पहनने से जीवन में ऊर्जा, साहस एवं पुलिस, सेना तथा प्रॉपर्टी के कामों में लाभ मिलता है.
क्या है मूंगा रत्न (Coral) : मूंगा समुद्र में पाए जाने वाला एक कीमती रत्न है. यह लाल, गुलाबी, नारंगी, गेरुआ, सिंदूरी और सफेद रंग में पाया जाता है. जन्म कुंडली में मंगल ग्रह के कमजोर होने की स्थिति में उसे बल देने के लिए मूंगा धारण किया जाता है. यह समुद्र की गहराई में पाए जाने वाली एक विशेष प्रकार की लकड़ी होता है.
ज्योतिष शास्त्र में रत्न का विशेष महत्व होता है. अधिकतर लोगों में मान्यता है कि रत्न धारण करने से उनकी किस्मत बदल जाती है. जीवन में आ रही समस्याओं से छुटकारा मिल जाता है. ज्योतिष शास्त्र में कुल 84 प्रकार के रत्नों का विवरण मिलता है. हर राशि एवं ग्रह के लिये अलग अलग रत्न पहनने का नियम है. रत्न को पहनने में हमें बहुत सावधानी रखनी चाहिये. कोई रत्न अच्छा होने पर जितने अच्छे परिणाम देता है उससे अधिक खराब होने पर बुरे परिणाम देता है.ऐसा ही एक रत्न है मूंगा, जिसे पहनने से जीवन में ऊर्जा, साहस एवं पुलिस, सेना तथा प्रॉपर्टी के कामों में लाभ मिलता है.आइये मूंगा रत्न के बारे में विस्तार से जानते हैं.
क्या है मूंगा रत्न (Coral) : मूंगा समुद्र में पाए जाने वाला एक कीमती रत्न है. यह लाल, गुलाबी, नारंगी, गेरुआ, सिंदूरी और सफेद रंग में पाया जाता है. जन्म कुंडली में मंगल ग्रह के कमजोर होने की स्थिति में उसे बल देने के लिए मूंगा धारण किया जाता है. यह समुद्र की गहराई में पाए जाने वाली एक विशेष प्रकार की लकड़ी होता है.
इस मूलांक के जातक कर सकते हैं धारण : जिन जातकों का मूलांक 9 है यानि किसी भी माह की 9,18, 27 तारीख को जन्म लेने वाले जातक मूंगा रत्न धारण कर सकते हैं.
साढ़ेसाती से बचाव के लिये करें धारण : वर्ष 2025 का मूलांक 9 है. मेष राशि के जातकों की साढ़ेसाती शुरू हुई है. उन्हें शनि के कुप्रभाव से सिर्फ मंगलदेव ही मुक्ति दिला सकते हैं. मेष राशि के जातक मूंगा रत्न धारण करके मंगल को मजबूत करें. इससे उन्हें साढ़ेसाती के प्रभाव से राहत मिलेगी.
इस व्यवसाय के लोग करें धारण : जो लोग प्रॉपर्टी डीलिंग, रीयल एस्टेट से सम्बंधित व्यवसाय में हैं वो लोग जन्म कुंडली में मंगल की स्थिति जांच कर मूंगा रत्न अवश्य धारण करें. इससे उनके व्यवसाय में जबरजस्त बढ़ोत्तरी होगी.
महाभारत: पांडवों का वो पूर्वज राजा, जो पुरुष से बना मोहक स्त्री, दोनों रूप में पैदा किए बच्चे
18 Apr, 2025 06:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
महाभारत और पुराणों में कई ऐसे रहस्यमयी और चमत्कारिक चरित्र हैं, जिनके जीवन में ऐसा बदलाव हो गया कि विश्वास ही नहीं होगा. पांडवों के पूर्वंज एक ताकतवर राजा थे इल, जिन्हें सुद्युम्न भी कहा जाता था. वह मनु की पुत्री इला के वंश से जुड़े हुए थे. इल बहुत बहादुर और पराक्रमी राजा थे. लेकिन एक शाप के कारण वह पुरुष से मोहक स्त्री बन गए. ऐसी स्त्री जिसकी सुंदरता इतनी अप्रतिम थी कि देखकर कोई भी रीझ जाए.
ये वो राजा थे जिनके पुरुष से स्त्री बनने की कहानी भीष्म ने तब युधिष्ठिर को सुनाई जब महाभारत के युद्ध के बाद वह शयशैया पर लेटे थे. भीष्म को इच्छामृत्यु का वरदान मिला हुआ था. लिहाजा वह मृत्यु से पहले युधिष्ठर को राजधर्म को लेकर सारी शिक्षाएं दे रहे थे. ऐसा उन्हें इसलिए करना पड़ा, क्योंकि युधिष्ठिर युद्ध में इतने लोगों की मृत्यु के बाद राजा नहीं बनना चाहते थे.
हालांकि वह सवाल युधिष्ठिर ने बहुत अजीब सा ही पूछा था लेकिन उन्हें जवाब मिला. सवाल था, “पितामह, क्या ऐसा हो सकता है कि कोई व्यक्ति एक समय पुरुष हो और फिर स्त्री बन जाए – और दोनों रूपों में संतान भी पैदा करे? क्या यह धर्मसंगत है?”
भीष्म मंद – मंद मुस्कुराए. भीष्म – “धर्म के रहस्य अपार हैं, वत्स. सुनो, एक सच्ची कथा कहता हूं, जो अपने ही वंश की है. इस वंश को पहले चंद्र वश के नाम से जाना जाता था, इसमें एक ऐसा पराक्रमी राजा हुआ, जिसने दोनों रूपों में जीवन जिया, वह था – राजा इल.
पांडवों के पूर्वजों में एक शुरुआती राजा थे इल. वह पराक्रमी थे, कुशल शासक थे. लोग उनसे खुश थे. (image generated by leonardo ai)
इल प्रतापी राजा थे. लेकिन जब वह स्त्री बने तो इतनी मोहक स्त्री बने कि वन में उनकी सुंदरता पर तपस्या करने आए एक देवता का मन डोल गया. उसने इस मोहक स्त्री से प्रेम निवेदन ही नहीं किया बल्कि उससे शादी भी की. इससे एक ऐसा वीर पुत्र हुआ, जिसने फिर वंश की बागडोर संभाली. वंश को मजबूत किया. ये कथा भागवत पुराण, महाभारत (आदिपर्व) और देवीभागवत पुराण में विस्तार से मिलती है.
राजा इल शिकार खेलने जंगल गया, भटक गया
पूरी कहानी इस तरह है. एक बार राजा सुद्युम्न (इल) अपने मंत्रियों और सैनिकों के साथ शिकार खेलने के लिए वन में गए. वह घने जंगल में भटक गये. भटकते – भटकते उस जगह पहुंच गया, जहां भगवान शिव और पार्वती के एकांतवास करते थे. वहां किसी को आने की इजाजत नहीं थी.
जिस समय राजा इल उस जगह पहुंचे, तब भगवान शिव और माता पार्वती प्रेमालाप में लीन थे. इसी वजह से वह जगह किसी के लिए भी वर्जित थी.
तब उन्हें स्त्री बन जाने का श्राप मिला
शिव के गणों ने सुद्युम्न यानि राजा इल को रोकने की कोशिश की, लेकिन वह कहां मानने वाले थे. सबसे लड़ते – भिड़ते, गिरते गिराते अंदर चला गया. जैसे ही पार्वती ने राजा को वहां आते देखा, वह क्रोधित हो उठीं. माता पार्वती ने श्राप दिया कि वह स्त्री बन जाएंगे.
शिव के शाप से ऐसा हुआ
इस कहानी को दूसरी तरह से भी कहा जाता था. इस वन का नाम था श्रीकांता वन. शिव ने ये शाप दे रखा था कि “जो भी पुरुष इस वन में प्रवेश करेगा, वह स्त्री बन जाएगा.”
वह मोहक स्त्री बन गए
इल जैसे ही उस वन की सीमा में दाख़िल हुए. उनके शरीर में बदलाव होने लगा. मांसपेशियां कोमल हो गईं, आवाज़ मधुर, चाल लचकदार – देखते ही देखते वह मोहक और सुंदर स्त्री बन गए यानि अब वो इला थीं. जब राजा इला के सैनिकों और मंत्रियों ने उन्हें देखा तो चकित रह गए. अब इला ऐसी स्त्री थीं, जो अपनी पुरानी सारी यादें भूल चुकी थीं.
बुध उन्हें देख मुग्ध हुए और प्रेम कर बैठे
इला स्त्री रूप में वन में भ्रमण कर रही थीं. कुछ भ्रमित, कुछ लज्जित. तभी उन्हें देखा बुध ने, जो चंद्रदेव और अप्सरा तारा के पुत्र थे. वह स्वर्गलोक से पृथ्वी पर तपस्या के लिए आए हुए थे. बुध इला पर मोहित हो गए. इला ने भी स्वयं को एक सामान्य स्त्री मान लिया था – दोनों के बीच प्रेम हुआ. फिर विवाह.
फिर इला ने एक बेटे को जन्म दिया
कुछ समय बाद इला ने एक पुत्र को जन्म दिया – पुरुरवा. यह वही हैं जिन्होंने अप्सरा उर्वशी से शादी की. वह महान शासक और प्रतापी राजा बने.
फिर एक महीने पुरुष और एक महीने स्त्री
इसी बीच श्राप का समय पूरा हो गया तो इला को अपने पूर्वजन्म की याद आई, जब वह प्रतापी राजा थे. उन्हें अपने परिवार की याद आने लगी. वह बेचैन रहने लगी. बुध समझ गए कि इला की आत्मा अभी पूरी तरह से शांत नहीं है. उन्होंने ध्यान लगाया, ऋषियों से सहायता मांगी. ऋषियों ने यज्ञ किया. शिव जी से प्रार्थना की. वो प्रसन्न हुए और बोले, “इला अब हर एक मास में अपना रूप बदल सकेंगे यानि वह एक माह पुरुष रहेंगे और एक माह स्त्री.
दोनों रूपों में उन्हें बच्चे पैदा हुए
अब राजा इल का जीवन दो रूपों में बंट गया. जब वे पुरुष होते, तो राज्य चलाते. जब स्त्री होते, तो तपस्या और पारिवारिक जीवन में लीन रहते. दोनों रूपों में उन्हें संतानें प्राप्त होती रहीं, जिससे चंद्रवंश का विस्तार हुआ.
तब भीष्म ने युधिष्ठिर से क्या कहा
युधिष्ठिर को यह कथा सुनाकर भीष्म बोले, “वत्स, ये कथा ये बताती है कि आत्मा का कोई लिंग नहीं होता. पुरुष और स्त्री – ये केवल शरीर की अवस्थाएं हैं, आत्मा तो ब्रह्मरूप है.”
अब आइए पुरुरवा के बारे में भी जान लीजिए. पुरुरवा से शादी रचाने वाली अप्सरा उर्वशी थी. वह स्वर्ग की एक प्रसिद्ध अप्सरा थीं, जिनके सौंदर्य और नृत्यकला की ख्याति थी. उर्वशी ने पुरुरवा से विवाह के लिए कुछ शर्तें रखी थीं, जिनका उल्लंघन होने पर वह स्वर्ग लौट गईं. पुरुरवा पांडवों के पूर्वज थे . पांडवों का वंश पुरुरवा से कई पीढ़ियों बाद आता है.
राशिफल: कैसा रहेगा आपका आज का दिन
18 Apr, 2025 12:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
मेष राशि :- तनावपूर्ण वातावरण से बचिये, स्त्री-शरीर कष्ट, मानसिक बेचैनी अवश्य होगी।
वृष राशि :- अधिकारियों के समर्थन से सुख होगा, कार्यगति विशेष अनुकूल अवश्य होगी।
मिथुन राशि :- भोग-एश्वर्य की प्राप्ति के बाद तनाव, क्लेश व अशांति अवश्य होगी, ध्यान रखें।
कर्क राशि :- अधिकारियों का समर्थन फलप्रद होगा, भाग्य साथ दे, बिगड़े कार्य अवश्य बनेंगे।
सिंह राशि :- परिश्रम सफल हो, व्यवसाय गति मंद हो, आर्थिक योजना पूर्ण अवश्य होगी।
कन्या राशि :- कार्य-व्यवसाय गति मंद, व्यर्थ परिश्रम, कार्य में बाधा के योग बनेंगे।
तुला राशि :- किसी दुर्घटना से बचें, चोटादि का भय होगा, कार्य-व्यवसाय अनुकूल बनेगा।
वृश्चिक राशि :- कार्यगति अनुकूल रहे, लाभांवित कार्ययोजना बनेगी तथा बाधा अवश्य होगी।
धनु राशि :- कुछ प्रतिष्ठ के साधन बनेंगे किन्तु हाथ में कुछ न लगे, कार्य अवरोध होगा।
मकर राशि :- अधिकारी वर्ग से तनाव, क्लेश व अशांति, कार्य अवरोध होगा।
कुंभ राशि :- मनोबल बनाये रखें, योजना पूर्ण हों तथा नया कार्य अवश्य प्रारंभ होगा।
मीन राशि :- दैनिक कार्यगति उत्तम, कुटुम्ब से सुख, समय उत्तम बनेगा।
अक्षय तृतीया पर सोना खरीदना होता है शुभ
17 Apr, 2025 07:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
हिंदू धर्म में अक्षय तृतीया तिथि का महत्व विशेष माना जाता है। अक्षय तृतीया पर अबूझ मुहू्र्त होता है। इस दिन किसी भी समय शुभ कार्य किए जाते हैं। इस शुभ तिथि पर सोना, संपत्ति, भवन और गाड़ी खरीदना शुभ होता है। आइए आपको बताते हैं अक्षय तृतीया के दिन घर में किन चीजों को नहीं रखना चाहिए।
सनातन धर्म में अक्षय तृतीया को बेहद शुभ दिन माना जाता है। ज्योतिष के अनुसार, इस दिन सोना-चांदी जैसी कीमती वस्तुओं की खरीदारी करने से सौभाग्य और समृद्धि का प्रतीक माना जाता है। पंचांग के अनुसार, वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को अक्षय तृतीया मनाई जाती है। हिंदू धर्म में अक्षय तृतीया विशेष महत्व माना जाता है। ज्योतिष के अनुसार, अक्षय तृतीया पर अबूझ मुहूर्त होता है, इस दिन शुभ कार्य किए जाते हैं। अक्षय तृतीया पर सोना, संपत्ति, भवन और गाड़ी खरीदना शुभ होता है। माना जाता है कि इस दिन कोई भी खरीदी हुई चीजे अक्षय यानी कभी नष्ट नहीं होने वाली फल देती है। हालांकि, केवल धन की खरीदारी ही नहीं, वास्तु शास्त्र के अनुसार कुछ चीजें होती है, जो इस दिन से पहले घर से हटा दें, वरना दुर्भाग्य और आर्थिक तंगी का कारण बन जाता है।
ये सामान बाहर करें
बंद पड़ी घड़ियां
वैसे समय का ठहर जाना ही रुकावट का संकेत होता है, जो घड़ियां खराब हो चुकी हैं लेकिन भावनात्मक लगाव के कारण आप उन्हें संभालकर रखे हुए हैं। अब घर से बाहर करें। बंद पड़ी घड़ियां नकारात्मक ऊर्जा को आकर्षित करती है और जीवन में प्रगति के लिए बाधा बन जाती है।
फटे-पुराने और गंदे कपड़े
अगर आपके घर में फटे-पुराने या गंदे कपड़े पड़े हैं, तो उन्हें अक्षय तृतीया से पहले ही फेंक दें। क्योंकि ये आर्थिक तंगी के कारण बन जाते हैं। इसके साथ ही भाग्य भी कमजोर हो जाता है। फटे कपड़ों को न तो पहनें और न ही घर पर संजोकर रखें।
सूखे पौधे और मुरझाए फूल
यदि आपके घर में सूखे पौधों या मुरझाए फूलों का होना दुर्भाग्य का प्रतीक माना जाता है। गुलदस्तों में सूख चुके फूलों को तुरंत हटा दें। मरे इंडोर प्लांट्स को भी उखाड़कर फेंक दें। इस दिन हरे-भरे पेड़ों को जीवंत बनाएं रखें।
टूटी-फूटी झाडू
झाडू को धन और लक्ष्मी से जुड़ा माना गया है। टूटी-फूटी झाड़ू को घर में न रखें। इससे जीवन में रुकावट पैदा होती है। इसके अलावा यह यह नकारात्मक ऊर्जा का भी स्रोत मानी जाती है। अक्षय तृतीया पर नई झाड़ू को खरीदना शुभ माना जाता है।
टूटी चप्पल और बेकार पड़ा सामान
अगर आपके घर में जूतों-चप्पल टूटी रखी हैं, तो आप इन्हें घर से बाहर फेंक दें। क्योंकि टूटी चप्पल दुर्भाग्य को आकर्षित करती है। ऐसी वस्तुएं घर में नकारात्मक और अव्यवस्था लाती है। इसके अतिरिक्त, घर में रखा टूटा-फूटा औऱ बेकार सामान को भी बाहर फेंक दें। प्लास्टिक, लोहे, स्टील के पुराने डिब्बे, अखबरों को ढेर, यह सब लक्ष्मीजी की कृपा को दूर कर देती हैं।