धर्म एवं ज्योतिष
झांसी के इस मंदिर में कन्या रुप में विराजमान हैं महाकाली, इंदिरा गांधी भी करवा चुकी हैं अनुष्ठान
4 Apr, 2025 06:15 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
झांसी के लक्ष्मी ताल के पास स्थित है महाकली का अनोखा मंदिर. इस मंदिर को अनोखा बनाती है यहां स्थापित मां काली की मूर्ति. आम तौर पर मां काली की मूर्ति के हाथ में खड़ग, खप्पर और गले में मुंडों की माला होती है. ज्यादातर मंदिरों में मां काली के दर्शन रौद्र रुप में ही होते हैं. देश भर के मंदिरों में मां काली की तामसिक रूप में पूजा होती है. पर झांसी के महाकाली मंदिर में मां काली कन्या स्वरूप में विराजमान है. इस मंदिर का निर्माण 1687 में ओरछा के महाराज वीर सिंह जूदेव ने कराया था. कहा जाता है कि, जब वह झांसी के जंगलों में अपने सैनिकों के साथ शिकार खेलने के लिए निकले थे, तो वहां उन्हें तालाब के पास एक पहाड़ पर गुफा दिखाई दी. उस गुफा में ही महाकाली का यह रूप उन्होंने पहली बार देखा था.
महाकाली के इस मंदिर में सिर्फ आम लोगों की ही नहीं बल्कि नेताओं की भी खासा आस्था रहती है. बड़े राजनेता जैसे राजनाथ सिंह, उमा भारती सरीखे नेता इस मंदिर में माता के दर्शन करने अक्सर आते ही रहते हैं. इसके साथ ही भूतपूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने भी यहां अनुष्ठान करवाया था. मंदिर के मुख्य पुजारी गोपाल त्रिवेदी बताते हैं कि 1977 के चुनाव में करारी हार के बाद फरवरी 1978 में इंदिरा गांधी ने यहां धार्मिक अनुष्ठान करवाया था. उस समय महंत प्रेम नारायण त्रिवेदी ने उनका अनुष्ठान करवाया था. 1980 का चुनाव जीतने के बाद इंदिरा गांधी एक बार फिर मंदिर में पूजा करने के लिए आई थीं.
भक्तों की है अटूट श्रद्धा
नवरात्रि के दौरान यहां हजारों भक्तों की भीड़ हमेशा बनी रहती है. इस अवसर पर मेले का भी आयोजन किया जाता है. मंदिर में आई एक भक्त आकांक्षा बताती हैं कि इस मंदिर में उनकी और उनके परिवार की अटूट आस्था है. उनके अनुसार यहां मांगी गई हर मनोकामना पूरी होती है.
नवरात्रि में कई लोग क्यों खिलाते हैं कन्याओं को दूध-जलेबी?
4 Apr, 2025 06:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
नवरात्रि में भक्त सप्तमी से माता के रूप में कन्याओं को पूजने लगते हैं. खासकर अष्टमी और नवमी के दिन तो कन्या पूजन का विशेष महत्व होता है. इस दिन खासकर 2 से 10 साल की कन्याओं को देवी का स्वरूप मानकर पूजा की जाती है और उन्हें भोजन कराकर आशीर्वाद लिया जाता है.
लेकिन आपने गौर किया होगा कि कई जगहों पर भक्त कन्याओं को केवल दूध और जलेबी विशेष रूप से खिलाते हैं. आखिर ऐसा क्यों किया जाता है? क्या इसके पीछे कोई धार्मिक कारण है या कोई वैज्ञानिक तर्क भी जुड़ा हुआ है? आइए जानते हैं इसके पीछे का कारण.
धार्मिक कारण – मां दुर्गा को प्रिय है यह भोग
शास्त्रों के अनुसार, कन्या पूजन में मीठे और पौष्टिक भोजन का विशेष महत्व होता है.
जलेबी घी और मैदे से बनी होती है, जो सात्विक भोजन में आता है और देवी दुर्गा को प्रिय है.
दूध को शुद्ध और पवित्र माना जाता है, जो शरीर और मन को शांति प्रदान करता है.
जलेबी का गोल आकार सुख-समृद्धि का प्रतीक माना जाता है, इसलिए इसे कन्याओं को खिलाकर माता से आशीर्वाद मांगा जाता है.
यह खुशी और सौभाग्य का प्रतीक भी माना जाता है, इसलिए इसे प्रसाद के रूप में दिया जाता है.
वैज्ञानिक कारण – दूध-जलेबी का पोषण और स्वास्थ्य लाभ
1. एनर्जी बूस्टर –
जलेबी में चीनी और कार्बोहाइड्रेट होते हैं, जो तुरंत ऊर्जा (Energy) देते हैं.
कन्याओं को व्रत के बाद यह भोजन ताकत और स्फूर्ति प्रदान करता है.
2. दूध और जलेबी का बेहतरीन संयोजन –
दूध प्रोटीन, कैल्शियम और विटामिन D का अच्छा स्रोत है, जो बच्चों की हड्डियों को मजबूत करता है.
जलेबी में मौजूद कार्बोहाइड्रेट और दूध का प्रोटीन पाचन को बेहतर बनाने में मदद करता है.
3. मौसम के अनुकूल भोजन –
नवरात्रि अक्सर गर्मियों और बदलते मौसम में ही आती है, जिससे शरीर में कमजोरी आ सकती है.
दूध-जलेबी शरीर को ठंडक और ऊर्जा दोनों प्रदान करती है.
4. मीठा खाने से मन प्रसन्न होता है –
वैज्ञानिक रूप से मीठा खाने से डोपामिन हार्मोन सक्रिय होता है, जिससे खुशी महसूस होती है.
यही कारण है कि नवरात्रि में कन्याओं को मीठे भोजन जैसे हलवा-पूरी और दूध-जलेबी खिलाने की परंपरा है.
अन्य परंपराएं और कन्या पूजन में प्रसाद के विकल्प
हलवा, पूड़ी और चने – यह सबसे आम भोग है, जो पूरे भारत में प्रचलित है.
खीर और फल – कुछ जगहों पर कन्याओं को दूध, खीर और फल भी खिलाए जाते हैं.
खिचड़ी और दही – बंगाल और पूर्वी भारत में यह भोजन दिया जाता है.
बूंदी और केला – यह उत्तर भारत में खासतौर पर प्रसाद के रूप में दिया जाता है.
हालांकि, दूध-जलेबी का विशेष महत्व इसलिए है क्योंकि यह तुरंत एनर्जी देता है, पचाने में हल्का होता है और देवी दुर्गा को भी प्रिय है. इसके अलावा जो थोड़ी बड़ी कन्याएं पूजा में आती हैं, और अगर उनका व्रत भी है, तो भी वो इन दोनों चीजों को ही खा सकतीं हैं.
राशिफल: कैसा रहेगा आपका आज का दिन
4 Apr, 2025 12:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
मेष राशि :- तनाव व उदर रोग विकार, मित्र लाभ, राजभय तथा परिवारिक समस्या होगी।
वृष राशि :- अनुभव सुख, मंगल कार्य विरोध, मामले-मुकदमें में जीत की सम्भावना है।
मिथुन राशि :- कुसंगति से हानि, विरोधी भय, यात्रा, सामाजिक कार्यों में सावधान रहें।
कर्क राशि :- भूमि लाभ, स्त्री सुख, हर्ष, प्रगति, स्थिति में सुधार, लाभ अवश्य होगा।
सिंह राशि :- तनाव, विवाद से बचें, विरोधी चिन्ता, राजकीय कार्य में प्रतिष्ठा बढ़ेगी।
कन्या राशि :- भूमि लाभ, स्त्री सुख, कार्य प्रगति, स्थान में सुधार, लाभ अवश्य ही होगा।
तुला राशि :- प्रगति, वाहन का भय, भूमि लाभ, कलह, कुछ अच्छे कार्य भी होंगे।
वृश्चिक राशि :- कार्य सिद्ध, विरोध, लाभ, कष्ट, हर्ष, व्यय, व्यापार में सुधार होगा।
धनु राशि :- माता से हानि, मातृ-पितृ कष्ट, व्यय में सुधार होगा, आवश्यक कार्य बनें।
मकर राशि :- शुभ कार्य, वाहन आदि भय, रोग, धार्मिक व कुछ अच्छे कार्य अवश्य बनेंगे।
कुंभ राशि :- अभिष्ट सिद्धी, राजभय, कार्यबाधा, राजकार्य में कष्ट का अनुभव होगा।
मीन राशि :- अल्प हानि, रोग भय, सम्पर्क लाभ, राजकार्य में विलम्ब, परेशानी होगी।
इस माह में पड़ने वाले प्रमख त्यौहार
3 Apr, 2025 07:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
अप्रैल माह में हिंदू धर्म के कई प्रमुख और बड़े व्रत-त्यौहार आते हैं। इस कारण तीज-त्यौहार के लिहाज से अप्रैल का महीना अत्यंत ही महत्वपूर्ण माना जाता है। इस माह में राम नवमी, हनुमान जयंती से लेकर अक्षय तृतीया जैसे बड़े व्रत-त्यौहार आएंगे। वहीं चैत्र नवरात्रि का समापन भी अप्रैल में ही होगा। अप्रैल महीने से ही वैशाख माह की भी शुरुआत होती है। वैशाख माह हिंदू कैलेंडर का दूसरा महीना होता है।
राम नवमी- 6 अप्रैल
चैत्र नवरात्र की नवमी तिथि को राम नवमी के रूप में भी मनाया जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, रामनवमी का महत्व इस वजह से है कि इस दिन भगवान राम का जन्म हुआ था। यह त्योहार भगवान राम के जन्मदिन के रूप में मनाया जाता है। राम नवमी के दिन पूजा-पाठ करने से घर में सुख-शांति आती है और सकारात्मक ऊर्जा बढ़ती है। राम नवमी के दिन व्रत रखने की भी मान्यता है। राम नवमी के दिन राम रक्षा स्रोत का अनुष्ठान करने से सुखी व शांत गृहस्थ जीवन, रक्षा और सम्मान प्राप्त होता है।
चैत्र नवरात्रि पारण- 7 अप्रैल
कामदा एकादशी- 8 अप्रैल
प्रदोष व्रत- 10 अप्रैल
हनुमान जयंती- चैत्र पूर्णिमा- 12 अप्रैल
हनुमान जयंती 12 अप्रैल को मनाई जाएगी। हर साल चैत्र पूर्णिमा पर बजरंगबली का जन्मोत्सव मनाया जाता है। हनुमान जयंती की दिन बजरंगबली की विधि विधान के साथ पूजा की जाती है। इस दिन सुंदरकांड का पाठ करना भी विशेष महत्व रखता है। हनुमान जयंती के दिन बजरंगबली की पूजा-अर्चना करने भक्तों के सभी दुख-दर्द मिट जाते हैं। साथ ही उनके हर कार्य बिना बाधा के पूरी हो जाती है।
वैशाख माह का आरंभ- 13 अप्रैल
विकट संकष्टी चतुर्थी- 16 अप्रैल
वरुथिनी एकादशी- 24 अप्रैल
प्रदोष व्रत- 25 अप्रैल
मासिक शिवरात्रि- 26 अप्रैल
परशुराम जयंती- 29 अप्रैल
अक्षय तृतीया- 30 अप्रैल
हर साल वैशाख माह की शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि के दिन अक्षय तृतीया मनाई जाती है। क्षय तृतीया के दिन सोना खरीदना बहुत शुभ माना जाता है। कहते हैं कि अक्षय तृतीया के दिन सोना खरीदने से घर में संपन्नता, सौभाग्य और समृद्धि आती है। धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक, अक्षय तृतीया के दिन सोना खरीदने से धन-दौलत में बरकत होती और तिजोरी कभी खाली नहीं होती है!
ग्रहों का जीवन के साथ ही व्यवहार पर भी पड़ता है प्रभाव
3 Apr, 2025 06:47 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
ग्रहों का व्यक्ति के जीवन के साथ-साथ व्यवहार पर भी सीधा प्रभाव पड़ता है। हमारा व्यवहार हमारे ग्रहों की स्थितियों से संबंध रखता है या हमारे व्यवहार से हमारे ग्रहों की स्थितियां प्रभावित होती हैं। अच्छा या बुरा व्यवहार सीधा हमारे ग्रहों को प्रभावित करता है। ग्रहों के कारण हमारे भाग्य पर भी इसका असर पड़ता है। कभी-कभी हमारे व्यवहार से हमारी किस्मत पूरी बदल सकती है।
वाणी-
वाणी का संबंध हमारे पारिवारिक जीवन और आर्थिक समृद्धि से होता है।
ख़राब वाणी से हमें जीवन में आर्थिक नुक्सान उठाना पड़ता है।
कभी-कभी आकस्मिक दुर्घटनाएं घट जाती हैं।
कभी-कभी कम उम्र में ही बड़ी बीमारी हो जाती है।
वाणी को अच्छा रखने के लिए सूर्य को जल देना लाभकारी होता है।
गायत्री मंत्र के जाप से भी शीघ्र फायदा होता है।
आचरण-कर्म
हमारे आचरण और कर्मों का संबंध हमारे रोजगार से है।
अगर कर्म और आचरण शुद्ध न हों तो रोजगार में समस्या होती है।
व्यक्ति जीवन भर भटकता रहता है।
साथ ही कभी भी स्थिर नहीं हो पाता।
आचरण जैसे-जैसे सुधरने लगता है, वैसे-वैसे रोजगार की समस्या दूर होती जाती है।
आचरण की शुद्धि के लिए प्रातः और सायंकाल ध्यान करें।
इसमें भी शिव जी की उपासना से अद्भुत लाभ होता है।
जिम्मेदारियों की अवहेलना
जिम्मेदारियों से हमारे जीवन की बाधाओं का संबंध होता है।
जो लोग अपनी जिम्मेदारियां ठीक से नहीं उठाते हैं उन्हें जीवन में बड़े संकटों, जैसे मुक़दमे और कर्ज का सामना करना पड़ता है।
व्यक्ति फिर अपनी समस्याओं में ही उलझ कर रह जाता है।
अपनी जिम्मेदारियों को निभाने में कोताही न करें।
एकादशी का व्रत रखने से यह भाव बेहतर होता है।
साथ ही पौधों में जल देने से भी लाभ होता है।
सहायता न करना-
अगर सक्षम होने के बावजूद आप किसी की सहायता नहीं करते हैं तो आपको जीवन में मानसिक समस्याओं का सामना करना पड़ता है।
कभी न कभी आप जीवन में अकेलेपन के शिकार हो सकते हैं।
जितना लोगों की सहायता करेंगे, उतना ही आपको ईश्वर की कृपा का अनुभव होगा।
आप कभी भी मन से कमजोर नहीं होंगे।
दिन भर में कुछ समय ईमानदारी से ईश्वर के लिए जरूर निकालें।
इससे करुणा भाव प्रबल होगा, भाग्य चमक उठेगा।
इसलिए ईश्वर को प्रकाश के रूप में बताया जाता है
3 Apr, 2025 06:30 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
हमें हमेशा ईश्वर को प्रकाश के रूप में बताना होता है, क्योंकि प्रकाश से आप देखते हैं, प्रकाश से हर चीज स्पष्ट होती है। लेकिन जब आपका अनुभव बुद्धि की सीमाओं को पार करना शुरू करता है, तब हम ईश्वर को अंधकार के रूप में बताने लगते हैं। आप मुझे यह बताएं कि इस अस्तित्व में कौन ज्यादा स्थायी है? कौन अधिक मौलिक है, प्रकाश या अंधकार? निश्चित ही अंधकार। शिव अंधकार की तरह सांवले हैं। क्या आप जानते हैं कि शिव शाश्वत क्यों हैं? क्योंकि वे अंधकार हैं। वे प्रकाश नहीं हैं। प्रकाश बस एक क्षणिक घटना है। अगर आप अपनी तर्क-बुद्धि की सीमाओं के अंदर जी रहे हैं तब हम आपको ईश्वर को प्रकाश जैसा बताते हैं। अगर आपको बुद्धि की सीमाओं से परे थोड़ा भी अनुभव हुआ है, तो हम ईश्वर को अंधकार जैसा बताते हैं, क्योंकि अंधकार सर्वव्यापी है।
अंधकार की गोद में ही प्रकाश अस्तित्व में आया है। वह क्या है जो अस्तित्व में सभी चीजों को धारण किए हुए है? यह अंधकार ही है। प्रकाश बस एक क्षणिक घटना है। इसका स्रोत जल रहा है, कुछ समय के बाद यह जलकर खत्म हो जाएगा। चाहे वह बिजली का बल्ब हो या सूरज हो। एक कुछ घंटों में जल जाएगा, तो दूसरे को जलने में कुछ लाख साल लगेंगे, लेकिन वह भी जल जाएगा।
तो सूर्य से पहले और सूर्य के बाद क्या है? क्या चीज हमेशा थी और क्या हमेशा रहेगी? अंधकार। वह क्या है जिसे आप ईश्वर कहते हैं? वह जिससे हर चीज पैदा होती है, उसे ही तो आप ईश्वर के रूप में जानते हैं। अस्तित्व में हर चीज का मूल रूप क्या है? उसे ही तो आप ईश्वर कहते हैं। अब आप मुझे यह बताएं कि ईश्वर क्या है, अंधकार या प्रकाश? शून्यता का अर्थ है अंधकार। हर चीज शून्य से पैदा होती है। विज्ञान ने आपके लिए यह साबित कर दिया है।
और आपके धर्म हमेशा से यही कहते आ रहे हैं -ईश्वर सर्वव्यापी है। और केवल अंधकार ही है जो सर्वव्यापी हो सकता है।
प्रकाश का अस्तित्व बस क्षणिक है, प्रकाश बहुत सीमित है, और खुद जलकर खत्म हो जाता है, लेकिन चाहे कुछ और हो या न हो, अंधकार हमेशा रहता है। लेकिन आप अंधकार को नकारात्मक समझते हैं। हमेशा से आप बुरी चीजों का संबंध अंधकार से जोड़ते रहे हैं। यह सिर्फ आपके भीतर बैठे हुए भय के कारण है। आपकी समस्या की यही वजह है। यह सिर्फ आपकी समस्या है, अस्तित्व की नहीं। अस्तित्व में हर चीज अंधकार से पैदा होती है। प्रकाश सिर्फ कभी-कभी और कहीं-कहीं घटित होता है। आप आसमान में देखें, तो आप पाएंगे कि तारे बस इधर-उधर छितरे हुए हैं और बाकी सारा अंतरिक्ष अंधकार है, शून्य है, असीम और अनन्त है।
यही स्वरूप ईश्वर का भी है। यही वजह है कि हम कहते हैं कि मोक्ष का अर्थ पूर्ण अंधकार है। यही वजह है कि योग में हम हमेशा यह कहते हैं कि चैतन्य अंधकार है। केवल तभी जब आप मन के परे चले जाते हैं, आप अंधकार का आनन्द उठाना जान जाते हैं, उस अनन्त, असीम सृष्टा को अनुभव करने लगते हैं। जब आपकी आंखें बंद होती हैं, तो उस अंधकार में आपके सभी अनुभव और ज्यादा गहरे हो जाते हैं!
ज्योतिष के मुताबिक व्रत रखने से मिलता है फल
3 Apr, 2025 06:15 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
सनातन धर्म में सप्ताह के सारे दिन किसी न किसी भगवान को समर्पित हैं। जिस तरह से सोमवार का दिन भगवान शिवजी का और मंगलवार का दिन हनुमान जी का है। उसी तरह से बुधवार को भगवान गणेश की पूजा की जाती है और उनके लिए व्रत रखा जाता है। ज्योतिषियों के मुताबिक व्रत रखने से भगवान खुश होते हैं। आज हम आपके लिए लाए हैं बुधवार के व्रत की कथा। व्रत रखने वाले लोगों को इस दिन यह कथा सुननी होती है।
प्राचीन काल की बात है एक व्यक्ति अपनी पत्नी को लेने के लिए ससुराल गया। कुछ दिन अपने ससुराल में रुकने के बाद व्यक्ति ने अपने सास-ससुर से अपनी पत्नी को विदा करने को कहा लेकिन सास-ससुर ने कहा कि आज बुधवार है और इस दिन हम गमन नहीं करते हैं। लेकिन व्यक्ति ने उनकी बात को मानने से साफ इनकार कर दिया। आखिरकार लड़की के माता-पिता को अपने दामाद की बात माननी पड़ी और अपनी बेटी को साथ भेज दिया। रास्ते में जंगल था, जहां उसकी पत्नी को प्यास लग गई। पति ने अपना रथ रोका और जंगल से पानी लाने के लिए चला गया। थोड़ी देर बाद जब वो वापस अपनी पत्नी के पास लौटा तो देखकर हैरान हो गया कि बिल्कुल उसी के जैसा व्यक्ति उसकी पत्नी के पास रथ में बैठा था।
ये देखकर उसे गुस्सा आ गया और कहा कि कौन है तू और मेरी पत्नी के पास क्यों बैठा है। लेकिन दूसरे व्यक्ति को जवाब सुनकर वो हैरान रह गया। व्यक्ति ने कहा कि मैं अपनी पत्नी के पास बैठा हूं। मैं इसे अभी अपने ससुराल से लेकर आया हूं। अब दोनों व्यक्ति झगड़ा करने लगे। इस झगड़े को देखकर राज्य के सिपाहियों ने दोनों को गिरफ्तार कर लिया।
यह सब देखकर व्यक्ति बहुत निराश हुआ और कहा कि हे भगवान, ये कैसा इंसाफ है, जो सच्चा है वो झूठा बन गया है और जो झूठा है वो सच्चा बन गया है। ये कहते है कि फिर इसके बाद आकाशवाणी हुई कि ‘हे मूर्ख आज बुधवार है और इस दिन गमन नहीं करते हैं। तूने किसी की बात नहीं मानी और इस दिन पत्नी को ले आया।’ ये बात सुनकर उसे समझ में आया की उसने गलती कर दी। इसके बाद उसने बुधदेव से प्रार्थना की कि उसे क्षमा कर दे।
इसके बाद दोनों पति-पत्नि नियमानुसार भगवान बुध की पूजा करने लग गए। ज्योतिषियों के मुताबिक जो व्यक्ति इस कथा को याद रखता उसे बुधवार को किसी यात्रा का दोष नहीं लगता है और उसे सभी प्रकार के सुखों की प्राप्ति होती है। बुधवार के दिन अगर कोई व्यक्ति किसी नए काम की शुरुआत करता है तो उसे भी शुभ माना जाता है।
भगवान राम के आलौकिक ये कार्य
3 Apr, 2025 06:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
हिंदू धर्म में भगवान राम को विष्णु का अवतार माना गया है। इनके बारे में कई ग्रंथ लिखे गए. रामचरितमानस में भगवान राम की महिमा को जो वर्णन मिलता है। वह सभी के दिलों को छू लेता है। क्याक आप जानते हैं विष्णु जी के सातवें अवतार श्री राम ने मर्यादा की स्थापना और अपनी मां कैकेयी की इच्छाैपूर्ति के लिए राजगद्दी छोड़ दी थी और वनवास स्वीकार किया था। इसलिए ही श्री राम को मर्यादा पुरुषोत्तम कहा जाता है।
श्री राम के जीवनकाल को महर्षि वाल्मीकि ने संस्कृत महाकाव्य रामयण में वर्णित किया है। राम पर तुलसीदास ने भी रामचरितमानस रचा है। राम के अलौकिक कार्यों को वाल्मीकि ने रामायण महाकाव्यन में संस्कृत में वर्णित किया, जिसे तुलसीदासजी ने रामचरितमानस नाम से अवधि में रचा।
कहा जाता है कि भगवान राम का जन्म मनु के 10 पुत्रों में से एक पुत्र इक्ष्वाकु के कुल में हुआ था।
चैत्र नवमी को भगवान राम का जन्म अयोध्या में हुआ था। इसी उपलक्ष्य में चैत्र नवमी को रामनवमी के रूप में भी जाना जाता है।
ऐसा भी कहा जाता है कि माता सीता की रावण से रक्षा करने जाते समय रास्तेज मंत आए समुद्र को पार करने के लिए भगवान राम ने एकादशी का व्रत किया था।
माना जाता है कि भगवान राम ने रावण को युद्ध में परास्ती करने के बाद रावण के छोटे भाई विभीषण को लंका का राजा बना दिया था।
पुराणों में कहा गया है कि माता कैकेयी के कहे अनुसार वनवास जाते समय भगवान राम की आयु 27 वर्ष थी।
राम-रावण के युद्ध के समय इंद्र देवता ने श्री राम के लिए दिव्य रथ भेजा था। इसी में बैठकर भगवान राम ने रावण का वध किया था।
राम-रावण का युद्ध खत्म न होने पर अगस्त्य मुनि ने राम से आदित्य हृदय स्तोत्र का पाठ करने को कहा था।
अरण्यो नामक राजा ने रावण को श्राप दिया था कि मेरे वंश से उत्पन्न युवक तेरी मृत्यु का कारण बनेगा। इन्ही के वंश में श्री राम ने जन्म लिया था। यह भी कहा जाता है कि गौतम ऋषि ने अपनी पत्नी अहिल्याा को पत्थर बनने का श्राप दिया था। इस श्राप से उन्हें भगवान राम ने ही मुक्ति दिलाई थी।
राशिफल: कैसा रहेगा आपका आज का दिन
3 Apr, 2025 12:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
मेष राशि :- स्त्री वर्ग से हर्ष-उल्लास, किसी तनावपूर्ण स्थिति में सुधार अवश्य ही होगा।
वृष राशि :- कार्यवृत्ति अनुकूल, चिन्ताऐं कम हों, स्त्री वर्ग से हर्ष-उल्लास अवश्य ही होगा।
मिथुन राशि :- कार्यवृत्ति अनुकूल, चिन्ताएं कम हों, पारिवारिक समस्या निपटेंगी, कार्य होगा।
कर्क राशि :- व्यवसायिक क्षमता अनुकूल रहेंगी, दैनिक स्थिति में सुधार अवश्य ही होगा।
सिंह राशि :- समय पर सोचे हुए कार्य बनेंगे, इष्ट मित्र सुखवर्धक होंगे, समय का ध्यान देवें।
कन्या राशि :- सामाजिक कार्य में मान-प्रतिष्ठा नवीन कार्य फलीभूत हो सकते हैं, कार्य बनेंं।
तुला राशि :- चिन्ताएं कम हों, समय अनुकूल नहीं, विशेष कार्य फलीभूत हों सफलता मिले
वृश्चिक राशि :- मनोवृत्ति एवं भावनाएं उत्साहवर्धक हों, कोई शुभ समाचार प्राप्त होगा।
धनु राशि :- दैनिक कार्यगति अनुकूल, मनोकामना पूर्ण होगी, शुभ समाचार अवश्य मिलेगा।
मकर राशि :- व्यर्थ धन व्यय, विरोधी परेशान अवश्य ही करेंगे, समय का ध्यान रखें।
कुंभ राशि :- समाज में मान-प्रतिष्ठा, प्रभुत्व वृद्धि होवेगी, व्यवसाय में साधन प्राप्त करें।
मीन राशि :- तनाव व क्लेश, अशांति से बनते हुए कार्य अवश्य ही बिगड़ जायेंगे, विवाद से बचें।
इन 2 घरों में बिलकुल न लगाएं तुलसी का पौधा, वरना नाराज हो जाएंगी मां लक्ष्मी, झेलना पड़ सकता है नुकसान
2 Apr, 2025 06:30 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
हिंदू धर्म में तुलसी के पौधे का बहुत अधिक महत्व माना जाता है. माना जाता है कि जिस घर में तुलसी का पौधा लगा होता है वहां हमेशा सुख-समृद्धि व बरकत बनी रहती है. इसके साथ ही प्रतिदिन तुलसी की पूजा की जाती है वहां देवी लक्ष्मी का वास भी बना रहता है व सकारात्मकता भी आती है. इसलिए सनातन धर्म में मानने वाले अकसर सभी घरों में तुलसी का पौधा लगाया जाता है.
लेकिन क्या आपको पता है कि कुछ घरों में तुलसी का पौधा लगाने की मनाही है, इन घरों में अगर तुलसी का पौधा लगाया जाता है तो इससे आपको नुकसान झेलना पड़ सकता है. जी हां, वास्तुशास्त्र के अनुसार कुछ घर ऐसे बताये गये हैं जहां तुलसी का पौधा लगाने से माता लक्ष्मी नाराज हो सकती हैं. .
इन घरों में भूलकर भी ना रखें तुलसी का पौधा
वास्तुशास्त्र के अनुसार, तुलसी का पौधा हमेशा सात्विक घरों में ही फलता-पूलता है. क्योंकि तुलसी को मां लक्ष्मी का स्वरूप भी माना जाता है और मां लक्ष्मी को स्वच्छता व सात्विकता प्रिय है, वे उसी स्थान पर वास करती हैं जहां पवित्रता व स्वच्छता होती है. लेकिन जिन घरों में गंदगी, मांस मदिरे का सेवन होता है उन स्थानों पर लक्ष्मी कभी वास नहीं करती है.
शास्त्रों के अनुसार, जिन घरों में तुलसी का मांस-मदिरा का सेवन होता है ऐसे घरों में कभी तुलसी का पौधा नहीं रखना चाहिए. क्योंकि ऐसे घरों में सात्विकता नहीं रह जाती और ऐसे घर अशुद्ध हो जाती हैं. ऐसे घरों में देवी लक्ष्मी कभी वास नहीं करती हैं. इसलिए जिन घरों में प्रतिदिन मांस, शराब आदि का सेवन किया जाता है वहां कभी तुलसी का पौधा नहीं रखना चाहिए.
इसके साथ ही जिन घरों में गंदगी रहती है वहां भी तुलसी का पौधा कभी नहीं लगाना चाहिए. क्योंकि तुलसी को साफ-सफाई वाले स्थान पर रखने पर ही तुलसी माता का वास रहता है. इसके साथ ही वास्तुशास्त्र के अनुसार, इन घरों में अगर आप तुलसी का पौधा लगाते हैं तो इससे आपको फायदा नहीं बल्कि नुकसान हो सकता है.
नवरात्रि खत्म होने के बाद जरूर करें ये 5 काम, जीवन में आएगी सुख-समृद्धि, सालभर बनी रहेगी मां दुर्गा की कृपा
2 Apr, 2025 06:15 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
पूरे देश में इस समय चैत्र नवरात्रि का त्यौहार मनाया जा रहा है. माता दुर्गा के नौ रूपों की पूजा की जा रही है. चैत्र नवरात्रि के पहले दिन विधि-विधान से घटस्थापना की जाती है. माना जाता है कि जिस घर में घटस्थापना होती है, वहां मां दुर्गा स्वयं पधारती हैं और घर में सुख-समृद्धि और खुशहाली बनी रहती है, लेकिन कई लोग नवरात्रि समाप्ति के बाद कलश को लेकर कुछ गलतियां कर बैठते हैं, जिससे मां दुर्गा नाराज हो सकती हैं और आपकी पूरी नवरात्रि निष्फल हो सकती है. आइए जानते हैं कि नवरात्रि समाप्ति के बाद कलश का क्या करना चाहिए, देवघर के ज्योतिषाचार्य से…
30 मार्च से चैत्र नवरात्रि की शुरुआत हो चुकी है और 7 अप्रैल को इसका समापन होगा. इस दौरान मां दुर्गा के नौ रूपों की पूजा धूमधाम से और विधि-विधान के साथ की जाएगी. नवरात्रि के पहले दिन कलश स्थापना में जैसे नियमों का ध्यान रखना आवश्यक होता है, वैसे ही विसर्जन के दौरान भी कुछ नियमों का पालन करना जरूरी है, अन्यथा मां दुर्गा नाराज हो सकती हैं.
विसर्जन के दौरान इन बातों का ध्यान रखें
नवरात्रि समाप्ति के बाद जब भी कलश हटाएं, तो कलश में रखे जल का छिड़काव पूरे घर में कर लें और बचे जल को तुलसी के पौधे में डाल दें. यह शुभ माना जाता है और इससे घर से नकारात्मक प्रभाव समाप्त हो जाता है. अगर मिट्टी का कलश है, तो उसे जल में प्रवाहित कर दें और उस मिट्टी के कलश को दोबारा किसी पूजा में उपयोग न करें.
जल में प्रवाहित कर दें नारियल
कलश के ऊपर रखा नारियल नवरात्रि समाप्ति के बाद जल में प्रवाहित कर दें या लाल कपड़े में बांधकर अपने पूजा घर में रख लें. इससे घर में सुख-समृद्धि बढ़ेगी. भूलकर भी उस नारियल को प्रसाद के रूप में ग्रहण न करें, अन्यथा मां दुर्गा नाराज हो सकती हैं.
तिजोरी में रखें सिक्का
कलश में एक सिक्का भी डाला जाता है. नवरात्रि समाप्ति के बाद उस सिक्के को लाल कपड़े में बांधकर अपने घर या दुकान की तिजोरी में रख लें, इससे हमेशा आर्थिक उन्नति होगी.
ईशान कोण में रखें अक्षत
पूजा-पाठ में अक्षत का विशेष महत्व होता है. नवरात्रि समाप्ति के बाद कलश हटाने के बाद अक्षत को लाल कपड़े में बांधकर घर के मुख्य द्वार पर बांध दें. यह उपाय आपको हर बुरी नजर से बचाएगा.
नवरात्रि में कन्याओं को न दें ये उपहार, हो जाएगा पाप !
2 Apr, 2025 06:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
नवरात्रि व्रत के बाद सबसे महत्वपूर्ण कार्य है कन्या पूजन अपनी स्थानीय और घरेलू मान्यताओं के आधार पर अष्टमी अथवा नवमी के दिन लोग कन्याओं को घर बुलाकर उन्हें भोजन कराते हैं. सबसे पहले घर बुलाकर उनके पद धोए जाते हैं और भोजन के पश्चात उन्हें माता की चुनरी उड़ा कर उपहार और दक्षिणा आदि देखकर पैर छूकर उन्हें विदा किया जाता है. नवरात्रि के अंतिम व्रत के पक्ष अष्टमी अथवा नवमी की तिथि में छोटी-छोटी कन्याओं को देवी स्वरूप मानकर उनका पूजन करना कन्या पूजन या कंजक कहलाता है.
कन्या पूजन में लोग 2 वर्ष से 10 वर्ष तक की छोटी कन्याओं को मां दुर्गा के अलग-अलग स्वरूप मानकर सम्मान सहित घर बुलाकर उन्हें भोजन पूरी हलवा चना और नारियल खिलाते हैं तथा साथ ही उन्हें उपहार देकर उनका आशीर्वाद लेते हैं. मान्यता है कि कन्या पूजन करने से मां दुर्गा शीघ्र प्रसन्न होकर अपना आशीर्वाद प्रदान करती है.
कन्या पूजन में ना करें गलती : लोग काफी उत्साह से नवरात्रि में कन्या पूजन करते हैं लेकिन उन्हें ध्यान रखना चाहिए कि कोई ऐसी गलती ना कर दें जिससे माता नाराज हो जाए और आपको माता की नाराजगी का शिकार बनना पड़े.
कन्याओं को ये उपहार ना दें : कन्या पूजन में छोटी-छोटी कन्याओं को प्लास्टिक की चीज अथवा स्टील के बने बर्तन आदि उपहार में नहीं देना चाहिए. कांच से बनी हुई चीज अथवा नुकीली चीज जैसे चाकू कैंची या कोई भी धारदार तलवार आदि चीज कंजक को नहीं देनी चाहिए. कन्या पूजन के पश्चात कन्याओं को काले वस्त्र, काले रंग का रुमाल आदि बिल्कुल भी ना दें.
कैसे करें कन्या पूजन : कन्याओं के घर आते ही सबसे पहले उनके पैर धोए, उसके पश्चात उन्हें तिलक लगाए और आसन पर बिठा दें. कन्या के भजन में लहसुन प्याज से कोई भी चीज ना बनाएं. कन्याओं को विदा करने के बाद तुरंत घर की साफ सफाई नहीं करनी चाहिए.
कन्याओं को क्या दें : नवरात्रि में कन्या पूजन के पश्चात कन्याओं को भोजन के साथ-साथ श्रृंगार का सामान, शिक्षा से जुड़ी चीज जैसे कॉपी, किताब, पेन, पेंसिल, ज्योमेट्री बॉक्स, फल, मिठाई, पैसे और टेडीवियर आदि दिए जा सकते हैं.
राशिफल: कैसा रहेगा आपका आज का दिन
2 Apr, 2025 12:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
मेष राशि :- अधिक संघर्षशीलता से बचिये, भोग-ऐश्वर्य की प्राप्ति होगी, ध्यान दें।
वृष राशि :- विरोधी तत्व परेशान करें, कुछ शुद्ध गोचर रहने से समय व लाभ अवश्य होगा।
मिथुन राशि :- कार्य निश्चय ही बनें, समय की अनुकूलता का लाभ लेवें, मानसिक संतोष होगा।
कर्क राशि :- कुटुम्ब में शुभ समाचार, दैनिक व्यवसाय में अनुकूलता अवश्य ही बन जायेगी।
सिंह राशि :- सरकारी कार्य निपटा लें, सफलता का संघर्ष निश्चय फलदायी होगा।
कन्या राशि :- सामाजिक कार्यों में मान-प्रतिष्ठा, नवीन चेतना अवश्य फलप्रद होगी।
तुला राशि :- विवाद ग्रस्त होने से बचिये अन्यथा संकट में फंस सकते हैंं, कार्य पर ध्यान दें।
वृश्चिक राशि :- समृद्धिवर्धक योग बनेंगे, अधिकारी वर्ग का लाभ मिलेगा, समय का ध्यान रखें।
धनु राशि :- मनोबल उत्साहवर्धक होगा, समय पर सोचे कार्य बनेंगे, अधिकारी वर्ग समर्थक बनेंगे।
मकर राशि :- मानसिक शांति बनाये रखें, विरोधी तत्व परेशान करेंगे, मार्ग अवश्य बनेंगे।
कुंभ राशि :- सफलता के साधन बनें, व्यर्थ भटकने से बचें, समय का ध्यान अवश्य रखें।
मीन राशि :- प्रत्येक कार्य में बाधा, कार्य में विलम्ब, किसी मित्र से धोखा अवश्य होगा।
नवरात्रि में करें ये भाग्य जगाने का टोटका ! जिंदगी की हर समस्या हो जाएगी छूमंतर
1 Apr, 2025 06:45 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
नवरात्रि का पर्व चल रहा है. मान्यता है कि नवरात्र में यदि हम कोई उपाय करते हैं तो उसका फल हमें जल्दी मिलता है. हर व्यक्ति अपने किसी न किसी कष्ट से परेशान है. उसे कर्ज की समस्या है या उसका भाग्य साथ नहीं देता है.इन उपायों से सोया हुआ भाग्य जाग जाता है. हर व्यक्ति अपने अपने तरीके से दान और धर्म कर रहा है. ज्योतिष शास्त्र में कुछ ऐसे दान अथवा उपाय बताये गये हैं जिन्हें करने से आपके जीवन में खुशियां और धन की बारिश होने लगेगी.आज हम आपको ऐसे उपाय बता रहे हैं जिसे करने से आप कब करोड़पति हो जाएंगे आपको खुद नहीं पता चलेगा. इन उपायों को नवरात्रि में करने से विशेष लाभ होगा. आइये जानते हैं.
नवरात्रि में जगह-जगह भंडारे का आयोजन होगा. यदि आपके नजदीक में कहीं भी भंडारे का आयोजन हो तो आप उसमें नमक और आटे, दाल आदि का दान अवश्य करें.
यदि कहीं भी आपको ऐसा मंदिर दिखता है जो टूटा फूटा है या उसकी छत की मरम्मत होनी है तो उसकी छत की मरम्मत या बनवाने में अपने पैसे दान करें इससे आपकी किस्मत के द्वार खुल जाएंगे.
किसी भी मंगलवार के दिन यदि आप हनुमान जी के मंदिर में जाकर चुपके से एक माचिस का दान करते हैं तो इससे आपके ऊपर उनकी कृपा दृष्टि सदैव बनी रहेगी साथ ही आपका कर्ज दूर हो जाएगा.
कहीं भी जहां पर बिल वाले जीव – जंतु होते हैं जैसे चींटी, चूहे आदि. वहां पर एक लड्डू डाल देना इससे आपके साथ बहुत बड़ा चमत्कार होगा.
यदि सड़क चलते आपको कहीं पर भी ऐसा इंसान दिख जाए जिसके तन पर कपड़े ना हो उसे व्यक्ति को वस्त्रदान करें. ऐसा करने से आपका भाग्य खुल जाएगा.
सड़क चलते मजदूर, भिखारी, विकलांग अथवा कुष्ठ रोगी यदि आपको दिख जाए तो उन्हें आप चाय अवश्य पिलाएं. इससे आपकी किस्मत बदल जाएगी.
नवरात्रि के पहले दिन एक नारियल पर मौली लपेटकर माता रानी को अर्पित करें और बाद में इसे बहते पानी में प्रवाहित करें, इससे बीमारी दूर होती है.
नवरात्रि के दौरान फिटकरी और अजवाइन को लाल कपड़े में बांधकर रोगी के सिर से 7 बार घुमाकर बहते पानी में डाल दें.इससे बीमारी दूर होगी.
नवरात्रि में आएं इनके सपने तो समझिए माता हैं प्रसन्न, जल्द भरेगी तिजोरी, दूर होंगे कष्ट-क्लेश!
1 Apr, 2025 06:30 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
हिंदू धर्म में नवरात्र का विशेष महत्व होता है. नवरात्रि के दौरान माता रानी की विधि-विधान पूर्वक पूजा-अर्चना की जाती है. धार्मिक मान्यता है कि नवरात्र में माता रानी की पूजा-अर्चना करने से जीवन में सुख, समृद्धि और सौभाग्य की वृद्धि होती है. ज्योतिष गणना के मुताबिक नवरात्र के दौरान जागते और सोते समय अगर आपको मां दुर्गा की उपस्थिति हमेशा महसूस हो रही है या नवरात्रि के दौरान आपको स्वप्न में कुछ चीजें दिख रही हैं, तो ऐसी स्थिति में आप समझिए कि माता दुर्गा आपसे बहुत प्रसन्न हैं.
वे आपके भाग्य को चमकाने का संकेत भी दे रही हैं. ऐसी स्थिति में चलिए इस रिपोर्ट में विस्तार से समझते हैं कि नवरात्र के दौरान कौन-सी चीज देखने के बाद इसका संकेत लगाया जाता है.
इस समय पूजा का विशेष महत्व
कि नवरात्र का पवित्र हफ्ता चल रहा है और नवरात्र के इस पवित्र महीने में व्यक्ति अगर सच्चे मन से मां दुर्गा की पूजा-अर्चना करता है, तो उसे कई गुना फल की प्राप्ति भी होती है. इस दौरान अगर नौ दिनों में स्वप्न में कुछ खास चीजें दिखती हैं, तो ऐसा माना जाता है कि माता रानी प्रसन्न हैं.
माता दिखाई दें तो क्या ही कहना
ज्योतिष के मुताबिक, अगर नवरात्र में सोते समय सपने में माता दुर्गा के दर्शन हों, तो इसे शुभ माना जाता है. इसका संकेत होता है कि माता दुर्गा आपसे बेहद प्रसन्न हैं और उनकी कृपा आप पर बसने वाली है.
फूल दिखना अच्छा
इसके अलावा, नवरात्र के पावन दिनों में अगर आपके सपने में रंग-बिरंगे फूल लहराते दिखाई दें, तो समझिए कि आपका भाग्य बदलने वाला है. इसके अलावा, अगर नवरात्रि के दौरान आपके सपने में फूल दिखता है, तो यह इस बात का प्रतीक है कि आपकी जिंदगी में कुछ ऐसे ही खूबसूरत रिश्ते बनने वाले हैं.
मंदिर दिखे तो क्या मतलब
स्वप्न शास्त्र के मुताबिक, नवरात्रि की अवधि में सपने में अगर मंदिर के दर्शन हों या आप पूजा-पाठ करते हुए नजर आएं, तो यह भी बहुत शुभ माना जाता है. यह इस बात का संकेत होता है कि आपके जीवन में कई तरह की खुशखबरी मिलने वाली है और परिवार में सुख, समृद्धि, खुशहाली का आगमन होने वाला है.