धर्म एवं ज्योतिष
भगवान शिव हैं महायोगी
17 Apr, 2025 06:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
भगवान शिव की जिंदगी के हर पहलू से कुछ न कुछ सीखा जा सकता है लेकिन यहां हम कुछ उनसे जुड़ी कुछ ऐसी बातों का जिक्र कर रहे हैं। जिन्हें, कोई व्यक्ति अपनी जिंदगी में आत्मसात करते है तो उसे सफल होने से कोई नहीं रोक सकता है।रखें आत्म नियंत्रण : भगवान शिव शांत भी रहते हैं और विनाशकारी भी, लेकिन वह अपने ऊपर पूरा आत्मनियंत्रण रखते हैं। यदि कोई मनुष्य उनकी इस बात को आत्मसात करे तो जीवन में काफी आगे तक जा सकता है।
शांत रहें और अपना कार्य करते रहें : शिव को महायोगी कहा जाता है। वह घंटों और युगों तक ध्यान अवस्था में रहते हैं। और ध्यान में मानव कल्याण के लिए कार्य करते हैं। यदि कोई मनुष्य उनकी इसी सीख से शांत रहकर अपने कार्य को करते रहें तो सफल होने से कोई नहीं रोक सकता है।
ध्यान रखें भौतिक सुख लंबे समय का साथी नहीं : शिव का स्वरूप भभूतधारी है। वह बाघ की खाल पहने हुए हैं। उनके हाथों में त्रिशूल है। वह भौतिक वस्तुओं से दूर रहते हैं। यदि कोई मनुष्य भौतिक जीवन की लालसा को त्याग कर अपने कर्म पर ध्यान दे तो वो न केवल सफल होगा बल्कि उसकी प्रशंसा चारो तरफ की जाती है।
नकारात्मकता से रहें दूर : भगवान शिव ने दुनिया बचाने के लिए समुद्र मंथन से निकले जहर को अपने कंठ में सुशोभित किया। इससे तमाम तरह की नकारात्मकता का अंत हुआ और दुनिया का सर्वनाश होने से बच गया। कहने का आशय यह है कि यदि हम भी अपने आस-पास मौजूद नकारात्मकता यानी बुराई का अंत करें तो सकारात्मक माहौल हमारे आस-पास हमेशा रहेगा।
इच्छाएं सीमित रखें : कहते हैं इच्छाओं का कभी अंत नहीं होता। यानी जो आपके पास है। उसमें ही हंसी-खुशी जिंदगी जीएं तो जीवन स्वर्ग की तरह हो जाएगा। भगवान शिव संन्यासियों की तरह जीवन जीते हैं। वह इच्छाओं से परे हैं। यदि कोई उनकी इन बातों को आत्मसात करे। तो सफलता उनके कदमों तले होगी
राशिफल: कैसा रहेगा आपका आज का दिन
17 Apr, 2025 12:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
मेष राशि :- अपने व्यय पर नियंत्रण रखें, चिन्ता, भ्रमण तथा अशांति से बचें, कष्ट होगा।
वृष राशि :- कोई शुभ समाचार हर्षप्रद रखे, थकावट, बेचैनी तथा धन अच्छा व्यय होगा।
मिथुन राशि :- कुटुम्ब से तनाव, क्लेश व अशांति तथा मानसिक विभ्रम अवश्य होगा।
कर्क राशि :- अशुद्ध गोचर रहने से विशेष कार्य स्थगित रखें तथा व्यय अनायास होगा।
सिंह राशि :- स्त्री-वर्ग से कष्ट व चिन्ता, व्यय, व्यवसाय व कार्य उत्तम बन जायेंगे।
कन्या राशि :- अधिकारियों के तनाव तथा क्लेश से बचिये, दैनिक कार्यगति में बाधा होगी।
तुला राशि :- अशुद्ध गोचर रहने से विशेष कार्य स्थगित रखें, अग्नि-चोटादि का भय होगा।
वृश्चिक राशि :- अशुद्ध गोचर रहने से विशेष कार्य में बाधा होगी, बने कार्य बिगड़ सकते हैं।
धनु राशि :- व्यावसाय में बेचैनी तथा तनाव बनेगा, परिश्रम विफल होगा, शांत रहें।
मकर राशि :- चोट, कष्टादि का भय, अशुद्ध गोचर रहने से कार्य की हानि होगी।
कुंभ राशि :- स्त्री-वर्ग से तनाव, क्लेश व अशांति तथा मानसिक विभ्रम होगा।
मीन राशि :- समय ठीक नहीं विशेष कार्य स्थगित रखें तथा अनायास विभ्रम से अवश्य बचें।
अक्षय तृतीया पर 82 साल बाद ऐसा संयोग, करें ये काम, चमक जाएगी किस्मत
16 Apr, 2025 06:45 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
सनातन धर्म में अक्षय तृतीया (Akshay Tritiya) के पर्व का विशेष धार्मिक महत्त्व है. हर साल वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को ये महापर्व मनाया जाता है. शास्त्रों में इस तिथि को ईश्वरीय तिथि कहा गया है. कहा जाता है कि इस दिन किए गए पुण्य काम का अक्षय फल मिलता है. इस बार अक्षय तृतीया पर कई शुभ संयोग बन रहे हैं. ज्योतिषियों का मानना है कि करीब 82 साल बाद ऐसा अद्भुत योग है, जो इस दिन को और शुभ बना रहे हैं. वैदिक हिंदू पंचांग के अनुसार, इस बार अक्षय तृतीया का महापर्व 30 अप्रैल को मनाया जाएगा. इस दिन सर्वार्थ सिद्धि योग के साथ शोभन योग का संयोग भी बन रहा है. इस दिन रवि योग भी है, जो पूरे रात्रि रहेगा.
सभी सिद्धियों की प्राप्ति
काशी हिंदू विश्वविद्यालय के ज्योतिष विभाग के प्रोफेसर विनय पांडेय कहते हैं कि सर्वार्थ सिद्धि योग में पूजा से सभी सिद्धियों की प्राप्ति होती है. 30 अप्रैल को दोपहर 12 बजकर 02 मिनट से शोभन योग की शुरुआत हो रही है. शाम 4 बजकर 16 मिनट से रवि योग भी लग रहा है.
हर काम के लिए शुभ
पंचांग के अनुसार, इस बार वैशाख शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि की शुरुआत 29 अप्रैल 2025 को शाम 5 बजकर 32 मिनट से हो रहा है, जो अगले दिन यानी 30 अप्रैल को दोपहर 2 बजकर 25 मिनट तक रहेगा. ऐसे में उदया तिथि के अनुसार, 30 अप्रैल को ही अक्षय तृतीया के पर्व मनाया जाएगा.
धार्मिक मान्यता है कि इस दिन किए गए किसी भी शुभ कार्य का अक्षय फल मिलता है. इसलिए इस दिन बिना मुहूर्त के शादी, मुंडन, अन्नप्रासन सहित सभी मांगलिक कार्य किए जाते हैं.
पूजा के बाद भूलकर भी न करें ये 9 काम! पुण्य की जगह बनेंगे पाप के भागी! यहां जानें कौनसे हैं वे कार्य?
16 Apr, 2025 06:30 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
पूजा का समय घर में सबसे शांत, पवित्र और ऊर्जावान होता है. जब भी हम भगवान की आराधना करते हैं, तो उसका असर सिर्फ हमारे मन पर नहीं, हमारे पूरे शरीर और वातावरण पर भी पड़ता है. लेकिन अक्सर लोग पूजा के बाद कुछ ऐसे काम कर बैठते हैं, जो इस पवित्र ऊर्जा को नष्ट कर सकते हैं. अगर आप सच में चाहते हैं कि आपकी पूजा का पूरा फल मिले, तो इन बातों का ध्यान रखना बेहद ज़रूरी है. आइए जानते हैं
1. किसी को श्राप देना
अगर आप पूजा के बाद किसी को कोसते हैं या बुरा कहते हैं, तो वो आपके अपने ही जीवन में परेशानी खड़ी कर सकता है. इसलिए इस समय वाणी पर नियंत्रण रखना चाहिए.
2. मांस या शराब का सेवन
पूजा के बाद शुद्धता बनाए रखना जरूरी है. ऐसे में मांस या मदिरा का सेवन करने से मन और शरीर की शुद्धता नष्ट होती है.
3. नाखून या बाल काटना
पूजा करने के बाद शरीर और मन दोनों विशेष ऊर्जा में होते हैं. ऐसे में नाखून या बाल काटना शुभ नहीं माना जाता. इससे नकारात्मकता बढ़ सकती है.
4. किसी का अपमान करना
पूजा के बाद मन शांत और कोमल होता है. ऐसे में अगर आप किसी से गलत तरीके से बात करते हैं या उसका अपमान करते हैं, तो आपके द्वारा की गई पूजा का असर खत्म हो सकता है.
5. साधु संत का अपमान
अगर कोई संत या साधु पूजा के समय या बाद में आपके घर आता है, तो उसे दरवाजे से लौटाना बहुत ही अशुभ माना जाता है.
6. भोग तुरंत न खाना
भगवान को चढ़ाया गया भोग थोड़ा रुक कर ही खाना चाहिए. तुरंत ग्रहण करने से उसका आध्यात्मिक महत्व कम हो सकता है.
7. शारीरिक संबंध बनाना
इस समय शरीर शांत अवस्था में होता है और ऊर्जा अंदर की ओर केंद्रित रहती है. इसलिए पूजा के तुरंत बाद इस प्रकार की गतिविधियों से बचना चाहिए.
8. नमक युक्त भोजन
पूजा के तुरंत बाद नमक वाला खाना खाना भी ठीक नहीं माना गया है. इससे शरीर की ऊर्जा असंतुलित हो सकती है.
9. पैर धोना
पूजा के तुरंत बाद पैर धोने से भी पूजा का असर कम हो सकता है. इसलिए थोड़ी देर रुककर ही स्नान या पैर धोने जैसे काम करें.
8 महीने जल से डूबा रहता है काशी का यह मंदिर, एक श्राप की वजह से 9 डिग्री के एंगल पर झुका
16 Apr, 2025 06:15 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
भोलेनाथ के त्रिशूल पर टिका वाराणसी शहर या काशी निराली है, निराली हैं यहां की गलियां और निराले हैं ‘बाबा की नगरी’ के मंदिर भी. काशी की धरती पर कदम रखते ही आपको कई ऐसी चीजें दिखेंगी, जिसे देखकर आप हैरत में पड़ जाएंगे. किसी पतली सी गली में हर साल तिल के बराबर बढ़ते तिलभांडेश्वर विराजमान हैं, तो कहीं गंगा को स्पर्श करता 9 डिग्री के एंगल पर झुका प्राचीन रत्नेश्वर महादेव का मंदिर. विदेशी हों या स्वदेशी सैलानी, अद्भुत नगरी को देखकर बोल पड़ते हैं ‘का बात हौ गुरु’. इस प्राचीन मंदिर को देखकर इटली के पीसा टॉवर की याद आपको आएगी लेकिन यह मंदिर पीसा टॉवर से भी ज्यादा झुका हुआ है.
9 डिग्री के एंगल पर झुका रत्नेशवर मंदिर
काशी के ज्योतिषाचार्य, यज्ञाचार्य एवं वैदिक कर्मकांडी पं. रत्नेश त्रिपाठी ने रत्नेश्वर महादेव के मंदिर के बारे में विस्तार से जानकारी दी. उन्होंने बताया है कि भगवान शिव के मंदिर को देखकर आपको आश्चर्य होगा. 9 डिग्री के एंगल पर झुका रत्नेशवर मंदिर बनारस के 84 घाटों में से एक सिंधिया घाट पर स्थित है. गुजराती शैली में बने इस मंदिर में गजब की कलाकृति उत्कीर्ण है. नक्काशी के साथ इसके अनोखेपन को देखने के लिए दुनियाभर से लोग यहां आते हैं. इस मंदिर को मातृ ऋण महादेव, काशी का झुका मंदिर या काशी करवात के नाम से भी जाना जाता है.
अहिल्याबाई ने दिया श्राप
ज्योतिषाचार्य ने यह भी जानकारी दी कि मंदिर का निर्माण कैसे हुआ. पं. त्रिपाठी ने बताया कि रानी अहिल्याबाई ने गंगा किनारे की यह जमीन अपनी दासी रत्नाबाई को दी थी, जिसके बाद रत्नाबाई ने इस मंदिर का निर्माण करने की योजना बनाई और उसे पूरा भी किया. रानी अहिल्याबाई ने केवल जमीन नहीं बल्कि मंदिर निर्माण के लिए उन्हें धन भी दिया था. निर्माण पूरा होने के बाद जब अहिल्याबाई वहां पहुंचीं तो वह मंदिर की खूबसूरती से मोहित हो गईं और दासी से बोलीं “मंदिर को कोई नाम देने की जरूरत नहीं है. लेकिन रत्नाबाई ने इसे अपने नाम से जोड़ते हुए रत्नेश्वर महादेव का नाम दे दिया. इससे अहिल्याबाई नाराज हो गईं और उन्होंने श्राप दे दिया और मंदिर झुक गया.
सावन में बाबा के दर्शन संभव नहीं
काशी के वासी और श्रद्धालु सोनू अरोड़ा ने मंदिर के बारे में रोचक जानकारी दी. उन्होंने बताया कि हम लोग बाबा के दर्शन के लिए हमेशा आते हैं. लेकिन भोलेनाथ को प्रिय सावन के महीने में रत्नेश्वर महादेव में दर्शन-पूजन नहीं हो पाता. वजह है सावन के महीने में गंगा नदी का बढ़ता जलस्तर. गर्भगृह में गंगा का जल आ जाता है, जिससे बाबा के दर्शन संभव नहीं हो पाते. 12 महीनों में से लगभग 8 महीने तक यह मंदिर जल में डूबा रहता है, जिससे दर्शन संभव नहीं हो पाता है.
रत्नेश्वर मंदिर को लेकर अन्य कथा
रत्नेश्वर मंदिर को लेकर एक दंत कथा भी प्रचलित है. कहा जाता है कि राजा मानसिंह के एक सेवन में अपनी मां रत्नाबाई के लिए एक मंदिर बनवाया था. मंदिर बनवाने के बाद सेवक के अंदर घमंड आ गया और घोषणा करने लग गया कि उसने अपनी मां का कर्ज चुका दिया था. यह बात जितना वह बोलता गया, मंदिर उतना ही झुकता गया. लेकिन मां के ऋण से कभी मुक्त नहीं हुआ जा सकता इसलिए यह मंदिर टेढ़ा हो गया.
शुरू हुआ वैशाख का महीना, इसमें कर लें ये छोटे-छोटे काम, बनने लगेंगे हर कार्य, मिलेगी कृष्ण कृपा
16 Apr, 2025 06:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
हिंदू कैलेंडर के अनुसार दूसरा माह 14 अप्रैल से प्रारंभ हो चुका है और यह वैशाख का महीना कहलाता है. इस माह को कई लोग माधव मास भी कहते हैं. क्योंकि धार्मिक मान्यताओं के अनुसार वैशाख माह में मुख्य रूप से भगवान श्रीकृष्ण व विष्णु जी की आराधना की जाती है. मान्यता के अनुसार, भगवान विष्णु को वैशाख का महीना बहुत प्रिय होता है.
हिंदी महीनों में वैशाख की गिनती सबसे शुभ मास में की जाती है. वहीं ज्योतिषशास्त्र के अनुसार अगर इस महीने कुछ विशेष उपाय कर लिये जाएं तो व्यक्ति को इससे पुण्य व शुभ फलों की प्राप्ति होती है. कि वैशाख के महीने में किन-किन चीजों का दान करना चाहिए और कौन से कार्य करने से बचना चाहिए.
वैशाख माह में जरूर करें ये कार्य, मिलेगा पुण्य
वैशाख माह में पूजा-पाठ ,स्नान और दान का बहुत
महत्व है. यह समय है जब आप छोटे-छोटे कार्य से भी बड़े पुण्य प्राप्त कर सकते हैं, इसलिए वैशाख के पवित्र माह में ये कार्य करना चाहिए
जल का दान करें
तेज धूप में राहगीरों के लिए प्याऊ लगवाना या उन्हें शीतल जल पिलाना पुण्यदायी होता है. वैशाख का महीना बहुत गर्म होता है ऐसे में सिर्फ इंसान ही नहीं बल्कि पशु-पक्षियों के लिए भी दाना-पानी रखना बेहद पुण्य का काम माना जाता है. इसलिए इस माह ये कार्य जरूर करें.
फलों का दान
इस महीने गरीबों को आम, खरबूजा जैसे फल जो की शरीर में पानी की पूर्ति करते हैं ऐसे फलों का दान करना बेहद अच्छा माना जाता है.
जूते-चप्पल का दान करना
जूते-चप्पल का दान करना बहुत शुभ माना जाता है. इससे न केवल उनकी दुआ लगती हैं बल्कि सौभाग्य भी बढ़ता है और तो और कुंडली में मौजूद खराब शनि की स्थिति में भी सुधार होता है.
वैशाख माह में भूलकर भी ना करें ये काम
वैशाख माह में तेज गर्मी होती है ऐसे में कुछ बातों पर ध्यान देने से स्वास्थ्य और धर्म दोनों की रक्षा होती है. जब सूर्य सिर के ऊपर होता है उस समय बाहर निकलने से बचें.
वैशाख के महीने में तली-भुनी व मसालेदार चीजों से दूरी बनाकर रखें और जितना हो सके हल्का, सादा और ठंडक देने वाला भोजन करें.
वैशाख के महीने में देर रात भोजन करने से बचें, क्योंकि यह आपका पाचन बिगड़ता है और धार्मिक दृष्टि से देखा जाए तो भी यह अनुचित माना गया है.
इस माह में जमीन पर सोना अच्छा माना जाता है यह न केवल स्वास्थ्य के लिए लाभदायक है बल्कि यह विनम्रता और तपस्या का प्रतीक भी है.
राशिफल: कैसा रहेगा आपका आज का दिन
16 Apr, 2025 12:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
मेष राशि :- व्यय, बाधा, स्वभाव में उद्विघनता तथा दु:ख, कष्ट अवश्य ही होगा, ध्यान रखें।
वृष राशि :- योजनायें पूर्ण होंगी, धन का व्यय, व्यावसायिक लाभ होगा, आशानुकूल सफलता से हर्ष होगा।
मिथुन राशि :- किसी आरोप से बचें, कार्यगति मंद रहेगी, क्लेश व अशांति अवश्य होगी।
कर्क राशि :- इष्ट-मित्र सुखवर्धक होंगे, कार्यगति में सुधार होगा, चिन्तायें कम होंगी।
सिंह राशि :- मनोबल उत्साह वर्धक होगा, कार्यगति में सुधार होगा, लाभ होगा।
कन्या राशि :- साम्थर्य और धन अस्त-व्यस्त हो, सतर्कता से कार्य आप अवश्य निपटा लें।
तुला राशि :- मान-प्रतिष्ठा, सुख के साधन बनें, स्त्री-वर्ग से सुख और शांति बनेगी।
वृश्चिक राशि :- अग्नि, चोटादि का भय, व्यर्थ भ्रमण, धन का व्यय होगा, कार्य बनके रुक जायेंगे।
धनु राशि :- तनाव, क्लेश व अशांति, मानसिक विभ्रम, विद्वेश व तनाव बना रहेगा।
मकर राशि :- विवाद ग्रस्त होने बचिये, तनाव, क्लेश, मानसिक अशांति अवश्य होगी।
कुंभ राशि :- धन लाभ, आशानुकूल सफलता का हर्ष, इष्ट-मित्र सुखवर्धक होंगे।
मीन राशि :- भोग-ऐश्वर्य की प्राप्ति, दिन उत्साह से बीते, मनोवृत्ति उत्तम बनेगी, ध्यान रखें।
अयोध्या के राम मंदिर के मुख्य शिखर पर कलश स्थापित, जानें महत्व और कलश के दर्शन के लाभ
15 Apr, 2025 06:45 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
अयोध्या में भव्य श्रीराम मंदिर के निर्माण ने सोमवार को एक और ऐतिहासिक पड़ाव पार कर लिया. ब्राह्मणों की उपस्थिति में वैदिक विधि-विधान के साथ मुख्य शिखर पर कलश स्थापित किया गया. यह पवित्र कार्य सुबह 9 बजकर 15 मिनट पर शुरू हुआ और 10 बजकर 30 मिनट पर मंदिर के शिखर पर कलश की स्थापना पूरी हुई. इस अवसर पर अयोध्या में उत्सव का माहौल रहा और स्थानीय लोगों ने इसे ऐतिहासिक क्षण बताया. राम मंदिर के निर्माण और अयोध्या के कायाकल्प से न केवल उत्तर प्रदेश, बल्कि पूरे देश में रामभक्ति की लहर और मजबूत हो रही है.
मूर्तियों की प्रतिष्ठा का कार्य शीघ्र शुरू होगा
श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय ने बताया कि बैसाखी और बाबा साहेब डॉ. भीमराव अंबेडकर की जयंती के शुभ अवसर पर यह कार्य संपन्न हुआ. अब मंदिर के मुख्य शिखर पर ध्वजदंड स्थापना की प्रक्रिया शुरू होगी. मंदिर निर्माण प्रगति पर है. चंपत राय ने जानकारी दी कि मंदिर परिसर से अब निर्माण मशीनें हटाई जाएंगी. फर्स्ट फ्लोर पर राजा राम, परकोटे और सप्तऋषियों के मंदिरों में मूर्तियों की प्रतिष्ठा का कार्य भी शीघ्र शुरू होगा. मंदिर का निर्माण कार्य निर्धारित समय पर आगे बढ़ रहा है, जिससे भक्तों में उत्साह है.
कलश और ध्वज के दर्शन करने से मिलता है लाभ
मंदिर के शिखर पर कलश और ध्वज इसलिए लगाया जाता है, ताकि जो लोग मंदिर किसी वजह से नहीं पहुंच पा रहे हों, वो कलश और ध्वज के दर्शन कर लें. शास्त्रों में बताया गया है कि शिखर पर मौजूद कलश और ध्वज के दर्शन करने मंदिर ना जाने से भी मंदिर जाने का पुण्य प्राप्त हो जाता है. मंदिर के शिखर के दर्शन करने से ही उतना ही पुण्य प्राप्त होता है, जितना मंदिर के अंदर प्रतिमा के दर्शन करने से होता है. शास्त्रों में लिखा भी गया है कि ‘शिखर दर्शनम पाप नाशम’ अर्थात शिखर के दर्शन करने मात्र से ही सभी पाप नष्ट हो जाते हैं.
कलश और ध्वज के दर्शन से मिलता है पुण्य लाभ
मंदिर के शिखर को ऊंचा बनाने का कारण भी यही होता है कि लोग आसानी से मंदिर के शिखर के दर्शन कर सकें. जो मंदिर नहीं पहुंच पा रहे हैं, वे दूर से ही मंदिर के शिखर को देख सकते हैं और उनका दर्शन कर सकते हैं. मान्यता है कि अगर आप मंदिर के पास से गुजर रहे हों तो शिखर पर मौजूद कलश और ध्वज के दर्शन कर प्रणाम अवश्य करना चाहिए. ऐसा करने से विशेष पुण्य की प्राप्ति होती है.
सीएम योगी ने की प्रशंसा
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इस उपलब्धि पर प्रसन्नता जताते हुए कहा कि राम मंदिर का निर्माण न केवल आध्यात्मिक, बल्कि सांस्कृतिक और सामाजिक एकता का प्रतीक है. उन्होंने कहा कि अयोध्या में भगवान श्रीराम के भव्य मंदिर का निर्माण देशवासियों की आस्था और संकल्प का परिणाम है. यह भारत की सनातन संस्कृति को विश्व पटल पर और सशक्त करेगा. सीएम योगी ने ट्रस्ट और निर्माण कार्य से जुड़े सभी लोगों की सराहना की और इसे ‘नए भारत’ की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम बताया. उन्होंने आगे कहा कि अयोध्या को विश्वस्तरीय तीर्थ स्थल बनाने के लिए राज्य सरकार हर संभव प्रयास कर रही है. सड़क, रेल और हवाई संपर्क के साथ-साथ पर्यटकों और श्रद्धालुओं की सुविधाओं का विस्तार किया जा रहा है.
आपकी भी है इन 4 राशि में से एक? जरूर पहनें सोने की अंगूठी, करियर में मिलती है तरक्की और दूर होता है मेंटल स्ट्रेस!
15 Apr, 2025 06:30 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
सोना केवल एक कीमती धातु नहीं है, बल्कि यह हमारी परंपराओं और विश्वासों से गहराई से जुड़ा हुआ है. भारतीय समाज में सोना शुभता और समृद्धि का प्रतीक माना जाता है. खासतौर पर सोने से बनी अंगूठी कई लोगों के जीवन में सकारात्मक असर लाती है. ज्योतिष में भी इसे विशेष स्थान मिला है. ऐसा माना जाता है कि कुछ खास राशियों के लिए सोने की अंगूठी पहनना बेहद फायदेमंद होता है.
1. मेष राशि
मेष राशि के लोगों के स्वभाव में जोश और आत्मविश्वास होता है. इनकी ऊर्जा को संतुलित करने और सही दिशा में मोड़ने के लिए सोने की अंगूठी बेहद उपयोगी मानी जाती है. इसे पहनने से धन का प्रवाह बढ़ता है और कई बार करियर में भी तेजी से तरक्की देखने को मिलती है. साथ ही यह मानसिक तनाव को कम करने में भी सहायक होती है.
2. सिंह राशि
सिंह राशि के जातक स्वाभाविक रूप से नेतृत्व करने की क्षमता रखते हैं. इनके लिए सोना आत्मबल और आकर्षण का स्रोत बन सकता है. जब ये सोने की अंगूठी पहनते हैं, तो इनके व्यक्तित्व में एक अलग चमक आ जाती है. यह अंगूठी उनके लिए विशेष रूप से कामकाज और सम्मान की दृष्टि से फायदेमंद मानी जाती है.
3. धनु राशि
धनु राशि के लोग साहसी और सकारात्मक सोच वाले होते हैं. सोने की अंगूठी इनके भाग्य को मजबूत करती है और नए अवसरों के द्वार खोलती है. यह अंगूठी पहनने से इन्हें यात्रा में सफलता, शिक्षा में लाभ और जीवन में स्थिरता मिलती है. कई बार रुके हुए काम भी बनने लगते हैं.
4. मीन राशि
मीन राशि के जातक भावुक और कल्पनाशील होते हैं. इनके लिए सोने की अंगूठी मानसिक शांति और आत्मविश्वास का प्रतीक बनती है. इसे पहनने से जीवन में उत्साह बना रहता है और रिश्तों में सुधार आता है. कई लोगों के लिए यह अंगूठी प्रेम और सौभाग्य का संकेत भी बन जाती है.
अगर आप इन राशियों में से किसी के जातक हैं, तो सोने की अंगूठी पहनने पर विचार जरूर करें. यह न सिर्फ आपकी आभा को बढ़ाएगी, बल्कि आपके जीवन में कई सकारात्मक बदलाव भी लाएगी.
भारत का अनोखा मंदिर, जहां पुरुष पूजा से पहले जाते हैं ब्यूटी पार्लर, महिलाओं की तरह करते हैं सोलह श्रृंगार!
15 Apr, 2025 06:15 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
वैसे तो भारत में कई अनोखे मंदिर मौजूद हैं, जिनकी अलग-अलग मान्यताएं है. लेकिन आज हम आपको जिस मंदिर के बारे में बताने जा रहे हैं वहां पुरुष महिलाओें की तरह सज-धज कर देवी की पूजा करते हैं. ये मंदिर केरल के कोल्लम ज़िले के चवारा में स्थित है. इस मंदिर का नाम कोट्टनकुलंगरा देवी मंदिर है. इस मंदिर में पुरुषों को पूजा करने के लिए महिलाओं की तरह वेश धारण करना पड़ता है. सैकड़ों पुरुष महिलाओं की तरह कपड़े पहनकर देवी से अपनी मनोकामनाएं पूरी होने की कामना करते हैं.
चमैविलक्कू उत्सव
कोल्लम ज़िले के चवारा में स्थित कोट्टनकुलंगरा श्री देवी मंदिर में मनाया जाने वाला चमैविलक्कू उत्सव केरल का एक अनोखा और प्रसिद्ध पर्व है. यह त्योहार हर साल मार्च के महीने में 10 से 12 दिनों तक चलता है. इसके आखिरी दिन, पुरुष पूरी श्रद्धा और समर्पण के साथ महिलाओं की तरह कपड़े पहनते हैं.
मंदिर के आसपास 5 किलोमीटर के दायरे में रहने वाले पुरुष इस परंपरा का विशेष रूप से पालन करते हैं, लेकिन दूर-दराज़ से भी बड़ी संख्या में लोग आते हैं.
चमैविलक्कू की कहानी और परंपरा
यह परंपरा सदियों पुरानी है और एक लोककथा पर आधारित है. कहा जाता है कि पहले कुछ ग्वाले एक पत्थर को देवी मानकर उसकी पूजा करते थे और लड़कियों की तरह सजकर उसके आसपास खेलते थे. एक दिन अचानक उस पत्थर से देवी प्रकट हुईं. यह चमत्कारिक घटना पूरे गांव में फैल गई और फिर वहां मंदिर की स्थापना हुई. तभी से यह परंपरा चली आ रही है कि पुरुष देवी को प्रसन्न करने के लिए महिलाओं की तरह सजते हैं.
मनोकामना पूर्ण करने के लिए करते हैं प्रार्थना
पुरुष अपनी मूंछ-दाढ़ी साफ करवा कर, चेहरे पर मेकअप करके, सुंदर रंग-बिरंगे साड़ी पहन कर देवी की पूजा करते हैं. यह सब वे मनोकामना पूर्ण करने, पापों से मुक्ति पाने या ऋण से छुटकारा पाने के लिए करते हैं.
कब जाएं?
इस मंदिर में जाने का सबसे अच्छा समय मार्च का महीना होता है. मुख्य आयोजन रात 2 बजे से सुबह 5 बजे के बीच होता है. इस दौरान श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ती है. मंदिर के बाहर पुरुषों के सजने के लिए मंदिर के पास अस्थायी ब्यूटी पार्लर भी लगाए जाते हैं.
विश्वास का रंग
हर साल हज़ारों श्रद्धालु अपनी मनोकामनाओं के साथ इस मंदिर में आते हैं. कोई अपने कर्ज से मुक्ति पाता है, तो कोई अपने पापों की माफी मांगने आता है. यही वजह है कि हर साल यहां आने वाले श्रद्धालुओं की संख्या बढ़ती जा रही है.
राशिफल: कैसा रहेगा आपका आज का दिन
15 Apr, 2025 12:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
मेष राशि :- कार्यकुशलता एवं समृद्धि के योग फलप्रद हों तथा रुके कार्य अवश्य बनेंगे।
वृष राशि :- कार्य तत्परता से लाभ एवं इष्ट मित्र सुखवर्धक होंगे तथा कार्यों में ध्यान अवश्य दें।
मिथुन राशि :- व्यावसायिक क्षमता में वृद्धि, कार्यकुशलता से संतोष होगा, बिगड़े कार्य बनेंगे।
कर्क राशि :- सोच-समझकर शक्ति लगायें अन्यथा कुछ विभ्रम-विकार, क्लेश, मन परेशान रहेगा।
सिंह राशि :- समय अनुकूल नहीं, विशेष कार्य स्थगित रखें, लेनदेन में हानि होगी, ध्यान दें।
कन्या राशि :- मानसिक विभ्रम, किसी आरोप में फंस सकते हैं, सतर्कता से कार्य बना लें।
तुला राशि :- भाग्य का सितारा प्रबल हो, बिगड़े कार्य बनेंगे तथा कार्य-संतोष अवश्य ही होगा।
वृश्चिक राशि :- कार्य-कुशलता से संतोष, योजनायें फलीभूत होंगी तथा व्यावसाय में ध्यान दें।
धनु राशि :- सफलता के साधन जुटायें, धन लाभ, आशानुकूल सफलता का हर्ष होगा।
मकर राशि :- आरोप क्लेश, असमंजस, धन का लाभ एवं सफलता का हर्ष अवश्य होगा।
कुंभ राशि :- इष्ट मित्र सुखवर्धक हो, स्त्री शरीर कष्ट तथा मित्र चिन्ता दु:ख होगा।
मीन राशि :- इष्ट-मित्र सहायक रहें, दैनिक कार्यगति में अनुकूलता के योग बनेंगे।
पैर के अंगूठे के ठीक बगल वाली उंगली बड़ी हो तो ऐसे लोग होते हैं बेहद भाग्यशाली!
14 Apr, 2025 06:45 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
समुद्रिक शास्त्र के मुताबिक, शरीर के अंगों की बनावट और आकार के आधार पर किसी व्यक्ति के स्वभाव और अन्य चीजों से जुड़ी अन्य महत्वूपर्ण जानकारियां मिलती हैं. दुनिया में बहुत से लोगों की उंगलियां सामान्य लंबाई की होती हैं, लेकिन कुछ लोगों की उंगलियों की लंबाई में फर्क होता है. विशेष रूप से जोड़ी की दूसरी उंगली यानी अंगूठे के बगल वाली उंगली, अगर बड़ी हो तो इसके पीछे शास्त्रों में विशेष रहस्य छिपा है. जिन लोगों की पैर के अंगूठे के ठीक बगल वाली उंगली बड़ी होती है उनका स्वभाव और जीवनशैली कुछ खास होती है. इस बारे में विस्तार से बता रहे हैं ज्योतिषाचार्य अंशुल त्रिपाठी.
अद्भुत व्यक्तित्व के धनी होते हैं ये लोग
जिन लोगों की जोड़ी में अंगूठे के पास वाली उंगली सबसे बड़ी होती है, ऐसे व्यक्ति पुरुष हों या महिला ये भाग्यशाली माने जाते हैं. इनका चेहरा आकर्षक होता है और उनमें दूसरों को अपनी ओर खींचने की एक अलग ही ताकत होती है.
गुस्सा केवल बाहरी होता है
अगर किसी महिला की जोड़ी की दूसरी उंगली बड़ी होती है तो वह अपने पति से बेहद प्रेम करती हैं. हालांकि, वह अपने इस प्यार को खुलकर व्यक्त नहीं कर पातीं. इन महिलाओं का गुस्सा केवल बाहरी होता है. अंदर से वे बहुत शांत और सरल हृदय की होती हैं.
संघर्ष के बाद सफलता
ऐसे लोगों का जीवन शुरुआती दिनों में संघर्ष भरा होता है, लेकिन मेहनत और ऊर्जा के दम पर वे सफलता जरूर हासिल करते हैं. ये लोग मेहनती, ऊर्जावान और अपने काम के प्रति बेहद समर्पित होते हैं. जो भी कार्य हाथ में लेते हैं, उसे पूरा करके ही दम लेते हैं.
सुस्ती का संकेत
अगर ये उंगली बहुत लंबी हो तो यह थोड़ी सुस्ती का संकेत भी हो सकता है. इनमें नेतृत्व की क्षमता होती है, लेकिन कोई उनकी बात काट दे तो ये सहन नहीं कर पाते.
35-40 उम्र में मिलती है सफलता
ये आर्थिक रूप से सक्षम होते हैं, पर इनकी सफलता जीवन के मध्यकाल यानी 35-40 की उम्र के बाद ही अधिक दिखाई देती है. इनका मन कोमल होता है और अगर कोई कड़वी बात कह दे तो ये उसे दिल पर ले लेते हैं. इनके दोस्त बहुत ज्यादा नहीं होते क्योंकि ये अपने काम में ही लगे रहते हैं.
भगवान गणेश को प्रसन्न करने के लिए करें इन मंत्रों का जाप, बनेंगे बिगड़े काम
14 Apr, 2025 06:15 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
सनातन धर्म में चतुर्थी का विशेष महत्व है, हर महीने में दो बार चतुर्थी आती है. संकष्टी चतुर्थी का व्रत वैशाख माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी के दिन रखा जाता है. इस दिन भगवान गणेश की विधिवत पूजा की जाती है और उन्हें उनका प्रिय भोग व फल अर्पित किया जाता है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, विकट संकष्टी चतुर्थी के दिन पूजा-अर्चना के साथ-साथ अगर कुछ विशेष मंत्रों का जाप कर लिया जाये तो बप्पा की विशेष कृपा प्राप्त होती है.
विकट संकष्टी चतुर्थी 2025 शुभ मुहूर्त
हिंदू पंचांग के अनुसा, वैशाख माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि 16 अप्रैल, बुधवार के दिन दोपहर 1 बजकर 16 मिनट से शुरू हो जाएगी और फिर इसके अगले दिन यानी 17 अप्रैल को दोपहर 3 बजकर 23 मिनट पर समाप्त हो जाएगी. इसलिए संकष्टी चतुर्थी का व्रत 16 अप्रैल को रखा जाएगा.
गणेश जी के 108 नाम व मंत्रों का करें जाप
गजानन: ॐ गजाननाय नमः।
गणाध्यक्ष: ॐ गणाध्यक्षाय नमः।
विघ्नराज: ॐ विघ्नराजाय नमः।
विनायक: ॐ विनायकाय नमः।
द्वैमातुर: ॐ द्वैमातुराय नमः।
द्विमुख: ॐ द्विमुखाय नमः।
प्रमुख: ॐ प्रमुखाय नमः।
सुमुख: ॐ सुमुखाय नमः।
कृति: ॐ कृतिने नमः।
सुप्रदीप: ॐ सुप्रदीपाय नमः।
सुखनिधी: ॐ सुखनिधये नमः।
सुराध्यक्ष: ॐ सुराध्यक्षाय नमः।
सुरारिघ्न: ॐ सुरारिघ्नाय नमः।
महागणपति: ॐ महागणपतये नमः।
मान्या: ॐ मान्याय नमः।
महाकाल: ॐ महाकालाय नमः।
महाबला: ॐ महाबलाय नमः।
हेरम्ब: ॐ हेरम्बाय नमः।
लम्बजठर: ॐ लम्बजठरायै नमः।
ह्रस्वग्रीव: ॐ ह्रस्व ग्रीवाय नमः।
महोदरा: ॐ महोदराय नमः।
मदोत्कट: ॐ मदोत्कटाय नमः।
महावीर: ॐ महावीराय नमः।
मन्त्रिणे: ॐ मन्त्रिणे नमः।
मङ्गल स्वरा: ॐ मङ्गल स्वराय नमः।
प्रमधा: ॐ प्रमधाय नमः।
प्रथम: ॐ प्रथमाय नमः।
प्रज्ञा: ॐ प्राज्ञाय नमः।
विघ्नकर्ता: ॐ विघ्नकर्त्रे नमः।
विघ्नहर्ता: ॐ विघ्नहर्त्रे नमः।
विश्वनेत्र: ॐ विश्वनेत्रे नमः।
विराट्पति: ॐ विराट्पतये नमः।
श्रीपति: ॐ श्रीपतये नमः।
वाक्पति: ॐ वाक्पतये नमः।
शृङ्गारिण: ॐ शृङ्गारिणे नमः।
अश्रितवत्सल: ॐ अश्रितवत्सलाय नमः।
शिवप्रिय: ॐ शिवप्रियाय नमः।
शीघ्रकारिण: ॐ शीघ्रकारिणे नमः।
शाश्वत: ॐ शाश्वताय नमः।
बल: ॐ बल नमः।
बलोत्थिताय: ॐ बलोत्थिताय नमः।
भवात्मजाय: ॐ भवात्मजाय नमः।
पुराण पुरुष: ॐ पुराण पुरुषाय नमः।
पूष्णे: ॐ पूष्णे नमः।
पुष्करोत्षिप्त वारिणे: ॐ पुष्करोत्षिप्त वारिणे नमः।
अग्रगण्याय: ॐ अग्रगण्याय नमः।
अग्रपूज्याय: ॐ अग्रपूज्याय नमः।
अग्रगामिने: ॐ अग्रगामिने नमः।
मन्त्रकृते: ॐ मन्त्रकृते नमः।
चामीकरप्रभाय: ॐ चामीकरप्रभाय नमः।
सर्वाय: ॐ सर्वाय नमः।
सर्वोपास्याय: ॐ सर्वोपास्याय नमः।
सर्व कर्त्रे: ॐ सर्व कर्त्रे नमः।
सर्वनेत्रे: ॐ सर्वनेत्रे नमः।
सर्वसिद्धिप्रदाय: ॐ सर्वसिद्धिप्रदाय नमः।
सिद्धये: ॐ सिद्धये नमः।
पञ्चहस्ताय: ॐ पञ्चहस्ताय नमः।
पार्वतीनन्दनाय: ॐ पार्वतीनन्दनाय नमः।
प्रभवे: ॐ प्रभवे नमः।
कुमारगुरवे: ॐ कुमारगुरवे नमः।
अक्षोभ्याय: ॐ अक्षोभ्याय नमः।
कुञ्जरासुर भञ्जनाय: ॐ कुञ्जरासुर भञ्जनाय नमः।
प्रमोदाय: ॐ प्रमोदाय नमः।
मोदकप्रियाय: ॐ मोदकप्रियाय नमः।
कान्तिमते: ॐ कान्तिमते नमः।
धृतिमते: ॐ धृतिमते नमः।
कामिने: ॐ कामिने नमः।
कपित्थपनसप्रियाय: ॐ कपित्थपनसप्रियाय नमः।
ब्रह्मचारिणे: ॐ ब्रह्मचारिणे नमः।
ब्रह्मरूपिणे: ॐ ब्रह्मरूपिणे नमः।
ब्रह्मविद्यादि दानभुवे: ॐ ब्रह्मविद्यादि दानभुवे नमः।
जिष्णवे: ॐ जिष्णवे नमः।
विष्णुप्रियाय: ॐ विष्णुप्रियाय नमः।
भक्त जीविताय: ॐ भक्त जीविताय नमः।
जितमन्मधाय: ॐ जितमन्मधाय नमः।
ऐश्वर्यकारणाय: ॐ ऐश्वर्यकारणाय नमः।
ज्यायसे: ॐ ज्यायसे नमः।
यक्षकिन्नेर सेविताय: ॐ यक्षकिन्नेर सेविताय नमः।
गङ्गा सुताय: ॐ गङ्गा सुताय नमः।
गणाधीशाय: ॐ गणाधीशाय नमः।
गम्भीर निनदाय: ॐ गम्भीर निनदाय नमः।
वटवे: ॐ वटवे नमः।
अभीष्टवरदाय: ॐ अभीष्टवरदाय नमः।
ज्योतिषे: ॐ ज्योतिषे नमः।
भक्तनिधये: ॐ भक्तनिधये नमः।
भावगम्याय: ॐ भावगम्याय नमः।
मङ्गलप्रदाय: ॐ मङ्गलप्रदाय नमः।
अव्यक्ताय: ॐ अव्यक्ताय नमः।
अप्राकृत पराक्रमाय: ॐ अप्राकृत पराक्रमाय नमः।
सत्यधर्मिणे: ॐ सत्यधर्मिणे नमः।
सखये: ॐ सखये नमः।
सरसाम्बुनिधये: ॐ सरसाम्बुनिधये नमः।
महेशाय: ॐ महेशाय नमः।
दिव्याङ्गाय: ॐ दिव्याङ्गाय नमः।
मणिकिङ्किणी मेखालाय: ॐ मणिकिङ्किणी मेखालाय नमः।
समस्त देवता मूर्तये: ॐ समस्त देवता मूर्तये नमः।
सहिष्णवे: ॐ सहिष्णवे नमः।
सततोत्थिताय: ॐ सततोत्थिताय नमः।
विघातकारिणे: ॐ विघातकारिणे नमः।
विश्वग्दृशे: ॐ विश्वग्दृशे नमः।
विश्वरक्षाकृते: ॐ विश्वरक्षाकृते नमः।
कल्याणगुरवे: ॐ कल्याणगुरवे नमः।
उन्मत्तवेषाय: ॐ उन्मत्तवेषाय नमः।
अपराजिते: ॐ अपराजिते नमः।
समस्त जगदाधाराय: ॐ समस्त जगदाधाराय नमः।
सर्वैश्वर्यप्रदाय: ॐ सर्वैश्वर्यप्रदाय नमः।
आक्रान्त चिद चित्प्रभवे: ॐ आक्रान्त चिद चित्प्रभवे नमः।
श्री विघ्नेश्वराय: ॐ श्री विघ्नेश्वराय नमः।।
मां कैलादेवी के दरबार में भक्तों की संख्या ने तोड़ा रिकॉर्ड, वार्षिक लक्खी मेले में 40 से 45 लाख भक्तों ने किए दर्शन
14 Apr, 2025 06:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
उत्तर भारत का प्रसिद्ध मंदिर मां कैलादेवी के दरबार में चैत्र महीने में आयोजित होने वाले विशाल लक्खी मेले का समापन विधिवत रूप से 11 अप्रैल को हो गया. इस बार मेले में श्रद्धालुओं की रिकॉर्ड तोड़ संख्या देखी गई, जो पिछले सालों की तुलना में काफी अधिक रही. अनुमान के मुताबिक इस बार 40 से 45 लाख श्रद्धालुओं ने मां के दर्शन किए.
आपको बता दें, राजस्थान के लघु कुंभ के रूप में प्रसिद्ध यह 17 दिवसीय मेला हर साल लाखों श्रद्धालुओं की आस्था का केंद्र बना रहता है. इस मेले के दौरान उत्तर प्रदेश, दिल्ली सहित देश के विभिन्न राज्यों से भक्त बड़ी संख्या में मां कैलादेवी की चौखट पर हाजिरी लगाने पहुंचते हैं. सबसे खास बात यह है कि इस वार्षिक मेले में सबसे अधिक संख्या पैदल यात्रियों की होती है. हर साल लाखों श्रद्धालु सैकड़ों किलोमीटर की दूरी पैदल यात्रा करते हुए मां के दरबार तक पहुंचते हैं.
चैत्र नवरात्रि में सबसे ज्यादा भीड़ उमड़ी
इस साल मां कैलादेवी के चैत्र महीने में आयोजित होने वाले लक्खी मेले का शुभारंभ 22 मार्च से हुआ था, जिसका समापन 11 अप्रैल को विधिवत रूप से हुआ. इस बार भी मेले में श्रद्धालुओं की रिकॉर्ड तोड़ संख्या देखी गई, जो पिछले सालों की तुलना में काफी अधिक रही. वैसे तो मेले के सभी 17 दिनों में लाखों की संख्या में भक्त मां के दर्शन के लिए पहुंचे, लेकिन चैत्र नवरात्रि के प्रथम दिवस और दुर्गाष्टमी के दिन सबसे अधिक भीड़ उमड़ी. इन दोनों विशेष दिनों पर लगभग 5 लाख से अधिक श्रद्धालुओं ने मां के दर्शन किए.
40 से 45 लाख श्रद्धालुओं ने किए दर्शन
कैलादेवी मंदिर ट्रस्ट के परिचालन अधिकारी विवेक द्विवेदी के अनुसार, इस बार करीब 40 से 45 लाख श्रद्धालुओं ने चैत्र नवरात्रि के दौरान मां कैलादेवी के दर्शन किए हैं. उनका कहना है कि इस बार पिछले सालों की तुलना में भक्तों की संख्या में उल्लेखनीय वृद्धि दर्ज की गई है. उन्होंने यह भी बताया कि भले ही चैत्र महीने का यह महापर्व और वार्षिक मेला अब समाप्त हो गया हो, लेकिन मां के दरबार में श्रद्धालुओं की आमद लगातार बनी हुई है. देशभर से श्रद्धालु अब भी माता रानी के दरबार में मन्नत मांगने पहुंच रहे हैं.
राशिफल: कैसा रहेगा आपका आज का दिन
14 Apr, 2025 12:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
मेष राशि :- इष्ट-मित्र सुख वर्धक होंगे, मनोबल बनाये रखें तथा विचार हीनता से बचें।
वृष राशि :- भाग्य का सितारा प्रबल हो, इष्ट-मित्र सुखवर्धक होंगे तथा माता-पिता से सहयोग मिलेगा।
मिथुन राशि :- इष्ट-मित्रों से परेशानी तथा अशांति किन्तु दैनिक कार्यगति बनी ही रहेगी, ध्यान दें।
कर्क राशि :- मान-प्रतिष्ठा, प्रभुत्व बढ़ेगा, कृषि के साधन बनें तथा दैनिक कार्य में वृद्धि होगी।
सिंह राशि :- कार्य की अनुकूलता से सामाजिक मान-प्रतिष्ठा में वृद्धि होगी।
कन्या राशि :- कुटुम्ब की परेशानी, चिन्ता व्याग्रता तथा मानसिक उद्विघ्नता से बचे रहेंगे।
तुला राशि :- धन हानि, शरीर कष्ट तथा मानसिक बेचैनी, व्यर्थ भ्रमण तथा विरोध होगा।
वृश्चिक राशि :- इष्ट-मित्र सुखवर्धक हों, अधिकारियों का समर्थन फलप्रद अवश्य ही होगा।
धनु राशि :- कार्य-कुशलता से संतोष, दैनिक समृद्धि के साधन अवश्य ही जुटायें।
मकर राशि :- दैनिक कार्यवृत्ति में सुधार, योजनायें फलीभूत होंगी, रुके कार्य होंगे।
कुंभ राशि :- विशेष कार्य स्थगित रखें, मानसिक विभ्रम, उद्विघ्नता अवश्य ही बनेगी।
मीन राशि :- कार्य-विफलता, प्रयास करने पर सफलता, कार्य रुकेंगे, ध्यान दें।