व्यापार
RBI का नया सर्कुलर – पाकिस्तानी बैंकों की शाखाओं को लेकर बढ़ी सख्ती
18 Apr, 2025 03:08 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने गुरुवार को कहा कि बैंक केंद्रीय बैंक को सूचना दिये बिना अपनी विदेशी शाखाओं या प्रतिनिधियों के नाम पर रुपया खाते (ब्याज रहित) खोल/बंद कर सकते हैं। हालांकि, शीर्ष बैंक ने जमा और खाते पर जारी ‘मास्टर’ निर्देश में कहा कि पाकिस्तान के बाहर संचालित पाकिस्तानी बैंकों की शाखाओं के नाम पर रुपया खाते खोलने के लिए रिजर्व बैंक की विशेष मंजूरी की आवश्यकता होगी।
मास्टर निर्देश में कहा गया है कि एक नॉन-रेजिडेंट बैंक के खाते में जमा करना प्रवासियों को भुगतान की एक स्वीकृत तरीका है और इसलिए, यह विदेशी मुद्रा में ट्रांसफर पर लागू नियमों के अधीन है।
नॉन-रेजिडेंट बैंकों के खातों की फंडिंग पर RBI ने क्या कहा
आरबीआई ने कहा कि एक नॉन-रेजिडेंट बैंक के खाते से निकासी वास्तव में विदेशी मुद्रा का रेमिटेंस है। नॉन-रेजिडेंट बैंकों के खातों की फंडिंग पर, आरबीआई ने कहा कि बैंक भारत में अपनी वास्तविक जरूरतों को पूरा करने के लिए अपने खातों में राशि रखने को लेकर अपने विदेशी प्रतिनिधियों/शाखाओं से चालू बाजार दरों पर स्वतंत्र रूप से विदेशी मुद्रा खरीद सकते हैं।
हालांकि, आरबीआई ने कहा है कि खातों में लेन-देन पर कड़ी निगरानी रखी जानी चाहिए ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि विदेशी बैंक भारतीय रुपये पर सट्टा लगाने वाला नजरिया न अपनाएं। ऐसे किसी भी मामले की सूचना रिजर्व बैंक को दी जानी चाहिए। आरबीआई ने यह भी कहा कि रीपार्टेशन/फंडिंग के लिए रुपये के मुकाबले विदेशी मुद्राओं की अग्रिम खरीद/बिक्री प्रतिबंधित है। साथ ही, अनिवासी बैंकों को रुपये में दोतरफा कोटेशन देने पर भी रोक है।
क्या है रुपया खाता (Rupee Accounts)
रुपया खाता या रुपी अकाउंट एक तरह का फाइनेंशियल सिस्टम है, जिसके जरिए विदेशी बैंक घरेलू बैंकों के साथ भारतीय रुपये में लेनदेन कर सकते हैं। इसे रुपया वोस्ट्रो खाता सिस्टम भी कहते हैं। रिजर्व बैंक (RBI) रुपया वोस्ट्रो खाता प्रणाली को कंट्रोल करता है, जो विदेशी बैंकों को भारत में ट्रेड और इन्वेस्टमेंट को आसान बनाने के लिए घरेलू बैंकों के साथ अकाउंट बनाए रखने की मंजूरी देता है। यह सिस्टम विदेशी बैंकों को भारत में एक स्थानीय ब्रांच ऑपरेट किए बिना भारतीय रुपये में लेनदेन करने के लिए एक सुरक्षित और पारदर्शी मैकेनिज्म उपलब्ध कराता है।
IT सेक्टर में खतरे की घंटी! Nifty IT ने दिखाया 2008 जैसा मंजर
18 Apr, 2025 03:02 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
देश की दिग्गज सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) कंपनियों जैसे टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज (TCS), इंफोसिस, विप्रो और एचसीएलटेक के शेयर बाजार में लगातार कमजोर होते जा रहे हैं। यह गिरावट उस समय हो रही है जब बाकी बाजार में तेजी लौटी है।अप्रैल महीने में अब तक निफ्टी आईटी इंडेक्स में 9.5% की गिरावट आई है, जबकि इसी दौरान निफ्टी 50 में 1.4% की बढ़त दर्ज की गई है। गुरुवार को भी जब निफ्टी 50 में 1.8% की उछाल आई, तब निफ्टी आईटी महज 0.23% ही बढ़ पाया।इस गिरावट के चलते निफ्टी 50 में आईटी सेक्टर का वेटेज अब सिर्फ 10.2% रह गया है, जो पिछले 17 सालों में सबसे कम है। यह मार्च 2008 के रिकॉर्ड न्यूनतम 9.7% के बेहद करीब है, जब वैश्विक वित्तीय संकट से पहले बाजार में उथल-पुथल थी। मार्च 2022 में यह वेटेज 17.7% था यानी दो साल में इसमें करीब 42% की गिरावट आई है। ताजा गिरावट के साथ निफ्टी आईटी इंडेक्स अब उन सभी लाभों को गंवाने के करीब है, जो उसे कोविड-19 महामारी के दौरान और बीते 21 वर्षों (2004 से अब तक) में निफ्टी 50 की तुलना में मिले थे।
फिलहाल निफ्टी 50 में शामिल पांच आईटी कंपनियों का कुल मार्केट कैप ₹25.5 लाख करोड़ रह गया है, जबकि पूरे निफ्टी 50 का कुल मार्केट कैप ₹189.4 लाख करोड़ है। देश का IT सेक्टर 2025 की शुरुआत से ही भारी दबाव में है। निफ्टी IT इंडेक्स इस साल अब तक 23% तक गिर चुका है, जो पिछले दो दशकों की सबसे खराब शुरुआत मानी जा रही है। इससे पहले 2022 में भी सेक्टर ने साल के पहले चार महीनों में 18.3% की गिरावट दर्ज की थी, लेकिन इस बार की गिरावट उससे भी ज्यादा गहरी साबित हो रही है।
निफ्टी-50 में IT सेक्टर की औसत हिस्सेदारी 2001 से अब तक करीब 13.8% रही है। लेकिन मौजूदा गिरावट के चलते इसका वजन भी लगातार घट रहा है। यह हालात 2008 की वैश्विक वित्तीय संकट (GFC) से पहले के दौर की याद दिला रहे हैं, जब IT शेयरों का प्रदर्शन कमजोर हो गया था।
विशेषज्ञों का मानना है कि 2024-25 की चौथी तिमाही (Q4FY25) के कमजोर नतीजों और 2025-26 (FY26) के लिए निराशाजनक कमाई के अनुमानों ने निवेशकों को और बेचैन कर दिया है। इक्विनॉमिक्स रिसर्च के फाउंडर और रिसर्च प्रमुख Chokkalingam G का कहना है, “पहले IT कंपनियां हर साल डॉलर में 2-4% की रफ्तार से रेवेन्यू बढ़ा रही थीं। लेकिन अब FY26 में इसके ठहराव या गिरावट की आशंका है। जब TCS और Infosys ने Q4 में सालाना आधार पर मुनाफे में गिरावट और रेवेन्यू में लगभग स्थिरता दिखाई, तो निवेशकों की चिंता और बढ़ गई।”
इसके अलावा, अमेरिका के राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप द्वारा फिर से टैरिफ लगाने की चेतावनी ने भी IT सेक्टर की हालत और बिगाड़ दी है, क्योंकि अमेरिकी बाजार इस क्षेत्र की सबसे बड़ी आय का स्रोत है।
HSBC ग्लोबल रिसर्च ने अपनी एक रिपोर्ट में कहा, “IT कंपनियों की स्थिति अमेरिका की मैक्रो इकोनॉमिक तस्वीर से गहराई से जुड़ी हुई है। हमने 2025 और उसके बाद के आउटलुक में अमेरिकी बाजार पर निर्भर कंपनियों की सिफारिश की थी, लेकिन अब केवल तीन महीने में ही अमेरिका की आर्थिक दिशा सबसे अनिश्चित हो गई है।”
अगर यही रुझान जारी रहा, तो IT इंडेक्स लगातार चौथे कैलेंडर वर्ष भी निफ्टी बेंचमार्क से पीछे रह सकता है—जो सेक्टर के लिए एक लंबा और गहरा मंदी वाला दौर होगा।
शेयर मार्केट में फ्रॉड अलर्ट! Gensol ने कैसे किया 96% हिस्सेदारी का खेल?
18 Apr, 2025 02:45 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
जेनसोल इंजीनियरिंग ने जब सितंबर 2019 में SME IPO के जरिए शेयर बाजार में एंट्री की थी, तब इसके प्रमोटरों की हिस्सेदारी 96% थी। लेकिन अब यह अर्श से लुढ़कर फर्श पर आ चुकी है। भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI) के एक आदेश के अनुसार, यह गिरावट स्वाभाविक नहीं थी—बल्कि इसे फर्जी खुलासों, दिखावटी सौदों और धन के दुरुपयोग के जरिए योजनाबद्ध ढंग से अंजाम दिया गया, जिसके चलते प्रमोटरों ने लगभग पूरी हिस्सेदारी बेच दी और रिटेल निवेशक जोखिम में पड़ गए।
Gensol के IPO को मिला था ठंडा रिस्पॉन्स
जेनसोल का ₹18 करोड़ का यह IPO ज्यादा चर्चा में नहीं रहा और इसे केवल 1.3 गुना सब्सक्रिप्शन मिला, जिसमें कुल ₹23 करोड़ की बोलियां आईं। लिस्टिंग के बाद प्रमोटरों की हिस्सेदारी 70.72% रह गई थी। जुलाई 2023 में कंपनी को मेनबोर्ड में माइग्रेट कर दिया गया, जिससे उसे ज्यादा व्यापक और लिक्विड निवेशक आधार तक पहुंच हासिल हो गई। माइग्रेशन से ठीक पहले जून 2023 में प्रमोटरों की हिस्सेदारी और घटकर 64.67% रह गई थी। उस समय कंपनी में 2,700 से भी कम व्यक्तिगत शेयरधारकों के पास कुल 24.85% हिस्सेदारी थी और कुल सार्वजनिक शेयरधारकों की संख्या 3,000 से भी कम थी।
IREDA जब्त कर सकता हैं प्रमोटरों के गिरवी रखें शेयर
हालांकि प्रमोटर अनमोल सिंह जग्गी (Anmol Singh Jaggi) और पुनीत सिंह जग्गी (Puneet Singh Jaggi) — जो क्लीन-टेक स्टार्टअप सेक्टर में जानी-मानी हस्तियां माने जाते हैं—पर कथित धोखाधड़ी में शामिल होने का आरोप है। इसके बावजूद पब्लिक शेयरधारकों की संख्या बढ़कर लगभग 1.1 लाख तक पहुंच गई। सार्वजनिक हिस्सेदारी बढ़कर करीब 65% हो गई, जबकि प्रमोटर की हिस्सेदारी घटकर लगभग 35% तक आ गई। सेबी का कहना है कि प्रमोटर की हिस्सेदारी और भी गिरकर “नगण्य” स्तर तक पहुंच गई हो सकती है, क्योंकि इंडियन रिन्यूएबल एनर्जी डेवलपमेंट एजेंसी (IREDA) जैसे ऋणदाताओं ने गारंटी के रूप में रखे गए शेयरों को जब्त कर लिया था।
सेबी के आदेश में कहा गया, “हमें 11 अप्रैल 2025 को ईमेल के माध्यम से IREDA द्वारा सूचित किया गया है कि प्रमोटरों ने जेनसोल के 75.74 लाख शेयरों को गिरवी रखा है। इसके अलावा, BSE की वेबसाइट पर उपलब्ध ताजा जानकारी के अनुसार इस महीने और भी कई गिरवी रखें शेयरों को जब्त किया गया है। इससे यह निष्कर्ष निकल सकता है कि अगर IREDA अनमोल सिंह जग्गी और पुनीत सिंह जग्गी द्वारा गिरवी रखे शेयरों को जब्त कर लेता है, तो जेनसोल में प्रमोटरों की हिस्सेदारी और भी कम—या शायद शून्य—रह जाएगी।”
जग्गी बंधुओं ने स्टॉक एक्सचेंजों को दी झूठी जानकारियां
आदेश में आगे कहा गया कि जग्गी बंधुओं ने निवेशकों का विश्वास बढ़ाने बढ़ाने के लिए स्टॉक एक्सचेंजों को कई झूठी जानकारियां दीं। उदाहरण के तौर पर, 28 जनवरी 2025 को जेनसोल ने यह जानकारी दी कि उसे 30,000 इलेक्ट्रिक वाहनों के लिए प्री-ऑर्डर मिले हैं। इस घोषणा के बाद दो दिनों में कंपनी के शेयरों में 15% की तेजी आई। हालांकि, सेबी की जांच में सामने आया कि ये ऑर्डर सिर्फ 9 कंपनियों के साथ 29,000 वाहनों को लेकर गैर-बाध्यकारी समझौता ज्ञापन (MOU) थे, जिनमें न तो कीमत का ज़िक्र था और न ही डिलीवरी की कोई समयसीमा तय थी।
एक्सचेंज अधिकारियों की जांच के दौरान यह भी पाया गया कि पुणे स्थित जेनसोल के इलेक्ट्रिक व्हीकल प्लांट में सिर्फ दो से तीन मजदूर ही मौजूद थे। दिसंबर 2024—जो कि मैन्युफैक्चरिंग के लिहाज से भारी बिजली खर्च वाला महीना होता है—का बिजली बिल मात्र ₹1.6 लाख से भी कम था। सेबी के आदेश में कहा गया, “इससे यह निष्कर्ष निकाला जा सकता है कि लीज पर ली गई इस प्रॉपर्टी पर किसी प्रकार की मैन्युफैक्चरिंग गतिविधि नहीं हो रही थी।”
फर्जी डील से शेयरों को दी रफ्तार
16 जनवरी को जेनसोल ने रिफेक्स ग्रीन मोबिलिटी (Refex Green Mobility) के साथ एक रणनीतिक समझौते की घोषणा की थी, जिसके तहत 2,997 इलेक्ट्रिक वाहनों का ट्रांसफर किया जाना था और रिफेक्स ₹315 करोड़ का लोन अपने ऊपर लेने वाला था। हालांकि, यह डील बाद में 28 मार्च 2025 को रद्द कर दी गई।
इसके बाद 25 फरवरी को जेनसोल ने एक गैर-बाध्यकारी टर्म शीट का खुलासा किया, जिसमें ₹350 करोड़ की एक रणनीतिक डील की बात थी। यह डील अमेरिका स्थित इसकी सब्सिडियरी कंपनी स्कॉर्पियस ट्रैकर्स इंक (Scorpius Trackers Inc) की बिक्री से जुड़ी थी, जिसे जुलाई 2024 में स्थापित किया गया था। जब सेबी ने इस वैल्यूएशन का आधार पूछा, तो जेनसोल उसे उचित तरीके से स्पष्ट नहीं कर पाया। इस घोषणा से पहले एक बार फिर कंपनी के शेयरों में जबरदस्त तेजी आई थी।
वेलरे ने जेनसोल के शेयरों में की भारी ट्रेडिंग
सेबी के आदेश में यह भी खुलासा हुआ कि वेलरे सोलर इंडस्ट्रीज (Wellray Solar Industries), जो कि जेनसोल की एक संबंधित पार्टी है, ने जेनसोल के शेयरों में एक्टिव रूप से ट्रेडिंग की और इससे भारी मुनाफा कमाया। सिंह बंधुओं, जो वेलरे के डायरेक्टर भी थे, अप्रैल 2020 तक इस कंपनी के मालिक थे। इसके बाद कंपनी की हिस्सेदारी जेनसोल के पूर्व रेगुलेटरी अफेयर्स मैनेजर ललित सोलंकी को ट्रांसफर कर दी गई।
वेलरे को एक पब्लिक शेयरहोल्डर के रूप में लिस्ट किया गया था, लेकिन इसने वर्षों से जेनसोल के साथ वित्तीय लेन-देन होते रहे, जिन्हें सेबी ने राजस्व (revenue) बढ़ा-चढ़ाकर दिखाने के लिए इस्तेमाल किया गया बताया है। दोनों कंपनियों के बीच जो फंड ट्रांसफर हुए, उनका बड़ा हिस्सा असली व्यावसायिक गतिविधियों से जुड़ा हुआ नहीं था।
जेनसोल के शेयरों में अपनी ट्रेडिंग को छुपाने के लिए वेलरे ने टाटा मोटर्स, टाटा केमिकल्स और रिलायंस इन्फ्रास्ट्रक्चर जैसी कंपनियों में कुछ मामूली निवेश किए थे। हालांकि, अप्रैल 2022 से दिसंबर 2024 के बीच वेलरे के कुल ट्रेडिंग वॉल्यूम का लगभग 99% हिस्सा सिर्फ जेनसोल के शेयरों में केंद्रित था।
सेबी के अनुसार, जेनसोल और इसके प्रमोटरों—या उनसे जुड़ी पार्टियों—ने वेलरे को उसके ही शेयरों में ट्रेडिंग के लिए फंड मुहैया कराए थे, जो कंपनियों अधिनियम, 2013 की धारा 67 का उल्लंघन है। वेलरे ने इन सौदों से भारी मुनाफा भी कमाया।
स्टॉक स्प्लिट से रिटेल निवेशकों को लुभाने की कोशिश
रिटेल निवेशकों को आकर्षित करने के लिए कंपनी ने स्टॉक स्प्लिट का एक और हथकंडा अपनाया। मार्च में हुई बोर्ड मीटिंग के दौरान कंपनी ने 1:10 स्टॉक स्प्लिट (शेयर विभाजन) का प्रस्ताव रखा गया। इसका तर्क यह दिया गया कि इससे छोटे निवेशकों के लिए शेयरों को खरीदना आसान हो जाएगा। हालांकि, अब सेबी ने जेनसोल को यह प्रस्ताव वापस लेने का निर्देश दिया है।
सेबी ने अपने आदेश में कहा, “कंपनी में प्रमोटर हिस्सेदारी पहले ही काफी घट चुकी है, और यह आशंका है कि प्रमोटर अपनी और हिस्सेदारी बेच सकते हैं, जिससे अनजान निवेशकों को नुकसान हो सकता है। इसलिए, ऊपर बताए गए कथित कदाचार को उपयुक्त नियामक कार्रवाई के जरिए सार्वजनिक करना आवश्यक है।”
ITC की डील से निवेशकों में उत्साह! जानिए क्या हो सकता है अगला कदम
18 Apr, 2025 02:29 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
आईटीसी (ITC) ने ‘24 मंत्रा ऑर्गेनिक’ (24 Mantra Organic) ब्रांड के मालिक श्रेस्ता नेचुरल बायोप्रोडक्ट्स प्राइवेट लिमिटेड (SNBPL) को पूरी तरह से खरीदने के लिए ₹472.50 करोड़ में डील साइन की है। इसके तहत कंपनी SNBPL के 100% शेयर खरीदेगी।
आईटीसी ने बताया कि यह अधिग्रहण वित्त वर्ष 2025-26 की पहली तिमाही तक पूरा हो जाएगा। कंपनी शुरुआत में ₹400 करोड़ का भुगतान करेगी, जबकि SNBPL के संस्थापकों को अगले दो सालों में ₹72.5 करोड़ अतिरिक्त दिए जाएंगे।
SNBPL का पोर्टफोलियो 100 से अधिक ऑर्गेनिक प्रोडक्ट्स को कवर करता है—जैसे कि ब्रांडेड ग्रॉसरी, मसाले, तेल, बेवरेजस आदि। कंपनी की मजबूत अंतरराष्ट्रीय मौजूदगी भी है, खासकर भारतीय प्रवासी समुदाय के बीच।
आईटीसी ने कहा कि SNBPL की सप्लाई चेन करीब 1.4 लाख एकड़ जैविक जमीन और 27,500 किसानों के नेटवर्क पर आधारित है, जिससे सस्टेनेबल आजीविका को बढ़ावा मिलता है।
आईटीसी के होलटाइम डायरेक्टर हेमंत मलिक ने कहा, “24 मंत्रा ऑर्गेनिक ने मजबूत बैकएंड और सोर्सिंग नेटवर्क खड़ा किया है, जो इसके भरोसेमंद प्रोडक्ट्स का आधार है। यह ब्रांड आईटीसी की जैविक प्रोडक्ट्स में पकड़ को और मजबूत करेगा।”
SNBPL के फाउंडर और मैनेजिंग डायरेक्टर राजशेखर रेड्डी सीलम ने कहा, “हमने 21 साल भारतीय किसानों के साथ मिलकर काम किया। अब ITC हमारे ब्रांड की अगली ग्रोथ स्टोरी को आगे बढ़ाएगा।” उन्होंने यह भी बताया कि वह अगले दो साल तक ट्रांजिशन में कंपनी के साथ जुड़े रहेंगे।
FY24 में SNBPL का टर्नओवर ₹306.1 करोड़ रहा, जिसमें से लगभग 50% रेवेन्यू अमेरिका से आया।
Mother Sparsh में हिस्सेदारी बढ़ाई
FMCG कंपनी ITC लिमिटेड ने मदर स्पर्श में अपनी हिस्सेदारी बढ़ाने का ऐलान किया है। कंपनी ने शेयर सब्सक्रिप्शन, शेयर खरीद और शेयरधारकों के साथ एक समझौता किया है, जिसके तहत वह अगले 2 से 3 सालों में एक या अधिक चरणों में मदर स्पर्श की बाकी 73.50% हिस्सेदारी खरीदेगी।
ITC ने सबसे पहले साल 2021 में मदर स्पर्श में निवेश किया था और इस समय कंपनी की इसमें 26.50% हिस्सेदारी है।
ITC का कहना है कि वह वित्त वर्ष 2026-27 की पहली तिमाही तक दो चरणों में कुल 81 करोड़ रुपये का निवेश करेगी। यह निवेश प्राइमरी सब्सक्रिप्शन और सेकेंडरी शेयर खरीद के जरिए किया जाएगा। इस निवेश के बाद कंपनी की हिस्सेदारी बढ़कर 49.3% हो जाएगी।
बाकी बची हुई हिस्सेदारी ITC वित्त वर्ष 2027-28 की पहली तिमाही तक खरीदेगी, जिसकी वैल्यूएशन पहले से तय मानकों के आधार पर की जाएगी।
इस डील के पूरा होने के बाद ITC का कुल निवेश मदर स्पर्श में लगभग 126 करोड़ रुपये हो जाएगा।
ITC के शेयरों में हल्की बढ़त, ₹427 पर बंद हुए
आईटीसी लिमिटेड (ITC Ltd) के शेयर गुरुवार को मामूली बढ़त के साथ बंद हुए। नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (NSE) पर कंपनी का शेयर 0.60% की तेजी के साथ ₹427.00 पर बंद हुआ। गुरुवार, 17 अप्रैल को बाजार बंद होने तक इसमें ₹2.55 की बढ़त देखने को मिली। इस ऐलान के बाद सोमवार को कंपनी के शेयरों में तेजी देखने को मिल सकती है।
टेक कंपनियों की अगली मंज़िल भारत? शुल्क संकट ने बदला ग्लोबल प्लान
18 Apr, 2025 02:23 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
वैश्विक शुल्क युद्ध से भारत को बड़ा लाभ मिलने की उम्मीद है। स्मार्टफोन और लैपटॉप/पर्सनल कंप्यूटर (पीसी) की वैश्विक कंपनियां अपने उत्पादन का पूरा या आंशिक हिस्सा भारत में स्थानांतरित करने पर विचार कर रही हैं। वैश्विक कंपनियों से बातचीत के आधार पर काउंटरप्वाइंट रिसर्च के अनुमान के मुताबिक 2024 में चीन का स्मार्टफोन विनिर्माण कुल वैश्विक उत्पादन का 64 प्रतिशत था और अगर शुल्क लगाया जाना और तनाव जारी रहता है तो 2026 तक वैश्विक स्मार्ट फोन विनिर्माण में चीन की हिस्सेदारी तेजी से घटकर 55 प्रतिशत पर आ सकती है।
इस अवधि के दौरान भारत बड़ा लाभार्थी बन सकता है और इसकी वैश्विक स्मार्टफोन उत्पादन में हिस्सेदारी 2024 के 18 प्रतिशत से बढ़कर 2026 तक 25 से 28 प्रतिशत तक हो सकती है। ऐपल इंक और सैमसंग द्वारा भारत से निर्यात बढ़ाने, खासकर अमेरिका को निर्यात बढ़ाने के कारण ऐसा होने की संभावना है। ऐपल आईफोन का निर्यात पहले से ही वैश्विक उत्पादन मूल्य का 20 प्रतिशत है। यह 2025-26 तक बढ़कर 25 प्रतिशत और 2026-27 तक 35 प्रतिशत तक पहुंचने की उम्मीद है।
लैपटॉप और पीसी का कारोबार इस पर निर्भर करेगा कि भारत वैश्विक ब्रॉन्डों को कैसे आकर्षित कर सकता है। अमेरिका इस समय 21 अरब डॉलर का आयात करता है, जिसमें से 79 प्रतिशत से अधिक माल चीन से आता है। इस श्रेणी में भी चीन की हिस्सेदारी घटने की संभावना है। काउंटरप्वाइंट का कहना है कि 2024 में वैश्विक लैपटॉप विनिर्माण में चीन की हिस्सेदारी 75 प्रतिशत रही है, जो 2026 तक गिरकर 68 से 70 प्रतिशत पर आ सकती है।
इंडियन सेलुलर ऐंड इलेक्ट्रॉनिक्स एसोसिएशन के एक सदस्य का कहना है, ‘वैश्विक लैपटॉप वैल्यू चेन में हमारी हिस्सेदारी इस समय 1 प्रतिशत से भी कम है, जिसका सालाना कारोबार 200 अरब डॉलर है। हम ज्यादातर लैपटॉप और पीसी का आयात करते हैं और इसमें से ज्यादातर चीन से आता है। लेकिन अगर ह्यूलिट पैर्क्ड पैकर्ड (एचपी), डेल और अन्य कंपनियां अपने उत्पादन का कुछ हिस्सा चीन से भारत में स्थानांतरित कर दें, तो हम मोबाइल के क्षेत्र की सफलता की कहानी दोहरा सकते हैं।’
इस तरह के कदमों को सूचना तकनीक उत्पादों के लिए उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन योजना के माध्यम से पहले से ही समर्थन दिया जा रहा है, जिसे भविष्य में प्रोत्साहनों से और बल मिलने की संभावना है। काउंटरप्वाइंट के अनुमानों के मुताबिक मात्रा के हिसाब से लैपटॉप उत्पादन में भारत की हिस्सेदारी बढ़कर 2026 तक 7 प्रतिशत हो सकती है, जो 2024 में 4 प्रतिशत से कम थी। अगर वैश्विक कंपनियां अपना उत्पादन चीन से भारत में शिफ्ट करती हैं तो और भी ज्यादा नाटकीय बदलाव हो सकता है। यह बदलाव न सिर्फ घरेलू बाजार में होगा, बल्कि निर्यात पर भी असर होगा।
अगर हम कैनालिस की ताजा रिपोर्ट देखें तो यह आसान नजर नहीं आता। 2024 में डेल का 79 प्रतिशत उत्पादन चीन में हुआ, जबकि शेष उत्पादन वियतनाम में हुआ है। कैनालिस प्रोजेक्ट्स में कहा गया है कि 2026 तक डेल की आधे से ज्यादा उत्पादन क्षमता वियतनाम चली जाएगी। एचपी की स्थिति देखें तो कंपनी 85 प्रतिशत उत्पादन चीन में करती है, जबकि शेष उत्पादन ताइवान और मेक्सिको में करती है। 2026 तक ताइवान और मेक्सिको की हिस्सेदारी बढ़कर 45 से 50 प्रतिशत के बीच हो सकती है।
लेनोवो ने 2024 में अपने 99 प्रतिशत लैपटॉप चीन में बनाए, जो वियतनाम में अपनी मौजूदगी बढ़ा रही है। अमेरिका के लैपटॉप बाजार में ताइवान की दो कंपनियों आसुस और एसर की 23 प्रतिशत हिस्सेदारी है और इन कंपनियों ने अलग योजना बनाई है, जिसमें भारत की प्रमुख भूमिका है। वर्ष 2024 में आसुस और एसर का क्रमशः 98 प्रतिशत और 94 प्रतिशत उत्पादन चीन में हुआ, जबकि शेष उत्पादन भारत में हुआ है। साल 2026 तक आसुस के उत्पादन में भारत की हिस्सेदारी बढ़कर 4 प्रतिशत और एसर की 8 से 10 प्रतिशत होने की उम्मीद है।
वर्ल्ड का बेस्ट हॉस्पिटल कौन? टॉप 100 में AIIMS की एंट्री ने बढ़ाया भारत का मान
18 Apr, 2025 02:18 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
दिल्ली स्थित ऑल इंडिया इंस्टिट्यूट ऑफ़ मेडिकल साइंसेस (Delhi AIIMS) को ‘वर्ल्ड्स बेस्ट हॉस्पिटल्स 2025’ रिपोर्ट में दुनिया के 100 बेहतरीन अस्पतालों में जगह मिली है। न्यूज़वीक और स्टैटिस्टा की इस ग्लोबल रिपोर्ट में एम्स दिल्ली को 97वां स्थान मिला है। साल 2023 में यह संस्थान 122वें स्थान पर था, जबकि 2024 में यह 113वें स्थान पर पहुंचा था। यानी दो साल में एम्स ने 25 पायदान की छलांग लगाई है।
यह रैंकिंग दुनियाभर के 30 देशों के 2,400 से अधिक अस्पतालों के प्रदर्शन के आधार पर तैयार की गई है। इसमें मरीजों की संतुष्टि, क्लीनिकल आउटकम, स्वच्छता मानक और दुनिया भर के डॉक्टर्स की सिफारिशों को ध्यान में रखा गया है।
भारत के तीन अस्पताल शामिल टॉप-250 में
Delhi AIIMS के अलावा भारत के दो और अस्पतालों को टॉप-250 में जगह मिली है। गुरुग्राम स्थित मेदांता – द मेडिसिटी को इस सूची में 146वां स्थान मिला है, जबकि चंडीगढ़ के पोस्टग्रेजुएट इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल एजुकेशन एंड रिसर्च (PGIMER) को 228वां स्थान मिला है। पिछले साल ये दोनों अस्पताल क्रमश: 166वें और 246वें स्थान पर थे।
AIIMS की वैश्विक पहचान और उपलब्धियां
1956 में स्थापित एम्स दिल्ली को भारत का सबसे प्रतिष्ठित सरकारी अस्पताल माना जाता है। यहां पर हाई क्वालिटी वाली स्वास्थ्य सेवाएं किफायती दरों पर दी जाती हैं। इस अस्पताल का टॉप-100 में आना भारत की सार्वजनिक स्वास्थ्य व्यवस्था की मजबूती और वैश्विक स्तर पर बढ़ती पहचान को दर्शाता है।
मेदांता और PGIMER की भी सराहना
PGIMER, जो 1962 में शुरू हुआ था, को भी इस सूची में शामिल किया गया है। वहीं, मेदांता जैसे प्राइवेट अस्पताल ने भी कार्डियोलॉजी, ऑन्कोलॉजी और ट्रांसप्लांट सर्जरी जैसे क्षेत्रों में बेहतरीन प्रदर्शन के कारण अपनी जगह बनाई है।
कौन है पहले नंबर पर?
2025 की रैंकिंग में अमेरिका का मेयो क्लिनिक पहले स्थान पर है। इसके बाद क्लीवलैंड क्लिनिक (अमेरिका), टोरंटो जनरल हॉस्पिटल (कनाडा), जॉन्स हॉपकिन्स हॉस्पिटल (अमेरिका) और करोलिंस्का यूनिवर्सिटी हॉस्पिटल (स्वीडन) को शीर्ष पांच में जगह मिली है।
मेडिकल टूरिज्म में भी भारत का नाम
भारत लगातार मेडिकल टूरिज्म के क्षेत्र में आगे बढ़ रहा है। साल 2022 में भारत का यह सेक्टर करीब 9 अरब डॉलर का था और सरकार की ‘Heal in India’ पहल के तहत इसे 2026 तक 13 अरब डॉलर तक पहुंचाने का लक्ष्य है। एम्स जैसे संस्थान भारत को वैश्विक स्वास्थ्य मानचित्र पर मजबूती से स्थापित कर रहे हैं।
सेंसेक्स ने किया जबरदस्त कमबैक! गुड फ्राइडे से पहले मार्केट में धनवर्षा
17 Apr, 2025 06:03 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
टैरिफ संबंधी चिंताओं के बीच अमेरिकी शेयर बाजार में कमजोर रुख के बावजूद घरेलू शेयर बाजार गुरुवार (17 अप्रैल) को जोरदार तेजी के साथ बंद हुए। शुरुआत में लाल निशान में फिसलने के बाद कारोबार के दूसरे भाग में बाजार में शानदार रिकवरी दिखाई।
तीस शेयरों वाला बीएसई सेंसेक्स (BSE Sensex) आज गिरावट लेकर 76,968.02 अंक पर खुला। खुलते ही इसमें गिरावट और बढ़ गई। हालांकि, बाद में यह हरे निशान में लौट गया। अंत में सेंसेक्स 1508.91 अंक या 1.96% की जोरदार तेजी के साथ 78,553.20 पर बंद हुआ।
इसी तरह नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (NSE) का निफ्टी-50 (Nifty-50) भी गिरावट लेकर 23,401.85 पर ओपन हुआ। हालांकि, बैंकिंग इंडेक्स में मजबूती से यह हरे निशान में आ गया। अंत में निफ्टी 414.45 अंक या 1.77% की बढ़त लेकर 23,851.65 पर क्लोज हुआ।
शेयर बाजार में गुरुवार 17 अप्रैल को तेजी के बड़ी वजहें;
1. बाजार के जानकारों का मानना है कि पिछले कुछ महीनों में बाजार में लगातार गिरावट के चलते स्टॉक्स ओवरसोल्ड हो गए थे। लेकिन हाल के दिनों में ग्लोबल ट्रेड वॉर में संभावित नरमी की खबरों ने शॉर्ट-कवरिंग को ट्रिगर किया है।
2. पिछले दो ट्रेडिंग सेशन्स में विदेशी संस्थागत निवेशकों (FIIs) ने कैश मार्केट में जोरदार खरीदारी की है। पिछले दो दिनों में उन्होंने ₹10,000 करोड़ के शेयर खरीदे हैं। इसमें मंगलवार को कैलेंडर ईयर की तीसरी सबसे बड़ी सिंगल-डे खरीदारी भी शामिल रही।
3. अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप ने चीन से होने वाले आयात पर 245% तक का टैरिफ लगाने की धमकी दी है। यह कदम चीन द्वारा अमेरिकी सामानों पर 84% तक का टैरिफ लगाने के जवाब में आया है। दोनों देशों के बीच व्यापारिक मोर्चे पर “जवाबी कार्रवाई” चल रही है। हाल ही में ट्रंप ने कई देशों पर अतिरिक्त टैरिफ लगाने की घोषणा के बाद 90 दिनों के लिए उसे रोक दिया था। हालांकि, यह छूट चीन को नहीं दी गई थी। एनालिस्ट्स का मानना है कि अमेरिका-चीन ट्रेड वॉर का कुछ फायदा भारतीय कंपनियों को मिल सकता है।
विप्रो का शेयर 5% लुढ़का
आईटी सेक्टर की दिग्गज कंपनी विप्रो के शेयर गुरुवार को बाजार खुलते ही 5% टूट गए। कंपनी के शेयरों में यह गिरावट जनवरी-मार्च 2024-25 के नतीजे सुस्त रहने के चलते आई है। विप्रो के शेयर बीएसई पर सुबह 9:37 बजे 5.68% गिरकर 233.45 रुपये पर थे।
विप्रो का मार्च 2025 तिमाही (Q4 FY25) में मुनाफा ₹3,570 करोड़ रहा। यह पिछले वित्त वर्ष की इसी तिमाही के ₹2,835 करोड़ से 26 प्रतिशत अधिक है। ऑपरेशंस से कंपनी का रेवेन्यू ₹22,504 करोड़ रहा, जो एक साल पहले की समान अवधि के ₹22,208 करोड़ से 1 प्रतिशत अधिक है।
वैश्विक बाजारों से क्या संकेत?
वहीं, अमेरिका के शेयर बाजारों में बुधवार को भारी गिरावट दर्ज की गई, जिसका असर एशियाई बाजारों और भारत पर भी देखने को मिल सकता है। टेक शेयरों में बिकवाली के चलते अमेरिका में प्रमुख सूचकांक लाल निशान में बंद हुए। खासतौर पर एनविडिया (Nvidia) के शेयरों में तेज गिरावट रही। वहीं, अमेरिकी फेडरल रिजर्व के चेयरमैन जेरोम पॉवेल ने व्यापार टैरिफ को लेकर चिंता जताई है और कहा है कि मुद्रास्फीति पर काबू पाने के साथ-साथ आर्थिक वृद्धि को बनाए रखना चुनौतीपूर्ण हो सकता है।
अमेरिकी शेयर बाजारों में बुधवार रात को भारी गिरावट दर्ज की गई। डाउ जोन्स इंडस्ट्रियल एवरेज 1.73% गिरकर 39,669.39 पर बंद हुआ। वहीं, एसएंडपी 500 में 2.24% की गिरावट आई और यह 5,275.70 पर बंद हुआ। टेक-heavy नैस्डैक कंपोजिट 3.07% लुढ़ककर 16,307.16 पर पहुंच गया। हालांकि, गुरुवार सुबह फ्यूचर्स में हल्की रिकवरी दिखी। डाउ जोन्स फ्यूचर्स में 0.40%, एसएंडपी 500 फ्यूचर्स में 0.47% और नैस्डैक 100 फ्यूचर्स में 0.56% की तेजी देखने को मिली।
एशियाई बाजारों में मिला-जुला रुख है। जापान का निक्केई 225 इंडेक्स 0.7% चढ़ा, दक्षिण कोरिया का कोस्पी 0.45% ऊपर रहा और ऑस्ट्रेलिया का एसएंडपी/एएसएक्स 200 इंडेक्स 0.28% की बढ़त में रहा। हांगकांग का हैंग सेंग इंडेक्स 0.42% चढ़ा, जबकि चीन का सीएसआई 300 इंडेक्स 0.19% फिसला।
बुधवार को कैसी थी बाजार की चाल?
घरेलू शेयर बाजारों की 16 अप्रैल को शुरुआत कमजोर रही, लेकिन दिन के अंत में बाजार मजबूती के साथ बंद हुए। एशियाई बाजारों से मिले कमजोर संकेतों के बावजूद यह लगातार तीसरा दिन रहा जब बाजार बढ़त के साथ बंद हुआ।
बीएसई सेंसेक्स की शुरुआत 200 अंकों की बढ़त के साथ 76,996.78 पर हुई, लेकिन बाजार खुलते ही इसमें गिरावट आई और यह लाल निशान में चला गया। हालांकि, बैंकिंग शेयरों की मदद से बाजार ने वापसी की और अंत में सेंसेक्स 309.40 अंक या 0.40% चढ़कर 77,044.29 पर बंद हुआ।
निफ्टी-50 की भी शुरुआत हल्की बढ़त के साथ 23,344.10 पर हुई, लेकिन यह भी कुछ ही समय में लाल निशान में आ गया। बाद में इसमें तेजी लौटी और कारोबार के अंत में निफ्टी 108.65 अंक या 0.47% की मजबूती के साथ 23,437.20 पर बंद हुआ।
सेक्टोरल फ्रंट पर निफ्टी ऑटो, फार्मा और हेल्थकेयर को छोड़कर बाकी सभी सेक्टर्स हरे निशान में बंद हुए। सबसे ज्यादा तेजी निफ्टी पीएसयू बैंक इंडेक्स में देखी गई, जिसमें 2.37% तक की बढ़त दर्ज की गई।
अब लखनऊ से लेकर कानपुर तक, MSMEs करेंगी शेयर बाजार में धमाकेदार एंट्री
17 Apr, 2025 05:54 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
उत्तर प्रदेश की माइक्रो, स्मॉल और मीडियम इंडस्ट्रियल इकाइयों (MSMEs) कैपिटल मार्केट में एंट्री कर सकेंगी। योगी सरकार एमएसएमई सेक्टर की कंपनियों को शेयर बाजार में उतरने के लिए मदद करेगी। प्रदेश सरकार की मदद से जल्द से ही 500 एमएसएमई क्षेत्र की कंपनियां कैपिटल मार्केट बाजार में उतर सकती हैं।
प्रदेश में मौजूद 96 लाख एमएसएमई उद्यमियों को वित्तीय सहायता उपलब्ध कराने के लिए योगी सरकार ने नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) के साथ समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर साइन किए हैं। इस एमओयू के बाद एनएसई का इमर्ज प्लेटफार्म प्रदेश की छोटी इकाइयों को आईपीओ लाने में सहायता करेगा। प्रदेश सरकार की एमएसएमई नीति के तहत छोटी इकाइयों को पूजी बाजार में प्रवेश के लिए आर्थिक मदद का प्रावधान किया गया है।
5 लाख रुपये की मदद भी करेगी सरकार
नीति के तहत प्रदेश सरकार स्टॉक एक्सचेंज में सूचीबद्ध होने के लिए एमएसएमई क्षेत्र की कंपनियों का पांच लाख रूपये की धनराशि उपलब्ध कराएगी। एमएसएमई विभाग के अधिकारियों का कहना है कि बड़ी तादाद में प्रदेश की छोटी कंपनियों ने अपने विस्तार व पूंजी उगाहने के लिए आईपीओ लाने में रुचि दिखायी है। एमओयू के बाद उनके लिए पूंजी बाजार में प्रवेश की राह आसान होगी।
अधिकारियों ने बताया कि एनएसई व उत्तर प्रदेश लघु उद्योग निगम (यूपीएसआईसी) के बीच हुए इस करार के बाद प्रदेश की कंपनियों के लिए इक्विटी बाजार तक पहुंचना आसान होगा। गौरतलब है कि उत्तर प्रदेश का एमएसएमई विभाग विश्व बैंक पोषित आरएमपी कार्यक्रम के तहत प्रदेस में 500 एमएसएमई चैंपियन तैयार कर रहा है। एनएसई के साथ एमओयू के बाद सबसे पहले बड़ी तादाद में इन्हीं 500 कंपनियों में से कुछ पूंजी बाजार का दरवाजा खटखटाएंगी।
करार के बाद एनएसई न केवल प्रदेश के एमएसएमई कंपनियों को पूंजी बाजार के बारे में जागरुक करेगा बल्कि उन्हें आईपीओ लाने के बारे में सलाह भी देगा। एनएसई सरकार के सहयोग से प्रदेश भर में इक्विटी बाजार के बारे में जागरुकता शिविर, रोड शो, सेमिनार और एमएसएमई कैंपों का आयोजन करेगा।एनएसई अधिकारियों ने बताया कि ब तक इमर्ज प्लेटफार्म पर देश भर की 612 एमएसएमई कंपनियां लिस्टेड हो चुकी हैं।
गौरतलब है कि प्रदेश के विभिन्न म्यूनिसिपल कारपोरेशन भी बांड लाने की तैयारी में जुटे हुए हैं। अभी तक लखनऊ व गाजियाबाद नगर निगम म्यूनिसिपल बांड जारी कर चुके हैं। जल्द ही प्रयागराज और वाराणसी नगर निगम भी बांड लाने वाले हैं।
केडिया का कड़क बयान – मार्केट में स्मार्ट दिखने वालों से होशियार रहो!
17 Apr, 2025 05:25 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
दिग्गज निवेशक विजय केडिया ने Gensol Engineering में फंड घोटाले और गवर्नेंस में गड़बड़ी के ताज़ा खुलासे के बाद निवेशकों को चेतावनी दी है। उन्होंने कहा है कि ऐसी और कई कंपनियां हैं जो फिलहाल छिपी हुई हैं, लेकिन समय के साथ उनके भी राज़ सामने आएंगे। SEBI द्वारा जेनसोल के प्रमोटरों को सिक्योरिटीज़ मार्केट से बैन किए जाने के अगले ही दिन, केडिया ने सोशल मीडिया पर लिखा, “अभी भी कई ‘Gensol’ अलमारी में छिपे हैं, जो वक्त आने पर बाहर आएंगे।” उन्होंने किसी कंपनी का नाम नहीं लिया, लेकिन संकेत दिया कि मिड और स्मॉल कैप स्टॉक्स में खुदरा निवेशकों को सतर्क रहना चाहिए।
घोटाले की तरफ इशारा करने वाले 10 संकेत- विजय केडिया
बड़ी-बड़ी बातें करना और ज़रूरत से ज़्यादा वादे करना।
लगातार मीडिया में दिखना, सोशल मीडिया पर एक्टिव रहना और बार-बार इंटरव्यू देना।
छोटी उपलब्धियों को भी बहुत बड़ा दिखाना।
बार-बार फंड जुटाना लेकिन उसके इस्तेमाल पर स्पष्टता न होना।
ट्रेंडिंग विषयों पर बेसिर-पैर का कारोबार शुरू करना।
फैंसी शब्दों का इस्तेमाल करना जैसे- “AI”, “डिसरप्टिव”, “नेक्स्ट-जेन”, लेकिन असल में कुछ ठोस न होना।
प्रमोटरों की ज़िंदगी में दिखने वाली चमक-धमक जो कंपनी की हालत से मेल न खाए।
प्रमोटरों द्वारा शेयरों को गिरवी रखना।
CFOs, ऑडिटर्स जैसे अहम पदों से बार-बार इस्तीफ़ा।
आपस में जुड़ी कंपनियों के साथ ज़्यादा लेनदेन।
क्या है Gensol Engineering का मामला?
SEBI ने बुधवार को Gensol के प्रमोटरों अनमोल सिंह जग्गी और पुनीत सिंह जग्गी को सिक्योरिटीज़ मार्केट से बैन कर दिया। आरोप है कि उन्होंने कंपनी के फंड का गलत इस्तेमाल किया और उसे निजी खर्चों में लगा दिया। इसके साथ ही SEBI ने कंपनी द्वारा घोषित स्टॉक स्प्लिट को भी होल्ड पर डाल दिया है। सेबी की जांच में पाया गया कि कंपनी के पैसे का इस्तेमाल लक्ज़री रियल एस्टेट, जटिल फंड रूटिंग और निजी फायदे के लिए किया गया।
SEBI ने 29 पेज की इंटरिम ऑर्डर में लिखा, “प्रथम दृष्टया यह पाया गया है कि प्रमोटर-डायरेक्टर्स ने कंपनी के फंड का दुरुपयोग और डायवर्जन किया है और इसका सीधा फायदा उन्हें मिला है।” इसके अलावा, स्वतंत्र निदेशक अरुण मेनन ने भी तुरंत प्रभाव से इस्तीफा दे दिया है।
गौर करने वाली बात है कि SEBI की जांच तब शुरू हुई जब कई निवेशकों की शिकायतें आईं और साथ ही CARE और ICRA ने Gensol की जुड़ी कंपनी BluSmart Mobility की रेटिंग डाउनग्रेड की। इसका कारण समय पर कर्ज की अदायगी में देरी थी।
स्टॉक की भारी गिरावट
Gensol का शेयर लगातार 16वें दिन 5% लोअर सर्किट में बंद हुआ। दो हफ्तों में ही कंपनी की मार्केट वैल्यू 70% से ज्यादा गिर चुकी है। फरवरी 2024 में ₹1,376 के हाई पर पहुंचने के बाद, अब शेयर करीब 90% तक टूट चुका है। इस साल अब तक यह स्टॉक 84% गिर चुका है, जबकि Nifty 50 सिर्फ 1% नीचे है।
बौद्धिक नहीं, बॉट्स का जमाना! ट्रेडिंग में अब इमोशन्स का नहीं स्कोप
17 Apr, 2025 04:00 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
अगली बार जब आप शेयर खरीदें या बेचें तो हो सकता है कि आपका किसी इंसान के बजाय मशीन से राफ्ता पड़े। इसकी वजह यह है कि अब बाजारों में शेयरों की खरीद-बिक्री का बड़ा मूल्य इंसान के बजाय आधुनिक कंप्यूटर प्रणाली यानी अल्गोरिद्म के माध्यम से होने लगा है। नैशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) के मार्केट पल्स प्रकाशन के आंकड़ों के अनुसार मानव हस्तक्षेप या नॉन-अल्गोरिद्म कारोबार अब काफी कम होने लगा है। वित्त वर्ष 2011 से पहली बार अब नकदी के बाजार में अल्गोरिद्म कारोबार का बहुमत हो गया है। इस अवधि से कुछ ही समय पहले भारतीय शेयर बाजार में अल्गोरिद्म कारोबार की शुरुआत हुई थी।
वर्ष 2015 में डेरिवेटिव बाजार में एल्गोरिद्म के माध्यम से होने वाले कारोबार की हिस्सेदारी 50 प्रतिशत तक पहुंच गई थी। नकदी बाजार में वित्त वर्ष 2024 तक बिना-एल्गोरिद्म कारोबार का ही दबदबा था और शेयर कारोबार में यह एक मात्र आखिरी ऐसा खंड था जिसमें इंसानी हाथ का दबदबा था। नकदी बाजार में एल्गोरिद्म कारोबार की हिस्सेदारी वित्त वर्ष 2011 तक 17 प्रतिशत थी। फरवरी तक के आंकड़ों के अनुसार वित्त वर्ष 2025 में यह बढ़कर 53.8 प्रतिशत हो गई और इस अवधि में पहली बार 50 प्रतिशत का आंकड़ा पार कर गई।
ये आंकड़े उन कारोबारी ऑर्डरों के विश्लेषण पर आधारित हैं जिनमें 15 अंकों की पहचान संख्या होती है। इस संख्या में ऑर्डर का स्वरूप (एल्गोरिद्म है या बिना एल्गोरिद्म वाला) की जानकारी होती है। पहले जो आंकड़े उपलब्ध थे उनमें एल्गोरिद्म कारोबार की हिस्सेदारी को लेकर साफ-साफ जानकारी उपलब्ध नहीं थी।
एल्गोरिद्म कारोबार का चलन बढ़ने से खुदरा निवेशक प्रभावित हो सकते हैं क्योंकि वे स्टॉक एक्सचेंज में शॉर्ट टर्म ट्रेडिंग में मुनाफा कमाते रहे हैं। एल्गोरिद्म कारोबार से जुड़ी सेवाएं देने वाली कंपनी क्वांटएक्सप्रेस टेक्नोलॉजीज के संस्थापक और मुख्य कार्याधिकारी (सीईओ) नवीन कुमार कहते हैं, ‘कंपनियों के वित्तीय नतीजों और इसी तरह की अन्य खबरों से अल्प अवधि में मुनाफा कमाने की उम्मीद करने वाले खुदरा निवेशकों के लिए अब केवल आनन-फानन में सौदे निपटाने की कला से बात नहीं बनेगी।‘कंपनी संस्थागत निवेशकों को सेवाएं देती है और एल्गोरिद्म ट्रेडिंग के समाधान उपलब्ध कराती है। इसमें मशीन से समाचारों को देखना और उनके आधार पर कारोबार करना शामिल है।
कुमार ने कहा, ‘अब ऐसा करना संभव नहीं लग रहा है। अब खुदरा निवेशकों के लिए एक ही रास्ता बचा है और वह यह कि झटपट सौदे निपटाने के बजाय मजबूत रणनीति अपनाएं या अपनी समझ बढ़ाएं।‘
कई एल्गोरिद्म कारोबार सेवा प्रदाता कंपनियां खुदरा निवेशकों के लिए एल्गोरिद्म कारोबार की तकनीक उपलब्ध करा रही हैं। कुमार ने कहा कि इससे तकनीक तक सभी की पहुंच बढ़ने लगी है। लेकिन संस्थागत निवेशकों की खुदरा निवेशकों की तुलना में तकनीक के इस्तेमाल पर अधिक खर्च करने की क्षमता होती है।
एक खुदरा ब्रोकरेज कंपनी के वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि नकदी बाजार में कारोबार का एक बड़ा हिस्सा डिलिवरी आधारित होता है जिसका मतलब होता है कि एक ही दिन में पीजीशन बंद नहीं होती है। इसका मतलब है कि दीर्घ अवधि में मोटा मुनाफा कमाने के लिए खरीद करने वाले संस्थान और अन्य भी सबसे अच्छे भाव के लिए एल्गोरिद्म का इस्तेमाल कर रहे हैं। कारोबार अधिक होने के समय एल्गोरिद्म अनुकूल कीमतें हासिल करने के लिए ऑर्डर को छोटे-छोटे हिस्सों में बांटकर उन्हें मुकाम तक पहुंचाते हैं।
ग्रीकसॉफ्ट टेक्नोलॉजीज के हितेश हकानी के अनुसार नकदी बाजार में सक्रिय कारोबारी और मार्केट-मेकर (बाजार में तरलता उपलब्ध कराने वाले संस्थान या व्यक्ति) अधिक भाग लेते हैं। हकानी ने कहा कि ऊंचे प्रतिभूति लेनदेर कर (एसटीटी) और डेरिवेटिव नियम कड़े होने से कारोबार की मात्रा में कमी का उनके दबदबे पर असर हो सकता है।
शेयर बाजार में होने वाली गतिविधियों में एनएसई की अधिक भागीदारी है। बीएसई के एल्गोरिद्म कारोबार से जुड़े आंकड़े उपलब्ध नहीं थे मगर पहले के आंकड़े बताते हैं कि वित्त वर्ष 2024 तक बीएसई के नकदी बाजार में एल्गोरिद्म कारोबार की हिस्सेदारी कम थी। बीएसई को इस संबंध में भेजे गए ई-मेल का कोई जवाब नहीं आया।
विंजो ने देशभर में नियमों के तहत गेमिंग सेक्टर को रेगुलेट करने का आग्रह किया
17 Apr, 2025 01:24 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
गेमिंग क्षेत्र का संचालन राज्यों के अपने-अपने कानूनों और नियमों के बजाय केंद्र सरकार के नियमों से होना चाहिए। इससे कंपनियों को अंतिम उपयोगकर्ताओं के लिए नवाचार करने पर अपनी ऊर्जा लगाने में मदद मिलेगी। यह कहना है देसी गेमिंग कंपनी विंजो की सह-संस्थापक सौम्या सिंह राठौर का।
राठौर ने बताया, ‘इस क्षेत्र में देश के लिए बहुत बड़ी संभावनाएं हैं और (नियम) इतने अलग-अलग नहीं हो सकते। वर्तमान में इस तंत्र में बहुत युवा, नए, पहली पीढ़ी के उद्यमी हैं। वे जटिल नियामकीय माहौल से नहीं निपट सकते। उनका ध्यान ऐसे उत्पाद बनाने पर होना चाहिए, जो दुनिया में अव्वल हों। हम समझते हैं कि राज्य जुए को नियंत्रित करते हैं यानी कसीनो और लॉटरी जैसे किस्मत के खेल। केंद्र के पास गेमिंग के नियमन का अधिकार है, फिर भले ही इसमें शामिल कमाई का मॉडल कुछ भी हो।’
वर्तमान में केंद्र सरकार के नियम न होने से कई राज्यों में इस क्षेत्र के लिए अपने खुद के नियम हैं। हालांकि सरकार ने साल 2023 में ऑनलाइन गेमिंग के लिए व्यापक नियामकीय ढांचा लाने के वास्ते साल 2021 के सूचना प्रौद्योगिकी नियमों में संशोधन किया था। लेकिन प्रस्तावित नियम कभी लागू नहीं किए गए।
इससे अगले दो वर्षों में तमिलनाडु सहित कई राज्यों ने ऑनलाइन पोकर और रम्मी जैसे खेलों पर प्रतिबंध लगा दिया। इस साल फरवरी में तमिलनाडु ऑनलाइन गेमिंग अथॉरिटी (टीएनओजीए) ऑनलाइन रियल-मनी गेम के लिए नियम लेकर आई, जिनमें आधी रात से सुबह पांच बजे के बीच डार्क ऑवर लागू करना शामिल था।
अपने आदेश में टीएनओजीए ने कहा कि 18 वर्ष से कम आयु वाले उपयोगकर्ताओं को ऑनलाइन रियल-मनी गेम खेलने से रोक दिया जाएगा। इसके अलावा गेमिंग प्लेटफॉर्म पर पंजीकरण के समय सभी खिलाड़ियों के लिए अपने ग्राहक को जानें (केवाईसी) सत्यापन अनिवार्य कर दिया गया है।
प्राधिकरण ने यह भी अनिवार्य किया कि अगर कोई खिलाड़ी एक घंटे से ज्यादा वक्त तक गेम खेलता है, तो ऑनलाइन गेमिंग प्लेटफॉर्म सावधानी वाले पॉप-अप संदेश दिखाएगा और ऐसे पॉप-अप संदेश उपयोगकर्ता को हर 30 मिनट में दिखाए जाएंगे।
राठौर ने कहा कि इस तरह के अलग-अलग नियम मुख्य रूप से गेमिंग और जुए के बीच घालमेल के कारण हैं। उन्होंने कहा कि हालांकि सभी राज्यों के पास जुए पर प्रतिबंध लगाने या अनुमति देने के अपने-अपने कारण हैं, लेकिन राज्यों के अलग-अलग नियमों से बचने के लिए ऑनलाइन गेमिंग को जुए से अलग समझने की आवश्यकता है।
QR कोड की खोज कब और क्यों हुई? इसका नाम क्यों है 'Quick Response'?
17 Apr, 2025 11:05 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
आज हम मोबाइल से सिर्फ एक स्कैन में पेमेंट कर लेते हैं या किसी डॉक्यूमेंट को ऑनलाइन वेरिफाई कर लेते हैं। यह सब मुमकिन हो पाया है QR कोड की मदद से। लेकिन क्या आप जानते हैं कि इस टेक्नोलॉजी का अविष्कार आज से 31 साल पहले हो गया था? आइए, जानते हैं QR कोड के बनाने के पीछे किसका दिमाग था…
किसने बनाया QR कोड?
QR कोड यानी क्विक रिस्पॉन्स कोड को 1994 में जापान के इंजीनियर मसाहिरो हारा ने बनाया था। वह जापान की होसेई यूनिवर्सिटी से पढ़े हुए हैं और उस समय Denso Wave नाम की कंपनी में काम कर रहे थे। यह कंपनी टोयोटा ग्रुप की एक इकाई है।
गो गेम से आया आइडिया
मसाहिरो हारा को QR कोड बनाने का आइडिया एक पारंपरिक जापानी बोर्ड गेम ‘गो गेम’ खेलते समय आया। इस खेल में 19×19 के ग्रिड पर काले और सफेद पत्थरों से चालें चली जाती हैं। उन्होंने सोचा कि अगर इस तरह के ग्रिड में पत्थर रखकर एक गेम खेला जा सकता है, तो इसी तरह एक ग्रिड में बहुत सारी जानकारी भी स्टोर की जा सकती है, जिसे अलग-अलग एंगल से भी पढ़ा जा सके।
इसके बाद मसाहिरो ने अपनी टीम के साथ मिलकर QR कोड की शुरुआत की। सबसे पहले इसका उपयोग गाड़ियों के पार्ट्स की पहचान के लिए किया गया। QR कोड में लोकेशन, पहचान और वेब ट्रैकिंग से जुड़ा डेटा रखा जा सकता था।
धीरे-धीरे QR कोड का इस्तेमाल बढ़ता गया। अब इसका उपयोग पेमेंट, टिकट, कॉन्टैक्ट शेयरिंग और यहां तक कि आधार वेरिफिकेशन तक में हो रहा है। खास बात यह है कि हर QR कोड यूनिक होता है, यानी कोई भी दो QR कोड एक जैसे नहीं होते।
₹1,979 Cr की डेरिवेटिव विसंगति — क्या IndusInd Bank पर गिरेगी रेगुलेटरी गाज?
16 Apr, 2025 06:31 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
इंडसइंड बैंक को डेरिवेटिव सौदों में गंभीर गड़बड़ी का सामना करना पड़ा है। बैंक ने मंगलवार को जानकारी दी कि उसकी आंतरिक समीक्षा की पुष्टि के लिए नियुक्त की गई बाहरी ऑडिट एजेंसी PwC ने डेरिवेटिव पोर्टफोलियो में विसंगतियों की पहचान की है। इन गड़बड़ियों के कारण 30 जून 2024 तक बैंक को ₹1,979 करोड़ का नुकसान झेलना पड़ा है। बैंक ने एक एक्सचेंज फाइलिंग में बताया कि उसे यह रिपोर्ट 15 अप्रैल को प्राप्त हुई। रिपोर्ट में डेरिवेटिव डील्स समेत अन्य अनियमितताओं का उल्लेख किया गया है।
गड़बड़ियों से नेट वर्थ पर 2.27% असर- PwC
बाहरी एजेंसी की रिपोर्ट के आधार पर इंडसइंड बैंक ने कहा है कि पाई गई गड़बड़ियों का दिसंबर 2024 तक बैंक की नेट वर्थ पर 2.27% का कर-पश्चात नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा। वित्त वर्ष 2024-25 की तीसरी तिमाही में बैंक की नेट वर्थ ₹65,102 करोड़ थी।
बैंक ने एक्सचेंज फाइलिंग में कहा, “बैंक इस प्रभाव को वित्त वर्ष 2024-25 की वित्तीय रिपोर्ट में उपयुक्त रूप से दर्शाएगा और डेरिवेटिव अकाउंटिंग ऑपरेशंस से जुड़ी आंतरिक प्रक्रियाओं को मजबूत करने के लिए जरूरी कदम उठाता रहेगा।”
10 मार्च को खुली थी इंडसइंड बैंक में घोटाले की पोल
इससे पहले, 10 मार्च को बैंक ने शेयर बाजार को जानकारी दी थी कि उसकी आंतरिक समीक्षा में डेरिवेटिव पोर्टफोलियो में गड़बड़ियां पाई गई थीं, जिनका दिसंबर 2024 तक बैंक की नेट वर्थ पर 2.35% का नकारात्मक प्रभाव पड़ने का अनुमान है, यानी करीब ₹1,530 करोड़ का असर। तब बैंक ने बताया था कि उसने डेरिवेटिव पोर्टफोलियो में संभावित नुकसान के आकलन की समीक्षा के लिए PwC को नियुक्त किया है। बाद में बैंक ने यह भी खुलासा किया कि उसने इन गड़बड़ियों की जड़ तक पहुंचने और विस्तृत जांच के लिए एक स्वतंत्र पेशेवर संस्था को नियुक्त करने का फैसला किया है।
इंडसइंड बैंक ने CD मार्केट से ₹16,550 करोड़ जुटाए
इस बीच, भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) ने एक बयान जारी कर इंडसइंड बैंक के जमाकर्ताओं से अपील की कि वे बैंक को लेकर फैल रही अटकलों पर प्रतिक्रिया न दें, क्योंकि बैंक की वित्तीय स्थिति स्थिर है। इसी दौरान बैंक ने किसी भी संभावित लिक्विडिटी संकट से निपटने के लिए सर्टिफिकेट ऑफ डिपॉजिट (CD) मार्केट से भारी मात्रा में उधारी ली। मार्च महीने में बैंक ने 7.75% से 7.9% की कूपन दर पर ₹16,550 करोड़ की राशि CDs के जरिए जुटाई। यह रकम आमतौर पर CD मार्केट से बैंक द्वारा जुटाई जाने वाली औसत राशि से लगभग पांच गुना ज्यादा थी।
FY25 में मुनाफे का भरोसा- सुमंत कथपालिया
इससे पहले, RBI ने इंडसइंड बैंक के वर्तमान MD और CEO सुमंत कथपालिया को केवल एक वर्ष का विस्तार दिया था, जबकि बैंक के बोर्ड ने तीन साल के पुनर्नियुक्ति की सिफारिश की थी। एक विश्लेषक कॉल में कथपालिया ने संकेत दिया था कि डेरिवेटिव पोर्टफोलियो में पाई गई गड़बड़ियां, RBI द्वारा केवल एक वर्ष का विस्तार दिए जाने के कारणों में से एक हो सकती हैं। कथपालिया ने भरोसा जताया है कि डेरिवेटिव पोर्टफोलियो में हुई गड़बड़ियों के चलते मुनाफे पर असर पड़ने के बावजूद, इंडसइंड बैंक चौथी तिमाही (Q4) और पूरे वित्त वर्ष 2024-25 (FY25) में नेट प्रॉफिट दर्ज करेगा।
इंडसइंड बैंक की फाइनेंशियल हेल्थ
इंडसइंड बैंक ने इस महीने की शुरुआत में अपनी तिमाही अपडेट में खुलासा किया था कि मार्च 2025 को समाप्त चौथी तिमाही (Q4FY25) में उसके रिटेल और स्मॉल बिजनेस ग्राहकों की जमा राशि ₹3,550 करोड़ घटकर ₹1.88 लाख करोड़ से ₹1.85 लाख करोड़ रह गई। हालांकि, बैंक की कुल जमा राशि में वित्त वर्ष 2025 की तीसरी तिमाही (Q3FY25) की तुलना में 0.4% की मामूली वृद्धि हुई।
Q4 के अंत में बैंक की कुल जमा राशि (deposit portfolio) ₹4.11 लाख करोड़ रही, जो सालाना आधार पर 6.8% की वृद्धि है। पिछले साल इसी अवधि में यह आंकड़ा ₹3.84 लाख करोड़ था। इस दौरान बैंक के कुल कर्ज वितरण (advances portfolio) में भी गिरावट देखने को मिली, जो दिसंबर तिमाही की तुलना में लगभग ₹19,000 करोड़ कम रहा।
बैंक नहीं, सिर्फ सर्कल! PhonePe का नया फीचर गांव-गांव डिजिटल इंडिया ले जाएगा
16 Apr, 2025 05:45 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
फिनटेक कंपनी PhonePe ने बुधवार को एक नया फीचर लॉन्च किया है, जिसके तहत यूजर्स अब “सर्कल बनाकर” अपने परिवार, दोस्तों या किसी अन्य भरोसमंद व्यक्ति की ओर से UPI पेमेंट कर सकते हैं। इस फीचर का नाम ‘UPI Circle’ है। यह फीचर खासतौर पर उन लोगों के लिए काफी फायदेमंद होने वाला है जिनके पास बैंक अकाउंट नहीं है या फिर जो ऑनलाइन बैंकिंग का इस्तेमाल नहीं करते। ऐसे यूजर्स के वे दोस्त या परिवार के लोग जो यूपीआई इस्तेमाल करते हैं उनके लिए पेमेंट कर पाएंगे।
UPI circle क्या है?
सर्किल फीचर (Circle feature) के तहत एक प्राइमरी यूजर किसी सेकेंडरी यूजर को अपने UPI अकाउंट से पेमेंट करने की अनुमति दे सकता है। प्राइमरी यूजर सेकेंडरी यूजर को UPI ऑथेंटिकेशन का अधिकार सौंपता है, जिससे सेकेंडरी यूजर प्राइमरी यूजर की अनुमति से ट्रांजैक्शन कर सकता है। प्राइमरी यूजर अपने परिवार के सदस्यों या किसी भरोसेमंद व्यक्ति (सेकेंडरी यूजर) को UPI ID या QR कोड के जरिए अपने Circle में जोड़ सकता है और कहीं से भी उनके लिए पेमेंट को आसानी से मंजूरी दे सकता है।
नेशनल पेमेंट्स कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (NPCI) द्वारा विकसित किया गया UPI Circle, यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस (UPI) के उपयोग को बढ़ाने और खर्च को नियंत्रित (supervised spending) करने की सुविधा देने के उद्देश्य से डिजाइन किया गया है।
UPI Circle डिजिटल लेन-देन को और आसान बनाएगा
PhonePe की चीफ बिजनेस ऑफिसर– कंज़्यूमर पेमेंट्स सोनिका चंद्रा ने कहा, “UPI Circle उन लोगों के लिए डिजिटल पेमेंट्स की सुविधा और सरलता को बढ़ाने की दिशा में एक अहम कदम है, जो अभी बैंकिंग सिस्टम से पूरी तरह नहीं जुड़े हैं या इस डिजिटल इकोसिस्टम के नए उपयोगकर्ता हैं। यह सुविधा उन माता-पिता के लिए उपयोगी हो सकती है जो अपने कॉलेज जाने वाले बच्चों को खर्च देना चाहते हैं, या ऐसे बुज़ुर्ग माता-पिता के लिए जिनका डिजिटल पेमेंट्स पर भरोसा नहीं है। यह उन व्यस्त लोगों के लिए भी मददगार है जो घरेलू जरूरतों की जिम्मेदारी दूसरों को सौंपना चाहते हैं।”
प्राइमरी यूजर को मिलेगा डबल कंट्रोल
PhonePe पर UPI Circle फीचर के इस्तेमाल को प्राइमरी यूजर दो तरीकों से कंट्रोल कर सकता है। जब Partial Delegation मोड चुना जाता है, तो हर बार जब सेकेंडरी यूजर कोई ट्रांजैक्शन शुरू करता है, तो प्राइमरी यूजर को उसे मंजूरी देने का नोटिफिकेशन मिलेगा। वहीं दूसरी ओर, Full Delegation मोड में प्राइमरी यूजर सेकेंडरी यूजर के लिए एक मासिक खर्च की अधिकतम सीमा तय कर सकता है। इस मोड में हर ट्रांजैक्शन के लिए मैन्युअल अप्रूवल की जरूरत नहीं होती।
प्राइमरी यूजर महीने में अधिकतम ₹15,000 तक की लिमिट तय कर सकता है, और हर ट्रांजैक्शन की अधिकतम सीमा ₹5,000 रखी गई है।
PhonePe पर कैसे बनाएं UPI Circle?
स्टेप 1: PhonePe ऐप खोलें। होम स्क्रीन पर यूजर्स को UPI Circle इनेबल करने का विकल्प दिखाई देगा।
स्टेप 2: UPI Circle सेटअप करने और सेकेंडरी यूजर्स को जोड़ने के लिए ‘Invite Secondary Contact’ पर टैप करें। आप सेकेंडरी यूजर का QR कोड स्कैन करके या उनकी UPI ID मैन्युअली डालकर उन्हें जोड़ सकते हैं।
स्टेप 3: सेकेंडरी यूजर्स को अपने PhonePe ऐप पर प्राप्त इनवाइट को स्वीकार करके UPI Circle से जुड़ना होगा।
स्टेप 4: एक बार UPI Circle में जुड़ने के बाद, सेकेंडरी यूजर पेमेंट करते समय प्राइमरी यूजर के अकाउंट को पेमेंट ऑप्शन के रूप में चुन सकते हैं।
बता दें कि PhonePe के प्रतिस्पर्धी Google Pay ने अगस्त 2024 में UPI Circle के लिए सपोर्ट देने की घोषणा की थी, लेकिन यह फीचर अभी देशभर के यूजर्स के लिए शुरू नहीं किया गया है। यूजर्स UPI Circle फीचर का इस्तेमाल BHIM (भारत इंटरफेस फॉर मनी) ऐप के जरिए भी कर सकते हैं, जो इसी तरह की सुविधा प्रदान करता है।
244 करोड़ का टैक्स झटका! YES Bank ने कहा- सभी कानूनी विकल्पों पर विचार
16 Apr, 2025 05:35 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
YES बैंक को इनकम टैक्स डिपार्टमेंट से ₹244.20 करोड़ का अतिरिक्त टैक्स डिमांड का नोटिस मिला है। यह डिमांड 2016-17 के लिए किए गए असेसमेंट और पुनर्मूल्यांकन के बाद आई है। बैंक ने कहा है कि वह इस टैक्स डिमांड को चुनौती देगा और इसके खिलाफ अपील करेगा।
बैंक को दिसंबर 2018 में इनकम टैक्स डिपार्टमेंट से 2016-17 के लिए एक टैक्स असेसमेंट ऑर्डर मिला था, जिसमें कुछ जोड़-घटाव किए गए थे। इसके बाद मार्च 2022 में पुनः मूल्यांकन आदेश आया, जिसमें कुछ और बदलाव किए गए थे। बैंक ने दोनों आदेशों के खिलाफ अपील की है और अब पुनः मूल्यांकन के बाद एक नई टैक्स डिमांड आई है।
बैंक ने किया सुधार का आवेदन
बैंक ने बताया कि पुनः मूल्यांकन आदेश में गलती हुई थी, क्योंकि इसमें आयकर रिटर्न में बताई गई आय के बजाय असेस्ड आय का उपयोग किया गया था। इस गलती को सुधारने के लिए 15 अप्रैल 2025 को एक rectification order पास किया गया। हालांकि, इस आदेश के बाद टैक्स की मांग में काफी वृद्धि हो गई, और बैंक ने इसे बिना किसी ठोस कारण के बताया है।
बैंक ने कहा कि वह इस अतिरिक्त टैक्स डिमांड के खिलाफ तुरंत rectification आवेदन दाखिल करेगा और अगर जरूरत पड़ी, तो अपीलीय न्यायाधिकरण में भी अपील करेगा। बैंक इस टैक्स डिमांड को उचित नहीं मानता है और सभी अन्य कानूनी उपायों का पालन करेगा।
हालांकि, इस खबर के आने के बाद भी बैंक के शेयरों में बढ़ोतरी देखने को मिली। बुधवार को दोपहर 3:10 बजे तक बैंक का शेयर BSE पर 2% की बढ़त के साथ 17.87 रुपये पर ट्रेड कर रहा था।