व्यापार
अप्रैल में हुंडई क्रेटा ने की 17,016 यूनिट्स की बिक्री
18 May, 2025 05:30 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
नई दिल्ली । पिछले महीने अप्रैल में हुंडई क्रेटा ने 17,016 यूनिट्स की बिक्री के साथ इस सेगमेंट में टॉप किया है। यह लगातार दूसरा महीना है जब क्रेटा ने मिडसाइज एसयूवी के साथ-साथ ओवरऑल सेगमेंट में भी नंबर-1 का स्थान हासिल किया है।
देश के मिडसाइज एसयूवी सेगमेंट में अप्रैल 2025 के आंकड़ों ने एक बार फिर हुंडई क्रेटा की लोकप्रियता को साबित कर दिया है। पिछले साल अप्रैल में क्रेटा की बिक्री 15,447 यूनिट्स थी, जिससे इस साल उसे लगभग 10 प्रतिशत की वार्षिक वृद्धि हासिल हुई है। महिंद्रा स्कॉर्पियो ने भी अच्छा प्रदर्शन किया है और अप्रैल 2025 में 15,534 यूनिट्स की बिक्री के साथ 5प्रतिशत की ग्रोथ दर्ज की है। हालांकि, मारुति सुजुकी की ग्रैंड विटारा को 6प्रतिशत की गिरावट का सामना करना पड़ा, जिसकी बिक्री अप्रैल में 7,154 यूनिट्स रही। महिंद्रा की दूसरी लोकप्रिय एक्सयूवी700 ने 6,811 यूनिट्स बिकीं और इसे 11प्रतिशत की ग्रोथ मिली।
किआ सेल्टोस ने भी अप्रैल में 6,135 यूनिट्स की बिक्री की, लेकिन 9प्रतिशत की गिरावट देखी गई। वहीं, टोयोटा हाईराइडर ने जबरदस्त प्रदर्शन करते हुए 4,642 यूनिट्स की बिक्री की, जो पिछले साल के मुकाबले 43प्रतिशत की उल्लेखनीय वृद्धि है। टाटा के कई मॉडल्स को इस बार सेल्स में गिरावट का सामना करना पड़ा है। टाटा सफारी की बिक्री में 22प्रतिशत, टाटा हैरियर की 42प्रतिशत और फॉक्सवैगन ताइगुन की 34प्रतिशत की कमी आई है। टाटा कर्व ने 3,149 यूनिट्स की बिक्री दर्ज की, लेकिन पिछले साल के आंकड़े उपलब्ध नहीं हैं।
इलेक्ट्रिक बाइक फ्लाइंग फ्ली सी6 अगले साल लॉन्च
18 May, 2025 04:30 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
नई दिल्ली । महंगी बाइक्स बनाने वाली रॉयल एनफील्ड कंपनी ने अपनी पहली इलेक्ट्रिक बाइक फ्लाइंग फ्ली सी6 को लॉन्च करने की घोषणा की है। कंपनी की यह बाइक वित्तीय वर्ष 2026 की चौथी तिमाही यानी जनवरी से मार्च के बीच भारतीय बाजार में उपलब्ध होगी। यह बाइक रॉयल एनफील्ड की नई इलेक्ट्रिक बाइक्स की फ्लाइंग फ्ली सीरीज की पहली पेशकश होगी, जिसके बाद एस 6 मॉडल भी जल्द बाजार में आएगा। फ्लाइंग फ्ली सी6 में कई खास तकनीकी फीचर्स दिए गए हैं। बाइक का कंट्रोल सिस्टम कंपनी ने खुद विकसित किया है, जो थ्रॉटल, ब्रेकिंग और रीजनरेटिव ब्रेकिंग को स्मार्ट तरीके से मैनेज करता है।
इसमें 5 प्री-सेट राइडिंग मोड्स हैं, जिन्हें यूजर अपनी जरूरत और सड़कों के हिसाब से कस्टमाइज कर सकता है। इसके अलावा, इस बाइक को स्मार्टफोन की मदद से स्मार्ट की की तरह अनलॉक और स्टार्ट किया जा सकेगा। चार्जिंग के लिए इसे आम घरेलू तीन-पिन प्लग से भी चार्ज किया जा सकता है, जिससे अतिरिक्त चार्जिंग सेटअप की जरूरत नहीं होगी। फ्लाइंग फ्ली सी6 में फुल डिजिटल फीचर्स जैसे कॉर्नरिंग एबीएस, क्रूज कंट्रोल, ट्रैक्शन कंट्रोल, एलईडी लाइटिंग और डिजिटल डिस्प्ले शामिल हैं।
यह बाइक खासतौर पर शहरों के लिए डिजाइन की गई है, जहां हल्के और फुर्तीले वाहन की मांग ज्यादा होती है। रॉयल एनफील्ड इस इलेक्ट्रिक बाइक के जरिए इलेक्ट्रिक सेगमेंट में भी अपनी क्लास और भरोसेमंद छवि बनाए रखना चाहती है। कंपनी ने इस प्रोजेक्ट पर 200 से ज्यादा इंजीनियर काम किए हैं और अब तक 45 पेटेंट भी फाइल किए जा चुके हैं।
जुलाई से सितंबर के बीच लॉन्च होगा नथिंग फोन (3)
18 May, 2025 03:30 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
नई दिल्ली । नथिंग कंपनी का अपकमिंग स्मार्टफोन नथिंग फोन (3) साल 2025 में लॉन्च होगा। इस फोन में एडवांस एआई फीचर्स शामिल होंगे, जो इसे एक प्रीमियम डिवाइस बनाएंगे। कंपनी के सीईओ कार्लपेई ने हाल ही में इसकी पुष्टि की है। एक यूट्यूब वीडियो में इस फोन की झलक भी दिखाई, हालांकि फोन को ब्लर किया गया था। इस वीडियो में उन्होंने फोन के प्राइस और लॉन्च डेट का खुलासा किया है। नथिंग फोन (3) को 2025 के तीसरे क्वार्टर यानी जुलाई से सितंबर के बीच लॉन्च किया जाएगा।
अगर पिछले साल के लॉन्च को ध्यान में रखा जाए, तो यह संभावना जताई जा रही है कि फोन जुलाई 2025 में लॉन्च होगा, क्योंकि नथिंग फोन (2) जुलाई 2023 में आया था। रिपोर्ट के अनुसार नथिंग फोन (3) को प्रीमियम मटेरियल्स, बेहतर परफॉर्मेंस और एआई-बेस्ड सॉफ्टवेयर के साथ तैयार किया गया है। यह फोन कंपनी का फ्लैगशिप डिवाइस होगा और इसमें डिज़ाइन के साथ-साथ यूजर एक्सपीरियंस भी शानदार होगा।
नथिंग फोन (3) की कीमत करीब 800 जीबीपी (लगभग रुपए 90,500) हो सकती है। पिछले मॉडल, नथिंग फोन (2) के 12जीबी + 256जीबी वेरिएंट की कीमत 629 जीबीपी (लगभग रुपए 71,000) थी और भारत में इसकी कीमत 49,999 रुपये थी। ऐसे में उम्मीद है कि फोन (3) का 12जीबी + 256जीबी वेरिएंट भारत में 60,000 रुपये से अधिक हो सकता है।
Belrise का मास्टरस्ट्रोक! IPO से पहले ऑटोमोबाइल सेगमेंट पर फोकस
17 May, 2025 06:09 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
वाहनों के लिए पुर्जा बनाने वाली बेलराइज इंडस्ट्रीज 2,150 करोड़ रुपये के आरंभिक सार्वजनिक निर्गम (आईपीओ) की पेशकश से पहले अब चार पहिया और यात्री वाहन खंड में विस्तार करना चाह रही है। कंपनी का आईपीओ 21 मई को खुलने वाला है। फिलहाल, कंपनी के कारोबार में दोपहिया वाहन श्रेणी की बड़ी हिस्सेदारी है।
चेसिस सिस्टम से लेकर एग्जॉस्ट और पॉलीमर पुर्जों सहित उत्पादों की एक विस्तृत श्रृंखला वाली कंपनी चेन्नई (तमिलनाडु), पुणे (महाराष्ट्र) और भिवाड़ी (राजस्थान) में तीन नए विनिर्माण संयंत्र स्थापित करने की योजना बना रही है। इनमें से चेन्नई का संयंत्र प्रमुख केंद्र रहेगा, जो रॉयल एन्फील्ड और अशोक लीलैंड जैसे मूल उपकरण विनिर्माता (ओईएम) के साथ-साथ दोपहिया, इलेक्ट्रिक वाहन (ईवी) स्टार्टअप और वाणिज्यिक वाहन विनिर्माताओं की एक बड़ी श्रृंखला की सेवा करेगा।
फिलहाल, बेलराइज के पास मेटल पुर्जा दोपहिया खंड में 24 फीसदी बाजार हिस्सेदारी है और यह बजाज ऑटो, हीरो मोटोकॉर्प और होंडा जैसे ओईएम की आपूर्तिकर्ता है। मगर चार पहिया वाहनों और वाणिज्यिक वाहन खंड में इसकी हिस्सेदारी काफी कम है। कंपनी अब मूल उपकरण विनिर्माताओं के साथ गहन एकीकरण और अपने उत्पादों का विस्तार कर इस अंतर को पाटना चाह रही है। हालांकि, आने वाले संयंत्रों की क्या क्षमता रहेगी और कंपनी इन पर कितना निवेश करेगी इसका खुलासा अभी नहीं हुआ है, लेकिन उम्मीद जताई जा रही है कि वे वाहन खंडों की एक बड़ी श्रृंखला को पूरा करने की कंपनी के लक्ष्य को हासिल करने मददगार होंगे।
कंपनी के भविष्य की रोडमैप के लिए इलेक्ट्रिक वाहन (ईवी) महत्त्वपूर्ण हिस्सा हैं, लेकिन इसके उत्पाद काफी हद तक पावरट्रेन से जुदा हैं, जिससे कंपनी को पारंपरिक ईंधन और ईवी दोनों बाजारों को पूरा करने में मदद मिलती है। कंपनी सीएनजी से चलने वाली गाड़ियों में बढ़ते अवसर देख रही है, खासकर वाणिज्यिक वाहनों और छोटी कार खंड में।
वर्क फ्रॉम होम का असर? गूगल वर्कस्पेस की मांग में भारी उछाल
17 May, 2025 05:59 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
गूगल के वर्कस्पेस ने पिछले साल दस लाख पेड यूजर जोड़े। इससे ऐसे यूजर्स की कुल संख्या 1.1 करोड़ से अधिक हो गई। भारत और दक्षिण एशिया में गूगल वर्कस्पेस की कंट्री हेड सुमेधा चक्रवर्ती ने यह जानकारी दी। चक्रवर्ती ने बातचीत में कहा, ‘एक साल से भी कम समय में पेड यूजर की संख्या 1 करोड़ से बढ़कर 1.1 करोड़ हो गई है। साथ ही ऐसी पेड कंपनियां भी बढ़ी हैं जो अब वर्कस्पेस का उपयोग कर रही हैं। यह ऐसा बदलाव है जो अब वैश्विक स्तर पर दिख रहा है। इस बदलाव का एक बड़ा कारण जेनरेटिव एआई है।’
भारत में गूगल वर्कस्पेस ग्राहक पोर्टफोलियो में बड़े उद्यम यूजर जुड़ने में तेजी आई है। चक्रवर्ती ने कहा कि यूनिकॉर्न का दर्जा हासिल करने वाली 85 प्रतिशत से अधिक स्टार्टअप कंपनियां अब वर्कस्पेस का उपयोग कर रही हैं।
उन्होंने कहा, ‘डिजिटल नेटिव स्पेस में हमारे पास वास्तविक बढ़त है। यह हमारा गढ़ रहा है और हम अपने गढ़ को लगातार मजबूत कर रहे हैं, खास तौर पर जेनरेटिव एआई आने के बाद से। बड़े उद्यम जो पारंपरिक रूप से अन्य उत्पादों का उपयोग करते रहे हैं, अपने पीऐंडएल (लाभ और हानि) को प्रभावित किए बिना जेनरेटिव एआई की आवश्यकता महसूस करते हैं।’
उन्होंने कहा, कि हालांकि जनरेटिव एआई के आगमन से साइबर सुरक्षा से जुड़ी चिंताओं में वृद्धि हुई है। लेकिन वर्कस्पेस गूगल के आर्किटेक्चर और कंपनी के क्लाउड इन्फ्रास्ट्रक्चर में किसी भी बाहरी खतरे को नियंत्रित करने की क्षमता दिखाकर इन उपयोगकर्ताओं की चिंताओं का इंतजाम करने और निपटने में सक्षम रहा है।
रेटिंग डाउन: मूडीज ने क्यों घटाई अमेरिका की 'AAA' रेटिंग
17 May, 2025 05:53 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
मूडीज रेटिंग्स ने शुक्रवार को अमेरिका की क्रेडिट रेटिंग को AAA से घटाकर AA1 कर दिया। यह पहली बार है जब मूडीज ने 1917 के बाद अमेरिका को परफेक्ट क्रेडिट स्कोर से वंचित किया है। इस कदम से निवेशकों को चेतावनी मिली है कि अमेरिका का कर्ज अब पहले जितना सुरक्षित नहीं माना जा सकता। इससे अमेरिकियों के लिए उधार लेना महंगा हो सकता है, क्योंकि ब्याज दरें बढ़ सकती हैं। पहले ही महंगाई और टैरिफ की मार झेल रहे लोगों पर इसका असर पड़ सकता है।
मूडीज का यह फैसला फिच रेटिंग्स (2023) और S&P (2011) के बाद आया है, जिन्होंने पहले ही अमेरिका की रेटिंग घटाई थी। अब तीनों प्रमुख रेटिंग एजेंसियां अमेरिका को AAA से नीचे आंक रही हैं।
क्यों लिया गया यह फैसला?
मूडीज ने अपने बयान में कहा कि पिछले एक दशक में अमेरिका का सरकारी कर्ज और ब्याज भुगतान का अनुपात इतना बढ़ गया है कि यह अन्य समान रेटिंग वाले देशों से कहीं ज्यादा है। एजेंसी का अनुमान है कि भविष्य में अमेरिका की उधारी की जरूरत और बढ़ेगी, जो अर्थव्यवस्था पर लंबे समय तक दबाव डालेगी।
हालांकि, मूडीज ने रेटिंग को “स्थिर” आउटलुक दिया है, क्योंकि अमेरिकी फेडरल रिजर्व की नीतियां अब भी मजबूत और स्वतंत्र मानी जाती हैं। लेकिन राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप द्वारा फेडरल रिजर्व की स्वतंत्रता पर सवाल उठाने और इसके प्रमुख जेरोम पॉवेल को हटाने की धमकी से यह स्थिरता खतरे में पड़ सकती है।
एजेंसी के इस फैसलने ने अमेरिका में एक राजनीतिक बहस छेड़ दी है। व्हाइट हाउस के प्रवक्ता कुश देसाई ने इसके लिए बाइडन प्रशासन को जिम्मेदार ठहराया। उन्होंने कहा कि ट्रंप प्रशासन और रिपब्लिकन बाइडन के ‘गलत नीतियों’ को सुधारने के लिए काम कर रहे हैं। वे ‘वन बिग ब्यूटीफुल बिल’ लाकर सरकारी खर्चों में कटौती और बर्बादी रोकना चाहते हैं।
क्या होगा असर?
एजेंसी का यह फैसला आम अमेरिकियों के लिए मुश्किलें बढ़ा सकता है। अगर निवेशक अमेरिकी कर्ज को जोखिम भरा मानेंगे, तो ट्रेजरी यील्ड बढ़ सकती है। इससे बंधक, कार लोन और क्रेडिट कार्ड की ब्याज दरें बढ़ेंगी।
ट्रंप प्रशासन कटौती पर जोर दे रहा है। एलन मस्क के नेतृत्व में डिपार्टमेंट ऑफ गवर्नमेंट एफिशिएंसी (DOGE) ने हजारों सरकारी कर्मचारियों की छंटनी की है और USAID जैसे संगठनों में कटौती की है। लेकिन विशेषज्ञों का कहना है कि ट्रंप का प्रस्तावित बिल, जिसमें 2017 के टैक्स कट को स्थायी करना और मेडिकेड जैसे कार्यक्रमों में कटौती शामिल है, अगले दस सालों में कर्ज को 3.3 ट्रिलियन डॉलर बढ़ा सकता है।
टैक्सपेयर्स ध्यान दें! ITR फॉर्म भरने के नियमों में हुए ये अहम बदलाव
17 May, 2025 08:01 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
ITR Forms AY26: इनकम टैक्स रिटर्न (ITR) फॉर्म्स हर साल अलग-अलग प्रकार के टैक्सपेयर्स के लिए एक जरूरी हिस्सा होते हैं। इनकम टैक्स डिपार्टमेंट ने असेसमेंट ईयर (AY) 2025-26 के लिए सातों ITR फॉर्म्स (ITR-1 से ITR-7 तक) को नोटिफाई कर दिया है, जो फाइनेंशियल ईयर (FY) 2024-25 यानी 1 अप्रैल 2024 से 31 मार्च 2025 तक की कमाई के लिए लागू होंगे। हर फॉर्म अलग-अलग तरह के टैक्सपेयर्स के लिए बनाया गया है, जिसमें सैलरीड लोग, बिजनेसमैन, HUF, फर्म्स, ट्रस्ट्स और कंपनियां आदि शामिल हैं। CBDT ने इस साल इन फॉर्म्स में कुछ जरूरी बदलाव भी किए गए हैं, खासकर कैपिटल गेन्स, डिडक्शन्स और डिस्क्लोजर रूल्स को लेकर। आइए, हर फॉर्म को विस्तार से समझते हैं और देखते हैं कि AY 2025-26 में क्या नया है।
ITR-1 (सहज): छोटे टैक्सपेयर्स के लिए आसान फॉर्म
ITR-1, जिसे सहज भी कहते हैं, उन लोगों के लिए है जिनकी सालाना इनकम 50 लाख रुपये तक है और वो भारत के रेजिडेंट हैं (यानी जो लोग भारत में कम से कम 182 दिन रहते हैं, लेकिन नॉट ऑर्डिनरिली रेजिडेंट नहीं हैं)। यह फॉर्म सैलरी, पेंशन, एक हाउस प्रॉपर्टी से इनकम, ब्याज (जैसे बैंक डिपॉजिट्स से) और 5,000 रुपये तक की कृषि आय वालों के लिए है।
इस साल इस फॉर्म में एक बड़ा बदलाव ये हुआ है कि अब आप लॉन्ग-टर्म कैपिटल गेन्स (LTCG) जो सेक्शन 112A के तहत हैं, यानी लिस्टेड शेयर्स या इक्विटी म्यूचुअल फंड्स से 1.25 लाख रुपये तक के गेन्स को इस फॉर्म में दिखा सकते हैं। पहले अगर आपके पास कोई कैपिटल गेन्स होता था, तो आपको ITR-2 भरना पड़ता था, जो ज्यादा जटिल है। अब इस नए बदलाव से छोटे इनवेस्टर्स को राहत मिलेगी, क्योंकि वो आसान फॉर्म में ही अपनी इनकम दिखा सकते हैं। लेकिन ध्यान रहे, अगर आपके पास कैपिटल लॉस है जिसे कैरी फॉरवर्ड करना है, तो ये फॉर्म आपके लिए नहीं है।
इसके अलावा, ITR-1 उन लोगों के लिए नहीं है जो कंपनी में डायरेक्टर हैं, अनलिस्टेड शेयर्स में इन्वेस्ट करते हैं, या जिनके पास विदेश में कोई संपत्ति या इनकम है। एक और बदलाव ये है कि अब आपको अपने सभी एक्टिव बैंक अकाउंट्स की डिटेल्स देनी होंगी, सिवाय डोरमैंट अकाउंट्स के। साथ ही, अगर आप सेक्शन 80GG (HRA न मिलने पर किराए का डिडक्शन) क्लेम कर रहे हैं, तो आपको फॉर्म 10BA इलेक्ट्रॉनिकली फाइल करना जरूरी है।
ITR-2: सैलरीड और कैपिटल गेन्स वालों के लिए
ITR-2 उन इंडिविजुअल्स और हिंदू अनडिवाइडेड फैमिली (HUF) के लिए है जिनकी इनकम बिजनेस या प्रोफेशन से नहीं है, लेकिन उनके पास सैलरी, एक से ज्यादा हाउस प्रॉपर्टी, कैपिटल गेन्स (शॉर्ट-टर्म या लॉन्ग-टर्म) या विदेशी संपत्ति/इनकम है। इस फॉर्म को वो लोग भी इस्तेमाल कर सकते हैं जिन्हें अपनी पत्नी या नाबालिग बच्चे की इनकम क्लब करनी हो, बशर्ते वो इनकम ऊपर बताई गई कैटेगरीज में आए। इस साल ITR-2 में कुछ जरूरी बदलाव हुए हैं। पहला, अब आपको कैपिटल गेन्स को अलग-अलग दिखाना होगा—23 जुलाई 2024 से पहले और बाद की ट्रांजैक्शन्स के लिए। ऐसा इसलिए क्योंकि बजट 2024 में प्रॉपर्टी पर लॉन्ग-टर्म कैपिटल गेन्स टैक्स को 20% (इंडेक्सेशन के साथ) से घटाकर 12.5% (बिना इंडेक्सेशन) कर दिया गया है। अगर आपने 23 जुलाई 2024 से पहले प्रॉपर्टी खरीदी थी, तो आपके पास ऑप्शन है कि आप 12.5% बिना इंडेक्सेशन चुनें या 20% इंडेक्सेशन के साथ।
दूसरा बड़ा बदलाव ये है कि शेयर बायबैक पर होने वाले लॉस को अब कैपिटल गेन्स सेक्शन में और बायबैक से मिलने वाली रकम को डिविडेंड के तौर पर ‘इनकम फ्रॉम अदर सोर्सेज’ में दिखाना होगा। ये बदलाव फाइनेंस एक्ट 2024 के तहत 1 अक्टूबर 2024 से लागू है।
तीसरा, अगर आपकी टोटल इनकम 1 करोड़ रुपये से ज्यादा है, तो ही आपको शेड्यूल AL में अपनी एसेट्स और लायबिलिटीज की डिटेल्स देनी होंगी। पहले ये लिमिट 50 लाख थी, जिससे मिडिल-इनकम टैक्सपेयर्स को राहत मिली है। साथ ही, अब आपको TDS सेक्शन कोड्स (जैसे 194I, 194J) बताने होंगे, जिससे ट्रांसपेरेंसी बढ़ेगी।
ITR-3: बिजनेस और प्रोफेशनल्स के लिए
ITR-3 उन इंडिविजुअल्स और HUF के लिए है जिनकी इनकम बिजनेस या प्रोफेशन से है, जैसे कि प्रोप्राइटरी बिजनेस चलाने वाले या प्रोफेशनल्स (डॉक्टर्स, वकील आदि)। इसमें कैपिटल गेन्स, लॉटरी इनकम या एक से ज्यादा हाउस प्रॉपर्टी की इनकम भी शामिल हो सकती है। इस साल ITR-3 में भी कुछ बदलाव हुए हैं।
पहला, शेड्यूल AL की थ्रेशोल्ड को 50 लाख से बढ़ाकर 1 करोड़ रुपये कर दिया गया है, यानी अगर आपकी इनकम 1 करोड़ से कम है, तो आपको अपनी संपत्ति और देनदारियों की डिटेल्स नहीं देनी होंगी।
दूसरा, कैपिटल गेन्स को 23 जुलाई 2024 से पहले और बाद में बांटकर दिखाना होगा, जैसा कि ITR-2 में है।
तीसरा, अगर आप पार्टनरशिप फर्म में पार्टनर हैं, तो आपको ज्यादा डिटेल्स देनी होंगी, जैसे कि फर्म की प्रॉफिट-लॉस डिटेल्स। साथ ही, सेक्शन 80C, 80D जैसे डिडक्शन्स के लिए ड्रॉपडाउन मेन्यू जोड़ा गया है, जिससे फाइलिंग आसान होगी।
ITR-4 (सुगम): छोटे बिजनेस और प्रोफेशनल्स के लिए
ITR-4, जिसे सुगम कहते हैं, उन रेजिडेंट इंडिविजुअल्स, HUF और फर्म्स (LLP को छोड़कर) के लिए है जिनकी टोटल इनकम 50 लाख तक है और जिनकी बिजनेस या प्रोफेशनल इनकम प्रिजम्पटिव टैक्सेशन स्कीम (सेक्शन 44AD, 44ADA, 44AE) के तहत है। इस फॉर्म में भी आप सैलरी, एक हाउस प्रॉपर्टी और ब्याज जैसी इनकम दिखा सकते हैं। इस साल का सबसे बड़ा बदलाव ये है कि अब आप 1.25 लाख तक के लॉन्ग-टर्म कैपिटल गेन्स (सेक्शन 112A) को इस फॉर्म में दिखा सकते हैं, बशर्ते आपके पास कोई कैपिटल लॉस न हो।
पहले ऐसे टैक्सपेयर्स को ITR-2 या ITR-3 भरना पड़ता था। इसके अलावा, सेक्शन 44AD (बिजनेस के लिए) का टर्नओवर लिमिट 2 करोड़ से बढ़ाकर 3 करोड़ कर दिया गया है, बशर्ते 95% ट्रांजैक्शन्स डिजिटल हों। प्रोफेशनल्स के लिए सेक्शन 44ADA का लिमिट 50 लाख से बढ़ाकर 75 लाख किया गया है।
साथ ही, अगर आप न्यू टैक्स रिजीम से ऑप्ट-आउट करना चाहते हैं, तो आपको फॉर्म 10-IEA फाइल करना जरूरी है, और इसकी डिटेल्स ITR-4 में देनी होंगी।
ITR-5: फर्म्स और LLP के लिए
ITR-5 फर्म्स, लिमिटेड लायबिलिटी पार्टनरशिप (LLP), एसोसिएशन ऑफ पर्सन्स (AOP), बॉडी ऑफ इंडिविजुअल्स (BOI) और आर्टिफिशियल ज्यूरिडिकल पर्सन्स के लिए है। इस फॉर्म में भी कैपिटल गेन्स की अलग-अलग रिपोर्टिंग (23 जुलाई 2024 से पहले और बाद) का नियम लागू है।
साथ ही, TDS सेक्शन कोड्स की डिटेल्स देना जरूरी है। अगर आपकी इनकम 1 करोड़ से ज्यादा है, तो शेड्यूल AL में एसेट्स और लायबिलिटीज की जानकारी देनी होगी।
ITR-6: कंपनियों के लिए
ITR-6 उन कंपनियों के लिए है जो कंपनीज एक्ट के तहत रजिस्टर्ड हैं। इस फॉर्म में भी कैपिटल गेन्स की स्प्लिट रिपोर्टिंग और TDS कोड्स की जरूरत है। इसके अलावा, अगर कंपनी के पास विदेशी इनकम या एसेट्स हैं, तो उनकी डिटेल्स देनी होंगी। इस साल कोई बड़ा बदलाव इस फॉर्म में नहीं हुआ है, लेकिन नए टैक्स रूल्स को ध्यान में रखते हुए डिस्क्लोजर्स को और सख्त किया गया है।
ITR-7: ट्रस्ट्स और चैरिटेबल संस्थानों के लिए
ITR-7 उन यूनिट्स के लिए है, जो सेक्शन 139(4A), 139(4B), 139(4C) या 139(4D) के तहत रिटर्न फाइल करते हैं। इनमें मुख्य रूप से चैरिटेबल ट्रस्ट्स, पॉलिटिकल पार्टियां, साइंटिफिक रिसर्च इंस्टीट्यूशन्स और यूनिवर्सिटीज आदि शामिल होते हें। इस साल इसमें शेयर बायबैक लॉस और डिविडेंड इनकम को अलग-अलग दिखाने का नियम जोड़ा गया है। साथ ही, अगर ट्रस्ट के पास विदेशी रिटायरमेंट अकाउंट्स हैं, तो सेक्शन 89A के तहत उनकी डिटेल्स देनी होंगी।
इन सभी बदलावों का मकसद टैक्स फाइलिंग को आसान और पारदर्शी बनाना है। टैक्सपेयर्स को सलाह दी जाती है कि वे अपनी इनकम और स्टेटस के हिसाब से सही फॉर्म चुनें और 31 जुलाई 2025 की डेडलाइन से पहले रिटर्न फाइल करें।
क्या खत्म होगा देसी एथनॉल का दबदबा? अमेरिका के आगे भारत ने टेके घुटने?
17 May, 2025 07:17 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
भारत सरकार एथनॉल के आयात पर लगे प्रतिबंध को हटाने पर विचार कर रही है। इस संभावित नीतिगत बदलाव के पीछे मुख्य कारण संयुक्त राज्य अमेरिका का बढ़ता हुआ दबाव बताया जा रहा है। यह घटनाक्रम भारत की घरेलू एथनॉल उत्पादन नीति और अंतर्राष्ट्रीय व्यापार संबंधों के लिए महत्वपूर्ण निहितार्थ रखता है।
भारत ने मुख्य रूप से घरेलू एथनॉल उत्पादन को बढ़ावा देने और आत्मनिर्भरता हासिल करने के उद्देश्य से एथनॉल के आयात पर प्रतिबंध लगा रखा है। सरकार का जोर गन्ने और अन्य कृषि उत्पादों से एथनॉल उत्पादन को प्रोत्साहित करने पर रहा है, जिसका उपयोग पेट्रोल के साथ मिश्रण करके जीवाश्म ईंधन पर निर्भरता को कम किया जा सके। यह नीति किसानों के लिए आय का एक अतिरिक्त स्रोत भी प्रदान करती है।
अमेरिका का बढ़ता दबाव:
हाल के महीनों में, संयुक्त राज्य अमेरिका ने भारत सरकार पर एथनॉल आयात पर लगे प्रतिबंध को हटाने के लिए दबाव बढ़ा दिया है। अमेरिका दुनिया के सबसे बड़े एथनॉल उत्पादकों में से एक है और वह भारत को एक बड़े बाजार के रूप में देखता है। अमेरिकी अधिकारियों ने विभिन्न द्विपक्षीय वार्ताओं और व्यापारिक मंचों पर इस मुद्दे को उठाया है, तर्क देते हुए कि भारत का प्रतिबंध मुक्त व्यापार सिद्धांतों के अनुरूप नहीं है और अमेरिकी निर्यात के लिए बाधा उत्पन्न करता है।
संभावित नीतिगत बदलाव के कारण:
हालांकि भारत सरकार ने अभी तक कोई आधिकारिक घोषणा नहीं की है, लेकिन सूत्रों के अनुसार, निम्नलिखित कारणों से प्रतिबंध हटाने पर विचार किया जा रहा है:
अंतर्राष्ट्रीय व्यापारिक दबाव: अमेरिका जैसे महत्वपूर्ण व्यापारिक साझेदार के लगातार दबाव को नजरअंदाज करना भारत के लिए दीर्घकालिक व्यापारिक संबंधों को प्रभावित कर सकता है।
विश्व व्यापार संगठन (WTO) के नियम: कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि भारत का एथनॉल आयात प्रतिबंध WTO के नियमों के तहत चुनौती दी जा सकती है।
घरेलू उत्पादन की सीमाएं: भारत में एथनॉल का घरेलू उत्पादन अभी भी मांग को पूरी तरह से पूरा करने में सक्षम नहीं है, खासकर जब सरकार ने पेट्रोल में एथनॉल मिश्रण के लक्ष्य को बढ़ाने पर जोर दिया है।
भू-राजनीतिक कारक: कुछ विश्लेषकों का मानना है कि अमेरिका के साथ समग्र रणनीतिक संबंधों को बनाए रखने के लिए भारत कुछ व्यापारिक रियायतें दे सकता है।
संभावित प्रभाव:
यदि भारत सरकार एथनॉल आयात पर प्रतिबंध हटाती है, तो इसके कई संभावित प्रभाव हो सकते हैं:
अमेरिकी एथनॉल के लिए बाजार: अमेरिकी एथनॉल उत्पादकों के लिए भारत एक नया और बड़ा बाजार खुल जाएगा, जिससे उनके निर्यात में वृद्धि हो सकती है।
घरेलू एथनॉल उद्योग पर प्रभाव: भारतीय एथनॉल उत्पादकों को अमेरिकी प्रतिस्पर्धियों से कड़ी चुनौती का सामना करना पड़ सकता है, जिससे उनकी लाभप्रदता प्रभावित हो सकती है।
किसानों पर असर: गन्ने और अन्य एथनॉल उत्पादक फसलों की मांग और कीमतों पर असर पड़ सकता है, जिससे किसानों की आय प्रभावित हो सकती है।
पेट्रोल की कीमतें: एथनॉल के आयात से पेट्रोल के साथ मिश्रण की लागत कम हो सकती है, जिससे उपभोक्ताओं के लिए पेट्रोल की कीमतें कुछ हद तक कम हो सकती हैं।
पर्यावरण: एथनॉल को एक हरित ईंधन माना जाता है, इसलिए आयात से देश में एथनॉल की उपलब्धता बढ़ने से पर्यावरण पर सकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है।
आगे की राह:
भारत अमेरिका के एथनॉल आयात पर प्रतिबंध हटाने के अनुरोध की समीक्षा कर रह है। भारत दंडात्मक शुल्कों से बचने के लिए अमेरिका से व्यापक व्यापार समझौते पर विचार कर रहा है।
अभी भारत ईंधन के लिए एथनॉल के आयात की अनुमति नहीं देता है और इसके गैर ईंधन उपयोग के आयात पर भारी भरकम शुल्क लगाता है।अमेरिका बीते कई सप्ताहों से एथनॉल के आयात को खोलने के लिए लॉबिंग कर रहा है। हालांकि इस अनुरोध पर ध्यान नहीं दिया जाना चाहिए अन्यथा घरेलू स्तर पर एथनॉल उत्पादन में सभी निवेश सवालों के घेरे में आ जाएंगे।
रिपोर्ट के अनुसार अमेरिकी वार्ताकार दक्षिण एशिया के इस देश से गैसोलीन में जैवईंधन के आयात की अनुमति चाहते हैं। यह अनुमति घरेलू आपूर्ति को बढ़ावा देने और गैर ईंधन के लिए विदेश से एथनॉल खरीद को बढ़ावा देने के लिए हालिया नियमों में बदलाव होगा। अमेरिका से एथनॉल आयात खोलने की लॉबिंग उस दौर में हो रही है, जब लगातार दूसरे वर्ष अनाज की तुलना में गन्ने से एथनॉल उत्पादन में गिरावट आई है। एथनॉल आपूर्ति वर्ष 24-25 (नवंबर से अक्टूबर) मार्च तक तेल विपणन कंपनियां ने 9.96 अरब लीटर एथनॉल आपूर्ति आबंटित की है। इसमें से 66 प्रतिशत एथनॉल की आपूर्ति अनाज से होगी जबकि शेष गन्ने से होगी। कुछ महीनों पहले तक इन दोनों ही खाद्य उत्पादों से बराबर मात्रा में एथनॉल की मात्रा की आपूर्ति होती थी।
भारत सरकार को एथनॉल आयात पर कोई भी निर्णय लेने से पहले घरेलू उद्योग, किसानों और अंतर्राष्ट्रीय व्यापारिक हितों को ध्यान में रखते हुए सावधानीपूर्वक विचार करना होगा। यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि सरकार अमेरिका के दबाव और घरेलू हितों के बीच किस प्रकार संतुलन बनाती है। आने वाले हफ्तों और महीनों में इस मुद्दे पर और अधिक स्पष्टता आने की उम्मीद है। यह संभावित नीतिगत बदलाव भारत की ऊर्जा सुरक्षा और कृषि अर्थव्यवस्था के लिए एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित हो सकता है।
PPF का कमाल! जानें कैसे मामूली निवेश से बन सकता है इतना बड़ा फंड और पेंशन!
17 May, 2025 07:03 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
पब्लिक प्रोविडेंट फंड यानी PPF भारत में सबसे भरोसेमंद और सुरक्षित निवेश योजनाओं में से एक है। अगर आप लंबे समय तक पैसा जोड़ना चाहते हैं और रिटायरमेंट के लिए एक मोटा फंड बनाना चाहते हैं, तो PPF आपके लिए एक शानदार विकल्प हो सकता है। खासकर इसका 15+5+5 फॉर्मूला, जिसकी मदद से आप 25 साल में 80 लाख रुपये का फंड और हर महीने 48,000 रुपये महीने तक की पेंशन पा सकते हैं।
PPF क्या है?
पब्लिक प्रोविडेंट फंड एक ऐसी सरकारी योजना है, जिसमें आप अपने पैसे को लंबे समय तक निवेश करके अच्छा रिटर्न पा सकते हैं। यह योजना भारत सरकार द्वारा समर्थित है और पोस्ट ऑफिस या कुछ चुनिंदा बैंकों के जरिए इसमें निवेश किया जा सकता है। PPF का सबसे बड़ा फायदा यह है कि यह पूरी तरह सुरक्षित है। इसमें जोखिम बिल्कुल नहीं है, क्योंकि यह सरकार द्वारा बैक किया जाता है। साथ ही, इसमें मिलने वाला ब्याज और मेच्योरिटी पर मिलने वाली राशि टैक्स-फ्री होती है। इसका मतलब है कि आप जो कमाते हैं, उस पर आपको कोई टैक्स नहीं देना पड़ता।
PPF में आप हर साल कम से कम 500 रुपये और ज्यादा से ज्यादा 1.5 लाख रुपये तक निवेश कर सकते हैं। यह राशि आपकी जेब के हिसाब से लचीली है, यानी छोटे निवेशक भी इसमें हिस्सा ले सकते हैं। इसकी ब्याज दर सरकार हर तिमाही तय करती है, और अभी यह 7.1% सालाना है। यह ब्याज हर साल कंपाउंड होता है, यानी आपके पैसे पर ब्याज मिलता है और फिर उस ब्याज पर भी ब्याज जुड़ता जाता है। यही कंपाउंडिंग की ताकत PPF को इतना खास बनाती है।
15+5+5 फॉर्मूला क्या है?
PPF का 15+5+5 फॉर्मूला समझने में बहुत आसान है। यह एक तरह का निवेश प्लान है, जिसमें आप 25 साल तक अपने पैसे को बढ़ने देते हैं। आइए इसे स्टेप-बाय-स्टेप समझते हैं।
सबसे पहले, PPF का मूल टेन्योर यानी अवधि 15 साल की होती है। इस दौरान आप हर साल अपनी मर्जी से 500 रुपये से लेकर 1.5 लाख रुपये तक निवेश कर सकते हैं। 15 साल पूरे होने के बाद आपके पास दो विकल्प होते हैं: या तो आप सारा पैसा निकाल लें, या फिर इसे 5-5 साल के ब्लॉक में बढ़ाएं। 15+5+5 फॉर्मूले में आप पहले 15 साल तक निवेश करते हैं, फिर अगले 10 साल (दो 5-5 साल के ब्लॉक) तक बिना कोई नया निवेश किए अपने पैसे को बढ़ने देते हैं। इस तरह कुल 25 साल में आपका पैसा कंपाउंडिंग की वजह से बहुत बड़ा फंड बन जाता है।
कैसे बनता है 80 लाख का फंड?
अब आते हैं उस हिस्से पर। अगर आप हर साल PPF में 1.5 लाख रुपये निवेश करते हैं, तो 15+5+5 फॉर्मूले के साथ आप 25 साल में 80 लाख रुपये से ज्यादा का फंड बना सकते हैं। चलिए इसे और आसानी से समझते हैं।
पहले 15 साल तक आप हर साल 1.5 लाख रुपये जमा करते हैं। इस तरह 15 साल में आपने कुल 22.5 लाख रुपये (15 x 1.5 लाख) निवेश किए। अब, 7.1% की ब्याज दर के साथ, 15 साल बाद आपका फंड बढ़कर लगभग 40.68 लाख रुपये हो जाता है। इसमें से 22.5 लाख आपका निवेश है और बाकी 18.18 लाख ब्याज से आता है।
अब अगर आप इस फंड को निकालने की बजाय अगले 5 साल तक बिना कोई नया निवेश किए छोड़ देते हैं, तो यह 7.1% की ब्याज दर से और बढ़ता है। 20 साल पूरे होने पर यानी पहले 5 साल के एक्सटेंशन के बाद, आपका फंड 57.32 लाख रुपये तक पहुंच जाता है। इसमें अतिरिक्त 16.64 लाख रुपये का ब्याज जुड़ता है।
अब अगर आप इसे और 5 साल के लिए बढ़ाते हैं, यानी कुल 25 साल पूरे करते हैं, तो आपका फंड 80.77 लाख रुपये तक पहुंच जाता है। इसमें से 23.45 लाख रुपये का ब्याज आखिरी 5 साल में जुड़ता है। इस तरह, आपने 15 साल में 22.5 लाख रुपये जमा किए और 25 साल में वह बढ़कर 80.77 लाख रुपये हो गया। यह सारा जादू कंपाउंडिंग की ताकत से होता है।
48,000 रुपये की मासिक पेंशन कैसे मिलेगी?
अब सवाल यह है कि इस 80 लाख के फंड से आपको हर महीने 48,000 रुपये की पेंशन कैसे मिलेगी? इसका जवाब भी बहुत आसान है। जब आपका फंड 80.77 लाख रुपये तक पहुंच जाता है, तो आप इसे PPF अकाउंट में ही छोड़ सकते हैं। इस राशि पर आपको हर साल 7.1% का ब्याज मिलता रहेगा।
80.77 लाख रुपये पर 7.1% का सालाना ब्याज लगभग 5.73 लाख रुपये होता है। अगर आप इस ब्याज को हर साल निकालते हैं, तो यह आपको हर महीने करीब 48,000 रुपये (5.73 लाख ÷ 12) की पेंशन देता है। खास बात यह है कि आपका मूल फंड 80.77 लाख रुपये जस का तस रहता है, क्योंकि आप सिर्फ ब्याज निकाल रहे हैं। इस तरह, यह एक ऐसी पेंशन बन जाती है, जो आपके रिटायरमेंट के सालों में आपको नियमित आय देती है और वह भी टैक्स-फ्री।
PPF के फायदे
PPF सिर्फ फंड बनाने और पेंशन देने तक सीमित नहीं है। इसके कई और फायदे हैं, जो इसे हर निवेशक के लिए आकर्षक बनाते हैं। सबसे पहले, यह पूरी तरह सुरक्षित है, क्योंकि यह सरकार द्वारा समर्थित है। दूसरा, इसमें टैक्स छूट का फायदा मिलता है। आप हर साल 1.5 लाख रुपये तक के निवेश पर इनकम टैक्स एक्ट की धारा 80C के तहत टैक्स छूट पा सकते हैं। साथ ही, इस पर मिलने वाला ब्याज और मेच्योरिटी की राशि भी टैक्स-फ्री होती है। इसे EEE (Exempt-Exempt-Exempt) मॉडल कहा जाता है, यानी निवेश, ब्याज, और मेच्योरिटी तीनों पर टैक्स छूट।
इसके अलावा, PPF में निवेश की राशि बहुत लचीली है। अगर आपकी जेब में ज्यादा पैसे नहीं हैं, तो आप 500 रुपये से भी शुरुआत कर सकते हैं। अगर आप ज्यादा निवेश करना चाहते हैं, तो 1.5 लाख रुपये तक डाल सकते हैं। यह योजना सैलरी वालों, गृहिणियों, छोटे बिजनेस वालों, हर किसी के लिए फिट है।
क्या हैं शर्तें और सीमाएं?
PPF में कुछ शर्तें भी हैं, जिन्हें समझना जरूरी है। सबसे पहले, इसका लॉक-इन पीरियड 15 साल का है। यानी आप 15 साल से पहले पूरा पैसा नहीं निकाल सकते। हालांकि, 7वें साल से आप कुछ शर्तों के साथ आंशिक निकासी कर सकते हैं। आप हर साल एक बार अपने फंड का कुछ हिस्सा निकाल सकते हैं, लेकिन यह 50% से ज्यादा नहीं हो सकता।
दूसरा, अगर आप 15 साल बाद अपने अकाउंट को बढ़ाना चाहते हैं, तो आपको हर 5 साल में इसे एक्सटेंड करना होगा। आप इसे बिना नए निवेश के या नए निवेश के साथ बढ़ा सकते हैं। अगर आप नए निवेश के साथ बढ़ाते हैं, तो आपका फंड और तेजी से बढ़ेगा।
तीसरा, PPF में हर साल 1.5 लाख रुपये से ज्यादा निवेश नहीं कर सकते। अगर आप ज्यादा डालते हैं, तो उस पर न तो ब्याज मिलेगा और न ही टैक्स छूट।
क्यों चुनें PPF?
PPF उन लोगों के लिए सबसे अच्छा है, जो जोखिम नहीं लेना चाहते और अपने पैसे को सुरक्षित रखते हुए बढ़ाना चाहते हैं। यह खासकर रिटायरमेंट प्लानिंग के लिए शानदार है, क्योंकि यह लंबे समय तक निवेश को बढ़ने देता है। साथ ही, टैक्स छूट का फायदा इसे और आकर्षक बनाता है। अगर आप हर महीने थोड़ा-थोड़ा बचाकर बड़ा फंड बनाना चाहते हैं, तो 15+5+5 फॉर्मूला आपके लिए एकदम सही है।
महंगाई को लगा ब्रेक: सस्ती हुई ब्रांडेड शराब और फैशन ब्रांड्स, जानिए नई कीमतें
16 May, 2025 05:19 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
शराब शौकीनों और ब्रांडेड कपड़े खरीदने वालों के लिए खुशखबरी है. दरअसल, भारत और ब्रिटेन के बीच हाल ही में फ्री ट्रेड एग्रीमेंट हुआ है. इसके बाद ब्रिटिश व्हिस्की, लग्जरी ब्रांड्स के कपड़े और एसेसरीज़, दवाएं और इलेक्ट्रॉनिक गैजेट्स समेत कई सामान सस्ते होने का रास्ता साफ हो गया है. लेकिन, सवाल है कि कम कीमत पर ये सामान कब से मिलेगा. कॉमर्स मिनिस्ट्री एक अधिकारी ने इस फ्री ट्रेड एग्रीमेंट को लेकर अपडेट दिया है. उन्होंने कहा कि भारत और ब्रिटेन के बीच 6 मई को संपन्न मुक्त व्यापार समझौते (FTA) पर जल्द ही साइन होने की उम्मीद है.
कपड़े भी हुए सस्ते
दरअसल, भारत और ब्रिटेन के बीच हुए इस समझौते के तहत लेदर आइटम, जूते और कपड़ों जैसे श्रम-गहन उत्पादों के निर्यात पर कर हटा दिए जाएंगे, जबकि ब्रिटेन से व्हिस्की और कारों का आयात सस्ता हो जाएगा. इस पहल का मकसद 2030 तक दोनों देशों के बीच व्यापार को 120 अरब डॉलर तक पहुंचाना है.
3 साल बाद हुई डील
खास बात है कि दोनों देशों ने तीन साल की बातचीत के बाद यह समझौता किया. इस एग्रीमेंट के तहत ब्रिटेन के बाजार में 99 प्रतिशत भारतीय वस्तुओं पर शुल्क को शून्य कर दिया गया है, जबकि भारतीय श्रमिकों को ब्रिटेन की पॉइंट-आधारित आव्रजन प्रणाली में बदलाव किये बिना काम के लिए ब्रिटेन की यात्रा करने की अनुमति दी गई है. फ्री ट्रेड एग्रीमेंट के तहत दोनों देशों के बीच कई वस्तुओं और सेवाओं पर टैरिफ (शुल्क) घटाया जाएगा या खत्म किया जाएगा.अधिकारी ने कहा, समझौते पर जल्द ही हस्ताक्षर होने की उम्मीद है. यह समझौता फिलहाल कानूनी प्रक्रिया से गुजर रहा है, जिसके लगभग तीन महीने में पूरा होने की संभावना है. समझौते के लिए बातचीत जनवरी, 2022 में शुरू हुई थी. भारत और ब्रिटेन के बीच द्विपक्षीय व्यापार 2023-24 में बढ़कर 21.34 अरब डॉलर हो गया, जबकि 2022-23 में यह 20.36 अरब डॉलर था.
PM Kisan Yojana: 20वीं किस्त के पैसे पाने हैं तो फौरन लिस्ट में यूं चेक करें अपना नाम
16 May, 2025 04:38 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
देश के किसानों के लिए प्रधानमंत्री सम्मान निधि योजना चलाई जा रही है. इस योजना के तहत इस बार भी लाभार्थियों को 20 वीं किस्त का इंतजार है. बता दें, पिछली बार 19वीं किस्त 24 फरवरी 2025 को आई थी. ऐसे में इस बार अब ये माना जा रहा है कि जून में अगली किस्त के 2 हजार रुपए आपके खाते में आ सकते हैं. अगर आप भी किस्त का इंतजार कर रहे हैं तो सबसे पहले लिस्ट में अपना नाम चेक करें. आपका नाम लिस्ट में है या नहीं ये कैसे जानें, आईए आपको बताते हैं.
ऐसे चेक करें लिस्ट में नाम
सबसे पहले आप ऑफिशियल पोर्टल pmkisan.gov.in जाएं. इसके बाद आपको Beneficiary List का ऑप्शन दिखेगा. अब आपको स्क्रीन पर एक नई विंडो खुल जाएगी. इसमें आपको अपने राज्य को सेलेक्ट करना होगा. इसके बाद जिला, उप जिला और गांव को सेलेक्ट करना है. फिर आपको Get Report पर क्लिक करना है. इसके बाद आपके सामने स्क्रीन पर उस गांव के लाभार्थियों की पूरी लिस्ट ओपन हो जाएगी.
किसे मिलेगा पैसा और किसे नहीं?
आपको बता दें, अगर आप पीएम-किसान योजना के लिए पात्र किसान हैं और समय पर अपनी सारी जरूरी प्रक्रिया को पूरा कर लिया है , तो अगली किस्त आपके खाते में आएगी. लेकिन आपने अब तक ई-केवाईसी नहीं करवाई है, फार्मर आईडी नहीं बनवाई है या फिर अपने बैंक अकाउंट को आधार कार्ड से लिंक नहीं करवाया है, तो आपके किस्त पर रोक लग सकती है. इसको लेकर सरकार के साफ निर्देश है कि आप 31 मई 2025 तक eKYC पूरी करवा लें, वरना इस बार भी आपकी किस्त रुक सकती है.
कैसे करें ऑनलाइन eKYC
आप सबसे पहले pmkisan.gov.in वेबसाइट खोलें. इसके बाद होमपेज पर जाकर eKYC वाले ऑप्शन पर क्लिक करें. फिर अपना आधार नंबर और कैप्चा कोड डालें. इसके बाद मोबाइल नंबर डालें जो आधार से लिंक हो फिर ओटीपी डालकर आप अपना eKYC पूरा कर सकते हैं. अगर आप इसे खुद से नहीं कर पाते हैं तो आप अपने आस-पास नजदीकी CSC सेंटर पर जाकर भी eKYC करवा सकते हैं.
सिक्किम मॉडल: जैविक खेती, पर्यटन और समावेशी विकास की त्रिवेणी
16 May, 2025 03:00 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
सिक्किम के भारत में शामिल होने का वहां के लोगों को शायद कोई अफसोस नहीं हुआ होगा। पूर्वोत्तर का यह राज्य वर्ष 1975 में लोकतंत्र का हिस्सा बना था और उसके बाद 50 वर्षों का सफर तय करते हुए आज यह प्रति व्यक्ति आय के मामले में देश का सबसे संपन्न होने का दम भर रहा है। केंद्र सरकार भी इसके वित्तीय खजाने में भारी-भरकम योगदान देती है।
साल 2023-24 में सिक्किम प्रति व्यक्ति आय के मामले में गोवा से 1,780 रुपये से आगे निकल गया। एक साल पहले गोवा की प्रति व्यक्ति आय सिक्किम से 12,388 रुपये अधिक थी। इसे देखते हुए यह बड़ी उपलब्धि है, क्योंकि भारत का हिस्सा बनने के 25 साल बाद भी 12 राज्य प्रति व्यक्ति आय के मामले में सिक्किम से आगे थे। उन सभी को पछाड़ते हुए इसने सबसे तेज तरक्की दर्ज की।
साल 2000-2001 के बाद से देश की अर्थव्यवस्था के अनुपात में सिक्किम की अर्थव्यवस्था तीन गुना हो गई है। हालांकि, यह भी कहा जाता है कि इतनी प्रगति के बाद भी साल 2023-24 में राज्य की अर्थव्यवस्था देश की अर्थव्यवस्था का सिर्फ 0.16 फीसदी थी। यह पहाड़ी राज्य 7,096 वर्ग किलोमीटर में फैला है, जो देश के क्षेत्रफल का 0.21 फीसदी है। साल 2011 की जनगणना के मुताबिक, चूंकि यहां की जनसंख्या 6,10,577 है और यह देश की कुल आबादी की सिर्फ 0.05 फीसदी है, इसलिए प्रति व्यक्ति आय के मामले में इससे बहुत फर्क पड़ा है।
पूर्वोत्तर की अधिकतर ‘सेवन सिस्टर्स’ की तरह ही सिक्किम में भी खासकर करों के मामले में राजस्व अर्जित करने वाले संसाधन बहुत कम हैं। उदाहरण के लिए साल 2023-24 में राज्य में कुल राजस्व प्राप्तियों में करों की हिस्सेदारी केवल 17 फीसदी रही। हालांकि, यह साल 2000-2001 के मुकाबले दोगुना दर्ज किया गया। केंद्रीय करों और अनुदानों के हस्तांतरण के कारण राज्य की अर्थव्यवस्था को गति मिल रही है। समय के साथ हस्तांतरण बढ़ने और अनुदान में कमी आने के बावजूद राज्य की राजस्व प्राप्तियों में इनकी हिस्सेदारी 75 फीसदी बनी हुई है। सिक्किम की आर्थिक समृद्धि इसके सामाजिक कल्याण परिदृश्य में साफ झलकती है।
उदाहरण के लिए राज्य की सिर्फ 2.6 फीसदी ही आबादी बहुआयामी गरीबी के दायरे में आती है। भले ही यह संपन्नता आंकने का सही पैमाना नहीं हो, फिर भी उस लिहाज से इसे देखा जा सकता है कि इस मामले में राष्ट्रीय औसत 15 फीसदी है और यह उससे बहुत कम है। इसके अलावा सिक्किम की स्थिति साक्षरता दर और शिशु मृत्यु दर के मामले में भी दमदार रही है। मगर राज्य को अपने लिंगानुपात पर थोड़ा काम करने की जरूरत महसूस होती है। इसके अलावा, प्रदेश की बेरोजगारी दर राष्ट्रीय औसत से काफी नीचे बनी हुई है, मगर यह साल 2021-22 के बाद से लगातार बढ़ रही है। आवधिक श्रमबल सर्वेक्षण से इसका खुलासा हुआ है। मगर इस रिपोर्ट में कृषि क्षेत्र में छिपी हुई बेरोजगारी का जिक्र नहीं किया गया है।
भारत में आईफोन उत्पादन पर ट्रंप की आपत्ति, एप्पल को दिया निर्देश
16 May, 2025 10:20 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
अमेरिका के राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप ने ऐपल से कहा है कि वह भारत में अपने उत्पादों का विनिर्माण न करे। ट्रंप के आज के इस बयान से भारत में ऐपल के विनिर्माण की बात को थोड़ा झटका लगा है। दरअसल ऐपल अपनी आपूर्ति श्रृंखला में विविधता लाने के लिए भारत से अमेरिका में आईफोन का निर्यात बढ़ाने के लिए उत्पादन क्षमता में इजाफा कर रही है। वर्तमान में ऐपल उत्पादों के विनिर्माण में चीन का दबदबा है।
कतर की राजधानी दोहा में व्यापार सम्मेलन के दौरान ट्रंप ने कहा कि उन्होंने भारत में ऐपल के विस्तार की योजना पर कंपनी के मुख्य कार्याधिकारी टिम कुक से नाखुशी जाहिर की है। उन्होंने कहा कि वह चाहते हैं कि ऐपल अमेरिका में ज्यादा निवेश करे। ट्रंप ने कहा, ‘आप भारत में विनिर्माण कर रहे हैं। मैं नहीं चाहता कि आप भारत में विनिर्माण करें।’ कुक भी कतर में ही मौजूद थे। ट्रंप ने कुक को सुझाव दिया कि ऐपल भारतीय बाजार के लिए भारत में अपने उत्पाद बना सकती है। लेकिन अमेरिका में बेचे जा रहे ‘मेड इन इंडिया’ आईफोन को रोकना होगा।’ ट्रंप की यह टिप्पणी ऐसे समय में आई है जब भारत और अमेरिका के बीच द्विपक्षीय व्यापार समझौते पर बातचीत चल रही है।
ऐपल के सीईओ ने कुछ दिन पहले ही कहा था कि कंपनी की योजना अमेरिकी बाजार के लिए ज्यादातर आईफोन भारत से लाने की है। ट्रंप के बयान के तुरंत बाद भारत सरकार के अधिकारियों ने ऐपल के अधिकारियों से बात की। सरकार के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि ऐपल ने आश्वस्त किया है कि भारत के लिए ऐपल की निवेश योजना में कोई बदलाव नहीं हुआ है और कंपनी का इरादा भारत को अपने उत्पादों के विनिर्माण का प्रमुख अड्डा बनाना है। एक अन्य अधिकारी ने बताया कि भारत प्रोत्साहनों के जरिये बहुराष्ट्रीय कंपनियों को विनिर्माण के लिए आकर्षित कर रहा है।
इलेक्ट्रॉनिकी और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारियों ने कहा कि जब तक अमेरिका या ऐपल से इस मुद्दे पर आधिकारिक जानकारी नहीं मिल जाती है तब तक सरकार ट्रंप के बयान पर कोई टिप्पणी नहीं करेगी।
कुक ने पहले कहा था कि जून तिमाही में अमेरिका में बेचे जाने वाले अधिकांश आईफोन भारत में बने होंगे जबकि शुल्क पर अनिश्चितता के बीच अन्य बाजारों के लिए कंपनी के अधिकांश उत्पाद चीन में बनेंगे। भारत में ताइवान की कंपनी फॉक्सकॉन, पेगाट्रॉन कॉर्प का संचालन करने वाली टाटा इलेक्ट्रॉनिक्स ऐपल के लिए मुख्य रूप से ठेके पर आईफोन बनाती हैं। टाटा और फॉक्सकॉन आईफोन उत्पादन बढ़ाने के लिए नए संयंत्र बना रही हैं। पिछले वित्त वर्ष में ऐपल ने भारत में 60 फीसदी अधिक आईफोन असेंबल किए जिनकी अनुमानित कीमत 22 अरब डॉलर है।
रोजगार का हब बनेगा जेवर, 3706 करोड़ की लागत से लगेगी सेमीकंडक्टर यूनिट
16 May, 2025 10:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
उत्तर प्रदेश के यहूबार क्षेत्र में अब सिर्फ जेवर एयरपोर्ट ही नहीं, बल्कि सेमीकंडक्टर चिप निर्माण का एक बड़ा केंद्र भी आकार ले रहा है. केंद्र सरकार ने 14 मई को HCL-Foxconn के ज्वाइंट वेंचर को मंजूरी दे दी है. इन नयी योजना के तहत 3,706 करोड़ रुपये की लागत से एक अत्याधुनिक वेफर मैन्युफैक्चरिंग प्लांट स्थापित किया जाएगा. यह यूनिट मोबाइल, लैपटॉप और ऑटोमोबाइल्स जैसे डिवाइसेस के लिए बेहद अहम डिस्प्ले ड्राइवर चिप बनाएगी.
हर महीने 20 हजार वेफर्स प्रोसेस करेगी
केंद्रीय सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री अश्विनी वैष्णव ने बताया कि यह प्रस्तावित यूनिट प्रति माह 20 हजार वेफर्स प्रोसेस करेगी और इसकी डिजाइन क्षमता 3.6 करोड़ चिप्स प्रतिमाह की होगी. उन्होंने कहा, “यह देश में सेमीकंडक्टर निर्माण को नई दिशा देगा. जब यह डिस्प्ले ड्राइवर चिप यहां बनेगा तो जल्द ही डिस्प्ले पैनल निर्माण भी भारत में शुरू हो सकेगा.”
सरकार के मुताबिक, पहले ही पांच सेमीकंडक्टर यूनिट्स निर्माण की उन्नत अवस्था में हैं और यह छठा प्रोजेक्ट भारत की रणनीतिक रूप से अहम सेमीकंडक्टर इंडस्ट्री को और मजबूती देगा.
सरकार ने बयान में कहा है कि , “HCL के पास हार्डवेयर निर्माण का लंबा अनुभव है और फॉक्सकॉन इलेक्ट्रॉनिक्स मैन्युफैक्चरिंग में वैश्विक लीडर है. दोनों मिलकर जेवर एयरपोर्ट के पास यमुना एक्सप्रेसवे औद्योगिक विकास प्राधिकरण (YEIDA) क्षेत्र में यह प्लांट लगाएंगे.”
प्रोडक्शन 2027 से शुरू होगा
मंत्री वैष्णव ने जानकारी दी कि इस प्लांट में उत्पादन वर्ष 2027 से शुरू होगा. उन्होंने कहा कि लैपटॉप, मोबाइल फोन, मेडिकल डिवाइस, डिफेंस इक्विपमेंट और कंज्यूमर इलेक्ट्रॉनिक्स जैसे क्षेत्रों में सेमीकंडक्टर की बढ़ती मांग को यह यूनिट पूरा करेगी. भारत को एडवांस बनाने में अपनी भूमिका दर्ज करने के साथ ही यह यूनिट रोजगार के नए अवसर भी साथ लेकर आएगी. यह योजना आत्मनिर्भर भारत के तरफ अहम कदम है.
अलर्ट! क्रेडिट कार्ड लिमिट बढ़ाने के मैसेज या कॉल से बचें, वरना लुट जाएगी गाढ़ी कमाई
16 May, 2025 09:50 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
Credit Card Limit Fraud: देश में साइबर अपराधी दिन-ब-दिन लोगों से ठगी करने के नए तरीके ईजाद कर रहे हैं. इसी तरह का एक नया तरीका है क्रेडिट कार्ड की लिमिट बढ़ाने का झांसा देकर ग्राहकों की जानकारी प्राप्त करना और फिर उनके साथ ठगी करना. इसको देखते हुए साइबर पुलिस ने लोगों को अलर्ट रहने को कहा है. देश में लोन, फास्टैग, ओटीपी और शेयर बाजार में निवेश के नाम पर ठगी की खबरें रोजाना आ रही हैं. हालांकि लोग इन फ्रॉड्स के प्रति अब जागरूक हो रहे हैं, लेकिन क्रेडिट कार्ड लिमिट बढ़ाने के नाम पर होने वाली ठगी बाजार में नई है, इसलिए लोग इसके बारे में ज्यादा नहीं जानते.
कैसे ठगी करते हैं फ्रॉड?
क्रेडिट कार्ड की लिमिट बढ़ाने के नाम पर ठग ग्राहक से बैंक अधिकारी बनकर फोन, व्हाट्सएप या ईमेल के जरिए संपर्क करते हैं. अगर ग्राहक लिमिट बढ़वाने के लिए राजी हो जाता है, तो वे उसकी डिटेल्स प्राप्त कर लेते हैं. ओटीपी साझा करते ही कुछ ही देर में ठग क्रेडिट कार्ड से पैसे निकाल लेते हैं.
क्रेडिट कार्ड लिमिट फ्रॉड से कैसे बचें?
बैंक कॉल की पुष्टि करें
कोई भी खुद को बैंक अधिकारी बताए तो कॉल तुरंत काटकर बैंक के आधिकारिक कस्टमर केयर नंबर पर कॉल करके पुष्टि करें.
कभी OTP या CVV साझा न करें
कोई भी बैंक ओटीपी, पिन या सीवीवी नहीं मांगता. अगर कोई मांगे, तो समझें वह फ्रॉड है.
लिंक पर क्लिक न करें
व्हाट्सएप, ईमेल या एसएमएस में आए किसी अनजान लिंक पर क्लिक न करें. इनमें मालवेयर या फिशिंग साइट हो सकती है.
KYC या लिमिट बढ़ाने के नाम पर फॉर्म न भरें
किसी भी डिजिटल फॉर्म, गूगल फॉर्म या संदिग्ध वेबसाइट में अपनी जानकारी न दें.
फोन पर स्क्रीन शेयरिंग ऐप न खोलें
स्कैमर्स कई बार आपको AnyDesk, TeamViewer जैसे ऐप डाउनलोड करवाकर स्क्रीन एक्सेस करते हैं – ऐसा बिल्कुल न करें.
SMS/ईमेल से मिलने वाली जानकारी की जांच करें
बैंक के ईमेल या मैसेज हमेशा उनकी आधिकारिक ID से आते हैं – किसी अनजान मेल ID से आए संदेश को नजरअंदाज करें.
साइबर हेल्पलाइन नंबर याद रखें
अगर ठगी हो जाए तो तुरंत 1930 पर कॉल करें या www.cybercrime.gov.in पर शिकायत दर्ज करें.