व्यापार
तेजी के बीच मुश्किल! NCLT ने अनिल अंबानी की रिलायंस इंफ्रास्ट्रक्चर के खिलाफ दिवालिया अर्जी मानी
3 Jun, 2025 11:36 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
अनिल अंबानी की कंपनी रिलायंस इंफ्रास्ट्रक्चर काफी समय से चर्चा में रही, इसे लेकर निवेशकों के बीच उम्मीदें भी बढ़ गई थी लेकिन अब खबर झटके वाली है. दरअसल मुंबई की नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल (NCLT) की बेंच ने कंपनी के खिलाफ दिवालियापन याचिका को मंजूरी दे दी है. यही नहीं इस प्रोसेस के लिए तहसीन फातिमा खत्री को इंटरिम रिजॉल्यूशन प्रोफेशनल यानी IRP भी नियुक्त कर दिया गया है.
88 करोड़ गले की फांस
रिपोर्ट के अनुसार, जिन क्रेडिटर्स से कंपनी ने उधार पर सामान/सेवा ली थी उनकी ओर से IDBI ट्रस्टीशिप सर्विसेज लिमिटेड ने रिलायंस इंफ्रा के खिलाफ दिवालियापन याचिका दायर की थी. कंपनी पर 88 करोड़ रुपये से ज्यादा का बकाया था जिसे लेकर ट्रिब्यूनल का रुख किया गया था.
रिलायंस इंफ्रा का जवाब
रिपोर्ट के अनुसार, रिलायंस इंफ्रास्ट्रक्चर ने कहा कि NCLT के आदेश का कंपनी या उसकी किसी भी सहयोगी कंपनी पर कोई असर नहीं पड़ेगा.
रिपोर्ट के मुताबिक, कंपनी के प्रवक्ता ने कहा कि, “हमने धुरसर सोलर पावर प्राइवेट लिमिटेड को 92.68 करोड़ रुपये का पूरा पेमेंट कर दिया है. यह पैसा एनर्जी परचेज एग्रीमेंट के अनुसार था. अब कंपनी NCLAT में अपील करेगी और 30 मई 2025 के NCLT मुंबई के आदेश को रद्द कराने की मांग करेगी.”
उन्होंने ये भी कहा कि कंपनी ने जब पूरा पैसा चुका दिया है, तो NCLT का आदेश लागू नहीं होगा.
क्या है पूरा मामला?
इस विवाद की जड़ 2011 के उस एनर्जी परचेज एग्रीमेंट में है, जो रिलायंस इंफ्रा और धुरसर सोलर पावर प्राइवेट लिमिटेड (DSPPL) के बीच हुआ था. इस कॉन्ट्रैक्ट के तहत कंपनी को DSPPL प्लांट की सारी सोलर एनर्जी खरीदनी थी.
2012 में IDBI ट्रस्टीशिप ने एक डायरेक्ट एग्रीमेंट के जरिए रिलायंस इंफ्रा और DSPPL दोनों के साथ करार किया, जिससे DSPPL के सभी दावे IDBI ट्रस्टीशिप को ट्रांसफर हो गए.
2017 और 2018 के बीच DSPPL ने एनर्जी सप्लाई को लेकर 10 इनवॉइस जारी किए. इसके बावजूद पेमेंट नहीं हुआ. इसके चलते अप्रैल 2022 में IDBI ट्रस्टीशिप ने इन्सॉल्वेंसी एंड बैंकरप्सी कोड के तहत 88 करोड़ से अधिक की बकाया राशि और ब्याज की मांग करते हुए नोटिस भेजा.
IDBI ने कोर्ट में दलील दी कि बार-बार मांग करने के बावजूद पेमेंट नहीं हुआ.
रिलायंस इंफ्रा ने तर्क दिया कि यह याचिका डेडलाइन की वजह से अवैध है, क्योंकि आखिरी इनवॉइस सितंबर 2018 में जारी हुआ था और पेमेंट नवंबर 2018 में देना था, जबकि CIRP की मुख्य याचिका अप्रैल 2022 में दायर की गई.
इसके साथ ही कंपनी ने यह भी कहा कि DSPPL के साथ पहले से विवाद चल रहा है, इसलिए याचिका स्वीकार नहीं की जानी चाहिए.
रिलायंस ने CIRP के आदेश पर रोक लगाने और रिजॉल्यूशन प्रोफेशनल को कंपनी का कार्यभार संभालने से रोकने की मांग की. लेकिन ट्रिब्यूनल ने यह कहते हुए इनकार कर दिया कि आदेश जारी होने के बाद वह इस पर रोक लगाने के अधिकार में नहीं है.
अंबानी के लिए R Infra पारस पत्थर के समान
एक समय तरक्की की राह पकड़े अनिल अंबानी का धीरे-धीरे ग्राफ गिरने लगा लेकिन फिर रिलायंस पावर और रिलायंस इंफ्रा दोनों ने उनकी उम्मीदें बढ़ा दी थी. रिलायंस इंफ्रा कर्ज मुक्त हो गई. कंपनी ने ऐलान किया कि पूरा कर्ज चुका दिया गया है. वित्त वर्ष 2025 के दौरान कंपनी ने कुल 3,298 करोड़ का लोन चुकाया है. वहीं कंपनी ने 4,387 करोड़ रुपये का कंसोलिडेटेड प्रॉफिट भी दर्ज किया. यानी रिलायंस इंफ्रा कमाई की राह पर आगे बढ़ रही थी फिर NCLT से कंपनी को बड़ा झटका लग गया है. अब कंपनी ने कहा है कि वो इसके खिलाफ अपील करेगी. इसके बाद ये मामला किस ओर मोड़ लेगा इस पर निवेशकों की खास नजर रहेगी.
निवेशकों के लिए खुशखबरी! ₹99,000 के ऊपर चमका सोना, ₹1 लाख के लिए तैयार
3 Jun, 2025 11:30 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
पिछले हफ्ते सोने की कीमतों में गिरावट के बाद फिर से सोने का भाव बढ़ने लगा है. एक दिन पहले 300 रुपये महंगा होने के बाद आज फिर सोना बढ़कर गया है 99 हजार के पास पहुंच गया है. ज्वेलरी ब्रांड तनिष्क की वेबसाइट के मुताबिक, 24 कैरेट सोना 99,270 रुपये प्रति 10 ग्राम पर पहुंच गया है (टैक्स शामिल है), वहीं 22 कैरेट सोना 91,000 रुपये प्रति 10 ग्राम के स्तर पर आ गया है. चलिए जानते हैं क्या है सोने का हाल और अब किन कारणों से बढ़ रही है कीमत.
फोटो सोर्स- तनिष्क वेबसाइट
MCX पर भी भाग रहा सोना
फिलहाल सोने की चाल को समझना मुश्किल है, जहां एक तरफ सोने की रिटेल कीमतें बढ़ रही हैं इधर मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज यानी MCX पर सोने गिरावट के साथ खुला है, यह 63 रुपये नीचे है और 97,890 रुपये प्रति 10 ग्राम के आसपास कारोबार कर रहा है.
ग्लोबल बाजार में चमक रहा सोना
अंतरराष्ट्रीय बाजार में सोना बढ़त के साथ खुला है, यहां सोने का दाम 3,366 डॉलर प्रति औंस है. इस तेजी के पीछे कई वजह हो सकती हैं. चलिए जानते हैं…
आपके शहर में सोने का भाव
शहर
24 कैरेट (₹)
22 कैरेट (₹)
चेन्नई
98,850
90,610
मुंबई
98,850
90,610
दिल्ली
99,000
90,760
कोलकाता
98,850
90,610
बेंगलुरु
98,850
90,610
हैदराबाद
98,850
90,610
केरल
98,850
90,610
पुणे
98,850
90,610
वडोदरा
98,900
90,660
सोर्स- गुड रिटर्न्स
सोने में तेजी का कारण
रिपोर्ट के मुताबिक, अबंस फाइनेंशियल सर्विसेज के CEO चिंतन मेहता ने बताया कि “अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा स्टील और एल्युमिनियम पर इंपोर्ट ड्यूटी 25 प्रतिशत से बढ़ाकर 50 प्रतिशत करने की घोषणा के बाद बाजार में अनिश्चितता बढ़ गई है, जिसका असर सोने की कीमतों पर पड़ा है.”
मेहता ने आगे कहा कि रूस-यूक्रेन के बीच बढ़ते तनाव और मध्य पूर्व में चल रहे संघर्षों की वजह से भी सोने की कीमतों को सहारा मिला है.
वहीं HDFC सिक्योरिटीज के सीनियर कमोडिटी एनालिस्ट सौमिल गांधी ने कहा कि निवेशक अब अमेरिका के मई महीने के ISM – मैन्युफैक्चरिंग परचेजिंग मैनेजर्स इंडेक्स (PMI) रिपोर्ट पर नजर बनाए हुए हैं.
दो साल बाद पहली बार घटे नेचुरल गैस के दाम, CNG-PNG के मोर्चे पर ग्राहकों को जल्द मिलेगी राहत
2 Jun, 2025 07:06 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
देश के लोगों को महंगाई के मोर्चे पर बड़ी राहत मिल सकती है. नेचुरल गैस की कीमतों में कटौती की गई है. सरकार ने दो साल बाद सीएनजी और रसोई गैस के लिए इस्तेमाल होने वाली नेचुरल गैस की कीमत कम कर दी है. यह कमी अंतरराष्ट्रीय बाजार में तेल और गैस की कीमतों में कमी के कारण हुई है. पेट्रोलियम मंत्रालय की यूनिट PPAC के अनुसार ONGC गैस की कीमत 6.75 डॉलर प्रति mmBtu से घटाकर 6.41 डॉलर प्रति mmBtu कर दी गई है. यह गैस सीएनजी और रसोई गैस बनाने में इस्तेमाल होती है.
क्या है नियम?
अप्रैल 2023 में सरकार ने गैस की कीमत तय करने का नया नियम बनाया था. इसके तहत गैस की कीमत हर महीने कच्चे तेल और गैस की औसत आयात कीमत के 10% पर तय होती है. इसमें न्यूनतम कीमत 4 डॉलर और अधिकतम 6.5 डॉलर प्रति mmBtu रखी गई थी. हर साल अप्रैल में अधिकतम कीमत 0.25 डॉलर बढ़ती है. इस साल अप्रैल में अधिकतम कीमत 6.75 डॉलर हो गई थी. पिछले दो साल में गैस की कीमत 7.29 से 9.12 डॉलर प्रति mmBtu के बीच रही. लेकिन अधिकतम कीमत के नियम के कारण यह 6.5 डॉलर पर ही रही.
इन कंपनियों को होगा फायदा
मई में तेल की कीमतें कम होने से गैस की कीमत 6.93 डॉलर थी. लेकिन अधिकतम कीमत 6.75 डॉलर के कारण कस्टमर को यही कीमत देनी पड़ी. अब मई में तेल की औसत कीमत 64 डॉलर होने से गैस की कीमत 6.41 डॉलर तय की गई है. यह कीमत 1 जून से 30 जून 2025 तक लागू रहेगी. यह गैस शहरों में सीएनजी और रसोई गैस के लिए इस्तेमाल होती है.
इंद्रप्रस्थ गैस और अदानी-टोटल गैस जैसी कंपनियों को इससे फायदा होगा. हालांकि गैस की कीमत हर छह महीने में तय होती थी. लेकिन अब यह हर महीने बदलती है. रिलायंस इंडस्ट्रीज के KG-D6 जैसे मुश्किल क्षेत्रों की गैस की कीमत 10.04 डॉलर प्रति mmBtu तय की गई है. यह पहले 10.16 डॉलर थी. इस कमी से सीएनजी और रसोई गैस सस्ती हो सकती है.
पिछले 10 महीनों के LPG कीमतों का ब्योरा
तारीख
घरेलू सिलेंडर (14.2 किलो)
कमर्शियल सिलेंडर (19 किलो)
1 मई 2025
₹850.50 (कोई बदलाव नहीं)
₹1,747.50 (-14.50)
1 अप्रैल 2025
₹850.50 (+50.00)
₹1,762.00 (-39.50)
1 मार्च 2025
₹800.50 (कोई बदलाव नहीं)
₹1,801.50 (+6.00)
1 फरवरी 2025
₹800.50 (कोई बदलाव नहीं)
₹1,795.50 (-7.00)
1 जनवरी 2025
₹800.50 (कोई बदलाव नहीं)
₹1,802.50 (-14.50)
1 दिसंबर 2024
₹800.50 (कोई बदलाव नहीं)
₹1,817.00 (+16.50)
1 नवंबर 2024
₹800.50 (कोई बदलाव नहीं)
₹1,800.50 (+62.00)
1 अक्टूबर 2024
₹800.50 (कोई बदलाव नहीं)
₹1,738.50 (+48.50)
1 सितंबर 2024
₹800.50 (कोई बदलाव नहीं)
₹1,690.00 (+39.00)
1 अगस्त 2024
₹800.50 (कोई बदलाव नहीं)
₹1,651.00 (+14.50)
सोर्स: इंडियन ऑयल
आसान होंगे लोन! RBI की अगली बैठक में 0.5% रेट कट संभव, SBI रिसर्च ने दिए संकेत!
2 Jun, 2025 07:00 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
होम लोन, कार लोन सहित तमाम तरह के लोन की EMI चुकाने वालों को जल्द ही बड़ी खुशखबरी मिल सकती है. 6 जून को रिजर्व बैंक की MPC यानी मौद्रिक नीति समिति की बैठक होनी है. इस बैठक में यह समिति ब्याज दरों में बड़ी कटौती का ऐलान कर सकती है. SBI रिसर्च की एक रिपोर्ट के मुताबिक शुक्रवार 6 जून को होने वाली RBI MPC बैठक में को 50 आधार अंकों की ब्याज दर में बड़ी कटौती का ऐलान हो सकता है.
SBI की रिपोर्ट में कहा गया है कि रिजर्व बैंक की तरफ से यह कदम क्रेडिट साइकल को रिवाइव करने और बाजार में जारी अनिश्चितता के माहौल को नियंत्रित करने में अहम साबित हो सकता है. अप्रैल में रिजर्व बैंक की तरफ से रेपो रेट में 25 आधार अंकों की कटौती की गई थी, जिससे के बाद रेपो रेट 6% हो गई है. अब एसबीआई का अनुमान है कि जून में होने वाली बैठक में रेपो रेट में 50 आधार अंकों की कटौती की जा सकती है. इससे कमर्शियल बैंकों की तरफ से कम ब्याज दर पर कर्ज दिया जाएगा, जिससे बैंको का क्रेडिट साइकल सुधर सकता है.
कब शुरू होगी MPC की बैठक?
तय कार्यक्रम के हिसाब से हर दो महीने में होने वाली रिजर्व बैंक की मौद्रिक समिति की बैठक बुधवार 4 जून को शुरू होगी. तीन दिन चलने वाली इस बैठक में समिति जो भी फैसले लेगी, उनकी जानकारी शुक्रवार 6 जून को सार्वजनिक की जाएगी. इससे पहले अप्रैल में RBI गवर्नर संजय मल्होत्रा की अध्यक्षता में समिति ने रेपो रेट में 25 आधार अंक की कटौती की थी.
क्या है SBI रिसर्च का अनुमान?
SBI रिसर्च की रिपोर्ट के मुताबिक फरवरी और अप्रैल 2025 में रेपो रेट में हुई 25-25 आधार अंकों की कटौती के बाद अब रिजर्व बैंक 50 आधार अंक की कटौती कर सकती है. इस तरह रेपो रेट में कुल 1 फीसदी की कमी आ जाएगी. यह उन अनुमानों के मुताबिक है, जो बैंको के क्रेडिट साइकल को सुधारने, अस्थिरता को नियंत्रित करने और आर्थिक गतिविधियों को बूस्ट करने के लिए मौद्रिक समिति से अपेक्षित हैं.
किन लोगों को मिलेगा फायदा?
बैंकों की तरफ से फिलहाल दो बेंचमार्क के आधार पर लोन दिया जाता है. EBLR यानी एक्सटर्नल बेंचमार्क बेस्ड लेंडिंग रेट और MCLR यानी मार्जिनल कॉस्ट ऑफ फंड्स बेस्ड लेंडिंग रेट. EBLR सीधे तौर पर रेपो रेट से लिंक है. इसका मतलब है कि जैसे ही रिजर्व बैंक की तरफ से रेपो रेट में कटौती की जाएगी, उन सभी लोन के रेट में भी कटौती हो जाएगी, जो इस बेंचमार्क से लिंक्ड हैं.
कितने लोन EBLR आधारित?
SBI की रिपोर्ट के मुताबिक देश में करीब 60.2 फीसदी लोन EBLR से लिंक्ड हैं. वहीं, 35.9 फीसदी लोन MCLR से लिंक्ड हैं. MCLR की रिसेट अवधि लंबी होती है, क्योंकि यह फंड्स की लगात से जुड़ा बेंचमार्क है, ऐसे में इससे लिंक्ड लोन के रेट घटने में कुछ समय लग सकता है.
मस्क का साम्राज्य डगमगाया? 9 लाख करोड़ रुपये स्वाहा, क्या ट्रंप से दोस्ती का असर है?
2 Jun, 2025 06:51 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
दुनिया के सबसे अमीर व्यक्ति एलन मस्क के दिन आजकल अच्छे नहीं चल रहे हैं. उनका टेस्ला के दम पर खड़ा हुआ साम्राज्य डगमगा रहा है. आलम यह है कि गिरती बिक्री और ट्रंप की नजदीकी को देखते हुए निवेशकों ने कुछ दिन पहले उनसे कंपनी की कमान छोड़ने तक की मांग कर दी थी. बढ़ते असंतोष को देखते हुए मस्क ने बिजनेस को तरजीह दी और DOGE से किनारा करना ही बेहतर समझा. खैर बिजनेसमैन मस्क को समझ में आ गया था कि अब पहले जैसे दिन नहीं रहे हैं. क्योंकि जो मस्क, ट्रंप के अमेरिकी राष्ट्रपति पद का चुनाव जीतने के बाद दिसंबर 2024 में 486 अरब डॉलर की रिकॉर्ड दौलत के मालिक बन गए थे. उनकी दौलत करीब साढ़े 5 महीने में 107 अरब डॉलर यानी करीब 9 लाख करोड़ रुपये डूब गई है. ये इतनी दौलत है जितनी भारत में मुकेश अंबानी (103 अरब डॉलर) की कुल दौलत है. साफ है कि मस्क ट्रंप को संभालने के चक्कर में अपने साम्राज्य से हाथ धोने लगे थे. ऐसे में उनके पास अपनी नैया हिचकोले खाने से रोकने के अलावा कोई चारा नहीं बचा है. क्योंकि उन्हें चीन, यूरोप से लेकर भारत तक झटके लग रहे हैं और उन्हें पता है कि बिजनेस ही उनके रसूख को बचा सकता है
इस रिपोर्ट में हम विस्तार से देखेंगे कि कैसे डॉग (DOGE) विभाग में शामिल होना, ट्रंप प्रशासन के टैरिफ, चीन और यूरोप में गिरती सेल्स और भारत में अनिश्चित स्थिति ने मस्क के साम्राज्य को कैसे डगमगा दिया है.
DOGE में की एंट्री, एग्जिट होने लगा तिजोरी का पैसा
जब एलन मस्क व्हाइट हाउस में ट्रंप प्रशासन के तहत “Department of Government Efficiency (DOGE)” के इनचार्ज बने, तो उस वक्त मस्क के पास टेस्ला में लगभग 13 फीसदी हिस्सेदारी थी, जो दिसंबर 2024 तक उनकी संपत्ति का एक बड़ा हिस्सा थी. Bloomberg Billionaires Index के मुताबिक, इस अवधि में टेस्ला के शेयरों में रिकॉर्ड वृद्धि ने मस्क की नेट वर्थ को पीक पर पहुंचा दिया, जो कभी भी किसी व्यक्ति के लिए हासिल की गई सबसे अधिक संपत्ति थी. दिसंबर 2024 में SpaceX की भी वेल्यूएशन 350 अरब डॉलर तक पहुंच गई, जिससे मस्क की हिस्सेदारी का मूल्य लगभग 147 अरब डॉलर आंका गया. इन स्थितियों ने यह संकेत दिया था कि टेस्ला के एक्सपेंशन और स्पेसएक्स की बढ़ती वेल्यूएशन ने एक साथ मिलकर मस्क की संपत्ति को अभूतपूर्व ऊंचाइयों पर पहुंचा दिया था.
लेकिन मस्क के राजनीतिक कार्यकाल की शुरुआत से ही टेस्ला के लिए मुश्किलें शुरू हो गईं. Inauguration Day पर दिए गए भाषण में मस्क ने दोनों ऐसे सलाम किए जिन्हें ‘नाजी-सैल्यूट’ का इशारा बताया गया और वहीं से टेस्ला की गिरावट की शुरुआत हुई. Fortune की रिपोर्ट के मुताबिक, इस दौरान DOGE के तहत लागू की जाने वाली नीतियां अक्सर जल्दीबाजी और बिना प्रोटोकॉल की परमिशन के लागू होने लगीं, जिससे जनता में असंतोष फैला. बड़े पैमाने पर विरोध हुए और कई जगहों पर टेस्ला डीलरशिप पर तोड़-फोड़ की वारदातें भी देखी गईं. इस सबका नतीजा यह हुआ कि मार्च मध्य तक टेस्ला का मार्केट कैप लगभग 100 अरब डॉलर तक डूब गया, और मस्क की कुल संपत्ति में भी इसी अनुपात में भारी कमी आई.
मार्च के मध्य में जब पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने व्हाइट हाउस लॉन पर टेस्ला कारें लाकर विरोधियों को ‘घरेलू आतंकवादी’ कहकर धमकाया, तब भी टेस्ला का शेयर भाव और नीचे आ गया. अप्रैल 2025 में लागू हुए “Liberation Day” के टैरिफ ने भी कंपनी की सेल्स पर प्रतिकूल असर डाला, जिससे किफायत और मूल्य निर्धारण (Affordability and Pricing) की समस्या और बढ़ गई. हालांकि अप्रैल के अंत तक मस्क ने सुरक्षा के मद्देनजर DOGE के काम से खुद को हटाकर टेस्ला पर ध्यान केंद्रित किया, तब जाकर टेस्ला के शेयर कुछ हद तक रिकवर हुए. कार्ड चेंज करते हुए अप्रैल के आखिर में, मस्क ने राजनीतिक पद छोड़ दिया पर तब तक मस्क की कुल संपत्ति में भारी गिरावट आ चुकी थी.लेकिन तब तक उनकी नेट वर्थ दिसंबर पीक से बहुत नीचे आ चुकी थी.
जहां ट्रंप बढ़ा रहे थे टैरिफ, वहां डूब रही थी टेस्ला
अप्रैल में टेस्ला के सबसे खराब तिमाही नतीजों का खुलासा हुआ. 25 अप्रैल को Forbes की रिपोर्ट में बताया गया कि टेस्ला के सेल्स में 9 फीसदी की गिरावट आई और शुद्ध आय में 71% की भारी कमी दर्ज की गई, खासतौर पर ऑटोमोटिव रेवेन्यू में 20% की गिरावट ने टेस्ला के लिए चिंता बढ़ा दी. ट्रंप प्रशासन द्वारा लगाए गए टैरिफ ने अमेरिका में ऑटोमोटिव सेक्टर को सीधे तौर पर निशाना बनाया, जिससे टेस्ला को भी अपने मार्जिन को कम करना पड़ा. वैश्विक कच्चे माल की महंगाई, चीन से इम्पोर्टेड बैटरी सेल पर 145% का टैरिफ और “Liberation Day” टैरिफ ने टेस्ला के बैटरी स्टोरेज बिजनेस को भी प्रभावित किया.
Forbes के अनुसार, Q1 2025 में टेस्ला ने 409 मिलियन डॉलर का प्रॉफिट कमाया, जिसमें से 595 मिलियन डॉलर रेवेन्यू केवल रेगुलेटरी क्रेडिट्स बेचकर आया था. इन रेवेन्यू के बिना कंपनी नुकसान में चली जाती.
टेस्ला की सबसे बड़ी चुनौतियां थीं:
सेल्स में गिरावट (Q1 2025 में EV सेल्स में 13% की कमी)
मोटर मोटिव राजस्व में 20% की गिरावट (मतलब या तो कारें कम बिकीं या उनसे कम मुनाफा हुआ)
चीन और यूरोप में टेस्ला ब्रांड की बेकार हुई छवि
इन सबने मिलकर टेस्ला की पोजीशन को कमजोर किया.
चीन बाजार में निराशा
चीन दुनिया का सबसे बड़ा EV मार्केट होते हुए भी टेस्ला की सेल्स घाटे में चल रही हैं. मई 2025 में चीनी EV निर्माताओं—Li Auto, XPeng, NIO, BYD—ने जोरदार ग्रोथ दर्ज की, जबकि टेस्ला की अप्रैल 2025 की सेल्स लगभग 58,000 कार तक सीमित रहीं, जो एक साल पहले की तुलना में 6 फीसदी कम है.
Barron’s की रिपोर्ट के मुताबिक, BYD ने जनवरी–मई 2025 में 3,76,930 वाहन बेचे, जिनमें से 204,369 सिर्फ बैटरी-इलेक्ट्रिक मॉडल थे. BYD चीन की सबसे बड़ी EV निर्माता है, जिसने टेस्ला के सेल्स को पछाड़ दिया है और एलन मस्क के कंपनी के लिए सबसे बड़ी कंपटिशन भी है.
चीन में टेस्ला के गिरती सेल्स के पीछे बड़ी वजह रही अमेरिकी और चीनी ट्रेड टेंशन. अमेरिका के द्वारा चीन पर भारी इम्पोर्ट शुल्क लगाने के वजह से चीनी उपभोक्ता ने अमेरिकी ब्रांड, खासतौर से टेस्ला से दूरी बनानी शुरू कर दी. इस सबके बीच, टेस्ला ने चीन से इम्पोर्ट किए जाने वाले बैटरी सेल्स पर भी शुल्क बढ़ने का सामना किया, जो Q1 2025 में कंपनी के बैटरी पैक बिजनेस को कड़ा झटका साबित हुआ. टेस्ला ने लिथियम-आयरन-फॉस्फेट (LFP) सेल्स को नेवादा स्थित Giga फैक्ट्री में बनाना शुरू करने की योजना बनाई थी, लेकिन चीनी CATL के साथ लाइसेंसिंग समझौते के चलते यह प्रोजेक्ट ठंडे बस्ते में चला गया. हालांकि निवेशक अभी भी AI-ट्रेन किए गए सेल्फ-ड्राइविंग कारों और रोबोटैक्सी की संभावनाओं पर विश्वास रख रहे हैं, पर चीन के BYD ने टेस्ला की पकड़ कमजोर कर दी है.
यूरोप में गिरावट
Reuters में प्रकाशित एक रिपोर्ट में कहा गया कि अप्रैल 2025 में टेस्ला की यूरोपीय सेल्स साल-दर-साल 49% तक गिर गईं, जबकि बैटरी-इलेक्ट्रिक व्हीकल्स की कुल बिक्री 27.8% बढ़ी. इस अवधि में टेस्ला की यूरोपीय बाजार हिस्सेदारी 1.3% से गिरकर मात्र 0.7% रह गई.
ACEA (European Automobile Manufacturers Association) के आंकड़ों के मुताबिक, अप्रैल 2025 में यूरोप में कुल कार सेल्स में मामूली गिरावट (0.3%) आई, लेकिन EV सेगमेंट की मांग बढ़ी. टेस्ला का नया Model Y भी वहां का कोई बड़ा असर नहीं दिखा पाया. रिपोर्ट में यह भी कहा गया कि EU और चीन के कंपटीटर्स- जैसे BMW, वोक्सवैगन, दक्षिण कोरियाई ह्युंडई-KIA कंपनियां अपने नए मॉडलों के साथ तेजी से उभर रही हैं, जिससे टेस्ला की पकड़ और कमजोर होती जा रही है.
यूरोप में भी टेस्ला को खासतौर पर ब्रांड छवि की समस्या का सामना करना पड़ा क्योंकि उपभोक्ता अब मस्क की राजनीतिक गतिविधियों और टैरिफ वाले विवादों से नाराज दिख रहे थे. यही वजह थी कि अप्रैल 2025 तक टेस्ला की बिक्री में गिरावट बनी रही.
भारत में टेस्ला की अनिश्चित स्थिति
2 जून 2025 को Reuters में प्रकाशित न्यूज रिपोर्ट के मुताबिक, भारत सरकार ने अपना नई EV पॉलिसी फाइनल कर दी, जिसमें विदेशी ऑटोकार निर्माता बड़ी छूट के साथ स्थानीय उत्पादन शुरू करने पर जोर दे रहे हैं. हालांकि, भारतीय भारी उद्योग मंत्री H.D. कुमारस्वामी ने साफ कर दिया कि टेस्ला फिलहाल भारत में वाहन उत्पादन करने की योजना में रुचि नहीं ले रहा.
नई नीति के मुताबिक, जो विदेशी कंपनियां भारत में इलेक्ट्रिक गाड़ियों (EV) का नया प्लांट लगाने के लिए कम से कम 500 मिलियन डॉलर (करीब 4,000 करोड़ रुपये) निवेश करने का वादा करेंगी, उन्हें बाहर से गाड़ियां मंगाने पर कम टैक्स देना होगा. लेकिन इसके लिए शर्त है कि वे तीन साल के अंदर भारत में गाड़ियों का प्रोडक्शन शुरू करें और गाड़ियों में कुछ हिस्से देश में बने हुए ही इस्तेमाल करें. दूसरी ओर, टेस्ला का मकसद फिलहाल केवल वाहन आयात करने का रहा, क्योंकि वे अभी भी भारत में इम्पोर्ट ड्यूटी को बहुत अधिक मान रहे हैं.
हालांकि, भारत में एक अलग आशा यह है कि स्पेसएक्स और xAI जैसी मस्क की अन्य कंपनियों के जरिए टेक्नोलॉजी डेवलपमेंट और इंफ्रास्ट्रक्चर को बढ़ावा मिल सकता है. लेकिन टेस्ला के लिए यह स्पष्ट नहीं हो पाया है कि भारत में वे बाजार कब और कैसे मजबूत करेंगे. भारतीय उपभोक्ता अभी भी बजट-फ्रेंडली EV, जैसे टाटा मोटर्स और महिंद्रा एंड महिंद्रा के मॉडल्स की ओर झुकाव रखते हैं. इसलिए टेस्ला की महंगी ब्रांड स्ट्रैटेजी फिलहाल भारत में अंधेरे में दिखाई दे रही है.
एलन मस्क की कहानी आज भी ड्रामा और अनिश्चितता भरी है. एक ओर बड़े-बड़े निवेशक AI और रोबोटैक्सी की संभावनाएं देख रहे हैं, वहीं दूसरी ओर टेस्ला का वर्तमान प्रदर्शन चिंतित करने वाला है. चीन और यूरोप में घटती सेल्स, ट्रंप के टैरिफ, भारत में अनिश्चित स्थिति और मस्क का राजनीतिक जुड़ाव यह सब मिलकर टेस्ला और उनके अन्य बिजनेस की प्रगति को प्रभावित कर रहे हैं.
ट्रंप का 'पलटूराम' अवतार: टैरिफ पर 12 बार यू-टर्न, वैश्विक अर्थव्यवस्था में अनिश्चितता
2 Jun, 2025 12:45 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
दुनिया जिसे सुपरपावर कहती है उस देश का राष्ट्रपति दुनिया का सबसे पावरफुल शख्स माना जाता है. वो देश है अमेरिका और राष्ट्रपति हैं डोनाल्ड ट्रंप. इनके टैरिफ से पूरी दुनिया डरी हुई है जिसे लागू करने की बात ये अमेरिकी चुनाव से भी पहले से कह रहे हैं. हालांकि अब तक ये लागू नहीं हुआ है और कितना टैरिफ लागू होगा ये भी दुनिया में कोई नहीं जान पा रहा है. ऐसा इसलिए क्योंकि ट्रंप टैरिफ को लेकर कभी कुछ कह रहे हैं तो कभी कुछ और. कथनी अलग है और करनी अलग. टैरिफ की कहानी आधिकारिक रूप से फरवरी में शुरू हुई फिलहाल जून का महीना शुरू हुआ है. तब से अब तक कुल 4 महीने बीत चुके हैं इस दौरान ट्रंप ने कई बार टैरिफ को लेकर बदलाव किए हैं और उसे लागू अब तक नहीं कर पाए हैं.
टैरिफ का आइडिया
ट्रंप के लिए टैरिफ लगाना कोई नया आइडिया नहीं है. राष्ट्रपति बनने से पहले ही उन्होंने साफ कर दिया था कि वह उन देशों पर भारी शुल्क लगाएंगे, जिनसे अमेरिका व्यापार करता है. लेकिन जैसे ही उन्होंने राष्ट्रपति पद की शपथ ली और औपचारिक रूप से कार्यभार संभाला, उनकी नीतियों में अचानक बदलावों का सिलसिला शुरू हो गया, खासकर टैरिफ को लेकर.
हाल का अपडेट है कि ट्रंप प्रशासन ने स्टील पर लगने वाले शुल्क को 25% से बढ़ाकर सीधे 50% कर दिया है. इसी के साथ कॉमर्स सेक्रेटरी हॉवर्ड लटनिक ने 1 जून को दावा किया कि टैरिफ तो लगेगा ही. ये बयान तब आया जब एक अदालत ने ट्रंप प्रशासन की कई बड़ी टैरिफ नीतियों को बहाल कर दिया, जिन पर पहले रोक लगाई थी.
‘टैरिफ लगेगा, इतना लगेगा, उतना लगेगा’ का खेल
यह पूरी कहानी 7 फरवरी से शुरू हुई जब ट्रंप ने पहली बार विदेशों से होने वाले इंपोर्ट पर टैरिफ लगाने की बात कही. इससे पहले ही वह चीन, कनाडा और मैक्सिको के लिए अलग-अलग टैरिफ की घोषणा कर चुके थे.
13 फरवरी को उन्होंने एक मेमो साइन किया, जिसमें अमेरिका को अपने हर व्यापारिक साझेदार के लिए एक रेसिप्रोकल टैरिफ यानी बराबरी का शुल्क तय करने का आदेश दिया गया.
इसके बाद 26 मार्च को ट्रंप प्रशासन ने ऐलान किया कि 3 अप्रैल से अमेरिका में इंपोर्टेड कारों पर 25% शुल्क लगेगा, जिसमें ऑटो पार्ट्स भी शामिल होंगे, जिसकी डेडलाइन बाद में 3 मई तक बढ़ा दी गई.
27 मार्च को ट्रंप ने कहा कि इन टैरिफ को उनके पूरे कार्यकाल के दौरान स्थायी रखा जाएगा.
फिर 29 अप्रैल को उन्होंने एक आदेश में कहा कि जो कंपनियां 25% शुल्क पहले से दे रही हैं, उन्हें अतिरिक्त टैरिफ से छूट दी जाएगी.
और भी कई बातों से पीछे हट गए ट्रंप
ट्रंप ने एक बार फिर टैरिफ नीति का ऐलान किया और उस दिन को उन्होंने लिबरेशन डे कहा. इस बार उन्होंने टैरिफ कैसे कैलकुलेट होगा इसका अलग फॉर्मूला बताया. पहले अलग बताया था.
31 मार्च को प्रेस सचिव कैरोलीन लेविट ने कहा था कि विदेशी सामानों पर लगने वाले टैरिफ में किसी को भी छूट नहीं दी जाएगी.
लेकिन बाद में कॉपर, दवाएं, सेमीकंडक्टर्स और कुछ एनर्जी प्रोडक्ट को छूट दी गई.
9 अप्रैल को शेयर बाजार में गिरावट आई, जब टैरिफ लागू किए गए.
मार्केट इतनी बुरी तरह क्रैश हुआ कि अधिकतर देशों के लिए टैरिफ को 90 दिनों के लिए रोक दिया गया.
16 मई को एक और बड़ा मोड़ आया जब ट्रंप ने संकेत दिया कि बिना व्यापार समझौते के भी वे नए टैरिफ रेट लागू कर सकते हैं.
30 मई को उन्होंने स्टील पर शुल्क बढ़ाकर 50% करने की घोषणा कर दी, जो 4 जून से लागू होना तय है. अब देखना होगा कि 4 जून को टैरिफ को लेकर क्या होगा.
ट्रंप की टैरिफ नीति में यह बार-बार बदलाव होने से अमेरिकी बिजनेसमैन तो असमंजस में रहे ही साथी पूरी दुनिया भी अनिश्चितता के दौर से गुजरती रही और आज भी अनिश्चितता बनी हुई है.
अर्थव्यवस्था को सर्विस सेक्टर का सहारा: मैन्युफैक्चरिंग PMI में गिरावट के बावजूद मजबूत रहा सेवा क्षेत्र!
2 Jun, 2025 12:38 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
देश की आर्थिक तस्वीर में एक नया मोड़ सामने आया है. जहां एक ओर जनवरी-मार्च तिमाही में भारत की GDP ग्रोथ दर 7.4 फीसदी तक पहुंची और मजबूत आर्थिक संकेत दिए, वहीं दूसरी ओर मई में मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर की रफ्तार धीमी पड़ती दिखी है. HSBC की ओर से जारी ताजा रिपोर्ट के मुताबिक, इंडिया मैन्युफैक्चरिंग परचेजिंग मैनेजर्स इंडेक्स (PMI) मई में गिरकर 57.6 पर आ गया, जो पिछले तीन महीनों में सबसे निचले स्तर है. अप्रैल में यह आंकड़ा 58.2 था.
मैन्युफैक्चरिंग की रफ्तार थमी
HSBC इंडिया की चीफ इकोनॉमिस्ट प्रांजल भंडारी के मुताबिक, “मई में भी मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में ग्रोथ बनी रही है, लेकिन नई ऑर्डर और प्रोडक्शन की रफ्तार में कुछ कमी देखी गई है.” जारी रिपोर्ट में कहा गया कि यह गिरावट अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा लगाए गए जवाबी शुल्कों (reciprocal tariffs) के चलते आयात लागत में भारी इजाफे के वजह से आई है, जो लगभग एक सदी में सबसे ऊंचे स्तर पर पहुंच गई है.
मजबूत GDP ग्रोथ बनी सहारा, सर्विस सेक्टर में उम्मीदें
हालांकि सर्विस सेक्टर को लेकर उम्मीदें अब भी बनी हुई हैं. 4 जून को जारी होने वाले आंकड़ों से पहले प्री-लिमिनरी डेटा इशारा कर रहा है कि सर्विस PMI बीते 14 महीनों में सबसे ऊंचे स्तर पर पहुंच सकता है.
जनवरी-मार्च तिमाही में 7.4 फीसदी की GDP ग्रोथ ने पूरे साल की विकास दर को 6.5 फीसदी पर ला खड़ा किया है, जो भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के अनुमान के अनुरूप है. RBI इस फिस्कल ईयर के लिए भी 6.5 फीसदी ग्रोथ का लक्ष्य बनाए हुए है, जबकि Market Consensus पोल में शामिल 20 अर्थशास्त्रियों ने औसतन 6.3 फीसदी ग्रोथ का अनुमान जताया है.
लाल हुआ जून का पहला दिन! सेंसेक्स 500 अंक लुढ़का, निवेशकों को झटका
2 Jun, 2025 12:31 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
एशियाई बाजारों में बिकवाली का असर भारतीय बाजार में देखने को मिला. आज, 2 जून को बाजार गिरकर खुला. शुरुआती कारोबार में सेंसेक्स 557 अंकों की गिरावट के साथ 80,861 के लेवल पर, वहीं निफ्टी 165 अंक फिसलकर 24,595 के स्तर पर कारोबार कर रहा था. इस दौरान सेंसेक्स के 30 शेयरों में 25 में बिकवाली और 5 में तेजी देखने को मिली. इसके अलावा निफ्टी के सेक्टोरल इंडेक्स में FMCG और सरकारी बैकों को छोड़कर सभी सेक्टर में गिरावट देखने को मिली.
निफ्टी के टॉप-5 गेनर
शेयर
ओपेन (₹)
हाई (₹)
लो (₹)
पिछला बंद (₹)
करंट भाव (₹)
बदलाव (%)
APOLLOHOSP
6,944.00
7,070.50
6,933.00
6,880.50
7,045.00
2.39
ADANIPORTS
1,432.80
1,451.30
1,425.30
1,432.80
1,448.30
1.08
BEL
385.00
389.25
383.75
384.60
388.20
0.94
HINDUNILVR
2,347.90
2,384.00
2,343.60
2,348.30
2,364.10
0.67
SBIN
812.85
816.65
809.2
812.3
816.65
0.54
सोर्स-NSE
निफ्टी के टॉप-5 लूजर
शेयर
ओपेन (₹)
हाई (₹)
लो (₹)
पिछला बंद (₹)
करंट भाव (₹)
बदलाव (%)
SHRIRAMFIN
638.30
638.30
625.00
639.35
627.15
-1.91
HEROMOTOCO
4,310.10
4,318.70
4,224.00
4,309.30
4,228.30
-1.88
BAJAJ-AUTO
8,621.50
8,621.50
8,450.00
8,607.00
8,459.50
-1.71
TECHM
1,565.00
1,569.00
1,546.00
1,573.90
1,547.20
-1.7
JSWSTEEL
987
987
973.35
993.5
977
-1.66
सोर्स-NSE,
Vodafone Idea में तेजी
आज के शुरुआती कारोबार में Vodafone Idea के शेयरों में तेजी देखने को मिली. यह तेजी डेढ़ फीसदी से ज्यादा थी. दरअसल कंपनी को मार्च तिमाही में 7,166.1 करोड़ रुपये का घाटा हुआ, जो पिछले साल के मुकाबले कम है. इसके अलावा कंपनी ने 20,000 करोड़ रुपये तक फंड जुटाने की योजना बनाई है.
Leela Hotels IPO की लिस्टिंग आज
द लीला ब्रांड की पैरेंट कंपनी Schloss Bangalore Ltd का IPO आज यानी 2 जून 2025 को BSE और NSE पर लिस्ट हो रहा है. लीला होटल्स का IPO हाल ही में 26 मई से 28 मई के बीच खुला था, और 29 मई को शेयर अलॉटमेंट हुआ था. इसका GMP फीकी लिस्टिंग के संकेत दे रहा है.
एशियाई बाजारों में बिकवाली का असर
आज, सुबह एशियाई बाजारों में बिकवाली देखने को मिली.
गिफ्ट निफ्टी में 48 अंकों की गिरावट देखने को मिली.
जापान के निक्केई में 613 अंकों की बिकवाली देखने को मिली.
हैंग सेंग में 554 अंकों या 2.37 फीसदी की गिरावट देखी गई.
कोस्पी में 0.20 फीसदी की गिरावट देखने को मिली.
ताइवान के बाजार में भी 1.61 फीसदी की गिरावट देखने को मिली.
बाजार का सेंटीमेंट बिगाड़ने में ये कारण अहम
रूस-यूक्रेन में बढ़ता तनाव.
कोविड के बढ़ते मरीजों की संख्या और मरने वालों की बढ़ती संख्या.
एशियाई बाजारों में गिरावट.
ट्रम्प ने स्टील और एल्यूमीनियम इंपोर्ट पर मौजूदा टैरिफ को 25 फीसदी से बढ़ाकर 50 फीसदी करने की घोषणा की है. बाजार के जानकारो का कहना है कि इससे मेटल एक्सपोर्ट पर असर देखने को मिल सकता है.
पिछले कारोबारी दिन बाजार में गिरावट
हफ्ते के आखिरी दिन यानी शुक्रवार यानी 30 मई को बाजार में बिकवाली देखने को मिली थी. सेंसेक्स 182 अंक गिरकर 81,451 के स्तर पर बंद हुआ था. वही, निफ्टी में भी 83 अंक फिसलकर 24,751 के लेवल पर बंद हुआ था. कारोबार के दौरान सेंसेक्स के 30 शेयरों में से 25 में गिरावट और 5 में तेजी देखने को मिली थी. जोमैटो का शेयर 4.95 फीसदी चढ़ा. SBI, HDFC बैंक, LT और बजाज फिनसर्व के शेयर भी 2 फीसदी ऊपर बंद हुए थे. अगर निफ्टी की बात करें तो निफ्टी के 50 शेयरों में से 7 में तेजी और 43 में गिरावट रही थी.
केनरा बैंक में अब न्यूनतम बैलेंस पर संचालित कर सकते हैं अपना खाता
1 Jun, 2025 06:00 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
नई दिल्ली । केनरा बैंक ने खाता धारकों के लिए बड़ा तोहफा दिया है, जो खातों में न्यूनतम बैलेंस बनाए रखने की जरूरत को खत्म करता है। अब सभी खाताधारक अपने खाते को शून्य बैलेंस पर भी संचालित कर सकते हैं, और कोई भी जुर्माना नहीं देना पड़ेगा। यह नियम सामान्य बचत खाता, वेतन खाता, और एनआरआई पर लागू होगा। इसके साथ ही कोटक महिंद्रा बैंक ने अपने क्रेडिट कार्ड्स पर भी रिवॉर्ड्स में कटौती और ब्याज दरों में बढ़ोतरी की घोषणा की है। यह कदम न केवल ग्राहकों के पैसे की सुरक्षा देगा, बल्कि इन्हें बिना किसी झिझक के डिजिटल बैंकिंग और सेवाओं से जुड़ने की प्रेरणा भी देगा। इस फैसले से विशेष रूप से छात्रों, वरिष्ठ नागरिकों, कम आय वर्ग के लोगों, ग्रामीण क्षेत्रों के खाताधारकों और पहली बार बैंकिंग से जुड़ने वालों को लाभ होगा। केनरा बैंक की इस भविष्यवाणी के साथ कोटक महिंद्रा बैंक ने भी क्रेडिट कार्ड्स पर रिवॉर्ड्स में कटौती और ब्याज दरों में बढ़ोतरी की है। इस बदलाव के साथ बैंकी अनुभव और ग्राहकों की सुविधा में सुधार की उम्मीद है।
अडाणी ग्रुप धारावी में आधुनिक परिवहन केंद्र बनाएगा
1 Jun, 2025 05:00 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
मुंबई । मुंबई के प्रमुख उद्योगी अडाणी ग्रुप ने मुंबई के धारावी में धारावी पुनर्विकास प्रोजेक्ट के तहत मुंबई में एक आधुनिक परिवहन केंद्र की योजना बनाई है। इस योजना के अनुसार एक मल्टी-मोडल ट्रांजिट हब बनाया जा रहा है, जिसमें रेल, सड़क और हवाई अड्डा होंगे। एक रिपोर्ट के मुताबिक यह केंद्र मुंबई और नवी मुंबई के हवाई अड्डों के लिए विशेष ट्रेनें, चेक-इन और ट्रांजिट सुविधाएं भी प्रदान करेगा। इसके अलावा, यहां शहर की रेल, मेट्रो और बस सेवाएं भी शामिल होंगी। इस परियोजना का मुख्य उद्देश्य धारावी और आसपास के इलाकों के यातायात को आसान और तेज बनाना है। इस केंद्र से मुंबई और नवी मुंबई हवाई अड्डे भी जुड़े जाएंगे। इस परियोजना के अलावा सड़कों का विस्तार, रिवरफ्रंट प्रमेनेड, अस्पताल, हरे-भरे पार्क, औद्योगिक क्षेत्र और सामुदायिक मनोरंजन स्थल भी इसमें शामिल होंगे। नवभारत मेगा डेवलपर्स के अनुसार, यह परियोजना धारावी के निवासियों के जीवन को सुविधाजनक बनाने में मदद करेगा। पिछले साल, महाराष्ट्र सरकार ने धारावी के पुनर्विकास के लिए 256 एकड़ साल्ट-पैन लैंड के अधिग्रहण को मंजूरी दी थी, और इस सप्ताह धारावी के मास्टर प्लान को भी मंजूर किया गया है। इस परियोजना का लक्ष्य है धारावी को एशिया के सबसे बड़े स्लम से आधुनिक और सुविधाजनक क्षेत्र में तब्दील करना।
सावधान! आज से लागू हुए ये 8 नए नियम, आधार-UPI यूजर्स के लिए जानना बेहद जरूरी
1 Jun, 2025 12:57 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
आज यानी 1 जून 2025 से भारत में कई महत्वपूर्ण नियमों में बदलाव होने जा रहे हैं, जो आम लोगों की जेब और रोजमर्रा की जिंदगी पर सीधा असर डाल सकते हैं. इनमें कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (EPFO) की नई पहल, एलपीजी सिलेंडर की कीमतों में संभावित बदलाव से लेकर आधार कार्ड अपडेट की डेडलाइन और यूपीआई लेनदेन से जुड़े नए नियम शामिल हैं. ऐसे में आइए जानते हैं कि 1 जून से कौन से बड़े नियमों में बदलाव हो रहा है.
EPFO 3.0 प्लेटफॉर्म की शरुआत
कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (EPFO) ने अपने नए प्लेटफॉर्म EPFO 3.0 को लॉन्च करने की योजना बनाई है, जो जून 2025 से शुरू हो सकता है. इस प्लेटफॉर्म के माध्यम से EPF सदस्य UPI और ATM के जरिए तुरंत PF फंड निकाल सकेंगे, जिससे पहले की लंबी प्रक्रिया समाप्त हो जाएगी. यह सुविधा देश के 9 करोड़ से अधिक लोगों को लाभान्वित करेगी.
एलपीजी सिलेंडर की कीमतों में संभावित बदलाव
हर महीने की पहली तारीख को तेल विपणन कंपनियां एलपीजी सिलेंडर की कीमतों में संशोधन करती हैं. 1 जून 2025 को भी रसोई और व्यावसायिक एलपीजी गैस की कीमतों में बदलाव की संभावना है, जिसका असर आम जनता की जेब पर पड़ सकता है.
आधार कार्ड अपडेट की अंतिम तिथि
भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण (UIDAI) ने आधार कार्ड धारकों को 14 जून 2025 तक मुफ्त में आधार अपडेट करने की सुविधा दी है. इस तारीख के बाद आधार अपडेट के लिए 50 रुपये का शुल्क देना होगा.
यूपीआई लेनदेन के नियमों में बदलाव
यूपीआई 123Pay सेवा के तहत फीचर फोन उपयोगकर्ताओं के लिए ऑनलाइन भुगतान की सुविधा दी गई है. 1 जून 2025 से इस सेवा की लेनदेन सीमा 5,000 रुपये से बढ़ाकर 10,000 रुपये की जा सकती है, जिससे उपयोगकर्ताओं को अधिक सुविधा मिलेगी.
इन बदलावों के साथ ही अन्य क्षेत्रों में भी नियमों में परिवर्तन हो सकते हैं, जिनका सीधा असर आम जनता की वित्तीय योजनाओं और दैनिक जीवन पर पड़ेगा. इसलिए, इन नए नियमों की जानकारी रखना और आवश्यक तैयारियां करना आवश्यक है.
क्रेडिट कार्ड से जुड़े बदलाव
कोटक महिंद्रा बैंक के क्रेडिट कार्ड धारकों के लिए 1 जून से बड़ा बदलाव लागू होगा. यदि किसी उपभोक्ता का ऑटो डेबिट ट्रांजैक्शन फेल होता है, तो बैंक 2% बाउंस चार्ज वसूलेगा. यह शुल्क न्यूनतम 450 रुपये और अधिकतम 5000 रुपये तक हो सकता है. इसके साथ ही, बैंक की वेबसाइट के अनुसार, कई क्रेडिट कार्ड पर मासिक फाइनेंस चार्ज भी बढ़ सकता है. वर्तमान दर 3.50% (वार्षिक 42%) से बढ़ाकर 3.75% (वार्षिक 45%) की जा सकती है.
CNG, PNG और ATF की कीमतों में बदलाव
1 जून को ऑयल मार्केटिंग कंपनियां CNG, PNG और एयर टर्बाइन फ्यूल (ATF) की कीमतों में संशोधन कर सकती हैं. मई में इनमें कटौती हुई थी और जून में भी इन कीमतों में बदलाव की संभावना है.
फिक्स्ड डिपॉजिट की ब्याज दरें
बैंकों की फिक्स्ड डिपॉजिट (FD) और लोन की ब्याज दरों में भी बदलाव हो सकता है. चूंकि रिजर्व बैंक ने हाल ही में रेपो रेट में कटौती की है, आगे और कटौती की उम्मीद की जा रही है. उदाहरण के तौर पर, सुर्योदय स्मॉल फाइनेंस बैंक ने 5 साल की एफडी पर ब्याज दर 8.6% से घटाकर 8% कर दी है.
म्यूचुअल फंड के नियमों में बदलाव
SEBI ने ओवरनाइट म्यूचुअल फंड स्कीम्स के लिए नया कट-ऑफ टाइम निर्धारित किया है. 1 जून से ऑफलाइन लेनदेन का समय दोपहर 3 बजे तक और ऑनलाइन का समय शाम 7 बजे तक होगा. इसके बाद किए गए निवेश अगले कार्यदिवस के लिए मान्य होंगे.
आम आदमी को झटका! घरेलू LPG सिलेंडर की कीमतें स्थिर, केवल कमर्शियल ग्राहकों को मिली राहत!
1 Jun, 2025 12:49 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
तेल कंपनियों ने कमर्शियल एलपीजी गैस सिलेंडर की कीमतों में बड़ा बदलाव किया है. कंपनी ने 19 किलोग्राम वाले गैस सिलेंडर की कीमत में 24 रुपए की कटौती की गई है, जो 1 जून से प्रभावी है. दिल्ली में 19 किलोग्राम वाले कमर्शियल एलपीजी सिलेंडर की खुदरा कीमत 1 जून से 1723.50 रुपए हो जाएगी. कमर्शियल सिलेंडर की कीमत में कमी होने से उनको राहत मिलेगी जो अपने व्यवसाय के संचालन के लिए इस पर बहुत अधिक निर्भर हैं.
इससे पहले 1 मई को कमर्शियल गैस सिलेंडर की कीमतें 15 रुपए कम की गई थीं. हालांकि, घरेलू गैस सिलेंडर के दाम में कोई बदलाव नहीं हुआ था. अप्रैल में कमर्शियल एलपीजी सिलेंडर 1762 रुपए में मिल रहा था.
24 रुपए सस्ता मिलेगा कमर्शियल सिलेंडर
तेल कंपनियों ने शनिवार को कमर्शियल सिलेंडर के दाम घटाने का ऐलान कर दिया है. यह बदलाव 1 जून यानी रविवार से लागू होगा. जिसके बाद अब दिल्ली में 19 किलो का कमर्शियल एलपीजी सिलेंडर 1723.50 रुपए में मिलेगा.कंपनियों ने कहा कि उन्होंने दाम कम कर दिए हैं. अब दिल्ली में कमर्शियल सिलेंडर का खुदरा बिक्री मूल्य 1 जून से 1723.50 रुपए होगा.
होटल, रेस्तरां को होगा ज्यादा फायदा
बता दें कि कमर्शियल सिलेंडर के दाम में यह कटौती व्यापारियों के लिए राहत की खबर है. इससे उनकी लागत कम होगी. अर्थव्यवस्था पर भी इसका सकारात्मक असर पड़ सकता है. कमर्शियल सिलेंडर का इस्तेमाल ज्यादातर होटल, रेस्तरां और अन्य व्यावसायिक प्रतिष्ठानों में किया जाता है. कीमतें कम होने से इन व्यवसायों के परिचालन लागत में कमी आएगी. इससे उन्हें कुछ राहत मिलेगी. लागत कम होने से व्यवसायों को प्रोत्साहन भी मिलेगा. इससे आर्थिक गतिविधियों में थोड़ी बढ़ोतरी होने की संभावना है.
रिकॉर्ड तोड़ IPOs की तैयारी! 10 नई कंपनियों का शेयर बाजार में डेब्यू, क्या आपके पोर्टफोलियो में होगा इनका नाम?
1 Jun, 2025 12:44 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
भले की अगले हफ्ते शेयर बाजार में कोई छोटा बड़ा आईपीओ ना आ रहा हो, लेकिन सेकंड्री मार्केट में बड़ी हलचल रहने वाली है. इसका मतलब है कि शेयर बाजार निवेशकों पर जमकर पैसा बरसने वाला है. आंकड़ों के अनुसार अगले हफ्ते 4,6, या 8 नहीं बल्कि पूरे 10 कंपनियों का शेयर बाजार में डेब्यू होने जा रहा है. इसका मतलब है कि 10 कंपनियों के आईपीओ सेकंड्री मार्केट में लिस्ट होंगी. वैसे पिछले हफ्ते कई कंपनियों के आईपीओ भी मार्केट में आए थे, लेकिन इस बार ऐसा देखने को नहीं मिल रहा है. लिस्ट होने वाली कंपनियों में लीला होटल्स एक बड़ा नाम माना जा रहा है. अब देखना दिलचस्प होगा कि आने वाले हफ्ते में इन कंपनियों में किस तरह की लिस्टिंग होती है.
ये कंपनियां शेयर बाजार में कर रही हैं डेब्यू
लीला होटल्स आईपीओ : लीला होटल्स की लिस्टिंग की डेट 2 जून को रखी गई है. वैसे आईपीओ का जीएमपी 435 रुपए देखने को मिला है. इसका आईपीओ 26 मई को लॉन्च हुआ था और 28 मई को आखिरी तारीख थी. 29 मई को अलॉटमेंट किया गया था.
एजिस वोपैक टर्मिनल्स आईपीओ : एजिस वोपैक टर्मिनल्स आईपीओ की लिस्टिंग की डेट 2 जून को रखी गई है. वैसे आईपीओ का जीएमपी 235 रुपए देखने को मिला है. इसका आईपीओ 26 मई को लॉन्च हुआ था और 28 मई को आखिरी तारीख थी. 29 मई को अलॉटमेंट किया गया था.
ब्लू वाटर लॉजिस्टिक्स आईपीओ : ब्लू वाटर लॉजिस्टिक्स आईपीओ की लिस्टिंग की डेट 3 जून को रखी गई है. वैसे आईपीओ का जीएमपी 135 रुपए देखने को मिला है. इसका आईपीओ 27 मई को लॉन्च हुआ था और 29 मई को आखिरी तारीख थी. 30 मई को अलॉटमेंट किया गया था.
प्रोस्टारम इंफो सिस्टम्स आईपीओ : आईपीओ की लिस्टिंग की डेट 3 जून को रखी गई है. वैसे आईपीओ का जीएमपी 105 रुपए देखने को मिला है. इसका आईपीओ 27 मई को लॉन्च हुआ था और 29 मई को आखिरी तारीख थी. 30 मई को अलॉटमेंट किया गया था.
निकिता पेपर्स आईपीओ : आईपीओ की लिस्टिंग की डेट 3 जून को रखी गई है. वैसे आईपीओ का जीएमपी 104 रुपए देखने को मिला है. इसका आईपीओ 27 मई को लॉन्च हुआ था और 29 मई को आखिरी तारीख थी. 30 मई को अलॉटमेंट किया गया था.
एस्टोनिया लैब्स आईपीओ : आईपीओ की लिस्टिंग की डेट 3 जून को रखी गई है. वैसे आईपीओ का जीएमपी 135 रुपए देखने को मिला है. इसका आईपीओ 27 मई को लॉन्च हुआ था और 29 मई को आखिरी तारीख थी. 30 मई को अलॉटमेंट किया गया था.
स्कोडा ट्यूब्स आईपीओ : आईपीओ की लिस्टिंग की डेट 4 जून को रखी गई है. वैसे आईपीओ का जीएमपी 140 रुपए देखने को मिला है. इसका आईपीओ 28 मई को लॉन्च हुआ था और 30 मई को आखिरी तारीख थी. 30 मई को अलॉटमेंट किया गया था.
नेप्च्यून पेट्रोकेमिकल्स आईपीओ : आईपीओ की लिस्टिंग की डेट 4 जून को रखी गई है. वैसे आईपीओ का जीएमपी 122 रुपए देखने को मिला है. इसका आईपीओ 28 मई को लॉन्च हुआ था और 30 मई को आखिरी तारीख थी. 2 जून को अलॉटमेंट किया जाएगा.
एनआर वंदना टेक्सटाइल आईपीओ : आईपीओ की लिस्टिंग की डेट 4 जून को रखी गई है. वैसे आईपीओ का जीएमपी 45 रुपए देखने को मिला है. इसका आईपीओ 28 मई को लॉन्च हुआ था और 30 मई को आखिरी तारीख थी. 2 जून को अलॉटमेंट किया जाएगा.
3बी फिल्म्स आईपीओ : 3बी फिल्म्स आईपीओ 30 मई को खुला था और 3 जून, 2025 को बंद होगा. आवंटन 4 जून को अंतिम रूप दिया जाएगा और लिस्टिंग 6 जून, 2025 को निर्धारित की गई है. 31 मई 2025 तक, 3बी फिल्म्स आईपीओ जीएमपी 50 के अपने मूल्य बैंड पर 3 रुपए है.
पाक से 10 बिलियन, तो भारत से 130 बिलियन डॉलर का कारोबार कर रहा यूएस, फिर भी…
1 Jun, 2025 12:15 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
नई दिल्ली। पाकिस्तान और अमेरिका के बीच करीब 10 बिलियन डॉलर का कोराबार होता है। इसमें से भी पाकिस्तान को यहां करीब 5 अरब डॉलर का ट्रेड सरप्लस है। ट्रंप ने पहले पाकिस्तान पर 29 प्रतिशत तक का भारी टैरिफ ठोंकने का चेतावनी दे चुके हैं। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कहा कि पाकिस्तान के प्रतिनिधि अगले सप्ताह अमेरिका पहुंच रहे हैं ताकि दोनों देशों के बीच टैरिफ पर समझौता किया जा सके। बता दें कि यह वहीं पाकिस्तान है, जिसे दुनिया भर में आतंकवाद को पनाह देने वाले देश के तौर पर देखा जाता है। दूसरी तरफ भारत है, जो अमेरिका का रणनीतिक, आर्थिक और लोकतांत्रिक साझेदार है। दोनों देशों के बीच व्यापार का आंकड़ा 130 बिलियन डॉलर तक पहुंच चुका है, जबकि पाकिस्तान के साथ यह महज 10 बिलियन डॉलर के आसपास है। फिर भी ट्रंप की पाकिस्तान को लेकर ‘नरमी’ कई सवाल खड़े कर रही है।
दरअसल ट्रंप ने पत्रकारों से बातचीत करते हुए कहा, पाकिस्तान के प्रतिनिधि अगले सप्ताह आ रहे हैं। और भारत के साथ, जैसा कि आप जानते हैं, हम एक डील के बेहद करीब हैं। उन्होंने यह भी कहा कि अगर पाकिस्तान और भारत युद्ध के रास्ते पर चलते, तो वे किसी भी समझौते में दिलचस्पी नहीं रखते। ट्रंप ने दावा किया कि उनके कार्यकाल की सबसे बड़ी उपलब्धि यह थी कि उन्होंने भारत और पाकिस्तान के बीच संभावित परमाणु युद्ध को टैरिफ डील के जरिये रोका, न कि गोलियों से। ट्रंप ने कहा, ‘हमने व्यापार के जरिये इस संघर्ष को टाला। आमतौर पर ये देश गोलियों के जरिये लड़ते हैं, लेकिन हमने व्यापार के जरिये सुलह कराई। भारतीय वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल ने हाल ही में वॉशिंगटन का दौरा किया है। इस दौरान भारत और अमेरिका के बीच व्यापार समझौते पर बातचीत को अंतिम रूप देने की कोशिशें हुईं। उम्मीद है कि जुलाई की शुरुआत तक दोनों देश किसी समझौते पर हस्ताक्षर कर सकते हैं। इन तमाम तथ्यों के बावजूद ट्रंप का पाकिस्तान के प्रति उदार रुख भारत में कई लोगों को चौंका रहा है। जिस देश पर अंतरराष्ट्रीय मंचों पर आतंकवाद के खुले समर्थन के आरोप लगते रहे हैं, उसके साथ व्यापार समझौते की संभावनाएं जताना, अमेरिका की प्राथमिकताओं पर सवाल खड़े करता है।
वैश्विक उथल-पुथल का असर: रुपये में भारी गिरावट, 26 महीने की सबसे बड़ी गिरावट दर्ज
31 May, 2025 06:09 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
अप्रैल के महीने में जिस भारतीय रुपए ने जबरदस्त परफॉर्म करते एशिया में सबसे बेहतरीन फॉर्म दिखाया था, वो ही मई में इस तरह से धराशाई होगी किसी ने भी नहीं सोचा था. पूरे एशियाई रीजन में भारत की करेंसी ने सबसे खराब परफॉर्म किया है. ताइवान, कोरिया, सिंगापूर, थाईलैंड, फिलीपींस, इंडोनेशिया जैसी छोटी इकोनॉमी के मुकाबले में भी भारत के रुपए का प्रदर्शन काफी खराब देखने को मिला है. रिपोर्ट के अनुसार टॉप 11 एशियाई देशों में सिर्फ तीन देशों की करेंसी का प्रदर्शन नेगेटिव देखने को मिला है. जिसमें हॉन्गकॉन्ग और जापान भी शामिल है. इन दोनों देशों की करेंसी से भी तुलना करें तो भारत की करेंसी में ज्यादा गिरावट देखने को मिली है. आइए आपको भी बताते हैं कि आखिर भारतीय रुपया दूसरे एशियाई देशों के मुकाबले कितना गिरा है.
एशिया में भारतीय रुपए का सबसे खराब प्रदर्शन
टैरिफ अनिश्चितताओं, सीमा तनाव और केंद्रीय बैंक द्वारा आगे मॉनेटरी ढील की उम्मीदों के संयुक्त प्रभाव ने मई में रुपए को एशिया में सबसे खराब प्रदर्शन करने वाली करेंसी बना दिया. मई में रुपए में 1.27 फीसदी की गिरावट देखने को मिली है. जबकि महीने की शुरुआत में डॉलर के मुकाबले में रुपया 84.48 के लेवल पर देखने को मिला था, जो 30 मई तक 85.57 के लेवल पर आ गया. इसका मततब है कि रुपए में डॉलर के मुकाबले में 1.09 रुपए की गिरावट देखने को मिली है. ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के अनुसार इस तरह से रुपया एशिया में सबसे अधिक गिरावट वाली करेंसी बन गई है. खास बात तो ये है कि अप्रैल में रुपया 83.94 के लेवल पर पहुंचने के बाद काफी मजबूत हो गया था और तेजी के कई रिकॉर्ड धराशाई कर दिए थे.
क्यों आई रुपए में गिरावट
शिनहान बैंक इंडिया के ट्रेजरी प्रमुख कुणाल सोधानी ने कहा रिपोर्ट में कि टैरिफ अनिश्चितताओं के बीच लंबी रुपए की स्थिति समाप्त हो रही है, जबकि इंपोर्टर कम एडवांस प्रीमियम का लाभ उठा रहे हैं. अप्रैल की शुरुआत में एक साल के डॉलर-रुपये के एडवांस प्रीमियम 2.34 फीसदी से गिरकर 1.94 फीसदी हो गए. कम महंगाई, विकास की संभावनाओं और नरम डॉलर सूचकांक जैसे कुछ सकारात्मक संकेतों ने रुपये को 85.50 के लेवल के आसपास कारोबार करने में मदद की है, लेकिन वैश्विक आर्थिक कारक आगे की कमजोरी को बढ़ा सकते हैं. नई दिल्ली स्थित शोध फर्म एसएस वेल्थस्ट्रीट की फाउंडर सुगंधा सचदेवा ने कहा कि अमेरिकी डॉलर में तेज उछाल, फेडरल रिजर्व के ब्याज दर आउटलुक में अप्रत्याशित बदलाव या भारत-अमेरिका व्यापार वार्ता में देरी निकट भविष्य में आशावाद को कम कर सकती है.
एशिया में सबसे तेज कौन
अगर बात एशिया की दूसरी करेंसी की बात करें तो ताइवान के डॉलर में 6.97 फीसदी की तेजी देखने को मिली है. जोकि एशिया में सबसे बेहतरीन परफॉर्म करने वाली करेंसी बन गई है. वहीं दूसरी ओर कोरियन वोन में 3.30 फीसदी, इंडोनेशियन रुपया में 1.91 फीसदी, थाईलैंड की करेंसी में 1.79 फीसदी, मलेशियन रिंगगिट में 1.39 फीसदी, सिंगापुर के डॉलर में 1.21 फीसदी, चीनी युआन में 1.06 फीसदी, फिलिपींस पेसो में 0.16 फीसदी का इजाफा देखने को मिला है. खस बात तो ये है कि भारत के अलावा दो और देशों की करेंसी में गिरावट आई है. जिसमें एशिया की बड़ी इकोनॉमी में से एक जपानी येन है. जिसमें 0.53 फीसदी की गिरावट देखने को मिली है. वहीं हॉन्गकॉन्ग डॉलर में 1.13 फीसदी की गिरावट दिखाई दी है.
शुक्रवार को रुपए में आई गिरावट
इंटरबैंक फॉरेन करेंसी एक्सचेंज मार्केट में शुक्रवार को रुपए में शुरुआती तेजी जाती रही और कारोबार के अंत में डॉलर के मुकाबले यह सात पैसे की गिरावट के साथ 85.55 पर बंद हुआ. घरेलू शेयर बाजार में उतार-चढ़ाव और ग्लोबल क्रूड ऑयल की की कीमतों में सुधार के कारण रुपया दबाव में रहा. हालांकि, फॉरेन करेंसी ट्रेडर्स ने कहा कि जीडीपी आंकड़ों के जारी होने से पहले निवेशक सतर्क रहे. आंकड़ों के अनुसार रुपया 85.35 पर खुला और कारोबार के दौरान डॉलर के मुकाबले 85.25 के हाई लेवल तथा 85.64 के निम्न स्तर के बीच रहने के बाद के अंत में 85.55 पर बंद हुआ, जो अपने पिछले बंद से सात पैसे की गिरावट है. गुरुवार को रुपया डॉलर के मुकाबले 10 पैसे गिरकर 85.48 पर बंद हुआ.
मिराए एसेट शेयरखान के शोध विश्लेषक अनुज चौधरी ने कहा कि कमजोर घरेलू बाजार और कच्चे तेल की कीमतों में सुधार के कारण रुपये में गिरावट आई. आयातकों की मासांत डॉलर मांग ने भी रुपये पर दबाव डाला. हालांकि, कमजोर अमेरिकी डॉलर सूचकांक और एफआईआई के पूंजी प्रवाह ने गिरावट को सीमित किया. उन्होंने कहा कि कारोबारी अमेरिका के व्यक्तिगत व्यय खपत (पीसीई) मूल्य सूचकांक और व्यक्तिगत आय के आंकड़ों से संकेत ले सकते हैं. डॉलर-रुपया हाजिर मूल्य 85.30 रुपये से 86 रुपये के बीच रहने की उम्मीद है.