धर्म एवं ज्योतिष
इससे होती है धनहानि
4 Jan, 2024 07:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
हर किसी को जीवन में सुख और धन की चाहत होती है। यह भी सही है कि सभी काम धन से ही होते हैं। इसी लिए हर कोई धन कमाने का प्रयास करता है पर कई बार देखा गया है कि काफी प्रयास के बाद भी आर्थिक हालात ठीक नहीं होते। इसमें वास्तु से संबंधित दोष जिम्मेदार होते हैं।
घर में रखी गई चीज़ें भी घर में अच्छा या बुरा प्रभाव डालती है। कई बार हम जाने-अनजाने में ऐसे चीज़ें घर में रख लेते हैं जो देवी लक्ष्मी को अप्रिय होती है। उन चीजों को घर में रखने से घर में लक्ष्मी नहीं टिकती और हर समय धन का नुकसान होता रहता है।कभी भी किसी एक देवी-देवता की मूर्ति आमने-सामने नहीं रखनी चाहिए। ऐसा होने से आय के साधन कम होने लगते है और खर्च बढ़ जाते हैं।
बंद या खराब घड़ी न रखें
बंद या खराब घड़ी नकारात्क एनर्जी को बढ़ाती है। उन्नति और धन संबंधी परेशानियों से बचाव के लिए इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि बंद घड़ी को ठीक करवा लें या घर में न रखें।घर में टूटा हुआ कांच या टूटे कांच की वस्तुएं रखना आर्थिक नुकसान का कारण बनता है। दरवाजे-खिड़कियों में लगे कांच के टूट जाने पर उन्हें भी तुरंत बदलवा देना चाहिए।
घर में भगवान की खंडित मूर्ति भूलकर भी नहीं रखनी चाहिए। भगवान की टूटी हुई मूर्तियों घर में पैसों से संबंधी परेशानियां बढ़ाती हैं। तस्वीर के अलावा भगवान की फटी हुई तस्वीरों को भी घर में नहीं रखना चाहिए।
कांटेदार पौधों को न लगायें
बहुत से लोगों को पेड़ पौधे लगाने का शौक होता है। ऐसे में नई-नई तरह के पेड़-पौधों लगाने की चाह में कई लोग कांटेदार पौधों को घर में सजा लेते है, जो की घर को धन संबंधी परेशानियों का कारण बनते हैं। खराब और बेकार चीजों को घर में रखने से नकारात्मक उर्जा बढ़ती है और कई तरह की धन संबंधी परेशानियां भी आती हैं। खराब उपकरण जैसे टीवी, कंप्यूटर, फ्रीज आदि को घर में भूलकर भी न रखें।
पीले रंग को इसलिए मानते हैं शुभ
4 Jan, 2024 06:45 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
आमतौर पर लोग शुभ कार्यों में पीले रंग के वस्त्र धारण करते हैं। ज्योतिष में भी पीले रंग को खास महत्व दिया गया है। पीले रंग का संबंध गुरु बृहस्पति से भी माना गया है।यह सूर्य के चमकदार हिस्से वाला रंग है। यह मुख्य रंगों का हिस्सा है और यह रंग स्वभाव से गर्म और ऊर्जा पैदा करने वाला होता है। पीले रंग का पाचन तंत्र, रक्त संचार और आँखों पर सीधा प्रभाव पड़ता है।
इस रंग की खूबी
इस रंग के अंदर मन को बदलने की क्षमता होती है। यह बृहस्पति का प्रधान रंग है।
यह रंग जीवन में शुभता लाता है।
मन को उत्साहित करके नकारात्मक विचारों को समाप्त कर देता है।
यह नज़र दोष या नकारात्मक ऊर्जा को नष्ट कर देता है।
इस रंग के प्रयोग से ज्ञान प्राप्ति में सुविधा होती है।
साथ ही मन में अच्छे विचार बने रहते हैं।
इस रंग का इस प्रकार करें प्रयोग
पढ़ने और पूजा के स्थान पर इस रंग का खूब प्रयोग कर सकते हैं।
घर की बाहरी दीवारों पर भी पीले रंग का प्रयोग कर सकते हैं।
घर के अंदर पीले रंग के हल्के शेड का प्रयोग किया जा सकता है।
नकारात्मक ऊर्जा से बचने के लिए पीला रुमाल साथ में रखें।
हल्दी का तिलक लगाकर मन को सात्विक और शुद्ध रख सकते हैं।
रखें ये सावधानियां
इस रंग के ज्यादा प्रयोग से पाचन तंत्र ख़राब हो सकता है।
आँखों और सर में भारीपन की समस्या हो सकती है।
यह कभी कभी अहंकारी भी बना देता है।
यह रंग कभी कभी नींद में भी बाधा पैदा करता है।
ऐसे टोटके बदल सकते हैं किस्मत
4 Jan, 2024 06:30 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
रोटी, कपड़ा और मकान यह इंसान की 3 सबसे पहली जरुरत है। रोटी के कुछ ऐसे उपाय हमें किताबों में मिलते हैं जो आश्चर्य में डाल देते हैं. आइए जानते हैं कुछ ऐसे टोटके रोटी के, जो हमारा नसीब भी बदल सकते हैं.
घर की रसोई में पहली रोटी सेंकने के बाद उसमें शुद्ध घी लगाकर चार टुकड़े कर लें और चारों टुकड़ों पर खीर अथवा चीनी या गुड़ रख लें। इसमें से एक को गाय को, दूसरे को कुत्ते को, तीसरे को कौवे को और चौथे को किसी भिखारी को दे दें। इस उपाय के तहत गाय को रोटी को खिलाने से पितृदोष दूर होगा, कुत्ते को रोटी खिलाने से शत्रुभय दूर होगा, कौवे को रोटी खिलाने से पितृदोष और कालसर्प दोष दूर होगा और अंतिम रोटी का टुकड़ा किसी गरीब या भूखे को भोजन के साथ खिलाने से आर्थिक कष्ट दूर होंगे और बिगड़े काम बनने लगेंगे।
यदि आपके जीवन में शनि पीड़ा है या फिर राहु-केतु की अड़चनें हो तो रोटी का यह उपाय आपके लिए रामबाण साबित हो सकता है। इन सभी ग्रहों की अशुभता को दूर करने के लिए रात के समय बनाई जाने वाली अंतिम रोटी पर सरसों का तेल लगाकर काले कुत्ते को खाने के लिए दें। यदि काला कुत्ता उपलब्ध न हो तो किसी भी कुत्ते के बच्चे को खिलाकर इस उपाय को कर सकते हैं.
हमारे यहां अतिथि को देवता के समान माना गया है फिर वह धनवान हो या फिर आम आदमी. यदि कोई निर्धन या भिखारी आपके घर के दरवाजे पर आए तो यथासंभव भोजन अवश्य कराएं। भोजन में भी रोटी जरूर खिलाएं या हाथ से परोसें।
यदि तमाम प्रयासों के बावजूद सफलता आपके हाथ नहीं लग रही है तो आप के लिए रोटी का यह उपाय वरदान साबित हो सकता है। रोटी और चीनी को मिलाकर छोटे-छोटे टुकड़े चीटियों के खाने के लिए उनके बिल के आस-पास डालें। इस उपाय से आपकी बाधाएं धीरे-धीरे दूर होने लगेंगी।
यदि आपके घर की शांति को किसी की नजर लग गई है और आए दिन लड़ाई झगड़ा होता रहता है तो आप रोटी से जुड़े चमत्कारी उपाय को जरूर अपनाकर देखें। दोपहर के समय जब आप अपनी रसोई में पहली रोटी सेंके तो उसे गाय के लिए और अंतिम रोटी कुत्ते के लिए जरूर निकाल लें। उसे भोजन से पूर्व गाय और कुत्ते को खिलाने का प्रयास करें। यदि यह न संभव हो तो बाद में उसे खिला दें।
अगर करियर में रुकावट है, नौकरी नहीं मिल रही है तो यह उपाय करें। कटोरदान की नीचे से तीसरे नंबर की रोटी लें, तेल की कटोरी में अपनी बीच वाली अंगुली और तर्जनी यानी पास वाली बड़ी अंगुली को एक साथ डुबोएं अब उस रोटी पर दोनों अंगुलियों से एक साथ लाइन खींचें। अब इस रोटी को बिना कुछ बोले दो रंग के कुत्ते को डाल दें। यह उपाय गुरुवार या रविवार को करेंगे तो करियर की हर बाधा दूर होगी।
घर से हटा दें नकारात्मक ऊर्जा वाली वस्तुएं
4 Jan, 2024 06:15 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
जीवन में सभी खुशहाली चाहते हैं पर कई बार हमें काफी प्रयास के बाद भी सफलता नहीं मिलती। वास्तुशास्त्र के अनुसार कुछ चीजों से घर में नकारात्मकता आती है। इन नकारात्मक ऊर्जा वाली वस्तुएं घर में रखने से मनुष्य को दुर्भाग्य और गरीबी का सामना भी करना पड़ जाता है। ऐसी चीजों को भूलकर भी घर में नहीं रखना चाहिए।
वास्तु के अनुसार देवी-देवताओं की फटी और पुरानी तस्वीरें या खंडित हुईं मूर्तियों से भी आर्थिक हानि होती है। इसलिए उन्हें किसी नदी में प्रवाहित कर देना चाहिए।
अक्सर लोगों के घरों में फटे-पुराने कपड़ों की एक पोटली होती है। फटे-पुराने कपड़ों या चादरों से भी घर में नकारात्मक ऊर्जा का निर्माण होता है। इस तरह के कपड़ों को दान कर देना चाहिए या इसका किसी और काम में उपयोग करना चाहिए।
किसी भी तरह की टूटी-फूटी या गैर-जरूरी वस्तु को घर में नहीं रखना चाहिए। इससे घर में वास्तु दोष उत्पन्न होता है, जिसके कारण लक्ष्मी का आगमन रुक जाता है।
घर की छत पर पड़ी गंदगी से भी पैसों की तंगी को बढ़ सकती है। इससे परिवार की बरकत पर बुरा प्रभाव पड़ता है। घर की छत पर कबाड़ा या फालतू सामान बिल्कुन न रखें।
कई लोग अपने घर में अनावश्यक पत्थर, नग, अंगुठी, ताबीज जैसे सामान रख देते हैं। बिना इस जानकारी के कि कौन-सा नग फायदा पहुंचा रहा है और कौन-सा नग नुकसान पहुंचा रहा है। इसलिए इस तरह के सामान को घर से बाहर निकाल दें।
कहते हैं कि ताजमहल का चित्र, डूबती हुई नाव या जहाज, फव्वारे, जंगली जानवरों के चित्र और कांटेदार पौधों के चित्र घर में नहीं लगाना चाहिए। इससे मन पर बुरा प्रभाव पड़ता है और लगातार इन चित्रों को देखते रहने से जीवन में अच्छी घटनाएं घटना बंद हो जाती हैं।
घर या दुकान की कोई भी अलमारी टूटी हुई नहीं होना चाहिए। टूटी अलमारी पैसों के नुकसान का कारण बनती है। इसके अलावा काम न होने पर अलमारी को हमेशा बंद करके रखें।
घर में बनने वाले मकड़ी के जाले तुरंत हटा दें, इनसे आपके अच्छे दिन बुरे दिनों में बदल सकते हैं। मकड़ी के जाले से घर-दुकान में कई तरह के वास्तु दोष पैदा होते हैं, इसलिए घर-दुकान में इसका होने अशुभ माना जाता है।
आपके घर में टूटी हुई चेयर या टेबल पड़ी है तो उसे तुरंत घर से हटा दें। ये आपके पैसों और तरक्की को रोक देती है।
बंद घड़ियां भी घर से जितनी जल्दी हो सके हटा दीजिए। बंद घड़ी प्रगति को रोक देती है।
राशिफल: जानिए, कैसा रहेगा आपका आज का दिन (04 जनवरी 2024)
4 Jan, 2024 12:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
मेष राशि :- इष्ट मित्रों से धोखे की संभावना है, सतर्कता से विरोध के बाद भी लाभ होगा।
वृष राशि :- समय हर्ष-उत्साह से बीतेगा, धन लाभ, अधिकारी वर्ग का समर्थन फलप्रद होगा।
मिथुन राशि :- सफलता के साधन जुटायेंगे, तनावपूर्ण स्थिति से बचिये, समय का ध्यान रखें।
कर्क राशि :- स्थिति में सुधार होगा, स्त्री वर्ग से हर्ष, व्यवसायिक क्षमता अनुकूल होगी।
सिंह राशि :- आशानुकूल सफलता से हर्ष, समय स्थिति को देखकर कार्य अवश्य करें।
कन्या राशि :- धन का व्यर्थ व्यय होगा, दूसरों के कार्य में हस्ताक्षेप करने से तनाव अवश्य होगा।
तुला राशि :- कार्यगति अनुकूल होगी, आशानुकूल सफलता का हर्ष होगा, मित्र सहयोग करेंगे।
वृश्चिक राशि :- सामाजिक कार्य में प्रतिष्ठा, प्रभुत्व वृद्धि एवं कार्य कुशलता से संतोष होगा।
धनु राशि :- कार्य कुशलता से हर्ष, योजना फलीभूत होगी, रुके कार्य अवश्य ही बन जायेंगे।
मकर राशि :- अधिकारियों के कोप से बचें, तनाव व क्लेश रहेगा, आवेग व अशांति की स्थिति में धैर्य से काम लें।
कुंभ राशि :- उदविघ्नता व असमंजस का वातावरण रहने से मन क्लेशयुक्त रहेगा, शांति व धैर्य रखें।
मीन राशि :- बिगड़े हुये कार्य बनेंगे, योजनायें फलीभूत होंगी, सफलता के साधन जुटायें।
22 जनवरी को होगी रामलला की प्राण प्रतिष्ठा, उस दिन कर लें 2 आसान उपाय, बढ़ेगी धन-संपत्ति, कार्य होंगे सफल
3 Jan, 2024 06:45 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
नए साल 2024 में 22 जनवरी का दिन बेहद शुभ है. 22 जनवरी को अयोध्या में प्रभु रामलला की प्राण प्रतिष्ठा होगी. उस दिन सर्वार्थ सिद्धि योग, अमृत सिद्धि योग और मृगशिरा नक्षत्र है. काशी के ज्योतिषाचार्य चक्रपाणि भट्ट बताते हैं कि 22 जनवरी दिन सोमवार को हरि अर्थात् विष्णु मुहूर्त है, जो 41वर्ष बाद आया है. इसी कारण अयोध्या जी में श्री रामलाल जी की प्राण-प्रतिष्ठा होगी. इस मुहूर्त का पूर्ण लाभ सभी भारतवासियों को प्राप्त करना चाहिए. मुहूर्त चिन्तामणि ज्योतिष शास्त्र के अनुसार इस मुहूर्त का विशेष लाभ विद्यार्थियों, व्यापारियों और गर्भवती स्त्रियों को प्राप्त होगा. रामलला की प्राण प्रतिष्ठा वाले दिन आप दो आसान उपायों को करके अपनी धन-संपत्ति में वृद्धि और कार्यों में सफलता का आशीर्वाद प्राप्त कर सकते हैं.
रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के दिन करें ये 2 उपाय
1. बृहस्पति वैदिक मंत्र जाप से पाएं धन और सफलता
रामलला की प्राण प्रतिष्ठा वाले दिन 22 जनवरी को आप सुबह 06:22 बजे से शाम 05:17 बजे के बीच देव गुरु बृहस्पति के वैदिक मंत्र का जाप करें. यदि स्वयं नहीं कर सकते हैं तो किसी योग्य पंडित से जाप कराएं. बृहस्पति के वैदिक मंत्र का जाप 64 हजार बार करना है.
बृहस्पति का वैदिक मंत्र: ओम बृहस्पते अति यदर्यो अर्हाद् द्युमद्विभाति क्रतुमज्जनेषु। यद्दीदयच्छवस ऋतप्रजात तदस्मासु द्रविणं धेहि चित्रम्.
2. लक्ष्मी-विष्णु का धनाकर्षण पाठ
उस दिन का दूसरा उपाय है लक्ष्मी-विष्णु का धनाकर्षण पाठ. यदि आप 22 जनवरी को लक्ष्मी-विष्णु का धनाकर्षण पाठ कम से कम 108 बार करते हैं या करा देते हैं तो कार्यों में सफलता प्राप्त होगी और धन लाभ भी होगा. यह उपाय भी आपको सुबह 06:22 बजे से शाम 05:17 बजे के बीच करना चाहिए.
श्रीसूक्त एवं पुरुष-सूक्त के साथ कनक धारा स्तोत्र का 108 पाठ को शुक्ल यजुर्वेद में धनाकर्षण हेतु उद्धृत किया गया है. एक समय और एक आसन पर इस पाठ को श्रद्धापूर्वक करने से एक पक्ष से एक माह के अंदर निश्चित संतोषजनक धनागम होता है. साथ में यदि महालक्ष्मी के बीज मंत्र का जाप भी कर दें तो और उत्तम होता है.
महालक्ष्मी बीज मंत्र: ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद श्रीं ह्रीं श्रीं ॐ महालक्ष्मैय नम:
22 जनवरी 2024 को सुबह से बनेगा सर्वार्थ सिद्धि योग
अयोध्या जी के भव्य मंदिर में जिस दिन प्रभु राम की मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा की जाएगी, उस दिन सर्वार्थ सिद्धि योग और अमृत सिद्धि योग सुबह 07:14 एएम से बन जाएंगे. ये दोनों ही योग अगले दिन प्रात: 04:58 एएम तक हैं.
वहीं मृगशिरा नक्षत्र सुबह से अगले दिन 04:58 एएम तक है. मॄगशिरा नक्षत्र के स्वामी ग्रह मंगल हैं. उस दिन पौष माह के शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथि होगी. द्वादशी तिथि में 23 जनवरी को रवि योग 04:58 एएम से 07:13 एएम तक है.
सर्वार्थ सिद्धि योग का महत्व
सर्वार्थ सिद्धि योग तब बनता है, जब सोमवार के दिन पुष्य, मृगशिरा, रोहिणी, श्रवण या अनुराधा नक्षत्र में से कोई भी एक हो. सर्वार्थ सिद्धि योग में किए गए कार्य सफल सिद्ध होते हैं. इसमें नया बिजेनस, शिक्षा प्रारंभ करना, नई नौकरी शुरू करना, भवन निर्माण कार्य आदि किए जाते हैं. ऐसे ही अमृत सिद्धि योग भी नए कार्य, बिजनेस कार्य, नए समझौते, नया बिजनेस, विदेश यात्रा आदि शुरू करने के लिए शुभ है.
मकर संक्रांति पर बन रहा रवि योग, सूर्य पूजा से होंगे 5 बड़े फायदे, जान लें स्नान-दान मुहूर्त
3 Jan, 2024 06:30 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
इस साल 2024 में मकर संक्रांति के दिन रवि योग का निर्माण हो रहा है. मकर संक्रांति के अवसर पर स्नान दान के बाद सूर्य देव की पूजा करते है और रवि योग भी सूर्य पूजा के लिए उत्तम माना जाता है. सूर्य देव जिस समय मकर राशि में प्रवेश करते हैं, उस समय ही मकर संक्रांति होती है. मकर संक्रांति के दिन शुभ मुहूर्त में पवित्र नदियों में स्नान करना चाहिए. उसके बाद सूर्य देव को जल से अर्घ्य देना चाहिए. उसके बाद काला तिल, गुड़, चावल, गेंहू, गरम कपड़े आदि का दान करना चाहिए. वैसे भी रवि योग में यह दान उत्तम फल प्रदान करता है. तिरुपति के ज्योतिषाचार्य डॉ. कृष्ण कुमार भार्गव से जानते हैं कि मकर संक्रांति कब है? मकर संक्रांति के दिन रवि योग कब बन रहा है? मकर संक्रांति पर स्नान और दान का मुहूर्त क्या है?
मकर संक्रांति 2024 तारीख
वैदिक पंचांग के अनुसार, ग्रहों के राजा सूर्य देव शनि की राशि मकर में 15 जनवरी 2024 को 02:54 एएम पर प्रवेश करेंगे. उस समय सूर्य की मकर संक्रांति होगी. इस आधार पर मकर संक्रांति 15 जनवरी सोमवार को मनाई जाएगी. उस दिन पौष माह के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि है.
मकर संक्रांति 2024 स्नान-दान मुहूर्त
15 जनवरी को मकर संक्रांति के दिन महा पुण्यकाल 07:15 एएम से 09:00 एएम तक है. उस दिन महा पुण्यकाल पौने दो घंटे है. महा पुण्यकाल में मकर संक्रांति का स्नान और दान करना श्रेष्ठ है. हालांकि उस दिन ब्रह्म मुहूर्त से ही मकर संक्रांति का स्नान-दान प्रारंभ हो जाता है और पूरे दिन तक चलता है. उस दिन ब्रह्म मुहूर्त 05:27 एएम से 06:21 एएम तक है. मकर संक्रांति वाले दिन वरीयान योग सुबह से रात 11:11 पीएम तक है.
रवि योग में मकर संक्रांति 2024
इस साल मकर संक्रांति के अवसर पर रवि योग बन रहा है. रवि योग सुबह 07 बजकर 15 मिनट से सुबह 08 बजकर 07 मिनट तक है. उसके बाद अगले दिन सुबह 06 बजकर 10 मिनट से सुबह 07 बजकर 15 मिनट तक है. इस योग में स्नान, दान और सूर्य की पूजा करना बहुत ही कल्याणकारी होता है.
कैसे बनता है रवि योग?
रवि योग का निर्माण तब होता है, जब चंद्रमा का नक्षत्र सूर्य के नक्षत्र से चौथे, छठे, नौवें, दसवें, तेरहवें या बीसवें होता है. कुंडली में रवि योग के कारण व्यक्ति का मान-सम्मान और प्रभाव बढ़ता है. वह उच्च पद प्राप्त कर सकता है. व्यक्ति दान और सहयोग भी करता है. रवि योग सभी दोषों को नष्ट करता है. इस योग में आप जो भी कार्य करते हैं, उसका शुभ फल प्राप्त होता है.
मकर संक्रांति: रवि योग में सूर्य पूजा होंगे 5 बड़े फायदे
1. रवि योग में सूर्य पूजा करने से आपके जीवन के कष्ट दूर होने लगेंगे. सूर्य कृपा से आपकी आयु और सेहत में वृद्धि होगी. रोगों से मुक्ति मिल सकती है.
2. रवि योग के समय आप कोई कार्य करते हैं तो उसमें सफलता प्राप्ति की संभावना अधिक होती है. इस योग के कारण सभी दोष दूर होते हैं और कार्य सफल होते हैं.
3. रवि योग में भगवान भास्कर की पूजा करने से घर धन और धान्य से भरता है. मकर संक्रांति को सूर्य देव की कृपा से शनि महाराज का घर धन-धान्य से परिपूर्ण हो गया था.
4. सूर्य देव की पूजा रवि योग में करने से करियर में तरक्की के मार्ग प्रशस्त होते हैं. मकर संक्रांति को आप सूर्य देव से जुड़ी वस्तुओं गुड़, लाल वस्त्र, घी, तांबा आदि का दान करें.
5. रवि योग के शुभ फल को पाने के लिए अहंकार से दूर रहें. माता-पिता और बड़े-बुजुर्गों का अनादर न करें. नियम विरूद्ध कार्य न करें. अपने प्रभाव में वृद्धि के लिए सूर्य देव को पानी में लाल चंदन और लाल फूल डालकर अर्घ्य दें.
नए साल में 2 बार है सफला एकादशी, ऐसा क्यों? जानें विष्णु पूजा का मुहूर्त, व्रत पारण समय और महत्व
3 Jan, 2024 06:15 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
नए साल 2024 का पहला एकादशी व्रत सफला एकादशी है. हिंदू कैलेंडर के अनुसार, पौष माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को सफला एकादशी का व्रत रखा जाता है. नए साल में सफला एकादशी व्रत दो बार है. यह नववर्ष का पहला और अंतिम व्रत भी है. इस व्रत से एकादशी का प्रारंभ हो रहा और इससे ही इस वर्ष के एकादशी व्रत का समापन भी होगा. सफला एकादशी का व्रत रखकर भगवान विष्णु की पूजा करने से कार्यों में सफलता प्राप्त होती है. केंद्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय पुरी के ज्योतिषाचार्य डॉ. गणेश मिश्र से जानते हैं कि सफला एकादशी कब है? सफला एकादशी का पूजा मुहूर्त क्या है?
कब है सफला एकादशी 2024?
ज्योतिषाचार्य डॉ. मिश्र बताते हैं कि 7 जनवरी रविवार के दिन सफला एकादशी का व्रत रखा जाएगा. सफला एकादशी से इस वर्ष के एकादशी व्रतों का प्रारंभ होगा. यह व्रत पौष कृष्ण एकादशी तिथि को रखते हैं और अगले दिन पारण करते हैं.
पंचांग के अनुसार, इस साल 7 जनवरी को 12:41 एएम से पौष कृष्ण एकादशी तिथि का शुभारंभ होगा और यह तिथि 8 जनवरी 12:46 एएम पर खत्म होगी. व्रत और पूजा के लिए उदयातिथि की मान्यता है. इस आधार पर 7 जनवरी को सफला एकादशी होगी.
साल 2024 में 2 बार क्यों है सफला एकादशी?
दरअसल अंग्रेजी कैलेंडर में 24 घंटे का एक दिन और 365 दिनों का एक वर्ष होता है. वहीं हिंदू कैलेंडर में तिथियों के आधार पर व्रत और त्योहार आते हैं. तिथियां 24 घंटे से कम और ज्यादा भी होती हैं और कभी-कभी किसी तिथि का लोप भी हो जाता है. इस वजह से अंग्रेजी माह के 30 दिनों में 30 से अधिक तिथियां हो जाती हैं. इसलिए सफला एकादशी जो जनवरी में 7 तारीख को आएगी, वही सफला एकादशी साल के अंत में 26 दिसंबर को भी आएगी. साल 2024 के कैलेंडर में 7 जनवरी और 26 दिसंबर को पौष कृष्ण एकादशी तिथि है.
सफला एकादशी का पूजा मुहूर्त क्या है?
7 जनवरी को सफला एकादशी की पूजा का मुहूर्त 08:33 एएम से 12:27 पीएम तक है. इस समय में आप भगवान विष्णु की विधि विधान से पूजा करें. 26 दिसंबर को सफला एकादशी की पूजा आप सुबह 07:12 एएम से 08:30 एएम तक कर सकते हैं.
अनोखा मंदिर... धारी देवी के दर्शन बिना चारधाम यात्रा अधूरी, प्रेमी जोड़े नहीं कर सकते पूजा?
3 Jan, 2024 06:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
देवभूमि उत्तराखंड में कई ऐसे सिद्वपीठ और पौराणिक मंदिर हैं, जहां दर्शन मात्र से मनोकामना पूरी होने का दावा किया जाता है. वहीं, अलकनंदा नदी के बीचोंबीच पिलर के सहारे बने चारों धाम की रक्षक धारी देवी का मंदिर श्रद्धालुओं को अपनी ओर आकर्षित करता है. मंदिर में बड़ी संख्या में श्रद्वालु पहुंचते हैं. धारी देवी मंदिर को लेकर कई तरह की मान्यताएं भी जुड़ी हुई हैं. माना जाता है कि चारों धाम की यात्रा बिना धारी देवी के दर्शन किए सफल नहीं होती है. इस वजह से बड़ी संख्या में श्रद्धालु यहां तीर्थयात्रा के दौरान दर्शन करने पहुंचते हैं. इसके अलावा मंदिर को लेकर यह भी मान्यता है कि यहां देवी दिन में तीन बार रूप बदलती है. मान्यताओं के साथ कुछ भ्रांतियां भी मंदिर को लेकर प्रचलित हैं. कहा जाता है कि प्रेमी जोड़ों को शादी से पहले मां धारी देवी के दर्शन नहीं करने चाहिए. इससे वे कभी भी शादी के बंधन में नहीं बंध सकते हैं.
धारी देवी मंदिर के पुजारी रमेश चंद्र पांडेय ने बताया कि उनके पास कई ऐसे श्रद्धालु भी पहुंचते हैं, जिनके मन में इस तरह का संशय होता है. मंदिर को लेकर कई प्रकार की भ्रांतियां हैं, लेकिन यह पूर्ण रूप से गलत है. पुजारी ने प्रेमी जोड़ों को लेकर फैली भ्रांति का खंडन करते हुए कहा, ‘ यह बिल्कुल गलत है कि अगर शादी से पहले प्रेमी जोड़े यहां पहुंचे, तो उनकी शादी नहीं होगी या फिर उनका दांपत्य जीवन खुशहाल नहीं होगा.’
अफवाह न फैलाएं
पुजारी रमेश चंद्र पांडेय ने कहा कि धारी देवी में जो जोड़ा अपनी श्रद्धा से आता है और भविष्य में खुशहाल दांपत्य जीवन की कामना करता है, तो मां जरूर उनकी मनोकामना पूरी करती है. मंदिर को लेकर गलत अफवाह न फैलाएं. साथ ही बताया कि यहां प्रेमी जोड़े शादी के बंधन में बंधने के लिए भी आते हैं.
नये साल में लगी भीड़
पुजारी रमेश चंद्र पांडेय के मुताबिक, धारी देवी मंदिर में हर महीने श्रद्धालु बड़ी संख्या में पहुंचते हैं. नये साल के अवसर पर 12 हजार से अधिक भक्तों ने दर्शन किए. अब मंदिर में भी कई बदलाव किए गए हैं. श्रद्धालुओं की सुरक्षा को देखते हुए यहां बैरिकेडिंग के साथ मंदिर परिसर तक पहुंचने वाले मार्ग में टिन शेड और जालियां भी लगाई गई हैं, ताकि बंदर श्रद्धालुओं को परेशान न कर पाएं.
राशिफल: जानिए, कैसा रहेगा आपका आज का दिन (03 जनवरी 2024)
3 Jan, 2024 12:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
मेष राशि :- स्वभाव में प्रसन्नता, पारिवारिक सफलता मिल सकती है, व्यवसाय मेंं अच्छी उन्नति होगी।
वृष राशि :- कार्यों में सफलता मिले, मान-सम्मान की प्राप्ति होगी, शत्रु कमजोर होंगे।
मिथुन राशि :- सप्ताह उत्तम फलाकरी है, अधिकारियों का पूर्ण सहयोग-समर्थन मिलेगा।
कर्क राशि :- नौकरी मेंं व्यवधान हो सकता है, व्यवसाय ठीक नहीं रहेगा ध्यान दें।
fिसंह राशि :- आप आनंद का अनुभव करेंगे, केतु गृह पीड़ाकारक, आपसी मतभेद से बचकर चलें।
कन्या राशि :- मनोरंजन से अति हर्ष होगा, व्यवसाय में लाभ होगा, रुके कार्य अवश्य ही बनेंगे।
तुला राशि :- पारिवारिक उत्तरदायित्व की वृद्धि होगी, आमोद-प्रमोद में विशेष ध्यान रहेगा।
वृश्चिक राशि :- मानसिक तनाव अकस्मिक बढ़ेगा, स्वजनों से सहानुभूति अवश्य ही बढ़ेगी।
धनु राशि :- व्यवसाय की उन्नति से अर्थिक स्थिति में विशेष सुधार होगा, ध्यान रखें।
मकर राशि :- विलास सामग्री का संचय होगा, अधिकारी वर्ग की कृपा का लाभ अवश्य मिलेगा।
कुंभ राशि :- इष्ट मित्रों से अच्छा योग है, उन्नति एवं लाभ के योग अवश्य ही बनेंगे।
मीन राशि :- गृह-कलह, हीन मनोवृत्ति, शरीर पीड़ा से परेशानी अवश्य ही बन जायेगी।
14 या 15 जनवरी...कब है मकर संक्रांति? देवघर के ज्योतिषी ने दूर किया कंफ्यूजन
2 Jan, 2024 06:30 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
नववर्ष की शुरुआत हो चुकी है. वहीं, मकर संक्रांति को नववर्ष का पहला त्यौहार माना जाता है. मकर संक्रांति देशभर में अलग-अलग नाम के साथ और अलग-अलग परंपराओं में हसी खुशी से मनाई जाती है. उत्तर भारत में खिचड़ी और दक्षिण भारत में पोंगल के रूप में मकर संक्रांति का पर्व मनाया जाता है. मकर संक्रांति के दिन सूर्य देव को अर्घ देना बेहद शुभ माना जाता है. इस साल मकर संक्रांति को तिथि को लेकर थोड़ा सा कन्फ्यूजन चल रहा है. आइए देवघर के ज्योतिषाचार्य से जानें इस पर्व की सही तिथि.
देवघर के पागल बाबा आश्रम स्थित मुद्गल ज्योतिष केंद्र के प्रसिद्ध ज्योतिषाचार्य पंडित नंदकिशोर मुद्गल ने लोकल 18 को बताया कि मकर संक्रांति का पर्व तभी मनाया जाता है, जब सूर्य धनु राशि से निकल कर मकर राशि में प्रवेश करते हैं. इस राशि परिवर्तन को मकर संक्रांति के रूप में मनाया जाता है. मकर संक्रांति साल का सबसे पहला पर्व माना जाता है. साथ ही बताया कि मकर संक्रांति का पर्व देश के कोने-कोने में किसी ना किसी रूप में जरूर मनाया जाता है. फिर चाहे वह दक्षिण भारत में पोंगल हो, उत्तर भारत में खिचड़ी हो, गुजरात में उत्तरायण हो या फिर पंजाब में लोहड़ी. कई सालों से मकर संक्रांति का पर्व 14 जनवरी को मनाया जा रहा था, लेकिन इस साल तिथि में बदलाव हुआ है. इस साल मकर संक्रांति 15 जनवरी को मनाई जाएगी.
कब कर रहा है सूर्य मकर राशि में प्रवेश
पंडित नंदकिशोर मुद्गल के मुताबिक, सूर्य का राशि परिवर्तन संक्रांति के रूप में मनाया जाता है. दरअसल सूर्य जब धनु राशि से निकल कर मकर राशि में गोचर करते हैं, तो इसे मकर संक्रांति के रूप में मनाया जाता है. इस साल सूर्य मकर राशि में 15 जनवरी दिन सोमवार चतुर्थी तिथि को सुबह 09 बजकर 13 मिनट में जाएंगे, तभी से मकर संक्रांति की शुरुआत होगी.
सूर्य देव और शनि देव की बरसेगी कृपा
पंडित नंदकिशोर मुद्गल ने बताया कि मकर संक्रांति के दिन गंगा स्नान का विशेष महत्व माना गया है. इस दिन सुबह जल्दी उठकर गंगा स्नान कर तांबे के लोटे में जल भरकर उसमें काले तिल और गुड़ का टुकड़ा मिलकर भगवान सूर्य को अर्घ देकर सूर्य मंत्रों का जाप करें. इससे सूर्य देव और शनि देव की दोनों की कृपा बरसेगी. आपकी हर मनोकामना पूरी होगी.
सकट चौथ 28 या 29 जनवरी कब? जानें 2024 की पहली संकष्टी चतुर्थी की सही डेट
2 Jan, 2024 06:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
साल 2024 में माघ का महीना 21 जनवरी से शुरू होगा और 19 फरवरी, 2024 तक रहेगा. हिंदू धर्म में माघ महीने को पवित्र माह माना जाता है. इस महीने के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को संकष्टी चतुर्थी का व्रत रखा जाएगा. इसे सकट चौथ, लंबोदर चतुर्थी, माघी चतुर्थी , तिलकुटा चौथ के नाम से भी जाना जाता है. मान्यता है कि सकट चौथ व्रत के प्रभाव से संतान को दीर्धायु और बेहतर स्वास्थ का वरदान मिलता है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस दिन गणपति बप्पा की पूजन से घर में खुशहाली के साथ सुख,समृद्धि आती है. इसके अलावा जीवन के कष्ट और क्लेश भी दूर होते है.
काशी के ज्योतिषाचार्य पंडित संजय उपाध्याय ने बताया कि इस दिन भगवान गणेश को तिल और गुड़ चढ़ाने से पापों से मुक्ति और कष्टों से छुटकारा मिलता है. इसके अलावा दूर्वा घास चढ़ाने से मानसिक पीड़ा से मुक्ति मिलती है.
29 जनवरी को रखा जाएगा व्रत
हिन्दू पंचाग के अनुसार, 29 जनवरी की सुबह 6 जकर 10 मिनट से माघ मास की चतुर्थी तिथि शुरू होगी. जो अगले दिन 30 जनवरी को सुबह 8 बजकर 54 मिनट तक रहेगा. ऐसे में उदयातिथि के कारण 29 जनवरी को ही पूरे दिन चतुर्थी तिथि मानी जाएगी. लिहाजा यह पर्व 29 जनवरी को ही मनाया जाएगा.
कब करें पूजा?
पंडित संजय उपाध्याय ने बताया कि इस सुबह स्नान के बाद व्रत का संकल्प लेना चाहिए. उसके बाद गणेश मंदिर में दर्शन पूजन करना चाहिए. रात में चंद्रोदय के साथ चंद्रमा की पूजा के बाद भगवान गणेश की पूजा करन चाहिए. इस दौरान उन्हें लड्डू, मोदक का भोग लगाना चाहिए. इससे संतान की आयु दीर्घायु होती है.
नए साल पर इस मंदिर में 6 लाख भक्तों के आने का अनुमान, इंदौर में प्रसिद्ध है यह स्थान
1 Jan, 2024 06:45 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
मप्र का इंदौर धार्मिक नगरी भी कहलाता है. यहां अनेक प्राचीन और प्रसिद्ध मंदिर हैं. इन मंदिरों में शामिल एक मंदिर ऐसा भी है, जिसकी देश-विदेश में भी ख्याति है और लाखों लोग नए साल की शुरुआत में इस मंदिर में दर्शन करते हैं. इस साल भी अनुमान है कि करीब 6 लाख श्रद्धालु यहां दर्शन के लिए पहुंचेंगे.
इंदौर के प्रसिद्ध खजराना गणेश मंदिर में हर साल भक्तों की संख्या बढ़ती जा रही है. पिछले साल की तुलना में इस बार नए वर्ष के पहले दिन करीब डेढ़ लाख से ज्यादा भक्तों के आने की संभावना है, यानी लगभग इस बार 6 लाख से ज्यादा भक्त मंदिर पहुंचेंगे. जिसकों लेकर तैयारियां जोरों पर हैं.
तैयारियों का दौर जारी
बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं के आने को लेकर इन दिनों मंदिर में दर्शन व्यवस्था को लेकर तैयारियों का दौर जारी है. इसके चलते पुलिस और जिला प्रशासन द्वारा तैयारियां की जा रही हैं. इसमें सुरक्षा का भी खास ध्यान रखा जा रहा है.
पहली बार लगाया स्थायी शेड
मंदिर पहुंचने के बाद पार्किंग में भक्त वाहन खड़े कर अंदर आएंगे. प्रसाद-फूल लेने के बाद भक्तों को दर्शन के लिए लाइन में लगना होगा. परिसर में ही बैरिकेड्स लगाकर जिग-जैग लाइन बनाई गई है. यहां पहली बार स्थायी शेड लगाया है. यहां से आगे भक्त मंदिर परिसर में प्रवेश करेंगे.
20 से 25 मिनट में दर्शन
भगवान गणेश के दर्शन के लिए 4 स्टेप में 4 लाइन रहेगी. मंदिर प्रबंध समिति की कोशिश है कि लाइन में लगे भक्तों को अधिकतम 20 से 25 मिनट में भगवान के दर्शन हो जाएं.
फूलों की सज्जा और आकर्षक लाइटिंग
खजराना गणेश मंदिर में सुबह 6 से रात 12 बजे तक दर्शन होंगे. नए साल को देखते हुए पूरे मंदिर को फूलों से सजाया जाएगा और आकर्षक लाइटिंग की जाएगी. साथ ही परिसर में स्थित सभी मंदिरों पर साज-सज्जा की जाएगी. वहीं खजराना गणेश भगवान का आकर्षक श्रृंगार होगा.
80 सीसीटीवी कैमरों से नजर
सामान्य दिनों में मंदिर में 30 गार्ड सुरक्षा व्यवस्था संभालते हैं, लेकिन 1 जनवरी को लेकर इन गार्डों की संख्या बढ़ाकर 50 कर दी गई है, जो मंदिर परिसर में तैनात रहेंगे. साथ 80 सीसीटीवी कैमरों से नजर रखी जाएगी. 4 थानों का पुलिस बल भी यहां तैनात रहेगा.
नीम करौली बाबा ने रखी थी नैनीताल में बजरंग बली के इस मंदिर की नींव, हनुमान जी के दर्शन से करें नए साल की शुरुआत
1 Jan, 2024 06:30 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
उत्तराखंड के नैनीताल में हनुमान जी का एक प्रसिद्ध मंदिर है, जिसे हनुमान गढ़ी (Hanuman Garhi Nainital) कहा जाता है. यह मंदिर नीम करौली बाबा (Neem Karoli Baba) ने बनवाया था. महाराज 1950 में इस जगह आए थे. बाबा ने अपने अनुयायियों के साथ मिलकर यहां एक कुटिया का निर्माण किया. साथ ही कुटिया के पास छोटे हनुमान जी की मूर्ति की स्थापना की और 1953 में बाबा ने मंदिर में बड़े हनुमान जी की मूर्ति स्थापित की. जिसके बाद नीम करौली बाबा ने 1955 में यहां राम मंदिर और 1956 से 1957 के बीच हनुमान गढ़ी धाम में शिव जी का मंदिर भी बनवाया. नए साल के मौके पर नैनीताल आने वाले पर्यटक इस मंदिर के दर्शन करने जरूर आते हैं. यह शहर से करीब दो किलोमीटर दूर हल्द्वानी रोड पर स्थित है.
हनुमान गढ़ी मंदिर के प्रबंधक एमपी सिंह बताते हैं कि जब नीम करौली बाबा ने ट्रेन रोककर अपनी लीला दिखाई थी, उसके बाद महाराज जी यहां आए थे. हनुमान गढ़ी महाराज जी का यहां पहला स्थान है. यह मंदिर शहर से करीब दो किमी की दूरी पर स्थित है. इसके दूसरी तरफ पहाड़ी पर शीतला माता का मंदिर है. यहां सच्चे मन से मांगी गई हर मन्नत पूरी होती है.
हैड़ाखान बाबा ने की थी भविष्यवाणी
एमपी सिंह बताते हैं कि आज भी कथाओं में यह बात कही जाती है कि हैड़ाखान बाबा जब इस जगह पर अपने शिष्यों के साथ आए थे, तो उन्होंने कहा था कि कोई अंजनी का लाल आएगा जो इस जगह को जागृत करेगा. इससे पूर्व इस जगह पर कब्रिस्तान हुआ करता था. जब भी किसी बच्चे की मृत्यु हो जाती थी, तो उसे इस स्थान पर दफनाया जाता था. यही वजह थी कि लोग इस जगह पर आने से डरते थे. उन्होंने कहा कि बाबाजी ने जब यहां पर मंदिर स्थापित किया, तो एक विशाल भंडारे का भी आयोजन किया था. कहा जाता है कि उस भंडारे में प्रसाद लेने काफी बच्चों की भीड़ यहां उमड़ी थी और प्रसाद पाने के बाद वो बच्चे गायब हो गए. माना जाता है कि ये बच्चे वही थे, जिन्हें इस स्थान पर दफनाया गया था. बाबा ने अपनी चमत्कारी लीला से इन सभी बच्चों की आत्मा को मुक्ति प्रदान की थी.
सिद्धि मां भी इसी स्थान से जुड़ी थीं
उन्होंने आगे बताया कि नीम करौली बाबा से जुड़े लोग सर्वप्रथम इस स्थान से ही जुड़े थे. कात्यायनी का स्वरूप कही जाने वाली सिद्धि मां भी इसी स्थान से महाराज जी से जुड़ी थीं. मां का पहला कर्म स्थान भी हनुमान गढ़ी था. यहां आज मां का मंदिर स्थित है.
कैसे पहुंचे हनुमान गढ़ी?
यहां तक आप नैनीताल से हल्द्वानी की तरफ किसी भी कैब, टैक्सी या फिर पब्लिक ट्रांसपोर्ट की मदद से पहुंच सकते हैं. आप अपने निजी दोपहिया या चौपहिया वाहन से भी यहां तक आ सकते हैं.
घर में सौभाग्य के लिए लगाये शमी का पेड़
1 Jan, 2024 06:30 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
प्राचीन मान्यता है कि शमी का पेड़ घर में सौभाग्य लाता है। शमी का पेड़ लगाने से उसमें रहने वालों पर देवी-देवताओं की कृपा बनी रहती है और घर में सकारात्मक ऊर्जा के साथ सुख-समृद्धि भी बनी रहती है। भगवान शिव को शमी के फूल अति प्रिय माने जाते हैं। रोजाना पूजा के वक्त उन्हें यह फूल अर्पित करने से भगवान प्रसन्न होते हैं और सभी प्रकार के संकटों से दूर रहते हैं। शमी का पेड़ आपको शनि के प्रकोप से भी बचाता है।
ईशान कोण में लगायें
शमी के पौधे को घर के ईशान कोण यानी पूर्वोत्तर कोने में लगाना सबसे लाभकारी माना जाता है। इनमें प्राकृतिक तौर पर अग्नि तत्व भी छिपा होता है। न्याय के देवता शनि को प्रसन्न करने के लिए भी शमी के पेड़ का प्रयोग किया जाता है। हर शनिवार को शमी के पेड़ की जड़ के पास सरसों के तेल का दीपक जलाना चाहिए। वैसे तो शनि के प्रभाव में पीपल का वृक्ष भी आता है। परंतु पीपल के वृक्ष की विशालता के कारण इसे घर के अंदर लगा पाना संभव नहीं हो पाता है। इस कारण आप घर में शमी का पेड़ लगा सकते हैं।
नकारात्मक शक्तियों को समाप्त करता है
शमी के कांटों का प्रयोग तंत्र, मंत्र बाधा और नकारात्मक शक्तियों के नाश के लिए होता है। शमी के फूल, पत्ते, जड़ें, टहनी और रस का प्रयोग शनि संबंधी दोषों को दूर करने के लिए भी किया जाता है। आयुर्वेद में शमी के वृक्ष का प्रयोग गुणकारी औषधि के रूप में भी किया जाता है। पुराणों में भी शमी के वृक्ष का वर्णन देखने को मिलता है। मान्यता है कि लंका पर विजय प्राप्त करने के बाद भगवान राम ने भी शमी के पेड़ की पूजा की थी। हर शनिवार शमी के पत्ते शनिदेव को चढ़ाने से शनि के दोष कम होते हैं।
भगवान शिव और गणेश को हैं प्रिय
मान्यता है कि शमी भगवान शिव और गणेश को भी अति प्रिय है। सोमवार के दिन भगवान शिव का शनि के पत्ते को पुष्प चढ़ाने से लाभ होगा। गृहस्थ लोगों के जीवन में सुख-शांति आती है। वहीं गणेशजी को बुधवार के दिन दूर्वा के साथ आप शमी के पुष्प अर्पित करके लाभ प्राप्त कर सकते हैं। ऐसा करने से आपके घर में कभी पैसों की तंगी नहीं आती और मां लक्ष्मी का वास सदैव बना रहता है। एक मान्यता में यह भी बताया गया है कि पांडवों ने अज्ञातवास के वक्त शमी के पेड़ की जड़ में ही अपने अस्त्र-शस्त्र छिपा दिए थे, इसलिए शमी के पेड़ को इतना महत्वपूर्ण माना जाता है।