व्यापार
OYO के रितेश अग्रवाल का अनोखा ऑफर: अपनी कंपनी के लिए मांगा नया नाम, जीतने वाले को 3 लाख
30 May, 2025 07:50 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
बजट होटल चेन कंपनी OYO के फाउंडर रितेश अग्रवाल ने अपनी पैरेंट कंपनी ओरावेल स्टेज के लिए नाम के सुझाव आमंत्रित किए हैं. यह एक रणनीतिक कदम ऐसे समय उठाया जा रहा है जब ओयो बाजार में अपना आईपीओ लाने की तैयारी कर रही है और प्रीमियम सेगमेंट में और पेशकश करने की योजना बना रही है.
रणनीति से परिचित लोगों ने समाचार एजेंसी को बताया कि इस बात की काफी संभावना है कि इस प्रक्रिया के दौरान चुना गया नाम उस प्रीमियम होटल ऐप का नाम हो सकता है जिसे ओयो निकट भविष्य में पेश करने की योजना बना रही है. अग्रवाल ने एक नई पहचान गढ़ने में मदद के उद्देश्य से नाम के सुझाव मांगने के लिए सोशल मीडिया मंच का सहारा लिया.
क्या OYO का बदल जाएगा नाम?
ओयो के संस्थापक ने कहा, हम मूल कंपनी का नाम बदल रहे हैं. होटल श्रृंखला नहीं, उपभोक्ता उत्पाद नहीं – बल्कि शहरी नवाचार एवं आधुनिक जीवन के वैश्विक परिवेश को सशक्त बनाने वाली मूल कंपनी. हमारा मानना है कि अब समय आ गया है कि दुनिया के पास एक नए तरह का वैश्विक ब्रांड हो जिसका गढ़ भारत में हो, लेकिन दुनिया के लिए बनाया गया हो. उन्होंने विजेता को तीन लाख रुपये का पुरस्कार और उनसे मिलने का मौका देने की घोषणा भी की है.
कैसा होना चाहिए नाम?
रितेश अग्रवाल ने कहा है कि नाम एक बोल्ड, एक-शब्द कॉर्पोरेट नाम होना चाहिए, वैश्विक अनुभव वाला, किसी एक संस्कृति या भाषा से बंधा हुआ नहीं, तकनीक-अग्रणी, तीक्ष्ण, लेकिन मानवीय और यादगार भी होना चाहिए.
ये भी है प्लानिंग
मामले से अवगत लोगों ने बताया, ओयो अपने प्रीमियम होटल और मिड-मार्केट से लेकर प्रीमियम कंपनी-सेवा वाले होटल के लिए अलग ऐप पेश करने पर विचार कर रही है क्योंकि इस खंड में भारत के साथ-साथ वैश्विक बाजारों में भी तेजी से वृद्धि देखी गई है. इस बात की बहुत अधिक संभावना है कि चुना जा रहा नाम उस प्रीमियम होटल ऐप का नाम हो सकता है, जिसे ओयो निकट भविष्य में पेश करने की तैयारी कर रही है. इससे पहले समाचार एजेंसी ने एक खबर में बताया था कि ओयो ने जून में पांच निवेश बैंकों की उसके प्रमुख शेयरधारक सॉफ्टबैंक से मिलने की व्यवस्था की है.
इन बैंक में आईसीआईसीआई सिक्योरिटीज और एक्सिस कैपिटल के साथ-साथ भारतीय वित्तीय संस्थानों का प्रतिनिधित्व करने वाले वैश्विक बैंकिंग गठजोड़ से सिटी, गोल्डमैन सैक्स और जेफरीज शामिल हैं. जापानी समूह सॉफ्टबैंक, ओयो के सबसे बड़े शेयरधारकों में से एक है. इसलिए इस बैठक के काफी मायने हैं.
लंदन में होने वाली है मीटिंग
घटनाक्रम की जानकारी रखने वाल सूत्रों ने समाचार एजेंसी को बताया कि महत्वपूर्ण बैठक सॉफ्टबैंक के लंदन स्थित ग्रोसवेनर स्ट्रीट कार्यालय में होने वाली है. पांच बैंक, सॉफ्टबैंक के सुमेर जुनेजा के समक्ष अपनी आरंभिक सार्वजनिक निर्गम (आईपीओ) से जुड़ी रणनीति प्रस्तुत करेंगे. ओयो के संस्थापक रितेश अग्रवाल और उसकी वरिष्ठ नेतृत्व टीम भी इसमें शामिल होगी.
बड़ी खबर: LIC ने अडानी पोर्ट्स के सबसे बड़े ₹5,000 करोड़ के बॉन्ड इश्यू को किया पूरी तरह सब्सक्राइब
30 May, 2025 10:18 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
अडानी समूह की सबसे बड़ी कंपनियों में से एक अडानी पोर्ट को बड़ी राहत मिली है. इसके 5,000 करोड़ रुपये के बॉन्ड इश्यू को LIC ने पूरी तरह सब्सक्राइब कर लिया है. आमतौर कंपनियों को बॉन्ड्स के जरिये इतनी बड़ी राशि जुटाना मुश्किल साबित होता है. लेकिन, LIC ने अडानी पोर्ट्स के पूरे इश्यू को खरीदकर अडानी समूह को बड़ी राहत दी है. अडानी पोर्ट्स इस रकम का इस्तेमाल कर्ज को चुकाने और अपने बुनियादी ढांचे के विकास में कर पाएगी.
LIC को क्या मिलेगा?
LIC ने निजी तौर पर तय सौदे में अडानी पोर्ट्स के 5,000 करोड़ रुपये के 15 साल के बॉन्ड इश्यू को 7.75% कूपन रेट पर पूरी तरह से सब्सक्राइब कर लिया है. एक रिपोर्ट के मुताबिक घटनाक्रम से जुड़े सूत्रों ने बताया कि सरकारी स्वामित्व वाली एलआईसी ने गुरुवार को अडानी पोर्ट्स एंड स्पेशल इकनॉमिक जोन के 5,000 करोड़ रुपये के बॉन्ड इश्यू को 7.75 फीसदी की कूपन रेट पर पूरी तरह से सब्सक्राइब कर लिया है. अडानी पोर्ट्स की तरफ से यह अब तक का सबसे बड़ा बॉन्ड इश्यू है.
कोई और क्यों नहीं हुआ शामिल?
रिपोर्ट के मुताबिक इस बिड में सिर्फ एलआईसी शामिल हुई, क्योंकि अडानी पोर्ट्स की तरफ से सिर्फ LIC से संपर्क किया गया था. चूंकि 15 साल लॉन्ग टर्म निवेश है, लिहाजा बैंकों ने इसमें रुचि नहीं दिखाई थी. ऐसे में LIC को बॉन्ड इश्यू किए गए हैं. मामले की जानकारी रखने वाले सूत्र का कहना है कि अगर अडानी पोर्ट्स की तरफ से अगर ब्रॉड मार्केट में इश्यू को लाया जाता, तो ज्यादा कूपन रेट देनी पड़ सकती थी.
कहां होगा इस रकम का इस्तेमाल?
बॉन्ड जारी करने से मिलने वाली राशि का इस्तेमाल कंपनी अपने मौजूदा कर्ज को चुकाने, रिफाइनेंस और कर्ज के पूर्व भुगतान के लिए करेगी. इसके अलावा इसका उपयोग बंदरगाह और उससे संबंधित बुनियादी ढांचे के विकास के लिए कैपेक्स के तौर पर किया जाएगा.
नायडू का जोर: ₹500 और बड़े नोट बंद हों, डिजिटल करेंसी से हर लेनदेन का रिकॉर्ड रहेगा
30 May, 2025 09:30 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री और तेलुगू देशम पार्टी (TDP) के अध्यक्ष एन. चंद्रबाबू नायडू ने केंद्र सरकार से आग्रह की है. नायडू ने कहा कि वह 500, 1,000 और 2,000 रुपये के बड़े मूल्यवर्ग के नोटों को चलन से बाहर करे और देश को पूरी तरह डिजिटल भुगतान की ओर ले जाए. नायडू का मानना है कि इस कदम से न केवल भ्रष्टाचार पर लगाम लगेगी, बल्कि राजनीति और प्रशासन में भी पारदर्शिता आएगी.
नोटों की बंदी की वकालत क्यों कर रहे नायडू?
नायडू ने यह बयान आंध्र प्रदेश के कडप्पा जिले में आयोजित TDP के सालाना तीन दिवसीय महासम्मेलन “महानाडु” में की. उन्होंने मंच से हजारों कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए केंद्र सरकार से ये बात कही. नायडू ने अपने संबोधन में साफ कहा कि आज के दौर में कैश ट्रांसजेक्शन भ्रष्टाचार की सबसे बड़ी जड़ बन चुका है और इसका रास्ता सिर्फ और सिर्फ डिजिटल इकोनॉमी है.
पहले भी कर चुके हैं कैशलेस इकोनॉमी की वकालत
हालांकि ये पहली बार नहीं है जब नायडू ने नोट को लेकर ऐसी बात कही है, उन्होंने नोटबंदी के बाद 2016 में भी सरकार को ये सुझाया था. नायडू ने याद दिलाया कि 2016 में केंद्र सरकार की ओर किए गए नोटबंदी अभियान के बाद उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को डिजिटल करेंसी लाने का सुझाव दिया था. उनका कहना है कि अगर उस समय से देश पूरी तरह डिजिटल भुगतान की दिशा में बढ़ता, तो आज भ्रष्टाचार की स्थिति काफी हद तक सुधर चुकी होती.
राजनीतिक फंडिंग में पारदर्शिता की जरूरत
नायडू ने अपने भाषण में राजनीतिक चंदों का भी जिक्र किया. उन्होंने कहा कि आज भी ज्यादातर राजनीतिक दल नकद चंदा लेते हैं, जिससे काले धन का चलन बना रहता है. लेकिन TDP ने इस पर पहल करते हुए QR कोड के जरिए चंदा लेना शुरू कर दिया है. उन्होंने कहा, “अब पार्टी को चंदा देने के लिए किसी व्यक्ति को नकद लाने या किसी सूची की जरूरत नहीं है. बस QR कोड स्कैन करो और पैसा ट्रांसफर करो, सब कुछ ट्रैक किया जा सकता है.”
नीति आयोग के अध्यक्ष रह चुके हैं नायडू
नायडू पहले भी नीति आयोग द्वारा गठित उस समिति के अध्यक्ष रह चुके हैं, जिसका उद्देश्य देश को कैशलेस इकोनॉमी की ओर बढ़ाना था. उन्होंने कहा कि डिजिटल ट्रांजैक्शन से न सिर्फ ट्रैकिंग आसान होगी, बल्कि टैक्स चोरी और रिश्वतखोरी जैसे मामलों में भी कमी आएगी. नायडू ने कहा कि जब तक बाजार और व्यवस्था में कैश का बोलबाला रहेगा, तब तक भ्रष्टाचार भी रहेगा. उन्होंने इसे सिर्फ आर्थिक नहीं, बल्कि प्रशासनिक और नैतिक सुधार का मुद्दा बताया. उन्होंने कहा, “डिजिटल करेंसी से हर लेन-देन का रिकॉर्ड रहेगा. अगर कोई भी गलत काम होगा, तो वह तुरंत पकड़ा जा सकेगा.”
डिजिटल पेमेंट बना ठगों का नया हथियार? RBI ने बताई धोखाधड़ी की पूरी कहानी, ₹36,000 करोड़ उड़ाए
30 May, 2025 08:37 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
भारत में पिछले कुछ समय से धोखाधड़ी के मामलों में तेजी से बढ़ोतरी हुई है. हाल के दिनों में ठगों ने लोगों को चूना लगाने के लिए लगातार नए-नए तरीके अपनाए हैं. आंकड़े बताते हैं कि आम लोगों को बड़ा नुकसान उठाना पड़ा है. अब इस मामले में RBI ने जानकारी साझा की है, जिसमें बताया गया है कि FY25 में ठगों ने कितने करोड़ की चपत लगाई है. तो आइए आपको बताते हैं कि इस दौरान कितना नुकसान हुआ है और पिछले साल की तुलना में इसमें कितनी बढ़ोतरी हुई है.
हजारों करोड़ का नुकसान
Reserve Bank of India (RBI) ने गुरुवार को कहा कि वित्त वर्ष 2025 में लोन अकाउंट और डिजिटल पेमेंट से जुड़ी धोखाधड़ी के कुल मामलों में तीन गुना बढ़ोतरी हुई है. यह बढ़ोतरी मुख्य रूप से 122 पुराने मामलों को सुप्रीम कोर्ट के 27 मार्च 2023 के आदेश के अनुसार दोबारा शामिल किए जाने के कारण हुई है. FY25 में धोखाधड़ी की कुल राशि बढ़कर 36,014 करोड़ रुपये हो गई, जो पिछले वित्त वर्ष में 12,230 करोड़ रुपये थी.
धोखाधड़ी के मामलों की संख्या में गिरावट
हालांकि, इस दौरान कुल धोखाधड़ी की रकम में इजाफा हुआ है, लेकिन धोखाधड़ी के मामलों की संख्या में कमी आई है. FY25 में ऐसे मामलों की संख्या घटकर 23,953 हो गई, जबकि FY24 में यह 36,060 थी. रिपोर्ट में कहा गया है कि “2023-24 की तुलना में 2024-25 के दौरान रिपोर्ट की गई कुल धोखाधड़ी की राशि में बढ़ोतरी दर्ज की गई है.
इसके पीछे मुख्य वजह 122 पुराने मामलों को सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुसार दोबारा शामिल किया जाना है. इन मामलों में 18,674 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी हुई थी, जिन्हें पुनः जांच के बाद FY25 में रिपोर्ट किया गया.”
धोखाधड़ी रोकने के लिए RBI की पहल
डिजिटल धोखाधड़ी को रोकने के लिए RBI ने ‘bank.in’ (बैंकों के लिए) और ‘fin.in’ (गैर-बैंकिंग वित्तीय संस्थानों के लिए) जैसे एक्सक्लूसिव डोमेन लॉन्च करने का प्रस्ताव रखा है. इससे फिशिंग और साइबर हमलों में कमी आएगी और डिजिटल पेमेंट सिस्टम पर लोगों का भरोसा बढ़ेगा.
IDRBT (Institute for Development and Research in Banking Technology) इनकी निगरानी करेगा. रिपोर्ट के अनुसार, ये विशेष डोमेन साइबर सुरक्षा खतरों और फिशिंग जैसी दुर्भावनापूर्ण गतिविधियों की पहचान करने में भी मदद करेंगे, जिससे आम जनता को होने वाला वित्तीय नुकसान काफी हद तक कम किया जा सकेगा.
डिजिटल भुगतान में सबसे ज्यादा हेराफेरी
RBI की रिपोर्ट के मुताबिक, FY25 में अधिकांश धोखाधड़ी डिजिटल भुगतान (कार्ड/इंटरनेट) के जरिए हुई, जो कुल मामलों का 56.5 फीसदी (13,516 केस) थी. हालांकि, रकम के लिहाज से 92 फीसदी से अधिक धोखाधड़ी बैंकों के लोन में पाई गई. निजी बैंकों में 60 फीसदी धोखाधड़ी कार्ड/इंटरनेट से जुड़ी थी, जबकि सार्वजनिक बैंकों में 71 फीसदी से अधिक राशि की धोखाधड़ी लोन से संबंधित थी. ये आंकड़े 1 लाख रुपये से अधिक की धोखाधड़ी वाले मामलों पर आधारित हैं और इनमें बदलाव संभव है.
RBI गवर्नर ने चेताया बिटकॉइन से खतरा, e-रुपी को बताया सुरक्षित विकल्प
30 May, 2025 07:03 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
बिटकॉइन को लेकर अलग-अलग एक्सपर्ट का प्रेडिक्शन है कि इसकी कीमत आने वाले कुछ वर्षों में 3 से 10 लाख डॉलर तक पहुंच जाएगी. BTC की कीमत जब 3 लाख डॉलर होगी, तो इसका मार्केट कैप करीब 6 ट्रिलियन डॉलर हो जाएगा, जो भारत की मौजूदा GDP के साइज से भी ज्यादा होगा. इस लिहाज से किसी भी देश के लिए Bitcoin को चुनौती देना संभव नहीं, बल्कि अमेरिका, चीन, जर्मनी और जापान जैसी दुनियाी की सबसे बड़ी आर्थिक ताकतें किसी न किसी तरह से बिटकॉइन को अपनी फॉर्मल इकोनॉमी में शामिल कर रहे हैं. हालांकि, भारत में किसी भी क्रिप्टोकरेंसी को किसी तरह के निवेश या भुगतान के लिए लीगल नहीं माना गया है. बिटकॉइन सहित तमाम क्रिप्टोकरेंसी निवेश को सट्टेबाजी के दायरे में रखा गया है. हालांकि, इसे आपराधिक श्रेणी में नहीं रखा गया है.
भारत के पास क्या है BTC का विकल्प?
भारतीय रिजर्व बैंक ने 2022 में CBDC यानी सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी नाम से एक प्रॉजेक्ट शुरू किया. इसे डिजिटल रुपी या E-Rupee नाम दिया गया. असल में यह दुनियाभर में चल रहे क्रिप्टोकरेंसी के ट्रेंड को लेकर भारत का जवाब है. बिटकॉइन या किसी भी दूसरी क्रिप्टोकरेंसी की तरह ई-रुपी ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी पर काम करता है. हालांकि, BTC और E-Rupee में कई अंतर हैं. नवंबर 2022 में इसका होलसेल कारोबारियों और फिर बाद में रिटेल सेक्टर में इसका पायलट टेस्ट किया गया. गुरुवार को रिजर्व बैंक ने अपनी एक रिपोर्ट में बताया कि ई-रुपी का सर्कुलेशन 1,000 करोड़ रुपये से ज्यादा हो गया है.
क्या है रिजर्व बैंक का ई-रुपी?
CBDC प्रोजेक्ट के तहत भारतीय रिजर्व बैंक की तरफ से जारी की जाने वाली क्रिप्टोकरेंसी ही ई-रुपी है. हालांकि, बिटकॉइन, एथेरियम, सोलाना जैसी डिसेंट्रलाइज्ड क्रिप्टोकरेंसी की तुलना में इसका कंट्रोल पूरी तरह रिजर्व बैंक के हाथ में है. इसका मूल्य भारतीय रुपये के बराबर है. इसके मूल्य में कोई वोलैटिलिटी नहीं होती है, न इसकी माइनिंग की जा सकती है. हालांकि, ब्लॉकचेन पर आधारित होने की वजह से किसी भी क्रिप्टोकरेंसी की तरह इसमें ट्रांसपेरेंसी, रियल टाइम ट्रांजैक्शन और कम टर्नअराउंट टाइम की सुविधा मिलती है.
कैसे बिटकॉइन की बादशाहत के लिए चुनौती?
भारत दुनिया की तीसरी अर्थव्यवस्था बनने की तरफ बढ़ रहा है. भले ही अमेरिका में लगातार BTC को सरकार की तरफ से प्रमोट किया जा रहा है. इसकी वजह से BTC लगातार डॉलर के लिए चुनौती बन रहा है. लेकिन, भारतीय रुपये पर इसका सीधे तौर पर कोई असर नहीं है. वहीं, E-Rupee के जरिये रिजर्व बैंक एक नॉन-फिएट करेंसी वाले सभी फीचर दे रही है, जिनके लिए BTC को अपनाया जा रहा है. ऐसे में भारत अपने द्विपक्षीय और बहुपक्षीय व्यापार में E-Rupee को बढ़ावा दे रहा है, जिससे भारत के साथ ही उन देशों में भी E-Rupee का एक ईकोसिस्टम बनने की उम्मीद है, जो भारत के साथ कारोबार करते हैं. क्रॉस बॉर्डर ट्रांजैक्शन के लिहाज से यह एक बेहद उपयोगी तरीका बन सकता है.
क्यों बन सकता है गेमचेंजर?
BTC हो या कोई भी दूसरी डिसेंट्रलाइज्ड क्रिप्टोकरेंसी, इन्हें किसी ऐसी एजेंसी का समर्थन नहीं है, जो सुरक्षा की गारंटी दे सके. किसी भी वास्तविक कीमत के बिना क्रिप्टोकरेंसी अटकलबाजी पर वोलैटिलिटी का शिकार होती हैं. वहीं, ई-रुपी को भारत सरकार और रिजर्व बैंक की तरफ से गारंटी दी जाती है. फिलहाल, ई-रुपी को निवेश के लिए इस्तेमाल नहीं किया जा सकता है, लेकिन आने वाले दिनोंं में अगर रिजर्व बैंक ई-रुपी में निवेश को मंजूरी देता है, तो यह क्रिप्टोकरेंसी की दुनिया में गेमचेंजर हो सकता है. ई-रुपी दुनियाभर के उन पहली क्रिप्टोकरेंसी में से एक होगा, जिसे किसी रिजर्व बैंक ने जारी किया है.
महंगाई की मार या नोटों की बढ़ती मांग? RBI का करेंसी प्रिंटिंग खर्च 25% उछला
30 May, 2025 06:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) ने अपनी सालाना रिपोर्ट में खुलासा किया है कि 2024-25 के वित्तीय वर्ष में करेंसी नोट छापने पर होने वाला खर्च बढ़ गया है. RBI के मुताबिक, पिछले वर्ष की तुलना में यह खर्च 25 फीसदी बढ़कर 6,372.8 करोड़ रुपये हो गया. 2023-24 में यह खर्च 5,101.4 करोड़ रुपये था. इस बढ़ोतरी की मुख्य वजह नोटों की मांग में बढ़ोतरी और नई सेफ्टी विशेषताओं का लागू किया जाना बताई गई है.
क्यों बढ़ा करेंसी प्रिंटिंग का खर्च
RBI के अनुसार, करेंसी प्रिंटिंग पर खर्च बढ़ने के कई कारण हैं. सबसे प्रमुख कारण नोटों की बढ़ती मांग है. 2024-25 में नोटों की संख्या में 6 फीसदी और मूल्य में 5.6 फीसदी की बढ़ोतरी दर्ज की गई. साथ ही, मई 2023 में शुरू हुई 2000 रुपये के नोट की वापसी प्रक्रिया के तहत 98.2 फीसदी नोट बैंकिंग सिस्टम में लौट चुके हैं, जिससे नए नोट छापने की जरूरत पड़ी.
सेफ्टी फीचर्स भी खर्च बढ़ने का एक बड़ा कारण हैं. RBI अब बेहतर और उन्नत सेफ्टी फीचर्स वाले नोट छाप रहा है, जिससे लागत में बढ़ोतरी हुई है.
किस नोट का कितना योगदान
500 रुपये के नोट सबसे अधिक प्रचलन में हैं, जो कुल नोटों का 40.9 फीसदी (संख्या के हिसाब से) और 86 फीसदी (मूल्य के हिसाब से) हैं. 10 रुपये के नोट दूसरे स्थान पर हैं, जो 16.4 फीसदी (संख्या के आधार पर) हैं. कम मूल्य वाले नोट (10, 20, 50 रुपये) कुल नोटों का 31.7 फीसदी हैं.
2000 रुपये के नोटों की स्थिति
मई 2023 में जब 2000 रुपये के नोटों को वापस लिया गया, उस समय 3.56 लाख करोड़ रुपये मूल्य के नोट बाजार में प्रचलन में थे. 31 मार्च 2025 तक, इनमें से 98.2 फीसदी नोट बैंकों में जमा हो चुके हैं. अब RBI 2000 रुपये के नए नोट नहीं छाप रहा. वहीं 2024-25 में e-Rupee का प्रचलन 334 फीसदी बढ़ा है, हालांकि भारत में अब भी नकदी की मांग बनी हुई है.
नकली नोटों की स्थिति
2024-25 में बैंकिंग क्षेत्र में RBI द्वारा 4.7 फीसदी नकली नोट पकड़े गए. 200 और 500 रुपये के नकली नोटों में क्रमशः 13.9% और 37.3 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है. वहीं 10, 20, 50, 100 और 2000 रुपये के नकली नोटों में कमी दर्ज की गई है.
1 जून से बदल जाएंगे ये नियम – पहले ही जान लें वरना हो सकता है नुकसान!
29 May, 2025 09:00 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
June 2025 financial changes: इस एक जून से बहुत कुछ बदलने वाला है। जून 2025 में ईपीएफओ 3.0 के लॉन्च से लेकर क्रेडिट कार्ड और आधार कार्ड (Aadhar card) अपडेट की समयसीमा तक कई अहम वित्तीय बदलाव लागू होंगे। इन परिवर्तनों का सीधा असर आम नागरिकों की जेब और सेवाओं पर पड़ेगा। इनमें कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (EPFO) की नई EPFO 3.0 प्रणाली, प्रमुख बैंकों की क्रेडिट कार्ड ( Credit Card) नीतियों में संशोधन, आधार अपडेट की मुफ्त सुविधा की अंतिम तिथि और स्पेशल फिक्स्ड डिपॉजिट(Special Fixed Deposit ) योजनाएं शामिल हैं। ये बदलाव डिजिटल अनुभव को आसान बनाने और वित्तीय प्रणाली को अधिक पारदर्शी बनाने के उद्देश्य से किए जा रहे हैं।
पीएफ निकासी की प्रक्रिया डिजिटल होगी
विशेष बात यह है कि EPFO 3.0 के अंतर्गत पीएफ निकासी की प्रक्रिया न सिर्फ डिजिटल होगी, बल्कि एटीएम जैसी सुविधा के साथ और अधिक त्वरित एवं सरल हो जाएगी। वहीं, HDFC, Axis और Kotak Mahindra जैसे बैंकों ने अपने क्रेडिट कार्ड लाभों में नए नियम जोड़े हैं, जिनका असर करोड़ों उपभोक्ताओं पर पड़ेगा। TDS प्रमाणपत्र की तय समयसीमा और आधार अपडेट करने की आखिरी तारीख भी करीब है।
आपके वित्तीय जीवन के लिए जून 2025 बड़ा मोड़
आपके वित्तीय जीवन के लिए जून 2025 बड़ा मोड़ साबित हो सकता है। क्यों कि EPFO की नई 3.0 प्रणाली जहां PF निकासी आसान बनाएगी, वहीं एचडीएफसी, एक्सिस और कोटक जैसे दिग्गज बैंकों ने अपने क्रेडिट कार्ड नियमों में बड़ा बदलाव किया है। इसके अलावा TDS सर्टिफिकेट से लेकर आधार अपडेट तक और IDBI की स्पेशल FD स्कीम तक, हर बदलाव आपको सीधे प्रभावित करेगा। अब अगर आपने अपडेट नहीं किया, तो भारी नुकसान हो सकता है !
EPFO 3.0 से PF निकालना और KYC अपडेट कराना कई गुना आसान
जानकारी के अनुससर EPFO की नई प्रणाली 1 जून से लॉन्च होने जा रही है। अब PF निकालना और KYC अपडेट कराना पहले से कई गुना आसान होगा। इसके अलावा जल्द ही एटीएम जैसे कार्ड के जरिए PF का एक्सेस भी मुमकिन हो सकता है।
क्रेडिट कार्ड यूजर्स ध्यान दें–ये नियम बदल गए हैं !
HDFC बैंक: अब लाउंज एक्सेस तभी मिलेगा जब आप तिमाही खर्च की शर्तें पूरी करेंगे।
Axis Bank: रिवॉर्ड पॉइंट्स अब खर्च की कैटेगरी के हिसाब से मिलेंगे।
Kotak Mahindra: वॉलेट टॉप-अप, ऑनलाइन गेमिंग और यूटिलिटी बिल्स पर नए चार्ज लागू होंगे।
जरूरी डेडलाइन याद रखें
TDS सर्टिफिकेट (Form 16): 15 जून तक अपने एम्प्लॉयर या बैंक से प्राप्त कर लें।
आधार अपडेट: 14 जून तक मायआधार पोर्टल पर निःशुल्क अपडेट का मौका।
IDBI Special FD: आकर्षक ब्याज दरों वाली FD में निवेश की आखिरी तारीख 30 जून।
ईपीएफओ 3.0 रोल-आउट : ATM जैसे कार्ड पेश किए जाने की संभावना
कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (EPFO) जून 2025 में अपनी उन्नत EPFO 3.0 प्रणाली शुरू करने के लिए तैयार है। उन्नत प्रणाली का उद्देश्य भविष्य निधि (PF) निकासी को सरल बनाना, KYC अपडेट में तेज़ी लाना और दावा प्रसंस्करण समय को कम करना है। EPFO 3.0 में EPF फंड तक तेज़ और अधिक सुविधाजनक पहुँच के लिए ATM जैसे कार्ड पेश किए जाने की संभावना है।
एचडीएफसी बैंक ने लाउंज एक्सेस नीति में संशोधन किया
बाजार पूंजीकरण के लिहाज से देश के सबसे बड़े निजी बैंक एचडीएफसी बैंक ने हाल ही में टाटा न्यू इनफिनिटी और टाटा न्यू प्लस क्रेडिट कार्डधारकों के लिए अपनी लाउंज एक्सेस पॉलिसी में बदलाव की घोषणा की है, जो 10 जून, 2025 से प्रभावी होगी। नई पॉलिसी के तहत, कार्डधारक अब सीधे अपने कार्ड स्वाइप करके घरेलू लाउंज तक नहीं पहुंच पाएंगे; इसके बजाय, तिमाही खर्च के आधार पर लाउंज वाउचर जारी किए जाएंगे। इस बदलाव का उद्देश्य लाभों को सुव्यवस्थित करना और कार्ड के अधिक उपयोग को प्रोत्साहित करना है।
एक्सिस बैंक रिवार्ड्स क्रेडिट कार्ड अपडेट
20 जून, 2025 से एक्सिस बैंक अपने रिवार्ड्स क्रेडिट कार्ड के लिए नियम और शर्तें अपडेट करेगा। रिवॉर्ड पॉइंट और खर्च-आधारित शुल्क छूट की गणना अब पारंपरिक 4-अंकीय मर्चेंट कोड के बजाय खर्च श्रेणियों (जैसे किराया, वॉलेट और ईंधन) पर आधारित होगी, जिससे उपयोगकर्ताओं के लिए पात्र लेनदेन को समझना आसान हो जाएगा।
कोटक महिंद्रा बैंक ने क्रेडिट कार्ड शुल्क में संशोधन किया
कोटक महिंद्रा बैंक ने अपने क्रेडिट कार्ड शुल्क ढांचे में कई अपडेट की घोषणा की है, जो 1 जून, 2025 से प्रभावी होंगे। संशोधित शुल्कों में स्थायी अनुदेश विफलताओं, गतिशील मुद्रा रूपांतरण, उपयोगिता बिल भुगतान, शिक्षा से संबंधित लेनदेन, वॉलेट टॉप-अप, ऑनलाइन कौशल-आधारित गेमिंग और ईंधन व्यय के लिए नए या समायोजित शुल्क शामिल हैं। बैंक ने न्यूनतम देय राशि (MAD) की गणना के लिए एक नई विधि भी शुरू की है।
टीडीएस प्रमाण-पत्र की आखिरी तारीख
आयकर नियमों के अनुसार, करदाताओं को फॉर्म 16 और फॉर्म 16ए सहित अपने टीडीएस प्रमाणपत्र 15 जून 2025 तक प्राप्त हो जाने चाहिए। ये फॉर्म सटीक कर दाखिल करने और समाधान के लिए आवश्यक हैं।
आधार निशुल्क अपडेट की समय सीमा
यूआईडीएआई ने आधार विवरण को निःशुल्क अपडेट करने की समयसीमा को 14 जून, 2025 तक बढ़ा दिया है, जो पिछली समय सीमा 14 दिसंबर, 2024 से बढ़ा है। इस तिथि के बाद, आधार केंद्रों पर ऑफ़लाइन अपडेट करने पर शुल्क लगेगा। निःशुल्क अपडेट सेवा केवल मायआधार पोर्टल के माध्यम से उपलब्ध है।
आईडीबीआई की विशेष एफडी की समयसीमा
आईडीबीआई बैंक देश के उन बैंकों में से एक है जो फिक्स्ड डिपॉजिट पर आकर्षक ब्याज दरें प्रदान करता है। 444 दिन की अवधि वाली एफडी पर, आईडीबीआई सामान्य ग्राहकों के लिए 7.25%, वरिष्ठ नागरिकों के लिए 7.75% और सुपर वरिष्ठ नागरिकों (आईडीबीआई चिरंजीव एफडी के तहत) के लिए 7.9% ब्याज दर प्रदान करता है। सामान्य ग्राहकों के लिए 555 दिन की अवधि वाली एफडी पर ब्याज दर 7.30%, वरिष्ठ नागरिकों के लिए 7.80% और सुपर वरिष्ठ नागरिकों के लिए 7.95% निर्धारित की गई है। 700 दिन की अवधि पर, सामान्य ग्राहकों के लिए ब्याज दर 7%, वरिष्ठ नागरिकों के लिए 7.50% और सुपर वरिष्ठ नागरिकों के लिए 7.65% है। हालांकि, आईडीबीआई विशेष एफडी में निवेश करने की समय सीमा 30 जून, 2025 है।
कदम दर कदम सुलगते सवाल
क्या EPFO 3.0 में PF कार्ड की सुविधा सचमुच लागू होगी?
नए बैंक नियमों से ग्राहकों को कितना फायदा या नुकसान होगा?
आधार अपडेट प्रक्रिया में कितनी पारदर्शिता बनी रहेगी?
इन सवालों पर आने वाले दिनों में और स्पष्टता आने की उम्मीद है।
सुरक्षित निवेश विकल्प की तलाश में
बैंकों की ओर से क्रेडिट कार्ड के लाभ सीमित करना उन ग्राहकों को प्रभावित कर सकता है जो अक्सर यात्रा करते हैं और लाउंज सेवाओं या रिवॉर्ड प्वाइंट्स का लाभ लेते हैं। दूसरी ओर, IDBI की विशेष FD योजनाएं ऐसे वरिष्ठ नागरिकों के लिए आकर्षण बन सकती हैं जो सुरक्षित निवेश विकल्प की तलाश में हैं।
फाइनेंशियल वॉर्निंग अलर्ट करार दिया है
बहरहाल इन बदलावों पर युवाओं और वर्किंग क्लास का मिला-जुला रिएक्शन सामने आया है। EPFO 3.0 को डिजिटल इंडिया की दिशा में बड़ा कदम बताया जा रहा है, जबकि क्रेडिट कार्ड के नियमों में बदलाव को लेकर कुछ ग्राहकों ने चिंता जताई है कि लाभों में कटौती हो सकती है। सोशल मीडिया पर कई यूजर्स ने इसे “फाइनेंशियल वॉर्निंग अलर्ट” करार दिया है।
सोशल मीडिया पर सट्टा विज्ञापन का 'खतरनाक खेल': क्या इन्फ्लुएंसर्स की लापरवाही युवाओं को भटका रही है?
29 May, 2025 03:42 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
देश में ऐसे विज्ञापनों की संख्या में बड़ा इजाफा हुआ है जो भारतीय कानूनों के तहत बैन किए गए हैं. विज्ञापन मानक परिषद (ASCI) की सालाना रिपोर्ट के अनुसार, 2024-25 में ऐसे 3,347 विज्ञापनों की पहचान की गई है, जो पिछले वर्ष के मुकाबले 23.6% अधिक है. 2023-24 में यह संख्या 2,707 थी.
इन 3,347 में से 3,081 विज्ञापन विदेशी और अवैध ऑनलाइन सट्टा प्लेटफॉर्म से जुड़े थे.
इनमें से 318 विज्ञापन तो ऐसे थे जहां सोशल मीडिया इनफ्लुएंसर्स ने इन प्लेटफॉर्म्स का प्रचार किया है.
233 विज्ञापन ऐसे पाए गए जो ‘ड्रग्स एंड मैजिक रेमेडीज एक्ट’ का संभावित उल्लंघन कर रहे थे.
21 विज्ञापन शराब ब्रांड्स से जुड़े थे
12 विज्ञापन ऐसे अनधिकृत फॉरेक्स ट्रेडिंग ऐप्स के थे जिन पर रिजर्व बैंक ने रोक लगा रखी है
ASCI ने की कार्रवाई
ASCI ने इन सभी विज्ञापनों को संबंधित रेगुलेटरी संस्थाओं को सौंप दिया है ताकि इन पर उचित कार्रवाई की जा सके. रिपोर्ट में बताया गया है कि 2024-25 के दौरान ग्राहकों ने जिन विज्ञापनों को रिपोर्ट किया था उसमें सबसे अधिक मामले दो क्षेत्रों से जुड़े थे – विदेशी सट्टा और रियल एस्टेट. इन दोनों क्षेत्रों से जुड़े विज्ञापन कुल शिकायतों में 83% तक पहुंच गए हैं.
ASCI को कुल 9,599 शिकायतें मिली, जिनमें से 7,199 विज्ञापनों की जांच की गई. चौंकाने वाली बात यह रही कि इनमें से 98% विज्ञापनों में किसी न किसी तरह का संशोधन जरूरी पाया गया.
विदेशी सट्टा क्षेत्र अकेले 43% मामलों के लिए जिम्मेदार रहा जबकि रियल एस्टेट सेक्टर ने 24.9% मामलों में नियमों का उल्लंघन किया.
अन्य क्षेत्रों का प्रदर्शन कैसा रहा?
रियल एस्टेट के बाद पर्सनल केयर से जुड़े विज्ञापनों में 5.7%, हेल्थकेयर में 5.23%, और फूड एवं बेवरेज सेक्टर में 4.69% शिकायतें हुई हैं. सोशल मीडिया इनफ्लुएंसर्स से जुड़े नियम उल्लंघन भी 14% विज्ञापनों में सामने आए.
ASCI की रिपोर्ट में 1,015 इनफ्लुएंसर विज्ञापनों में से सबसे ज्यादा – 31.4% अवैध सट्टा प्रचार से जुड़े थे. इसके बाद फैशन और लाइफस्टाइल से जुड़े विज्ञापन 16.2% के साथ दूसरे स्थान पर रहे.
बटन से लेकर कंघी तक... भारतीय बाजार में चीन की पैठ, देश में उत्पादन बढ़ाने की क्यों है बड़ी ज़रूरत?
29 May, 2025 03:12 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
स्वदेशी खरीदें का नारा कोई आज का नारा नहीं है. अगर इस नारे को देश का हर एक व्यक्ति अपना लें तो भारत की तरक्की में और तेजी आ जाएगी. देश के लोग कई ऐसा विदेशी सामान खरीदते हैं जो आसानी से भारत में बनाया जा सकता है लेकिन फिर भी हम उन छोटे-मोटे सामानों के लिए विदेशों खासकर चीन पर निर्भर हैं. इस चक्कर में चीन के साथ हमारा व्यापार घाटा 8 लाख करोड़ हो गया है. चलिए जानते हैं हम कौन सा सामान करोड़ों खर्च कर मंगाते हैं जो हम स्वदेशी भी खरीद सकते हैं या यहां भी उसे बना सकते हैं.
एक रिपोर्ट में ग्लोबल ट्रेड रिसर्च इनीशिएटिव के फाउंडर अजय श्रीवास्तव ने लिखा कि:
साल 2023-24 में भारत ने चीन से लगभग 7,521 सामान को इंपोर्ट किया.
इनमें 54,278 करोड़ रुपये का सामान प्लास्टिक और रबर से बना हुआ था.
टैक्सटाइल्स 42,305 करोड़, पेपर गुड्स 7,411 करोड़, लकड़ी के प्रोडक्ट 2205 करोड़ और स्टोन एंड ग्लास के 18,769 करोड़ के थे.
इंपोर्ट की गई चीजों में बटन, पेन, लाइटर, कंघी जैसी कई छोटी–मोटी चीजें हैं
हजारों करोड़ का इंपोर्टेड सामान
रिपोर्ट के अनुसार, हम नीचे दी गई चीजों को इंपोर्ट करने के लिए हजारों करोड़ खर्च कर देते हैं जो सामान हमारे देश में भी बन सकता है:
सामान
करोड़ रुपये
बटन
352.45
पेन
575.16
पेंसिल–क्रेयॉन
152.35
चॉकबोर्ड
141.18
लाइटर
355.54
कंघी
769.69
खुशबू स्प्रे
277.90
अन्य खिलौने
667.06
टिश्यू
11.60
क्राफ्ट पेपर
40.56
वेजिटेबल पाचमेंट
205.52
वॉलपेपर
158.20
टॉयलेट पेपर
415.74
कागज के डिब्बे
303.22
नोटबुक
211.87
ब्रोशर
73.22
चित्रकारी किताबें
21.30
आंकड़े साल 2023 के
हालांकि ये सारा सामान चीन में बड़े स्तर पर पहले से ही बनता आ रहा है जो भारत में सस्ते दामों पर बिकता है. भारत के ग्राहक काफी प्राइस सेंसिटिव हैं जो कम कीमत वाले सामान को खरीदने में वरीयता देते हैं. अब ये सारा सामान भारत में तो बनता ही है लेकिन सस्ता और बड़े पैमाने पर नहीं. वहीं चीन में इसे बड़े पैमाने पर बनाया जाता है तो वह सस्ता बिकता है. इसके अलावा भारत का हर चीनी सामान के इंपोर्ट को बैन करना भी संभव नहीं है.
पीएम मोदी ने भी की अपील
हाल में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लोगों से अपील करते हुए विदेशी सामानों पर निर्भरता खत्म करने की अपील की है. उन्होंने कहा हमें गांव-गांव व्यापारियों को शपथ दिलवानी होगी कि विदेशी सामानों से कितना भी मुनाफा क्यों न हो, कोई भी विदेश चीज नहीं बेचेंगे. उन्होंने कहा कि आज छोटी आंखों वाले गणेश जी भी विदेश से आ जाते हैं, होली पर रंग और पिचकारी तक विदेशों से आ रहे हैं. सीधे तौर पर यहां पीएम मोदी का इशारा चीन की तरफ था.
निराधार निकले पूर्व सेबी प्रमुख माधबी बुच पर लगे आरोप, लोकपाल ने जांच बंद करने का आदेश दिया
29 May, 2025 02:36 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
भारतीय शेयर बाजार के नियामक निकाय सेबी की पूर्व प्रमुख माधबी पुरी बुच को बड़ी राहत मिली है. एंटी-करप्शन लोकपाल ने उनके खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोपों से जुड़ी शिकायतों का निपटारा कर दिया है. लोकपाल ने उनके खिलाफ मिली शिकायतों का निस्तारण करते हुए किया है कि शिकायतें किसी ठोस सबूत के बजाय पूर्वाग्रह और अटकलों पर आधारित हैं. इसके साथ ही लोकपाल ने कहा कि चुंकि बुच के खिलाफ लगाए गए आरोपों में किसी तरह का दम नहीं है, ऐसे में उनके खिलाफ आगे कोई जांच किए जाने का भी औचित्य नहीं है.
लोकपाल ने क्या कहा?
लोकपाल ने अपने आदेश में कहा, हम इस निष्कर्ष पर पहुंचे हैं कि शिकायत में लगाए गए आरोप कयासों और पूर्वानुमानों पर आधारित हैं. आरोपों के पक्ष में कोई सत्यापन योग्य सामग्री नहीं हैं. लिहाजा, प्रिवेंशन ऑफ करप्शन एक्ट 1988 के भाग तीन के तहत वर्णित अपराधों का कोई मामला नहीं बनता है, जिनकी जांच के लिए निर्देश दिया जाए. ऐसे में इन शिकायतों का निपटारा किया जाता है. इसके साथ ही आदेश में कहा गया है कि शिकायतकर्ताओं ने आरोपों को स्पष्ट करने का प्रयास किया, लेकिन आरोपों के विश्लेषण से यह निष्कर्ष निकलाता है कि वे अपुष्ट, अप्रमाणित और तुच्छ हैं. इसके साथ ही आदेश में आगे कहा गया है कि चूंकि यह एक लोक सेवक के खिलाफ कथित भ्रष्टाचार का मामला है, लिहाजा, हमें संबंधित लोक सेवक की दलील पर सावधानी और सतर्कता से विचार करना होगा.
बुच के खिलाफ लगे ये पांच बड़े आरोप
लोकपाल ने बुच के खिलाफ लगाए गए तमाम आरोपों का विश्लेषण किया. इनमें पांच सबसे बड़े आरोपों में से एक आरोप यह था कि बुच और उनके पति धवल बुच ने एक ऐसे फंड में बड़ा निवेश किया, जिसका संबंध अडानी समूह से है. इसके अलावा महिंद्रा एंड महिंद्रा, ब्लैकस्टोन को कंसल्टेंसी के नाम पर फायदा पहुंचाना और Wockhardt से कंसल्टेंसी के बदले रेंटल इनकम लेने का आरोप लगाया गया. इसके अलावा 2017 से 2024 के बीच पांच वर्ष की अवधि में आईसीआईसीआई बैंक के ईएसओपी को बेचकर अनुचित लाभ कमाने का आरोप लगाया गया. लोकपाल ने 116 पन्ने के अपने आदेश में इन सभी आरोपों को बेबुनियाद पाया.
विनिर्माण और खनन क्षेत्र ने तोड़ी कमर, IIP अप्रैल में 2.7% की कमजोर ग्रोथ के साथ
29 May, 2025 08:42 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
भारत का औद्योगिक उत्पादन अप्रैल 2025 में 2.7 फीसदी रहा है. इससे पहले मार्च 2025 में यह 3.9 फीसदी रहा था. देश के औद्योगिक उत्पादन को मापने के लिए IIP यानी इंडेक्स ऑफ इंडस्ट्रियल प्रोडक्शन का इस्तेमाल किया जाता है. इस इंडेक्स में माइनिंग, मैन्युफैक्चरिंग, इलेक्ट्रिसिटी और अन्य उद्योगों का उत्पादन शामिल होता है. औद्योगिक उत्पादन के घटने या बढ़ने का देश की जीडीपी पर सीधा असर पड़ता है.
MoSPI यानी सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय ने बुधवार 28 मई, 2025 को IIP का डाटा जारी किया. इस डाटा के मुताबिक अप्रैल में औद्योगिक उत्पादन की ग्रोथ 2.7 फीसदी की दर से हुई है. पिछले वर्ष अप्रैल में IIP ग्रोथ 5.2 फीसदी रही. वहीं, पिछले महीने मार्च में यह 3.9 फीसदी रही. पिछले एक वर्ष में अगस्त 2024 को छोड़कर अप्रैल 2025 में IIP ग्रोथ सबसे कम रही है. MoSPI के मुताबिक अप्रैल 2024 में आईआईपी का अनुमान 148.0 के मुकाबले 152.0 रहा है. अप्रैल 2025 के महीने के लिए खनन, विनिर्माण और बिजली क्षेत्रों के लिए औद्योगिक उत्पादन क्रमशः 130.6, 149.5 और 214.4 रहा.
मैन्युफैक्चरिंग गतिविधियां बढ़ीं
IIP में सबसे ज्यादा भार रखने वाले मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में 3.4 फीसदी की ग्रोथ हुई. पिछले महीने यानी मार्च में मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर की ग्रोथ 1.1 फीसदी रही थी. इस तरह IIP में सबसे ज्यादा वेटेज रखने वाली इंडस्ट्री में पिछले महीने की तुलना में अच्छी ग्रोथ के बाद भी ओवरऑल इंडेक्स की ग्रोथ धीमी रही है. इसकी वजह इलेक्ट्रिसिटी प्रोडक्शन में भारी कमी है. मार्च में बिजली उत्पादन 6.3 फीसदी रहा था, जो अप्रैल में घटकर 1.1 फीसदी रह गया. इसके अलावा माइनिंग प्रोडक्शन मार्च के 0.4 फीसदी से घटकर 0.2 फीसदी रह गया है.
कंज्यूमर ड्यूरेबल्स का प्रोडक्शन बढ़ा
अप्रैल 2025 में कार और फोन जैसी कंज्यूमर ड्यूरेबल वस्तुओं का उत्पादन 6.4 फीसदी बढ़ा. इसके विपरीत खाद्य उत्पादों और प्रसाधन सामग्री जैसे के उत्पादन में 1.7 फीसदी की गिरावट आई है, जो आवश्यक वस्तुओं में कम खपत को दर्शाता है. IIP में अप्रैल 2025 के लिए शीर्ष तीन सकारात्मक योगदानकर्ताओं में 4.9% के साथ बेस मेटल प्रोडक्शन, मोटर वाहनों, ट्रेलरों और सेमी ट्रेलरों उत्पादन 15.4% और मशीनरी व उपकरण का प्रोडकशन 17.0% के साथ शामिल हैं.
क्या खत्म हो जाएंगे ATM? कम होते इस्तेमाल से बैंकों की बढ़ी चिंता, रखरखाव बना चुनौती
29 May, 2025 07:50 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
देश में ATM की संख्या लगातार घट रही है पिछले एक साल के दौरान ही देश में 2 हजार ATM कम हो चुके हैं. ऐसा नहीं है कि ATM हटाए जा रहे हैं या बैंक नए ATM नहीं लगा रहे, बल्कि इसकी वजह बेहद दिलचस्प है दरअसल अब लोगों को ATM से पैसे निकालने की जरूरत ही नहीं पड़ती है. लोगों का व्यवहार ATM को लेकर लगातार बदल रहा है और अगर ऐसा ही रहा तो एक दिन ऐसा आ सकता है जब आपको कहीं भी ATM नहीं दिखेंगे.
आज के समय में लोग तेजी से डिजिटल पेमेंट की तरफ रुख कर रहे हैं, इससे उन्हें जेब कैश रखने की जरूरत नहीं पड़ती है. देश में तेजी से यूपीआई के जरिए डिजिटल लेन देन का चलन बढ़ा है. गांव से लेकर शहर तक और सब्जी की दुकान से लेकर मॉल की शॉप तक पर QR कोड आपको नजर आ जाएगा. इसकी वजह से ही लोगों ने कैश रखना कम कर दिया है. इसलिए लोग अब पैसे निकालने के लिए एटीएम नहीं जा रहे हैं, क्योंकि उनके लेन-देन का काम अब ऑनलाइन हो जा रहा है.
BSNL ने लगातार दूसरी लाभदायक तिमाही में ₹280 करोड़ का शुद्ध लाभ दर्ज किया
29 May, 2025 07:23 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
बीमारू सरकारी कंपनियों की कतार में सबसे आगे रहने वाली टेलीकॉम कंपनी BSNL ने 17 साल का रिकॉर्ड तोड़ दिया है. केंद्रीय दूरसंचार मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने इसकी जानकारी दी है. सिंधिया ने बताया कि 17 साल में पहली बार ऐसा हुआ है कि BSNL ने लगातार दूसरी तिमाही में प्रॉफिट रिपोर्ट किया है.
300 फीसदी बढ़ा मुनाफा
वित्त वर्ष 2024-25 की चौथी तिमाही में BSNL ने 280 करोड़ रुपये का प्रॉफिट रिपोर्ट किया है, जबकि पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि में कंपनी को 849 करोड़ रुपये का घाटा हुआ था. इस तरह सालाना आधार पर कंपनी के नेट प्रॉफिट में 303 फीसदी से ज्यादा का इजाफा हुआ है. इसके अलावा पिछली तिमाही में भी बीएसएनएल ने 262 करोड़ रुपये का प्रॉफिट रिपोर्ट किया था.
क्या बोले सिंधिया
केंद्रीय टेलीकॉम मंत्री सिंधिया ने एक्स पर एक पोस्ट में कहा, प्रॉफिट के रास्ते पर आगे बढ़ते हुए बीएसएनएल ने वित्त वर्ष 25 की जनवरी-मार्च तिमाही में 280 करोड़ रुपये का मजबूत शुद्ध लाभ दर्ज किया है, जो वित्त वर्ष 25 की तीसरी तिमाही में 261 करोड़ रुपये के बाद लगातार दूसरी तिमाही में प्रॉफिट को दर्शाता है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में बीएसएनएल का लगातार सुधार हो रहा है, जो पीएम मोदी के फॉकस्ड और सुधार आधारित नेतृत्व को दर्शाता है.
मुनाफे में बना रहना संभव
अपने फ्यूचर आउटलुक पर BSNL का कहना है कि ऑपरेशनल कॉस्ट में लगातार गिरावट के साथ-साथ मजबूत टॉप-लाइन रेवेन्यू ग्रोथ जारी रखना कंपनी की प्राथमिकता है, ताकि प्रॉफिटेबिलिटी बनी रहे. हालांकि, आने वाले दिनों में स्पेक्ट्रम अधिग्रहण और भारी पूंजीगत व्यय की वजह से आने वाली कुछ तिमाही के नतीजे प्रभावित हो सकते हैं. हालांकि, मीडियम और लॉन्ग टर्म में बीएसएनएल के प्रॉफिटेबल बने रहने की मजबूत संभावनाएं हैं. कंपनी के सीमएडी रॉबर्ट जे रवि का कहना है कि कंपनी के वित्तीय प्रदर्शन में सुधार पेशेवर प्रबंधन, सरकारी समर्थन और शीर्ष और निचले स्तर पर बीएसएनएल को पुनर्जीवित करने के प्रयासों का नतीजा है.
5जी नेटवर्क के विस्तार पर जोर
रॉबर्ट जे रवि का कहना है कि आगे के लिए कंपनी का जोर अपने 4जी और 5जी नेटवर्क को बढ़ाने पर है. नेटवर्क के विस्तार के लिए कंपनी भारतीय उपकरणों का इस्तेमाल करने पर जोर दे रही है.
अमीर भारतीयों का बदलता पोर्टफोलियो: रियल एस्टेट और प्राइवेट इक्विटी में बढ़ रहा निवेश
28 May, 2025 04:12 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
भारत के सबसे अमीर लोग अब पारंपरिक निवेश ऑप्शन जैसे शेयर बाजार और म्यूचुअल फंड से हटकर नई और अधिक सेफ परिसंपत्तियों की ओर रुख कर रहे हैं. रिपोर्ट के मुताबिक, अमीर भारतीय कम जोखिम वाले रियल एस्टेट में निवेश कर अपनी संपत्ति बढ़ा रहे हैं. जिसका शेयर बाज़ार या स्टार्टअप से कोई लेना-देना नहीं है. रियल एस्टेट 7 से 10 साल में 5 करोड़ रुपए को 12-14 करोड़ रुपए में बदल सकता है.
मुंबई में कारमाइकल रोड से लेकर नई दिल्ली के लुटियंस बंगला जोन में, रियल एस्टेट मार्केट में पिछले तीन साल में 25,000 करोड़ रुपए से अधिक की डील हुई हैं. रियल्टी डेटा एनालिटिक्स फर्म Zapkey.com के आंकड़ों के अनुसार, ये पिछले साल की तुलना में लगभग 90% अधिक है.
अब कहां पैसा लगा रहे हैं देश के सबसे अमीर लोग?
मुंबई, नई दिल्ली और बेंगलुरु जैसे शहरों में प्रमोटरों और पारिवारिक ट्रस्टों द्वारा उच्च वैल्यू वाले खरीद में ये उछाल बदलाव को दिखाता है. ये परिवार उन्हें रणनीतिक, दीर्घकालिक निवेश के रूप में देखते हैं जो पीढ़ियों तक पैसों की सुरक्षा के लिए डिज़ाइन किए गए हैं. डेलोइट इंडिया के पार्टनर विवेक गुप्ता ने कहा, ये आइडिया बड़े शहरों में विकसित होने के तरीके के अनुरूप है. अब भारत में इसे तेजी से देखा जा रहा है – बड़े व्यावसायिक ग्रुप ऐसी संपत्तियों को लॉक करना चाहते हैं जो वैल्यूएबल और रेयर हो ताकि वो पीढ़ियों तक विरासत बन सकें.
संपत्ति लाइफस्टाइल का हिस्सा नहीं निवेश का जरिया
वेदांता ग्रुप, बजाज ग्रुप, गोदरेज, इन्फोसिस, राधाकिशन दमानी, उदय कोटक, जीवीके, वेलस्पन, पॉलीकैब, पार्ले प्रोडक्ट्स और डिविस लैबोरेटरीज उन बड़े व्यापारिक ग्रुप और परिवारों में शामिल हैं, जिन्होंने प्रमुख शहरों में बंगले, लक्जरी अपार्टमेंट और जमीन खरीदे हैं.
जादा अमीर फैमली के लिए, हाई कीमत वाली संपत्तियां केवल लाइफस्टाइल का हिस्सा नहीं है बल्कि उनके लिए वो एक निवेश का ऑप्शन है जो पीढ़ियों तक उनके पैसों को संभाल कर रख सकती है. रिपोर्ट के मुताबिक, इसपर एक परिवार का मानना है कि रियल एस्टेट निवेश के बेहतर अवसर प्रदान करता है. वहीं प्राइम रियल एस्टेट सोने से बेहतर है, और हमें उम्मीद है कि यह हालिया रुझान और मजबूत होता जाएगा.
उत्तर प्रदेश के लिए बड़ी उपलब्धि: मुंबई में निवेशकों से ₹69,000 करोड़ का निवेश, नोएडा को भारी लाभ
28 May, 2025 04:01 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
देश के सबसे बड़े आबादी और पॉलिटिकल सेंट्रिक स्टेट उत्तर प्रदेश ने करीब 1400 किलोमीटर दूर महाराष्ट्र में झंडे गाड़ दिए हैं. उत्तरप्रदेश ने महाराष्ट्र के मुंबई में पहुंचकर करीब 69 हजार कारोड़ रुपए का जैकपॉट हासिल किया है. जिसमें से 41 फीसदी से ज्यादा पैसा नोएडा ने हासिल किया है. इस रकम से नोएडा में सेमीकंडक्टर का एक बड़ा मैन्युफैक्चरिंग हब तैयार होगा. आइए आपको भी बताते हैं कि आखिर उत्तर प्रदेश ने महाराष्ट्र के मुंबई में पहुंचकर किस तरह से 69 हजार करोड़ रुपए का निवेश हासिल किया है.
69 हजार करोड़ रुपए का जैकपॉट
ने नोएडा में की की घोषणा की है. 27 मई को मुंबई के जियो वर्ल्ड कन्वेंशन सेंटर में आयोजित इन्वेस्ट यूपी राउंडटेबल में करीब 69,000 करोड़ रुपए के निवेश का ऐलान किया गया. जिसमें से 28,440 करोड़ रुपए का निवेश रियल एस्टेट ग्रुप हीरानंदानी समूह की ओर से किया गया जाएगा. ग्रुप नोएडा में सेमीकंडक्टर प्रोजेक्ट का हब तैयार करेगा. अवाडा ग्रुप के उपाध्यक्ष सिंदूर मित्तल ने सोलर एनर्जी सेक्टर में 20,000 करोड़ रुपए के निवेश की घोषणा की.
जबकि अल्ट्राटेक सीमेंट के एमडी केसी झंवर ने अलीगढ़, शाहजहांपुर और टांडा में प्रोजेक्ट के लिए 1,981 करोड़ रुपए निवेश करने का वादा किया. टाटा पावर रिन्यूएबल एनर्जी के सीईओ संजय बंगा ने बुंदेलखंड में 13,700 करोड़ रुपए की लागत से दो 800 मेगावाट की अल्ट्रा-सुपरक्रिटिकल पावर यूनिट्स स्थापित करने की योजना की घोषणा की. सत्र की अध्यक्षता यूपी राज्य सरकार के मुख्य सचिव मनोज कुमार सिंह ने की और इसका संचालन इन्वेस्ट यूपी के सीईओ विजय किरण आनंद ने किया. उल्लेखनीय रूप से, महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस भी इस कार्यक्रम में मौजूद थे.
बनेगा देश का पॉलीलैक्टिक एसिड प्लांट
बलरामपुर चीनी मिल्स ने लखीमपुर खीरी में कुंभी चीनी मिल्स में भारत का पहला 250 टीपीडी पॉलीलैक्टिक एसिड (पीएलए) प्लांट स्थापित करने के लिए राज्य सरकार के साथ एक एमओयू पर साइन किए हैं. प्रस्तावित ग्रीन प्लांट 2,850 करोड़ रुपए के निवेश से बनाया जाएगा और इससे 225 नौकरियां पैदा होने की उम्मीद है. इन्वेस्ट यूपी ने कहा कि इस महीने इस परियोजना का संचालन शुरू होने की संभावना है. बलरामपुर चीनी ने कहा कि यह भारत का पहला औद्योगिक पैमाने का बायोपॉलिमर प्लांट होगा जो ग्रीन पॉलिमर बनाने के लिए कच्चे माल के रूप में गन्ने का उपयोग करता है और यह देश का पहला एकीकृत स्थल भी होगा जहां गन्ने को पीएलए में बदला जाता है.
इंवेस्ट यूपी ने क्या कहा…
इन्वेस्ट यूपी ने अपने एक्स पोस्ट में कहा कि उनकी मुलाकात दो प्रगतिशील राज्यों के बीच सहयोग के एक पल को चिह्नित करती है, जो आर्थिक विकास, नीति समर्थन और तकनीकी नवाचार को बढ़ावा देने पर केंद्रित हैं…. उद्योग जगत के नेताओं ने उत्तर प्रदेश के निवेशक-अनुकूल वातावरण, प्रगतिशील नीतियों और कुशल सिंगल-विंडो क्लीयरेंस की सराहना की. डेटा सेंटर और सीमेंट प्लांट से लेकर अक्षय ऊर्जा और सेमीकंडक्टर तक, कंपनियों ने सफलता की कहानियां शेयर कीं और राज्य में भविष्य के प्रमुख निवेशों की रूपरेखा तैयार की. इन्वेस्ट यूपी ने कहा कि चर्चाओं में बढ़ते उद्योग के आत्मविश्वास को दर्शाया गया और व्यापार और विकास के लिए एक अग्रणी गंतव्य के रूप में यूपी की स्थिति को मजबूत किया गया. विशेष रूप से, केंद्रीय मंत्रिमंडल ने पहले नोएडा के पास जेवर में 3,706 करोड़ रुपए की लागत से एक सेमीकंडक्टर वेफर मैन्युफैक्चरिंग प्लांट को मंजूरी दी थी. सेमीकंडक्टर प्रोडक्शन प्लांट एचसीएल-फॉक्सकॉन सेमीकंडक्टर संयुक्त उद्यम के तहत स्थापित किया जाएगा.