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वर्ल्ड का बेस्ट हॉस्पिटल कौन? टॉप 100 में AIIMS की एंट्री ने बढ़ाया भारत का मान
18 Apr, 2025 02:18 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
दिल्ली स्थित ऑल इंडिया इंस्टिट्यूट ऑफ़ मेडिकल साइंसेस (Delhi AIIMS) को ‘वर्ल्ड्स बेस्ट हॉस्पिटल्स 2025’ रिपोर्ट में दुनिया के 100 बेहतरीन अस्पतालों में जगह मिली है। न्यूज़वीक और स्टैटिस्टा की इस ग्लोबल रिपोर्ट में एम्स दिल्ली को 97वां स्थान मिला है। साल 2023 में यह संस्थान 122वें स्थान पर था, जबकि 2024 में यह 113वें स्थान पर पहुंचा था। यानी दो साल में एम्स ने 25 पायदान की छलांग लगाई है।
यह रैंकिंग दुनियाभर के 30 देशों के 2,400 से अधिक अस्पतालों के प्रदर्शन के आधार पर तैयार की गई है। इसमें मरीजों की संतुष्टि, क्लीनिकल आउटकम, स्वच्छता मानक और दुनिया भर के डॉक्टर्स की सिफारिशों को ध्यान में रखा गया है।
भारत के तीन अस्पताल शामिल टॉप-250 में
Delhi AIIMS के अलावा भारत के दो और अस्पतालों को टॉप-250 में जगह मिली है। गुरुग्राम स्थित मेदांता – द मेडिसिटी को इस सूची में 146वां स्थान मिला है, जबकि चंडीगढ़ के पोस्टग्रेजुएट इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल एजुकेशन एंड रिसर्च (PGIMER) को 228वां स्थान मिला है। पिछले साल ये दोनों अस्पताल क्रमश: 166वें और 246वें स्थान पर थे।
AIIMS की वैश्विक पहचान और उपलब्धियां
1956 में स्थापित एम्स दिल्ली को भारत का सबसे प्रतिष्ठित सरकारी अस्पताल माना जाता है। यहां पर हाई क्वालिटी वाली स्वास्थ्य सेवाएं किफायती दरों पर दी जाती हैं। इस अस्पताल का टॉप-100 में आना भारत की सार्वजनिक स्वास्थ्य व्यवस्था की मजबूती और वैश्विक स्तर पर बढ़ती पहचान को दर्शाता है।
मेदांता और PGIMER की भी सराहना
PGIMER, जो 1962 में शुरू हुआ था, को भी इस सूची में शामिल किया गया है। वहीं, मेदांता जैसे प्राइवेट अस्पताल ने भी कार्डियोलॉजी, ऑन्कोलॉजी और ट्रांसप्लांट सर्जरी जैसे क्षेत्रों में बेहतरीन प्रदर्शन के कारण अपनी जगह बनाई है।
कौन है पहले नंबर पर?
2025 की रैंकिंग में अमेरिका का मेयो क्लिनिक पहले स्थान पर है। इसके बाद क्लीवलैंड क्लिनिक (अमेरिका), टोरंटो जनरल हॉस्पिटल (कनाडा), जॉन्स हॉपकिन्स हॉस्पिटल (अमेरिका) और करोलिंस्का यूनिवर्सिटी हॉस्पिटल (स्वीडन) को शीर्ष पांच में जगह मिली है।
मेडिकल टूरिज्म में भी भारत का नाम
भारत लगातार मेडिकल टूरिज्म के क्षेत्र में आगे बढ़ रहा है। साल 2022 में भारत का यह सेक्टर करीब 9 अरब डॉलर का था और सरकार की ‘Heal in India’ पहल के तहत इसे 2026 तक 13 अरब डॉलर तक पहुंचाने का लक्ष्य है। एम्स जैसे संस्थान भारत को वैश्विक स्वास्थ्य मानचित्र पर मजबूती से स्थापित कर रहे हैं।
सेंसेक्स ने किया जबरदस्त कमबैक! गुड फ्राइडे से पहले मार्केट में धनवर्षा
17 Apr, 2025 06:03 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
टैरिफ संबंधी चिंताओं के बीच अमेरिकी शेयर बाजार में कमजोर रुख के बावजूद घरेलू शेयर बाजार गुरुवार (17 अप्रैल) को जोरदार तेजी के साथ बंद हुए। शुरुआत में लाल निशान में फिसलने के बाद कारोबार के दूसरे भाग में बाजार में शानदार रिकवरी दिखाई।
तीस शेयरों वाला बीएसई सेंसेक्स (BSE Sensex) आज गिरावट लेकर 76,968.02 अंक पर खुला। खुलते ही इसमें गिरावट और बढ़ गई। हालांकि, बाद में यह हरे निशान में लौट गया। अंत में सेंसेक्स 1508.91 अंक या 1.96% की जोरदार तेजी के साथ 78,553.20 पर बंद हुआ।
इसी तरह नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (NSE) का निफ्टी-50 (Nifty-50) भी गिरावट लेकर 23,401.85 पर ओपन हुआ। हालांकि, बैंकिंग इंडेक्स में मजबूती से यह हरे निशान में आ गया। अंत में निफ्टी 414.45 अंक या 1.77% की बढ़त लेकर 23,851.65 पर क्लोज हुआ।
शेयर बाजार में गुरुवार 17 अप्रैल को तेजी के बड़ी वजहें;
1. बाजार के जानकारों का मानना है कि पिछले कुछ महीनों में बाजार में लगातार गिरावट के चलते स्टॉक्स ओवरसोल्ड हो गए थे। लेकिन हाल के दिनों में ग्लोबल ट्रेड वॉर में संभावित नरमी की खबरों ने शॉर्ट-कवरिंग को ट्रिगर किया है।
2. पिछले दो ट्रेडिंग सेशन्स में विदेशी संस्थागत निवेशकों (FIIs) ने कैश मार्केट में जोरदार खरीदारी की है। पिछले दो दिनों में उन्होंने ₹10,000 करोड़ के शेयर खरीदे हैं। इसमें मंगलवार को कैलेंडर ईयर की तीसरी सबसे बड़ी सिंगल-डे खरीदारी भी शामिल रही।
3. अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप ने चीन से होने वाले आयात पर 245% तक का टैरिफ लगाने की धमकी दी है। यह कदम चीन द्वारा अमेरिकी सामानों पर 84% तक का टैरिफ लगाने के जवाब में आया है। दोनों देशों के बीच व्यापारिक मोर्चे पर “जवाबी कार्रवाई” चल रही है। हाल ही में ट्रंप ने कई देशों पर अतिरिक्त टैरिफ लगाने की घोषणा के बाद 90 दिनों के लिए उसे रोक दिया था। हालांकि, यह छूट चीन को नहीं दी गई थी। एनालिस्ट्स का मानना है कि अमेरिका-चीन ट्रेड वॉर का कुछ फायदा भारतीय कंपनियों को मिल सकता है।
विप्रो का शेयर 5% लुढ़का
आईटी सेक्टर की दिग्गज कंपनी विप्रो के शेयर गुरुवार को बाजार खुलते ही 5% टूट गए। कंपनी के शेयरों में यह गिरावट जनवरी-मार्च 2024-25 के नतीजे सुस्त रहने के चलते आई है। विप्रो के शेयर बीएसई पर सुबह 9:37 बजे 5.68% गिरकर 233.45 रुपये पर थे।
विप्रो का मार्च 2025 तिमाही (Q4 FY25) में मुनाफा ₹3,570 करोड़ रहा। यह पिछले वित्त वर्ष की इसी तिमाही के ₹2,835 करोड़ से 26 प्रतिशत अधिक है। ऑपरेशंस से कंपनी का रेवेन्यू ₹22,504 करोड़ रहा, जो एक साल पहले की समान अवधि के ₹22,208 करोड़ से 1 प्रतिशत अधिक है।
वैश्विक बाजारों से क्या संकेत?
वहीं, अमेरिका के शेयर बाजारों में बुधवार को भारी गिरावट दर्ज की गई, जिसका असर एशियाई बाजारों और भारत पर भी देखने को मिल सकता है। टेक शेयरों में बिकवाली के चलते अमेरिका में प्रमुख सूचकांक लाल निशान में बंद हुए। खासतौर पर एनविडिया (Nvidia) के शेयरों में तेज गिरावट रही। वहीं, अमेरिकी फेडरल रिजर्व के चेयरमैन जेरोम पॉवेल ने व्यापार टैरिफ को लेकर चिंता जताई है और कहा है कि मुद्रास्फीति पर काबू पाने के साथ-साथ आर्थिक वृद्धि को बनाए रखना चुनौतीपूर्ण हो सकता है।
अमेरिकी शेयर बाजारों में बुधवार रात को भारी गिरावट दर्ज की गई। डाउ जोन्स इंडस्ट्रियल एवरेज 1.73% गिरकर 39,669.39 पर बंद हुआ। वहीं, एसएंडपी 500 में 2.24% की गिरावट आई और यह 5,275.70 पर बंद हुआ। टेक-heavy नैस्डैक कंपोजिट 3.07% लुढ़ककर 16,307.16 पर पहुंच गया। हालांकि, गुरुवार सुबह फ्यूचर्स में हल्की रिकवरी दिखी। डाउ जोन्स फ्यूचर्स में 0.40%, एसएंडपी 500 फ्यूचर्स में 0.47% और नैस्डैक 100 फ्यूचर्स में 0.56% की तेजी देखने को मिली।
एशियाई बाजारों में मिला-जुला रुख है। जापान का निक्केई 225 इंडेक्स 0.7% चढ़ा, दक्षिण कोरिया का कोस्पी 0.45% ऊपर रहा और ऑस्ट्रेलिया का एसएंडपी/एएसएक्स 200 इंडेक्स 0.28% की बढ़त में रहा। हांगकांग का हैंग सेंग इंडेक्स 0.42% चढ़ा, जबकि चीन का सीएसआई 300 इंडेक्स 0.19% फिसला।
बुधवार को कैसी थी बाजार की चाल?
घरेलू शेयर बाजारों की 16 अप्रैल को शुरुआत कमजोर रही, लेकिन दिन के अंत में बाजार मजबूती के साथ बंद हुए। एशियाई बाजारों से मिले कमजोर संकेतों के बावजूद यह लगातार तीसरा दिन रहा जब बाजार बढ़त के साथ बंद हुआ।
बीएसई सेंसेक्स की शुरुआत 200 अंकों की बढ़त के साथ 76,996.78 पर हुई, लेकिन बाजार खुलते ही इसमें गिरावट आई और यह लाल निशान में चला गया। हालांकि, बैंकिंग शेयरों की मदद से बाजार ने वापसी की और अंत में सेंसेक्स 309.40 अंक या 0.40% चढ़कर 77,044.29 पर बंद हुआ।
निफ्टी-50 की भी शुरुआत हल्की बढ़त के साथ 23,344.10 पर हुई, लेकिन यह भी कुछ ही समय में लाल निशान में आ गया। बाद में इसमें तेजी लौटी और कारोबार के अंत में निफ्टी 108.65 अंक या 0.47% की मजबूती के साथ 23,437.20 पर बंद हुआ।
सेक्टोरल फ्रंट पर निफ्टी ऑटो, फार्मा और हेल्थकेयर को छोड़कर बाकी सभी सेक्टर्स हरे निशान में बंद हुए। सबसे ज्यादा तेजी निफ्टी पीएसयू बैंक इंडेक्स में देखी गई, जिसमें 2.37% तक की बढ़त दर्ज की गई।
अब लखनऊ से लेकर कानपुर तक, MSMEs करेंगी शेयर बाजार में धमाकेदार एंट्री
17 Apr, 2025 05:54 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
उत्तर प्रदेश की माइक्रो, स्मॉल और मीडियम इंडस्ट्रियल इकाइयों (MSMEs) कैपिटल मार्केट में एंट्री कर सकेंगी। योगी सरकार एमएसएमई सेक्टर की कंपनियों को शेयर बाजार में उतरने के लिए मदद करेगी। प्रदेश सरकार की मदद से जल्द से ही 500 एमएसएमई क्षेत्र की कंपनियां कैपिटल मार्केट बाजार में उतर सकती हैं।
प्रदेश में मौजूद 96 लाख एमएसएमई उद्यमियों को वित्तीय सहायता उपलब्ध कराने के लिए योगी सरकार ने नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) के साथ समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर साइन किए हैं। इस एमओयू के बाद एनएसई का इमर्ज प्लेटफार्म प्रदेश की छोटी इकाइयों को आईपीओ लाने में सहायता करेगा। प्रदेश सरकार की एमएसएमई नीति के तहत छोटी इकाइयों को पूजी बाजार में प्रवेश के लिए आर्थिक मदद का प्रावधान किया गया है।
5 लाख रुपये की मदद भी करेगी सरकार
नीति के तहत प्रदेश सरकार स्टॉक एक्सचेंज में सूचीबद्ध होने के लिए एमएसएमई क्षेत्र की कंपनियों का पांच लाख रूपये की धनराशि उपलब्ध कराएगी। एमएसएमई विभाग के अधिकारियों का कहना है कि बड़ी तादाद में प्रदेश की छोटी कंपनियों ने अपने विस्तार व पूंजी उगाहने के लिए आईपीओ लाने में रुचि दिखायी है। एमओयू के बाद उनके लिए पूंजी बाजार में प्रवेश की राह आसान होगी।
अधिकारियों ने बताया कि एनएसई व उत्तर प्रदेश लघु उद्योग निगम (यूपीएसआईसी) के बीच हुए इस करार के बाद प्रदेश की कंपनियों के लिए इक्विटी बाजार तक पहुंचना आसान होगा। गौरतलब है कि उत्तर प्रदेश का एमएसएमई विभाग विश्व बैंक पोषित आरएमपी कार्यक्रम के तहत प्रदेस में 500 एमएसएमई चैंपियन तैयार कर रहा है। एनएसई के साथ एमओयू के बाद सबसे पहले बड़ी तादाद में इन्हीं 500 कंपनियों में से कुछ पूंजी बाजार का दरवाजा खटखटाएंगी।
करार के बाद एनएसई न केवल प्रदेश के एमएसएमई कंपनियों को पूंजी बाजार के बारे में जागरुक करेगा बल्कि उन्हें आईपीओ लाने के बारे में सलाह भी देगा। एनएसई सरकार के सहयोग से प्रदेश भर में इक्विटी बाजार के बारे में जागरुकता शिविर, रोड शो, सेमिनार और एमएसएमई कैंपों का आयोजन करेगा।एनएसई अधिकारियों ने बताया कि ब तक इमर्ज प्लेटफार्म पर देश भर की 612 एमएसएमई कंपनियां लिस्टेड हो चुकी हैं।
गौरतलब है कि प्रदेश के विभिन्न म्यूनिसिपल कारपोरेशन भी बांड लाने की तैयारी में जुटे हुए हैं। अभी तक लखनऊ व गाजियाबाद नगर निगम म्यूनिसिपल बांड जारी कर चुके हैं। जल्द ही प्रयागराज और वाराणसी नगर निगम भी बांड लाने वाले हैं।
केडिया का कड़क बयान – मार्केट में स्मार्ट दिखने वालों से होशियार रहो!
17 Apr, 2025 05:25 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
दिग्गज निवेशक विजय केडिया ने Gensol Engineering में फंड घोटाले और गवर्नेंस में गड़बड़ी के ताज़ा खुलासे के बाद निवेशकों को चेतावनी दी है। उन्होंने कहा है कि ऐसी और कई कंपनियां हैं जो फिलहाल छिपी हुई हैं, लेकिन समय के साथ उनके भी राज़ सामने आएंगे। SEBI द्वारा जेनसोल के प्रमोटरों को सिक्योरिटीज़ मार्केट से बैन किए जाने के अगले ही दिन, केडिया ने सोशल मीडिया पर लिखा, “अभी भी कई ‘Gensol’ अलमारी में छिपे हैं, जो वक्त आने पर बाहर आएंगे।” उन्होंने किसी कंपनी का नाम नहीं लिया, लेकिन संकेत दिया कि मिड और स्मॉल कैप स्टॉक्स में खुदरा निवेशकों को सतर्क रहना चाहिए।
घोटाले की तरफ इशारा करने वाले 10 संकेत- विजय केडिया
बड़ी-बड़ी बातें करना और ज़रूरत से ज़्यादा वादे करना।
लगातार मीडिया में दिखना, सोशल मीडिया पर एक्टिव रहना और बार-बार इंटरव्यू देना।
छोटी उपलब्धियों को भी बहुत बड़ा दिखाना।
बार-बार फंड जुटाना लेकिन उसके इस्तेमाल पर स्पष्टता न होना।
ट्रेंडिंग विषयों पर बेसिर-पैर का कारोबार शुरू करना।
फैंसी शब्दों का इस्तेमाल करना जैसे- “AI”, “डिसरप्टिव”, “नेक्स्ट-जेन”, लेकिन असल में कुछ ठोस न होना।
प्रमोटरों की ज़िंदगी में दिखने वाली चमक-धमक जो कंपनी की हालत से मेल न खाए।
प्रमोटरों द्वारा शेयरों को गिरवी रखना।
CFOs, ऑडिटर्स जैसे अहम पदों से बार-बार इस्तीफ़ा।
आपस में जुड़ी कंपनियों के साथ ज़्यादा लेनदेन।
क्या है Gensol Engineering का मामला?
SEBI ने बुधवार को Gensol के प्रमोटरों अनमोल सिंह जग्गी और पुनीत सिंह जग्गी को सिक्योरिटीज़ मार्केट से बैन कर दिया। आरोप है कि उन्होंने कंपनी के फंड का गलत इस्तेमाल किया और उसे निजी खर्चों में लगा दिया। इसके साथ ही SEBI ने कंपनी द्वारा घोषित स्टॉक स्प्लिट को भी होल्ड पर डाल दिया है। सेबी की जांच में पाया गया कि कंपनी के पैसे का इस्तेमाल लक्ज़री रियल एस्टेट, जटिल फंड रूटिंग और निजी फायदे के लिए किया गया।
SEBI ने 29 पेज की इंटरिम ऑर्डर में लिखा, “प्रथम दृष्टया यह पाया गया है कि प्रमोटर-डायरेक्टर्स ने कंपनी के फंड का दुरुपयोग और डायवर्जन किया है और इसका सीधा फायदा उन्हें मिला है।” इसके अलावा, स्वतंत्र निदेशक अरुण मेनन ने भी तुरंत प्रभाव से इस्तीफा दे दिया है।
गौर करने वाली बात है कि SEBI की जांच तब शुरू हुई जब कई निवेशकों की शिकायतें आईं और साथ ही CARE और ICRA ने Gensol की जुड़ी कंपनी BluSmart Mobility की रेटिंग डाउनग्रेड की। इसका कारण समय पर कर्ज की अदायगी में देरी थी।
स्टॉक की भारी गिरावट
Gensol का शेयर लगातार 16वें दिन 5% लोअर सर्किट में बंद हुआ। दो हफ्तों में ही कंपनी की मार्केट वैल्यू 70% से ज्यादा गिर चुकी है। फरवरी 2024 में ₹1,376 के हाई पर पहुंचने के बाद, अब शेयर करीब 90% तक टूट चुका है। इस साल अब तक यह स्टॉक 84% गिर चुका है, जबकि Nifty 50 सिर्फ 1% नीचे है।
बौद्धिक नहीं, बॉट्स का जमाना! ट्रेडिंग में अब इमोशन्स का नहीं स्कोप
17 Apr, 2025 04:00 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
अगली बार जब आप शेयर खरीदें या बेचें तो हो सकता है कि आपका किसी इंसान के बजाय मशीन से राफ्ता पड़े। इसकी वजह यह है कि अब बाजारों में शेयरों की खरीद-बिक्री का बड़ा मूल्य इंसान के बजाय आधुनिक कंप्यूटर प्रणाली यानी अल्गोरिद्म के माध्यम से होने लगा है। नैशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) के मार्केट पल्स प्रकाशन के आंकड़ों के अनुसार मानव हस्तक्षेप या नॉन-अल्गोरिद्म कारोबार अब काफी कम होने लगा है। वित्त वर्ष 2011 से पहली बार अब नकदी के बाजार में अल्गोरिद्म कारोबार का बहुमत हो गया है। इस अवधि से कुछ ही समय पहले भारतीय शेयर बाजार में अल्गोरिद्म कारोबार की शुरुआत हुई थी।
वर्ष 2015 में डेरिवेटिव बाजार में एल्गोरिद्म के माध्यम से होने वाले कारोबार की हिस्सेदारी 50 प्रतिशत तक पहुंच गई थी। नकदी बाजार में वित्त वर्ष 2024 तक बिना-एल्गोरिद्म कारोबार का ही दबदबा था और शेयर कारोबार में यह एक मात्र आखिरी ऐसा खंड था जिसमें इंसानी हाथ का दबदबा था। नकदी बाजार में एल्गोरिद्म कारोबार की हिस्सेदारी वित्त वर्ष 2011 तक 17 प्रतिशत थी। फरवरी तक के आंकड़ों के अनुसार वित्त वर्ष 2025 में यह बढ़कर 53.8 प्रतिशत हो गई और इस अवधि में पहली बार 50 प्रतिशत का आंकड़ा पार कर गई।
ये आंकड़े उन कारोबारी ऑर्डरों के विश्लेषण पर आधारित हैं जिनमें 15 अंकों की पहचान संख्या होती है। इस संख्या में ऑर्डर का स्वरूप (एल्गोरिद्म है या बिना एल्गोरिद्म वाला) की जानकारी होती है। पहले जो आंकड़े उपलब्ध थे उनमें एल्गोरिद्म कारोबार की हिस्सेदारी को लेकर साफ-साफ जानकारी उपलब्ध नहीं थी।
एल्गोरिद्म कारोबार का चलन बढ़ने से खुदरा निवेशक प्रभावित हो सकते हैं क्योंकि वे स्टॉक एक्सचेंज में शॉर्ट टर्म ट्रेडिंग में मुनाफा कमाते रहे हैं। एल्गोरिद्म कारोबार से जुड़ी सेवाएं देने वाली कंपनी क्वांटएक्सप्रेस टेक्नोलॉजीज के संस्थापक और मुख्य कार्याधिकारी (सीईओ) नवीन कुमार कहते हैं, ‘कंपनियों के वित्तीय नतीजों और इसी तरह की अन्य खबरों से अल्प अवधि में मुनाफा कमाने की उम्मीद करने वाले खुदरा निवेशकों के लिए अब केवल आनन-फानन में सौदे निपटाने की कला से बात नहीं बनेगी।‘कंपनी संस्थागत निवेशकों को सेवाएं देती है और एल्गोरिद्म ट्रेडिंग के समाधान उपलब्ध कराती है। इसमें मशीन से समाचारों को देखना और उनके आधार पर कारोबार करना शामिल है।
कुमार ने कहा, ‘अब ऐसा करना संभव नहीं लग रहा है। अब खुदरा निवेशकों के लिए एक ही रास्ता बचा है और वह यह कि झटपट सौदे निपटाने के बजाय मजबूत रणनीति अपनाएं या अपनी समझ बढ़ाएं।‘
कई एल्गोरिद्म कारोबार सेवा प्रदाता कंपनियां खुदरा निवेशकों के लिए एल्गोरिद्म कारोबार की तकनीक उपलब्ध करा रही हैं। कुमार ने कहा कि इससे तकनीक तक सभी की पहुंच बढ़ने लगी है। लेकिन संस्थागत निवेशकों की खुदरा निवेशकों की तुलना में तकनीक के इस्तेमाल पर अधिक खर्च करने की क्षमता होती है।
एक खुदरा ब्रोकरेज कंपनी के वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि नकदी बाजार में कारोबार का एक बड़ा हिस्सा डिलिवरी आधारित होता है जिसका मतलब होता है कि एक ही दिन में पीजीशन बंद नहीं होती है। इसका मतलब है कि दीर्घ अवधि में मोटा मुनाफा कमाने के लिए खरीद करने वाले संस्थान और अन्य भी सबसे अच्छे भाव के लिए एल्गोरिद्म का इस्तेमाल कर रहे हैं। कारोबार अधिक होने के समय एल्गोरिद्म अनुकूल कीमतें हासिल करने के लिए ऑर्डर को छोटे-छोटे हिस्सों में बांटकर उन्हें मुकाम तक पहुंचाते हैं।
ग्रीकसॉफ्ट टेक्नोलॉजीज के हितेश हकानी के अनुसार नकदी बाजार में सक्रिय कारोबारी और मार्केट-मेकर (बाजार में तरलता उपलब्ध कराने वाले संस्थान या व्यक्ति) अधिक भाग लेते हैं। हकानी ने कहा कि ऊंचे प्रतिभूति लेनदेर कर (एसटीटी) और डेरिवेटिव नियम कड़े होने से कारोबार की मात्रा में कमी का उनके दबदबे पर असर हो सकता है।
शेयर बाजार में होने वाली गतिविधियों में एनएसई की अधिक भागीदारी है। बीएसई के एल्गोरिद्म कारोबार से जुड़े आंकड़े उपलब्ध नहीं थे मगर पहले के आंकड़े बताते हैं कि वित्त वर्ष 2024 तक बीएसई के नकदी बाजार में एल्गोरिद्म कारोबार की हिस्सेदारी कम थी। बीएसई को इस संबंध में भेजे गए ई-मेल का कोई जवाब नहीं आया।
विंजो ने देशभर में नियमों के तहत गेमिंग सेक्टर को रेगुलेट करने का आग्रह किया
17 Apr, 2025 01:24 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
गेमिंग क्षेत्र का संचालन राज्यों के अपने-अपने कानूनों और नियमों के बजाय केंद्र सरकार के नियमों से होना चाहिए। इससे कंपनियों को अंतिम उपयोगकर्ताओं के लिए नवाचार करने पर अपनी ऊर्जा लगाने में मदद मिलेगी। यह कहना है देसी गेमिंग कंपनी विंजो की सह-संस्थापक सौम्या सिंह राठौर का।
राठौर ने बताया, ‘इस क्षेत्र में देश के लिए बहुत बड़ी संभावनाएं हैं और (नियम) इतने अलग-अलग नहीं हो सकते। वर्तमान में इस तंत्र में बहुत युवा, नए, पहली पीढ़ी के उद्यमी हैं। वे जटिल नियामकीय माहौल से नहीं निपट सकते। उनका ध्यान ऐसे उत्पाद बनाने पर होना चाहिए, जो दुनिया में अव्वल हों। हम समझते हैं कि राज्य जुए को नियंत्रित करते हैं यानी कसीनो और लॉटरी जैसे किस्मत के खेल। केंद्र के पास गेमिंग के नियमन का अधिकार है, फिर भले ही इसमें शामिल कमाई का मॉडल कुछ भी हो।’
वर्तमान में केंद्र सरकार के नियम न होने से कई राज्यों में इस क्षेत्र के लिए अपने खुद के नियम हैं। हालांकि सरकार ने साल 2023 में ऑनलाइन गेमिंग के लिए व्यापक नियामकीय ढांचा लाने के वास्ते साल 2021 के सूचना प्रौद्योगिकी नियमों में संशोधन किया था। लेकिन प्रस्तावित नियम कभी लागू नहीं किए गए।
इससे अगले दो वर्षों में तमिलनाडु सहित कई राज्यों ने ऑनलाइन पोकर और रम्मी जैसे खेलों पर प्रतिबंध लगा दिया। इस साल फरवरी में तमिलनाडु ऑनलाइन गेमिंग अथॉरिटी (टीएनओजीए) ऑनलाइन रियल-मनी गेम के लिए नियम लेकर आई, जिनमें आधी रात से सुबह पांच बजे के बीच डार्क ऑवर लागू करना शामिल था।
अपने आदेश में टीएनओजीए ने कहा कि 18 वर्ष से कम आयु वाले उपयोगकर्ताओं को ऑनलाइन रियल-मनी गेम खेलने से रोक दिया जाएगा। इसके अलावा गेमिंग प्लेटफॉर्म पर पंजीकरण के समय सभी खिलाड़ियों के लिए अपने ग्राहक को जानें (केवाईसी) सत्यापन अनिवार्य कर दिया गया है।
प्राधिकरण ने यह भी अनिवार्य किया कि अगर कोई खिलाड़ी एक घंटे से ज्यादा वक्त तक गेम खेलता है, तो ऑनलाइन गेमिंग प्लेटफॉर्म सावधानी वाले पॉप-अप संदेश दिखाएगा और ऐसे पॉप-अप संदेश उपयोगकर्ता को हर 30 मिनट में दिखाए जाएंगे।
राठौर ने कहा कि इस तरह के अलग-अलग नियम मुख्य रूप से गेमिंग और जुए के बीच घालमेल के कारण हैं। उन्होंने कहा कि हालांकि सभी राज्यों के पास जुए पर प्रतिबंध लगाने या अनुमति देने के अपने-अपने कारण हैं, लेकिन राज्यों के अलग-अलग नियमों से बचने के लिए ऑनलाइन गेमिंग को जुए से अलग समझने की आवश्यकता है।
QR कोड की खोज कब और क्यों हुई? इसका नाम क्यों है 'Quick Response'?
17 Apr, 2025 11:05 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
आज हम मोबाइल से सिर्फ एक स्कैन में पेमेंट कर लेते हैं या किसी डॉक्यूमेंट को ऑनलाइन वेरिफाई कर लेते हैं। यह सब मुमकिन हो पाया है QR कोड की मदद से। लेकिन क्या आप जानते हैं कि इस टेक्नोलॉजी का अविष्कार आज से 31 साल पहले हो गया था? आइए, जानते हैं QR कोड के बनाने के पीछे किसका दिमाग था…
किसने बनाया QR कोड?
QR कोड यानी क्विक रिस्पॉन्स कोड को 1994 में जापान के इंजीनियर मसाहिरो हारा ने बनाया था। वह जापान की होसेई यूनिवर्सिटी से पढ़े हुए हैं और उस समय Denso Wave नाम की कंपनी में काम कर रहे थे। यह कंपनी टोयोटा ग्रुप की एक इकाई है।
गो गेम से आया आइडिया
मसाहिरो हारा को QR कोड बनाने का आइडिया एक पारंपरिक जापानी बोर्ड गेम ‘गो गेम’ खेलते समय आया। इस खेल में 19×19 के ग्रिड पर काले और सफेद पत्थरों से चालें चली जाती हैं। उन्होंने सोचा कि अगर इस तरह के ग्रिड में पत्थर रखकर एक गेम खेला जा सकता है, तो इसी तरह एक ग्रिड में बहुत सारी जानकारी भी स्टोर की जा सकती है, जिसे अलग-अलग एंगल से भी पढ़ा जा सके।
इसके बाद मसाहिरो ने अपनी टीम के साथ मिलकर QR कोड की शुरुआत की। सबसे पहले इसका उपयोग गाड़ियों के पार्ट्स की पहचान के लिए किया गया। QR कोड में लोकेशन, पहचान और वेब ट्रैकिंग से जुड़ा डेटा रखा जा सकता था।
धीरे-धीरे QR कोड का इस्तेमाल बढ़ता गया। अब इसका उपयोग पेमेंट, टिकट, कॉन्टैक्ट शेयरिंग और यहां तक कि आधार वेरिफिकेशन तक में हो रहा है। खास बात यह है कि हर QR कोड यूनिक होता है, यानी कोई भी दो QR कोड एक जैसे नहीं होते।
₹1,979 Cr की डेरिवेटिव विसंगति — क्या IndusInd Bank पर गिरेगी रेगुलेटरी गाज?
16 Apr, 2025 06:31 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
इंडसइंड बैंक को डेरिवेटिव सौदों में गंभीर गड़बड़ी का सामना करना पड़ा है। बैंक ने मंगलवार को जानकारी दी कि उसकी आंतरिक समीक्षा की पुष्टि के लिए नियुक्त की गई बाहरी ऑडिट एजेंसी PwC ने डेरिवेटिव पोर्टफोलियो में विसंगतियों की पहचान की है। इन गड़बड़ियों के कारण 30 जून 2024 तक बैंक को ₹1,979 करोड़ का नुकसान झेलना पड़ा है। बैंक ने एक एक्सचेंज फाइलिंग में बताया कि उसे यह रिपोर्ट 15 अप्रैल को प्राप्त हुई। रिपोर्ट में डेरिवेटिव डील्स समेत अन्य अनियमितताओं का उल्लेख किया गया है।
गड़बड़ियों से नेट वर्थ पर 2.27% असर- PwC
बाहरी एजेंसी की रिपोर्ट के आधार पर इंडसइंड बैंक ने कहा है कि पाई गई गड़बड़ियों का दिसंबर 2024 तक बैंक की नेट वर्थ पर 2.27% का कर-पश्चात नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा। वित्त वर्ष 2024-25 की तीसरी तिमाही में बैंक की नेट वर्थ ₹65,102 करोड़ थी।
बैंक ने एक्सचेंज फाइलिंग में कहा, “बैंक इस प्रभाव को वित्त वर्ष 2024-25 की वित्तीय रिपोर्ट में उपयुक्त रूप से दर्शाएगा और डेरिवेटिव अकाउंटिंग ऑपरेशंस से जुड़ी आंतरिक प्रक्रियाओं को मजबूत करने के लिए जरूरी कदम उठाता रहेगा।”
10 मार्च को खुली थी इंडसइंड बैंक में घोटाले की पोल
इससे पहले, 10 मार्च को बैंक ने शेयर बाजार को जानकारी दी थी कि उसकी आंतरिक समीक्षा में डेरिवेटिव पोर्टफोलियो में गड़बड़ियां पाई गई थीं, जिनका दिसंबर 2024 तक बैंक की नेट वर्थ पर 2.35% का नकारात्मक प्रभाव पड़ने का अनुमान है, यानी करीब ₹1,530 करोड़ का असर। तब बैंक ने बताया था कि उसने डेरिवेटिव पोर्टफोलियो में संभावित नुकसान के आकलन की समीक्षा के लिए PwC को नियुक्त किया है। बाद में बैंक ने यह भी खुलासा किया कि उसने इन गड़बड़ियों की जड़ तक पहुंचने और विस्तृत जांच के लिए एक स्वतंत्र पेशेवर संस्था को नियुक्त करने का फैसला किया है।
इंडसइंड बैंक ने CD मार्केट से ₹16,550 करोड़ जुटाए
इस बीच, भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) ने एक बयान जारी कर इंडसइंड बैंक के जमाकर्ताओं से अपील की कि वे बैंक को लेकर फैल रही अटकलों पर प्रतिक्रिया न दें, क्योंकि बैंक की वित्तीय स्थिति स्थिर है। इसी दौरान बैंक ने किसी भी संभावित लिक्विडिटी संकट से निपटने के लिए सर्टिफिकेट ऑफ डिपॉजिट (CD) मार्केट से भारी मात्रा में उधारी ली। मार्च महीने में बैंक ने 7.75% से 7.9% की कूपन दर पर ₹16,550 करोड़ की राशि CDs के जरिए जुटाई। यह रकम आमतौर पर CD मार्केट से बैंक द्वारा जुटाई जाने वाली औसत राशि से लगभग पांच गुना ज्यादा थी।
FY25 में मुनाफे का भरोसा- सुमंत कथपालिया
इससे पहले, RBI ने इंडसइंड बैंक के वर्तमान MD और CEO सुमंत कथपालिया को केवल एक वर्ष का विस्तार दिया था, जबकि बैंक के बोर्ड ने तीन साल के पुनर्नियुक्ति की सिफारिश की थी। एक विश्लेषक कॉल में कथपालिया ने संकेत दिया था कि डेरिवेटिव पोर्टफोलियो में पाई गई गड़बड़ियां, RBI द्वारा केवल एक वर्ष का विस्तार दिए जाने के कारणों में से एक हो सकती हैं। कथपालिया ने भरोसा जताया है कि डेरिवेटिव पोर्टफोलियो में हुई गड़बड़ियों के चलते मुनाफे पर असर पड़ने के बावजूद, इंडसइंड बैंक चौथी तिमाही (Q4) और पूरे वित्त वर्ष 2024-25 (FY25) में नेट प्रॉफिट दर्ज करेगा।
इंडसइंड बैंक की फाइनेंशियल हेल्थ
इंडसइंड बैंक ने इस महीने की शुरुआत में अपनी तिमाही अपडेट में खुलासा किया था कि मार्च 2025 को समाप्त चौथी तिमाही (Q4FY25) में उसके रिटेल और स्मॉल बिजनेस ग्राहकों की जमा राशि ₹3,550 करोड़ घटकर ₹1.88 लाख करोड़ से ₹1.85 लाख करोड़ रह गई। हालांकि, बैंक की कुल जमा राशि में वित्त वर्ष 2025 की तीसरी तिमाही (Q3FY25) की तुलना में 0.4% की मामूली वृद्धि हुई।
Q4 के अंत में बैंक की कुल जमा राशि (deposit portfolio) ₹4.11 लाख करोड़ रही, जो सालाना आधार पर 6.8% की वृद्धि है। पिछले साल इसी अवधि में यह आंकड़ा ₹3.84 लाख करोड़ था। इस दौरान बैंक के कुल कर्ज वितरण (advances portfolio) में भी गिरावट देखने को मिली, जो दिसंबर तिमाही की तुलना में लगभग ₹19,000 करोड़ कम रहा।
बैंक नहीं, सिर्फ सर्कल! PhonePe का नया फीचर गांव-गांव डिजिटल इंडिया ले जाएगा
16 Apr, 2025 05:45 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
फिनटेक कंपनी PhonePe ने बुधवार को एक नया फीचर लॉन्च किया है, जिसके तहत यूजर्स अब “सर्कल बनाकर” अपने परिवार, दोस्तों या किसी अन्य भरोसमंद व्यक्ति की ओर से UPI पेमेंट कर सकते हैं। इस फीचर का नाम ‘UPI Circle’ है। यह फीचर खासतौर पर उन लोगों के लिए काफी फायदेमंद होने वाला है जिनके पास बैंक अकाउंट नहीं है या फिर जो ऑनलाइन बैंकिंग का इस्तेमाल नहीं करते। ऐसे यूजर्स के वे दोस्त या परिवार के लोग जो यूपीआई इस्तेमाल करते हैं उनके लिए पेमेंट कर पाएंगे।
UPI circle क्या है?
सर्किल फीचर (Circle feature) के तहत एक प्राइमरी यूजर किसी सेकेंडरी यूजर को अपने UPI अकाउंट से पेमेंट करने की अनुमति दे सकता है। प्राइमरी यूजर सेकेंडरी यूजर को UPI ऑथेंटिकेशन का अधिकार सौंपता है, जिससे सेकेंडरी यूजर प्राइमरी यूजर की अनुमति से ट्रांजैक्शन कर सकता है। प्राइमरी यूजर अपने परिवार के सदस्यों या किसी भरोसेमंद व्यक्ति (सेकेंडरी यूजर) को UPI ID या QR कोड के जरिए अपने Circle में जोड़ सकता है और कहीं से भी उनके लिए पेमेंट को आसानी से मंजूरी दे सकता है।
नेशनल पेमेंट्स कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (NPCI) द्वारा विकसित किया गया UPI Circle, यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस (UPI) के उपयोग को बढ़ाने और खर्च को नियंत्रित (supervised spending) करने की सुविधा देने के उद्देश्य से डिजाइन किया गया है।
UPI Circle डिजिटल लेन-देन को और आसान बनाएगा
PhonePe की चीफ बिजनेस ऑफिसर– कंज़्यूमर पेमेंट्स सोनिका चंद्रा ने कहा, “UPI Circle उन लोगों के लिए डिजिटल पेमेंट्स की सुविधा और सरलता को बढ़ाने की दिशा में एक अहम कदम है, जो अभी बैंकिंग सिस्टम से पूरी तरह नहीं जुड़े हैं या इस डिजिटल इकोसिस्टम के नए उपयोगकर्ता हैं। यह सुविधा उन माता-पिता के लिए उपयोगी हो सकती है जो अपने कॉलेज जाने वाले बच्चों को खर्च देना चाहते हैं, या ऐसे बुज़ुर्ग माता-पिता के लिए जिनका डिजिटल पेमेंट्स पर भरोसा नहीं है। यह उन व्यस्त लोगों के लिए भी मददगार है जो घरेलू जरूरतों की जिम्मेदारी दूसरों को सौंपना चाहते हैं।”
प्राइमरी यूजर को मिलेगा डबल कंट्रोल
PhonePe पर UPI Circle फीचर के इस्तेमाल को प्राइमरी यूजर दो तरीकों से कंट्रोल कर सकता है। जब Partial Delegation मोड चुना जाता है, तो हर बार जब सेकेंडरी यूजर कोई ट्रांजैक्शन शुरू करता है, तो प्राइमरी यूजर को उसे मंजूरी देने का नोटिफिकेशन मिलेगा। वहीं दूसरी ओर, Full Delegation मोड में प्राइमरी यूजर सेकेंडरी यूजर के लिए एक मासिक खर्च की अधिकतम सीमा तय कर सकता है। इस मोड में हर ट्रांजैक्शन के लिए मैन्युअल अप्रूवल की जरूरत नहीं होती।
प्राइमरी यूजर महीने में अधिकतम ₹15,000 तक की लिमिट तय कर सकता है, और हर ट्रांजैक्शन की अधिकतम सीमा ₹5,000 रखी गई है।
PhonePe पर कैसे बनाएं UPI Circle?
स्टेप 1: PhonePe ऐप खोलें। होम स्क्रीन पर यूजर्स को UPI Circle इनेबल करने का विकल्प दिखाई देगा।
स्टेप 2: UPI Circle सेटअप करने और सेकेंडरी यूजर्स को जोड़ने के लिए ‘Invite Secondary Contact’ पर टैप करें। आप सेकेंडरी यूजर का QR कोड स्कैन करके या उनकी UPI ID मैन्युअली डालकर उन्हें जोड़ सकते हैं।
स्टेप 3: सेकेंडरी यूजर्स को अपने PhonePe ऐप पर प्राप्त इनवाइट को स्वीकार करके UPI Circle से जुड़ना होगा।
स्टेप 4: एक बार UPI Circle में जुड़ने के बाद, सेकेंडरी यूजर पेमेंट करते समय प्राइमरी यूजर के अकाउंट को पेमेंट ऑप्शन के रूप में चुन सकते हैं।
बता दें कि PhonePe के प्रतिस्पर्धी Google Pay ने अगस्त 2024 में UPI Circle के लिए सपोर्ट देने की घोषणा की थी, लेकिन यह फीचर अभी देशभर के यूजर्स के लिए शुरू नहीं किया गया है। यूजर्स UPI Circle फीचर का इस्तेमाल BHIM (भारत इंटरफेस फॉर मनी) ऐप के जरिए भी कर सकते हैं, जो इसी तरह की सुविधा प्रदान करता है।
244 करोड़ का टैक्स झटका! YES Bank ने कहा- सभी कानूनी विकल्पों पर विचार
16 Apr, 2025 05:35 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
YES बैंक को इनकम टैक्स डिपार्टमेंट से ₹244.20 करोड़ का अतिरिक्त टैक्स डिमांड का नोटिस मिला है। यह डिमांड 2016-17 के लिए किए गए असेसमेंट और पुनर्मूल्यांकन के बाद आई है। बैंक ने कहा है कि वह इस टैक्स डिमांड को चुनौती देगा और इसके खिलाफ अपील करेगा।
बैंक को दिसंबर 2018 में इनकम टैक्स डिपार्टमेंट से 2016-17 के लिए एक टैक्स असेसमेंट ऑर्डर मिला था, जिसमें कुछ जोड़-घटाव किए गए थे। इसके बाद मार्च 2022 में पुनः मूल्यांकन आदेश आया, जिसमें कुछ और बदलाव किए गए थे। बैंक ने दोनों आदेशों के खिलाफ अपील की है और अब पुनः मूल्यांकन के बाद एक नई टैक्स डिमांड आई है।
बैंक ने किया सुधार का आवेदन
बैंक ने बताया कि पुनः मूल्यांकन आदेश में गलती हुई थी, क्योंकि इसमें आयकर रिटर्न में बताई गई आय के बजाय असेस्ड आय का उपयोग किया गया था। इस गलती को सुधारने के लिए 15 अप्रैल 2025 को एक rectification order पास किया गया। हालांकि, इस आदेश के बाद टैक्स की मांग में काफी वृद्धि हो गई, और बैंक ने इसे बिना किसी ठोस कारण के बताया है।
बैंक ने कहा कि वह इस अतिरिक्त टैक्स डिमांड के खिलाफ तुरंत rectification आवेदन दाखिल करेगा और अगर जरूरत पड़ी, तो अपीलीय न्यायाधिकरण में भी अपील करेगा। बैंक इस टैक्स डिमांड को उचित नहीं मानता है और सभी अन्य कानूनी उपायों का पालन करेगा।
हालांकि, इस खबर के आने के बाद भी बैंक के शेयरों में बढ़ोतरी देखने को मिली। बुधवार को दोपहर 3:10 बजे तक बैंक का शेयर BSE पर 2% की बढ़त के साथ 17.87 रुपये पर ट्रेड कर रहा था।
बुलियन बाजार में हलचल! सोना नए मुकाम पर, चांदी भी दिखा रही रफ्तार
16 Apr, 2025 11:06 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
घरेलू और ग्लोबल मार्केट में बुधवार (16 अप्रैल) को सोना एक बार फिर नए ऑल टाइम हाई पर पहुंच गया। घरेलू फ्यचर्स मार्केट यानी (MCX) पर आज बाजार खुलते ही सोना 94,573 रुपये प्रति 10 ग्राम के उच्चतम स्तर पर पहुंच गया। पिछले शुक्रवार को इसने 93,940 रुपये का रिकॉर्ड हाई बनाया था।
ग्लोबल मार्केट में भी आज सोना नए शिखर पर है। बेंचमार्क स्पॉट गोल्ड बुधवार को कारोबार के दौरान 3,277.87 डॉलर प्रति औंस के रिकॉर्ड हाई तक ऊपर गया, वहीं यूएस गोल्ड फ्यूचर्स । 3,300 डॉलर प्रति औंस की नई ऊंचाई पर पहुंच गया। मौजूदा कैलेंडर ईयर के दौरान इसने 25वें दिन और इस महीने छठे दिन रिकॉर्ड हाई बनाया है। सोने की कीमतों में यह तेजी अमेरिका और चीन के बीच बढ़ते ट्रेड वॉर के मद्देनजर बतौर सुरक्षित विकल्प (safe-haven) इस बेशकीमती धातु की मांग में आई मजबूती की वजह से आई है। चीन पर अमेरिकी टैरिफ के 145 फीसदी किए जाने के बाद दोनों देशों के बीच बड़े पैमाने पर ट्रेड वॉर छिड़ने की आशंका तेज हो गई है। चीन ने भी इसके जवाब में पिछले शुक्रवार को अमेरिकी वस्तुओं पर टैरिफ को 41 फीसदी बढ़ाते हुए 125 फीसदी कर दिया।
ब्याज दरों में कटौती की संभावना, अमेरिका सहित दुनिया की अर्थव्यवस्था में स्लोडाउन और महंगाई के बढ़ने की आशंका के मद्देनजर ज्यादातर जानकार सोने को लेकर फिलहाल बेहद बुलिश हैं। उनका मानना है कि ग्लोबल लेवल पर खासकर अमेरिका और चीन के बीच छिड़े ट्रेड वॉर के मद्देनजर जो अनिश्चितता की स्थिति बनी है उसमें बतौर सुरक्षित विकल्प (safe-haven) सोने की मांग बरकरार रह सकती है। साथ ही बढ़ते जियो-पॉलिटिकल टेंशन की वजह से भी बतौर सुरक्षित विकल्प सोने की मांग में और तेजी आने की उम्मीद है। इतना ही नहीं महंगाई के खिलाफ ‘हेज’ के तौर पर सोने की पूछ परख बढ़ सकती है।
जानकार मानते हैं कि इन्वेस्टमेंट डिमांड गोल्ड के लिए इस साल सबसे ज्यादा सपोर्टिव साबित हो सकता है क्योंकि इसका सपोर्ट पिछले मई से ही मिलना शुरू हुआ है। मौजूदा तेजी से पहले जब भी गोल्ड में तेजी का दौर चला है, सबसे बड़ी भूमिका इन्वेस्टमेंट यानी ईटीएफ डिमांड ने ही निभाई है। फिर चाहे वह 2020 या 2012 की तेजी की बात कर लें।
सोने में रिकॉर्डतोड़ तेजी के बीच लोग फिलहाल इसके ईटीएफ में जमकर निवेश कर रहे हैं। आंकड़े बताते हैं कि पिछले 4 महीने से गोल्ड ईटीएफ में इनफ्लो बना हुआ है। वर्ल्ड गोल्ड काउंसिल (World Gold Council) के मुताबिक मार्च के दौरान ग्लोबल लेवल पर गोल्ड ईटीएफ में निवेश 8.6 बिलियन डॉलर बढ़ा। वॉल्यूम /होल्डिंग के लिहाज से इस दौरान निवेश में 92 टन की वृद्धि हुई। सोने की कीमतों में तेजी और लगातार चौथे महीने आए इनफ्लो के दम पर मार्च 2025 के अंत तक गोल्ड ईटीएफ का एसेट अंडर मैनेजमेंट यानी AUM बढ़कर रिकॉर्ड 345 बिलियन डॉलर पर पहुंच गया। टोटल होल्डिंग भी पिछले महीने के अंत तक 3,445 टन पर दर्ज किया गया जो मई 2023 के बाद सबसे ज्यादा है। मई 2023 में टोटल होल्डिंग 3,476 टन पर था।
फरवरी की तुलना में एसेट अंडर मैनेजमेंट और टोटल होल्डिंग दोनों में कमश: 12.74 फीसदी और 2.74 फीसदी की वृद्धि हुई।
इसके अलावा सेंट्रल बैंकों की खरीदारी भी कीमतों के लिए सपोर्टिव हैं। 2022 से इसने सोने को लगातार सबसे ज्यादा सपोर्ट किया है। बदलते जियो पॉलिटिकल परिदृश्य और टैरिफ वॉर के मद्देनजर इसके आगे भी मजबूत रहने की संभावना है। सबसे ज्यादा खरीदारी चीन के केंद्रीय बैंक की तरफ से निकलने की उम्मीद है। पिछले कुछ आंकड़ों से भी इस बात के संकेत मिलने लगे हैं। चीन के केंद्रीय बैंक पीपुल्स बैंक ऑफ चाइना (PBoC) के मुताबिक उसकी तरफ से मार्च में 3 टन (0.09 मिलियन औंस) सोने की खरीद की गई। छह महीने के ब्रेक के बाद पीपुल्स बैंक ऑफ चाइना (PBoC) ने लगातार पांचवें महीने ( नवंबर 2024 से लेकर मार्च 2025 तक) गोल्ड खरीदा है। मौजूदा कैलेंडर ईयर के पहले तीन महीनों के दौरान चीन के गोल्ड रिजर्व में 13 टन की वृद्धि हुई और यह बढ़कर 2,292 टन पर पहुंच गया है।
यूएस डॉलर (US Dollar) में देखें तो चीन के कुल फॉरेक्स रिजर्व में गोल्ड की हिस्सेदारी बढ़कर रिकॉर्ड 6.5 फीसदी पर पहुंच गई है। फरवरी 2025 तक यह हिस्सेदारी 6 फीसदी जबकि ठीक एक साल पहले मार्च 2024 तक 4.6 फीसदी थी। इस तरह से देखें तो एक साल में चीन के फॉरेक्स रिजर्व में गोल्ड की हिस्सेदारी में 2 फीसदी का इजाफा हुआ है।
यदि ट्रंप की नीतियों की वजह से चीन और अमेरिका के बीच व्यापार को लेकर टकराहट और बढ़ती है तो शायद चीन का केंद्रीय बैंक सोने की खरीद में और तेजी लाए। इस बात की गुंजाइश इसलिए भी ज्यादा है क्योंकि चीन के कुल विदेशी मुद्रा भंडार में गोल्ड की हिस्सेदारी अभी भी 7 फीसदी के नीचे है। जबकि भारत के कुल विदेशी मुद्रा भंडार में सोने की हिस्सेदारी बढ़कर 11 फीसदी के ऊपर पहुंच गई है। जानकार मानते हैं के बदलते भू-राजनीतिक परिदृश्य (geo-political scenario) के मद्देनजर चीन गोल्ड की हिस्सेदारी को कम से कम 10 फीसदी तक बढ़ाना चाहेगा।
घरेलू फ्यूचर्स मार्केट
घरेलू फ्यूचर्स मार्केट एमसीएक्स (MCX) पर सोने का बेंचमार्क जून कॉन्ट्रैक्ट बुधवार को शुरुआती कारोबार (10:00 AM IST) में 865 रुपये यानी 0.93 फीसदी की मजबूती के साथ 94,316 रुपये प्रति 10 ग्राम के भाव पर है। इससे पहले यह आज 1,122 रुपये उछलकर 94,573 रुपये के रिकॉर्ड भाव पर खुला और कारोबार के दौरान 94,573 रुपये के रिकॉर्ड हाई और 94,311 रुपये के लो के बीच कारोबार किया।
ग्लोबल मार्केट
ग्लोबल मार्केट में बेंचमार्क स्पॉट गोल्ड (spot gold) कारोबार के दौरान आज रिकॉर्ड 3,277.87 डॉलर प्रति औंस तक ऊपर और 3,226.62 डॉलर प्रति औंस तक नीचे गया। फिलहाल यह 1.52 फीसदी की तेजी के साथ 3,276.56 डॉलर प्रति औंस पर है। इसी तरह बेंचमार्क यूएस जून गोल्ड फ्यूचर्स (Gold COMEX JUN′25) भी आज कारोबार के दौरान रिकॉर्ड 3,299.80 डॉलर और 3,245.20 डॉलर प्रति औंस के रेंज में रहा। फिलहाल यह 1.46 फीसदी की मजबूती के साथ 3,287.70 डॉलर प्रति औंस पर कारोबार कर रहा है।
ट्रंप टैरिफ को टाटा-बाय-बाय! Apple ने भारत से अमेरिका भेजे 600 टन iPhones
16 Apr, 2025 10:58 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
Apple के भारत स्थित मुख्य सप्लायर्स फॉक्सकॉन (Foxconn) और टाटा (Tata) ने मार्च महीने में अमेरिका को रिकॉर्ड स्तर पर लगभग 2 अरब डॉलर मूल्य के iPhones निर्यात किए। कस्टम डेटा के मुताबिक, यह अब तक का सबसे ऊंचा आंकड़ा है। अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप द्वारा प्रस्तावित टैरिफ से बचने के लिए कंपनी ने एयरलिफ्ट के जरिए बड़ी मात्रा में डिवाइस भेजीं।
Apple ने अमेरिका भेजे 600 टन iPhones
रिपोर्ट के मुताबिक, iPhone निर्माता कंपनी ने भारत में प्रोडक्शन तेज किया और 600 टन iPhones को अमेरिका भेजने के लिए चार्टर्ड कार्गो फ्लाइट्स का इस्तेमाल किया, ताकि उसके एक बड़े मार्केट में इनवेंटरी की कोई कमी न हो। ट्रंप के टैरिफ लागू होने की आशंका के चलते Apple को कीमतों में संभावित बढ़ोतरी का खतरा था।
अप्रैल में अमेरिकी प्रशासन ने भारत से आयात होने वाले उत्पादों पर 26% शुल्क लगाया, जो उस समय चीन पर लागू 100% से ज्यादा शुल्क की तुलना में काफी कम था। हालांकि ट्रंप प्रशासन ने बाद में चीन को छोड़कर बाकी सभी देशों के लिए टैरिफ को तीन महीने के लिए रोक दिया है।
एयरलिफ्ट हुए iPhone 13, 14, 16 और 16e मॉडल
कस्टम डेटा के अनुसार, Apple के भारत स्थित मुख्य सप्लायर Foxconn ने मार्च में रिकॉर्ड स्तर पर स्मार्टफोन का निर्यात किया। कंपनी ने अकेले मार्च में 1.31 अरब डॉलर मूल्य के iPhones अमेरिका भेजे, जो जनवरी और फरवरी दोनों महीनों के कुल शिपमेंट के बराबर है। इस निर्यात में Apple के iPhone 13, 14, 16 और 16e मॉडल शामिल थे। इसके साथ ही Foxconn का इस साल भारत से अमेरिका को कुल निर्यात 5.3 अरब डॉलर तक पहुंच गया।
Apple के एक अन्य सप्लायर Tata Electronics ने मार्च में 612 मिलियन डॉलर मूल्य के iPhones का निर्यात किया, जो फरवरी की तुलना में करीब 63% ज्यादा है। टाटा की ओर से भेजे गए मॉडलों में iPhone 15 और 16 शामिल थे। Apple, Foxconn और Tata ने इस रिपोर्ट पर तत्काल कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है।
चेन्नई से एयरलिफ्ट हुए iPhones
कस्टम्स डेटा के मुताबिक, मार्च में Foxconn द्वारा अमेरिका भेजे गए सभी शिपमेंट चेन्नई एयर कार्गो टर्मिनल से हवाई मार्ग के जरिए भेजे गए। ये शिपमेंट अमेरिका के विभिन्न स्थानों—जैसे लॉस एंजेलेस, न्यूयॉर्क और खास तौर पर शिकागो—में उतारे गए, जहां सबसे ज्यादा डिलीवरी हुई।
बाद में ट्रंप प्रशासन ने चीन से आयात होने वाले स्मार्टफोन और कुछ अन्य इलेक्ट्रॉनिक उत्पादों पर लगाए गए भारी टैरिफ से अस्थायी छूट दी थी। हालांकि, ट्रंप ने यह भी संकेत दिया है कि ये छूट ज्यादा समय तक जारी नहीं रहेगी।
6 कार्गो जेट्स से भेजे iPhones
शिपमेंट में तेजी लाने के लिए Apple ने भारत के एयरपोर्ट अधिकारियों से चेन्नई एयरपोर्ट पर कस्टम क्लीयरेंस का समय घटाने की मांग की। इसके बाद तमिलनाडु स्थित इस एयरपोर्ट पर कस्टम प्रक्रिया का समय 30 घंटे से घटाकर सिर्फ 6 घंटे कर दिया गया। सूत्रों के अनुसार, इस ऑपरेशन में कम से कम छह कार्गो जेट्स का इस्तेमाल किया गया। एक सूत्र ने इसे “टैरिफ से बचने की रणनीति” बताया।
23,350 पार! निफ्टी ने बनाई नई चाल, सेंसेक्स भी दिखा टॉप गियर में
16 Apr, 2025 10:46 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
घरेलू शेयर बाजार बुधवार (16 अप्रैल) को गिरावट में खुले। घरेलू शेयर बाजारों में दो सत्र में तेजी रहने के बाद यह गिरावट आई है। एशियाई बाजारों से कमजोर संकेत लेते हुए प्रमुख बेंचमार्क इंडेक्स निफ्टी-50 और सेंसेक्स में गिरावट दर्ज की गई। भारतीय शेयर बाजारों का ध्यान चौथी तिमाही के नतीजों और टैरिफ संबंधी समाचारों के साथ वैश्विक आर्थिक आंकड़ों पर भी रहेगा। दुनिया भर के बाजारों को अमेरिकी टैरिफ संबंधी अस्थिरता से राहत मिलेगी।
तीस शेयरों वाला बीएसई सेंसेक्स (BSE Sensex) 200 से ज्यादा अंक की बढ़त लेकर 76,996.78 पर खुला। हालांकि, खुलते ही यह लाल निशान में फिसल गया। सुबह 9:22 बजे सेंसेक्स 86.48 अंक या 0.11% की गिरावट लेकर 76,648.41 पर था।
इसी तरह, नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (NSE) का निफ्टी-50 (Nifty-50) भी हल्की बढ़त के साथ 23,344.10 अंक पर ओपन हुआ। लेकिन खुलने के कुछ ही सेकंड में लाल निशान में फिसल गया। सुबह 9:23 यह 26.20 अंक या 0.11% की कमजोरी लेकर 23,302.35 पर था।
मंगलवार को कैसी थी बाजार की चाल?
भारतीय शेयर बाजार मंगलवार को जोरदार तेजी के साथ बंद हुए थे। तीस शेयरों वाला बीएसई सेंसेक्स मंगलवार को (BSE Sensex) 1577.63 अंक या 2.10% की तेजी के साथ 76,734.89 अंक पर बंद हुआ। एनएसई का निफ्टी-50 में भी मजबूती आई और यह 500 अंक या 2.19% चढ़कर 23,328.55 पर बंद हुआ।
वैश्विक बाजारों का क्या हाल?
पिछले ट्रेडिंग सेशन में वॉल स्ट्रीट पर डॉव जोन्स 0.38 प्रतिशत की गिरावट के साथ 40,368.96 पर बंद हुआ। एसएंडपी 500 0.17 प्रतिशत की गिरावट के साथ 5,396.63 पर बंद हुआ। जबकि नैस्डैक कंपोजिट 0.05 प्रतिशत की गिरावट के साथ 16,823.17 पर बंद हुआ। बेंचमार्क से जुड़े फ्यूचर्स भी कम कीमत पर कारोबार कर रहे थे। इसमें डॉव जोन्स फ्यूचर्स में 0.5 प्रतिशत की गिरावट, एसएंडपी 500 फ्यूचर्स में 0.9 प्रतिशत की गिरावट और नैस्डैक 100 फ्यूचर्स में 1.5 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई।
एशियाई बाजारों में आज गिरावट देखी गई। जापान का निक्केई 225 इंडेक्स 0.33 प्रतिशत नीचे था और दक्षिण कोरिया का कोस्पी 0.29 प्रतिशत नीचे था। हालांकि, ऑस्ट्रेलिया का एसएंडपी/एएसएक्स 200 आज 0.17 प्रतिशत ऊपर था। हांगकांग का हैंग सेंग 1.01 प्रतिशत नीचे था और चीन का सीएसआई 300 0.87 प्रतिशत नीचे था।
पिछले 2 ट्रेडिंग सेशन में 4% चढ़ा सेंसेक्स
पिछले दो ट्रेडिंग सेशन में बेंचमार्क इंडेक्स में लगभग 4% की वृद्धि हुई। इससेसे सेंसेक्स को इस महीने की शुरुआत में हुई हानि की भरपाई करने में मदद मिली, जो अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रम्प के 2 अप्रैल को रेसिप्रोकल टैरिफ की घोषणा के चलते आई थी।
निफ्टी सपोर्ट लेवल
एलकेपी सिक्योरिटीज के सीनियर टेक्निकल एनालिस्ट रूपक डे के अनुसार, निफ्टी इंडेक्स ने डेली चार्ट पर हैंगिंग मैन पैटर्न बनाया है। यह स्थिति मौजूदा रैली में संभावित ठहराव का संकेत देती है। दूसरी ओर, इंडेक्स डेली चार्ट पर 100-ईएमए से ऊपर बंद हुआ। यह लगातार सकारात्मकता का संकेत देता है। इसके इसके अलावा आरएसआई ने अभी-अभी सकारात्मक क्रॉसओवर में एंट्री की है।’
उन्होंने कहा, “निफ्टी का सपोर्ट लेवल 23,300 पर रखा गया है। इस स्तर से नीचे एक निर्णायक ब्रेक 23,000 की ओर सुधार को ट्रिगर कर सकता है। रेसिस्टेंस लेवल 23,370 और 23,650 पर रखा गया है।
मेटल और फाइनेंशियल स्टॉक्स की तूफानी रैली! सेंसेक्स 1578 अंक चढ़ा, निफ्टी 23,329 पर बंद
15 Apr, 2025 06:42 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
भारतीय शेयर बाजारों में मंगलवार (15 अप्रैल) को लगातार दूसरे दिन जोरदार तेजो के साथ बंद हुए। अमेरिकी प्रशासन की तरफ से 75 से ज्यादा देशों पर टैरिफ पॉज के बाद अमेरिकी बाजारों में तेजी आई है। इसका असर भारतीय बाजारों पर भी देखने को मिला। HDFC Bank, ICICI Bank, L&T, Reliance Industries, Bharti Airte जैसे भारी भरकम वाले शेयरों ने भी बाजार को ऊपर खींचा।
तीस शेयरों वाला बीएसई सेंसेक्स (BSE Sensex) आज 15 अप्रैल को 1600 अंक से ज्यादा उछलकर 76,852.06 पर ओपन हुआ। कारोबार के दौरान यह 76,907.63 अंक तक चला गया था। अंत में सेंसेक्स 1577.63 अंक या 2.10% की तेजी के साथ 76,734.89 अंक पर बंद हुआ।
इसी तरह नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (NSE) का निफ्टी-50 (Nifty-50) भी बंपर तेजी के साथ 23,368.35 पर ओपन हुआ। कारोबार के दौरान यह 23,368 अंक तक चला गया था। अंत में यह 500 अंक या 2.19% चढ़कर 23,328.55 पर बंद हुआ।
निवेशकों की वेल्थ 10 लाख करोड़ रुपये बढ़ी
बाजार में तेजी के साथ निवेशकों की वेल्थ में भी जोरदार इजाफा हुआ है। बीएसई में लिस्टेड कंपनियों का मार्केट कैप 412,29,007 करोड़ रुपये पर पहुंच गया। शुक्रवार को यह 402,34,966 करोड़ रुपये था। इस तरह निवेशकों की वेल्थ करीब 10 लाख करोड़ रुपये बढ़ गई।
बाजार में आज 15 अप्रैल को तेजी की वजह
1. बाजार में तेजी की सबसे बड़ी वजह ट्रंप की उस टिप्पणी को माना जा रहा है। इसमें उन्होंने ऑटोमोबाइल सेक्टर को टैरिफ से अस्थायी छूट देने की बात कही। ट्रंप ने कहा कि “ऑटोमोबाइल कंपनियों को कनाडा, मैक्सिको और अन्य जगहों से प्रोडक्शन शिफ्ट करने के लिए समय चाहिए।”
2. सेंसेक्स में शामिल ज्यादातर हेवीवेट शेयरों में भी आज मजबूती रही। इनमें HDFC Bank, ICICI Bank, L&T, Reliance Industries, Bharti Airtel, M&M, Axis Bank और Tata Motors जैसे प्रमुख नाम शामिल हैं, जिन्होंने बाजार को ऊपर खींचा।
3. वैश्विक बाजारों में भी ट्रंप की टिप्पणी के बाद पॉजिटिव माहौल देखने को मिला। भारतीय बाजार एशियाई बाजारों में सबसे बेहतर प्रदर्शन कर रहे थे, जबकि जापान का Nikkei इंडेक्स 1% ऊपर था, ऑस्ट्रेलिया का ASX200 0.37% चढ़ा और हांगकांग का Hang Seng इंडेक्स 0.2% की तेजी में रहा
वैश्विक बाजारों से क्या संकेत?
वॉल स्ट्रीट पर सोमवार को डॉव जोन्स इंडस्ट्रियल एवरेज 0.78 प्रतिशत बढ़कर 40,524.79 पर बंद हुआ। नैस्डैक कंपोजिट 0.64 प्रतिशत चढ़कर 16,831.48 पर बंद हुआ। एसएंडपी 500 0.79 प्रतिशत बढ़कर 5,405.97 पर बंद हुआ। हालांकि, वॉल स्ट्रीट फ्यूचर्स कम कारोबार कर रहा था। डॉव जोन्स इंडस्ट्रियल एवरेज वायदा 0.2 प्रतिशत गिरा। एसएंडपी 500 वायदा और नैस्डैक 100 फ्यूचर्स क्रमशः 0.2 प्रतिशत और 0.3 प्रतिशत नीचे थे।
इस बीच, एशियाई बाजारों में मंगलवार को वॉल स्ट्रीट पर बढ़त के बाद तेजी देखी गई। जापान का बेंचमार्क निक्केई 225 इंडेक्स 1.18 प्रतिशत ऊपर था। साउथ कोरिया का कोस्पी 0.51 प्रतिशत चढ़कर कारोबार कर रहा था। इसके अलावा ऑस्ट्रेलिया का एसएंडपी/एएसएक्स 200 0.38 प्रतिशत ऊपर था।
निवेशकों की महंगाई के आंकड़ों पर भी नजर
इस बीच, निवेशक भारत के मार्च महीने के खुदरा और थोक मुद्रास्फीति के आंकड़ों के साथ-साथ IREDA और MRP एग्रो जैसी कंपनियों की चौथी तिमाही की नतीजों का भी इंतजार कर रहे हैं। इसके अलावा भारत का इलेक्ट्रॉनिक विनिर्माण सेवा (ईएमएस) क्षेत्र मौजूदा टैरिफ युद्ध से तुलनात्मक रूप से लाभान्वित हो सकता है। जकि इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों के लिए 23,000 करोड़ रुपये की उत्पादन-लिंक्ड प्रोत्साहन (PLI) योजना मार्जिन को और बढ़ा सकती है और व्यापक उत्पाद मिश्रण को सक्षम कर सकती है।
ट्रंप के टैरिफ पर 90 दिन की रोक से राहत
ट्रंप एक बड़ा ऐलान करते हुए कहा है कि अमेरिका, ज्यादातर देशों से होने वाले आयात पर अगले तीन महीनों तक नया टैरिफ नहीं लगाएगा। इस घोषणा के बाद भारतीय शेयर बाजार में उम्मीद का माहौल बना है। इससे भारत और अमेरिका के बीच प्रस्तावित द्विपक्षीय व्यापार समझौते (BTA) के पहले चरण को जल्द अंतिम रूप देने का रास्ता साफ हो सकता है।
हालांकि, ट्रंप सरकार ने चीन से होने वाले आयात पर कुल शुल्क को बढ़ाकर 145% कर दिया है। इसके बावजूद कुछ खास श्रेणियों जैसे—कॉपर, फार्मास्यूटिकल्स, सेमीकंडक्टर्स और ऊर्जा उत्पादों को इस बढ़े हुए शुल्क से छूट दी गई है। इससे ग्लोबल मार्केट में अस्थिरता बनी हुई है और एशिया-पैसिफिक के बाजारों में गिरावट देखने को मिल रही है।
चुनावी फायदे के लिए अर्थशास्त्र की अनदेखी! घाटे में जनता, लाभ में सत्ता
15 Apr, 2025 06:20 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
जनता को अपनी बातों से लुभाने में पारंगत नेताओं में एक बात मिलती-जुलती है। एक ऐसा दौर जरूर आता है जब ये लोकलुभावन नेता अपने जोशीले समर्थकों से कहते हैं कि राष्ट्र की समस्याएं तभी दूर हो सकती हैं जब साहसिक एवं कठोर कदम उठाए जाएं और उन्हें छोड़कर अन्य लोगों या दलों में ऐसा करने का साहस नहीं है।
ये कदम जो भी हों मगर ‘विशेषज्ञ’ इनके पक्ष में नहीं रहते हैं। इसका कारण यह है कि इस प्रकार के फैसलों के क्रियान्वयन में काफी दुख-दर्द सहना पड़ता है। हालांकि, लोकलुभावन नेता राष्ट्र की आकांक्षाओं एवं साहस का चोला ओढ़ कर अपने समर्थकों की नजर में बहादुरी का प्रदर्शन करते हुए से ऐसे निर्णय लेते हैं। ये निर्णय कुछ लोगों के लिए बेतुका तो कुछ सीमित सोच रखने वाले लोगों के लिए अभूतपूर्व होते हैं।
किसी लोकलुभावन नेता की एक खास पहचान यह होती है कि वह अपनी व्यक्तिगत महत्त्वाकांक्षा और राष्ट्रीय सम्मान के लिए जोखिम लेने के लिए हमेशा तैयार रहता है।
दुनिया के पहले लोकलुभावन नेआतों (उदाहरण के लिए जूलियस सीजर ने सीनेट के साथ लड़ाई में अपनी सेना के साथ रूबिकॉन नदी पार करते समय कहा था कि अब फैसला लिया जा चुका है और पीछे नहीं मुड़ा जा सकता) से लेकर अब तक जो भी नेता हुए हैं उनके मन में हमेशा यह सोच रही है कि तर्क, सामान्य समझ और पूर्व दृष्टांत जैसे शब्द केवल दूसरों, कमजोर नेताओं के लिए बने हैं।
यही वह तलब या भूख थी कि तीन साल पहले रूस यूक्रेन पर हमला कर बैठा। रूसी राष्ट्रपति व्लादीमिर पुतिन के किसी भी सलाहकार ने उन्हें यूक्रेन के साथ पूर्ण युद्ध और उसे जीत लेने की सलाह नहीं दी होगी, इसके बावजूद उन्होंने (पुतिन) यह जोखिम ले लिया। तीन साल बीतने के बाद भी यह स्पष्ट नहीं कि अंत में इस लड़ाई से पुतिन और रूस को क्या हासिल होगा।
शायद ऐसे निर्णयों के सर्वाधिक चौंकाने वाले परिणाम अर्थशास्त्र के क्षेत्र में नजर आते हैं। अर्थशास्त्री लोकलुभावन नेताओं के ठीक उलट होते हैं। ये वे लोग होते हैं जो सबसे पहले लोकलुभावन नेताओं की अनदेखी का शिकार होते हैं। अमेरिका में इस सप्ताह अर्थशास्त्रियों के विचारों को कुछ कुछ इसी प्रकार की अनदेखी का सामना करना पड़ा। आर्थिक क्षेत्र के विशेषज्ञों के बार-बार आगाह किए जाने के बावजूद अमेरिका के राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप उन धारणाओं से नहीं हटे जिनके लिए वे 1980 के दशक से आवाज उठाते रहे हैं। ट्रंप की नजर में व्यापार घाटा अनुचित है और अमेरिका को दूसरे देशों से आने वाली वस्तुओं पर अधिक शुल्क लगाना चाहिए। स्पष्ट है कि इन नए शुल्कों का ढांचा तैयार करने में किसी विशेषज्ञ की सलाह नहीं ली गई थी। अमेरिका द्वारा लगाए गए इन शुल्कों ने तर्क, व्यवहार, पारदर्शिता और आर्थिक सिद्धांत सभी को जिस तरह से दरकिनार कर दिया है, उसे देखते हुए पूरी दुनिया स्तब्ध और आश्चर्यचकित है।
अंतरराष्ट्रीय अर्थशास्त्र की परंपरागत संकल्पना से ये शुल्क पूरी तरह भटके दिखाई दे रहे हैं। हालांकि, इसी वजह से इन शुल्कों पर इतनी चर्चा भी हो रही है। जिस तरह सोवियत संघ के लोगों का 1930 के दशक में मानना था कि जोसेफ स्टालिन कठिन से कठिन कार्य को अंजाम दे सकते हैं उसी तरह ट्रंप के समर्थकों को लगता है कि वह किसी भी अर्थशास्त्री से बेहतर समझ रखते हैं।
ट्रंप पहले ऐसे लोकलुभावन नेता नहीं हैं जिन्होंने आर्थिक सिद्धांत को सीधे-सीधे दरकिनार करने की कोशिश की है। तुर्किये के राष्ट्रपति रेचेप तैयप एर्दोआन ने कई वर्षों तक अपनी ताकत का इस्तेमाल परंपरागत मौद्रिक नीति को निशाना बनाने के लिए किया। हरेक आर्थिक ढांचे और आर्थिक सिद्धांत के उलट एर्दोआन को हमेशा लगा कि ऊंची ब्याज दरें मुद्रास्फीति बढ़ाती हैं। तुर्किये के केंद्रीय बैंक के गवर्नर ने जब बेलगाम महंगाई से निपटने के लिए ब्याज दरें बढ़ाईं तो अर्दोआन ने उन्हें बर्खास्त करने में जरा भी देरी नहीं की।
ऐसे सभी निर्णयों के पीछे की राजनीति को समझना काफी आसान है। लोकलुभावन नेता स्वयं को एक पुरानी एवं अडिग सोच रखने वाले संभ्रांत लोगों से अलग मानते हैं। उनका मानना है के ये संभ्रांत लोग वास्तविक नागरिकों के हितों को आगे नहीं बढ़ने दे रहे हैं। जब अर्थशास्त्री किसी नीतिगत उपाय के बारे में यह कहते हैं कि ये पूरी तरह व्यावहारिक नहीं हैं तो लोकलुभावन नेताओं के समर्थक यह कहने में जरा भी देरी नहीं करते कि पुरानी सोच वाले लोग फिर अपनी टांग अड़ाने लगे हैं।
अमेरिका में फिलहाल निश्चित तौर पर कुछ ऐसा ही लग रहा है। ‘मेक अमेरिका ग्रेट अगेन’ (मागा) अभियान के कई सदस्यों ने सवाल उठाए हैं कि शुल्कों के प्रभाव पर अर्थशास्त्रियों की बात क्यों मानी जाए जब उनके विचार वैश्वीकरण के फायदों पर गलत साबित हो चुके हैं। सच्चाई यह है कि उन प्रभावों के आकलन में अर्थशास्त्री गलत नहीं थे और अमेरिका पहले की तुलना में अब अधिक धनी हो गया है इस बात की अब कोई राजनीतिक प्रासंगिकता नहीं रह गई है।
‘मुक्ति दिवस’ शुल्क जैसे कड़े एवं गैर-परंपरागत निर्णय अंत में नुकसानदेह होते हैं और इनके सभी के हितों पर नकारात्मक असर ही दिखते हैं। लेकिन इससे कोई अपना विचार बदलने वाला नहीं है। निर्णय सही था; उस पुराने स्थापित अभिजात वर्ग ने एक बार फिर आम अमेरिकियों को लाभ उठाने से रोका।
लोकलुभावन नेता लोकतांत्रिक राजनीति की बिसात पर ही तैयार होते हैं। ऐसे नेताओं से बचा नहीं जा सकता। हर कुछ दशकों में वे उभर आते हैं। अगर किसी देश में ऐसा कोई नेता उभरता है मगर वह परंपरागत एवं व्यावहारिक समझ को दरकिनार करने वाले अधिक निर्णय नहीं लेता है तो वह (देश) स्वयं को भाग्यशाली मान सकता है। रूस अनगिनत बार दूसरे देशों पर चढ़ाई नहीं कर सकता, अमेरिका ऊंचे शुल्कों के साथ हमेशा आगे नहीं बढ़ सकता है और अच्छी बात है कि भारत नोटबंदी की बात भूल चुका है। साल 2016 के उन काले दिनों की याद मुझे किसी और चीज से नहीं आई, जितनी कि ट्रंप महोदय को तर्क और अर्थशास्त्र को चुनौती देते हुए टैरिफ की घोषणा करते समय।