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अडानी ग्रुप का मेगा प्लान: एयरपोर्ट विस्तार के लिए विदेशी बैंकों से ₹6400 करोड़ का लोन लेने की तैयारी!
23 May, 2025 09:27 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
देश के सबसे बड़े कारोबारी घरानों में से एक, गौतम अडानी के नेतृत्व वाला अडानी ग्रुप, अपने एयरपोर्ट व्यवसाय के विस्तार के लिए एक महत्वपूर्ण वित्तीय कदम उठाने जा रहा है। सूत्रों के अनुसार, अडानी एयरपोर्ट होल्डिंग्स लिमिटेड (AAHL) अंतरराष्ट्रीय बैंकों से लगभग 750 मिलियन डॉलर (भारतीय मुद्रा में लगभग ₹6,250 करोड़ से ₹6,400 करोड़) का ऑफशोर लोन लेने की बातचीत कर रहा है। यह रकम भारत में किसी एयरपोर्ट ग्रुप द्वारा लिया जाने वाला अब तक का सबसे बड़ा कर्ज हो सकता है, जो समूह की महत्वाकांक्षी विकास योजनाओं को दर्शाता है।
लोन का उद्देश्य और विस्तार योजनाएं
इस बड़े कर्ज का प्राथमिक उद्देश्य अडानी के एयरपोर्ट कारोबार के लिए पूंजीगत व्यय (Capital Expenditure) को पूरा करना और सितंबर में परिपक्व होने वाले डॉलर-आधारित ऋणों का पुनर्वित्त (Refinance) करना है। अडानी एयरपोर्ट होल्डिंग्स लिमिटेड वर्तमान में भारत के सात प्रमुख हवाई अड्डों का प्रबंधन करती है, जिसमें मुंबई, अहमदाबाद, लखनऊ, मंगलुरु, जयपुर, गुवाहाटी और तिरुवनंतपुरम शामिल हैं। इसके अलावा, समूह मुंबई के बाहरी इलाके में एक नया 2 बिलियन डॉलर का अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा (नवी मुंबई इंटरनेशनल एयरपोर्ट) लॉन्च करने की कगार पर है, जो जल्द ही परिचालन शुरू करेगा।
अडानी ग्रुप की योजना इन हवाई अड्डों की क्षमता को अगले 5-10 वर्षों में लगभग तीन गुना बढ़ाने की है, जिसके लिए कुल ₹60,000 करोड़ का पूंजीगत व्यय अनुमानित है। इसमें से ₹30,000 करोड़ 'एयरसाइड' (रनवे, टैक्सीवे, टर्मिनल) और बाकी 'सिटीसाइड' (एयरपोर्ट के आसपास वाणिज्यिक और खुदरा विकास) पर खर्च किए जाएंगे।
अंतर्राष्ट्रीय बैंकों का बढ़ता विश्वास
इस बड़े लोन के लिए बार्कलेज पीएलसी (Barclays Plc), फर्स्ट अबू धाबी बैंक पीजेएससी (First Abu Dhabi Bank PJSC), और स्टैंडर्ड चार्टर्ड बैंक पीएलसी (Standard Chartered Bank Plc) जैसे प्रमुख अंतरराष्ट्रीय बैंक बातचीत में शामिल हैं। यह हालिया घटनाक्रम, खासकर अमेरिकी न्याय विभाग द्वारा समूह के खिलाफ लगाए गए कुछ आरोपों के बाद, वैश्विक वित्तीय संस्थानों का अडानी ग्रुप में बढ़ते विश्वास का संकेत देता है।
हालिया फंडरेजिंग और वित्तीय स्थिति
यह अकेला फंडरेजिंग प्रयास नहीं है। अडानी ग्रुप ने हाल ही में मार्च में एक कंस्ट्रक्शन फर्म के अधिग्रहण के लिए लगभग 750 मिलियन डॉलर का एक ऑफशोर प्राइवेट प्लेसमेंट बॉन्ड भी जारी किया था, जिसमें ब्लैकरॉक इंक. (BlackRock Inc.) ने एक तिहाई हिस्सा लिया था। इसके अतिरिक्त, मार्च में ही, राज्य के स्वामित्व वाली पावर फाइनेंस कॉर्पोरेशन लिमिटेड (Power Finance Corporation Ltd.) ने अडानी ग्रीन के एक निर्माण-लिंक्ड लोन के लिए 1 बिलियन डॉलर का पुनर्वित्त किया था।
अडानी ग्रुप की नवीनतम वित्तीय रिपोर्टों के अनुसार, वित्तीय वर्ष 2025 में उनका EBITDA (ब्याज, कर, मूल्यह्रास और परिशोधन से पहले की कमाई) रिकॉर्ड ₹89,806 करोड़ रहा, जो पिछले वर्ष की तुलना में 8.2% अधिक है। समूह ने ₹1.26 लाख करोड़ का रिकॉर्ड पूंजीगत व्यय भी दर्ज किया है और अगले छह वर्षों में $100 बिलियन के निवेश की योजना है। यह मजबूत वित्तीय प्रदर्शन और महत्वाकांक्षी विस्तार योजनाएं अडानी ग्रुप को अंतरराष्ट्रीय पूंजी बाजारों में लगातार आकर्षक बना रही हैं।
अनिल अंबानी की Reliance Defence ने जर्मनी के साथ किया करार, महाराष्ट्र में बनेगी गोला-बारूद फैक्ट्री!
23 May, 2025 08:22 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
अनिल अंबानी की रिलायंस डिफेंस ने महाराष्ट्र में स्थापित किये जाने जाने वाले कारखाने से तोप के गोले और गोला-बारूद जैसे विस्फोटक की आपूर्ति के लिए जर्मनी की हथियार विनिर्माता राइनमेटल एजी के साथ एक समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं. रिलायंस डिफेंस ने एक बयान में कहा, रिलायंस इन्फ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड द्वारा प्रवर्तित रिलायंस डिफेंस लिमिटेड (रिलायंस डिफेंस) और डसेलडोर्फ स्थित राइनमेटल एजी ने गोला-बारूद के क्षेत्र में रणनीतिक साझेदारी पर सहमति व्यक्त की है. इस आशय के एक समझौते पर अब दोनों कंपनियों के प्रतिनिधियों ने हस्ताक्षर किए .
यह समूह का दसॉ एविएशन और फ्रांस की थेल्स के साथ संयुक्त उपक्रम के बाद तीसरा रक्षा समझौता है. बयान के अनुसार, कंपनियों के बीच सहयोग में रिलायंस द्वारा राइनमेटल को मध्यम और बड़े कैलिबर गोला-बारूद के लिए विस्फोटक और प्रणोदक की आपूर्ति शामिल होगी. इसके अलावा, दोनों कंपनियां चयनित उत्पादों के लिए संयुक्त विपणन गतिविधियों में संलग्न होने पर बात कर रही हैं और भविष्य के अवसरों के आधार पर अपने सहयोग का विस्तार कर सकती हैं.
डिफेंस में मेक इन इंडिया को मिलेगी बढ़त
यह रणनीतिक साझेदारी भारत की रक्षा विनिर्माण क्षमताओं को सरकार की प्रमुख मेक इन इंडिया (भारत में निर्माण करो) और आत्मनिर्भर भारत पहलों के साथ जोड़कर मजबूत करेगी. यह भारत को दुनिया के अग्रणी रक्षा निर्यातकों में स्थान दिलाने के दृष्टिकोण को आगे बढ़ाती है. यह नई इकाई रिलायंस डिफेंस को देश के शीर्ष तीन रक्षा निर्यातकों में शामिल होने के उसके लक्ष्य को प्राप्त करने में मदद करेगी.
Paras Defence शेयर में जबरदस्त तेजी
ऑपरेशन सिंदूर के बाद भारत की डिफेंस कंपनियों के शेयर में तेजी बनी हुई है. बीते दिनों Paras Defence and Space Technologies Ltd शेयर 2.16% की तेजी के साथ 1,409.00 रुपए पर ट्रेड कर रहा है. बात Hindustan Aeronautics Ltd की करें तो ये भी 0.35% की तेजी के साथ 4,483.50 रुपए पर ट्रेड कर रहा है. बता दें, कि पहलगाम अटैक के बाद भारत-पाकिस्तान के बीच तनाव बढ़ने के बाद से ही भारतीय रक्षा कंपनियों का मार्केट वैल्यूएशन 5 अरब डॉलर से अधिक बढ़ गई है.
RBI ने बढ़ाया सरकारी खजाना! ₹2.1 लाख करोड़ का रिकॉर्ड लाभांश इस तारीख को होगा ट्रांसफर।
23 May, 2025 08:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) शुक्रवार को पिछले वित्त वर्ष (2024-25) के लिए केंद्र सरकार को दिए जाने वाले लाभांश की राशि की घोषणा कर सकता है. वित्त वर्ष 2023-24 के लिए आरबीआई ने सरकार को रिकॉर्ड 2.1 लाख करोड़ रुपये का अधिशेष या लाभांश हस्तांतरित किया था. यह राशि वित्त वर्ष 2022-23 के लिए भुगतान किए गए 87,416 करोड़ रुपये से दोगुनी से भी अधिक थी.
इस बार लाभांश भुगतान अधिक होने की उम्मीद है, जिसके बारे में निर्णय आरबीआई के केंद्रीय निदेशक मंडल की 23 मई को होने वाली अगली बैठक में लिया जा सकता है. पिछले सप्ताह आरबीआई के केंद्रीय बोर्ड ने आर्थिक पूंजी ढांचे (ईसीएफ) की समीक्षा की थी, जो सरकार को अधिशेष हस्तांतरण तय करने का आधार है. आरबीआई ने कहा था कि एजेंडे के तहत बोर्ड ने ईसीएफ की समीक्षा की.
2019 में लिया गया था फैसला
हस्तांतरण योग्य अधिशेष का निर्धारण आरबीआई के मौजूदा आर्थिक पूंजी ढांचे की समीक्षा के लिए बिमल जालान की अध्यक्षता वाली विशेषज्ञ समिति की सिफारिशों के अनुसार, 26 अगस्त, 2019 को रिजर्व बैंक द्वारा अपनाए गए ईसीएफ के आधार पर किया जाता है.
समिति ने सिफारिश की थी कि आकस्मिक जोखिम बफर (सीआरबी) के तहत जोखिम प्रावधान आरबीआई के बहीखाते के 6.5 से 5.5 प्रतिशत की सीमा के भीतर बनाए रखा जाना चाहिए. चालू वित्त वर्ष (2025-26) के लिए केंद्रीय बजट में रिजर्व बैंक और सार्वजनिक क्षेत्र के वित्तीय संस्थानों से 2.56 लाख करोड़ रुपये की लाभांश आय का अनुमान लगाया गया है.
RBI ने SBI पर लगाया जुर्माना
देश के सबसे बड़ी सरकारी बैंक यानी भारतीय स्टेट बैंक पर रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने 1.72 करोड़ रुपए का जुर्माना लगाया है. आरबीआई के द्वारा एसबीआई पर लगाया गया ये जुर्माना नियामक अनुपालन में कमियों को लेकर लगाया गया है. आपको बता दें इससे पहले आरबीआई ने एसबीआई को कारण बताओं नोटिस दिया था, जिसके जवाब से संतुष्ट नहीं होने पर रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने स्टेट बैंक ऑफ इंडिया के ऊपर इतना बड़ा जुर्माना लगाया है.
सोने में बंपर उछाल का अनुमान! अमेरिका की इस एजेंसी ने बताया कब 1 लाख के पार जाएगा भाव!
22 May, 2025 07:34 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
आने वाले दिनों में सोने की कीमत एक बार फिर रिकॉर्ड तोड़ तेजी के साथ बढ़ सकती है. इस पर अमेरिका की एजेंसी जेपी मॉर्गन ने पूर्वानुमान लगाया है कि 2026 के मध्य तक सोने की कीमत प्रति औंस 4 हजार डॉलर को भी पार कर सकती है. हाल के दिनों में बैंक ने अपने नोट में कहा कि बढ़ती मंदी की चिंताएं और अमेरिका की तरफ से लगाए गए हाई टैरिफ और अमेरिका -चीन के बीच बढ़ते बिजनेस तनाव के कारण सोने की कीमत में तेजी आ सकती है.
जेपी मॉर्गन ने की बड़ी भविष्यवाणी
इसपर जेपी मॉर्गन का मानना है कि 2025 की चौथी तिमाही तक गोल्ड का औसत रेट 3,675 डॉलर प्रति औंस रहेगा. वहीं अगर इन्वेस्टर्स और केंद्रीय बैंकों की मांग में तेजी बनी रहती है तो कीमत 4 हजार डॉलर के स्तर को पहले भी छू सकती हैं. इसपर Goldman Sachs ने भी अब और तेजी का रुख अपनाया है. जिसने हाल के दिनों में 2025 के आखिरी तक पूर्वानुमान को 3,300 डॉलर से बढ़ाकर 3,700 डॉलर प्रति औंस कर दिया है. इसपर बैंक का कहना है कि एक चरम स्थिति में अगले साल के अंत तक सोने की कीमत 4,500 डॉलर यानी 1 लाख के पार पहुंच सकती है.
ब्याज दरें भी बढ़ सकती है
बता दें, जेपी मॉर्गन के इस पूर्वानुमान के पीछे का एक ही मुख्य कारण है इन्वेस्टर्स और केंद्रीय बैंकों से लगातार खरीदारी मजबूत हो रही है. इसपर बैंक को उम्मीद है कि इस साल सोने की मांग औसतन 710 टन प्रति तिमाही के आस-पास ही रहेगी. वहीं जेपी मॉर्गन ने संभावित नकारात्मक जोखिमों की तरफ भी अपने पूर्वानुमानों में इशारा किया है. अगर सरकारी बैंकों की मांग कमजोर होती है तो ब्याज दरें भी बढ़ सकती है.
आज सोने की कीमतों में उछाल
आज सोने की कीमतों में उछाल देखने को मिला है. जियो पॉलिटिकल टेंशन में बढ़ोतरी और इसके साथ ही यूएस इकोनॉमिक ग्रोथ को लेकर अनसर्टेनिटी भी है. वहीं डॉलर में भी कमजोरी देखने को मिली है. जिसके कारण आज सोने की कीमत में तेजी है. आज सराफा बाजार में आज 24 कैरेट सोने की कीमत 490 रुपए उछलकर 98,060 रुपए पर आ गई है.
क्यों चमक रहा है रियल एस्टेट का सितारा? ये हैं 5 कारण जो घाटे को मुनाफे में बदल रहे!
22 May, 2025 07:28 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
2016 की नोट बंदी, 2017 की जीएसटी और 2020 में कोविड की मार झेलने बाद रियल एस्टेट सेक्टर में जबरदस्त मंदी आई जिसके पीछे घरों की मांग का घटना और फंड की कमी सबसे बड़ी कारण थे. इस दौरान अधिकतम परियोजनाओं में निर्माण कार्य धीमा हुआ तथा कई में पूरी तरह से बंद हो गया. लेकिन रियल एस्टेट सेक्टर ने 2022-24 में जबरदस्त वापसी की और क्योंकि प्रॉपर्टी की मांग और कीमतों में उछाल ने पिछले सभी रिकॉर्ड तोड़ दिए.
रियल एस्टेट में आई इस तेजी में कई ऐसी पुरानी और अधूरी परियोजनाएं भी चल पड़ी जिनमें वर्षों से काम बंद था और उनके बायर अपना घर पाने की उम्मीद भी खो चुके थे. यूनिटस की बढ़ती मांग और कीमतों में तेजी से के कारण ऐसी अधूरी परियोजनाएं फायदा देने लायक हो गई. और तो और, कुछ स्तर तक निर्माण होने के कारण इनके पूरा होने की संभावना नई परियोजना की अपेक्षा ज्यादा थी.
फंड की कमी
अधूरी परियोजनों में असल समस्या फंड की कमी होती है जिसके समाधान से बंद पड़ी परियोजनाएं भी बनने लगती है. क्रेडाई पश्चिमी यूपी के सचिव दिनेश गुप्ता का मानना है कि अकेले नोएडा और ग्रेटर नोएडा में फंड की कमी से कई अन्य रियल एस्टेट परियोजनाएं या तो अभी भी ठप पड़ी है या फिर एनसीएलटी में पहुच रही है जो सेक्टर के लिए ठीक नहीं है. सेक्टर में फिलहाल फंड के सोर्स के अलावा कई अन्य पहल की जरूरत है जिससे रुकी हुई परियोजनाओं में पुनः निर्माण संभव हो सके.
पुरानी कंपनी का टेकओवर
इस मॉडल के अन्तर्गत किसी नए रियल एस्टेट कंपनी द्वारा पुरानी रियल एस्टेट कंपनी का अधिग्रहण कर लिया जाता है और अधूरी परियोजना के भूखंड का उपयोग किया जाता है. इस प्रक्रिया में पुरानी कंपनी का शत प्रतिशत शेयर ट्रांसफर करना या पूरी ईक्विटी खरीदना विकल्प होता है. इस आधार पर रेनॉक्स ग्रुप द्वारा निवास प्रोमोटर्स का अधिग्रहण करके लगभग एक दशक के बाद ग्रेटर नोएडा वेस्ट के 3.30 ऐकर भूखंड पर रेनॉक्स थ्राइव परियोजन लाई गई है. रेनॉक्स ग्रुप के चेयरमैन शैलेन्द्र शर्मा के अनुसार हमारे लिए अधिग्रहण ही सबसे सटीक रास्ता था। हमने परियोजना से जुड़े सभी पक्षों का बकाया चुकाया जिसमें ग्रेटर नोएडा अथॉरिटी गया, बैंक, रेरा और पुराने शामिल है. इसके उपरांत पूर्व प्रोमोटर की परियोजना का रेरा से पंजीयन रद्द करवाकर फ्रेश नाम से परियोजना लाई गई. हमने परियोजना चलाने के साथ-साथ रोजगार उत्पन्न किया और वर्षों से रुके पड़े सरकारी राजस्व के सम्पूर्ण चक्र को भी चला दिया है.
पुरानी कंपनी में नया प्रबंधन
कई परियोजनाएं फंड की कमी के साथ एक प्रभावशाली प्रबंधन के अभाव से भी नहीं चल पाती है. ऐसे में परियोजना के पूर्व प्रोमोटर्स द्वारा की जा रही गलतियों को दूर करने के लिए नया प्रबंधन लाया जाता है जो फंड के अलावा बेहतर नेतृत्व से परियोजना पूरा करने हेतु काम करता है. इस मॉडल पर डिलिजेन्ट बिल्डर्स द्वारा ग्रेटर नोएडा वेस्ट में ही 2.5 एकर में फैले अंतरिक्ष वैली नाम की परियोजना का पुनः निर्माण किया जा रहा है. डिलिजेन्ट बिल्डर्स के सीओओ ले.क. अश्वनी नागपाल (रिटायर्ड) के अनुसार पुरानी कंपनी में ही नए प्रबंधन द्वारा नए स्तर से फंड की आपूर्ति करके न केवल प्राधिकरण का बकाया चुकाया बल्कि परियोजना से जुड़े पुराने आवंटियों को रिफ़ंड भी दिया गया. नई कार्य योजना से बंद पड़ी परियोजना में निर्माण कार्य पुनः प्रारंभ हुआ. इस प्रक्रिया में हमें सरकार की सकरात्मक नीतियों और अमिताभ कांत कमेटी की सिफारिशों का साथ मिला जिसके कारण हम जल्द ही घर खरीदारों को उनका घर दे सकेंगे और परियोजना पूर्ण कर सकेगे.
एनसीएलटी से रिवर्स इनसॉल्वेनसी
रियल एस्टेट सेक्टर में ऐसी परियोजनाएं बहुत सीमित है जो एनसीएलटी में जाने के बाद पूर्णता प्राप्त कर सकें. लेकिन ऐसे अपवाद भी है जहां प्रोमोटर द्वारा एनसीएलटी से परियोजना न केवल वापस लाई गई बल्कि पूरा करके ओसी प्राप्त की जा चुकी है. आरजी ग्रुप द्वारा अपनी कंपनी को एनसीएलटी की प्रक्रिया से रिवर्स इनसॉल्वेनसी द्वारा वापस लाया गया और अपनी आरजी लक्जरी होम्स को पूर्ण करके ओसी प्राप्त किया गया है. आरजी ग्रुप के निदेशक हिमांशु गर्ग के अनुसार यह गौतम बुद्ध नगर में संभवतः अकेली कंपनी है जो रिवर्स इनसॉल्वेनसी के जरिए अपने प्रोजेक्ट को एनसीएलटी से वापस लाए और पूरा करके कब्जा भी दिया है. ऐसा कंपनी के सकारात्मक दृष्टिकोण से ही संभव हो सका जिसका एकमात्र उद्देश्य परियोजना पूर्ण करना था. इसमें हमे अपने घर खरीदारों के अलावा सरकारी नीतियों और वित्तीय संस्थान से भी सहयोग मिला। इस कारण हम अपने 7 टावर का ओसी प्राप्त कर लिया है और शेष 2 के ओसी हेतु आवेदन कर चुके है.
को-डेवलपर पॉलिसी
अमिताभ कांत समिति की कई सिफारिशों में से एक को-डेवलपर पॉलिसी के अन्तर्गत भी कई प्रोमोटर्स की परियोजना को किसी अन्य प्रोमोटर द्वारा पूरा कराया जा रहा है. इस मॉडल में प्राधिकरण के शर्तों के अनुरूप भूखंड का शेष बकाया व अन्य कर्जे चुकाकर नया प्रोमोटर अधूरी परियोजना में पुनर्निर्माण के अधिकार प्राप्त करता है. इस आधार पर निम्बस ग्रुप द्वारा सेक्टर 168 और हवेलिया ग्रुप द्वारा ग्रेटर नोएडा वेस्ट की परियोजना पूर्ण करने के अधिकार प्राप्त किए गए है.
मुकेश अंबानी की गीगा फैक्ट्रियां तैयार: सोलर मॉड्यूल और बैटरी उत्पादन में क्रांति लाने की तैयारी
22 May, 2025 07:21 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
मुकेश अंबानी की Reliance Industries Ltd इस साल अपने सोलर फोटोवोल्टिक मॉड्यूल (सोलर पैनल बनाने वाली कंपनी) को चालू कर देगी. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, कंपनी के एक अधिकारी ने बताया कि हम तीन कंपनियां बना रहे हैं. ये फैक्ट्रियां क्लीन एनर्जी से जुड़ी जरूरतों के प्रोडक्शन को पूरा करेंगी. साल 2022 में पीछे रहने के बाद अपने क्लीन एनर्जी टारगेट्स को पूरी करने की कोशिश में जुटी है.
कंपनी ने पिछले एक साल में इसमें निवेश बढ़ाया
ग्लोबल एनर्जी मॉनिटर की रिपोर्ट के अनुसार, कंपनी ने पिछले एक साल में इसमें निवेश बढ़ाया है, लेकिन 2030 तक 500 गीगावॉट (GW) के अपने टारगेट को पूरा करने के लिए कैपेसिटी एडिशंस को दोगुना करेगी. इसपर कंपनी ने कहा कि रिलायंस का टारगेट अगले सोलर मॉड्यूल कैपेसिटी को साल भर में 20 गीगावॉट तक करेगी. वहीं Reliance Industries की बैटरी और माइक्रो पावर इलेक्ट्रॉनिक्स फैक्ट्री अगले साल शुरू करेगी.
5 साल में कुल 113.33% का रिटर्न
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, कंपनी के अधिकारी ने बताया कि अगर ऐसा होता है तो हम सोनल पैनल तैयार करने में दुनियाभर में नंबर 2 पर आ जाएंगे. इतना ही नहीं हम चीन के बाहर टोटल सोलर फोटोवॉल्टिक मॉड्यूल्स का करीब 14 प्रतिशत प्रोडक्शन करेंगे. आज Reliance Industries Ltd कंपनी का शेयर 1.24% की गिरावट के साथ 1,411.50 रुपए पर बंद हुआ है. शेयर का 52 वीक हाई 1,608.95 रुपए है और 52 वीक लो 1,115.55 रुपए है. पिछले एक महीने में कंपनी का शेयर 9.18% का रिटर्न दिया था. वहीं 5 साल में कुल 113.33 प्रतिशत का रिटर्न दिया है.
2000 करोड़ रुपए की डील
मुकेश अंबानी के बाद अब अनिल अंबानी ने भी देश में ग्रीन एनर्जी को बढ़ावा देने के लिए एक बड़ा कदम उठाया है. अनिल अंबानी की कंपनी Reliance Power Ltd और भूटान सरकार की इनवेस्टमेंट इकाई ड्रक होल्डिंग एंड इन्वेस्टमेंट लिमिटेड (DHI) मिलकर 50:50 प्रतिशत हिस्सेदारी वाले वेंचर के जरिए भूटान का सबसे बड़ा सोलर पावर प्रोजेक्ट डेवलप करेगी. इस प्रोजेक्ट में बिल्ड-ओन- ऑपरेट मॉडल के तहत 2000 करोड़ रुपए का कैपिटल आउटले होगा.
₹2,903 करोड़ से बदलेगा BSNL का चेहरा! TCS को मिला 18,685 4G साइट्स का महा-ऑर्डर!
22 May, 2025 09:30 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज (TCS) ने बुधवार को बताया कि उसे भारत संचार निगम लिमिटेड (BSNL) से करीब 2,903 करोड़ रुपये का एक नया ऑर्डर मिला है। इसमें टैक्स भी शामिल है। यह ऑर्डर 4G मोबाइल नेटवर्क की प्लानिंग, इंजीनियरिंग, सप्लाई, इंस्टॉलेशन, टेस्टिंग, कमीशनिंग और सालाना मेंटेनेंस के लिए है।
TCS ने एक फाइलिंग में कहा कि BSNL जल्द ही इस ऑर्डर के लिए विस्तृत पर्चेज ऑर्डर जारी करेगा, बशर्ते सभी शर्तें, नियम और जरूरी डॉक्यूमेंट्स पूरे हो जाएं। यह ऑर्डर 18,685 BSNL साइट्स के लिए है।
पहले का 15,000 करोड़ का प्रोजेक्ट और नई चुनौतियां
TCS को पहले ही BSNL से 15,000 करोड़ रुपये का एक बड़ा ऑर्डर मिल चुका है, जिसमें डेटा सेंटर और 4G साइट्स बनाने के साथ-साथ 5G इंफ्रास्ट्रक्चर की नींव रखने का काम शामिल है। लेकिन अब इस पुराने ऑर्डर से होने वाली कमाई धीरे-धीरे कम हो रही है, जिससे TCS को अपने प्रमुख बाजारों में ग्रोथ की चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है।
TCS के सीईओ के. कृतिवासन ने जनवरी में एक कॉन्फ्रेंस कॉल में एनालिस्ट्स से कहा था, “BSNL से होने वाली कमाई में कमी एक चुनौती हो सकती है, लेकिन हमें भरोसा है कि हम इसका ज्यादातर हिस्सा दूसरी जगहों से पूरा कर लेंगे। हम देश और विदेश दोनों में नए मौके तलाश रहे हैं।” उन्होंने यह भी बताया कि BSNL के पिछले प्रोजेक्ट का 70 फीसदी काम पूरा हो चुका है, जिसके चलते उससे होने वाली कमाई अब धीरे-धीरे कम होने लगेगी।
उन्होंने कहा, “यह कमी चौथी तिमाही या अगली तिमाही से शुरू हो सकती है, लेकिन मुझे लगता है कि चौथी तिमाही से ही इसका असर दिखने लगेगा।”
BSNL का लक्ष्य है कि वह जून तक देशभर में 1 लाख 4G टावर लगाए, ताकि टेलिकॉम मार्केट में अपनी खोई हुई जगह को फिर से हासिल कर सके। पिछले कुछ सालों में वोडाफोन-आइडिया, एयरटेल और रिलायंस जियो ने इस मार्केट में अपनी मजबूत पकड़ बना ली है।
5G अपग्रेड और तेजस नेटवर्क्स का योगदान
TCS के चीफ फाइनेंशियल ऑफिसर समीर सेक्सरिया ने जनवरी में एनालिस्ट्स को बताया था कि BSNL ने 5G अपग्रेड के लिए एक रिक्वेस्ट फॉर प्रपोजल (RFP) जारी किया है। उन्होंने कहा, “हमने 4G प्रोजेक्ट को सफलतापूर्वक पूरा किया है, इसलिए हम इसके लिए क्वालिफाई करते हैं। हम इस नए RFP में हिस्सा लेंगे।”
इसके अलावा, टाटा ग्रुप की सब्सिडियरी तेजस नेटवर्क्स (TNL) ने एक अलग फाइलिंग में बताया कि वह इस प्रोजेक्ट के लिए TCS को 1,525.23 करोड़ रुपये (टैक्स को छोड़कर) के रेडियो एक्सेस नेटवर्क (RAN) और अन्य उपकरण सप्लाई करेगी। तेजस नेटवर्क्स के शेयरों में इस खबर के बाद 3.16 फीसदी की बढ़त देखी गई और यह बीएसई पर 746.50 रुपये पर बंद हुआ। तेजस नेटवर्क्स वायरलाइन और वायरलेस नेटवर्किंग प्रोडक्ट्स बनाती है और टेक्नोलॉजी, इनोवेशन और रिसर्च एंड डेवलपमेंट (R&D) पर फोकस करती है। इसके कैरियर-क्लास प्रोडक्ट्स 75 से ज्यादा देशों में टेलिकॉम सर्विस प्रोवाइडर्स, यूटिलिटीज, सरकार और डिफेंस नेटवर्क्स द्वारा इस्तेमाल किए जाते हैं।
भविष्य यहीं है! महाराष्ट्र का ₹120 करोड़ का दांव: 300 एकड़ की इनोवेशन सिटी जो आपके होश उड़ा देगी!
22 May, 2025 07:47 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
भारत सरकार ने स्टार्टअप संस्कृति को प्रोत्साहित करने के लिए नई योजनाएं बनाई हैं, विशेषकर छोटे शहरों पर ध्यान केंद्रित किया गया है। तो महाराष्ट्र सरकार ने स्टार्टअप के लिए 120 करोड़ रुपये का फंड ऑफ फंड्स तैयार किया है ताकि स्टार्टअप की रेस में महाराष्ट्र सबसे आगे बना रहे हैं। मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने कहा कि निवेश और स्टार्टअप की संख्या के मामले में महाराष्ट्र देश में सबसे आगे है।
मुंबई में आयोजित स्टार्टअप कॉन्क्लेव 2025 में फडणवीस बताया कि राज्य सरकार ने स्टार्टअप्स के लिए एक मजबूत इकोसिस्टम तैयार करने के लिए 120 करोड़ रुपये का फंड ऑफ फंड्स बनाया है, जिसके माध्यम से आर्थिक रूप से सक्षम और बिक्री योग्य स्टार्टअप्स को वित्तीय सहायता दी जा रही है।
Start-Ups को लेकर क्या है महाराष्ट्र सरकार का प्लान
भारत की स्टार्टअप इकोसिस्टम आज विश्व में सबसे तेजी से बढ़ने वाली प्रणालियों में से एक है। चीन के बाद भारत में सबसे अधिक स्टार्टअप हैं और भविष्य में भारत दुनिया की सबसे बड़ी स्टार्टअप शक्ति बनेगा। नवी मुंबई में 300 एकड़ क्षेत्र में देश की सबसे आधुनिक इनोवेशन सिटी बनाई जा रही है, जहां विज्ञान, प्रौद्योगिकी, जैव-प्रौद्योगिकी, डेटा साइंस और एडवांस मैन्युफैक्चरिंग क्षेत्र के स्टार्टअप्स को इनक्यूबेट किया जाएगा। साथ ही 12 विश्व स्तरीय विश्वविद्यालयों के परिसर वाली एज्युसिटी भी बनाई जा रही है, जिसमें एक लाख छात्र शिक्षा प्राप्त करेंगे।
मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने कहा कि महाराष्ट्र को समृद्ध समुद्री किनारा प्राप्त है, जिससे सागरी अर्थव्यवस्था को लेकर अपार संभावनाएं हैं। इस आधार पर हजारों स्टार्टअप्स शुरू होकर नई व्यावसायिक संभावनाएं पैदा कर सकते हैं। तटीय स्वच्छता और समुद्री संसाधनों के प्रबंधन में नवोन्मेष और सतत समाधानों की आवश्यकता है। मरीन रोबोटिक्स जैसे क्षेत्रों में काम कर रहे स्टार्टअप्स आज के समय में अत्यंत महत्वपूर्ण हो गए हैं।
मुख्यमंत्री ने कहा कि कई संस्थाएं ठोस और तरल कचरा प्रबंधन के क्षेत्र में निरंतर नए प्रयोग कर रही हैं। समुद्र, नदियों या नालों में प्रदूषण का अधिकांश हिस्सा औद्योगिक नहीं बल्कि अन्य अपशिष्टों से होता है। यदि हम सतत तकनीकों की सहायता से इस कचरे का उचित प्रबंधन कर सकें, तो पारंपरिक जल स्रोतों को फिर से स्वच्छ बनाना संभव होगा। इसके लिए इनोवेटिव टेक्नोलॉजी और स्टार्टअप्स की विशेष आवश्यकता है। कृषि क्षेत्र में बड़ी संख्या में स्टार्टअप्स सामने आ रहे हैं। महाराष्ट्र को देश की स्टार्टअप क्रांति का अगुवा बनाने का संकल्प है। केंद्र और राज्य सरकार के संयुक्त प्रयासों से शिक्षा और नवाचार के क्षेत्र में हम नेतृत्व प्रदान करेंगे।
देश में लगभग 2.5 लाख स्टार्टअप्स सक्रिय
केंद्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि भारत सरकार ने स्टार्टअप संस्कृति को प्रोत्साहित करने के लिए नई योजनाएं बनाई हैं, विशेषकर छोटे शहरों पर ध्यान केंद्रित किया गया है। देश में लगभग 2.5 लाख स्टार्टअप्स सक्रिय हैं, जिनमें से 49 फीसदी छोटे शहरों जैसे सूरत, अहमदाबाद, अमृतसर और चंडीगढ़ से आए हैं। अब तक 64,480 पेटेंट्स फाइल किए जा चुके हैं, जिनमें से 56 फीसदी पेटेंट भारतीयों द्वारा भारत में ही शिक्षा प्राप्त कर, यहीं काम करते हुए दाखिल किए गए हैं। यह बदलती सोच और अवसरों का विस्तार भारत को आत्मनिर्भर बना रहा है। उन्होंने युवाओं से स्टार्टअप क्षेत्र में सक्रिय भागीदारी कर विकसित भारत 2047 के सपने को साकार करने का आह्वान किया।
गांवों तक पहुंचेगी नया स्टार्टअप नीति
कौशल विकास, रोजगार, उद्यमिता व नवाचार मंत्री मंगल प्रभात लोढा ने घोषणा की कि महाराष्ट्र सरकार एक नई स्टार्टअप नीति तैयार कर रही है, जो स्टार्टअप आंदोलन को शहरी क्षेत्रों से आगे ग्रामीण क्षेत्रों तक ले जाने का प्रयास करेगी। स्टार्टअप केवल तकनीकी क्षेत्रों तक सीमित न रहकर गांवों की समस्याओं का समाधान करने का माध्यम बनना चाहिए। इस नीति को जन आंदोलन बनाने के उद्देश्य से जनता से सुझाव मांगे जा रहे हैं।
रूसी तेल आयात में जबरदस्त उछाल, अब 1.8 मिलियन बैरल/दिन!
22 May, 2025 06:41 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
भारत के रूसी कच्चे तेल आयात में मई 2025 में अब तक की सबसे बड़ी वृद्धि देखी जा रही है, जो 10 महीने में सबसे उच्चतम स्तर 1.8 मिलियन बैरल प्रति दिन तक पहुँचने की संभावना है। Kpler द्वारा उपलब्ध कराए गए शिप ट्रैकिंग डेटा के अनुसार, भारतीय रिफाइनरियों ने ESPO ब्लेंड जैसे हल्के रूसी तेल grades की अधिक खरीदारी की है, जिससे यह वृद्धि हो रही है।
भारतीय रिफाइनरियों की बढ़ती मांग के कारण ESPO क्रूड की खरीदी बढ़ी है, खासकर मई के अंत में और जून में। व्यापारी यह अनुमान लगा रहे हैं कि इस हल्के रूसी कच्चे तेल की मांग जुलाई तक बनी रह सकती है, क्योंकि भारतीय रिफाइनरियों ने पिछले सप्ताह 10 से अधिक कार्गो का आदेश दिया था। यह खरीदारी यूरोपीय संघ और ब्रिटेन द्वारा मास्को के “शैडो फ्लीट” पर ताजे प्रतिबंधों के पहले हुई थी।
भारत की मजबूत मांग ने ESPO कार्गो के लिए स्पॉट प्रीमियम को बढ़ा दिया है, खासकर चीन में, जो इस कच्चे तेल का सबसे बड़ा खरीदार है। भारतीय रिफाइनरियों में Reliance Industries और MRPL जैसे प्रमुख संयंत्रों में क्रूड डिस्टिलेशन यूनिट्स की शटडाउन के कारण कच्चे तेल की आयात जरूरतें बढ़ी हैं। रिस्टाड एनर्जी के सीनियर ऑयल एनालिस्ट जय शाह के अनुसार, इन कार्गो की आपूर्ति कुछ लंबे समय से चले आ रहे समझौतों के तहत हो रही है, जैसे Reliance Industries और Rosneft के बीच।
ESPO तेल की कीमत वर्तमान में 50 सेंट से 1 डॉलर प्रति बैरल तक बढ़ चुकी है, जो दुबई कीमतों से प्रीमियम पर मिल रहा है। एक व्यापारी ने कहा कि ESPO तेल अच्छी मात्रा में बाजार में उपलब्ध है, और इसे चीन से लगातार कम आपूर्ति के कारण भारत को अधिक प्रस्तुत किया जा रहा है।
विश्लेषकों के अनुसार, चीन के सरकारी स्वामित्व वाले कंपनियां और स्वतंत्र रिफाइनर संशोधित कच्चे तेल से बचने के कारण भारत की मांग ने ESPO कीमतों को प्रभावित किया है। जुलाई के लिए कार्गो की पेशकश में प्रति बैरल 2 डॉलर का प्रीमियम देखा जा रहा है, जो जून में 1.50 से 1.70 डॉलर प्रति बैरल था।
भारत की 'इंपोर्ट स्ट्राइक': बांग्लादेश से 42% सामानों पर प्रतिबंध, भारतीय कपड़ा उद्योग के लिए 'गेम-चेंजर' फैसला
21 May, 2025 06:29 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
नई दिल्ली: भारत ने बांग्लादेश-भारत बंदरगाहों के इस्तेमाल पर प्रतिबंध लगा दिया है. विशेषज्ञों का मानना है कि यह फैसला घरेलू रेडीमेड गारमेंट उद्योग के लिए बहुत फायदेमंद होगा. विशेषज्ञों का कहना है कि इससे खास तौर पर एमएसएसई में कंपटीशन बढ़ेगी. साथ ही ये भी कहना है कि यह बांग्लादेशी अर्थव्यवस्था के लिए बड़ा झटका है. आपको बता दें कि भारत के इस कदम से बांग्लादेश को 770 मिलियन डॉलर या 6581 करोड़ रुपये का नुकसान होने वाला है.
बांग्लादेश को बड़ा झटका!
भारत ने बांग्लादेश से 770 मिलियन डॉलर के आयात पर प्रतिबंध लगा दिया है. यह द्विपक्षीय व्यापार का लगभग 42 फीसदी है. भारत ने बांग्लादेश में बने रेडीमेड गारमेंट्स, प्रोसेस्ड फूड आइटम्स, कार्बोनेटेड ड्रिंक्स, कॉटन और यार्न वेस्ट, प्लास्टिक, PVC आइटम्स और लकड़ी के फर्नीचर के आयात पर प्रतिबंध लगा दिया है. इन्हें अब असम, मेघालय, त्रिपुरा, मिजोरम और बंगाल में एकीकृत चेक प्वाइंट्स और फ्रेट ट्रांसपोर्ट पॉइंट्स के जरिए आने की अनुमति नहीं होगी.
सिर्फ दो भारतीय बंदरगाहों की अनुमति
इन्हें केवल कोलकाता और मुंबई में जवाहरलाल नेहरू बंदरगाहों के जरिए देश में प्रवेश करने की अनुमति होगी. इन दो भारतीय बंदरगाहों के जरिए 668 मिलियन डॉलर के रेडीमेड गारमेंट्स आ रहे हैं. इससे बांग्लादेश का भारत के लिए सबसे मूल्यवान निर्यात मार्ग गंभीर रूप से प्रतिबंधित हो जाएगा.
लंबे समय से चली आ रही मांग
थिंक टैंक ग्लोबल ट्रेड रिसर्च इनिशिएटिव (GTRI) ने कहा कि भारतीय परिधान कंपनियां लंबे समय से बांग्लादेशी निर्यातकों से प्रतिस्पर्धा का विरोध कर रही हैं, क्योंकि उन्हें चीनी परिधानों के शुल्क मुक्त आयात और निर्यात सब्सिडी से लाभ मिलता है. इससे उन्हें भारतीय बाजार में 10-15 फीसदी मूल्य लाभ मिलता है.
GTRI के संस्थापक अजय श्रीवास्तव ने कहा कि इन बंदरगाह प्रतिबंधों से भारतीय सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों (MSME) को लाभ होगा. परिधान निर्यात संवर्धन परिषद (AEPC) के उपाध्यक्ष ए शक्तिवेल ने कहा कि घरेलू निर्यातक लंबे समय से इस तरह के प्रतिबंधों की मांग कर रहे थे. उन्होंने कहा कि भारत सरकार ने अच्छा फैसला लिया है. शक्तिवेल ने कहा कि इससे घरेलू कपड़ा उद्योग को फायदा होगा.
बांग्लादेश ने भारतीय सामानों पर लगाया बैन
बांग्लादेश ने हाल ही में भारतीय कपास, चावल और अन्य सामानों पर प्रतिबंध लगा दिया है. उसने भारतीय माल के प्रस्थान पर ट्रांससिट शुल्क भी लगाया है. इसके जवाब में भारत ने यह फैसला लिया है.
अजय श्रीवास्तव ने कहा कि भले ही बांग्लादेश चीन के करीब जा रहा है. लेकिन भारत को ढाका के साथ बातचीत के दरवाजे बंद नहीं करने चाहिए. हालांकि, एक बड़े पड़ोसी और एक प्रमुख शक्ति के रूप में भारत के लिए धैर्य के साथ नेतृत्व करना और संचार की लाइनें खुली रखना बहुत महत्वपूर्ण है. उन्होंने यह भी कहा कि भारत की एक बड़ी जिम्मेदारी है कि वह व्यापार को हथियार के रूप में इस्तेमाल न करे. उन्होंने कहा कि कूटनीति और आर्थिक सहयोग के जरिए विश्वास बहाल करना अभी भी संभव है.
ज़ोमैटो में विदेशी निवेश पर लगेगी लगाम, 1.3 अरब डॉलर की FII बिकवाली की आशंका!
21 May, 2025 07:35 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
जोमैटो की पैरेंट कंपनी इटरनल भारतीय स्वामित्व वाली और नियंत्रित कंपनी (IOCC) में खुद को बदलने जा रही है. इससे इटरनल के शेयरों पर बिकवाली का दबाव आ सकता है. जोमैटो और ब्लिंकिट को ऑपरेट करने वाली इटरनल के शेयरों पर बिकवाली का दबाव आ सकता है. जेफरीज के अनुसार, 99 फीसदी शेयरधारक वोटों का भारी बहुमत विदेशी स्वामित्व पर कैप लगाने के प्रस्ताव के पक्ष में रहे हैं, जिसके बाद स्टॉक में 1.3 अरब डॉलर का आउटफ्लो आ सकता है. यहां तक कि MSCI का एक्सक्लूजन भी हो सकता है.
इटरनल में विदेशी स्वामित्व
मार्च तिमाही के अंत में इटरनल में विदेशी स्वामित्व 44.8 फीसदी था. जेफरीज के विवेक माहेश्वरी ने कहा कि पिछली शेयरहोल्डिंग की घोषणा के बाद से वॉल्यूम के साथ-साथ स्टॉक में हाल ही में हुई बढ़ोतरी को देखते हुए, यह संभव हो सकता है कि हमारे विचार से FPI होल्डिंग बढ़कर लगभग 46 फीसदी हो गई हो.
FPI होल्डिंग लिमिट
MSCI नियमों के तहत, अगर FII होल्डिंग मैक्सिमम स्वीकार्य सीमा (इस मामले में 46.5%) से 3 फीसदी कम है, तो स्टॉक रेड फ्लैग सूची में आता है. एक्सचेंज/डिपॉजिटरी हर शाम सटीक FPI होल्डिंग्स डेटा जारी करेंगे. अगर FPI होल्डिंग लिमिट का उल्लंघन किया जाता है, तो विदेशी निवेशक केवल घरेलू निवेशकों को शेयर बेचकर, ट्रेड्स की सेटलमेंट तारीख से पांच कारोबारी दिनों के भीतर अपनी अतिरिक्त होल्डिंग्स को हटा देंगे.
ऐसे समझें
जेफरीज ने नियमों को समझाते हुए कहा कि उदाहरण के लिए अगर FPI लिमिट ट्रेड डे पर टूट जाती है, तो एक्सचेंज T +1 दिन पर सूचित करेगा और विदेशी खरीदारों ( T डे पर खरीदे गए शेयर) को 5 कारोबारी दिनों के भीतर विदेशी लिमिट (प्रति रेश्यो के आधार पर) से अधिक अपने शेयरों को वापस लेना होगा.
ग्लोबल ब्रोकरेज फर्म ने कहा कि IOCC में कन्वर्जन से या तो भार में कमी आएगी या MSCI से पूर्ण एक्सक्लूजन होगा.
शेयरों में गिरावट
जेफरीज की टिप्पणियों के बाद बीएसई पर इटरनल के शेयर लगभग 4 फीसदी गिरकर 228.35 रुपये पर दिन के निचले स्तर पर आ गए. भारत के डायरेक्ट विदेशी निवेश नियमों के तहत, विदेशी-फंडेड ऑनलाइन मार्केटप्लेस को अपने प्लेटफॉर्म पर इन्वेंट्री रखने या विक्रेताओं को नियंत्रित करने की अनुमति नहीं है. इन प्रतिबंधों के कारण, क्विक कॉमर्स प्लेटफॉर्म सीधे डार्क स्टोर्स के मालिक नहीं होते हैं. 10 मिनट की डिलीवरी के लिए उपयोग किए जाने वाले माइक्रो-वेयरहाउस, जो इसके बजाय अलग-अलग संस्थाओं द्वारा संचालित होते हैं.
IOCC में बदलने से क्या होगा इटरनल को फायदा?
इटरनल ने पहले कहा था कि IOCC का दर्जा ब्लिंकिट को अपने मार्जिन में सुधार करने में सक्षम करेगा. खासतौर से फ्रैगमेंटेड या नॉन-ब्रांडेड कैटेगरी में. साथ ही स्थापित फास्ट-मूविंग कंज्यूमर गुड्स सेगमेंट में भी, जहां इन्वेंट्री का स्वामित्व बेहतर मार्जिन की अनुमति देता है.
IOCC का दर्जा इसे होम डेकोर, खाद्य पदार्थ, खिलौने, पूजा के सामान और मौसमी गुड्स जैसी कैटेगरी में निजी लेबल लॉन्च करने में सक्षम करेगा. छोटे ब्रांडों और निर्माताओं को सीधे वर्किंग कैपिटल सहायता की पेशकश करके या इन्वेंट्री के लिए हमारी बैलेंस शीट का उपयोग करके, ब्लिंकिट कई ऐसे प्रोडक्ट कैटेगरी में ग्रोथ को बढ़ावा देने में मदद कर सकता है.
CCI पर बोझ कम करने के लिए IBC में संशोधन की तैयारी, मॉनसून सत्र में आ सकता है बिल
21 May, 2025 07:30 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
केंद्र सरकार जल्द ही इन्सॉल्वेंसी एंड बैंकरप्सी कोड (IBC) में बदलाव करने की तैयारी में है। इसका मकसद ये साफ करना है कि कॉर्पोरेट इन्सॉल्वेंसी रिजॉल्यूशन प्रोसेस (CIRP) के तहत बोली लगाने के लिए कॉम्पिटिशन कमीशन ऑफ इंडिया (CCI) की पहले से मंजूरी लेना जरूरी नहीं होगा। ये जानकारी सरकारी सूत्रों ने दी है। ये बदलाव सुप्रीम कोर्ट के उस फैसले के बाद आया है, जिसमें जनवरी में हिंदुस्तान नेशनल ग्लास (HNG) के लिए AGI ग्रीनपैक की जीतने वाली बोली को खारिज कर दिया गया था। वजह थी कि AGI ग्रीनपैक ने कमेटी ऑफ क्रेडिटर्स (Coc) से मंजूरी मिलने से पहले CCI की मंजूरी नहीं ली थी।
एक सरकारी अधिकारी ने कहा, “हम CCI पर बोझ कम करना चाहते हैं। हम IBC में संशोधन करके इस मसले को हल करने की कोशिश करेंगे।”
क्या है पूरा विवाद?
IBC की धारा 31A (4) में कहा गया है कि अगर रिजॉल्यूशन प्लान में कॉम्पिटिशन एक्ट, 2002 की धारा 5 के तहत कोई कॉम्बिनेशन शामिल है, तो रिजॉल्यूशन अप्लिकेंट को Coc से मंजूरी मिलने से पहले CCI की मंजूरी लेनी होगी।
सुप्रीम कोर्ट ने जनवरी में अपने फैसले में कहा था, “AGI ग्रीनपैक का रिजॉल्यूशन प्लान टिकाऊ नहीं है क्योंकि इसने IBC की धारा 31(4) के तहत जरूरी CCI की मंजूरी नहीं ली थी। इसलिए, 28 अक्टूबर 2022 को Coc द्वारा दी गई मंजूरी को बरकरार नहीं रखा जा सकता और इसे रद्द किया जाता है।” इस फैसले का असर भविष्य में IBC के जरिए होने वाले मर्जर पर पड़ेगा।
एक्सपर्ट्स का मानना है कि सरकार अगर इस मामले में स्पष्टता लाती है, तो बोली लगाने वालों को राहत मिलेगी, जो Coc की मंजूरी से पहले CCI के पास जाने से चिंतित रहते हैं।
PWC इंडिया के पार्टनर और रेगुलेटरी लीडर अंशुल जैन ने कहा, “पहली बार रिजॉल्यूशन प्लान जमा करने के बाद, Coc की मंजूरी के लिए फाइनल जमा करने तक इसमें काफी बदलाव हो सकते हैं। अगर बोली लगाने वाला फाइनल प्लान जमा करने से पहले CCI के पास जाता है, तो ये निश्चित नहीं होता कि CCI जिस प्लान की समीक्षा कर रहा है, वही Coc द्वारा मंजूर किया जाएगा।”
सुप्रीम कोर्ट में दोबारा सुनवाई
8 मई को सुप्रीम कोर्ट ने CCI की उस याचिका पर विचार करने को सहमति जताई, जिसमें जनवरी के फैसले पर दोबारा विचार करने की मांग की गई थी।
दरअसल, HNG के लिए AGI ग्रीनपैक और इंडिपेंडेंट शुगर कॉर्प (INSCO) के बीच बोली की रेस थी। HNG अक्टूबर 2021 में इन्सॉल्वेंसी में चली गई थी। INSCO ने 2022 में CCI की मंजूरी हासिल कर ली थी, लेकिन Coc ने AGI ग्रीनपैक को विनर के रूप में चुना, भले ही उसने उस समय CCI की मंजूरी नहीं ली थी। इसके बाद INSCO ने नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल (NCLT) में इसकी शिकायत की।
विवाद का मुख्य मुद्दा ये था कि क्या CCI की मंजूरी Coc के रिजॉल्यूशन प्लान को मंजूरी देने से पहले जरूरी है या बाद में भी ली जा सकती है। NCLT और नेशनल कंपनी लॉ अपीलेट ट्रिब्यूनल ने कहा था कि भले ही CCI की मंजूरी जरूरी है, लेकिन ये अनिवार्य नहीं कि इसे Coc की मंजूरी से पहले लिया जाए। उन्होंने इसे केवल निर्देशात्मक माना था।
निवेशकों की जबरदस्त मांग: बोरना वीव्स IPO ने पहले ही दिन मचाया धमाल
21 May, 2025 07:13 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
Borana Weaves IPO सब्सक्रिप्शन का पहला ही दिन सुपरहिट साबित हुआ है. 20 मई को सब्सक्रिप्शन खुलते ही तमाम कैटेगरी के निवेशकों ने इसमें धुआंधार पैसा लगाया है. एंकर इन्वेस्टर से कंपनी 65.201 करोड़ रुपये जुटा चुकी है. इस तरह कुल 144.89 करोड़ के इश्यू में से कंपनी करीब 45 फीसदी रकम जुटा चुकी है. वहीं, पहले ही दिन सभी कैटेगरी में ओवर सब्सक्रिप्शन हो चुका है. इस तरह कंपनी को जितना रकम जुटानी थी, उतनी मिलना तय हो गया है. इसके अलावा ओवर सब्सक्रिप्शन से यह संकेत भी मिल रहा है कि बड़ी तादाद में निवेशक कंपनी का शेयर खरीदना चाहते हैं. ऐसे में अच्छी लिस्टिंग भी हो सकती है. ग्रे मार्केट प्रीमियम भी इस बात का संकेत दे रहा है कि शेयर पर लिस्टिंग गेन मिल सकता है.
किस कैटेगरी में कितना सब्सक्रिप्शन?
आईपीओ सब्सक्रिप्शन के लिए खुलने से पहले कुल इश्यू किए जाने वाले 67,08,000 शेयरों में से 45 फीसदी यानी 30,18,543 शेयर 65.201 करोड़ रुपये में एंकर इन्वेस्टर्स को बेचे जा चुके हैं. इसके अलावा 20,12,457 शेयर यानी कुल इश्यू का करीब 30 फीसदी क्वालीफाइड इंस्टीट्यूशनल बायर्स यानी QIB के लिए रखा गया है. इस कैटेगरी में 1.54 गुना सब्सक्रिप्शन मिला है. इसी तरह नॉन इंस्टीट्यूशनल इन्वेस्टर्स यानी NII के लिए 10,06,200 शेयर अलॉट किए गए हैं, जबकि इस कैटेगरी में 11.64 गुना ज्यादा यानी 1,17,07,713 शेयर के बिड ऑर्डर मिले हैं. वहीं, सबसे कम 10 फीसदी यानी 6,70,800 शेयर रिटेल कैटेगरी के लिए ऑलट किए गए, जिसमें 25.55 गुना ज्यादा 1,71,38,772 शेयर के बिड ऑर्डर मिले हैं.
इन्वेस्टर कैटेगरी
सब्सक्रिप्शन
अलॉटेड शेयर
शेयर बिड
जमा रकम
एंकर इन्वेस्टर
1
30,18,543
30,18,543
65.201
क्यूआईबी
1.54
20,12,457
31,09,002
67.154
एनआईआई
11.64
10,06,200
1,17,07,713
252.887
रिटेल
25.55
6,70,800
1,71,38,772
370.197
कुल
8.66
36,89,457
3,19,55,487
690.239
*सब्सक्रिप्शन गुना में है. **जमा रकम करोड़ रुपये में
जीएमपी ने दिखाई दबंगई
पिछले कुछ महीनों में आए ज्यादातर आईपीओ को लेकर ग्रे मार्केट में निवेशकों ने कोई खास दिलचस्पी नहीं दिखाई. लेकिन, Borana Weaves IPO का ग्रे मार्केट में दबंग अंदाज दिखा है, जिससे कोई भी निवेशक इसे नजरअंदाज नहीं कर पा रहा है. यही वजह है कि इसके GMP में लगातार बढ़ोतरी आ रही है. Investorgain के मुताबिक मंगलवार 20 मई को पहले इसका जीएमपी 60 रुपये रहा. इस तरह 216 रुपये के इश्यू प्राइस पर फिलहाल ग्रे मार्केट से 27.78% लिस्टिंग गेन के संकेत मिल रहे हैं.
दांव लगाएं या नहीं?
Borana Weaves IPO के एप्लाइ करें या नहीं? इस सवाल का जवाब Bajaj Broking ने अपनी एक IPO Note में दिया है. इसमें कहा गया है कि लॉन्ग टर्म इन्वेस्टर्स को इस आईपीओ में निवेश करना चाहिए.
डिसक्लेमर: इस खबर में GMP संबंधित जानकारी दी गई है. केवल जीएमपी के आधार पर निवेश पर फैसला नहीं करें. निवेश से पहले कंपनी के फंडामेंटल जरूर देखें और एक्सपर्ट की सलाह अवश्य लें.
कोर सेक्टर की रफ्तार धीमी: अप्रैल में 8 महीने के निचले स्तर पर पहुंची वृद्धि दर
21 May, 2025 06:45 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
देश की आठ प्रमुख आधारभूत उद्योगों — जिसे कोर सेक्टर के नाम से जाना जाता है — की उत्पादन वृद्धि दर अप्रैल 2025 में भारी गिरावट के साथ आठ महीने के निचले स्तर 0.5% पर आ गई। वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय द्वारा मंगलवार को जारी आंकड़ों के अनुसार, मार्च में यह आंकड़ा संशोधित होकर 4.6% रहा था, जबकि अप्रैल 2024 में कोर सेक्टर की वृद्धि दर 6.9% थी। इस गिरावट का मुख्य कारण रिफाइनरी उत्पादों और उर्वरकों के उत्पादन में गिरावट और पिछले साल की उच्च आधार दर रही।
किन- किन सेक्टर्स में दिखी कमजोरी
क्रूड ऑयल (कच्चा तेल) का उत्पादन -2.8% रहा, जो लगातार चौथे महीने गिरावट में रहा। वैश्विक कीमतों में गिरावट के कारण घरेलू उत्पादन की जगह आयात को प्राथमिकता दी गई।
रिफाइनरी उत्पादों में -4.5% की गिरावट दर्ज की गई, जो पिछले आठ महीनों में पहली बार है।
उर्वरकों का उत्पादन भी -4.2% गिरा, जो 11 महीनों में पहली गिरावट है। यह संकेत देता है कि बुवाई के मौसम (जो जून से शुरू होता है) से पहले पर्याप्त भंडारण हो चुका है।
सीमेंट का उत्पादन 6.7% की दर से बढ़ा, लेकिन यह वृद्धि दर भी छह महीने के निचले स्तर पर रही।
बिजली उत्पादन में भी सिर्फ 1% की वृद्धि हुई, जो सात महीने की सबसे कमजोर दर है।
इस्पात (स्टील) की वृद्धि दर घटकर 3% रह गई।
कौन-कौन से सेक्टर्स रहे मजबूत
हालांकि, कुछ क्षेत्रों ने सकारात्मक प्रदर्शन किया:
प्राकृतिक गैस का उत्पादन 0.4% बढ़ा, जो 10 महीनों में पहली बार सकारात्मक क्षेत्र में पहुंचा, जबकि पिछले साल अप्रैल में यह वृद्धि 8.6% थी।
कोयले का उत्पादन 3.5% बढ़ा, जो तीन महीने का उच्चतम स्तर है।
आईसीआरए रेटिंग्स की मुख्य अर्थशास्त्री अदिति नायर ने कहा कि अप्रैल में कोर सेक्टर का प्रदर्शन काफी कमजोर रहा और उत्पादन में गिरावट अधिकांश क्षेत्रों में देखी गई, कोयला और प्राकृतिक गैस को छोड़कर बाकी छह क्षेत्रों में मंदी रही।
औद्योगिक उत्पादन पर असर
गौरतलब है कि कोर सेक्टर के आठ उद्योग औद्योगिक उत्पादन सूचकांक (IIP) में 40.27% वजन रखते हैं। इसका अर्थ है कि कोर सेक्टर के प्रदर्शन का IIP पर सीधा प्रभाव पड़ता है। राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (NSO) द्वारा 28 अप्रैल को जारी आंकड़ों में मार्च महीने में IIP वृद्धि दर 3% रही थी, जो फरवरी के छह महीने के निचले स्तर 2.72% से थोड़ी बेहतर थी।
बैंक ऑफ बड़ौदा के मुख्य अर्थशास्त्री मदन सबनवीस ने कहा कि अप्रैल में कोर सेक्टर का प्रदर्शन “काफी निराशाजनक” रहा, हालांकि उच्च आधार दर भी इसका एक कारण है। उन्होंने अनुमान जताया कि अप्रैल के लिए IIP वृद्धि दर 1% से 1.5% के बीच रह सकती है।
डेटा रिलीज में बदलाव
सरकार ने एक अहम बदलाव करते हुए अप्रैल 2025 से कोर सेक्टर के आंकड़े हर महीने की 20 तारीख को जारी करने का फैसला लिया है, जबकि IIP आंकड़े 28 तारीख को आएंगे। इससे दोनों महत्वपूर्ण आर्थिक संकेतकों के बीच समयांतराल (टाइम लैग) कम होगा और विश्लेषण अधिक सटीक हो सकेगा। कोर सेक्टर के कमजोर प्रदर्शन ने नीति निर्माताओं और उद्योग विशेषज्ञों की चिंता बढ़ा दी है। आने वाले महीनों में औद्योगिक क्षेत्र को स्थिरता प्रदान करने के लिए सरकार को मांग और निवेश दोनों स्तरों पर ठोस कदम उठाने की आवश्यकता होगी।
सिंधिया का दावा: भारत में सबसे तेज बढ़ेगा सैटलाइट कम्युनिकेशन नेटवर्क
21 May, 2025 06:37 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
केंद्रीय संचार मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने आज कहा कि दुनिया भर में भारत उपग्रह दूरसंचार (सैटेलाइट कम्युनिकेशन) का सबसे बड़ा बाजार होगा। उन्होंने कहा कि इससे भारत का सैटकॉम बाजार साल 2028 तक बढ़कर 20 अरब डॉलर का हो जाएगा जो अभी के 2.3 अरब डॉलर के मुकाबले 10 गुना बड़ा होगा।
भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (ट्राई) के मुख्यालय में आयोजित सेमिनार में सिंधिया ने कहा कि उपग्रह दूरसंचार प्रौद्योगिकी असल में मौजूदा सेवाओं के लिए पूरक है। मंत्री का बयान उस दिन आया है जब ईलॉन मस्क की कंपनी स्टारलिंक ने पड़ोसी मुल्क बांग्लादेश में दूरसंचार सेवाओं की शुरुआत करने की घोषणा की है।
उद्योग के अंदरूनी सूत्रों के मुताबिक दूरसंचार विभाग ने भारत में उपग्रह संचार सेवाओं के लिए स्टारलिंक के आवेदन को मंजूरी दे दी है। लेकिन अगर कंपनी दूसरों के साथ-साथ सिग्नल की पेशकश करना चाहती है तो उसे अभी भी तय समय में इन-स्पेस से मंजूरी लेनी होगी। उसकी प्रतिस्पर्धी एयरटेल के निवेश वाली यूटेलसैट वनवेब को अगस्त 2021 से ही जीएमपीसीएस लाइसेंस मिल चुका है और जियो सैटेलाइट कम्युनिकेशन लिमिटेड के पास भी यह मार्च 2022 से ही है। मंत्री ने कहा कि दूरसंचार विभाग स्पेस स्पेक्ट्रम के आवंटन पर की गई सिफारिशों का अध्ययन कर रहा है। ये सिफारिशें इस महीने की शुरुआत में जारी की गई थीं। इनमें यह अनिवार्य किया गया है कि ऑपरेटरों को भारत में सेवाएं प्रदान करने के लिए अपने सालाना समायोजित सकल राजस्व (एजीआर) का 4 फीसदी स्पेक्ट्रम उपयोग शुल्क (एसयूसी) के तौर पर देना होगा जबकि ऐसे स्पेक्ट्रम को 5 साल के लिए आवंटित किया जाना चाहिए और इसे अगले दो साल के लिए बढ़ाया जा सकता है। ट्राई के अधिकारियों ने कहा कि इसे और अन्य प्रमुख सिफारिशों को जल्द ही मंजूरी के लिए मंत्रिमंडल के सामने रखे जाने की उम्मीद है।
उल्लेखनीय है कि केपीएमजी की रिपोर्ट में बताया गया है कि दुनिया भर में इस क्षेत्र में निवेश के लिहाज से भारत चौथे स्थान पर है।