व्यापार
ओला इलेक्ट्रिक के बिक्री के आंकड़ों को लेकर विवाद
13 Apr, 2025 02:30 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
नई दिल्ली । ओला इलेक्ट्रिक कंपनी के बिक्री को लेकर जारी किए गए आंकड़ों पर विवादों में घिरी हुई है। फरवरी 2025 में जारी हुए आंकड़े को लेकर पांच हफ्ते बीतने के बाद भी कंपनी को सफाई देनी पड़ रही है। वजह है कंपनी द्वारा बताए गए 25,000 यूनिट्स की बिक्री और व्हीकल रजिस्ट्रेशन के आधिकारिक आंकड़ों के बीच भारी अंतर।
सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय को दिए जवाब में ओला ने ऐसे वाहनों को भी शामिल कर लिया, जो बाजार में लॉन्च ही नहीं हुए थे। 9 अप्रैल को ओला इलेक्ट्रिक ने एक्सचेंजों को एक बयान जारी कर बताया कि फरवरी की बिक्री की जानकारी उन कन्फर्म ऑर्डरों पर आधारित थी, जिनमें से लगभग 90 प्रतिशत ऑर्डर प्लेसमेंट के समय पूरी तरह भुगतान किए जा चुके थे। कंपनी के मुताबिक इन ऑर्डरों में जेन 3 और रोडस्टेर एक्स जैसे नए प्रोडक्ट भी शामिल थे, जो फरवरी में फुल पेमेंट के साथ खरीदे जा सकते थे। हालांकि, सच्चाई यह है कि ओला इलेक्ट्रिक ने फरवरी में वाहन रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया बाहरी एजेंसियों से हटाकर इन-हाउस कर दी थी, जिससे देशभर के आरटीओ के साथ उनके संबंधों में बाधा आई और रजिस्ट्रेशन डेटा प्रभावित हुआ।
सरकार द्वारा उपलब्ध कराए गए आंकड़े बताते हैं कि फरवरी में ओला की सिर्फ 8,649 यूनिट्स ही रजिस्टर्ड हुईं, जो कंपनी के दावे की एक तिहाई है। 1 मार्च को सामने आए इन आंकड़ों ने सवाल खड़े कर दिए कि जब वाहन रजिस्ट्रेशन के बिना उन्हें बेचा नहीं जा सकता, तो फिर ओला के 25,000 यूनिट्स की बिक्री का दावा कैसे सही हो सकता है। केंद्रीय मोटर वाहन अधिनियम के अनुसार, वाहन की डिलीवरी से पहले उसका रजिस्ट्रेशन अनिवार्य है। अब ओला इलेक्ट्रिक पर आरोप है कि उसने निवेशकों और आम जनता को गुमराह करने के लिए बिक्री के आंकड़ों को बढ़ा-चढ़ाकर पेश किया।
20 की उम्र में ही बनाएं पैसा संभालने की आदत, आगे बनेगा करोड़ों का फंड
12 Apr, 2025 06:26 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
20 का दशक जिंदगी का वो समय है, जब करियर की शुरुआत होती है, व्यक्तिगत सपने आकार लेते हैं, और आजादी का नया एहसास मिलता है। इस उम्र में आर्थिक फैसले भविष्य को मजबूत बना सकते हैं। अगर सही समय पर सही कदम उठाए जाएं, तो लंबे समय तक आर्थिक स्थिरता हासिल की जा सकती है। आज की तेज रफ्तार दुनिया में, जहां खर्च करने के मौके हर कदम पर मिलते हैं, युवाओं के लिए अपने पैसे को समझदारी से मैनेज करना बेहद जरूरी है। आइए, जानते हैं कि 20 की उम्र में किन पांच अहम कदमों से आर्थिक भविष्य को सुरक्षित किया जा सकता है।
खर्चों पर लगाम, बचत की आदत
20 की उम्र में अक्सर नए गैजेट्स, बाहर खाने, या फैशनेबल चीजों पर खर्च करने का लालच होता है। लेकिन बिना सोचे-समझे खर्च करने की आदत भविष्य में आर्थिक परेशानियां ला सकती है। जरूरतों और इच्छाओं में फर्क समझना इस उम्र में बहुत जरूरी है। अपने खर्चों पर नजर रखने के लिए बजट ऐप्स या बैंक स्टेटमेंट की नियमित जांच मददगार हो सकती है। एक आसान तरीका है 50-30-20 नियम को अपनाना। इस नियम के तहत, कमाई का 50% हिस्सा जरूरी खर्चों, जैसे किराया या बिल, 30% अपनी इच्छाओं, जैसे मनोरंजन, और 20% बचत या कर्ज चुकाने के लिए रखा जा सकता है। इससे न सिर्फ खर्चों का हिसाब रहता है, बल्कि बचत की आदत भी पड़ती है। नियमित रूप से अपने खर्चों की समीक्षा करने से यह समझना आसान हो जाता है कि पैसा कहां जा रहा है और उसे बेहतर तरीके से कैसे इस्तेमाल किया जा सकता है।
कर्ज को समझें, बोझ को हल्का करें
20 की उम्र में कई युवा स्टूडेंट लोन, क्रेडिट कार्ड, या पर्सनल लोन जैसे कर्जों का सामना करते हैं। इन कर्जों को सही तरीके से मैनेज करना आर्थिक स्थिरता के लिए जरूरी है। सबसे पहले, ज्यादा ब्याज वाले कर्ज, जैसे क्रेडिट कार्ड के बिल, को प्राथमिकता देनी चाहिए। इनका जल्द से जल्द भुगतान करने से ब्याज का बोझ कम होता है। साथ ही, दूसरे कर्जों की न्यूनतम किस्तें समय पर चुकाते रहना चाहिए। जब ज्यादा ब्याज वाला कर्ज खत्म हो जाए, तो उस पैसे को बचत या निवेश में लगाया जा सकता है। कर्ज का सही प्रबंधन न सिर्फ आर्थिक तनाव कम करता है, बल्कि भविष्य की योजनाओं के लिए ज्यादा आजादी भी देता है। समय पर भुगतान और कर्ज को नियंत्रित रखने की आदत लंबे समय में क्रेडिट स्कोर को भी बेहतर बनाती है, जो भविष्य में लोन लेने या बड़े निवेश के लिए फायदेमंद हो सकता है।
भविष्य की योजना, आज से शुरुआत
सपने देखने की कोई उम्र नहीं होती, लेकिन उन्हें सच करने की योजना जितनी जल्दी शुरू हो, उतना बेहतर होता है। चाहे घर खरीदने का लक्ष्य हो, दुनिया घूमने की चाहत हो, या परिवार शुरू करने की इच्छा, हर बड़े सपने को छोटे-छोटे कदमों में बांटकर हासिल किया जा सकता है। मिसाल के तौर पर, अगर घर खरीदना लक्ष्य है, तो हर महीने डाउन पेमेंट के लिए बचत शुरू की जा सकती है। इसके लिए अलग से एक बचत खाता खोलना और उसमें नियमित रूप से पैसा डालना फायदेमंद हो सकता है। समय-समय पर अपने लक्ष्यों की समीक्षा करना भी जरूरी है, क्योंकि जिंदगी बदलती रहती है और इसके साथ योजनाओं में भी बदलाव की जरूरत पड़ सकती है। जल्दी शुरू करने का सबसे बड़ा फायदा यह है कि छोटी-छोटी बचतें समय के साथ ब्याज के जरिए बढ़ती हैं, जिससे बड़े लक्ष्य आसानी से पूरे हो सकते हैं।
आर्थिक समझ से बनती है एक मजबूत नींव
20 की उम्र में आर्थिक समझ विकसित करना भविष्य के लिए सबसे बड़ा निवेश है। बजट बनाना, निवेश के तरीके समझना, क्रेडिट स्कोर की अहमियत जानना, और सही वित्तीय फैसले लेना—ये सब वो स्किल हैं, जो लंबे समय तक काम आते हैं। किताबें पढ़ना, ऑनलाइन कोर्स करना, या किसी वित्तीय सलाहकार से मिलना इस दिशा में पहला कदम हो सकता है। सलाहकार व्यक्तिगत जरूरतों के हिसाब से सुझाव दे सकते हैं, जैसे कि सही निवेश के विकल्प चुनना या बचत को बढ़ाने के तरीके। आर्थिक ज्ञान न सिर्फ आत्मविश्वास देता है, बल्कि गलत फैसलों से होने वाले नुकसान से भी बचाता है। आज के दौर में, जब जानकारी आसानी से उपलब्ध है, इस मौके का फायदा उठाकर युवा अपने आर्थिक फैसलों को और मजबूत कर सकते हैं।
छोटी-छोटी चीजों का रखें ध्यान
20 की उम्र में ये छोटे-छोटे कदम—खर्चों पर नियंत्रण, कर्ज का प्रबंधन, भविष्य की योजना, और आर्थिक समझ—आपको उस रास्ते पर ले जा सकते हैं, जहां सपने सिर्फ सपने नहीं रहते, बल्कि हकीकत बनते हैं। सही समय पर शुरूआत करने से न सिर्फ आर्थिक स्थिरता मिलती है, बल्कि जिंदगी को अपनी शर्तों पर जीने की आजादी भी हासिल होती है।
UPI पेमेंट सिस्टम में फिर से गड़बड़ी: Google Pay, PhonePe और Paytm यूजर्स को परेशानी
12 Apr, 2025 05:00 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
भारत की सबसे व्यापक रूप से उपयोग की जाने वाली डिजिटल भुगतान प्रणाली, यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस (UPI) को शनिवार को इस महीने दूसरी बार बड़ी रुकावट का सामना करना पड़ा, जिसके कारण देश भर में हजारों यूजर्स के लेनदेन प्रभावित हुए। गूगल पे, पेटीएम और फोनपे जैसे लोकप्रिय थर्ड-पार्टी प्लेटफॉर्म भी इस रुकावट से प्रभावित हुए, जिसके चलते सोशल मीडिया और आउटेज मॉनिटरिंग प्लेटफॉर्म पर शिकायतों की बाढ़ आ गई।
डाउनडिटेक्टर के अनुसार, जो यूजर्स की शिकायतों के आधार पर रीयल-टाइम सेवा रुकावटों को ट्रैक करता है, यह समस्या सुबह 11:26 बजे शुरू हुई और सुबह 11:41 बजे अपने चरम पर पहुंची, जब 222 से अधिक शिकायतें दर्ज की गईं। यूजर्स ने ट्रांजैक्शन फेल होने और फंड ट्रांसफर में समस्याओं को सबसे आम मुद्दों के रूप में बताया।
यूजर्स ने की शिकायतें
एक यूजर ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा, “UPI आज फिर से डाउन है, सभी ट्रांजैक्शन फेल हो रहे हैं। कम से कम अगर यह नियोजित रुकावट है तो पहले सूचना दी जानी चाहिए।” यह पिछले एक साल में UPI की छठी बड़ी रुकावट है और यह मार्च के अंत और अप्रैल की शुरुआत में लगातार दो रुकावटों के कुछ ही दिनों बाद आई है। 26 मार्च को, देश भर के यूजर्स को भुगतान करने में परेशानी हुई, जिसे नेशनल पेमेंट्स कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (NPCI) ने “तकनीकी समस्या” बताया था। NPCI, जो UPI नेटवर्क का संचालन करता है, ने बाद में पुष्टि की थी कि सिस्टम बहाल हो गया था। लेकिन एक हफ्ते से भी कम समय बाद, 2 अप्रैल को, डाउनडिटेक्टर ने फिर से सैकड़ों शिकायतें दर्ज कीं। इसमें 44 प्रतिशत ट्रांजैक्शन फेल होने से संबंधित और लगभग आधी फंड ट्रांसफर की समस्याओं से जुड़ी थीं।
शनिवार की व्यापक रुकावट के बावजूद, NPCI ने अभी तक इस नवीनतम आउटेज के कारण के बारे में कोई आधिकारिक बयान जारी नहीं किया है।इस सप्ताह की शुरुआत में, भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने UPI पर व्यक्ति-से-व्यापारी (P2M) भुगतानों के लिए लेनदेन सीमा को संशोधित करने की मंजूरी दी, जिसका उद्देश्य देश भर में डिजिटल भुगतानों को बढ़ावा देना है।
Oil Market Cooldown: लगातार दूसरी हफ्ते भी घट सकते हैं दाम, जानिए क्या है वजह
12 Apr, 2025 04:12 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
शुक्रवार को तेल की कीमतें स्थिर रहीं, लेकिन अमेरिका और चीन के बीच बढ़ते व्यापार युद्ध की आशंका से लगातार दूसरे सप्ताह भी गिरावट का रुझान देखा गया। ब्रेंट क्रूड वायदा 12.21 बजे तक 16 सेंट या 0.25 फीसदी तक चढ़कर 63.49 डॉलर प्रति बैरल पर पहुंच गया।
यूएस टेक्सस इंटरमीडिएट क्रूड 15 सेंट या 0.25 फीसदी चढ़कर 60.22 डॉलर पर आ गया। ब्रेंट और डब्ल्यूटीआई में करीब 3 फीसदी की साप्ताहिक गिरावट हो सकती है। इन दोनों में पिछले सप्ताह करीब 11 फीसदी की गिरावट आई थी। ब्रेंट इस सप्ताह 60 डॉलर प्रति बैरल से नीचे पहुंचा जो फरवरी 2021 के बाद से इसका सबसे निचला स्तर है।
यूबीएस के विश्लेषक जियोवानी स्टाउनोवो ने कहा, ‘ऊंचे अमेरिकी टैरिफ के खिलाफ चीन की सख्त प्रतिक्रिया ने बाजार की धारणा को प्रभावित किया है और तेल कीमतों में कमजोरी आई है।’ चीन ने शुक्रवार को घोषणा की कि वह अमेरिकी सामान पर शनिवार से 125 प्रतिशत शुल्क लगाएगा जो पहले की गई 84 प्रतिशत की घोषणा से अधिक है। अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप ने गुरुवार को चीन के खिलाफ टैरिफ बढ़ाकर 145 फीसदी कर दिया था।
बीएमआई के विश्लेषकों का मानना है कि तेल कीमतों पर दबाव की आशंका है क्योंकि निवेशक इस समय चल रही व्यापार वार्ताओं और अमेरिका-चीन के बीच बढ़ते तनाव का जायाज ले रहे हैं।
AI और सेमीकंडक्टर में भारत की बड़ी छलांग, वैष्णव बोले – सुपरपावर बनने की बुनियाद रखी जा चुकी है
12 Apr, 2025 11:51 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
सरकार का सेमीकंडक्टर और एआई (आर्टिफिशल इंटेलिजेंस) मिशन तेजी से आगे बढ़ रहा है। भारत ने वर्ष 2030 तक 500 अरब डॉलर के इलेक्ट्रॉनिक्स उत्पादन का लक्ष्य रखा है। इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी, रेल और सूचना एवं प्रसारण मंत्री अश्विनी वैष्णव ने बातचीत में जमीनी स्तर किए जा रहे काम और स्थानीयकरण की दिशा में बढ़ाए जा रहे कदमों पर विस्तार से चर्चा की। मुख्य अंश:
सेमीकंडक्टर योजना के तहत सरकार डिजाइन से जुड़ी प्रोत्साहन (डीएलआई) योजना के जरिये देश में चिप डिजाइनिंग को बढ़ावा दे रही है। इस पर प्रतिक्रिया कैसी रही और कितना काम हुआ है?
हम ऐसे 25 चिपसेट डिजाइन करने के लिए काम कर रहे हैं जहां आईपी (बौद्धिक संपदा) पर भारतीय स्वामित्व होगा। इनमें ऐसे चिप भी शामिल हैं जहां साइबर सुरक्षा संबंधी रोजाना के जोखिम अधिक हैं, जैसे निगरानी वाले कैमरे अथवा वाई-फाई ऐक्सेस पॉइंट में इस्तेमाल होने वाले चिप। डीएलआई योजना के तहत इस क्षेत्र में हमारी 13 ऐसी परियोजनाएं जारी हैं और कुछ में तो अच्छी प्रगति भी हो चुकी है। सभी उपयोगकर्ताओं द्वारा इन चिपसेट का इस्तेमाल किया जा सकता है। बेंगलूरु का सेंटर फॉर डेवलपमेंट ऑफ एडवांस्ड कंप्यूटिंग इसकी नोडल एजेंसी है। जब हमारे पास अपनी बौद्धिक संपदा होती है तो हमें साइबर हमलों से बेहतर सुरक्षा तो मिलती ही है, वह एक उत्पाद भी बन जाता है।
आपने कॉलेजों और संस्थानों को सहायता देने के लिए एक परिवेश तैयार करने की योजना बनाई थी ताकि हम सेमीकंडक्टर डिजाइन का प्रमुख केंद्र बन सकें। उसकी क्या स्थिति है?
हम अच्छी प्रगति कर रहे हैं। हमने 240 कॉलेजों एवं संस्थानों को दुनिया के बेहतरीन डिजाइन-सॉफ्टवेयर टूल उपलब्ध कराए हैं ताकि वे चिप डिजाइन कर सकें। उन टूल्स का उपयोग करते हुए छात्रों द्वारा डिजाइन किए गए पहले 20 चिप को जल्द ही सेमीकंडक्टर प्रयोगशाला, मोहाली में तैयार किया जाएगा। इससे छात्रों में आत्मविश्वास पैदा होगा कि वे चिप को डिजाइन, सत्यापित और इस्तेमाल कर सकते हैं। अगर वे ऐसा करेंगे तो खुद ही स्टार्टअप बन सकते हैं। इससे हमें 10 वर्षों में 85,000 इंजीनियरों के साथ प्रतिभा का एक बड़ा भंडार तैयार करने में मदद मिलेगी।
हाल में आपने इलेक्ट्रॉनिक्स पुर्जों के लिए नई उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन योजना (पीएलआई) को अधिसूचित किया है? क्या आपको लगता है कि इससे मूल्यवर्धन को बेहतर करने में मदद मिलेगी?
पिछले 10 वर्षों में हमने देश में इलेक्ट्रॉनिक्स उत्पादन को 17 फीसदी चक्रवृद्धि दर से 5 गुना और इलेक्ट्रॉनिक्स निर्यात को 20 फीसदी से अधिक चक्रवृद्धि दर के साथ 6 गुना बढ़ाया है। इसमें पीएलआई की प्रमुख भूमिका रही क्योंकि उसने इलेक्ट्रॉनिक्स क्षेत्र में 25 लाख अतिरिक्त नौकरियां पैदा की हैं। घरेलू मूल्यवर्धन 20 फीसदी तक बढ़ चुका है। इसकी तुलना आप किसी एक देश के सर्वाधिक मूल्यवर्धन से कीजिए। किसी भी देश में इसकी अधिकतम सीमा 38 से 40 फीसदी के दायरे में है। उसे 30 वर्षों में हासिल किया गया है मगर हमने 10 वर्षों में 20 फीसदी मूल्यवर्धन हासिल किया है।
क्या इलेक्ट्रॉनिक्स के लिए कंपोनेंट पीएलआई घरेलू जरूरतों को पूरा करने पर ध्यान केंद्रित करेगा अथवा वह वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला का हिस्सा होगा?
हम इलेक्ट्रॉनिक्स में आयात के बजाय निर्यात आधारित वृद्धि की मानसिकता तैयार कर रहे हैं। प्रधानमंत्री हमें ‘मेक इन इंडिया ऐंड मेक फॉर द वर्ल्ड’ यानी भारत में दुनिया के लिए विनिर्माण के लिए प्रेरित करते हैं। हमें बड़े पैमाने पर विनिर्माण करना चाहिए। इलेक्ट्रॉनिक पुर्जों की काफी मात्रा निर्यात के लिए होगी। हम वैश्विक मूल्य श्रृंखला में शामिल होंगे। तेजी से मंजूरियां आदि सुनिश्चित करने के लिए हम राज्य सरकारों के साथ काम कर रहे हैं।
एआई में अगला चरण क्या होगा? क्या आपने उन कंपनियों का पैनल तैयार कर लिया है जो ग्राफिक्स प्रोसेसिंग यूनिट्स (जीपीयू) के जरिये उच्च कंप्यूटिंग शक्ति उपलब्ध कराएंगी?
पैनल बनाने का अगला दौर जारी है। इस दौर में भी प्रतिक्रिया पहले दौर जितनी ही अच्छी रही है। दूसरे चरण में भी हम पहले दौर की ही तरह जीपीयू खरीद की उम्मीद कर रहे हैं। इसलिए देश में एआई के लिए कंप्यूटिंग शक्ति की कोई कमी नहीं होगी। एलएलएम (लार्ज लैंग्वेज मॉडल) ऐप्लिकेशन उन्नत चरण में पहुंच गए हैं। पहले चरण में ही 67 कंपनियों से हमें अच्छी प्रतिक्रिया मिली है। हम कृषि, मौसम विज्ञान, जलवायु और शिक्षा जैसे क्षेत्रों के लिए खास ऐप विकसित करना चाहते थे। हमने 27 अच्छे ऐप का चयन किया है। हम उन्हें लागू करने के लिए प्रशासनिक मंत्रालयों के साथ काम कर रहे हैं। हमने एक वर्चुअल सेफ्टी इंस्टीट्यूट बनाया है। इस पहल में विभिन्न विश्वविद्यालय शामिल हैं। वे ऐसे तकनीकी टूल विकसित कर रहे हैं जिनका उपयोग एआई जगत में सुरक्षा, जैसे डीपफेक से सुरक्षा एवं किसी मॉडल को अनलर्न करना आदि के लिए किया जाएगा।
डिजिटल निजी डेटा सुरक्षा (डीपीडीपी) अधिनियम पर इंडिया गठबंधन के विरोध के बारे में आप क्या कहेंगे?
मैं स्पष्ट तौर पर कहना चाहूंगा कि सार्वजनिक डोमेन में रखने के लिए आवश्यक सभी निजी डेटा की आरटीआई के तहत उपलब्धता जारी रहेगी। उदाहरण के लिए, जन प्रतिनिधियों से संबंधित डेटा, सरकारी कार्यक्रमों एवं परियोजनाओं से संबंधित डेटा आदि। डिजिटल निजी डेटा सुरक्षा अधिनियम के लिए परामर्श की प्रक्रिया पूरी हो चुकी है। सभी मुद्दों को निपटाया जा चुका है और जल्द ही उसे प्रकाशित किया जाएगा।
GST का रेट गेम! 12% या 18% – टैक्स अधिकारियों को नहीं मिल रहा साफ जवाब
12 Apr, 2025 11:40 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
डाबर इंडिया की मशहूर प्रोडक्ट हाजमोला कैंडी अब टैक्स विवाद में फंस गई है। दरअसल, डाबर पर यह जांच चल रही है कि हाजमोला को आयुर्वेदिक दवा माना जाए या फिर एक सामान्य कैंडी।
जानें क्या है मामला-
डायरेक्टोरेट जनरल ऑफ जीएसटी इंटेलिजेंस (DGGI) के कोयंबटूर ज़ोन में यह जांच चल रही है कि डाबर की हाजमोला को आयुर्वेदिक दवा माना जाए या फिर सामान्य कैंडी। अगर इसे आयुर्वेदिक दवा माना जाता है, तो इस पर 12 फीसदी जीएसटी लगेगा, जबकि आम कैंडी की तरह टैक्स लगाने पर 18 फीसदी जीएसटी देना होगा।
रिपोर्ट में कहा गया है कि डाबर कंपनी का कहना है कि हाजमोला कोई आम मीठी कैंडी नहीं है, बल्कि यह एक आयुर्वेदिक दवा है, जिसे पाचन में मदद करने के लिए बनाया गया है।
GST लागू होने से पहले, डाबर को प्रोडक्ट की कैटेगरी को लेकर एक बड़ी परेशानी का सामना करना पड़ा था। मामला हाजमोला कैंडी से जुड़ा था। सरकार का कहना था कि यह एक टॉफी या मिठाई (कन्फेक्शनरी) है, जबकि डाबर ने इसे आयुर्वेदिक दवा बताया।
यह विवाद सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचा। कोर्ट ने डाबर के पक्ष में फैसला सुनाया और कहा कि हाजमोला कैंडी एक आयुर्वेदिक दवा है, न कि कोई आम मिठाई। इस फैसले से डाबर को टैक्स में राहत मिली थी।
इससे पहले पॉपकॉर्न पर भी हुआ था विवाद
कुछ समय पहले रेडी-टू-ईट पॉपकॉर्न को लेकर यह विवाद हुआ था कि उसे स्नैक माना जाए या प्रोसेस्ड फूड। इस भ्रम को दूर करने के लिए जीएसटी काउंसिल ने पॉपकॉर्न पर टैक्स को लेकर नया नियम लागू किया था।
काउंसिल ने अपने फैसले में कहा था कि:
नमक और मसाले वाले बिना ब्रांड के पॉपकॉर्न पर 5% जीएसटी लगाया गया था।
प्री-पैकेज्ड और ब्रांडेड पॉपकॉर्न को 12% जीएसटी के दायरे में रखा गया था।
कैरामेल पॉपकॉर्न, जिसमें चीनी मिलाई जाती है, को ‘शुगर कन्फेक्शनरी’ की कैटेगरी में डालते हुए 18% जीएसटी के तहत रखा गया था।
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने उस समय कहा था कि किसी भी खाने की चीज में अगर अतिरिक्त चीनी मिलाई जाती है, तो उस पर टैक्स की दर अलग होती है। इसी कारण कैरामेल पॉपकॉर्न को 18% टैक्स स्लैब में शामिल किया गया।
I-T विभाग ने कसी कमर, फर्जी इनवॉइस और पुराने टैक्स मामलों की होगी दोबारा जांच
12 Apr, 2025 11:27 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
इनकम टैक्स विभाग ने पुराने असेसमेंट मामलों को दोबारा खोलना शुरू कर दिया है। इसका मकसद उन व्यापारियों पर कार्रवाई करना है, जिन्होंने झूठे या बढ़ा-चढ़ाकर दिखाए गए खर्चों के जरिए मुनाफा कम दिखाया और टैक्स से बचने की कोशिश की।
सूत्रों के मुताबिक, कुछ मामलों में विभाग पांच साल पुराने रिकॉर्ड तक की जांच कर रहा है, जहां टैक्स चोरी के पक्के सबूत मिले हैं। खासकर ट्रेडिंग, इलेक्ट्रॉनिक्स और कंस्ट्रक्शन जैसे सेक्टर की कंपनियों पर शक है कि उन्होंने फर्जी बिलों के जरिए खर्च ज्यादा दिखाया और जीएसटी के तहत गलत तरीके से इनपुट टैक्स क्रेडिट (ITC) का फायदा उठाया।
इन कंपनियों ने कथित तौर पर ऐसे फर्जी सप्लायर्स से बिल लिए, जो असल में मौजूद ही नहीं थे। इन्हें आमतौर पर “एंट्री ऑपरेटर” कहा जाता है। टैक्स विभाग अब इन मामलों की जांच तेज़ी से कर रहा है।
इनकम टैक्स डिपार्टमेंट ने पहले जिन टैक्स रिटर्न्स को बिना किसी आपत्ति या सवाल के स्वीकार कर लिया था, अब उन्हें दोबारा खोला जा रहा है। इसकी वजह जीएसटी विभाग से मिले कुछ नए सबूत हैं। इन सबूतों से पता चला है कि कुछ कंपनियों ने फर्जी खरीद या नकली बिल दिखाकर अपनी आय को कम बताया है।
सूत्रों के मुताबिक, टैक्स अधिकारी अब डेटा एनालिटिक्स और जीएसटी व इनकम टैक्स रिटर्न्स के बीच मिलान कर ऐसे मामलों की जांच कर रहे हैं।
ऐसे केस इनकम टैक्स एक्ट की धारा 147 के तहत दोबारा खोले जा रहे हैं। इस धारा के तहत अगर विभाग को लगता है कि किसी की टैक्स योग्य आय की सही जांच नहीं हुई या कोई जानकारी छुपाई गई है, तो वह दोबारा असेसमेंट कर सकता है।
आयकर अधिनियम की धारा 148 के मुताबिक, टैक्स विभाग पुराने मामलों को दोबारा खोल सकता है। आम मामलों में यह सीमा संबंधित वित्त वर्ष के अंत से तीन साल तक होती है, जबकि अगर ₹50 लाख से ज्यादा की आय छुपाई गई हो और वह किसी संपत्ति, खर्च या बहीखाते में की गई एंट्री से जुड़ी हो, तो यह अवधि पांच साल तक बढ़ सकती है।
अगर कोई टैक्सपेयर (करदाता) अपने खरीद के लेनदेन को सही दस्तावेजों से साबित नहीं कर पाता है, तो ऐसे खर्च को विभाग फर्जी मान सकता है और उस पर टैक्स के साथ-साथ जुर्माना भी लगाया जा सकता है।
इस विषय पर केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (CBDT) को भेजा गया ईमेल का जवाब खबर प्रकाशित होने तक नहीं मिला।
ध्रुवा एडवाइजर्स के पार्टनर पुनीत शाह ने कहा कि आयकर विभाग और जीएसटी अधिकारी फर्जी खरीद की जांच में एक जैसी ही सोच रखते हैं, खासकर वहां जहां इनपुट टैक्स क्रेडिट वापस ले लिया गया हो।
उन्होंने कहा, “खरीदारों को यह साबित करने के लिए पूरे दस्तावेज देने चाहिए कि उनकी खरीद असली है। केवल जीएसटी कानूनों के तहत इनपुट टैक्स क्रेडिट का रिवर्सल ही आयकर विभाग को यह मानने के लिए काफी नहीं है कि खरीद फर्जी है।”
जीएसटी कानून के तहत पहले से ही मुकदमे का सामना कर रहे कई टैक्सपेयर्स को अब इनकम टैक्स विभाग की तरफ से भी नए नोटिस मिल रहे हैं।
एपीटी एंड कंपनी एलएलपी के पार्टनर अविनाश गुप्ता ने कहा कि कई मामलों में सप्लाई चेन में ज़्यादातर व्यापारी असली होते हैं, लेकिन कुछ गड़बड़ सप्लायर्स की वजह से बाकी ईमानदार कारोबारी भी नुकसान झेल रहे हैं। उन्हें उनके खर्च का दावा करने से इनकार किया जा रहा है।
एडवांटएज कंसल्टिंग के फाउंडर चेतन डागा ने बताया कि टैक्सपेयर्स को यह साबित करना होता है कि उन्होंने जो खरीद की है वो असली है, सामान उन्हें मिला है, और ये बात दस्तावेजों से साबित होनी चाहिए—जैसे ई-वे बिल, गुड्स रिसीव्ड नोट और ट्रांसपोर्ट से जुड़े रिकॉर्ड।
यूपी सरकार का बड़ा फैसला – DA बढ़ाकर किया 55%, कर्मचारियों की जेब में आएंगे ज्यादा पैसे
11 Apr, 2025 04:28 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
उत्तर प्रदेश सरकार ने राज्य कर्मचारियों के लिए महंगाई भत्ते (DA) में 2 प्रतिशत की बढ़ोतरी को मंजूरी दे दी है। अब राज्य कर्मचारियों को उनके मूल वेतन पर 55 प्रतिशत की दर से DA मिलेगा, जो पहले 53 प्रतिशत था। यह बढ़ोतरी 1 जनवरी 2025 से प्रभावी मानी जाएगी।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (UP CM Yogi Adityanath) ने इसकी जानकारी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर दी। उन्होंने कहा कि राज्य कर्मचारियों के हितों की रक्षा सरकार की प्राथमिकता है। यह निर्णय सिर्फ सरकारी कर्मचारियों तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि सहायता प्राप्त शैक्षणिक व तकनीकी संस्थानों के नियमित व पूर्णकालिक कर्मचारियों, नगरीय निकायों के कर्मचारियों, एड-हॉक कर्मचारियों और UGC स्केल पर वेतन पाने वाले कर्मियों पर भी लागू होगा। इससे करीब 16 लाख कर्मचारियों को लाभ मिलेगा।
नई दर के अनुसार DA का भुगतान अप्रैल महीने के वेतन के साथ मई 2025 में किया जाएगा। साथ ही जनवरी से अप्रैल तक के एरियर की राशि भी मई में दी जाएगी। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, इससे राज्य सरकार पर मई में करीब ₹107 करोड़ और एरियर भुगतान में ₹193 करोड़ का अतिरिक्त वित्तीय भार आएगा।
₹18,000 बेसिक पर कितनी बढ़ेगी सैलरी?
राज्य सरकार ने महंगाई भत्ता (DA) 53% से बढ़ाकर 55% कर दिया है। इससे करीब 15 लाख राज्य सरकारी कर्मचारियों को सीधे तौर पर फायदा मिलेगा।
अगर किसी कर्मचारी की बेसिक सैलरी ₹18,000 है, तो अब उसे हर महीने ₹360 ज्यादा मिलेंगे। पहले 53% DA के हिसाब से उसे ₹9,540 का भत्ता मिलता था, लेकिन अब 55% DA के हिसाब से यह बढ़कर ₹9,900 हो गया है।
इसी तरह जिन कर्मचारियों की बेसिक सैलरी ₹50,000 है, उन्हें पहले ₹26,500 का DA मिल रहा था। अब यह बढ़कर ₹27,500 हो गया है। यानी ऐसे कर्मचारियों की सैलरी में ₹1,000 की बढ़ोतरी हुई है।
केंद्र ने भी महंगाई भत्ता में की बढ़ोतरी
गौरतलब है कि पिछले महीने केंद्र सरकार ने अपने करोड़ों कर्मचारियों और पेंशनर्स के लिए 2 प्रतिशत महंगाई भत्ते और राहत में बढ़ोतरी की घोषणा की थी। उसी के बाद अब उत्तर प्रदेश सरकार ने भी यह कदम उठाया है।
सरकारी नियमों के अनुसार, जब भी केंद्र सरकार DA बढ़ाती है, तो राज्य सरकारें भी अपने कर्मचारियों और पेंशनभोगियों को इसका लाभ देती हैं।
क्या होता है महंगाई भत्ता (DA)?
महंगाई भत्ता सरकारी कर्मचारियों को दी जाने वाली वह राशि होती है, जो उन्हें बढ़ती महंगाई से राहत देने के लिए सैलरी में जोड़ी जाती है। इससे उनके जीवनयापन पर महंगाई का असर कम पड़ता है।
महंगाई राहत (DR) क्या होती है?
महंगाई राहत भी महंगाई भत्ते की तरह ही होती है, लेकिन यह रिटायर्ड कर्मचारियों यानी पेंशनर्स को दी जाती है। यानी DA काम कर रहे कर्मचारियों के लिए होता है, जबकि DR पेंशन ले रहे लोगों को मिलता है।
उत्तर प्रदेश सरकार के इस फैसले से लाखों कर्मचारियों और पेंशनर्स को सीधा फायदा मिलेगा।
निवेशकों का मूड बदला? मार्च में इक्विटी इनफ्लो ₹25,082 करोड़ पर सिमटा, SIP में भी गिरावट
11 Apr, 2025 04:15 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
शेयर बाजार में जारी उतार-चढ़ाव और ट्रंप टैरिफ (Trump Tariff) को लेकर निवेशकों की चिंता के बीच मार्च में म्युचुअल फंड्स में नेट इनफ्लो में गिरावट दर्ज की गई। इक्विटी म्युचुअल फंड्स में निवेश फरवरी के ₹29,303 करोड़ से 14% घटकर मार्च में ₹25,082 करोड़ रह गया। म्युचुअल फंड इंडस्ट्री को मार्च में कुल ₹1.64 लाख करोड़ की निकासी (आउटफ्लो) का सामना करना पड़ा जबकि फरवरी में ₹40,076 करोड़ का नेट इनफ्लो हुआ था। वहीं, डेट म्युचुअल फंड्स से मार्च में ₹2.02 लाख करोड़ की निकासी हुई, जबकि फरवरी में इसमें ₹6,525 करोड़ का इनफ्लो देखने को मिला था। SIP इनफ्लो में भी हल्की गिरावट दर्ज की गई।
SIP में निवेश घटकर ₹25,926 करोड़ पर आया
मार्च 2025 में सिस्टमैटिक इन्वेस्टमेंट प्लान (SIP) के जरिए म्युचुअल फंड में कुल ₹25,926 करोड़ का इनफ्लो आया जो फरवरी 2025 के ₹25,999 करोड़ के मुकाबले थोड़ा कम है। हालांकि, ट्रंप टैरिफ की अनिश्चितताओं और बाजार में जारी उतार-चढ़ाव और करेक्शन के बावजूद, SIP इनफ्लो का स्तर मजबूत बना हुआ है जो खुदरा निवेशकों के निवेश अनुशासन और लॉन्ग टर्म आउटलुक को दर्शाता है। जनवरी में SIP के जरिए 26,400 करोड़ रुपये बाजार में आए। दिसंबर में यह आंकड़ा 26,459 करोड़ रुपये था।
मिरे असेट इन्वेस्टमेंट मैनेजर्स (इंडिया) की हेड ऑफ डिस्ट्रीब्यूशन एंड स्ट्रैटेजिक अलायंसेस, सुरंजना बोर्थाकुर ने कहा, “SIP में ₹25,000 करोड़ से ज्यादा का निरंतर निवेश यह दर्शाता है कि निवेशकों की सोच अब परिपक्व हो रही है और वे अपने लॉन्ग टर्म टारगेट पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं।”
फ्लैक्सी कैप और स्मॉलकैप में सबसे ज्यादा इनफ्लो
मार्च में सभी 11 इक्विटी म्युचुअल फंड कैटेगरी में निवेश देखने को मिला है। सबसे ज्यादा इनफ्लो फ्लेक्सी-कैप फंड्स में देखनो को मिला। इस कैटेगरी में मार्च में ₹5,615 करोड़ का निवेश आया, जबकि फरवरी में इनफ्लो ₹5,104 करोड़ था। इनफ्लो के मामले में दूसरे नंबर पर स्मॉलकैप फंड्स रहा। स्मॉलकैप फंड्स में ₹4,092 करोड़ का निवेश आया। फरवरी में यह ₹3,722.5 करोड़ था।
सेक्टोरल/थीमैटिक फंड्स का इनफ्लो 97% घटा
मिडकैप फंड्स में मार्च में ₹3,438 करोड़ का इनफ्लो आया, जो फरवरी में दर्ज ₹3,406 करोड़ के मुकाबले थोड़ा ज्यादा है। वहीं, सेक्टोरल और थीमैटिक फंड्स में निवेश में भारी गिरावट दर्ज की गई। इस कैटेगरी में मार्च में केवल ₹170 करोड़ का इनफ्लो आया, जबकि फरवरी में यह ₹5,711 करोड़ था—यानी मासिक आधार पर पर करीब 97% की गिरावट को दिखाता है।
मार्च में डिविडेंड यील्ड फंड्स को सबसे कम निवेश मिला, जो केवल ₹140.51 करोड़ रहा। वहीं, लार्जकैप फंड्स में निवेश 13% घटकर मार्च में ₹2,479 करोड़ रह गया, जबकि फरवरी में यह ₹2,866 करोड़ था।
सुरंजना बोर्थाकुर ने कहा, “बाजार में उतार-चढ़ाव के बावजूद, इक्विटी फंड्स में कुल मिलाकर निवेश अपेक्षाकृत स्थिर बना हुआ है, जो दर्शाता है कि निवेशक घबराहट में फैसले नहीं ले रहे हैं। कुल फ्लो पर असर इसलिए दिख रहा है क्योंकि डेट फंड्स से बड़ी निकासी हुई है, जो आमतौर पर फाइनेंशियल ईयर-एंड साइकल में देखी जाती है। उत्साहजनक बात यह है कि स्मॉल-कैप फंड्स में निवेश जारी है, जिससे यह संकेत मिलता है कि निवेशक लंबी अवधि की सोच के साथ आगे बढ़ रहे हैं, न कि सिर्फ हालिया अनुभव के आधार पर निर्णय ले रहे हैं। सेक्टोरल कैटेगरी में धीमा निवेश भी एक सकारात्मक संकेत है, क्योंकि पिछले कुछ महीनों में इस कैटेगरी में असामान्य रूप से अधिक निवेश देखा गया था।”
डेट म्युचुअल फंड्स से हुई ₹2.02 लाख करोड़ की निकासी
डेट म्युचुअल फंड्स से मार्च में ₹2.02 लाख करोड़ की निकासी हुई, जबकि फरवरी में इसमें ₹6,525 करोड़ का इनफ्लो देखने को मिला था। निवेशकों ने मार्च में सभी डेट म्युचुअल फंड कैटेगरी से निकासी (आउटफ्लो) की है। सबसे ज्यादा निकासी लिक्विड फंड्स से हुई, जहां ₹1.33 लाख करोड़ की राशि बाहर निकली। इसके बाद ओवरनाइट फंड्स से ₹30,015 करोड़ की निकासी हुई।
मार्च में सबसे कम निकासी क्रेडिट रिस्क फंड्स और 10-वर्षीय स्थायी अवधि वाले गिल्ट फंड्स से हुई। क्रेडिट रिस्क फंड्स से ₹294 करोड़ और गिल्ट फंड्स से ₹101 करोड़ की निकासी दर्ज की गई।
हाइब्रिड म्युचुअल फंड्स में बिकवाली
हाइब्रिड म्युचुअल फंड्स से मार्च में ₹946 करोड़ की निकासी दर्ज की गई, जबकि फरवरी में इस कैटेगरी में ₹6,803 करोड़ का निवेश आया था। मार्च में सबसे ज्यादा निकासी आर्बिट्राज फंड्स, इक्विटी सेविंग्स फंड्स और कंजर्वेटिव हाइब्रिड फंड्स से हुई, जहां क्रमशः ₹2,854 करोड़, ₹561 करोड़ और ₹271 करोड़ की निकासी दर्ज की गई। वहीं, मल्टी-एसेट एलोकेशन फंड्स को मार्च में सबसे ज्यादा ₹1,670 करोड़ का निवेश मिला। डायनामिक एसेट एलोकेशन/बैलेंस्ड एडवांटेज फंड्स और एग्रेसिव हाइब्रिड फंड्स को मार्च में क्रमशः ₹776 करोड़ और ₹293 करोड़ का इनफ्लो मिला।
सुरंजना बोर्थाकुर के मुताबिक, “हाइब्रिड फंड्स में निवेश में तेज गिरावट चिंता का विषय है—खासकर तब, जब ये प्रोडक्ट बाजार के उतार-चढ़ाव से निपटने के लिए संतुलित जोखिम वाले सॉल्यूशन के रूप में बहुत उपयोगी हैं। ऐसे समय में, अनुशासन बनाए रखना, निवेश से जुड़े रहना और हाइब्रिड जैसे डॉयवर्सिफाइड सॉल्यूशन अपनाना ही निवेशकों को बाजार की अस्थिरता से निपटने में मदद कर सकता है। साथ ही उन्हें अपने वित्तीय लक्ष्यों के साथ जुड़े रहने में भी सहायक होगा।”
रिडेम्पशन का एक बड़ा कारण मुनाफावसूली
मोतीलाल ओसवाल एएमसी के एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर और चीफ बिजनेस ऑफिसर अखिल चतुर्वेदी ने कहा, “इक्विटी में सब्सक्रिप्शन दरअसल पिछले महीने की तुलना में 4% बढ़ा है। हालांकि, इस महीने निवेशकों ने ज्यादा रिडेम्पशन किया है, जो पिछले महीने के मुकाबले 25% ज्यादा रहा। जो बात बाजार के कई प्रतिभागियों को चौंका सकती है, वह यह है कि सबसे ज्यादा रिडेम्पशन लार्ज कैप (पिछले महीने से 54% ज्यादा) और सेक्टोरल व थीमैटिक फंड्स (55% ज्यादा) में हुआ। वहीं स्मॉल कैप फंड्स में रिडेम्पशन 15% कम रहा।”
उन्होंने आगे कहा कि बाजार में अस्थिरता के बावजूद बैलेंस्ड एडवांटेज फंड्स (BAF) को भी राहत नहीं मिली। इनमें भी पिछले महीने की तुलना में रिडेम्पशन 30% बढ़ा, जबकि इन्हें अस्थिर माहौल में सबसे बेहतर विकल्प माना जाता है। फिर भी, ये रिडेम्पशन अप्रैल 2024 से अक्टूबर 2024 के बीच के सात महीनों की तुलना में कम रहे।
हम मानते हैं कि इस बढ़े हुए रिडेम्पशन का एक बड़ा कारण मुनाफावसूली (profit booking) है। अप्रैल में होने वाले आउटफ्लो निवेशकों की धारणा को समझने के लिए बेहतर संकेतक साबित हो सकते हैं। हमारा मानना है कि अप्रैल निवेशकों के लिए इक्विटी में एलोकेशन बढ़ाने का अच्छा अवसर हो सकता है और इस दौरान रिडेम्पशन में भी गिरावट आने की संभावना है।
डेट फंड्स में शॉर्ट टर्म वाले हिस्से में बिकवाली मुख्य रूप से एडवांस टैक्स और फाइनेंशियल ईयर एंड से जुड़ी जरूरतों के कारण हुई है। वहीं लॉन्ग टर्म हिस्से में निवेशकों ने हालिया तेजी का लाभ उठाते हुए मुनाफा बुक किया है।
Android से Pixel तक, Google की बड़ी कार्रवाई – सैकड़ों कर्मचारियों को नौकरी से निकाला
11 Apr, 2025 03:56 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
टेक कंपनी Google ने एक बार फिर सैकड़ों कर्मचारियों की छंटनी की है। यह छंटनी कंपनी के प्लेटफॉर्म्स एंड डिवाइसेज डिविजन में की गई है, जो Android सॉफ्टवेयर, Pixel स्मार्टफोन और Chrome ब्राउजर जैसे प्रमुख प्रोडक्ट्स को संभालता है। यह जानकारी टेक साइट ‘The Information’ की रिपोर्ट में दी गई है।
कंपनी ने जनवरी में एक वॉलंटरी एग्जिट प्रोग्राम भी पेश किया था, जिसके बाद अब यह ताजा छंटनी की गई है। यह कदम Google की उस बड़ी रीस्ट्रक्चरिंग का हिस्सा है, जिसकी शुरुआत पिछले साल हुई थी। तब कंपनी ने Android और Chrome टीमों को मिलाकर एक नया Pixel and Devices ग्रुप बनाया था, जिसे कंपनी के वरिष्ठ कार्यकारी रिक ओस्टरलो (Rick Osterloh) लीड कर रहे हैं। उस समय इस यूनिट में 20,000 से ज्यादा कर्मचारी थे।
Google के प्रवक्ता ने पुष्टि की कि यह छंटनी टीम को ज्यादा कुशल और चुस्त बनाने की कोशिश का हिस्सा है। उन्होंने कहा, “प्लेटफॉर्म्स और डिवाइसेज़ टीमों को मिलाने के बाद से हमारा फोकस ऑपरेशनल एफिशिएंसी पर है। इसी दिशा में हमने कुछ पोजीशंस को खत्म किया है, साथ ही जनवरी में वॉलंटरी एग्जिट प्रोग्राम भी पेश किया गया था।”
हालांकि कंपनी ने यह भी कहा है कि अमेरिका और दुनियाभर में भर्ती की प्रक्रिया जारी है।
गौरतलब है कि Google ने 2023 में भी वैश्विक स्तर पर करीब 6 फीसदी कर्मचारियों की छंटनी की थी। उसके बाद भी कुछ हिस्सों में कटौती जारी रही है, लेकिन कंपनी का कुल वर्कफोर्स अभी भी करीब 1.8 लाख बना हुआ है।
Google में वॉलंटरी एग्जिट प्रोग्राम शुरू, Android-Pixel-Chrome टीमों पर असर
Google ने इस साल की शुरुआत में अमेरिका में अपने Android, Pixel और Chrome प्रोजेक्ट्स पर काम कर रहे कर्मचारियों के लिए एक वॉलंटरी एग्जिट प्रोग्राम (स्वैच्छिक निकासी योजना) शुरू किया। यह पहल उन कर्मचारियों के लिए थी जो कंपनी के नए कामकाजी मॉडल या हाइब्रिड वर्क पॉलिसी से सहज नहीं थे, या जो कंपनी की नई दिशा के साथ खुद को मेल नहीं खा पा रहे थे।
गौर करने वाली बात यह है कि यह योजना Google की Search और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) से जुड़ी टीमों पर लागू नहीं की गई।
इससे पहले फरवरी में Bloomberg की एक रिपोर्ट में बताया गया था कि Google ने अपनी क्लाउड डिवीजन में भी कुछ टीमों में छंटनी की थी, हालांकि इसका दायरा सीमित रहा।
इससे पहले, जनवरी 2023 में गूगल की पैरेंट कंपनी अल्फाबेट ने 12,000 कर्मचारियों की छंटनी की थी, जो उसके वैश्विक वर्कफोर्स का करीब 6 फीसदी हिस्सा था। उस समय यह फैसला कंपनी की लागत घटाने और कामकाज को बेहतर बनाने की रणनीति के तहत लिया गया था।
ग्लोबल दबाव का असर: मूडीज ने भारत की GDP ग्रोथ का अनुमान किया डाउनग्रेड
11 Apr, 2025 11:31 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
मूडीज एनालिटिक्स ने गुरुवार को कैलेंडर वर्ष 2025 के लिए भारत के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) वृद्धि अनुमान को 30 आधार अंक कम करके 6.1 फीसदी कर दिया। यह अनुमान रत्न व आभूषण, चिकित्सा उपकरणों और वस्त्र उद्योगों पर अमेरिकी शुल्क के खतरे के मद्देनजर घटाया गया है।
मूडीज रेटिंग्स की इकाई मूडीज एनालिटिक्स ने कहा, ‘भारत का सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार अमेरिका है। भारत से होने वाले आयात पर 26 फीसदी शुल्क लगाने से व्यापार संतुलन पर भारी असर पड़ेगा।’ मूडीज एनालिटिक्स ने ज्यादातर शुल्कों पर 90 दिनों की रोक और उनके स्थान पर 10 फीसदी की दर को स्वीकारते हुए कहा कि उसकी अप्रैल की आधार रेखा यह दर्शाती है कि यदि टैरिफ अंततः पूर्ण रूप से लागू हो गए तो इससे आर्थिक नुकसान होगा।
इसने कहा कि इस साल की शुरुआत में कर प्रोत्साहनों की घोषणा से घरेलू अर्थव्यवस्था को प्रोत्साहन और जोखिम वाली अन्य अर्थव्यवस्थाओं की तुलना में शुल्क के प्रभाव को कम करने में मदद मिलनी चाहिए।
पेंशन अगर लेट हुई तो देना होगा 8% ब्याज – RBI ने बैंकों को दिए कड़े निर्देश
11 Apr, 2025 11:20 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
अगर रिटायर्ड सरकारी कर्मचारियों को उनकी पेंशन या उसका एरियर तय समय पर नहीं मिलता है, तो अब संबंधित बैंक को इसकी भरपाई करनी होगी। भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने स्पष्ट निर्देश दिए हैं कि ऐसे मामलों में पेंशनभोगियों को सालाना 8 प्रतिशत की दर से ब्याज देना अनिवार्य होगा।
RBI ने 1 अप्रैल, 2025 को “गवर्नमेंट पेंशन भुगतान हेतु मास्टर सर्कुलर” जारी किया है, जिसमें पेंशन, बढ़ी हुई महंगाई राहत (Dearness Relief) और अन्य लाभों के भुगतान से जुड़ी सभी जरूरी बातें स्पष्ट की गई हैं। सर्कुलर में कहा गया है कि अगर किसी पेंशनभोगी को समय पर पेंशन या एरियर का भुगतान नहीं किया गया, तो संबंधित बैंक को उस देरी की अवधि के लिए 8% वार्षिक ब्याज दर से मुआवजा देना होगा।
RBI को इस संबंध में लगातार शिकायतें मिल रही थीं कि पेंशनरों को संशोधित पेंशन और बकाया भुगतान में “अनावश्यक देरी” हो रही है। इसी को ध्यान में रखते हुए केंद्रीय बैंक ने यह प्रावधान लागू किया है।
बिना आवेदन मिलेगा ब्याज
RBI ने यह भी स्पष्ट किया है कि इस मुआवजे के लिए पेंशनर को कोई दावा करने की जरूरत नहीं होगी। बैंक को खुद से ही यह ब्याज उसी दिन पेंशनर के अकाउंट में जमा करना होगा, जिस दिन संशोधित पेंशन या एरियर की राशि क्रेडिट की जाती है। यह व्यवस्था 1 अक्टूबर, 2008 से देरी से हुए सभी पेंशन भुगतानों पर लागू होगी।
यह कदम लाखों रिटायर्ड कर्मचारियों के लिए बड़ी राहत की तरह देखा जा रहा है, जिससे पेंशन भुगतान प्रणाली में पारदर्शिता और जवाबदेही बढ़ेगी।
कब मिलती है पेंशन?
RBI ने यह भी स्पष्ट किया है कि पेंशन का भुगतान संबंधित पेंशन भुगतान प्राधिकरणों (Pension Paying Authorities) के निर्देशों के अनुसार ही किया जाता है। पेंशनभोगियों के खातों में पैसा जमा करने का कार्य बैंकों को इन्हीं निर्देशों के तहत करना होता है।
अगर बैंक से अधिक पेंशन चली गई तो क्या होगा?
RBI के अनुसार, यदि बैंक की गलती से किसी पेंशनर के खाते में पेंशन की अतिरिक्त राशि चली जाती है, तो बैंक को वह अतिरिक्त रकम बिना देरी के सरकार को एकमुश्त लौटा देनी होगी। इसके लिए पेंशनर से वसूली की प्रतीक्षा नहीं की जाएगी। हालांकि, अगर अतिरिक्त भुगतान किसी अन्य कारण से हुआ है, तो बैंक को संबंधित पेंशन स्वीकृति प्राधिकरण से मार्गदर्शन लेकर आगे की कार्रवाई करनी होगी।
बीमार या अक्षम पेंशनर कैसे निकाल सकेंगे पेंशन?
RBI ने बुजुर्ग, बीमार या डिसेबल्ड पेंशनरों की सुविधा के लिए विशेष व्यवस्था की है।
यदि पेंशनर बैंक नहीं आ सकते या हस्ताक्षर नहीं कर सकते, तो उनका अंगूठा या पैर का निशान दो गवाहों की मौजूदगी में लिया जा सकता है, जिनमें से एक जिम्मेदार बैंक अधिकारी होना चाहिए।
यदि पेंशनर अंगूठा या पैर का निशान भी नहीं दे सकते, तो उनके द्वारा किया गया कोई निशान स्वीकार किया जा सकता है, जिसे भी दो गवाहों की पहचान की आवश्यकता होगी, जिनमें एक बैंक का अधिकारी होना अनिवार्य है।
संबंधित बैंक शाखा को इन निर्देशों को नोटिस बोर्ड पर प्रदर्शित करना होगा ताकि जरूरतमंद पेंशनर इसका लाभ उठा सकें।
महंगाई राहत की बढ़ी हुई राशि कैसे मिलेगी?
RBI ने स्पष्ट किया है कि जब सरकार की ओर से महंगाई राहत (Dearness Relief) बढ़ाने का आदेश जारी होता है, तो बैंक को उसकी प्रति डाक, ईमेल, फैक्स या वेबसाइट के जरिए प्राप्त करनी होती है। इसके आधार पर बैंक अपनी शाखाओं को तुरंत भुगतान के निर्देश देते हैं, ताकि पेंशनरों को बढ़ी हुई राशि बिना देरी के मिल सके।
बाज़ार में मेटल की चमक! सेंसेक्स 1200 अंक चढ़ा, निफ्टी ने पार किया 22,750 का आंकड़ा
11 Apr, 2025 11:11 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप (Donald Trump) के चुनिंदा देशों पर 90 दिन तक ‘टैरिफ पॉज’ से पॉजिटिव संकेत लेते हुए भारतीय शेयर बाजार शुक्रवार (11 अप्रैल) को जोरदार तेजी के साथ खुले। टैरिफ पर रोक से राहत महसूस कर रहे टाटा स्टील और हिंडाल्को जैसे मेटल स्टॉक्स ने बाजार में दम भर दिया। इससे निवेशकों की वेल्थ चंद मिंटो में 6 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा बढ़ गई।
तीस शेयरों वाला बीएसई सेंसेक्स (BSE Sensex) आज यानी शुक्रवार को लगभग 1000 अंक उछलकर 74,835.49 पर खुला। जबकि बुधवार को यह 73,847 पर बंद हुआ था। सुबह 10:50 बजे सेंसेक्स 1232.71 अंक या 1.67% की तेजी लेकर 75,079.86 पर था।
इसी तरह नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (NSE) का निफ्टी-50 भी 300 से ज्यादा अंक की बढ़त लेकर 22,695.40 पर ओपन हुआ। खुलते ही यह 22,783.05 अंक तक चला गया। सुबह 10:50 बजे यह 382.65 अंक या 1.71% की जोरदार तेजी के साथ 22,781.80 पर था।
ट्रंप ने टैरिफ पर 90 दिन तक लगाई रोक
ट्रंप 9 अप्रैल को एक बड़ा ऐलान करते हुए कहा कि अमेरिका, ज्यादातर देशों से होने वाले आयात पर अगले तीन महीनों तक नया टैरिफ नहीं लगाएगा। इस घोषणा के बाद भारतीय शेयर बाजार में उम्मीद का माहौल बना है। इससे भारत और अमेरिका के बीच प्रस्तावित द्विपक्षीय व्यापार समझौते (BTA) के पहले चरण को जल्द अंतिम रूप देने का रास्ता साफ हो सकता है।
हालांकि, ट्रंप सरकार ने चीन से होने वाले आयात पर कुल शुल्क को बढ़ाकर 145% कर दिया है। इसके बावजूद कुछ खास श्रेणियों जैसे—कॉपर, फार्मास्यूटिकल्स, सेमीकंडक्टर्स और ऊर्जा उत्पादों को इस बढ़े हुए शुल्क से छूट दी गई है। इससे ग्लोबल मार्केट में अस्थिरता बनी हुई है और एशिया-पैसिफिक के बाजारों में गिरावट देखने को मिल रही है।
गुरुवार को जोरदार तेजी के बाद जापान का निक्केई 225 इंडेक्स आज 4.55% गिर गया। दक्षिण कोरिया का कोस्पी 1.66% टूटा और ऑस्ट्रेलिया का S&P/ASX 200 करीब 1.93% नीचे रहा।
ग्लोबल संकेत भी कमजोर
अमेरिकी शेयर बाजारों में बुधवार को भारी गिरावट रही, जिसके असर से गुरुवार को एशियाई बाजारों की शुरुआत भी कमजोर रही। गुरुवार देर रात अमेरिकी स्टॉक फ्यूचर्स में भी कमजोरी दिखी। S&P 500 फ्यूचर्स में 0.99%, Nasdaq 100 फ्यूचर्स में 1.11% और Dow Jones फ्यूचर्स में 0.86% की गिरावट आई।
बुधवार को Dow Jones इंडस्ट्रियल एवरेज 2.50% गिरकर 39,593.66 पर बंद हुआ, S&P 500 में 3.46% की गिरावट रही और यह 5,268.05 पर बंद हुआ, जबकि Nasdaq 4.31% गिरकर 16,387.31 पर आ गया।
भारतीय शेयर बाजार 10 अप्रैल को महावीर जयंती की वजह से बंद रहे। हालांकि शुक्रवार सुबह 7:13 बजे GIFT Nifty फ्यूचर्स 22,943 पर कारोबार कर रहे थे, जो पिछले कारोबारी सत्र के मुकाबले करीब 460 अंक ऊपर हैं। इससे संकेत मिलते हैं कि भारतीय बाजार शुक्रवार को मजबूत शुरुआत कर सकते हैं।
Stock Market Holidays: 2 दिन की ट्रेडिंग बंदी, निवेशकों और ट्रेडर्स के लिए जरूरी जानकारी
10 Apr, 2025 02:33 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
भारतीय शेयर बाजारों में आज यानी गुरुवार (10 अप्रैल) को कारोबार नहीं होगा। बाजार श्री महावीर जयंती (Mahavir Jayanti) के अवकाश के कारण आज बंद हैं। 11 अप्रैल को कारोबार फिर से शुरू होगा।
इससे पहले बुधवार को भारतीय शेयर बाजारों में भारी गिरावट देखी गई। अमेरिका-चीन के बीच बढ़ते ट्रेड तनाव के कारण निवेशकों के सेंटीमेंट्स प्रभावित हुए। तीस शेयरों वाले बीएसई सेंसेक्स में 380 अंक जबकि निफ्टी-50 में 137 अंकों की गिरावट आई। मिड और स्मॉल-कैप शेयरों में भी बड़ी गिरावट आई जिससे निवेशकों की वेल्थ 3 लाख करोड़ रुपये घट गई।
इस बीच, आज (10 अप्रैल) 3 कंपनियां मार्च तिमाही के नतीजे पेश करेंगी। आईटी सेक्टर की दिग्गज कंपनी टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज (TCS) समेत 3 कंपनियां आज यानी गुरुवार (10 अप्रैल) को मार्च तिमाही के नतीजे जारी करेगी। आनंद राठी और इवोक रेमेडीज भी अपने परिणाम घोषित करेंगी।
आपको बता दें कि आज की छुट्टी के अलावा बाजार अगले सप्ताह (14 अप्रैल-18 अप्रैल) दो दिन बंद रहेगा। इस दौरान सेंसेक्स और निफ़्टी में कारोबार नहीं होगा। दरअसल सोमवार (14 अप्रैल) को अंबेडकर जयंती के अवसर पर बाजार बंद रहेंगे। वहीं, शुक्रवार (18 अप्रैल) को गुड फ्राइडे (Good Friday) और इस दिन भी बाजार में अवकाश होता है।
इसके अलावा अगले महीने की पहली तारीख यानी 1 मई को भी सेंसेक्स और निफ्टी में कारोबार नहीं होगा और फाइनेंशियल मार्केटस बंद रहेंगे। 1 मई को महाराष्ट्र दिवस है। इसके चलते पूरे महाराष्ट्र में सरकारी छुट्टी है। वहीं, बंबई स्टॉक एक्सचेंज (BSE) मुंबई में स्थित है। इसलिए 1 मई को भी बाजार में छुट्टी रहेगी।
स्टॉक मार्केट की 2025 की छुट्टियों की लिस्ट
इस बीच, आज 3 कंपनियों के आएंगे Q4 नतीजे
1. आनंद राठी वेल्थ (Anand Rathi Wealth)
2. इवोक रेमेडीज़ (Evoq Remedies)
3. टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज (Tata Consultancy Services)
टैरिफ तो सिर्फ एक शुरुआत! Trade War के भविष्य को लेकर निवेशकों के लिए 4 जरूरी टिप्स
10 Apr, 2025 02:06 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप (Donald Trump) द्वारा दुनियाभर के देशों पर लगया गया जवाबी टैरिफ (Reciprocal Tariff) तो सिर्फ टीजर है, ट्रेड वॉर की असली पिक्चर तो आभी बाकी है। यही चेतावनी देती है DSP म्युचुअल फंड की ताजा रिपोर्ट, जो बताती है कि ट्रेड वॉर के अलग-अलग हालात—चाहे वह सबसे बेहतर हो या सबसे खराब—कैसे वैश्विक और भारतीय बाजारों को झकझोर सकते हैं। रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि कई बार निवेशक इस तरह की स्थितियों को हल्के में ले लेते हैं और मान लेते हैं कि असर मामूली होगा। लेकिन यह सोच काफी जोखिमभरी हो सकती है, क्योंकि असली चुनौती अक्सर अनुमान से कहीं बड़ी होती है।
ट्रेड वॉर को हल्के में लेने की गलती न करें
रिपोर्ट में फंड हाउस ने कहा कि अक्सर निवेशक ट्रेड वॉर जैसी स्थिति को हल्के में ले लेते हैं, लेकिन यह नजरिया जोखिम भरा हो सकता है। कई लोग मानते हैं कि टैरिफ जल्द ही वापस ले लिए जाएंगे, इसलिए यह सिर्फ एक छोटी परेशानी है। कुछ यह भी तर्क देते हैं कि भारत में टैरिफ 26% और चीन में 54% हैं, इसलिए हम बेहतर स्थिति में हैं। साथ ही, भारत का अमेरिका को निर्यात GDP का सिर्फ 2% है, जिससे बड़ा असर नहीं पड़ेगा। और चूंकि हमने 2008 की ग्लोबल मंदी और कोविड जैसी स्थितियों को झेला है, तो इसे भी झेल लेंगे। हालांकि, ये सोच अक्सर बाजार की असली चुनौती को नजरअंदाज कर देती है और सतर्क रणनीति अपनाने से रोकती है।
ट्रेड वॉर को कैसे समझें?
DSP म्युचुअल फंड की एक रिपोर्ट में ट्रेड वॉर के प्रभाव को लेकर तीन संभावित हालातों के आधार पर विश्लेषण किया गया है। इसमें सबसे बेहतर से लेकर सबसे खराब स्थिति तक के प्रभावों को समझाया गया है, जो वैश्विक और भारतीय बाजारों पर पड़ सकते हैं।
1. सबसे बेहतर स्थिति (Best case): ट्रंप 2 अप्रैल से पहले के स्तर तक टैरिफ वापस ले लें या अस्थायी रोक (moratorium) की घोषणा करें। यह सबसे मजबूत डैमेज कंट्रोल माना जाएगा और बाजारों के लिए अल्पकालिक रूप से सकारात्मक साबित हो सकता है।
2. सबसे संभावित स्थिति (Most likely case): ट्रंप द्विपक्षीय बातचीत के लिए सहमत हो जाएं। इससे कई विजेताओं और हारने वालों के बीच संतुलन बन सकता है, लेकिन बाजारों में अस्थिरता और घबराहट बनी रह सकती है।
3. सबसे खराब स्थित (Worst case): अन्य देश न सिर्फ अमेरिका के खिलाफ, बल्कि एक-दूसरे के खिलाफ भी जवाबी कार्रवाई करें। यह स्थिति पूरी दुनिया के विकास के साथ ही साथ भारत की ग्रोथ पर गंभीर असर डाल सकती है। बाजार इसे हल्के में नहीं लेंगे—और हर गुजरते दिन के साथ यह आशंका और मजबूत होती जा रही है।
निवेशकों को क्या करना चाहिए?
1. नए निवेश के लिए हाइब्रिड फंड्स का इस्तेमाल करें: DSP म्युचुअल फंड के एक्सपर्ट्स सलाह देते है कि निवेशकों को नए निवेश के लिए हाइब्रिड फंड्स का इस्तेमाल करना चाहिए। क्योंकि बाजार पहले ही कुछ हद तक गिर चुके हैं। खासतौर पर DAAF (डायनामिक एसेट एलोकेशन फंड) और MAAF (मल्टी एसेट एलोकेशन फंड) कैटेगरी पर ध्यान दें। अगर आपके पोर्टफोलियो में इक्विटी का हिस्सा कम है, तो हाइब्रिड फंड्स के जरिए बैलेंस बनाएं।
2. टैरिफ या बाजार के भविष्य का अनुमान लगाने से बचें: टैरिफ को लेकर आगे क्या फैसले लिए जाएंगे और बाजार की इस पर क्या प्रतिक्रिया होगी निवेशकों को यह अनुमान लगाने से बचना चाहिए। अगर भारतीय लार्ज-कैप स्टॉक्स में और 10–15% की गिरावट आती है, तो वे औसत वैल्यूएशन के करीब आ सकते हैं। ऐसी स्ट्रैटेजीज़ को अपनाएं जो क्वालिटी पर जोर देती हों और वैल्यूएशन को महत्व देती हों। चूंकि निवेश कोई सटीक विज्ञान नहीं है, इसलिए निवेश को किस्तों में करें। जल्दीबाजी की कोई जरूरत नहीं है।
3. बार-बार ट्रेडिंग करने से बचें: जब बाजारों में उतार-चढ़ाव हो रहा हो, तो बार-बार फैसले लेने या ट्रेडिंग करने से बचें। जितनी कम एक्टिविटी होगी, उतना ही आपकी मानसिक ऊर्जा बचेगी। ज्यादा एक्टिव होना लॉन्ग टर्म कंपाउंडिंग के लिए नुकसानदायक हो सकता है।
4. कम दाम में बेहतर सौदे खरीदने का अवसर: सबसे जरूरी बात यह है कि ऐसे अनिश्चित समय में इक्विटी और अन्य एसेट्स में सस्ते दाम पर खरीदारी का मौका बनता है। जो निवेशक मल्टी-एसेट या कंजरवेटिव अप्रोच अपनाते हैं, वे ऐसे समय का फायदा उठा सकते हैं। जब कुछ निवेशक घबराकर बेचते हैं, तब धैर्य रखने वाले निवेशकों को अच्छे सौदे मिल सकते हैं। अपने निवेश की राह पर टिके रहें।