व्यापार
विदेशी निवेशकों का भारतीय बाजार पर दांव Q1 2025 में ₹16,000 करोड़ झोंके
28 May, 2025 03:42 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
गौतम अडानी और राजीव जैन दोनों के बीच की करीबी को आज के समय में हर कोई जानता है. एक वक्त था जब 24 जनवरी 2023 को अमेरिका की शॉर्ट सेलिंग फर्म हिंडनबर्ग रिसर्च ने गौतम अडानी और उनकी लिस्टेड कंपनियों को लेकर एक रिपोर्ट निकली थी. जिसमें अडानी ग्रुप पर कई सारे गंभीर आरोप लगाए थे. जैसे ही ये रिपोर्ट आई अडानी के स्टॉक्स में बड़ा क्रैश देखने को मिला था. जिसके कारण लिस्टेड कंपनियों के स्टॉक्स में हफ्ते भर के अंदर ही 100 अरब डॉलर से ज्यादा का नुकसान हुआ था.
राजीव जैन और अडानी की यारी
लेकिन उस वक्त अडानी के लिए GQG Partners के कोफाउंडर और चीफ इंवेस्टमेंट ऑफिसर राजीव जैन ने मदद का हाथ आगे बढ़ाया था. राजीव जैन ने मार्च 2023 में अडानी ग्रुप की चार कंपनियों के स्टॉक्स में करीब 15000 करोड़ रुपए का निवेश किया था. फिर दुनियाभर में वापस से अडानी स्टॉक्स पर लोगों का भरोसा बढ़ने लगा और बाइंग वापस से शुरू हो गई. कुछ दिनों बाद ही अडानी का कमबैक हो गया. इसके बाद से ही दोनों के बीच दोस्ती बढ़ गई. लेकिन अब GQG Partners के कोफाउंडर और चीफ इंवेस्टमेंट ऑफिसर राजीव जैन ने अडानी की कंपनियों पर भरोसा न दिखाकर 16,600 करोड़ का निवेश दूसरे सेक्टर्स में किया है.
यहां खर्च डाले 16000 करोड़
GQG Partners के कोफाउंडर और चीफ इंवेस्टमेंट ऑफिसर राजीव जैन ने साल 2025 की पहली तिमाही ( जनवरी -मार्च) में भारतीय शेयर मार्केट में 16000 करोड़ रुपए का तगड़ा निवेश किया है. ये निवेश तब किया है जब भारतीय शेयर मार्केट में एक बड़ा करेक्शन हुआ है. इसमें गौर करने वाली बात ये है कि पिछले साल कंपनी ने पूरे साल भर में 16000 करोड़ रुपए का निवेश किया था. लेकिन 2025 में केवल तीन महीने में ही इतना निवेश कर दिया.
बता दें, HDFC Bank, ICICI Bank और SBI जैसे बैंकों में GQG ने काफी हिस्सेदारी बढ़ाई है. इसके साथ ही Bharti Airtel और दूसरी यूटिलिटी कंपनियों में मजबूत पोजीशन ली गई है. GQG के भारत पोर्टफोलियो का एक बड़ा हिस्सा इंफ्रास्ट्रक्चर में भी है. वहीं रियल एस्टेट सेक्टर में भी फर्म बुलिश है और लॉन्ग टर्म पोटेंशियल देख रही है.
₹222 करोड़ के भुगतान का मामला: SEBI ने MCX पर लगाया ₹25 लाख का जुर्माना, 45 दिन में भरना होगा
28 May, 2025 08:43 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
मार्केट रेग्युलेटर सेबी ने कमोडिटी एक्सचेंज एमसीएक्स को 45 दिन का टाइम दिया है. ये टाइम उस पर लगाए गए भारी भरकम लाखों रुपये के जुर्माने को जमा करने के लिए दिया गया है. कमोडिटी एक्सचेंज एमसीएक्स भी शेयर मार्केट में लिस्टेड एक कंपनी है, जिसकी वजह से उसकी अनियमिताओं पर सेबी की नजर रहती है. इसलिए उस पर जुर्माना भी लगाया गया है. क्या है मौजूदा मामला?
जमा करने हैं पूरे 25 लाख
MCX पर सेबी ने 25 लाख रुपये का जुर्माना लगाया है. एमसीएक्स पर ये जुर्माना उसके पेमेंट और उनके डिस्क्लोजर से जुड़े मु्द्दों को लेकर लगाया गया है. एमसीएक्स ने अपने ऑपरेशन के लिए सॉफ्टवेयर सर्विसेस लीं, उनका पेमेंट किया. लेकिन सेबी के मुताबिक इन पेमेंट को लेकर कंपनी ने जो डिस्क्लोजर किया, वह पर्याप्त नहीं था. इसलिए उस पर जुर्माना लगाया गया है. सेबी के आदेश में कहा गया है कि एमसीएक्स को ये राशि 45 दिन के भीतर जमा करानी है.
एमसीएक्स ने किसे किया पेमेंट?
एमसीएक्स का यह मामला ट्रेडिंग सॉफ्टवेयर कॉन्ट्रैक्ट के लिए 63 मून्स टेक्नोलॉजीस को किए गए पेमेंट और उसके डिस्क्लोजर में हुई चूक से जुड़ा है. 63 मून्स टेक्नोलॉजीस को पहले फाइनेंशियल टेक्नोलॉजीज इंडिया लिमिटेड के नाम से जाना जाता था.
एमसीएक्स ने 2003 में 63 मून्स टेक्नोलॉजीज के साथ एक ट्रेडिंग सॉफ्टवेयर कॉन्ट्रैक्ट किया था. उस समय 63 मून्स के ही पास एमसीएक्स का पूर्ण स्वामित्व था. वर्ष 2020 में एमसीएक्स ने एक नए ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म पर जाने का फैसला किया और इसका कॉन्ट्रैक्ट टीसीएस को दे दिया.
हालांकि नया प्लेटफॉर्म टाइम पर शुरू नहीं हो पाया और एमसीएक्स ने 63 मून्स के साथ ही अधिक लागत पर अपनी सेवाओं का विस्तार किया. इसके लिए उसने कंपनी को किए जाने वाले हाई-वैल्यू पेमेंट का डिस्क्लोजर नहीं किया, जो सेबी की नजर में आ गया और कंपनी पर जुर्माना लगा दिया गया.
सेबी ने अपने आदेश में कहा कि तीन तिमाहियों (अक्टूबर 2022-जून 2023) में यह भुगतान कुल 222 करोड़ रुपये है. यह राशि वित्त वर्ष 2021-22 में कंपनी के लाभ से लगभग दोगुनी थी, फिर भी इसका खुलासा जनवरी 2023 में ही किया गया.
ITR फाइलिंग की डेडलाइन में बदलाव, 31 जुलाई की जगह अब 15 सितंबर तक मौका
28 May, 2025 07:34 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
Income Tax Department ने ITR फाइलिंग की डेडलाइन को 31 जुलाई से बढ़ाकर 15 सितंबर कर दिया है. CBDT यानी सेंट्रल बोर्ड ऑफ डायरेक्ट टैक्सेज ने बताया कि वित्त वर्ष 2024-25 यानी असेसमेंट ईयर 2025-26 के लिए आयकर रिटर्न दाखिल करने की अंतिम तिथि 31 जुलाई, 2025 से बढ़ाकर 15 सितंबर, 2025 कर दिया गया है. CBDT ने मंगलवार 27 मई को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर इसकी जानकारी देते हुए बताया कि यह फैसला इनकम टैक्स रिटर्न फॉर्म के लिए नोटिफिकेशन जारी करने में हुई देरी की वजह से लिया गया है.
CBDT ने क्या कहा?
सीबीडीटी ने अपने एक्स पर किए पोस्ट में बताया कि सीबीडीटी ने 31 जुलाई, 2025 तक दाखिल होने वाली आईटीआर की अंतिम तिथि को बढ़ाकर 15 सितंबर, 2025 करने का फैसला किया है. आईटीआर फॉर्म, सिस्टम डेवलपमेंट की जरूरतों और टीडीएस क्रेडिट रिफ्लेक्शन में किए गए बदलावों की वजह से यह समय सीमा बढ़ाई गई है.
किसे मिलेगा फायदा
ITR फाइलिंग के लिए डेडलाइन बढ़ाए जाने का सबसे ज्यादा फायदा वेतनभोगी कर्मचारियों को मिलेगी. इसके अलावा उन सभी टैक्सपेयर्स को इसका फायदा मिलेगा, जिन्हें अपने अकाउंट की ऑडिट नहीं करानी होती है. लास्ट डेट बढ़ाए जाने से टैक्सपेयर्स को करीब ITR फाइल करने के लिए 46 दिन का अतिरिक्त समय मिलेगा. अगर आखिर दिन तक इनकम टैक्स फाइल नहीं किया जाता है, तो 5,000 रुपये का जुर्माना भरना पड़ता है.
क्यों बढ़ाई गई समय-सीमा?
CBDT ने ITR फाइलिंग की समय-सीमा बढ़ाए जाने के कारणों को स्पष्ट करते हुए बताया कि असेसमेंट ईयर 2025-26 के लिए ITR नोटिफिकेशन में कई तरह के बदलाव किए गए हैं. इन बदलावों का मकसद टैक्स कंप्लायंस को असाना, पारदर्शी बनाते हुए रिपोर्टिंग को सटीक बनाना है. इन बदलावों को लागू करने के लिए सिस्टम डेवलपमेंट, इंटीग्रेशन और यूटिलिटी टेस्टिंग में समय लगा, जिसकी वजह से आईटीआर फाइलिंग की समय-सीमा को बढ़ाया गया है.
रिटायरमेंट लाभ पर नई सरकारी नीति: सेवा से बर्खास्तगी की स्थिति में अब कोई वित्तीय सुरक्षा नहीं
28 May, 2025 06:27 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
पब्लिक सेक्टर अंडरटेकिंग (PSU) यानी सरकारी क्षेत्र के किसी भी कर्मचारी को बर्खास्त करने या हटाने की स्थिति में उसे रिटायरमेंट के समय मिलने वाले बेनिफिट्स नहीं मिलेंगे. केंद्र सरकार ने यह जानकारी देते हुए कहा कि इस तरह की बर्खास्तगी या हटाने के फैसले की समीक्षा संबंधित प्रशासनिक मंत्रालय करेगा. कार्मिक मंत्रालय ने इस संबंध में केंद्रीय सिविल सेवा (पेंशन) नियम, 2021 में प्रमुख बदलाव किए हैं.
छीन लिए जाएंगे रिटायरमेंट बेनिफिट्स
हाल ही में नोटिफाई केंद्रीय सिविल सेवा (पेंशन) संशोधन नियम, 2025 के अनुसार किसी भी कर्मचारी को सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम में शामिल होने के बाद किसी भी कदाचार के लिए ऐसे उपक्रम की सेवा से बर्खास्त करने या हटाने से रिटायरमेंट लाभ छीन लिए जाएंगे. इन नियमों को 22 मई को अधिसूचित किया गया. इसमें कहा गया कि कर्मचारी की बर्खास्तगी, निष्कासन या छंटनी की स्थिति में उपक्रम के फैसले की समीक्षा प्रशासनिक रूप से संबंधित मंत्रालय करेगा.
पहले नहीं था ये प्रावधान
पिछले नियमों के तहत सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम के कर्मचारी की बर्खास्तगी या सेवा से हटाए जाने की स्थिति में रिटायरमेंट बेनिफिट्स को समाप्त करने की अनुमति नहीं थी. कर्मचारियों को इसका लाभ मिल सकता था. लेकिन अब सरकार ने इसे पूरी तरह से खत्म करने का फैसला किया है. किसी भी कर्मचारी को बर्खास्तगी के बाद उसे रिटायरमेंट बेनिफिट्स नहीं मिलेंगे.
नए नियमों में आगे कहा गया है कि भविष्य में अच्छे आचरण के तहत पेंशन और पारिवारिक पेंशन और अनुकंपा भत्ता जारी रखने या देने से संबंधित प्रावधान भी ऐसे बर्खास्त या छंटनी वाले कर्मचारियों पर लागू होंगे.
पेंशन के दायरे में कौन-कौन?
केंद्रीय सिविल सेवा (पेंशन) नियम, 2021 रेलवे कर्मचारियों, आकस्मिक और दैनिक वेतनभोगी रोजगार में शामिल व्यक्तियों, तथा भारतीय प्रशासनिक सेवा (IAS), भारतीय पुलिस सेवा (IPS) और भारतीय वन सेवा (IFOS) के अधिकारियों को छोड़कर, 31 दिसंबर 2003 को या उससे पहले नियुक्त सरकारी कर्मचारियों पर लागू होते हैं.
ऑपरेशनल प्रॉफिटेबल Groww ने FY24 में दर्ज की शानदार ग्रोथ, ₹535 करोड़ का परिचालन लाभ
27 May, 2025 06:49 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
भारत की प्रमुख म्यूचुअल फंड इंवेस्टमेंट कंपनी ग्रो जल्द ही अपना IPO लाने वाली है. इसके लिए कंपनी ने बाजार नियामक SEBI के पास पेपर दाखिल किए हैं. हालांकि कंपनी ने साफ किया अभी ये महज प्री-DRHP है, आगे का कदम बोर्ड की मंजूरी के आधार पर लिया जाएगा. मार्केट में तेजी से पॉपुलैरिटी हासिल करने वाला ये इंवेस्टमेंट प्लेटफॉर्म कितनी कमाई कर रहा है, इसके कितने यूजर्स हैं और क्या है कंपनी की प्लानिंग जानें पूरी डिटेल.
कैसे हुई थी शुरुआत?
ग्रो की स्थापना साल 2016 में हुई थी. इसे ललित केशरे, हर्ष जैन, ईशान बंसल और नीरज सिंह ने मिलकर शुरु किया था. इसकी शुरुआत के लिए उन्होंने अपनी नौकरी छोड़ दी थी. उन्होंने इसका नाम ग्रो रखा था और 2017 में इसका ऑपरेशन शुरू किया.
बाजार में बढ़ाया दबदबा
ग्रो भारत में सबसे तेजी से बढ़ते खुदरा ब्रोकिंग प्लेटफार्मों में से एक है. इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक मार्च 2025 तक इसकी 26% से ज्यादा बाजार हिस्सेदारी थी, जो वित्त वर्ष 25 के दौरान बढ़ गई. प्लेटफॉर्म ने 34 लाख नए खाते जोड़े. ग्रो की वेबसाइट के मुताबिक इसके 5 करोड़ से ज्यादा कस्टमर हैं, जबकि 1000 से ज्यादा टीम मेंबर है. इसका मुकाबला बाजार के दूसरे दिग्गजों जैसे जीरोधा और एंजेल वन से होता है.
कितनी है कमाई?
रिपोर्ट के अनुसार, कंपनी ने जो प्री-डीआरएचपी जो फाइल किया है, उसमे ग्रो का वित्त वर्ष 23 में लाभ 449 करोड़ रुपये था और इसका रेवेन्यू 1,277 करोड़ रुपये था. वित्त वर्ष 2024 में कंपनी का कंसॉलिडेटेड रेवेन्यू 3,145 करोड़ रुपये रहा, जो पिछले साल के 1,435 करोड़ रुपये से दोगुना से ज्यादा है. वहीं इसका ऑपरेशनल मुनाफा 17% बढ़कर 535 करोड़ रुपये रहा. हालांकि 1,340 करोड़ रुपये के एकमुश्त डोमिसाइल टैक्स के कारण कंपनी को 805 करोड़ रुपये का शुद्ध नुकसान हुआ. बता दें FY24 में ग्रो ने अपना रजिस्टर्ड कार्यालय अमेरिका के डेलावेयर से बेंगलुरु ट्रांसफर किया था.
ये दिग्गज हैं इंवेस्टर
ग्रो प्लेटफॉर्म से कई दिग्गज इंवेस्टर जुड़े हुए हैं, इनमें माइक्रोसॉफ्ट के सीईओ सत्या नडेला, रिबिट कैपिटल, टिगर ग्लोबल, आइकॉनिक, वाई-कॉम्बिनेटर और सीक्विइया शामिल हैं.
IPO से रकम जुटाने की तैयारी
सूत्रों के मुताबिक, ग्रो का IPO 700 मिलियन से 1 बिलियन डॉलर के बीच हो सकता है, जिसमें नई इक्विटी और ऑफर फॉर सेल (OFS) दोनों शामिल होंगे. कंपनी IPO से प्राप्त राशि का उपयोग तकनीकी विकास और कारोबारी विस्तार में करेगी. इसके शेयर जिसकी फेस वैल्यू 2 रुपये होगी, ये NSE और BSE दोनों पर लिस्ट हो सकते हैं.
कानपुर-आगरा बनेंगे ग्लोबल फुटवियर हब! चीन की 7 कंपनियां करेंगी 2500 करोड़ का निवेश
27 May, 2025 06:37 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
उत्तर प्रदेश जल्द ही देश का प्रमुख फुटवियर मैन्युफैक्चरिंग हब बनने की दिशा में बड़ा कदम उठाने जा रहा है. चीन की सात प्रमुख कंपनियों ने राज्य में करीब 2500 करोड़ रुपये के निवेश का प्रस्ताव दिया है. यह निवेश कानपुर और आगरा में बन रहे फुटवियर पार्कों में किया जाएगा, जिससे लगभग 10 लाख लोगों को प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रोजगार मिलने की उम्मीद है.
चीन दौरे के बाद मिला निवेश प्रस्ताव
यूपी सरकार और चर्म निर्यात परिषद (CLE) की 6 दिवसीय चीन यात्रा के दौरान यह प्रस्ताव सामने आया. एमएसएमई और औद्योगिक विकास के प्रमुख सचिव आलोक कुमार की अगुवाई में टीम ने फुजियांग प्रांत के जिनजियांग इंटरनेशनल शूज एंड टेक्सटाइल सिटी का दौरा किया. इसके साथ ही गुआंगझोउ फुटवियर फेयर में भी भाग लिया गया, जहां नाइकी, प्यूमा और क्रॉक्स जैसे ब्रांड्स के लिए काम करने वाली एवरवान ग्रुप सहित कई कंपनियों ने रुचि दिखाई.
किन कंपनियों ने दिखाई दिलचस्पी?
लियू सुइलोंग (एसोसिएशन अध्यक्ष): पूरा फुटवियर ईकोसिस्टम स्थापित करने का प्रस्ताव
एलेक्स कै (तियानफू): विशेष वस्त्र सामग्री
डिंग चिंग खी: सोल और अपर मोल्डिंग
यिहुआंग डिंग (याओक्सिंग टेक्सटाइल): तकनीकी वस्त्र
होंग जी जियान (बेयॉन्ग): सिलाई मशीनें
झोंगताई: फुटवियर मशीनरी
ग्वांगडोंग शू मैन्युफैक्चरर्स: अकेले 1000 करोड़ रुपये का निवेश
कहां बनेंगे पार्क?
कानपुर के रमईपुर में 131.69 एकड़ और आगरा में 300 एकड़ क्षेत्र में फुटवियर पार्क विकसित किए जा रहे हैं. यह परियोजना उत्तर प्रदेश को लेदर और फुटवियर उद्योग का वैश्विक हब बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम मानी जा रही है. यूपीसीडा (उत्तर प्रदेश राज्य औद्योगिक विकास प्राधिकरण) के अनुसार, इन पार्कों के निर्माण से न केवल स्थानीय उद्योगों को मजबूती मिलेगी, बल्कि हजारों युवाओं को रोजगार के नए अवसर भी प्राप्त होंगे.
निवेशकों की वीजा प्रक्रिया पर मांग
चीनी निवेशकों ने भारत सरकार से वीजा प्रक्रिया को सरल बनाने की अपील की. इस पर भारतीय पक्ष ने भरोसा दिया कि शुरुआती शार्ट टर्म वीजा और फिर ऑटोमेटिक छह माह का वीजा देने पर विचार किया जाएगा. इस आश्वासन के बाद छह और निवेशकों ने अगले 18 महीनों में ₹1500 करोड़ के अतिरिक्त निवेश में रुचि जताई है.
नई नीति कई तरह की छूट
इन निवेशों को मूर्त रूप देने के लिए भारत सरकार की नीति और वीजा नियमों पर अंतिम निर्णय अगले महीने लिया जाएगा. वहीं यूपी सरकार की लेदर व फुटवियर पॉलिसी 2025 के तहत निवेशकों को सब्सिडी, स्टांप ड्यूटी छूट सहित कई रियायतें मिलेंगी.
फ्लिपकार्ट का बड़ा विस्तार: क्विक कॉमर्स और AI पर जोर, 5,000 नए कर्मचारियों की करेगा भर्ती
27 May, 2025 06:31 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
ऑनलाइन डिलीवरी प्लेटफॉर्म फ्लिपकार्ट जल्द ही नए लोगों की भर्ती करने वाला है. वॉलमार्ट के मालिकाना हक वाली इस ई-कॉमर्स कंपनी ने 5000 नए लोगों को अपने साथ जोड़ने का ऐलान किया है. हायरिंग इस साल किए जाने की उम्मीद है. कंपनी इस समय अपनी दो सबसे बड़ी योजनाओं, क्विक कॉमर्स और फिनटेक पर ज्यादा फोकस कर रही है. ऐसे में इन क्षेत्रों में रोजगार के अवसर बढ़ने की संभावना है.
रिपोर्ट के मुताबिक फ्लिपकार्ट क्विक कॉमर्स और फिनटेक पर भारी-भरकम निवेश भी कर रही है. खासतौर पर आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) में ज्यादा जोर दिया जा रहा है. कंपनी अपने हाइपरलोकल डिलीवरी वाले प्लेटफॉर्म फ्लिपकार्ट मिनट्स और फिनटेक प्लेटफॉर्म सुपर मनी को और मजबूत करना चाहती है. चूंकि फ्लिपकार्ट मिनट्स किराना और जरूरी सामान की सुपरफास्ट डिलीवरी में ब्लिंकिट, जेप्टो और स्विगी इंस्टामार्ट को टक्कर दे रहा है. ऐसे में कंपनी दूसरों से आगे निकलने के मकसद से और भर्तियां करने की कोशिश में है.
नई भर्ती का मकसद
मनी कंट्रोल की रिपोर्ट के मुताबिक ग्रुप सीईओ कल्याण कृष्णमूर्ति का कहना है कि मिनट्स शानदार प्रदर्शन कर रहा है और ये हाइपरलोकल मार्केट में बड़ी हिस्सेदारी हासिल करने की दिशा में अहम कदम है. वहीं, सुपर मनी के जरिए फ्लिपकार्ट क्रेडिट और पेमेंट जैसे फाइनेंशियल प्रोडक्ट्स को बढ़ावा दे रही है, चूंकि यहां डिमांड तेजी से बढ़ रही है. ऐसे में नई भर्तियां प्रोडक्ट डेवलपमेंट, टेक्नोलॉजी और बिजनेस फंक्शन्स को और मजबूत करने में मदद करेंगी.
क्या है आगे की प्लानिंग?
कंपनी बिजनेस के विस्तार के लिए अपना मासिक कैश बर्न 40 मिलियन डॉलर से घटाकर 20 मिलियन डॉलर करना चाहती है. फ्लिपकार्ट का दावा है कि वो 30% ग्रोथ का टारगेट लेकर चल रही है, जिसमें फैशन सेगमेंट अहम रोल निभाएगा. इस साल कंपनी ने AI में 6 गुना ज्यादा पैसा लगाया है, जिससे कस्टमर एक्सपीरियंस को और बेहतर किया जा सके.
IBM का बड़ा फैसला: 8000 कर्मचारियों की छुट्टी, AI ऑटोमेशन से मानव संसाधन विभाग पर गिरी गाज
27 May, 2025 06:26 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
दिग्गज टेक कंपनी इंटरनेशनल बिजनेस मशीनंस यानी IBM ने करीब 8,000 कर्मचारियों को नौकरी से निकाल दिया है. रिपोर्ट के मुताबिक माना जा रहा है कि ये छंटनी आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस यानी AI और ऑटोमेशन की वजह से हुई है. दरअसल ज्यादातर छंटनी कंपनी के ह्यूमन रिसोर्सेज यानी HR डिपार्टमेंट से की गई है. वहीं कुछ दिन पहले ही खबर आई थी कि IBM ने HR की 200 पोस्ट्स को AI एजेंट्स से बदल दिया है यानी HR का कुछ काम एआई संभाल रहा है. पहले जो काम इंसान करते थे वो अब AI से हो रहा है. इसमें डेटा छांटना, कर्मचारियों के सवालों का जवाब देना या इंटरनल डॉक्युमेंट प्रोसेस करना जैसे काम शामिल हैं.
दरअसल ये AI एजेंट्स उन कामों को बेहतर तरीके से कर लेते हैं जो काम को रोजाना एक जैसे ही करना होता है. इन कामों में ज्यादा सोचने-समझने की जरूरत नहीं होती, इसलिए कंपनियां मानती हैं कि मशीनें इन्हें बेहतर और तेज कर सकती हैं. इसी वजह से ये छंटनी हुई है.
IBM के CEO ने क्या कहा?
उन्होंने हाल ही में एक इंटरव्यू में बताया कि AI और ऑटोमेशन का मकसद यह है कि कंपनी के कामकाज को ज्यादा कुशल और स्मार्ट बनाया जाए. उन्होंने ये भी कहा कि IBM ने जहां एक ओर कुछ रोल्स खत्म किए हैं, वहीं दूसरी तरफ कुछ दूसरे डिपार्टमेंट्स में लोगों की संख्या बढ़ाई भी है, जैसे सॉफ्टवेयर डेवेलपमेंट, मार्केटिंग और सेल्स.
IBM के चीफ HR ने क्या कहां?
IBM के चीफ HR ऑफिसर निक्कल लामोरॉ ने कहा कि, AI का मतलब ये नहीं कि सारे जॉब्स खत्म हो जाएंगे. बहुत ही कम रोल्स ऐसे होंगे जो पूरी तरह से रिप्लेस हो जाएंगे. AI सिर्फ वही हिस्सा संभालेगा जो काम रिपिटेटिव वाला है. बाकी काम इंसान को करना होगा, जहां सोचने और समझने की जरूरत है.
इस महीने की थिंक कॉन्फेरेंस में IBM ने नए AI टूल्स लॉन्च किए हैं ताकि और कंपनियां भी अपने खुद के AI एजेंट्स बना सकें और उन्हें OpenAI, अमेजन या माइक्रोसॉफ्ट जैसे प्लेटफॉर्म्स के साथ जोड़ सकें.
टैरिफ वृद्धि का असर: Apple के बाद Samsung के गैलेक्सी स्मार्टफोन्स की कीमतों में हो सकती है भारी बढ़ोतरी
27 May, 2025 08:43 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का टैरिफ वॉर खत्म होने का नाम नहीं ले रहा है. अब उनके हालिया बयान ने मोबाइल कंपनियों की धड़कनें बढ़ा दी हैं. Apple के बाद अब सैमसंग पर भी टैरिफ की गाज गिरने वाली है. ऐसे में अमेरिका में सैमसंग गैलेक्सी स्मार्टफोन्स के दाम आसमान छू सकते हैं. अगर विदेशों में बने फोन्स पर प्रस्तावित टैरिफ लागू हुए तो सैमसंग के फोन की कीमतें 40 फीसदी तक बढ़ सकती हैं.
राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने हालिया बयान में कहा था कि 25 फीसदी टैरिफ न सिर्फ एप्पल बल्कि हर उन कंपनी पर लागू होगा जो विदेश में फोन बनाकर अमेरिका में बेचती है. ट्रंप का ये बयान सैमसंग के लिए किसी झटके से कम नहीं है. चूंकि कंपनी का कोई भी मैन्युफैक्चरिंग प्लांट अमेरिका में नहीं है और ज्यादातर गैलेक्सी फोन्स वियतनाम जैसे देशों में बनते हैं. साउथ कोरिया की एक रिपोर्ट के मुताबिक अगर टैरिफ लागू हुआ तो गैलेक्सी Z फोल्ड 7 और फ्लिप 7 जैसे फ्लैगशिप फोन्स की कीमत 30-40 फीसदी तक बढ़ सकती है. यानी फोल्ड 7 की कीमत 2,500 डॉलर (लगभग 2 लाख रुपये) तक पहुंच सकती है.
सैमसंग की बढ़ी चिंता
साउथ कोरिया की इस खबर से हड़कंप मचा हुआ है. चूंकि अमेरिका सैमसंग के लिए बेहद अहम बाजार है, खासकर प्रीमियम स्मार्टफोन सेगमेंट में, जहां कंपनी का सीधा मुकाबला एप्पल से है. अगर कीमतें इतनी बढ़ गईं तो सैमसंग की मार्केट में पकड़ कमजोर पड़ सकती है. सैमसंग के फ्लैगशिप फोन्स पहले से ही महंगे हैं, ऐसे में कीमतें और बढ़ने से इसके ग्राहक घट सकते हैं. टैरिफ लागू होने की डेडलाइन जून 2025 के अंत तक हो सकती है, हालांकि अभी नियम लागू होंगे या नहीं अभी तक इस पर कोई पुष्टि नहीं हुई है.
स्टार्टअप फाउंडर का चौंकाने वाला पोस्ट: "भारत की GDP तो ठीक, लेकिन असल तस्वीर देखें तो अभी हम बहुत पीछे हैं"
27 May, 2025 07:27 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
भारत की अर्थव्यवस्था 4 लाख करोड़ डॉलर के आंकड़े को छू चुकी है, हाल में नीति आयोग के सीईओ ने बताया कि इसके बाद भारत ने जापान को पछाड़ दिया है और दुनिया की चौथी सबसे बड़ी इकोनॉमी शक्ति बन चुका है. लेकिन क्या ये वाकई जश्न मनाने लायक खबर है? ऐसा हम नहीं गुरुग्राम की एक स्टार्टअप कंपनी के फाउंडर आशीष एस का वायरल लिंक्डइन पोस्ट बता रहा है. इसमें उन्होंने लिखा है कि देश की इकोनॉमी भले ही चौथी सबसे बड़ी है लेकिन प्रति व्यक्ति आय देखें तो जितनी भारत में आज है उतनी जापान में 1950 के दशक में थी. उन्होंने लिखा ये उपलब्धि जरूर है लेकिन यह एक आईना भी है.
जापान की बराबरी में लगेंगे 50 साल
आशीष ने पोस्ट में लिखा कि यूपी भारत की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है, फिर भी उसकी प्रति व्यक्ति जीडीपी अफ्रीका के 60 फीसदी देशों से भी कम है. अगर पीपीपी यानी परचेसिंग पावर पैरिटी के हिसाब से भी देखें तो भारत अभी भी जापान से काफी ज्यादा पीछे है. और ये तब है जब जापान वहीं का वहीं खड़ा रहा कोई विकास नहीं किया.
उनका मानना है कि भारत को जापान की प्रति व्यक्ति आय तक पहुंचने में 22 साल लगेंगे. भारत की जीडीपी ज्यादा है लेकिन हर एक भारतीय कितना कमाता है ये ज्यादा अहम है. लेकिन इस मामले में भारत जापान से काफी पीछे है.
वहीं अगर जमीनी सच्चाई को देखें तो भारत को जापान की क्वालिटी लाइफ तक पहुंचने में तो 50 साल लग सकते हैं. वहां का जीवन स्तर काफी प्रीमियम है और भारतीयों का जीवन स्तर काफी अलग है. उस तरह की क्वालिटी लाइफ तक पहुंचने के लिए 50 साल लगेंगे.
क्या है भारत की स्थिति?
2025 में भारत की प्रति व्यक्ति जीडीपी करीब 2400 डॉलर है.
यह केन्या, मोरक्को और कोट डीवोयर जैसे देशों से भी कम है.
साउथ अफ्रीका, लीबिया और मॉरिशस जैसे देशों से तो बहुत ही कम है.
कई अफ्रीकी अर्थव्यवस्थाएं अब नॉमिनल जीडीपी और पीपीपी दोनों पैमानों पर भारत से आगे निकल चुकी हैं.
कहां पीछे हो गया भारत?
पोस्ट के मुताबिक, भारत के टॉप 10% लोग देश की कुल आय का करीब 57% कमाते हैं
निचले 50% लोगों को सिर्फ 15% हिस्सा मिलता है
देश की 42% वर्कफोर्स अब भी खेती-किसानी से जुड़ी है जो कि एक कम उत्पादकता वाला सेक्टर है और सिर्फ 16% जीडीपी में योगदान करता है
ये असंतुलन भारत की कुल उत्पादकता को नीचे खींचता है, खासकर ग्रामीण इलाकों में, जहां इंफ्रास्ट्रक्चर, शिक्षा और स्वास्थ्य सुविधाएं अब भी अधूरी और बिखरी हुई हैं
महाराष्ट्र और कर्नाटक जैसे राज्य विकास में आगे हैं जबकि यूपी और बिहार जैसे जनसंख्या-भरे राज्य प्रति व्यक्ति जीडीपी में अब भी राष्ट्रीय औसत से भी काफी नीचे हैं
पोस्ट के आखिर में आशीष पूछते हैं, स्मार्ट सिटी मिशन या मेक इन इंडिया से आखिर क्या हासिल हुआ? क्या कोई भी ऐसा शहर है जिसे वाकई में स्मार्ट सिटी कहा जा सके? और जब से मेक इन इंडिया शुरू हुआ है, तब से मैन्युफैक्चरिंग का हिस्सा क्यों गिर गया है?
ONGC : मुंबई ऑफशोर में मिले तेल-गैस के विशाल भंडार, ऊर्जा आत्मनिर्भरता को मिलेगा बढ़ावा!
26 May, 2025 12:51 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
ONGC Oil Discoverie: भारत अपनी जरूरतों को पूरा करने के लिए अधिकांश तेल और गैस का आयात करता है. हालांकि अब भारतीय कंपनी को बड़ी सफलता मिली है. भारत की सरकारी तेल एवं गैस कंपनी Oil and Natural Gas Corporation (ONGC) ने मुंबई ऑफशोर बेसिन में तेल और प्राकृतिक गैस के भंडार खोजे हैं. यह खोज देश में घरेलू उत्पादन बढ़ाने में मददगार साबित हो सकती है और साथ ही अन्य देशों पर निर्भरता को भी कम कर सकती है.
कहां हुई खोज
ONGC ने Open Acreage Licensing Policy (OALP) के तहत आवंटित दो ब्लॉक्स में यह खोज की है:
OALP-VI ब्लॉक MB-OSHP-2020/2 – यहां ‘सूर्यमणि’ नामक भंडार मिला है.
OALP-III ब्लॉक MB-OSHP-2018/1 – यहां ‘वज्रमणि’ नामक भंडार की पुष्टि हुई है.
कितना होगा उत्पादन
सूर्यमणि भंडार से (MBS202HAA-1) जनवरी-मार्च तिमाही के दौरान किए गए परीक्षण में प्रतिदिन 2,235 बैरल तेल और 45,181 क्यूबिक मीटर गैस के उत्पादन की क्षमता पाई गई. इसके बाद, चालू तिमाही में उसी कुएं के दूसरे क्षेत्र का परीक्षण किया गया, जिसमें प्रतिदिन 413 बैरल तेल और 15,132 क्यूबिक मीटर गैस के उत्पादन की क्षमता सामने आई.वज्रमणि भंडार के एक अन्य कुएं (MBS181HNA-1) से प्रतिदिन 2,122 बैरल तेल और 83,120 क्यूबिक मीटर गैस प्राप्त हुई.
मुंबई ऑफशोर का महत्व
मुंबई ऑफशोर भारत के सबसे बड़े तेल और गैस क्षेत्रों में से एक है. यहां स्थित मुंबई हाई, बसीन, हीरा, नीलम और पन्ना-मुक्ता जैसे प्रमुख क्षेत्र देश की तेल एवं गैस आपूर्ति में अहम भूमिका निभाते हैं. वर्तमान में, मुंबई हाई से प्रतिदिन 1,34,000 बैरल तेल और 10 मिलियन स्टैंडर्ड क्यूबिक मीटर गैस का उत्पादन होता है.
KG बेसिन में भी सफलता
मुंबई ऑफशोर के अलावा, ONGC ने कृष्णा-गोदावरी (KG) बेसिन के ऑनलैंड ब्लॉक में भी तेल और गैस की खोज की है. यहां यंदापल्ली-1 कुएं से हाइड्रोकार्बन के संकेत मिले हैं.
आत्मनिर्भर भारत की दिशा में अहम कदम
भारत अपनी तेल की जरूरतों का 85 फीसदी से अधिक और प्राकृतिक गैस की आवश्यकता का लगभग 50 फीसदी आयात करता है. ONGC की यह नई खोज देश में energy safety को मजबूत करने में सहायक हो सकती है. हालांकि, अभी इन भंडारों के डेवलपमेंट और कमर्शियल प्रोडक्शन की समयसीमा स्पष्ट नहीं है.
बैंक ग्राहकों का बढ़ेगा भरोसा: सरकार बढ़ा सकती है जमा बीमा की सीमा, वित्तीय सुरक्षा होगी मजबूत
26 May, 2025 12:24 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
Bank Deposit Insurance: हर एक अंतराल पर कोई न कोई बैंक किसी न किसी संकट से गुजर रहा होता है. ऐसे में बैंक में डिपॉजिट करने वाले लोग चिंता में रहते हैं कि उनकी जमा पूंजी का क्या होगा. इस चिंता को कुछ हद तक दूर करने के लिए बैंक के डिपॉजिट का इंश्योरेंस होता है. इसके तहत 5 लाख तक की जमा पूरी तरह सुरक्षित होती है. लेकिन अगर किसी की जमा 5 लाख रुपये से ज्यादा हो तो वो पैसा डूब जाता है. वहीं अब खबर है कि सरकार इस 5 लाख के इंश्योरेंस कवर की लिमिट को बढ़ाने की तैयारी कर रही है ताकि जमाकर्ताओं को ज्यादा सुरक्षा मिल सके. आइए जानते हैं कितनी लिमिट बढ़ सकती है और ये बदलाव कब से लागू हो सकता है.
6 महीने बाद बढ़ाई जा सकती है लिमिट
बिजनेस स्टैंडर्ड की रिपोर्ट के मुताबिक, अगले 6 महीने में डिपॉजिट इंश्योरेंस की लिमिट में बदलाव किया जा सकता है. वित्त मंत्रालय से ऐसे संकेत मिले हैं कि ये लिमिट 5 लाख से बढ़ाकर 10 लाख की जा सकती है. लेकिन आधिकारिक रूप से इस पर कोई घोषणा नहीं हुई है.
5 लाख तक की लिमिट को 2020 में तय किया गया था, जब PMC बैंक संकट में आया था और लाखों जमाकर्ता प्रभावित हुए थे. उससे पहले यह लिमिट 1993 से 1 लाख रुपये पर ही अटकी हुई थी.
डिपॉजिट कितना सुरक्षित है?
डिपॉजिट इंश्योरेंस एंड क्रेडिट गारंटी कॉर्पोरेशन (DICGC) के अनुसार-
31 मार्च 2024 तक 2.89 अरब खातों में से लगभग 98% खातों को पूरी तरह से 5 लाख तक के इंश्योरेंस के तहत सुरक्षा मिली हुई है.
लेकिन अगर टोटल डिपॉजिट को देखें तो यह इंश्योरेंस केवल 43.1% अमाउंट को ही कवर करता है.
कितने बैंक सुरक्षित?
RBI की सहायक इकाई DICGC के पास 2023-24 के अंत में-
1.98 लाख करोड़ का डिपॉजिट इंश्योरेंस फंड था.
इसी साल में 1,432 करोड़ रुपये इंश्योरेंस क्लेम के तहत डिपॉजिटर्स को दिए गए क्लेम को-ऑपरेटिव बैंकों से जुड़े थे.
इंश्योरेंस प्रीमियम से 23,879 करोड़ रुपये की आमदनी हुई थी.
कुल 1,997 बैंक इसके तहत रजिस्टर्ड हैं जिनमें 140 कमर्शियल और 1,857 को-ऑपरेटिव बैंक हैं.
1976 में थी 20 हजार की लिमिट
डिपॉजिट इंश्योरेंस की शुरुआत 1962 में हुई थी जब इंश्योरेंस की लिमिट सिर्फ 1,500 रुपये थी:
1976 में 20,000
1980 में 30,000
1993 में 1 लाख
2020 में 5 लाख
भारत ने जापान को पछाड़ा, चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बना; महिंद्रा ने प्रति व्यक्ति आय पर दिया जोर
26 May, 2025 09:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
भारत ने वैश्विक आर्थिक मंच पर एक बड़ी उपलब्धि हासिल करते हुए जापान को पीछे छोड़ दिया है. अब भारत दुनिया की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन चुका है. अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) के आंकड़ों के मुताबिक, भारत की नाममात्र GDP अब 4.19 ट्रिलियन डॉलर तक पहुंच गई है. इस बड़ी घोषणा की पुष्टि नीति आयोग के CEO बीवीआर सुब्रमण्यम ने नीति आयोग की 10वीं गवर्निंग काउंसिल मीटिंग में की.
आनंद महिंद्रा ने जताया गर्व और सावधानी
देश के जाने-माने उद्योगपति आनंद महिंद्रा ने इस उपलब्धि पर गर्व जताते हुए सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X (पहले ट्विटर) पर लिखा, “जब मैं बिजनेस स्कूल में था, तब भारत का जापान से आगे निकलना सिर्फ एक साहसी सपना लगता था. आज यह सपना हकीकत बन चुका है.” उन्होंने आगे कहा कि जापान लंबे समय से एक आर्थिक महाशक्ति रहा है जिसकी मजबूती की दुनिया मिसाल देती है. ऐसे देश को पीछे छोड़ना भारत की प्रतिभा, मेहनत और संकल्प का प्रमाण है जो कई पीढ़ियों, क्षेत्रों और हिस्सों से निकला है.
हालांकि महिंद्रा ने इस उपलब्धि को अगली चुनौती की शुरुआत बताया. उन्होंने कहा, “अब हमें प्रति व्यक्ति आय के मामले में भी आगे बढ़ना होगा. सिर्फ रैंकिंग से संतुष्ट नहीं रह सकते. शासन, बुनियादी ढांचा, निर्माण, शिक्षा और पूंजी तक पहुंच, इन सभी क्षेत्रों में लगातार सुधार की जरूरत है.”
भारत की आर्थिक सफलता की कहानी
भारत की इस आर्थिक छलांग की जड़ें 1991 के आर्थिक सुधारों से शुरू होती हैं. जब देश को बैलेंस पेमेंट के संकट का सामना करना पड़ा था. उस वक्त के तत्कालीन वित्त मंत्री मनमोहन सिंह के नेतृत्व में बाजार को खोलने, लाइसेंस राज को खत्म करने और विदेशी निवेश को आकर्षित करने जैसे कई बड़े कदम उठाए गए. हाल के सालों में GST ने पूरे देश में इनडायरेक्ट टैक्स रिजीम को एक किया.
‘मेक इन इंडिया’ और ‘आत्मनिर्भर भारत’ जैसे अभियानों ने डोमेस्टिक प्रोडक्शन को बढ़ावा दिया और विदेशी कंपनियों को भारत में निवेश के लिए आकर्षित किया. इसके अलावा, डिजिटल लेनदेन को बढ़ावा देने और इनसॉल्वेंसी एंड बैंकरप्सी कोड (IBC) लागू करने से भारत में बिजनेस करना पहले से आसान हो गया है, जिससे निवेशकों का भरोसा भी मजबूत हुआ है.
तमिलनाडु में ₹2,000 करोड़ के लैपटॉप प्रोजेक्ट से मिलेगी शिक्षा में डिजिटल पहुँच, छात्रों को मिलेगा तकनीकी सहारा
26 May, 2025 08:27 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
भारत में किसी एक निविदा के जरिये लैपटॉप की सबसे बड़ी खरीद के रूप में इसका स्वागत किया जा रहा है। इस निविदा का लक्ष्य तमिलनाडु में कॉलेजों के 10 लाख छात्रों को मुफ्त लैपटॉप उपलब्ध कराना है। सूत्रों के अनुसार देश के तकरीबन सभी प्रमुख मूल उपकरण विनिर्माता (ओईएम) पहले ही इस निविदा में दिलचस्पी दिखा चुके हैं और राज्य सरकार के साथ कई दौर की बातचीत कर चुके हैं। इनमें डेल, एचपी, लेनोवो, एसर, आसुस और सैमसंग शामिल हैं।
इसके अलावा माइक्रोसॉफ्ट, गूगल और इंटेल जैसी उद्योग की दिग्गज कंपनियां भी इस निविदा प्रक्रिया से पहले राज्य के अधिकारियों के साथ चर्चा कर चुकी हैं। इलेक्ट्रॉनिक्स कॉरपोरेशन ऑफ तमिलनाडु (ईएलसीओटी) ने शुक्रवार को एक वैश्विक निविदा जारी की है। इसमें दो साल में लगभग 20 लाख लैपटॉप खरीदने की बात है। उपमुख्यमंत्री उदयनिधि स्टालिन की हरी झंडी के बाद इस निविदा का पहला चरण अब जारी कर दिया गया है। इसमें 10 लाख लैपटॉप शामिल हैं।
इस घटनाक्रम से अवगत एक सरकारी सूत्र ने कहा, ‘यह भारत में लैपटॉप के लिए अब तक की सबसे बड़ी एकल निविदा है, क्योंकि ऐसे मामलों में खरीद का स्तर काफी कम था। अतीत में इसी तरह की परियोजनाएं तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश, पुदुच्चेरि और उत्तर प्रदेश जैसे विभिन्न राज्यों ने शुरू की थीं। हालांकि वे कई किस्तों में की गई थीं।’
खबरों के अनुसार राज्य प्रत्येक लैपटॉप को 20,000 रुपये की लागत पर खरीदने की योजना बना रहा है और कुल बजट 2,000 करोड़ रुपये है जिसे दो वर्षों में बराबर किस्तों में आवंटित किया जाएगा। लैपटॉप के स्पेसिफिकेशन में इंटेल कोर आई3 या एएमडी राइजेन के बराबर या उससे ऊपर का कोई भी प्रोसेसर, न्यूनतम 8 गीगाबाइट रैम, 14 इंच या 15.6 इंच का आकार और एक यूएसबी-सी टाइप पोर्ट शामिल है। कंपनियों को निविदा की वैधता के लिए करीब 1,00,000 लैपटॉप देने का वादा करना होगा और इस तरह के लैपटॉप का बाजार मूल्य लगभग 30,000 से 35,000 रुपये के दायरे में होना चाहिए। तकनीकी बोलियां जून के अंत तक खुलने की उम्मीद है।
सूत्र ने कहा, ‘हम भारत में तकरीबन सभी ओईएम, आपूर्ति श्रृंखला के भागीदारों और विभिन्न हितधारकों के साथ बातचीत कर चुके हैं। हमने उनके साथ चार से पांच दौर की चर्चा की है। जिनके साथ बातचीत की गई, उस सूची में माइक्रोसॉफ्ट, गूगल, इंटेल, डेल, एचपी, एसर, लेनोवो वगैरह शामिल हैं।’
सूत्र ने कहा, ‘साल 2011 से 20 के बीच हमने इसी तरह की खरीद की थी और उसमें सभी प्रमुख ओईएम ने हिस्सा लिया था। हमें इस साल भी इसी तरह की दिलचस्पी की उम्मीद है।’ अधिकारी ने कहा, ‘हम जून के अंत तक बोलियों को खोलेंगे। इसके बाद तकनीकी आकलन और बोली लगाने वालों के साथ बातचीत की जाएगी। फिर वित्तीय बोलियां खोली जाएंगी।’ खबरों के मुताबिक साल 2012 से 15 के बीच उत्तर प्रदेश सरकार ने 15 लाख लैपटॉप वितरित किए थे। इससे वह उस समय दुनिया में किसी भी सरकार द्वारा बनाई गई सबसे बड़ी वितरण योजनाओं में से एक बन गई थी।
तमिलनाडु सरकार के पास भी सरकारी और सहायता प्राप्त स्कूलों तथा कॉलेजों के छात्रों के लिए मुफ्त लैपटॉप योजना थी। साल 2011 और 2017 के बीच छह चरणों में इसकी आपूर्ति की गई थी। हालांकि खबरों से संकेत मिलता है कि उस दौरान करीब 38 लाख लैपटॉप खरीदे गए थे, लेकिन यह खरीद कई किस्तों में हुई थी।
निवेशकों की चिंता बढ़ी: टॉप कंपनियों के मार्केट कैप में गिरावट जारी, क्या आगे भी रहेगा बाजार पर दबाव?
26 May, 2025 07:20 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
Market Capitalisation: भारतीय शेयर बाजार के लिए पिछला सप्ताह गिरावट भरा रहा। इस दौरान सेंसेक्स (Sensex) की टॉप 10 कंपनियों में से छह के बाजार पूंजीकरण (MCap) में सामूहिक रूप से 78,166.08 करोड़ रुपये की गिरावट आई। बीते सप्ताह BSE का 30 शेयरों वाला सेंसेक्स 609.51 अंक या 0.74% नीचे आया, जबकि नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (NSE) का निफ्टी 166.65 अंक या 0.66% टूट गया।
RIL को हुआ सबसे ज्यादा नुकसान
शेयर बाजार में कमजोर रुख के बीच सबसे ज्यादा नुकसान रिलायंस इंडस्ट्रीज (RIL) को हुआ। रिलायंस का मार्केट कैप 40,800.4 करोड़ रुपये घटकर 19,30,339.56 करोड़ रुपये रह गया। पिछले सप्ताह में RIL के अलावा TCS, ICICI बैंक, भारतीय स्टेट बैंक (SBI), इन्फोसिस और हिंदुस्तान यूनिलीवर (HUL) के मार्केट कैप में गिरावट आई। वहीं HDFC बैंक, भारती एयरटेल, बजाज फाइनेंस और ITC की बाजार हैसियत बढ़ गई।
टॉप-10 में शामिल अन्य कंपनियों का हाल
1. टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज (TCS) की बाजार हैसियत 17,710.54 करोड़ रुपये घटकर 12,71,395.95 करोड़ रुपये पर आ गई।
2. इन्फोसिस (Infosys) का मार्केट कैप 10,488.58 करोड़ रुपये घटकर 6,49,876.91 करोड़ रुपये पर आ गया।
3. हिंदुस्तान यूनिलीवर (HUL) का बाजार मूल्यांकन 5,462.8 करोड़ रुपये के नुकसान के साथ 5,53,974.88 करोड़ रुपये पर आ गया।
4. ICICI बैंक का बाजार पूंजीकरण 2,454.31 करोड़ रुपये घटकर 10,33,868.01 करोड़ रुपये रहा।
5. भारतीय स्टेट बैंक (SBI) की बाजार हैसियत 1,249.45 करोड़ रुपये घटकर 7,05,446.59 करोड़ रुपये पर आ गई।
इन 4 कपंनियों का MCap बढ़ा
1. भारती एयरटेल का बाजार मूल्यांकन 10,121.24 करोड़ रुपये बढ़कर 10,44,682.72 करोड़ रुपये पर पहुंच गया।
2. बजाज फाइनेंस की बाजार हैसियत 4,548.87 करोड़ रुपये बढ़कर 5,74,207.54 करोड़ रुपये रही।
3. ITC का बाजार पूंजीकरण 875.99 करोड़ रुपये बढ़कर 5,45,991.05 करोड़ रुपये रहा।
4. HDFC बैंक का मूल्यांकन 399.93 करोड़ रुपये बढ़कर 14,80,723.47 करोड़ रुपये हो गया।
MCap लुढ़का फिर भी RIL नंबर वन पर
टॉप-10 कंपनियों की लिस्ट में रिलायंस इंडस्ट्रीज पहले स्थान पर कायम रही। इसके बाद क्रमश: HDFC बैंक, TCS, भारती एयरटेल, ICICI बैंक, भारतीय स्टेट बैंक, इन्फोसिस, बजाज फाइनेंस, हिंदुस्तान यूनिलीवर और ITC का स्थान रहा।