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नया वर्क मंत्र: कर्मचारी चाहते हैं बेहतर इंश्योरेंस, ठोस रिटायरमेंट प्लान और रिमोट वर्किंग सुविधा, सैलरी बनी दूसरे दर्जे की बात
26 May, 2025 06:54 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
बढ़ती महंगाई और वर्कप्लेस पर लगातार हो रहे बदलाव के बीच कर्मचारियों की भी प्राथमिकताएं अब धीरे-धीरे बदल रही हैं। स्टाफिंग सॉल्यूशंस और HR सर्विसेज देने वाली संस्था जीनियस कंसल्टेंट्स की एक हालिया रिपोर्ट के अनुसार, 74 प्रतिशत कर्मचारियों ने स्वीकार किया कि उन्हें भले थोड़ी कम सैलरी मिले, लेकिन हेल्थ इंश्योरेंस, रिटायरमेंट प्लानिंग और एजुकेशन हेल्प जैसे जरूरी और लंबे समय तक मिलने वाले लाभ मिलें। यह रिपोर्ट देशभर के अलग-अलग सेक्टर्स में काम कर रहे 1,139 कर्मचारियों के जवाबों पर आधारित है।
इस रिपोर्ट में सामने आया कि केवल 32 प्रतिशत कर्मचारी अपने पैकेज को पर्याप्त मानते हैं, जबकि 61 प्रतिशत से अधिक कर्मचारियों का कहना है कि उन्हें मिल रहा लाभ कम हैं। यह दिखाता है कि कंपनियों को अपने कर्मचारियों की वित्तीय जरूरतों को पूरा करने के लिए और अधिक प्रयास करने की जरूरत है।
‘हाइब्रिड या रिमोट वर्क जरूरी’
रिपोर्ट में यह भी उजागर हुआ कि 84 प्रतिशत कर्मचारियों का मानना है कि हाइब्रिड या रिमोट वर्क जैसे काम करने को विकल्प उन्हें अपने फाइनेंशियल प्लानिंग को और बेहतर बनाने में मदद कर सकते हैं। यह न केवल प्रोडक्टिविटी को बढ़ावा देते हैं, बल्कि कर्मचारियों को अपनी बचत बढ़ाने और खर्चों को नियंत्रित करने में भी सहायता करते हैं। इसके अलावा, 54 प्रतिशत कर्मचारियों ने बताया कि उनकी कंपनियां मेंटल और फाइनेंशियल हेल्थ को प्राथमिकता नहीं देती, जिससे वेलनेस प्रोग्राम्स की प्रभावशीलता पर सवाल उठते हैं।
रिपोर्ट में यह भी पाया गया कि 73 प्रतिशत कर्मचारी परफॉर्मेंस बेस्ड बोनस और और इंसेंटिव को तनाव कम करने का एक महत्वपूर्ण तरीका मानते हैं। यह पता चलता है कि कर्मचारी निश्चित सैलरी के साथ-साथ दूसरी आय को भी प्राथमिकता दे रहे हैं, जो उनकी व्यक्तिगत उपलब्धियों को दिखाता हो।
जीनियस कंसल्टेंट्स के चेयरमैन और प्रबंध निदेशक आर पी यादव कहते हैं, “आज का वर्कफोर्स आय की परिभाषा को नए सिरे से गढ़ रहा है। वित्तीय कल्याण अब केवल वेतन तक सीमित नहीं है, बल्कि इसमें लंबे समय तक मिलने वाली सुरक्षा, लचीला काम करने का तरीका और पर्सनल टारगेट को सपोर्ट देने वाले प्रोत्साहन शामिल हैं। कंपनियों को यह समझना होगा कि टिकाऊ और भविष्य-केंद्रित लाभ देना केवल एक मानव संसाधन कार्य नहीं, बल्कि कर्मचारी निष्ठा, उत्पादकता और विकास में एक रणनीतिक निवेश है।”
गूगल सर्च के लिए यूजर्स को मिलेगा नया एआई मोड
25 May, 2025 06:30 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
नई दिल्ली। गूगल सर्च के लिए यूजर्स को अब नया एआई मोड ऑफर किया जा रहा है। एक रिपोर्ट के मुताबिक नया फीचर यूजर्स को जेमिनी एआई से पावर्ड चैटबॉट जैसा रिस्पॉन्स देगा। गूगल ने इस फीचर को डिवेलपर कॉन्फ्रेंस में पेश किया गया। इस फीचर के आने से यूजर्स को सर्च पेज पर चैट-बेस्ड इंटरफेस में टॉगल करने का ऑप्शन मिल गया है। यह गूगल के इन्फर्मेशन ऑफर करने के तरीके में बदलाव है। इससे पता चलेगा कि कंपनी ओपनएआई, माइक्रोसॉफ्ट और ऐपल को एआई की दुनिया में कड़ी टक्कर देने के मूड में है।
गूगल की पैरेंट कंपनी अल्फाबेट के सीईओ सुंदर पिचाई ने कहा कि यह ज्यादा अडवांस्ड रीजनिंग के साथ सर्च का पूरी तरह से रीइमैजिनेशन है। उन्होंने कहा कि हम अब एआई प्लेटफॉर्म शिफ्ट के एक नए फेज में एंटर कर रहे हैं जहां दशकों की रिसर्च अब वास्तविकता बन रही है। गूगल का यह ऐक्शन चैटजीपीटी जैसे जनरेटिव एआई टूल के लिए एक रिएक्टिव रिस्पॉन्स है, जो सवालों का नैचरल लैंग्वेज में उत्तर देते हैं और अलग-अलग वेब पेजों पर क्लिक करने की जरूरत को कम करते हैं। इस बदलाव ने पहले ही बहुत नुकसान पहुंचाया है।
ऐपल के एक एग्जिक्यूटिव ने हाल में कहा था कि सफारी ब्राउजर में गूगल सर्च ट्रैफिक 20 सालों में पहली बार कम हुआ है। गूगल के ऐड-बेस्ड बिजनेस मॉडल के लिए यह एक झटका है। एआई मोड अब मेन गूगल सर्च इंटरफेस के अंदर एक टैब के तौर पर उपलब्ध हो गया है। यह यूजर्स को चैटजीपीटी जैसा चैटबॉट अनुभव करता है। यह फीचर गूगल के मेन एआई मॉडल जेमिनी से पावर्ड है। गूगल के मुताबिक नया यूजर इंटरफेस बेहतर रीजनिंग और कॉन्टेक्स्ट-बेस्ड सवालों को सपोर्ट करता है। फीचर्स के अगले सेट में यूजर्स को अपनी खुद के फोटो को अपलोड करने और शॉपिंग के दौरान आउटफिट्स को वर्चुअली ट्राई करने का ऑप्शन मिलेगा।
गूगल के सर्च प्रोडक्ट के वाइस प्रेसिडेंट ने कहा कि कंपनी इस बात पर भी विचार कर रही है कि ऐड्स को एआई मोड में कैसे इंटीग्रेट किया जाए। उन्होंने कहा कि हम इसे उस कॉन्टेंट का हिस्सा मानते हैं जिसे लोग वाकई में पसंद करते हैं। गूगल ओपनएआई की बराबरी करने की कोशिश कर रहा है, जिसने 2022 में अपना चैटजीपीटी लॉन्च किया था और यह कुछ ही समय में पॉप्युलर एआई प्रोडक्ट बन गया। हाल के महीनों में जेमिनी ने भी उपयोगकर्ताओं को अपनी तरफ खींचा है, लेकिन यह अभी भी यूजर अडॉप्शन में चैटजीपीटी से पीछे है। गूगल माइक्रोसॉफ्ट से भी पीछे है, जिसने ओपनएआई पर अरबों खर्च किए और अपने मॉडल को बिंग और ऑफिस ऑफरिंग में डाला। पिचाई ने कहा कि गूगल को उम्मीद है कि वह इस साल ऐपल के साथ एग्रीमेंट फाइनल कर लेगा, ताकि सीरी के जरिए जेमिनी को उपलब्ध कराया जा सके। बता दें गूगल का नया फीचर अभी अमेरिकी यूजर्स के लिए उपलब्ध है।
भारत में जल्द लॉन्च होगा एक्स-एडीवी 750 स्कूटर, होंडा ने जारी किया टीजर
25 May, 2025 05:30 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
नई दिल्ली। होंडा बाइक एंड स्कूटर इंडिया ने अपनी बहुप्रतीक्षित एक्स-एडीवी 750 एडवेंचर स्कूटर का आधिकारिक टीजर जारी कर भारत में स्कूटर सेगमेंट में हलचल मचा दी है। कंपनी ने यह टीजर रेबेल 500 क्रूजर की लॉन्चिंग के एक दिन बाद रिलीज किया। सोशल मीडिया पर इस टीजर को गेम चेंजर टैगलाइन के साथ साझा किया गया है, जिससे इसके जल्द लॉन्च होने के संकेत मिलते हैं।
ग्लोबल मार्केट में एक्स-एडीवी 750 को एक प्रीमियम मैक्सी-स्कूटर के तौर पर जाना जाता है, जो एडवेंचर टूरिंग क्षमताओं को शहरी सुविधाओं के साथ जोड़ता है। यह स्कूटर 745 सीसी पैरेलल-ट्विन इंजन से लैस है, जो 58 बीएचपी की पावर और 69 एनएम का टॉर्क जनरेट करता है। इसमें 6-स्पीड डुअल क्लच ट्रांसमिशन दिया गया है, जो इसे भारत में मौजूद स्कूटरों से अलग बनाता है।
मजबूत अंडरपिनिंग के तहत इसमें फ्रंट में 17 इंच और रियर में 15 इंच के वायर-स्पोक व्हील्स, डुअल फ्रंट डिस्क ब्रेक और लॉन्ग ट्रैवल सस्पेंशन मिलता है, जो हल्के ऑफ-रोड और टूरिंग के लिए उपयुक्त है। इसमें फुल एलईडी लाइटिंग, एडजस्टेबल विंडस्क्रीन, बड़ा डिजिटल डिस्प्ले और मल्टीपल राइडिंग मोड्स मिलते हैं। इंटरनेशनल वर्जन में इसे अर्बन, एडवेंचर और कम्फर्ट जैसे एक्सेसरी पैक्स के साथ भी पेश किया जाता है। भारत में होंडा की अब तक की छवि मुख्य रूप से कम्यूटर स्कूटर्स जैसे एक्टिवा और डियो तक सीमित है, लेकिन रेबेल 500 और एक्स-एडीवी जैसे मॉडल के जरिये कंपनी अब प्रीमियम सेगमेंट में गंभीरता से कदम रख रही है। जल्द ही एक्स-एडीवी 750 को भारत में लॉन्च किया जा सकता है।
होंडा सीबी350 छूट के साथ नए फीचर्स और कलर्स में लॉन्च
25 May, 2025 04:30 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
नई दिल्ली । होंडा मोटरसाइकिल एंड स्कूटर इंडिया (एचएमएसआई) ने अपनी हाल ही में लॉन्च की गई 2025 हॉडा सीबी350 पर शानदार ऑफर की घोषणा की है। कंपनी इस मोटरसाइकिल पर इस महीने के अंत तक यानी 31 मई 2025 तक 15,000 रुपये तक की छूट दे रही है। हालांकि यह ऑफर कुछ शर्तों के साथ लागू होगा। होंडा सीबी350 एक मॉडर्न-क्लासिक डिजाइन वाली मोटरसाइकिल है जिसे कंपनी ने कुछ ही हफ्ते पहले नए अपडेट्स और कलर ऑप्शंस के साथ बाजार में पेश किया है। इस मोटरसाइकिल को ओबीडी-2बी उत्सर्जन मानकों के अनुसार अपग्रेड किया गया है।
होंडा सीबी350 दो वैरिएंट्स में आती है डीएलएक्स और डीएलएक्स प्रो। डीएलएक्स वैरिएंट की एक्स-शोरूम कीमत 1.99 लाख रुपये से शुरू होती है, वहीं डीएलएक्स प्रो की कीमत 2.17 लाख रुपये है और इसे केवल होंडा की प्रीमियम बिग विंग डीलरशिप से ही खरीदा जा सकता है। बाइक में 348सीसी का एयर-कूल्ड, सिंगल-सिलेंडर इंजन दिया गया है, जो 5,500 आरपीएम पर 20.7 बीएचपी की पावर और 3,000 आरपीएम पर 29.4 एनएम का टॉर्क देता है। इसे 5-स्पीड गियरबॉक्स और स्लिप-एंड-असिस्ट क्लच से जोड़ा गया है।
मोटरसाइकिल में कई आधुनिक फीचर्स दिए गए हैं जैसे फुल एलईडी हेडलैंप, टेल लैंप, डिजिटल मल्टी-इंफॉर्मेशन डिस्प्ले, होंडा स्लेक्टिबल टॉर्क कंट्रोल (एचएसटीसी), इमरजेंसी स्टॉप सिग्नल (ईएसएस) और साइड स्टैंड इंजन इनहिबिटर। बाइक में 310एमएम फ्रंट और 240एमएम रियर डिस्क ब्रेक के साथ डुअल चैनल एबीएस मिलता है। इसके अलावा, इसमें टेलिस्कोपिक फ्रंट फोर्क्स और रियर में ट्विन हाइड्रोलिक शॉक्स दिए गए हैं। नई सीबी350 को पांच नए कलर ऑप्शंस में पेश किया गया है, जिससे इसका लुक पहले से ज्यादा आकर्षक बन गया है।
अब ड्रोन से घर पहुंचेगा आपका सामान, अमेजन ने बढ़ाया दायरा
25 May, 2025 03:30 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
नई दिल्ली । कभी साइंस फिक्शन का हिस्सा मानी जाने वाली ड्रोन डिलीवरी अब हकीकत बन चुकी है। अमेजन ने 2022 में अमेरिका में ड्रोन के जरिए सामान डिलीवर करना शुरू किया था और अब यह सेवा तेजी से विस्तार कर रही है। अमेजन का दावा है कि ग्राहक ऑर्डर बटन पर टैप करने के बाद लगभग 60 मिनट या उससे भी कम समय में अपना पैकेज पा सकते हैं। फिलहाल यह सुविधा अमेरिका के चुनिंदा शहरों फीनिक्स (एरिजोना) और कॉलेज स्टेशन (टेक्सास) में उपलब्ध है।
ड्रोन डिलीवरी के लिए ऑर्डर का वजन अधिकतम पांच पाउंड यानी करीब 2.2 किलोग्राम होना चाहिए। ग्राहक चेकआउट के समय ड्रोन डिलीवरी का विकल्प चुन सकते हैं और अपना पसंदीदा डिलीवरी स्पॉट भी तय कर सकते हैं, जैसे ड्राइववे या यार्ड। अमेजन के एमके30 ड्रोन हवा में करीब 13 फीट की ऊंचाई से पैकेज गिराते हैं। यह ड्रोन उस स्थान को स्कैन करता है ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि वहां कोई बाधा जैसे पालतू जानवर, वाहन या व्यक्ति मौजूद न हो। एफएए से मिली मंजूरी के बाद अब अमेजन आईफोन, सैमसंग ग्लैक्सी डिवाइस, एयरपॉड्स और रिंग डोरबैल जैसे प्रीमियम आइटम्स की भी ड्रोन डिलीवरी करने लगा है। अगर डिलीवरी संभव नहीं होती, तो ग्राहक को इसका कारण बताया जाएगा। मौसम का भी खास ख्याल रखा जाता है। हल्की बारिश में भी डिलीवरी संभव है, लेकिन खराब मौसम में यह विकल्प ऐप में दिखेगा ही नहीं। ड्रोन टेक्नोलॉजी अब पैकेज डिलीवरी को न सिर्फ तेज बना रही है, बल्कि इसे ज्यादा स्मार्ट और सेफ भी बना रही है। भारत में यह सुविधा अभी नहीं है, लेकिन भविष्य में इसकी उम्मीद की जा सकती है।
बैंकों में अब 'नो-बदजुबानी', सभी शाखाओं को व्यवहार सुधारने का निर्देश
24 May, 2025 03:44 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
वित्त मंत्रालय ने हाल ही में कुछ सरकारी बैंकों में कर्मचारियों द्वारा ग्राहकों से गलत व्यवहार की शिकायतों को देखते हुए सभी Public Sector Banks (PSBs) को सख्त निर्देश दिए हैं। मंत्रालय ने कहा है कि ग्राहक शिकायतों को समय पर और सही तरीके से संभालना जरूरी है, ताकि बैंकिंग सेवाओं की गुणवत्ता बनी रहे।
एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी के अनुसार, वित्तीय सेवा विभाग (डीएफएस) के सचिव एम. नागराजू ने सभी पीएसबी प्रमुखों से कहा है कि वे कर्मचारी आचरण से संबंधित तयशुदा दिशानिर्देशों का सख्ती से पालन सुनिश्चित करें।
सचिव ने यह भी निर्देश दिया है कि बैंक समय-समय पर अपनी शाखाओं के प्रबंधकों के प्रदर्शन की समीक्षा करें। इन समीक्षाओं में शाखा की साफ-सफाई, उसकी समग्र व्यवस्था और स्टाफ द्वारा ग्राहकों के साथ किए जा रहे व्यवहार को मुख्य रूप से आंका जाएगा। मंत्रालय का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि ग्राहकों को बैंकों में बेहतर सेवाएं मिलें और बैंकिंग अनुभव अधिक सहज और सम्मानजनक हो।
हाल ही में कर्नाटक के एक स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (SBI) ब्रांच से जुड़ा एक वीडियो वायरल हुआ है, जिसने राज्य में चल रही भाषा को लेकर बहस को और तेज़ कर दिया है।
वीडियो में एक ग्राहक बैंक अधिकारी से Kannada में बात करने की मांग करता है। इस पर अधिकारी कहती हैं कि वह क्षेत्रीय भाषा का इस्तेमाल नहीं करेंगी। इस जवाब के बाद सोशल मीडिया पर काफी नाराज़गी देखने को मिली और जनता के विरोध के चलते उस अधिकारी ने बाद में माफ़ी का एक वीडियो जारी किया।
इस मामले पर SBI ने बयान जारी कर कहा, “State Bank of India का यह स्पष्ट नियम है कि हम किसी भी ऐसे व्यवहार को बर्दाश्त नहीं करते जो हमारे ग्राहकों की भावनाओं को ठेस पहुंचाए। हम हर नागरिक के प्रति सम्मानजनक और मर्यादित व्यवहार बनाए रखने के लिए प्रतिबद्ध हैं।”
हाल ही में नागराजू ने दिल्ली की कुछ सार्वजनिक क्षेत्र की बैंकों (PSBs) में अचानक दौरा किया। इस दौरान उन्हें कुछ चौंकाने वाले अनुभव हुए। एक बैंक में उन्हें मैनेजर से मिलने के लिए एक घंटे तक इंतज़ार करना पड़ा। वहीं, दूसरी कुछ ब्रांचों में बैंक स्टाफ का व्यवहार संतोषजनक नहीं था।
इन सरप्राइज़ विज़िट्स का मकसद ये देखना था कि PSBs के कर्मचारी ग्राहकों से कैसे पेश आते हैं और वे प्राइवेट बैंकों की तुलना में कहां पीछे रह जाते हैं।
सूत्रों के अनुसार, इस निरीक्षण के दौरान सचिव ने पाया कि कई जगहों पर स्टाफ का व्यवहार काफी रूखा था।
सूत्र ने आगे कहा, “किसी भी चीज़ से मना करने का भी एक तरीका होना चाहिए। बैंक कर्मचारियों को ग्राहकों के प्रति थोड़ा उदार (generous) होना चाहिए।”
पब्लिक सेक्टर बैंक (PSBs) अब अपने फ्रंटलाइन स्टाफ की soft skills को बेहतर बनाने के लिए ट्रेनिंग प्रोग्राम शुरू कर रहे हैं। इन ट्रेनिंग में एक नया इनोवेटिव लेयर भी जोड़ा गया है – आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI)। AI की मदद से कर्मचारियों को रियल वर्ल्ड इंटरैक्शन का अनुभव दिया जा रहा है ताकि वे बेहतर तरीके से ग्राहकों से बात कर सकें और उनकी समस्याएं समझ सकें।
यह कदम इसलिए उठाया गया है क्योंकि हाल के समय में डिपॉज़िट ग्रोथ में गिरावट देखी गई है और वित्त मंत्रालय को कस्टमर सर्विस में असमानता को लेकर चिंता हो रही है।
एक सीनियर बैंकर ने कहा, “PSBs अब कस्टमर से जुड़ाव मजबूत करने पर ज़ोर दे रहे हैं। इसके लिए वे AI और अन्य डिजिटल टूल्स का इस्तेमाल बढ़ा रहे हैं।”
पंजाब नेशनल बैंक (PNB) के मैनेजिंग डायरेक्टर और सीईओ, अशोक चंद्रा ने कहा: “कस्टमर सर्विस हमारी सबसे बड़ी प्राथमिकता है और हम इसे सुधारने के लिए पूरी तरह से फोकस्ड हैं। हमने एक नया सिस्टम शुरू किया है जिसमें कस्टमर किसी ट्रांजेक्शन के बाद तुरंत फीडबैक दे सकते हैं। यह फीडबैक डायरेक्ट हमारे हेड ऑफिस के सिस्टम से जुड़ा है जिससे रियल टाइम में सर्विस की क्वालिटी को ट्रैक और इवैल्यूएट किया जा सके।”
वित्तीय वर्ष 2023-24 (FY24) में, आरबीआई के लोकपाल कार्यालय को सबसे ज़्यादा शिकायतें पब्लिक सेक्टर बैंकों के खिलाफ मिलीं — कुल शिकायतों का 38.32%। वहीं प्राइवेट बैंकों के खिलाफ यह आंकड़ा 34.39% रहा।
भारत FATF में पाकिस्तान की 'चालबाजियों' का खोलेगा कच्चा चिट्ठा, 'ग्रे लिस्ट' में डालने की मांग!
24 May, 2025 10:11 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
भारत फाइनैंशियल ऐक्शन टास्क फोर्स (एफएटीएफ) की आगामी बैठक में एक डॉजियर (विस्तृत जानकारी वाला दस्तावेज) प्रस्तुत कर मांग करेगा कि पाकिस्तान को एक बार फिर तथाकथित ग्रे लिस्ट वाली श्रेणी में डाला जाए। यह जानकारी एक सरकारी अधिकारी ने गोपनीयता की शर्त पर दी। अधिकारी ने कहा, ‘भारत पाकिस्तान की गलतियों को रेखांकित करेगा मसलन धन की वापसी, आतंकियों को पनाह देना, विकास कार्यों के लिए मिले फंड से हथियार खरीदना आदि। पाकिस्तान अपने वादे के मुताबिक आतंकवाद निरोधक (संशोधन विधेयक 2020) जैसे कानून पारित कर पाने में भी नाकाम रहा है। एफएटीएफ द्वारा उसे दोबारा ग्रे लिस्ट में डाला जाना चाहिए।’
वैश्विक निगरानी संस्था देशों को उस समय ग्रे लिस्ट में डालती है जब उसे उनकी रणनीतिक कमियों का पता चलता है। उदाहरण के लिए कमजोर मनी लॉन्डरिंग विरोधी ढांचा, आतंकियों को आर्थिक मदद से निपटने में नाकामी आदि। पाकिस्तान को ग्रे लिस्ट में डालने का परिणाम विदेशी निवेश में कमी, उच्च उधारी लागत और दूसरे देशों की ओर से कठोर वित्तीय नियमन आदि के रूप में सामने आ सकता है।
पाकिस्तान को 2022 में इस सूची से बाहर किया गया था जब उसने अपने मनी लॉन्डरिंग विरोधी (एएमएल) और आतंक विरोधी फाइनैंसिंग (सीएफटी) ढांचे की कमियां दूर करने के मामले में सुधार दिखाया था।
पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद भारत ने सैन्य और आर्थिक मोर्चे पर पाकिस्तान के खिलाफ घेराबंदी तेज कर दी है। हालांकि अधिकारी ने कहा कि सरकार को चालू वित्त वर्ष में रक्षा व्यय में कोई ‘बड़ी अतिरिक्त मांग’ नहीं नजर आ रही है। अधिकारी ने कहा, ‘रक्षा मंत्रालय ने सशस्त्र बलों को आपात खरीद अधिकार दिए हैं। देश की रणनीतिक जरूरतें कभी अधूरी नहीं छोड़ी जाएंगी।’ अधिकारी ने कहा कि भारत पाकिस्तान द्वारा विश्व बैंक के समक्ष पेश किए जाने वाले ऋण प्रस्ताव का भी विरोध करेगा।
अधिकारी ने कहा, ‘जब तक पाकिस्तान कोई कदम नहीं उठाता, हम आवाज उठाते रहेंगे।’ भारत ने गत 9 मई को अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) की बोर्ड बैठक में भी पाकिस्तान द्वारा प्रस्तुत नए ऋण प्रस्ताव का भी विरोध किया था हालांकि आईएमएफ ने उसे एक अरब डॉलर का ऋण मंजूर कर दिया था क्योंकि पाकिस्तान सभी तकनीकी जरूरतों को पूरा कर रहा था।
राज्यों को मिलेगी राहत? GST परिषद की बैठक में मुआवजा उपकर को लेकर अहम निर्णय की संभावना!
24 May, 2025 09:42 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) परिषद की अगली बैठक में दरों को उचित बनाने और मुआवजा उपकर के भविष्य पर चर्चा होगी। बैठक की तारीख जल्द घोषित कर दी जाएगी। एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने नाम नहीं छापने की शर्त पर यह जानकारी देते हुए बताया इन विषयों पर प्रमुखता से चर्चा होनी है। अधिकारी ने कहा, ‘मंत्रियों के समूह ने रिपोर्ट पेश कर दी है। जीएसटी को सरल बनाने के मामले में 3 या 4 अलग अलग पहलू हैं। हम मुआवजा उपकर, दर वाजिब बनाने और सरलीकरण पर विचार करेंगे।’
अधिकारी ने कहा कि स्थापित मानदंड के मुताबिक राज्यों को 3 सप्ताह का वक्त देने के बाद बैठक होगी। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की अध्यक्षता में पिछले साल दिसंबर में हुई जीएसटी परिषद की बैठक में दरों को तार्किक बनाने और स्वास्थ्य एवं जीवन बीमा की दरों में कमी किए जाने के मसले को शामिल नहीं किया गया था।
बिहार के उप मुख्यमंत्री सम्राट चौधरी दरें वाजिब करने के लिए बने मंत्रिसमूह के संयोजक हैं। मुआवजा उपकर पर बने मंत्रिसमूह की अध्यक्षता वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी कर रहे हैं। यह समूह मार्च 2026 के बाद मुआवजा उपकर के भविष्य पर फैसला करेगा।
अभी तक विलासिता वाले उत्पादों और हानिकारक वस्तुओं पर उपकर लगाया जा रहा है, लेकिन इसका इस्तेमाल कोविड के दौरान लिया गया कर्ज चुकाने में हो रहा है ताकि राज्यों को जीएसटी राजस्व में हुए नुकसान की भरपाई की जा सके। मंत्रिसमूह अब अध्ययन कर रहा है कि उपकर से प्राप्त राजस्व को किसी अन्य रूप में कैसे रखा जाए तथा इसे केंद्र और राज्यों के बीच किस प्रकार साझा किया जाए।
भारत की वृद्धि के बारे में अधिकारी ने कहा कि अभी यह अप्रभावित है और रेटिंग एजेंसियों और बहुपक्षीय ऋण एजेंसियों ने मामूली फेरबदल के साथ वृद्धि का अनुमान एकसमान रखा है। अधिकारी ने कहा, ‘मॉनसून सामान्य से ऊपर रहने के अनुमान और बेहतर कृषि उत्पादन के कारण खपत में तेजी की संभावना है।’
क्रिप्टो करेंसी के बारे में अधिकारी ने कहा कि यह अभी भी बदलता क्षेत्र है। अधिकारी ने कहा, ‘जब तक विभिन्न देशों में इसे लेकर सहमति नहीं बन जाती, कोई भी कानून सफल नहीं होगा।’
प्रधानमंत्री इंटर्नशिप कार्यक्रम को लेकर अधिकारी ने कहा कि इसमें कंपनियों की रुचि बढ़ रही है और प्रायोगिक परियोजना के अनुभव के आधार पर मंत्रिमंडल इसमें कुछ फेरबदल करेगा। सूत्र ने कहा कि योजना के तहत 2 प्रायोगिक परियोजनाएं पहले ही चल रही हैं और उद्योग संगठन जैसे भारतीय उद्योग परिसंघ और इंडियन चैंबर ऑफ कॉमर्स ऐंड इंडस्ट्री और शीर्ष 500 में शामिल कंपनियां भी आगे आई हैं और योजना में उनकी रुचि बढ़ी है।
अमेरिकी कंपनियों के लिए खुलेंगे ₹50 अरब डॉलर से अधिक के सरकारी ठेके
24 May, 2025 09:04 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
भारत सरकार अब अपने बड़े सरकारी खरीद बाजार (Public Procurement Market) का एक हिस्सा विदेशी कंपनियों के लिए खोलने जा रही है। दो सरकारी सूत्रों के मुताबिक, अमेरिका को इसका सबसे पहले फायदा मिल सकता है। सरकार ब्रिटेन के साथ हाल ही में हुए व्यापार समझौते की तर्ज पर अमेरिका को भी ठेके (Contracts) में हिस्सा लेने की अनुमति देने वाली है।
अमेरिका को मिलेगा 50 अरब डॉलर तक का मौका
सूत्रों ने बताया कि भारत अमेरिका के साथ हो रहे व्यापार समझौते के तहत अमेरिकी कंपनियों को करीब 50 अरब डॉलर (लगभग ₹4.30 लाख करोड़) के ठेकों में हिस्सा लेने की अनुमति देगा। ये ठेके केंद्र सरकार के अधीन आने वाली एजेंसियों से जुड़े होंगे। हालांकि, राज्य सरकारों और स्थानीय निकायों के ठेके अभी इसके दायरे से बाहर रखे जाएंगे।
भारत में केंद्र, राज्य और सरकारी कंपनियों द्वारा हर साल लगभग 700 से 750 अरब डॉलर की खरीद होती है। अभी इसका बड़ा हिस्सा घरेलू कंपनियों के लिए आरक्षित है, जिसमें 25% हिस्सा छोटे उद्योगों के लिए तय है। हालांकि रेलवे और रक्षा जैसे क्षेत्रों में विदेशी कंपनियों से खरीद की अनुमति पहले से है जब घरेलू विकल्प उपलब्ध न हों।
ब्रिटेन के साथ हुआ था पहला समझौता
इस महीने की शुरुआत में भारत और ब्रिटेन के बीच एक फ्री ट्रेड समझौता (FTA) हुआ था, जिसके तहत ब्रिटिश कंपनियों को भारत के कुछ सरकारी ठेकों में भाग लेने की अनुमति मिली है। ये समझौता ‘प्रतिस्परधात्मक आधार’ (reciprocal basis) पर हुआ है यानी भारत की कंपनियों को भी ब्रिटेन के सरकारी ठेकों में मौका मिलेगा।
एक सरकारी अधिकारी ने कहा, “ये एक नीतिगत बदलाव है। भारत अब धीरे-धीरे अमेरिका समेत अन्य व्यापारिक साझेदारों के लिए सरकारी खरीद के कुछ हिस्से खोलने को तैयार है। लेकिन ये प्रक्रिया चरणबद्ध और पारस्परिक आधार पर होगी।”
भारत अब तक वर्ल्ड ट्रेड ऑर्गनाइज़ेशन (WTO) के सरकारी खरीद समझौते (GPA) से इसलिए नहीं जुड़ा क्योंकि इससे घरेलू छोटे कारोबारों को नुकसान हो सकता था। अमेरिका लंबे समय से भारत की सरकारी खरीद नीति को ‘रुकावट भरी’ बता रहा है।
भारतीय वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल इस हफ्ते अमेरिका के दौरे पर थे, जहां उन्होंने व्यापार समझौते को आगे बढ़ाने की कोशिश की। अधिकारियों का कहना है कि जुलाई की शुरुआत तक दोनों देश एक अंतरिम समझौते पर हस्ताक्षर कर सकते हैं।
छोटे उद्योगों को भरोसा
FISME (सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम महासंघ) के महासचिव अनिल भारद्वाज ने कहा, “सरकार ने हमें भरोसा दिया है कि 25% सरकारी खरीद अब भी छोटे उद्योगों के लिए आरक्षित रहेगी।” उन्होंने ये भी कहा, “विदेशी कंपनियों को मौका देने से भारत की कंपनियों को भी विदेशी बाजारों में अवसर मिलेंगे।”
ED की बड़ी कार्रवाई: जेपी ग्रुप पर मनी लॉन्ड्रिंग का आरोप, ₹12,000 करोड़ के फंड डायवर्जन की जांच शुरू!
24 May, 2025 08:16 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने घर खरीदारों के साथ 12,000 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी से जुड़े धनशोधन मामले की जांच के तहत शुक्रवार को जेपी इन्फ्राटेक, जेपी एसोसिएट्स और कुछ अन्य के खिलाफ कई स्थानों पर छापे मारे। आधिकारिक सूत्रों ने यह जानकारी दी। सूत्रों ने बताया कि धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) के प्रावधानों के तहत दिल्ली-एनसीआर (राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र) और मुंबई में छापेमारी की जा रही है। उन्होंने बताया कि छापेमारी जेपी इन्फ्राटेक, जेपी एसोसिएट्स लिमिटेड और अन्य से संबंधित मामले में की जा रही है। इसमें घर खरीदारों और निवेशकों के साथ करीब 12,000 करोड़ रुपये की कथित धोखाधड़ी और धन के हेरफेर से जुड़े मामले शामिल हैं।
फिलहाल दिवालियेपन की कार्यवाही का सामना कर रही जयप्रकाश एसोसिएट्स लिमिटेड सीमेंट, निर्माण, रियल एस्टेट, बिजली और आतिथ्य व्यवसाय से जुड़ी कंपनी है। सूत्रों ने बताया कि गौरसंस, गुलशन, महागुन और सुरक्षा रियल्टी जैसी कुछ अन्य रियल एस्टेट कंपनियां भी इस मामले में शामिल हैं। सुरक्षा रियल्टी ने एनसीआर में लगभग 20,000 फ्लैटों वाली रुकी हुई आवासीय परियोजनाओं को पूरा करने के लिए दिवाला (इन्सॉल्वेंसी) के माध्यम से जेपी इन्फ्राटेक लिमिटेड का अधिग्रहण किया है।
उन्होंने बताया कि छापेमारी स्थलों से कुछ दस्तावेज और कंप्यूटर उपकरण बरामद किए गए हैं। संबंधित कंपनियों की ओर से तत्काल कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है।
नॉर्थईस्ट इन्वेस्टर्स समिट: ₹1.55 लाख करोड़ के निवेश का रास्ता साफ, रोजगार के नए अवसर
24 May, 2025 04:41 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
रिलायंस इंडस्ट्रीज, अदाणी समूह और वेदांत समूह के नेतृत्व में भारत के शीर्ष औद्योगिक घरानों ने आज पूर्वोत्तर राज्यों में संयुक्त रूप से 1.55 लाख करोड़ रुपये के निवेश करने का वादा किया है। इससे देश के संसाधन-समृद्ध इस क्षेत्र में विकास को गति मिलेगी और अलग-अलग क्षेत्रों में रोजगार के नए-नए अवसर खुलेंगे।
नई दिल्ली में राइजिंग नॉर्थ-ईस्ट इन्वेस्टर्स समिट के उद्घाटन सत्र को संबोधित करते हुए रिलायंस इंडस्ट्रीज के अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक मुकेश अंबानी ने कहा कि समूह डिजिटल बुनियादी ढांचा, स्वच्छ ऊर्जा, खुदरा, स्वास्थ्य और खेलों में आगामी पांच वर्षों के दौरान यहां अपने निवेश को दोगुना से अधिक बढ़ाकर 75,000 करोड़ रुपये करेगा।
अंबानी ने कहा, ‘रिलायंस ने पिछले 40 वर्षों में इस क्षेत्र में लगभग 30,000 करोड़ रुपये का निवेश किया है। अगले पांच वर्षों में हम अपने निवेश को दोगुना से अधिक करेंगे। हमारा लक्ष्य यहां 75,000 करोड़ रुपये लगाने का है। इससे यहां 25 लाख से अधिक प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष नौकरियां पैदा होने की उम्मीद है।’
रिलायंस जियो अपने 5जी सब्सक्राइबर बेस को 50 लाख से दोगुना करेगा और शिक्षा, स्वास्थ्य एवं विभिन्न उद्यमों को एआई सेवा से जोड़ेगा। रिलायंस रिटेल स्थानीय किसानों और कारीगरों से खरीद का विस्तार करने के साथ-साथ एफएमसीजी कारखाने स्थापित करने की योजना बना रहा है। अंबानी ने कहा, ‘स्वच्छ ऊर्जा के क्षेत्र में समूह 350 कंप्रेस्ड बायोगैस संयंत्र विकसित करेगा ताकि विशाल बंजर भूमि को धन-भूमि में बदला जा सके।’
समूह की परोपकारी संस्था रिलायंस फाउंडेशन मणिपुर में 150 बिस्तरों वाले कैंसर अस्पताल, मिजोरम विश्वविद्यालय के साथ जीनोमिक ब्रेस्ट कैंसर केयर पहल और गुवाहाटी में भारत की सबसे बड़ी जीनोम सीक्वेंसिंग प्रयोगशालाओं में से एक के साथ अपनी उपस्थिति का विस्तार कर रही है।
इसी प्रकार वेदांत समूह के अध्यक्ष अनिल अग्रवाल ने अरुणाचल प्रदेश, नागालैंड, त्रिपुरा, मेघालय और मिजोरम में 30,000 करोड़ रुपये के निवेश का वादा किया है। उनकी इस पहल से इस क्षेत्र में लगभग एक लाख नौकरियां पैदा की जा सकेंगी। अग्रवाल ने कहा कि यह निवेश तेल और गैस, महत्त्वपूर्ण खनिजों, रिफाइनिंग सुविधाओं, बिजली, ऑप्टिकल फाइबर, सिस्टम इंटीग्रेशन, नवीकरणीय ऊर्जा, ट्रांसमिशन क्षेत्रों और डेटा सेंटरों के क्षेत्र में किया जाएगा। इस साल की शुरुआत में कंपनी ने असम में 50,000 करोड़ रुपये के निवेश का ऐलान किया था। अग्रवाल ने कहा, ‘आज पूर्वोत्तर के राज्य दोहरे अंकों में विकास कर रहे हैं। वेदांत यहां निवेश करने के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध है।’
अदाणी समूह के अध्यक्ष गौतम अदाणी ने तीन महीने पहले असम में 50,000 करोड़ रुपये की प्रतिबद्धता जताई थी। अब अदाणी ने पूर्वोत्तर क्षेत्र में अगले दशक में अतिरिक्त 50,000 करोड़ रुपये के निवेश की घोषणा की है। अदाणी ने कहा, ‘हमारा ध्यान हरित ऊर्जा क्षेत्र पर होगा, जिसमें स्मार्ट मीटर, हाइड्रो, पंप्ड स्टोरेज, पावर ट्रांसमिशन, सड़कें-राजमार्ग, डिजिटल ढांचा, लॉजिस्टिक्स के साथ-साथ कौशल और व्यवसायिक प्रशिक्षण केंद्रों के माध्यम से क्षमता निर्माण शामिल है।’ उन्होंने यह भी कहा, ‘हम बुनियादी ढांचे से ज्यादा क्षेत्र के लोगों पर निवेश करेंगे। हर पहल स्थानीय नौकरियों, उद्यमिता और सामुदायिक जुड़ाव को प्राथमिकता देगी।’
पेमेंट सिस्टम में सरकार की सीधी भागीदारी: RBI के BPSS की जगह लेगा नया PRB, अधिसूचना जारी
23 May, 2025 02:17 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
भुगतान पारिस्थितिकी तंत्र में बड़े बदलाव के तहत सरकार ने भुगतान नियामक बोर्ड (पीआरबी) का गठन करने के लिए ‘भुगतान नियामक बोर्ड विनियमन, 2025’ पेश किया है। इसमें सरकार का महत्त्वपूर्ण प्रतिनिधित्व होगा और यह भुगतान एवं निपटान प्रणाली विनियमन एवं पर्यवेक्षण बोर्ड (बीपीएसएस) का स्थान लेगा। देश में भुगतान और निपटान प्रणालियों को विनियमित करने और उनकी निगरानी के लिए भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के बीपीएसएस को अब भुगतान नियामक बोर्ड से बदला जाएगा। बीपीएसएस आरबीआई के केंद्रीय बोर्ड की एक समिति थी।
आरबीआई का भुगतान एवं निपटान प्रणाली का विभाग (डीपीएसएस) पीआरबी की सहायता करेगा। 21 मई को प्रकाशित राजपत्र अधिसूचना के अनुसार बोर्ड की संरचना भुगतान एवं निपटान प्रणाली अधिनियम (पीएसएस), 2007 की धारा 3 के अनुसार होगी। अधिनियम में कहा गया है कि आरबीआई के गवर्नर इसके चेयरमैन होंगे जबकि भुगतान एवं निपटान प्रणालियों के प्रभारी आरबीआई के डिप्टी गवर्नर, केंद्रीय बोर्ड द्वारा नामित आरबीआई का एक अधिकारी और केंद्र सरकार द्वारा नामित तीन सदस्यों को इसमें शामिल करने का प्रावधान है।
इसके अलावा पीआरबी भुगतान एवं निपटान, सूचना प्रौद्योगिकी, कानून आदि क्षेत्रों के विशेषज्ञों को बोर्ड की बैठक में आमंत्रित कर सकता है। आरबीआई के प्रधान कानूनी सलाहकार पीआरबी की बैठक के स्थायी आमंत्रित विशेषज्ञ होंगे।
उद्योग के एक अधिकारी ने कहा, ‘बीपीएसएस की जगह पीआरबी को लाया जा रहा है। मेरे हिसाब से इसमें सरकार की ओर से तीन, आरबीआई की तरफ से तीन और गवर्नर के पास निर्णायक वोट होगा। गवर्नर बीपीएसएस के अध्यक्ष भी हैं। इससे भुगतान पारिस्थितिकी तंत्र में स्पष्ट रूप से सरकारी हस्तक्षेप बढ़ सकता है। उद्योग को यह देखना होगा कि सरकार सचिवों की नियुक्ति करती है या बाहर से स्वतंत्र विशेषज्ञ नियुक्त करती है।’ अधिसूचना के अनुसार मनोनीत सदस्य की आयु 70 वर्ष से अधिक नहीं होनी चाहिए और वह संसद या राज्य विधानमंडल का सदस्य नहीं होना चाहिए।
FDI की कमी पर आरबीआई का 'पॉजिटिव' रुख: कहा - अब विदेशी निवेशक आसानी से आ-जा सकते हैं
23 May, 2025 02:09 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
भारत में शुद्ध प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) में वित्त वर्ष 2014-25 के दौरान कमी आई है। भारत से एफडीआई निकालकर दूसरे देशों में लगाए जाने और बाजार से ज्यादा धन निकाले जाने से वित्त वर्ष 2025 में यह घटकर 0.4 अरब डॉलर रह गया है, जो पिछले वित्त वर्ष में 10.1 अरब डॉलर था। वित्त वर्ष 2023 में शुद्ध एफडीआई 28 अरब डॉलर था।
रिजर्व बैंक के मई के बुलेटिन में कहा गया है कि ‘यह परिपक्व बाजार का संकेत है, जहां विदेशी निवेशक आसानी से आ भी सकते हैं और जा भी सकते हैं। भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए यह सकारात्मक है।’ भारत में सकल एफडीआई अधिक बना हुआ है, जिससें वित्त वर्ष 2023-24 के मुकाबले 13.7 प्रतिशत की वृद्धि हुई है और 81 अरब डॉलर रहा है।
2023-24 में यह 71.3 अरब डॉलर था और उससे पिछले वित्त वर्ष के दौरान 71.4 अरब डॉलर था। एफडीआई की आवक विनिर्माण, वित्तीय सेवाओं, बिजली व अन्य ऊर्जा, संचार सेवाओं में ज्यादा रही। कुल एफडीआई का 60 प्रतिशत से ज्यादा हिस्सा इन्हीं क्षेत्रों में आया है। इस अवधि के दौरान कुल एफडीआई की आवक में सिंगापुर, मॉरिशस, संयुक्त अरब अमीरात, नीदरलैंड और अमेरिका की हिस्सेदारी 75 प्रतिशत से ज्यादा रही है।
बढ़ती इंटरनेट की समस्याओं को देखते हुए, TRAI ने लांच किए ये दो ऐप्स...
23 May, 2025 01:45 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
TRAI: जैसे-जैसे इंटरनेट की पहुंच बढ़ी है, वैसे ही टेलिकॉम नेटवर्क पर लोड भी काफी बढ़ गया है। इसका सीधा असर कॉल ड्रॉप और धीमी इंटरनेट स्पीड जैसी समस्याओं के रूप में देखने को मिलता है। यदि आप भी कभी नेटवर्क संबंधी इन परेशानियों का सामना करते हैं, तो TRAI (टेलीकॉम रेगुलेटरी अथॉरिटी ऑफ इंडिया) के दो मोबाइल ऐप्स—TRAI MySpeed और TRAI MyCall—आपके लिए बेहद उपयोगी साबित हो सकते हैं।
TRAI MySpeed: इंटरनेट स्पीड की निगरानी और शिकायत के लिए
यह ऐप इंटरनेट की गति से जुड़ी समस्याओं की रिपोर्ट करने के लिए बनाया गया है। अगर आपकी इंटरनेट स्पीड कम है, तो आप इस ऐप के ज़रिए शिकायत दर्ज कर सकते हैं।
कैसे इस्तेमाल करें:
Google Play Store से ऐप डाउनलोड करें।
ऐप खोलकर "Begin Test" पर टैप करें।
आपकी मौजूदा इंटरनेट स्पीड और ऑपरेटर की जानकारी दिखेगी।
यदि स्पीड असंतोषजनक है, तो वहीं से शिकायत दर्ज कर सकते हैं।
एक रिपोर्ट के अनुसार, अब तक 10 लाख से अधिक यूजर्स इस ऐप के ज़रिए स्पीड समस्याओं की रिपोर्ट कर चुके हैं।
TRAI MyCall: कॉल क्वालिटी और नेटवर्क इश्यू के लिए
यह ऐप कॉल ड्रॉप, कमजोर सिग्नल या कवरेज जैसी समस्याओं की शिकायत दर्ज करने के लिए है।
मुख्य विशेषताएँ:
Google Play Store से मुफ्त में उपलब्ध।
यूजर कॉल के बाद नेटवर्क अनुभव की रेटिंग दे सकते हैं।
लोकेशन, नेटवर्क ऑपरेटर और समस्या की जानकारी दर्ज करनी होती है।
इस ऐप से टेलीकॉम कंपनियों को सिग्नल क्वालिटी और कवरेज की समस्याओं की पहचान में मदद मिलती है।
ध्यान देने योग्य बातें:
ऐप्स के माध्यम से की गई शिकायतों पर कार्रवाई में कुछ समय लग सकता है।
चूंकि ये ऐप्स सरकारी संस्थाओं द्वारा विकसित किए गए हैं, इसलिए इनकी विश्वसनीयता और परफॉर्मेंस बेहतर है।
टेलीकॉम कंपनियाँ इन ऐप्स के ज़रिए आई शिकायतों को गंभीरता से लेती हैं और समाधान की दिशा में काम करती हैं।
सेबी का बड़ा बयान: इंडसइंड बैंक में 'गंभीर उल्लंघनों' की जांच कर रहे हैं तुहिन पांडे
23 May, 2025 01:43 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) के चेयरमैन तुहिन कांत पांडेय ने आज संकेत दिया कि इंडसइंड बैंक मामले में नियामकीय जांच में सेबी यह देख रहा है कि इसमें किसी के द्वारा नियमों का ‘घोर उल्लंघन’ तो नहीं किया गया है। सेबी के चेयरमैन ने यह टिप्पणी ऐसे समय में की है जब निजी क्षेत्र का यह बैंक डेरिवेटिव लेखा मामलों और बैंक अधिकारियों द्वारा भेदिया कारोबार के आरोपों के घेरे में है।
उद्योग संगठन एसोचैम द्वारा दिल्ली में आयोजित एक कार्यक्रम में मीडिया से बात करते हुए पांडेय ने कहा, ‘इस मामले में भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) को जो करना है वह कर रहा है और सेबी अपने अधिकार क्षेत्र में आने वाले पहलुओं को देख रहा है।’ उन्होंने कहा, ‘सेबी इसकी पड़ताल कर रहा है कि किसी व्यक्ति ने नियमों का उल्लंघन तो नहीं किया है।
बुधवार को चौथी तिमाही के नतीजों के बाद विश्लेषक से बातचीत में इंडसइंड बैंक ने खुलासा किया था कि उसके बोर्ड को संदेह है कि ‘बैंक के कुछ कर्मचारियों द्वारा अकाउंटिंग और फाइनैंस रिपोर्टिंग में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हुए बैंक के खिलाफ धोखाधड़ी की गई होगी’। बैंक के बोर्ड ने कहा कि उसने नियामक प्राधिकरणों और अन्य जांच एजेंसियों को इसकी जानकारी देने सहित बैंक को अन्य आवश्यक कदम उठाने के निर्देश दिए हैं।
डेरिवेटिव अकाउंटिंग मुद्दे पर इंडसइंड बैंक ने कहा कि वह भविष्य में इस तरह की चूक को रोकने के लिए आंतरिक नियंत्रण प्रक्रिया को सुदृढ़ बनाने के लिए उपाय कर रहा है। इस साल अप्रैल में सुमंत कठपालिया ने इंडसइंड बैंक के प्रबंध निदेशक और सीईओ के पद से इस्तीफा दे दिया था जबकि बैंक के डेरिवेटिव पोर्टफोलियो और अकाउंटिंग में विसंगतियों के बाद अरुण खुराना ने उप सीईओ पद से इस्तीफा दे दिया था।
इंडसइंड बैंक के अधिकारियों ने जब खुले बाजार में शेयर बेचे थे तो उनके पास मूल्य को प्रभावित करने वाली अप्रकाशित संवेदनशील जानकारी होने की संभावना है। इसे देखते हुए भेदिया कारोबार की भी जांच की जा रही है। सूत्रों ने बताया कि नियामक ने इन अधिकारियों द्वारा बेचे गए शेयरों का ब्योरा भी मांगा था।
स्टॉक एक्सचेंजों से मिली जानकारी से पता चलता है कि मई 2023 और जून 2024 के बीच कठपालिया ने करीब 9.50 लाख शेयर 134 करोड़ रुपये में बेचे जबकि खुराना ने 5.50 लाख शेयर 82 करोड़ रुपये में बेचे। ये शेयर उन्हें ईसॉप्स के जरिये मिले थे। हालांकि सूत्रों ने कहा था कि अधिकारियों ने अपने शेयर बचेने से पहले अनुपालन टीम से पूर्व अनुमति ली होगी। इंडसइंड बैंक का शेयर 1.7 फीसदी बढ़कर 783.5 रुपये पर बंद हुआ।
इंडसइंड बैंक को जनवरी-मार्च तिमाही में 2,329 करोड़ रुपये का शुद्ध घाटा हुआ। उच्च प्रावधान और डेरिवेटिव तथा माइक्रोफाइनैंस खंड में लेखा विसंगतियों के कारण बैंक को इतना घाटा उठाना पड़ा।