मध्य प्रदेश
राजधानी में 'मास्टर प्लान रोड' पर काम शुरू, बीडीए देगा 600 किसानों को प्लॉट
15 Apr, 2025 04:00 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
भोपाल: एमपी के भोपाल शहर में मिसरोद से बर्रई तक 45 मीटर मास्टर प्लान रोड और उसके 300 मीटर दायरे में नगर विकास योजना का काम फिर से शुरू हो गया है। किसानों की शर्तों के चलते यह काम एक साल से रुका हुआ था। बीडीए ने अब भूस्वामियों को विकास शुल्क में छूट और अपनी जमीन पर प्लॉट देने की शर्त मान ली है। भूस्वामियों को विकास शुल्क से छूट देने के लिए लैंड पूलिंग एक्ट में इंक्रीमेंटल फैक्टर घटा दिया गया है। अधीक्षण अभियंता अरविंद मंडराय के मुताबिक काम शुरू होने से मिसरोद और उससे जुड़े इलाकों के विकास की रफ्तार बढ़ेगी।
यह है योजना
मिसरोद से जाटखेड़ी, बागली, कटारा और बर्रई का होगा विकास
परियोजना में मुख्य ट्रंक रोड के दोनों ओर करीब 300-300 मीटर जमीन का विकास किया जाना है
550 एकड़ के भूखंड पर हम अपनी मल्टी या कॉलोनी विकसित करेंगे
किसानों को जमीन के बदले 225 एकड़ विकसित भूखंड मिलेगा
बीडीए 45 मीटर मुख्य सड़क के साथ पानी, सीवेज और अन्य सुविधाएं विकसित करेगा
इससे करीब 600 किसानों को फायदा होगा
बर्रई के बाद सड़क अयोध्या बायपास और उससे जुड़े इलाकों की ओर जाएगी
विकास शुल्क नहीं लेने और मनचाही जगह पर भूखंड देने पर सहमति
मिसरोद से बर्रई तक 45 मीटर मास्टर प्लान रोड और उसके 300 मीटर दायरे में नगर विकास योजना का जमीनी काम फिर से शुरू हो गया है। जमीन मालिक किसानों की शर्तों के चलते यह काम करीब एक साल से रुका हुआ था। इधर बीडीए ने जमीन मालिकों की विकास शुल्क में छूट और अपनी जमीन पर भूखंड देने की शर्त मान ली है। यहां अब सड़क का काम पूरा हो रहा है, इसके अलावा आसपास के यूटिलिटी वर्क में भी तेजी लाई जा रही है। भूस्वामियों को विकास शुल्क से छूट देने के लिए लैंड पूलिंग एक्ट में इंक्रीमेंटल फैक्टर को कम किया गया। अधीक्षण अभियंता अरविंद मंडराय के अनुसार यहां काम शुरू हो गया है। काम तेजी से पूरा होगा, इससे मिसरोद और उससे जुड़े इलाकों के विकास की गति बढ़ेगी।
सामान्य प्रशासन विभाग के अनुसार राज्य को एक साथ आईएएस कैडर में 16 अधिकारी मिलेंगे
15 Apr, 2025 03:30 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
भोपाल: प्रदेश के गैर प्रशासनिक सेवा के अधिकारियों को आइईएस बनने का मौका अब नहीं दिया जाएगा। लगातार नौवें साल इनके नाम संघ लोक सेवा आयोग द्वारा आयोजित की जाने वाली विभागीय पदोन्नति समिति की बैठक के लिए प्रस्तावित नहीं करने का निर्णय लिया गया है। मुख्यमंत्री मोहन यादव ने वर्ष 2024 के लिए जिन आठ पदों के लिए नाम भेजने के प्रस्ताव का अनुमोदन किया है, वे सभी राज्य प्रशासनिक सेवा के हैं। उल्लेखनीय है कि वर्ष 2023 के आठ और 2024 के आठ पदों के लिए एक साथ विभागीय पदोन्नति समिति (डीपीसी) की बैठक मई-जून में हो सकती है।
आईएएस संवर्ग में पदोन्नति के लिए नियमानुसार गैर प्रशासनिक सेवा के लिए 15 प्रतिशत तक पद रखे जा सकते हैं। यह राज्य के ऊपर रहता है कि वह इन्हें पद देना चाहता है या नहीं।
2016 में तत्कालीन मुख्य सचिव एंटोनी डिसा के समय चार पद गैर प्रशासनिक सेवा के अधिकारियों को दिए गए थे। इसके बाद से इस संवर्ग को अवसर नहीं मिला।
ऐसा नहीं है कि इसमें अधिकारी पात्रता नहीं रखते हैं लेकिन सरकार राज्य प्रशासनिक सेवा के अधिकारियों की पर्याप्त उपलब्धता को आधार बनाकर अवसर नहीं दे रही है।
जबकि, इसके लिए कई बार मुख्यमंत्री से लेकर मुख्य सचिव को ज्ञापन दिए जा चुके हैं। इस बार भी जो प्रस्ताव भारत सरकार और संघ लोक सेवा आयोग को भेजा जा रहा है, उसमें भी केवल राज्य प्रशासनिक सेवा के अधिकारियों के नाम रहेंगे।
आठ पदों के लिए 24 अधिकारियों के नाम संघ लोक सेवा आयोग को भेजे जाएंगे। इसके लिए सामान्य प्रशासन विभाग ने कमिश्नरों से रिपोर्ट बुलवाई है।
इसके साथ ही जांच एजेंसियों से भी पूछा गया है कि जो नाम प्रस्तावित किए जा रहे हैं, उनके विरुद्ध जांच तो नहीं चल रही है। संघ लोक सेवा आयोग में विभागीय पदोन्नति समिति की बैठक मई-जून में हो सकती है।
3 कंजर्वेशन रिजर्व बनाए जाने की तैयारी, खुलेगा वाइल्डलाइफ कॉरिडोर का रास्ता
15 Apr, 2025 02:00 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
भोपाल: मध्य प्रदेश में टाइगर रिजर्व और नेशनल पार्क के बाद अब 3 कंजर्वेशन रिजर्व बनाए जाने की तैयारी की जा रही है. इन कंजर्वेशन रिजर्व के बाद वाइल्डलाइफ कॉरिडोर का रास्ता भी खुल जाएगा. कंजर्वेशन रिजर्व के लिए वन विभाग राज्य शासन को प्रस्ताव तैयार कर मंजूरी के लिए भेज चुका है. कंजर्वेशन रिजर्व बनाए जाने से स्थानीय लोगों को बड़ी राहत मिलेगी. रिजर्व क्षेत्र में आने वाले ग्रामीणों को विस्थापित नहीं किया जाएगा, बल्कि इनकी मदद से ही कंजर्वेशन रिजर्व में वन्यजीवों के संरक्षण के लिए काम होगा.
मध्य प्रदेश में तीन कंजर्वेशन रिजर्व बनेंगे
मध्य प्रदेश में 3 कंजर्वेशन रिजर्व बनाए जाने की तैयारी चल रही है. यह कंजर्वेशन रिजर्व प्रदेश के बैतूल, राघोगढ़ और बालाघाट में बनाया जाएगा. बैतूल में कंजर्वेशन रिजर्व बनने से वाइल्डलाइफ कॉरिडोर तैयार हो जाएगा. क्योंकि बैतूल जिले के एक तरफ नर्मदापुरम जिले में सतपुड़ा टाइगर रिजर्व है, जबकि दूसरी तरह महाराष्ट्र के अमरावती जिले में मलेघाट टाइगर रिजर्व.
इसी तरह बालाघाट में एक कंजर्वेशन रिजर्व बनाए जाने की तैयारी है. इसके बनने से डूंगरगढ़ रिजर्व फॉरेस्ट और कान्हा नेशनल पार्क के बीच कॉरिडोर तैयार हो जाएगा. इसी तरह राघोगढ़ के पास भी कंजर्वेशन रिवर्ज बनाया जाएगा. प्रधान मुख्य वन संरक्षक शुभरंजन सेन के मुताबिक "कंजर्वेशन रिजर्व बनाए जाने के लिए प्रस्ताव शासन को भेजा जा चुका है. इसकी मंजूरी के बाद प्रक्रिया शुरू की जाएगी."
अभ्यारण्य से कैसे अलग होता है कंजर्वेशन रिजर्व
जब किसी वनक्षेत्र को अभ्यारण्य घोषित किया जाता है तो उसमें किसी भी तरह की मानव गतिविधियों की अनुमति नहीं होती. ऐसे में इन क्षेत्रों के गांवों को भी विस्थापित किया जाता है. इसमें में स्थानीय समुदायों की नाराजगी भी सामने आती है, क्योंकि ये लोग जंगल में रहकर खेती करते हैं और जंगल पर ही निर्भर रहते हैं.
वहीं, कंजर्वेशन रिजर्व ऐसा किसी 2 टाइगर रिजर्व या अभ्यारण्य के बीच का हिस्सा होता है, जिसमें गांव के लोग रहते हैं. इसके आसपास के वन क्षेत्र में कंजर्वेशन रिजर्व बनाया जाता है. इसका संचालन स्थानीय लोगों की समिति और वन विभाग द्वारा किया जाता है. इसमें स्थानीय लोगों को कई तरह के छूट के प्रावधान भी होते हैं.
तमिलनाडु में बना पहला कंजर्वेशन रिजर्व
वन्यजीवन संरक्षण संशोधन अधिनियम 2002 में कंजर्वेशन रिजर्व बनाए जाने का प्रावधान किया गया और कंजर्वेशन रिजर्व को कानूनी मान्यता दी गई. इसके बाद देश में पहला कंजर्वेशन रिजर्व 14 फरवरी 2005 को तमिलनाडु के तिरुनेलवेली जिले में स्थिति तिरुप्पदईमारथुर संरक्षण रिजर्व बनाया गया. इस 7 एकड़ क्षेत्र में कई संरक्षित पक्षियों की प्रजातियां हैं. जिसकी स्थानीय रहवासी और वन विभाग मिलकर देखरेख करते हैं. इसके बाद वर्ष 2012 में राजस्थान में जवाई बांध वनों को संरक्षित क्षेत्र घोषित किया.
रोजगार में अव्वल मध्यप्रदेश, इंडिया स्किल रिपोर्ट से हुआ खुलासा
15 Apr, 2025 01:30 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
भोपाल: देशभर में महिलाओं के लिए रोजगार संसाधन उपलब्ध कराने के मामले में राजस्थान सबसे आगे है। राज्य में महिलाओं के लिए 89.38 फीसदी रोजगार संसाधन उपलब्ध हैं। इसके बाद दूसरे नंबर पर गुजरात (71.43 फीसदी), तीसरे पर दिल्ली (51.85 फीसदी) और चौथे पर केरल (51.25 फीसदी) है। इसके साथ ही क्रिटिकल थिंकिंग के मामले में राजस्थान 43 फीसदी के साथ दूसरे और मध्य प्रदेश 42 फीसदी के साथ तीसरे स्थान पर है। इस मामले में उत्तर प्रदेश (45 फीसदी) सबसे आगे हैं। इंडिया स्किल्स रिपोर्ट-2025 में राज्यों की यह तस्वीर निकलकर सामने आई।
गेट की जारी स्किल्स रिपोर्ट में हुआ खुलासा
ईटीएस व्हीबॉक्स वैश्विक रोजगार योग्यता परीक्षण (गेट) द्वारा जारी स्किल्स रिपोर्ट में पहली बार राज्यों की कौशल क्षमता की जानकारी सामने आई है। गेट यानी ग्लोबल एम्प्लॉयबिलिटी टेस्ट एक प्रतिष्ठित मूल्यांकन है, जिसे भारत और विश्वभर के छात्रों और पेशेवरों के रोजगार कौशल का मूल्यांकन करने और उसे बढ़ाने के लिए डिजाइन किया गया है।
गणितीय कौशल : यूपी सबसे आगे, मध्य प्रदेश नंबर-2 पर
गणितीय कौशल के मामले में देशभर में उत्तर प्रदेश के युवा सबसे आगे हैं। यूपी के 80.12 फीसदी और मध्य प्रदेश के 74.26 फीसदी युवा गणित में अच्छा प्रदर्शन करते हैं। इसके बाद पंजाब (73.80 फीसदी) और आंध्र प्रदेश (71.98 फीसदी) का नंबर है।
रोजगार उपलब्ध कराने में महाराष्ट्र नंबर-1
रोजगार की कसौटी पर महाराष्ट्र नंबर वन है। प्रदेश की रोजगार उपलब्ध कराने की क्षमता 84 फीसदी है। दूसरे नंबर पर 78 फीसदी के साथ दिल्ली और तीसरे नंबर पर कर्नाटक (75 फीसदी) है। इसके बाद आंध्र प्रदेश (72 फीसदी), केरल (71 फीसदी) और उत्तर प्रदेश (70 फीसदी) का नंबर आता है।
युवाओं को रोजगार – यूपी व एमपी आगे
18 से 21 साल के युवाओं को रोजगार देने के मामले में 92.20 फीसदी के के साथ यूपी नंबर एक पर है। वहीं 91.15 फीसदी के साथ मध्य प्रदेश नंबर दो पर है। इसके बाद कर्नाटक (81.89 फीसदी) का नंबर है।
इन शहरों में सर्वाधिक रोजगार
सबसे ज्यादा रोजगार मुहैया कराने वाले प्रमुख शहरों में पुणे, बेंगलूरु, मुंबई, दिल्ली, त्रिशूर, हैदराबाद, गुंटूर और लखनऊ शामिल है।
रोजगार : किस क्षेत्र में कितनी संभावना
एमबीए – 78 फीसदी
बीई/बीटेक – 71.50 फीसदी
एमसीए – 71 फीसदी
बीएससी – 58 फीसदी
बी.फॉर्मा – 56 फीसदी
बीकॉम – 55 फीसदी
बीए – 54 फीसदी
आइटीआइ – 41 फीसदी
पॉलिटेक्निक – 29 फीसदी।
देश में सबसे ज्यादा जीएसडीपी विकास दर
मुख्यमंत्री ने 1412 दिव्यांगजनों और 1040 वरिष्ठ नागरिकों को सहायक उपकरण और विभिन्न सरकारी योजनाओं का लाभ वितरित किया। उन्होंने बताया कि मध्य प्रदेश का जीएसडीपी विकास दर देश में सबसे ज्यादा 13% है।
जानें जीएसडीपी क्या है
GSDP का मतलब है ग्रॉस स्टेट डोमेस्टिक प्रोडक्ट। यह राज्य की अर्थव्यवस्था की सेहत बताता है। जैसे किसी व्यक्ति की सेहत अच्छी होने पर वो तेजी से बढ़ता है, वैसे ही अच्छी GSDP दर राज्य के विकास को दर्शाती है।
खेलकूद को बढ़ावा देने बड़ी सौगात
खेलों को बढ़ावा देने के लिए मुख्यमंत्री ने बालाघाट में एक नए एस्ट्रोटर्फ हॉकी मैदान का उद्घाटन किया। उन्होंने राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मध्य प्रदेश के खिलाड़ियों की उपलब्धियों पर गर्व व्यक्त किया। हाल ही में उत्तराखंड में हुए राष्ट्रीय खेलों में मध्य प्रदेश को तीसरा स्थान मिला, जिसकी उन्होंने सराहना की।
इन योजनाओं को मिला लाभ
प्रदेश में अधिक औद्योगिक निवेश लाकर नियोजन के अवसरों में वृद्धि की जा रही है। आर्थिक गतिविधियों के माध्यम से स्व रोजगार हेतु विभिन्न योजनाओं के अंतर्गत ऋण एवं अन्य सुविधाएं मिल रही है। नए क्षेत्रों जैसे-वन, पर्यटन, श्रम, खनिज, सहकारिता आदि में रोजग़ार के अवसर सृजित हो रहे हैं। रोजगार के लिए हमारी 8 सूत्रीय रणनीति है। नई शिक्षा नीति का प्रभावी क्रियान्वयन कर कक्षा 6वीं से ही रोजगार मूलक शिक्षा प्रदान की जाए। शिक्षा और उद्योग जगत की मांग में गैप को भरने के लिए अंतर्राष्ट्रीय स्तर का कौशल प्रशिक्षण दिया जाए। रोजगार चाहने वालों को नियोक्ताओं से जोडऩे के लिए ऑनलाईन प्लेटफार्म उपलब्ध कराया जाएगा। जिला एवं विकासखण्ड स्तर पर रोजगार मेलों का नियमित आयोजन होगा। सरकारी भर्तियों के माध्यम से सार्वजनिक क्षेत्र में रोजगार के अवसर बढ़ाए जा रहे हैं।
नहीं हुआ था आर्थिक मंदी का असर
कोरोना की पहली और दूसरी लहर के दौरान भी देशव्यापी आर्थिक मंदी से मप्र की अर्थव्यवस्था अछूती रही। तब भी मप्र में बेरोजगारी दर पूरी तरह नियंत्रित रही। नए आंकड़ों के मुताबिक मप्र 1.4 प्रतिशत के साथ सबसे कम बेरोजगारी वाले राज्यों में दूसरेे स्थान पर है। ताजा रिपोर्ट के मुताबिक देश में बेरोजगारी दर 7.5 प्रतिशत है। शहरी बेरोजगारी दर 8.5 प्रतिशत और ग्रामीण बेरोजगारी 7.1 प्रतिशत है।
यूपी के युवा गणित में देश भर में सबसे तेज
यूपी के 80 फीसदी युवा गणितीय कौशल और कम्यूटर दक्षता में देश भर में नंबर वन हैं। लेकिन, अंग्रेजी में तीसरे नंबर पर हैं। इसमें महाराष्ट्र शीर्ष स्थान पर है। रोजगार संसाधन के मामले में यूपी 18 से 25 वर्ष के युवाओं की फेहरिस्त में शीर्ष स्थान पर है। 26 से 29 वर्ष की श्रेणी में तीसरे स्थान पर है। इंटर्नशिप करने के इच्छुक युवाओं ने तमिलनाडु के बाद यूपी को चुना है। इंडिया स्किल्स रिपोर्ट-2025 में राज्यों की यह तस्वीर निकलकर सामने आई।
अंग्रेजी के मामले में महाराष्ट्र शीर्ष स्थान पर
ईटीएस व्हीबॉक्स वैश्विक रोजगार योग्यता परीक्षण (गेट) द्वारा जारी स्किल्स रिपोर्ट में पहली बार राज्यों की कौशल क्षमता की जानकारी सामने आई है। गेट यानी ग्लोबल एम्प्लॉयबिलिटी टेस्ट एक प्रतिष्ठित मूल्यांकन है जिसे भारत और विश्व बाहर छात्रों और पेशेवरों के रोजगार कौशल का मूल्यांकन करने और उसे बढ़ाने के लिए डिजाइन किया गया है। कौशल परीक्षण श्रेणी में अंग्रेजी के मामले में महाराष्ट्र शीर्ष स्थान पर है।
दूसरे स्थान पर कर्नाटक और तीसरे पर उत्तर प्रदेश है। वहीं गणितीय कौशल में यूपी ने आंध्र प्रदेश को पीछे कर पहला स्थान पर प्राप्त किया है। तीसरे पर मध्य प्रदेश, चौथे पर पंजाब, पांचवें पर तेलंगाना काबिज हैं। आलोचनात्मक सोच कौशल (क्रिटिकल थिंकिंग) में भी यूपी के युवा शीर्ष पर हैं। दूसरे नंबर पर राजस्थान और तीसरे पर मध्य प्रदेश है। वहीं यूपी के युवाओं ने कम्प्यूटर स्किल में भी देशभर में पहला स्थान प्राप्त किया है।
रोजगार उपलब्ध कराने में यूपी छठे स्थान पर
रोजगार की कसौटी पर महाराष्ट्र नंबर वन है, जिसका रोजगार प्रतिशत 84 फीसदी है। दूसरे नंबर पर 78 फीसदी के साथ दिल्ली, तीसरे नंबर पर कर्नाटक (75 फीसदी), चौथे पर आंध्र प्रदेश (72 फीसदी), केरल (71 फीसदी) और उत्तर प्रदेश (70 फीसदी) है। उत्तर प्रदेश ने गुजरात, तमिलनाडु, पश्चिम बंगाल जैसे राज्यों को पीछे छोड़ते हुए अपनी मजबूत उपस्थिति दर्ज कराई है। सबसे ज्यादा रोजगार मुहैया कराने वाले प्रमुख शहरों में पुणे, बंगलौर, मुम्बई, दिल्ली, त्रिशूर, हैदराबाद, गुंटूर के साथ लखनऊ भी शामिल हो गया है।
प्रदेश में बनेगी 78 लाख और देश में 5.5 करोड़ किसानों का किसान आईडी
15 Apr, 2025 01:00 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
विदिशा: केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने विदिशा जिले के बेस नगर स्थित अपने फार्म हाउस में जाकर अपनी किसान आईडी (Farmer ID) बनवाई. उन्होंने इसे किसानों की "डिजिटल पहचान" बताते हुए सभी किसानों से अपील की कि वे भी जल्द से जल्द अपनी किसान आईडी बनवाएं और डिजिटल कृषि मिशन का लाभ उठाएं.
डिजिटल क्रांति की ओर कृषि क्षेत्र का कदम:
शिवराज सिंह चौहान ने कहा "देश में किसानों की मेहनत को सम्मान देने और उन्हें समुचित लाभ पहुंचाने के उद्देश्य से केंद्र सरकार ने डिजिटल एग्रीकल्चर मिशन की शुरुआत की है. इसके तहत एग्री स्टैक (Agri Stack) प्रोजेक्ट एक महत्वपूर्ण भाग है, जिसके अंतर्गत किसानों की एक समेकित रजिस्ट्री बनाई जा रही है."
क्या है किसान ID?:
किसान ID एक डिजिटल पहचान है, जिसमें किसान के व्यक्तिगत विवरण, ज़मीन से संबंधित जानकारी, बोई गई फसलें, मृदा स्वास्थ्य, पशुधन, मत्स्य पालन आदि की विस्तृत जानकारी शामिल होगी.
अब तक जुड़ चुके हैं साढ़े पांच करोड़ से ज्यादा किसान:
देश भर में अब तक 5.5 करोड़ से अधिक किसानों की ID बन चुकी है. वहीं मध्य प्रदेश में अब तक 78 लाख किसानों की ID तैयार की जा चुकी है. राज्य सरकार इसे जल्द ही 100% तक पहुंचाने के प्रयास में जुटी है.
किसानों का डेटा सुरक्षित:
केंद्रीय कृषि मंत्री ने भरोसा दिलाया कि किसान रजिस्ट्री में दर्ज जानकारी पूरी तरह गोपनीय रहेगी. किसान की अनुमति के बिना कोई भी डेटा साझा नहीं किया जाएगा. साथ ही किसान जब चाहें इसे अपनी सहमति वापस भी ले सकते हैं.
डिजिटल सेवा सभी किसानों के लिए:
हालांकि स्मार्टफोन और इंटरनेट अब गांवों तक पहुंच चुके हैं, फिर भी जिन किसानों के पास यह सुविधा नहीं है, उनके लिए भी सरकार ने कदम उठाए हैं. किसान उत्पादक संगठन (FPO), कृषि सखियों और कॉमन सर्विस सेंटर (CSC) की मदद से किसान ID बनाई जा सकती है. इसके अलावा, राज्य सरकार विशेष शिविरों का भी आयोजन कर रही है. केंद्रीय कृषि मंत्री ने कहा, "मैं सभी किसानों से अनुरोध करता हूं कि वे समय रहते अपनी किसान ID बनवाएं और सरकार की योजनाओं का पूरा लाभ उठाएं. यह डिजिटल परिवर्तन किसानों के लिए एक नए युग की शुरुआत है."
मध्य प्रदेश में अगले 3 साल में होंगी 3 लाख सरकारी भर्तियां और प्रमोशन
15 Apr, 2025 12:30 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
भोपाल: मध्य प्रदेश के उन युवाओं के लिए बड़ी खुशखबरी है जो सरकारी नौकरी करना चाहते हैं या इसकी तैयारी कर रहे हैं. एमपी की मोहन सरकार ने इसके लिए बड़ा कदम उठाया है. मध्य प्रदेश में सरकारी अधिकारियों और कर्मचारियों की पिछले 8 सालों से अटकी हुई पदोन्नति का रास्ता साफ हो गया है. आने वाले कुछ महीनों में एमपी में सरकारी सेवाओं में कर्मचारियों को पदोन्नत किया जाएगा। जिसके बाद कर्मचारियों की पदोन्नति से करीब 2.03 लाख पद खाली हो जाएंगे। जिन पर राज्य सरकार अगले तीन सालों में मध्य प्रदेश लोक सेवा आयोग और ईएसबी से भर्ती करेगी। मध्य प्रदेश में एसटी, एससी, ओबीसी और जनरल के करीब 4 लाख सरकारी कर्मचारियों की पदोन्नति पिछले 8 सालों से अटकी हुई थी, जिसका रास्ता राज्य की मोहन सरकार ने एक उच्च स्तरीय बैठक में साफ कर दिया है. इस पदोन्नति में करीब 4 लाख सरकारी कर्मचारियों को पदोन्नत किया जाएगा. इसको लेकर सरकार की योजना है कि जिस वर्ग में भर्ती होगी, उसी वर्ग में पदोन्नति दी जाएगी।
मप्र में 3 साल में होंगी 2 लाख भर्तियां
मप्र में 8 साल से अटके सरकारी कर्मचारियों के प्रमोशन की घोषणा के बाद अब मध्य प्रदेश सरकार वित्तीय वर्ष 2026-27 और 2027-28 में एक-एक लाख पदों पर राज्य लोक सेवा आयोग और कर्मचारी चयन बोर्ड से भर्ती प्रक्रिया निकालेगी। इसको लेकर राज्य सरकार की पूरी कार्ययोजना भी तैयार है।
मुख्य सचिव देखेंगे भर्ती प्रक्रिया
मप्र में बड़ी संख्या में सरकारी कर्मचारियों के प्रमोशन के बाद कई विभागों में निचले पद खाली हो जाएंगे। जिन पर राज्य सरकार भर्ती करेगी। मप्र में अगले तीन साल में 2 लाख पदों पर भर्ती प्रक्रिया की तैयारी सीधे मुख्य सचिव अनुराग जैन और अपर मुख्य सचिव सामान्य प्रशासन संजय दुबे के अधीन होगी। इसको लेकर सरकार की कार्ययोजना भी तैयार है और मप्र सरकार ने खाली पदों पर विस्तृत रिपोर्ट भी तैयार कर ली है।
मध्य प्रदेश में हर 20 किमी पर ईवी चार्जिंग स्टेशन: नए युग की शुरुआत
15 Apr, 2025 11:15 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
मध्य प्रदेश की मोहन यादव सरकार प्रदेश को तेजी से इलेक्ट्रिक व्हीकल (EV) वाला प्रदेश बनाने में जुट गई है. नई ईवी पॉलिसी लागू होते ही मध्य प्रदेश के पांच शहरों में हर 20 किमी पर ईवी चार्जिंग स्टेशन बनाए जाएंगे. इसे लेकर जमीनी स्तर पर कार्य शुरू हो गए हैं. गौरतलब है कि नई ईवी पॉलिसी के तहत भोपाल, जबलपुर, इंदौर, ग्वालियर और उज्जैन को ईवी मॉडल सिटी के रूप में विकसित किया जा रहा है. इसके बाद इन 5 शहरों की तस्वीर और तकदीर दोनों बदल जाएगी.
ईवी योजना के लिए 750 करोड़ का प्रावधान
भोपाल, जबलपुर, इंदौर, ग्वालियर और उज्जैन में सबसे पहले पब्लिक ईवी चार्जिंग स्टेशन बनाए जाएंगे. यह प्रावधान हाल ही में राज्य सरकार द्वारा जारी ईवी पॉलिसी 2025 में किया गया है. मुख्यमंत्री नगर विकास योजना के साथ इस पंच वर्षीय योजना में 2028-29 तक 750 करोड़ रु खर्च किए जाएंगे. ईवी चार्जिंग स्टेशन बनाने का मुख्य उद्देश्य पेट्रोल-डीजल की जगह इलेक्ट्रॉनिक वाहनों के लिए लोगों को जागरुक करना और इनका इस्तेमाल बढ़ाना है.
80 प्रतिशत सरकारी वाहन होंगे इलेक्ट्रिक
मोहन यादव सरकार ने इस योजना के तहत सरकार के सभी विभागों में इलेक्ट्रिक वाहन का इस्तेमाल बढ़ाने की योजना बनाई है. इसी वजह से नगरीय विकास विभाग ने सभी विभागों को 80 फीसदी ईवी वाहन चलाने के लिए अपना-अपना प्लान बनाने के निर्देश दिए हैं. ऐसे में राज्य सरकार के सभी विभागों में अब जिन भी नए वाहनों की खरीदी होगी, वे सभी इलेक्ट्रिक वाहन यानी ईवी ही होंगे. इतना ही नहीं, पुराने वाहनों को बदलकर भी ईवी वाहन लाए जाएंगे.
हर 20 किमी पर होगा चार्जिंग स्टेशन
लोग ज्यादा से ज्यादा ईवी का प्रयोग करें, इसके लिए सरकार 5 शहरों में हर 20 किमी पर ईवी चार्जिंग स्टेशन बना रही है. भोपाल, जबलपुर, इंदौर, ग्वालियर और उज्जैन सबसे पहले ईवी मॉडल सिटी के रूप में विकसित किए जा रहे हैं. यहां पेट्रोल पंप की तरह अब कुछ-कुछ दूरी पर ही ईवी चार्जिंग स्टेशन लोगों को मिलेंगे, जहां वे अपने वाहनों को सुविधानुसार चार्ज कर सकेंगे.
ईवी के मामले में ये राज्य टॉप पर
2024 के सरकारी आंकड़े देखें तो ईवी कारों के मामले में महाराष्ट्र 15 हजार से ज्यादा ईवी कारों की बिक्री के साथ देश में नंबर वन रहा. इसका सबसे बड़ा कारण है महाराष्ट्र में ईवी चार्जिंग प्वांइट्स की उपलब्धता. मध्य प्रदेश ईवी के मामले में 2024 में टॉप-10 शहरों से बाहर रहा है, लेकिन सरकार को उम्मीद है कि ईवी चार्जिंग स्टेशन बनाए जाने से एमपी भी इस लिस्ट में अव्वल आएगा. ईवी कारों के मामले में नंबर एक पर महाराष्ट्र, दूसरे स्थान पर कर्नाटक, तीसरे पर केरल और चौथे स्थान पर तमिलनाडु रहा है. हालांकि, 2025 में यूपी इस लिस्ट में ऊपर आ सकता है.
चार्जिंग स्टेशन खोलने पर सब्सिडी
ईवी पॉलिसी के तहत भोपाल, इंदौर, जबलपुर, ग्वालियर और उज्जैन में हर 20 किलोमीटर पर चार्जिंग स्टेशन तैयार करने का काम शुरू हो गया है. वहीं हाईवे पर हर 100 किलोमीटर पर फास्ट चार्जिंग स्टेशन बनाए जा रहे हैं. इतना ही नहीं, ईवी स्टेशनों को बढ़ावा देने के लिए सरकार नियम अनुसार सब्सिडी भी दे रही है.
भोपाल में शुरू हुए फास्ट ईवी चार्जिंग स्टेशन
गौरतलब है कि मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में स्मार्ट सिटी डेवलपमेंट कॉरपोरेशन द्वारा फास्ट ईवी चार्जिंग स्टेशन पहले ही शुरू किए जा चुके हैं. लेक व्यू में इन फास्ट ईवी चार्जिंग स्टेशन को इन्स्टॉल किया गया है. ग्लोबल इंवेस्टर्स समिट से पहले शुरू किए इन चार्जिंग स्टेशन में 120, 60 और 22 किलोवाट के पांच चार्जर लगे हैं. ये फास्ट चार्जर हैं और टाइप-2 चार्जिंग गन का इस्तेमाल करते हैं, जिससे महज एक घंटे में कारें फुल चार्ज हो जाती हैं.
ईवी कार को कैसे करें चार्ज?
भोपाल में बने चार्जिंग स्टेशन इस्तेमाल करने के लिए गूगल प्ले से 'स्टेटिक' नाम की मोबाइल ऐप डाउनलोड करें. इसके बाद इस ऐप से ईवी चार्जिंग स्टेशन का क्यूआर कोड स्कैन करें. इसके बाद आपको कम से कम 50 रु का रिचार्ज करना होगा, जिसका इस्तेमाल चार्जिंग पेमेंट के लिए किया जाता है. गौरतलब है कि इस चार्जिंग स्टेशन को शुरुआती दिनों में फ्री रखा गया था और आने वाले दिनों में सरकार शुरुआत में सभी चार्जिंग स्टेशन में निशुल्क सुविधा दे सकती है.
ईवी के लिए होंगी स्पेशल पार्किंग
गौरतलब है कि मुख्यमंत्री मोहन यादव की कैबिनेट बैठक में ईवी वाहनों को बढ़ावा देने के लिए एक के बाद एक कई फैसले हुए हैं. ईवी पॉलिसी के बाद सरकार ने ईवी वाहनों को स्पेशल पार्किंग देने का फैसला भी किया है. मुख्यमंत्री मोहन यादव ने कैबिनेट के दौरान कहा था, '' राज्य सरकार का प्लान है कि ईवी की बाजारों में सार्वजनिक पार्किंग और रहवासी सोसायटियों में पार्किंग की अलग से व्यवस्था की जाएगी. इसके लिए नगरीय विकास व आवास विभाग जल्द ही निर्देश जारी करने जा रहा है.''
शिवपुरी में खौ़फनाक हमला: जंगली जानवरों ने 47 भेड़ों की ली जान
15 Apr, 2025 10:15 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
शिवपुरी: मध्य प्रदेश के शिवपुरी जिले की करैरा के मगरौनी चौकी क्षेत्र स्थित डिगवासा गांव में जंगली जानवर का आतंक देखने मिला. जंगली जानवर के आतंक से 47 भेड़ों की मौत हो गई है. जबकि 7 भेड़ गंभीर रूप से घायल हैं. यह घटना रविवार रात तीन बजे के आसपास हुई.
सुबह खून से लतपथ मिले भेड़
डिगवासा गांव के निवासी प्रहलाद बघेल ने करीब 60 भेड़ों को घर के पीछे बने कच्चे कमरे में बंद करके अपने परिवार के साथ सो गए थे. सुबह जब प्रहलाद उठे, तो उन्होंने कच्चे कमरे में भेड़ों को खून से लतपथ हालत में पाया. जिसमें ज्यादातर भेड़ मर चुकी थीं. किसी अज्ञात जंगली जानवर ने भेड़ों पर हमला कर उन्हें मौत के घाट उतार दिया था. इस घटना की सूचना मिलने के बाद फोरेस्ट विभाग की टीम, पशु चिकित्सक और पटवारी मौके पर पहुंचे. घायल भेड़ों का इलाज शुरू किया गया.
47 भेड़ों की मौत की पुष्टि
दोपहर तक 47 भेड़ों की मौत की पुष्टि हो चुकी थी, जबकि 7 भेड़ गंभीर रूप से घायल थी. ग्रामीण प्रहलाद बघेल का कहना है कि "तेंदुआ या किसी अन्य जंगली जानवर ने उसके भेड़ों पर हमला किया, लेकिन यह फिलहाल स्पष्ट नहीं है. इस घटना में उसे लगभग 5 लाख रुपए का नुकसान हुआ है."
ग्रामीण को मिलेगा मुआवजा
वहीं घटना की सूचना मिलने के बाद डीएफओ सुधांशु यादव सोमवार को डिगवासा गांव पहुंचे. उनका कहना है कि "हमलावर जानवर का पता अभी स्पष्ट नहीं हो सका है. मृत कुछ भेड़ों का पोस्टमार्टम कराया गया है. गांव के जरिए डीएनए जांच भी कराई जा रही है, ताकि हमलावर जानवर का पता चल सके. पीड़ित ग्रामीण को नियमानुसार मुआवजा दिया जाएगा."
अब मिनटों में होगी चौरागढ़ मंदिर की यात्रा: सीढ़ियाँ चढ़ने की ज़रूरत नहीं
15 Apr, 2025 08:15 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
पचमढ़ी: हिल स्टेशन पचमढ़ी के चौरागढ़ मंदिर जाने वाले लाखों श्रद्धालुओं का सफर जल्द आसान होने वाला है. चौरागढ़ के लिए घंटों की यात्रा मिनटों में पूरी करने के लिए 400 करोड़ की लागत से रोपवे बनाया जाएगा. रोपवे बनने से श्रद्धालुओं को 1360 सीढ़ियां पैदल चढ़नी नहीं पड़ेंगी.शिवरात्रि सहित आम दिनों में हजारों श्रद्धालु दर्शन के लिए चौरागढ़ आते हैं. खासतौर पर महाराष्ट्र से बड़ी संख्या में श्रद्धालु यहां आते हैं. लेकिन ऊंची पहाड़ी चढ़ने के कारण कई भक्तों को परेशानियों का सामना करना पड़ता है.
नितिन गडकरी ने दी मंजूरी
नर्मदापुरम-नरसिंहपुर क्षेत्र के सांसद दर्शन सिंह चौधरी ने बताया "केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने नर्मदापुरम जिले में पचमढ़ी के चौरागढ़ महादेव मंदिर जाने के लिए 400 करोड़ की लागत से रोपवे एवं वाहन पार्किंग को मंजूरी दे दी है. पर्यटन का विकास हमारी प्राथमिकता है."सांसद दर्शन सिंह चौधरी ने रोपवे निर्माण के लिए स्वीकृति देने पर केंद्रीय परिवहन मंत्री नितिन गडकरी का आभार जताया है. सांसद ने बताया कि इसके अलावा पिपरिया से सटे अनहोनी वन क्षेत्र को पिकनिक स्पॉट में बदलने की योजना पर भी काम किया जाएगा. इन विकास कार्यों से पचमढ़ी में पर्यटन को बढ़ावा मिलने की उम्मीद है. स्थानीय अर्थव्यवस्था को भी इससे मजबूती मिलेगी.
शिवरात्रि पर आते हैं एक लाख से अधिक श्रद्धालु
पचमढ़ी नगर से करीब 12 किमी दूर सतपुड़ा के घने जंगल के बीच चौरागढ़ पर्वत है. यहां शिवरात्रि पर 6 दिनों तक का विशाल मेला लगता है, जिसमें प्रतिदिन 50 से 80 हजार तक श्रद्धालु आते हैं. शिवरात्रि के दिन श्रद्धालुओं की संख्या 1 लाख पार कर जाती है. आम दिनों में भी बड़ी संख्या में लोग दर्शन करने आते हैं.
त्रिशूल चढ़ाने का खास महत्व
चौरागढ़ मंदिर में त्रिशूल चढ़ाने का खास महत्व है. मान्यता है कि चोरा बाबा की तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान भोलेनाथ ने उन्हें दर्शन दिए थे. उस समय भगवान शिव अपना त्रिशूल इसी स्थान पर छोड़ कर चले गए थे. इसी मान्यता के तहत भक्त अपनी मनोकामनाएं लेकर त्रिशूल चढ़ाते हैं. एक किवदंती ये भी प्रचलित है कि भगवान महादेव ने भस्मासुर से बचने के लिए इसी पहाड़ी में शरण ली थी.
लंबे समय से की जा रही थी मांग
स्थानीय लोगों द्वारा लंबे समय से पचमढ़ी-चौरागढ़ रोपवे निर्माण की मांग की जा रही थी. करीब 10 वर्ष पूर्व रोपवे लगाने का सर्वे भी हुआ था लेकिन सतपुड़ा टाइगर रिजर्व में रोपवे निर्माण की अनुमति नहीं मिलने से मामला ठंडा पड़ गया था.
दुग्ध उत्पादन से किसानों की समृद्धि के खुलेंगे नये द्वार
14 Apr, 2025 11:30 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
भोपाल : मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा कि राज्य सरकार ने प्रदेश के दुग्ध उत्पादकों की आय दोगुनी करने एवं दुग्ध उत्पादन को बढ़ावा देने के उद्देश्य से अत्यंत महत्वपूर्ण कदम उठाया है। एम.पी. स्टेट को-ओपरेटिव डेयरी फेडरेशन लिमिटेड एवं संबद्ध दुग्ध संघों और राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड (NDDB) के मध्य हुए इस अनुबंध की अवधि 5 वर्ष होगी, जिसका आपसी सहमति से विस्तार किया जा सकेगा। इसके तहत मुख्य रूप से प्रत्येक ग्राम पंचायत में कलेक्शन सेन्टर स्थापित किए जाएंगे, दुग्ध संघों की प्रोसेसिंग क्षमता में वृद्धि की जायेगी और दुग्ध समितियों की संख्या बढ़ाई जायेगी। इन सबके परिणाम स्वरूप दुग्ध उत्पादकों की आय में अप्रत्याशित वृद्धि होगी। एम.पी. स्टेट को-ऑपरेटिव डेयरी फेडरेशन लिमिटेड एवं संबद्ध दुग्ध संघों और राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड के बीच केन्द्रीय सहकारिता मंत्री अमित शाह की उपस्थिति में रविवार को हुआ सहकार्यता अनुबंध (कोलैबोरेशन एग्रीमेंट) के निष्पादन से दुग्ध उत्पादन में क्रांति आएगी। दुग्ध उत्पादन के क्षेत्र में यह एग्रीमेन्ट प्रदेश सरकार की बड़ी उपलब्धि है।
मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि राज्य सरकार के संकल्प पत्र-2023 में प्रदेश में दूध की खरीद सुनिश्चित करने एवं डेयरी किसानों को दूध की सही कीमत दिलाने में मदद करने के लिए प्रत्येक ग्राम पंचायत में डेयरी सहकारी समिति एवं कलेक्शन सेंटर खोले जाने और श्वेत क्रांति मिशन के अंतर्गत 2500 करोड़ के निवेश से प्रत्येक जिले में सांची डेयरी के साथ मिल्क कूलर, मिनी डेयरी प्लांट एवं चिलिंग सेंटर की संख्या में वृद्धि करने का उल्लेख है। इन संकल्पों को पूरा करने में यह अनुबंध महत्वपूर्ण साबित होगा। यह राज्य के पशुपालन एवं डेयरी विभाग के अंतर्गत सहकारी प्रणाली और सांची ब्राण्ड को मजबूत करेगा।
मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि दूध की खरीद सुनिश्चित करने एवं सही कीमत दिलाने में मदद के लिए प्रत्येक ग्राम पंचायत में कलेक्शन सेन्टर स्थापित किए जाएंगे। वर्तमान में प्रदेश में दुग्ध समितियों की संख्या 6 हजार है, जिसे बढ़ाकर 9 हजार किया जाएगा। एक दुग्ध समिति लगभग 1 से 3 गांव में दुग्ध संकलन करती है, 9 हजार दुग्ध समितियां के माध्यम से लगभग 18 हजार ग्रामों को कवर किया जा सकेगा। दुग्ध संकलन भी 10.50 लाख किलोग्राम प्रतिदिन से बढ़कर 20 लाख किलोग्राम प्रतिदिन हो जाएगा। इसके अतिरिक्त एनडीडीबी द्वारा दुग्ध उत्पादक संस्थाओं (एमपीओ) के माध्यम से कवर किए गए गांवों को 1390 से बढ़ाकर 2590 किया जाएगा तथा दूध की खरीद को 1.3 लाख से बढ़कर 3.7 लाख लीटर प्रतिदिन किया जाएगा। साथ ही दुग्ध संघों की प्रोसेसिंग क्षमता में वृद्धि की जायेगी। वर्तमान में डेयरी प्लांट की क्षमता 18 लाख लीटर प्रतिदिन है, जिसे बढ़ाकर 30 लाख लीटर प्रतिदिन किया जाएगा। इस तरह अगले 5 सालों में लगभग 1500 करोड़ रूपये का निवेश किया जायेगा। दुग्ध उत्पादकों की कुल वार्षिक आय 1700 करोड़ रूपये से दोगुना कर 3500 करोड़ रूपये किये जाने का लक्ष्य रखा गया है।
सांची ब्रांड होगा और अधिक सशक्त
राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड द्वारा प्रदेश के सांची ब्रांड को और सशक्त किया जाएगा। इसे राष्ट्रीय स्तर पर स्थापित ब्रांड के नाम में कोई परिवर्तन नहीं किया जाएगा। दुग्ध संघ के प्रबंधन एवं संचालन के लिए प्रबंधन शुल्क और नवीन प्रसंस्करण एवं अधोसंरचनाओं के विकास के लिए भी कोई परामर्श शुल्क नहीं लिया जाएगा। आवश्यकता अनुसार तकनीकी एवं प्रबंधन विशेषज्ञों को अपने पैरोल पर दुग्ध संघ में पदस्थ किया जाएगा तथा कार्यरत अमले का हित संरक्षण भी किया जाएगा। दुग्ध सहकारी समितियां से संबद्ध डेयरी किसानों की शिकायतों के निराकरण के लिए शिकायत निवारण प्रणाली भी विकसित की जाएगी।
लोक निर्माण से लोक कल्याण प्रगति के पथ पर मध्यप्रदेश : हर मार्ग अब लोक कल्याण की ओर
14 Apr, 2025 11:15 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
भोपाल : मध्यप्रदेश में अधोसंरचना विकास अब केवल निर्माण कार्यों तक सीमित नहीं रह गया है, बल्कि यह समग्र सामाजिक, आर्थिक और तकनीकी परिवर्तन का माध्यम बन चुका है। राज्य के लोक निर्माण विभाग द्वारा “लोक निर्माण से लोक कल्याण” के मूल मंत्र के साथ बुनियादी ढांचे को सुदृढ़, पारदर्शी और जनहितकारी बनाने की दिशा में ऐतिहासिक प्रयास किए जा रहे हैं।
वर्तमान में प्रदेश में लोक निर्माण विभाग के अधीन 80,775 किलोमीटर लंबा सड़क नेटवर्क क्रियाशील है, जिसमें 9,315 किमी राष्ट्रीय राजमार्ग, 11,389 किमी राज्य राजमार्ग, 25,639 किमी मुख्य जिला मार्ग तथा 34,432 किमी अन्य जिला मार्ग शामिल हैं। यह नेटवर्क प्रदेश के ग्रामों, नगरों, कृषि क्षेत्रों और औद्योगिक केंद्रों को एकसूत्र में पिरोने का कार्य कर रहा है।
विगत 14 महीनों के दौरान 6,400 करोड़ रुपये की लागत से 5,500 किमी सड़कों का निर्माण एवं मजबूतीकरण, 345 करोड़ रुपये से 1,500 किमी का डामरीकरण तथा 2,000 करोड़ रुपये से 110 पुलों और एलिवेटेड कॉरिडोर का निर्माण किया गया है। वर्तमान में 22,500 करोड़ रुपये लागत की 10,000 किमी सड़कों एवं 10,463 करोड़ रुपये से 474 पुलों और फ्लाईओवरों पर कार्य प्रगति पर है।
राज्य सरकार द्वारा ग्वालियर, जबलपुर, भोपाल और इंदौर जैसे प्रमुख शहरों में एलिवेटेड कॉरिडोर निर्माण को प्राथमिकता दी गई है। साथ ही नर्मदा प्रगतिपथ, विंध्य एक्सप्रेसवे, मालवा-निमाड़ कॉरिडोर, अटल प्रगतिपथ, बुंदेलखंड और मध्य भारत विकास पथ जैसी छह प्रमुख परियोजनाएं प्रारंभ की गई हैं, जो प्रदेश के पिछड़े अंचलों को विकास की मुख्यधारा से जोड़ेंगी।
प्रदेश के लगभग सभी राष्ट्रीय राजमार्गों को फोर लेन में परिवर्तित करने की योजना के अंतर्गत अब तक 4,740 किमी मार्गों का फोर लेन में उन्नयन किया जा चुका है, तथा शेष 3,050 किमी पर कार्य जारी है।
इस क्रम में मध्यप्रदेश शासन और राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (NHAI) के मध्य हाल ही में 1 लाख करोड़ रुपये की लागत से 4,010 किमी लंबाई की 22 नई सड़क परियोजनाओं हेतु ऐतिहासिक समझौता संपन्न हुआ है। इसमें इंदौर-भोपाल व भोपाल-जबलपुर हाईस्पीड ग्रीनफील्ड कॉरिडोर, लखनऊ-रायपुर एक्सप्रेसवे, आगरा-ग्वालियर, उज्जैन-झालावाड़, सतना-चित्रकूट और रीवा-सीधी जैसे महत्वपूर्ण प्रोजेक्ट शामिल हैं।
उज्जैन सिंहस्थ-2028 के दृष्टिगत इंदौर-उज्जैन मार्ग का सिक्स लेन चौड़ीकरण एवं उज्जैन-जावरा ग्रीनफील्ड एक्सप्रेसवे का कार्य प्रगति पर है, जो प्रदेश का पहला पूर्ण ग्रीनफील्ड एक्सप्रेसवे होगा। साथ ही उज्जैन, सागर, जबलपुर में रोपवे परियोजनाओं का कार्य भी भारत सरकार के सहयोग से प्रारंभ किया गया है।
गुणवत्ता एवं पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए फुल डेप्थ रिक्लेमेशन, व्हाइट टॉपिंग, माइक्रो सर्फेसिंग जैसी नवीन तकनीकों को अपनाया गया है। निरीक्षण की सॉफ्टवेयर आधारित प्रणाली, गोपनीय कोडिंग और सैंपलिंग प्रक्रिया लागू की गई है। पिछले दो महीनों में 21 जिलों में 104 निर्माण कार्यों का निरीक्षण कर दोषियों पर कार्रवाई की गई तथा श्रेष्ठ कार्यों को सम्मानित किया गया।
तकनीकी उन्नयन की दिशा में विभाग ने “लोक पथ” मोबाइल ऐप, सार्थक ऐप, इंटीग्रेटेड प्रोजेक्ट मैनेजमेंट सिस्टम और पीएम गति शक्ति पोर्टल को लागू कर निगरानी और शिकायत निवारण प्रक्रिया को सशक्त बनाया है। उल्लेखनीय है कि लोक पथ ऐप का उल्लेख ‘कौन बनेगा करोड़पति’ जैसे प्रतिष्ठित मंच पर भी किया गया है।
मानव संसाधन के विकास हेतु राज्य के सभी 1,750 इंजीनियरों का कौशल विश्लेषण कर प्रशिक्षण कार्यक्रम तैयार किया गया है। साथ ही दीर्घकालिक रोड नेटवर्क मास्टर प्लान एवं रोड सेक्टर पॉलिसी का निर्माण भी प्रगति पर है।
पर्यावरणीय संतुलन के लिए वृक्षों को काटने के स्थान पर स्थानांतरित किया जा रहा है। साथ ही जल संरक्षण हेतु ‘ग्राउंड वॉटर रिचार्ज बोर’ और ‘लोक कल्याण सरोवर’ जैसी पहलें लागू की गई हैं।
इस समग्र विकास यात्रा में “लोक निर्माण से लोक कल्याण” की भावना ही प्रेरणा का स्रोत बनी हुई है। मध्यप्रदेश में सड़कें अब केवल आवागमन का माध्यम नहीं, बल्कि सामाजिक, आर्थिक और सांस्कृतिक समृद्धि का आधार बन चुकी हैं। आधुनिक तकनीकों, पर्यावरणीय संतुलन, पारदर्शिता और जनभागीदारी से सुसज्जित यह अधोसंरचनात्मक विकास प्रदेश को आत्मनिर्भरता की दिशा में आगे बढ़ा रहा है। निर्माण की प्रत्येक ईंट अब कल्याण की नींव रख रही है। लोक निर्माण विभाग अपने “लोक निर्माण से लोक कल्याण” के ध्येय वाक्य के अनुरूप कार्य करते हुए प्रदेशवासियों को बेहतर भविष्य की ओर ले जा रहा है। यही निर्माण कार्यों की वह सोच है जो हर गांव, हर नगर और हर नागरिक के जीवन में सकारात्मक परिवर्तन का मार्ग प्रशस्त कर रही है।
लाड़ली बहनों का इंतजार हुआ खत्म, सरकार ने दी बड़ी राहत, जानें कैसे चेक करें अपना बैलेंस!
14 Apr, 2025 11:00 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
भोपाल : लाड़ली बहना योजना के तहत मध्य प्रदेश में 1.27 करोड़ महिलाओं को सम्मान निधि के रूप में 1250 रुपये खातों में भेजी जाती है. अब तक महिलाओं को लाड़ली बहना योजना की 22 किश्तें मिल चुकी हैं. लेकिन 23वीं किश्त मिलने में देरी के कारण असमंजस की स्थिति बन गई. बता दें कि ने 10 जून 2023 को तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने लाड़ली बहना योजना के तहत एक हजार रुपये प्रति महिला के हिसाब से पहली किश्त जारी की थी. इसके बाद राशि बढ़ाकर 1250 रुपये कर दी थी.
अभी तक 10 तारीख तक मिल जाती थी राशि
अभी तक हर महीने यह राशि महिलाओं के खातों में 10 तारीख या उससे पहले पहुंच जाती रही है. लेकिन इस बार अप्रैल महीने की 13 तारीख बीतने के बाद भी लाड़ली बहनों के खाते खाली रहे. अब राज्य सरकार ने साफ किया है कि इस बार लाड़ली बहना योजना के 1250 रुपये 16 अप्रैल को हस्तांतरित किए जाएंगे. दरअसल, इस दिन सीएम डॉ. यादव मंडला जाएंगे. वहां वह ग्राम टिकरवारा में सार्वजनिक कार्यक्रम में शामिल होंगे. यहीं से मुख्यमंत्री 1.27 करोड़ महिलाओं के खातों में लाड़ली बहना योजना की 23वीं किश्त के रूप में 1550 करोड़ रुपये जारी करेंगे. इसकी आधिकारिक घोषणा कर दी गई है
मोहन सरकार ने कब-कब जारी की किश्त
मार्च 2025 में मोहन सरकार ने लाड़ली बहनों के खातों में 1250 रुपये की राशि 10 मार्च से पहले भेज दी थी. इसका कारण 14 मार्च को होली और 8 मार्च को महिला दिवस था. इसी प्रकार मार्च 2024 में सरकार ने महाशिवरात्रि के कारण एक मार्च को लाड़ली बहना योजना की किश्त जारी की थी. 11वीं किश्त चैत्र नवरात्रि और गुड़ी पड़वा पर्व के मौके पर 5 अप्रैल को भेजी गई थी. वहीं 12वीं किश्त 4 मई को और शारदीय नवरात्रि के मौके पर 5 अक्टूबर 2024 को 17वीं किश्त जारी की थी. ऐसे में माना जा रहा था कि इस बार सरकार अप्रैल महीने में नवरात्रि और गुड़ी पड़वा को देखते हुए 10 तारीख से पहले 1250 रुपये भेज सकती है, लेकिन इस महीने महिलाओं के खातों में 16 अप्रैल को राशि हस्तांतरित किए जाएंगे.
अब हर महीने की 10 तारीख के बाद मिलेगी राशि
वित्त विभाग के अधिकारियों का कहना है कि मध्य प्रदेश को केंद्रीय करों से जो राशि मिलती है. वह हर महीने की 10 तारीख को आती है. हर महीने सरकार को केंद्रीय करों के रूप में करीब 7 हजार करोड़ रुपये का भुगतान किया जाता है. उसी दिन सरकार लाड़ली बहनों को भी राशि हस्तांतरित करती थी. ऐसे में वित्त विभाग के अधिकारियों ने कैश लिक्विडिटी बनाए रखने के लिए लाड़ली बहना योजना की तिथि में बदलाव करने के लिए सीएम सचिवालय से अनुरोध किया था. जिसे सहमति दे दी गई है. ऐसे में माना जा रहा है कि हर महीने अब लाड़ली बहना को 10 तारीख के बाद ही 1250 रुपये की राशि हस्तांतरित की जाएगी.
मध्यप्रदेश पुलिस एवं हार्टफुलनेस संस्थान के संयुक्त तत्वावधान में मंत्रालय में हुआ तीन दिवसीय “ध्यान सत्र" संपन्न
14 Apr, 2025 10:45 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
भोपाल : मध्यप्रदेश पुलिस एवं हार्टफुलनेस संस्थान के संयुक्त तत्वावधान में मंत्रालय (वल्लभ भवन) में तीन दिवसीय (12 से 14 अप्रैल) "ध्यान सत्र " का प्रशिक्षण कार्यक्रम का सोमवार को समापन हुआ।
हार्टफुलनेस टीम ने पुलिसकर्मियों को बेहतर स्वास्थ्य, एकाग्रता एवं मानसिक लाभ के लिए विभिन्न उपायों से अवगत कराया। यह भी बताया कि ध्यान को अपने जीवन का अमूल्य हिस्सा बनाएं, जिससे खुद भी स्वस्थ रहे एवं अपने परिवार को भी निरोगी रख सकें। इस दौरान हार्टफुलनेस टीम द्वारा विभिन्न ऑडियो-वीडियो विजुअल एवं प्रैक्टिकल सेशंस लिए गए। "ध्यान सत्र" का मुख्य उद्देश्य पुलिसकर्मियों को दैनिक जीवनचर्या में मानसिक शांति, एकाग्रता तथा आंतरिक संतुलन प्राप्त करने में सहायता प्रदान करना था।
इस अवसर पर मंत्रालय के मुख्य सुरक्षा अधिकारी अविनाश शर्मा, सहायक पुलिस आयुक्त (सुरक्षा) एवं संस्थान के मास्टर ट्रेनर प्रभाकर दास, संगीता दास, अरविन्द एवं डॉ. नील सहित वल्लभ भवन, सतपुड़ा एवं विंध्याचल के समस्त पुलिस अधिकारी एवं कर्मचारी उपस्थित थे।
मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने भारत रत्न डॉ. अम्बेडकर की जयंती पर किया नमन
14 Apr, 2025 10:30 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
भोपाल : मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने भारतीय संविधान के निर्माता, भारत रत्न बाबा साहेब डॉ. भीमराव अम्बेडकर की जयंती पर उन्हें नमन किया। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने सोशल मीडिया पर अपने संदेश में कहा है कि डॉ. बाबा साहेब भीमराव अम्बेडकर ने समता, स्वतंत्रता और सामाजिक न्याय के मूल्यों से भारत के नवनिर्माण की नींव को मजबूत किया। आपके विचार, संघर्ष और नेतृत्व सभी भारतीयों के लिए आत्मगौरव का प्रतीक हैं, जो हमें विकसित और आत्मनिर्भर भारत के निर्माण की सतत प्रेरणा देते रहेंगे। उल्लेखनीय है कि डॉ. अम्बेडकर का जन्म 14 अप्रैल 1891 को इन्दौर के महू में हुआ था। उनका अवसान 6 दिसम्बर 1956 को दिल्ली में हुआ। वर्ष 1990 में, उन्हें भारत के सर्वोच्च नागरिक सम्मान “भारत रत्न” से मरणोपरान्त सम्मानित किया गया।
समाज के बंधुत्व और उत्थान के लिए बाबा साहेब डॉ. अम्बेडकर के कार्य भूतो न भविष्यति : मुख्यमंत्री डॉ. यादव
14 Apr, 2025 10:15 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
भोपाल : मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा है कि बाबा साहेब डॉ. भीमराव अम्बेडकर ने 20वीं शताब्दी में ऐसे अनेकों उल्लेखनीय कार्य किए, जिनसे 1000 वर्ष की गुलामी की विसंगतियां दूर हुईं। इन्हीं के आधार पर आज भारत दुनिया का सबसे बड़ा लोकतांत्रिक देश बना है। डॉ. अम्बेडकर के जीवन के योगदान बहुआयामी हैं, उन्हें भारत में भविष्य की चुनौतियों का आभास हो चुका था, यद्यपि उनका जीवन बहुत कठिनाई के साथ बीता, लेकिन वे ऐसे व्यक्ति थे, जिन्होंने स्वयं के संघर्ष से सीख ली और अपने जैसे दूसरे लोगों की मदद की। बाबा साहेब ने स्वयं की शिक्षा में कोई कसर नहीं रहने दी, इससे यह प्रेरणा मिलती है कि व्यक्ति के जीवन में शिक्षा में कभी कोई कमी नहीं रहनी चाहिए। बाबा साहेब डॉ. अम्बेडकर द्वारा समाज के बंधुत्व और उत्थान के लिए किए गए कार्य भूतो न भविष्यति हैं।
मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि बाबा साहेब ने समूचे समाज को आरक्षण जैसी व्यवस्था प्रदान की। आज अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति सहित हर वर्ग को साक्षरता का लाभ मिल रहा है। अनुसूचित जाति वर्ग की साक्षरता जो कभी मात्र 1.5 प्रतिशत थी, आज 59 प्रतिशत तक पहुंच गई है। भविष्य में जब-जब कठिनाई आएगी, हम सर्वहारा वर्ग के सशक्तिकरण का ध्यान रखेंगे। डॉ. अम्बेडकर ने सामाजिक सशक्तिकरण के लिए मजबूत संविधान बनाया और देश को लोकतंत्र दिया। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने डॉ. अम्बेडकर से जुड़े सभी स्थानों को पंचतीर्थ के रूप में मान्यता दी। महू स्थित भीम जन्मभूमि को तीर्थ के रूप में विकसित करने में मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री स्व. सुंदरलाल पटवा और शिवराज सिंह चौहान का योगदान महत्वपूर्ण है।
मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि राज्य सरकार द्वारा भीम जन्मस्थली महू में धर्मशाला निर्माण के लिए 3.5 तीन एकड़ जमीन दी जा रही है। इससे यहां आने-जाने वाले श्रद्धालुओं को सुविधा होगी, सभी आगंतुकों की संपूर्ण सुविधा का प्रबंध राज्य सरकार की ओर से किया जाएगा। राज्य सरकार ने सर्वहारा वर्ग और प्रदेश के किसानों को समृद्ध बनाने के लिए डॉ. अम्बेडकर कामधेनु योजना शुरू की है। अगर अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति वर्ग का कोई व्यक्ति दूध डेयरी खोलेगा, तो उसे हमारी सरकार द्वारा 30 प्रतिशत अनुदान दिया जाएगा। केंद्र सरकार की ओर से एक दिन पहले ही भीम जन्मस्थली महू को नई ट्रेन की सौगात मिली है। अब महू शहर सीधा देश की राजधानी दिल्ली से जुड़ गया है। इस रेलगाड़ी की शुरुआत का लाभ कोटा के साथ-साथ मालवा क्षेत्र के इंदौर, उज्जैन और देवास को भी मिलेगा।
मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि लंदन में भी डॉ. अम्बेडकर का भव्य स्मारक बना है, इसी स्थान पर उन्होंने शिक्षा प्राप्त की थी। यह एक आवासीय क्षेत्र है। अंग्रेजों ने स्मारक बनाने का काफी विरोध किया, लेकिन प्रधानमंत्री मोदी के प्रयासों से वहां भी तीर्थ का निर्माण हो चुका है। प्रधानमंत्री मोदी ने धारा 370 हटाकर जम्मू-कश्मीर को उसका अधिकार वापस दिया है। बाबा साहेब डॉ.अम्बेडकर ने भी धारा 370 को स्वीकार नहीं किया था।
विचारक मुकुल कानिटकर ने कहा कि 1891में आज के दिन महू से एक सकारात्मक क्रांति की शुरुआत हुई थी, एक क्रांति सूर्य का उदय हुआ था। डॉ. अम्बेडकर ने वर्ष 1916 में मात्र 27 वर्ष में अमेरिका के कोलंबिया विश्वविद्यालय से इकोनॉमिक्स की डिग्री प्राप्त की थी। कोलंबिया यूनिवर्सिटी में सिर्फ एक ही स्टैच्यू लगा है, वो बाबा साहेब अम्बेडकर का है। उन्होंने अर्थशास्त्र में पीएचडी और समाजशास्त्र व मानवशास्त्र में एमए किया। उस समय वे विश्व में सर्वाधिक डिग्री हासिल करने वाले व्यक्ति थे। वे किसी एक जाति-धर्म के नेता नहीं सर्वसमाज के नेता हैं। उन्होंने स्वयं शिक्षित होकर समाज को शिक्षित किया और समाज को रूढ़ीवाद से दूर कर सकारात्मक ऊर्जा का संचार किया। प्रत्येक व्यक्ति के लिए बाबा साहेब के विचारों का अध्ययन आवश्यक है।
इस अवसर पर मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव और मंचासीन अतिथियों ने 'संवैधानिक सामाजिक न्याय : एक चिंतन' पुस्तक का विमोचन किया। कार्यक्रम में केंद्रीय मंत्री सावित्री ठाकुर, सांसद कविता पाटीदार, पूर्व मंत्री और विधायक सुऊषा ठाकुर सहित वरिष्ठ पदाधिकारी उपस्थित थे।