राजनीति
‘हमें अपने ब्रांड मेड इन इंडिया पर गर्व होना चाहिए’, पीएम मोदी का अहम संदेश
27 May, 2025 03:00 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
गांधी नगर । अपने दो दिवसीय गुजरात दौरे के दूसरे दिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी गुजरात में पिछले दो दशकों में सुधार कार्यों से जुड़े एक कार्यक्रम में शामिल हुए। इस दौरान, गांधी नगर के महात्मा मंदिर में 5,536 करोड़ रुपये की विभिन्न विकास परियोजनाओं का उद्घाटन व शिलान्यास किया। कार्यक्रम के दौरान पीएम मोदी ने कहा कि हमें अपने देश के ब्रांड पर गर्व करना चाहिए। हमें मेड इन इंडिया पर गर्व करना चाहिए। पीएम मोदी ने कहा कि हम अपनी जरूरत की ज्यादातर चीजों के लिए दूसरे देशों पर निर्भर रहे हैं। पर ये चीजें अब देश में ही उपलब्ध हैं। हमारी जरूरत की 90% से अधिक और अच्छी चीजें देश में ही उपलब्ध हैं। हमें उनका इस्तेामल करना चाहिए।कार्यक्रम के दौरान पीएम मोदी ने कहा, 'मुझे याद है कि हमने छठे से पांचवें स्थान पर पहुंचने का जश्न मनाया था। यह क्षण विशेष रूप से महत्वपूर्ण था, क्योंकि हमने उसी देश को पीछे छोड़ दिया, जिसने 250 वर्षों तक हम पर शासन किया। अब, जब हम चौथे स्थान पर पहुंच गए हैं, तो तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने का दबाव बढ़ रहा है। उससे भी अधिक दृढ़ संकल्प की जरूरत है। यह देश अब इंतजार नहीं करना चाहता। अगर कोई सुझाव देता है कि हमें धैर्य रखना चाहिए, तो आप आवाजें सुन सकते हैं कि 'मोदी है तो मुमकिन है।' इसलिए हमारा स्पष्ट लक्ष्य 2047 तक भारत को एक विकसित राष्ट्र बनाना है।'
पीएम मोदी ने ने कहा कि 2014 में 26 मई को मुझे पहली बार देश के प्रधानमंत्री के रूप में शपथ लेने का अवसर मिला। उस समय, भारत की अर्थव्यवस्था दुनिया में 11वें स्थान पर थी। इस दौरान हमने कोरोना से लड़ाई लड़ी, पड़ोसियों से भी मुसीबतें झेलीं। प्राकृतिक आपदा भी झेली इसके बावजूद इतने कम समय में हम 11वें नंबर की अर्थव्यवस्था से चौथे नंबर की अर्थव्यवस्था बनने में कामयाब रहे। पीएम ने कहा कि हम विकास चाहते हैं, प्रगति चाहते हैं। पीएम ने कहा, "हमारा लक्ष्य है... 2047 में हिंदुस्तान को विकसित होना ही चाहिए। हम आजादी के 100 साल ऐसे मनाएंगे कि दुनिया में विकसित भारत का झंडा फहरता रहेगा।"
नीतीश का अजीब व्यवहार फिर सुर्खियों में, अफसर के सिर पर रखा गमला
27 May, 2025 10:59 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
पटना । पटना के कृषि भवन में आयोजित सरकारी कार्यक्रम के दौरान मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का अजीब व्यवहार करते दिखे। कैबिनेट अपर मुख्य सचिव एस सिद्धार्थ के स्वागत के लिए लाए गमले को नीतीश ने अचानक उनके सिर पर रख दिया। सिद्धार्थ ने तुरंत गमला हटाया, लेकिन तब तक वह पल कैमरे में कैद हो चुका था। सीएम के इस व्यवहार को लेकर लोगों की मिली-जुली प्रतिक्रियाएं सामने आ रही हैं। वहीं नीतीश फिर अपने अजीब व्यवहार को लेकर सुर्खियों में हैं।
दरअसल कार्यक्रम के दौरान जैसे ही नीतिश मंच पर पहुंचे, उनका स्वागत करने के लिए कैबिनेट अपर मुख्य सचिव एस सिद्धार्थ एक गमला (पौधा सहित) लेकर पहुंचे। नीतीश ने बिना किसी झिझक के गमला अपने हाथ में लेकर सीधे अधिकारी सिद्धार्थ के सिर पर रख दिया। हालांकि सिद्धार्थ ने तुरंत ही गमला हटाकर एक अन्य अधिकारी को सौंप दिया, लेकिन तब तक वहां मौजूद कैमरों ने वह क्षण कैद कर लिया था। सोशल मीडिया पर घटना का वीडियो तेजी से वायरल हो गया है और नीतीश कुमार के इस व्यवहार को लेकर तरह-तरह की प्रतिक्रियाएं सामने आ रही हैं।
इस पूरे घटनाक्रम पर लालू की बेटी रोहिणी आचार्य ने वीडियो शेयर करते हुए तंज कसा, दिमाग पर हो चुका विक्षिप्तपन का हमला, चाचा रख दे रहे हैं अपने अधिकारी के माथे पर गमला।
वीडियो वायरल होने के बाद राजद ने शेयर किया है। पार्टी ने लिखा, बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश की मानसिक स्थिति! सरकारी कार्यक्रम में एक आईएएस अधिकारी सीएम का स्वागत कर रहे हैं, वहीं सीएम सभी प्रोटोकॉल और मान-मर्यादा को ताक पर रखकर अधिकारी के सिर पर ही गमला रख दे रहे हैं।
11 साल पूरे होने पर कांग्रेस का हमला – ‘अच्छे दिन’ अब सिर्फ एक डरावनी कहानी
27 May, 2025 09:56 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
नई दिल्ली। मोदी सरकार के 11 साल पूरे होने के अवसर पर कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने केंद्र सरकार पर निशाना साधा। कांग्रेस अध्यक्ष ने मोदी सरकार पर देश को बर्बाद करने का आरोप लगाया और कहा कि अच्छे दिन का वादा एक डरावना सपना बनकर रह गया है। खरगे ने किसानों, महिलाओं, रोजगार और अर्थव्यवस्था के मुद्दे पर केंद्र सरकार पर निशाना साधा।
मल्लिकार्जुन खरगे ने सोशल मीडिया पर साझा एक पोस्ट में लिखा कि 26 मई 2014, 11 वर्षों में मोदी सरकार के सभी बड़े-बड़े वादे खोखले साबित हुए हैं। मोदी सरकार ने देश को तबाह कर दिया है कि अच्छे दिन की बात अब डरावना सपना बन गई है। युवाओं से दो करोड़ नौकरियां सालाना का वादा किया गया था, लेकिन करोड़ों नौकरियां गायब हो गईं। खरगे ने लिखा कि किसानों की आय दोगना करने का वादा किया गया था, आय तो दोगुनी हुई नहीं ऊपर से उन्हें रबर की गोलियां खानी पड़ीं। महिलाओं के आरक्षण पर शर्तें लागू कर दी गई है और महिला सुरक्षा तार-तार है। पिछड़े वर्गों पर अत्याचार हो रहा है और उनकी हिस्सेदारी भी कहीं खो गई है।
गोगोई की ब्रिटिश पत्नी को लेकर हिमंता का बड़ा दावा – पाक से लेती थीं वेतन
27 May, 2025 08:53 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
गुवाहाटी। असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा शर्मा ने सोमवार को कांग्रेस सांसद गौरव गोगोई की विदेशी पत्नी एलिजाबेथ कोलबर्न के पाकिस्तानी कनेक्शन को लेकर फिर सवाल किया। उन्होंने ङ्ग पर ट्वीट किया, जिसमें सीनियर कांग्रेस नेता रिपुन बोरा के हवाले से बताया कि सांसद गौरव गोगोई की पत्नी पाकिस्तान सरकार से सैलरी ले रही थी। हिमंता ने पोस्ट में लिखा कि कल एक सीनियर कांग्रेस नेता रिपुन बोरा ने चौंकाने वाला कबूलनामा किया। बोरा ने माना कि कांग्रेस सांसद गौरव गोगोई की ब्रिटिश पत्नी पाकिस्तान सरकार के पेरोल पर थी। अगर यह सच है तो यह देश की राष्ट्रीय सुरक्षा पर गंभीर सवाल उठाता है।
देश के मुख्य विपक्षी दल के डिप्टी स्पीकर की पत्नी और दुश्मन देश के बीच इस तरह के सीधे संबंध देश की एकता और सुरक्षा के लिए बहुत बड़ा खतरा है। हम पहले इस चौंकाने वाले तथ्यों के बारे में नहीं जानते थे। अब जब यह बात सामने आई है तो इसकी गंभीरता से जांच होनी चाहिए। राष्ट्रीय सुरक्षा से समझौता नहीं किया जा सकता है। हम बोरा के बयान रिकॉर्ड करेंगे और आगे कदम उठाएंगे। असम के मुख्यमंत्री काफी समय से आरोप लगाते रहे हैं कि गोगोई और उनकी ब्रिटिश पत्नी एलिजाबेथ कोलबर्न के पाकिस्तान की आईएसआई से संबंध हैं। उन्होंने दावा किया है कि गोगोई की पत्नी कई बार पाकिस्तान जा दौरा कर चुकी हैं। खुद गोगोई भी 15 दिनों के लिए पाकिस्तान गए थे।
राज्यसभा की 8 सीटों पर चुनाव का ऐलान, तमिलनाडु और असम की सीटों पर 19 जून को डाले जाएंगे वोट
26 May, 2025 03:42 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
दिल्ली: चुनाव आयोग ने राज्यसभा की आठ साटों के लिए चुनाव मतदान कराए जाने की घोषणा की है. ये द्विवार्षिक चुनाव 19 जून को कराए जाएंगे. इसमें दो राज्यों असम और तमिलनाडू की आठ सीटों पर द्विवार्षिक चुनाव होने हैं. बता दें कि आठ सदस्यों का कार्यकाल समाप्त होने वाला है. ऐसे में इन सभी आठ सीटों के लिए मतदान कराए जाएंगे. वहीं मतों की गणना भी 19 जून की शाम को ही कराई जाएगी. बता दें कि इसमें असम की दो सीटों और तमिलनाडु की छह सीटों पर मतदान कराए जाएंगे.
तमिलनाडु की छह सीटों के लिए चुनाव
दरअसल, असम से दो और तमिलनाडु से छह राज्यसभा सदस्यों का कार्यकाल जून और जुलाई में समाप्त होने वाला है. ऐसे में निर्वाचन आयोग ने इन आठ सीटों के लिए 19 जून को द्विवार्षिक चुनाव कराने की घोषणा सोमवार को की है. तय परंपरा के अनुसार, मतगणना का काम भी 19 जून की शाम को ही होगा. जानकारी के मुताबिक तमिलनाडु के छह सदस्य अंबुमणि रामदास (पट्टाली मक्कल काची), एन चंद्रशेखरन (आल इंडिया अन्ना द्रविड़ मुनेत्र कषगम), एम षणमुगम (द्रविड़ मुनेत्र कषगम), पी विल्सन (द्रमुक) और वाइको (मरुमलार्ची द्रविड़ मुनेत्र कषगम) का कार्यकाल 24 जुलाई को समाप्त हो रहा है.
असम की दो सीटों के लिए चुनाव
इसी तरह असम के दो राज्यसभा सदस्य वीरेंद्र प्रसाद वैश्य (भारतीय जनता पार्टी) और मिशन रंजन दास (भाजपा) का कार्यकाल 14 जून को समाप्त हो रहा है. निर्वाचन आयोग ने कहा कि द्विवार्षिक चुनाव के लिए अधिसूचना दो जून को जारी की जाएगी.
पांच विधानसभा सीटों पर भी उपचुनाव
बता दें कि इसके अलावा देश के चार राज्यों की पांच विधानसभा सीटों पर भी उपचुनाव की घोषणा की गई है. चुनाव आयोग ने नॉटिफिकेशन जारी कर इसकी जानकारी दी है. भारत निर्वाचन आयोग ने गुजरात, केरल, पंजाब और पश्चिम बंगाल की 5 विधानसभा सीटों पर होने वाले उपचुनाव की तारीख का भी ऐलान कर दिया है. इन सभी पांच सीटों पर 19 जून को मतदान होगा. वहीं मतों की गणना 23 जून को की जाएगी.
अमित मालवीय का कांग्रेस पर हमला; 'राजनीति को प्राथमिकता दी, सुरक्षा से समझौता किया'
26 May, 2025 12:30 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की पाकिस्तान को 'कोई परमाणु ब्लैकमेल नहीं' की चेतावनी देने के बाद भाजपा ने कांग्रेस पर देश के परमाणु हितों से समझौता करने का आरोप लगाया. भाजपा नेता अमित मालवीय ने कांग्रेस को 'राष्ट्रीय सुरक्षा के बजाय अपने नजरिये को प्राथमिकता देने' के लिए आड़े हाथों लिया. उन्होंने पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की 'कमजोर विदेश नीति और सद्भावना कूटनीति में गलत विश्वास' की आलोचना की, जिसने तीन दशक पहले भारत को असहज स्थिति में डाल दिया था. भाजपा के आईटी सेल के प्रभारी मालवीय ने रविवार को इंटरनेट मीडिया पोस्ट में कहा, 'मजबूत नेतृत्व का मतलब है संप्रभुता की रक्षा करना, न कि कमजोरियों को उजागर करना.'
राजीव गांधी की आलोचना की
उन्होंने कहा, '1988 में तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने पाकिस्तान की पीएम बेनजीर भुट्टो के साथ ऐसा करार किया, जिसने भारत के परमाणु सिद्धांत से समझौता कर लिया गया.' मालवीय ने पूर्व पीएम राजीव गांधी और भुट्टो की एक तस्वीर साझा करते हुए कहा, 'भारत-पाक परमाणु समझौता (जिसका औपचारिक शीर्षक परमाणु प्रतिष्ठानों और सुविधाओं पर हमले की रोकथाम के लिए समझौता था) 31 दिसंबर, 1988 को हस्ताक्षरित हुआ.'
उन्होंने कहा, 'इस समझौते के तहत भारत और पाकिस्तान हर साल सभी परमाणु प्रतिष्ठानों की एक सूची का आदान-प्रदान करते हैं. इसका उद्देश्य अचानक हमलों को रोकना और परमाणु जोखिम को कम करना है. यह निर्णय एक कमजोर विदेश नीति और सद्भावना कूटनीति में गलत विश्वास के कारण लिया गया था, जो भारत के रणनीतिक और राष्ट्रीय सुरक्षा हितों की कीमत पर था.'
'नेट एफडीआई पर अज्ञानता उजागर'
कांग्रेस और भाजपा आर्थिक मुद्दों पर एक-दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप करते रहे, जिसमें कांग्रेस ने विदेशी प्रत्यक्ष निवेश में गिरावट का आरोप लगाया और भाजपा ने विपक्षी पार्टी की 'नेट एफडीआई' और 'अज्ञानता' पर हमला किया. कांग्रेस के सांसद जयराम रमेश ने सरकार पर विदेशी प्रत्यक्ष निवेश में कमी का आरोप लगाते हुए इंटरनेट मीडिया एक्स पर लिखा, 'हाल ही में जारी आरबीआई डाटा से पता चलता है कि 2024/25 में भारत में नेट एफडीआई प्रवाह अभूतपूर्व 96 प्रतिशत गिरकर केवल 0.4 बिलियन डॉलर रह गया है.' इस पर भाजपा के आईटी सेल के प्रभारी अमित मालवीय ने पलटवार करते हुए कहा, 'आज, विदेशी पूंजी भारत के भविष्य पर दांव लगा रही है. विपक्ष और उनके समर्थकों की 'नेट एफडीआई' पर अटूट पकड़ ना केवल आर्थिक रूप से भ्रामक है. यह या तो अज्ञानता को दर्शाती है या जानबूझकर तथ्यों को विकृत करती है.' मालवीय ने कहा, 'भारत के कुल एफडीआई प्रवाह वित्त वर्ष 25 में 81 बिलियन डॉलर है- जो वैश्विक आर्थिक अनिश्चितता और पश्चिम में मौद्रिक सख्ती के बावजूद वर्ष दर वर्ष 14 प्रतिशत की वृद्धि पर है.'
तेजप्रताप के फेसबुक पोस्ट से मचा सियासी तूफान: जेडीयू MLC नीरज कुमार का बयान, लालू कर रहे हैं सिर्फ दिखावटी राजनीति
26 May, 2025 12:12 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
बिहार: बिहार की सियासत में एक सोशल मीडिया पोस्ट के बाद बवाल मचा हुआ है. लालू प्रसाद यादव के बड़े बेटे तेज प्रताप यादव की फेसबुक पर उनके निजी जीवन को लेकर एक पोस्ट की गई थी, जिसमें बताया गया था कि वे पिछले 12 सालों से शादीशुदा जीवन जी रहे हैं. हालांकि इस पोस्ट के बाद तेज प्रताप यादव की सफाई भी सामने आई थी. उन्होंने कहा था कि उनका सोशल मीडिया हैक कर लिया गया था. पोस्ट के बाद मचे बवाल के बाद लालू यादव ने तेज प्रताप को परिवार और पार्टी से बेदखल कर दिया था. दूसरी तरफ अब सत्ता पक्ष ने तेजप्रताप की सदस्यता समाप्त करने की बात शुरू कर दी है.
लालू यादव की कार्रवाई के बाद बिहार में तेज प्रताप यादव को लेकर सियासत गर्म है. इस मामले में अब जदयू ने भी तंज कसा है. जदयू MLC नीरज कुमार ने कहा कि तेज प्रताप यादव की पार्टी से सदस्यता लालू यादव खत्म करें. उन्होंने कहा कि लालू सिर्फ तेजप्रताप यादव के खिलाफ कार्रवाई का दिखावा कर रहे हैं. राजद को तेजप्रताप की सदस्यता खत्म कराने के लिए आवेदन देना चाहिए.
भाई की सदस्यता खत्म करें तेजस्वी- जदयू
नीरज कुमार ने लालू यादव से अपनी संपत्ति का बंटवारा करने की बात कही है, उन्होंने कहा कि बंटवारे के जरिए आप ऐश्वर्या के साथ न्याय करें. लालू और तेजस्वी सिर्फ बिहार में अपना वोट बैंक संभालने के लिए अपने बेटे की बलि लेने का दिखावा कर रहे हैं. इसके साथ ही उन्होंने ये भी कहा कि ये राष्ट्रीय जनता दल का आंतरिक मामला है. नीरज ने कहा कि विधायक दल के नेता तेजस्वी यादव हैं. अगर आप ईमानदारी से कबूल कर रहे हैं तो अपने भाई का सदस्यता खत्म करिए.
तेजप्रताप के राजनीतिक भविष्य पर चर्चा शुरू
पार्टी से निकाले जाने के बाद एक तरफ जहां पक्ष उनकी सदस्यता खत्म करने की बात कह रहा है. तो वहीं दूसरी तरफ उनके राजनीतिक भविष्य पर भी चर्चा शुरू हो चुकी है. सवाल उठ रहे हैं कि पिता की कार्रवाई के बाद तेज प्रताप आगे क्या करेंगे. कई लोगों का मानना है कि आने वाले दिनों में सब कुछ सामान्य हो जाएगा, तो वहीं कई राजनीतिक जानकारों की मानें तो तेजस्वी के पास अभी कई विकल्प हैं. वे किसी अन्य राजनीतिक दल या फिर अपना भी कोई नया दल बना सकते हैं. फिलहाल पिता की कार्रवाई के बाद से अब तक तेज प्रताप यादव का कोई बयान सामने नहीं आया है. देखना होगा कि आगे क्या कदम उठाते हैं.
एमपी और हरियाणा में कांग्रेस करेगी नए जिलाध्यक्षों की नियुक्ति, पर्यवेक्षकों को सौंपी जिम्मेदारी
26 May, 2025 11:19 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
गुजरात की तर्ज पर अब मध्य प्रदेश और हरियाणा में भी कांग्रेस पार्टी जिलाध्यक्षों की नियुक्ति करने जा रही है. पार्टी ने इससे पहले दोनों राज्यों में ऑब्जर्वरों की लिस्ट जारी की है. इस लिस्ट में शामिल सदस्य जिलाध्यक्षों की नियुक्त पर चर्चा करेंगे. इसमें मध्य प्रदेश के लिए 50 ऑब्जर्वर सदस्यों की लिस्ट जारी की गई है. वहीं हरियाणा के लिए कांग्रेस ने 21 आब्जर्वर सदस्यों की लिस्ट जारी की है. कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने हरियाणा और मध्य प्रदेश में संगठन सृजन अभियान के तहत जिला कांग्रेस कमेटी के अध्यक्षों के चयन के लिए एआईसीसी पर्यवेक्षकों की नियुक्ति के प्रस्ताव को मंजूरी दी है.
एमपी में 50 ऑब्जर्वर नियुक्त
बता दें कि मध्य प्रदेश में 50 आब्जर्वर सदस्यों के नाम सामने जारी किए गए हैं. इसमें सप्तगिरि संकर उलाका, गुरदीप सिंह सप्पल, गिदुगु रूद्र राजू, अखिलेश प्रसाद सिंह, मोहम्मद आरिफ नसीम खान, यशोमति ठाकुर, आराधना मिश्रा मोना, गुरजीत सिंह औजला, सुखदेव भगत, बजन लाल जाटव, राहुल कस्वां, हरिश्चन्द्र मीना, मुरारी लाल मीना, कल्याण काले, श्यामकुमार बर्वे, अब्दुल खालिक, अजॉय कुमार, रघु शर्मा, आर. सी. खुंटिया, विवेक बंसल, मोहन मरकाम, रिपुन बोरा, राजेश ठाकुर, अनिल चौधरी, भाई जगताप, कृष्णा तीरथ, केसी पाडवी, सुनील केदार, विश्वजीत कदम, बन्ना गुप्ता, कुणाल पाटिल, एस. ए संपत कुमार, राजेश तिवारी, अभिषेक दत्त, सूरज हेगड़े, सिरिवेला प्रसाद, केवल सिंह पठानिया, सुरेश कुमार, हेमन्त ओगले, अशोक चांदना, नदीम जावेद, रोहित चौधरी, शरत राऊत, देबासिस पटनायक, संजय कपूर, बी पी सिंह, ममता भुपेश, रेहाना रेयाज़ चिश्ती, चारुलता टोकस और भैया पवार का नाम है.
हरियाणा में 21 ऑब्जर्वर नियुक्त
इसके अलावा हरियाणा के लिए 21 ऑब्जर्वर सदस्यों की लिस्ट जारी की गई है. इस लिस्ट में जगदीश ठाकुर, मनिकम टैगोर, वर्षा गायकवाड़, अमर सिंह, जी.सी. चंद्रशेखर, गिरीश चोडंकर, काजी निज़ामुद्दीन, विजय इंदर सिंगला, लालजी देसाई, चल्ला वामशी चंद रेड्डी, कुलजीत सिंह नागरा, जय सिंह अग्रवाल, रफीक खान, भुवन कापड़ी, विनोद सुल्तानपुरी, प्रकाश जोशी, मनोज चौहान, क्रिस्टोफर तिलक, जगदीश जांगिड़, श्रीनिवास बी.वी. और अमित विज के नाम हैं.
विकास की रफ्तार बढ़ाएंगे पीएम मोदी, गुजरात में 82,950 करोड़ की योजनाएं लॉन्च
26 May, 2025 10:30 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कल से गुजरात की दो दिवसीय यात्रा पर रहेंगे, जहां वे दाहोद, भुज और गांधीनगर में 82,950 करोड़ रुपये से अधिक की विकास परियोजनाओं का शिलान्यास और उद्घाटन करेंगे. इस यात्रा से गुजरात के विकास को और गति मिलने की उम्मीद है.
भुज में 53,414 करोड़ रुपये की परियोजनाएं: 26 मई को प्रधानमंत्री भुज में 53,414 करोड़ रुपये की 33 विकास परियोजनाओं का उद्घाटन और शिलान्यास करेंगे. इन परियोजनाओं में ऊर्जा क्षेत्र, ट्रांसमिशन नेटवर्क और अन्य महत्वपूर्ण बुनियादी ढांचे से जुड़ी परियोजनाएं शामिल हैं.
दाहोद में 24,000 करोड़ रुपये से अधिक की परियोजनाएं: भुज के बाद, पीएम मोदी दाहोद के खारोद में एक कार्यक्रम में भाग लेंगे, जहां वे 24,000 करोड़ रुपये से अधिक की परियोजनाओं का शुभारंभ करेंगे. इस अवसर पर, वे दाहोद में लोकोमोटिव विनिर्माण संयंत्र राष्ट्र को समर्पित करेंगे और इलेक्ट्रिक लोकोमोटिव को हरी झंडी भी दिखाएंगे. यह संयंत्र भारतीय रेलवे के लिए एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर होगा, जिससे माल ढुलाई क्षमता में वृद्धि होगी.
गांधीनगर में 5,536 करोड़ रुपये की परियोजनाएं: अपने दौरे के अगले दिन, प्रधानमंत्री गांधीनगर के महात्मा मंदिर में एक विशेष कार्यक्रम में भाग लेंगे, जिसमें विभिन्न विभागों के अंतर्गत 5,536 करोड़ रुपये की विकास परियोजनाओं का उद्घाटन और शिलान्यास किया जाएगा. यह कार्यक्रम गुजरात के शहरी विकास को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा.
गुजरात शहरी विकास की 20वीं वर्षगांठ समारोह: यह भी बताया गया है कि मंगलवार को प्रधानमंत्री गांधीनगर में गुजरात शहरी विकास की 20वीं वर्षगांठ के समारोह में भाग लेंगे और शहरी विकास वर्ष 2025 की शुरुआत करेंगे. इस अवसर पर शहरी विकास को लेकर नई योजनाओं और नीतियों की घोषणा की जा सकती है.
वंदे भारत एक्सप्रेस और अन्य ट्रेनों को हरी झंडी: इस दौरे के दौरान प्रधानमंत्री वेरावल और अहमदाबाद के बीच वंदे भारत एक्सप्रेस और वलसाड तथा दाहोद स्टेशनों के बीच एक एक्सप्रेस ट्रेन को हरी झंडी दिखाएंगे. इसके अलावा, वे आमान परिवर्तित कटोसन-कलोल खंड का भी उद्घाटन करेंगे और इस पर एक मालगाड़ी को हरी झंडी दिखाएंगे. ये ट्रेनें कनेक्टिविटी को बेहतर बनाने और यात्रियों को सुगम यात्रा का अनुभव प्रदान करने में मदद करेंगी.
दाहोद संयंत्र: 9000 एचपी के इंजनों का निर्माण: दाहोद में स्थापित लोकोमोटिव विनिर्माण संयंत्र भारत के लिए एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है. इस संयंत्र में घरेलू उद्देश्यों और निर्यात के लिए 9000 एचपी के इलेक्ट्रिक इंजनों का निर्माण किया जाएगा. ये इंजन भारतीय रेल की माल ढुलाई क्षमता बढ़ाने में मदद करेंगे. इन इंजनों को ऊर्जा की खपत को कम करने के लिए डिज़ाइन किया जा रहा है, जिससे पर्यावरणीय स्थिरता में योगदान मिलेगा. यह संयंत्र आत्मनिर्भर भारत की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है.
भुज में अल्ट्रा सुपर क्रिटिकल थर्मल पावर प्लांट: भुज में प्रधानमंत्री जिन विकास परियोजनाओं का शिलान्यास और लोकार्पण करेंगे, उनमें खावड़ा अक्षय ऊर्जा पार्क में उत्पन्न अक्षय ऊर्जा की ट्रांसमिशन (प्रसारण) परियोजनाएं, ट्रांसमिशन नेटवर्क विस्तार और तापी में एक ‘अल्ट्रा सुपर क्रिटिकल थर्मल पावर प्लांट’ शामिल हैं. यह प्लांट राज्य में बिजली उत्पादन क्षमता को बढ़ाएगा और उद्योगों को निर्बाध बिजली आपूर्ति सुनिश्चित करेगा.
कभी साथी, कभी विरोधी! राजद-कांग्रेस के रिश्तों ने 28 साल में कितना बदला सियासी समीकरण?
26 May, 2025 08:30 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
बिहार में इस साल की अंतिम तिमाही में होने वाले विधानसभा चुनावों को लेकर सरगर्मियां तेज हैं। जहां सत्तासीन एनडीए में शामिल भारतीय जनता पार्टी (भाजपा), जनता दल यूनाइटेड (जदयू), लोकजनशक्ति पार्टी (लोजपा) समेत सभी दल एकसाथ आने को लेकर प्रतिबद्धता जता चुके हैं, वहीं विपक्षी महागठबंधन में भी गठबंधन को लेकर बातचीत जारी है। कुछ समय पहले नई दिल्ली में राजद और कांग्रेस की आखिरी बैठक में लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी और कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने बिहार में नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव से मुलाकात की। बताया जाता है कि इस बैठक में दोनों पार्टियों के बीच सीट साझा करने पर चर्चाएं हुईं, हालांकि कुछ भी ठोस नहीं कहा गया। तेजस्वी ने बैठक के बाद कहा कि बिहार में इस बार एनडीए की सरकार नहीं बनने जा रही। वहीं, सांसद मनोज झा ने कहा था कि विधानसभा चुनाव के लिए महागठबंध पूरी तरह तैयार है। ऐसे में यह जानना अहम है कि आखिर कैसे बिहार में कभी अपने दम पर सरकार बनाने वाली कांग्रेस राज्य में 'सहारों' पर निर्भर हो गई? राजद और कांग्रेस के गठबंधन में साथ आने की कहानी क्या है? कब-कब दोनों दल एक साथ चुनाव लड़े और गठबंधन में दोनों का प्रदर्शन कैसा रहा? इसके अलावा कब-कब दोनों पार्टियां साथ नहीं आईं और तब उनकी सीटों का गणित क्या रहा? आइये जानते हैं...
बिहार में कैसे सहारों पर निर्भर हो गई कांग्रेस?
आजादी के बाद से ही कांग्रेस सिर्फ देश ही नहीं बल्कि राज्यों में भी मजबूत पार्टी के तौर पर उभरी। बिहार में तो कांग्रेस के बेरोकटोक शासन का आलम यह था कि 1947 से लेकर 1967 तक कांग्रेस लगातार शासन में रही। इस दौरान पार्टी के श्रीकृष्ण सिन्हा लगातार 13 साल तक मुख्यमंत्री पद पर रहे। हालांकि, 1961 में उनके निधन के बाद अगले छह साल में बिहार ने कांग्रेस के तीन और मुख्यमंत्री देखे।
1967 से 1968 का छोटा दौर छोड़ दें तो कांग्रेस 1977 तक बिहार पर राज करती रही। 1977 ही वह साल था, जब जनता पार्टी का उदय हुआ और पहली बार कांग्रेस को कर्पूरी ठाकुर के नेतृत्व से चुनौती मिली। हालांकि, इस दौर में भी अपनी तीखी राजनीति के जरिए कांग्रेस वापसी में कामयाब रही और मार्च 1990 तक शासन में सफल रही। जगन्नाथ मिश्र बिहार में कांग्रेस के आखिरी मुख्यमंत्री साबित हुए। उनके बाद न तो बिहार में कभी कांग्रेस अपना मुख्यमंत्री बना सकीऔर न ही कभी कांग्रेस अन्य दलों के मुकाबले ज्यादा सीटें हासिल कर पाई।
बिहार में कैसे लगातार घटता गया कांग्रेस का प्रभाव?
बिहार में कांग्रेस के 1990 के चुनाव में हारने की सबसे बड़ी वजह 1989 में भागलपुर में हुए दंगों को बताया जाता है। दरअसल, इस दंगे में सैकड़ों लोगों की मौत हुई थी। बिहार में तब कांग्रेस की सरकार थी। अपनी राजनीति को धार देने में लगे लालू प्रसाद यादव ने इन दंगों का इस्तेमाल कांग्रेस को घेरने के लिए शुरू किया। 1990 के विधानसभा चुनाव में जीत दर्ज कर लालू यादव की जनता दल सत्ता में आई। 1988 में अलग-अलग दलों के विलय से बना जनता दल 1990 में 324 सीटों में से 122 जीतने में सफल रहा। वहीं, कांग्रेस 71 सीटों पर सिमट गई। यहां तक कि भाजपा को इस चुनाव में 39 सीटें मिलीं।
लालू ने मुख्यमंत्री बनने के बाद बिहार में मंडल आयोग की सिफारिशों को लागू कर दिया और अपनी राजनीतिक जमीन मजबूत कर ली। मुस्लिम और यादव उनके वोटबैंक का अहम हिस्सा बन गए। लालू के इस कदम की काट कांग्रेस फिर नहीं ढूंढ पाई और राज्य में चुनाव दर चुनाव लगातार यह वोट बैंक उससे दूर ही रहा। 1990 के बाद से हुए चुनावों की ही बात कर लें तो कांग्रेस के प्रदर्शन में लगातार गिरावट हुई और उसे सरकार बनाने का मौका तक नहीं मिला।
फिर कैसे साथ आए राजद और कांग्रेस?
कांग्रेस के प्रदर्शन में 1990 में आई गिरावट 1995 के विधानसभा चुनाव में भी जारी रही। इस बार जहां लालू की जनता दल ने अपनी स्थिति मजबूत करते हुए 167 सीटें हासिल कर पूर्ण बहुमत की सरकार बनाई। वहीं, कांग्रेस अपने पिछले प्रदर्शन से भी नीचे आ गई। उसे चुनाव में सिर्फ 29 सीटें मिलीं, जबकि भाजपा 41 सीट जीतने में कामयाब हो गई।
कांग्रेस के प्रदर्शन में चली इस गिरावट के बीच पार्टी को अपनी खोई हुई जमीन भाजपा के पास जाती हुई महसूस हुई। ऐसे में 1997 में जब लालू प्रसाद यादव पर चारा घोटाले के आरोप लगे और जनता दल की सहयोगी पार्टियों का दबाव बढ़ा तो लालू ने जनता दल को तोड़कर अपना अलग राष्ट्रीय जनता दल (राजद) बना लिया। उन्होंने बिहार का मुख्यमंत्री पद छोड़ा और इस पद पर अपनी पत्नी राबड़ी देवी को बिठा दिया। हालांकि, विधानसभा में राजद के सामने बहुमत साबित करने की चुनौती पैदा हो गई। कांग्रेस ने इस मौके को लपका और राजद को समर्थन देने का फैसला किया। इस तरह जब बिहार में विश्वासमत पर वोटिंग हुई तो भले ही राजद 136 विधायकों के समर्थन से अपना पूर्ण बहुमत का आंकड़ा न दोहरा पाई हो, लेकिन कांग्रेस के समर्थन से उसने अपनी सरकार बचा ली। इस तरह कभी कट्टर प्रतिद्वंद्वी रहे लालू और कांग्रेस गठबंधन में साथ आए।
लोकसभा चुनावों में पहली बार साथ मिलकर लड़े दोनों दल
राजद और कांग्रेस के बीच बिहार विधानसभा में हुआ सहयोग आगे 1998 में हुए लोकसभा चुनाव में भी जारी रहा। दोनों दलों ने पहली बार मिलकर चुनाव लड़ने का फैसला किया। तब अविभाजित बिहार (झारखंड भी शामिल) में 54 लोकसभा सीटें हुआ करती थीं। लालू ने इनमें से कांग्रेस के लिए महज आठ सीटें छोड़ीं। कांग्रेस ने चार पर जीत भी हासिल कर ली।
फिर चलता रहा राजद-कांग्रेस में कभी हां-कभी न का खेल
1998 के लोकसभा चुनाव के प्रदर्शन से आत्मविश्वास हासिल कर चुकी कांग्रेस ने 1999 के लोकसभा चुनाव में 13 सीटों पर चुनाव लड़ा। हालांकि, उसे जीत मिली सिर्फ दो सीटों पर। यहां से राजद और कांग्रेस में तल्खी बढ़ना शुरू हो गई।
2000: चुनाव अलग-अलग लड़े, नतीजों के बाद साथ आ गए
अब साल आ चुका था 2000, जब बिहार में विधानसभा चुनाव होने थे। कांग्रेस इस चुनाव में एक बार फिर अकेले ही खड़ी हुई। 2000 के विधानसभा चुनाव में लालू प्रसाद यादव पर लगे चारा घोटाले के आरोपों का असर राजद की छवि पर भी पड़ा और पार्टी की सीटों की संख्या 124 पर आ गई। वहीं, भाजपा ने 67 सीटें हासिल कीं। इस चुनाव में नीतीश कुमार ने समता पार्टी को भी बल दिया और उसे 34 सीटें मिलीं। हालांकि, कांग्रेस का प्रदर्शन 1995 के 29 सीटों से भी खराब हो गया। उसे 2000 में सिर्फ 23 सीटें मिलीं।
आखिरकार बिहार में जोड़तोड़ की राजनीति शुरू हुई और समता पार्टी के नीतीश कुमार भाजपा और कुछ अन्य दलों के समर्थन से पहली बार मुख्यमंत्री बन गए। हालांकि, उनके पास कुल-मिलाकर भी महज 151 विधायकों का ही समर्थन था, जो कि बहुमत के आंकड़े 163 से कम ही था। इसके चलते नीतीश को 7 दिन में ही अपना पद छोड़ना पड़ा। इस बीच लालू ने कांग्रेस और कुछ अन्य दलों से बात कर के बहुमत लायक समर्थन जुटा लिया। इस तरह बिहार की कमान एक बार फिर राजद के हाथों में आ गई और राबड़ी देवी फिर मुख्यमंत्री बनीं।
झारखंड के बंटवारे के बाद 2004 में हुए लोकसभा चुनाव में सहयोगी दल का धर्म निभाते हुए राजद-कांग्रेस ने साथ ही रहने का फैसला किया। साथ ही रामविलास पासवान भी लोकसभा में साथ आए। सीटों के बंटवारे में राजद ने 26 सीट लीं, वहीं लोक जनशक्ति पार्टी को 8 सीटें दीं। कांग्रेस को महज चार सीटें दी गईं। इनमें से तीन में कांग्रेस को जीत मिली। केंद्र में कांग्रेस गठबंधन की सरकार बनी और गठबंधन के साथी लालू प्रसाद यादव और रामविलास पासवान केंद्र सरकार में मंत्री बने।
फरवरी 2005: कांग्रेस-लोजपा ने राजद के अकेला छोड़ा, सबका काम बिगड़ा
केंद्र में अपनी सरकार बनने के बाद बिहार में कांग्रेस ने अकेले ही स्थानीय दलों को चुनौती देने की ठानी। कांग्रेस ने 2005 में विधानसभा चुनाव में राजद का साथ छोड़ दिया और लोजपा का हाथ थामा। फरवरी 2005 के चुनाव में किसी भी पार्टी को बहुमत नहीं मिला और राजद (75 सीट) के सबसे बड़ा दल बनने के बावजूद रामविलास पासवान के न मानने से बिहार में सरकार ही नहीं बन सका। कांग्रेस को इसमें 10 सीटें हासिल हुई थीं।
अक्तूबर 2005: 'देर आए, पस्त आए' हुआ राजद-कांग्रेस का गठबंधन
राष्ट्रपति शासन के बाद बिहार में अक्तूबर 2005 में फिर चुनाव कराए गए। राजद और कांग्रेस ने फरवरी में हुए चुनाव से बेहतर प्रदर्शन और सरकार बनाने की मंशा के साथ गठबंधन किया। चुनाव में बार-बार गठबंधन बना रही राजद-कांग्रेस को झटका लगा और जहां लालू की पार्टी महज 54 सीटों पर सिमट गई। वहीं, कांग्रेस नौ सीटें हासिल कर पाई। इन चुनावों में एनडीए की सरकार बनी। यहीं से बिहार में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का दौर शुरू हुआ, जो अब तक जारी है।
इसके बाद 2009 में हुए लोकसभा चुनावों में कांग्रेस और राजद के बीच सीट बंटवारे पर बात नहीं बन पाई। पार्टी ने बिहार में अकेले चुनाव लड़ा और महज दो सीटें ही हासिल कर पाई। यानी एक बार फिर बिहार में कांग्रेस अपनी छाप छोड़ने में नाकाम रही।
2010: जब अस्तित्व के लिए 'आखिरी बार' अकेले लड़ी कांग्रेस
2010 के विधानसभा चुनाव में भी कांग्रेस और राजद के बीच तल्खी जारी रही। कांग्रेस अकेले मैदान में उतरी। नीतीश कुमार के बेहतर काम से प्रभावित बिहार ने इस चुनाव में राजद की सीटें 54 के आंकड़े पर सिमट गईं, जबकि कांग्रेस महज 4 सीटें ही जीत पाई। 2014 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस ने फिर से राजद के साथ जाने का फैसला किया। लेकिन 2014 के लोकसभा चुनाव में हवा कांग्रेस के खिलाफ थी। नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में एनडीए ने बिहार में जबरदस्त जीत हासिल की। राजद ने इस चुनाव में 27 सीटों पर चुनाव लड़ा और उसे सिर्फ चार सीट मिलीं, जबकि कांग्रेस ने 12 सीटों पर उम्मीदवार उतारे और 2 सीटें हासिल कीं।
2015: एनडीए से अलग हुए नीतीश के नेतृत्व में साथ लड़ा महागठबंधन
साल 1995 के बाद कांग्रेस का सबसे बेहतरीन प्रदर्शन 2015 के विधानसभा चुनाव में आया। दरअसल, इस बार नरेंद्र मोदी के विरोध में एनडीए से अलग हुए नीतीश कुमार ने राजद और कांग्रेस का साथ थामा। तीनों ही दलों ने साथ चुनाव लड़ते हुए अपनी दम पर पूर्ण बहुमत हासिल किया। इस चुनाव में राजद सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी और उसे 80 सीटें हासिल हुईं। कांग्रेस के लिए यह गठबंधन संजीवनी की तरह साबित हुआ और उसे 27 सीटों पर जीत मिली।
2019 के लोकसभा चुनाव में यूं तो नीतीश कुमार एक बार फिर भाजपा के साथ एनडीए से जुड़ गए, लेकिन राजद और कांग्रेस का गठबंधन जारी रहा। हालांकि, दोनों ही दलों को गठबंधन का कुछ खास फायदा नहीं हुआ और कांग्रेस को राज्य में महज एक सीट मिली। वहीं, राजद का खाता तक नहीं खुला।
2020: बरकरार रहा कांग्रेस-राजद का गठबंधन, एनडीए को मिली कड़ी चुनौती
2020 का विधानसभा चुनाव अपने आप में कई मायनों में खास रहा। सत्ताधारी एनडीए 125 सीट हासिल करने में सफल रही। वहीं, महागठबंधन 110 सीटों पर पहुंच गया। राजद इस चुनाव में 75 सीट के साथ सबसे बड़ा दल बना, वहीं कांग्रेस ने 70 सीटों पर चुनाव लड़ा और महज 19 सीट ही हासिल कर पाई।
इस चुनाव में राजद-कांग्रेस के साथ रहने का असर यह हुआ कि सिर्फ कुछ विधायकों या एक पार्टी के इधर-उधर होने से पूरी सरकार पर खतरा पैदा होने की आशंका लगातार बनी रही। 2020 से 2025 के बीच दो बार ऐसा हुआ भी। नीतीश कुमार पहले एनडीए छोड़कर महागठबंधन का हिस्सा बने और सरकार बदल गई। इसके बाद 2024 में नीतीश ने फिर पलटी मारी और एनडीए के साथ जुड़ गए।
लालू यादव ने बड़े बेटे तेज प्रताप को पार्टी और परिवार से किया बेदखल, चुनावी साल में बड़ी उथल-पुथल
25 May, 2025 08:34 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
Tej Pratap Yadav: बिहार में इस साल विधानसभा चुनाव होने है। विधानसभा चुनाव से पहले राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव ने अपने बड़े बेटे तेज प्रताप यादव के खिलाफ बड़ा एक्शन लिया है। रविवार को राजद सुप्रीमो ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर पोस्ट कर बताया कि तेज प्रताप यादव को पार्टी से 6 साल के लिए निष्कासित कर दिया है। उन्होंने एक्स पर लिखा- निजी जीवन में नैतिक मूल्यों की अवहेलना करना हमारे सामाजिक न्याय के लिए सामूहिक संघर्ष को कमज़ोर करता है। ज्येष्ठ पुत्र की गतिविधि, लोक आचरण तथा गैर जिम्मेदाराना व्यवहार हमारे पारिवारिक मूल्यों और संस्कारों के अनुरूप नहीं है।
राजद सुप्रीमो ने आगे लिखा- उपरोक्त परिस्थितियों के चलते उसे पार्टी और परिवार से दूर करता हूं। अब से पार्टी और परिवार में उसकी किसी भी प्रकार की कोई भूमिका नहीं रहेगी। उसे पार्टी से 6 साल के लिए निष्कासित किया जाता है।
लालू प्रसाद यादव ने एक्स पर लिखा- अपने निजी जीवन का भला -बुरा और गुण-दोष देखने में वह स्वयं सक्षम है। उससे जो भी लोग संबंध रखेंगे वो स्वविवेक से निर्णय लें। लोकजीवन में लोकलाज का सदैव हिमायती रहा हूँ। परिवार के आज्ञाकारी सदस्यों ने सावर्जनिक जीवन में इसी विचार को अंगीकार कर अनुसरण किया है।
तेजप्रताप यादव को पार्टी से निष्कासित करने पर बिहार विधानसभा के नेता प्रतिपक्ष और RJD नेता तेजस्वी यादव ने कहा हमें ये सब अच्छा नहीं लगता है ना हम इसे बर्दाश्त करते हैं। हम बिहार की जनता के लिए काम कर रहे हैं, जनता के सुख-दुख में हम भाग ले रहे हैं। जहां तक मेरे बड़े भाई की बात है, राजनीतिक और निजी जीवन अलग होता है।
तेजस्वी यादव ने कहा निजी जीवन के निर्णय लेने का उनका अधिकार है। राष्ट्रीय अध्यक्ष दल के नेता है, उन्होंने अपने ट्वीट के माध्यम से अपनी भावनाएं स्पष्ट कर दी है। हम ऐसी चीजों को पसंद नहीं करते हैं।
‘हिंदू मजबूत होंगे तभी…’, RSS चीफ मोहन भागवत ने ऐसा क्यों कहा
25 May, 2025 06:02 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
Mohan Bhagwat: राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत ने एक बार फिर हिंदुओं की एकता पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि भारत की एकता ही हिंदुओं की सुरक्षा की गारंटी हैं। उन्होंने कहा कि सुरक्षा की शुरुआत समाज से होती है, सिर्फ राज्य से नहीं। मोहन भागवत ने कहा कि हिंदू समाज और भारत एक-दूसरे से गहराई से जुड़े हुए है और हिंदू समाज जब सशक्त होगा, तभी भारत गौरव प्राप्त करेगा।
हिंदुओं को आत्मरक्षा के लिए तैयार रहने की दी सलाह
इस दौरान मोहन भागवत ने हिंदुओं को आत्मरक्षा के लिए तैयार रहने की भी सलाह दी। मोहन भागवत ने कहा कि आपकों खुद अपनी रक्षा करनी होगी, दूसरों का इंतजार मत करिए। जब हिंदू मजबूती से खड़े होते हैं तब दुनिया उन्हें गंभीरता से लेती है।
हिंदू समाज की आंतरिक शक्ति बढ़ रही
RSS चीफ ने आगे कहा कि हिंदू समाज की आंतरिक शक्ति बढ़ रही है। इसके साथ ही संगठन का विस्तार इस शक्ति को और व्यापक रूप देगा। जब तक हम यह लक्ष्य हासिल नहीं कर लेते तब तक यह लड़ाई जारी रहेगी।
बांग्लादेश में हिंदुओं पर हुआ अत्याचार
मोहन भागवत ने बांग्लादेश और पाकिस्तान में हिंदुओं पर हो रहे अत्याचार को लेकर भी बात कही। उन्होंने कहा कि बांग्लादेश में हिंदुओं पर अत्याचार हुआ। इस अत्याचार के खिलाफ जो आक्रोश सामने आया वह पहले कभी नहीं देखा गया। उन्होंने कहा कि अब बांग्लादेश के हिंदू कह रहे हैं- हम भागेंगे नहीं, अपने अधिकारों के लिए लड़ेंगे।
जाति और पंथ के विभाजन से ऊपर उठने की आवश्यकता
हिंदुओं को एकता पर जोर देते हुए मोहन भागवत ने कहा कि सनातन धर्म के सच्चे सार को संरक्षित करने के लिए लोगों को जाति और पंथ के विभाजन से ऊपर उठने की आवश्यकता है।
‘ऑपरेशन सिंदूर ने दुनिया भर में आतंक के खिलाफ लड़ाई को नया विश्वास और उत्साह दिया’
25 May, 2025 03:31 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने रविवार को कहा कि ‘ऑपरेशन सिंदूर’ ने दुनिया-भर में आतंक के खिलाफ़ लड़ाई को नया विश्वास और उत्साह दिया है क्योंकि हमारे जवानों ने आतंक के अड्डों को तबाह किया, यह उनका अदम्य साहस था और उसमें आत्मनिर्भर भारत के संकल्प के साथ भारत में बने हथियारों, उपकरणों और प्रौद्योगिकी की की ताकत शामिल थी। पीएम मोदी ने आकाशवाणी पर अपने मासिक कार्यक्रम ‘मन की बात’ की 122वीं कड़ी में कहा कि आज पूरा देश आतंकवाद के खिलाफ एकजुट है, आक्रोश से भरा हुआ है, संकल्पबद्ध है। आज हर भारतीय का आतंकवाद को खत्म करने का संकल्प है। ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के दौरान हमारी सेनाओं ने जो पराक्रम दिखाया है उसने हर हिंदुस्तानी का सिर ऊंचा कर दिया है। जिस सटीकता के साथ हमारी सेनाओं ने सीमा पार के आतंकवादी ठिकानों को ध्वस्त किया वो अद्भुत है। ‘ऑपरेशन सिंदूर’ ने दुनिया-भर में आतंक के खिलाफ़ लड़ाई को नया विश्वास और उत्साह दिया है।
उन्होंने कहा कि ‘ऑपरेशन सिंदूर’ सिर्फ एक सैन्य मिशन नहीं है ये हमारे संकल्प, साहस और बदलते भारत की तस्वीर है और इस तस्वीर ने पूरे देश को देश-भक्ति के भावों से भर दिया है, तिरंगे में रंग दिया है। देश के कई शहरों में, गावों में, छोटे-छोटे कस्बों में, तिरंगा यात्राएं निकाली गई। हजारों लोग हाथों में तिरंगा लेकर देश की सेना, उसके प्रति वंदन-अभिनंदन करने निकल पड़े। कितने ही शहरों में बड़ी संख्या में युवा एकजुट हो गए और सोशल मीडिया पर कविताएं लिखी जा रही थीं, संकल्प गीत गाये जा रहे थे। छोटे-छोटे बच्चे पेंटिंग बना रहे थे जिनमें बड़े सन्देश छुपे थे।
पीएम मोदी ने कहा ‘मैं अभी तीन दिन पहले बीकानेर गया था। वहां बच्चों ने मुझे ऐसी ही एक पेंटिंग भेंट की थी। ‘ऑपरेशन सिंदूर’ ने देश के लोगों को इतना प्रभावित किया है कि कई परिवारों ने इसे अपने जीवन का हिस्सा बना लिया है। बिहार के कटिहार में उत्तर प्रदेश के कुशीनगर में और भी कई शहरों में, उस दौरान जन्म लेने वाले बच्चों का नाम ‘सिंदूर’ रखा गया है। उन्होंने कहा कि हमारे जवानों ने आतंक के अड्डों को तबाह किया, यह उनका अदम्य साहस था और उसमें शामिल थी। भारत में बने हथियारों, उपकरणों और प्रौद्योगिकी की ताकत। उसमें ‘आत्मनिर्भर भारत’ का संकल्प भी था। हमारे इंजीनियर, हमारे टेक्नीशियन हर किसी का पसीना इस विजय में शामिल है। इस अभियान के बाद पूरे देश में ‘वोकल फॉर लोकल’को लेकर एक नई ऊर्जा दिख रही है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि कई बातें मन को छू जाती हैं। एक मां-बाप ने कहा ‘अब हम अपने बच्चों के लिए सिर्फ भारत में बने खिलौने ही लेंगे। देश-भक्ति की शुरुआत बचपन से होगी।’ कुछ परिवारों ने शपथ ली है ‘हम अपनी अगली छुट्टियाँ देश के किसी खूबसूरत जगह में ही बिताएंगे।’ कई युवाओं ने ‘भारत में शादी करने’ का संकल्प लिया है, वे देश में ही शादी करेंगे। किसी ने ये भी कहा है ‘अब जो भी उपहार देंगे, वह किसी भारतीय शिल्पकार के हाथों से बना होगा।’
पीएम मोदी ने कहा कि भारत की असली ताकत ‘जन-मन का जुड़ाव, जन-भागीदारी।’ उन्होंने देशवासियों से देश में बनी चीजों को प्राथमिकता देने का संकल्प लेने की अपील करते हुये कहा कि यह सिर्फ़ आर्थिक आत्मनिर्भरता की बात नहीं है, यह राष्ट्र के निर्माण में भागीदारी का भाव है। हमारा एक कदम भारत की प्रगति में बहुत बड़ा योगदान बन सकता है।’
मनीष सिसोदिया ने गुजरात में मनरेगा में हुए घोटाले पर गुजरात सरकार के मंत्री से मांगा इस्तीफा
25 May, 2025 01:40 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
नई दिल्ली । गुजरात में हुए मनरेगा घोटाले पर आम आदमी पार्टी के वरिष्ठ नेता और पंजाब के प्रभारी मनीष सिसोदिया ने कहा कि भाजपा सरकार के पंचायती राज मंत्री के बेटों ने कंपनियां बना कर दाहोद में मनरेगा का काम लिया, लेकिन काम नहीं किया और 71 करोड़ रुपए हड़प लिए। अब वे पुलिस की गिरफ्त में हैं, लेकिन भाजपा ने अपने मंत्री का न इस्तीफा लिया और न कोई कार्रवाई की। वहीं, अरविंद केजरीवाल के मार्गदर्शन में पंजाब की आप सरकार ने भ्रष्टाचार की जानकारी होते ही अपने विधायक को गिरफ्तार करा दिया।
मनीष सिसोदिया ने शनिवार को पार्टी मुख्यालय में प्रेस वार्ता कर कहा कि पंजाब में शुक्रवार को जब “आप” के एक विधायक ने जनता के साथ गड़बड़ की और भ्रष्टाचार किया, तो भगवंत मान की सरकार ने अरविंद केजरीवाल के मार्गदर्शन में तत्काल कार्रवाई की।
सिसोदिया ने आगे कहा कि “आप” की सरकार ने अपने ही विधायक के खिलाफ कार्रवाई में कोई कोताही नहीं बरती। यही अरविंद केजरीवाल की राजनीति है और यही भगवंत मान की सरकार का मंत्र रहा है। साथ ही दिल्ली में उनकी सरकार का भी यही उद्देश्य था कि भ्रष्टाचार बिल्कुल बर्दाश्त नहीं होगा। भ्रष्टाचार में कोई भी लिप्त पाया जाएगा और जनता के साथ गद्दारी करेगा, उसे छोड़ा नहीं जाएगा, चाहे वह कहीं हो और कोई भी हो।
मनीष सिसोदिया ने आगे कहा कि गुजरात के दाहोद में मनरेगा में भ्रष्टाचार का मामला सामने आया है। मीडिया में भी थोड़ा-बहुत चर्चा में आया कि गुजरात के पंचायती राज मंत्री बच्चूभाई खाबड़ के बेटों ने अपने ही पिता के विभाग के पैसे उड़ा दिए। दाहोद में 71 करोड़ रुपये का मनरेगा घोटाला हुआ है। मंत्री बच्चू भाई खाबड़ के बेटे बलदेव और किरण और उनका भतीजा भ्रष्टाचार के आरोप में पकड़े गए हैं।
मनीष सिसोदिया ने सवाल उठाते हुए कहा कि जब मंत्री खुद अपनी कुर्सी पर बने हुए हैं और उनके बेटे उनके ही विभाग में भ्रष्टाचार के आरोप में गुजरात पुलिस की गिरफ्त में हैं, तो मंत्री जी का इस्तीफा क्यों नहीं लिया जा रहा? भाजपा अपने मंत्री से इस्तीफा क्यों नहीं ले रही? इसके पीछे क्या वजह है?
मन की बात’ में PM मोदी ने सुनाई ‘काटेझरी’ की कहानी, जहां आजादी के 77 साल बाद पहुंची बस
25 May, 2025 01:32 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा है कि माओवादी हिंसा के खिलाफ सामूहिक लड़ाई की सफलता बाद अब हिंसा से प्रभावित जगहों पर सामान्य सुविधाएं पहुंचने लगीं हैं और दंतेवाड़ा जैसे जिले खेल एवं शिक्षा के क्षेत्र में ऊंचाई हासिल कर रहे हैं। पीएम मोदी ने आकाशवाणी पर प्रसारित होने वाले मासिक कार्यक्रम ”मन की बात” के 122वें अंक में कहा, ”बस से कहीं आना-जाना कितनी सामान्य बात है। लेकिन मैं आपको एक ऐसे गांव के बारे में बताना चाहता हूं जहां पहली बार एक बस पहुंची। इस दिन का वहां के लोग वर्षों से इंतजार कर रहे थे और जब गांव में पहली बार बस पहुंची तो लोगों ने ढ़ोल-नगाड़े बजाकर उसका स्वागत किया। बस को देखकर लोगों की खुशी का ठिकाना नहीं था। गांव में पक्की सड़क थी, लोगों को जरूरत थी, लेकिन पहले कभी यहां बस नहीं चल पाई थी। क्योंकि ये गांव माओवादी हिंसा से प्रभावित था। यह जगह है महाराष्ट्र के गढ़चिरौली जिले में और इस गांव का नाम है, काटेझरी। काटेझरी में आए इस परिवर्तन को आसपास के पूरे क्षेत्र में महसूस किया जा रहा है। अब यहां हालात तेजी से सामान्य हो रहे हैं। माओवाद के खिलाफ सामूहिक लड़ाई से अब ऐसे क्षेत्रों तक भी बुनियादी सुविधाएं पहुंचने लगी है। गांव के लोगों का कहना है कि बस के आने से उन लोगों का जीवन बहुत आसान हो जाएगा।”
पीएम मोदी ने कहा कि हम छत्तीसगढ़ में हुए बस्तर ओलंपिक और माओवाद प्रभावित क्षेत्रों में विज्ञान प्रयोगशाला पर चर्चा कर चुके हैं। यहां के बच्चों में विज्ञान के प्रति लगाव है। वो खेलों में भी कमाल कर रहे हैं। ऐसे प्रयासों से पता चलता है कि इन इलाकों में रहने वाले लोग कितने साहसी होते हैं। इन लोगों ने तमाम चुनौतियों के बीच अपने जीवन को बेहतर बनाने की राह चुनी है।
प्रधानमंत्री ने कहा, ”मुझे यह जानकार भी बहुत खुशी हुई कि 10वीं और 12वीं की परीक्षाओं में दंतेवाड़ा जिले के नतीजे बहुत शानदार रहे हैं। करीब 95 प्रतिशत के साथ ये जिला 10वीं के नतीजों में शीर्ष पर रहा। वहीं 12वीं की परीक्षा में इस जिले ने छत्तीसगढ़ में छठा स्थान हासिल किया। सोचिए , जिस दंतेवाड़ा में कभी माओवाद चरम पर था वहां आज शिक्षा का परचम लहरा रहा है। ऐसे बदलाव हम सभी को गर्व से भर देते हैं।”