विदेश
कोलंबिया के राष्ट्रपति की कोकीन को कानूनी मान्यता देने से आशय
9 Feb, 2025 10:30 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
बोगोटा,। कोलंबिया के राष्ट्रपति गुस्तावो पेट्रो ने ड्रग्स तस्करी रोकने के लिए एक बड़ा सुझाव दिया है। उन्होंने कहा कि अगर व्हिस्की को कानूनी रूप से बेच सकते है, तब कोकीन को भी वैध किया जाना चाहिए। उनका मानना है कि इससे अवैध ड्रग नेटवर्क खत्म किया जा सकता है। पेट्रो ने कहा कि कोकीन को गैरकानूनी इसलिए माना जाता है क्योंकि यह लैटिन अमेरिका में बनती है, न कि इसलिए कि यह व्हिस्की से अधिक हानिकारक है। उन्होंने वैज्ञानिक शोधों का हवाला देकर दावा किया कि कोकीन को उतना खतरनाक नहीं पाया गया है, जितना कि कोकिन को दिखाया जाता है।
पेट्रो का कहना है कि अगर कोकीन को कानूनी कर दिया जाए, तब इसके माफिया नेटवर्क को आसानी से खत्म कर सकते है। उन्होंने कहा, यदि दुनिया में शांति चाहिए, तो मादक पदार्थों की तस्करी को खत्म करना होगा। उन्होंने अमेरिका में तेजी से बढ़ रहे फेंटानिल संकट पर भी बात की। पेट्रो ने कहा कि फेंटानिल कोलंबिया में नहीं बनता, बल्कि उत्तरी अमेरिकी कंपनियों द्वारा निर्मित एक दवा है, जिसका दुरुपयोग हो रहा है।
यह बयान तब समय आया है जब कोलंबिया और अमेरिका के बीच रिश्ते तनावपूर्ण बने हैं। हाल ही में पेट्रो ने अमेरिका की दो सैन्य उड़ानों को लैंडिंग की अनुमति नहीं दी थी और अमेरिका पर कोलंबियाई प्रवासियों के साथ अपराधियों जैसा व्यवहार करने का आरोप लगाया था।
यूक्रेन के जर्जिस्क शहर पर रूस का कब्जा
9 Feb, 2025 09:30 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
कीव। रूस के रक्षा मंत्रालय ने एक वीडियो जारी कर यूक्रेन के जर्जिस्क शहर पर कब्जे का दावा किया। यूक्रेन के डोनेट्स्क क्षेत्र में स्थित इस शहर पर रूस ने कब्जा कर लिया है। जर्जिस्क के अलावा रूस ने यहां मौजूद दो गांव द्रुज्बा और क्रिम्सकोये पर भी कंट्रोल की बात कही।
रूसी सेना ने कहा है कि यूक्रेन ने शहर की रक्षा के लिए लगभग 40,000 सैनिकों को तैनात किया था। 5 महीने की लड़ाई में इसमें से 26,000 सैनिक की मौत हो गई। वीडियो फुटेज में रूसी ड्रोन्स को यूक्रेनी रसद और सैनिकों को निशाना बनाते देखा गया। रूस की डिफेंस मिनिस्ट्री ने कहा कि यूक्रेनी सेना ने शहर की लगभग हर इमारत को किले में तब्दील कर दिया था। शहर के उत्तरी और पश्चिमी हिस्से की रक्षा करने के लिए कई तरह की तकनीक अपनाई गई थी।
ट्रंप सरकार ने भारत को सौंपी 295 भारतीयों के नाम की सूची, जल्द होंगे डिपोर्ट
9 Feb, 2025 08:30 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
नई दिल्ली/अमेरिका । अमेरिका में डोनाल्ड ट्रंप ने सत्ता संभालते ही पूरी दुनिया को हिलाकर रख दिया। अपनी नीतियों को तत्काल लागू करना शुरू कर दिया है। इनमें अवैध प्रवासियों को देश से बहार निकालना भी एक है। कुछ दिनों पहले ही अमेरिका ने 104 भारतीयों को वापस भारत भेजा था। इनके पास यूएसए में रहने के लिए वैध दस्तावेज नहीं थे। अब एक बार फिर से ट्रंप सरकार ने भारत को ऐसे लोगों की लंबी-चौड़ी लिस्ट सौंपी है। इसमें 295 भारतीयों के नाम हैं, जिनके पास कथित तौर पर अमेरिका में रहने के लिए वैलिड डॉक्यूमेंट नहीं हैं। अमेरिकी अथॉरिटी का आरोप है कि ये लोग अवैध तरीके से अमेरिका में दाखिल हुए थे। फिलहाल इनलोगों का वेरिफिकेशन किया जा रहा है। प्रोसेस शुरू होने के बाद उन्हें भारत डिपोर्ट किया जाएगा।
इससे पहले अमेरिका ने 104 ऐसे भारतीयों को इंडिया डिपोर्ट किया था, जो बिना वैध दस्तावेज के वहां रह रहे थे। अमेरिका का मानना है कि इन लोगों ने कानूनी तरीकों का पालन न करते हुए देश में दाखिल हुए थे और यहां आकर रहने लगे थे। ट्रंप सरकार ने अवैध तरीके से देश में दाखिल हुए लोगों को वापस उनके देश भेजने की नीति पर अमल करना शुरू कर दिया। हालांकि, अमेरिका ने जिस तरह से भारतीयों को वापस भेजा है, उसको लेकर काफी आलोचनाएं हुई हैं। भारतीयों को हथकड़ी में जकड़ कर भारत भेजा गया था। सभी 104 भारतीयों को आर्मी के स्पेशल एयरक्राफ्ट से अमृतसर भेजा गया था। बताया जा रहा है कि ये 295 भारतीय वैसे 487 लोगों में शामिल हैं, जिनके बारे में अमेरिका को लगता है कि वे भारतीय हैं और बिना वैलिड डॉक्यूमेंट के वहां रह रहे हैं।
फॉरेन सेक्रेटरी विक्रम मिस्री ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की फ्रांस यात्रा पर विस्तृत जानकारी दी। उन्होंने कहा, ‘फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों के निमंत्रण पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 10 से 12 फरवरी 2025 तक फ्रांस की यात्रा पर रहेंगे। यह यात्रा फ्रांस द्वारा आयोजित आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस शिखर सम्मेलन के आयोजन के अवसर पर हो रही है। पीएम मोदी फ्रांस के राष्ट्रपति मैक्रों के साथ इस AI एक्शन शिखर सम्मेलन की को-चेयरमैनशिप करेंगे। प्रधानमंत्री मोदी 10 फरवरी की शाम को पेरिस पहुंचेंगे। वह उसी शाम राष्ट्रपति मैक्रों द्वारा सरकार के प्रमुखों और राष्ट्राध्यक्षों के सम्मान में एलिसी पैलेस में आयोजित रात्रिभोज में शामिल होंगे।
कनाडा-अमेरिका एक होंगे? ट्रूडो के ‘51वें राज्य’ वाले बयान से उठे कई सवाल
8 Feb, 2025 05:33 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने शुक्रवार को कहा कि अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की तरफ से कनाडा को अमेरिका का 51वां राज्य बनाने की बात वास्तव में सच हो सकती है। बता दें कि, कनाडा की रिपोर्ट के मुताबिक, ट्रूडो ने व्यापार और श्रमिक नेताओं के साथ एक बंद कमरे में बैठक के दौरान यह टिप्पणी की थी। लेकिन गलती से यह बातचीत एक लाउडस्पीकर पर प्रसारित हो गई। रिपोर्ट के अनुसार, ट्रूडो ने कहा, डोनाल्ड ट्रंप के दिमाग में यह बात है कि इसे (कनाडा को) हड़पने का सबसे आसान तरीका है कि इसे अमेरिका में मिला लिया जाए। और यह सच में एक वास्तविक योजना हो सकती है। उन्होंने यह भी कहा कि अमेरिका कनाडा के प्राकृतिक संसाधनों को लेकर बहुत ज्यादा दिलचस्पी रखता है।
क्या डोनाल्ड ट्रंप की पुरानी मंशा?
अमेरिका के नए राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप कई बार सार्वजनिक रूप से यह सुझाव दे चुके हैं कि कनाडा को अमेरिका का हिस्सा बन जाना चाहिए। वहीं अल्बर्टा फेडरेशन ऑफ लेबर के अध्यक्ष गिल मैकगवान ने भी एक्स पर पुष्टि की कि ट्रूडो ने यह बयान दिया था। उन्होंने लिखा: 'ट्रूडो का आकलन यह है कि ट्रंप को असली चिंता फेंटानाइल या अवैध प्रवास की नहीं, बल्कि कनाडा पर हावी होने या इसे पूरी तरह से अमेरिका में मिलाने की है।'
ट्रंप की नई धमकी: भारी टैरिफ लगाने की चेतावनी
शुक्रवार को सार्वजनिक बयान में पीएम ट्रूडो ने कहा कि ट्रंप की धमकी को देखते हुए कनाडा को सोच-समझकर रणनीति बनानी होगी। बता दें कि, डोनाल्ड ट्रंप ने हाल ही में कनाडा और मैक्सिको से आयात पर 25% टैरिफ लगाने की धमकी दी थी। हालांकि, उन्होंने 30 दिनों की छूट दी है, ताकि दोनों देश अवैध प्रवास और नशीली दवाओं की तस्करी रोकने के लिए सख्त कदम उठाएं। अगर अमेरिका 30 दिनों के बाद टैरिफ लागू करता है, तो कनाडा ने $109 बिलियन अमेरिकी डॉलर(लगभग ₹9 लाख करोड़) के अमेरिकी उत्पादों पर 25% टैरिफ लगाने की योजना बनाई है। ट्रूडो ने कहा कि कनाडा को अपनी आंतरिक व्यापार बाधाओं को खत्म करना चाहिए और दूसरे देशों के साथ व्यापार को मजबूत करना चाहिए।
दुनिया के सबसे मजबूत और कमजोर पासपोर्ट: भारत 80वें नंबर पर, अफगानिस्तान सबसे नीचे
8 Feb, 2025 03:46 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
सिंगापुर का पासपोर्ट अब दुनिया का सबसे ताकतवर पासपोर्ट बन गया है, जो 193 देशों में बिना वीजा के प्रवेश की सुविधा देता है. वहीं, भारतीय पासपोर्ट की रैंकिंग 80वें स्थान पर है. अफगानिस्तान का पासपोर्ट सबसे कमजोर माना गया है, जो सिर्फ 25 देशों में बिना वीजा के प्रवेश की अनुमति देता है.
यह रिपोर्ट पार्टनर्स पासपोर्ट के तहत जारी की गई है, जिसमें दुनिया के 199 पासपोर्टों की रैंकिंग उन गंतव्यों की संख्या के आधार पर की गई है जहां वे वीजा-मुक्त प्रवेश पा सकते हैं. हेन्ले एंड पार्टनर्स ने इस डेटा को इंटरनेशनल एयर ट्रांसपोर्ट एसोसिएशन (IATA) से लिया है.
सिंगापुर ने किया कमाल
इस लिस्ट में सिंगापुर ने जापान और दक्षिण कोरिया को पीछे छोड़ दिया है, जो 190 देशों में वीजा-मुक्त प्रवेश की सुविधा देते हैं. जापान ने कोविड लॉकडाउन के बाद चीन में भी वीजा-मुक्त एंट्री हासिल की है, जिससे यह दूसरे स्थान पर बना हुआ है. तीसरे स्थान पर 7 देश जैसे डेनमार्क, फिनलैंड, फ्रांस, जर्मनी, आयरलैंड, इटली और स्पेन हैं, जिनके पासपोर्ट 189 देशों में बिना वीजा के जा सकते हैं.
अफगानिस्तान का पासपोर्ट सबसे कमजोर
अफगानिस्तान इस सूची में 99वें स्थान पर है, जिसका पासपोर्ट सिर्फ 25 देशों में वीजा-मुक्त प्रवेश की अनुमति देता है. सीरिया और इराक भी निचले स्थानों पर हैं, जहां क्रमशः 27 और 30 देशों में वीजा-मुक्त प्रवेश की सुविधा है. वहीं, अमेरिका इस लिस्ट में नौवें स्थान पर है, जबकि पाकिस्तान 96वें स्थान पर है.
यूएई और चीन ने की उल्लेखनीय प्रगति
यूएई पिछले एक दशक में सबसे तेजी से उभरने वाले देशों में से एक है. इसने 2015 से 72 अतिरिक्त देशों में वीजा-मुक्त प्रवेश हासिल किया है और अब यह 10वें स्थान पर पहुंच गया है, जो 185 देशों में वीजा-मुक्त एंट्री देता है. वहीं, चीन भी तेजी से उभरने वाला देश है, जो 94वें स्थान से अब 60वें स्थान पर आ गया है. हेन्ले एंड पार्टनर्स के अध्यक्ष और पासपोर्ट इंडेक्स के आविष्कारक डॉक्टर क्रिश्चियन एच. केलिन का कहना है कि यह डेटा वैश्विक यात्रा और वीजा नीतियों में हो रहे परिवर्तनों को दर्शाता है.
अगस्त से अब तक बांग्लादेश में हिंदुओं पर हमले, भारत सरकार ने जारी किए आंकड़े
8 Feb, 2025 03:35 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
भारत के पड़ोसी देश बांग्लादेश में पिछले साल अगस्त के महीने से उथल-पुथल मची हुई है. देश में अगस्त के महीने में तख्तापलट हुआ, उसी के बाद अल्पसंख्यक हिंदुओं पर हमलों की कई खबरें सामने आईं. हिंदुओं पर हुए हमलों पर भारत ने भी बारीकी से नजर रखी और कड़ी निंदा की. इसी बीच हाल ही में लोकसभा में जब हमलों को लेकर सवाल पूछा गया तो विदेश राज्य मंत्री ने बताया, अगस्त से अब तक बांग्लादेश में 23 हिंदुओं की मौत हुई, 152 मंदिरों पर हमले हुए.
सरकार ने शुक्रवार को बताया कि अगस्त से अब तक बांग्लादेश में 23 हिंदुओं की मौत होने और हिंदू मंदिरों पर हमले की 152 घटनाएं सामने आई हैं.
कितने लोगों की हुई मौत
सरकार से पिछले दो महीनों के दौरान बांग्लादेश में हिंदुओं पर हुए उत्पीड़न के मामलों के बारे में पूछा गया था. बांग्लादेश में हिंदू मंदिरों पर हमलों की संख्या के साथ-साथ घायल या मरने वाले हिंदू लोगों की संख्या के बारे में जानकारी मांगी गई थी. इस पर जवाब देते हुए विदेश राज्य मंत्री कीर्ति वर्धन सिंह ने आंकड़े सामने रखे.
विदेश राज्य मंत्री कीर्ति वर्धन सिंह ने लोकसभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में यह भी कहा कि पिछले दो महीनों (26 नवंबर 2024 से 25 जनवरी 2025 तक) के दौरान बांग्लादेश में हिंदुओं के खिलाफ हमलों की 76 घटनाएं हुई हैं.
उन्होंने अपने जवाब में कहा कि अगस्त से अब तक बांग्लादेश में 23 हिंदुओं की मौत और हिंदू मंदिरों पर हमले की 152 घटनाएं सामने आई हैं. साथ ही विदेश राज्य मंत्री ने कहा कि भारत सरकार ने बांग्लादेश में हिंदुओं और अन्य अल्पसंख्यकों के खिलाफ हिंसा की घटनाओं पर ध्यान दिया है. 9 दिसंबर, 2024 को विदेश सचिव की बांग्लादेश यात्रा के दौरान हिंदुओं और अन्य अल्पसंख्यकों की सुरक्षा के संबंध में भारत की अपेक्षाओं को लेकर बात की गई थी. इसी के साथ भारत में कई बार बांग्लादेशी हिंदुओं पर हुए हमलों को लेकर आवाज उठाई गई.
विदेश मंत्री ने क्या कहा?
बांग्लादेशी सरकार ने 10 दिसंबर 2024 को बताया था कि 70 लोगों को 88 केस में गिरफ्तार किया गया है. इसी के साथ पुलिस की जांच में देश में हमलों के 1,254 मामले सामने आए थे. कीर्ति वर्धन सिंह ने कहा, अल्पसंख्यकों सहित बांग्लादेश के सभी नागरिकों के जीवन और स्वतंत्रता की सुरक्षा की प्राथमिक जिम्मेदारी बांग्लादेश सरकार की है. ढाका में भारतीय हाईकमीशन अल्पसंख्यकों से संबंधित हालातों की बारीकी से निगरानी कर रहा है.
ढीले पड़े ट्रंप के तेवर, चीन के खिलाफ सख्त कदम पर ब्रेक
8 Feb, 2025 03:18 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
वाशिंगटन। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने शुक्रवार को चीन से आयातित कम लागत वाली वस्तुओं पर टैरिफ लगाने का आदेश फिलहाल रोक दिया है। यह तब तक लागू नहीं किया जाएगा जब तक वाणिज्य विभाग इस बात की पुष्टि नहीं कर लेता कि वस्तुओं को प्रोसेस करने और टैरिफ एकत्र करने के लिए प्रक्रियाएं व व्यवस्थाएं मौजूद हैं।
ट्रंप ने लगाया था 10 फीसदी टैरिफ
गौरतलब है कि ट्रंप के एक कार्यकारी आदेश के जरिये पिछले शनिवार को चीन से आयातित कम लागत वाली वस्तुओं सहित विभिन्न वस्तुओं पर 10 प्रतिशत टैरिफ लगाया गया था। व्हाइट हाउस के एक अधिकारी ने कहा कि इस कदम को विलंबित करने वाले कार्यकारी आदेश में संशोधन बुधवार को किया गया था, लेकिन इसे शुक्रवार को सार्वजनिक किया गया।
कई अन्य देशों पर टैरिफ लगाएंगे ट्रंप
इस बीच, राष्ट्रपति ट्रंप ने शुक्रवार को कहा कि वह अगले सप्ताह कई देशों पर जवाबी टैरिफ की घोषणा करने की योजना बना रहे हैं, ताकि अन्य देश अमेरिका के साथ समान व्यवहार करें। ट्रंप ने यह नहीं बताया कि किन देशों पर इसका असर पड़ेगा, लेकिन उन्होंने संकेत दिया कि यह एक व्यापक प्रयास होगा जो अमेरिका की बजट समस्याओं को हल करने में भी मदद कर सकता है। यह कदम ट्रंप के चुनावी वादे को पूरा करेगा जिसमें अमेरिकी आयातों पर टैरिफ लगाया जाएगा, जो उस टैरिफ के बराबर होगा जो व्यापारिक साझीदार देश अमेरिकी निर्यातों पर लगाते हैं।
ट्रंप बोले- वी लव जापान
ट्रंप ने यह घोषणा अमेरिका यात्रा पर आए जापान के प्रधानमंत्री शिगेरू इशिबा के साथ एक बैठक के दौरान की। इशिबा का स्वागत करते हुए ट्रंप ने कहा, 'वी लव जापान।' राष्ट्रपति ट्रंप ने यह भी बताया है कि वह अगले हफ्ते यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की से बात कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि वह गाजा पट्टी को पुनर्विकसित करने की अपनी योजना को लागू करने की किसी जल्दी में नहीं हैं।
कनाडा को समाहित करने की ट्रंप की बात वास्तविक: ट्रूडो
कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने शुक्रवार को कहा कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा कनाडा को अपने में समाहित करने की बात वास्तविक है और यह देश के समृद्ध प्राकृतिक संसाधनों से जुड़ी है। ट्रूडो ने यह टिप्पणी व्यापार और श्रमिक नेताओं के साथ बंद कमरे में आयोजित एक सत्र के दौरान की।
इसमें इस बात पर चर्चा की गई कि ट्रंप द्वारा कनाडा से आयातित वस्तुओं पर टैरिफ लगाने की धमकियों का सबसे बेहतर तरीके से कैसे जवाब दिया जाए। उनकी टिप्पणियों को सबसे पहले टोरंटो स्टार ने रिपोर्ट किया, जिसमें कहा गया कि उन्हें गलती से लाउडस्पीकर पर प्रसारित कर दिया गया था। ट्रंप ने बार-बार कहा है कि अगर कनाडा 51वां अमेरिकी राज्य बनने के लिए सहमत हो जाए तो यह उसके लिए बेहतर होगा।
ग्रेनफेल टावर अग्निकांड: 8 साल बाद सरकार ने इमारत गिराने का लिया फैसला
8 Feb, 2025 03:13 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
भयानक अग्निकांड के आठ साल बाद लंदन के ग्रेनफेल टावर को ढहाया जाएगा। ब्रिटेन सरकार ने शुक्रवार को ग्रेनफेल टावर के ढहाने की योजना का एलान किया। 14 जून 2017 की सुबह ग्रेनफेल टावर में भीषण आग लगी थी। इस हादसे में कुल 72 लोगों की जान गई थी। द्वितीय विश्व युद्ध के बाद ब्रिटेन में हुआ यह सबसे भयावह अग्निकांड था।
फैसले का हो रहा विरोध
हादसे के आठ साल बाद इमारत को ढहाने के फैसले का विरोध भी हो रहा है। हादसे में अपनों को खोने वाले लोग सरकार के इस निर्णय की आलोचना कर रहे हैं। दरअसल, यह लोग इमारत के जले हुए ढांचे को मृतकों की स्मृति के तौर पर संरक्षित करना चाहते हैं। बता दें कि ग्रेनफेल टावर पश्चिमी लंदन के उत्तरी केंसिंग्टन के पास स्थित है। यह इमारत लगातार त्रासदी की याद दिलाती है।
सावधानीपूर्वक ढहाया जाएगा
मगर सरकार का कहना है कि पुनर्विकास और 24 मंजिला इमारत के अवशेषों को हटाने से समुदाय को राहत मिलेगी। सरकार नेकहा है कि ग्रेनफेल टावर को सावधानीपूर्वक ढहाया जाएगा।
कई कारणों से लगी आग
हादसे की लंबी जांच चली। यह तथ्य सामने आया है कि इसके पीछे एक नहीं बल्कि कई कारण थे। भ्रष्ट कंपनियों, कमजोर विनियमन और लापरवाह सरकारी अधिकारियों की मिलीभगत से यह हादसा हुआ था। जांच से यह निष्कर्ष निकला कि सरकार, नियामकों और उद्योग की दशकों की विफलताओं ने इमारत को मौत के जाल में बदल दिया था।
14 जून 2017 को इमारत की चौथी मंजिल पर स्थित अपार्टमेंट में रखे एक छोटे रेफ्रिजरेटर से आग लगी थी। देखते ही देखते इसने विकराल रूप धारण कर लिया था। हादसे में 72 लोगों की जान गई थी।
ब्राजील में विमान क्रैश का खौफनाक मंजर, बस से टकराने के बाद आग का गोला बना विमान
8 Feb, 2025 02:11 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
दक्षिणी ब्राजील के साओ पाओलो में शुक्रवार को एक छोटे विमान के व्यस्त सड़क पर दुर्घटनाग्रस्त हो जाने और एक बस से टकरा जाने से कम से कम दो लोगों की मौत हो गई. इस हादसे के बाद हाईवे पर अफरा-तफरी का माहौल हो गया. विमान की बस से टक्कर के बाद लोग बेतहाशा इधर-उधर भाग रहे थे.
पुलिस के अनुसार, विमान में सवार दो लोगों की आग में झुलस कर मौत हो गई। छह अन्य लोग घायल हो गए, जिनमें एक मोटरसाइकिल सवार और बस में सवार एक महिला शामिल है. दरअसल
दोनों लोग उड़ते हुए मलबे की चपेट में आ गए थे।
रिपोर्ट के मुताबिक, साओ पाओलो में सैन्य पुलिस के अग्निशमन विभाग के प्रवक्ता कैप्टन आंद्रे एलियास सैंटोस ने बताया कि जीवित बचे लोगों को पास के सांता कासा डी मिसेरिकोर्डिया अस्पताल और उपा सांताना अस्पताल ले जाया गया।
हादसे की हो रही जांच, पुलिस ने तफ्तीश कर दी शुरू
अधिकारियों ने टक्कर के कारण की जांच शुरू कर दी है। एक आपातकालीन दल के अधिकारी ने बताया कि विमान से टकराने के बाद मार्क्वेस डी साओ विसेंटे पर बस से उतरने के लिए “हताश लोग” भाग रहे थे।
सिविल गार्ड के सदस्य एलेक्जेंडर लीमा मार्केस ने सीएनएन ब्रासिल को बताया कि, "जब हम नजदीक पहुंचे तो हमने बहुत सारा धुआं देखा। हम विमान में आग लगी हुई देख सकते थे, हताश लोग बस से उतर रहे थे। वे बहुत डरे हुए और सदमे में थे।"
साओ पाउलो में सैन्य पुलिस की प्रवक्ता ओलिविया पेरोन काज़ो ने बताया कि बचाव अभियान में कुल 14 अग्निशमन विभाग की गाड़ियां और 38 अग्निशमन कर्मी शामिल थे। साओ पाउलो के मेयर रिकार्डो नून्स ने बताया कि पीड़ितों को बचाने के लिए अग्निशमन कर्मियों और यातायात कर्मचारियों सहित आपातकालीन दल को तैनात किया गया था।
नून्स ने एक्स पर एक पोस्ट में घातक दुर्घटना पर अपना "खेद" व्यक्त किया । उन्होंने कहा, "हम पीड़ितों की मदद के लिए सभी सहायता संरचनाएं मुहैया कर रहे हैं।"
ट्रंप के आदेश पर अदालत की फटकार, अमेरिका में भारतीयों को बड़ी राहत
7 Feb, 2025 03:14 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
अमेरिका में रह रहे भारतीयों को आज बड़ी राहत मिली है। वीजा पर रहने वाले और ग्रीन कार्ड का इंतजार कर रहे भारतीय छात्रों और पेशेवरों को अमेरिका छोड़ने का डर अब खत्म हो जाएगा। दरअसल, सिएटल के एक कोर्ट ने राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के उस आदेश पर अनिश्चित काल के लिए रोक दी है, जिसमें जन्मजात नागरिकता को समाप्त करने का आदेश जारी किया गया था।
कोर्ट ने क्या कहा?
ट्रंप सरकार के आदेश की आलोचना करते हुए, सिएटल कोर्ट ने कहा कि ट्रंप संविधान के साथ "नीतिगत खेल" खेलने के लिए कानूनी राज को दरकिनार करने की कोशिश कर रहे हैं।
ट्रंप को दूसरा बड़ा झटका
अमेरिका के जिला न्यायाधीश जॉन कफनौर का ये प्रारंभिक रोक जजमेंट अमेरिकी कानून को बदलने के साथ ट्रंप की व्यापक निर्वासन कार्रवाई को दूसरा बड़ा कानूनी झटका है। इससे पहले मैरीलैंड के एक जज ने भी ऐसा ही फैसला सुनाया था।
ट्रंप को जज ने सुनाई खरी-खरी
रिपोर्ट के अनुसार, सिएटल में गुरुवार को एक सुनवाई के दौरान न्यायाधीश कफनौर ने सख्त लहजे में कहा, यह स्पष्ट हो गया है कि हमारे राष्ट्रपति के लिए कानून का शासन उनके नीतिगत लक्ष्यों के लिए एक बाधा मात्र है। उनके अनुसार, कानून का शासन कुछ ऐसा है जिसे दरकिनार किया जा सकता है या बस अनदेखा किया जा सकता है, चाहे वह राजनीतिक या व्यक्तिगत लाभ के लिए हो।
जज बोले- संविधान में करना होगा संशोधन
जज ने आगे कहा कि इस न्यायालय में और मेरी निगरानी में कानून का शासन बना रहेगा, चाहे कोई कुछ भी हो। जज ने आगे कहा कि संविधान ऐसी चीज नहीं है जिसके साथ सरकार नीतिगत खेल खेल सके। यदि सरकार जन्मजात नागरिकता के कानून को बदलना चाहती है, तो उसे संविधान में ही संशोधन करने की आवश्यकता है।
सोहाना सबा हिरासत में! क्या मेहर अफरोज शॉन मामले से जुड़ा है कोई कनेक्शन?
7 Feb, 2025 03:08 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
भारत के पड़ोसी देश बांग्लादेश में इस समय उथल-पुथल मची हुई है. देश में एक्ट्रेस मेहर अफरोज शॉन की गिरफ्तारी के बाद अब एक और एक्ट्रेस को सवाल-जवाब के लिए ले जाया गया है. एक्टर सोहाना सबा को भी हिरासत में ले लिया गया है और उन्हें डिटेक्टिव ब्रांच के ऑफिस सवाल-जवाब करने के लिए ले जाया गया है.
देश में एक्टर सोहाना सबा को पूछताछ के लिए ले जाया गया है, इस बात की पुष्टि ढाका मेट्रोपॉलिटन पुलिस के डिप्टी कमिश्नर मुहम्मद विल्बर रहमान ने गुरुवार रात की. इससे पहले एक्टर और डायरेक्टर मेहर अफरोज शॉन को भी हिरासत में ले लिया गया था. मेहर को ढाका के धनमंडी इलाके में उनके आवास से कस्टडी में लिया गया था.
एक्ट्रेस से की जा रही पूछताछ
डिटेक्टिव ब्रांच के प्रमुख रेजाउल करीम मल्लिक ने कहा कि मेहर को राज्य के खिलाफ साजिश रचने के आरोप में हिरासत में लिया गया है. उन्हें मिंटो रोड पर मौजूद डिटेक्टिव ब्रांच के ऑफिस में सवाल-जवाब करने के लिए ले जाया गया है.
जहां मेहर अफरोज को राज्य के खिलाफ साजिश रचने के आरोप में गिरफ्तार कर लिया गया है. वहीं, अभी तक यह सामने नहीं आया है कि सोहाना सबा को किस अपराध के चलते पूछताछ के लिए बुलाया गया है. दोनों ही एक्ट्रेस से फिलहाल पूछताछ की जा रही है.
बांग्लादेश में इस समय पहले मेहर अफरोज शॉन पर एक्शन लिया गया. वहीं, अब सोहाना सबा को भी घेर लिया गया है. मेहर को न सिर्फ हिरासत में लिया गया बल्कि गुस्साई भीड़ ने मेहर के गांव में मौजूद घर में आग लगा दी. उनके पिता मोहम्मद अली के घर पर आग लगा दी गई, जोकि जमालपुर सदर उपजिला में नारुंडी रेलवे स्टेशन के पास था .
कौन हैं सोहाना सबा?
सोहाना सबा बांग्लादेश की फिल्मी दुनिया का बड़ा नाम है. उन्होंने कई फिल्मों में काम किया है और लोगों का दिल जीता है. सोहाना सबा को “अयना” और “ब्रिहोन्नोला” जैसी फिल्मों में उनके रोल के लिए खूब जाना जाता है. इन रोल के बाद वो खूब चर्चा में बनी रही थीं.
अफगानिस्तान में फंसी भारतीय महिला की घर वापसी, कहा....
7 Feb, 2025 12:46 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
अफगानिस्तान में तालिबान राज से पहले कई भारतीयों ने वहां जाकर अपना ठिकाना बना लिया था और गुजर बसर कर रहे थे। अब जब अफगानिस्तान पर तालिबान राज कायम हो गया है, तब वहां रह रहे लोगों का जीना दूभर हो चुका है।
काबुल में खराब होती सुरक्षा व्यवस्था के चलते भारत समेत दूसरे देशों के लोग वहां से बाहर निकलने की कोशिश में हैं। इसी कड़ी में एक भारतीय महिला भी तालिबान राज से बमुश्किल बाहर आई है, जिसने अपनी आप बीती सुनाई है।
अफगानिस्तान से लौटी भारतीय महिला
तालिबान के कब्जे के बाद से तीन साल तक अफगानिस्तान में फंसी रहने के बाद एक भारतीय महिला और उसकी ढाई साल की बेटी बुधवार को भारत लौटी। रिपोर्ट के अनुसार, भारतीय नागरिक इकरा जमाल की शादी एक अफगान नागरिक से हुई थी और तालिबान के सत्ता में आने के बाद वह घर नहीं लौट पाई थी।
मैंने बहुत डर, डिपरेशन और चिंता का सामना किया है। खासकर तालिबान की वापसी के शुरुआती महीनों में मैंने बहुत कुछ झेला है। जब तालिबान ने काबुल पर कब्जा किया, तो देश में अराजक स्थिति पैदा हो गई। मैं उस दौरान भारत जाने वाली उड़ान पकड़ने में असमर्थ रही और फंस गई।
गर्भवती होकर फंस गई महिला
अफगानिस्तान में रहने के दौरान, महिला गर्भवती हो गई और उसने एक बेटी को जन्म दिया। गर्भवती होने के चलते वो वहीं फंस गई थी। बता दें कि बीस साल के विद्रोह के बाद अगस्त 2021 में तालिबान अफगानिस्तान में सत्ता में लौट आया था। उनके कब्जे से देश के राजनीतिक और सामाजिक परिदृश्य में महत्वपूर्ण बदलाव आए।
सत्ता पर कब्जा करने के बाद से तालिबान ने लड़कियों और महिलाओं पर कई प्रतिबंध लगाए हैं।
महिलाओं पर तालिबान ने लगाए कई बैन
तालिबान द्वारा लगाए गए प्रतिबंधों में माध्यमिक विद्यालयों, सार्वजनिक स्थानों और अधिकांश प्रकार के रोजगार पर प्रतिबंध शामिल हैं। अंतर्राष्ट्रीय समुदाय ने अभी तक तालिबान को एक वैध सरकार के रूप में मान्यता नहीं दी है।
अमेरिका से भारत लौटे 104 प्रवासी, लेकिन उनके साथ कैदियों जैसा बर्ताव क्यों?
7 Feb, 2025 12:31 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
अमेरिका से भारत भेजे गए 104 प्रवासियों को मामले को लेकर देशभर में चर्चा हो रही है। गुरुवार (6 फरवरी) को संसद के दोनों सदनों में इस मामले पर विपक्षी सांसदों ने हंगामा किया। विपक्षी सांसद ने सरकार से पूछा कि आखिर अवैध प्रवासियों के साथ कैदियों जैसा व्यवहार क्यों किया गया। उनके हाथों में हथकड़ियां क्यों लगाई गई।
बता दें कि एक अमेरिकी अधिकारी ने वीडियो शेयर किया, जिसमें देखा जा सकता है कि अवैध प्रवासियों के हाथ-पैरों को चेन से बांधा गया है।
अवैध प्रवासियों को हथकड़ी में बांधकर क्यों भेजा गया?
सबसे बड़ा सवाल है कि क्या अवैध प्रवासियों के डिपोर्टेशन (निर्वासन) को लेकर अमेरिका का कानून क्या कहता है?
इस सवाल पर विदेश मंत्री एस जयशंकर ने जवाब दिया है। उन्होंने कहा कि अमेरिकी निर्वासन का प्रबंधन आव्रजन और सीमा शुल्क प्रवर्तन (ICE) अधिकारियों द्वारा किया जाता है और इससे जुड़े प्रोटोकॉल का पालन किया जाता है।
उन्होंने आगे कहा कि साल 2012 से ही ICE द्वारा अवैध प्रवासियों को डोपोर्ट करने के लिए कुछ नियम बनाए गए हैं। हालांकि, हमें सीमा शुल्क प्रवर्तन द्वारा जानकारी दी गई है कि महिलाओं और बच्चों के हाथों में हथकड़ियां नहीं लगाई गई थी।
क्या अवैध प्रवासियों को हथकड़ी लगाने की इजाजत है?
एक रिपोर्ट के अनुसार, अमेरिकी आव्रजन अधिकारी व्यक्तियों को हिरासत में लेने और निर्वासित करने के दौरान एक संरचित प्रक्रिया का पालन करते हैं । ICE के नियमों के मुताबिक, विमान में अवैध प्रवासियों के हाथों और पैरों को चेन से बांधने के नियम हैं। हालांकि, जब विमान अपने गंतव्य पर पहुंच जाए तो हथकड़ियां और बेड़ियां को तुरंत खोलना जरूरी है।
बता दें कि डिपोर्शन के दौरान अवैध प्रवासियों को कोई सामान ले जाने की इजाजत नहीं है। हालांकि, 18 किलोग्राम तक एक बैग ले जाने की अनुमति है, लेकिन अधिकारी उस बैग की जांच करते हैं। अवैध प्रवासियों को विमान में बैठने के बाद हथकड़ी, पैर की बेड़ियां बांधी जाती है।
डिपोर्शन के दौरान विमान में 13 से 20 सुरक्षाकर्मी मौजूद रहते हैं। किसी भी स्वास्थ्य संबंधी आपात स्थिति से निपटने के लिए मेडिकल स्टाफ भी मौजूद रहता है। अवैध प्रवासियों को भोजन भी उपलब्ध भी कराया जाता है। नियम के मुताबिक, टॉयलेट ब्रेक के दौरान लोगों को बांधा नहीं जा सकता है।
ट्रंप का एक्जीक्यूटिव आदेश, ICC अधिकारियों की संपत्ति जब्त करने के निर्देश
7 Feb, 2025 12:23 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
वॉशिंगटन। डोनाल्ड ट्रंप ने दूसरी बार राष्ट्रपति की शपथ लेने के बाद अपने बयानों और फैसलों से दुनिया में हलचल मचा दी है। इसी बीच ट्रंप ने अपने एक्जीक्यूटिव आदेश में इंटरनेशनल क्रिमिनल कोर्ट (ICC) पर प्रतिबंध लगाने का फैसला कर लिया है।
ट्रंप ने आदेश जारी करते हुए ICC के अधिकारियों, कर्मचारियों और उनके परिवारों के खिलाफ संपत्ति जब्त करने और यात्रा प्रतिबंध लगाने का निर्देश दिया गया है।
बता दें कि अंतरराष्ट्रीय कोर्ट ( ICC), अफगानिस्तान में अमेरिकी और गाजा में इजरायली सैनिकों के कथित युद्ध अपराधों की जांच कर रही है।
बेंजामिन नेतन्याहू के खिलाफ अदालत ने जारी किया था गिरफ्तारी वारंट
हाल ही में आईसीसी ने इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू के खिलाफ जारी गिरफ्तारी वारंट जारी किया था। ट्रंप ने इस कार्रवाई को अवैध और निराधार बताया था। ट्रंप ने कहा था कि आईसीजे अपनी शक्तियों का गलत इस्तेमाल किया है।
आईसीसी ने 21 नवंबर 2024 को इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू, उनके पूर्व रक्षा मंत्री योव गैलेंट और हमास के सैन्य प्रमुख मोहम्मद डेफ के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी किया था। अदालत की ओर से नेतन्याहू पर “मानवता के खिलाफ अपराध” और “युद्ध अपराध” का आरोप लगाया गया है।
क्या है ICC?
ICC में 125 सदस्य देश शामिल हैं। यह एक स्थायी अदालत है जो युद्ध अपराधों, मानवता के खिलाफ अपराधों, नरसंहार और सदस्य देशों या उनके नागरिकों के खिलाफ अपराध करने वालों पर मुकदमा चलाती है। विशेष रूप से जब दो देशों के बीच कोई आपाराधिक मुकदमा का मामला हो तो ICC में सुनवाई होती है। गौरतलब है कि अमेरिका, चीन, रूस और इजरायल ICC के सदस्य नहीं हैं।
ट्रंप की योजना पर कोर्ट की रोक, संघीय कर्मचारियों से इस्तीफे लेने की योजना फेल
7 Feb, 2025 12:06 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
वाशिंगटन। एक संघीय जज ने गुरुवार को राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की उस योजना पर गुरुवार को अस्थायी रोक लगा दी जिसमें वित्तीय प्रोत्साहन देकर संघीय कर्मचारियों से इस्तीफों की मांग की गई थी।
अदालत का यह फैसला मध्यरात्रि की उस अंतिम समयसीमा से कुछ घंटे पहले आया है जब संघीय कर्मचारियों को इस योजना के तहत इस्तीफे देने थे। इस योजना को आम बोलचाल में बायआउट कहा जा रहा है।
इस्तीफा देने की समयसीमा को अगली सुनवाई के बाद
बोस्टन में अमेरिकी जिला जज जॉर्ज ओ टूल जूनियर ने ट्रंप प्रशासन की योजना की वैधानिकता पर कोई राय व्यक्त नहीं की। मामले की अगली सुनवाई सोमवार को होगी।
उन्होंने प्रशासन को निर्देश दिया कि वे योजना के तहत इस्तीफा देने की समयसीमा को अगली सुनवाई के बाद तक बढ़ा दे। कई श्रम संघों ने इस योजना को चुनौती दी है।
हजारों स्वास्थ्य कर्मियों को भी निकालने की तैयारी
एक मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, व्हाइट हाउस अमेरिकी स्वास्थ्य एवं मानव सेवा विभाग के हजारों कर्मियों को बर्खास्त करने के एक्जीक्यूटिव आदेश पर काम कर रहा है। यह आदेश अगले हफ्ते आ सकता है। इसके तहत फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन, सेंटर्स फार डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन और अन्य स्वास्थ्य एजेंसियों को कुछ प्रतिशत कर्मचारियों को बर्खास्त करना होगा।
जन्मजात नागरिकता मामले में कोर्ट ने लगाई रोक
जन्मजात नागरिकता मामले में ट्रंप प्रशासन को एक और झटका लगा है। दो दिनों में एक दूसरे संघीय न्यायालय ने अवैध रूप से अमेरिका में रहने वाले माता-पिता के बच्चों के लिए जन्मजात नागरिकता को समाप्त करने वाले राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के कार्यकारी आदेश पर रोक लगा दिया है।
जज ने संविधान के प्रति प्रशासन के व्यवहार की निंदा की
सिएटल में अमेरिकी जिला न्यायाधीश जान कफेनौर ने गुरुवार को संविधान के प्रति प्रशासन के व्यवहार की निंदा की और कहा कि ट्रंप एक कार्यकारी आदेश के साथ इसे बदलने की कोशिश कर रहे थे।
नवीनतम कार्यवाही मैरीलैंड संघीय न्यायाधीश द्वारा आप्रवासियों के अधिकार समूहों और गर्भवती महिलाओं से जुड़े एक अलग लेकिन इसी तरह के मामले में राष्ट्रव्यापी रोक जारी करने के ठीक एक दिन बाद हुई, जिनके जल्द ही पैदा होने वाले बच्चे प्रभावित हो सकते हैं।