धर्म एवं ज्योतिष
मकर संक्रांति कब है? काला तिल क्यों किया जाता है दान, खिचड़ी की क्या है मान्यता
10 Jan, 2024 06:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
इस साल मकर संक्रांति 15 जनवरी दिन सोमवार को पड़ रही है. मकर संक्रांति को लेकर अलग-अलग प्रांतों में अलग-अलग मान्यताएं प्रचलित हैं. उत्तर भारत में काला तिल, गुड़, चूड़ा, दही और खिचड़ी के दान के साथ इस दिन इन सब चीजों को खाने की परंपरा चली आ रही है. इसके पीछे की मान्यता को लेकर ज्योतिष आचार्य पंडित दशरथ नंदन द्विवेदी जी से बातचीत की.
पंडित ने बताया कि काला तिल अपने आप में एक महत्वपूर्ण दान करने की वस्तु है. संक्रांति में काले तिल के दान करने का महत्व यह है कि शनि का जो द्रव्य होता है, वह काला होता है. इसलिए शनि की कृपा पाने के लिए काले तिल का दान किया जाता है. और इसमें दूसरा पहलू यह है कि जब प्रकृति अपने मौसम का परिवर्तन लेती है उस समय काले तिल का सेवन करना स्वास्थ्य के लिए लाभदायक होता है.
मकर संक्रांति में खिचड़ी का महत्व
कई प्रांतों में मकर संक्रांति को खिचड़ी के रूप में मनाया जाता है. ज्योतिष आचार्य पंडित दशरथ नंदन द्विवेदी ने बताया कि जाने के पीछे भी पौराणिक मान्यताएं हैं. मकर संक्रांति के इस पर्व पर खिचड़ी का काफी महत्व है. मकर संक्रांति के अवसर पर कई स्थानों पर खिचड़ी को मुख्य पकवान के तौर पर बनाया जाता है. खिचड़ी को आयुर्वेद में सुंदर और सुपाच्य भोजन की संज्ञा दी गई है. साथ ही खिचड़ी को स्वास्थ्य के लिए औषधि माना गया है. वहीं, इसका दूसरा पहलू यह है, कि मकर संक्रांति के दिन खिचड़ी के साथ-साथ दही-चूड़ा भी खाया जाता है. धार्मिक दृष्टिकोण की बात करें तो इस दिन ये सभी चीजें खाना शुभ होता है.
इस दिन अन्न देवता की होती है पूजा
उन्होंने बताया कि मकर संक्रांति के त्योहार से पहले ही सितम्बर, अक्टूबर में धान काटे जाते हैं और बाजार में नए चावल बिकने लगते हैं. यही वजह है कि अन्न देवता की पूजते हुए नए चावल की खिचड़ी बना कर इस दिन खाया जाता है. इसे पहले सूरज देव को भोग के रूप में दिया जाता है फिर खुद प्रसाद के रूप में खाया जाता है.
राशिफल: जानिए, कैसा रहेगा आपका आज का दिन (10 जनवरी 2024)
10 Jan, 2024 12:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
मेष राशि :- कार्य कुशलता से संतोष तथा मनोबल उत्सावर्धक होगा, उत्साह बना रहेगा।
वृष राशि :- स्वभाव में खिन्नता होने से हीन भावना से बचियेगा अन्यथा कार्य मंद अवश्य होगा।
मिथुन राशि :- अशांति तथा विनम्रता से बचिये तथा झगड़ा होने की संभावना अवश्य बनेगी।
कर्क राशि :- स्त्री वर्ग से हर्ष, ऐश्वर्य की प्राप्ति होगी, रुके कार्य अवश्य ही बनेंगे ध्यान दें।
सिंह राशि :- आलोचना से बचिये, कार्य कुशलता से संतोष होगा, कार्य व्यवसाय पर ध्यान दें।
कन्या राशि :- धीमी गति से सुधार अपेक्षित है, सामाजिक प्रतिष्ठा में वृद्धि अवश्य होगी।
तुला राशि :- स्त्री वर्ग से हर्ष-उल्लास, गुप्त शत्रुओं से चिन्ता तथा कुटुम्ब में समस्या बनेगी।
वृश्चिक राशि :- योजना फलीभूत होगी, इष्ट मित्र सुखवर्धक होगा तथा कार्य अवरोध होगा।
धनु राशि :- कुटुम्ब की समस्या कष्टप्रद होगी तथा धन का व्यर्थ व्यय होगा सावधान रहें।
मकर राशिः- कुटुम्ब मेंं सुख मान-प्रतिष्ठा, बड़े लोगों से मेल-मिलाप अवश्य ही होगा।
कुंभ राशि :- भाग्य का सितारा प्रबल होगा, दैनिक गति मंद तथा बिगड़े कार्य अवश्य ही बनेंगे।
मीन राशि :- कार्य व्यवसाय गति अनुकूल बनेगी, समृद्धि के साधन अवश्य बनेंगे।
अयोध्या की तर्ज पर यहां भी बन रहा राम मंदिर, 2 एकड़ में होगा निर्माण, 22 जनवरी को होगी हनुमानजी की प्राण प्रतिष्ठा
9 Jan, 2024 06:45 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
22 तारीख को अयोध्या में होने वाले राम मंदिर के लिए अब लोगों को और इंतजार नहीं करना होगा. लंबे समय के इंतजार के बाद अब करीब 15 दिन बाद अयोध्या में राम मंदिर में रामलाल की प्राण प्रतिष्ठा होगी. अयोध्या में बना रहे भव्य मंदिर की तर्ज पर ही अलवर शहर के अपना घर शालीमार में भी राम मंदिर बनाया जा रहा है. अलवर शहर में बन रहे इस राम मंदिर का काम पिछले 2 साल से चल रहा है. खास बात यह है कि इस मंदिर की नींव भी उसी दिन रखी गई थी, जिस दिन अयोध्या के राम मंदिर की नींव प्रधानमंत्री मोदी द्वारा रखी गई. अलवर शहर का यह मंदिर 2 एकड़ की भूमि पर तैयार किया जा रहा है. हालांकि, अभी इस मंदिर को तैयार होने में 1 साल का समय और लगेगा. 22 तारीख को अयोध्या में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा होगी, तो 22 जनवरी को अलवर के राम मंदिर में भगवान राम के परम भक्त हनुमान जी की मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा होगी. इस दिन मंदिर में धार्मिक आयोजन किया जाएगा.
त्रेहान डेवलपर के डायरेक्टर अशोक सैनी ने बताया कि जिस तरह अयोध्या में भव्य राम मंदिर तैयार हो रहा है, इस तरह अलवर के अपना घर शालीमार में भी राम मंदिर का निर्माण चल रहा है. जो भक्त अयोध्या नहीं पहुंच सकते वह इस मंदिर में पहुंचकर भी रामलाल के दर्शन कर सकते हैं. हमारी कोशिश है कि अलवर में बन रहे राम मंदिर को उसी मंदिर का आकार दिया जाए जिस तरह अयोध्या में राम मंदिर बन रहा है. यह मंदिर दो एकड़ की भूमि पर बन रहा है. 2 साल से इस मंदिर का काम चल रहा है. आगे करीब 1 साल इस मंदिर को पूरा होने में और लगेगा. इससे पहले 22 जनवरी को अलवर के राम मंदिर में हनुमान जी की मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा की जाएगी. यह मूर्ति जयपुर में तैयार हो रही है और जमीन से करीब सवा तीन फीट की ऊंचाई है.
खाटू श्याम और नव ग्रह की हो चुकी है स्थापना
अशोक सैनी ने बताया कि अलवर की राम मंदिर में 22 तारीख को हनुमान जी की मूर्ति स्थापना की जाएगी. उससे पहले इस मंदिर में खाटू श्याम जी व नवग्रह के विग्रह विराजमान किए गए हैं. जब मंदिर बनकर पूरा तैयार हो जाएगा तब भगवान राम की प्रतिमा स्थापित की जाएगी. अभी मंदिर के दीवारों पर भी जय श्री राम के चित्र लगाए जाएंगे. वही भगवान राम के जीवन से जुड़ी हुई चित्र भी इसमें अंकित किए जाएंगे. बता दे की अलवर के अपना घर शालीमार के मुख्य गेट पर भगवान राम की 70 फीट प्रतिमा विराजमान है. अशोक सैनी ने बताया कि इस मंदिर में एक ही स्थान पर अन्य देवी देवताओं के दर्शन भी हो सकेंगे. साथ ही मंदिर परिसर में आंध्र प्रदेश से बैरागी शिव की प्रतिमा भी स्थापित की जाएगी. अशोक सैनी ने बताया जो पत्थर अयोध्या में लग रहे हैं वही पत्थर अलवर के राम मंदिर में भी लगाए जा रहे हैं. यह पत्थर धौलपुर व करौली जिले से आ रहे हैं. इन पर नक्काशी भी वहीं से होकर आ रही है, जो कि लोगों को बहुत लुभाएगी.
धार्मिक नगरी का रोम-रोम हुआ राममय, 11000 से ज्यादा महिलाओं ने धारण किये अक्षत कलश
9 Jan, 2024 06:30 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
प्रभु श्री राम की अयोध्या नगरी में 22 जनवरी को होने वाली प्राण प्रतिष्ठा से पहले ही राजस्थान में धार्मिक नगरी के नाम से प्रसिद्ध करौली राम भक्ति के रंग में 7 जनवरी के दिन ही रंग गई. मौका था अयोध्या नरेश श्री राम की प्राण प्रतिष्ठा से पहले निकलने वाली प्रभु श्री राम की शोभायात्रा का, धार्मिक नगरी में निकलने वाली यह भव्य शोभायात्रा इतनी विशाल और ऐतिहासिक थी कि मानों हर व्यक्ति के रोम-रोम में एक बार तो प्रभु श्री राम ही छा गए. राम जी की इस विशाल शोभा यात्रा को देखने के लिए पूरा शहर मानो थम गया हो. इस भव्य यात्रा का दृश्य देखने के लिए पूरे शहर के लोग दिनभर छतों पर ही नजर आए. करौली के इतिहास में पहली बार निकलने वाली यह शोभायात्रा इतनी विशाल थी कि एक बार तो व्यक्ति जहां पर भी था वहीं, पर ही करीब 2 घंटे तक ठहर गया
करौली के इतिहास में पहली बार निकलने वाली प्रभु श्री राम इस शोभायात्रा में 11000 से ज्यादा महिलाएं राम जी का अक्षय कलश अपने सिर पर धारण करके पंक्तिबद्ध रूप से चल रही थी. 11000 महिलाओं को एक साथ कलश लेकर चलते देख हर व्यक्ति के मन में राम भक्ति जाग उठी और पूरे शहर में राम ही राम के जयकारे ही सुनाई दे रहे थे. इसके साथ राम जी की इस भव्य शोभा यात्रा में सुभाष चंद्र बोस, रानी लक्ष्मीबाई और संजीव झांकी भी राम जी के रथ के पास ही चल रही थी.
करौली के इतिहास की सबसे बड़ी शोभायात्रा
इस ऐतिहासिक यात्रा के लिए लोगों ने भी स्वागत के लिए पलक पांवड़े बिछा दिए, राम जी की इस शोभायात्रा का जगह-जगह पर पुष्प वर्षा, रंगोली सजाकर स्वागत किया गया. सबसे खास बात कि इस विशाल यात्रा के चलते लगभग 4 घंटे तक जो व्यक्ति जहां था वहीं पर ठहर गया. संघ के नगर कार्यवाहक अमित शुक्ला ने बताया कि यह विशाल शोभायात्रा श्री राम जन्मोत्सव आनंद समिति द्वारा निकाली गई है. जो करौली के इतिहास की पहली सबसे बड़ी शोभायात्रा है. जिसमें 11000 से ज्यादा महिलाएं सिर पर अक्षत कलश लेकर चल रही थी. शुक्ला ने बताया कि इस शोभायात्रा की खासियत इसमें 3600 कोमों का समावेश था. करौली के त्रिलोक चंद माथुर स्टेडियम से 2:00 शुरू हुई इस विशाल शोभायात्रा का समापन शाम को एक साथ हनुमान चालीसा का पाठ और महिलाओं ने अपने-अपने कलश का जल 11 पार्थिव शिवलिंगों पर चढ़ाकर किया.
2 लाख दीपों से जगमग होगा इस नदी का आंचल, गंगा की तर्ज पर होगी आरती, 9 दिन तक यहां मनेगा गौरव दिवस
9 Jan, 2024 06:15 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
मध्य प्रदेश का खरगोन शहर, जिसे नवग्रह की नगरी के नाम से भी जाना जाता है. शहर की जीवन दायिनी कुंदा नदी के तट पर विश्व का एकमात्र नवग्रह मंदिर है. मकर संक्रांति पर यहां बड़ा उत्सव मनाया जाता है. सूर्य की पहली किरण मंदिर के गर्भगृह में पड़ती है और यही वजह है कि खरगोन अपना गौरव दिवस मकर सक्रांति को मनाएगा.
बता दें की पहली बार खरगोन अपना गौरव दिवस 9 दिनों तक (14 जनवरी से 22 जनवरी 2024) मनाएगा. नौ दिनों में कई आयोजन होंगे. मकर सक्रांति के दिन विश्व प्रसिद्ध गंगा की तर्ज पर कुंदा की आरती और 2 लाख से ज्यादा दीप शहर वासियों द्वारा नदी में प्रवाहित किए जाएंगे. सांस्कृतिक कार्यक्रम में निमाड़ की लोक कलाओं की प्रस्तुति होगी. हर प्रशासनिक विभागीय भवन सहित पूरा शहर दुल्हन की तरह सजेगा.
तैयारियों में जुटा अमला
नगर पालिका सीएमओ आरएम निगवाल ने कहा कि शहर वासियों के सुझाव पर इस वर्ष गौरव दिवस 9 दिनों तक मनाएंगे. तैयारियों को लेकर नगर पालिका अमला पूरी तरह जुटा हुआ है. कुंदा नदी की सफाई के साथ ही गाद निकाली जा रही है, ताकि आरती और दीपदान में सुविधा हो सके. शुक्रवार से पोकलेन मशीन से गाद निकालने का कार्य किया जा रहा है.
हर घर जलेंगे दीप
इसी के साथ शहर भर में वॉलपेटिंग और रंगाई-पुताई कर सौंदरीकरण किया जा रहा है. 15 जनवरी को मकर सक्रांति और गौरव दिवस के दिन सभी विभागीय कार्यालय पर आकर्षक विद्युत सज्जा की जाएगी. शहर के हर घर दीप जलाकर महोत्सव के रूप में शहर का गौरव दिवस मनाएंगे. महिलाओं द्वारा सामूहिक रूप से हल्की-कुमकुम कार्यक्रम भी इसी दिन होगा.
यह भी होंगे आयोजन
सीएमओ निगवाल ने बताया कि नौ दिनों तक अलग-अलग आयोजन होना है. इसमें सांस्कृतिक आयोजन, शहर को गौरवान्वित करने वाले विभिन्न विधाओं के प्रतिभावनों का सम्मान, रहवासियों द्वारा हर दिन कुंदा की आरती और दीपदान, रंगोली महोत्सव, खेलकूद गतिविधियां एवं 22 जनवरी को आखरी दिन अयोध्या में रामलला की प्राण-प्रतिष्ठा होना है, इस दिन को दिवाली की तरह शहर वासियों द्वारा मनाया जाएगा. आयोजनों के लिए समितियों का गठन किया है.
इस मंदिर में दर्शन के बिना नहीं कर सकते अयोध्या में रामलला की पूजा
9 Jan, 2024 06:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
मंदिर और मूर्तियों के शहर अयोध्या में लगभग 8000 मठ और मंदिर है. हर मठ-मंदिर की अपनी अलग परंपरा अलग मान्यता है. अयोध्या में प्रभु राम के परम सेवक हनुमान जी का भी मंदिर है. आज हम बात करेंगे प्राचीन सिद्धपीठ हनुमानगढ़ी मंदिर की. प्राचीन सिद्धपीठ हनुमानगढ़ी को अधोध्या का सबसे प्रसिद्ध हनुमान मंदिर माना जाता है. हनुमानगढ़ी मंदिर की स्थापना करीब 300 साल पहले स्वामी अभयराम जी के निर्देश पर शुजाऊद्दौला ने किया था.सरयू नदी के तट पर स्थित इस मंदिर तक पहुंचने के लिए भक्तों को 76 सीढ़ियां चढ़नी पड़ती हैं. कहते हैं यहां बजरंगबली के दर्शन किए बिना रामलला की पूजा अधूरी मानी जाती है. मान्यता है कि हनुमानगढ़ी मंदिर में पुजारी को साक्षात पवन पुत्र बजरंगबली दर्शन देते हैं.
दरअसल, हनुमान चालीसा में गोस्वामी तुलसीदास ने भी लिखा है कि “राम दुआरे तुम रखवारे, होत न आज्ञा बिनु पैसारे” यानि भगवान राम के दर्शन के पहले आपको हनुमान जी से आज्ञा लेनी होगी. कलयुग में हनुमान जी को ऐसा देवता माना जाता है. जिनकी पूजा आराधना करने से जीवन में आए तमाम तरह की बाधा भी समाप्त होती है. यही वजह है की अयोध्या की सिद्ध पीठ हनुमानगढ़ी पर लाखों की संख्या में श्रद्धालु प्रतिदिन दर्शन पूजन करके अपने आप को धन्य मानते हैं.
300 साल पहले बना था मंदिर
इतना ही नहीं भगवान राम की जन्म स्थली अयोध्या में स्थित हनुमान जी का पौराणिक मंदिर हनुमानगढ़ी सरयू नदी के तट के सामने ऊंचे टीले पर स्थित है. कहा जाता है इस मंदिर की स्थापना 300 साल पहले स्वामी अभय रामदास जी महाराज के निर्देश पर शुजाऊद्दौला ने किया था. हालांकि हनुमानगढ़ी मंदिर को लेकर कहानी बहुत लंबी है लेकिन ऐसी मान्यता भी है कि जब प्रभु राम अपने धाम को जाने लगे तो हनुमान जी को यहां का कार्यभार सौंप दिया था.
कैसे हुआ मंदिर का निर्माण?
अयोध्या के वरिष्ठ संत करपात्री जी महाराज बताते हैं कि हनुमानगढ़ी में हनुमान जी महाराज अयोध्या के राजा के रूप में विराजमान हैं. जब प्रभु राम अपने धाम को जाने लगे तो हनुमान जी को भगवान राम ने यहां का राजा बनाया था. हनुमानगढ़ की स्थापना को लेकर कहा जाता है कहते हैं यहां जब नवाब शुजाऊद्दौला के शहजादे गंभीर बीमार हुआ तो चिकित्सकों ने भी हाथ टेक दि थे. कहते हैं कि जब अभयराम ने कुछ मंत्र पढ़कर हनुमानजी के चरणामृत का जल छिड़का नवाब के बेटे पर छिड़का तो उसकी सांसे लौट आईं.नवाब ने इसे चमत्कार माना और अभयराम जी से हनुमानगढ़ी बनवाने की बात कही
अयोध्या की रक्षा करते हैं अंजनी पुत्र हनुमान
मान्यता है कि हनुमान जी के नाम लेने से संसार के सारे कष्ट दूर भी हो जाते हैं. करपात्री जी महाराज में बताया कि अयोध्या को बचाने और प्रभु राम की सेवा करने के लिए हनुमान जी का अहम योगदान है. एक बार की घटना है जब आतंकवादी ने अयोध्या पर हमला कर दिया था तो हनुमान जी ने ही अयोध्या की रक्षा की थी.
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राशिफल: जानिए, कैसा रहेगा आपका आज का दिन (09 जनवरी 2024)
9 Jan, 2024 12:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
मिथुन राशि :- अर्थ व्यवस्था अनुकूल होगी, सफलता के साधन जुटायेंगे, रुके कार्य बन जायेंगे।
कर्क राशि :- मनोवृत्ति उदार बनाये रखें, तनाव, क्लेश व अशांति की स्थिति बनेगी ध्यान रखें।
सिंह राशि :- समय नष्ट होगा, व्यवसायिक गति मंद होगी, असमंजस की स्थिति से बचिये।
कन्या राशि :- आर्थिक योजना सफल होगी, व्यवसायिक क्षमता अनुकूल होगी।
तुला राशि :- धन का व्यय, आलस्य से हानि संभव है, कार्य अवश्य बनेंगे ध्यान दें।
वृश्चिक राशि :- स्त्री वर्ग से क्लेश व अशांति तथा विघटनकारी तत्व परेशान अवश्य करेंगे।
धनु राशि :- कुटुम्ब की समस्यायें सुलझेंगी, धन का व्यर्थ व्यय होगा, व्यर्थ भ्रमण होगा।
मकर राशिः- अर्थ-व्यवस्था छिन्न-भिन्न होगी, कार्य व्यवसाय गति मध्यम होगी।
कुंभ राशि :- दैनिक कार्यगति में सुधार, चिन्तायें कम होंगी तथा सफलता अवश्य मिलेगी।
मीन राशि :- मनोबल उत्साहवर्धक होगा, कार्यगति अनुकूल बनी रहेगी ध्यान दें।
एमपी के इस शहर में सुनाई जाएगी श्री राम मंदिर की गाथा, 500 साल पुराना इतिहास
8 Jan, 2024 06:45 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
भोपाल. पूरे विश्व में श्री राम की नगरी अयोध्या राम मंदिर की गूंज है. हर दिन के साथ वह दिन नजदीक आता जा रहा है जब 500 से अधिक सालों के बाद भगवान राम, मंदिर में विराजमान होंगे. 22 जनवरी को राम मंदिर का प्राण प्रतिष्ठा समारोह होना है. इसी उत्साव के साथ को लेकर राजधानी में विभिन्न आयोजन किए जा रहे हैं. इसी श्रेणी में करुणाधाम आश्रम 7 जनवरी को रवीन्द्र भवन में ‘गाथा श्रीराम मंदिर की’ का आयोजन कर रहा है. जिसमें 500 साल पहले आक्रांताओं द्वारा मंदिर तोड़े जाने और इसके बाद से शुरू श्रीराम जन्मभूमि को मुक्त कराने के संघर्ष की कहानी सुनाई जाएगी. कार्यक्रम हंस ध्वनि सभागृह में शाम 6:30 बजे शुरू होगा, जो 75 मिनट चलेगा.
आश्रम के प्रवक्ता शाश्वत शांडिल्य ने कहा कि करुणाधाम आश्रम द्वारा रवीन्द्र भवन के हंस ध्वनि सभागृह में रविवार 7 जनवरी को शाम 6:30 बजे “गाथा श्रीराम मंदिर की संगीतमय महागाथा प्रस्तुति करवाई जा रही है. इसमें राम जन्म-भूमि के संघर्ष के इतिहास की भव्य प्रस्तुति की जायेगी. कार्यक्रम में अभिनेता एवं वक्ता मोहित शेवानी संगीतमय महागाथा की प्रस्तुति देंगे. बॉलीवुड रायटर एवं गीतकार प्रबुद्ध सौरभ मंच संचालन करेंगे. हृदय बैंड के शुभम नाथानी संगीत देंगे. श्रीराम जन्मभूमि की तपस्या एवं संघर्ष की सत्य गाथा के इस कार्यक्रम में प्रवेश निःशुल्क रहेगा.
गाथा श्री राम मंदिर की
इस गाथा में श्रीराम से चल कर लवकुश से शुरू होकरअयोध्या पर हुए तमाम हमलों और अयोध्या के रक्षकों की चर्चा होती है जिसमें हर उस महत्वपूर्ण व्यक्ति का नाम है, जो अयोध्या और श्रीराम मंदिर से सम्बद्ध है. साथ ही राजा विक्रमादित्य और माँ अहिल्याबाई होल्कर द्वारा मंदिर के जीर्णोद्धार, बैरागी साधुओं के संघर्ष, गर्भगृह से रामलला का निकाला जाना, गर्भगृह में रामलला का प्रकट होना, कार सेवा, कोठारी बन्धुओं के बलिदान, राजनीतिक उथल-पुथल और वर्तमान निर्माणाधीन मंदिर की भव्यता, दिव्यता और उसके पीछे केंद्र और राज्य सरकार के संकल्प का चित्रण किया गया है. जहाँ एक ओर यह गाथा श्रीराम मंदिर की पूरी कहानी आस्था पूर्वक सुनाती है, वहीं संगीतमय प्रस्तुति इसे रुचिकर और ऊर्जात्मक भी बनाती है.
खिचड़ी खाकर सोने चले जाते हैं भगवान राम, उत्तराखंड के राम मंदिर में मकर संक्रांति तक महापूजा
8 Jan, 2024 06:30 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
वैसे तो देवताओं का वास स्वर्ग में होता है, लेकिन देवभूमि उत्तराखंड भी किसी स्वर्ग से कम नहीं है. यहां हिंदू आस्था से जुड़े सैकड़ों मठ-मंदिर हैं, जहां की विशेष मान्यताएं हैं. ऐसा ही एक मंदिर टिहरी गढ़वाल जिले की संगम नगरी देवप्रयाग में स्थित है. भगवान नारायण के इस मंदिर में श्रीराम की पूजा अर्चना होती है, लेकिन पौष के महीने में यहां विशेष पूजा का विधान है. देवप्रयाग के रघुनाथ मंदिर में इन दिनों विशेष पूजा-अर्चना चल रही है. भगवान श्रीराम को समर्पित रघुनाथ मंदिर में मकर संक्रांति तक यह विशेष पूजा की जाएगी. सालभर में पौष माह के दौरान यहां विशेष पूजा अनुष्ठान का विधान है, जिसमें भगवान राम को खिचड़ी का भोग लगाया जाता है. वहीं भक्तों के दर्शन के लिए विशेष समय सीमा भी निर्धारित की जाती है.
रघुनाथ मंदिर के पुजारी और बद्रीनाथ के तीर्थ पुरोहित तनुज कोटियाल बताते हैं कि पौष माह में यहां महापूजा का विधान है. यह महापूजा मकर संक्रांति तक चलेगी. इस दौरान भगवान रघुनाथ का विशेष श्रृंगार किया जाता है. यहां पूरे पौष माह में परम्परागत तौर पर भगवान श्रीराम की महापूजा होती है. साथ ही भगवान को खिचड़ी का भोग लगाया जाता है.
भक्तों को बांटा जाता है खिचड़ी प्रसाद
तनुज कोटियाल बताते हैं कि पौष माह की महापूजा में बड़ी संख्या में श्रद्वालु यहां दर्शन के लिए पहुंचते हैं. सुबह-सुबह गंगा स्नान करने के बाद श्रद्धालु यहां भगवान के दर्शन कर आशीर्वाद लेते हैं. साथ ही भगवान को भोग लगने के बाद प्रसाद स्वरूप बंटने वाली खिचड़ी को ग्रहण करते हैं. वह कहते हैं कि इस दौरान एक निश्चित समय के लिए भगवान के दर्शन श्रद्धालुओं के लिए बंद कर दिए जाते हैं. उस समय भगवान शयन मुद्रा में होते हैं.
विष्णु का मंदिर राम के रूप में पूज्य
अलकनंदा और भागीरथी नदी के संगम स्थल जहां से आगे यह गंगा के रूप में नदी बहती है, उस संगम स्थल देवप्रयाग के ठीक ऊपर रघुनाथ मंदिर स्थित है. वैसे तो यह मंदिर भगवान विष्णु का है, लेकिन यहां श्रीराम की पूजा अर्चना व मूर्ति का श्रृंगार राम के रूप में होता है. माना जाता है कि देव शर्मा नामक ऋषि जिनके नाम पर इस क्षेत्र का नाम देवप्रयाग पड़ा, उन्हें भगवान नारायण ने दर्शन दिए थे, लेकिन वह श्रीराम के रूप में उनके दर्शन चाहते थे. इसी वजह से यहां भगवान विष्णु की श्रीराम के रूप में पूजा युगों-युगों से की जा रही है.
मकर संक्रांति पर बन रहे 3 दुर्लभ योग
8 Jan, 2024 06:15 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
हिंदू धर्म में मकर संक्रांति का पर्व बड़े धूमधाम से मनाया जाता है. इस दिन दान का विशेष महत्व है. माना जाता है कि जब सूर्य मकर राशि में गोचर करते हैं, तब यह पर्व मनाया जाता है. इस दिन विशेष रूप से सूर्य देव की पूजा की जाती है. वहीं मकर संक्रांति के दिन लोग विशेष रूप से तिल और गुड़ खाते हैं.
उत्तराखंड के ऋषिकेश में स्थित श्री सच्चा अखिलेश्वर महादेव मंदिर के पुजारी शुभम तिवारी ने लोकल 18 को बताया कि हिंदू धर्म में मकर संक्रांति का पर्व बहुत महत्वपूर्ण पर्व माना जाता है. इस दिन विशेष रूप से तिल और गुड़ का सेवन किया जाता है. साथ ही इस दिन विशेष रूप से सूर्य देव की पूजा की जाती है. इस साल मकर संक्रांति का पर्व 15 जनवरी दिन सोमवार को मनाया जाएगा. इस दिन दान का भी विशेष महत्व है. इसके साथ ही इस दिन काफी शुभ योग बन रहे हैं. इसीलिए इस दिन कई चीजें दान करने का विशेष लाभ मिलेगा.
रवि योग में करें पवित्र नदी में स्नान
पुजारी शुभम ने बताया कि इस साल 15 जनवरी को मकर संक्रांति के दिन कई सारे शुभ योग बन रहे हैं, जिसमें सबसे बड़ा योग है रवि योग. इस दिन सुबह 07.15 से लेकर सुबह 08.07 बजे तक रवि योग बन रहा है. इस योग में स्नान दान का विशेष महत्व है. साथ ही बताया कि जो भी व्यक्ति इस योग में भगवान सूर्य की पूजा करेगा, उसके मान सम्मान में वृद्धि होगी. इस दिन विशेष रूप से सूर्यदेव की पूजा अर्चना की जाती है, इसलिए इस दिन सूर्यदेव से संबंधित सामग्री जैसे गुड़, तिल, तांबा, वस्त्र आदि का दान करना शुभ माना जाता है.
महापुण्य योग के साथ बन रहा वरियान योग
पुजारी शुभम तिवारी ने बताया कि मकर संक्रांति के दिन रवि योग के साथ ही महापुण्य योग भी बन रहा है. इस योग में दान पुण्य और पवित्र नदी में स्नान करने का विशेष महत्व है. अगर आप ऋषिकेश आए हुए हैं, तो इस योग में पवित्र गंगा, यमुना और सरस्वती के संगम त्रिवेणी घाट में स्नान जरूर करें. इस योग में इस पवित्र नदी में स्नान करने से सौभाग्य की प्राप्ति होती है. वहीं, इस बार वरियान योग भी बन रहा है, जिसमे कुबेर और शुक्र के मंत्रों का जप करना विशेष लाभ देगा.
राशिफल: जानिए, कैसा रहेगा आपका आज का दिन (08 जनवरी 2024)
8 Jan, 2024 06:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
मेष राशि :- बढ़िया यात्रा, विवाद, मातृकष्ट, व्यर्थ का विरोध होगा, कार्य शेष हो।
वृष राशि :- धन व्यय व व्यापार में प्रगति शुभ कार्य होवे परिणाम अनुभवशील रहेगा।
मिथुन राशि :- पितृ कष्ट हो सकता है। व्यय, लाभ, अशांति का वातावरण अवश्य रहेगा।
कर्क राशि :- शुभ भूमि का लाभ, हर्ष कार्य सिद्ध, खेती व गृह कार्य व्यवस्था पूर्वक रहेगा।
सिंह राशि :- शत्रु भय, विरोध, लाभ उद्योग व्यापार लाभ कार्य सफलता अवश्य होवेगा।
कन्या राशि :- चिन्ता लाभ, विद्या, लाभ उन्नति घरेलू, विरोध शिक्षा लेखन कार्य सफलता होगे।
तुला राशि :- सुख सफलता निर्माण, प्रवास मन कार्य में व्यय से लाभ अवश्य होवेगी।
वृश्चिक राशि :- लाभ सिर, नेत्र परेशानी अवश्य होवेगा ध्यान अवश्य ही देवे।
धनु राशि :- हानि होगी, पदोन्नति लाभ होवेगा, व्यर्थ का सामना करना पड़ेगा।
मकर राशि : धन लाभ, स्थानान्तरण होवेगा, राज कार्य में असमंजस्य बना रहेगा।
कुंभ राशि :- अभाव विवाद, चिन्ता लाभ, कर विरोधी असफलता का आभाव रहेगा।
मीन राशि :- संतान सुख, प्रवास धन लाभ, अपने मित्रों व परिवारों का विरोध रहेगा।
हाथ में कलावा कितनी बार लपेटना चाहिए? 99% लोग करते हैं गलती, पंडित जी से जानें रक्षासूत्र बांधने का तरीका और महत्व
7 Jan, 2024 06:45 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
Kalawa Rules: हिन्दू धर्म में पूजा-पाठ या फिर मांगलिक कार्य में कलावा का प्रयोग जरूर किया जाता है. कलावा बांधने का धार्मिक ही नहीं वैज्ञानिक कारण भी है. कलावा को देवी-देवताओं को अर्पित करने के साथ ही हाथ में भी रक्षासूत्र के रूप में बांधा जाता है. माना जाता है कि रक्षासूत्र को हाथ में बांधने से बुरी बलाओं से बचाओ होता है. साथ ही कलावा बांधने वालों पर ईश्वर की कृपा बनी रहती है. हालांकि इसका लाभ आपको तभी मिलेगा, जब इसको बांधने के सही नियम फॉलो करेंगे. बता दें कि, शास्त्रों में कलावा धारण करने और उतारने के कई नियम बताए गए हैं. इन नियमों का ध्यान रखा जाए तो व्यक्ति कई समस्याओं से बच सकता है. आइए कासगंज की तीर्थ नगरी सोरों के ज्योतिषाचार्य डॉ. गौरव कुमार दीक्षित से जानते हैं क्यों बांधा जाता है कलावा? कलावा बांधने और उतारने के नियम और धार्मिक महत्व?
क्यों पहना जाता है मौली या कलावा
डॉ. गौरव दीक्षित बताते हैं कि कलावा बांधने से त्रिदेवों के साथ तीनों देवियों मां लक्ष्मी, पार्वती और सरस्वती का आशीर्वाद प्राप्त होता है, जिससे जो भी कार्य करने जा रहे हैं, वह बिना किसी बाधा के पूर्ण होता है. मौली व कलावा को रक्षा सूत्र भी कहते हैं, जो हमारे बुरे समय में रक्षा करता है, इससे घर में सुख-समृद्धि भी बनी रहती है. मौली व कलावा बांधने से व्यक्ति का स्वास्थ्य भी अच्छा रहता है. इसके पीछे वैज्ञानिक कारण भी है. हमारे शरीर की संरचना का प्रमुख नियत्रंण कलाई में होता है, इसलिए मौली धागा एक तरह से एक्यूप्रेशर की तरह काम करता है, जो हृदय रोग, मधुमेह व लकवा जैसे रोगों से सुरक्षा करता है.
कलावा बांधने का मंत्र
डॉ. गौरव दीक्षित के मुताबिक, कलावा को हमेशा किसी योग्य कर्मकांडी ब्राह्मण या अपने से बड़े व्यक्ति से बंधवाना चाहिए. ऐसा करने से आपके साथ होनी वाली अनहोनी से बचा जा सकता है. पुरुष को कलावा हमेशा अपने दाएं हाथ में और स्त्री को अपने बाएं हाथ में बंधवाना चाहिए. हालांकि, कलावा बांधने वाले को हाथ पर बांधते समय ”येन बद्धो बली राजा दानवेन्द्रो महाबल:। तेन त्वामनुबध्नामि रक्षे मा चल मा चल।।” मंत्र का जाप जरूर करना चाहिए.
राशिफल: जानिए, कैसा रहेगा आपका आज का दिन (07 जनवरी 2024)
7 Jan, 2024 06:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
मेष राशि :- समय विफल हो, कार्य गति में बाधा चिन्ताग्रस्त होवे, व्यर्थ भ्रमण तथा कार्य अवरोध होगा।
वृष राशि :- इष्ट मित्रों से सुख, अधिकारियों से मेल मिलाप होवे तथा रुके कार्य अवश्य ही बन जाएगे।
मिथुन राशि :- भाग्य का सितारा प्राप्त हो, बिगड़े कार्य अवश्य ही बनेंगे, समय का उपयोग अवश्य करें।
कर्क राशि :- भाग्य का सितारा प्रबल है, बिगड़े कार्य अवश्य ही बनेंगे, समय समस्याओं से घिरा है।
सिंह राशि - इष्ट मित्र सुखवर्धक हो, कुटुम्ब की समस्याएं सुलझे तथा स्त्रीवर्ग से हर्ष अवश्य होगा।
कन्या राशि :- भावनाएं संवेदनशील रहे, कुटुम्ब में सुख तथा धन प्राप्त के साधन अवश्य बनेंगे।
तुला राशि :- समय अनुकूल नहीं, स्वास्थ्य नरम रहे तथा किसी धारणा का अनदेख अपराध होगा।
वृश्चिक राशि :- स्त्री शरीर कष्ट, मानसिक उद्विघ्नता, हानिप्रद होगी, समय का ध्यान रखें।
धनु राशि :- आशानुकूल सफलता, स्थिति में सुधार, व्यवसाय गति उत्तम अवश्य ही बनेगी।
मकर राशि - व्यर्थ धन का व्यय, मानसिक उद्विघ्नता हानिप्रद होगी, समय का ध्यान रखे।
कुंभ राशि - इष्ट मित्र सहयोगी, कार्य बनेंगे तथा कार्य गति अनुकूल होगी, अनुकूलता का लाभ लें।
मीन राशि - भाग्य का सितारा प्रबल हो, बिगड़े कार्य बन जाएंगे, रुके कार्यों पर ध्यान दें।
8 या 9 जनवरी कब है 2024 का पहला प्रदोष व्रत? मासिक शिवरात्रि के साथ बन रहा है अद्भुत संयोग
6 Jan, 2024 06:30 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
अयोध्या: सनातन धर्म में हर पर्व, त्योहार का बहुत अधिक महत्व माना जाता है. वैसे ही साल के 12 महीने में प्रत्येक महीने प्रदोष का व्रत भी भगवान शंकर के निमित्त रखा जाता है. धार्मिक मान्यता के अनुसार प्रदोष व्रत हर महीने की त्रयोदशी तिथि में रखा जाता है. कहते हैं जो व्यक्ति सच्चे मन से प्रदोष व्रत रखता है और भगवान शिव की उपासना करता है उसे दुख दरिद्रता, संकट, रोग, कर्ज से छुटकारा मिलता है.
अयोध्या के ज्योतिषि पंडित कल्कि राम बताते हैं कि हिंदू पंचांग के अनुसार कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को साल का पहला प्रदोष रखा जाएगा. त्रयोदशी तिथि की शुरुआत सोमवार दिनांक 8 जनवरी को रात्रि 11:58 से शुरू होकर अगले दिन मंगलवार दिनांक 9 जनवरी को रात्रि 10:24 तक रहेगा. यानी 9 जनवरी को साल का पहला प्रदोष व्रत रखा जाएगा.जो प्रदोष व्रत मंगलवार के दिन पड़ते हैं उन्हें भौम प्रदोष कहा जाता है. पुराणों के अनुसार भौम प्रदोष के दिन व्रत रखने से व्यक्ति को हर तरह के रोगों से मुक्ति मिलती है. ऐसा करने से स्वास्थ सम्बन्धी समस्याएं नहीं होती हैं.
मासिक शिवरात्रि और प्रदोष व्रत एक साथ
पंडित कल्कि राम बताते हैं कि साल के पहले प्रदोष व्रत के दिन कई अद्भुत संयोग का निर्माण भी हो रहा है. इस शुभ योग में किया गया पूजा पाठ कई गुना अनंत फल देगा. प्रदोष व्रत के साथ-साथ इस दिन साल की पहली मासिक शिवरात्रि भी है. शिवरात्रि और प्रदोष व्रत एक ही दिन पड़ने के कारण इस दिन का महत्व और अधिक बढ़ जाता है. इस दिन भगवान शंकर के साथ हनुमान जी की पूजा आराधना करने से सभी प्रकार की नकारात्मक शक्तियां दूर हो जाती है.
क्या है प्रदोष व्रत का महत्व?
पंडित कल्कि राम बताते हैं कि धार्मिक शास्त्रों के अनुसार प्रदोष व्रत रखने से कई गुना फल की प्राप्ति भी होती है. दरिद्रता का नाश होता है. घर में सकारात्मक ऊर्जा का निवास होता है. इस दिन पूजा पाठ करने से विवाह में आ रही बाधा दूर होती है. इतना ही नहीं इस दिन व्रत रख कर भगवान भोले के निमित्त रुद्राभिषेक करने से ही शीघ्र ही शादी के योग भी बनती है.
नए साल में खरमास बाद करना है नए बिजनेस का शुभारंभ, यहां देखें दुकान मुहूर्त
6 Jan, 2024 06:15 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
नए साल 2024 में आप अपना नया बिजनेस प्रारंभ करना चाहते हैं तो उसके लिए आपको शुभ तारीखों के बारे में जानने की जरूरत होगी. सूर्य देव अभी धनु राशि में हैं, इसलिए खरमास चल रहा है. खरमास में शुभ कार्यों को करने की मनाही होती है. सूर्य देव जब मकर राशि में प्रवेश करेंगे, तब मकर संक्रांति होगी. उस दिन से खरमास का समापन हो जाएगा. तब से मांगलिक कार्यों पर लगी रोक हट जाएगी. इस साल मकर संक्रांति 15 जनवरी दिन सोमवार को है. सूर्य देव 14 मार्च को मीन राशि में प्रवेश करेंगे, तब फिर खरमास शुरू होगा. सूर्य देव जब जब देव गुरु बृहस्पति की राशि धनु और मीन में जाते हैं तो उस समय खरमास लगता है. तिरुपति के ज्योतिषाचार्य डॉ. कृष्ण कुमार भार्गव से जानते हैं खरमास बाद दुकान के शुभ मुहूर्त.
दुकान के शुभ मुहूर्त 2024
जनवरी 2024 दुकान शुभ मुहूर्त
17 जनवरी, दिन बुधवार, पौष शुक्ल सप्तमी तिथि, उत्तरभाद्रपद नक्षत्र
21 जनवरी, दिन रविवार, पौष शुक्ल एकादशी तिथि, रोहिणी नक्षत्र
25 जनवरी, दिन गुरुवार, पौष शुक्ल पूर्णिमा तिथि, पुष्य नक्षत्र
26 जनवरी, दिन शुक्रवार, माघ कृष्ण प्रतिपदा तिथि, पुष्य नक्षत्र
31 जनवरी, दिन बुधवार, माघ कृष्ण पंचमी तिथि, हस्त नक्षत्र
फरवरी 2024 दुकान शुभ मुहूर्त
4 फरवरी, दिन रविवार, माघ कृष्ण नवमी तिथि, अनुराधा नक्षत्र
12 फरवरी, दिन सोमवार, माघ शुक्ल तृतीया तिथि, उत्तरभाद्रपद नक्षत्र
15 फरवरी, दिन गुरुवार, माघ शुक्ल षष्ठी तिथि, अश्विनी नक्षत्र
22 फरवरी, दिन गुरुवार, माघ शुक्ल त्रयोदशी तिथि, पुष्य नक्षत्र
मार्च 2024 दुकान शुभ मुहूर्त
2 मार्च, दिन शनिवार, फाल्गुन कृष्ण सप्तमी तिथि, अनुराधा नक्षत्र
3 मार्च, दिन रविवार, फाल्गुन कृष्ण अष्टमी तिथि, अनुराधा नक्षत्र
13 मार्च, दिन बुधवार, फाल्गुन शुक्ल तृतीया तिथि, अश्विनी नक्षत्र
14 मार्च से 13 अप्रैल तक खरमास रहेगा. उसके बाद से 7 मई से 6 जून तक देव गुरु बृहस्पति अस्त रहेंगे. शुभ कार्यों के लिए गुरु ग्रह का उदित अवस्था में रहना जरूरी होता है. गुरु के अस्त होने पर मांगलिक कार्य नहीं होते हैं. हालांकि बिजनेस या दुकान के शुभारंभ के लिए स्थिर नक्षत्र को देखा जाता है. इस वजह से खरमास में भी लोग नई दुकान या बिजनेस का प्रारंभ कर देते हैं. हालांकि यहां पर आपको खरमास से खरमास तक के ही दुकान मुहूर्त के बारे में बताया गया है.