धर्म एवं ज्योतिष
नीम करौली बाबा ने रखी थी नैनीताल में बजरंग बली के इस मंदिर की नींव, हनुमान जी के दर्शन से करें नए साल की शुरुआत
1 Jan, 2024 06:30 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
उत्तराखंड के नैनीताल में हनुमान जी का एक प्रसिद्ध मंदिर है, जिसे हनुमान गढ़ी (Hanuman Garhi Nainital) कहा जाता है. यह मंदिर नीम करौली बाबा (Neem Karoli Baba) ने बनवाया था. महाराज 1950 में इस जगह आए थे. बाबा ने अपने अनुयायियों के साथ मिलकर यहां एक कुटिया का निर्माण किया. साथ ही कुटिया के पास छोटे हनुमान जी की मूर्ति की स्थापना की और 1953 में बाबा ने मंदिर में बड़े हनुमान जी की मूर्ति स्थापित की. जिसके बाद नीम करौली बाबा ने 1955 में यहां राम मंदिर और 1956 से 1957 के बीच हनुमान गढ़ी धाम में शिव जी का मंदिर भी बनवाया. नए साल के मौके पर नैनीताल आने वाले पर्यटक इस मंदिर के दर्शन करने जरूर आते हैं. यह शहर से करीब दो किलोमीटर दूर हल्द्वानी रोड पर स्थित है.
हनुमान गढ़ी मंदिर के प्रबंधक एमपी सिंह बताते हैं कि जब नीम करौली बाबा ने ट्रेन रोककर अपनी लीला दिखाई थी, उसके बाद महाराज जी यहां आए थे. हनुमान गढ़ी महाराज जी का यहां पहला स्थान है. यह मंदिर शहर से करीब दो किमी की दूरी पर स्थित है. इसके दूसरी तरफ पहाड़ी पर शीतला माता का मंदिर है. यहां सच्चे मन से मांगी गई हर मन्नत पूरी होती है.
हैड़ाखान बाबा ने की थी भविष्यवाणी
एमपी सिंह बताते हैं कि आज भी कथाओं में यह बात कही जाती है कि हैड़ाखान बाबा जब इस जगह पर अपने शिष्यों के साथ आए थे, तो उन्होंने कहा था कि कोई अंजनी का लाल आएगा जो इस जगह को जागृत करेगा. इससे पूर्व इस जगह पर कब्रिस्तान हुआ करता था. जब भी किसी बच्चे की मृत्यु हो जाती थी, तो उसे इस स्थान पर दफनाया जाता था. यही वजह थी कि लोग इस जगह पर आने से डरते थे. उन्होंने कहा कि बाबाजी ने जब यहां पर मंदिर स्थापित किया, तो एक विशाल भंडारे का भी आयोजन किया था. कहा जाता है कि उस भंडारे में प्रसाद लेने काफी बच्चों की भीड़ यहां उमड़ी थी और प्रसाद पाने के बाद वो बच्चे गायब हो गए. माना जाता है कि ये बच्चे वही थे, जिन्हें इस स्थान पर दफनाया गया था. बाबा ने अपनी चमत्कारी लीला से इन सभी बच्चों की आत्मा को मुक्ति प्रदान की थी.
सिद्धि मां भी इसी स्थान से जुड़ी थीं
उन्होंने आगे बताया कि नीम करौली बाबा से जुड़े लोग सर्वप्रथम इस स्थान से ही जुड़े थे. कात्यायनी का स्वरूप कही जाने वाली सिद्धि मां भी इसी स्थान से महाराज जी से जुड़ी थीं. मां का पहला कर्म स्थान भी हनुमान गढ़ी था. यहां आज मां का मंदिर स्थित है.
कैसे पहुंचे हनुमान गढ़ी?
यहां तक आप नैनीताल से हल्द्वानी की तरफ किसी भी कैब, टैक्सी या फिर पब्लिक ट्रांसपोर्ट की मदद से पहुंच सकते हैं. आप अपने निजी दोपहिया या चौपहिया वाहन से भी यहां तक आ सकते हैं.
घर में सौभाग्य के लिए लगाये शमी का पेड़
1 Jan, 2024 06:30 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
प्राचीन मान्यता है कि शमी का पेड़ घर में सौभाग्य लाता है। शमी का पेड़ लगाने से उसमें रहने वालों पर देवी-देवताओं की कृपा बनी रहती है और घर में सकारात्मक ऊर्जा के साथ सुख-समृद्धि भी बनी रहती है। भगवान शिव को शमी के फूल अति प्रिय माने जाते हैं। रोजाना पूजा के वक्त उन्हें यह फूल अर्पित करने से भगवान प्रसन्न होते हैं और सभी प्रकार के संकटों से दूर रहते हैं। शमी का पेड़ आपको शनि के प्रकोप से भी बचाता है।
ईशान कोण में लगायें
शमी के पौधे को घर के ईशान कोण यानी पूर्वोत्तर कोने में लगाना सबसे लाभकारी माना जाता है। इनमें प्राकृतिक तौर पर अग्नि तत्व भी छिपा होता है। न्याय के देवता शनि को प्रसन्न करने के लिए भी शमी के पेड़ का प्रयोग किया जाता है। हर शनिवार को शमी के पेड़ की जड़ के पास सरसों के तेल का दीपक जलाना चाहिए। वैसे तो शनि के प्रभाव में पीपल का वृक्ष भी आता है। परंतु पीपल के वृक्ष की विशालता के कारण इसे घर के अंदर लगा पाना संभव नहीं हो पाता है। इस कारण आप घर में शमी का पेड़ लगा सकते हैं।
नकारात्मक शक्तियों को समाप्त करता है
शमी के कांटों का प्रयोग तंत्र, मंत्र बाधा और नकारात्मक शक्तियों के नाश के लिए होता है। शमी के फूल, पत्ते, जड़ें, टहनी और रस का प्रयोग शनि संबंधी दोषों को दूर करने के लिए भी किया जाता है। आयुर्वेद में शमी के वृक्ष का प्रयोग गुणकारी औषधि के रूप में भी किया जाता है। पुराणों में भी शमी के वृक्ष का वर्णन देखने को मिलता है। मान्यता है कि लंका पर विजय प्राप्त करने के बाद भगवान राम ने भी शमी के पेड़ की पूजा की थी। हर शनिवार शमी के पत्ते शनिदेव को चढ़ाने से शनि के दोष कम होते हैं।
भगवान शिव और गणेश को हैं प्रिय
मान्यता है कि शमी भगवान शिव और गणेश को भी अति प्रिय है। सोमवार के दिन भगवान शिव का शनि के पत्ते को पुष्प चढ़ाने से लाभ होगा। गृहस्थ लोगों के जीवन में सुख-शांति आती है। वहीं गणेशजी को बुधवार के दिन दूर्वा के साथ आप शमी के पुष्प अर्पित करके लाभ प्राप्त कर सकते हैं। ऐसा करने से आपके घर में कभी पैसों की तंगी नहीं आती और मां लक्ष्मी का वास सदैव बना रहता है। एक मान्यता में यह भी बताया गया है कि पांडवों ने अज्ञातवास के वक्त शमी के पेड़ की जड़ में ही अपने अस्त्र-शस्त्र छिपा दिए थे, इसलिए शमी के पेड़ को इतना महत्वपूर्ण माना जाता है।
नए साल पर देहरादून में ही लगाएं बालाजी धाम में अर्जी, दूर होगा हर एक संकट!
1 Jan, 2024 06:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
भारत के कई हिस्सों में संकट मोचन हनुमान को बालाजी के नाम से जाना जाता है. राजस्थान के सिकराय तहसील के मेंहदीपुर में बालाजी धाम है, जिसके दर्शन करने के लिए लोग दूर-दूर से वहां जाते हैं. उसी की तर्ज पर उत्तराखंड की राजधानी देहरादून में भी बालाजी धाम बनाया गया है. अगर आप भी परेशान हैं और नए साल में अपनी परेशानियों को खत्म करना चाहते हैं, तो आप बालाजी धाम में अर्जी लगा सकते हैं. इसके लिए आपको राजस्थान जाने की जरूरत नहीं है बल्कि देहरादून के झाझरा में श्री सिद्ध हनुमान मंदिर बालाजी धाम के दर्शन कर सकते हैं.
मंदिर के पुजारी पंडित नागेंद्र डबराल शास्त्री ने जानकारी देते हुए कहा कि वैसे तो हनुमान जी का यह मंदिर काफी प्राचीन है, जो कभी बहुत छोटा हुआ करता था लेकिन साल 2007 में राजस्थान के बालाजी धाम के अनुरूप ही देहरादून में बालाजी धाम की स्थापना की गई ताकि जो लोग अपने संकटों से मुक्ति पाना चाहते हैं, उन्हें राजस्थान जाने की जरूरत ना पड़े. उन्होंने बताया कि यह मेहंदीपुर बालाजी धाम की शाखा है. वहीं से ही ज्योत लाई गई थी.
विशेष तरह का प्रसाद चढ़ता है
उन्होंने बताया कि इस मंदिर परिसर में संकट मोचन हनुमान, दण्डनायक प्रेतराज, सीता राम दरबार, बालाजी की सेना के सेनापति भैरव बाबा सभी विराजमान हैं, बिल्कुल उस तरह जिस तरह राजस्थान के बालाजी धाम में विराजमान हैं. यहां संकटमोचन के लिए अर्जियां लगती हैं. मंगलवार के दिन भक्तों की भीड़ उमड़ती है. यहां हर भगवान पर विशेष तरह का प्रसाद चढ़ाया जाता है, जैसे- बालाजी महाराज के लिए लड्डू, भैरव बाबा के लिए बताशा और प्रेतराज जी के लिए घी, नारियल और बूरा चढ़ाया जाता है. यहां लोग अपनी मनोकामना के लिए अर्जी लगाते हैं. कई लोग मन्नतों के लिए चुनरी बांधते हैं और जब पूरी होती है, तो वे इस चुनरी को खोल जाते हैं. कई लोग भंडारा करवाते हैं.
मंदिर में हर संकट का निवारण!
पंडित नागेंद्र डबराल ने बताया कि बालाजी धाम में आने से लोगों के संकट का निवारण होता है. व्यक्ति 100 फीसदी बेहतर होकर जाता है. जीवन में संकट, परिवार का कलेश, कारोबार और परिवार पर जादू, टोना-टोटका या भूत-प्रेत जैसी बाधा के साथ जब कोई व्यक्ति अर्जी लगाने आता है, तो बालाजी उसकी विपत्तियों को हर लेते हैं और प्रेतराज प्रेतों को दंड देते हैं. जिस व्यक्ति पर भूत-प्रेत का असर होता है, उसे प्रेतराज के सामने खड़ा किया जाता है. नकारात्मक शक्तियां प्रेतराज से डरकर हमेशा के लिए भाग जाती हैं. मंदिर में एक बार अर्जी लगती है और 7 बार भोग लगाया जाता है.
राशिफल: जानिए, कैसा रहेगा आपका आज का दिन (01 जनवरी 2024)
1 Jan, 2024 12:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
मेष राशि :- मान-प्रतिष्ठा बाल-बाल बचे, किन्तु कार्य व्यावसाय गति उत्तम होगी।
वृष राशि :- धन प्राप्त के योग बनेंगे, नवीन मैत्री व मंत्रणा अवश्य प्राप्त होगी।
मिथुन राशि :- इष्ट मित्र सहायक रहे, व्यावसायिक क्षमता में वृद्धि अवश्य होवेगी।
कर्क राशि :- सामाजिक मान प्रतिष्ठा, कार्यकुशलता से संतोष, रुके कार्य अवश्य बनेंगे।
सिंह राशि :- परिश्रम से समय पर सोचे कार्य पूर्ण होंगे तथा व्यावसाय गति मंद हो।
कन्या राशि :- अधिकारियों का समर्थन फलप्रद रहे, कार्य कुशलता से संतोष होगा।
तुला राशि :- दैनिक व्यावसाय गति उत्तम तथा व्यावसायिक चिन्ताएं कम रहेंगीं।
वृश्चिक राशि :- कार्यगति मेंं सुधार होगा, असमंजस तथा सफलता न मिलेगी, ध्यान दें।
धनु राशि :- स्थिति अनियंत्रित रहे किन्तु स्थिति नियंत्रित करना परम आवश्यक होगा।
मकर राशि :- मानसिक खिन्नता एवं भाव में अशांति उद्विघ्नता अवश्य बनेगी।
कुंभ राशि :- योजनाऐं फलीभूत होंगी, विघटनकारी तत्व परेशान अवश्य करेंगे।
मीन राशि :- मनोबल उत्साह वर्धक होगा तथा कार्यकुशलता से संतोष होगा।