धर्म एवं ज्योतिष
दक्षिण दिशा में न लगायें तुलसी
18 Jan, 2024 06:45 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
सनातन धर्म में तुलसी का पौधा बेहद पवित्र और पूज्यनीय माना जाता है। इसलिए प्रत्येक घर में सुख, शांति के लिए यह पौधा लगाया जाता है और दीपक जलाने के साथ ही इसकी सुबह-शाम पूजा होती है। तमाम गुणों से युक्त तुलसी के पौधे को सही दिशा में होना चाहिए। सही दिशा में होने से जहां शुभता बढ़ती है, वहीं गलत जगह लगाने पर हानि भी हो सकती है।
तुलसी का पौधा कभी भी दक्षिण दिशा में नहीं होना चाहिए। वह किसी अन्य ऐसे स्थान पर होना चाहिए, जिससे वह घर में किसी से न टकराये। यह पवित्र पौधा हमेशा एकांत में होना चाहिए।
भविष्य का संकेत भी देता है यह पौधा
तुलसी का पौधा यदि आपके घर में है, तो वह आपको भविष्य के संकेत देता है। यदि आप पर कोई विपत्ति आने वाली होती है, तो तुलसी का पौधा सूखने लगता है या फिर उसका रंग बदलने लगता है। यदि आप पर किसी ग्रह का अशुभ प्रभाव पड़ने वाला होता है तो तुलसी का पौधा अपना रंग बदलने लगता है ऐसा इसलिए होता है, क्योंकि बुध जो कि सभी ग्रहों के शुभ और अशुभ प्रभाव को जातक तक पहुंचाता है, उसका प्रभाव हरे रंग पर होता है। इसलिए यदि आप पर कोई विपत्ति आने वाली होती है, तो वह पौधा सूखने लगता है और यदि शुभ प्रभाव होता है, तो हरा-भरा हो जाता है।
तुलसी के ये उपाय अपनायें
यदि आपकी संतान आपका कहना नहीं मानती तो इस आप तुलसी के पौधे को पूर्व दिशा में रखें। साथ ही तुलसी के पौधे में से तीन तुलसी कि पत्ती प्रतिदिन, उसे किसी न किसी रूप में खिला दें। इससे आपको चमत्कारिक बदलाव देखनें को मिलेगा और आपकी संतान आपकी आज्ञा का पालन करने लगेगी लेकिन ध्यान रहे कि मंगलवार और रविवार के दिन तुलसी के पत्ते न तोड़ें।
यदि आप अपनी बेटी के विवाह को लेकर परेशान चल रहे हैं और तमाम कोशिशों के बावजूद बात नहीं बन रही है तो आप अपनी बेटी से तुलसी के पौधे का यह उपाय जरूर करवाएं। विवाह योग्य कन्या से प्रतिदिन तुलसी के पौधे को जल अर्पित करवाने के पश्चात् तुलसी के पौधे की 5 परिक्रमा करवाएं। श्रद्धा एवं विश्वास के साथ इस उपाय को करने से निश्चित रूप से मां तुलसी की कृपा प्राप्त होती है और शीघ्र ही विवाह संपन्न होता है।
यदि कारोबार मंदा चल रहा हो या फिर व्यापार में अक्सर परेशानी आ रही हो तो पश्चिम दिशा में रखे तुलसी के पौधे को शुक्रवार के दिन कच्चा दूध अर्पित करें और मिष्ठान का भोग लगाएं। श्रद्धा एवं विश्वास के साथ इस उपाय को करने से व्यापार में उन्नति होती है।
यदि घर में आए दिन लड़ाई-झगड़ा होता रहता है और हर समय कलह का वातावरण बना रहता है तो इसे दूर करने के लिए अपने घर की रसोई के आसपास तुलसी का गमला स्थापित करें। चमत्कारिक लाभ देखने को मिलेगा।
यदि आपको लगता है कि आपका घर किसी प्रकार के वास्तुदोष से ग्रसित है तो आप तुलसी के पौधे के साथ शालिग्राम स्थापित कर पंचामृत से उनका नित्य पूजन करें। यह उपाय रामबाण साबित होगा और वास्तुदोष जाता रहेगा।
यहां ब्रह्मकमल से होता है अभिषेक
18 Jan, 2024 06:30 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
सनातन धर्म में भगवान गणेशजी के जन्म के बारे में अनेक कथाएं प्रचलित हैं। भगवान शिव ने क्रोधवश गणेशजी का सिर धड़ से अलग कर दिया था, बाद में माता पार्वतीजी के कहने पर उन्होंने हाथी का मस्तक लगाया, लेकिन गणेशजी का जो मस्तक कटा था, उसे शिवजी ने एक गुफा में रख दिया। मान्यता है कि यह गुफा उत्तराखंड के पिथौरागढ़ में स्थित है। इसे पाताल भुवनेश्वर के नाम से जाना जाता है।
कहा जाता है कि स्कंद पुराण में भी इसका वर्णन है। जहां यह मस्तक रखा गया, उसे पाताल भुवनेश्वर के नाम से जाना जाता है। इस स्थान पर विराजित गणेशजी की मूर्ति को आदिगणेश कहा जाता है। पाताल भुवनेश्वर गुफा भक्तों की आस्था का केंद्र है। यह गुफा विशालकाय पहाड़ी के करीब 90 फुट अंदर है। मान्यता के अनुसार, इस गुफा की खोज आदिशंकराचार्य द्वारा की गई थी।
पाताल भुवनेश्वर गुफा में भगवान गणेश की कटी शिलारूपी मूर्ति के ठीक ऊपर 108 पंखुड़ियों वाला शवाष्टक दल ब्रह्मकमल सुशोभित है। इस ब्रह्मकमल से भगवान गणेश के शिलारूपी मस्तक पर जल की दिव्य बूंद टपकती है। मुख्य बूंद आदिगणेश के मुख में गिरती हुई दिखाई देती है। मान्यता है कि यह ब्रह्मकमल भगवान शिव ने ही यहां स्थापित किया था।
यहीं पर केदारनाथ, बद्रीनाथ और अमरनाथ के भी दर्शन होते हैं। बद्रीनाथ में बद्री पंचायत की शिलारूप मूर्तियां हैं जिनमें यम-कुबेर, वरुण, लक्ष्मी, गणेश तथा गरुड़ शामिल हैं। तक्षक नाग की आकृति भी गुफा में बनी चट्टान में नजर आती है। इस पंचायत के ऊपर बाबा अमरनाथ की गुफा है तथा पत्थर की बड़ी-बड़ी जटाएं फैली हुई हैं। इसी गुफा में कालभैरव की जीभ के दर्शन होते हैं। इसके बारे में मान्यता है कि मनुष्य कालभैरव के मुंह से गर्भ में प्रवेश कर पूंछ तक पहुंच जाए तो उसे मोक्ष की प्राप्ति हो जाती है।
नारियल चढ़ाकर पा सकते है बाप्पा से मनचाहा वरदान
18 Jan, 2024 06:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
बाप्पा के आपने कई रुप देखे होंगे, लेकिन मध्यप्रदेश के महेश्वर में गजानन की गोबर की मूर्ति है। ये मूर्ति हजारों साल पुरानी है, कहते हैं यहां नारियल चढ़ाकर पा सकते है बाप्पा से मनचाहा वरदान।
माथे पर मुकुट, गले में हार, और खूबूसरत श्रृंगार बाप्पा के इस मनमोहक रूप में छिपा है। भक्तों के हर दुख दर्द का इलाज। गणपति का ये रुप मन मोह लेता है और हैरान भी करता है क्योंकि यहां गणपति को गोबर गणेश के नाम से पुकारते हैं भक्त। मध्य प्रदेश के नीमाड़ क्षेत्र में माहेश्वर कस्बे में बाप्पा देते हैं बड़े ही भव्य रूप में दर्शन। माहेश्वर में महावीर मार्ग पर बनी गणपति की ये प्रतिमा गोबर और मिट्टी से बनी है जिसमें एक बड़ा हिस्सा गोबर का है।
आमतौर पर पूजा-पाठ में हम गोबर के गणपति बनाकर उनकी पूजा अर्चना करते हैं। मिट्टी और गोबर की मूर्ति में पंचतत्वों का वास माना जाता है और खासकर गोबर में तो मां लक्ष्मी साक्षात वास करती हैं। इसलिए गोबर गणेश मंदिर में आने वाले भक्तों की मान्यता है कि यहां दर्शन करने से भक्तों को भगवान गणेश के साथ मां लक्ष्मी का भी आशीर्वाद मिलता है।
मंदिर में बाप्पा अपनी दोनों पत्नियों रिद्धि-सिद्धि संग देते हैं दर्शन और करते हैं भक्तों का कल्याण। भक्तों का भी मानना है कि यहां आने से गणपति सभी भक्तों की इच्छा पूरी कर देते हैं। यही वजह है कि भक्त यहां उल्टा स्वास्तिक बनाकर भगवान तक पहुंचाते हैं। अपनी फरियाद और मनोकामना पूरी होने के बाद यहां आकर सीधा स्वास्तिक बनाना नहीं भूलते।
महेश्वर के महावीर मार्ग पर स्थित गोबर गणेश मंदिर में दर्शन के लिए साल भर भक्तों का तांता लगा रहता है।
राशिफल: जानिए, कैसा रहेगा आपका आज का दिन (18 जनवरी 2024)
18 Jan, 2024 12:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
मेष राशि :- भाग्य का सितार साथ देगा, इष्ट मित्रों से सुख कार्य, व्यवसाय गति उत्तम हो।
वृष राशि :- अचानक शुभ समाचार, धन प्राप्त के योग बनेंगे, संवेदनशील होने से बचिए।
मिथुन राशि :- क्रोध से अशांति, झगड़े से बचें, अर्थ व्यवस्था कुछ अनुकूल बन जाएगी।
कर्क राशि :- कार्य कुशलता से सहयोग, स्त्री वर्ग से हर्ष तथा भोग ऐश्वर्य की प्राप्ति।
सिंह राशि :- इष्ट मित्र सुख वर्धक हों, कुटुम्ब की समस्याऐं अवश्य ही सुलझें।
कन्या राशि :- व्यर्थ व्यय तथा असमंजस और स्थिरिता का वातावरण हीन भावना बढ़ाए।
तुला राशि :- अधिकारियों का समर्थन विफल हो तथा कार्य व्यवसाय गति अनुकूल बने।
वृश्चिक राशि :- समय की अनुकूलता से लाभान्वित हो, कार्यकुशलता से अनुकूलता बने।
धनु राशि :- व्यवसाय गति उत्तम, भाग्य का सितारा साथ देवे, बिगड़े कार्य अवश्य बन जाएंगे।
मकर राशि :- स्त्री वर्ग से हर्ष उल्लास, स्वास्थ्य नरम रहे, स्थिति में सुधार अवश्य ही होगा।
कुंभ राशि :- स्त्री शरीर, सुख मानसिक बेचैनी से बचिए, समय का ध्यान अवश्य रखे।
मीन राशि :- धन लाभ, आशानुकूल सफलता का हर्ष अवश्य होगा, बिगड़े कार्य बन जाएंगे।
भगवान श्री राम को सोने का धनुष-बाण उपहार में देंगे बजरंगबली, मंदिर निर्माण के लिए दे चुके हैं 10 करोड़
17 Jan, 2024 06:45 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
9 नवंबर 2019 को जब श्रीराम जन्मभूमि के पक्ष में सर्वोच्च न्यायालय का फैसला आया, तो पटना के महावीर मंदिर की ओर से राम मंदिर निर्माण के लिए 10 करोड़ रुपए देने की घोषणा हुई थी. इसमें से 2 करोड़ की अंतिम किश्त 19 जनवरी को श्री राम जन्मभूमि मंदिर निर्माण समिति के अध्यक्ष नृपेंद्र मिश्र को सौंप दी जाएगी.
महावीर मंदिर न्यास के सचिव आचार्य किशोर कुणाल ने बताया कि 2020 में जिस दिन श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट का खाता खुला था, उसी दिन महावीर मंदिर की ओर से दो करोड़ की पहली किश्त दे दी गई थी. साल 2021, 2022 और 2023 में लगातार इतनी राशि दी जाती रही. अब अंतिम किश्त के रूप में 2 करोड़ की सहयोग राशि दी जा रही है. आचार्य किशोर कुणाल ने बताया कि किसी एक संस्था के द्वारा अयोध्या में रामलला के मंदिर निर्माण में सहयोग के तौर पर 10 करोड़ देने वाला महावीर मंदिर देश का पहला संस्थान है.
2.5 किलो का स्वर्णजड़ित कोदंड
आचार्य किशोर कुणाल ने बताया कि अयोध्या में श्रीराम जन्मभूमि के निकट जिस अमावा राम मंदिर परिसर में महावीर मंदिर की ओर से राम रसोई चलाई जा रही है, उसके द्वारा रामलला को सोने का तीर-धनुष भेंट किया जाएगा. अमावा राम मंदिर न्यास के सचिव के तौर पर आचार्य किशोर कुणाल स्वर्ण जड़ित तीर-धनुष श्री राम जन्मभूमि मंदिर निर्माण समिति के अध्यक्ष नृपेंद्र मिश्र को सौंपेंगे. आचार्य किशोर कुणाल ने बताया कि मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम का धनुष जिसे को दंड के नाम से जाना जाता है, 19 जनवरी को भेंट किया जाएगा. 2.5 किलो वजनी यह तीर-धनुष तांबे के बेस पर स्वर्ण जड़ित है. चेन्नई की एक कंपनी ने विशेष रूप से इसे तैयार किया है. आचार्य किशोर कुणाल ने बताया कि अमावा राम मंदिर के शिखर के लिए स्वर्ण जड़ित कलश बनवाया गया है. इसके लिए भारत सरकार के उपक्रम एमएमटीसी से सोना खरीदा गया था. उसमें से कलश निर्माण के बाद शेष बचे सोने से स्वर्ण जड़ित कोदंड तैयार किया गया है.
अब दोनों पहर चलेगी राम रसोई
इसके अलावा अयोध्या के अमावा राम मंदिर परिसर में 1 दिसंबर 2019 को विवाह पंचमी के दिन से चल रही राम रसोई 20 जनवरी से दोनों पहर चलेगी. रामलला के दर्शनार्थियों के लिए यह राम रसोई पटना के महावीर मंदिर द्वारा संचालित की जा रही है. यहां राम भक्तों को मुफ्त 9 प्रकार के शाकाहारी शुद्ध व्यंजन परोसे जाते हैं. बिहारी शैली में भक्तों को पूछ-पूछकर पूरे अपनत्व के साथ खिलाया जाता है. आचार्य ने बताया कि राम रसोई के लिए न अयोध्या और न ही पटना में कोई आर्थिक सहयोग लिया जाता है. महावीर मंदिर की आय से यह राम रसोई संचालित की जा रही है.
किसी हैरत से कम नहीं है यह पाताल गंगा, कभी नहीं सूखता इसका पानी, गौतम ऋषि से जुड़ी है कहानी
17 Jan, 2024 06:30 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
दरभंगा की भूमि अपने साथ धार्मिक और सांस्कृतिक इतिहास समेटे हुए है. यहां प्रभु श्रीराम के साथ माता अहिल्या और गौतम ऋषि का भी कुंड है. यह जाले में है. जहां गौतम ऋषि कुंड में कई सारी कहानी आज भी छुपी हुई है. जो अविश्वसनीय और अकल्पनीय राज है. जिनमें से एक यहां मौजूद पातालगंगा कुंड भी है. बताया जाता है कि यह गौतम ऋषि आश्रम सतयुग से जुड़ा हुआ. यही वह जगह है जहां गौतम ऋषि तपस्या किया करते थे. वह स्थान कभी सूखता नहीं है. आइए जानते हैं इसकी कहानी.
जानिए पातालगंगा कुंड की कहानी
इस पर विस्तृत जानकारी देते हुए गौतम ऋषि आश्रम के पूर्व पुजारी राम बिहारी शरण बताते हैं कि यहां 35 वर्षों तक मुख्य पुजारी के रूप में पूजा अर्चना की है. जैसा हमारे पूर्वज बतलाते थे कि गौतम ऋषि जब यहां यज्ञ करवा रहे थे. तो ब्रह्मा जी ने कहा कि यहां बढ़िया से यज्ञ संपन्न होना चाहिए. तो उस वक्त इस वीरान जंगल में जल की घोर कमी थी. तो उन्होंने वरुण देवता को आदेश दिया कि यहां इतना जल हो कि कभी भी यहां जल की कमी ना हो सके. यहां मौजूद अभी जो तालाब है, उसमें वह कुंड मौजूद है, जो कभी भी नहीं सूखता है. बताया जाता है कि उस तालाब में पांच पातालगंगा कुंड आज भी मौजूद है. उन तमाम पांचों पातालगंगा कुंड के जल का स्वाद अलग-अलग है.
बस बांस से हिला देने से भर जाता है पानी
आगे यहां के पूर्व मुख्य पुजारी बताते हैं कि जब बाढ़ में पूरी गंदगी चारों तरफ से आकर इस तालाब में भर जाती है, तो उसके बाद इसकी सफाई हमलोग करते हैं. पूरी तरह से तालाब को सुखाकर सफाई करने के बाद सिर्फ एक बांस लेकर उसमें डालकर हिला देते हैं तो अपने आप पानी भर जाता है. बताते चले कि यहां कई अनकही कहानी आज भी छुपी हुई है. यहां भव्य गौतम ऋषि का आश्रम आज मौजूद है, जो सतयुग में गौतम ऋषि यहां झोपड़ी नुमा आश्रम बनाकर अपनी तपस्या किया करते थे.
प्राण प्रतिष्ठा के बाद सबसे पहले इस खास उपहार को ग्रहण करेंगे रामलला, बेहद खास है रिश्ता
17 Jan, 2024 06:15 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
22 जनवरी को प्राण प्रतिष्ठा को लेकर पूरे देश में उत्साह है. सभी लोग अपने आराध्य प्रभु राम को कुछ ना कुछ प्राण प्रतिष्ठा के दौरान समर्पित करना चाह रहे हैं. जहां प्रभु राम के ननिहाल और ससुराल से अनेक उपहार प्राण प्रतिष्ठा के लिए आ रहे हैं, तो भला कृष्ण की नगरी मथुरा इसमें कैसे पीछे रह सकती है. आपने एक भजन भी सुना होगा ‘चाहे कृष्ण कहो या राम जग में सुंदर है दो नाम’…. तो भला प्रभु कृष्ण की नगरी कैसे अछूता रह सकती है. इसी कड़ी में मथुरा बांके बिहारी मंदिर के पुजारी ने प्रभु राम के प्राण प्रतिष्ठा के लिए चांदी के कलश, शंख, बांसुरी और गले की हार राम मंदिर के मुख्य पुजारी आचार्य सत्येंद्र दास को समर्पित किया है.
बता दें कि राम मंदिर में 22 जनवरी को प्राण प्रतिष्ठा है. प्राण प्रतिष्ठा के बाद मथुरा से आए अनेक उपहार को रामलला को समर्पित किया जाएगा. इतना ही नहीं खास बात यह है कि रामलला जब अपने भव्य महल में विराजमान हो जाएंगे तो प्रथम उपहार मथुरा का ही धारण करेंगे. यह बातें राम जन्मभूमि के मुख्य पुजारी आचार्य सत्येंद्र दास ने कही है. राम जन्म भूमि के मुख्य पुजारी आचार्य सत्येंद्र दास की मानें तो प्रभु राम की नगरी अयोध्या और कृष्ण की नगरी मथुरा का शाश्वत संबंध भी है. प्रभु राम और भगवान कृष्ण एक ही हैं और मथुरा और अयोध्या एक ही है.
रामलला के लिए आए मंगल उपहार
बांके बिहारी मंदिर के सेवा अधिकारी गोपी गोस्वामी ने बताया कि मथुरा के बांके बिहारी मंदिर से प्रभु राम की आरती के लिए शंख और बांसुरी के साथ ठाकुर जी का हार लेकर हम लोग आए हैं. राम और कृष्ण में कोई भेद नहीं है. वृंदावन कृष्ण की नगरी है और अयोध्या प्रभु राम की नगरी है. वृंदावन और अयोध्या का संबंध एक ही है. बृजवासी जब अयोध्या पहुंचेंगे और रामलला के साथ बांसुरी का दर्शन करेंगे तो बृजवासी का उत्साह भी दोगुना हो जाएगा और उस उत्साह को देखने के लिए 22 जनवरी को बांके बिहारी मंदिर को भी सजाया जाएगा. वृंदावन से हम लोग ठाकुर जी के लिए शंख लेकर आए हैं जिससे आरती होगी और एक बांसुरी है, जो रामलाल के पास रखी जाएगी. इसके साथ ही सुंदर हार भी है. यह सब चीज स्वर्ण और रजत से बनाए गए हैं.
प्राण प्रतिष्ठा महोत्सव को लेकर देशभर में उल्लास
राम जन्मभूमि के मुख्य पुजारी आचार्य सत्येंद्र दास ने कहा कि बांके बिहारी मंदिर से रामलला के लिए कई सारे सामान आए हैं. जो भी सामान आए हैं उन सभी को 22 जनवरी को प्राण प्रतिष्ठा के बाद जब प्रभु राम विराजमान हो जाएंगे तो मथुरा बांके बिहारी मंदिर से आया सभी सामान उनको समर्पित किया जाएगा. क्योंकि इसमें ऐसे कई महत्वपूर्ण वस्तु है जिसकी आवश्यकता भी है और यह प्रथम पूजा में अर्पित किया जाएगा. भगवान कृष्ण और प्रभु राम का शाश्वत संबंध है.
आर्थिक तंगी को दूर करेगा तुलसी के जड़ का ये उपाय, पैसों की होगी बरसात, देवघर के ज्योतिषी से जानें सब
17 Jan, 2024 06:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
हिंदू धर्म में तुलसी पौधा का खास महत्व है. तुलसी पौधा को माता लक्ष्मी का ही रूप माना जाता है. तुलसी पौधा में सुबह शाम दीपक जलाने और जल अर्पण करने से साथ ही विधि विधान के साथ पूजा अर्चना करने से माता लक्ष्मी प्रसन्न होती है. सभी प्रकार कष्ट समाप्त हो जाते हैं और आर्थिक तंगी भी दूर हो जाती है.वहीं ज्योतिषविदों की माने तोह तुलसी माता में भगवान हरि और माता तुलसी का वास होता है और अगर आप घर में तुलसी का पौधा लगाते हैं तो घर से नकारात्मक ऊर्जा खत्म हो जाती है. इसके साथ ही अगर आप आर्थिक परेशानियों से गुजर रहे हैं तो तुलसी से जुड़े कुछ उपाय करने से परेशानी भी समाप्त हो जाती है जानिए क्या है वह उपाय देवघर के ज्योतिषाचार्य से.
देवघर के पागल बाबा आश्रम स्थित मुद्गल ज्योतिष केंद्र के प्रसिद्ध ज्योति आचार्य पंडित नंदकिशोर मुद्गल ने लोकल 18 के संवाददाता से बातचीत करते हुए कहा कि तुलसी माता में भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी का वास होता है.इसके साथ ही अगर आप विधि विधान के साथ तुलसी माता की पूजा अर्चना करते हैं. तो माता लक्ष्मी प्रसन्न होती है और आपकी आर्थिक परेशानियां हमेशा के लिए दूर होती हैं. अगर जातक घर में तुलसी का पौधा लगता है तो घर में खुशहाली आती है और कभी भी धन की कमी नहीं होती है. इसके अलावा जातक की मनचाहा मुराद पूरी होती है.
तुलसी से जुड़े करें यह उपाय
अगर जातक लगातार आर्थिक तंगी से परेशान है तो तुलसी में हल्दी डालकर पूजा करें.इसके साथ ही शाम के वक्त तुलसी के सामने आटे का दिया बनाकर शुद्ध घी का दीपक जलाएं इससे धन और धान्य की वृद्धि होगी.रोज सुबह स्नान कर तुलसी के सामने बैठकर ॐ नमो भगवते वासुदेवाय नमः के मित्रों का 108 बार जाप करें.यह जाप रोजाना तुलसी के सामने करने से भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी प्रसन्न होती है घर में अभी भी धन की कमी नहीं होती और सुख समृद्धि की वृद्धि होती है.
राशिफल: जानिए, कैसा रहेगा आपका आज का दिन (17 जनवरी 2024)
17 Jan, 2024 12:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
मेष राशि :- सघन सम्पन्नता के योग फलप्रद हो, धार्मिक योजना अवश्य सफल होगी।
वृष राशि :- अपने किए पर पछताना पड़ेगा, मानसिक बैचेनी, क्लेश तथा अशांति बनेगी।
मिथुन राशि :- सफलता के साधन जुटाए, व्यवसायिक क्षमता में वृद्धि होगी, समस्या सुलझेगी।
कर्क राशि :- अनेक कार्य से सफलता मिलेगी, स्त्री से सुख, इष्टमित्र सुखवर्धक होंगे।
सिंह राशि :- स्त्री वर्ग से हर्ष उल्लास होवे, भोग ऐश्वर्य की प्राप्ति होगी, कार्यगति उत्तम।
कन्या राशि :- धन प्राप्त आशानुकूल सफतला में वृद्धि होवे, बिगड़े कार्य योजना सफल होंगे।
तुला राशि :- आशानुकूल सफलता से हर्ष, बिगड़े कार्य अवश्य ही बनेंगे, कार्य योजना सफल हो।
वृश्चिक राशि :- दैनिक समृद्धि के साधन बनेंगे, अधिकारियों से कार्य योजना से लाभ हो।
धनु राशि :- कार्य योजना पूर्ण हो, बड़े लोगों से मेल मिलाप होगा, कार्य अवरोध से बचे।
मकर राशिः- कार्य कुशलता से संतोष, स्थिति में सुधार तथा चिन्ता अवश्य कम होगी।
कुंभ राशि :- आर्थिक योजना पूर्ण अवश्य ही होगी, शरीर कष्ट मानसिक बेचैनी बढ़ेगी।
मीन राशि :- दैनिक कार्यो में बाधा, चिन्ता उद्विघ्नता से बचे धन का व्यय होगा।
22 जनवरी को घर में 1-2 नहीं... कम से कम जलाएं इतने दीये, सुख-समृद्धि का बनेंगे कारण!
16 Jan, 2024 06:45 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
अयोध्या में भगवान रामलला की प्राण प्रतिष्ठा का उत्साह देश और दुनिया में लोगों के सिर चढ़कर बोल रहा है. भगवान राम के लिए लोग तरह-तरह की वस्तुएं प्राण प्रतिष्ठा के लिए भेंट कर रहे हैं. पूरे देश को 22 जनवरी का बेसब्री से इंतजार है. क्योंकि अयोध्या में नवनिर्मित मंदिर में भगवान राम की प्राण प्रतिष्ठा 22 जनवरी को ही होनी है.
इस दिन भगवान राम के स्वागत के लिए पूरे देश में दीपावली के रूप में उत्सव मनाया जाएगा. लोग अपने घरों और मंदिरों को दीयों से सजाएंगे. 22 जनवरी को भगवान राम की प्राण प्रतिष्ठा होने के बाद लोग अयोध्या भगवान राम के दर्शन करने जा सकेंगे. लेकिन यह बात बहुत कम लोग जानते होंगे कि 22 जनवरी को दीये कितनी संख्या में जलाएं, जिससे उनकी साधना सफल हो.
जलाएं दीये, पर इस बात का रखें ध्यान
देवघर के पागल बाबा आश्रम में स्थित मुद्गल ज्योतिष केंद्र के प्रसिद्ध ज्योतिषाचार्य पंडित नन्द किशोर मुद्गल ने बताया कि श्रीराम मंदिर करोड़ों लोगों की आस्था का प्रतीक है. 500 साल के बाद 22 जनवरी को भगवान राम की प्राण प्रतिष्ठा अयोध्या में होनी है. 22 जनवरी को भगवान राम के स्वागत में पूरा देश दीपावली के रूप में मनाएगा. सभी घरों में दीया जलाकर उत्सव मनाने की तैयारी है. लेकिन दीयों की संख्या को जानना भी जरूरी है. लोगों को पता होना चाहिए कि शास्त्रों में ऐसे मौकों पर कितने दीये जलाने का विधान बताया गया है. विधान पूर्वक दीये जलाने से घर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होगा.
तेल या घी कौन सा दीपक जलाएं
भगवान राम के स्वागत में लोग दीपावली जैसा उत्सव मनाएंगे. इससे भगवान राम और माता जानकी का आशीर्वाद प्राप्त होगा. हिंदू धर्म में घी का खास महत्व है, इसलिए 22 जनवरी को घरों में जो दीया जलाएं, वह गाय के शुद्ध घी का हो. कम से कम 11 और ज्यादा में 111 या 108 दीया जलाना शुभ माना जाता है. गाय के घी का दीपक जलाने से नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है. सुख-समृद्धि की भी वृद्धि होती है. खुशहाली आती है.
यहां देश का एकलौता सूर्य प्रधान नवग्रह मंदिर, मकर संक्रांति पर पूजा के लिए उमड़ती है भिड़
16 Jan, 2024 06:30 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
मध्यप्रदेश के खरगोन शहर में कुंदा नदी के तट पर प्राचीन सूर्य प्रधान नवग्रह मंदिर है. ज्योतिष शास्त्र के पूर्ण पैरामीटर और गणित ज्ञान के हिसाब से बना देश का एकमात्र मंदिर है. यह सात दिन, 12 राशियों, 12 महीनों और नौ ग्रहों पर आधारित है. उसी प्रकार से इस मंदिर की संरचना हुई है. सूर्य प्रधान होने से मकर संक्रांति पर दर्शन और पूजन के लिए प्रदेश भर से लाखों भक्त आते है.
सामान्य धरातल से 20 फिट नीचे गर्भ गृह में सूर्य देव नौ ग्रहों के साथ विराजमान है. इस मंदिर में प्रवेश की सात सीढ़िया सात दिन/वार का प्रतीक है. यहां गर्भगृह की 12 सीढ़िया 12 राशियों का प्रतीक है. मदिंर से बाहर निकलने के लिए 12 सीढ़िया 12 महीनो का प्रतीक है. इस मंदिर में नौ ग्रहों की अधिष्ठात्री मां बगलामुखी के स्थापित होने से पीताम्बरी ग्रह शांति पीठ भी कहलाता है. यहां ब्रह्मास्त्र एवं श्री सूर्यचक्र के रूप में ब्रह्माण्ड की दो महाशक्तियां भी यहां स्थापित है.
300 साल पुराना है इतिहास
आचार्य लोकेश जागीरदार ने कहा कि उनका परिवार 6 पीढ़ियों से यहां सेवा दे रहा है. 300 साल पहले शेषप्पा को स्वप्न में बगलामुखी माता के दर्शन हुए. उनकी आज्ञा से नवग्रह मंदिर की स्थापना हुई. मान्यता है कि व्यक्ति के जीवन में जिस भी ग्रह संबंधित समस्या है, उस ग्रह से जुड़े दान की पोटली यहां समर्पित करने से समस्या का निवारण होता है.
दक्षिण भारतीय शैली का स्ट्रक्चर
मंदिर में तीन शिखर है,जो त्रिदेव ब्रह्मा, विष्णु और महेश के प्रतीक है. गृहशांति मंत्र के आधार पर मंदिर स्थापित है. सभी नौ ग्रह एवं अन्य मूर्तियां और मंदिर की संरचना दक्षिण भारतीय शैली की है. गर्भगृह में सूर्य की मूर्ति बीच में है. सामने शनि, दाईं ओर गुरु, बाई ओर मंगल ग्रह की मूर्ति है. सभी ग्रह अपने-अपने वाहन, ग्रह मंडल, ग्रह यंत्र, ग्रह रत्न और अस्त्र शस्त्र के साथ स्थापित है.
मकर संक्रांति पर बड़ा आयोजन
सूर्य प्रधान नवग्रह मंदिर होने से सूर्य उपासना के महापर्व मकर संक्रांति के दिन उदयमान सूर्य एवं गर्भगृह में विराजित सूर्य देव के दर्शन और पूजन का खास महत्व रहता है. इस दिन पूजन करने से साल भर नवग्रह की कृपा मिलती है. अलावा उत्तरायण काल के समाप्त होने एवं दक्षिणायन काल के प्रारंभ होने के मध्यकाल (जून-जुलाई) में प्रातः काल सूर्य किरणे सीधे सूर्य चक्र से सूर्य रथ होते हुए गमन करती है.
केले के पेड़ में होता है इन देवी-देवता का वास, घर में लगाने से आएगा सौभाग्य, भूलकर भी न करें ये 3 गलती
16 Jan, 2024 06:15 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
सनातन धर्म में देवी-देवताओं के साथ-साथ पेड़ पौधों की भी पूजा की जाती है. हिंदू धर्म में पेड़-पौधों की पूजा के बारे में कई तथ्य बताए गए हैं. हमारे यहां पेड़-पौधे के औषधीय गुणों के बारे में जानकारी दी गई है, लेकिन इसके धार्मिक महत्व भी हैं. ऐसा ही एक पेड़ है केले का. सनातन धर्म में केले के पौधे का बहुत ही महत्व है. इसका उपयोग पूजा-पाठ के लिए किया जाता है, इसके साथ ही गुरुवार के दिन इस पौधे की भी पूजा की जाती है. हिंदू धर्म ग्रंथों के अनुसार, मान्यता है कि केले के पौधे में भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी का निवास होता है. आइए जानते हैं भोपाल निवासी ज्योतिषी एवं वास्तु सलाहकार पंडित हितेंद्र कुमार शर्मा से केले के पेड़ से जुड़े वास्तु के नियम.
केले के पत्ते का उपयोग
गुरुवार के व्रत में केले का पौधा अनिवार्य होता है. सत्यनारायण व्रत कथा, विवाह और दिवाली पूजन के मंडप के लिए भी केले के पत्ते का उपयोग किया जाता है. दक्षिण भारत में केले के पत्तों पर खाना भी परोसा जाता है.
पौराणिक कथा
कथा है कि एक बार दुर्वासा ऋषि ने अपनी पत्नी को नींद में बाधा डालने पर क्रोधित होकर श्राप दिया था. उन्होंने गुस्से में अपनी पत्नी को कहा कि वह केले का पौधा बन जाए. जब पत्नी ने क्षमा मांगी को उन्होंने स्वीकार नहीं किया. इसके बाद उनकी पत्नी ने मांग करते हुए कहा कि केले के पत्ते की पूजा की जाए तब ऋषि ने इस बात को स्वीकार कर लिया, जिसके बाद से इस पौधे को हमारे धर्मग्रंथ में पवित्र माना जाता है.
भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी का वास
भगवान गुरु को विशेष रूप से केले का भोग लगाया जाता है. केले के पेड़ का तना सौभाग्य और समृद्धि का प्रतीक माना जाता है. इसके पेड़ में भगवान विष्णु और देवी लक्ष्मी निवास करते हैं.
केले के पेड़ से जुड़े वास्तु टिप्स
1. वास्तु शास्त्र के अनुसार, उत्तर दिशा में केले का पेड़ लगाना शुभ होता है, क्योंकि उत्तर दिशा देवी-देवता की दिशा मानी जाती है.
2. केले के पेड़ के पास भूलकर भी कांटेदार पौधे जैसे गुलाब आदि नहीं लगाना चाहिए. इससे घर में क्लेश बढ़ जाता है.
3. केले के पेड़ में भूलकर भी गंदा पानी नहीं डालना चाहिए. मान्यता है कि इस वृक्ष में माता लक्ष्मी और भगवान विष्णु का वास होता है.
4. इस बात का भी विशेष ध्यान रखें कि आपके घर में लगा केले का पेड़ कभी सूखे नहीं.
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क्या था भगवान राम के बहन और बहनोई का नाम? रामायण से जुड़े अनसुने रहस्य
16 Jan, 2024 06:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
रामायण का हिन्दू धर्म में एक विशेष स्थान है. इसमें भगवान राम और देवी सीता के जन्म एवं जीवन यात्रा का वर्णन है. हम में से अधिकांश लोगों को रामायण की कहानी पता है, लेकिन इस महाकाव्य से जुड़े कुछ ऐसे भी रहस्य हैं जिनके बारे में लोगों को जानकारी नहीं है. वैसे तो आप रामायण और भगवान राम से जुड़े सभी पात्रों से वाकिफ होंगे लेकिन शायद आपको ये नहीं पता होगा कि भगवान राम की एक सगी बहन और बहनोई भी थे.
राजा दशरथ और रानी कौशल्या की पहली संतान एक पुत्री थी. जिसका नाम शांता था. शांता भगवान श्रीराम की बड़ी बहन थी. पुराणों के अनुसार शांता बुद्धिमान होने के साथ-साथ अनेक कार्यों में निपुण थीं.शांता का विवाह ऋषि श्रृंग से हुआ था. जिनका आश्रम बस्ती अयोध्या बॉर्डर पर सरयू नदी के तट पर शेखाघाट पर स्थित है.
श्रृंगी ऋषि ने किया था आश्रम का निर्माण
मान्यता के अनुसार, जब राजा दशरथ को पुत्र की प्राप्ति नहीं हुई तो उन्होंने गुरू वशिष्ठ के कहने पर श्रृंगी ऋषि से पुत्रकामेष्टि यज्ञ करवाया था. जिसके बाद भगवान राम सहित तीनों भाइयों अवतरित हुए थे. यज्ञ के उपरांत बस्ती जनपद के घने जंगलों में रहकर तपस्या कर रही राजा दशरथ और माता कौशल्या की बड़ी पुत्री शांता देवी से श्रृंगी ऋषि की शादी हो गई थी. बाद में माता शांता के शरीर त्याग करने के बाद श्रृंगी ऋषि द्वारा ही श्रृंगीनारी में माता शांता देवी के याद में मंदिर का निर्माण करवाया गया था जो आज भी मौजूद है.
अद्भुत है आश्रम की महिमा
आश्रम के पुजारी महेंद्र गोस्वामी ने बताया कि यह मेरी चौथी पीढी है जो महर्षि श्रृंगी के आश्रम में रहकर उनकी सेवा कर रही है. यह आश्रम एकदम सरयू नदी के तट पर स्थित है. यहां हर साल बाढ़ आती है. जिसमें लाखों गांव जलमग्न हो जाते हैं लेकिन श्रृंगी ऋषि के आश्रम की ऐसी महिमा है की सरयू माता आती हैं और बाबा के चरणों को प्रणाम कर वापस चली जाती हैं. कभी भी सरयू का पानी मंदिर के अन्दर नहीं आया. यहां कार्तिक पूर्णिमा और चैत्र रामनवमी और चिरैया नक्षत्र पर मेला लगता है.
राशिफल: जानिए, कैसा रहेगा आपका आज का दिन (16 जनवरी 2024)
16 Jan, 2024 12:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
मेष राशि :- प्रत्येक कार्य में बाधा व विलम्ब से कष्ट होगा, थकावट व बेचैनी बढ़ेगी।
वृष राशि :- कुटुम्ब की समस्याओं में समय बीतेगा, धन का व्यय होगा, समय तथा चिन्ता का नाश होगा।
मिथुन राशि :- स्त्री-वर्ग से हर्ष-उल्लास, प्रेम प्रसंग, सफलता से कार्य अनुकूल होगा।
कर्क राशि :- आर्थिक योजना पूर्ण होगी, भाग्य का सितारा प्रबल होगा, रुके कार्य बनेंगे।
सिंह राशि :- आर्थिक योजना पूर्ण होगी, भाग्य का सितारा प्रबल होगा, रुके कार्य बनेंगे।
कन्या राशि :- मान-प्रतिष्ठा, प्रभुत्व वृद्धि, नवीन योजना फलप्रद बनी रहेगी, समय पर कार्य करें।
तुला राशि :- मनोबल उत्साह वर्धक होगा, कार्यगति में सुधार होगा, विरोधी पराजित होंगे।
वृश्चिक राशि :- लेनदेन के मामले में हानि होगी, विरोधी तत्वों से परेशानी अवश्य बनेगी।
धनु राशि :- दैनिक सफलता के साधन सम्पन्न होंगे, स्वाभाव में क्रोध व अशांति होगी।
मकर राशिः- दैनिक सम्पन्नता के साधन जुटायें, आलस्य-प्रमाद से हानि अवश्य होगी।
कुंभ राशि :- बिगड़े हुये कार्य बनेंगे, योजनायें फलीभूत होंगी तथा रुके कार्य बनेंगे।
मीन राशि :- स्त्री वर्ग से हर्ष-उल्लास, चिन्ता कम होगी, विशेष कार्य स्थगित रखें, कार्य कुशलता से संतोष होगा।
राम मंदिर में पूजा के दौरान इन बातों को रखें ध्यान, इन चीजों के साथ नहीं होगी एंट्री
15 Jan, 2024 06:45 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
प्रबिसि नगर कीजे सब काजा हृदयं राखि कौसलपुर राजा” अर्थात भगवान भक्तों के हृदय में ही विराजमान रहते हैं”. हृदय में राम की आस्था लेकर लाखों की संख्या में भक्त 22 जनवरी के बाद धर्म नगरी अयोध्या पहुंचेंगे. हर राम भक्त के मन में यह इच्छा होती है की राम मंदिर में कैसे प्रभु राम की पूजा आराधना करें . इस दौरान भक्तों को किन नियमों का पालन करना होगा. कितनी दूरी से प्रभु अपने भक्तों को दर्शन देंगे. यह सभी जानकारी हर राम भक्त जानना चाहता है. तो चलिए आज हम आपको इस रिपोर्ट में बताते हैं कि राम मंदिर में पूजा करने की क्या-क्या गाइडलाइंस है राम मंदिर ट्रस्ट ने जारी की हैं .
अयोध्या में एक धार्मिक मान्यता है कि रामलला के दर्शन से पहले भक्तों को हनुमानगढ़ी मंदिर में पवन पुत्र हनुमान का दर्शन करना चाहिए और उनकी आशीर्वाद लेने के बाद ही रामलला का दर्शन करना चाहिए. कहते हैं यहां बजरंगबली के दर्शन किए बिना रामलला की पूजा अधूरी मानी जाती है.गौरतलब है कि यह एक धार्मिक मान्यता है जरूरी गाइडलाइन नहीं.
30 फीट की दूरी से करना होगा रामलला का दर्शन
राम मंदिर में प्रवेश के साथ ही आपको सुरक्षा के नियमों का पालन करना होगा. राम मंदिर में किसी भी प्रकार का इलेक्ट्रॉनिक सामान जैसे मोबाइल, इलेक्ट्रॉनिक घड़ी, लैपटॉप या कैमरा लेकर जाना मना है. अगर आप इन चीजों के साथ पकड़े जाते हैं तो आपकों समस्या का सामना करना पड़ सकता है. इसके साथ ही राम मंदिर में आप किसी भी प्रकार का खाने का सामान नहीं लेकर जा सकते हैं. एंट्री करने से पहले आपको सारा खाने के सामान बाहर ही रखना होगा. साथ ही भक्त रामलला के दर्शन 30 फीट की दूरी से कर सकेंगे.
भक्तों को मिलेगा ये प्रसाद
राम मंदिर में भक्तों को प्रसाद चढ़ाने की अनुमति नहीं मिलेगी. दर्शन करने के उपरांत आपको प्रसाद के रूप में इलायची दाना दिया जाएगा. इसके अलावा राम मंदिर में पूजा आराधना करने के लिए राम मंदिर ट्रस्ट ने अभी तक कोई आधिकारिक गाइडलाइंस नहीं जारी किया है. लेकिन सुरक्षा के नियमों का पालन करते हुए आपको मंदिर में प्रवेश दिया जाएगा.