धर्म एवं ज्योतिष
मकर संक्रांति पर ये काम हैं पूरी तरह से वर्जित? हो जाएगा भारी नुकसान
12 Jan, 2024 06:15 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
भगवान सूर्य के मकर राशि में प्रवेश करते ही पूरे देश में मकर संक्रांति का त्योहार धूमधाम से मनाया जाएगा. इस वर्ष 15 जनवरी को मकर संक्रांति का त्यौहार मनाया जा रहा है. इस दौरान लोग दही चूड़ा खाकर मकर संक्रांति का पर्व मनाएंगे. साथ ही मकर संक्रांति के दिन दान पुण्य करने की परंपरा है. लोग तिल, गुड़ और चावल का दान करते भी हैं. ऐसी मान्यता है कि इस दिन दान करने से कई प्रकार के पुण्य की प्राप्ति होती है. लेकिन क्या आप जानते हैं की मकर संक्रांति के दिन कुछ ऐसी चीजें भी हैं जिसे करना पूरी तरह से वर्जित माना गया है. ऐसा करने से आपको लाभ की बजाय हानि का सामना करना पड़ सकता है?
मकर संक्रांति पर कौन सा काम है वर्जित
ज्योतिषाचार्य पंडित प्रदीप आचार्य बताते हैं कि मकर संक्रांति के दिन लोगों को दान-पुण्य करना चाहिए. ऐसा करना लोगों के लिए काफी लाभकारी होता है. इस दिन पंचांग, तिल, चूड़ा, कपड़े इत्यादि दान करने चाहिए. लेकिन मकर संक्रांति के दिन लोगों को भूलकर भी कुछ चीज नहीं करनी चाहिए. उन्होंने कहा कि इस दिन लोगों को पेड़ की कटाई-छटाई करने से बचना चाहिए. मकर संक्रांति के दिन बिना नहाये किसी भी हाल में भोजन करना सही नहीं माना गया है, ऐसा करने से लोगों को दोष लगता है.
भूल कर भी नहीं करें यह गलतियां
ज्योतिषाचार्य ने बताया कि मकर संक्रांति के दिन कुछ गलतियां आपको काफी भारी पड़ सकती है. इस दिन भूलकर भी लोगों को यह गलतियां नहीं करनी चाहिए. उन्होंने बताया कि मकर संक्रांति के दिन प्याज, लहसुन और मांस-मदिरा का सेवन भूल से भी नहीं करना चाहिए. इस दिन अभद्र भाषा का प्रयोग करने से बचना चाहिए.
इस दिन किसी प्रकार का भी नशा नहीं करना चाहिए. मकर संक्रांति का त्यौहार को बेहद शुभ माना जाता है. इस दिन लोग गंगा समेत कई नदियों में स्नान करते हैं. भगवान सूर्य को अर्घ्य देते हैं, इस दिन लोगों को दान-पुण्य करना चाहिए.
पौष पुत्रदा एकादशी कब है? बन रहा ब्रह्म योग, जानें पूजा विधि और मुहूर्त
12 Jan, 2024 06:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
उत्तराखंड में स्थित ऋषिकेश योगनगरी से पहले भगवान विष्णु की नगरी कहलाती है. वैसे तो ऋषिकेश में सभी तीज त्योहारों और व्रत पर मंदिरों के दर्शन के लिए भक्तों की लाइन लगी रहती है, लेकिन एकादशी के दिन नजारा कुछ अलग होता है. ऋषिकेश के भरत मंदिर में भक्तों की काफी भीड़ दिखाई देती है. हिंदू पंचांग के अनुसार 21 जनवरी को पौष पुत्रदा एकादशी (Paush Putrada Ekadashi 2024) का व्रत रखा जाएगा. इस दिन भक्त भगवान विष्णु की पूजा-अर्चना के लिए ऋषिकेश के भरत मंदिर आते हैं और सुख-संपदा का आशीर्वाद मांगते हैं. वहीं इस दिन पूजा पाठ और व्रत रखने से संतान सुख की प्राप्ति होने की भी मान्यता है.
लोकल 18 के साथ बातचीत में ऋषिकेश के श्री सच्चा अखिलेश्वर महादेव मंदिर के पुजारी शुभम तिवारी ने बताया कि पुत्रदा एकादशी का व्रत साल में दो बार रखा जाता है. एक पौष के महीने में, तो दूसरा सावन माह में. इस साल 21 जनवरी को पौष पुत्रदा एकादशी का व्रत रखा जाएगा. इन दोनों ही दिन नियम अनुसार व्रत करने से संतान सुख की प्राप्ति होती है. पौष पुत्रदा एकादशी का यह व्रत सुबह 7.26 बजे से शुरु होगा और शाम को 7.26 बजे समाप्त होगा.
ब्रह्मा योग में भगवान विष्णु के साथ करें मां लक्ष्मी की पूजा
पुजारी शुभम तिवारी ने बताया कि इस साल पौष पुत्रदा एकादशी के दिन शुक्ल पक्ष के बाद दुर्लभ ब्रह्म योग बन रहा है. इस योग का निर्माण सुबह 7.26 बजे से शाम के 7.26 बजे तक हो रहा है. इस योग में पवित्र नदियों में स्नान करने और दान दक्षिणा का विशेष महत्व है. इस योग में भगवान विष्णु के साथ मां लक्ष्मी की पूजा करने से संतान सुख के साथ ही मनवांछित फल की प्राप्ति होती है. वहीं, इस दिन साधु संतों को भोजन करवाने और गरीबों को दान देने से भगवान विष्णु की विशेष कृपा प्राप्त होती है.
राशिफल: जानिए, कैसा रहेगा आपका आज का दिन (12 जनवरी 2024)
12 Jan, 2024 12:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
मेष राशि :- समय विफल होगा, कार्यगति में बाधा, चिन्ता, व्यर्थ भ्रमण होगा।
वृष राशि :- इष्ट मित्रों से सुख, अधिकारियों से मेल-मिलाप होगा तथा रुके कार्य अवश्य बनेंगे।
मिथुन राशि :- भाग्य का सितारा प्रबल होगा, बिगड़े कार्य अवश्य बनेंगे, सफलता मिलेगी।
कर्क राशि :- बिगड़े कार्य अवश्य बनेंगे, भाग्य का सितारा प्रबल होगा, समय का लाभ अवश्य लें।
सिंह राशि :- इष्ट-मित्र सुखवर्धक होंगे, कुटुम्ब की समस्यायें सुलझें, स्त्री वर्ग से हर्ष होगा।
कन्या राशि :- भावनायें संवेदनशील रहें, कुटुम्ब में सुख तथा समृद्धि के साधन बनेंगे।
तुला राशि :- समय की अनुकूलता से लाभ लें, स्वास्थ्य नरम रहेगा, किसी धारणा की अनदेखी होगी।
वृश्चिक राशि :- स्त्री शरीर कष्ट, मानसिक उद्विघ्नता, स्वभाव में उद्विघ्नता तथा असमर्थता रहेगी।
धनु राशि :- आशानुकूल सफलता, स्थिति में सुधार, व्यवसाय गति उत्तम बनी रहेगी।
मकर राशिः- धन का व्यर्थ व्यय होगा, मानसिक उद्विघ्नता हानिप्रद होगी ध्यान दें।
कुंभ राशि :- इष्ट मित्रों से सहयोग, कार्य बनेंगे, कार्यगति अनुकूल बनेगी, समय का ध्यान रखें।
मीन राशि :- भाग्य का सितारा प्रबल होगा, बिगड़ें कार्य बनेंगे, रुके कार्य अवश्य बनेंगे।
पौष अमावस्या पर स्नान और दान से होता है लाभ
11 Jan, 2024 07:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
इस साल की पहली अमावस्या 11 जनवरी दिन गुरुवार को पड़ रही है। इस दिन पौष अमावस्या के स्नान और दान से लाभ होगा। इससे पुण्य लाभ होता है। वहीं नए साल में आपको अगर कुछ नकारात्मक संकेत मिल रहे हैं तो आपकी सतर्क हो जाना चाहिए। ये संकेत बताते हैं कि आपके पितर आपसे नाराज हैं। इसी कारण जीवन में बाधाएं आ रही हैं। ये तब होता है जब आप पितरों के लिए श्राद्ध नहीं करते हैं, उनके लिए दान, तर्पण आदि नहीं करते हैं तो वे अतृप्त रहते हैं। जो उनकी नाराजगी का कारण बनता है। इस वजह से पितृ दोष लगता है। ऐसे में आप अमावस्या पर दान पुण्य से पितरों को खुश कर सकते हैं।
पितरों के नाराज होने पर आती हैं ये बाधाएं।
पितर जब नाराज होते हैं तो विवाह में बाधा उत्पन्न होती है। शादी तय होते-होते रह जाती है, रिश्ता पक्का नहीं हो पाता है.
यदि आप कोई कार्य करने जा रहे हैं और बार-बार उसमें बाधा आने लगती है तो भी इसका कारण पितरों की नाराजगी हो सकती है। इसके अलावा
आपके परिवार के सदस्यों के बीच मनमुटाव बढ़ने लगता है। इसक अलावा यदि आपको संतान सुख प्राप्त नहीं हो रहा। तो भी यह पितरों की नाराजगी का संकेत है। पितरों के नाराज होने से व्यक्ति को अचानक धन हानि हो सकती है। किया गया निवेश डूब सकता है. धन की कमी बनी रहती है.
पितरों को इस प्रकार प्रसन्न करें
पितरों को प्रसन्न करने के लिए त्रिपिंडी श्राद्ध का विधान है। किसी योग्य पंडित की मदद से त्रिपिंडी श्राद्ध करना चाहिए। इसको कराने से पितृ दोष से मुक्ति मिलती है और जीवन में तरक्की होने लगती है। अमावस्या के दिन स्नान के बाद पितरों को कुश और जल से तर्पण देना चाहिए। ऐसा करने से पितर प्रसन्न होते हैं. कहा जाता है कि बिना कुश के तर्पण देने से वे तृप्त नहीं होते हैं।
तो होगी महालक्ष्मी की कृपा
11 Jan, 2024 06:30 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
महालक्ष्मी की कृपा कब मिलेगी, यह जानने के लिए ज्योतिष में कुछ संकेत बताए गए हैं। मान्यता है कि जब भी ये संकेत मिलते हैं तो समझ लेना चाहिए कि व्यक्ति को लक्ष्मी की कृपा मिलने वाली है और पैसों की परेशानियां दूर होने वाली हैं।सुबह-सुबह उठते ही आपकी नजर अगर दूध या दही से भरे बर्तन पर पड़े तो समझ लें कि कुछ शुभ होने वाला है।
सुबह शंख ,मंदिर की घंटियों की आवाज सुनाई दे तो यह बहुत ही शुभ होता है।
यदि किसी व्यक्ति को सुबह शाम गन्ना दिखाई दे तो उसे निकट भविष्य में धन सबंधी मामलो में सफलता मिल सकती है।
यदि किसी व्यक्ति के सपनों में बार-बार पानी ,हरियाली ,लक्ष्मी जी का वाहन उल्लू दिखाई दे तो समझ लेना चाहिए कि आने वाले समय में मां लक्ष्मी जी की कृपा से धन सबंधी परेशानियां दूर होने वाली हैं।
यदि हम किसी आवश्यक काम के लिए जा रहे हैं और रास्ते में लाल साड़ी में पुरे सोलह श्रृंगार में कोई महिला दिख जाए तो यह भी महालक्ष्मी की कृपा का इशारा ही है ऐसा होने पर उस दिन कार्यों में सफलता मिलने की सम्भवना अधिक है।
नारियल, शंख, मोर, हंस, फूल आदि चीजें सुबह दिखाई देती है तो बहुत शुभ है।
शास्त्रों के अनुसार शुक्रवार को महालक्ष्मी की पूजा करने से विशेष कृपा मिलती है। इस दिन यदि कोई कन्या आपको सिक्का दे तो यह शुभ संकेत है. ऐसा होने पर समझ लेना चाहिए की निकट भविष्य में धन लाभ होने वाला है।
यदि घर से निकलते ही गाय दिखाई दे तो यह शुभ संकेत है। अगर गाय सफेद हो तो यह बहुत ही शुभ संकेत है।
यदि किसी व्यक्ति के सपने में सफेद सांप, सोने के जैसा सांप दिखाई देने लगे तो यह भी महालक्ष्मी की कृपा का इशारा है ऐसा होने पर निकट भविष्य में कोई विशेष उपलब्धि हासिल हो सकती है।
यदि घर से निकलते ही कोई सफाई कर्मी दिखाई दे तो यह भी शुभ संकेत होता है।
इन कामों से मिलता है स्वर्ग
11 Jan, 2024 06:15 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
आधुनिक जीवन में सफलता का अर्थ पैसों और सुख-सुविधा की चीजों से जुड़ा हुआ है। आप जितना भी धन कमा लेंगे दुनिया आपको उतना ही कामयाबी कहेगी, अंधाधुध पैसे कमाने की होड़ में कोई व्यक्ति ये नहीं सोचता कि उससे भौतिक दुनिया की सुख-सुविधा कमाने के कारण कितने पाप हो गए हैं।
श्रीमद्भागवत गीता में भगवान कृष्ण ने कई नीतियों के उपदेश दिए हैं। इसमें बताए गए एक श्लोक के अनुसार, जो मनुष्य ये 4 आसान काम करता है, उसे निश्चित ही स्वर्ग की प्राप्ति होती है। ऐसे मनुष्य के जाने-अनजाने में किए गए पाप कर्म माफ हो जाते हैं और उसे नर्क नहीं जाना पड़ता।
दान
दान करने का अर्थ है किसी जरूरतमंद को वो चीज निशुल्क उपलब्ध करवाना, जिसे पाने में वो अक्षम है। दान करने से पहले या बाद किसी को भी दान के बारे में नहीं बताना चाहिए। दान को हमेशा गुप्त ही रखना चाहिए.
आत्म संयम
कई बार ऐसा होता है कि हमारा मन और दिमाग दोनों विपरीत दिशा में चलते हैं और हम अधर्म कर बैठते हैं। गीता में दिए गए ज्ञान के अनुसार मन को वश में कर लेने से व्यक्ति द्वारा किसी पाप को करने की संभावना रहती है।
सत्य बोलना
कलियुग में सत्य और असत्य का पता लगाना मुश्किल हो गया है। किसी भी व्यक्ति की बात को सुनने मात्र से ये नहीं कहा जा सकता कि वो झूठ बोल रहा है या सच। अगर आपने भूतकाल में कोई गलत काम किया है, तो आप शेष बचे जीवन में हमेशा सत्य बोलकर पापों का प्रायश्चित कर सकते हैं।
ध्यान या जप
आधुनिक युग में ऐसे लोग बहुत कम बचे हैं, जो रोजाना ध्यान करते हो। पूजा-पाठ भगवान को प्रसन्न करने के लिए नहीं बल्कि स्वंय का स्वंय से मिलन करवाने के लिए की जाती है। आत्मध्यान करके हम आत्मसाक्षात्कार कर सकते हैं। नियमित रूप से स्वच्छ मन से जप या ध्यान करने से भूल से हुई गलतियों से पार पाया जा सकता है।
औषधि स्नाीन के माध्य्म से ग्रहों के दुष्प्ररभाव के उपाय
11 Jan, 2024 06:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
ग्रहों की स्थिति का आपके जीवन पर बहुत गहरा प्रभाव पड़ता है। अगर यह अनुकूल होते हैं तो आपके जीवन में सब कुछ अच्छा् चलता है। ग्रहों की दशा बदलने पर व्यरक्ति को अमीर से गरीब और राजा से रंक बनने में देर नहीं लगती। आज हम आपको बता रहे हैं औषधि स्नाअन के माध्यैम से ग्रहों के दुष्प्रेभाव को कम करने के उपाय।
सूर्य के दुष्प्रिभाव को कम करने के लिए
इलाइची, केसर एवं गुलहठी, लाल रंग के फूल मिश्रित जल द्वारा स्नागन करने से सूर्य के दुष्प्रवभाव कम होते हैं।
चंद्र की पीड़ा के निवारण के लिए
सफेद चंदन, सफेद फूल, सीप, शंख और गुलाब जल मिश्रित पानी से नहाने से आपकी राशि पर चंद्र के दुष्प्रेभाव कम होते हैं।
ऐसे दूर कर सकते हैं मंगल की पीड़ा
लाल चंदन, लाल फूल, बेल वृक्ष की छाल, जटामांसी, हींग मिश्रित जल से नहाने से मंगल ग्रह के दुष्पृरिणों को भी कम किया जा सकता है।
बुध की कृपा ऐसे कर सकते हैं प्राप्त।
अगर आप चाहते हैं कि आप पर बुध की कृपा दृष्टि बनी रहे तो आपको अपने स्नायन के जल में अक्षत, जायफल, गाय का गोबर मिश्रित करके स्नाेन करना होगा।
गुरु के दुष्प्रदभाव ऐसे करें दूर
सफेद सरसों, दमयंती, गूलर और चमेली के फूल मिलाकर स्ना न करने से आप पर गुरु के दुष्प्ररभावों का असर बहुत कम होता है।
शुक्र को ऐसे कर सकते हैं प्रसन्नल
शुक्र को आपके वैवाहिक जीवन का कारक माना गया है। शुक्र को खुश रखने से आपका वैवाहिक जीवन सदैव खुशहाल रहता है। इसके लिए बस आपको अपने स्नासन के जल में जायफल, मैनसिल, केसर, इलाइची और मूली के बीज मिलाकर नहाना होगा। ऐसा करने से शुक्र ग्रह के दुष्प्राभाव दूर हो सकते हैं।
शनि ग्रह के प्रकोप से ऐसे बचें
शनि को न्यानय के देवता का सम्माुन प्राप्ता है। यह व्येक्ति को उसके कर्म के अनुरूप परिणाम देते हैं। अत: हमको अपने कर्म तो दुरुस्त् रखने ही चाहिए साथ ही कुछ विशेष चीजों को स्नाबन के जल में मिलाकर नहाने से आप शनि के दुष्प्रनभावों से दूर रह सकते हैं। इन चीजों में सरसों, काले तिल, सौंफ, लोबान, सुरमा, काजल आदि शामिल हैं।
राहु की पीड़ा ऐसे कर सकते है दूर
इसके लिए आप स्ना न औषधि के रूप में लोबान, कस्तू्री, गजदंत आदि सामग्री से मिश्रित जल से स्नाकन करके राहु की पीड़ा को दूर कर सकते हैं।
केतु की पीड़ा ऐसे करें दूर
लाल चंदन और छाग मूत्र मिश्रित जल से स्नारन करके आप केतु के दुष्प्रभभावों को खत्म कर सकते हैं।
राशिफल: जानिए, कैसा रहेगा आपका आज का दिन (11 जनवरी 2024)
11 Jan, 2024 12:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
मेष राशि :- धन का व्यय संभव है, तनावपूर्ण वातावरण से बचिये तथा काया का ध्यान रखें।
वृष राशि :- अधिकारियों के समर्थन से साधन जुटायेंगे, शुभ समाचार अवश्य ही मिलेगा।
मिथुन राशि :- चिन्तायें कम होंगी, सफलता के साधन जुटायेंगे तथा शुभ समाचार अवश्य मिलेगी।
कर्क राशि :- बड़े-बड़े लोगों से मेल-मिलाप होगा तथा सुख-समृद्धि के साधन अवश्य बनेंगे।
सिंह राशि :- स्त्री वर्ग से हर्ष-उल्लास होगा, भोग-ऐश्वर्य की प्राप्ति होगी, कार्यगति उत्तम होगी।
कन्या राशि :- प्रतिष्ठा बाल-बाल बचे, संघर्ष से अधिकार प्राप्त करें, भाग्य आपका साथ देगा।
तुला राशि :- कुटुम्ब और धन की चिन्ता बनी रहेगी, सोचे कार्य परिश्रम से अवश्य ही पूर्ण होंगे।
वृश्चिक राशि :- प्रत्येक कार्य में बाधा क्लेशयुक्त रखेगी, स्थिति सामर्थ योग्य अवश्य ही बनेगी।
धनु राशि :- भावनायें विक्षुब्ध रहें, दैनिक कार्यगति मंद होगी, परिश्रम से कार्य बनेंगे।
मकर राशिः- तनाव, क्लेश व अशांति, धन का व्यय, मानसिक खिन्नता अवश्य ही बनेगी।
कुंभ राशि :- कार्य कुशलता से संतोष, व्यवसायिक समृद्धि के साधन अवश्य जुटायें।
मीन राशि :- कुटुम्ब के कार्यों में समय बीतेगा तथा हर्षप्रद समाचार प्राप्त होगा, मित्र मिलन होगा।
1100 किलो का दीपक, 501 kg घी और 15 kg बत्ती से अयोध्या में होगा प्रज्वलित, एक महीने रहेगा जगमग
10 Jan, 2024 06:45 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
अयोध्या में 22 जनवरी को होने जा रहे प्राण प्रतिष्ठा महोत्सव को लेकर देशभर में तैयारी की जा रही है. कई जगह धार्मिक अनुष्ठान कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं. ऐसे में जहां पहले 108 फीट की अगरबत्ती वड़ोदरा से अयोध्या पहुंची है. अब 1100 किलो का सवा 9 फीट का दीपक अयोध्या पहुंच रहा है. बड़ोदरा से कोटा पहुंचने पर दीपक का पूजन किया गया. गोदावरी धाम बालाजी दरबार के संत शैलेन्द्र भार्गव ने पूजा अर्चना की. इसके साथ ही साथ चलने वालों का माल्यार्पण कर स्वागत किया गया.
राम भक्त अरविंद भाई पटेल ने बताया कि वड़ोदरा में बनी 108 फीट लंबी अगरबत्ती की खबर पढ़कर उन्हें एक विशाल दीपक बनाने का विचार आया था. इसके बाद मकरपुरा जीआईडीसी में 1100 किलोग्राम वजन का एक विशाल दीपक बनाया है. इस दीपक की ऊंचाई 9.15 फीट और परिधि आठ फीट है. अरविंद भाई पटेल ने बताया कि इस दीपक की ऊंचाई 9.15 फीट और परिधि आठ फीट है. आधार की परिधि लगभग पांच फीट है. दीपक जलाने के लिए 15 किलो कपास की बाती जलानी पड़ती है. जिसके लिए चार फीट का मसाला भी तैयार कर लिया गया. राम भक्त अरविंद भाई पटेल ने कहा कि इसे दीपक में 501 किलो घी डालकर जलाया जाएगा. दीपक की यात्रा आज 3:30 बजे रावतभाटा रोड से होते हुए निकली गई और गोदावरी धाम पर दीपक आरती और पुष्पमाला से स्वागत किया गया.
अयोध्या में 22 जनवरी को होने जा रहे प्राण प्रतिष्ठा महोत्सव को लेकर देशभर में तैयारी की जा रही है. कई जगह धार्मिक अनुष्ठान कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं. ऐसे में जहां पहले 108 फीट की अगरबत्ती वड़ोदरा से अयोध्या पहुंची है. अब 1100 किलो का सवा 9 फीट का दीपक अयोध्या पहुंच रहा है. बड़ोदरा से कोटा पहुंचने पर दीपक का पूजन किया गया. गोदावरी धाम बालाजी दरबार के संत शैलेन्द्र भार्गव ने पूजा अर्चना की. इसके साथ ही साथ चलने वालों का माल्यार्पण कर स्वागत किया गया.
राम भक्त अरविंद भाई पटेल ने बताया कि वड़ोदरा में बनी 108 फीट लंबी अगरबत्ती की खबर पढ़कर उन्हें एक विशाल दीपक बनाने का विचार आया था. इसके बाद मकरपुरा जीआईडीसी में 1100 किलोग्राम वजन का एक विशाल दीपक बनाया है. इस दीपक की ऊंचाई 9.15 फीट और परिधि आठ फीट है. अरविंद भाई पटेल ने बताया कि इस दीपक की ऊंचाई 9.15 फीट और परिधि आठ फीट है. आधार की परिधि लगभग पांच फीट है. दीपक जलाने के लिए 15 किलो कपास की बाती जलानी पड़ती है. जिसके लिए चार फीट का मसाला भी तैयार कर लिया गया. राम भक्त अरविंद भाई पटेल ने कहा कि इसे दीपक में 501 किलो घी डालकर जलाया जाएगा. दीपक की यात्रा आज 3:30 बजे रावतभाटा रोड से होते हुए निकली गई और गोदावरी धाम पर दीपक आरती और पुष्पमाला से स्वागत किया गया.
नए साल का पहला विनायक चतुर्थी व्रत इस दिन, चंद्रमा को भी दें अर्घ्य, जानें मुहूर्त और महत्व
10 Jan, 2024 06:30 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
हिंदू पंचांग के अनुसार, हर महीने दो चतुर्थी की तिथि आती है एक कृष्ण पक्ष में तो दूसरी शुक्ल पक्ष में. शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को ही विनायक चतुर्थी कहा जाता है. विनायक चतुर्थी का दिन भगवान गणेश को समर्पित है. इस दिन भगवान गणेश को मोदक और दूर्वा चढ़ाने के साथ विधि विधान पूर्वक पूजा करने से विशेष कृपा बरसती है. साथ ही घर में सुख-समृद्धि बढ़ती है. वहीं, भगवान गणेश को शुभकर्ता और विघ्नहर्ता भी माना जाता है.
देवघर के पागल बाबा आश्रम स्थित मुद्गल ज्योतिष केंद्र के प्रसिद्ध ज्योतिषाचार्य पंडित नंदकिशोर मुद्गल ने बताया कि साल 2024 का पहला विनायक चतुर्थी व्रत 14 जनवरी को रखा जाएगा. इस दिन लोहड़ी का पर्व भी देश भर में मनाया जाएगा. विनायक चतुर्थी के दिन भगवान गणेश की पूजा आराधना करनी चाहिए. वहीं, इस दिन चंद्र दर्शन कर चंद्रमा को अर्घ्य देने से सभी प्रकार के रोग, दोष और कष्ट समाप्त हो जाते हैं. साथ ही इस दिन मूषक पर सवार भगवान गणेश की मूर्ति या तस्वीर की पूजा करना शुभ माना जाता है.
कब से शुरू हो रही चतुर्थी तिथि
ऋषिकेश पंचांग के अनुसार, पौष माह शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि की शुरुआत 14 जनवरी सुबह 05 बजकर 15 मिनट से होने जा रही है. वहीं समापन अगले दिन यानी 15 जनवरी को सुबह 07 बजकर 36 मिनट पर होगा. उदया तिथि के अनुसार, नए साल का पहला विनायक चतुर्थी व्रत 14 जनवरी को रखा जाएगा.
क्या करें इस दिन
विनायक चतुर्थी के दिन मूषक पर सवार भगवान गणेश की मूर्ति या चित्र की पूजा आराधना करनी चाहिए. इससे पूरे परिवार में हंसी-खुशी का माहौल रहता है. साथ ही विनायक चतुर्थी के दिन चंद्रमा को अर्घ देने से सभी प्रकार के रोग-दोष समाप्त हो जाते हैं. भगवान गणेश को मोदक के लड्डू और दूर्वा घास बेहद प्रिय है, इसलिए विनायक चतुर्थी के दिन दुर्वा की 21 गांठ “इदं दुर्वादलं ॐ गं गणपति नमः’; मंत्र का जाप कर अर्पण करें. श्री गणेश प्रसन्न होते हैं और आपकी मनोकामना जल्द पूर्ण होगी.
क्यों की जाती है मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा, इन 3 अनुष्ठानों के बिना अधूरी है पूजा
10 Jan, 2024 06:15 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
अयोध्या में निर्माणाधीन राम मंदिर (Ram Temple Ayodhya) में भगवान रामलला की प्रतिमा के प्राण-प्रतिष्ठा को अब कुछ दिन ही शेष हैं. रामलला की प्राण-प्रतिष्ठा 22 जनवरी 2024 को है. समारोह की तैयारी अब अंतिम चरण में है. रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के लिए शुभ मुहूर्त का क्षण 84 सेकंड का है, जो 12 बजकर 29 मिनट 8 सेकंड से 12 बजकर 30 मिनट 32 सेकंड तक होगा. भगवान रामलला की प्राण प्रतिष्ठा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के हाथों होगी. इस दौरान गर्भ गृह में पीएम मोदी के अलावा चार लोग मौजूद रहेंगे. क्या आपको मालूम है कि किसी भी मंदिर में मूर्ति स्थापना से पूर्व प्राण प्रतिष्ठा क्यों की जाती है. दरअसल नए मंदिर में मूर्ति स्थापना पर प्राण प्रतिष्ठा किया जाना आवश्यक है. बिना इसके मूर्ति पत्थर की आकृति मात्र ही रहती है. इस अनुष्ठान के लिए शुभ मुहूर्त का होना आवश्यक है.
शुभ मुहूर्त में की गई प्राण प्रतिष्ठा ही फलकारी होती है और कहा जाता है कि देव साक्षात उस मूर्ति में निवास करते हैं. अयोध्या राम मंदिर में होने जा रहे प्राण प्रतिष्ठा अनुष्ठान के लिए 2 मंडप व 9 हवन कुंड तैयार किए जा रहे हैं. जहां देशभर से पहुंचे 121 ब्राह्मण पूजा-अर्चना करेंगे.
प्राण प्रतिष्ठा के बाद मूर्ति होती है पूजनीय
उत्तराखंड के श्रीनगर गढ़वाल में स्थित सिद्धपीठ कमलेश्वर महादेव मंदिर के महंत आशुतोष पुरी बताते हैं कि नई मूर्ति स्थापना से पूर्व प्राण प्रतिष्ठा की जाती है. बिना प्राण प्रतिष्ठा के मूर्ति केवल पत्थर के टुकड़े से अधिक नहीं होती. प्राण प्रतिष्ठा कर मूर्ति में प्राण डाले जाते हैं अर्थात उसे जीवित किया जाता है, जिसके दर्शन मात्र से फल की प्राप्ति होती है. वह कहते हैं कि जब कारीगर द्वारा मूर्ति बनाई जाती है, तो वह सामान्य मूर्ति के सिवा कुछ नहीं होती है, लेकिन जब उसे मंदिर में स्थापित किया जाता है और मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा की जाती है, तब वह पूजनीय होती है.
जलाधिवास, फलाधिवास और फूलाधिवास जरूरी
उन्होंने कहा कि इसके लिए शुभ मुहूर्त से तीन दिन पहले से अनुष्ठान शुरू हो जाते हैं. सबसे पहले मूर्ति के नीचे वास्तु रखा जाता है. इसके उपरांत तीन दिन तक मंत्रों द्वारा जलाधिवास, फलाधिवास और फूलाधिवास कराया जाता है, जिसमें जल, फल, फूल से मूर्ति को वास करवाया जाता है. तब जाकर मूर्ति में मंत्रों द्वारा प्राण डाले जाते हैं और फिर वह सजीव की तरह मनोकामना पूरी करने वाली हो जाती है. इस दौरान प्रतिमा को विभिन्न पवित्र नदियों के जल से स्नान कराया जाता है. नवीन वस्त्र धारण कर बीज मंत्रों के उच्चारण से मूर्ति को उसके स्थान पर स्थापित किया जाता है और प्रतिमा की आंखों पर बंधी पट्टी खोली जाती है.
राम मंदिर के लिए 500 साल का संघर्ष
महंत आशुतोष पुरी बताते हैं कि अयोध्या में राम मंदिर की पुनः स्थापना सनातनियों के लिए गर्व की बात है. इसके लिए 500 सालों का संघर्ष रहा. कई साधु संतों ने बलिदान दिया, लड़ाई लड़ी, तब जाकर आज यह शुभ दिन देखने को मिल रहा है.
मकर संक्रांति कब है? काला तिल क्यों किया जाता है दान, खिचड़ी की क्या है मान्यता
10 Jan, 2024 06:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
इस साल मकर संक्रांति 15 जनवरी दिन सोमवार को पड़ रही है. मकर संक्रांति को लेकर अलग-अलग प्रांतों में अलग-अलग मान्यताएं प्रचलित हैं. उत्तर भारत में काला तिल, गुड़, चूड़ा, दही और खिचड़ी के दान के साथ इस दिन इन सब चीजों को खाने की परंपरा चली आ रही है. इसके पीछे की मान्यता को लेकर ज्योतिष आचार्य पंडित दशरथ नंदन द्विवेदी जी से बातचीत की.
पंडित ने बताया कि काला तिल अपने आप में एक महत्वपूर्ण दान करने की वस्तु है. संक्रांति में काले तिल के दान करने का महत्व यह है कि शनि का जो द्रव्य होता है, वह काला होता है. इसलिए शनि की कृपा पाने के लिए काले तिल का दान किया जाता है. और इसमें दूसरा पहलू यह है कि जब प्रकृति अपने मौसम का परिवर्तन लेती है उस समय काले तिल का सेवन करना स्वास्थ्य के लिए लाभदायक होता है.
मकर संक्रांति में खिचड़ी का महत्व
कई प्रांतों में मकर संक्रांति को खिचड़ी के रूप में मनाया जाता है. ज्योतिष आचार्य पंडित दशरथ नंदन द्विवेदी ने बताया कि जाने के पीछे भी पौराणिक मान्यताएं हैं. मकर संक्रांति के इस पर्व पर खिचड़ी का काफी महत्व है. मकर संक्रांति के अवसर पर कई स्थानों पर खिचड़ी को मुख्य पकवान के तौर पर बनाया जाता है. खिचड़ी को आयुर्वेद में सुंदर और सुपाच्य भोजन की संज्ञा दी गई है. साथ ही खिचड़ी को स्वास्थ्य के लिए औषधि माना गया है. वहीं, इसका दूसरा पहलू यह है, कि मकर संक्रांति के दिन खिचड़ी के साथ-साथ दही-चूड़ा भी खाया जाता है. धार्मिक दृष्टिकोण की बात करें तो इस दिन ये सभी चीजें खाना शुभ होता है.
इस दिन अन्न देवता की होती है पूजा
उन्होंने बताया कि मकर संक्रांति के त्योहार से पहले ही सितम्बर, अक्टूबर में धान काटे जाते हैं और बाजार में नए चावल बिकने लगते हैं. यही वजह है कि अन्न देवता की पूजते हुए नए चावल की खिचड़ी बना कर इस दिन खाया जाता है. इसे पहले सूरज देव को भोग के रूप में दिया जाता है फिर खुद प्रसाद के रूप में खाया जाता है.
राशिफल: जानिए, कैसा रहेगा आपका आज का दिन (10 जनवरी 2024)
10 Jan, 2024 12:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
मेष राशि :- कार्य कुशलता से संतोष तथा मनोबल उत्सावर्धक होगा, उत्साह बना रहेगा।
वृष राशि :- स्वभाव में खिन्नता होने से हीन भावना से बचियेगा अन्यथा कार्य मंद अवश्य होगा।
मिथुन राशि :- अशांति तथा विनम्रता से बचिये तथा झगड़ा होने की संभावना अवश्य बनेगी।
कर्क राशि :- स्त्री वर्ग से हर्ष, ऐश्वर्य की प्राप्ति होगी, रुके कार्य अवश्य ही बनेंगे ध्यान दें।
सिंह राशि :- आलोचना से बचिये, कार्य कुशलता से संतोष होगा, कार्य व्यवसाय पर ध्यान दें।
कन्या राशि :- धीमी गति से सुधार अपेक्षित है, सामाजिक प्रतिष्ठा में वृद्धि अवश्य होगी।
तुला राशि :- स्त्री वर्ग से हर्ष-उल्लास, गुप्त शत्रुओं से चिन्ता तथा कुटुम्ब में समस्या बनेगी।
वृश्चिक राशि :- योजना फलीभूत होगी, इष्ट मित्र सुखवर्धक होगा तथा कार्य अवरोध होगा।
धनु राशि :- कुटुम्ब की समस्या कष्टप्रद होगी तथा धन का व्यर्थ व्यय होगा सावधान रहें।
मकर राशिः- कुटुम्ब मेंं सुख मान-प्रतिष्ठा, बड़े लोगों से मेल-मिलाप अवश्य ही होगा।
कुंभ राशि :- भाग्य का सितारा प्रबल होगा, दैनिक गति मंद तथा बिगड़े कार्य अवश्य ही बनेंगे।
मीन राशि :- कार्य व्यवसाय गति अनुकूल बनेगी, समृद्धि के साधन अवश्य बनेंगे।
अयोध्या की तर्ज पर यहां भी बन रहा राम मंदिर, 2 एकड़ में होगा निर्माण, 22 जनवरी को होगी हनुमानजी की प्राण प्रतिष्ठा
9 Jan, 2024 06:45 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
22 तारीख को अयोध्या में होने वाले राम मंदिर के लिए अब लोगों को और इंतजार नहीं करना होगा. लंबे समय के इंतजार के बाद अब करीब 15 दिन बाद अयोध्या में राम मंदिर में रामलाल की प्राण प्रतिष्ठा होगी. अयोध्या में बना रहे भव्य मंदिर की तर्ज पर ही अलवर शहर के अपना घर शालीमार में भी राम मंदिर बनाया जा रहा है. अलवर शहर में बन रहे इस राम मंदिर का काम पिछले 2 साल से चल रहा है. खास बात यह है कि इस मंदिर की नींव भी उसी दिन रखी गई थी, जिस दिन अयोध्या के राम मंदिर की नींव प्रधानमंत्री मोदी द्वारा रखी गई. अलवर शहर का यह मंदिर 2 एकड़ की भूमि पर तैयार किया जा रहा है. हालांकि, अभी इस मंदिर को तैयार होने में 1 साल का समय और लगेगा. 22 तारीख को अयोध्या में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा होगी, तो 22 जनवरी को अलवर के राम मंदिर में भगवान राम के परम भक्त हनुमान जी की मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा होगी. इस दिन मंदिर में धार्मिक आयोजन किया जाएगा.
त्रेहान डेवलपर के डायरेक्टर अशोक सैनी ने बताया कि जिस तरह अयोध्या में भव्य राम मंदिर तैयार हो रहा है, इस तरह अलवर के अपना घर शालीमार में भी राम मंदिर का निर्माण चल रहा है. जो भक्त अयोध्या नहीं पहुंच सकते वह इस मंदिर में पहुंचकर भी रामलाल के दर्शन कर सकते हैं. हमारी कोशिश है कि अलवर में बन रहे राम मंदिर को उसी मंदिर का आकार दिया जाए जिस तरह अयोध्या में राम मंदिर बन रहा है. यह मंदिर दो एकड़ की भूमि पर बन रहा है. 2 साल से इस मंदिर का काम चल रहा है. आगे करीब 1 साल इस मंदिर को पूरा होने में और लगेगा. इससे पहले 22 जनवरी को अलवर के राम मंदिर में हनुमान जी की मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा की जाएगी. यह मूर्ति जयपुर में तैयार हो रही है और जमीन से करीब सवा तीन फीट की ऊंचाई है.
खाटू श्याम और नव ग्रह की हो चुकी है स्थापना
अशोक सैनी ने बताया कि अलवर की राम मंदिर में 22 तारीख को हनुमान जी की मूर्ति स्थापना की जाएगी. उससे पहले इस मंदिर में खाटू श्याम जी व नवग्रह के विग्रह विराजमान किए गए हैं. जब मंदिर बनकर पूरा तैयार हो जाएगा तब भगवान राम की प्रतिमा स्थापित की जाएगी. अभी मंदिर के दीवारों पर भी जय श्री राम के चित्र लगाए जाएंगे. वही भगवान राम के जीवन से जुड़ी हुई चित्र भी इसमें अंकित किए जाएंगे. बता दे की अलवर के अपना घर शालीमार के मुख्य गेट पर भगवान राम की 70 फीट प्रतिमा विराजमान है. अशोक सैनी ने बताया कि इस मंदिर में एक ही स्थान पर अन्य देवी देवताओं के दर्शन भी हो सकेंगे. साथ ही मंदिर परिसर में आंध्र प्रदेश से बैरागी शिव की प्रतिमा भी स्थापित की जाएगी. अशोक सैनी ने बताया जो पत्थर अयोध्या में लग रहे हैं वही पत्थर अलवर के राम मंदिर में भी लगाए जा रहे हैं. यह पत्थर धौलपुर व करौली जिले से आ रहे हैं. इन पर नक्काशी भी वहीं से होकर आ रही है, जो कि लोगों को बहुत लुभाएगी.
धार्मिक नगरी का रोम-रोम हुआ राममय, 11000 से ज्यादा महिलाओं ने धारण किये अक्षत कलश
9 Jan, 2024 06:30 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
प्रभु श्री राम की अयोध्या नगरी में 22 जनवरी को होने वाली प्राण प्रतिष्ठा से पहले ही राजस्थान में धार्मिक नगरी के नाम से प्रसिद्ध करौली राम भक्ति के रंग में 7 जनवरी के दिन ही रंग गई. मौका था अयोध्या नरेश श्री राम की प्राण प्रतिष्ठा से पहले निकलने वाली प्रभु श्री राम की शोभायात्रा का, धार्मिक नगरी में निकलने वाली यह भव्य शोभायात्रा इतनी विशाल और ऐतिहासिक थी कि मानों हर व्यक्ति के रोम-रोम में एक बार तो प्रभु श्री राम ही छा गए. राम जी की इस विशाल शोभा यात्रा को देखने के लिए पूरा शहर मानो थम गया हो. इस भव्य यात्रा का दृश्य देखने के लिए पूरे शहर के लोग दिनभर छतों पर ही नजर आए. करौली के इतिहास में पहली बार निकलने वाली यह शोभायात्रा इतनी विशाल थी कि एक बार तो व्यक्ति जहां पर भी था वहीं, पर ही करीब 2 घंटे तक ठहर गया
करौली के इतिहास में पहली बार निकलने वाली प्रभु श्री राम इस शोभायात्रा में 11000 से ज्यादा महिलाएं राम जी का अक्षय कलश अपने सिर पर धारण करके पंक्तिबद्ध रूप से चल रही थी. 11000 महिलाओं को एक साथ कलश लेकर चलते देख हर व्यक्ति के मन में राम भक्ति जाग उठी और पूरे शहर में राम ही राम के जयकारे ही सुनाई दे रहे थे. इसके साथ राम जी की इस भव्य शोभा यात्रा में सुभाष चंद्र बोस, रानी लक्ष्मीबाई और संजीव झांकी भी राम जी के रथ के पास ही चल रही थी.
करौली के इतिहास की सबसे बड़ी शोभायात्रा
इस ऐतिहासिक यात्रा के लिए लोगों ने भी स्वागत के लिए पलक पांवड़े बिछा दिए, राम जी की इस शोभायात्रा का जगह-जगह पर पुष्प वर्षा, रंगोली सजाकर स्वागत किया गया. सबसे खास बात कि इस विशाल यात्रा के चलते लगभग 4 घंटे तक जो व्यक्ति जहां था वहीं पर ठहर गया. संघ के नगर कार्यवाहक अमित शुक्ला ने बताया कि यह विशाल शोभायात्रा श्री राम जन्मोत्सव आनंद समिति द्वारा निकाली गई है. जो करौली के इतिहास की पहली सबसे बड़ी शोभायात्रा है. जिसमें 11000 से ज्यादा महिलाएं सिर पर अक्षत कलश लेकर चल रही थी. शुक्ला ने बताया कि इस शोभायात्रा की खासियत इसमें 3600 कोमों का समावेश था. करौली के त्रिलोक चंद माथुर स्टेडियम से 2:00 शुरू हुई इस विशाल शोभायात्रा का समापन शाम को एक साथ हनुमान चालीसा का पाठ और महिलाओं ने अपने-अपने कलश का जल 11 पार्थिव शिवलिंगों पर चढ़ाकर किया.