धर्म एवं ज्योतिष (ऑर्काइव)
नए साल पर चित्रकूट के इन मंदिरों में करें दर्शन, बन जाएंगे बिगड़े काम, प्रभु राम से जुड़ी है मान्यता
31 Dec, 2023 06:45 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
अगर आप भी नए साल में कहीं घूमने या मंदिर में दर्शन करने का प्लान बना रहे हैं तो आप धर्म नगरी चित्रकूट में पहुंच सकते हैं.यहां बने प्रमुख मठ मंदिरों के दर्शन प्राप्त करके अपने बिगड़े काम बना सकते हैं. कहा जाता है कि यहां प्रभु श्री राम अपने वनवास काल के दौरान साढ़े ग्यारह वर्ष रहे हैं.
आपको बता दें कि अपने वनवास काल के दौरान प्रभु श्री राम ने चित्रकूट के मंदाकिनी तट के किनारे अपने साढ़े ग्यारह वर्ष व्यतीत किए थे. इसलिए यह स्थान बहुत ही प्रमुख माना जाता है. अगर आप नए साल में चित्रकूट आए हैं या चित्रकूट जाने का प्लान बना रहे हैं तो आप चित्रकूट के मंदाकिनी नदी में स्नान करने के बाद कामतानाथ तोता मुखी हनुमान जी, भरत मंदिर के साथ-साथ अन्य प्रमुख मठ मंदिरों के दर्शन कर के अपने नए साल का आगाज कर सकते हैं.मान्यता है कि उनके दर्शन करने से भक्तों के सभी मनोकामनाएं व बिगड़े काम बन जाते हैं.
महंत ने दी जानकारी
चित्रकूट के महंत दिव्य जीवन दास महाराज ने बताया कि चित्रकूट बहुत ही महत्वपूर्ण पवित्र तीर्थ है, क्योंकि यहां मर्यादा श्री राम वनवास काल के दौरान साढ़े ग्यारह वर्ष रहे हैं. उन्होंने बताया कि तुलसी दास ही कलयुग में ही उनकी इच्छा थी की प्रभु का दर्शन हो जाए. वो काशी गए वृंदावन गए और कहीं भी अन्य जगह है लेकिन प्रभु श्री राम के दर्शन नहीं हुए. अंत में काशी में हनुमान जी ने उनको प्रेरित किया कि आपको भगवान के दर्शन चित्रकूट में होंगे. कलयुग में जब उनके जीवन की इच्छा की समपूर्ति चित्रकूट में हुई थी.
भगवान की अभिलाषा चित्रकूट में पूरी हुई
उन्होंने ने बताया की माता जानकी ने भी वरदान मांगा था कि अगर वह सकुशल लौट जाएंगे तो वह चित्रकूट में पाठ पूजन आदि करेंगे.उन्होंने बताया की जब भगवान की अभिलाषा चित्रकूट में पूरी हुई तो यहां आने वाले भक्तों की मनोकामनाएं तो चित्रकूट में पूरी होगी ही.
लाखों रुपए का था कर्ज, फिर रामलला के दर्शन करने पर आंखें बनाने की हुई इच्छा, बना दी 3D आंखें
31 Dec, 2023 06:30 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
उत्तर प्रदेश के अयोध्या में भगवान राम का मंदिर बनकर तैयार हो चुका है और अब जनवरी में प्राण प्रतिष्ठा भी है. ऐसे में अब भगवान राम अपने गर्भगृह में विराजमान होंगे. ऐसे में लोग अपने राम के दर्शन करने के लिए भी बड़े आतुर है. ऐसे में सबसे ज्यादा आकर्षण का केंद्र भगवान राम के स्पेशल थ्री डी नेत्र यानी रियलस्टिक नेत्र होंगे. यह नेत्र बीकानेर के वीरेंद्र साकरीया ने बनाए हैं. इन नेत्रों की मीनाकारी भी वीरेंद्र ने बनाई है. वीरेंद्र ने बताया कि करीब 6 साल पहले उन पर लाखों रुपए का कर्जा था, लेकिन फिर अचानक अयोध्या में अपने मित्र के पास गए और रामलला के टेंट में दर्शन किए. तब से उनकी जिंदगी पूरी तरह बदल गई. अब वह थ्री डी नेत्रों से अच्छी खासी कमाई कर रहे है.
वीरेंद्र साकरीया ने बताया कि मीनाकारी का काम करते हुए लगभग 5 से 6 साल हो गए है. बचपन से मुझे चित्रकारी का शौक था. चित्रकारी को पेशा बनाया. इसके अलावा पूरी दुनिया में रियलस्टिक नेत्र सिर्फ मैं ही बनाता हूं. रियलस्टिक नेत्र का मतलब यह थ्री डी की तरह दिखती है. इस रियलस्टिक नेत्र की खासियत है कि जब आप भगवान के नेत्र देखते हो तो मानो ऐसा लगता है भगवान चारों तरफ देख रहे है. वह बताते है कि अयोध्या में रामलला की मूर्ति के लिए इसी साल अप्रैल में भगवान के नेत्र चढ़ाएं थे. उनका पूरा परिवार रियलस्टिक नेत्र यानी थ्री डी नेत्र बनाता है. वीरेंद्र के इस काम में उनका बेटा और बेटी और पत्नी भी सहयोग करती है.
भगवान की आंखें बनाना गर्व की बात
वीरेंद्र बताते है कि उनकी इच्छा थी कि भगवान राम की आंखे यानी नेत्र वे बनाए. जब निश्चय किया कि भगवान राम के नेत्र बनाने है तो मैं अयोध्या चला गया. तब वहां पुजारी जी के सामने अपनी इच्छा रखी तो मंदिर के पुजारी संतोष तिवारी ने बीकानेर के वीरेंद्र को रामलला के पुराने नेत्र के नाप दिए थे. उसी नाप से रियलस्टिक नेत्र बनाए. उन्होंने रामलला के पुराने नेत्र नाप के लिए दे दिए. इसके बाद वीरेंद्र ने यह नेत्र बनाए. 15 अप्रैल को अयोध्या नेत्र देने के लिए पुजारी जी के पास गए. 17 अप्रैल को उनके द्वारा बनाई गई आंखे भगवान राम के लग चुकी थी. आज भी यह नेत्र भगवान राम की मूर्ति पर लगी हुई है. कई बार भगवान राम के श्रृंगार बदलते रहते है तो कई बार उनके बनाए नेत्र ही ज्यादातर लगे रहते है.
नेत्र बनाने में लगे पांच से छह दिन
वह बताते है कि भगवान राम के नेत्र बनाने में करीब पांच से छह दिन लगे थे. यह नेत्र सोने के बनाए गए थे. इस नेत्र की कीमत देखी जाए तो इसे बनाने में करीब 6 से 7 हजार रुपए का खर्चा आया था.
कई मंदिरों के लिए बना चुके हैं नेत्र
वीरेंद्र ने बताया कि इन स्पेशल रियलस्टिक थ्री डी नेत्रों को शक्ति नेत्र बोलते है. इन्होंने अपने गले में यह नेत्र पहनते है. इस नेत्र का काफी प्रभाव अपने जीवन पर पड़ता है और इससे सकारात्मक ऊर्जा मिलती है. वे एक आंख यानी थ्री डी नेत्र की कीमत 1100 रुपए है. उन्होंने अब तक कई मंदिरों में भगवान के नेत्र बनाए है. वे बताते है कि उन्होंने अब तक हजारों नेत्र बनाकर लोग को दे चुके है.
30 साल पहले ये महिला करती थी पूजा, अब उस पेड़ में उग आई है भगवान शंकर की आकृति, लोग मान रहे हैं चमत्कार
31 Dec, 2023 06:15 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
बिहार के गोपालगंज जिला अंतर्गत कुचायकोट प्रखंड के एक छोटे अहियापुर गांव स्थित एक पेड़ में भगवान शंकर का आकृति उग आई है. लोगों का मानना है कि यह आकृति इतनी स्पष्ट है कि इसे देखने वाले लोग आश्चर्य में पड़ जाते हैं. कुछ लोग इसे आस्था का प्रतीक मान रहे हैं, तो कुछ इसे अंधविश्वास. दरअसल, 30 साल पहले इसी स्थान पर एक महिला सरला देवी पूजा करती थी. लेकिन 20 साल पहले ही महिला की मौत हो गई. उनकी मौत के बाद परिवार के सदस्य पूजा करते रहे. 10 साल बाद वे भी अलग जगह जाकर बस गए. इसके बाद पूजा स्थल बीरान हो गया और यहां छोटे बड़े पेड़ उग आए. इसी बीच यहां मौजूद एक पेड़ में भगवान शंकर का आकृति दिखाई दी है और यह इलाके में चर्चा का विषय बनी हुई है.
ध्रुव देव तिवारी ने बताया कि इलाके जैसे-जैसे यह बात फैल रही है, लोग दर्शन और पूजन के लिए पहुंचने लगे हैं. पूजा-पाठ का दौर शुरू से जारी है. हर दिन लोग इस स्थान पर आकर भगवान शंकर की पूजा-अर्चना करते हैं. उन्होंने बताया कि घर के सामने ही यह पेड़ है और यहां भाई की पत्नी पहले पूजा-अर्चना करती थी. अब वहां एक पेड़ में भगवान शंकर की आकृति दिखाई दे रही है. स्थानीय लोग यहां मंदिर निर्माण कराने की बात कर रहे हैं. वहीं, कल्पनाथ तिवारी ने बताया कि जिस स्थान पर महिला पूजा करती थी उसी जगह पर पहले एक पत्थर और एक चापाकल था. इसके अलावा यहां कुछ नहीं था.
भगवान शंकर का लोग मान रहे हैं चमत्कार
कल्पनाथ तिवारी ने बताया कि महिला के गुजर जाने के बाद उसी जगह पर एक पेड़ उग आया और उसमें भगवान शंकर की आकृति दिखाई दे रही है. इसके बाद लोग पेड़ के नीचे दीपक जलाने के साथ फूल चढ़ाते हैं और प्रार्थना करते हैं. कुछ लोग इस आकृति को एक प्राकृतिक घटना मानते हैं. लेकिन, ज्यादातर लोग इसे भगवान शंकर का चमत्कार मान रहे हैं. इस आकृति के कारण इस स्थान का महत्व बढ़ गया है और लोग यहां आकर भगवान शंकर से मन्नत भी मांगने लगे हैं. यह घटना आस्था का प्रतीक है या अंधविश्वास? यह एक व्यक्तिगत मामला है. लेकिन लोग इसे चमत्कार ही मान रहे हैं और पूजा पाठ कर रहे हैं.
श्री राम का ननिहाल और उनकी कर्मभूमि, जगन्नाथपुरी नाम से फेमस है ये धाम, यहां दर्शन कर करें नए साल की शुरुआत
31 Dec, 2023 06:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
नए साल की शुरुआत अगर आप भी भगवान के दर्शन और शांत वातावरण में घूमने का प्लान बना रहे है. तो छत्तीसगढ़ के जगन्नाथ पुरी नाम से प्रसिद्ध शिवरीनारायण धाम जहां आप भगवान नारायण के दर्शन कर नए साल पर अपने और अपने परिवार की खुशहाली के लिए प्रार्थना कर सकते हैं. वहीं, यहां त्रिवेणी (तीन नदियों का मिलना ) महानदी, शिवनाथ नदी और जोक नदी का संगम होता है. शिवरीनारायण के महानदी घाट अपनी खूबसूरती से लोगों के मन को प्रफुल्लित कर देता है.
जांजगीर चांपा जिले में शिवरीनारायण धाम में महानदी, शिवनाथ और जोक नदी के संगम पर बसा है. यहां प्राकृतिक छटा से भरपूर हैं. यहां मंदिर दर्शन करने के बाद घूमने के लिए महानदी घाट को सजाया गया है. महानदी में वोटिंग भी होती है. जिसका मजा यहां घूमने आने वाले व्यक्ति अपने परिवार और दोस्तों के साथ ले सकते हैं.
जगन्नाथ जी की तीनों प्रतिमाएं
सुखराम दास पंडित ने बताया कि शिवरीनारायण को छत्तीसगढ़ के जगन्नाथ पुरी के नाम से जाना जाता है. मान्यता हैं कि इसी स्थान पर प्राचीन समय में भगवान जगन्नाथ जी की तीनों प्रतिमाएं स्थापित की गई थी. लेकिन बाद में इन्हे जगन्नाथपुरी में ले जाया गया, मान्यता है कि आज भी साल में एक दिन भगवान जगन्नाथ शिवरीनारायण आते हैं इसलिए इस जगह को भगवान जगन्नाथ का मूल स्थान कहा जाता है. यह मंदिर में एक कुंड भी हैं जिसे रोहिणी कुण्ड कहा जाता है जो जमीन से ऊपर है. जिसमे हमेशा जल भरा रहता है. भगवान लक्ष्मी नारायण के चरण इसमें डूबे रहते हैं. इस जल को अक्षय जल कहा जाता है. और बताया कि भगवान के इस दिव्य स्वरूप दर्शन मात्र से मोक्ष की प्राप्ति होती है.
श्री राम का ननिहाल और कर्मभूमि
शिवरीनारायण मठ के मठाधीश महंत रामसुंदर दास जी ने बताया कि छत्तीसगढ़ में मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम का ननिहाल और उनकी कर्मभूमि भी है, 14 साल की कठिन वनवास काल में श्रीराम ने अधिकांश समय छत्तीसगढ़ में ही व्यतीत किया था, माता कौशल्या की जन्मभूमि के कारण छत्तीसगढ़ में श्री राम को भांजे के रूप में पूजा जाता है. शिवरीनारायण धाम के बारे में बताया कि यही वो पावन भूमि है. जहां भक्त और भगवान का मिलन हुआ था, भगवान राम ने शबरी की तपस्या से प्रसन्न होकर न केवल उन्हें दर्शन दिए बल्कि उनकी भक्ति और भाव को देखकर जूठे बेर खाने में भी कोई संकोच नहीं हुआ, आज भी शबरी और राम के मिलन का ये पवित्र स्थान आस्था का केंद्र बना हुआ है.
शिवरीनारायण धाम कैसे पहुंचे
शिवरीनारायण धाम पहुंचने के लिए आप सड़क मार्ग से रायपुर-बिलासपुर मार्ग से पामगढ़ रास्ते से आ सकते हैं. बिलासपुर से 60 किलोमीटर और जांजगीर जिला मुख्यालय से 45 किलोमीटर है. शिवरीनारायण से नजदीकी रेलवे स्टेशन जांजगीर नैला और चांपा स्टेशन है.
राशिफल: जानिए, कैसा रहेगा आपका आज का दिन (31 दिसंबर 2023)
31 Dec, 2023 12:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
मेष राशि :- क्लेश व अशांति, परिश्रम करने पर भी आरोप, क्रोध होगा।
वृष राशि :- अधिकारियों का मेल मिलाप फलप्रद रहे, कार्य कुशलता से संतोष।
मिथुन राशि :- कार्य व्यवसाय में थकावट व बेचैनी, कुछ सफलता के साधन हो।
कर्क राशि :- कार्य कुशलता से संतोष, परेशानी व चिन्ता जनक स्थिति होगी।
सिंह राशि - स्त्रीवर्ग से हर्ष उल्लास, भोग ऐश्वर्य की प्राप्ति तथा कार्य गति होगी।
कन्या राशि :- आर्थिक योजनापूर्ण होवे, समय पर सोचे कार्य अवश्य ही बनेंगे।
तुला राशि :-सामर्थ्य होते हुए भी कार्य विफल बना रहेगा तथा कार्य की हानि होवे।
वृश्चिक राशि :- कुटुम्ब की समस्याओं से क्लेश, धन हानि, मानसिक बेचैनी होगी।
धनु राशि :- आरोप, क्लेश व अशांति से बचिएगा तथा तनाव पूर्ण वातावरण होगा।
मकर राशि - योजनाएं फलीभूत हो, सफलता के साधन जुटाए, काय अवश्य हो।
कुंभ राशि - परिश्रम करने पर सफलता न मिलें तथा कार्यों में विशेष बाधा बनेगी।
मीन राशि - धन लाभ सफलता का हर्ष प्रभुत्व वृद्धि तथा सामाजिक कार्य में प्रतिष्ठा बढ़ेगी।
पूजा के समय कहीं गलत दीपक तो नहीं जला रहे हैं आप? अगर कर दी ये गलती, तो उल्टा पड़ जाएगा परिणाम
29 Dec, 2023 06:45 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
अगर आप भी पूजा करते हैं और प्रतिदिन भगवान को दीपक जलाते हैं तो आपको भी यह जान लेना चाहिए कि कहीं आप भी दीपक जलाने के दौरान कोई बड़ी गलती तो नहीं कर रहे हैं. दरअसल, हिंदू धर्म में दीपक का अपना एक अलग महत्व होता है. दीप जलाना हिंदू धर्म में काफी शुभ माना गया है और लोग किसी भी भगवान की पूजा के दौरान घी का दीपक जलाते हैं. लोग भगवान को दीप जलाने के दौरान उसमें जलाए जाने वाली बाती के बारे में विशेष ध्यान नहीं रखते. जबकि ऐसा करने से उल्टे परिणाम हो सकते हैं. गौरतलब है कि बाजार में दो प्रकार की बाती मिलती है, जिसमें एक लंबी और दूसरी गोल बाती होती है. जिसे फूल बाती भी कहते हैं. लेकिन, अलग-अलग देवताओं के सामने अलग-अलग प्रकार के बाती जलाना अशुभ माना जाता है.
ज्योतिषाचार्य आचार्य शत्रुघ्न मिश्रा ने बताया कि गोल बाती का दीपक बेहद खास माना जाता है. इसकी बाती गोल और छोटी होती है. इस कारण से फूल बाती भी कहते हैं. कहा जाता है कि गोल बाती का दीपक घर में जलाने से स्थिरता और संपन्नता आती है. इसे पूजा के समय सुबह-शाम जलाने से घर में सुख-समृद्धि के साथ वैभव आता है और पूजा के सभी शुभ फलों की प्राप्ति होती है. लेकिन गोल-बाती के दीपक के बारे में कुछ खास नियम बनाए गए हैं. कहा जाता है कि इसे हर देवी देवता की मूर्ति के आगे नहीं जलाया जा सकता है.
देवी-देवता के आगे कौन सा दीपक जलाएं
ज्योतिषाचार्य आचार्य शत्रुघ्न मिश्रा ने बताया कि गोल बाती का दीपक केवल भगवान विष्णु और भगवान महादेव की मूर्ति के आगे ही जलाना चाहिए. इसके अलावा अगर आप वट वृक्ष और पीपल के पेड़ की पूजा करते हैं तो उनके आगे भी गोल बाती का दीपक ही जलाना चाहिए. इन देवताओं के आगे भूलकर भी लंबे बाती का दीपक नहीं जलाना चाहिए. साथ ही आप इंद्रदेव और भगवान ब्रह्मा की मूर्ति के आगे भी इसे जला सकते हैं. जबकि अगर आप माता दुर्गा, माता लक्ष्मी या किसी देवी की पूजा कर रहे हैं तो उनके आगे आपको हमेशा लंबे बाती का दीपक इस्तेमाल करना चाहिए. उन देवियों के आगे कभी भी गोल-बाती का दीपक इस्तेमाल नहीं करना चाहिए.
2024 का पहला प्रदोष व्रत कब? बन रहा बेहद शुभ संयोग, भोलेनाथ को ऐसे करें प्रसन्न
29 Dec, 2023 06:30 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
सनातन धर्म में भगवान शिव को बहुत कृपालु और दयालु कहा जाता है. कहते हैं कि भगवान शिव बहुत ही जल्दी प्रसन्न हो जाते हैं. प्रदोष व्रत और मासिक शिवरात्रि भगवान शिव के प्रिय व्रत हैं. मान्यता है कि जो भक्त भोलेशंकर के ये व्रत रखते हैं, भगवान उनसे शीघ्र प्रसन्न होकर उनकी सभी मनोकामनाएं पूरी करते हैं. इस बाद बेहद शुभ संयोग है कि प्रदोष व्रत और मासिक शिवरात्रि का व्रत एक ही दिन पड़ रही है. इस दिन पूरे विधि-विधान के साथ भगवान भोलेनाथ की पूजा-अर्चना की जाती है
भौम प्रदोष को लेकर राजधानी रायपुर के ज्योतिषाचार्य पंडित मनोज शुक्ला ने बताया कि वर्ष में दो पक्ष होता है दोनों पक्षों में एक- एक प्रदोष व्रत पड़ता है. एकादशी के ठीक तीसरे दिन यानी त्रयोदशी तिथि पर प्रदोष व्रत रखा जाता है. यह प्रदोष व्रत सायंकालीन बेला है. कई बार द्वादशी तिथि पर शाम को यदि त्रयोदशी तिथि लग जाती है तो उसी दिन प्रदोष व्रत किया जाता है. प्रदोष व्रत भगवान भोलेनाथ का व्रत है. प्रदोष काल में प्रदोष व्रत के दिन यदि उनकी पूजा और अभिषेक किया जाए तो भगवान भोलेनाथ अति प्रसन्न होते हैं.
जरूर करें ये काम
पंडित मनोज शुक्ला ने आगे कहा कि शास्त्रों में बताया गया है कि प्रदोष काल के दौरान भगवान भोलेनाथ प्रसन्न रहते हैं. इस समय में इनकी पूजन अभिषेक करना चाहिए. हालांकि सूर्यास्त के पहले 45 मिनट और 45 बाद का समय प्रदोष व्रत कहलाता है. वैज्ञानिक ऋषि मुनियों ने इस समय को पूजन काल बताया है. ताकि इस समय घर के लोग दीपक प्रज्वलित कर दरवाजें पर दिखाना चाहिए. इससे भगवान भोलेनाथ प्रसन्न होते हैं.
पूजा करने के फायदे
साल 2024 का पहला प्रदोष व्रत भौम प्रदोष व्रत 9 जनवरी को पड़ेगा. इस बार इस दिन बेहद ही शुभ संयोग बन रहा है. इस दिन मासिक शिवरात्रि भी पड़ रहा है त्रयोदशी युक्त चतुर्दशी तिथि दोनों दोनों ही तिथि भगवान भोलेनाथ के पूजन के लिए सर्वश्रेष्ठ मानी गई है. इसलिए इस दिन पूजन करना अति लाभदायक है.
यदि इस दिन सायंकालीन में व्रत रखें हैं और अभिषेक करते बनता है तो अवश्य करना चाहिए. अन्यथा दीप प्रज्वलित कर भगवान भोलेनाथ के सामने मनोकामना रखना चाहिए ऐसे में भगवान भोलेनाथ मनोकामना जरूर पूरी करते हैं.
देश का अनोखा मंदिर, भैरव बाबा की मूर्ति दिन में 3 बार होती है छोटी बड़ी! भक्तों का दावा
29 Dec, 2023 06:15 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ अपनी ऐतिहासिक धरोहर, अतुल्य विरासत और धार्मिक संस्कृति के लिए प्रसिद्ध है.इस शहर के विरासत में बड़ी काली जी मंदिर जैसे ऐतिहासिक मंदिर भी शामिल हैं,जो अपने अपार सौंदर्य और आध्यात्मिकता के साथ-साथ चमत्कार के लिए जाना जाता है. बड़ी काली जी मंदिर के प्रांगण में मौजूद देवी-देवता बेहद प्राचीन स्थलों में से एक हैं और भक्त यहां दर्शन करने के लिए दूर-दूर से आते है.
बड़ी काली जी मठ के व्यवस्थापक हंसानंद महाराज ने बताया कि जितना प्राचीन माता का मंदिर है,उतना ही प्राचीन मंदिर में अन्य देवी-देवताओं के भी मंदिर हैं.महाराज ने बताया कि संकटा माता, भैरव बाबा, खोखा माता और हनुमान जी इनकी एक विशेषता है जो इन्हें अन्य मंदिर से धार्मिक दृष्टिकोण से अलग बनाता है. यहां मौजूद संकटा माता की लीलाएं अपार हैं. सुबह माता का चेहरा मुस्कुराता है, दोपहर में सौम्य हो जाता है, जबकि रात्रि में माता का चेहरा क्रोधित हो जाता है. कोई भी सुबह से लेकर रात तक माता को देखेगा तो प्रत्यक्ष देखने को मिलेगा.
लीलाएं अपार माता की
खोखा माता के दर्शन के लिए भक्त दूरदराज से आते है. दावा किया जाता है कि नवरात्रि के समय माता को जिस जल से स्नान कराया जाता है वो जल कोई रोगी पी लेता तो उसको गले का कैंसर जैसी बड़ी बीमारी ठीक हो जाती है. इसके साथ ही कहा जाता है कि भैरव बाब के मंदिर में बाबा की मूर्ति दिनभर में तीन बार छोटी बड़ी होती है.सुबह मूर्ति अपने मूल साइज में होती, दोपहर में साइज कम हो जाता जबकि शाम में और एकदम छोटी हो जाती है.
हनुमान जी अपने पुत्र मगरध्वज के साथ
यहां एक विशेष मंदिर है जो पूरे भारत में दूसरा मंदिर है जहां दक्षिण मुखी हनुमान जी अपने पुत्र मगरध्वज के साथ विराजमान है. हनुमान जी और मगरध्वज के बीच में जो जगह है, वहां बैठकर कोई भी मनोकामना मांगने पर पूरी होती है. ऐसा यहां का विश्वास है और सबकी मनोकामना पूरी भी होती है. विदेशों की एक बार टीम आई थी और उन्होंने यहां पर नकारात्मक और सकारात्मक ऊर्जा का माप किया था.तो इसमें पाया गया था कि मंदिर में सकारात्मक ऊर्जा काफी अधिक है.
भक्तों की होती मनोकामना पूर्ण
यहां दर्शन करने वाली एक भक्त ने कहा है कि यह माता का सच्चा दरबार है,यहां दर्शन करने से सुख का अनुभव होता है और जब से यहां पर दर्शन कर रही हू,माता ने मेरे कल्याण किया है और मेरी कुछ ऐसी मनोकामना थी जो माता ने पूर्ण करी है.आप अगर भी करना चाहते हैं यहां दर्शन तो आना होगा बड़ी काली जी मंदिर, चौक. आप चारबाग रेलवे स्टेशन से ऑटो कैब द्वारा आसानी से पहुंच सकते हैं.
कैंची धाम में नीम करौली बाबा के दर्शन से करें नए साल की शुरुआत, चमक उठेगी किस्मत!
29 Dec, 2023 06:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
उत्तराखंड के नैनीताल जिले में नीम करौली बाबा (Neem Karoli Baba) का कैंची धाम (Kainchi Dham Nainital) स्थित है. यहां हर महीने लाखों की संख्या में श्रद्धालु बाबा के दर्शन को पहुंचते हैं. फेसबुक के संस्थापक मार्क जुकरबर्ग, भारतीय क्रिकेटर विराट कोहली, अभिनेता अनुपम खेर, राजपाल यादव, शक्ति कपूर, बीजेपी सांसद रवि किशन, हिमांशी खुराना समेत अलग-अलग क्षेत्रों से जुड़ी हस्तियां बाबा में आस्था रखती हैं. नीम करौली बाबा के दर्शन कर आप भी नए साल की शुरुआत करें. कैंची धाम ट्रस्ट के प्रबंधक प्रदीप शाह ने बताया कि पहाड़ के लोग नीम करौली बाबा को हनुमान जी का स्वरूप मानते हैं. बाबा की लीला में हनुमान जी का स्वरूप दिखाई देता है. नीम करौली बाबा बाल्यकाल में ही गुजरात चले गए थे. उसके बाद फर्रुखाबाद, लखनऊ, कानपुर, ऋषिकेश, वृंदावन, शिमला और नैनीताल में बाबा ने हनुमान मंदिर स्थापित किए. जहां-जहां बाबा रुके, वो स्थान हनुमानमय होता चला गया.
प्रदीप शाह बताते हैं कि साल 1962 में बाबा पहली बार कैंची आए थे और यहां हनुमान मंदिर की नींव रखी. उन दिनों न यहां रोड थी, न ही बिजली-पानी. एक भक्त ने बाबा से पूछा आप यहां मंदिर बना रहे हैं, ऐसी जगह पर कौन आएगा. तब बाबा ने उत्तर दिया विश्व आएगा यहां. बाबा ने सिद्धि मां से कहा था कि 50 साल बाद कैंची धाम का स्वरूप बदल जाएगा और आज बाबा को शरीर त्यागे पूरे 50 साल हो चुके हैं. आज कैंची धाम में दुनियाभर से लोग आ रहे हैं.
नवंबर 2022 में आए थे विराट कोहली
भारतीय क्रिकेट टीम के स्टार क्रिकेटर विराट कोहली (Virat Kohli) पत्नी अनुष्का शर्मा (Anushka Sharma) के साथ 17 नवंबर 2022 को कैंची धाम आए थे. जिसके बाद उन्होंने खेल के मैदान में पासा ही पलट दिया. विराट के आने के बाद यहां भक्तों के आने की संख्या में जबरदस्त इजाफा हुआ. वह बताते हैं कि बाबा भी हनुमान जी की तरह अजर अमर हैं और सबकी मनोकामनाएं पूरी करते हैं. यही वजह है कि आम लोग हों या फिर सेलिब्रिटी, सभी बाबा की दर पर मत्था टेकने आते हैं.
देश के कोने-कोने से आ रहे श्रद्धालु
महाराष्ट्र से कैंची धाम पहुंचे सचिन ने बताया कि उनकी नीम करौली बाबा के प्रति काफी आस्था है. वह पांचवीं बार कैंची धाम आ रहे हैं. उन्हें बाबा जी के इस धाम के बारे में सोशल मीडिया से जानकारी मिली थी. महाराज जी अपने हर भक्त की मनोकामना जरूर पूरी करते हैं.
कैसे पहुंचे कैंची धाम?
नैनीताल स्थित कैंची धाम आने के लिए आपको हल्द्वानी-काठगोदाम से बस, टैक्सी या शेयरिंग कैब आसानी से मिल जाएगी. काठगोदाम से भीमताल-भवाली होते हुए आपको सबसे पहले भवाली आना होगा. यहां से रानीखेत-अल्मोड़ा मार्ग में करीब 12 किलोमीटर आगे कैंची धाम स्थित है. नैनीताल से भी सिटी बस आदि के माध्यम से आप यहां पहुंच सकते हैं.
राशिफल: जानिए, कैसा रहेगा आपका आज का दिन (29 दिसंबर 2023)
29 Dec, 2023 12:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
मेष राशि :- कुटुम्ब की चिन्ताएं मन व्यग्र रखे, किसी के कष्ट के कारण थकावट बढ़ेगी।
वृष राशि :- भाग्य का सितारा साथ देगा, बिगड़े हुए कार्य अवश्य ही बनेंगे।
मिथुन राशि :- इष्ट मित्र से तनाव, क्लेश व अशांति तथा कार्य व्यवसाय में बाधा अवश्य हो।
कर्क राशि :- दैनिक कार्यगति अनुकूल, परिश्रम अधिक करना पड़ेगा।
सिंह राशि - योजनाएं फलीभूत हो, सुख के साधन बनें, तनाव क्लेश व अशांति होगी।
कन्या राशि :- बड़े-बड़े लोगों से मेल मिलाप एवं समस्याएं सुधरे, सुख के कार्य अवश्यह हो।
तुला राशि :- साधन सम्पन्नता के योग बनें, कुटुम्ब में क्लेश तथा धन की हानि हो।
वृश्चिक राशि :- असमंजस बना रहे, प्रभुत्व वृद्धि तथा कार्यगति अनुकूल बनी रहे।
धनु राशि :- असमर्थता का वातावरण क्लेश युक्त रहे, अवरोध, विवाद से बचकर चले।
मकर राशि - धन लाभ, आशानुकूल सफलता का हर्ष होवे तथा बिगड़े कार्य अवश्य बनें।
कुंभ राशि - इष्ट मित्र सुख वर्धक हो, बड़े-बड़े लोगों से मेलमिलाप होवेगा, ध्यान दें।
मीन राशि - मनोवृत्ति संवेदनशील हो, धन और शांति नष्ट हो, मानसिक व्यग्रता से बचेंगे।
धर्म का लाभ प्राप्त होने का आशीर्वाद दें
28 Dec, 2023 06:45 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
‘धर्म लाभ हो’ यह ऐसा विशेष आशीर्वाद है जो विरले ही विलक्षण संत भक्तों को देते थे। एक दिन ऐसा ही आशीर्वाद पाकर एक भाग्यवान भक्त ने पूछ लिया, ‘महात्मा जी, आमतौर पर ऋषि-मुनि धनवान, दीर्घायु, समृद्ध और विजयी होने का आशीर्वाद देते हैं। आप धर्म का लाभ प्राप्त होने का आशीर्वाद क्यों देते हैं?
संत ने उसकी जिज्ञासा को शांत करते हुए कहा, ‘ऊपर बताए जो आशीर्वाद तुम्हें अब तक मिलते रहे यह तो सामान्य आशीर्वाद हैं। लक्ष्मी और धन तो कृपण के पास भी बहुत हो सकता है। दीर्घायु भी बहुतों को मिल जाती है। संतान सुख ब्रह्मांड के सभी जीव भोगते हैं। मैंने तुम्हें जो धर्म-लाभ का अलौकिक आशीर्वाद दिया है उससे तुम्हें शाश्वत एवं वास्तविक सुख मिलेगा। धर्म-लाभ वह लाभ है जिसके अंदर दुख नहीं बसता। धर्म से जीवन शुभ ही शुभ बनता है। शुभता के अभाव में प्राप्त लाभ से गुणों में ह्रास और दुर्गुणों में वृद्धि होती है। अशुद्ध साधनों से अर्जित धन-लाभ आपको सुख के अतिरिक्त सब कुछ दे सकता है। उसमें आपको सुखों में भी दुःखी बनाने की शक्ति है।’
हम प्राय: धर्म लाभ और शुभ-लाभ को जानने का प्रयास नहीं करते हैं। शुभ अवसरों पर शुभ-लाभ लिखते अवश्य हैं, लेकिन लाभ अर्जित करते समय कभी इसका ध्यान नहीं रखते कि क्या इसकी प्राप्ति के साधन शुभ हैं? लाभ ऐसा हो जिससे किसी और को कलेश न हो, किसी को हानि न पहुंचे। लक्ष्मी वहीं निवास करती है जहां धर्म का निवास है और लक्ष्मी उसे कहते हैं जो शुभ साधनों से प्राप्त हो। सम्यक नीति से न्यायपूर्वक जो प्राप्त होती है वह वास्तविक संपदा है और बाकी सब विपदा। पैसा हमारे व्यक्तित्व में तभी सही चमक पैदा कर सकता है, जब हमारे मानवीय गुण बने रहें। अमेरिकी लेखक हेनरी मिलर का कथन है- मेरे पास पैसा नहीं है, कोई संसाधन नहीं है, कोई उम्मीद नहीं है, पर मैं सबसे खुशहाल जीवित व्यक्ति हूं।
नदी जब अपने स्वभाव में बहती है उसका जल निर्मल, पीने योग्य और स्वास्थ्यवर्धक होता है। लेकिन जैसे ही उसमें बाढ़ आती है, वह तोड़फोड़ और विनाश का कारण बनती है। उसका निर्मल जल मलिन हो जाता है। वर्तमान में भी जो धन का आधिक्य है वह अशुभ-लाभ और अशुद्ध साधनों की बाढ़ से अर्जित लाभ ही है। यही कारण है कि इस तरह से प्राप्त की हुई संपदा विपदा ही सिद्ध हो रही है। वर्तमान की सारी अशांति और अस्त-व्यस्तता की जनक यही अनीति से अर्जित धन संपदा है। अमेरिकी विद्वान ओलिवर वेंडेल का कहना है कि आमतौर पर व्यक्ति अपने सिद्धांतों की अपेक्षा अपने धन के लिए अधिक परेशान रहता है।
विपदा ने संपदा का लिबास पहन रखा है। शुभ कहीं जाकर अशुभ की चकाचौंध में विलीन हो गया है। सभी कम करके ज्यादा पाने की होड़ में लगे हैं। सब ‘ईजी मनी’ की तलाश में हैं, ‘राइट मनी’ की खोज में कोई नहीं है। इसमें सुख पीछे छूटता जा रहा है। हमारी भलाई इसी में है कि लाभ-शुभ का प्रतिफल बनें और लाभ का सदुपयोग भी शुभ में हो। पैसों की अंधी लालसा में जब हम बेईमानी, चोरी और भ्रष्टाचार से पैसा कमाने लगते हैं, तो हम पैसे का घोर निरादर कर रहे होते हैं। जिंदगी बेहतर होती है जब हम खुश होते हैं लेकिन बेहतरीन तब होती है जब हमारी वजह से लोग खुश होते हैं।
सदगुरु की अनुकंपा से पाएं मान-सम्मान
28 Dec, 2023 06:30 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
अष्टम भाव पर मंगल या शनि, अथवा दोनों की पूर्ण दृष्टि हो, तो यह स्थिति किसी गंभीर दुर्घटना से हानि का संकेत है। यदि इस भाव में कोई ग्रह न हो और इस पर किसी भी ग्रह की दृष्टि न हो, तो व्यक्ति जीवन में सद्गुरु की अनुकंपा प्राप्त करके सत्कर्मों की ओर उन्मुख होकर मोक्ष का वरण करता है, ऐसा प्राचीन ग्रंथ कहते हैं।
जन्म कुंडली में यदि कर्क राशि में वृहस्पति आसीन हो, तो व्यक्ति शुभ कर्मों की ओर आकृष्ट होकर अगले जन्म में उत्तम कुल में पैदा होता है। यदि लग्न में उच्च का चंद्रमा हो और वह किसी पापी ग्रह से दृष्ट न हो, तो व्यक्ति जिंदगी को बहुत अच्छी तरह जीता है और जीवन का समापन बहुत शांति और हर्ष के साथ होता है, ऐसा पवित्र ग्रंथों में वर्णित है।
टिप्स
मान्यताएं कहती हैं कि सूर्योदय के समय सूर्य को ताम्र पात्र से जल अर्पित करने से अपार मान प्रतिष्ठा का योग निर्मित होता है। यदि उसमें एक चुटकी कुमकुम मिला दिया जाए, तो किसी अपमान से बाहर निकलने में सहायता मिलती है। यदि उसमें लाल मिर्च के 24 बीज डाल दिए जाएं, तो रुके धन की वापसी का मार्ग प्रशस्त होता है।
राशि और आप
मिथुन राशि के लोगों की बौद्धिक और मानसिक क्षमता अपार होती है। एक प्रकार से ये अलौकिक क्षमता से सराबोर होते हैं। इनके विचार मौलिक और मन बहुत कोमल होता है। ये जोखिम उठाने वाले, जिज्ञासु, प्रेमी, साहसी, अधीर और दयालु होते हैं। नई बातें ये बहुत जल्दी सीख लेते हैं। बात करने में ये कुशल होते हैं। ये जीवन के कुछ काल खंड में बहुत अधिक भ्रमण करते हैं। ये धनी, संपन्न और प्रभावशाली लोगों में शुमार होते हैं। ये साहसी और एकांतप्रेमी होते हैं। इनका व्यक्तित्व बहिर्मुखी नहीं होता, फिर भी ये विशिष्ट समूह में ख्याति अर्जित करते हैं। दूसरों के कारण या गलत फैसले धन को नष्ट कर देते हैं। साहित्य, कला और संगीत में गहरी रुचि होती है। इनकी पसंद-नापसंद परिवर्तित होती रहती है।
इन जगहों पर रहे हैं भगवान राम
28 Dec, 2023 06:15 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
हिंदू धर्म में रामायण सबसे लोकप्रिय और महत्वपूर्ण महाकाव्यों में से एक है। जगत कल्याण के लिए त्रेता युग में भगवान विष्णु, राम और मां लक्ष्मी, सीता के रूप में धरती पर अवतरित हुई थीं। आज भी रामायण कालीन ऐसे 8 स्थान हैं, जहां राम ने अपने दिन गुजारे थे और अब देखें वह स्थान अब किस हाल में हैं।
अयोध्या
भगवान राम का जन्म अयोध्या में हुआ था। रामायण काल में अयोध्या कौशल साम्राज्य की राजधानी थी, राम का जन्म रामकोट, अयोध्या के दक्षिण भाग में हुआ था। वर्तमान समय में अयोध्या, उत्तर प्रदेश में है। जो आज प्रसिद्ध पर्यटन स्थलों में से एक है। यहां आज भी उनके जन्मर काल के कई प्रमाण मिलते हैं।
प्रयाग
प्रयाग, वह जगह है जहां राम, लक्ष्मण और सीता ने 14 साल के वनवास के लिए अपने राज्य जाते हुए पहली बार विश्राम किया था। वर्तमान समय में यह स्थान इलाहाबाद के नाम से जाना जाता है और यह उत्तर प्रदेश का हिस्सा है। इस स्थान का वर्णन पवित्र पुराणों, रामायण और महाभारत में किया गया है। यहां आज हिंदू धर्म का सबसे बड़ा कुंभ मेला लगता है।
चित्रकूट
रामायण के अनुसार, भगवान राम ने अपने चौदह साल के वनवास में लगभग 11 साल चित्रकूट में ही बिताए थे। ये वही स्थारन है जहां वन के निकल चुके श्री राम से मिलने भरत जी आये थे। तब उन्होंलने राम को राजा दशरथ के देहांत की सूचना दी थी और उनसे घर लौटने का अनुरोध किया था। चित्रकूट में आज भी भगवान राम और सीता के कई पद चिन्ह मौजूद हैं। वर्तमान में यह जगह आज मध्यप्रदेश और उत्तर प्रदेश के बीच में स्थित है। यहां आज के समय में भगवान राम के कई मंदिर हैं।
जनकरपुर
जनकपुर, माता सीता का जन्म स्थान है और यहीं पर भगवान राम और माता सीता का विवाह हुआ था। जनकपुर शहर में आज भी उस विवाह मंडप और विवाह स्थल के दर्शन कर सकते हैं, जहां माता सीता और रामजी का विवाह हुआ था। जनकपुर के आस-पास के गांवों के लोग विवाह के अवसर पर यहां से सिंदूर लेकर आते हैं, जिनसे दुल्हन की मांग भरी जाती है। मान्यता है कि इससे सुहाग की उम्र लंबी होती है। वर्तमान में यह भारत नेपाल बॉर्डर से करीब 20 किलोमीटर आगे नेपाल के काठमाण्डुह के दक्षिण पूर्व में है।
रामेश्वरम
रामेश्वरम वह जगह है जहां से हनुमानजी की सेना ने लंकापति रावण तक पहुंचने के लिए राम सेतु का निर्माण किया गया। इसके अलावा, सीता को लंका से वापसी के लिए भगवान राम ने इसी जगह शिव की अराधना की थी। वर्तमान समय में रामेश्वरम दक्षिण भारत तमिलनाडु में है। रामेश्वर आज देश में एक प्रमुख तीर्थयात्री केंद्र है। इस सेतु को भारत में रामसेतु के नाम से जाना जाता है।
ज्योतिर्लिंग पूजा की है विशेष मान्यता
28 Dec, 2023 06:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
देश में ज्योतिर्लिंग पूजा विशेष मान्य है। इसलिए शिव मंदिर में भगवान शिव की इसी रूप में पूजा होती है। भगवान राम ने भी रेत से शिवलिंग का निर्माण कर रामेश्वरम की स्थापना की थी। सृष्टि के आरंभ में भगवान शिव ने लिंग रूप में ही प्रकट होकर अपने विस्तार का ज्ञान भगवान विष्णु और ब्रह्माजी को करवाया था। यहां हम भी आपको भारत के प्रमुख ज्योतिर्लिंग के बारे में बता रहे हैं जिनमें आप शिव की भव्यता का अनुभव करें।
सोमनाथ ज्योतिर्लिंग
सोमनाथ ज्योतिर्लिंग भारत का ही नहीं अपितु इस पृथ्वी का पहला ज्योतिर्लिंग माना जाता है। यह मंदिर गुजरात राज्य के सौराष्ट्र क्षेत्र में स्थित है। शिवपुराण के अनुसार जब चंद्रमा को दक्ष प्रजापति ने क्षय रोग होने का श्राप दिया था, तब चंद्रमा ने इसी स्थान पर तप कर इस श्राप से मुक्ति पाई थी। ऐसा भी कहा जाता है कि इस शिवलिंग की स्थापना स्वयं चंद्रदेव ने की थी। विदेशी आक्रमणों के कारण यह 17 बार नष्ट हो चुका है। हर बार यह बिगड़ता और बनता रहा है।
2 - मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग
यह ज्योतिर्लिंग आन्ध्र प्रदेश में कृष्णा नदी के तट पर श्रीशैल नाम के पर्वत पर स्थित है। इस मंदिर का महत्व भगवान शिव के कैलाश पर्वत के समान कहा गया है। अनेक धार्मिक शास्त्र इसके धार्मिक और पौराणिक महत्व की व्याख्या करते हैं। कहते हैं कि इस ज्योतिर्लिंग के दर्शन करने मात्र से ही व्यक्ति को उसके सभी पापों से मुक्ति मिलती है।
एक पौराणिक कथा के अनुसार जहां पर यह ज्योतिर्लिंग है, उस पर्वत पर आकर शिव का पूजन करने से व्यक्ति को अश्वमेध यज्ञ के समान पुण्य फल प्राप्त होते हैं।
3- महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग
यह ज्योतिर्लिंग मध्य प्रदेश की धार्मिक राजधानी कही जाने वाली उज्जैन नगरी में स्थित है। महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग की विशेषता है कि ये एकमात्र दक्षिणमुखी ज्योतिर्लिंग है। यहां प्रतिदिन सुबह की जाने वाली भस्मारती विश्व भर में प्रसिद्ध है। महाकालेश्वर की पूजा विशेष रूप से आयु वृद्धि और आयु पर आए हुए संकट को टालने के लिए की जाती है। उज्जैन वासी मानते हैं कि भगवान महाकालेश्वर ही उनके राजा हैं और वे ही उज्जैन की रक्षा कर रहे हैं।
4 - ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग
ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग मध्य प्रदेश के प्रसिद्ध शहर इंदौर के समीप स्थित है। जिस स्थान पर यह ज्योतिर्लिंग स्थित है, उस स्थान पर नर्मदा नदी बहती है और पहाड़ी के चारों ओर नदी बहने से यहां ऊं का आकार बनता है। ऊं शब्द की उत्पति ब्रह्मा के मुख से हुई है। इसलिए किसी भी धार्मिक शास्त्र या वेदों का पाठ ऊं के साथ ही किया जाता है। यह ज्योतिर्लिंग औंकार अर्थात ऊं का आकार लिए हुए है, इस कारण इसे ओंकारेश्वर नाम से जाना जाता है।
5 - केदारनाथ ज्योतिर्लिंग
केदारनाथ स्थित ज्योतिर्लिंग भी भगवान शिव के 12 प्रमुख ज्योतिर्लिंगों में आता है। यह उत्तराखंड में स्थित है। बाबा केदारनाथ का मंदिर बद्रीनाथ के मार्ग में स्थित है। केदारनाथ समुद्र तल से 3584 मीटर की ऊँचाई पर स्थित है। केदारनाथ का वर्णन स्कन्द पुराण एवं शिव पुराण में भी मिलता है। यह तीर्थ भगवान शिव को अत्यंत प्रिय है। जिस प्रकार कैलाश का महत्व है उसी प्रकार का महत्व शिव जी ने केदार क्षेत्र को भी दिया है।
6 - भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग
भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग महाराष्ट्र के पूणे जिले में सह्याद्रि नामक पर्वत पर स्थित है। भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग को मोटेश्वर महादेव के नाम से भी जाना जाता है। इस मंदिर के विषय में मान्यता है कि जो भक्त श्रृद्धा से इस मंदिर के प्रतिदिन सुबह सूर्य निकलने के बाद दर्शन करता है, उसके सात जन्मों के पाप दूर हो जाते हैं तथा उसके लिए स्वर्ग के मार्ग खुल जाते हैं।
7 - काशी विश्वनाथ ज्योतिर्लिंग
विश्वनाथ ज्योतिर्लिंग भारत के 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है। यह उत्तर प्रदेश के काशी नामक स्थान पर स्थित है। काशी सभी धर्म स्थलों में सबसे अधिक महत्व रखती है। इसलिए सभी धर्म स्थलों में काशी का अत्यधिक महत्व कहा गया है। इस स्थान की मान्यता है, कि प्रलय आने पर भी यह स्थान बना रहेगा। इसकी रक्षा के लिए भगवान शिव इस स्थान को अपने त्रिशूल पर धारण कर लेंगे और प्रलय के टल जाने पर काशी को उसके स्थान पर पुन: रख देंगे।
8 - त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग
यह ज्योतिर्लिंग गोदावरी नदी के करीब महाराष्ट्र राज्य के नासिक जिले में स्थित है। इस ज्योतिर्लिंग के सबसे अधिक निकट ब्रह्मागिरि नाम का पर्वत है। इसी पर्वत से गोदावरी नदी शुरूहोती है। भगवान शिव का एक नाम त्र्यंबकेश्वर भी है। कहा जाता है कि भगवान शिव को गौतम ऋषि और गोदावरी नदी के आग्रह पर यहां ज्योतिर्लिंग रूप में रहना पड़ा।
9 - वैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग
श्री वैद्यनाथ शिवलिंग का समस्त ज्योतिर्लिंगों की गणना में नौवां स्थान बताया गया है। भगवान श्री वैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग का मन्दिर जिस स्थान पर अवस्थित है, उसे वैद्यनाथ धाम कहा जाता है। यह स्थान झारखण्ड प्रान्त, पूर्व में बिहार प्रान्त के संथाल परगना के दुमका नामक जनपद में पड़ता है।
10 - नागेश्वर ज्योतिर्लिंग
यह ज्योतिर्लिंग गुजरात के बाहरी क्षेत्र में द्वारिका स्थान में स्थित है। धर्म शास्त्रों में भगवान शिव नागों के देवता है और नागेश्वर का पूर्ण अर्थ नागों का ईश्वर है। भगवान शिव का एक अन्य नाम नागेश्वर भी है। द्वारका पुरी से भी नागेश्वर ज्योतिर्लिंग की दूरी 17 मील की है। इस ज्योतिर्लिंग की महिमा में कहा गया है कि जो व्यक्ति पूर्ण श्रद्धा और विश्वास के साथ यहां दर्शनों के लिए आता है उसकी सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं।
11- रामेश्वरम ज्योतिर्लिंग
यह ज्योतिर्लिंग तमिलनाडु राज्य के रामनाथ पुरं नामक स्थान में स्थित है। भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक होने के साथ-साथ यह स्थान हिंदुओं के चार धामों में से एक भी है। इस ज्योतिर्लिंग के विषय में यह मान्यता है, कि इसकी स्थापना स्वयं भगवान श्रीराम ने की थी। भगवान राम के द्वारा स्थापित होने के कारण ही इस ज्योतिर्लिंग को भगवान राम का नाम रामेश्वरम दिया गया है।
12 - घृष्णेश्वर मन्दिर ज्योतिर्लिंग
घृष्णेश्वर महादेव का प्रसिद्ध मंदिर महाराष्ट्र के संभाजीनगर के समीप दौलताबाद के पास स्थित है। इसे घृसणेश्वर या घुश्मेश्वर के नाम से भी जाना जाता है। दूर-दूर से लोग यहां दर्शन के लिए आते हैं और आत्मिक शांति प्राप्त करते हैं। भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों में से यह अंतिम ज्योतिर्लिंग है। बौद्ध भिक्षुओं द्वारा निर्मित एलोरा की प्रसिद्ध गुफाएं इस मंदिर के समीप स्थित हैं। यहीं पर श्री एकनाथजी गुरु व श्री जनार्दन महाराज की समाधि भी है।
राशिफल: जानिए, कैसा रहेगा आपका आज का दिन (28 दिसंबर 2023)
28 Dec, 2023 12:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
मेष राशि :- मानसिक बेचैनी, दुर्घटना ग्रस्त होने से बचें तथा अधिकारियों से तनाव हो।
वृष राशि :- योजनाएं फलीभूत हो, सफलता के साधन जुटायें तथा विशेष लाभ हो।
मिथुन राशि :- अचानक उपद्रव कष्टप्रद हो, विशेष कार्य स्थिगित रखे, कार्य अवरोध हो।
कर्क राशि :- परिश्रम से कुछ सफलता मिले, अर्थव्यवस्था की विशेष चिंता बनी रहे।
सिंह राशि - किसी अपवाद व दुर्घटना से बचें, व्यवसायिक क्षमता में बाधा अवश्य होवे।
कन्या राशि :- व्यवसायिक गति उत्तम, चिन्ताएं कम होगी, अवरोध के बाद कार्य बनेंगे।
तुला राशि :- मानसिक बेचैनी, उद्विघ्नता के योग बनेंगे तथा कुटुम्ब में क्लेश होंगे।
वृश्चिक राशि :- सामर्थ्य वृद्धि के साथ तनाव, अडंगे तथा झगड़े संभावित होगे।
धनु राशि :- कुटुम्ब की समस्याएं कष्टप्रद हो तथा व्यर्थ धन का व्यय होवे।
मकर राशि - योजनाएं फलीभूत हो, सफलता के साधन जुटाएं तथा कार्य बनें।
कुंभ राशि - स्वभाव में खिन्नता, मानसिक बेचैनी तथा बने हुए कार्य अवश्य बनें।
मीन राशि - तनाव क्लेश व अशांति बनेगी, परिश्रम विफल होंगे, कार्यगति मंद होगी।