व्यापार : यात्री वाहनों की घरेलू बिक्री जून, 2025 में सालाना आधार पर 7.4 फीसदी घटकर 18 महीने के निचले स्तर 3,12,849 इकाई पर आ गई। एक साल पहले की समान अवधि में 3,37,757 यात्री वाहन बिके थे।

सोसायटी ऑफ इंडियन ऑटोमोबाइल मैन्युफैक्चरर्स (सियाम) ने मंगलवार को आंकड़े जारी कर बताया, पिछले वर्षों के मुकाबले वेतन वृद्धि की रफ्तार घटने से शहरी भारतीयों ने इस साल के अधिकांश समय में विवेकाधीन खर्चों में कटौती की है। इससे शहरी इलाकों में वाहनों की मांग प्रभावित हुई है, जिसका असर बिक्री के आंकड़ों पर देखने को मिला है। इस अवधि में 15,59,851 दोपहिया वाहन बिके, जो जून, 2024 में बिके 16,14,154 दोपहिया वाहनों से 3.4 फीसदी कम है। हालांकि, तिपहिया वाहनों की बिक्री सालाना आधार पर 3.8 फीसदी की वृद्धि के साथ 61,828 इकाई पहुंच गई। 

कारों के निर्यात में 0.6 फीसदी की वृद्धि

आंकड़ों के मुताबिक, कारों का निर्यात जून में सालाना आधार पर मामूली 0.6 फीसदी बढ़कर 76,719 इकाई पहुंच गया। एक साल पहले की समान अवधि में कुल 76,297 कारों का निर्यात किया गया था। इस अवधि में कुल 3,87,762 दोपहिया वाहन निर्यात किए गए, जो जून, 2024 के 2,88,967 इकाइयों की तुलना में 34.2 फीसदी अधिक है। तिपहिया वाहनों का निर्यात सालाना आधार पर 42.7 फीसदी बढ़कर 37,188 इकाई पहुंच गया। 

पहली तिमाही में 10 लाख से ज्यादा यात्री वाहन बिके

चालू वित्त वर्ष 2025-26 की पहली तिमाही (अप्रैल-जून) में घरेलू बाजार में 10,11,882 यात्री वाहन बिके। पिछले दो वर्ष में यह दूसरी बार है, जब पहली तिमाही में यात्री वाहनों की बिक्री 10 लाख के पार पहुंच गई। हालांकि, यह आंकड़ा 2024-25 की पहली तिमाही में बिके 10,26,006 यात्री वाहनों से 1.4 फीसदी कम है। दोपहिया वाहनों की बिक्री 6.2 फीसदी घटकर 46,74,562 इकाई रही। वाणिज्यिक वाहनों की बिक्री में 0.6 फीसदी गिरावट रही। तिपहिया बिक्री 1,65,081 इकाई पर स्थिर रही।

दूसरी तिमाही में बिक्री बढ़ने की उम्मीद

सियाम के अध्यक्ष शैलेश चंद्रा ने कहा, वाहन उद्योग का प्रदर्शन अपेक्षाकृत सपाट रहा। दूसरी तिमाही में बिक्री को लेकर समग्र उद्योग परिदृश्य सतर्क और आशावादी बना हुआ है। हालांकि, पहली तिमाही की चुनौतियां निकट भविष्य में भी बनी रह सकती हैं। लेकिन, कई सकारात्मक व्यापक आर्थिक और मौसमी संकेतक धीरे-धीरे सुधार का समर्थन कर सकते हैं। आगामी त्योहारों से आमतौर पर मांग को बढ़ावा मिलता है। यह उपभोक्ता भावना को बेहतर बनाने में मदद कर सकता है।