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नरेंद्र मोदी और मुहम्मद यूनुस के बीच द्विपक्षीय बैठक, भारत-बांग्लादेश संबंधों पर हुई चर्चा
4 Apr, 2025 03:47 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
भारतीय प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार, 4 अप्रैल को बांग्लादेश के नेता मुहम्मद यूनुस के साथ द्विपक्षीय बैठक की. ढाका में तख्तापटल के बाद पूर्व पीएम शेख हसीना के भारत भागकर आने और यूनुस के नेतृत्व में नई अंतरिम सरकार के बनने के बाद दोनों शीर्ष नेतृत्व के बीच पहली बैठक हुई. बैठक में पीएम मोदी ने बांग्लादेश के अंदर हिंदुओं सहित अल्पसंख्यकों की सुरक्षा को लेकर भारत की चिंताओं पर जोर दिया. दोनों नेता बिम्सटेक शिखर सम्मेलन के लिए थाईलैंड की यात्रा पर हैं और यहीं बैंकॉक में दोनों के बी द्विपक्षीय बैठक हुई है. बता दें कि नोबेल पुरस्कार विजेता 84 वर्षीय मुहम्मद यूनुस ने अगस्त 2024 में बांग्लादेश की कमान संभाली, जब भारत की पुरानी सहयोगी शेख हसीना को छात्रों के नेतृत्व वाले विद्रोह में प्रधान मंत्री पद से हटा दिया गया और वो भागकर भारत आ गईं.
सुरक्षा और समावेशिता पर जोर
मुहम्मद यूनुस के साथ पीएम मोदी की मुलाकात पर विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने जानकारी देते हुए कहा, "पीएम मोदी ने लोकतांत्रिक, स्थिर, शांतिपूर्ण, प्रगतिशील और समावेशी बांग्लादेश के लिए भारत के समर्थन को दोहराया. उन्होंने प्रोफेसर यूनुस से बांग्लादेश के साथ सकारात्मक और रचनात्मक संबंध बनाने की भारत की इच्छा पर जोर दिया. पीएम ने यह भी आग्रह किया कि माहौल को खराब करने वाली किसी भी बयानबाजी से बचना चाहिए. सीमा पर कानून का सख्ती से पालन और अवैध सीमा पार करने की रोकथाम सीमा सुरक्षा बनाए रखने के लिए आवश्यक है. पीएम ने बांग्लादेश में हिंदुओं सहित अल्पसंख्यकों की सुरक्षा को लेकर भारत की चिंताओं को भी रेखांकित किया." यहां गौर करने वाली एक और बात यह रही कि प्रोफेसर यूनुस ने द्विपक्षीय बैठक के दौरान प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी को एक तस्वीर भेंट की. यह तस्वीर 3 जनवरी, 2015 को 102वीं भारतीय विज्ञान कांग्रेस में प्रोफेसर यूनुस को स्वर्ण पदक प्रदान करते हुए प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी की है.
बांग्लादेश- भारत के तल्ख हुए रिश्ते
शेख हसीना के सत्ता से हटने के बाद भारत-बांग्लादेश के रिश्ते में कड़वाहट आ गई है. गहराते कूटनीतिक विवाद के बीच बांग्लादेश भी भारत के कट्टर विरोधी चीन और पाकिस्तान के करीब आ गया है. नई दिल्ली ने बार-बार मुस्लिम-बहुल बांग्लादेश पर अपने अल्पसंख्यक हिंदू नागरिकों की पर्याप्त सुरक्षा करने में विफल रहने का आरोप लगाया है. जबकि यूनुस के कार्यवाहक प्रशासन ने आरोपों से इनकार किया है.
इजरायल को अमेरिका से 8.8 अरब डॉलर के घातक हथियार, गाजा संकट से निपटने के लिए नई सैन्य सहायता
4 Apr, 2025 02:23 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
गाजा के एक मुसलमानों को मारने के लिए इजराइल 3.5 लाख रुपया खर्च करेगा. दरअसल, इजराइल ने हथियार खरीदी को लेकर अमेरिका से नई डील की है. इस डील के तहत इजराइल को 8.8 बिलियन डॉलर (करीब 7500 करोड़ रुपए) के हथियार अमेरिका से मिलेंगे.
अमेरिका ने इजराइल को यह हथियार गाजा में जारी संकट से निपटने के लिए दिया है. इजराइल और गाजा के संगठन हमास के बीच अक्टूबर 2023 से ही जंग जारी है. जंग में फिलिस्तीन के करीब 60 हजार मुसलमान मारे जा चुके हैं.
अमेरिका ने इजराइल से खरीदे ये हथियार?
अमेरिकी मीडिया ने बताया कि इजरायल को हथियारों की यह सप्लाई लंबे समय तक की जाएगी. इजरायल को कुछ हथियार अमेरिकी हथियारों के जखीरे से दिए जाएंगे लेकिन ज्यादातर को देने में 1 या उससे ज्यादा साल लग जाएंगे.
अमेरिका इजरायल को 155 एमएम के तोप के गोले और हेलफायर एजीएम 114 मिसाइलें दे रहा है जो अटैक हेलिकॉप्टर में इस्तेमाल किए जाते हैं. इसके अलावा इजरायल को 250 किलो के घातक बम भी दिए जाएंगे. इन बमों का इजरायल ने गाजा से लेकर लेबनान तक जमकर इस्तेमाल किया है.
7500 करोड़ के हथियार से मरेंगे 21 लाख?
गाजा की आबादी 21 लाख के करीब है. ऐसे में सवाल उठ रहा है कि इजराइल ने जो हथियार अमेरिका से खरीदे हैं, क्या उससे गाजा के लोगों को मारा जाएगा. इजराइल पर लगातार गाजा के अस्पतालों और स्कूलों पर भी हमला करने का आरोप लग रहा है.
हाल ही में इजराइल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने कहा है कि उनका मकसद गाजा के आधे हिस्से को कब्जा करने का है. इजराइल की सेना इसी रास्ते पर आगे बढ़ रही है.
क्या हथियार का ईरान कनेक्शन भी है?
अभी तक इसकी पुष्टि नहीं हुई है. अमेरिकी सीनेट ने गाजा संकट के मद्देनजर इसकी मंजूरी दी है. हालांकि, जिस तरीके से ईरान और अमेरिका के बीच टशन है, उसमें ईरान कनेक्शन से भी इनकार नहीं किया जा सकता है.
इजराइल भी ईरान पर हमला करने का मूड बना रहा है. ऐसे में कहा जा रहा है कि हो सकता है कि ईरान पर हमला करने के लिए भी अमेरिका ने इजराइल को करीब 7500 करोड़ रुपए का हथियार बेच दिया है.
मासूम चेहरे वाला 23 वर्षीय युवक और उसकी ग्लैमरस प्रेमिका की आपराधिक साजिश का खुलासा
4 Apr, 2025 01:38 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
देखने में मासूम, बच्चे जैसी शक्ल वाला 23 साल का लड़का और उसकी ग्लैमरस गर्लफ्रेंड की असलियत जानकर आप हैरान रह जाएंगे. दोनों ने मिलकर एक खतरनाक खेल खेला और अब जेल की सजा का इंतज़ार कर रहे हैं! इंग्लैंड के लिवरपूल से शुरू हुई इस जोड़ी की कहानी ने सबको चौंका दिया है. 23 साल का एडी बर्टन (Eddie Burton) और उसकी 25 साल की गर्लफ्रेंड सियान बैंक्स (Sian Banks) ने मिलकर एक खतरनाक गैरकानूनी धंधा खड़ा किया था, जिसकी कीमत £20 मिलियन (2,24,74,64,000 रुपए) थी, लेकिन अब उनका ये साम्राज्य ढह गया है और दोनों को अपनी करतूतों की सजा भुगतनी पड़ेगी. जांच में पता चला कि एडी बर्टन और सियान बैंक्स ने मिलकर हेरोइन, कोकेन और केटामाइन जैसी खतरनाक ड्रग्स की तस्करी की साजिश रची थी. इनकी क्राइम कुंडली सोशल मीडिया पर वायरल हो रही है.
बताया जाता है कि साल 2022 की गर्मियों में अमेरिकी बॉर्डर फोर्स के अधिकारियों ने दो ट्रकों को पकड़ा, जिनमें 307 किलो ड्रग्स थीं, जिनकी कीमत £20 मिलियन यानी करीब 224 करोड़ रुपये थी. पहला ट्रक 3 जुलाई 2022 को केंट के डोवर में पकड़ा गया, जिसमें 90 किलो केटामाइन और 50 किलो कोकेन बक्सों और एक सुपरमार्केट बैग में छुपाया गया था. फिर 12 अगस्त 2022 को दूसरा ट्रक पकड़ा गया, जिसमें 142 किलो कोकेन और 25 किलो हेरोइन एक खास तरह के फ्यूल टैंक में छुपाई गई थी. जांच में इन ड्रग्स पर बर्टन के फिंगरप्रिंट्स और डीएनए मिले, जिसके बाद उसकी तलाश शुरू हो गई. पुलिस ने बच्चे की शक्ल वाले बर्टन को पकड़ने के लिए बड़ा ऑपरेशन चलाया. आखिरकार, उसे 2023 में इबीज़ा के मशहूर पाचा नाइटक्लब में पकड़ लिया गया, जहां वो एक फर्जी नाम से पार्टी कर रहा था. उसे पहले जर्मनी भेजा गया और फिर मार्च 2024 में यूके लाया गया.
अमेरिका ने रूस के कट्टर दुश्मन सीरिया के राष्ट्रपति अल-शरा से दोस्ती बढ़ाई, ट्रंप करेंगे मुलाकात
4 Apr, 2025 01:28 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
रूस के खिलाफ पर्दे के पीछे से दुश्मनी और दोस्ती का खेल अमेरिका हमेशा से खेलता रहा है. 2022 में यूक्रेन के वोल्दोमीर जेलेंस्की को अपने पाले में कर अमेरिका ने युद्ध करवा दिया. अब जेलेंस्की जब शांत पड़ गए हैं, तो अमेरिका ने पुतिन के एक और कट्टर दुश्मन से दोस्ती का हाथ बढ़ा लिया है. पुतिन के ये कट्टर दुश्मन है- सीरिया के नए राष्ट्रपति अल-शरा.
अगले महीने अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप सऊदी अरब के दौरे पर आ रहे हैं. ट्रंप यहां पर अल शरा से मुलाकात करेंगे. सीरिया में बगावत के बाद अल शरा को कमान मिली है. अल शरा को रूस का दुश्मन माना जाता है.
अहमद अल शरा रूस के दुश्मन कैसे हैं?
सीरिया में पहले बशर-अल-असद की सरकार थी. बशर-अल-असद को रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन का करीबी माना जाता था. दिसंबर 2024 में सीरिया में बड़ी बगावत हो गई, जिसके बाद असद को वहां की सत्ता छोड़नी पड़ गई.
असद सीरिया से भागने के बाद रूस पहुंच गए. रूस के राष्ट्रपति के रहम पर ही बशर अपनी जिंदगी अभी जी रहे हैं. सीरिया की नई सरकार उन्हें वापस लाने की कवायद कर रही है, लेकिन पुतिन की वजह से यह संभव नहीं हो पा रहा है.
अल-शरा से क्यों मिलेंगे ट्रंप?
गृह युद्ध की वजह से सीरिया भीषण बिजली संकट से जूझ रहा है. कई प्रयास के बावजूद भी सीरिया के लोगों को सिर्फ 2 घंटे की बिजली मिल पा रही है. सीरिया के राष्ट्रपति की पहली कोशिश इसे दुरुस्त करने की है.
सीरिया रूस से बिजली खरीदता था, लेकिन बशर अल असद की वजह से यह अभ संभव नहीं हो पा रहा है. ऐसे में अब सीरिया की नजर अमेरिका पर है. सीरिया अमेरिका से बिजली खरीदने की कवायद में है.
वहीं अमेरिका सीरिया में अपना जनाधार मजबूत कर ईरान को घेरने में जुटा है. ईरान के सुप्रीम लीडर अब्दुल्ला खामनेई को बशर अल असद का करीबी माना जाता रहा है. अमेरिका खामनेई के खिलाफ लंबे वक्त से मोर्चा खोल रखा है. इस मोर्चेबंदी में उसे सीरिया की जरूरत है.
सीमा पर जन्मी बच्ची का नाम 'भारती' रखकर दंपति ने जताया भारत के प्रति प्रेम
4 Apr, 2025 01:12 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
भारत-पाकिस्तान बॉर्डर पर एक पाकिस्तानी महिला ने बेटी को जन्म दिया. बेटी का नाम उसने ऐसा रखा जिसे जानकर हर हिंदुस्तानी का चेहरा खिल उठेगा. बेटी का नाम पाकिस्तानी दंपति ने भारती रखा. दंपति पाकिस्तान के सिंध प्रांत का रहने वाला है. गुरुवार को सिंध से 159 हिंदू प्रवासियों का एक समूह वाघा-अटारी सीमा के माध्यम से भारत पहुंचा, जिसमें माया नाम की एक गर्भवती महिला भी शामिल थी. भारत में आव्रजन प्रक्रिया के दौरान अचानक उसे प्रसव पीड़ा शुरू हो गई.
महिला के पति खानू ने तुरंत इसकी सूचना अधिकारियों को दी, जिसके बाद सीमा पर मौजूद भारतीय प्रशासनिक अधिकारियों ने उसे अटारी के सरकारी अस्पताल में भर्ती करवाया. कुछ घंटों के उपचार के बाद महिला ने एक स्वस्थ बच्ची को जन्म दिया.
चूंकि लड़की का जन्म भारतीय धरती पर हुआ था, इसलिए माता-पिता ने उसका नाम ‘भारती’ रखने का फैसला किया. प्रसव के बाद डॉक्टरों ने मां और बच्चे दोनों को पूरी तरह स्वस्थ घोषित कर दिया और उन्हें अस्पताल से छुट्टी दे दी.
येपरिवार ने अपनी खुशी व्यक्त की
लड़की के पिता खानू ने कहा कि वह अपने परिवार के साथ पाकिस्तान के सिंध प्रांत से भारत आये हैं. उन्होंने भारतीय सेना तथा अन्य अधिकारियों को धन्यवाद दिया. उन्होंने बताया कि जैसे ही वह भारत में दाखिल हुए, उनकी पत्नी को दर्द होने लगा. जिसके बाद घटनास्थल पर मौजूद अधिकारियों और सुरक्षा बलों ने उनकी मदद की. खानू के अलावा माया के अन्य रिश्तेदार भी बहुत खुश हैं. उन्होंने बच्ची का नाम भारती रखने पर भी खुशी जताई.
आशा की किरण बनकर आई बेटी
इस घटना ने भारत में इन अप्रवासी हिंदू परिवारों की नई शुरुआत को एक नया अर्थ दिया है. जहां वे अपने अस्तित्व और भविष्य की सुरक्षा को लेकर चिंतित थे, वहीं भारत की धरती पर जन्मी ‘भारती’ उनके लिए आशा की नई किरण बन गई है. खानू ने बताया कि उनके पहले से ही दो बेटे और 5 बेटियां हैं. अब उन्होंने भारतीय धरती पर एक और बेटी को जन्म दिया है. उम्मीद है कि यह लड़की उनका भविष्य बदल देगी.
कनाडा ने ट्रंप को दी चुनौती, अमेरिकी कारों पर टैरिफ बढ़ाने का फैसला
4 Apr, 2025 11:58 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
टोरंटो। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कनाडा पर 25 फीसदी ऑटो टैरिफ लगाया है जिसको लेकर कनाडा ने भी पलटवार किया है। प्रधानमंत्री मार्क कार्नी ने गुरुवार को कहा कि कनाडा अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के 25 प्रतिशत ऑटो टैरिफ की बराबरी अमेरिका से आयातित वाहनों पर टैरिफ से करेगा।
टैरिफ के लिए जवाबी कार्रवाई करेंगे- कनाडा
ट्रंप द्वारा पहले घोषित ऑटो आयात पर 25 प्रतिशत टैरिफ गुरुवार से प्रभावी हो गए। प्रधानमंत्री ने कहा कि उन्होंने पिछले सप्ताह ट्रंप से फोन पर बात करते हुए कहा था कि वे उन टैरिफ के लिए जवाबी कार्रवाई करेंगे।
कार्नी ने कहा कि हम ये कदम उठाना नहीं चाहते थे लेकिन हमें अब यह कदम उठाना पड़ रहा है। आगे बोले कि इससे अमेरिका में अधिकतम प्रभाव पड़ेगा और कनाडा में न्यूनतम प्रभाव पड़ेगा।
कनाडा ऑटो पार्ट्स पर टैरिफ नहीं लगाएगा
कार्नी ने कहा कि कनाडा ऑटो पार्ट्स पर टैरिफ नहीं लगाएगा जैसा कि ट्रंप ने लगाया है, क्योंकि उन्होंने कहा कि कनाडाई एकीकृत ऑटो सेक्टर के लाभों को जानते हैं। ओंटारियो या मिशिगन में पूरी तरह से असेंबल होने से पहले पार्ट्स कई बार कनाडा-अमेरिका सीमा पर आते-जाते रहते हैं।
कार्नी ने कहा कि कनाडाई पहले से ही इसका प्रभाव देख रहे हैं। ऑटोमेकर स्टेलेंटिस ने कहा कि उसने कनाडा के विंडसर में अपने असेंबली प्लांट को 7 अप्रैल से दो सप्ताह के लिए बंद कर दिया है, स्थानीय यूनियन ने बुधवार देर रात यह जानकारी दी। यूनिफोर लोकल 444 के अध्यक्ष जेम्स स्टीवर्ट ने कहा कि आने वाले हफ्तों में शेड्यूल में और बदलाव की उम्मीद है।
ऑटो कनाडा का दूसरा सबसे बड़ा निर्यात है
ऑटो कनाडा का दूसरा सबसे बड़ा निर्यात है और इस क्षेत्र में 125,000 कनाडाई सीधे तौर पर काम करते हैं और लगभग 500,000 अन्य संबंधित उद्योगों में काम करते हैं। ट्रंप ने पहले कनाडा के स्टील और एल्युमीनियम पर 25 प्रतिशत टैरिफ लगाया था।
अमेरिका टैरिफ रद करे या जवाबी कार्रवाई के लिए तैयार हो जाए: चीन
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की चीन पर 34 प्रतिशत टैरिफ की घोषणा के बाद बीजिंग ने तुरंत इसे रद करने की अपील की है। चीन, अमेरिका का तीसरा सबसे बड़ा आयात बाजार है और अगर वाशिंगटन टैरिफ रद नहीं करता है तो इसके खिलाफ जवाबी कार्रवाई करते हुए कड़े कदम उठाए जाएंगे।
चीन के वाणिज्य मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा कि बीजिंग, अमेरिका के जवाबी टैरिफ का दृढ़ता से विरोध करता है और अपने अधिकारों-हितों की रक्षा के लिए मजबूती से कदम उठाएगा। इतिहास बताता है कि टैरिफ बढ़ाने से अमेरिका की स्वयं की परेशानियां खत्म नहीं हो सकतीं।
ट्रंप का 'गोल्ड कार्ड' योजना: 43 करोड़ रुपये में अमेरिकी नागरिकता का नया मार्ग
4 Apr, 2025 11:53 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एयरफोर्स वन में उड़ान भरते समय 5 मिलियन डॉलर का ‘गोल्ड कार्ड’ दिखाया है. पिछले महीने उन्होंने इस कार्ड की घोषणा की थी. यह कार्ड अमीर यानी करोड़पति अप्रवासियों के लिए है. मतलब जो लोग अमेरिका की नागरिकता हासिल करना चाहते हैं उन्हें यह कार्ड खरीदना होगा. इस कार्ड की कीमत करीब 43 करोड़ है.
ट्रंप का गोल्ड कार्ड’ ग्रीन कार्ड का प्रीमियम संस्करण है. इसे अप्रवासियों को 5 मिलियन डॉलर में बेचा जाएगा. दरअसल, पिछले महीने कार्यकारी आदेशों पर हस्ताक्षर करते हुए ट्रंप ने कहा था कि हम एक गोल्ड कार्ड बेचने जा रहे हैं. हम उस कार्ड की कीमत लगभग 5 मिलियन डॉलर रखने जा रहे हैं. इससे आपको ग्रीन कार्ड विशेषाधिकार भी मिलेंगे.
उन्होंने कहा था कि यह कार्ड नागरिकता के लिए एक आसान रास्ता होगा और अमीर लोग इस कार्ड को खरीदकर हमारे देश में रह सकेंगे. वे अमीर होंगे और सफल होंगे. ट्रंप ने कहा कि वे यहां बहुत सारे टैक्स चुकाएंगे और बहुत सारे लोगों को रोजगार देंगे.
ट्रंप ने दुनिया को दिखाया गोल्ड कार्ड
ट्रंप का ‘गोल्ड कार्ड’ अमेरिकी नागरिकता हासिल करने का एक नया तरीका है, जो खासकर अमीर लोगों के लिए बनाई गई है. इसके तहत कोई भी व्यक्ति 5 मिलियन डॉलर (करीब 43 करोड़ रुपये) देकर प्राप्त कर सकता है. यह कार्ड न केवल अमेरिका में स्थायी निवास की अनुमति देता है, बल्कि नागरिकता प्राप्त करने की प्रक्रिया को और आसान बनाता है. यह स्कीम पुराने EB-5 वीजा प्रोग्राम की ले सकती है, जिसमें 1 मिलियन डॉलर (या कुछ मामलों में 800,000 डॉलर) के निवेश और 10 नौकरियां पैदा करने की शर्त थी.
दक्षिण कोरियाई अदालत का ऐतिहासिक फैसला, यून सुक योल अब राष्ट्रपति नहीं
4 Apr, 2025 11:35 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
सियोल। दक्षिण कोरिया की सर्वोच्च न्यायालय ने राष्ट्रपति यून सुक योल को पद से हटा दिया है। यून सुक योल पर देश में मार्शल लॉ लागू करने और संसद में सेना भेजने का आरोप है। चार महीने पहले दक्षिण कोरिया में मार्शल लॉ लगाने के बाद राजनीतिक अस्थिरता का दौर शुरू हो गया जिसके कुछ ही घंटे बाद राष्ट्रपति ने मार्शल लॉ को हटाने का एलान किया था।
राष्ट्रपति पर अदालत का आरोप
आज सुबह अदालत में फैसला पढ़ते समय कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश मून ह्युंग-बे ने मार्शल लॉ घोषित करने के यून के प्रत्येक कारण को खारिज कर दिया और कहा कि राष्ट्रपति ने दिसंबर में राजधानी की सड़कों पर सैनिकों को तैनात करके अपने अधिकार का गलत इस्तेमाल किया है।
'कोरियाई लोगों को दिया धोखा'
मून ने कहा, प्रतिवादी ने संवैधानिक संस्थाओं के अधिकार को खत्म करने के लिए सैन्य और पुलिस बलों को जुटाया और लोगों के मौलिक अधिकारों का उल्लंघन किया। ऐसा करके, उन्होंने संविधान को बनाए रखने के अपने संवैधानिक कर्तव्य को त्याग दिया और कोरियाई लोगों के विश्वास को गंभीर रूप से धोखा दिया। इस तरह का गैरकानूनी और असंवैधानिक व्यवहार को संविधान के तहत बर्दाश्त नहीं किया जा सकता है।
दो महीने में होंगे चुनाव
दक्षिण कोरिया की नेशनल असेंबली ने 14 दिसंबर को यून पर महाभियोग चलाने के लिए मतदान किया था, लेकिन उन्हें औपचारिक रूप से निष्कासित करने के लिए संवैधानिक न्यायालय की मंजूरी की आवश्यकता थी। सरकार के पास अब राष्ट्रपति चुनाव कराने के लिए 60 दिन हैं। कार्यवाहक राष्ट्रपति हान डक-सू तब तक अपने पद पर बने रहेंगे।
रेलवे ने वैष्णोदेवी श्रद्धालुओं के लिए स्पेशल ट्रेन शुरु करने का फैसला किया, यह रहेगी टाइमिंग
3 Apr, 2025 08:30 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
हिसार: वैष्णोदेवी जाने वालों के लिए खुशखबरी आई है। रेलवे ने श्रद्धालुओं के लिए स्पेशल ट्रेन शुरू करने का फैसला किया है। ट्रेन संख्या 09603/04, उदयपुर-श्री माता वैष्णो देवी कटरा-उदयपुर स्पेशल वाया हिसार (12 ट्रिप) ट्रेन सेवा संचालित की गई है।
समय यहां देखें
ट्रेन संख्या 09603 9 अप्रैल से 25 जून तक (प्रत्येक बुधवार) उदयपुर सिटी से 01:50 बजे रवाना होकर 17:30 बजे हिसार पहुंचेगी। यहां से 18:00 बजे रवाना होकर सुबह 06:35 बजे कटरा रेलवे स्टेशन पहुंचेगी। इसी तरह वापसी में ट्रेन संख्या 09604 10 अप्रैल से 26 जून तक (प्रत्येक गुरुवार) कटरा से 10:50 बजे रवाना होकर 21:45 बजे हिसार पहुंचेगी। यहां से 22:15 बजे रवाना होकर 13:55 बजे उदयपुर सिटी पहुंचेगी।
कांग्रेस नेता सचिन पायलट के प्रति हरियाणा की सरपंच नैना का प्यार, बोलीं 'वो मेरे क्रश हैं'
3 Apr, 2025 06:18 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
कांग्रेस पार्टी के नेता और टोंक से विधायक सचिन पायलट युवाओं को काफी पसंद आते हैं. उनकी लोकप्रियता समाज के और लोगों के बीच भी देखी जाती है, लेकिन हाल ही में उनकी फैन फॉलोइंग हरियाणा की सरपंच के रूप में सामने आई है. यंग लेडी संरपंच नैना कांग्रेस नेता सचिन की बहुत बड़ी फैन हैं. उन्होंने सचिन पायलट को अपना क्रश बताया है. नैना सिरसा से सरपंच हैं.
उन्होंने मीडिया से बातचीत के दौरान कहा कि देखो सबके क्रश हैं, लेकिन वो बोल नहीं पाते हैं… मेरे अंदर वो हिम्मत है कि मैंने बोल दिया. सचिन पायलट मेरे क्रश हैं. हैं तो हैं… इसमें कोई कुछ भी कमेंट करे, मुझे फर्क नहीं पड़ता है. सचिन पायलट मेरे क्रश थे हैं और रहेंगे. उन्होंने कहा कि मैं सचिन पायलट को राजस्थान के सीएम के रूप में देखने की इच्छा जाहिर की.
आखिर क्यों हैं सचिन पायलट क्रश?
जब सरपंच नैना से पूछा गया कि आखिर सचिन पायलट में खास बात क्या है, तो उन्होंने कहा कि वो खूबसूरत, सरल और सौम्य हैं. पर्सेनैलिटी है बंदे की. सरपंच ने कहा कि अभी तक तो मिलने का मौका नहीं मिला है, लेकिन उनसे मिलने की बहुत इच्छा है. उनके साथ एक कप कॉफी अकेले बैठकर जरूर पीना चाहती हूं.
17 साल की उम्र से पसंद करती हैं नैना
नैना झोरड़ इंडिया नेशनल लोकदल की कार्यकर्ता के तौर पर काम करती हैं. उन्होंने कहा कि वो जब 17 साल की थीं, तबसे ही सचिन पायलट को पसंद करती हैं और वो उनके क्रश हैं और वो उनके साथ कॉफी पीना चाहती हैं.
दरअसल, सचिन पायलट का पहली पत्नी सारा से तलाक हो चुका है. वो जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री फारूख अब्दुल्ला की बेटी हैं. इसके बाद सरपंच नैना ने जब उन्हें अपना क्रश बताया तो लोगों ने उन्हें दूसरी शादी करने की नसीहत भी दे डाली. सोशल मीडिया पर लोगों ने कहा कि क्या कांग्रेस नेता सरपंच नैना से दूसरी शादी करेंगे?
इस पर संरपंच नैना ने जवाब देते हुए कहा कि किसी को अपना क्रश बनाने का मतलब शादी से नहीं होता है. उन्होंने कहा कि सलमान खान को अगर कोई पसंद करता है तो क्या उससे शादी कर लेता है?
डोनाल्ड ट्रंप ने 180 देशों पर टैरिफ लगाने की घोषणा, भारत और चीन को बड़ा झटका
3 Apr, 2025 02:22 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
मेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने हाल ही में नई टैरिफ नीति की घोषणा कर दी है. जिसमें 180 देशों पर भारी शुल्क लगाने का फैसला किया गया. इनमें अमेरिका के कई सहयोगी देश भी शामिल हैं. ट्रंप ने भारत पर 27 फीसदी टैरिफ लगाया है. साथ ही चीन पर 34 प्रतिशत का टैरिफ लगाया गया है.
ट्रंप ने दावा किया कि उन्होंने दयालुता भरा रुख अपनाया है. क्योंकि उन्होंने अमेरिका पर लगाए जाने वाले टैरिफ का करीब आधा टैक्स ही लगाया है. ट्रंप ने इसे डिस्काउंटेड रेसिप्रोकल टैरिफ कहा है. मगर हैरानी का बात है कि रूस की इस टैरिफ लिस्ट से बाहर रखा गया है. सवाल उठता है कि आखिर रूस को यह छूट क्यों मिली?
रूस को क्यों मिली राहत?
व्हाइट हाउस के एक अधिकारी ने बताया कि रूस को इस सूची में इसलिए शामिल नहीं किया गया क्योंकि यूक्रेन युद्ध के कारण उस पर पहले से ही इतने कड़े प्रतिबंध लगे हैं कि अमेरिका और रूस के बीच व्यापार शून्य हो चुका है. इसके ठीक उलट युद्धग्रस्त यूक्रेन पर 10% अतिरिक्त शुल्क लगाया गया है. ट्रंप की इस नीति के तहत कई पूर्व सोवियत देशों को भी टैरिफ झेलना होगा, लेकिन रूस को छूट मिलने से कई विशेषज्ञ हैरान हैं.
क्या है टैरिफ नीति का मकसद?
रूस लंबे समय से पश्चिमी देशों की ओर से लगाए गए प्रतिबंधों को हटवाने की कोशिश कर रहा है, क्योंकि इनसे उसकी अर्थव्यवस्था को भारी नुकसान हुआ है. अमेरिका और यूरोपीय संघ ने 2022 से रूस के खिलाफ कड़े आर्थिक प्रतिबंध लगाए हैं, जिनमें ऊर्जा, बैंकिंग, रक्षा और तकनीकी क्षेत्रों को निशाना बनाया गया है.
ट्रंप प्रशासन के इस फैसले को लेकर अमेरिकी सांसदों ने भी प्रतिक्रिया दी है. अमेरिकी सीनेट में एक नया बिल पेश किया गया है, जिसमें रूस के खिलाफ और सख्त आर्थिक प्रतिबंध लगाने की मांग की गई है. इस बिल का समर्थन रिपब्लिकन और डेमोक्रेटिक दोनों पार्टियों के 50 सीनेटर कर रहे हैं.
रूस के तेल खरीदारों पर भी पड़ेगा असर
ट्रंप ने यह भी ऐलान किया कि जो भी देश रूस से तेल खरीदेगा, उस पर अमेरिका 500% तक का टैरिफ लगाएगा. साथ ही, रूस को मिलने वाले आर्थिक समर्थन को रोकने के लिए “सेकेंडरी टैरिफ” भी लागू किया जाएगा.
अमेरिका ने अप्रैल 2022 के बाद से रूस से कच्चा तेल नहीं खरीदा है. लेकिन रूस अब अन्य देशों के जरिए अपना व्यापार बढ़ा रहा है. विशेषज्ञों का मानना है कि ट्रंप की नई नीति रूस के लिए मुश्किलें बढ़ा सकती है और उसे यूक्रेन युद्ध खत्म करने के लिए मजबूर कर सकती है.
प्रधानमंत्री मोदी थाईलैंड पहुंचे, बैंकॉक में जोरदार स्वागत
3 Apr, 2025 02:13 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी थाईलैंड की राजधानी बैंकॉक पहुंच गए हैं. बैंकॉक में थाईलैंड के उप-प्रधानमंत्री प्रसर्ट जंतररुआंगटों और उनके शीर्ष अधिकारियों ने पीएम मोदी का गर्मजोशी से स्वागत किया.
प्रवासी भारतीयों के बीच अपने पीएम को देखने के लिए गजब का उत्साह देखा गया. सभी मोदी-मोदी के जोर-जोर से नारे लगाते हुए दिखाई दिए. भारतीय समुदाय के लोगों ने पीएम के स्वागत में वंदे मातरम और भारत माता की जय के भी नारे लगाए.
उनके स्वागत में कई रंगारंग कार्यक्रम की खूबसूरत तस्वीरें भी सामने आईं, जिसमें गुजरात का फेमस गरबा नृत्य भी शामिल रहा. पीएम मोदी की एक झलक पाने के लिए लोग सड़कों के किनारे दिखाई दिए. महिलाओं ने खुश होकर पीएम मोदी हाथ मिलाया और उनके प्रति आभार जताया. पीएम मोदी का प्रवासी भारतीयों से बातचीत का भी एक कार्यक्रम तय है. लोगों के हाथों भारतीय तिरंगा भी दिखाई दे रहा था.
भारत-थाईलैंड संबंधों को मजबूत करने के लिए उत्सुक
पीएम मोदी ने सोशल मीडिया एक्स पर लिखा कि बैंकॉक पहुंच गया हूं. आगामी आधिकारिक कार्यक्रमों में भाग लेने तथा भारत और थाईलैंड के बीच सहयोग के बंधन को मजबूत करने के लिए उत्सुक हूं. पीएम मोदी यहां 6वें बिम्सटेक शिखर सम्मेलन में 4 अप्रैल को भाग लेंगे. आज वो उस होटल में पहुंचे, जहां पर आज वो ठहरेंगे.
पीएम मोदी आज से तीन दिनों के विदेश दौरे पर हैं. थाईलैंड की यात्रा के बाद वो श्रीलंका दौरे पर भी जाएंगे. पीएम मोदी की ये तीसरी थाईलैंड यात्रा है.
थाई रामायण की हुई प्रस्तुति
पीएम मोदी के स्वागत में थाई रामायण को प्रस्तुत किया गया. थाई संस्करण को प्रस्तुत करने वाले कलाकारों में से एक, रामकियेन ने कहा कि आज, हमें बहुत खुशी है कि हम प्रधानमंत्री और अन्य विशिष्ट अतिथियों के सामने रामायण और रामकियेन तथा थाई शास्त्रीय और भरतनाट्यम दोनों का संयोजन प्रस्तुत किया.
यूक्रेन के राष्ट्रपति जेलेंस्की जर्मनी से ‘Taurus’ मिसाइल की मांग को लेकर बेताब
3 Apr, 2025 01:58 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
रूस के खिलाफ अपनी रक्षा मजबूत करने के लिए यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की जर्मनी से ‘Taurus’ क्रूज़ मिसाइल पाने को बेताब हैं. उन्हें उम्मीद है कि जर्मनी के नए चांसलर फ्रेडरिक मर्ज़ सत्ता संभालते ही इस सौदे को मंजूरी देंगे. यह सौदा यूक्रेन के लिए बेहद अहम है, खासकर रूस के खिलाफ लंबी दूरी की मारक क्षमता बढ़ाने के लिहाज से.
कीव में जर्मनी की निवर्तमान विदेश मंत्री एनालेना बेयरबॉक से मुलाकात के दौरान जब जेलेंस्की से पूछा गया कि क्या मर्ज़ इस फैसले पर तेजी से काम करेंगे, तो उन्होंने सीधे जवाब देने से बचते हुए कहा, “हम इस पर काम कर रहे हैं.” लेकिन जब उनसे दोबारा पूछा गया कि क्या वह आश्वस्त हैं, तो उन्होंने कहा, “हां, बिल्कुल… यह सिर्फ उम्मीद से थोड़ा ज्यादा है.”
CDU की नीति और मर्ज़ की रणनीति
बेयरबॉक ने स्पष्ट किया कि वह निवर्तमान मंत्री होने के कारण नई सरकार की नीति पर कुछ नहीं कह सकतीं. हालांकि, उन्होंने याद दिलाया कि मर्ज़ की पार्टी क्रिश्चियन डेमोक्रेट्स (CDU) संसद में हमेशा यूक्रेन को लंबी दूरी के हथियार देने की वकालत करती रही है.
फरवरी में, मर्ज़ ने यह साफ नहीं किया था कि उनकी सरकार Taurus मिसाइलों की आपूर्ति करेगी या नहीं. लेकिन उन्होंने कहा था कि यूक्रेन को अपनी रक्षा के लिए आवश्यक हथियार मिलने चाहिए. उनका बयान था, “चाहे वह Taurus हो या कोई और प्रणाली, हमें अपने यूरोपीय सहयोगियों के साथ समन्वय करना होगा।”
Taurus मिसाइल की ताकत क्या है?
Taurus जर्मनी की सेना के सबसे ताकतवर हथियारों में से एक है. यह एक क्रूज़ मिसाइल है, जिसकी खासियत इसकी 500 किलोमीटर (300 मील) की जबरदस्त रेंज और बंकर-भेदी वारहेड है. इसे फाइटर जेट से लॉन्च किया जा सकता है और यूक्रेन इसे रूस के उन ठिकानों पर हमला करने के लिए चाहता है, जहां से रूसी सेना लगातार बमबारी कर रही है.
तो जर्मनी इसे देने से क्यों डर रहा है?
Taurus खासतौर पर रूस के S-400 और Pantsir एयर डिफेंस सिस्टम को मात देने के लिए बनाई गई है. बर्लिन को डर है कि अगर यह मिसाइल यूक्रेन के हाथों से रूसियों के कब्जे में चली गई, तो वे इसकी तकनीक समझकर इसका तोड़ निकाल सकते हैं. इससे भी ज्यादा खतरा यह है कि अगर कोई Taurus मिसाइल बिना फटे रूस में गिर गई, तो रूस इसे रिवर्स-इंजीनियर करके खुद का संस्करण बना सकता है.
सिर्फ यही नहीं, यह मिसाइल जर्मनी के पास मौजूद इकलौता डीप-स्ट्राइक हथियार है, जिससे दुश्मन के इलाके में दूर तक हमला किया जा सकता है. यही वजह है कि बर्लिन इसे देने से पहले हर पहलू पर सोच-विचार करता रहा है.
क्या बदलेगी जर्मनी की नीति?
पूर्व चांसलर ओलाफ शोल्ज़ (SPD) ने लगातार Taurus मिसाइलें भेजने का विरोध किया. उनका तर्क था कि इससे जर्मनी सीधे युद्ध में शामिल हो सकता है, मर्ज़ भी इस बात को लेकर सचेत हैं और पहले कह चुके हैं कि “जर्मनी युद्ध में पक्षकार नहीं बन सकता.”
अब सबकी नजरें अप्रैल के मध्य तक बनने वाली नई जर्मन सरकार पर टिकी हैं, जब मर्ज़ अपने गठबंधन को अंतिम रूप देंगे. क्या वह यूक्रेन की इस मांग को पूरा करेंगे या शोल्ज़ की नीति को जारी रखेंगे? इसका फैसला आने वाले हफ्तों में होगा.
अमेरिका में छात्रों के सोशल मीडिया पर नजर, संदिग्ध सामग्री से वीजा रद्द होने का खतरा
3 Apr, 2025 01:49 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
सोशल मीडिया आज हर आदमी के जीवन का अहम हिस्सा बन चुका है, लेकिन अमेरिका में रहने वाले भारतीय और अन्य विदेशी छात्रों को इसका प्रयोग करना भारी पड़ रहा है। अमेरिकी विदेश मंत्रालय (DOS) ऐसे छात्रों पर कड़ी निगरानी रख रहा है, जो पढ़ाई की आड़ में सोशल मीडिया पर राजनीतिक गतिविधियों में लिप्त हैं। दोषी पाए जाने पर ऐसे छात्रों का वीजा भी रद्द किया जा रहा है। हालात ये हैं कि अगर कोई छात्र पोस्ट को सिर्फ लाइक और शेयर करने के अलावा कमेंट भी कर देता है तो उसे भी राजनीतिक गतिविधि मान लिया जाता है। इसके बाद वीजा को रद्द कर दिया जाता है।
डोनाल्ड ट्रंप के राष्ट्रपति बनने के बाद से ऐसे मामलों में कार्रवाई तेज हुई है, जिसके कारण डिपोर्टेशन बढ़ा है। लोग बोलने की आजादी और कानूनी प्रक्रियाओं को लेकर भी अब सवाल उठाने लगे हैं। अमेरिकी सरकार शिक्षण संस्थाओं पर भी नजर रख रही है। उन छात्रों की पहचान की जा रही है, जो सरकारी नीतियों का सोशल मीडिया पर विरोध करते हैं। ऐसे लोगों को पकड़े जाने पर वीजा रद्द करने के साथ ही डिपोर्ट किया जा रहा है।
कई छात्रों की पहचान
सैकड़ों ऐसे छात्र सामने आए हैं, जिनको विदेश मंत्रालय की ओर से ईमेल जारी कर अमेरिका छोड़ने को कहा गया है। इनमें कई भारतीय छात्र शामिल हैं। पहला माना जाता था कि कैंपस में विरोध प्रदर्शन करने वालों पर ही एक्शन लिया जा रहा है, लेकिन अब सरकार विरोधियों की पहचान सोशल मीडिया पर भी कर रही है। दरअसल वीजा मॉनिटिरंग प्रक्रिया के लिए सरकार AI के जरिए संदिग्ध छात्रों की स्कैनिंग कर रही है। अगर प्रोफाइल में कुछ भी संदिग्ध सामग्री मिलती है तो उसको वीजा नहीं दिया जाता।
3 सप्ताह में 300 वीजा रद्द
रिपोर्ट्स के अनुसार 2023-24 के दौरान करीब 11 लाख विदेशी छात्र यूएस में स्टडी के लिए पहुंचे थे, जिनमें भारतीयों की संख्या 331000 थी। विदेश मंत्री मार्को रूबियो की ओर से सोशल मीडिया की निगरानी के लिए ‘कैच एंड रिवोक’ मुहिम शुरू की गई है। सूत्रों के मुताबिक 3 सप्ताह में 300 छात्रों का वीजा रद्द किया गया है। अगर कोई छात्र आतंकी संगठनों का समर्थन करता है तो उसके खिलाफ कार्रवाई की जा रही है। विदेश मंत्रालय की ओर से नोटिस भी जारी किया जाता है, जिसमें संबंधित छात्र को बताया जाता है कि आपका वीजा रद्द हो चुका है।
स्क्रीनशॉट लेना जरूरी
बिना वीजा अमेरिका में रहने पर हिरासत में लेने और जुर्माना वसूलने की चेतावनी दी जाती है। वहीं, छात्रों को उनका पासपोर्ट देश छोड़ने से पहले अमेरिकी एंबेसी या वाणिज्य एंबेसी में जमा करवाने की सलाह दी जा रही है, ताकि वीजा रद्द किया जा सके। विदेश मंत्री ने अधिकारियों को आदेश दिए हैं कि बारीकी से वीजा आवदेकों की भी जांच की जाए। संदिग्ध सामग्री का स्क्रीनशॉट लिया जाए, ताकि अगर कोई ऑनलाइन हिस्ट्री को चेंज करे तो उसका पता लग सके। अगर कुछ संदिग्ध न मिले तो भी अधिकारियों को इसकी जानकारी देनी है।
चीन का भारत के पड़ोसियों पर बढ़ता प्रभाव, फिर भी कूटनीति में भारत की जीत
3 Apr, 2025 01:49 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
चीन भारत के पड़ोसियों पर नजर बनाकर रखता है. नेपाल, बांग्लादेश और श्रीलंका को वो अपने पाले में करने में जुटा रहता है. उसकी कोशिश होती है कि इन देशों के माध्यम से वो एशिया में अपना प्रभाव जमा सके. लेकिन भारत की कूटनीति के आगे उसकी एक नहीं चलती है और यही वजह है कि इन मुल्कों का प्रेम उसके (भारत) प्रति कम नहीं हुआ है.
एक ओर जहां बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के मुखिया मोहम्मद यूनुस पीएम मोदी से मुलाकात करने के लिए बेताब हैं तो वहीं श्रीलंका के राष्ट्रपति अनुरा कुमारा दिसानायके ने पीएम मोदी को अपने देश बुलाया है. दिसानायके का ये न्योता चीन के लिए झटका है, क्योंकि जिनपिंग मानते हैं कि दिसानायके उनके पाले में हैं.
दो दिन श्रीलंका में रहेंगे पीएम मोदी
श्रीलंकाई राष्ट्रपति के न्योते को पीएम मोदी ने स्वीकार भी किया. वह 4 अप्रैल से 6 अप्रैल तक श्रीलंका में रहेंगे. थाइलैंड में BIMSTEC समिट में हिस्सा लेने के बाद वह श्रीलंका जाएंगे. पीएम 4 तारीख को देर शाम श्रीलंका पहुंचेंगे. पीएम मोदी के स्वागत के लिए श्रीलंका ने पूरी तैयारी कर ली है.
5 अप्रैल को श्रीलंका के राष्ट्रपति और पीएम मोदी की अध्यक्षता में एक प्रतिनिधिमंडल स्तर की बैठक आयोजित की जाएगी, जिसके बाद आठ समझौते पर हस्ताक्षर किए जाएंगे. दिसानायके प्रधानमंत्री मोदी को मित्र विभूषण सम्मान प्रदान करेंगे. इस उपाधि की शुरुआत 2008 में की गई थी और यह उन देशों के राष्ट्राध्यक्षों और शासनाध्यक्षों को दी जाती है जिनके साथ श्रीलंका के मैत्रीपूर्ण संबंध हैं.
इसके बाद प्रधानमंत्री मोदी भारतीय शांति सेना (आईपीकेएफ) स्मारक पर जाकर श्रद्धांजलि अर्पित करेंगे. 5 अप्रैल की शाम को राष्ट्रपति के आवास पर भोज का आयोजन किया जाएगा. अगली सुबह यानी 6 अप्रैल को पीएम मोदी अनुराधापुरा जाएंगे. प्रधानमंत्री मोदी वहां से रामेश्वरम के लिए रवाना होंगे.
चीन को जलाने वाला कदम
पीएम मोदी की इस यात्रा को श्रीलंका पर चीन के बढ़ते प्रभाव और उसका मुकाबला करने के लिए नई दिल्ली द्वारा उठाए गए एक और कदम के रूप में देखा जा रहा है. इसकी शुरुआत पिछले साल दिसंबर में हुई थी. तब राष्ट्रपति दिसानायके भारत दौरे पर आए थे.
पद पर बैठने के बाद उनकी ये पहली विदेश यात्रा थी. यही नहीं दिसानायके के राष्ट्रपति बनने के बाद पीएम मोदी श्रीलंका जाने वाले पहले विदेशी नेता होंगे. दिसानायके पिछले साल सितंबर में राष्टपति बने थे.
जनवरी में चीन गए थे श्रीलंका के राष्ट्रपति
दिसंबर में भारत आने के बाद दिसानायके जनवरी, 2025 में चीन के दौरे पर गए थे. यात्रा के दौरान उन्होंने राष्ट्रपति शी जिनपिंग से मुलाकात की थी. इस दौरान चीन और श्रीलंका ने अधिक निवेश और आर्थिक सहयोग पर सहमति व्यक्त की, जिसमें हंबनटोटा में एक तेल रिफाइनरी स्थापित करने के लिए सिनोपेक के साथ 3.7 बिलियन अमेरिकी डॉलर का सौदा भी शामिल था.
दोनों पक्षों ने 15 सहयोग दस्तावेजों पर हस्ताक्षर किए. इन समझौते के बाद भी भारत की ओर से पूरी कोशिश रही है कि श्रीलंका नेपाल के पाले में ना जाए. भारत ने हाल ही में अपने पड़ोसी को 4 बिलियन अमेरिकी डॉलर का पैकेज दिया.
पीएम मोदी ने रेलवे सिग्नल सिस्टम के पुनर्वास, श्रीलंकाई विश्वविद्यालय के छात्रों के लिए छात्रवृत्ति और अगले पांच वर्षों में 1,500 सिविल सर्वेंट की ट्रेनिंग जैसी पहलों की घोषणा की. उन्होंने दोनों देशों के बीच संपर्क बढ़ाने के लिए रामेश्वरम (तमिलनाडु) और तलाईमन्नार (श्रीलंका) के बीच नौका सेवा की भी घोषणा की.