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सोशल मीडिया फेम बना जान का खतरा, इस्लामाबाद में 17 साल की टिकटॉकर की गोली मारकर हत्या
3 Jun, 2025 04:29 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
पाकिस्तान: पाकिस्तान में क्राइम का ऐसा बोलबाला है कि क्या आम और क्या खास, वहां कोई सेफ नहीं है. पाकिस्तान की राजधानी इस्लामाबाद में अपने ही घर के अंदर 17 साल की सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर सना यूसुफ की गोली मारकर हत्या कर दी गई. इस हत्याकांड के बाद पुलिस ने एक अज्ञात संदिग्ध के खिलाफ हत्या का मामला दर्ज किया है. पाकिस्तान के अखबार की रिपोर्ट के अनुसार सना की मां फरजाना यूसुफ की शिकायत पर सोमवार शाम को सुंबल पुलिस स्टेशन में एफआईआर दर्ज की गई. इसमें अज्ञात आरोपी के खिलाफ पाकिस्तान दंड संहिता की धारा 302 लगाई गई.
कौन थी सना यूनुफ, कैसे हुई हत्या
रिपोर्ट के अनुसार 17 साल की सना यूनुफ पाकिस्तान के अंदर सोशल मीडिया पर फेमस थी. उसके टिकटॉक अकाउंट पर लगभग 800,000 फॉलोअर्स थे और उसके इंस्टाग्राम अकाउंट पर लगभग 500,000 फॉलोअर्स थे. रिपोर्ट की माने तो एफआईआर में लिखा है कि सना की मां ने कहा है कि हाथ में पिस्तौल लिए एक लड़का शाम करीब 5 बजे अचानक उनके घर में घुस आया और "हत्या करने के इरादे से सीधे मेरी बेटी पर गोली चला दी". उन्होंने बताया कि सना के सीने में दो गोलियां लगीं, जिससे वह गंभीर रूप से घायल हो गई. FIR में कहा गया है कि सना को हॉस्पिटल ले जाया गया, लेकिन उसने गोली से लगी जख्म के कारण उसने रास्ते में ही दम तोड़ दिया.
पाकिस्तान में ऐसी पहली घटना नहीं
यह पहली बार नहीं है जब पाकिस्तान में किसी सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर की हत्या हुई है. हाल के महीनों में ऐसी घटनाओं में लगातार वृद्धि हुई है. हाल ही में पंजाब के खुशाब में एक टिकटॉकर महिला की उसके चचेरे भाई ने बेरहमी से हत्या कर दी. इसी तरह, इस साल फरवरी में, एक और महिला टिकटॉकर पेशावर में अपने घर में मृत पाई गई थी.
इस बीच, जनवरी में पाकिस्तान के क्वेटा में एक पिता ने टिकटॉक पर वीडियो बनाने के लिए अपनी अमेरिका में जन्मी किशोर बेटी की हत्या कर दी थी. पुलिस के अनुसार, उसके परिवार को "उसके पहनावे, जीवनशैली और सामाजिक मेलजोल पर आपत्ति थी". परिवार 25 साल तक अमेरिका में रहा था और युवा लड़की ने अपने परिवार के पाकिस्तान वापस जाने से पहले ही टिकटॉक पर कंटेंट पोस्ट करना शुरू कर दिया था.
राजा मोहम्मद VI का बड़ा फैसला, इस बार बकरीद पर नहीं दी जाएगी कुर्बानी
3 Jun, 2025 03:10 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
मोरक्को: इस महीने की 6 और 7 तारीख को को ईद-अल-अजहा यानी बकरीद मनाई जाएगी. इस दिन इस्लाम को मानने वाले बकरे या किसी और जानवर की कुर्बानी देते हैं, जिसे लेकर एक बड़े मुस्लिम देश ने बड़ा फैसला लिया है. 99 परसेंट मुस्लिम आबादी वाले इस्लामिक मुल्क मोरक्को ने कुर्बानी को लेकर सख्त आदेश दिए हैं कि कोई भी नागरिक ईद पर बकरे या किसी और जानवर की कुर्बानी नहीं देगा, जिसके बाद पूरे देश में बकरे ढूंढने के लिए छापेमारी चल रही है.
मोरक्को के राजा मोहम्मद-VI के शाही फरमान से लोगों में बहुत गुस्सा है क्योंकि उनके आदेश के बाद सुरक्षाबलों ने कई शहरों में कुर्बानी रोकने की कार्रवाई शुरू कर दी है. इस्लाम में बकरीद के दिन कुर्बानी देने का बहुत महत्व बताया गया है. इसका मकसद अल्लाह की राह में उस चीज की कुर्बानी के महत्व को समझना है, जो आपको प्यारी हो. बकरीद मुसलमानों को अपना कर्तव्य निभाने और अल्लाह पर विश्वास रखने का पैगाम देती है.
मोरक्को के राजा ने क्यों लिया कुर्बानी पर रोक का फैसला?
मोहम्मद-VI ने भयंकर सूखे के चलते कम हो रही पशुओं की संख्या को देखते हुए यह फैसला लिया है. राजा ने कहा है कि इस हफ्ते आ रहे बकरीद के त्योहार को लोग इबादत और दान करके मनाएं और कुर्बानी से बचें. राजा के इस फैसले के बाद अधिकारियों ने जानवरों की बिक्री पर प्रतिबंध लगा दिया है और चोरी छिपे कुर्बानी के लिए लाई गई भेड़ों को घरों से ही जब्त कर लिया गया है. सरकार की इन कार्रवाइयों से लोग बहुत नाराज हैं और विरोध प्रदर्शन में सड़कों पर उतर आए हैं.
मोरक्को सरकार के फैसले पर क्या सोचता है मुस्लिम वर्ल्ड?
मोहम्मद-VI के फैसले पर मुस्लिम वर्ल्ड ने भी आपत्ति जताई है और उन्होंने इसको खतरनाक मिसाल बताया है. उनका ये भी कहना है कि धार्मिक रीति-रिवाजों में सरकार दखल दे रही है. हालांकि, कुछ लोग सरकार के फैसले से सहमत हैं और आर्थिक और स्वास्थ्य की स्थिति को देखते हुए फैसले का बचाव कर रहे हैं.
कराची की मालिर जेल से 216 कैदी फरार, भूकंप के बाद मची अफरा-तफरी का उठाया फायदा
3 Jun, 2025 02:31 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
पाकिस्तान: सोमवार की देर रात को भूकंप आने के बाद कराची की मालिर जेल के कैदियों को सुरक्षा लिहाज से उनके कमरों से बाहर निकालकर मेनगेट तक लाया गया था, लेकिन मौका का फायदा उठाकर कम से कम 216 कैदी भाग गए. एक रिपोर्ट के अनुसार इसकी जानकारी जेल सुपरिटेंडेंट ने दी है. मीडिया से बात करते हुए, अधिकारी ने पुष्टि की कि 80 से अधिक कैदियों को फिर से पकड़ लिया गया है, लेकिन बाकि के कैदी अभी भी पहुंच के बाहर हैं.
जेल सुपरिटेंडेंट अरशद शाह ने कहा कि जेलब्रेक की घटना तब हुई जब भूकंप के झटकों के दौरान सुरक्षा एहतियात के तौर पर सर्कल नंबर 4 और 5 के कैदियों को उनकी बैरक से बाहर निकाला गया था. रिपोर्ट के अनुसार उन्होंने कहा, "उस समय 600 से अधिक कैदी अपने बैरक के बाहर थे. अराजकता की स्थिति के बीच, 216 भागने में सफल रहे." उन्होंने कहा कि 135 से अधिक कैदी अभी भी फरार हैं और तलाश के प्रयास जारी हैं.
सोशल मीडिया पर शेयर किए गए वीडियो में भारी गोलीबारी की आवाज सुनी जा सकती है, दावा किया जा रहा है कि यह मालिर जेल के आसपास के इलाकों से है. अन्य फुटेज में कुछ कैदी सड़क किनारे भागते नजर आ रहे हैं. वहीं सिंध के गृह मंत्री जिया-उल-हसन लंजर ने इस स्थिति को हाल के वर्षों में सबसे गंभीर जेलब्रेक में से एक बताया. मंगलवार तड़के बोलते हुए उन्होंने कहा कि भागने की घटना तब हुई जब निकासी के बाद 700 से 1,000 कैदी मेन गेट के पास जमा हुए थे. उन्होंने कहा कि करीब 100 कैदी जबरन गेट खोलकर भाग गए.
हालांकि दूसरी तरफ पाकिस्तान के मीडिया हाउस की रिपोर्ट के अनुसार पुलिस अधिकारियों ने कहा कि कैदियों ने जेल की बाहरी दीवार तोड़ दी, जो रविवार से क्षेत्र में महसूस किए गए कम तीव्रता के कई भूकंप झटकों के कारण कमजोर हो गई थी.
रूस में आलू के दाम आसमान पर, पुतिन भी बोले- हालात गंभीर
3 Jun, 2025 01:29 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
रूस: रूस पर यूक्रेन के ड्रोन हमले पहले ही पुतिन को बेचैन किए हुए थे. हमले वो भी ऐसे जो रूस के गहरे इलाकों तक जा पहुंचे, जहां रूस ने सोचा भी नहीं था. मगर इस बीच रूस की थाली से उसकी सबसे भरोसेमंद चीज आलू गायब होने लगे हैं. जिस देश को दुनिया में सबसे ज्यादा आलू खाने वाला माना जाता है, वहां अब ये सब्जी लग्जरी बन गई है. और यह संकट इतना गंभीर है कि खुद राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन को भी इस पर चिंता जाहिर करनी पड़ी.
रूस में आलू की कीमतें पिछले एक साल में करीब 2.8 गुना बढ़ गई हैं. मई 2025 की शुरुआत में औसतन एक किलो आलू की कीमत 85 रूबल (करीब ₹89) पहुंच गई, जबकि पिछले साल यही दाम 30 रूबल (₹32) के आसपास था. कुछ इलाकों में तो 200 रूबल प्रति किलो तक कीमतें पहुंच गई हैं. इस संकट ने सरकार को हिला दिया है. उप-प्रधानमंत्री दिमित्री पत्रुशेव ने माना है कि सरकार जरूरी कदम उठाने में देर कर गई. बेलारूस के राष्ट्रपति अलेक्ज़ेंडर लुकाशेंको, जिन्हें मज़ाक में आलू-फ्यूरर कहा जाता है, उन्होंने भी इस संकट पर चिंता जताई है.
आखिर क्यों महंगा हुआ आलू?
इस संकट के पीछे कोई एक वजह नहीं, बल्कि कई कारण एक साथ जुड़े हुए हैं. सबसे बड़ी वजह है साल 2024 की खराब फसल. पिछले साल के मुकाबले आलू की पैदावार में करीब 12 फीसदी की गिरावट आई. कुल उत्पादन सिर्फ 17.8 मिलियन टन रहा. इसकी बड़ी वजहें रहीं जैसे खराब मौसम,बीज आलू की कमी और खेती के रकबे में गिरावट. दरअसल, 2023 में रूस में आलू की इतनी ज़्यादा पैदावार हुई थी कि दाम बहुत नीचे चले गए. इससे किसानों को घाटा हुआ और उन्होंने 2024 में आलू की जगह तेल वाले बीज, शुगर बीट जैसी फसलें उगानी शुरू कर दीं.
आलू सिर्फ सब्जी नहीं, रूसी संस्कृति का हिस्सा
रूस में आलू कोई आम सब्जी नहीं, बल्कि संस्कृति का हिस्सा है. इसे पीटर द ग्रेट के जमाने में पश्चिम से लाया गया था. शुरुआत में लोग इसे जहर समझते थे, लेकिन धीरे-धीरे यह आम लोगों की थाली में जगह बना गया. यहां तक कि 1980 के दशक में जब मैकडॉनल्ड्स रूस आया, तो उन्हें इंसानों के खाने लायक आलू तक नहीं मिले. शुरू में पोलैंड से आलू मंगवाए गए, बाद में रूस में इंसानी खपत लायक आलू उगाए जाने लगे.
आलू के बिना थाली में बस पास्ता
जब खाने की चीजें महंगी होती हैं, तो लोग खाना कम नहीं करते, बल्कि वैरायटी छोड़ देते हैं. सब्जियों और मछली की जगह सिर्फ सस्ता आलू या पास्ता खाते हैं. इससे पोषण की कमी होती है. 90 के दशक में रूस के अनाथालयों में स्पाइना बिफिडा नाम की गंभीर बीमारी वाले बच्चे सामने आए. वजह थी माओं को ठीक खाना न मिलना. जब माओं ने सही खाना खाना शुरू किया, तो बीमारी कम हो गई. जब आम सब्जी भी आम लोगों की पहुंच से बाहर हो जाए, तो संकट सिर्फ थाली में नहीं, पूरी पीढ़ी की सेहत, संस्कृति और सोच पर असर डालता है. और यही आलू संकट आज रूस में कर रहा है.
स्पेन में जब कनिमोझी से पूछा गया; 'भारत की राष्ट्रीय भाषा क्या है?, तब जवाब पर गूंजीं तालियां'
3 Jun, 2025 12:46 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
स्पने: डीएमके सांसद कनिमोझी करुणानिधि के नेतृत्व वाला सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल फिलहाल स्पेन दौरे पर है. स्पने में एक कार्यक्रम के दौरान कनिमोझी से पूछा गया कि भारत की राष्ट्रीय भाषा क्या है? इस पर डीएमके सांसद ने जो जवाब दिया, उसे सुनकर वहां मौजूद सभी लोग तालियां बजाने लगे. इस दौरान डीएमके सांसद ने कहा कि हमारे देश में बहुत कुछ किया जाना बाकी है और हम ये करना भी चाहते हैं, लेकिन दुर्भाग्य से हमारा ध्यान भटकाया जा रहा है.
कनिमोझी ने जवाब से की बोलती बंद
स्पेन में भारतीय समुदाय के लोगों से सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल ने मुलाकात की और ऑपरेशन सिंदूर के बारे में जानकारी दी. साथ ही आतंकवाद के खिलाफ एकजुट होने और आवाज उठाने की अपील की गई. इसी दौरान एक व्यक्ति ने सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व कर रहीं डीएमके सांसद कनिमोझी से सवाल किया कि भारत की राष्ट्रीय भाषा क्या है? गौरतलब है कि तमिलनाडु की डीएमके सरकार और केंद्र सरकार के बीच भाषा को लेकर विवाद हो रहा है.
खासकर नेशनल एजुकेशन पॉलिसी के तहत तीन भाषा फार्मूले पर डीएमके सरकार विरोध कर रही है. स्पेन में पूछे गए सवाल को इसी विवाद से जोड़कर देखा जा रहा है. हालांकि कनिमोझी के जवाब ने सवाल पूछने वाले व्यक्ति की बोलती बंद कर दी. कनिमोझी ने अपने जवाब में कहा कि 'भारत की राष्ट्रीय भाषा एकता में अनेकता है.' कनिमोझी के जवाब पर वहां मौजूद लोगों ने तालियां बजाकर स्वागत किया.
'हमारा संदेश साफ, भारत सुरक्षित है'
कनिमोझी ने आगे कहा कि 'हमारे देश में अभी बहुत कुछ किया जाना बाकी है और हम करना भी चाहते हैं, लेकिन दुर्भाग्य से हमारा ध्यान भटकाया जा रहा है. हमें आतंकवाद और लड़ाइयों का सामना करना पड़ रहा है, जिसकी बिल्कुल जरूरत नहीं है. बतौर भारतीय हमारा संदेश साफ है कि भारत सुरक्षित है. वे कितनी भी कोशिश कर लें, लेकिन वे हमें पटरी से नहीं उतार सकते. हम ये सुनिश्चित करेंगे कि कश्मीर सुरक्षित रहे।'
बांग्लादेश में मोहम्मद यूनुस पर टूटा सियासी हमला, अब बीएनपी ने भी जताई नाराज़गी
3 Jun, 2025 12:46 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
बांग्लादेश: शेख हसीना के बाद खालिदा जिया की पार्टी ने भी बांग्लादेश के मुख्य सलाहकार मोहम्मद यूनुस पर भारत के खिलाफ बयान देकर लोगों को गुमराह का आरोप लगाया है. ढाका में सोमवार 2 जून को एक बैठक में बीएनपी के प्रतिनिधि ने कहा कि यूनुस चुनाव नहीं कराना चाहते हैं, इसलिए भारत का नाम लेकर टाल-मटोल कर रहे हैं. बीएनपी के प्रतिनिधि सलाहुद्दीन का कहना था कि आप बार-बार कह रहे हैं कि एक देश बांग्लादेश में जल्दी से चुनाव चाहता है. हम पर भी आप भारत की तरह बात करने का आरोप लगा रहे हैं, लेकिन क्या आप बताएंगे कि आप आखिर चुनाव क्यों नहीं करा रहे हैं?
सुधार को लेकर गंभीर नहीं यूनुस की सरकार
सलाहुद्दीन ने कहा कि सुधार को लेकर सरकार गंभीर नहीं है. सरकार यह नहीं बता सकती है कि आखिर पिछले 10 महीने में क्या-क्या हुआ? जब 10 महीने में कुछ नहीं हुआ, तो अगले 10 महीने में क्या हो जाएगा?. सलाहुद्दीन के मुताबिक यूनुस की सरकार सिर्फ बयानबाजी पर चल रही है. सरकार न्यूट्रल नहीं है. एक पक्ष को बढ़ाने के लिए मशीनरी का उपयोग किया जा रहा है. इसे हम बर्दाश्त नहीं करेंगे.
27 पार्टियों की चाहत- दिसंबर में हो चुनाव
यूनुस की बैठक में सलाहुद्दीन ने कहा कि आपने जापान में यह बयान दिया कि सिर्फ एक पार्टी दिसंबर 2025 तक चुनाव चाह रही है. यहां हम 30 पार्टियां मौजूद है, जिसमें से सिर्फ 3 पार्टियां ही दिसंबर में चुनाव नहीं चाह रही है. सलाहुद्दीन ने कहा कि आप गौर से देख लीजिए कि हम 27 पार्टी एक साथ हैं. आपने जो बयान दिया, उससे हम लोगों को ठेस पहुंचा. बांग्लादेश के लोगों को धक्का लगा. बीएनपी के मुताबिक अगर दिसंबर 2025 में चुनाव नहीं कराए जाते हैं तो आने वाले वक्त में इसे संपन्न कराना आसान नहीं होगा. बीएनपी ने तुरंत ही चुनाव को लेकर रोडमैप जारी करने की मांग की है.
चुपचाप सुनते रहे यूनुस, कुछ नहीं बोले
बैठक में यूनुस बीएनपी की बातों को चुपचाप सुनते रहे. बैठक में मौजूद सूत्रों ने बांग्लादेशी अखबार प्रथम आलो को बताया कि चुनाव को लेकर यूनुस ने कुछ नहीं कहा है. बांग्लादेश की स्थानीय मीडिया के मुताबिक यूनुस को लगता है कि वे सही से चुनाव नहीं करा पाएंगे. यही वजह है कि यूनुस दिसंबर 2025 में चुनाव कराने से कन्नी काट रहे हैं.
भारत की जलनीति से पाकिस्तान में हाहाकार, सूखते डैम और ठप होती खेती
2 Jun, 2025 10:00 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
Indus Water Crisis Pakistan: कश्मीर के पहलगाम में आतंकी हमले के बाद पाकिस्तान की मुश्किलें बढ़ गई हैं। पाकिस्तान के पंजाब क्षेत्र में चिनाब नदी का पानी भारत(India Pakistan water dispute) की ओर से रोक देने के कारण जल संकट (Indus water crisis)गहराता जा रहा है। मंगला और तरबेला जैसे मुख्य बांध (Mangal Tarbela dams) सूखे पड़े हुए हैं, जिससे सिंचाई प्रभावित हो रही है और खरीफ की फसलों की बुआई रुकने का खतरा मंडरा रहा है। दरअसल चिनाब नदी में भारत की ओर से जल प्रवाह घटाने के बाद पाकिस्तान के सिंधु नदी प्रणाली में पानी की कमी ((Pakistan water shortage))पिछले साल की तुलना में तेजी से बढ़ रही है । हालत यह है कि मंगला और तरबेला बांधों में जल संग्रहण आधे से भी कम हो गया है, जिससे सिंचाई और जल विद्युत उत्पादन दोनों प्रभावित हो रहे हैं। मानसून देर से आने के कारण सिंचाई के लिए पानी की उपलब्धता और भी कम हो सकती है, जिससे पंजाब प्रांत के किसानों को भारी नुकसान होने की आशंका है।
पाकिस्तान को जलस्तर के आंकड़े देना भी बंद कर दिया गया
ध्यान रहे कि भारत ने हाल ही में 1960 की सिंधु जल संधि निलंबित की है और पाकिस्तान को जलस्तर के आंकड़े देना भी बंद कर दिया गया है, जिससे पाकिस्तान को मानसून के दौरान पहले की तरह पूर्व चेतावनी देने में दिक्कत हो रही है। इस कदम से पाकिस्तानी किसानों के लिए खासकर खरीफ की बुवाई के मौसम में जल संकट और भी गहरा गया है।
भीषण गर्मी और मानसून की देरी से किसान बेहाल
पाकिस्तान में इस गर्मी में भीषण तापमान के बीच मानसून देर से पहुंचने की वजह से सिंचाई की समस्या और बढ़ गई है। जून के अंत तक मानसून के पहुंचने की संभावना कम है, जिससे किसानों को सिंचाई के लिए पानी की भारी किल्लत का सामना करना पड़ सकता है।
सिंधु नदी प्रणाली में पानी की कमी का आंकड़ा चिंताजनक
पाकिस्तान के सिंधु नदी प्रणाली प्राधिकरण ने बताया कि 2 जून, 2025 को पंजाब प्रांत में पानी की उपलब्धता पिछले साल की तुलना में 10.3 प्रतिशत कम हो गई है। वहीं कुल पानी की मात्रा 1,28,800 क्यूसेक रह गई है, जो सिंचाई के लिए पर्याप्त नहीं है।
मंगला और तरबेला बांधों में आधी क्षमता का पानी बचा
पाकिस्तान के प्रमुख दो बांध, मंगला और तरबेला, जो सिंधु और झेलम नदियों पर बने हुए हैं, आधी क्षमता से भी कम पानी स्टोर कर पा रहे हैं। यह स्थिति जलविद्युत उत्पादन और सिंचाई दोनों को प्रभावित कर रही है, जिससे पंजाब और सिंध प्रांतों में खेती संकट में है।
सिंधु जल संधि के निलंबन से बढ़ी समस्या
भारत की ओर से 1960 की सिंधु जल संधि निलंबित करने के बाद से पाकिस्तान को सिंधु नदी प्रणाली के जल प्रवाह में भारी कमी का सामना करना पड़ रहा है। इस निर्णय के बाद भारत ने पाकिस्तान के साथ नदियों के जलस्तर का डाटा साझा करना भी बंद कर दिया है, जिससे मानसून के दौरान पूर्व चेतावनी और आपदा प्रबंधन में बाधा आई है।
रिएक्शन : पाकिस्तान ने “गंभीर जल संकट” बताया
पाकिस्तान सरकार ने इस स्थिति को देश के लिए “गंभीर जल संकट” बताया है और भारत के सिंधु जल संधि निलंबन के फैसले की कड़ी निंदा की है। प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने इस मुद्दे को अंतरराष्ट्रीय मंचों पर उठाते हुए जल संकट को आतंकवाद के साथ जोड़कर भारत की नीतियों की आलोचना की है। वहीं, कृषि विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि अगर जल संकट इसी तरह बना रहा तो आने वाले महीनों में पाकिस्तान के खाद्य सुरक्षा पर गंभीर असर पड़ सकता है।
फालोअप: वैकल्पिक जल स्रोत खोजने और जल संरक्षण पर विचार
पाकिस्तान सरकार अब सिंधु जल संकट को कम करने के लिए वैकल्पिक जल स्रोत खोजने और जल संरक्षण परियोजनाओं को तेज करने पर ध्यान केंद्रित कर रही है। सिंधु जल प्राधिकरण की ओर से आगामी हफ्तों में नए जल प्रबंधन उपायों की घोषणा की जा सकती है। साथ ही, दक्षिण-पश्चिम मानसून की संभावित स्थिति पर पैनी नजर रखी जा रही है ताकि किसानों को समय पर सहायता दी जा सके।
साइड एंगल: पाकिस्तान का सामाजिक और आर्थिक तनाव और बढ़ा
इस जल संकट ने पाकिस्तान के सामाजिक और आर्थिक तनाव और भी बढ़ावा दिया है। सिंध की कमी के कारण किसानों की आर्थिक स्थिति खराब हो रही है, जिससे ग्रामीण इलाकों में रोजगार संकट और पलायन बढ़ सकता है। इसके अलावा, भारत-पाकिस्तान के बीच जल स्रोतों को लेकर राजनीतिक तनाव बढ़ने की संभावना भी जताई जा रही है, जो क्षेत्रीय स्थिरता प्रभावित कर सकता है।
हरियाणा में कांग्रेस पर अनिल विज का हमला, बोले– पहले अपने घर की लड़ाई सुलझाएं
2 Jun, 2025 05:56 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
हरियाणा के ऊर्जा, परिवहन एवं श्रम मंत्री अनिल विज ने कांग्रेस पर जुबानी हमला करते हुए कहा कि कांग्रेस सारे देश के मुद्दों पर अपना दृष्टिकोण रखती है और देश की बड़ी बड़ी समस्याओं के बारे में बड़ी-बड़ी बातें करती है, लेकिन यह पार्टी अपने एक राज्य हरियाणा में अभी तक नेता प्रतिपक्ष का नाम तय नहीं कर पा रही है। कांग्रेस की यह स्थिति बहुत ही निराशाजनक है।
अनिल विज सोमवार को चंडीगढ़ में मीडिया कर्मियों से बात कर रहे थे। कांग्रेस नेता राहुल गांधी के चंडीगढ़ दौरे पर अनिल विज ने कहा कि आठ महीने के ज्यादा हो गए और ये अभी तक अपना नेता प्रतिपक्ष तय नहीं कर पाए हैं।
ऐसी स्थिति तब है, जब नेता प्रतिपक्ष तय करने के लिए कांग्रेस की कई मीटिंग हो हो चुकी हैं। हरियाणा में कांग्रेस की फूट के बारे में अनिल विज ने कहा कि राजनीति बड़ी अजीब चीज है। वही लड़ाते हैं और वही समझौते करवाते हैं।
डबवाली में शादी समारोह में पहुंची पुलिस, दुल्हन सहित सभी निकले फर्जी
2 Jun, 2025 05:48 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
राजस्थान पुलिस रविवार को अचानक हरियाणा के सिरसा के डबवाली में चल रहे एक शादी समारोह में पहुंच गई. पुलिस ने शादी तय कराने वाले बिचौलिए को पकड़ लिया. फिर दुल्हन और उसके साथ आए रिश्तेदारों की जांच की गई तो वे सभी फर्जी निकले. यहां तक कि माता-पिता के रूप में लाए गए लोगों को भी दुल्हन का नाम नहीं पता था. जब यह बात पता चली तो शादी समारोह में अफरा-तफरी मच गई. सभी लोग शादी से चले गए.
इस मामले में शादी की पोशाक में आई दुल्हन, उसके रिश्तेदारों और बिचौलिए को हिरासत में लिया गया. इसके बाद पंजाब से बारात लेकर आया दूल्हा दुल्हन के लिए लाया गया लहंगा और अन्य सामान लेकर वापस लौट गया. पुलिस के अनुसार, रविवार को हरियाणा के डबवाली में एक शादी समारोह चल रहा था. दुल्हन तैयार थी, दूल्हा भी स्टेज पर बैठा था. कुछ रिश्तेदार खाना खा रहे थे, जबकि कुछ अन्य खुशी में नाच रहे थे.
पुलिस को देखकर सभी हैरान
इसी बीच राजस्थान पुलिस वहां पहुंच गई. शादी समारोह के बीच में पुलिस को देखकर दूल्हा-दुल्हन और उनके रिश्तेदार हैरान रह गए. राजस्थान पुलिस ने वहां मौजूद लोगों से शादी तय कराने वाले बिचौलिए के बारे में पूछा. तभी मेहमानों के बीच से रेशम सिंह नाम का एक व्यक्ति आगे आया और खुद को मध्यस्थ के रूप में पेश किया, जिसके बाद पुलिस कर्मियों ने तुरंत आरोपी को हिरासत में ले लिया.
लड़की के माता-पिता निकले फर्जी
जब मेहमानों ने इस बारे में पुलिस से पूछा तो उन्हें बताया गया कि राजस्थान के बीकानेर जिले के कोलायत थाने में 27 मार्च 2024 को रेशम सिंह के खिलाफ मामला दर्ज किया गया था. ये पिछले एक साल से फरार है. राजस्थान पुलिस के इस खुलासे के बाद शादी समारोह में हड़कंप मच गया. पुलिस ने वहां मौजूद दूल्हा-दुल्हन और उनके परिजनों को बुलाया. जब दुल्हन के माता-पिता से पूछताछ की गई तो वे लड़की का नाम भी नहीं बता सके.
दुल्हन और उसके साथ आए लोग को हिरासत में
इसके बाद जब उसके अन्य रिश्तेदारों से पूछताछ की गई तो वे भी आपस में किसी को नहीं जानते थे. राजस्थान पुलिस की जांच में लड़की के माता-पिता और लड़की पक्ष के अन्य लोग भी फर्जी निकले. राजस्थान पुलिस ने इसकी सूचना हरियाणा पुलिस को दी. फिर डायल 112 और नगर थाना पुलिस मौके पर पहुंची और दुल्हन और उसके साथ आए लोगों को हिरासत में ले लिया.
राजस्थान पुलिस केवल रेशम सिंह को अपने साथ ले गई. आरोपी रेशम सिंह पंजाब के बठिंडा का निवासी है और फिलहाल डबवाली के सुंदर नगर में किराए के मकान में रह रहा था.
पाकिस्तान के सिंध में मंदिर की जमीन पर कब्जा, हिंदू समुदाय का सड़कों पर विरोध
2 Jun, 2025 05:00 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
पाकिस्तान: पाकिस्तान के सिंध प्रांत में हिंदू समुदाय के सदस्यों ने हैदराबाद शहर में एक ऐतिहासिक मंदिर की 6 एकड़ जमीन पर अवैध कब्जे के खिलाफ प्रदर्शन किया. यह विरोध प्रदर्शन कराची से लगभग 185 किलोमीटर दूर मूसा खातियान जिले के टांडो जाम कस्बे में रविवार को हुआ. हिंदू समुदाय की नेता सीतल मेघवार ने मीडिया से कहा, 'इन लोगों ने मूसा खातियान में शिव मंदिर शिवाला की जमीन पर पहले ही अवैध निर्माण शुरू कर दिया है.' महिलाओं और बच्चों सहित प्रदर्शनकारी पाकिस्तान दलित इत्तेहाद-पाकिस्तान द्रविड़ गठबंधन (PDI) के आह्वान पर बाहर आए, जो हिंदू समुदाय के कल्याण और अधिकारों के लिए लड़ता है.
सिंध में मंदिर और श्मशान भूमि पर कब्जा
समुदाय के एक अन्य नेता ने कहा, 'मंदिर हमारे लिए पवित्र है. इन बिल्डरों ने समुदाय के श्मशान घाट सहित मंदिर के आसपास की जमीन पर निर्माण शुरू कर दिया है.' प्रदर्शनकारियों ने सिंध में प्रभावशाली काशखेली समुदाय से संबंधित बिल्डरों के खिलाफ सरकार से तत्काल कार्रवाई की मांग की. शहर में विभिन्न स्थानों पर धरना देने के बाद टांडो जाम प्रेस क्लब के सामने प्रदर्शन किया गया. प्रदर्शनकारियों ने कहा कि बिल्डर ने शिव मंदिर तक पहुंचने के रास्ते भी बंद कर दिए हैं, जिससे समुदाय के सदस्यों के लिए साप्ताहिक पूजा-पाठ करना मुश्किल हो गया है.
पुलिस के खिलाफ भी जताई नाराजगी
पीडीआई के प्रमुख शिवा काची ने कहा, 'पुलिस और जिला प्रशासन को लिखित शिकायत देने के बावजूद कोई कानूनी कार्रवाई नहीं की गई है. जमीन हड़पने वालों के राजनीतिक प्रभाव के कारण पुलिस अतिक्रमण हटाने को तैयार नहीं है.' उन्होंने चेतावनी दी कि अगर सरकार और स्थानीय अधिकारियों ने इस पर ध्यान नहीं दिया तो वे अगले चरण में हैदराबाद शहर में विरोध प्रदर्शन करेंगे. साथ ही, न्याय की मांग के लिए अदालतों का भी दरवाजा खटखटाया जाएगा.
छत्तीसगढ़ में ऑपरेशन कगार, बांग्लादेश में विरोध – आखिर क्या है कनेक्शन?
2 Jun, 2025 04:47 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
भारत सरकार ने नक्सल और माओवादी विचारधारा खत्म करने के लिए ऑपरेशन कगार चलाया हुआ है. जिसके तहत छत्तीसगढ़ के बस्तर में नक्सलियों के खिलाफ सुरक्षा बलों को बड़ी कामयाबी मिली है. सुरक्षा बलों ने CPI (माओवादी) के महासचिव केशव राव उर्फ बासवराजू समेत तकरीबन 27 नक्सलियों को मार गिराया गया.जहां भारत में इसको सुरक्षाबलों की कामयाबी बताया जा रहा है, वहीं बांग्लादेश में इसके ऊपर आंसू बहाए जा रहे हैं. बांग्लादेश की एक संस्थान, जिससे पहले यूनुस भी जुड़े थे, उसनके 71 प्रमुख लोगों ने भारत में हुई इन हत्याओं का विरोध किया है और इस ऑपरेशन को माओवादी अवाजों को दबाने के लिए सोची समझी साजिश बताया गया है.
ऑपरेशन कगार को बताया राज्य आतंकवाद
रविवार को एक बयान जारी करते हुए इन नागरिकों ने कहा कि 21 मई को नरेंद्र मोदी सरकार के सैन्य अभियान ‘ऑपरेशन कगार’ में भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (माओवादी) के महासचिव बसव राज समेत 28 माओवादी राजनीतिक कार्यकर्ता मारे गए. हत्या के बाद एनकाउंटर का नाटक रचा गया है. साथ ही उन्होंने दावा किया कि तथाकथित माओवादी दमन अभियान के नाम पर एक योजनाबद्ध राज्य आतंकवाद चलाया जा रहा है, बयान में कहा गया है, “हम, बांग्लादेश की प्रगतिशील और लोकतांत्रिक आवाजें, इस हत्या सहित ऑपरेशन कगार के दौरान की गई सोची समझी राज्य हत्याओं की कड़ी निंदा और विरोध करते हैं.”
ऑपरेशन कगार को बंद करे भारत सरकार
बयान जारी करते हुए इन बांग्लादेशी नागरिकों ने मांग की है कि ऑपरेशन कगार को तत्काल बंद किया जाए. साथ ही बयान में दुनिया भर के क्रांतिकारी, लोकतांत्रिक, प्रगतिशील और मानवाधिकार संगठनों से भारत के मूलनिवासी और उत्पीड़ित लोगों के साथ खड़े होने का आह्वान किया है.
भारत में वामपंथ पार्टियां कर रही विरोध
इस ऑपरेशन का बांग्लादेश में ही नहीं भारत में भी विरोध हो रहा है. वामपंथ विचारधारा के संघठन भी इस ऑपरेशन का विरोध करल रहे हैं. वहीं कई नेताओं ने मांग की है इसको रोका जल्द से जल्द रोका जाए.
पोलैंड चुनाव में करोल नवरोकी की जीत, क्या बदलेंगे पूर्वी यूरोप के युद्ध समीकरण?
2 Jun, 2025 01:47 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
पोलैंड: पोलैंड के राष्ट्रपति चुनाव में कंजर्वेटिव नेता करोल नवरोकी ने कड़े मुकाबले में जीत हासिल कर ली है. मतगणना के अंतिम आंकड़ों के मुताबिक नवरोकी को इस बेहद करीबी मुकाबले में 50.89 फीसदी मत हासिल हुए. जबकि उनके प्रतिद्वंद्वी वारसॉ के मेयर रफाल ट्रजास्कोव्स्की को 49.11 प्रतिशत वोट मिले.
रूस-यूक्रेन युद्ध पर क्या असर डालेगी नवरोकी की जीत?
रूस-यूक्रेन युद्ध मौजूदा वक्त में यूक्रेनी सेना द्वारा रूस के 5 एयरबेस पर बड़े ड्रोन हमले से 3 साल के अपने सबसे घातक दौर में पहुंच चुका है. रूस यूक्रेन पर भारी पलटवार कर सकता है. ऐसे में पोलैंड के राष्ट्रपति चुनाव में कंज़र्वेटिव उम्मीदवार करोल नवरोकी की संभावित जीत रूस-यूक्रेन युद्ध पर महत्वपूर्ण असर डाल सकती है. बता दें कि नवरोकी दक्षिणपंथी पार्टी 'लॉ एंड जस्टिस'के करीबी माने जाते हैं. उन्होंने ने अपने चुनावी अभियान में यूक्रेन के प्रति पोलैंड की नीति को लेकर कई निर्णायक संकेत दिए हैं.
यूक्रेन को पोलैंड का सैन्य समर्थन और सहयोग हो सकता है कम
नवरोकी ने स्पष्ट रूप से कहा है कि जब तक पोलैंड के लिए ऐतिहासिक रूप से संवेदनशील मुद्दे जैसे वोल्हिनिया नरसंहार हल नहीं होते, तब तक वे यूक्रेन को नाटो या यूरोपीय संघ में शामिल करने के पक्ष में नहीं हैं. उनका यह भी कहना है कि अब तक पोलैंड ने यूक्रेन को पर्याप्त सहायता दी है, लेकिन आगे के रिश्ते 'प्रतिस्पर्धा' और 'राष्ट्रीय हितों' पर आधारित होंगे न कि केवल सहयोग पर. नवरोकी यूक्रेन में पोलिश सैनिकों की तैनाती के भी खिलाफ हैं. इससे जाहिर है कि यूक्रेन को पोलैंड का सैन्य समर्थन और सहयोग नवरोकी के राष्ट्रपति बनने के बाद कम हो सकता है. यह यूक्रेन के लिए बड़ा झटका होगा.
नवरोकी की रुख से यूक्रेन के सहयोगी भी चिंतित
नवरोकी के रुख से सिर्फ यूक्रेन ही नहीं बल्कि उसके सहयोगी भी चिंतित हैं. यूक्रेन खुद भी पोलैंड का समर्थन कम होने की आशंका से घबराया हुआ है. ऐसे वक्त में यूक्रेनी राष्ट्रपति व्लादिमिर ज़ेलेंस्की ने नवरोकी के रुख पर चिंता जताते हुए कहा कि यदि यूक्रेन नाटो का हिस्सा नहीं बनता, तो रूस पोलैंड की सीमाओं तक पहुंच सकता है. हालांकि यूक्रेन को आंशिक राहत की बात यह है कि नवरोकी का रुख रूस के प्रति भी नरम नहीं है.
फिलिस्तीन समर्थक का आतंक, मोलोटोव कॉकटेल से हमला कर 6 को किया घायल
2 Jun, 2025 12:47 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
अमेरिका: अमेरिका में एक आतंकी घटना सामने आई है. अमेरिका के कोलोराडो राज्य के बोल्डर इलाके में रविवार को एक शख्स ने कई लोगों पर जानलेवा हमला किया है. ये हमला मोलोटोव कॉकटेल से किया गया है. जो कि एक पेट्रोल बम की तरह काम करता है. इस हमले में 6 लोग गंभीर रूप से झुलस गए हैं. इस घटना को लेकर अमेरिका की खुफिया एजेंसी एफबीआई ने कहा कि ये एक टार्गेट आतंकी हमला है.
एक मॉल के बाहर किया गया हमला
इजरायली बंधकों की याद में बोल्डर के आउटडोर मॉल के बाहर कुछ लोग एकत्र हुए थे. तभी वहां पर एक फिलिस्तीन समर्थक आ गया. उसने वहां पर खड़े लोगों के एक समूह पर मोलोटोव कॉकटेल (पेट्रोल बम) फेंक दिया. इससे कम से कम छह लोग झुलस गए.
फ्री फिलिस्तीन का लगाया नारा
हमलावर की पहचान मोहम्मद सबरी सोलिमन के रूप में हुई है. भीड़ पर हमला करने के बाद मोहम्मद सोलिमन ने 'फ्री फिलिस्तीन' का नारा भी लगाया. तभी उसे हिरासत में ले लिया गया. स्थानीय पुलिस ने कहा कि यह हमला गाजा में रह रहे इजरायली बंधकों की याद में आयोजित एक कार्यक्रम में किया गया है. बोल्डर पुलिस प्रमुख स्टीफन रेडफर्न ने कहा कि उनके पास जो जानकारी है, वह अभी बहुत प्रारंभिक है.
काश पटेल ने कहा- ये आतंकी घटना
एफबीआई के डायरेक्टर ने इसे आतंकी घटना करार दिया है. हालांकि, पुलिस अधिकारियों का कहना है कि हमले के पीछे का मकसद जानना अभी जल्दबाजी होगी. पुलिस प्रमुख ने कहा कि गवाहों से अभी पूछताछ की जा रही है.
दोनों हाथों में लिए था मोलोटोव कॉकटेल की बॉटल
हिरासत में लिए जाने के दौरान हमलावर सोलिमन भी घायल हो गया है. उसे इलाज के लिए अस्पताल में भर्ती कराया गया है. घटनास्थल से एक वीडियो में मिला है, जिसमें एक शख्स चिल्लाता हुआ दिखाई दिया, 'वह वहीं है. वह मोलोटोव कॉकटेल फेंक रहा है.' तभी एक पुलिस अधिकारी अपनी बंदूक निकाले हुए नंगे सीने वाले संदिग्ध की ओर आगे बढ़ा. उसके दोनों हाथों में मोलोटोव कॉकटेल की बॉटल लिए था. तभी उसे हिरासत में ले लिया गया.
पहले भी अमेरिका में हुई थी, ऐसी घटना
इजरायल और हमास के बीच युद्ध वैश्विक तनाव की ओर बढ़ा रहा है. इसने अमेरिका में यहूदी विरोधी हिंसा में वृद्धि में योगदान दिया है. यह घटना वाशिंगटन में दो इजरायली दूतावास के कर्मचारियों की शिकागो में एक व्यक्ति द्वारा घातक गोलीबारी के एक सप्ताह से अधिक समय बाद हुई है. जिसने चिल्लाते हुए कहा था, 'मैंने यह फिलिस्तीन के लिए किया, मैंने यह गाजा के लिए किया है.'
टिकटॉक रील्स ने दिलाई जेल की हवा, मिस्र में कंटेंट क्रिएटर्स को 3 साल की सजा
2 Jun, 2025 12:28 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
मिस्र: मिस्र की एक अदालत कई कंटेंट क्रिएटर्स को सिर्फ इस वजह से 3 साल की सजा सुना दी गई कि उन्होंने महिलाओं के कपड़े पहने थे. मिस्र इस्माइलिया आर्थिक न्यायालय ने शनिवार को अपने फैसले में कहा कि क्रिएटर्स ने सोशल मीडिया साइट टिक टॉक पर अश्लील वीडियो पोस्ट किए थे. ये मामला मार्च के बीच में शुरू हुआ, जब रमजान के दौरान सिनाई के शहर दहाब में सुरक्षा अधिकारियों ने महिलाओं के कपड़े पहने और अजीब व्यवहार करने वाले लोगों के एक समूह को देखा. वे शहर के समुद्र तट की यात्रा से बस से लौट रहे थे. सुरक्षा सूत्रों के मुताबिक अल-जीन और उसके दोस्त पर इस समूह का हिस्सा होने का संदेह था और वे महिलाओं के कपड़े पहने हुए और मेकअप किए हुए पाए गए, जिसके वजह से अधिकारियों ने उन्हें जांच के लिए हिरासत में ले लिया था.
टिक टॉक पर महिला बन वीडियो बनाना पड़ा भारी
जांच के दौरान अल-ज़ीन ने अपना बचाव करते हुए कहा कि वीडियो का उद्देश्य मनोरंजन करना और फॉलोअर्स बढ़ाना था और उनका सामाजिक मूल्यों का उल्लंघन करने का कोई इरादा नहीं था. लेकिन अदालत ने उनकी एक न सुनी और 2018 के साइबर अपराध विरोधी कानून का हवाला दिया, जो ‘मिस्र के पारिवारिक मूल्यों और सिद्धांतों के विपरीत’ समझी जाने वाली सामग्री के प्रकाशन को आपराधिक बनाता है, साथ ही साथ भ्रष्टाचार के लिए उकसाने से संबंधित लेखों को भी आपराधिक बनाता है.
मिस्र पुलिस को अल-जीन की वीडियो से क्या दिक्कत थी?
जांच में अधिकारियों ने पाया कि अल-ज़ीन, जिसका टिक टॉक पर बड़ा फॉलोअर्स बैस है, एक महिला की तरह क्रॉस-ड्रेसिंग और अनुचित तरीके से डांस करते हुए खुद के वीडियो पोस्ट कर रहा था. जिसे अभियोजन पक्ष ने सार्वजनिक नैतिकता के विपरीत और व्यभिचार को उकसाने वाला माना. इस मामले ने एक बार फिर अभिव्यक्ति की आजादी की वकालत करने वालों में विरोध पैदा किया है.
मेक्सिको में रिहैब सेंटर बना मौत का घर: नशा मुक्ति केंद्र में भीषण आग, 12 की मौत
2 Jun, 2025 10:28 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
मेक्सिको: मेक्सिको के गुआनाजुआटो राज्य के सैन होसे इतुर्बे कस्बे में रविवार को एक नशा मुक्ति केंद्र में भीषण आग लग गई. इस हादसे में अब तक 12 लोगों की मौत हो चुकी है और कम से कम 3 अन्य घायल हो गए हैं. स्थानीय प्रशासन ने बताया कि आग लगने के कारणों की जांच जारी है. हादसे में हताहतों का आंकड़ा अभी और भी बढ़ सकता है.नगरपालिका ने कहा कि वह अभी भी इस बात की जांच कर रही है कि घातक आग किस कारण लगी. उन्होंने एक बयान में कहा कि हम उन लोगों के परिवारों के साथ अपनी संवेदना व्यक्त करते हैं जो नशे की लत से उबरने की कोशिश करते हुए मारे गए हैं.
अंतिम संस्कार के खर्च का भुगतान करेगी सरकार
नगरपालिका ने कहा कि वह मारे गए लोगों के अंतिम संस्कार के खर्च का भुगतान करने में मदद करेगी. एक रिपोर्ट्स ने रविवार को बताया कि आग के पीड़ितों को पुनर्वास केंद्र के अंदर बंद कर दिया गया था. फरवरी में, मेक्सिको सिटी के एक पुनर्वास केंद्र में आग लगने से पांच लोग मारे गए थे.
आपराधिक गिरोह की साजिश
फिलाहाल आग के कारणों की जांच जारी है. हालांकि, इस बात की आशंका बढ़ रही है कि यह आपराधिक गिरोह की गतिविधि से जुड़ा हो सकता है. इस क्षेत्र में सक्रिय ड्रग कार्टेल पहले भी ऐसे क्लीनिकों को निशाना बनाकर मरीजों को जबरन अपने समूह में भर्ती करने की कोशिश कर चुके हैं.
नशा मुक्ति केंद्र पर हमला
रविवार को जारी एक बयान में कहा गया कि विशेषज्ञ इस दुखद घटना के कारणों का पता लगाने के लिए सबूत इकट्ठा कर रहे हैं और गवाहों से पूछताछ कर रहे हैं. यह पहली बार नहीं है जब किसी नशा मुक्ति केंद्र पर हमला हुआ है. अप्रैल में, बंदूकधारियों ने सिनालोआ में इसी तरह की एक सुविधा पर हमला किया था, जिसमें कम से कम नौ लोग मारे गए थे. अधिकारियों का मानना है कि कार्टेल अक्सर उन मरीजों को मार देते हैं जो उनके साथ शामिल होने से इनकार करते हैं.