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नेपाल में महसूस किए गए भूकंप के झटके, लोगों में दहशत का माहौल
15 Apr, 2025 01:08 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
नेपाल। भूकंप आने का सिलसिला थमने का नाम ही नहीं ले रहा है। अब भारत के पड़ोसी देश नेपाल में भी भूकंप आया जिससे वहां की धरती डोल गई। नेशनल सेंटर फॉर सीस्मोलॉजी के मुताबिक, रिक्टर स्केल पर नेपाल में आए भूकंप की तीव्रता 4.0 मापी गई है। लोगों में दहशत का माहौल है, वो अपने घरों से बाहर निकल आए।
ये भूकंप उस समय आया जब लोग सो रहे थे और उन्हें एहसास हुआ कि उनके पलंग हिल रहे हैं। एनसीएस के अनुसार, नेपाल में भूकंप 25 किमी की गहराई पर आया, जिस वजह से तेज झटके महसूस हुए। NCS के मुताबिक, ये भूकंप सुबह 4: 30 बजे आया। वहीं जापान में भी भूकंप आया जिसकी तीव्रता रिक्टर स्केल पर 4.6 मापी गई है।
इन भूकंप से होता ज्यादा नुकसान
जो भूकंप ऊपर-ऊपर आता है गहरे भूकंपों की तुलना में खतरनाक होते है क्योंकि पृथ्वी की सतह के नजदीक होने पर उनकी ऊर्जा ज्यादा निकलती है, जिससे ज़मीन ज़्यादा हिलती है और संरचनाओं को ज्यादा नुकसान होता है और हताहत होते हैं, जबकि गहरे भूकंप सतह पर आने पर ऊर्जा खो देते हैं।
म्यांमार में आया था 7.7 तीव्रता का भूकंप
इससे पहले म्यांमार में 28 मार्च को आए 7.7 रिक्टर स्केल के भूकंप ने भारी तबाही मचाई जिसमें 3 हजार से ज्यादा लोगों की मौत हो गई और हजारों लोग लापता और घर से बेघर हो गए। भारत ने म्यांमार और थाईलैंड की हर संभव मदद की। साथ ही तिब्बत में भी कुछ दिन पहले भूकंप के झटके महसूस किए गए थे।
जॉर्जिया सीनेट में बिल 375 पेश, हिंदू आस्था पर हमले पर सख्त सजा का प्रावधान
15 Apr, 2025 12:30 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
अमेरिकी राज्य जॉर्जिया में अब हिंदूफोबिया और मंदिरों पर हमला करने पर कड़ी सजा मिलेगी। राज्य की सीनेट में सीनेटर स्टिल ने विधेयक 375 पेश किया है। विधेयक पेश होने के बाद हिंदुओं में खुशी की लहर है। उत्तरी अमेरिका के हिंदुओं के गठबंधन (COHNA) ने स्वागत किया है। यह पहली बार है जब किसी अमेरिकी राज्य ने वैधानिक स्तर पर ऐसा कदम उठाया है।
उत्तरी अमेरिका के हिंदुओं के गठबंधन (CoHNA) ने कहा कि वह जॉर्जिया सीनेट में सीनेट विधेयक 375 की शुरूआत का गर्व से स्वागत करता है। संगठन ने इसे राज्य दंड संहिता में हिंदूफोबिया और हिंदू विरोधी घृणा को औपचारिक रूप से मान्यता देने का ऐतिहासिक कदम कहा। संगठन ने कहा कि यह ऐतिहासिक कानून प्रवर्तन और राज्य एजेंसियों को पूर्वाग्रह और भेदभाव की घटनाओं का दस्तावेजीकरण और प्रतिक्रिया करते हुए हिंदूफोबिया को ध्यान में रखने में सक्षम बनाता है। संगठन के सह-संस्थापक और उपाध्यक्ष राजीव मेनन ने कहा कि यह जॉर्जिया और पूरे अमेरिका में हिंदू समुदाय के लिए एक महत्वपूर्ण क्षण है।
उन्होंने कहा कि यह विधेयक न केवल हिंदू विरोधी घृणा की बढ़ती घटनाओं का जवाब है, बल्कि यह इस बात की पुष्टि भी है कि हमारा समुदाय कानून के तहत समान संरक्षण का हकदार है। इसमें योगदान देता है और समान सुरक्षा का हकदार है। संगठन ने कहा कि जॉर्जिया के हिंदुओं के नेतृत्व और वकालत के बिना विधायी प्रयास सफल नहीं हो पाता, जिनके सांसदों के साथ गहन जुड़ाव और जमीनी स्तर पर लामबंदी ने विधेयक को पारित कराने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। संगठन ने कहा कि यह समर्थन हिंदू धर्म को मानने वालों सहित सभी अमेरिकियों के अधिकारों और स्वतंत्रता की रक्षा के लिए बढ़ती प्रतिबद्धता को दर्शाता है।
जॉर्जिया पीएसी के हिंदू बोर्ड की सदस्य शोभा स्वामी ने कहा कि बिल पेश करने वाले सीनेटर स्टिल हमेशा से हिंदू समुदाय के कट्टर समर्थक रहे हैं। हिंदूफोबिया से लड़ने के लिए उनकी प्रतिबद्धता हमारे लिए आशा की किरण रही है।
दो रिपब्लिकन और डेमोक्रेटिक सीनेटरों ने पेश किया विधेयक
सीनेटर स्टिल ने चार अप्रैल को सीनेटर इमैनुएल जोन्स, जेसन एस्टेव्स और क्लिंट डिक्सन के साथ जॉर्जिया स्टेट सीनेट में विधेयक 375 पेश किया। सीनेटर स्टिल और डिक्सन रिपब्लिकन पार्टी से हैं, सीनेटर जोन्स और एस्टेव्स डेमोक्रेटिक पार्टी से हैं।
स्टिल ने कहा कि सीनेट बिल 375 जॉर्जिया और संभवतः पूरे देश में अपनी तरह का पहला बिल है, जो राज्य के आपराधिक कोड में घृणा अपराधों की सूची में हिंदूफोबिया को जोड़ता है। इसका मतलब है कि अगर कोई हिंदू के खिलाफ उसकी आस्था के आधार पर कोई गैरकानूनी काम करता है, तो इस अपराध के लिए सजा बढ़ा दी जाएगी। जैसा कि हमने पिछले साल बांग्लादेश में हिंदुओं के खिलाफ हिंसा में देखा है, इस प्रकार के अपराध को जॉर्जिया राज्य में कभी बर्दाश्त नहीं किया जाएगा और हमारे देश में इसके लिए कोई जगह नहीं है।
उन्होंने कहा कि इस साल के लिए विधायी सत्र समाप्त हो चुका है, लेकिन अगले जनवरी में सत्र फिर से शुरू होने पर विधेयक पर कार्रवाई की जाएगी। यह विधेयक संभवतः पहले सीनेट न्यायपालिका समिति के पास जाएगा और क्योंकि मैं इस नीति समिति में काम करता हूं, मुझे विश्वास है कि इस पर विचार-विमर्श किया जाएगा। उन्होंने सभी से जॉर्जिया को धार्मिक घृणा से मुक्त राज्य बनाने, धार्मिक स्वतंत्रता का समर्थन करने और हिंदूफोबिया को समाप्त करने के लिए मिलकर काम करने का आह्वान किया।
ट्रंप ने हार्वर्ड से मांगे नियमों में बदलाव, इंकार के बाद ग्रांट पर रोक
15 Apr, 2025 11:53 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप जहां एक तरफ कई देशों पर टैरिफ लगा रहे हैं. वहीं, अब टैरिफ के चाबुक के साथ ट्रंप प्रशासन का हंटर यूनिवर्सिटी ग्रांट पर भी चल गया है. व्हाइट हाउस ने हार्वर्ड यूनिवर्सिटी को दिए जाने वाले 2.2 बिलियन डॉलर की ग्रांट पर रोक लगा दी है. साथ ही ट्रंप प्रशासन ने कथित तौर पर हार्वर्ड यूनिवर्सिटी के 60 मिलियन डॉलर के कॉन्ट्रैक्ट पर भी रोक लगा दी है.
यूनिवर्सिटी पर यह एक्शन तब लिया गया है जब यूनिवर्सिटी ने ट्रंप प्रशासन के कैंपस एक्टिविज्म को रोकने की मांग का पालन करने से इंकार कर दिया. स्कूल ने कहा था कि वो कैंपस एक्टिविज्म पर अंकुश लगाने की मांगों का पालन नहीं करेगा. राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने हार्वर्ड यूनिवर्सिटी को एक पत्र जारी कर कुछ नियमों में बदलाव करने की मांग की थी, लेकिन ट्रंप प्रशासन के इस लेटर के जारी होने के बाद यूनिवर्सिटी में विरोध प्रदर्शन हुआ. इसी के बाद यूनिवर्सिटी ने इन आदेशों को मानने से इंकार कर दिया.
क्यों लगाई गई रोक?
ट्रंप प्रशासन ने यूनिवर्सिटी को शुक्रवार को एक पत्र भेजा था. इस पत्र में राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के प्रशासन ने हार्वर्ड यूनिवर्सिटी से व्यापक बदलावों को लागू करने के लिए कहा था, जिसमें “योग्यता-आधारित” (Merit Base) एंट्री और भर्ती प्रथाओं को अपनाना, छात्रों का ऑडिट करना, विविधता के बारे में उनके विचारों पर नेतृत्व करना और फेस मास्क पर प्रतिबंध लगाना शामिल है. दरअसल, यह कदम फिलिस्तीन समर्थक प्रदर्शनकारियों को रोकने के मकसद से थे.
डोनाल्ड ट्रंप प्रशासन ने यूनिवर्सिटी से “आपराधिक गतिविधि, अवैध हिंसा या अवैध उत्पीड़न” को बढ़ावा देने वाले किसी भी छात्र ग्रुप के लिए फंडिंग या मान्यता में कटौती करने को भी कहा.
यूनिवर्सिटी ने क्या कहा?
हार्वर्ड के अध्यक्ष एलन गार्बर ने सोमवार को इस पत्र को लेकर कहा, , मांगों को यूनिवर्सिटी के प्रथम संशोधन अधिकारों का उल्लंघन कहा और शीर्षक VI के तहत संघीय प्राधिकरण का अतिक्रमण बताया, जो नस्ल, रंग या राष्ट्रीय मूल के आधार पर भेदभाव को रोकता है.
हार्वर्ड के अध्यक्ष एलन गारबर ने कहा, किसी भी सरकार को – चाहे कोई भी पार्टी सत्ता में हो – यह निर्देश नहीं देना चाहिए कि निजी यूनिवर्सिटी क्या पढ़ा सकते हैं, वो किसे यूनिवर्सिटी में एंट्री दे सकते हैं और नियुक्त कर सकते हैं और वे अध्ययन और जांच के किन क्षेत्रों में आगे बढ़ सकते हैं.
हार्वर्ड में टीचिंग और सीखने को कंट्रोल करने के लिए, कानून के बिना सिर्फ पॉवर से ये लक्ष्य हासिल नहीं किया जाएगा. उन्होंने कहा, हमारी कमियों को दूर करने का काम एक समुदाय के रूप में परिभाषित करना और करना हमारा काम है.
गार्बर ने स्वीकार किया कि यूनिवर्सिटी ने “यहूदी विरोधी भावना को संबोधित करने के लिए व्यापक सुधार” किए हैं, लेकिन जोर देकर कहा कि ये बदलाव हार्वर्ड की शर्तों पर किए जाने चाहिए, न कि “सरकारी आदेश” के आधार पर.
कई यूनिवर्सिटी की रोकी ग्रांट
प्रशासन ने कई विश्वविद्यालयों पर गाजा में इज़राइल के युद्ध पर विरोध प्रदर्शन के दौरान यहूदी विरोधी भावना को अनियंत्रित होने देने का आरोप लगाया है – इस दावे से स्कूल इनकार करते हैं. पेंसिल्वेनिया, ब्राउन और प्रिंसटन यूनिवर्सिटी के लिए संघीय फंडिंग भी रोक दी गई है. इसी के बाद कोलंबिया यूनिवर्सिटी को भी एक पत्र भेजा गया, इसी के बाद यूनिवर्सिटी ने महत्वपूर्ण नीतिगत बदलाव किए.
यूनिवर्सिटी में हुआ प्रदर्शन
इस पत्र के सामने आने के बाद छात्रों, शिक्षकों और कैम्ब्रिज निवासियों ने विरोध प्रदर्शन किया. शुक्रवार को, अमेरिकन एसोसिएशन ऑफ यूनिवर्सिटी प्रोफेसर्स ने एक मुकदमा दायर किया, जिसमें तर्क दिया गया कि प्रशासन फंडिंग रोकने से पहले शीर्षक VI के तहत जरूरी कानूनी कदमों का पालन करने में विफल रहा.
अमेरिका में मंदी के संकेत, ट्रंप के टैरिफ का असर सैलून और ब्यूटी इंडस्ट्री पर साफ
15 Apr, 2025 11:45 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के टैरिफ लागू करने के बाद पूरे विश्व में भूचाल आ गया है. दुनिया भर में इसके नकारात्मक प्रभाव दिखाई दे रहे हैं. इससे अमेरिका भी अछूता नहीं रहा है, ट्रंप का टैरिफ कार्ड उनके देशवासियों पर भी भारी पड़ रहा है. ज्यादतर अमेरिकी मानते हैं कि उनके देश में मंदी आ सकती है. इसका संकेत हेयर ड्रेसर्स और ब्यूटी एक्सपर्ट्स के सैलून में मिलने लगा है.
हेयरड्रेसर और ब्यूटी एक्सपर्ट्स का कहना है कि ग्राहक यहां सस्ती सेवाएं पसंद कर रहे हैं और अपॉइंटमेंट के बीच का समय बढ़ा रहे हैं. न्यूयॉर्क के वेस्टसाइड में हाल ही में 32 हजार से ज्यादा स्पा टेक्नीशियंस, हेयरस्टाइलिस्ट, क्रिस्टल और मेकअप आर्टिस्ट एक ट्रड शो में हिस्सा लेने आए, जहां सभी का मानना कि अमेरिकी कस्टमर अपने गैर जरूरी खर्च में कटौती कर रहे हैं. ये सभी संकेत आने वाली मंदी की तरफ इशारा कर रहे हैं.
2008 की मंदी जैसे हालात?
1999 से अभी तक अमेरिका में तीन बार आर्थिक मंदी आ चुकी है. मसाज थेरेपिस्ट क्रिस्टी पॉवर्स कहती हैं, ये 2008 जैसा ही लग रहा है, पॉवर्स ने बताया कि उनके ज्यादातर ग्राहक नौकर पैशा हैं और वे उन्हें बता रहे हैं कि वे तनाव में है. बहुत सारे लोग पैसे बचाने के लिए उनकी सेवाएं लेना पूरी तरह से बंद कर रहे हैं.
मैनहून से लेकर न्यू हेम्पशायर के ग्रामीण इलाकों तक के स्टाइलिस्ट देख रहे है कि उनके नियमित ग्राहक अब हेयर कैंटर पर खर्च घटा रहे है. टैरिफ की धमकी से पहले ही, कुछ ग्राहक महंगाई की वजह से खर्च घटा रहे थे. लेकिन टैरिफ के बाद येसंख्या बढ़ गई है.
क्या कहते हैं जानकारी?
दुनियाभर के कई अर्थशास्त्री ब्यूटी झेलून और कॉस्मेटिक पर खर्च घटने या सस्ती चीजों की बिक्री बढाने को मंदी की शुरुआत का संकेत मानते हैं. यानी लोगों के खर्च करने की क्षमता काम हो रही है. हालांकि ये मंदी की शुरुआत है या नहीं, इसका पता महीनों बाद ही लग पाएगा.
ब्यूटी इंडस्ट्री भी हुई डाउन
ब्यूटी इंडस्ट्री में इस्तेमाल होने वाले हे प्रोडक्ट्स लोशन, क्रीम और जेल दुनिया भर से आते हैं, साथ ही कुछ केमिकल और पैकेजिंग मटेरियल सिर्फ चीन में ही उपलब्ध हैं. ट्रंप ने चीन से आयात होने वाले सामान पर 145 फीसद टैरिफ लगाया है. जिससे महंगाई आसमान छू रही है.
गाजा में सीजफायर टूटने के बाद अमेरिका ने यमन में हूतियों पर हमले तेज किए
15 Apr, 2025 11:34 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
अमेरिका ने पिछले महीने यमन के हूती विद्रोहियों के खिलाफ के अपना बमबारी अभियान शुरू किया था, इसकी शुरुआत 18 मार्च को इजराइल के गाजा में सीजफायर तोड़ने के साथ ही हो गई थी. इजराइल की बमबारी ने गाजा में बुरी तबाही मचाई है और लगातार नागरिकों यहां जान जा रही है. यमन का भी अमेरिका ने कुछ ऐसा ही हाल कर रखा है.
यमन के राजधानी सना के स्वास्थ्य अधिकारियों ने जानकारी दी कि मार्च के मध्य से यमन में अमेरिका के बमबारी अभियान में कम से कम 123 लोग मारे गए हैं, जिनमें से ज्यादातर नागरिक हैं. साथ ही इन हमलों में 247 लोग घायल भी हुए हैं, घायलों में भी कई महिलाएं और बच्चे भी शामिल हैं.
ट्रंप की धमकी के बाद भी डटे हैं हूती
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कसम खाई है कि अमेरिका की सेना के रोजाने के हमलों के तहत हूतियों को ‘पूरी तरह से नष्ट’ कर दिया जाएगा।. वाशिंगटन का कहना है कि उसके अभियान का मकसद इजराइल के साथ-साथ लाल सागर में शिपिंग लेन के खिलाफ हूती हमलों को रोकना है.
हालांकि, हूती समूह ने तब तक अपने सैन्य अभियान जारी रखने का वादा किया है जब तक कि इजराइल फिलिस्तीनियों पर अपने हमले बंद नहीं कर देता.
ट्रंप के मुताबिक उनके हमलों से हूती बहुत कमज़ोर हो गए है. लेकिन यमन समूह का कहना है कि अमेरिकी आक्रमण विफल साबित हुआ है और सिर्फ नागरिक अधिकारियों और नागरिक बुनियादी ढांचे को निशाना बना रहा है और उनकी हमला करने के कैपेबिलिटी अभी भी बरकरार है.
गाजा में सीजफायर टूटने के बाद तबाही
18 मार्च को इजराइल की ओर से युद्ध फिर से शुरू करने के बाद से लगभग 1600 लोग मारे गए हैं, साथ ही गाजा में मानवीय स्थिति और खराब हो गई है. हालांकि की एक और सीजफायर प्लान पर फिर से बात शुरू हुई है.
रूस का सूमी पर घातक हमला, अमेरिका ने ज़ेलेंस्की पर डाली ज़िम्मेदारी
15 Apr, 2025 11:25 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
यूक्रेन के शहर सूमी में सोमवार को हुए रूसी हमले का पूरी दुनिया में विरोध हो रहा है. सूमी पर इस रूसी स्ट्राइक ने कम से कम 35 लोगों की जान ली है. लेकिन अमेरिकी राष्ट्रपति ने एक बार फिर वोलोडिमिर ज़ेलेंस्की को इस युद्ध का दोषी ठहराया है और कहा कि उन्हें ‘लाखों’ लोगों की मौत के लिए रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और जो बिडेन के साथ जिम्मेदारी साझा करनी होगी.
साथ ही उन्होंने रूस के साथ युद्ध की शुरुआत को जेलेंस्की की बेवकूफी बताया है और कहा है कि 20 गुना बड़े व्यक्ति से युद्ध नहीं करना चाहिए. जेलेंस्की के साथ-साथ ट्रंप पूर्व राष्ट्रपति जो बाइडेन पर भी बरसे हैं.
पुतिन के साथ-साथ जेलेंस्की और बाइडेन भी जिम्मेदार
डोनाल्ड ट्रंप ने अल साल्वाडोर के राष्ट्रपति के साथ बैठक के बाद युद्ध में मारे गए लाखों का जिम्मेदार पुतिन, जेलेंस्की और बाइडेन को बताया है. ट्रंप ने मीडिया से बात करते हुए कहा, “मान लीजिए पुतिन पहले नंबर पर हैं, लेकिन मान लीजिए बिडेन, जिन्हें पता ही नहीं था कि वे क्या कर रहे हैं, दूसरे नंबर पर हैं और ज़ेलेंस्की. तीन लोगों की वजह से लाखों लोग मारे गए.” उन्होंने आगे कहा, “और मैं बस इतना ही कर सकता हूं कि इसे रोकने की कोशिश करूं.”
20 गुना बड़े व्यक्ति से युद्ध नहीं करना चाहिए
ट्रंप ने युद्ध में जेलेंस्की की रणनीति की खूब आलोचना की है ट्रंप ने कहा, “जब आप युद्ध शुरू करते हैं, तो आपको पता होना चाहिए कि आप युद्ध जीत सकते हैं. आप अपने से 20 गुना बड़े किसी व्यक्ति के खिलाफ युद्ध शुरू नहीं करते हैं और फिर उम्मीद करते हैं कि लोग आपको कुछ मिसाइलें दे देंगे.”
साथ ही युद्ध विराम पर जारी बातचीत पर ट्रंप ने कहा कि कीव के साथ समझौता संभव है, हालांकि दोनों पक्षों के बीच यूक्रेन के महत्वपूर्ण खनिज संसाधनों पर अमेरिकी पहुंच सुनिश्चित करने के लिए बातचीत जारी है.
सऊदी अरब ने सीरिया को विश्व बैंक के कर्ज से उबारने का बीड़ा उठाया
15 Apr, 2025 11:08 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
सीरिया में असद का पतन करने वाले अहमद अल-शरा पर आजकल सऊदी अरब मेहरबान है. सिया शासक असद का तख्तापलट कर अल-शरा ने सीरिया का पुनिर्माण का जिम्मा उठाया है, लेकिन करीब 14 साल गृहयुद्ध आग में जले इस देश में यह आसान नहीं है. सीरिया के ऊपर विश्व बैंक के कर्जे का बड़ा बोझ है, जिसको उतारने के लिए सऊदी अरब आगे आया है.
परिचित तीन लोगों ने बताया कि सऊदी अरब विश्व बैंक को सीरिया का कर्ज चुकाने की योजना बना रहा है, जिससे पुनर्निर्माण के लिए और देश के खराब इंफ्रास्ट्रक्चर को फिर से खड़ा करने के लिए के लिए लाखों डॉलर के अनुदान की मंजूरी का रास्ता साफ हो जाएगा.
सऊदी अरब ने असद शासन के दौरान कभी सीरिया की इस तरह से मदद नहीं की है. ये सीरिया को वित्तपोषण प्रदान करने का पहला ज्ञात उदाहरण है, खबरों के मुताबिक सऊदी अरब ने असद शासन के दौरान HTS जैसे संगठनों को पर्दे के पीछे से सपोर्ट किया है.
सुन्नी देश हुए सीरिया के साथ
सऊदी का ये कदम सीरिया में सऊदी प्रभाव को बढ़ाने की दिशा और सुन्नी सरकार के समर्थन के लिए उठाया गया है. जानकार मानते हैं कि सऊदी अरब ईरान के पड़ोस में एक मजबूत सुन्नी सरकार देखना चाहता है. इसके अलावा सीरिया रणनीतिक लिहाज से एक महत्वपूर्ण खाड़ी देश है, इसमें अपने-अपने हित साधने के लिए दुनिया भर की ताकतें लगी हुई हैं.
इससे पहले कतर ने सीरिया के सरकारी कर्मचारियों को वेतन देने की पहल की थी, जो अमेरिकी प्रतिबंधों की अनिश्चितता के कारण रुकी हुई है. पिछले महीने कतर ने देश में बिजली आपूर्ति में सुधार के लिए जॉर्डन के जरिए से सीरिया को गैस उपलब्ध कराने की योजना का ऐलान किया था, सूत्रों ने बताया कि इस कदम को वाशिंगटन की मंजूरी मिल गई है.
हालांकि सीरिया का कर्ज उतारने के लिए सऊदी का अभी कोई अधिकारिक बयान नहीं आया है. सऊदी वित्त मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा, “हम अटकलों पर टिप्पणी नहीं करते, लेकिन जब वे आधिकारिक हो जाते हैं, तो हम घोषणाएं करते हैं.”
कितना है सीरिया पर कर्जा?
सीरिया पर विश्व बैंक का करीब 15 मिलियन डॉलर बकाया है, जिसको अंतरराष्ट्रीय मदद लेने से पहले चुकाना जरूरी है. लेकिन सूत्रो के मुताबिक दमिश्क के पास विदेशी मुद्रा की कमी है और विदेशों में जमा संपत्तियों से कर्जा भुगतान की पिछली योजना सफल नहीं हो पाई.
विश्व बैंक के अधिकारियों ने देश के पावर ग्रिड के पुनर्निर्माण में मदद करने के लिए पैसा देने पर चर्चा की है, जो सालों से युद्ध के वजह से बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो गया है. अब देखना होगा कि सऊदी की मदद से कब तक सीरिया वापस अपने पैरो पर खड़ा हो पाता है या अब ईरान की जगह वह सऊदी-कतर जैसे देशों की कठपुतली बनके रह जाएगा.
कीबोर्ड योद्धाओं की छुट्टी – रेसलिंग मैट से आया रीयल पंच!फर्जी एजेंडा वालों को विनेश का जवाब
14 Apr, 2025 08:25 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
हरियाणा में जुलाना से कांग्रेस विधायक विनेश फोगाट को सरकार की ओर से 4 करोड़ और प्लॉट की घोषणा पर घमासान मच गया है. जिसके बाद सोशल मीडिया पर लगातार सवाल कर रहे लोगों पर ओलंपियन पहलवान कांग्रेस विधायक विनेश फोगाट भड़क गईं और उन्होंने अपने फेसबुक पेज से ट्रोलर्स को करारा जवाब दिया.
विनेश फोगाट ने लिखा कि 2 रुपए लेकर ट्वीट करने वालों और फ्री का ज्ञान बांटने वालों… जरा ध्यान से सुनो. तुम्हारी जानकारी के लिए बता दूं, अब तक करोड़ों के ऑफर ठुकरा चुकी हूं. सॉफ्ट ड्रिंक्स से लेकर ऑनलाइन गेमिंग तक, पर मैंने कभी अपने उसूलों का सौदा नहीं किया. जो कुछ भी हासिल किया है, मेहनत की ईमानदारी और अपनों के आशीर्वाद से किया है और उसी पर गर्व है.
‘हक छीना नहीं जाता, जीता जाता है’
विनेश फोगाट ने आगे लिखा कि जहां तक मांगने की बात है, मैं उस धरती की बेटी हूं, जहां आत्मसम्मान मां के दूध में घुला होता है. मैंने अपने पूर्वजों से सीखा है हक छीना नहीं जाता, जीता जाता है. जरूरत पड़ने पर अपनों को पुकारना भी आता है, और जब कोई अपना तकलीफ में हो तो उनके साथ दीवार बनकर खड़ा रहना भी आता है.
विनेश फोगाट की पुरस्कार राशि पर विवाद
वहीं विनेश फोगाट की पुरस्कार राशि के विवाद के बीच उनकी चचेरी बहन बीजेपी नेत्री बबीता फोगाट ने कहा कि अगर मुझे करीब 15 साल पहले ऐसी खेल सुविधाएं मिलती तो मुझे खेल नहीं छोड़ने पड़ते. मैं ओलिंपिक खेलों तक पहुंची, मगर पदक नहीं जीत पाई और मुझे सुविधाओं के अभाव में खेल छोड़ने पड़े. बबीता फोगाट चरखी दादरी से बीजेपी के टिकट पर विधानसभा चुनाव लड़ चुकी हैं.
आत्मसम्मान के साथ खड़े
इस पर विनेश फोगाट ने एक्स पर लिखा कि, अब तो आप चुप रहो. कोने में बैठो और वो करो, जिसमें तुम सबसे अच्छे हो. रोओ, रोओ, रोओ… और बस रोओ! क्योंकि हम कहीं नहीं जा रहे हैं. हम यहां रहने के लिए हैं, जमीन से जुड़े हुए, अडिग, और अपनी रीढ़ और आत्म-सम्मान के साथ खड़े हैं! बता दें कि भविष्य में फोगाट बहनों का यह विवाद और अधिक बढ़ने की संभावना है.
वक्फ कानून बना कांग्रेस की साजिश का सबूत – हिसार में बोले पीएम मोदी
14 Apr, 2025 05:17 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हरियाणा के हिसार में एक जनसभा को संबोधित करते हुए कांग्रेस पर निशाना साधा. उन्होंने कहा कि कांग्रेस ने वक्फ कानून को ऐसा बनाया कि बाबा साहेब अंबेडकर के संविधान की ऐसी-तैसी कर दी. प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि कांग्रेस की कुनीति का सबसे बड़ा प्रमाण वक्फ कानून है. कांग्रेस ने 2013 में वक्फ कानून में संशोधन किए.
पीएम मोदी ने कहा कि कांग्रेस ने वक्फ को संविधान से ऊपर किया. कांग्रेस ने वोटबैंक को खुश करने के लिए आनन-फानन में संशोधन किया. कांग्रेस ने सिर्फ कुछ कट्टरपंथियों को ही खुश किया है. बाकी समाज बेहाल रहा, अशिक्षित रहा, गरीब रहा. कांग्रेस की इस कुनीति का सबसे बड़ा प्रमाण वक्फ कानून है. कांग्रेस के तुष्टीकरण का नुकसान मुस्लिम समाज को भी हुआ. कांग्रेस ने मुस्लिम अध्यक्ष क्यों नहीं बनाया?
अब नए वक्फ कानून के तहत किसी भी आदिवासी की जमीन को हिंदुस्तान के किसी भी कोने में उसकी संपत्ति को ये वक्फ बोर्ड हाथ भी नहीं लगा पाएगा. नए प्रावधानों से वक्फ की पवित्र भावना का सम्मान होगा. मुस्लिम समाज के गरीब और पसमांदा परिवारों, महिलाओं, खासकर मुस्लिम विधवाओं को, बच्चों को उनका हक भी मिलेगा और उनका हक सुरक्षित भी रहेगा. यही असली सामाजिक न्याय है.
कांग्रेस ने बाबा साहब का बार-बार अपमान किया
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि हमें यह कभी नहीं भूलना चाहिए कि कांग्रेस ने बाबा साहब अंबेडकर के साथ क्या किया? जब वे जीवित थे, तब पार्टी ने उनका बार-बार अपमान किया. उन्होंने उन्हें दो बार चुनाव हारा दिया. कांग्रेस उन्हें उखाड़ फेंकना चाहती थी, उन्होंने उन्हें सिस्टम से बाहर रखने की साजिश रची. उनकी मृत्यु के बाद, उन्होंने उनकी यादों को मिटाने की भी कोशिश की.
उन्होंने कहा कि बाबा साहब समानता के पक्षधर थे, लेकिन कांग्रेस ने पूरे देश में वोट बैंक की राजनीति का वायरस फैलाया. कांग्रेस ने हमारे पवित्र संविधान को सत्ता हासिल करने का एक हथियार बना दिया. जब-जब कांग्रेस को सत्ता का संकट दिखा उन्होंने संविधान को कुचल दिया. कांग्रेस ने आपातकाल में संविधान की स्पिरिट को कुचला, ताकि जैसे तैसे सत्ता बनी रहे.
हर दिन, हर फैसला, हर नीति..बाबा साहब को समर्पित
पीएम मोदी ने कहा कि बाबा साहब का जीवन, उनका संघर्ष और उनका जीवन संदेश हमारी सरकार की 11 साल की यात्रा का प्रेरणा-स्तंभ बना है. हर दिन, हर फैसला, हर नीति.. बाबा साहब को समर्पित है. वंचित, पीड़ित, शोषित, गरीब, आदिवासी, महिलाएं… इनके जीवन में बदलाव लाना, इनके सपनों को पूरा करना हमारा मकसद है. इसके लिए निरंतर विकास, तेज विकास यही भाजपा सरकार का मंत्र है.
ट्रंप की सत्ता गिराने का सपना, 17 साल के लड़के ने उठाया खौफनाक कदम
14 Apr, 2025 03:38 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
अमेरिका से बेहद हैरान करने वाला मामला सामने आया है। यहां एक किशोर ने अपने ही माता-पिता का कत्ल कर दिया था। मामला विस्कॉनसिन का है। हत्या के इस मामले में अब हैरान चौंकाने वाले खुलासे हुए हैं। पुलिस की जांच में समाने आया है कि किशोर अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का विरोध करता था। नफरत का आलम यह था कि किशोर ट्रंप की हत्या करने के साथ-साथ उनकी सरकार को उखाड़ फेंकना चाहता। इस काम को पूरा करने के लिए युवक को धन की जरूरत थी लिहाजा उसने अपने माता-पिता को ही मार डाला।
फरार हो गया था निकिता कैसाप
हाल में जारी की गई रिपोर्ट में यह बात सामने आई है। पिछले महीने वाउकेशा काउंटी के अधिकारियों ने निकिता कैसाप (17) पर अपनी मां तातियाना कैसाप और सौतेले पिता डोनाल्ड मेयर की हत्या करने, चोरी और अन्य अपराधों को अंजाम देने के आरोपों के तहत मामला दर्ज किया था। अधिकारियों का आरोप है कि किशोर ने फरवरी में मिलवाउकी हत्याकांड को अंजाम दिया था। हत्या की वारदात को अंजाम देने के बाद वह 14,000 अमेरिकी डॉलर नकद लेकर फरार हो गया था।
कंसास से हुई थी गिरफ्तारी
हत्या की इस वारदात के बाद पुलिस ने निकिता कैसाप को पिछले महीने कंसास से गिरफ्तार किया था। अब अधिकारियों ने कैसाप पर अपने माता-पिता की हत्या की साजिश रचने, ड्रोन और विस्फोटक खरीदने और एक रूसी बोलने वाले शख्स सहित अन्य लोगों के साथ अपनी प्लानिंग शेयर करने का आरोप लगाया है।
जांच में जो तथ्य सामने आए हैं उसमें कहा गया है कि ऐसा प्रतीत होता है कि कैसाप ने अमेरिका के राष्ट्रपति की हत्या के लिए एक मैनिफेस्ट लिखा था। वह राष्ट्रपति ट्रंप को मारने और अमेरिका की सरकार को उखाड़ फेंकने की अपनी योजना के बारे में अन्य के संपर्क में था। माता-पिता की हत्या कैसाप ने इसलिए की जिससे वह योजना को पूरी कर सके। पैसों का इंतजाम कर सके और आजादी से अपने मंसूबों को अंजाम दे सके।
मुहम्मद यूनुस पर भड़कीं शेख हसीना, बोले – आग से खेलने वालों को नहीं बख्शा जाएगा
14 Apr, 2025 03:32 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
बांग्लादेश की पूर्व मुख्यनंत्री शेख हसीना ने मुहम्मद यूनुस के नेतृत्व वाली अंतरिम सरकार पर फिर निशाना साधा है। हसीना ने उन्होंने यूनुस स्वार्थी और आत्मकेंद्रित शख्त बताया। उन्होंने कहा कि यूनुस ने ने सत्ता की भूख में विदेशी ताकतों के साथ मिलकर देश को तबाह करने की साजिश रची। आठ मिनट के अपने वर्चुअल संबोधन में हसीना ने अबू सईद की हत्या पर भी संदेह जताया, जो एक छात्र प्रदर्शनकारी था।
हसीना ने यूनुस पर लगाए गंभीर आरोप
बीते साल भारत आई हसीना ने कुछ दिन पहले बांग्लादेश लौटने की बात कही थी। उन्होंने कहा था कि कोई तो वजह है जिसकी वजह से अल्लाह ने उन्हें जीवित रखा है। इस बीच रविवार को अपने समर्थकों को संबोधित करते हुए उन्होंने यूनुस पर बांग्लादेश के इतिहास को मिटाने का आरोप लगाया।
हसीना ने यूनुस को दी चेतावनी
शेख हसीना ने अपने संबोधन में कहा, "बांग्लादेशी स्वतंत्रता आंदोलन के सभी चिह्न मिटाए जा रहे हैं। मुक्ति योद्धाओं (स्वतंत्रता सेनानियों) का अपमान किया जा रहा है। हमने उनकी यादों को जीवित रखने के लिए सभी जिलों में मुक्ति योद्धा परिसर बनाए थे, लेकिन उन्हें जला दिया जा रहा है। क्या यूनुस इसे सही ठहरा पाएंगे?" उन्होंने मुख्य सलाहकार को चेतावनी देते हुए कहा, "अगर आप आग से खेलेंगे, तो यह आपको भी जला देगी।"
'सबकुछ नष्ट हो रहा है'
हसीना ने विदेशी साजिश के अपने दावे को दोहराते हुए कहा, "उस कर्जदार, सत्ता के भूखे, पैसे के भूखे, आत्म-केंद्रित व्यक्ति ने एक विदेशी साजिश रची और देश को नष्ट करने के लिए विदेशी धन का इस्तेमाल किया। बीएनपी (बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी) और जमात-ए-इस्लामी (राजनीतिक) हत्याएं कर रहे हैं और (अवामी लीग के नेताओं) को परेशान कर रहे हैं।" उन्होंने कहा कि आवामी लीग के शासन के अंत ने बांग्लादेश को औद्योगिक झटका दिया है। हजारों कारखाने बंद हो चुके हैं और आवामी नेताओं से जुड़े कारखानों को जला दिया गया है। उद्योग खत्म हो रहे हैं। होटल, अस्पताल, सबकुछ नष्ट हो रहा है।
'आवामी लीग के नेताओं को फंसाया जा रहा है'
शेख हसीना ने कहा कि यूनुस को परिणामों के बारे में अच्छी तरह पता था, लेकिन वो सत्ता के भूखे थे। उन्होंने कहा, "आवामी लीग के नेताओं को उपद्रवियों की मौत के लिए फंसाया जा रहा है। जिन लोगों ने पुलिस स्टेशन जलाए और पुलिसकर्मियों को पीट-पीटकर मार डाला, उन पर आरोप नहीं लगाए जा रहे हैं। आवामी लीग के नेताओं के खिलाफ मामले दर्ज किए जा रहे हैं। हमारे नेता घर पर नहीं रह पा रहे हैं।"
हसीना ने यूनुस को कहा आतंकवादी
अवामी लीग की प्रमुख ने कहा, "अगर कानून लागू करने वाले कर्मियों की सार्वजनिक रूप से हत्या की जाती रहेगी तो यह देश कैसे चलेगा? क्या यूनुस को यह समझ में नहीं आता? या फिर वह देश को विनाश की ओर ले जा रहे हैं? यह फासीवादी आतंकवादी यूनुस सत्ता की भूख में हमारे देश को नष्ट कर रहा है।"
अमेरिका में विदेशियों के लिए नए नियम लागू, फॉर्म और फिंगरप्रिंट अनिवार्य
14 Apr, 2025 03:26 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
वॉशिंगटन: अमेरिका में विदेशी नागरिकों के लिए रजिस्ट्रेशन अनिवार्य किए जाने के बाद डोनाल्ड ट्रंप प्रशासन की ओर से इस संबंध में नई चेतावनी जारी की गई है। यूएस के डिपार्टमेंट ऑफ होमलैंड सिक्योरिटी (DHS) ने कहा है कि विदेशियों को 30 दिन से ज्यादा रहना है, तो रजिस्ट्रेशन करा लें। ऐसा ना करने पर जुर्माना और जेल दोनों हो सकती हैं। रजिस्ट्रेशन ना कराने वाले विदेशों को अमेरिका से डिपोर्ट भी किया जा सकता है। ऐसे में अवैध विदेशियों के लिए मैसेज है कि वह तुरंत अमेरिका से निकल जाएं। अमेरिका में ये नई व्यवस्था 11 अप्रैल से लागू हो गई है। ट्रंप प्रशासन ने इसे सख्ती से लागू करने के संकेत दिए हैं।
होमलैंड सिक्योरिटी विभाग ने 'अवैध एलियंस को संदेश' नाम से एक पोस्ट जारी किया है। इसमें कहा गया है कि बिना इजाजत रहने वाले विदेशी नागरिक खुद देश छोड़ दें। पोस्ट में लिखा है, 'खुद से डिपोर्ट होना एकदम सुरक्षित है। अपनी मर्जी से फ्लाइट चुनकर चले जाइए। अगर आप खुद से डिपोर्ट होते हैं तो अमेरिका में कमाए पैसे रख सकते हैं। खुद से डिपोर्ट होने वाले शख्स को भविष्य में कानूनी रूप से अमेरिका आने का मौका मिल सकता है।'
'आप गैरकानूनी तरीके से रुके तो होगी मुश्किल'
DHS की ओर से कहा गया है कि अगर किसी को अवैध रूप से रहते हुए पाया जाता है और डिपोर्ट करने फैसला लिया जाता है तो फिर वह मुश्किल में आएगा। उसको हर दिन 998 डॉलर का जुर्माना देना होगा। किसी ने खुद से डिपोर्ट होने का वादा किया और ऐसा नहीं किया तो जुर्माना 1,000 से 5,000 डॉलर तक बढ़ जाएगा। ऐसे शख्स को जेल भी हो सकती है।
डिपार्टमेंट ऑफ होमलैंड सिक्योरिटी ने बीते हफ्ते ये नया नियम पेश किया है। वाइट हाउस प्रेस सचिव कैरोलीन लेविट ने बताया है कि अमेरिका में 30 दिनों से ज्यादा रहने वाले सभी विदेशी नागरिकों को संघीय सरकार के साथ पंजीकरण कराना होगा। ऐसा नहीं करने वालों गिरफ्तार किया जाएगा, जुर्माना लगाया जाएगा और देश से निकाल दिया जाएगा। ऐसे लोग कभी वापस नहीं आ सकेंगे।
नए नियम के अनुसार, 11 अप्रैल के बाद अमेरिका आने वाले लोगों को 30 दिनों के अंदर रजिस्ट्रेशन कराना होगा। 14 साल के होने वाले बच्चों को भी दोबारा पंजीकरण कराते हुए अपने फिंगरप्रिंट जमा करने होंगे। इस नियम का ऐलान होते ही कई संगठनों ने इसे भ्रम पैदा करने वाला कहा है। इससे प्रवासियों की मुश्किल बढ़ सकती है।
हज के दौरान गर्मी से होने वाली मौतों पर लगेगा ब्रेक, अगले 16 साल राहत के
14 Apr, 2025 01:50 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
इस साल हज 4 जून से शुरू होने जा रहा है, जिसके लिए दुनिया भर से तीर्थ यात्री सऊदी अरब पहुंचने की तैयारी कर रह हैं. हर साल हज करने दुनिया भर से लाखों लोग सऊदी अरब आते हैं और इनका इंतजाम सरकार का हज और उमरा मंत्रालय करता है. पिछले साल हज यात्रा के दौरान के एक बड़ा हादसा हो गया था, जिसमें एक हजार से ज्यादा लोगों की मौत हुई थी.
14 से 19 जून 2024 के बीच मक्का में हज यात्रा पर गए कम से कम 1,301 लोगों की अत्यधिक गर्मी के वजह से मौत हो गई, उस समय यहां का तापमान 50 डिग्री से ज्यादा रिकॉर्ड किया गया था. अत्यधिक गर्मी के कारण तीर्थ यात्रियों को हीट स्ट्रोक और डिहाइड्रेशन हुआ, जो मौत की वजह बना. लेकिन 2026 के हज से ये परेशानी खत्म हो जाएगी.
अब नहीं होगी गर्मी से मौत!
सऊदी राष्ट्रीय मौसम विज्ञान केंद्र ने इस हफ्ते ऐलान किया कि 2025 में होने वाला हज सीजन अगले 16 सालों के लिए भीषण गर्मी के महीनों के दौरान आने वाला आखिरी हज सीजन होगा.
2026 से शुरू होकर, हज यात्रा धीरे-धीरे ठंडे मौसम में बदल जाएगी – पहले वसंत में और अंत में सर्दियों में. बता दें, ऐसे इस्लामी चंद्र कैलेंडर के क्रमिक बदलाव की वजह से होता है.
हर साल 10 दिन पीछे हट जाता है इस्लामी कैलेंडर
इस्लामी कैलेंडर ग्रेगोरियन कैलेंडर से हर साल 10 दिन पीछे हट जाता है. क्योंकि ये चंद्रमा के मुताबिक चलता है. पिछले कई सालों से हज यात्रा भीषण गर्मी में आ रही थी, अगले साल से गर्मी झेलने वाले लाखों तीर्थयात्रियों के लिए ये एक स्वागत योग्य बदलाव होगा.
हज 2024 के दौरान, मक्का में तापमान 46 डिग्री सेल्सियस और 51 डिग्री सेल्सियस के बीच बढ़ गया, जिसकी वजह से कई मौतों के साथ-साथ एक ही दिन में हीटस्ट्रोक के 2,760 से अधिक मामले सामने आए थे.
80 लाख लोगों पर मंडरा रहा खतरा, तूफानों से तबाही की ओर बढ़ रहा बांग्लादेश
14 Apr, 2025 01:41 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
बांग्लादेश में जलवायु आपदा का खतरा अब दरवाजे पर दस्तक दे रहा है. और इस बार तबाही की आहट पहले से कहीं ज्यादा डरावनी है. वन अर्थ नाम की जानी-मानी साइंटिफिक जर्नल में छपी एक नई स्टडी ने चौंकाने वाली चेतावनी दी है. चेतावनी ये कि वो विनाशकारी तूफान जो पहले सदी में एक बार आते थे, अब हर दशक बांग्लादेश पर कहर बरपा सकते हैं.
रिपोर्ट के मुताबिक, इस तूफान के साथ आने वाला “स्टॉर्म टाइड” यानि समुद्र की उफनती लहरें और बढ़ता समुद्री स्तर मिलकर एक ऐसा विनाशकारी कॉम्बिनेशन बना सकते हैं जो शहरों और गांवों को निगलने की ताकत रखता है. इस डरावनी रिपोर्ट ने देश के अंतरिम सरकार के प्रमुख मोहम्मद यूनुस की टेंशन बढ़ा दी है. स्टडी कहती है कि अगर हालात नहीं बदले तो आने वाले वक्त में करीब 80 लाख लोग ऐसे तूफानों की चपेट में आ सकते हैं.
क्या है खतरे की असली जड़?
इस रिसर्च को एमआईटी के शोधकर्ता साई रवेला और उनकी टीम ने अंजाम दिया है. रवेला बताते हैं कि भविष्य में भले ही तूफानों की संख्या बहुत ज्यादा न बढ़े, लेकिन उनकी ताकत बढ़ेगी और समुद्र का स्तर भी. इससे तूफानी लहरों का असर कई गुना ज्यादा खतरनाक होगा. रिसर्च में शामिल शोधकर्ताओं की टीम ने क्लाइमेट मॉडल्स की मदद से हजारो काल्पनिक तूफानों को बांग्लागेश के पास सिम्युलेट किया और पाया कि अगर कार्बन उत्सर्जन ऐसे ही बढ़ता रहा तो हर दशक में विनाशकारी तूफानी लहरें आ सकती हैं.
मानसून और चक्रवात एक ही वक्त पर आएंगे
बांग्लादेश का समुद्री किनारा पहले से ही बहुत संवेदनशीनल है. यहां करीब 80 लाख लोग निचले तटीय इलाकों में रहते हैं जो हर साल किसी न किसी तूफान की चपेट में आते हैं. अब तक छह बड़े तूफानों में एक-एक लाख से ज्यादा लोगों की जान जा चुकी है. इस रिसर्च में चेताया गया है कि अगर ग्लोबल वार्मिंग का असर ऐसे ही बढ़ता रहा, तो एक और खतरनाक ट्रेंड देखने को मिलेगा. और वे ये कि मानसून और चक्रवात एक ही वक्त पर आने लगेंगे.
अभी तक बांग्लादेश में मानसून जून से सितंबर के बीच आता है, जबकि चक्रवात मई-जून और फिर अक्टूबर-नवंबर में आते हैं. लेकिन अब जलवायु परिवर्तन की वजह से समुद्र गर्म रहेगा, मानसून देर से जाएगा और चक्रवात उसी समय लौट आएंगे. यानी लोगों को कोई भी राहत नहीं मिलेगी.
बचने के लिए क्या किया जा सकता है?
इसका मतलब होगा कि ज़मीन पहले से गीली होगी, नदियों में पहले से पानी भरा होगा और ऊपर से आएगा तूफान, ये दोनों मिलकर बाढ़ और तबाही को कई गुना बढ़ा देंगे. इसे वैज्ञानिक भाषा में कम्पाउंड फ्लड इवेंट्स कहा जाता है. रिसर्चर्स की अगली कोशिश अब इन आंकड़ों को ऐसे टूल्स में बदलने की है, जो बांग्लादेश के स्थानीय लोगों और सरकार की प्लानिंग में काम आएं ताकि समय रहते तैयारी की जा सके.
गाजा अस्पताल में मारा गया मिसाइल हमला, 21 लोगों की हुई मौत और कई कर्मचारी घायल
14 Apr, 2025 01:33 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
यरुशलम। इजरायल ने रविवार को गाजा के अल-अहली अस्पताल पर मिसाइल हमला किया। इस हमले में किसी के हताहत होने की खबर नहीं है लेकिन अस्पताल के भवन को भारी क्षति हुई है। इजरायल ने कहा है कि हमास के आतंकी इस अस्पताल से अपनी गतिविधियां संचालित कर रहे थे इसलिए उस पर हमला किया गया। गाजा के अन्य इलाकों में हुए ताजा हमलों में 21 लोग मारे गए हैं।
ईसाई समुदाय करता है संचालन
बताया गया है कि हमले से कुछ मिनट पहले इजरायली सेना ने मरीजों और चिकित्सा से जुड़े लोगों को अस्पताल खाली करने के लिए कहा, इसके बाद अस्पताल भवन से दो मिसाइलें टकराईं। इस हमले से अस्पताल का आपात चिकित्सा विभाग, आगंतुक कक्ष नष्ट हो गए हैं और अन्य हिस्सों को भी नुकसान हुआ है।
इस अस्पताल को गाजा का ईसाई समुदाय संचालित करता है। अस्पताल के प्रवक्ता ने कहा है कि सैकड़ों मरीजों और अन्य लोगों को आधी रात में अस्पताल छोड़ना पड़ा, अब वे लोग सड़कों पर हैं। कई मरीजों की जान को खतरा पैदा हो गया है। इस अस्पताल पर इजरायली सेना 2023 में भी कार्रवाई कर चुकी है, तब उस कार्रवाई में कई लोग मारे गए थे।
लेकिन इस बार वहां मौजूद लोगों को परिसर खाली करने का समय दिया गया। यह हमला तब हुआ है जब काहिरा में मिस्त्र, कतर और अमेरिका की मध्यस्थता में दोनों पक्षों के बीच युद्धविराम के लिए वार्ता का नया दौर शुरू हुआ है।