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पुतिन से मिले ट्रंप के विशेष दूत, यूक्रेन युद्ध पर तेज़ होगी शांति वार्ता
12 Apr, 2025 12:12 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
मॉस्को: रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन लगभग 10 दिनों बाद एक बार फिर सार्वजनिक तौर पर दिखाई दिए. उन्होंने शुक्रवार को अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के विशेष दूत स्टीव विटकॉफ से सेंट पीटर्सबर्ग में मुलाकात की. यह मीटिंग यूक्रेन में चल रहे युद्ध को रोकने की कोशिशों का हिस्सा है. चार घंटे से ज्यादा तक दोनों के बीच मीटिंग चलती रही. इस बातचीत को रूस ने ‘यूक्रेन समझौते के पहलुओं’ पर केंद्रित बताया. लेकिन क्या यह मुलाकात शांति की दिशा में कोई बड़ा कदम उठा पाएगी, या फिर बातें सिर्फ खबरों तक सीमित रहेंगी?
ट्रंप ने ट्रुथ सोशल पर पोस्ट में रूस को शांति के लिए तैयार होने को कहा.
डोनाल्ड ट्रंप ने रूस पर शांति वार्ता में तेजी लाने का दबाव बनाया है. शुक्रवार को उन्होंने अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर लिखा, ‘रूस को जल्दी करना होगा. इस बेकार और भयानक युद्ध में हर हफ्ते हजारों लोग मर रहे हैं.’ ट्रंप का कहना है कि यह युद्ध कभी नहीं होना चाहिए था. वह विटकॉफ के जरिए पुतिन तक यह संदेश पहुंचा रहे हैं कि बातचीत में देरी बर्दाश्त नहीं होगी. ट्रंप ने यह भी चेतावनी दी है कि अगर रूस टस से मस नहीं हुआ, तो वह रूसी तेल खरीदने वाले देशों पर अतिरिक्त प्रतिबंध लगा सकते हैं.
रूस को मीटिंग से ज्यादा उम्मीद नहीं
यह विटकॉफ और पुतिन की इस साल तीसरी मुलाकात थी. क्रेमलिन के प्रवक्ता दिमित्री पेस्कोव ने कहा कि इस मीटिंग में पुतिन और ट्रंप की आमने-सामने मुलाकात की संभावना पर चर्चा हो सकती है. दोनों नेता फोन पर बात कर चुके हैं, लेकिन ट्रंप के दूसरे कार्यकाल में अभी तक उनकी आमने-सामने मुलाकात नहीं हुई. दिमित्री पेसकोव ने इसे ‘बड़ा’ न बताते हुए कहा कि इस बैठक से कोई चमत्कार की उम्मीद नहीं है. फिर भी, रूस के निवेश दूत किरिल दमित्रियेव ने बातचीत को ‘उपयोगी’ करार दिया. उन्होंने कहा कि यह मीटिंग रूस के लिए अपनी चिंताओं को व्यक्त करने का एक मौका होगी. दोनों पक्षों ने ऊर्जा ढांचे पर हमले रोकने के पिछले समझौते का जिक्र किया है. हालांकि रूस और यूक्रेन एक-दूसरे पर इसका उल्लंघन करने का आरोप लगाते रहे हैं.
पुतिन सच में चाहते हैं शांति?
राष्ट्रपति पुतिन हमेशा शांति की बात करते रहे हैं, लेकिन वह साफ कहते हैं कि इसके लिए कुछ बुनियादी मुद्दों का हल जरूरी है. रूस के मुताबिक, पुतिन चाहते हैं कि यूक्रेन नाटो में शामिल न हो, उसकी सेना का आकार सीमित हो, और रूस के दावे वाले चार यूक्रेनी क्षेत्रों से यूक्रेन पीछे हट जाए. रूस का मानना है कि वह जंग में मजबूत स्थिति में है, क्योंकि वह यूक्रेन के करीब 20 फीसदी हिस्से पर कब्जा किए हुए है और उसकी सेना आगे बढ़ रही है. पुतिन का यह रुख दर्शाता है कि वह स्थायी शांति चाहते हैं, न कि कोई अस्थायी समझौता.
शांति की राह में अड़चन क्या है?
शांति की राह में सबसे बड़ा रोड़ा अविश्वास है. यूक्रेन का कहना है कि रूस की शर्तें मानने का मतलब होगा सरेंडर करना. यूक्रेन ने अमेरिका को उन ठिकानों की लिस्ट भेजी है, जहां रूस ने हाल में हमले किए, जो ऊर्जा समझौते का उल्लंघन है. दूसरी तरफ, रूस का मानना है कि यूक्रेन को कुछ इलाकों को छोड़ना होगा, क्योंकि जंग में वह कमजोर स्थिति में है. यह टकराव शांति की राह को मुश्किल बना रहा है.
ईरान से भी बात करेंगे विटकॉफ
विटकॉफ की यह यात्रा सिर्फ रूस तक सीमित नहीं थी. वह शनिवार को ओमान में ईरान के साथ उसकी परमाणु नीति पर मीटिंग करने वाले हैं. ट्रंप ने समझौते को तैयार नहीं होने पर ईरान को सैन्य कार्रवाई की चेतावनी दी है.
अमेरिका की इमिग्रेशन कोर्ट का बड़ा फैसला, महमूद खलील होंगे देश से डिपोर्ट
12 Apr, 2025 11:57 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
अमेरिका में पिछले दिनों एक्टिविस्ट महमूद खलील की गिरफ्तारी को लेकर जमकर बवाल मचा. न्यूयॉर्क में ट्रंप टॉवर पर महमूद खलील की गिरफ्तारी को लेकर सैकड़ों प्रदर्शनकारी विरोध करते दिखाई दिए. इसी के बाद अब इस बात पर फैसला लिया जा रहा है कि खलील को देश से डिपोर्ट किया जाएगा या नहीं. 8 मार्च 2025 को हुई गिरफ्तारी के बाद खलील इस समय जेल में है.
अमेरिकी इमिग्रेशन जज ने शुक्रवार को फैसला सुनाया कि फिलिस्तीनी कार्यकर्ता महमूद खलील को निर्वासित किया जा सकता है. दरअसल, महमूद खलील कोलंबिया यूनिवर्सिटी का छात्र है जिसको राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के प्रशासन ने न्यूयॉर्क शहर में एक महीने पहले गिरफ्तार किया था.
कोर्ट ने सुनाया फैसला
फिलिस्तीनी कार्यकर्ता महमूद खलील को निर्वासित किए जाने का फैसला लुइसियाना में लासेल इमिग्रेशन कोर्ट के जज जेमी कॉमन्स ने सुनाया है. हालांकि, इस फैसले के आधार पर ही खलील को निर्वासित नहीं किया जाएगा, यह अंतिम फैसला नहीं था, लेकिन यह विदेशी फिलिस्तीनी समर्थक छात्रों को निर्वासित करने के उनके प्रयासों में रिपब्लिकन राष्ट्रपति के लिए एक महत्वपूर्ण जीत का प्रतिनिधित्व करता है.
विदेश मंत्री ने लिखा पत्र
1952 के इमिग्रेशन और राष्ट्रीयता अधिनियम का हवाला देते हुए, अमेरिका के विदेश मंत्री मार्को रुबियो ने पिछले महीने निर्धारित किया था कि खलील अमेरिकी विदेश नीति के हितों को नुकसान पहुंचा सकते हैं और उनके “अन्यथा वैध” (Otherwise Lawful) भाषण और सक्रियता के लिए उन्हें निर्वासित किया जाना चाहिए.
रुबियो ने लिखा, यहूदी विरोधी प्रदर्शन और विघटनकारी गतिविधियों में उनकी भूमिका के लिए खलील को यूएस से हटा दिया जाना चाहिए, यह अमेरिका में यहूदी छात्रों के लिए शत्रुतापूर्ण माहौल को बढ़ावा देता है.
हालांकि, रुबियो के पत्र में खलील पर किसी भी कानून को तोड़ने का आरोप नहीं लगाया गया, लेकिन कहा गया कि विदेश विभाग उन अप्रवासियों की कानूनी स्थिति को रद्द कर सकता है जो अमेरिकी विदेश नीति के हितों को नुकसान पहुंचा सकते हैं, भले ही उनकी मान्यताएं, संघ या बयान “अन्यथा वैध” हों.
90 मिनट तक चली सुनवाई
जज ने खलील के वकीलों के विदेश मंत्री मार्को रुबियो को समन करने और 1952 के कानून के तहत उनके संकल्प के लिए उनके पास मौजूद “उचित आधार” के बारे में सवाल करने के प्रस्ताव को खारिज कर दिया. जज का फैसला 90 मिनट की सुनवाई के बाद सामने आया.
कौन हैं मोहम्मद खलील?
खलील, फिलिस्तीन समर्थक छात्र विरोध आंदोलन में एक प्रमुख व्यक्ति है. खलील सीरिया में एक फिलिस्तीनी शरणार्थी शिविर में पैदा हुआ था और वो अल्जीरिया की नागरिकता रखता है और पिछले साल अमेरिका का वैध स्थायी निवासी बन गया है. खलील की पत्नी अमेरिकी नागरिक हैं. गाजा में युद्ध विराम को लेकर खलील कोलंबिया में मुखर तौर पर सामने आए. CUAD समूह के साथ मिलकर इजरायल के साथ आर्थिक संबंधों को तोड़ने की भी मांग की थी.
फिलहाल, खलील लुइसियाना जेल में है, जहां संघीय अधिकारियों ने उसे 8 मार्च को लगभग 1,200 मील (1,930 किमी) दूर कोलंबिया यूनिवर्सिटी के अपार्टमेंट में गिरफ्तारी के बाद ट्रांसफर कर दिया था.
जज कॉमन्स ने निर्वासन आदेश जारी करने पर विचार करने से पहले खलील के वकीलों को राहत के लिए आवेदन करने के लिए 23 अप्रैल तक का समय दिया है. न्यू जर्सी में एक अलग मामले में, अमेरिकी जिला न्यायाधीश माइकल फार्बिअर्ज़ ने खलील के निर्वासन को रोक दिया है, न्यायाधीश खलील के दावे पर विचार करते हैं कि उनकी गिरफ्तारी अमेरिकी संविधान के पहले संशोधन के तहत अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की सुरक्षा का उल्लंघन करते हुए की गई थी.
खलील ने कोर्ट में क्या कहा?
जैसे ही कॉमन्स की कार्यवाही स्थगित हुई, खलील आगे की ओर झुके और अदालत को संबोधित करने के लिए कहने लगे. कॉमन्स झिझकीं, फिर सहमत हो गईं. खलील ने मंगलवार को अपनी सुनवाई में उनकी टिप्पणियों का हवाला देते हुए कहा कि अदालत के लिए “उचित प्रक्रिया अधिकार और मौलिक निष्पक्षता” से अधिक जरूरी कुछ भी नहीं है.
खलील ने कहा, साफ तौर पर हम ने आज जो देखा, इनमें से कोई भी सिद्धांत आज या इस पूरी प्रक्रिया में मौजूद नहीं था. यही वजह है कि ट्रंप प्रशासन ने मुझे मेरे परिवार से एक हजार मील दूर इस अदालत में भेजा है.
खलील के वकीलों ने एक वीडियो लिंक के जरिए से पेश होकर शिकायत की कि उन्हें रुबियो के पत्र और ट्रंप प्रशासन ने जो इस हफ्ते कॉमन्स को जो सबूत सौंपे उसकी समीक्षा करने के लिए 48 घंटे से भी कम समय दिया गया था.
सिंधु नदी सूख रही है, शेरी रहमान ने शहबाज सरकार को घेरा
12 Apr, 2025 11:48 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
पाकिस्तान की महिला सांसद ने एक ऐसा बयान दिया है जो शहबाज शरीफ को नींद से उठाने का काम करेगा. सीनेटर शेरी रहमान ने बुधवार को सिंधु नदी सिस्टम का मुद्दा उठाया है. सांसद शेरी रहमान ने सिंधु नदी का मामला उठाते हुए देश में जल संकट पर चिंता जताई. सिंधु नदी में पानी 100 साल के ऐतिहासिक निचले स्तर पर है.
सांसद ने जल के निचले स्तर को लेकर तत्काल कार्रवाई के लिए कहा. पूर्व जलवायु परिवर्तन मंत्री ने जोर देकर कहा कि हालात अब नेशनल इमरजेंसी जैसे है और इसका राजनीतिकरण नहीं किया जाना चाहिए. जलवायु परिवर्तन और पर्यावरण समन्वय पर सीनेट की स्थायी समिति के प्रमुख सीनेटर रहमान ने चेतावनी दी कि सिंधु नदी हमारी आंखों के सामने सूख रही है.
जल संकट का मुद्दा उठाया
सांसद शेरी रहमान ने कहा, जलवायु परिवर्तन में तेजी के चलते बारिश में 40 प्रतिशत की गिरावट आई है. सुक्कुर बैराज में जल स्तर में 71 प्रतिशत की गिरावट देखी जा रही है, जबकि सभी तीन बैराजों में कुल कमी 65 प्रतिशत तक पहुंच गई है. ये चौंका देने वाली संख्याएं हैं.”
रहमान ने संकट की वर्तमान प्रतिक्रिया की आलोचना करते हुए कहा कि तेजी से घटते जल संसाधनों को संरक्षित करने के बजाय, नहरों से पानी निकाला जा रहा है, जिससे सिंधु नदी का पानी और भी कम हो रहा है.
“पानी के अधिकार पर कोई समझौता नहीं”
इस मामले पर तत्काल और एकजुट राष्ट्रीय कार्रवाई के लिए कहते हुए पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी (पीपीपी) नेता ने कहा कि उनकी पार्टी लोगों के पानी के अधिकार पर कोई समझौता नहीं करेगी. उन्होंने कहा, “हमें प्रांतों और महासंघ के बीच तत्काल समन्वय की जरूरत है. पीपीपी हमेशा लोगों के अधिकारों के लिए खड़ी रही है और यह इस महत्वपूर्ण संसाधन तक उनकी पहुंच के लिए संघर्ष करेगी.
सरकार से समाधान की अपील
शेरी रहमान ने संघीय सरकार से पानी की कमी को जलवायु आपातकाल घोषित करने का आग्रह किया और संघीय सरकार से गंभीर पानी के मुद्दे के समाधान के लिए तत्काल सीसीआई बैठक बुलाने का आग्रह किया. उन्होंने आगे कहा, यह आरोप-प्रत्यारोप का समय नहीं है.
चीन का अजूबा: 1 मिनट में तय होगी 1 घंटे की दूरी, बना सबसे ऊंचा ब्रिज
12 Apr, 2025 11:42 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
चीन अपने नाम एक और रिकॉर्ड दर्ज करने जा रहा है, जिसकी देश ने पूरी तरह से तैयारी कर ली है. देश में दुनिया के सबसे ऊंचे ब्रिज का निर्माण किया जा रहा है. तैयार होने के बाद यह दुनिया का सबसे ज्यादा हाइट वाला ब्रिज होगा. जिससे 1 घंटे का रास्ता 1 मिनट में तय किया जा सकेगा. चीन जून में हुआजियांग ग्रांड कैन्यन ब्रिज को खोलने के लिए तैयार है. यह ब्रिज 2,051 फीट ऊंचा है.
इस ब्रिज को तैयार करने के लिए चीन ने 216 मिलियन पाउंड (2200 करोड़ रुपये) खर्च किए हैं. इससे ट्रेवल करने में लोगों के समय की काफी ज्यादा बचत होगी.
ब्रिज क्यों है खास?
यह ब्रिज सिर्फ इसीलिए खास और अलग नहीं है क्योंकि यह ट्रेवल टाइम को कम करेगा बल्कि यह ब्रिज एफिल टॉवर से 200 मीटर ऊंचा है और तीन गुना ज्यादा वजन वाला है. चीनी राजनेता झांग शेंगलिन ने कहा, यह सुपर प्रोजेक्ट चीन की इंजीनियरिंग क्षमताओं को सामने रखेगा और गुइझोउ के विश्व स्तरीय टूरिस्ट प्लेस बनने के लक्ष्य को बढ़ावा देगा.
2 महीने में किया गया तैयार
ब्रिज के स्टील ट्रस का वजन लगभग 22,000 मैट्रिक टन है जोकि तीन एफिल टावरों के बराबर है. बड़ी बात यह है कि इस पुल को सिर्फ दो महीनों में तैयार किया गया है. चीफ इंजीनियर ली झाओ ने कहा, पुल को दिन-ब-दिन बढ़ते देखना और घाटी के ऊपर खड़ा होना मुझे इसकी उपलब्धि पर गर्व महसूस कराता है.
टूरिज्म को बढ़ाएगा
यह ब्रिज जहां एक तरफ चीन के ग्रामीण क्षेत्र को जोड़ने का काम करेगा और परिवहन में आसानी पैदा करेगा. वहीं, दूसरी तरफ यह नया पुल एक प्रमुख टूरिस्ट आकर्षण भी बनेगा और बड़ी तादाद में वैश्विक स्तर पर लोग इस ब्रिज को देखने के लिए आएंगे.
रहने वाले क्षेत्रों, एक ग्लास वॉकवे और दुनिया में ‘सबसे ऊंची बंजी जंप’ की भी योजना है. पुल अधिक प्रभावशाली है क्योंकि यह नीचे की प्रमुख घाटी के ऊपर लगभग पूरी तरह से लटका हुआ है. चीन के जिस क्षेत्र में यह पुल बनाया जा रहा है, वह ग्रामीण समुदायों को जोड़ने में मदद करने वाले दुनिया के 100 सबसे ऊंचे पुलों में से लगभग आधे वहां पर है.
साल 2016 में, चीन का सबसे ऊंचा पुल बेइपांजियांग में बनाया गया था, जिसकी ऊंचाई 1,854 फीट थी. जबकि हुआजियांग ग्रांड कैन्यन ब्रिज अधिक प्रभावशाली है क्योंकि यह नीचे प्रमुख घाटी के ऊपर लगभग पूरी तरह से निलंबित है. इसी के साथ इसकी ऊंचाई 2,051 फीट है.
कार्नेगी समिट में भारत की डिजिटल डिप्लोमेसी को मिली वैश्विक मान्यता
12 Apr, 2025 11:34 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
ग्लोबल डिजिटल शासन और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) में भारत का बढ़ता प्रभाव कार्नेगी ग्लोबल टेक्नोलॉजी समिट में सामने आया, जिसमें कई अंतरराष्ट्रीय नेताओं ने सुरक्षित, इनक्लूसिव और इनोवेशन ड्रिवेन साइबरस्पेस को आकार देने में देश की महत्वपूर्ण भूमिका का जिक्र किया. समिट के दौरान बोलते हुए, जर्मनी के विदेश कार्यालय में साइबर, विदेश और सुरक्षा नीति की डायरेक्टर मारिया अदेबहर ने उभरते डिजिटल क्षेत्र में भारत के रणनीतिक महत्व की प्रशंसा की.
उन्होंने कहा कि यह समिट भारत के साथ संबंधों को गहरा करने का एक शानदार अवसर है. भू-राजनीतिक स्थिति को देखते हुए भारत के साथ काम करना महत्वपूर्ण है. मारिया ने कहा कि दुनिया के लोकतंत्रों को एक ऐसा साइबरस्पेस बनाने के लिए सहयोग करना चाहिए जो सुरक्षित, पारदर्शी और सभी के लिए सुलभ हो.
हाईटेक डेवलपमेंट में सबसे आगे
मारिया अदेबहर ने इस बात पर जोर दिया कि एआई को इनक्लूसिव और सेफ्टी दोनों ही तरह से डिजाइन किया जाना चाहिए. उन्होंने कहा कि भारत अपनी आबादी, सेवाओं और डिजिटल सेवाओं के कारण एक बहुत अच्छा उदाहरण है. इससे पहले शिखर सम्मेलन के दौरान, स्वीडिश प्रधानमंत्री कार्यालय के वरिष्ठ निदेशक जॉन सिमंसन ने भारत के इनोवेशन इकोसिस्टम और हाईटेक डेवलपमेंट में सबसे आगे होने की इसकी क्षमता की सराहना की. उन्होंने देश के मजबूत नॉलेज बेस और इनोवेशन के लिए अनुकूल परिस्थितियों का जिक्र किया, साथ ही छात्रों और उद्यमियों के लिए अधिक संस्थागत समर्थन की आवश्यकता पर बल दिया.
भारत में 100 से ज्यादा यूनिकॉर्न
उन्होंने कहा कि उन्हें छात्रों और उद्यमियों के लिए इस तरह से आगे बढ़ना और काम करना आसान बनाना होगा. उन्होंने इस क्षेत्र के आगे बढ़ने में फाइनेंसिंग के महत्व की ओर भी इशारा करते हुए कहा, कुछ पूंजी की आवश्यकता है, लेकिन चूंकि भारत में 100 से अधिक यूनिकॉर्न स्थित हैं, इसलिए स्टार्टअप इन क्षेत्रों में निवेश कर सकते हैं और ठीक वैसे ही कर सकते हैं जैसे डीपसीक कर रहा है.
रेगुलेशन को खत्म करने की अपील
संघ लोक सेवा आयोग के सदस्य लेफ्टिनेंट जनरल (सेवानिवृत्त) राज शुक्ला ने कहा कि डीपसीक जैसे उपक्रमों में भारत की सफलता प्रतिभा-संचालित एल्गोरिथम इनोवेशन से उपजी है. उन्होंने भारत की पूरी क्षमता को उजागर करने के लिए रेगुलेशन को खत्म करने की अपील की. उन्होंने कहा कि हमें इनोवेशन की जरूरत है, लेकिन इनोवेशन और रेगुलेशन एक साथ नहीं चल सकते.
एआई में भारत का नेतृत्व
उन्होंने जोर देकर कहा कि प्रतिभाओं को सही मायने में आगे बढ़ने के लिए देश को काफी हद तक रेगुलेशन से मुक्त होना होगा. पूरे समिट के दौरान, प्रतिनिधियों ने इस बात पर जोर दिया कि डीप लर्निंग और एआई में भारत का नेतृत्व न केवल प्रतिभा और स्टार्टअप पर निर्भर करता है, बल्कि एक ऐसे माहौल को बढ़ावा देने पर भी निर्भर करता है जो खुलेपन, प्रयोग और दीर्घकालिक निवेश को महत्व देता है.
टैरिफ वॉर के बीच ट्रंप की उम्मीद—‘चीन से ट्रेड डील संभव’
12 Apr, 2025 11:16 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
अमेरिका-चीन के बीच टैरिफ वॉर अपने चरम पर पहुंच गया है. अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप टैरिफ पर अब तक 75 से अधिक देशों को 90 दिनों की राहत दे चुके हैं, लेकिन चीन पर 145 प्रतिशत का टैरिफ लगाया है. हालांकि इस ट्रेड वॉर के बीच ट्रंप ने चीन के साथ समझौते की उम्मीद जताई है. व्हाइट हाउस की प्रेस सचिव कैरोलिन लेविट ने शुक्रवार को कहा कि राष्ट्रपति ट्रंप चीन के साथ व्यापार समझौते (ट्रेड डील) के लिए आशावादी हैं.
बता दें कि समझौते की यह बात दोनों आर्थिक दिग्गजों के बीच बढ़ते ट्रेड वॉर के बीच कही गई है, जिसने बाजारों को प्रभावित किया है. कैरोलिन लेविट ने एक प्रेस ब्रीफिंग में कहा कि राष्ट्रपति ने यह साफ कर दिया है कि वह चीन के साथ समझौते के लिए तैयार हैं. उन्होंने कहा कि अगर चीन जवाबी कार्रवाई जारी रखता है, तो यह उसके लिए अच्छा नहीं है.
चीन पर 145 प्रतिशत टैरिफ
ट्रंप के बीजिंग से संपर्क न करने के बारे में पूछे जाने पर, लेविट ने कहा कि हमेशा की तरह हम पारदर्शिता के साथ आगे बढ़ते हुए अपडेट प्रदान करेंगे. वहीं एक रिपोर्टर ने पूछा कि बीजिंग का कहना है कि वह अमेरिका की ओर से किसी भी तरह के टैरिफ बढ़ोतरी को अनदेखा कर देगा. क्या ट्रंप इसे चीन के पीछे हटने के रूप में देखते हैं? इस सवाल पर लेविट ने कहा कि चीन पर टैरिफ दर 145 प्रतिशत के स्तर पर बनी हुई है. राष्ट्रपति ने यह स्पष्ट कर दिया है कि जब अमेरिका पर हमला होगा, तो वह और भी ताकत से जवाब देंगे.
75 से अधिक देशों ने किया संपर्क
लेविट ने अपने बयान में कहा कि 75 से अधिक देशों ने टैरिफ के बारे में बात करने के लिए अमेरिकी प्रशासन से संपर्क किया है. 75 से अधिक देशों ने अब ट्रंप प्रशासन से संपर्क किया है, जो उन व्यापार मुद्दों को संबोधित करने के लिए उत्सुक हैं, जिन्होंने अमेरिका का शोषण किया है और इस प्रक्रिया में हमारे श्रमिकों को चोट पहुंचाई है.
राष्ट्रपति ट्रंप ने दी राहत
इन देशों ने राष्ट्रपति ट्रंप की चेतावनी का समझदारी से पालन किया कि वे जवाबी कार्रवाई न करें, और इसकी वजह से, उन्हें 90 दिन की रोक और इस अवधि के दौरान काफी कम पारस्परिक टैरिफ दरों के साथ राहत दी गई, ताकि संभावित समाधान के रास्ते निकाले जा सकें.
क्या है ट्रंप का मकसद?
लेविट ने कहा कि ट्रंप की सामान्य रणनीति मैन्युफैक्चरिंग को बढ़ावा देने और जीवन की लागत को कम करने के लिए टैरिफ का उपयोग करना था. इसलिए राष्ट्रपति इनको बढ़ाकर अमेरिका में धन वापस लाना चाहते हैं, जिसके बाद अमेरिकी जनता के लिए अच्छी तनख्वाह वाली नौकरियां मिलेंगी. इसलिए अमेरिकियों को उस प्रक्रिया पर भरोसा करना चाहिए. उन्होंने अपने पहले कार्यकाल में प्रभावी ढंग से टैरिफ लागू किए और इस देश में रहने की लागत को कम किया. और, यही वह काम है जिस पर वह फिर से ध्यान दे रहे हैं.
रेसिप्रोकल टैरिफ का ऐलान
बता दें कि अमेरिका के राष्ट्रपति ट्रंप ने ट्रंप ने 2 अप्रैल को भारत, चीन समेत कई दूसरे देशों पर रेसिप्रोकल टैरिफ का ऐलान किया था. लेकिन अब उन्होंने भारत समेत कुछ देशों को 90 दिनों के लिए टैरिफ से राहत दी है. दूसरी ओर अमेरिका चीन पर टैरिफ बढ़ा रहा है. साथ ही चीन भी अमेरिका पर टैरिफ की दरों में बढ़ोतरी कर रहा है. ऐसे स्थिति में व्हाइट हाउस की ओर से चीन के साथ ट्रेड डील की बात सामने आने के बाद से राहत मिलती नजर आ रही है.
तेज रफ्तार इनोवा की चपेट में आया बाइक सवार, अस्पताल में भर्ती
11 Apr, 2025 06:47 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
वीरवार देर शाम को हुए हादसे में तीन युवकों की मौत के मामले में परिजनों ने सिविल अस्पताल में प्रदर्शन किया। परिजन पुलिस ने लापरवाही का आरोप लगाते हुए धरने पर बैठ गए और आरोपी की गिरफ्तारी की मांग लर अड़ गए। पुलिस ने शाम तक आरोपी को गिरफ्तार करने का आश्वासन दिया। जिसके बाद परिजन शव ले जाने के लिए मान गए।
एक इनोवा चालक ने डाहर चौक से पानीपत आते समय गुप्ता फैक्टरी के नजदीक पर एक बाइक सवार को टक्कर मार दी। इसमें बाइक सवार शाहपुर गांव का साहिल (25) गंभीर रूप से घायल हो गया। उसको जिला नागरिक अस्पताल में लाया गया। जहां चिकित्सकों ने उसे मृत घोषित कर दिया। इससे कुछ आगे ब्राह्मणवास गांव के नजदीक बाइक सवार दो युवकों को टक्कर मार दी। चालक ने इसके बाद एक आई-20 और एक वैगन-आर कार को टक्कर मार दी। इसमें दोनों कारों के चालकों चोट लगी और कारों के टायर फट गए। ब्राह्मणवास के पास मोटरसाइकिल सवार पलड़ी गांव का रविंंद्र (25) और बांध गांव के सौरभ (25) की भी मौत हो गई।
हादसे के बाद पुलिस ने कार को कब्जे में लेकर जांच शुरू कर दी। उधर, शुक्रवार को मृतक युवकों के परिजन सिविल अस्पताल में पहुंचे। परिजनों ने अभी तक गिरफ्तारी न होने पर रोष जताया। साथ ही प्रदर्शन शुरू कर दिया। परिजन पुलिस पट लापरवाही और आरोपी को बचाने के आरोप लगाए। इस दौरान पुलिस ने भी परिजनों की नौंक झोंक हुई। हंगामे की सूचना पर थाना मॉडल टाउन प्रबन्धक जगमेंद्र सिंह मौके पर पहुंचे और परिजनों को समझाया।
पानीपत: डेयरी संचालक की हत्या के एक महीने बाद आरोपी गिरफ्तार
11 Apr, 2025 06:41 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
हरियाणा के पानीपत में एक माह पहले हुई डेयरी संचालक की हत्या का पुलिस ने सनसनीखेज खुलासा किया है। डेयरी पर पार्ट टाइम करने के वाले एक युवक ने मारपीट का बदला लेने के लिए डेयरी संचालक की हत्या की थी। पुलिस ने आरोपी को गिरफ्तार कर लिया है। उसे अदालत में पेश कर रिमांड पर लिया।
एसपी लोकेंद्र सिंह ने बताया कि 10 मार्च को तहसील कैंप क्षेत्र के हरिसिंह कॉलोनी निवासी पशु डेयरी संचालक जल सिंह की हत्या कर दी गई थी। सुबह के समय उनका शव डेरी में ही मिला था। वारदात के बाद एसपी ने हत्याकांड का खुलासा करने के लिए अलग-अलग टीमों का गठन किया था। लगातार एक माह से पुलिस हत्याकांड का खुलासा करने में जुटी थी। शुक्रवार को पुलिस ने एक आरोपी तारा सिंह उर्फ आशीष निवासी कनसूरी यूपी हाल निवासी जावा कॉलोनी को गिरफ्तार किया।
पूछताछ में आरोपी ने बताया कि वह कभी कभी जल सिंह के पास डेयरी पर पार्ट टाइम काम करने आता था। इसके लिए वह उससे कुछ पैसे भी लेता था। एक दिन काम करते हुए जल सिंह ने उसके साथ मारपीट कर दी थी। जिस कारण वह काम पर नहीं गया। कुछ दिन बाद उसने फिर से काम पर जाना शुरू कर दिया था। 10 मार्च को शाम को उसने मादक पदार्थ से भरी हुई बीड़ी पी थी। इसके बाद तारा ने ईंट से जल सिंह के सिर पर वार कर उसकी हत्या कर दी थी। सीआईए-1 की टीम ने सेक्टर-13-17 हेलीपैड के पास से आरोपी को गिरफ्तार कर लिया है। आरोपी को एक दिन की कस्टडी रिमांड पर लिया गया है।
यूक्रेन को मिलेंगे एंटी-टैंक माइंस और लाखों ड्रोन, ब्रिटेन का बड़ा ऐलान
11 Apr, 2025 12:32 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
यूक्रेन और रूस के बीच लंबे समय से चल रहे युद्ध में अब यूरोपीय देश यूक्रेन को और ज्यादा मदद दे रहे हैं। ब्रिटेन ने शुक्रवार को घोषणा की कि वह यूक्रेन को 450 मिलियन पाउंड (लगभग 580 मिलियन डॉलर) की सैन्य सहायता देगा।
यह सहायता यूक्रेन की रक्षा को मज़बूत बनाने और भविष्य में किसी भी शांति समझौते से पहले उसे मजबूत स्थिति में लाने के लिए दी जा रही है। इस सहायता में से 350 मिलियन पाउंड ब्रिटेन के इस साल के 4.5 बिलियन पाउंड के सैन्य सहायता पैकेज से दिए जाएंगे। इसके साथ ही नॉर्वे भी इस पैकेज में अपना योगदान देगा।
ब्रिटेन के रक्षा मंत्री जॉन हीली और जर्मनी के रक्षा मंत्री बोरिस पिस्टोरियस ने ब्रसेल्स में 'यूक्रेन डिफेंस कॉन्टैक्ट ग्रुप' की बैठक की अध्यक्षता की। यह ग्रुप नाटो और अन्य सहयोगी देशों का एक समूह है, जो यूक्रेन की सहायता कर रहे हैं।
मदद में मिलेंगे हथियार, ड्रोन और मरम्मत की सुविधा
इस सहायता पैकेज के तहत यूक्रेन को हथियारों और उपकरणों की मरम्मत और रखरखाव के लिए जरूरी चीजें मिलेंगी। साथ ही इसमें रडार सिस्टम, एंटी-टैंक माइंस और लाखों की संख्या में ड्रोन भी शामिल हैं।
ब्रिटेन के रक्षा मंत्री हीली ने कहा कि "यूक्रेन डिफेंस कॉन्टैक्ट ग्रुप" का काम बहुत जरूरी है ताकि यूक्रेन को मजबूत स्थिति में लाया जा सके और रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन पर दबाव बनाया जा सके कि वह यह युद्ध समाप्त करें।
उन्होंने आगे कहा, "हम शांति को खतरे में नहीं डाल सकते, इसलिए आज का यह बड़ा सहायता पैकेज यूक्रेन की अग्रिम पंक्ति में लड़ाई को मजबूत बनाएगा।"
शांति समझौते के लिए भी हो रही है तैयारी
गुरुवार को ही ब्रिटेन और फ्रांस के नेतृत्व में एक विशेष बैठक हुई, जिसे "कोएलिशन ऑफ द विलिंग" कहा गया। इस बैठक में उन देशों के रक्षा मंत्री शामिल हुए जो युद्ध समाप्त होने की स्थिति में शांति बनाए रखने के लिए तैयार हैं।
यह पहल इसलिए की जा रही है ताकि अगर रूस और यूक्रेन के बीच शांति समझौता होता है, तो तुरंत वहां स्थिरता और शांति स्थापित की जा सके। इसमें शांति सैनिकों की भूमिका, सुरक्षा व्यवस्था और अंतरराष्ट्रीय सहयोग पर विचार किया जा रहा है।
अवैध प्रवासियों को अमेरिका से बाहर निकालने की नई रणनीति, सोशल सिक्योरिटी नंबर होंगे निष्क्रिय
11 Apr, 2025 12:26 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
वाशिंगटन। अमेरिका में ट्रंप प्रशासन ने अवैध रूप से रह रहे प्रवासियों को खुद ही देश छोड़ने के लिए मजबूर करने की एक नई योजना बनाई है। इस योजना के तहत ऐसे लोगों को सोशल सिक्योरिटी एडमिनिस्ट्रेशन की "डेथ मास्टर लिस्ट" में शामिल किया जाएगा, जिसमें आमतौर पर मृत व्यक्तियों के नाम होते हैं। इससे इन प्रवासियों के सोशल सिक्योरिटी नंबर (SSN) निष्क्रिय हो जाएंगे और वे सरकारी लाभों और वित्तीय सेवाओं से वंचित हो जाएंगे।
यह जानकारी एक प्रशासनिक अधिकारी ने दी, जिन्होंने नाम उजागर न करने की शर्त पर रॉयटर्स को बताया। यह योजना उन प्रवासियों पर लागू होगी जिन्हें बाइडेन प्रशासन के तहत अमेरिका में कानूनी रूप से अस्थायी दर्जा दिया गया था, लेकिन अब वह दर्जा रद कर दिया गया है।
सोशल सिक्योरिटी नंबर बंद होने से क्या होगा असर?
सोशल सिक्योरिटी नंबर अमेरिका में टैक्स भरने और सरकारी सेवाओं का लाभ उठाने के लिए जरूरी होता है। इसके बिना कोई व्यक्ति बैंक खाता नहीं खोल सकता, क्रेडिट कार्ड नहीं ले सकता और न ही कई अन्य जरूरी आर्थिक काम कर सकता है।
इस योजना का मकसद यह है कि अवैध रूप से रह रहे लोग जब खुद को पूरी तरह से आर्थिक रूप से कटे हुए पाएंगे, तो वे खुद ही अमेरिका छोड़ देंगे। रिपोर्ट के अनुसार, यह योजना ट्रंप प्रशासन द्वारा संवेदनशील डाटा के इस्तेमाल को और बढ़ाने की दिशा में एक और कदम है।
6,300 अपराधी या संदिग्ध आतंकवादी पहले से लिस्ट में
रिपोर्ट मे दस्तावेजों के हवाले से बताया कि अब तक 6,300 से अधिक ऐसे लोगों के नाम “डेथ मास्टर लिस्ट” में डाले जा चुके हैं, जिन्हें या तो अपराधी माना गया है या आतंकवादी गतिविधियों से जुड़ा हुआ समझा गया है।
ट्रंप प्रशासन का मानना है कि अगर अमेरिका में रहने के लिए कोई आर्थिक या कानूनी फायदा नहीं मिलेगा, तो लोग खुद ही वापस लौट जाएंगे। राष्ट्रपति ट्रंप के सहायक प्रेस सचिव लिज़ हस्टन ने कहा, "राष्ट्रपति ट्रंप ने वादा किया था कि अवैध प्रवासियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई होगी और यह योजना उसी दिशा में एक कदम है।"
टैक्स डेटा भी अब इमिग्रेशन अधिकारियों को मिलेगा
सोमवार को अमेरिकी ट्रेजरी विभाग, आंतरिक राजस्व सेवा (IRS) और होमलैंड सिक्योरिटी विभाग के बीच एक समझौता हुआ है, जिसके तहत प्रवासियों का टैक्स डेटा अब इमिग्रेशन अधिकारियों को दिया जाएगा ताकि वे ऐसे लोगों का पता लगा सकें।
इस फैसले के चलते IRS के कार्यवाहक प्रमुख और कई अन्य वरिष्ठ अधिकारियों ने इस्तीफा दे दिया है। इसके अलावा, ट्रंप प्रशासन अब उन प्रवासियों पर $998 प्रति दिन का जुर्माना लगाने की तैयारी में है, जो निर्वासन के आदेश के बावजूद अमेरिका नहीं छोड़ते। अगर वे जुर्माना नहीं चुकाते, तो उनकी संपत्ति भी जब्त की जा सकती है।
चीन में योग की बढ़ती लोकप्रियता, पीएम मोदी ने वांग झी चेंग के योगदान की तारीफ
11 Apr, 2025 12:23 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
चीन: चीन के शंघाई जैसे शहरों में आने वाले 10वें अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस समारोह की पहल की जा रही है. ये चीन के साथ भारत के गहराते सांस्कृतिक आदान-प्रदान, चीनी समाज में योग और भारतीय संस्कृति के बढ़ते प्रभाव को भी दिखा रहा है. इसी बीच शंघाई में भारत के महावाणिज्य दूत प्रतीक माथुर ने भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का एक पत्र झेजियांग विश्वविद्यालय के प्रोफेसर वांग झी चेंग को सौंपा. अपने पत्र में पीएम मोदी ने चीन में योग और भारतीय सांस्कृतिक परंपराओं के प्रचार-प्रसार में उनके प्रयासों की सराहना की है. उन्होंने कहा कि यह समारोह हांग्जो में प्रतिष्ठित झेजियांग विश्वविद्यालय परिसर में हुआ, जो भारत और चीन के बीच सांस्कृतिक संबंधों को मजबूत करने में अनमोल क्षण रहा. इस साल ये राजनयिक संबंधों की स्थापना की 75वीं वर्षगांठ मना रहे हैं.
योग पर निकाली गई किताबों से जुटाई प्रशंसा
योग और भारतीय संस्कृति का प्रभाव शारीरिक व्यायाम से परे है, ये चीनी समाज में गहराई से देखा जाता है. प्रोफ़ेसर ने योग लाइब्रेरी सीरीज़ की पुस्तकों के मुख्य संपादक हैं. ये भगवद गीता और पतंजलि के योग सूत्रों सहित प्राचीन भारतीय ग्रंथों के उनके अनुवाद, सौ से ज़्यादा वर्चुअल चर्चाओं का विषय बन गए हैं. इन्हें चीन में काफ़ी प्रशंसा मिली है. 2016 में G20 शिखर सम्मेलन के लिए प्रधानमंत्री मोदी की हांग्जो यात्रा के दौरान, प्रोफ़ेसर वांग ने व्यक्तिगत रूप से प्रधानमंत्री को भगवद गीता का अपना अनुवाद दिया था. प्रोफ़ेसर वांग के प्रयासों ने चीन में योग की बढ़ती लोकप्रियता में अहम योगदान दिया है. यह शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य के लिए व्यापक रूप से अपनाई जाने वाली प्रथा के रूप में उभरा है.
योग में चीन के लोगों की बढ़ रही है रुचि
पिछले एक दशक में, योग ने चीनी शहरों में काफ़ी लोकप्रियता हासिल की है. इसमें लाखों लोग कक्षाओं, कार्यशालाओं और अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस जैसे कार्यक्रमों में भाग ले रहे हैं. अकेले झेजियांग प्रांत में, हांग्जो, वुई और जियाक्सिंग जैसे शहरों ने बड़े पैमाने पर योग सभाओं की मेजबानी की है. इसमें हजारों लोग उत्साह के साथ शामिल हुए हैं. योग को लेकर चीनी लोगों की जीवनशैली में ये बदलाव योग के बढ़ते प्रभाव को दिखाता है. ये ताई ची जैसी पारंपरिक प्रथाओं के साथ सामंजस्यपूर्ण रूप से मिला हुआ है. योग स्वास्थ्य के लिए लोगों के समग्र दृष्टिकोण को बढ़ावा देता है. प्रोफेसर वांग ने भारतीय दार्शनिक परंपराओं में युवा चीनी लोगों के बीच बढ़ती रुचि पर ध्यान दिया है. जो ध्यान, संतुलन और आंतरिक शांति तथा चीन की अपनी सांस्कृतिक विरासत के साथ जुड़े मूल्यों पर जोर देती है.
न्यूयॉर्क में बड़ा हादसा: हवा में बिखरे हेलिकॉप्टर के परखच्चे, दर्दनाक मंजर
11 Apr, 2025 12:20 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
न्यूयॉर्क के हडसन नदी में गुरुवार को एक सैर-सपाटे के लिए उड़ रहा हेलिकॉप्टर क्रैश हो गया, जिसमें एक स्पेनिश परिवार के पांच सदस्यों सहित कुल छह लोगों की मौत हो गई। मरने वालों में तीन बच्चे और हेलिकॉप्टर का पायलट शामिल हैं। यह दर्दनाक हादसा तब हुआ जब हेलिकॉप्टर मैनहट्टन के पास उड़ान भर रहा था।
हेलिकॉप्टर, जो बेल 206 मॉडल का था, दोपहर करीब 3 बजे स्काईपोर्ट से उड़ा और मैनहट्टन के किनारे होते हुए जॉर्ज वॉशिंगटन ब्रिज तक पहुंचा। इसके बाद वह वापस मुड़ा लेकिन नियंत्रण खो बैठा और न्यू जर्सी के होबोकेन पियर के पास पानी में गिर गया।
न्यूयॉर्क पुलिस कमिश्नर जेसिका टिश के अनुसार, एनवाईपीडी और एफडीएनवाई के गोताखोरों ने सभी छह लोगों को पानी से निकाला। चार लोगों की मौके पर ही मौत हो गई, जबकि दो अन्य को अस्पताल ले जाया गया, जहां उन्होंने दम तोड़ दिया।
चश्मदीदों ने बताया आंखों देखा हाल
हादसे के कई चश्मदीद गवाहों ने बताया कि हेलिकॉप्टर हवा में ही गोल-गोल घूमता नजर आया और उसमें से धुआं निकल रहा था। एक व्यक्ति ने बताया कि ऐसा लगा जैसे हेलिकॉप्टर का रोटर ब्लेड हवा में ही टूट गया, जिससे वह सीधा पानी में गिर पड़ा। एक और गवाह ने कहा, "हेलिकॉप्टर ने स्पाइरल करना शुरू किया और फिर तेजी से पानी में गिर गया।"
एविएशन लॉयर और पूर्व मरीन कॉर्प्स पायलट जस्टिन ग्रीन ने बताया कि वीडियो देखकर लगता है कि यह एक 'कैटस्ट्रॉफिक मैकेनिकल फेल्योर' था, यानी तकनीकी खराबी इतनी गंभीर थी कि पायलट कुछ भी नहीं कर सकता था।
राष्ट्रपति ट्रंप और मेयर एरिक एडम्स की प्रतिक्रिया
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने इस हादसे को "बहुत भयानक" बताया। उन्होंने कहा, "हडसन नदी में हेलिकॉप्टर क्रैश बहुत दर्दनाक है। पायलट, दो वयस्क और तीन बच्चों की मौत हो गई। हादसे का वीडियो बहुत ही दिल दहला देने वाला है। ईश्वर पीड़ितों के परिवारों को शक्ति दे।"
ट्रंप ने यह भी कहा कि ट्रांसपोर्ट सेक्रेटरी शॉन डफी और उनकी टीम हादसे की जांच में जुटी है और जल्द ही इसकी पूरी जानकारी दी जाएगी। न्यूयॉर्क के मेयर एरिक एडम्स ने इसे "दिल तोड़ देने वाला और दुखद हादसा" बताया और कहा कि सभी पीड़ितों को पानी से निकाल लिया गया है।
पाकिस्तान के खनिज निवेश का विरोध, बलूचिस्तान और खैबर पख्तूनख्वा में गुस्से की लहर
11 Apr, 2025 12:16 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
पाकिस्तान: दुनिया भर से निवेश बुलाना पाकिस्तान के लिए जितनी बड़ी कामयाबी लग रही है, असल में उतना ही बड़ा सिरदर्द बनता जा रहा है. वजह? जिन जमीनों के नीचे खजाना दबा है जैसे बलूचिस्तान, गिलगित बाल्टिस्तान, खैबर पख्तूनख्वा, उन्हीं जमीनों के लोग अब सरकार के खिलाफ खड़े हो गए हैं. वहाँ के लोगों को लग रहा है कि उनकी जमीनें तो लूटी जा रही हैं, लेकिन हिस्सेदारी में वो पीछे छूट रहे हैं. यानी पाकिस्तान ने खनिज बेचने की तैयारी तो कर ली, लेकिन उन्हें निकालने से पहले ही विरोध की दीवार खड़ी हो गई है.
फोरम में सऊदी यूएस चीन से हुआ सौदा
दरअसल पाकिस्तान की राजधानी इस्लामाबाद में 8 और 9 अप्रैल को पाकिस्तान खनिज निवेश फोरम 2025 का खूब शोर हुआ. जिसमें दावा किया गया कि पाकिस्तान अब अपनी मिट्टी के नीचे छुपे अरबों डॉलर के खजाने को दुनिया के सामने लाने जा रहा है. मंच से प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने ऐलान कर दिया कि अब देश को किसी कर्ज देने वाले की जरूरत नहीं क्योंकि अब हमारी खदानें हमारी ताकत बनेंगी. इस फोरम में अमेरिका, सऊदी अरब और चीन जैसे देशों से आए 300 से ज्यादा निवेशकों ने हिस्सा लिया. डील्स हुईं, वादे किए गए और इसे पाकिस्तान की इकोनॉमी के लिए 'गेमचेंजर' बताया गया. लेकिन असली सवाल ये है कि क्या पाकिस्तान इन खदानों को वाकई खोद पाएगा?
बलूचिस्तान के लोगों में नाराजगी
बलूचिस्तान की रेको डेक खदान, जहां तांबे और सोने के भंडार हैं. वहां लोगों का गुस्सा सबसे ज़्यादा है. उनका आरोप है कि इस्लामाबाद सिर्फ विदेशी ताकतों और राजधानी के अमीर लोगों की जेब भरना चाहता है. खनिज उन्हीं की ज़मीन से निकलेंगे, मगर फायदा दूसरों को मिलेगा. खैबर पख्तूनख्वा, जो लंबे समय से रत्नों के लिए मशहूर रहा है, वहां भी स्थानीय लोग कह रहे हैं कि हमें तो सिर्फ धूल ही मिलती है. एक बुज़ुर्ग आदिवासी का कहना था, 'इन पहाड़ों से दौलत निकलती है, लेकिन हमारे बच्चे भूखे हैं' .
इन दो प्रांतों में लोग कर रहे विरोध प्रदर्शन
गिलगित-बाल्टिस्तान में भी माहौल गरम है. सोना, यूरेनियम और कीमती पत्थरों की भरमार वाले इस इलाके में चीनी कंपनियों को खनन के पट्टे दिए गए हैं, जिसके खिलाफ विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं. स्थानीय लोगों को डर है कि बाहरवाले उनकी ज़मीन का खजाना ले जाएंगे और बदले में कुछ नहीं मिलेगा. पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (POK) की हालत भी कुछ अलग नहीं. यहां मणिक और नीलम जैसे कीमती रत्नों के बड़े भंडार हैं. पूर्व प्रधानमंत्री सरदार अतीक अहमद खान ने साफ कहा-'हमारे खनिज विदेशी जेबों में जाएंगे और हमारे हिस्से में सिर्फ धूल ही बचेगी. सरकार भले ही विदेशी निवेश के जरिए देश की किस्मत बदलने का सपना दिखा रही हो, लेकिन जमीनी हकीकत ये है कि जिन इलाकों से खनिज निकाले जाएंगे. वहीं के लोग खुद को सबसे ज्यादा ठगा हुआ महसूस कर रहे हैं'.
हरियाणा में गर्मी से बचाव के लिए स्कूलों को सख्त निर्देश, धूप में कार्यक्रमों पर रोक
11 Apr, 2025 11:11 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
चंडीगढ़ । हरियाणा में बढ़ती गर्मी और लू की तीव्रता को देखते हुए गुरुवार को शिक्षा निदेशालय ने सभी सरकारी और निजी विद्यालयों के लिए आदेश जारी किया है। इस आदेश का मकसद छात्रों को गर्मी से सुरक्षित रखना और लू से होने वाली स्वास्थ्य समस्याओं से बचाना है।
निदेशालय की ओर से प्रदेश के सभी जिला शिक्षा अधिकारियों, जिला मौलिक शिक्षा अधिकारियों, खंड शिक्षा अधिकारियों, खंड मौलिक शिक्षा अधिकारियों और स्कूल प्रमुखों को पत्र लिखकर इन दिशा-निर्देशों की सख्ती से पालन सुनिश्चित करने के निर्देश दिए गए हैं।
निर्देशों में स्पष्ट रूप से कहा गया है कि किसी भी परिस्थिति में विद्यार्थियों को खुली धूप में न बैठाया जाए और न ही किसी प्रकार के कार्यक्रम या आयोजन खुले में किए जाएं। विद्यालयों में विद्यार्थियों के लिए स्वच्छ पीने के पानी की समुचित व्यवस्था अनिवार्य रूप से की जाए, ताकि उन्हें निर्जलीकरण से बचाया जा सके। इसके अतिरिक्त, सभी स्कूलों में दिन में तीन बार पानी पीने के लिए घंटी बजाने के आदेश दिए गए हैं, जिससे यह सुनिश्चित किया जा सके कि सभी विद्यार्थी नियमित अंतराल पर पानी पिएं और उनके शरीर में तरलता बनी रहे।
इसके अलावा, शिक्षा निदेशालय ने कहा कि स्कूलों में उपलब्ध रेड क्रॉस फंड का उपयोग करते हुए लू से बचाव हेतु ओआरएस पैकेट्स की पर्याप्त मात्रा में व्यवस्था की जाए। इसके लिए स्कूल मैनेजमेंट कमेटी (एसएमसी) को अधिकृत किया गया है ताकि वह आवश्यकता अनुसार इस निधि का प्रयोग कर सके। साथ ही विद्यार्थियों के साथ गर्मी से बचने के उपायों पर चर्चा की जाए और उन्हें जागरूक किया जाए। यदि आवश्यकता हो तो आयुष विभाग से भी संपर्क किया जा सकता है।
आपात स्थिति की तैयारी के तहत स्थानीय अस्पतालों से संपर्क की व्यवस्था रखने और प्राथमिक उपचार का प्रशिक्षण लेने की सलाह दी गई है। विद्यालयों को यह भी निर्देशित किया गया है कि वे क्लासरूम की खिड़कियों को एल्यूमीनियम पन्नी, गत्ते या अन्य रिफ्लेक्टिव सामग्री से ढंक कर रखें, जिससे गर्मी अंदर प्रवेश न कर सके। जिन खिड़कियों और दरवाजों से दोपहर में गर्म हवा आती है, उन पर पर्दे लगाए जाएं। साथ ही, मौसम के पूर्वानुमान को ध्यान से सुना जाए और संभावित तापमान वृद्धि के प्रति सतर्कता बरती जाए।
विद्यार्थियों की सुरक्षा को लेकर विशेष सतर्कता बरतने के निर्देश दिए गए हैं, जिसमें यह भी शामिल है कि उन्हें कभी भी बंद वाहनों में अकेला न छोड़ा जाए। इसके अलावा, विद्यार्थियों को यह निर्देशित किया गया है कि वे गर्मी की छुट्टियों के दौरान घर पर ही रहें और धूप में बाहर निकलने से परहेज करें। संतुलित, हल्का और नियमित भोजन करने के साथ-साथ अगर घर से बाहर निकलना अनिवार्य हो तो सिर और शरीर को कपड़े या टोपी से ढंक कर निकलें।
विद्यालयों को यह भी कहा गया है कि वे बाहरी गतिविधियों का आयोजन सुबह 10 बजे तक संपन्न कर लें, ताकि विद्यार्थियों को तीव्र गर्मी से बचाया जा सके। शिक्षा निदेशालय द्वारा जारी यह आदेश विद्यार्थियों के स्वास्थ्य और सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए लिया गया एक महत्वपूर्ण कदम है, जिसे राज्यभर के सभी स्कूलों में तत्काल प्रभाव से लागू किया जाना अनिवार्य है।
अमेरिका का टैरिफ धमाका: चीन समेत 60 देशों पर बढ़ा शुल्क, हर दिन कमा रहे 2 बिलियन डॉलर
11 Apr, 2025 08:36 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
अमेरिका: अमेरिका राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की टैरिफ पॉलिसी को लेकर पूरी दुनिया के अर्थ जगत में हड़कंप जैसी स्थिति देखी गई. चीन ने जब अमेरिका का विरोध किया, तो दोनों देशों के बीच टैरिफ वॉर छिड़ गया. हालांकि जिन देशों ने अमेरिकी टैरिफ नीति पर जवाबी कार्रवाई नहीं की, उसके लिए अमेरिका ने 90 दिनों की छूट की घोषणा की. हालांकि इस दौरान भी इन देशों पर 10% टैरिफ लगता ही रहेगा. टैरिफ को लेकर हो रही इस चर्चा के बीच एक सवाल सबके मन में उठता है कि आखिर इस टैरिफ से अमेरिका को कितनी कमाई होती है. टैरिफ से हो रही कमाई के बारे में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने खुद बताया है कि अमेरिका टैरिफ लगाकर रोजाना दो बिलियन डॉलर कमा रहा है. हालांकि, इससे दुनिया के दूसरे देशों को नुकसान हो रहा है. लेकिन इस तरह, अमेरिका का खजाना पूरा भर रहा है.
टैरिफ अमेरिकी उद्योग को मजबूत करने के लिए जरूरीः ट्रंप
डोनाल्ड ट्रंप ने टैरिफ को 'विस्फोटक' बताया है, जिसका मतलब है कि उन्हें लगता है कि इसका प्रभाव बहुत बड़ा होगा. वे व्हाइट हाउस में सांसदों और मंत्रियों के साथ बात करते हुए कह रहे थे कि ये टैरिफ अमेरिकी उद्योग को फिर से मजबूत बनाने के लिए जरूरी हैं.
ट्रंप ने बताया- टैरिफ ने रोज 2 बिलियन डॉलर की हो रही कमाई
उन्होंने बताया कि उन्होंने 60 देशों के खिलाफ टैरिफ बढ़ाने का ऐलान कर दिया है. ट्रंप का कहना है कि इन टैरिफ से अमेरिका को हर दिन 2 बिलियन डॉलर की आमदनी हो रही है. दो बिलियन डॉलर यानी कि 200 करोड़ डॉलर हर रोज. इसे भारतीय मुद्रा में बदले तो यह रकम 1,72,08,38,00,000 रुपए होती है. हालांकि ट्रंप ने यह नहीं बताया कि यह आमदनी किस टैरिफ से आई है और वास्तविक राजस्व कितना बढ़ा है. अमेरिका ने चीन से आने वाले सामान पर 104% तक टैक्स लगाने का फैसला किया है. इसका मतलब है कि चीन से जिन चीजों पर पहले से टैक्स लगता था, अब उसमें 50% और बढ़ोतरी की जाएगी. यह नया टैक्स मंगलवार रात से लागू हो चूका है.
कई देशों ने अमेरिकी श्रमिकों के अधिकारों की अनदेखी की
व्हाइट हाउस के एक प्रवक्ता ने कहा कि राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने अमेरिकी कामकाजी लोगों और उद्योगों की रक्षा के लिए ये कदम उठाए हैं. इसके कारण दुनिया के कई देशों ने अमेरिका के साथ व्यापार समझौते करने की इच्छा जताई है. प्रवक्ता ने बताया कि कई देशों ने लंबे समय तक अमेरिकी श्रमिकों के अधिकारों की अनदेखी की है, और अब ऐसा नहीं होने दिया जाएगा.