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यूक्रेन में गिरफ्तार चीनी सैनिकों का दावा, रूस ने उन्हें मारने की योजना बनाई थी
10 Apr, 2025 01:51 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
यूक्रेन में पकड़े गए चीनी सैनिकों ने रूस, व्लादिमीर पुतिन और अपने देश चीन को लेकर बड़ा खुलासा किया है. पकड़े गए चीनी सैनिकों का कहना है कि रूस ने उन्हें मारने की तैयारी कर ली थी, इसलिए वे लोग सरेंडर कर गए. यूक्रेन के राष्ट्रपति वोल्दोमीर जेलेंस्की ने खुद इन चीनी सैनिकों से पूछताछ की है.
चीनी सैनिकों में से एक हेनान और दूसरा जियांग्शी प्रांत का रहने वाला है. दोनों की भर्ती रूसी सैनिकों के अनुबंध के तहत की गई है. दोनों पिछले कई महीनों से युद्ध के मोर्चे पर तैनात थे.
सरेंडर से पहले मारने की साजिश
पकड़े गए चीनी सैनिकों में से एक ने जेलेंस्की को बताया कि हम दोनों के साथ एक रूसी सैनिक सरेंडर करना चाहता था. इसकी भनक रूस की सेना को लग गई. खबर मिलते ही रूस की सेना ने हमें मारने की कोशिश की. वे लोग हम पर बम भी फेंके, लेकिन हम बच गए.
चीनी सैनिकों का कहना है कि वे पहले कभी युद्ध के मोर्चे पर नहीं गए. पहली बार उन्हें रूस में युद्ध के मोर्चे पर भेजा गया. इन सैनिकों का कहना है कि उन्हें नहीं पता था कि रूस की सेना इतनी क्रूर सेना है.
चीन के लोग पैसे के चक्कर में आ रहे
यूक्रेनी सेना के गिरफ्त में आए चीनी सैनिकों का कहना था कि चीन में नौकरी की संकट है. यही वजह है कि लोग यहां से उन जगहों पर जा रहे हैं, जहां पैसे और भविष्य की संभावनाएं उन्हें दिख रही है. चीन से बेहतर देश की तलाश में लोग जा रहे हैं. हम दोनों भी इसी कोशिश में रूस आए थे.
रूस के लिए लड़ने पर ज्यादा पैसे मिलते हैं. यही वजह है कि चीन के अधिकांश लोग रूस के लिए जंग लड़ रहे हैं. जेलेंस्की का कहना है कि चीन के 160 से ज्यादा सैनिक जंग के मैदान में डटे हुए हैं. सैनिकों का कहना है कि जिनपिंग की सरकार इसे रोकने में कोई दिलचस्पी नहीं ले रही है.
जेलेंस्की के मुताबिक रूस के समर्थन में चीन, उत्तर कोरिया और ईरान के सैनिक जंग लड़ रहे हैं. यूक्रेन ने चीन से संपर्क कर इस पर सफाई देने के लिए कहा है. यूक्रेन ने इसे पीठ के पीछे खंजर मारने का आरोप लगाया है.
ट्रंप सरकार का बड़ा ऐलान: यहूदी विरोधी सोच रखने वालों की एंट्री बंद
10 Apr, 2025 11:43 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
अमेरिका में रह रहे इजराइल विरोधी लोगों की अब खेर नहीं है. अमेरिका के आव्रजन अधिकारियों ने बुधवार को ऐलान किया कि वे सोशल मीडिया अकाउंट्स की जांच करेंगे और उन लोगों को वीजा या ग्रीन कार्ड नहीं दिया जाएगा जो राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के प्रशासन द्वारा यहूदी विरोधी (Anti-Semitic) मानी जाने वाली सामग्री पोस्ट करते हैं.
यहूदी विरोधी के रूप में माने जाने वाली पोस्टों में अमेरिका की ओर से आतंकवादी घोषित किए गए समूहों के समर्थन में सोशल मीडिया पर लिखना या कुछ शेयर शामिल होगा, जिसमें हमास, लेबनान का हिजबुल्लाह और यमन का हूती शामिल हैं. यह कदम ट्रंप प्रशासन की ओर अमेरिका के अंदर छात्रों के लिए विवादास्पद रूप से वीजा रद्द करने के बाद उठाया गया है, जहां संविधान का पहला संशोधन अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की गारंटी देता है.
होमलैंड सुरक्षा सचिव क्रिस्टी नोएम ने साफ किया कि जो कोई भी सोचता है कि वह अमेरिका आ सकता है और यहूदी विरोधी हिंसा और आतंकवाद की वकालत करने के लिए पहले संशोधन के पीछे छिप सकता है – उसे फिर से सोचना चाहिए. आपका यहां स्वागत नहीं है.”
फैसले को माना जा रहा अभिव्यक्ति की आजादी उल्लंघन
बयान में कहा गया है कि अमेरिकी नागरिकता और आव्रजन सेवाएं “ऐसी सोशल मीडिया सामग्री पर विचार करेंगी जो किसी विदेशी द्वारा यहूदी विरोधी आतंकवाद, यहूदी विरोधी आतंकवादी संगठनों या अन्य यहूदी विरोधी गतिविधि का समर्थन, समर्थन, प्रचार या समर्थन करने का संकेत देती है.” ट्रंप प्रशासन के इस कदम को उदारवादी लोग अभिव्यक्ति की आजादी के खिलाफ मान रहे हैं.
इजराइल का विरोध करना पड़ रहा भारी
अमेरिका के विदेश मंत्री मार्को रुबियो ने पिछले महीने के अंत में कहा था कि उन्होंने करीब 300 लोगों के वीजा रद्द कर दिए हैं और ऐसा वे रोजाना कर रहे हैं. जिन लोगों के वीजा रद्द किए गए हैं, उनमें से कई लोगों का कहना है कि उन्होंने यहूदियों के प्रति कभी भी कोई विरोध नहीं जताया, जबकि कुछ लोगों का कहना है कि उन्हें इसलिए निशाना बनाया गया क्योंकि वे खुद को विरोध प्रदर्शनों वाली जगह पर पाते थे.
अमेरिका-चीन के बीच टैरिफ की जंग, भारत को बना रहे सहयोगी
10 Apr, 2025 11:36 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप टैरिफ को लेकर जंग छेड़े हुए हैं. इस वॉर में उनका तगड़ा प्रहार चीन पर होता है. दोनों मुल्कों में होड़ मची है कि कौन किसपर ज्यादा टैरिफ लगाता है. टैरिफ को लेकर छिड़ी इस जंग में भारत की अहमियत भी बढ़ गई है. चीन पहले ही कह चुका है कि वो और भारत साथ मिलकर टैरिफ की चुनौतियों से बाहर निकल सकते हैं तो वहीं अब अमेरिका भी इस लड़ाई में भारत का साथ चाह रहा है. अमेरिका के वित्त सचिव स्कॉट बेसेंट ने कहा कि भारत हमारा महत्वपूर्ण ट्रेड पार्टनर है.
क्या बोले वित्त सचिव?
अमेरिकी वित्त सचिव स्कॉट बेसेंट ने व्हाइट हाउस में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में चीन पर 125 प्रतिशत टैरिफ पर कहा कि यह मुद्दा केवल देश के बारे में नहीं है, बल्कि वैश्विक व्यापार में बेड एक्टर्स के बारे में भी है. ब्रीफिंग के दौरान, बेसेंट ने कहा कि टैरिफ को लेकर घोषणाओं के बीच व्यापार वार्ता मुख्य रूप से जापान, दक्षिण कोरिया और भारत जैसे चीन के पड़ोसियों के साथ हो रही है.
उन्होंने कहा कि ये बेड एक्टर्स के बारे में है. चीन के पड़ोसियों पर हमारी नजर है. मैंने वियतनाम को देखा है. जापान सबसे आगे है, उसके बाद दक्षिण कोरिया और भारत. जैसा कि मैंने बार-बार कहा है और राष्ट्रपति ट्रंप चार साल से कह रहे हैं, चीन आधुनिक दुनिया इतिहास में सबसे असंतुलित अर्थव्यवस्था है और वे अमेरिकी व्यापार समस्याओं का सबसे बड़ा स्रोत हैं. वास्तव में वे बाकी दुनिया के लिए एक समस्या हैं.
स्कॉट बेसेंट ने कहा, मैं इसे ट्रेड वॉर नहीं कह रहा हूं, लेकिन मैं यह कह रहा हूं कि चीन ने इसे बढ़ा दिया है और राष्ट्रपति ने इसका बहुत साहस के साथ जवाब दिया है और हम अपने व्यापारिक साझेदारों के साथ समाधान पर काम करने जा रहे हैं.
भारत का क्या स्टैंड?
टैरिफ की इस लड़ाई में भारत का भी रुख साफ है. वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने साफ कर दिया है सरकार देश के हित में काम कर रही है. उन्होंने कहा कि घबराने की जरूरत नहीं है. सरकार देश के सर्वोत्तम हित में काम कर रही है और समाधान तलाश रही है.
चीन भी भारत की ओर देख रहा
भारत में चीनी दूतावास के प्रवक्ता ने इससे पहले कहा कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के प्रशासन द्वारा लगाए गए टैरिफ से बनी चुनौतियों से निपटने के लिए भारत और चीन को एक साथ खड़ा होना चाहिए. प्रवक्ता यू जिंग ने एक्स पर एक पोस्ट में कहा, चीन-भारत आर्थिक और व्यापारिक संबंध पारस्परिक लाभ पर आधारित हैं. अमेरिका टैरिफ का दुरुपयोग कर रहा है ऐसे में दो सबसे बड़े विकासशील देशों को कठिनाइयों से निपटने के लिए एक साथ खड़ा होना चाहिए.
अमेरिका-वियतनाम के बीच ट्रेड डील
इस बीच, वियतनाम सरकार ने कहा है कि अमेरिका और वियतनाम व्यापार समझौते के लिए वार्ता शुरू करने पर सहमत हो गए हैं. यह बात अमेरिका द्वारा वियतनाम पर 46% टैरिफ पर रोक लगाने के कुछ घंटों बाद कही गई. वियतनाम अनेक पश्चिमी कम्पनियों के लिए एक प्रमुख क्षेत्रीय विनिर्माण आधार है. अमेरिका उसका सबसे बड़ा निर्याता बाजार है.
मरियम नवाज के नेतृत्व में पंजाब की कृषि नीति में बड़ा बदलाव
10 Apr, 2025 11:24 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
पंजाब की मुख्यमंत्री मरियम नवाज शरीफ ने अपने सूबे के विकास के लिए कई कदम उठाए हैं. उनके सत्ता में आने के बाद से पंजाब की कई मूलभूत सुविधाओं में सुधार हुआ है. एक और ऐतिहासिक कदम उठाते हुए मरियम नवाज ने गेहूं विनियमन (Deregulation) को मंजूरी दी है और कृषि सुधार के लिए फ्री मार्केट पॉलिसी शुरू की है.
मुख्यमंत्री का ये कदम गेहूं के अंतर-प्रांतीय परिवहन (inter-provincial transportation) से प्रतिबंध हटाता है, जिससे किसानों को प्रतिस्पर्धी बाजारों तक पहुंच बनाने और अपनी फसल को अच्छे दामों में बेचने में मदद मिलेगी. इस निर्णय के बाद मुख्यमंत्री ने कहा, “पंजाब से गेहूं को स्वतंत्र रूप से ट्रांसपोर्ट करने की अनुमति मिलने से किसान अब अपनी फसल का पूरा मूल्य प्राप्त कर सकेंगे.” फ्री मार्केट नीति से बाजार की गतिशीलता में उल्लेखनीय बढ़ोतरी होने और पूरे सूबे में किसानों को सशक्त बनाने की उम्मीद है.
गेहूं की होगी निजी खरीद
पाकिस्तान के किसानों से गेहूं सरकार द्वारा खरीदा जाता था, जिसके कारण मार्केट कॉम्पिटिशन का किसानों को ज्यादा फायदा नहीं मिलता था. एक अन्य ऐतिहासिक फैसले में मरियम नवाज शरीफ ने ऐलान किया है कि इस साल गेहूं की खरीद निजी क्षेत्र के जरिए की जाएगी.
पंजाब के इतिहास में पहली बार, निजी संस्थाएं गेहूं की खरीद में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने जा रही हैं. इस पहल का उद्देश्य खरीदारों के बीच प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा देना है, जिससे किसानों को बेहतर मूल्य निर्धारण और बाजार पहुंच से लाभ होगा.
एक हजार ट्रैक्टर किसानों को फ्री दिए
मुख्यमंत्री मरियम नवाज शरीफ के नेतृत्व में पंजाब सरकार कई किसान-हितैषी नीतियों चला रही है, जो सरकार की प्रतिबद्धता क्षेत्र में कृषि स्थिरता और आर्थिक विकास को बढ़ावा दे रही है. गेहूं विनियमन और मुक्त बाजार नीति कृषि को बढ़ावा देने के लिए पंजाब की व्यापक रणनीति के अनुरूप है.
सरकार ने गेहूं उत्पादन बढ़ाने के लिए काफी सीरियस नजर आ रही है. उसने गेहूं उत्पादक किसानों को 1,000 ट्रैक्टर भी मुफ्त में वितरित किए हैं, जिससे उनके प्रयासों को और बढ़ावा मिला है. ये पहल किसानों को सशक्त बनाने और कृषि स्थिरता को बढ़ाने के लिए प्रशासन के समर्पण को दिखाती है.
कनाडा का नया कदम: कराची में नागरिक महावाणिज्यदूत की नियुक्ति की तैयारी
10 Apr, 2025 11:17 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
कनाडा की ओर से उठाए जा रहे कदमों से लग रहा है कि वह भारत के साथ अपने विवादों को और बढ़ाने में लगा है. कभी खालिस्तानियों समर्थन तो कभी भारत को लेकर कनाडाई नेताओं के बयानों से दोनों देशों के रिश्तों में दूरी बड़ी है. भारत के साथ तनाव के बीच कनाडा पाकिस्तान से अपनी नजदीकियां बढ़ा रहा है. कनाडा के उच्चायोग ने कराची में नागरिक महावाणिज्यदूत की नियुक्ति के लिए आधिकारिक तौर पर आवेदन आमंत्रित किए हैं. भारत के लिए कनाडा और पाक की करीबी इसलिए भी चिंता का विषय है, क्योंकि दोनों ही देश समय-समय पर खालिस्तानी विद्रोहियों का समर्थन करते रहे हैं.
कराची में कनाडा के महावाणिज्यदूत की तैनाती दोनों देशों के संबंधों के लिए एक महत्वपूर्ण कूटनीतिक विकास है. कनाडा ने इस पद के लिए एक पब्लिक एडवर्टाइजमेंट जारी किया और इसमें आवेदन देने की आखिरी तारीख 15 जून है. विज्ञापन में कहा गया है कि चयनित उम्मीदवार पांच साल के लिए नियुक्त किया जाएगा, जिसके दौरान वे कराची और सिंध में कनाडा की सकारात्मक छवि को बढ़ावा देने का काम करेगा. साथ ही आवेदकों को अंग्रेजी और फ्रेंच भाषा में महारत हासिल होने चाहिए.
संस्कृती से लेकर व्यापार दोनों का होगा आदान-प्रदान
महावाणिज्यदूत की नियुक्ति दोनों देशों की सांस्कृतिक, आर्थिक और राजनीतिक आदान-प्रदान को प्राथमिकता देती है और दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत बनाती है. यह नियुक्ति 2023 में बहरूम डी. अवारी के निधन के बाद हुई है, जो पहले मानद महावाणिज्यदूत पद पर थे. कनाडाई उच्चायोग का मकसद कराची में राजनयिक प्रतिनिधित्व और इंगेजमेंट बनाए रखना है.
क्या काम करता है मानद महावाणिज्यदूत?
मानद महावाणिज्यदूत एक देश का राजनयिक प्रतिनिधि होता है जो किसी अन्य देश में अपने देश के हितों की रक्षा करता है, लेकिन वह अपने देश की सरकार से वेतन नहीं लेता और आमतौर पर मेजबान देश का नागरिक होता है. कनाडा के मानद महावाणिज्यदूत कनाडा के हितों का प्रतिनिधित्व करने और सिंध प्रांत में कनाडाई नागरिकों का समर्थन करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं.
ये दूत कनाडा और पाक के बीच संपर्क के रूप में कार्य करते हुए, साथ ही कनाडाई व्यवसायों और व्यक्तियों के लिए ये एक संपर्क बिंदु है, जिससे राजनयिक जुड़ाव और सहायता सुनिश्चित होती है. साथ ही कनाडा के मूल्यों, संस्कृति और आर्थिक और राजनीतिक हितों को बढ़ावा देना भी इनकी प्रमुख जिम्मेदारी होती है.
यूक्रेन का दावा: रूसी सेना में लड़ रहे दो चीनी नागरिक पकड़े गए
10 Apr, 2025 11:06 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
रूस-यूक्रेन जंग के दौरान रूस की सेना में बाहर के सैनिकों के लड़ने की कई बार खबरें आई हैं. यूक्रेनी राष्ट्रपति वोलोडिमिर ज़ेलेंस्की ने मंगलवार को कहा कि उनकी सेना ने रूसी सेना के साथ लड़ रहे दो चीनी लोगों को पकड़ लिया है. कीव के मुताबिक यूक्रेनी खुफिया दस्तावेज़ में खुलासा हुआ है कि अप्रैल के शुरू तक कम से कम 163 चीनी नागरिक रूस की सशस्त्र सेनाओं में शामिल हैं.
राष्ट्रपति वोलोडिमिर ज़ेलेंस्की ने 9 अप्रैल की प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा, “155 चीनी नागरिक यूक्रेन की धरती पर यूक्रेनियन के खिलाफ लड़ रहे हैं.” जेलेंस्की के इस दावे को चीन ने खारिज किया और इसको निराधार बताया. इससे पहले भारत, नेपाल और अन्य देशों के लोगों को भी जबरन यूक्रेन के खिलाफ मोर्चे पर भेजने का खुलासा हुआ था.
रूसी सेना दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी सेना है, जिसमें लगभग 1.5 मिलियन सक्रिय सैनिक और 2 मिलियन रिजर्व सैनिक हैं. फिर सवाल आता है कि रूस के खुद के सैनिक कहां हैं, दो वह यूक्रेन के खिलाफ भाड़े के सैनिक भेज रहा है.
कहा गई पुतिन के सेना?
तीन साल से लंबे चले युद्ध के बाद रूसी सेना के मनोबल में भारी कमी आई है. युद्ध की शुरुआत में लग रहा था कि यूक्रेन को रूस आसानी से हरा लेगा, लेकिन यूक्रेन ने रूस का डट के सामना किया है और अभी तक हार नहीं मानी है. कई खबरों में बताया गया है कि रूस के सैनिक बीमारी या कोई और बहाना लेकर मैदान छोड़ कर भाग रहे हैं. वहीं रूसी सैनिकों में डिप्रेशन की समस्या भी काफी बढ़ गई है. ऐसे में माना जा रहा है कि रूस किराए के सैनिकों पर निर्भर हो गया है और इन्हें दुनिया भर से रिक्रूट कर रहा है.
उत्तर कोरिया के साथ सौदा
रूस ने उत्तर कोरिया के साथ रक्षा डील की है और उत्तर कोरिया ने खुले तौर पर रूस में अपने सैनिकों को भेजा. जो यूक्रेन सेना के खिलाफ लड़ रहे हैं. किराए के सैनिकों का बार-बार सामने आना रूस जैसे बड़े देश के लिए शर्म का पल है, क्योंकि रूस अपने आपको अमेरिका की टक्कर का मानते हैं और उसके सैनिक यूक्रेन जैसे देश के सामने टिक नहीं पा रहे हैं.
अमेरिका और ईरान के बीच ओमान में परमाणु प्रोग्राम पर अहम बैठक शनिवार को
10 Apr, 2025 10:56 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
अमेरिका और ईरान शनिवार को ओमान में एक दूसरे के साथ न्यूक्लियर प्रोग्राम पर बैठक करने जा रहे हैं. ट्रंप ने अपने पिछले कार्यकाल में अमेरिका को परमाणु डील से बाहर कर लिया था, जिसके बाद से ईरान और अमेरिका में तनाव बढ़ गया था और अब ये तनाव अपने चरम पर है. डोनाल्ड ट्रंप चाहते हैं कि ईरान परमाणु प्रोग्राम को लेकर डील करे, जिसमें उसको परमाणु बम बनाने से रोका जा सके.
ट्रंप पहले ही धमकी दे चुके हैं कि अगर ईरान डील नहीं करता, तो उसके परिणाम भुगतने होंगे. बुधवार को डोनाल्ड ट्रंप ने कहा कि सैन्य कार्रवाई ‘बिल्कुल’ परमाणु समझौते का विकल्प होगी और शनिवार को शुरू होने वाली वार्ता विफल होने पर इजराइल किसी भी हमले का नेतृत्व करेगा. यानी कि ये साफ हो गया है कि अमेरिका से डील न होने पर इजराइल ईरान पर बड़ा हमला कर सकता है.
ओमान में होने वाली वार्ता का जिक्र करते हुए उन्होंने व्हाइट हाउस में मीडिया से कहा, यह एक शुरुआत है, हमारे पास थोड़ा समय है, लेकिन हमारे पास ज्यादा समय नहीं है क्योंकि हम उन्हें परमाणु हथियार नहीं रखने देंगे.
ट्रंप ने ईरान के सामने रखी मांग
डोनाल्ड ट्रंप ने कहा, तेहरान एक कठिन परिस्थिति में है, लेकिन वे समझते हैं और मैं ज्यादा कुछ नहीं मांग रहा हूं. उनके पास परमाणु हथियार नहीं हो सकते. उन्होंने साफ किया कि अगर ईरान सैन्य लड़ाई चाहता है, तो हम तैयार हैं. ट्रंप ने कहा, “जाहिर है कि इजराइल इसमें बहुत अधिक शामिल होगा, वह इसका नेता होगा. लेकिन कोई भी हमारा नेतृत्व नहीं करता, हम वही करते हैं जो हम करना चाहते हैं.
ईरान पर दबाव बनाने की कोशिश
ट्रंप का ये बयान शनिवार को ईरानी अधिकारियों के साथ होने वाली सीधी वार्ता से कुछ दिन पहले आया है. उन्होंने सोमवार को प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू के साथ संयुक्त रूप से कहा था, “हम ईरान के साथ सीधी वार्ता कर रहे हैं. वे शुरू हो चुकी है और शनिवार को शुरू होगी. शायद कोई समझौता हो जाए.” जानकार वार्ता से पहले ट्रंप के इस बयान को ईरान पर दबाव बनाने के लिए दिया गया बयान मान रहे हैं. लेकिन ये साफ हो गया है इस वार्ता पर इजराइल की पैनी नजर रहने वाली है.
घिबली ट्रेंड सोशल मीडिया पर छाया, प्राइवेसी को हो सकता है खतरा, एसपी ने दी चेतावनी!
9 Apr, 2025 06:20 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
एसपी राजेश कालिया ने कहा कि हाल ही में सोशल मीडिया पर एक नया ट्रेंड छाया हुआ है घिबली स्टाइल इमेज। लोग अपनी पर्सनल फोटो को चैट जीपीटी और अन्य प्लेटफार्म पर अपलोड कर घिबली एनीमेशन जैसी इमेज बना रहे हैं। यह खतरनाक है। एसपी ने कहा कि यह ट्रेंड सेलिब्रिटी से लेकर आम लोगों तक सभी में लोकप्रिय है, लेकिन वह नहीं जानते हैं कि यह ट्रेंड उनकी प्राइवेसी के लिए खतरा बन सकता है।
सावधानी रखें एआई स्कैम से बचकर रहें
इस संदर्भ में एडवाइजरी जारी करते हुए एसपी ने बताया कि साइबर एक्सपर्ट का मानना है कि ओपन एआइ जैसी कंपनियां, इन फोटो का उपयोग एआइ ट्रेनिंग के लिए कर सकती हैं और बिना आपकी सहमति के ये फोटोज डेटा ब्रोकर के जरिए साइबर फ्रॉड करने वाले अपराधियों के हाथों में पहुंच सकती हैं। साइबर अपराधी इन फोटो का गलत इस्तेमाल कर आपको ब्लैकमेल कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि जैसे-जैसे टेक्नालाजी अपना रूप बदल रही है वैसे-वैसे साइबर अपराधी ठगी के नए-नए तरीके अपना रहे हैं। नागरिक सावधानी रखकर एआइ स्कैम से बच सकते हैं।
उन्होंने कहा कि कुछ समय पहले तक जालसाज लिंक भेजकर, फर्जी वेबसाइट बनाकर आनलाइन जालसाजी करते थे, लेकिन अब फ्रॉड के लिए एआइ तकनीक का इस्तेमाल किया जा रहा है। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस तकनीक के जरिए साइबर अपराधी लोगों की आवाज को भी कॉपी कर साइबर फ्राड को अंजाम दे रहे हैं। फोटो के जरिए आपका नकली वीडियो बनाकर ब्लैकमेल कर पैसों की डिमांड की जा रही है।
अनजान नंबर से कॉल आए तो हो जाएं सतर्क
आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के माध्यम से नामी लोगों के डीप फेक वीडियो के कई मामले सामने आ चुके हैं। यदि किसी अनजान नंबर से आपके पास कॉल या वीडियो कॉल आया है और उसमें आपके पहचान वाले व्यक्ति की आवाज सुनाई दे रही है या उसका वीडियो दिख रहा है तो उसकी बातों में आने के बजाय उसकी पड़ताल करें और उसके असली नंबर पर संपर्क करें। ऐसा करके आप खुद को स्कैम से बचा पाएंगे। आधुनिकता की इस युग में सावधानी व सतर्कता ही साइबर अपराधियों से बचने का बेहतर उपाय है।
क्या है घिबली
घिबली एक एआई टूल है। चेट जीपीटी के जरिए लोग अपने सिंपल फोटोज को घिबली स्टाइल (एनिमेशन) में बदल रहे हैं। यह आजकल ट्रेंड में बना हुआ है। घिबली एक जापानी एनिमेशन स्टूडियो है, जिसके नाम पर यह ट्रेंड चल रहा है।
कैथल: अजीमगढ़ चौकी के पास ब्लास्ट की धमकी देने वाले दो आरोपियों के खिलाफ पुलिस ने किया केस दर्ज!
9 Apr, 2025 06:12 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
हरियाणा के कैथल जिले के अजीमगढ़ चौकी के पास ब्लास्ट करने की बात कह कर दहशत पैदा करने के मामले को लेकर पुलिस ने मन्नू अगवान व पचियागोपी नवासरिया के खिलाफ केस दर्ज किया है। इस मामले को लेकर पुलिस जांच कर रही है। अभी तक किसी की भी गिरफ्तारी नहीं हो पाई है।
बब्बर खालसा ग्रुप ने सोशल मीडिया पर डाली थी पोस्ट
बता दें कि छह अप्रैल को सोशल मीडिया पर बब्बर खालसा ग्रुप की तरफ से एक पोस्ट डाली गई थी। इसमें लिखा था कि सुबह करीब 4 बजे जीनगढ़ चौकी (हरियाणा) में जो ग्रेनेड हमला हुआ है, उसकी जिम्मेदारी मैं लेता हूं। चौकी का नाम जीनगढ़ लिखा गया था। इस पोस्ट के बाद हरियाणा सहित पंजाब पुलिस सतर्क हो गई थी।
बाद में पता चला कि जीनगढ़ नहीं अजीमगढ़ चौकी हो सकती है, जो गुहला हलके में पंजाब बॉर्डर पर लगती है। उस समय जांच के बाद पुलिस ने इस पोस्ट को मात्र अफवाह बताया था और कहा था कि चौकी या चौकी के आसपास कोई ऐसा हमला नहीं हुआ है। हालांकि, उसी दिन से इस मामले की जांच में पंजाब पुलिस के साथ-साथ हरियाणा पुलिस लगी हुई है, लेकिन अभी तक किसी की गिरफ्तारी नहीं हो पाई।
दो आरोपियों के खिलाफ पुलिस ने दर्ज किया केस
अब इस मामले में चौकी इंचार्ज सब इंस्पेक्टर दलबीर सिंह की शिकायत पर गुहला थाने में मन्नू अगवान व पचियागोपी नवासरिया के खिलाफ केस दर्ज किया है। बताया जा रहा है कि इन लोगों ने ही सोशल मीडिया पर पोस्ट डालकर हमले की जिम्मेदारी ली थी।
लगातार अजीमगढ़ चौकी पर एसपी राजेश कालिया सहित पुलिस के उच्चाधिकारियों का आना-जाना लगा हुआ है। बताया जा रहा है कि जहां पर ब्लास्ट होने की बात कही जा रही है, वहां से मिट्टी के सैंपल लेकर जांच के लिए भेजा गया है। जांच के बाद ही पता चल पाएगा कि जिस जगह विस्फोट होने की बात कही गई थी, वह कौनसा ज्वलनशील पदार्थ था?
अजीमगढ़ चौकी के पास ब्लास्ट करने के आरोप में मन्नू अगवान व पचियागोपी नवासरिया के खिलाफ केस दर्ज किया है। इस मामले में कैथल पुलिस सहित पंजाब पुलिस भी मामले में जांच कर रही है।
डीएसपी, सुशील प्रकाश
ऊर्जा मंत्री विज ने थर्मल प्लांट का किया निरीक्षण, बिजली उत्पादन के बारे में की समीक्षा
9 Apr, 2025 04:28 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
ऊर्जा मंत्री अनिल विज बुधवार को दीन बंधू छोटूराम थर्मल प्लांट का निरीक्षण करने पहुंचे। इस दौरान उन्हें गार्ड ऑफ ऑनर दिया गया। बाद में, चीफ इंजीनियर रमन सोबती ने मंत्री को थर्मल प्लांट का विस्तृत निरीक्षण कराया और उन्हें प्लांट की कार्यप्रणाली तथा तकनीकी जानकारी दी।
मंत्री अनिल विज ने प्लांट में लगे उपकरणों और मशीनों का बारीकी से मुआयना किया और उनके संचालन की प्रक्रिया को समझा। रमन सोबती ने मंत्री को यह भी बताया कि प्लांट में किस प्रकार बिजली का उत्पादन किया जाता है। इसके साथ ही, विज ने 7272 करोड़ रुपये की लागत से स्थापित होने वाली नई 800 मेगावाट अल्ट्रा-सुपरक्रिटिकल यूनिट के निर्माण स्थल का भी निरीक्षण किया।
पुतिन ने मोदी को 9 मई के विक्ट्री डे परेड में शामिल होने के लिए भेजा न्योता
9 Apr, 2025 04:24 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
मॉस्को। रूस ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को 9 मई को होने वाले जर्मनी पर विजय की 80वीं वर्षगांठ के जश्न में शामिल होने के लिए आमंत्रित किया है। यह जानकारी रूस के उप विदेश मंत्री आंद्रेई रूडेंको ने दी। उनका कहना था कि रूस को उम्मीद है कि प्रधानमंत्री मोदी इस साल के विजय दिवस परेड में हिस्सा लेंगे।
आमंत्रण भेजा गया, यात्रा पर काम हो रहा है
रिपोर्ट के मुताबिक, रूडेंको ने मंगलवार को कहा, "प्रधानमंत्री मोदी को आमंत्रण भेजा जा चुका है और इस यात्रा पर काम किया जा रहा है। यह यात्रा इस साल होनी चाहिए।" रूस ने इस साल विजय दिवस परेड में कई मित्र देशों के नेताओं को आमंत्रित किया है।
विजय दिवस की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि
बता दें, जनवरी 1945 में सोवियत सेना ने जर्मनी के खिलाफ आक्रमण शुरू किया था। 9 मई को जर्मनी के कमांडर-इन-चीफ ने बिना शर्त आत्मसमर्पण की संधि पर हस्ताक्षर किए, जिसके साथ ही द्वितीय विश्व युद्ध का समापन हुआ था। रूस में इस दिन को विजय दिवस के रूप में मनाया जाता है।
पीएम मोदी की रूस यात्रा और भविष्य की योजनाएं
प्रधानमंत्री मोदी ने जुलाई 2024 में रूस का दौरा किया था, जो लगभग पांच वर्षों में उनका पहला यात्रा था। इससे पहले, उन्होंने 2019 में रूस के पूर्वी शहर ब्लादिवोस्तोक का दौरा किया था, जहां वह एक आर्थिक सम्मेलन में शामिल हुए थे।
पीएम मोदी ने पुतिन को बुलाया भारत
बता दें, पीएम मोदी ने भी रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन को भारत आने का निमंत्रण दिया था। पुतिन ने पीएम मोदी का निमंत्रण स्वीकार कर लिया है, हालांकि उनकी भारत यात्रा की तारीखों का अभी खुलासा नहीं किया गया है।
पुतिन और पीएम मोदी के बीच नियमित रूप से संपर्क बना रहता है, जिसमें वे हर कुछ महीनों में टेलीफोन पर बातचीत करते हैं और अंतरराष्ट्रीय आयोजनों के दौरान आमने-सामने भी मिलते हैं।
नेतन्याहू की अमेरिका यात्रा में ईरान के खिलाफ रणनीति, ट्रंप ने दी चेतावनी
9 Apr, 2025 12:46 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
हाल ही में अमेरिका यात्रा पर गए नेतन्याहू ने मध्य पूर्व में अपनी बढ़त बनाने के लिए व्हाइट हाउस में ईरान को पीटने का प्लान बना रहे थे. लेकिन उन्हें क्या पता था अली खामनेई तेहरान में बैठकर ही अपनी ताकत पूरी दुनिया में बढ़ाने में लगे है. अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप बार-बार ईरान को धमकी दे रहे हैं कि वह प्राक्सी गुटों को समर्थन देना बंद करे नहीं तो उसके इसके बुरे परिणाम भुगतने होंगे.
अमेरिका की इन धमकियों से ईरान डरने वाला कहा है, उसने अपने एक्सिस ऑफ रेसिस्टेंस में एक और मिलिशिया ग्रुप जोड़ लिया है. सीरिया में एक नया ईरान समर्थित आतंकवादी समूह ‘उली अल-बास’ उभरा है, जो अमेरिका और उसके क्षेत्रीय सहयोगियों के खिलाफ खड़ा किया गया है. इसका आधिकारिक नाम ‘सीरिया में इस्लामिक प्रतिरोध मोर्चा – उली अल-बास’ है और यह खुद को ईरान की व्यापक प्रतिरोध धुरी के साथ जुड़ा हुआ बताता है.
सीरिया में फिर बढ़ेगी ईरान की ताकत
ये समूह भी ईरान समर्थित राजनीतिक और सैन्य अभिनेताओं का गठबंधन है, जैसे गाजा में हमास, यमन में हूती और लेबनान में हिजबुल्लाह है. सीरिया में असद के तख्तापलट के बाद सीरिया में ईरान की पकड़ कमजोर हो गई थी. ऐसे समय में नए संगठन का उभरना इस बात का संकेत है कि ईरान मुश्किल समय में भी अपने एक्सिस को बढ़ाने में लगा है. खबरों के मुताबिक ये संगठन सीरिया की मौजूदा सुन्नी सरकार का समर्थन नहीं करता है.
इजराइल की बढ़ गई चिंता
सीरिया में एक और ईरान समर्थित गुट की स्थापना ने इजराइल की चिंता बढ़ा दी है. इजराइल को डर है कि ये समूह हिजबुल्लाह और हूती की तरह उसके ऊपर हमले कर सकता है. पहले ही इजराइल हूती, हमास और हिजबुल्लाह से लोहा ले रहा है, ऐसे में एक संगठन के साथ मोर्चा खोलना उसके लिए नुकसानदायक हो सकता है.
बंगाल की खाड़ी में 214 रोहिंग्या गिरफ्तार, बांग्लादेश पुलिस को सौंपे गए
9 Apr, 2025 12:36 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
बंगाल की खाड़ी में 214 रोहिंग्या को गिरफ्तार किया गया है. ये सभी रोहिंग्या बांग्लादेश के कॉक्स बाजार से नाव के जरिए बंगाल की खाड़ी में घुसे थे. गिरफ्तारी के बाद इन सभी को बांग्लादेश की पुलिस को सौंप दिया गया है. बांग्लादेश की पुलिस का कहना है कि आखिर ये रोहिंग्या बंगाल की खाड़ी में किस मकसद से घुसे थे, इसकी जांच की जा रही है.
म्यांमार में हिंसा के बाद से ही रोहिंग्या बांग्लादेश के कॉक्स बाजार में रहते हैं, जहां से वे बांग्लादेश और उसके आसपास के देशों में कई गंभीर अपराधों को अंजाम देते हैं. भारत समेत कई देश रोहिंग्या को लेकर अलर्ट पर है. बांग्लादेश की सरकार भी रोहिंग्या को ठिकाने लगाने के लिए कई बड़े देशों से अपील कर चुका है.
बड़ा सवाल- कैसे हुए गिरफ्तार?
बांग्लादेश नेवी का कहना है कि रोहिंग्या का एक जत्था मछली पकड़ने वाले नाव से बंगाल की खाड़ी में घुस गया. जब नेवी को इन रोहिंग्या की गतिविधि संदिग्थ लगी तो एक दल को पीछे-पीछे भेजा गया. नेवी के मुताबिक रोहिंग्या का ये जत्था मलेशिया में घुसने की कवायद कर रहा था.
इसे देख कर नेवी ने बंगाल की खाड़ी में तुरंत अलर्ट जारी किया. जब जत्थे में शामिल लोगों ने नाव को नहीं रोका, तब उसे तुरंत गिरफ्तार कर लिया गया.
गिरफ्तारी के बाद इन रोहिग्या शरणार्थियों का कहना था कि वे मछली पकड़ने के मकसद से बंगाल की खाड़ी में घुसे थे. हालांकि, पुलिस का कहना था कि नाव में 118 पुरुष, 80 महिला और करीब 20 बच्चे भी मौजूद थे.
आमतौर पर मछली पकड़ने के लिए इतने लोग एकसाथ नहीं जाते हैं. ऐसे में सवाल उठ रहा है कि आखिर रोहिंग्या इतनी संख्या में किस मकसद से बंगाल की खाड़ी में घुसे थे?
म्यांमार में गृह युद्ध की संभावनाएं
एक रिपोर्ट में दावा किया था कि बांग्लादेश में रह रहे रोहिंग्या शरणार्थी एक लड़ाका ब्रिगेड तैयार कर रहा है. इस ब्रिगेड का मकसद दुनिया के मुस्लिम देशों से सहायता लेकर म्यांमार में गृह युद्ध छेड़ने की है.
2017-18 में म्यांमार से लाखों रोहिंग्या शरणार्थियों को मारकर भगा दिया गया था. इनमें से अधिकांश शरणार्थी बांग्लादेश आ गए थे. बांग्लादेश के कॉक्स बाजार में ये शरणार्थी रह रहे हैं.
19 साल की लड़की ने 21 साल बड़े शख्स से की शादी
9 Apr, 2025 12:28 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
अमेरिका : हमारे यहां शादियों में अक्सर दूल्हा-दुल्हन के बीच एक उचित उम्र का खयाल रखा जाता है. कोशिश ये होती है कि शादी में लड़का-लड़की के बीच ज्यादा से ज्यादा 5-6 साल का अंतर हो. लव मैरिज में तो लड़के-लड़की लगभग हमउम्र होते हैं. लेकिन बदलते परिवेश में आजकल कई ऐसे लोग भी मिल जाएंगे, जिनके लिए उम्र सिर्फ एक नंबर है और प्यार में वो किसी हद को नहीं मानते. ऐसी ही एक अनोखी प्रेम कहानी अमेरिका से सामने आई है, जिसमें 19 साल की लड़की और 41 साल के शख्स की लव स्टोरी ने सबको हैरान कर दिया है. ये लड़की अपने पापा की उम्र वाले शख्स से प्यार कर बैठी और चट शादी और पट बच्चा भी पैदा कर ली. इस लड़की का नाम इया (Iyah) और उसके पति का नाम रफाह (Rafah) है. दोनों एक बार में मिले थे, जहां इया वेट्रेस का काम करती थीं.
इया ने बताया, “मैं बार में काम कर रही थी. तभी मैंने देखा कि बार-बार एक शख्स मुझे देख रहा था. मैंने उससे बातचीत की और बाद में हमने नंबर एक्सचेंज किए. इसके बाद फिर हमने साथ में वक्त बिताना शुरू कर दिया.” रफाह ने कहा, “मुझे लगा कि वो मुझसे बड़ी होगी, क्योंकि वो बार में थी, लेकिन बाद में पता चला कि वो सिर्फ 19 साल की है.” दोनों की मुलाकात के बाद उनकी कहानी तेजी से आगे बढ़ी. इया ने बताया, “हमें एक-दूसरे की उम्र का पता ही नहीं था, हम बस साथ में वक्त बिताने लगे. तीन हफ्ते बाद मैं रफाह के साथ रहने चली गई और आठ महीने बाद उन्होंने मुझे प्रपोज कर दिया.” अब इया और रफाह शादीशुदा हैं और उनके एक बच्चा भी है. इस जोड़े ने अपनी खुशी को सोशल मीडिया पर शेयर किया, जहां उन्होंने एक वीडियो डाला. इस वीडियो में दोनों ने अपने हाथों से दिल बनाया और अपने फॉलोअर्स के लिए किस किया. इया ने वीडियो के साथ लिखा, “ये आपका साइन है.” ये वीडियो तेजी से वायरल हो गया और लोगों ने इस पर कमेंट करना शुरू कर दिया.
19 साल की मां, लेकिन बेटी 18 साल की
इया और रफाह ने एक-दूसरे से शादी कर ली. लेकिन इनके रिश्ते में एक और हैरान करने वाली बात पता चली. दरअसल, रफाह की पहले पार्टनर से एक बेटी है, जो इया (अब दूसरी पत्नी) से मात्र एक साल छोटी है. रफाह ने कहा, “लोग कहते हैं कि मेरी बेटी और इया की उम्र एक जैसी है, लेकिन मैं उन्हें एक जैसा नहीं देखता. मैंने अपनी बेटी को बड़ा होते नहीं देखा और न ही उसके दोस्तों के साथ वक्त बिताया.” इया ने भी कहा, “रफाह जवान लड़कियों की तलाश में नहीं थे. लेकिन हमारी मुलाकात हुई और हमें प्यार हो गया.” हालांकि, ये जोड़ा अपनी शादी और बच्चे से बहुत खुश है, लेकिन सोशल मीडिया पर उनकी उम्र के फासले को लेकर काफी बहस छिड़ गई है. कुछ लोगों ने इस रिश्ते को गलत बताया. एक यूजर ने लिखा, “मैं इस जोड़े को शुभकामनाएं देता हूं, लेकिन अगर कोई 41 साल का शख्स मेरी 19 साल की बेटी के आसपास घूमता, तो उसे पछताना पड़ता.”
इनकी जोड़ी पर सवाल उठाते हुए एक और शख्स ने कमेंट किया, “ये साइन है? साइन किस बात का? पुलिस को बुलाने का?” तीसरे ने लिखा, “मैं 43 साल का हूं और मेरा बेटा 20 साल का है. तुम जिस शख्स के साथ हो, वो तुम्हारा पिता हो सकता है, ये रिश्ता अजीब है.” लेकिन कुछ लोग इस जोड़े के समर्थन में भी आए. एक महिला यूजर ने लिखा, “मैंने भी दूसरी शादी की और इस बार मैंने अपने से एक बड़े शख्स से शादी की, जो मेरा सबसे अच्छा फैसला था.” दूसरे शख्स ने कहा, “इन दोनों को जिंदगी भर की खुशियां मिलें, क्योंकि जिंदगी बहुत छोटी है, यहां कुछ गलत नहीं है.” बता दें कि इया और रफाह ने अपनी प्रेम कहानी को सोशल मीडिया पर खुलकर शेयर किया है. वो अक्सर वीडियोज बनाकर अपनी जिंदगी से जुड़ी बातें शेयर करते हैं. उनके वीडियोज को लाखों लोग देखते हैं. इया ने कहा, “हमने एक-दूसरे को बार में देखा और हमें प्यार हो गया. अब हम एक खुशहाल परिवार हैं.” रफाह ने भी कहा, “मैंने कभी नहीं सोचा था कि मैं इतनी जवान लड़की से प्यार करूंगा, लेकिन ये बस हो गया.”
दुबई में अनोखी हीरा प्रदर्शनी, दुनिया के सबसे दुर्लभ नीला हीरा हुआ प्रदर्शित
9 Apr, 2025 12:16 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
दुबई अपनी अनोखी और नायाब चीजों के लिए जाना जाता है. दुबई में दुनिया के सबसे महंगे होटल से लेकर दुनिया की सबसे ऊंची बिल्डिंग है और यहां के शेखों के महंगे शौक पूरे दुनिया मशहूर है. इस वक्त संयुक्त अरब अमीरात की राजधानी अबू धाबी में दुनिया के सबसे दुर्लभ हीरो की प्रदर्शनी हो रही है. 100 मिलियन डॉलर की प्रदर्शनी में मंगलवार को एक दुर्लभ नीला हीरा दिखाया गया, जिसकी चमक ने पूरी दुनिया का ध्यान अपनी और खीच लिया है.
ये प्रदर्शनी सोथबी की ओर से लगाई गई है, जिसमें प्रदर्शित आठ हीरों का कुल वजन 700 कैरेट से ज्यादा है. इनमें लाल, पीले, गुलाबी और रंगहीन हीरे शामिल हैं. लेकिन यहां आने वाले लोगों का ध्यान दक्षिण अफ्रीका के 10 कैरेट के नीले हीरे पर था, जिसे अब तक खोजे गए सबसे महत्वपूर्ण नीले हीरो में से एक माना जाता है. सोथबी को उम्मीद है कि मई में इसकी नीलामी 20 मिलियन डॉलर की होगी.
इस नीले हीरे को कातिया नौनौ बोइज़ अपने हाथ में पहन रखा था, जिसने उनकी खूबसूरती में चार चांद लगा दिए. कातिया मिडिल ईस्ट दुबई की डिप्टी चेयरमैन हैं और 2008 से सोथबी से जुड़ी हैं.
हीरो के लिए दुबई में अलग दिवानगी
कंपनी के उत्तरी अमेरिका, यूरोप और मध्य पूर्व में ज्वेलरी चीफ क्विग ब्रूनिंग ने कहा कि उन्होंने इस प्रदर्शनी के लिए अबू धाबी को इसलिए चुना क्योंकि इस खाड़ी देश में हीरों के लिए गहरी रुचि है. उन्होंने कहा, “हमें इस क्षेत्र के बारे में बहुत आशा है. हमें यकीन है कि यह ऐसी जगह है जहां इस महत्व और दुर्लभता के हीरों के व्यापारी और संग्रहकर्ता दोनों हैं.”
कौन हैं नीला दुर्लभ हीरा पहनने वाली महिला?
इस प्रदर्शनी में सोथबी मिडिल ईस्ट दुबई की डिप्टी चेयरमैन कातिया नौनौ बोइज़ दुर्लभ हीरे को पहने हुई दिखाई दी. कातिया मिडिल ईस्ट दुबई की डिप्टी चेयरमैन हैं और 2008 से सोथबी से जुड़ी हैं. 2015 में, कैटिया दुबई चली गईं और सोथबी के पहले UAE ऑफिस की नींव रखी, जिसने अमीरात को महत्वपूर्ण संग्रहों और उत्कृष्ट कृतियों के लिए एक प्रमुख केंद्र के रूप में स्थापित किया.
वह मध्य पूर्व के लिए विशेष प्रदर्शनियों, व्याख्यानों और कार्यक्रमों की एक सीरीज बनाने में महत्वपूर्ण रही हैं, जबकि इस क्षेत्र में ग्राहकों के साथ मजबूत संबंध भी बनाए हैं. कातिया के पास यूनिवर्सिटी कॉलेज लंदन से फ्रेंच साहित्य में ग्रेजुएशन की डिग्री है.