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भारतीय छात्रों पर मेहरबान ट्रंप, अमेरिका में बनाए रखना चाहते हैं टॉप टैलेंट
27 Feb, 2025 12:25 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
वाशिंगटन। अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने दुनिया के सामने गोल्ड कार्ड योजना का खुलासा किया। इसके तहत 50 लाख डॉलर खर्च करने के बाद कोई भी अमेरिका का नागरिक बन सकता है। ट्रंप के इस प्लान के बाद उन पर केवल धनी आप्रवासियों को लाभ पहंचाने का आरोप लगा। मगर अब ट्रंप ने अपने प्लान का बचाव किया है।
डोनाल्ड ट्रंप ने कहा कि गोल्ड कार्ड के तहत अमेरिकी कंपनियां अमेरिका के विश्वविद्यालयों में पढ़ने वाले भारतीय छात्रों को नौकरी पर रख सकती हैं।
डोनाल्ड ट्रंप ने कहा कि पहले कंपनियों को अमेरिका में पढ़ने वाले भारतीय ग्रेजुएट को नौकरी में रखने में दिक्कत आती थी, क्योंकि उन्हें यह पता नहीं होता था कि वह अमेरिका में रह सकेंगे या नहीं।
इसके बाद अमेरिका में पढ़ने वाले भारतीय ग्रेजुएट वापस अपने देश चले जाते थे। वहां कंपनी खोलते हैं। हजारों लोगों को रोजगार देते हैं और अरबपति बन जाते हैं।
गैर-अमेरिकियों को नौकरी पर रखना होगा आसान
ट्रंप ने कहा कि कुछ कंपनियां गैर-अमेरिकी छात्रों को काम पर रखना चाहती हैं। मगर आव्रजन अनिश्चितता की वजह से वे ऐसा नहीं कर पाती हैं। मुझे कुछ कंपनियों से ऐसे कॉल आते हैं, जो स्कूल में नंबर एक छात्रों को काम पर रखना चाहती हैं। गोल्ड कार्ड से गैर-अमेरिकियों को नौकरियों पर रखना आसान होगा।
कंपनियां खरीद सकेंगी गोल्ड कार्ड
ट्रंप ने आगे कहा कि एक युवक भारत, चीन और जापान जैसे देशों से आता है। वह हार्वर्ड, व्हार्टन स्कूल ऑफ फाइनेंस, येल समेत बेहतरीन संस्थान में पढ़ता है। अपनी कक्षा में पहला स्थान हासिल करता है। उसे नौकरी का ऑफर भी मिलता है। मगर ऑफर तुरंत रद कर दिया जाता है, क्योंकि कंपनियों को यह पता नहीं होता कि वह व्यक्ति देश में रह सकता है या नहीं। मगर इस समस्या से निपटने की खातिर हमने गोल्ड कार्ड योजना बनाई है। ट्रंप ने कहा कि कोई भी कंपनी गोल्ड कार्ड खरीद सकती है और इसका इस्तेमाल भर्ती में कर सकती है।
अमेरिका में व्यवसाय तो नहीं लगेगा टैक्स
डोनाल्ड ट्रंप अपने देश में ज्यादा से ज्यादा निवेश आकर्षित करना चाहते हैं। यही वजह है कि वे लगातार नई-नई योजनाओं का खुलासा करने में जुटे हैं। दूसरी तरफ वह सरकारी खर्च में कटौती भी कर रहे हैं। ट्रंप ने कहा कि अगर कोई व्यवसाय अमेरिका में है तो उन्हें कोई शुल्क नहीं देना होगा। मगर बाहरी व्यवसाय को टैक्स चुकाना पड़ेगा।
पाकिस्तान की नीतियों में अल्पसंख्यकों का उत्पीड़न शामिल: भारत
27 Feb, 2025 12:21 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
जिनेवा। भारत ने संयुक्त राष्ट्र में पाकिस्तान को जमकर लताड़ा है। संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद के 58वें सत्र की सातवीं बैठक में भारत ने कहा कि पाकिस्तान एक फेल देश है। वह अंतरराष्ट्रीय दान पर टिका है। भारत ने कहा कि आतंकवादियों को पनाह देने वाला पाकिस्तान लगातार झूठ फैला रहा है। यह फेल देश ओआईसी का समय भी बर्बाद कर रहा है। मानवाधिकारों का उल्लंघन करने वाले पाकिस्तान को उपदेश देने की जरूरत नहीं है।
झूठ फैलाने में जुटा पाकिस्तान
संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी मिशन के क्षितिज त्यागी ने कहा , "यह देखना दुखद है कि पाकिस्तान के नेता और प्रतिनिधि अपने सैन्य आतंकवादी समूह के झूठ को लगातार फैलाने में जुटे हैं। पाकिस्तान ओआईसी को अपने मुखपत्र के रूप में इस्तेमाल करके उसका मजाक उड़ा रहा है।"
ओआईसी का समय बर्बाद कर रहा फेल देश
त्यागी ने आगे कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि ओआईसी का समय एक फेल देश बर्बाद कर रहा है। यह देश अंतरराष्ट्रीय सहायता पर जीवित है। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान की बयानबाजी पाखंड, अमानवीयता और अक्षमता से भरी हुई है। भारत लोकतंत्र, प्रगति और अपने लोगों के लिए सम्मान सुनिश्चित करने पर केंद्रित है। इन मूल्यों से पाकिस्तान को सीखना चाहिए।
जम्मू-कश्मीर और लद्दाख हमेशा भारत के अंग रहेंगे
क्षितिज त्यागी ने कहा कि जम्मू-कश्मीर और लद्दाख हमेशा भारत का अभिन्न और अविभाज्य अंग बने रहेंगे। पिछले कुछ वर्षों में जम्मू-कश्मीर में अभूतपूर्व राजनीतिक, सामाजिक और आर्थिक प्रगति अपने आप में बहुत कुछ कहती है। ये सफलताएं दशकों से पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद से पीड़ित इस क्षेत्र में सामान्य स्थिति लाने के लिए सरकार की प्रतिबद्धता पर लोगों के भरोसे का प्रमाण हैं।
उपदेश न दे पाकिस्तान
क्षितिज त्यागी ने कहा कि पाकिस्तान में मानवाधिकारों का हनन, अल्पसंख्यकों का उत्पीड़न और लोकतांत्रिक मूल्यों का व्यवस्थित उल्लंघन राज्य की नीतियों का हिस्सा है। पाकिस्तान जो बेशर्मी से संयुक्त राष्ट्र द्वारा प्रतिबंधित आतंकवादियों को पनाह देता है, उसे किसी को उपदेश नहीं देना चाहिए। भारत ने यूएन में कहा कि पाकिस्तान को भारत के खिलाफ अपनी सनक से उबरना चाहिए।
भारत ने किया उत्तर देने के अधिकार का इस्तेमाल
भारत ने पाकिस्तान के खिलाफ अपने उत्तर देने के अधिकार का इस्तेमाल किया और कहा कि यह टिप्पणी पाकिस्तान के झूठ फैलाने का जवाब है। इससे पहले 19 फरवरी को संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी प्रतिनिधि राजदूत पार्वथानेनी हरीश ने कहा था कि जम्मू और कश्मीर भारत का अभिन्न अंग है और हमेशा रहेगा।
थाईलैंड में बड़ा सड़क हादसा, बस दुर्घटना में 18 लोगों की दर्दनाक मौत
26 Feb, 2025 06:08 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
थाईलैंड। थाइलैंड के प्राचिनबुरी में एक टूर बस अनियंत्रित होकर खाई में गिर गई। इस घटना में 18 लोगों की मौत हो गई। बुधवार को वहां की पुलिस ने इस घटना के बारे में जानकारी दी है।
ब्रेक हुआ फेल, खाई में गिरी बस
पुलिस ने बताया, जिस इलाके में घटना घटी है वो एक ढलान वाली सड़क थी और बस का ब्रेक फेल हो गया। इसके बाद बस के चालक ने अपना नियंत्रण खो दिया और फिर बस खाई में जा गिरी, जिसमें 18 लोग मारे गए।
पुलिस ने बताया कि जिन लोगों की मौत हुई है वो सभी लोग स्टडी ट्रिप पर जा रहे थे। घटना राजधानी बैंकॉक से 155 किमी (96 मील) पूर्व में घटी है। इस घटना से जुड़े सोशल मीडिया पोस्ट पर बचाव और चिकित्साकर्मी घटनास्थल पर देखे जा सकते हैं।
प्रधानमंत्री ने एक्स पर किया पोस्ट
थाईलैंड के प्रधानमंत्री पैटोंगटार्न शिनावात्रा ने इस हादसे को लेकर दुख जताया और पीड़ित परिवारों के प्रति संवेदना प्रकट की। साथ ही उन्होंने इस हादसे को लेकर जांच की बात कही।
उन्होंने एक्स पर पोस्ट कर कहा, "यदि यह पाया जाता है कि वाहन सुरक्षा का उल्लंघन हुआ है तो ऐसे वाहन जो मानकों को पूरा नहीं करते हैं और वाहनों को लापरवाही पूर्वक चलाते हैं, उनपर कानूनी कार्रवाई की जाएगी।"
पीएम शिनावात्रा ने कहा, "वाहनों का निरीक्षण सुरक्षित तरीके से होना चाहिए और वाहनों को मानकों का पालन करना सुनिश्चित हो। दुर्घटनाओं को रोकने के लिए मानकों का उपयोग होना चाहिए।"
पिछले साल बस दुर्घटना में 23 लोगों की हुई थी मौत
बता दें, थाईलैंड में सड़क दुर्घटनाएं और मौतें आम हैं। वाहन सुरक्षा मानकों का कमजोर होना और सड़कों का खराब रखरखाव दुर्घटनाओें का एक बड़ा कारण है। इससे पहले थाईलैंड में पिछले साल एक स्कूल बस में गैस सिलेंडर से रिसाव के कारण आग लग गई थी, जिसमें 16 छात्र सहित 23 लोगों की मौत हो गई थी।
यूक्रेन में कौन-से खनिज हैं जिन पर ट्रंप का ध्यान, खनिज संपदा के फायदे और संभावनाएं
26 Feb, 2025 04:20 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
यूक्रेन और अमेरिका खनिज समझौते की शर्तों पर राज़ी हो गए हैं. यूक्रेन की राजधानी कीएव में एक वरिष्ठ अधिकारी ने इसकी जानकारी दी है. अधिकारी ने इसका ब्योरा तो नहीं दिया लेकिन कहा कि दोनों देश समझौते में अहम संशोधनों के लिए राजी हो गए ताकि इसे अंजाम दिया सके. अमेरिका ने यूक्रेन के खनिजों के इस्तेमाल से 500 अरब डॉलर की कमाई हासिल करने की शुरुआती शर्त छोड़ दी है. लेकिन समझौते के बदले अमेरिका ने यूक्रेन को सुरक्षा की गारंटी नहीं दी है. ये डील के लिए यूक्रेन की ये प्रमुख शर्त थी. अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कहा है कि यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर ज़ेलेंस्की इस सप्ताह इस डील पर दस्तख़्त करने वॉशिंगटन आ सकते हैं. इससे पहले दोनों नेताओं ने एक दूसरे के ख़िलाफ़ कड़े शब्दों का इस्तेमाल किया था. अतीत में यूक्रेन के राष्ट्रपति ज़ेलेंस्की ट्रंप के खनिज समझौते के प्रस्ताव के ये कहते हुए ख़ारिज कर चुके हैं कि वो 'अपने देश को नहीं बेचेंगे.'यूक्रेन के पास दुर्लभ खनिजों का एक बड़ा भंडार है. जिन क्षेत्रों ये खनिज हैं उनमें से कुछ फ़िलहाल रूस के कब्ज़े में हैं. लेकिन 10 फ़रवरी को फॉक्स न्यूज़ को दिए इंटरव्यू में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कहा था, "मैंने उनसे कह दिया है कि हमें $500 बिलियन के रेयर अर्थ मिनरल चाहिएं. और वो इसके लिए लगभग मान गए हैं." इस इंटरव्यू के बाद ज़ेलेंस्की ने कहा था, "ये कोई गंभीर वार्तालाप नहीं था. मैं अपना देश नहीं बेच सकता.
क्या अब थमेगी जंग?
ट्रंप ने कहा था कि यूक्रेन अमेरिका को अपने रेयर अर्थ मिनरल्स का इस्तेमाल करने दे क्योंकि रूस के साथ युद्ध के दौरान जो बाइडन प्रशासन ने उसे अरबों डॉलर की मदद की थी.ट्रंप ने मंगलवार को कहा था कि अमेरिका अब तक यूक्रेन को 300 से 500 अरब डॉलर की मदद कर चुका है. अमेरका ने ज़ेंलेस्की को तानाशाह कहा था और युद्ध शुरू करने लिए रूस को नहीं बल्कि यूक्रेन को जिम्मेदार ठहराया था. इस खनिज समझौते को रूस के ख़िलाफ़ यूक्रेन को अमेरिका का समर्थन जारी रखने की अहम शर्त के तौर पर देखा जा रहा है. ट्रंप प्रशासन का मानना है कि ये समझौता रूस के साथ यूक्रेन के युद्धविराम की राह में पहला कदम होगा. मंगलवार को रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने कहा था कि वो यूक्रेन के खनिजों तक अमेरिका की पहुंच में बाधा नहीं बनेंगे. इसमें उन इलाकों के खनिज भी शामिल हैं, जिन पर रूस ने कब्जा कर रखा है. अमेरिका ने इस समझौते के बदले भले ही यूक्रेन को सुरक्षा की गारंटी नहीं दी हो लेकिन माना जा रहा है कि इसके बाद युद्धविराम की कोशिशों में तेजी आ सकती है.
ट्रंप की यूक्रेन के खनिजों पर क्यों है नज़र
सवाल ये है कि ट्रंप यूक्रेन के खनिजों को हासिल करने पर इतना जोर क्यों दे रहे हैं. दरअसल ट्रंप की नज़र यूक्रेन के जिस रेयर अर्थ मिनरल्स खजाने पर है उनका इस्तेमाल इलेक्ट्रिक कार से लेकर आधुनिक हथियारों और सैन्य साजो-सामान बनाने में होता है. रेयर अर्थ मिनरल्स की ग्लोबल सप्लाई पर फिलहाल चीन का कब्जा है. संभवत: चीन को रोकने के लिए ही ट्रंप रेयर अर्थ मिनरल्स के उत्पादन और सप्लाई पर अमेरिका का हिस्सा बढ़ाने की कोशिश कर रहे हैं. पिछले कुछ दशकों में चीन रेयर अर्थ मिनरल्स के खनन और इसकी प्रोसेसिंग के मामले में सबसे बड़ा देश बन गया है. इन खनिजों के ग्लोबल प्रोडक्शन के 60 से 70 फ़ीसदी हिस्से पर उसका कब्जा है. प्रोसेसिंग क्षमता में भी 90 फ़ीसदी हिस्सेदारी चीन के पास है. रेयर अर्थ मिनरल्स के लिए चीन पर अमेरिकी निर्भरता ट्रंप प्रशासन के लिए चिंता की बात है. इससे आर्थिक और सैन्य मोर्चे पर चीन के मुक़ाबले अमेरिकी दांव कमजोर पड़ सकता है.
यूक्रेन के पास कौन से खनिज हैं?
यूक्रेन के पास उन 30 खनिजों में से 21 के भंडार हैं जिन्हें यूरोपियन यूनियन 'बेहद अहम कच्चा माल' कहता है. यूक्रेन के पास इन खनिजों का जो भंडार है वो पूरी दुनिया में रेयर अर्थ मिनरल्स के रिजर्व का पांच फीसदी है. यूक्रेन के रेयर अर्थ मिनरल्स के ज्यादातर भंडार क्रिस्टलाइन शील्ड के दक्षिण इलाके में हैं. ये इलाका अज़ोव सागर के दायरे में आता है. यहां ज्यादातर इलाकों पर फिलहाल रूस का कब्जा है. फिलहाल यूक्रेन के पास ग्रेफाइट का 1.90 करोड़ टन का भंडार है. इसका इस्तेमाल इलेक्ट्रिक वाहन बनाने में होता है. यूक्रेन के पास इलेक्ट्रिक वाहनों के लिए इस्तेमाल होने वाली बैटरियों को बनाने के लिए जरूरी लिथियम का भी भंडार हैं. यूरोप में लिथियम का जितना बड़ा भंडार है उसका तिहाई हिस्सा अकेले यूक्रेन के पास है. रूस के हमले से पहले यूक्रेन दुनिया के सात फ़ीसदी टाइटेनियम का उत्पादन करता था. इसका इस्तेमाल विमानों से लेकर पावर स्टेशनों के निर्माण में होता है. यूक्रेन के रेयर अर्थ मिनरल्स के कुछ भंडारों पर रूस ने कब्जा कर लिया है. यूक्रेन के आर्थिक मामलों की मंत्री यूलिया स्वीरिदेंको के मुताबिक़ लगभग 350 अरब डॉलर के खनिज संसाधनों पर रूस का कब्जा हो चुका है.
रेयर अर्थ मिनरल्स क्या हैं?
रेयर अर्थ रासायनिक तौर पर 17 समान तत्वों का सामूहिक नाम है, जिनका इस्तेमाल आधुनिक टेक्नोलॉजी और उद्योगों में होता है. स्मार्टफोन, कंप्यूटर, मेडिकल उपकरणों समेत कई चीजों को बनाने और तकनीकों में इनका इस्तेमाल होता है.रेयर अर्थ मिनरल्स में स्केनडियम, वाईट्रियम, लेन्थनम, सेरियम, प्रेसिडोनियम, नियोडाइमियम, प्रोमेथियम, सैमेरियम, यूरोपियम, गैडोलिनियम, टर्बियम, डायसप्रोसियम, होलमियम, एरबियम, थुलियम और ल्युटेटियम शामिल हैं. इन खनिजों को इसलिए 'रेयर' कहा जाता है क्योंंकि शुद्ध रूप मिलना लगभग दुर्लभ है. हालांकि पूरी दुनिया में इनके कुछ भंडार मौजूद हैं. रेयर अर्थ मिनरल्स अक्सर थोरियम और यूरेनियम जैसे रेडियोधर्मी तत्वों के साथ पाए जाते हैं. लेकिन उन्हें इससे अलग करने के लिए काफी जहरीले रसायनों की जरूरत पड़ती है. लिहाजा इनकी प्रोसेसिंग काफी मुश्किल और महंगी हो जाती है.
बांग्लादेश की कैबिनेट से इस्तीफा देने वाले छात्र नेता नाहिद इस्लाम कौन हैं, जानिए उनकी सियासी पृष्ठभूमि
26 Feb, 2025 02:12 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के सूचना सलाहकार और देश के छात्र आंदोलन के प्रमुख नेताओं में से एक नाहिद इस्लाम ने कैबिनेट से इस्तीफ़ा दे दिया है. कहा जा रहा है कि नाहिद बांग्लादेश में एक नई राजनीतिक पार्टी बना सकते हैं.नाहिद इस्लाम ने बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के प्रमुख सलाहकार मोहम्मद यूनुस को भेजे अपने इस्तीफ़े के बाद एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा, ''देश के मौजूदा हालात को देखते हुए एक नई पार्टी का उदय जरूरी हो गया है. मैंने जन विद्रोह को मजबूत करने के लिए सड़कों पर बने रहने का फैसला किया है. इसलिए कैबिनेट से इस्तीफ़ा दे दिया. नाहिद इस्लाम ने पिछले साल जुलाई में पूर्व प्रधानमंत्री शेख़ हसीना की अवामी लीग सरकार के ख़िलाफ़ भेदभाव विरोधी' छात्र आंदोलन का नेतृत्व किया था. छात्रों के इस आंदोलन की वजह से उनकी सत्ता का पतन हो गया था. बांग्लादेश में आंदोलन के दौरान भड़की हिंसा के बाद शेख़ हसीना भारत आ गई थीं.नाहिद इस्लाम ने कहा कि वो लोकतांत्रिक बदलाव की लोगों की आकांक्षा को पूरा करने के लिए काम करना चाहते हैं. इसलिए उन्होंने अंतरिम सरकार के सलाहकार के पद से इस्तीफ़ा दे दिया.नाहिद सूचना और प्रसारण के अलावा डाक और दूरसंचार विभाग के सलाहकार थे. ये मंत्री पद के ही समान थे.
नाहिद बांग्लादेश में जुलाई 2024 में शुरू हुए छात्र आंदोलन के शीर्ष नेताओं में से एक थे. इन प्रदर्शनों के दौरान हिंसा भड़क उठी और 4 अगस्त तक इसमें 94 लोगों की मौत हो गई थी.यूएन की फैक्ट फाइंडिंग की रिपोर्ट के मुताबिक़ शेख़ हसीना की सत्ता के पतन के बाद भी भड़की हिंसा में 1400 लोगों की मौत हो गई थी.छात्रों के इस आंदोलन के दबाव की वजह से शेख़ हसीना को भारत आना पड़ा था. 5 अगस्त को उनकी सरकार के पतन के तीन दिन बाद ही बांग्लादेश में जाने-माने सामाजिक कार्यकर्ता और बांग्लादेश ग्रामीण बैंक के प्रमुख मोहम्मद यूनुस ने अंतरिम सरकार के नेतृत्व में अंतरिम सरकार का गठन हो गया था. छात्र आंदोलन के तीन प्रतिनिधियों में से नाहिद हुसैन को अंतरिम सरकार में जगह दी गई.
नाहिद इस्लाम क्यों आए सरकार से बाहर?
नाहिद जिस छात्र मंच का नेतृत्व कर रहे थे उससे भी इस्तीफा दे दिया है. नाहिद के संगठन के सहयोगी छात्र संगठन 'जातीय नागरिक कमिटी' ने भी इस महीने की शुरुआत में कहा था कि वो लोग मिलकर इस शुक्रवार तक एक नई राजनीतिक पार्टी बनाएंगे. माना जा रहा है कि नाहिद इस्लाम इस नई पार्टी का नेतृत्व कर सकते हैं. अंतरिम सरकार के प्रमुख सलाहकार मोहम्मद यूनुस ने कहा था वो छात्रों के नेतृत्व वाली राजनीतिक पार्टी के पक्ष में हैं क्योंकि वो देश के लिए अपना ख़ून बहाने के लिए तैयार हैं.पिछले दिनों ख़ालिदा ज़िया की बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी समेत कुछ संगठनों ने कहा था कि सरकार में रहते हुए पार्टी नहीं बनाई जा सकती. नाहिद का इस्तीफ़ा इसके बाद ही आया है. नाहिद इस्लाम के इस्तीफ़े पर शेख़ हसीना की पार्टी अवामी लीग ने लगभग चुप्पी साध रखी है. पिछले साल जुलाई-अगस्त में छात्र आंदोलन के बाद से अवामी लीग सरकार में शामिल ज्यादातर मंत्री और नेता मानवता के ख़िलाफ़ अपराध समेत कुछ अन्य मामलोंं में जेल में बंद हैं. छात्र आंदोलन में इस्लाम का साथ देने वाले महफूज़ आलम और आसिफ महमूद सरकार में बने रहेंगे. इस्लाम ने कहा, ''सरकार के ये सलाहकार हमारे वादों को पूरा करने का काम करते रहेंगे. अंतरिम सरकार ने जिन सुधारों का वादा किया है वो इन्हें लागू करवाने में मदद करेंगे''
कौन हैं नाहिद इस्लाम?
नाहिद इस्लाम के इस्तीफ़े के बाद मोहम्मद यूनुस के प्रेस सलाहकार शफ़ीकुल आलम ने उनकी बेहद तारीफ़ की है. उन्होंने कहा है कि वो एक दिन बांग्लादेश के प्रधानमंत्री भी बन सकते हैं. 27 साल के नाहिद इस्लाम कुछ महीने पहले तक ढाका यूनिवर्सिटी में समाजशास्त्र के छात्र थे. बांग्लादेश में शेख़ हसीना सरकार के ख़िलाफ़ छात्र आंदोलन में वो प्रमुख नेता के तौर पर उभरे.एक तरह से वो शेख़ हसीना के ख़िलाफ़ आंदोलन का चेहरा बन गए थे. इस्लाम ने शेख़ हसीना की सत्ता के पतन के बाद कहा था कि बांग्लादेश में कभी 'फासीवादी शासन' नहीं होगा. बांग्लादेश को एक ऐसा देश बनाया जाएगा जहां लोगों की जान महफूज़ होगी. लोगों को नए राजनीतिक माहौल में सामाजिक न्याय मिलेगा. नाहिद जून 2024 में उस समय चर्चा में आए जब बांग्लादेश के सुप्रीम कोर्ट ने बांग्लादेश मुक्ति युद्ध के सैनिकों और उनके बेटे-बेटियों को सरकारी नौकरियों में 30 फ़ीसदी आरक्षण के नियमों को दोबारा बहाल कर दिया. इस्लाम और उनके संगठन का कहना था कि इसके ज़रिये शेख़ हसीना और उनकी पार्टी अवामी लीग के नेताओं को बेजा फ़ायदा दिया जा रहा है. इस्लाम को शेख़ हसीना की सरकार के ख़िलाफ़ अपने रवैये की कीमत भी चुकानी पड़ी थी. सादी वर्दी में आए 25 लोगों ने 19 जुलाई 2024 में उन्हें उनके सबुजगढ़ से उठा लिया. उन्हें हथकड़ी लगा कर आंखों में पट्टी बांध कर ले जाया गया. ख़बरों के मुताबिक़ आंदोलन में शामिल होने के लिए उन्हें यातनाएं दी गईं. उस वक्त की रिपोर्टों में कहा गया कि उन्हें ले जाने वाले हसीना सरकार की खुफिया विभाग के लोग थे हालांकि सरकार ने इससे इनकार किया था. नाहिद इस्लाम ने बांग्लादेश में हिंसा और प्रदर्शनों के बाद अल्पसंख्यकों पर हमले के बाद देश में हिंदुओं और दूसरे अल्पसंख्यकों की रक्षा की अपील की थी. उन्होंने कहा था कि देश के हिंदुओं और उनके पूजा स्थलों की सुरक्षा की जाए.
कितने ताक़तवर हैं नाहिद इस्लाम?
फिलहाल बांग्लादेश में नाहिद इस्लाम काफी लोकप्रिय हैं. उन्हें छात्रों और युवाओं का काफी समर्थन हासिल है. कई लोग उन्हें बांग्लादेश के भविष्य के प्रधानमंत्री के तौर पर भी देखते हैं. बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के प्रमुख मोहम्मद यूनुस के भी वो विश्वस्त सहयोगी हैं. यूनुस के पोस्ट में नाहिद की तारीफ़ की है और कहा है कि वो भविष्य में देश प्रधानमंत्री बन सकते हैं. नाहिद का किसी पार्टी में शामिल होने का इरादा या नई पार्टी बनाने की कोशिश को उनकी राजनीतिक महत्वाकांक्षा से जोड़ कर देखा जा रहा है.
भारत के बारे में क्या सोचते हैं नाहिद इस्लाम
बांग्लादेश के अल्पसंख्यक उनके देश के नागरिक हैं. उनको सुरक्षा देना बांग्लादेश की जिम्मेदारी है. भारत को इसमें कहने की कोई जरूरत नहीं है. नाहिद इस्लाम ने कहा था कि कई देशों ने बांग्लादेश के लोगों के साथ खड़े रहने की बात की थी. लेकिन भारत ने हिंसा की निंदा नहीं की. उल्टे भारत ने यहां हिंसा की वजह बने लोगों को पनाह दी है. उन्होंने कहा, ''हम चाहेंगे कि भारत बांग्लादेश के लोगों का साथ दे. वो शेख़ हसीना की अवामी लीग के बजाय यहां के लोगों का समर्थन करे. तभी यहां के लोग भारत पर भरोसा करेंगे.''
शिकागो में विमान हादसा टला, रनवे पर टकराने से पहले बचा साउथवेस्ट एयरलाइंस का विमान
26 Feb, 2025 01:45 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
अमेरिका के शिकागो में एक बड़ा विमान हादसा होते-होते टल गया। दरअसल, शिकागो इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर साउथवेस्ट एयरलाइंस का विमान रनवे पर लैंड कर रही था। वहीं, दूसरी तरफ से एक जेट, उसी रनवे पर टेक-ऑफ के लिए आगे बढ़ रही थी।
साउथवेस्ट एयरलाइंस के विमान के पायलट की जैसी ही रनवे पर चल रहे जेट पर नजर पड़ी, उसने विमान को लैंड कराने के बजाय वापस आसमान में टेक-ऑफ करने का फैसला कर लिया। पायलट की होशियारी की वजह से हादसा होते-होते टल गया। विमान जब एक बार फिर हवा में उड़ गया तो यात्री भी हैरान रह गए। थोड़ी देर के लिए विमान में सवार यात्रियों में खौफ की स्थिति पैदा हो गई।
सोशल मीडिया पर वायरल हुआ वीडियो
इस घटना का वीडियो सोशल मीडिया पर काफी वायरल हो रहा है। वीडियो में देखा जा सकता है कि साउथवेस्ट का विमान सुबह 9 बजे के करीब रनवे के पास पहुंच रहा था, तभी अचानक ऊपर उठ गया। उसी समय एक छोटा विमान रनवे पार कर रहा था।
एयरलाइन कंपनी ने क्या कहा?
एयरलाइन के प्रवक्ता ने एक ईमेल में कहा, ‘साउथवेस्ट फ्लाइट 2504 सुरक्षित रूप से उतरी. चालक दल ने एक अन्य विमान के रनवे पर आने के बाद संभावित टकराव से बचने के लिए सावधानी के तौर पर दोबारा उड़ान भरी। चालक दल ने सुरक्षा प्रक्रियाओं का पालन किया और फ्लाइट बिना किसी घटना के उतरीय़। बातचीत का एक ऑडियो सामने आया है।’
बता दें कि हाल ही में अमेरिका में कई विमान दुर्घटनाएं घटी हैं। 6 फरवरी को अलास्का में कम्यूटर प्लेन का क्रैश भी शामिल है, जिसमें सवार सभी 10 लोगों की मौत हो गई। 26 जनवरी को, वाशिंगटन के रोनाल्ड रीगन नेशनल एयरपोर्ट पर एक आर्मी हेलीकॉप्टर और एक अमेरिकन एयरलाइंस की फ्लाइट में टक्कर हो गई, जिससे दोनों पर सवार 67 लोगों की मौत हो गई।
कंपनी ने दिया शादी का अल्टीमेटम, विरोध के बाद लिया फैसला वापस
26 Feb, 2025 01:39 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
विदेशों में आमतौर पर लोग शादी करने का फैसला खुद लेते हैं। लेकिन चीन से एक ऐसा मामला आया है, जहां एक कंपनी ने अपने कर्मचारियों को शादी करने का अल्टीमेटम दे दिया है, शादी नहीं करने पर नौकरी से हाथ धोना भी पड़ सकता है।
चीन की एक कंपनी ने एक चौंकने वाली नीति पेश की है, जिसमें कंपनी ने सितंबर तक शादी करने में विफल रहने वाले सिंगल और तलाकशुदा कर्मचारियों को बर्खास्त करने की धमकी दी है।
इस नीति के बाद कंपनी को आलोचनाओं का सामना करना पड़ रहा है। रिपोर्ट के अनुसार, शेडोंग के शंटियन केमिकल ग्रुप द्वारा लागू की गई नीति को आलोचनाओं और आक्रोश और सरकारी हस्तक्षेप के बाद वापस ले लिया गया है।
कंपनी ने दिया था शादी का अल्टीमेटम
जनवरी के महीने में शंटियन केमिकल ग्रुप ने 28 से 58 वर्ष आयु के कर्मचारियों को टार्गेट करते हुए एक नीति शुरू की, जिसमें मांग की गई कि ये लोग सितंबर तक शादी करें और घर बसा लें। जो लोग मार्च तक अविवाहित रहेंगे, उन्हें अपनी आलोचना करते हुए पत्र लिखकर जमा करना होगा।
आदेश के अनुसार, जो व्यक्ति जून तक शादी नहीं करता है उसका मूल्यांकन किया जाएगा और अगर वह सितंबर तक शादी नहीं करता है तो उसे नौकरी से निकाल दिया जाएगा। कंपनी ने दावा किया कि इसका उद्देश्य कर्मचारियों में मेहनत, दया, लॉयल्टी और सांस्कृतिक मूल्यों को बढ़ावा देना है।
सोशल मीडिया पर वायरल हुआ कंपनी का आदेश
कंपनी का ये आदेश चीनी सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है, जिसकी खूब आलोचना भी हो रही है। यूजर्स ने कंपनी पर लेबर कानूनों के उल्लंघन को लेकर आलोचना की और कर्मचारियों के निजी जीवन में दखल देने का भी आरोप लगाया।
एक यूजर ने लिखा, 'कंपनी के नियम कानून सामाजिक नैतिक मूल्यों से बढ़कर नहीं हो सकते हैं'। जबकि एक अन्य यूजर ने लिखा, 'चीन का विवाह कानून फ्रिडम ऑफ चॉइस की गारंटी देता है'।
रद्द किया गया कंपनी का आदेश
कंपनी के इस आदेश के लगातार हो रहे विरोध के बाद स्थानीय ह्यूमन रिसोर्स और सोशल सिक्योरिटी ब्यूरो ने मामले में दखल दिया और एक संशोधन आदेश जारी करते हुए कंपनी के नोटिस को रद्द कर दिया।
अधिकारियों ने पुष्टि की कि कंपनी की नीति ने लेबर कानूनों का उल्लंघन किया है। इतनी आलोचनाओं और विरोध के बाद कंपनी ने भी अपनी गलती स्वीकार कर ली है।
बिजली बहाल करने के लिए संघर्ष कर रहे अधिकारी, चिली में अंधकार छाया
26 Feb, 2025 01:24 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
चिली। चिली में इस वक्त हालात बहुत ज्यादा खराब हैं। मंगलवार को चिली के अधिकतर हिस्सों में बिजली गुल हो गई, जिससे यात्री फंस गए और इंटरनेट सेवा बंद हो गई हैं। कारोबार तथा दैनिक जीवन ठप्प हो गया, अधिकारी बिजली बहाल करने के लिए संघर्ष कर रहे हैं।
सरकार ने ऐसे में इमरजेंसी की घोषणा की है और साथ ही रात में अनिवार्य कर्फ्यू भी लगाया है जो बुधवार सुबह 6 बजे तक रहेगा। इंटरनेट और मोबाइल फोन सेवाएं बंद रहीं। दुनिया के सबसे बड़े तांबा उत्पादक ने खनन कार्य स्थगित कर दिया।
सुरक्षा बलों को किया तैनात
इंटरनल मिनिस्टर कैरोलिना टोहा ने तबाही की चेतावनी दी, जबकि असली कारण अभी भी पता नहीं है। उन्होंने कहा, 'हमारी पहली चिंता और इस घोषणा का कारण, लोगों की सुरक्षा सुनिश्चित करना है। उन्होंने एलान किया कि सरकार यातायात को नियंत्रित करने और अराजकता पर लगाम लगाने के लिए अंधेरी सड़कों पर सुरक्षा बलों को भेज रही है।
14 क्षेत्रों में नहीं है बिजली
रात 10 बजे के आसपास, आउटेज शुरू होने के पांच घंटे से अधिक समय बाद, कम से कम 7 मिलियन लोगों के पास अभी भी बिजली नहीं थी, और 14 प्रभावित क्षेत्रों में से किसी में भी पूरी तरह से बिजली नहीं थी।
चिली की राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया सेवा, सेनाप्रेड ने कहा कि बिजली आपूर्ति में परेशानी के कारण देश के 16 क्षेत्रों में से 14 में बिजली गुल हो गई, जिसमें लगभग 8.4 मिलियन लोगों का शहर सैंटियागो भी शामिल है, जहां अधिकारियों ने कहा कि अगली सूचना तक कोई मेट्रो सेवा नहीं होगी।
अस्पताल पर कितना असर?
तोहा ने कहा कि अस्पताल, जेल और सरकारी इमारतें आवश्यक उपकरणों को चालू रखने के लिए बैकअप जनरेटर का उपयोग कर रही हैं। अधिकारियों ने कहा कि वे सैंटियागो और देश के अन्य स्थानों में अंधेरे सुरंगों और मेट्रो स्टेशनों से यात्रियों को निकाल रहे हैं, जिसमें तटीय पर्यटन स्थल वालपाराइसो भी शामिल है।
दक्षिणी प्रशांत तट के साथ 4,300 किलोमीटर (2,600 मील से अधिक) तक फैले देश के एक लंबे रिबन चिली से सोशल मीडिया पर साझा किए गए वीडियो में बिना काम करने वाले ट्रैफिक लाइटों के चौराहों पर बड़े पैमाने पर भ्रम दिखाई दिया, लोगों को भूमिगत मेट्रो में टॉर्च के रूप में अपने मोबाइल फोन का इस्तेमाल करना पड़ा और इमारतों को खाली करने में मदद के लिए पुलिस को भेजा गया।
ट्रंप की 'गोल्ड कार्ड' स्कीम लॉन्च, 5 मिलियन डॉलर में मिलेगी अमेरिकी नागरिकता
26 Feb, 2025 01:17 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
वॉशिंगटन। जिन लोगों को अमेरिकी नागरिकता चाहिए उनके लिए ट्रंप प्रशासन ने एक खुशखबरी सुनाई है। हालांकि, नागरिकता प्राप्त करने के लिए एक मोटी रकम भी चुकानी होगी। ट्रंप की योजना के मुताबिक, जिन लोगों को अमेरिकी नागरिकता चाहिए उन्हें 50 लाख डॉलर (लगभग 43 करोड़ 55 लाख) रुपए खर्च करने होंगे।
इसे 'गोल्ड कार्ड' योजना नाम दिया गया है। गौरतलब है कि यह गोल्ड कार्ड, ग्रीन कार्ड का प्रीमियम वर्जन होगा। गोल्ड कार्ड प्राप्त करने के बाद न सिर्फ अमुख व्यक्ति को ग्रीन कार्ड से ज्यादा खास अधिकार होंगे, बल्कि अमेरिका में निवेश करने और नागरिकता प्राप्त करने का अवसर भी मिलेगा। भविष्य में एक मिलियन यानी 10 लाख कार्ड बेचे जाएंगे।
क्या है इस योजना का लक्ष्य?
इस योजना का लक्ष्य दुनियाभर से अमीर लोगों को अमेरिका की ओर खींचना है, जो देश में नौकरियों के अवसर बढ़ाएंगे। ट्रंप ने कहा, "हम एक गोल्ड कार्ड बेचने जा रहे हैं। हम उस कार्ड की कीमत लगभग 5 मिलियन डॉलर रखेंगे।"
ओवल ऑफिस में वाणिज्य सचिव हॉवर्ड लुटनिक के साथ कार्यकारी आदेशों पर साइन करते हुए ट्रंप ने कहा, "हम एक गोल्ड कार्ड बेचने जा रहे हैं। आपके पास ग्रीन कार्ड है, यह गोल्ड कार्ड है। इसकी कीमत लगभग 5 मिलियन डॉलर होगी और इससे आपको ग्रीन कार्ड जैसे विशेष अधिकार मिलेंगे।"
उन्होंने आगे कहा, "यह नागरिकता के लिए एक नया रास्ता खोलेगा। अमीर लोग इस कार्ड को खरीदकर अमेरिका में आएंगे यहां निवेश करेंगे और बहुत सारे रोजगार पैदा करेंगे।"
ईबी-5 योजना से ट्रंप प्रशासन खुश नहीं
वहीं, हॉवर्ड लुटनिक ने मंगलवार को संवाददाताओं से कहा, "ईबी-5 कार्यक्रम... पूरी तरह से बकवास, दिखावटी और धोखाधड़ी से भरा हुआ था, और यह कम कीमत पर ग्रीन कार्ड प्राप्त करने का एक तरीका था। इसलिए राष्ट्रपति ने ईबी-5 की जगह 'गोल्ड कार्ड' योजना चलाने का फैसला किया है।
फरीदाबाद में एक शख्स के शरीर में हैं पांच किडनियां, तीसरी किडनी ट्रांसप्लांट की सर्जरी हुई
26 Feb, 2025 11:59 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
आम तौर पर एक स्वस्थ मानवीय शरीर में दो किडनियां होती हैं. आधुनिक समय में अब किडनी खराब होने पर ट्रांसप्लांट की भी प्रक्रिया है, लेकिन फरीदाबाद से एक ऐसे शख्स का मामला सामने आया है जिसके शरीर में कुल पांच किडनियां हैं. एक 47 वर्षीय शख्स ने फरीदावाद के एक निजी अस्पताल में तीसरा किडनी ट्रांसप्लांट करवाया है, जिससे अब उसके शरीर में कुल पांच किडनियां हो गई हैं. यह सर्जरी अमृता अस्पताल, फरीदाबाद में की गई, जहां देवेंद्र बारलेवार का इलाज किया गया. वह पिछले 15 वर्षों से क्रॉनिक किडनी रोग से जूझ रहे थे और 2010 तथा 2012 में उनके दो प्रत्यारोपण असफल रहे थे.
तीसरे ट्रांसप्लांट की चुनौतीपूर्ण सर्जरी
डॉ. अहमद कमाल, वरिष्ठ सलाहकार, यूरोलॉजी, ने बताया कि 2022 में कोविड-19 की जटिलताओं के कारण उनकी स्थिति और बिगड़ गई. हालांकि, जब एक 50 वर्षीय ब्रेन-डेड किसान के परिवार ने अपनी किडनी दान करने का निर्णय लिया, तो बारलेवार के लिए उम्मीद की किरण जगी.
पिछले महीने हुई इस चार घंटे लंबी सर्जरी में कई दिक्कतें आईं, क्योंकि मरीज के शरीर में पहले से ही काम ना करने वाली चार किडनियां मौजूद थीं – दो जन्मजात और दो जिसे पहले ट्रांसप्लांट करवाया था. डॉ. कमाल ने बताया कि इतनी अधिक संख्या में किडनियों की उपस्थिति के कारण इम्यून सिस्टम का खतरा बढ़ गया था, जिसके लिए विशेष इम्यूनोसप्रेशन प्रोटोकॉल अपनाए गए.
सर्जरी की जटिलताएं और सफलता
डॉ. अनिल शर्मा, वरिष्ठ सलाहकार, यूरोलॉजी, ने बताया कि मरीज के पतले शरीर और पूर्व सर्जरी के कारण पहले से बने चीरे की वजह से जगह की समस्या उत्पन्न हुई. साथ ही, इस बार की किडनी को सबसे ज्यादा ब्लड फ्लो वाले वेसल से जोड़ना था जो कि काफी ज्यादा मुश्किल भरा था.
हालांकि, हर दिक्कतों के बाद भी ट्रांसप्लांट सफल रहा, और मरीज को दस दिनों के भीतर अस्पताल से छुट्टी दे दी गई. डॉक्टरों के अनुसार, बारलेवार के क्रिएटिनिन स्तर दो सप्ताह के भीतर सामान्य हो गए और अब वे बिना डायलिसिस के जीवन व्यतीत कर रहे हैं.
ट्रांसप्लांट के क्या रही मरीज की प्रतिक्रिया?
बारलेवार ने कहा कि दो असफल ट्रांसप्लांट के बाद उन्होंने उम्मीद छोड़ दी थी. डायलिसिस के कारण उन्हें मुश्किलों का सामना करना पड़ता था, लेकिन अमृता अस्पताल ने उन्हें एक नया जीवन दिया. उन्होंने कहा कि अब वे अपने रोजमर्रा के कार्य खुद कर सकते हैं और उनकी सेहत में भी काफी सुधार हुआ है. यह दुर्लभ सर्जरी न केवल चिकित्सा जगत के लिए एक बड़ी उपलब्धि है, बल्कि उन मरीजों के लिए भी एक प्रेरणा है जो क्रॉनिक किडनी रोग से जूझ रहे हैं.
हरियाणा के पानीपत में शादी समारोह में हंगामा, दुल्हन ने लहंगा और ज्वेलरी पर उठाए सवाल
26 Feb, 2025 11:45 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
हरियाणा के पानी पत से एक अजीबोगरीब मामला सामने आया है, जहां दुल्हन पक्ष के लोगों बारात को वापस लौटा दिया. दुल्हा समेत पूरी बारात को बैरंग लौटना पड़ा. दरअसल, दुल्हन को दुल्हा पक्ष की तरफ से लाया गया लहंगा पसंद नहीं आया. वर और वधू पक्ष के बीच दुल्हन के लहंगे और ज्वेलरी को लेकर ऐसी कहासुनी हुई की नौबत हाथापाई तक जा पहुंची. विवाद अधिक बढ़ा तो पुलिस बुलानी पड़ी. मौके पर पहुंची डायल 112 पुलिस ने दोनों का बीच बचाव किया. जानकारी के मुताबिक, बाराती पंजाब के अमृतसर से पानीपत के मॉडल टाउन की भाटिया कॉलोनी स्थित एक मैरिज हॉल में आयोजित शादी समारोह में पहुंचे. दुल्हन को बारात की दूल्हे की तरफ से लाया गया लहंगा पसंद नहीं आया. साथ ही आर्टिफिशियल ज्वेलरी लाने से नाराज हो गए. इस पर मायके वालों ने बारात बैरंग लौटा दी.
बाराती पंजाब के अमृतसर से पानीपत के मॉडल टाउन की भाटिया कॉलोनी स्थित एक मैरिज हॉल में आयोजित शादी समारोह में पहुंचे. दुल्हन को बारात की दूल्हे की तरफ से लाया गया लहंगा पसंद नहीं आया. साथ ही आर्टिफिशियल ज्वेलरी लाने से नाराज हो गए. इस पर मायके वालों ने बारात बैरंग लौटा दी.
दूल्हे के भाई ने कही ये बात
दूल्हे के भाई ने कहा कि हमने शादी के लिए करीब दो साल का समय मांगा था, लेकिन लड़की वाले बार-बार दबाव बना रहे थे. उन्होंने हमसे 10 हजार रुपए हॉल बुक कराने के नाम के लिए. लहंगा कभी 20 हजार तो कभी 30 हजार रुपए का बताया. हमने अभी नया घर बनाया है हमारे पास ज्यादा पैसे नहीं थे. किसी तरह ब्याज पर पैसे लेकर हमसे जो बना वो हम लेकर आए थे.
रिश्ता तय होते ही बनाने लगे दबाव
वहीं लड़की की मां ने कहा कि हम मेहनत मजदूरी करते हैं. 25 अक्टूबर 2024 को पंजाब के अमृतसर में छोटी बेटी का रिश्ता तय हुआ था. दूसरी जगह बड़ी बेटी का रिश्ता हुआ. बड़ी के बेटी के ससुराल वालों ने शादी के लिए दो साल के लिए समय मांगा. उनकी मांग को स्वीकार कर ली. हमने छोटी बेटी की शादी भी बड़ी बेटी की शादी के साथ करने की सोची, लेकिन रिश्ता होते ही लड़के वाले शादी के लिए दबाव बनाने लगे.
चीन के लिए नई चिंता: AI बच्चों के आलोचनात्मक चिंतन कौशल को प्रभावित कर सकता है!
25 Feb, 2025 02:38 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
चीन: आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (Ai) की लड़ाई में अमेरिका को पछाड़ने में जुटा चीन अब खुद टेंशन में आ गया है. टेंशन की वजह न तो टेक्नोलॉजी है और न ही निवेश. दरअसल, चीन को यह डर सता रहा है कि कहीं Ai की वजह से आने वाली पीढ़ी के बच्चे अपना दिमाग ही न लगाना छोड़ दें. चीन अब इस बात पर विचार कर रहा है कि बच्चों के स्कूल में Ai को लेकर किस तरीके का ट्रेनिंग दिया जाए, जिससे बच्चे अपना दिमाग भी इस्तेमाल करे और Ai का भी.
चीन को क्यों सता रहा है यह डर?
Ai की वजह से बच्चों के बुद्धी खोने का डर चीन को क्यों सता रहा है, यह सवाल भी चर्चा है. हाल ही में चीन के सरकारी मैगजीन बान्यूएतान ने उत्तरी चीन में एक सर्वे किया है. यह सर्वे स्कूल के बच्चों को लेकर किया गया है. कहा जा रहा है कि सर्वे की रिपोर्ट ने चीनी अधिकारियों की टेंशन बढ़ा दी. सर्वे में शामिल 700 बच्चों में 280 बच्चों ने कहा कि वे हॉलीडे में अपना होमवर्क करने के लिए डीपसीक, डोबाओ जैसे चैटबॉट का इस्तेमाल करते हैं. इन बच्चों का कहना था कि इससे काम तुरंत हो जाता है और दिमाग भी नहीं लगाना पड़ता है. 210 बच्चों का कहना था कि वे सवाल समझने और अन्य छोटे कामों के लिए Ai का इस्तेमाल करते हैं. कहा जा रहा है कि इस सर्वे ने चीन की टेंशन बढ़ा दी है. चीन को लग रहा है कि Ai की वजह से आने वाले वक्त में उनके बच्चे आलोचनात्मक चिंतन कौशल खो सकते हैं.
डैमेज कंट्रोल की रणनीति बनाने में जुटे
Ai की वजह से बच्चे बुद्धी न खो दें, इसके लिए चीन ने स्पेशल प्लान पर काम करना शुरू कर दिया है. रिपोर्ट के मुताबिक चीन स्कूलों में Ai के उपयोग और नैतिकता को पढ़ाने के तरीके पर विचार कर रहा है. जानकारों का कहना है कि अगर इसे तुरंत नहीं लागू किया गया तो आने वाले वक्त में परेशानी और ज्यादा बढ़ सकती है. चीन के स्कूलों में Ai के दुरुपयोग को रोकने के जिन प्लानों की चर्चा हो रही है, उनमें होमवर्क किस तरीके का दिया जाए इस पर ज्यादा विचार हो रहा है.
गाजा युद्ध के बाद इज़राइल की सेना ने वेस्ट बैंक पर ध्यान किया केंद्रित, नागरिक ढांचों को किया तबाह
25 Feb, 2025 02:25 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
इजराइल: गाजा युद्ध में अपने लक्ष्य को प्राप्त न करने के बाद अब इजराइल सेना ने अपना पूरा ध्यान वेस्ट बैंक की बस्तियों में दे दिया है. गाजा से इजराइल सेना की वापसी के बाद पूरे इजराइल में नेतन्याहू के नेतृत्व की आलोचना की जा रही है. गाजा युद्ध विराम के बाद इजराइल सेना वेस्ट बैंक में टैंक, बुल्डोजरों और अन्य घातक हथियारों के दाखिल हुई है और लगातार घरों और नागरिक ढांचों को तबाह कर रही है. इजराइल सेना की कार्रवाई इतनी खौफनाक है कि वेस्ट बैंक के जेनिन शरणार्थी शिविर और तुलकरम शहर से करीब 40 हजार फिलिस्तीनियों ने अपना घर छोड़ दिया है. खाली हुई बस्तियों पर इजराइल सेना ने कब्जा कर लिया है और वहां मौजूद पानी, सड़क और अन्य मूलभूत सुविधाओं को नष्ट कर रही है.
रहने लायक नहीं रहा जेनिन
इजराइल सेना जब गाजा से वापस लौटी तो उसने वहां की ज्यादातर नागरिक इमारतों को नष्ट कर दिया. गाजा के लोग इस समय टेंटों में रहने के लिए मजबूर हैं और खाना, पानी और दवाइयों के लिए भी बाहरी मदद पर निर्भर हैं. अब कुछ ऐसा ही वेस्ट बैंक में हो रहा है, जेनिन नगरपालिका के प्रवक्ता बशीर मथाहेन ने उत्तरी गाजा में शरणार्थी शिविर का जिक्र करते हुए कहा, ''जेनिन में जो कुछ हुआ, वह जबालिया में हुआ था. इस शरणार्थी शिविर को इजराइली सेना ने हफ्तों की भीषण लड़ाई के बाद खाली करा दिया है और शिविर रहने लायक नहीं बचा है.''
सेना का मुकाबला कर रहे विद्रोही
जेनिन और तुलकराम में घुसी सेना को वहां के विद्रोहियों से कड़ा प्रतिरोध का सामना करना पड़ा है. इजराइली चैनल 14 ने बताया कि सेना और खुफिया अधिकारी जेनिन और तुलकरम में सड़कें बना रहे हैं ताकि सेना की आवाजाही को आसान बनाया जा सके और प्रतिरोध सेनानियों को विस्फोटक उपकरण लगाने से रोका जा सके. एक वरिष्ठ इजराइली सैन्य सूत्र ने खुलासा किया कि सेना कम से कम साल के अंत तक इस क्षेत्र में रहने की योजना बना रही है. बता दें, जेनिन, तुलकरम और नूर शम्स से 40 हजार फिलिस्तीनी पहले ही विस्थापित हो चुके हैं और इन क्षेत्रों में UNRWA के संचालन को रोक दिया गया है. हमास ने इजराइल की सैन्य कार्रवाई की निंदा करते हुए कहा कि 40 हजार से ज्यादा फिलिस्तीनियों के जबरन विस्थापन के लिए एक एकीकृत प्रतिरोध मोर्चे की आवश्यकता है. हमास ने कहा कि फिलिस्तीनी प्रतिरोध सक्रिय है और इन इजराइली योजनाओं का मुकाबला करेगा.
रीमा हसन और साथ आए सांसदों का इस्राइल में प्रवेश नहीं, सरकार ने सुनाया बड़ा फैसला
25 Feb, 2025 01:09 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
इस्राइल ने सोमवार को यूरोपीय संसद सदस्य रीमा हसन को देश में प्रवेश से रोक दिया। हसन पर आरोप है कि उन्होंने सोशल मीडिया और मीडिया साक्षात्कारों में इस्राइल के खिलाफ बहिष्कार को बढ़ावा दिया है। 32 वर्षीय हसन, जो सीरिया के अलेप्पो में पैदा हुईं और यूरोपीय संसद में वामपंथी समूह की सदस्य हैं, यूरोपीय संघ-फलस्तीन प्रतिनिधिमंडल के हिस्से के रूप में इस्राइल आई थीं। हालांकि इस्राइल के इस फैसले के बाद हसन के कार्यालय ने अपनी प्रतिक्रिया दी है। कार्यालय ने कहा कि उन्हें इस्राइल में प्रवेश से वंचित करने का निर्णय बारे में पहले से कोई जानकारी नहीं थी।
इस्राइल के पारित किया था कानून
बता दें कि इससे पहले इस्राइल ने एक नया कानून पारित किया था, जिसके तहत उन लोगों का इस्राइल में प्रवेश प्रतिबंधित किया जाएगा, जिन्होंने हमास के हमले का खंडन किया है या इस्राइली सैनिकों के खिलाफ अंतरराष्ट्रीय अभियोजन का समर्थन किया है। यह कानून उन लोगों पर भी लागू होता है जो इजरायल के खिलाफ बहिष्कार के आह्वान करते हैं।
रीमा हसन ने की थी आलोचना
रीमा हसन और उनके साथ आए अन्य यूरोपीय सांसदों ने हाल ही में गाजा में इस्राइल के कार्यों की आलोचना की थी। साथ ही यूरोपीय संघ-इजराइल एसोसिएशन समझौते को तत्काल निलंबित करने का आह्वान किया था। यह समझौता इजराइल और यूरोपीय संघ के बीच राजनीतिक और आर्थिक रिश्तों को रेखांकित करता है। हसन ने यूरोपीय संघ मुख्यालय के बाहर एक रैली का भी आह्वान किया था, जिसमें कई प्रदर्शनकारी एकत्र हुए थे।
गौरतलब है कि इससे पहले, इस्राइल के विदेश मंत्री गिदोन सार ने यूरोपीय संघ से बातचीत करते हुए कहा था कि इजराइल आलोचना का सामना करने के लिए तैयार है, लेकिन यह तब तक ठीक है जब तक यह आलोचना अवैधता, शैतानीकरण या दोहरे मानदंडों से जुड़ी नहीं हो, जो इजराइल के खिलाफ समय-समय पर देखी जाती है।ॉयह घटना इजराइल और यूरोपीय संघ के बीच जारी तनाव को और बढ़ा सकती है, क्योंकि इजराइल के कुछ कार्यों को लेकर यूरोपीय देशों में आलोचनाएं हो रही हैं।
'ऑल ऑर नथिंग' में ट्रंप और मस्क के बीच की टकराहट, ट्रंप की पत्नी मेलानिया के बारे में भी किए गए चौंकाने वाले खुलासे
25 Feb, 2025 01:01 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
अमेरिका में जब से डोनाल्ड ट्रंप राष्ट्रपति बने हैं, तब से एलन मस्क की चर्चा भी जोरों पर हैं। माइकल वोल्फ ने अपनी आगामी पुस्तक 'ऑल ऑर नथिंग: हाउ ट्रम्प रिकैप्चर्ड अमेरिका' में ट्रम्प की 2024 की चुनावी रणनीति के बारे में और भी कई चौंकाने वाले खुलासे किए हैं।
माइकल वोल्फ की नई किताब में खुलासा हुआ है कि ट्रम्प 'फर्स्ट बडी' एलन मस्क की बेतुकी हरकतों से हैरान रह गए थे। माइकल वोल्फ ने एलन मस्क के एक फंक्शन में पब्लिक अपीयरेंस का वर्णन किया है और उस समय को याद किया जब स्पेसएक्स के मालिक एलन मस्क पेंसिल्वेनिया में ट्रंप की चुनावी रैली में दिखाई दिए थे।
किताब में सामने आई बात
वोल्फ की नई किताब 'ऑल ऑर नथिंग: हाउ ट्रम्प रिकैप्चर्ड अमेरिका' में, लेखक ने एक ऐसे सीन का खुलासा किया है, जिसे सुन आप भी हैरान हो जाएंगे।
'इस आदमी को क्या हो गया'
मस्क ने ब्लैक कलर की 'मेक अमेरिका ग्रेट अगेन' (MAGA) टोपी और बिना टक की हुई टी-शर्ट पहनी हुई थी, और अपना पेट दिखाते हुए मंच पर उछल रहे थे। रिपोर्ट के अनुसार, एलन मस्क का ऐसा लुक देख ट्रंप भी शॉक रहे गए और खुद को कमेंट करने से रोक नहीं पाए, उन्होंने एलन मस्क को देखते ही कहा,'इस आदमी को क्या हो गया है? और इसकी शर्ट फिट क्यों नहीं है?'
ट्रंप की शादी को लेकर बड़ा खुलासा
वहीं इस किताब में लेखक ने ट्रंप और उनकी पत्नी को लेकर भी कुछ बातें बताई हैं। लेखक के अनुसार ट्रंप की पत्नी मेलानिया ट्रंप अपने पति से नफरत करती हैं।
दोनों की शादी को लेकर लेखक लिखते हैं, ट्रम्प ने अपने अभियान के दौरान कभी भी यह स्वीकार नहीं किया कि 'देश में सबसे सार्वजनिक विवाह टूट रहा था, भले ही हर मानक संकेत से यह पता चलता हो कि यह टूट रहा था, और ऐसा सार्वजनिक रूप से हो रहा था।
शादी से पहले ट्रंप की मेलानिया से कैसी थी बॉन्डिंग?
लेखक ने अपनी किताब में दावा किया ट्रंंप और उनकी पत्नी मेलानिया उनसे बात नहीं करती थीं, ट्रंप के कर्मचारियों को यह भी नहीं पता था कि मेलानिया कहां रहती और वह उनके अधिकतर कार्यक्रमों से स्पष्ट रूप से अनुपस्थित रहती थीं। 2024 में रिपब्लिकन नेशनल कन्वेंशन से पहले 18 महीनों में प्रथम महिला ने एक भी कैंपेन में भाग नहीं लिया।