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तालिबान समर्थक मस्जिद में बम विस्फोट, रमजान से पहले बड़ा आतंकी हमला
28 Feb, 2025 04:58 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
रमजान के पवित्र महीने से पहले शुक्रवार (28 फरवरी 2025) को उत्तर-पश्चिमी पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा प्रांत में तालिबान समर्थक एक मस्जिद में विस्फोट हुआ. जामिया हक्कानिया मदरसे में हुए बम विस्फोट में पांच लोगों की मौत हो गई और कई अन्य घायल हो गए.
इलाके में इमरजेंसी लगाई गई
रिपोर्ट के मुताबिक जिला पुलिस प्रमुख अब्दुल रशीद ने बताया कि यह विस्फोट खैबर पख्तूनख्वा प्रांत के अककोरा खट्टक जिले में हुआ. उन्होंने बताया कि अधिकारी इसकी जांच कर रहे हैं और साथ ही घायलों को अस्पताल पहुंचाया जा रहा है. अभी तक किसी संगठन ने इस हमले की जिम्मेदारी नहीं ली है. यह विस्फोट मदरसे के मुख्य हॉल में जुमे की नमाज के दौरान हुआ. रिपोर्ट के मुताबिक अधिकारियों ने इस इलाके में इमरजेंसी की घोषणा कर दी है.
पुलिस ने आत्मघाती विस्फोट बताया
जामिया हक्कानिया मदरसे के भीतर जहां यह विस्फोट हुआ, उस परिसर में लगभग 4,000 छात्र रहते हैं, जिन्हें निःशुल्क भोजन और शिक्षा दी जाती है. रिपोर्ट के मुताबिक केपी के हमीद ने कहा कि शुरुआती जांच के अनुसार यह एक आत्मघाती विस्फोट मालूम होता है. उन्होंने कहा कि ऐसा प्रतीत होता है कि मौलाना हमीदुल हक हक्कानी निशाने पर थे.
पाकिस्तान सरकार ने घटना की निंदा की
पाकिस्तान सरकार के आंतरिक मंत्री मोहसिन नकवी ने एक्स पर पोस्ट कर इस घटना की निंदा की. उन्होंने कहा, "दुश्मन देश पाकिस्तान में अस्थिरता पैदा करने की साजिश रच रहा है. हम दुश्मन की हर साजिश को नाकाम कर देंगे. हम मृतकों के परिवार वालों के साथ खड़े हैं." उन्होंने मौलाना हमीदुल हक हक्कानी और अन्य घायलों के स्वस्थ जल्द से जल्द स्वस्थ होने की प्रार्थन की.
खैबर पख्तूनख्वा प्रांत में हुए बम ब्लास्ट को लेकर पाकिस्तान के पीएम शहबाज शरीफ ने कहा कि इस तरह के कायरतापूर्ण कार्य आतंकवाद के खिलाफ हमारे संकल्प को कमजोर नहीं कर सकते. उन्होंने कहा कि हम देश से आतंकवाद के सभी रूपों को पूरी तरह से मिटाने के लिए प्रतिबद्ध हैं.
अमेरिका की चेतावनी के बाद उत्तर कोरिया ने दागी क्रूज मिसाइल
28 Feb, 2025 01:12 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
उत्तर कोरिया ने शुक्रवार को एक बयान में कहा है कि उन्होंने क्रूज मिसाइल का परीक्षण किया। यह परीक्षण उत्तर कोरिया ने अपनी परमाणु रोधी क्षमताओं का प्रदर्शन करने के लिए किया है। उत्तर कोरिया ने कहा है कि अमेरिकी धमकी के बाद उन्होंने ये कदम उठाया है। उत्तर कोरिया के सरकारी मीडिया केसीएनए ने बताया कि उनके नेता किम जोंग उन ने भी मिसाइल परीक्षण का निरीक्षण किया।
किम जोंग उन ने खुद मिसाइल परीक्षण पर नजर रखी
उत्तर कोरिया के अनुसार, यह परीक्षण बुधवार को देश के पश्चिमी तट पर किया गया। यह इस साल उत्तर कोरिया का चौथा मिसाइल परीक्षण है और अमेरिका में डोनाल्ड ट्रंप के सत्ता में आने के बाद से दूसरा मिसाइल परीक्षण है। केसीएनए ने कहा कि 'यह देश के दुश्मनों को पैगाम है, जो हमारे सुरक्षा वातावरण का गंभीर रूप से उल्लंघन कर रहे हैं और संघर्ष को बढ़ा रहे हैं।' उत्तर कोरिया के नेता किम जोंग उन ने मिसाइल परीक्षण के नतीजों पर संतोष जताया और कहा कि सेना को युद्ध के लिए तैयार रहने और साथ ही अपने परमाणु हथियारों को भी तैयार रखने की जरूरत है।
अमेरिका पर लगाया था उकसावे की कार्रवाई करने का आरोप
बीते शनिवार ही उत्तर कोरिया के रक्षा मंत्री ने आरोप लगाया था कि अमेरिका और इसके सहयोगी देश उत्तर कोरिया के खिलाफ उकसावे वाली कार्रवाई कर रहे हैं। उत्तर कोरिया ने अमेरिका और दक्षिण कोरिया के संयुक्त युद्धाभ्यास पर कड़ी नाराजगी जाहिर की। गौरतलब है कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अपने पहले कार्यकाल में तीन बार उत्तर कोरियाई नेता किम जोंग उन से मुलाकात की थी। अब दूसरे कार्यकाल में भी ट्रंप ने किम जोंग उन से मिलने की इच्छा जाहिर की है। हालांकि अभी तक उत्तर कोरियाई नेता की तरफ से सीधे तौर पर ट्रंप के प्रस्ताव पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी गई है और उत्तर कोरिया द्वारा लगातार अमेरिका के खिलाफ आक्रामक रुख बरकरार रखा है। किम जोंग उन पर रूस-यूक्रेन युद्ध में रूस की मदद के लिए अपने सैनिक भेजने के आरोप लग रहे हैं। ऐसे में हाल-फिलहाल तो ट्रंप से मिलने के प्रस्ताव पर किम का रवैया थोड़ा उदासीन ही रह सकता है।
F-35 vs J-35A: भारत-पाकिस्तान के बीच स्टील्थ जेट युद्ध में कौन रहेगा ऊँचा?
28 Feb, 2025 01:08 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
इस्लामाबाद: भारत और पाकिस्तान पांचवीं पीढ़ी के लड़ाकू विमानों की रेस में लगे हुए हैं। भारत को जहां अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने F-35 लाइटनिंग II का ऑफर दिया है, वहीं पाकिस्तान ने पिछले साल चीन से J-35A पांचवीं पीढ़ी के लड़ाकू विमान के अधिग्रहण की घोषणा की थी। यानि दोनों ही देश फिफ्थ जेनरेशन लड़ाकू विमान हासिल करने की दिशा में कदम बढ़ा चुके हैं। लिहाजा सवाल उठ रहे हैं कि अगर दोनों ही देश स्टील्थ फाइटर जेट हासिल कर लेते हैं तो दक्षिण एशिया में कैसे युद्ध का माहौल बदल जाएगा। हालांकि हम किसी युद्ध की कामना नहीं करते हैं लेकिन फिर भी दोनों देशों के बीच अत्याधुनिक हथियारों को हासिल करने की होड़ किसी ना किसी दिन खतरनाक मोड़ पर पहुंच सकती है। ऐसे में सवाल ये हैं कि फर्ज कीजिए किसी दिन भारत और पाकिस्तान के फिफ्थ जेनरेशन फाइटर जेट्स किसी युद्ध में फंसते हैं तो क्या होगा? आखिर इस युद्ध का आखिरी विजेता कौन होगा, युद्ध कैसे लड़ा जाएगा, पायलट्स की भूमिका कैसी होगी, इन तमाम सवालों के जवाब आइये जानने की कोशिश करते हैं।
कैसी होगी पांचवीं पीढ़ी के विमानों की लड़ाई?
फर्ज कीजिए कि 2028 में LoC पर भारत और पाकिस्तान में युद्ध छिड़ जाए, जिसमें दोनों देश अपने अपने स्टील्थ लड़ाकू विमानों को तैनात कर दे। भारतीय वायुसेना श्रीनगर से एफ-35ए का एक स्क्वाड्रन उतारती है, जिसका काम भारतीय जमीनी बलों के लिए खतरा पैदा करने वाले पाकिस्तानी वायुसेना के ठिकानों को बेअसर करना होगा। साथ ही, पाकिस्तानी वायुसेना स्कार्दू से जे-35ए तैनात करती है, जिसका मकसद हवाई श्रेष्ठता स्थापित करना और जवाबी हमले में सहायता करना है।
फेज-1: एफ-35 स्टील्थ फाइटर जेट की सबसे बड़ी खासियत दुश्मनों के विमानों का पता लगाना और उनकी सटीक स्थिति पता करना है। इसमें DAS टेक्नोलॉजी है, जो इसे शुरुआती पहचान में बढ़त देते हैं। भारत के नेत्र या फाल्कन सिस्टम जैसे ऑर्बिटिंग AWACS, ग्राउंड-बेस्ड रडार के साथ मिलकर, F-35 को डेटा रिले करेंगे, जिससे उन्हें पाकिस्तान के J-35As को उनके कम RCS के बावजूद उन्हें ट्रैक करने में मदद करेगी। हालांकि पाकिस्तान के जे-35 फाइटर जेट को चीनी KJ-500 AWACS या पाकिस्तान के ZDK-03 से समर्थन मिलेगा, जिससे वो भारत के F-35 का पता लगाने के लिए अपने AESA रडार और ग्राउंड स्टेशनों के साथ डेटा-लिंक पर निर्भर करेंगे। लेकिन F-35 के पास बेहतरीन इलेक्ट्रॉनिक युद्ध क्षमताएं-दुश्मन के सेंसर को जाम करने की क्षमता है, लिहाजा पाकिस्तानी एयरफोर्स भारत के एफ-35 फाइटर जेट की काफी देर से पहचान कर पाएंगी। जिससे युद्ध में पहला हमला करने की क्षमता भारत के पास होगी।
फेज-2 की लड़ाई में क्या होगा?
IDRW की रिपोर्ट के मुताबिक फेज-2 की लड़ाई में दृश्य-सीमा से परे टेक्नोलजी, जिसे BVR कहा जाता है, उसकी ताकत काम में आएगा। लेकिन इसमें दोनों ही फाइटर जेट्स शानदार हैं। लेकिन एक्सपर्ट्स का मानना है कि F-35 का AIM-120D (रेंज ~180 किमी) और सेंसर फ्यूजन J-35A के PL-15 से बेहतर हो सकता है। इसके अलावा इंडियन एयरफोर्स के पायलट सैटेलाइट के जरिए डेटा हासिल करने लगेंगे और उनके पास जमीन पर मौजूद नेटवर्क से मिल रहे डेटा से फायदा उठाने का शानदार मौका होगा। अगर पाकिस्तानी J-35A मिसाइलों की एक बौछार लॉन्च करते हैं, तो भारतीय वायुसेना AIM-120D मिसाइल के साथ जवाबी कार्रवाई कर सकती है। लेकिन ये मिसाइल कितनी कारगर होगी ये J-35A के रडार और चीन की मिसाइल गाइडेड टेक्नोलॉजी पर निर्भर करती है। F-35 की स्टेल्थ और काउंटरमेशर्स (जैसे, टो किए गए डिकॉय) विमान के सामने आने वाले कई खतरों को बेअसर कर सकते हैं, जबकि J-35A का ट्विन-इंजन डिजाइन उस वक्त कारगर साबित होंगे, अगर फाइटर जेट को किसी मिसाइल ने हिट कर दिया है।
फेज-3 की लड़ाई में क्या होगा?
IDRW की रिपोर्ट में कहा गया है कि दृश्य-सीमा के भीतर की हवाई लड़ाई अगर लड़ाई दृश्य-सीमा (WVR) के भीतर आ जाती है, तो पाकिस्तानी J-35A की चपलता और जोर-वेक्टरिंग क्षमता, भारतीय F-35 की गतिशीलता को चुनौती दे सकती है, जो हवाई कलाबाजी पर सीक्रेट रहने को प्राथमिकता देती है। यानि चीनी फाइटर जेट कलाबाजियां खाने में माहिर है और अमेरिकी एफ-35 गुप्त रहने में माहिर है। भारतीय F-35 का हेलमेट-माउंटेड डिस्प्ले और AIM-9X साइडवाइंडर ऑफ-बोरसाइट निशाने पर हमला करने की बेजोर क्षमता प्रदान करते हैं, लेकिन पाकिस्तानी J-35A में भी कुछ ऐसी ही क्षमताएं हैं। जो खेल के मैदान को बराबरी पर लाती है। ऐसे में सबसे महत्वपूर्ण हो जाता है पायलटों की ट्रेनिंग। युद्ध का अंजाम इस बात पर तय होगा कि दोनों देशों के पायलटों की ट्रेनिंग कैसी होती है। भारत के अनुभवी इंडियन एयरफोर्स कैडर रेड फ्लैग जैसे अभ्यासों से कठोर हो गए हैं और पाकिस्तानी एयरफोर्स के पायलट्स को मात दे सकते हैं, क्योंकि उनके पास युद्ध की ट्रेनिंग चीनी ट्रेनर्स से मिली हैं, जिनके पास वास्तविक युद्ध का अनुभव नहीं है।
फेज-4: युद्ध का आखिरी नतीजा क्या निकल सकता है?
फेज-4 की लड़ाई में भारत के ग्राउंडेड एयर डिफेंस सिस्टम एस-400 काफी महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे, जो दुनिया का सबसे एडवांस एयर डिफेंस सिस्टम है। इसके अलावा भारत के पास राफेल फाइटर जेट और Su-30MKls फाइटर जेट होंगे, जो इस युद्ध के तराजू को भारत के पक्ष में झुका सकता है। इसके अलावा युद्ध इस बात पर भी निर्भर करेगा कि दोनों देश कितनी संख्या में विमान खरीदते हैं। माना जा रहा है कि भारत कम के कम एफ-35 के दो स्क्वाड्रन बनाएगा, जबकि पाकिस्तान ने J-35A का एक स्क्वाड्रन बनाने की फैसला किया है। लिहाजा आखिरी समय में भारत यहां आसानी से बाजी मार लेगा, क्योंकि भारत के पास ज्यादा फिफ्थ जेनरेशन लड़ाकू विमान होंगे। इसके अलावा पाकिस्तान एक और जिस बड़ी चुनौती का सामना करेगा वो है इन फाइटर जेट्स का मेंटिनेंस, जिसमें फाइटर जेट्स को खरीदने जितना ही खर्च आता है। लिहाजा क्या पाकिस्तान लगातार अरबों रुपये मेंटिनेंस पर खर्च करता रहेगा, ये बहुत बड़ा सवाल है। क्योंकि अमेरिका एफ-35 के मेंटिनेंस में अमेरिका के भी माथे पर पसीने आ जाते हैं। लिहाजा भारत को फिर भी किसी तरह मेंटिनेंस कर लेगा, लेकिन क्या पाकिस्तान लगातार ऐसा कर पाएगा?
हरियाणा कांग्रेस ने पार्टी विरोधी गतिविधियों में शामिल पांच नेताओं को 6 साल के लिए निष्कासित किया
28 Feb, 2025 01:05 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
हरियाणा कांग्रेस ने पार्टी विरोधी गतिविधियों में शामिल होने को लेकर एक पूर्व विधायक सहित पांच नेताओं को तत्काल प्रभाव से पार्टी से छह साल के लिए निष्कासित कर दिया है. हाल ही में इन पार्टी नेताओं के खिलाफ पार्टी विरोधी गतिविधियों में लिप्त पाए जाने की रिपोर्ट सामने आई थी. उसके बाद इन नेताओं को निष्कासित कर दिया गया है. निष्कासित नेताओं में पूर्व विधायक रामबीर सिंह के साथ अन्य चार नेता राहुल चौधरी, पूजा रानी, विजय कौशिक और रूपेश मलिक शामिल हैं.
हरियाणा प्रदेश कांग्रेस कमेटी की ओर से जारी आदेश में बताया गया है कि चुनाव 2025 के दौरान इन नेताओं पर पार्टी विरोधी गतिविधि में लिप्त होने के आरोप लगे थे. उसके बाद पार्टी के नेताओं और कार्यकर्ताओं से से रिपोर्ट प्राप्त होने के बाद यह एक्शन लिया गया और इन नेताओं को तत्काल प्रभाव से 6 साल के लिए पार्टी से निष्कासित किया जाता है.
कांग्रेस के सात नेताओं को किया था निष्कासित
इससे पहले 20 फरवरी को हरियाणा में कांग्रेस ने पार्टी विरोधी गतिविधि में शामिल नेताओं के खिलाफ कार्रवाई की थी और राज्य भर से सात पार्टी नेताओं को निष्कासित कर दिया गया था. कांग्रेस सूत्रों के अनुसार कांग्रेस के राज्य प्रभारी बीके हरिप्रसाद की सलाह पर इन सात नेताओं को छह साल के लिए निलंबित कर दिया गया था,
राम निवास रारा समेत 6 कांग्रेस नेताओं को पार्टी से निष्कासित किया
आदेश के अनुसार निष्कासित नेताओं में पूर्व जिला युवा कांग्रेस (डीवाईसी) अध्यक्ष मधु चौधरी (यमुना नगर), पूर्व जिला कांग्रेस कमेटी (डीसीसी) अध्यक्ष तरलोचन सिंह और अशोक खुराना (करनाल), सदस्य समन्वय समिति प्रदीप चौधरी (करनाल) शामिल हैं, इसके साथ ही हिसार विधानसभा क्षेत्र से कांग्रेस उम्मीदवार राम निवास रारा ने चुनाव लड़ा था. उन्हें भी पार्टी ने निष्कासित कर दिया गया है. गुरुग्राम से राम किशन सैन और गुरुग्राम से हरविंदर (लवली) को तत्काल प्रभाव से छह साल के लिए निष्कासित कर दिया गया है.
ईवीएम का विरोध, मतपत्र से चुनाव कराने की मांग
इस बीच, हरियाणा कांग्रेस के अध्यक्ष उदय भान ने इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) के इस्तेमाल को लेकर चिंता जताई है. चुनावों के लिए मतपत्रों के इस्तेमाल की मांग की है. उन्होंने कहा कि उत्तराखंड की तरह ही मध्य प्रदेश में भी ईवीएम के बजाय मतपत्रों का इस्तेमाल कर चुनाव कराए जाएं. हर राज्य के चुनाव में ईवीएम पर सवाल उठाए जा रहे हैं और इसकी प्रामाणिकता पर संदेह के कारण मामले दर्ज किए गए हैं, इसलिए कानून के तहत मतपत्रों का इस्तेमाल किया जाना चाहिए. मतगणना में देरी पर चिंता जताते हुए उन्होंने कहा, दूसरी बात, सभी स्थानीय निकाय चुनावों की मतगणना चुनाव के दिन ही होती है, तो हरियाणा नगर निगम चुनावों के नतीजे 10 दिन बाद क्यों रखे जा रहे हैं?
दक्षिण कोरिया में जन्म दर में सुधार, 2023 के मुकाबले 8,300 अधिक बच्चे पैदा हुए
28 Feb, 2025 01:00 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
दक्षिण कोरिया में जन्म लेने वाले बच्चों की संख्या में 2024 में बढ़त दर्ज की गई है. पिछले नौ सालों में ऐसा पहली बार देखने को मिला है. दक्षिण कोरिया दुनिया के सबसे गंभीर जनसांख्यिकीय संकट से जूझ रहा है. ऐसे में वहां बर्थ रेट में बढ़त राहत देने वाली खबर है. दक्षिण कोरिया की सांख्यिकी एजेंसी के मुताबिक, पिछले साल 238,300 बच्चे पैदा हुए हैं.
2023 की पहले की तुलना पैदा हुए बच्चों की संख्या में 8,300 ज्यादा हैं. देश की प्रजनन दर. हर महिला की अपने प्रजनन सालों में जन्म लेने वाले बच्चों की औसत संख्या – 2024 में 0.75 रही, जो 2023 में 0.72 थी. यानी इसमें मामूली इजाफा देखने को मिला है. 2015 के बाद से एक साल में पैदा होने वाले बच्चों की संख्या में पहली वृद्धि हुई है. कोरिया इंस्टीट्यूट ऑफ चाइल्ड केयर एंड एजुकेशन के विशेषज्ञ चोई यून क्यूंग ने कहा कि यह कहना बिल्कुल सही है कि बच्चों के जन्म लेने की संख्या में बढ़त हुई है. हमें यह पता लगाने के लिए अगले कुछ सालों में अभी भी आंकड़ों पर गौर करना होगा.
जन्म दर में बढ़त के पीछे क्या है वजह?
सांख्यिकी कोरिया की एक वरिष्ठ अधिकारी पार्क ह्यून जंग ने कहा कि उनकी एजेंसी ने बताया कि जन्म दर में आंशिक रूप से बढ़त देखी गई है. ये बढ़त यहां काफी संख्या में शादी करने की वजह से हुई है. खासतौर पर इसमें वो लोग शामिल हैं, जिन्होंने COVID-19 महामारी के समय शादी में देरी की थी. उन्होंने कहा कि इस बढ़त के पीछे एक और वजह ये है कि 30 के दशक की शुरुआत में यहां आने वाले लोगों की संख्या में भी बढ़त देखी गई है.
उन्होंने एक सरकारी सर्वेक्षण का जिक्र करते हुए कहा कि इसमें शादी के बाद बच्चे पैदा करने की उम्मीद करने वाले युवाओं की संख्या में भी थोड़ी बढ़त देखी गई. आधिकारिक डेटा से पता चलता है कि हाल के सालों में दक्षिण कोरिया की प्रजनन दर दुनिया में सबसे कम रही है. दक्षिण कोरिया की स्थिति इतनी ज्यादा खराब रही है कि 2022 में, यह एकमात्र ऐसा देश था जहां बर्थ रेट पेरिस के आर्थिक सहयोग और विकास संगठन के सदस्यों में 1 से नीचे थी.
अर्थव्यवस्था के लिए बड़ा खतरा
कम प्रजनन दर दक्षिण कोरिया की अर्थव्यवस्था के लिए एक बड़ा संभावित खतरा है, जो एशिया की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है, क्योंकि इससे श्रम की कमी और ज्यादा कल्याणकारी खर्च होंगे. दक्षिण कोरिया की केंद्रीय और क्षेत्रीय सरकारें बच्चों को जन्म देने वालों को कई तरह के वित्तीय प्रोत्साहन और अन्य सहायता कार्यक्रम दे रही हैं.
विशेषज्ञों का कहना है कि देश की जनसांख्यिकीय चुनौतियों का समाधान करना बेहद मुश्किल होगा क्योंकि युवा लोग बच्चे पैदा नहीं करना चाहते हैं. कई ऐसे कारक हैं जो करियर में आगे बढ़ने और तेजी से बदलते देश में उन्हें पालना मुश्किल बनाते हैं. वे महंगे आवास, सामाजिक गतिशीलता के निम्न स्तर, बच्चों के पालन-पोषण और शिक्षा की भारी लागत और ऐसी संस्कृति का हवाला देते हैं. इमसें महिलाओं को बच्चों की देखभाल के लिए ज़्यादा काम करना पड़ता है.
यूक्रेन युद्ध को खत्म करने पर कीर स्टार्मर-ट्रंप में बातचीत, अमेरिका के रुख पर चर्चा
28 Feb, 2025 12:40 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
वाशिंगटन। अमेरिका दौरे पर पहुंचे ब्रिटेन के प्रधानमंत्री कीर स्टार्मर ने राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के साथ बैठक की। बैठक के बाद राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने व्हाइट हाउस में एक साझा प्रेस कॉन्फ्रेंस की। इस बीच एक रिपोर्टर ने जैसे ही कनाडा पर कीर स्टार्मर से प्रश्न किया तो ट्रंप भड़क गए और उन्होंने बीच में ही रोक दिया।
रिपोर्ट को कीर ने दिया ये जवाब
दरअसल, रिपोर्टर ने ब्रिटेन के प्रधानमंत्री से पूछा कि क्या उन्होंने कनाडा पर कब्जे के बारे में राष्ट्रपति ट्रंप के बयानों पर उनसे चर्चा की।
इस पर स्टार्मर ने जवाब दिया, "मुझे लगता है कि आप हमारे बीच एक ऐसा विभाजन खोजने की कोशिश कर रहे हैं जो मौजूद ही नहीं है। हम सबसे करीबी देश हैं और आज हमारी बहुत अच्छी चर्चा हुई, लेकिन हमने कनाडा को नहीं छुआ।
ट्रंप ने रोका और बोले- बस बहुत हुआ...
जब ब्रिटेन के प्रधानमंत्री कनाडा को लेकर रिपोर्टर के सवाल का जवाब दे रहे थे तभी ट्रंप ने उन्हें बीच में रोक दिया और रिपोर्टर से कहा, "बस बहुत हो गया" अब और नहीं।
यूक्रेन युद्ध पर हुई चर्चा
दोनों राष्ट्रों के नेताओं ने मुख्य रूप से यूक्रेन के लिए समर्थन और व्यापार संबंधों पर चर्चा करने के लिए मुलाकात की थी। ट्रंप ने प्रधानमंत्री कीर स्टार्मर की मेजबानी की और दोनों ने यूक्रेन में तीन साल से चल रहे युद्ध को समाप्त करने के लिए अमेरिका के रुख पर चर्चा की।
यह दोहराते हुए कि अगर वे राष्ट्रपति होते तो युद्ध कभी नहीं होता, ट्रंप ने कहा,
मृत्यु के इस चक्र को समाप्त करने की प्रक्रिया शुरू करने के लिए, मैंने राष्ट्रपति पुतिन के साथ लगातार ऐतिहासिक बातचीत की, मैं कह सकता हूं कि वे बहुत सफल रहीं और राष्ट्रपति जेलेंस्की के साथ हम युद्ध को समाप्त करने के लिए बहुत मेहनत कर रहे हैं।
ट्रंप से मिले थे पुतिन
रूस के प्रति अमेरिका के रुख में ट्रंप के कार्यकाल में तब बदलाव आया जब दोनों देश यूक्रेन युद्ध को खत्म करने पर चर्चा करने के लिए मिले। ट्रंप ने युद्ध शुरू करने के लिए जेलेंस्की को दोषी ठहराया और कहा कि वे रूस के साथ समझौता कर सकते थे।
यूक्रेन युद्ध को समाप्त करने के बारे में बात करते हुए ट्रंप ने कहा कि या तो यह बहुत जल्द होगा या फिर बिल्कुल नहीं होगा। दूसरी ओर, कीर स्टार्मर ने यूक्रेन में शांति समझौते की वकालत की।
7 अक्टूबर हमला: इजरायली सेना की चूक स्वीकार, नेतन्याहू पर बढ़ा दबाव
28 Feb, 2025 12:28 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
तेल अवीव। इजरायली सेना ने सात अक्टूबर हमले में अपनी नाकामी स्वीकार की है। जांच से पता चला है कि सात अक्टूबर 2023 को हमास इजरायल के इतिहास में सबसे घातक हमले को इसलिए अंजाम दे सका क्योंकि उससे कहीं अधिक शक्तिशाली इजरायली सेना ने आतंकवादी समूह की क्षमताओं को कम आंका और उसके इरादों को नहीं भांप सकी।
नेतन्याहू पर दवाब बन सकता है
सेना के चीफ ऑफ स्टाफ लेफ्टिनेंट जनरल हर्जी हलेवी ने कहा कि वह सेना की विफलताओं की जिम्मेदारी लेते हैं। गुरुवार को जारी इस रिपोर्ट से हमले से पहले राजनीतिक निर्णय लेने की जांच को लेकर प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू पर दवाब बन सकता है।
नेतन्याहू ने जांच आयोग बनाने की मांग का विरोध किया
कई इजरायली मानते है कि नेतन्याहू हमले की रोकथाम के लिए कुशल रणनीति बनाने में नाकाम रहे। प्रधानमंत्री ने यह कहते हुए जिम्मेदारी नहीं ली है कि वह युद्ध के बाद ही कठिन सवालों का जवाब देंगे। हमले में मारे गए लगभग 1,200 लोगों के परिवारों और गाजा में बंधक बनाए गए 251 लोगों के परिवारों सहित सार्वजनिक दबाव के बावजूद, नेतन्याहू ने जांच आयोग बनाने की मांग का विरोध किया है।
नागरिक पूछ रहे इजरायली सेना से सवाल
इजरायली सेना की आंतरिक जांच को लेकर एक अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर रिपोर्ट की सामग्री के बारे में कहा कि सात अक्टूबर को आईडीएफ (सेना) इजरायली नागरिकों की रक्षा करने के अपने मिशन को पूरा करने में विफल रही। नागरिक पूछ रहे हैं कि उस दिन बहुत सारे नागरिक मर गए तब आईडीएफ कहां थी?
एक वरिष्ठ सैन्य अधिकारी ने कहा कि सेना ने स्वीकार किया कि वह "अति आत्मविश्वासी" थी और फलस्तीनी आतंकवादी समूह के हमले से पहले उसे हमास की सैन्य क्षमताओं के बारे में गलत धारणाएं थीं और उसने इस तरह के हमले की कल्पना नहीं की थी। उन्होंने आगे कहा कि हमास के नेतृत्व में फलस्तीनी आतंकवादियों ने न केवल हमले के आकार और पैमाने के मामले में, बल्कि इसकी क्रूरता के मामले में भी इजरायल को आश्चर्यचकित कर दिया।
हमास ने तीन तरफ से किया हमला
सैन्य जांच में पाया गया कि हमास का हमला तीन तरफ से हुआ जिसमें 5,000 से अधिक लोग गाजा से इजरायल में प्रवेश कर गए। आगे बताया कि पहले में 1,000 से अधिक नुखबा (कुलीन बल) आतंकवादी शामिल थे, जिन्होंने भारी गोलीबारी की आड़ में घुसपैठ की थी।
इसमें कहा गया है कि दूसरी ओर में 2,000 आतंकवादी शामिल थे और तीसरी ओर में कई हजार नागरिकों के साथ सैकड़ों आतंकवादियों का आगमन हुआ था। रिपोर्ट में कहा गया कि कुल मिलाकर, हमले के दौरान लगभग 5,000 आतंकवादियों ने इजरायली क्षेत्र में घुसपैठ की।
हरियाणा सरकार ने महिला योजना की घोषणा की, हर महीने मिलेगा 2100 रुपये
28 Feb, 2025 12:26 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
हरियाणा की रहने वाली महिलाओं के लिए सरकार ने एक बड़ी घोषणा का ऐलान किया है. हरियाणा विधानसभा चुनाव के दौरान बीजेपी ने सरकार बनने के बाद महिला को हर महीने 2100 रुपये देने की घोषणा की थी. अब हरियाणा सरकार ने बता कि आखिरी किन महिलाओं और कब से इस योजना का लाभ मिलेगा. हरियाणा के सीएम नायब सिंह सैनी ने खुद इस बात की जानकारी दी हैं.
हरियाणा में पांच अक्टूबर 2024 को विधानसभा चुनाव हुए थे. जिसका रिजल्ट आठ अक्टूबर 2025 को आया था. यहां बीजेपी ने पूर्ण बहुमत जीत हासिल की थी. चुनाव के दौरान एक गारंटी ने बहुत ही बड़ी भूमिका निभाई थी. वह गारंटी महिला को 2100 रुपये देने की थी. बीजेपी ने अपनी चुनावी मैनिफेस्टों में घोषणा की थी कि वह सरकार बनने के बाद महिला को आर्थिक मदद के तौर पर 2100 रुपये हर महीने देंगे. बीजेपी ने मजबूती से चुनाव लड़ा और उनकी इस गारंटी के बाद महिलाओं ने बढ़-चढ़कर वोट भी दिया.
7 मार्च के बाद शुरू होगी योजना
बीजेपी ने 18 से 60 साल तक की महिलाओं को लाडो लक्ष्मी योजना का लाभ देने का ऐलान किया है. अब सबसे बड़ा सवाल यह उठता है कि आखिर किन महिलाओं को इसका फायदा मिलेगा. सीएम नायब सिंह सैनी ने बताया कि जिन महिला के परिवार की सालाना आय 1 लाख 80 हजार तक है, उन महिला को इसका फायदा मिलेगा. 7 मार्च के बाद महिला को लाडो लक्ष्मी योजना का लाभ मिलना शुरू हो जाएगा.
सरकार ने इस योजना को आर्थिक रूप से कमजोर महिला तक सीमित रखने का फैसला लिया है. प्रदेश में 52.95 लाख बीपीएल परिवार है, जिसमें करीब 50 लाख महिलाएं हैं. वित्त एवं योजना विभाग के वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि इस योजना के लिए प्रतिवर्ष 10 से 12 हजार करोड़ के बजट का प्रावधान किया है. इस योजना का लाभ उठाने के लिए महिलाओं को पीपीपी, जन्म प्रमाण पत्र और फैमिली इनकम सर्टिफिकेट समेत कई कागजात देने होंगे.
अमेरिका के लिए खतरा: क्या ईरान किम जोंग उन के हथियारों का इस्तेमाल करेगा?
28 Feb, 2025 12:23 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
उत्तर कोरिया के किम जोंग उन के जिस परमाणु हथियार से अमेरिका डरता है, अब वही खतरा ईरान के कदमों से बढ़ता दिख रहा है. ईरान का परमाणु कार्यक्रम अब पूरी दुनिया के लिए एक गंभीर चिंता बन चुका है, खासकर अमेरिका के लिए. हाल ही में जारी रिपोर्टों के अनुसार, ईरान ने अपने यूरेनियम के भंडार को तेजी से बढ़ाया है, जिससे वह परमाणु हथियार बनाने की दिशा में आगे बढ़ सकता है. अमेरिका में ट्रंप की जीत के बाद से, ईरान के यूरेनियम भंडार में वृद्धि एक बड़ा खतरा साबित हो रही है. दिसंबर 2024 में, ईरान ने यूरेनियम समृद्धि को तेज़ी से बढ़ाने का ऐलान किया था और तब से वह इस दिशा में लगातार काम कर रहा है. हाल ही में एक रिपोर्ट में बताया गया है कि ईरान ने 60 प्रतिशत तक समृद्ध यूरेनियम का भंडार बढ़ा लिया है. इस स्तर का यूरेनियम अब केवल परमाणु हथियार बनाने में ही काम आ सकता है, जबकि ईरान का दावा है कि उसका परमाणु कार्यक्रम केवल शांति के लिए है.
60 प्रतिशत समृद्ध यूरेनियम के खतरे
अंतर्राष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (IAEA) की रिपोर्ट के मुताबिक, ईरान के पास पिछले कुछ महीनों में 60 प्रतिशत समृद्ध यूरेनियम का भंडार बढ़कर 274.8 किलोग्राम तक पहुंच चुका है. अगर इसे और समृद्ध किया जाए, तो यह छह परमाणु हथियार बनाने के लिए पर्याप्त हो सकता है. इस स्थिति में दुनिया को ईरान की परमाणु योजनाओं को लेकर सतर्क रहना जरूरी है. यूरेनियम एक प्राकृतिक तत्व है, जो ज़्यादातर धरती पर पाया जाता है. हालांकि, इसे जब तक शुद्ध या समृद्ध नहीं किया जाता, तब तक यह परमाणु ऊर्जा के लिए इस्तेमाल नहीं होता। समृद्धि का मतलब है, यूरेनियम के सबसे सक्रिय आइसोटोप, U-235 की मात्रा को बढ़ाना, और यह काम किया जाता है सेंट्रीफ्यूज नामक मशीनों के जरिए, जो बेहद तेज़ गति से घूमती हैं. जब यूरेनियम 90% या उससे ज्यादा समृद्ध हो जाता है, तो इसे वॉरहेड्स (हथियारों) के लिए इस्तेमाल किया जाता है, जिसे वॉरहेड्स-ग्रेड यूरेनियम कहा जाता है.
अमेरिका की दबाव नीति और ईरान का विरोध
ईरान ने साफ तौर पर कहा है कि जब तक अमेरिका अपनी अधिकतम दबाव नीति जारी रखेगा, तब तक वह अमेरिका से कोई सीधी बातचीत नहीं करेगा. ईरान के विदेश मंत्री ने यह भी स्पष्ट किया है कि अमेरिका की तरफ से लगाए गए प्रतिबंधों के बीच परमाणु मुद्दे पर कोई समझौता नहीं हो सकता. इसके बजाय, ईरान रूस और चीन के साथ अपने परमाणु कार्यक्रम को आगे बढ़ाने की योजना बना रहा है.
ट्रंप की “अधिकतम दबाव” नीति
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अपने पहले कार्यकाल में 2018 में अमेरिका को ज्वाइंट कंप्रीहेंसिव प्लान ऑफ एक्शन (JCPOA) से बाहर कर दिया था, जिससे ईरान पर परमाणु प्रतिबंध लगाए गए थे. ट्रंप का यह कदम न केवल वैश्विक राजनीति में तूफान लाया, बल्कि ईरान ने इन प्रतिबंधों को तोड़ते हुए अपनी परमाणु गतिविधियों को बढ़ा दिया. अब, ट्रंप अपनी “अधिकतम दबाव” रणनीति को फिर से लागू करते हुए ईरान के तेल निर्यात को शून्य तक लाने का लक्ष्य बना रहे हैं. ईरान के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जरूरत है, क्योंकि वह दुनिया का एकमात्र ऐसा देश है जो परमाणु हथियार बनाने के लिए इन गतिविधियों में लिप्त है. अगर ईरान परमाणु हथियार हासिल कर लेता है, तो इससे पश्चिम एशिया और मध्य पूर्व में अस्थिरता फैलने का खतरा बढ़ जाएगा.
भारत को डराने के लिए पाक सेना ने नाच-गाने की अजीब रणनीति अपनाई
27 Feb, 2025 05:49 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
पाकिस्तानी सेना के ऑपरेशन स्विफ्ट रिटॉर्ट के छह साल पूरे हुए. इस अवसर पर उसने एक गाना रिलीज किया. ऐसा करके वह भारत को गीदड़भभकी देने की कोशिश करता नजर आया. हालांकि, पाकिस्तानी सेना की इस हरकत से उसके ही देश के लोग प्रभावित होते नजर नहीं आए. उन्होंने कहा कि सेना को ऐसे मैसेज जारी करने से पहले सोचना चाहिए था. सोशल मीडिया पर भी पाकिस्तानी सेना के इस गाने का मजाक उड़ाया जा रहा है.
पाकिस्तानी सेना के गाने में क्या है ?
पाकिस्तानी सेना की ओर से मंगलवार को गाना जारी किया गया. इसके बोल हैं– ‘दुश्मना सुन’. गाना युवाओं की फौज में शामिल होने के आह्वान पर आधारित है. इस गाने में ऑपरेशन स्विफ्ट रिटॉर्ट को देश के इतिहास में एक महत्वपूर्ण क्षण के रूप में प्रस्तुत करने की कोशिश की गई. साल 2019 के ऑपरेशन स्विफ्ट रिटॉर्ट में, पाकिस्तानी वायु सेना ने दो भारतीय लड़ाकू विमानों पर हमला करने का दावा किया था. इस दौरान मिग-21 उड़ा रहे भारतीय वायु सेना के विंग कमांडर अभिनंदन वर्धमान को पाकिस्तानी सेना ने पकड़ लिया था. हालांकि, बाद में अंतरराष्ट्रीय दबाव पड़ा. इसके बाद अभिनंदन को रिहा करना पड़ा था.
किस तरह के फुटेज का किया गया इस्तेमाल?
पाकिस्तान के आईएसपीआर ने गाने को जारी किया. गाने में वास्तविक फुटेज का यूज किया गया है. इसमें न्यूज चैनलों, वायु सेना और मुस्कुराते हुए अभिनंदन वर्धमान की तस्वीरें हैं.
एच-1बी वीजा धारकों को लेकर मेटा पर फिर छिड़ी बहस
27 Feb, 2025 04:52 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
मेटा प्लेटफॉर्म को विदेशी कर्मचारियों को कम भुगतान के चलते प्राथमिकता देने के चक्कर में मुकदमा का सामना करना पड़ेगा। सान फ्रांसिस्को में अमेरिकी मजिस्ट्रेट जज लॉरेल बीलर ने कहा, तीन अमेरिकी नागरिकों ने मेटा पर उन्हें काम पर रखने से इन्कार करने का आरोप लगाया है, जबकि वे योग्य थे। ये तीनों वादी (पुरुषोत्तमन राजाराम, एकता भाटिया और क्यून वांग) प्रस्तावित सामूहिक कार्रवाई कर सकते हैं।
संघीय न्यायाधीश ने कहा, मेटा ने कहा था कि वह विदेशी कर्मचारियों को इसलिए काम पर रखना पसंद करती है क्योंकि उन्हें अमेरिकी कर्मचारियों की तुलना में कम वेतन देना पड़ता है। तीन वादियों में दो भारतीय मूल के प्राकृतिक अमेरिकी नागरिक हैं, जिनमें राजाराम आईटी कार्यकर्ता और एकता सॉफ्टवेयर इंजीनियर हैं। क्वांग डाटा वैज्ञानिक हैं। तीनों ने 2020 व 2024 में आवेदन किया था।
न्यायाधीश ने आंकड़ों का हवाला दिया
न्यायाधीश लॉरेल बीलर ने आंकड़ों का हवाला दिया कि मेटा में अमेरिकी कार्यबल का 15% एच-1बी (विदेशी वीजा धारक) होते हैं। उन्होंने संघीय सरकार के दावों को निपटाने के लिए नागरिक जुर्माना सहित 1.425 करोड़ डॉलर तक का भुगतान करने के मेटा के अक्तूबर 2021 के समझौते का भी हवाला दिया। इसमें अस्थायी वीजा धारकों को आरक्षित नौकरियों के लिए अमेरिकी श्रमिकों पर विचार करने से नियमित रूप से इन्कार शामिल है। बीलर ने कहा, ये आरोप वादी की समग्र शिकायत का समर्थन करते हैं कि उन्हें इसलिए काम पर नहीं रखा गया क्योंकि मेटा एच-1बी वीजा धारकों का पक्ष लेता है।
वीजा कर्मियों के प्रति तकनीकी उद्योग में पक्षपात आम
तीनों वादियों के वकील डैनियल लो ने कहा, हमें उम्मीद है कि यह मुकदमा वीजा कर्मियों के प्रति पक्षपात को दूर करने में मदद करेगा, जो तकनीकी उद्योग में आम बात है। इस मुद्दे के लिए अतिरिक्त प्रवर्तन या विधायी सुधार की जरूरत होगी। नवंबर 2022 में न्यायाधीश बीलर ने मुकदमे के पहले संस्करण को खारिज कर दिया था, जिसमें केवल राजाराम को वादी के रूप में नामित किया गया था। लेकिन बाद में इसमें दो और वादी जुड़ गए।
कॉपीराइट के इस्तेमाल पर चर्चा
मेटा के कर्मचारी वर्षों से कंपनी के एआई मॉडल के लिए कानूनी रूप से कॉपीराइट कार्यों का इस्तेमाल करने पर आंतरिक चर्चा करते रहे हैं। यह दावा काड्रे बनाम मेटा मामले में वादी की ओर से पेश किए दस्तावेज के आधार पर हुआ है। कर्मचारियों में हुई चैट बताती है कि मेटा ने एआई मॉडल्स के लिए कॉपीराइट डाटा का उपयोग कैसे किया।
फलस्तीन समर्थकों ने कफियेह स्कार्फ और मास्क पहनकर बर्नार्ड कॉलेज में मचाया हंगामा
27 Feb, 2025 04:40 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
बुधवार को कफियेह स्कार्फ और मास्क पहने हुए फलस्तीन समर्थक प्रदर्शनकारियों ने न्यूयॉर्क के बर्नार्ड कॉलेज के मिलबैंक हॉल में जबरन प्रवेश कर हंगामा किया। कॉलेज ने बताया कि जहां हंगामा किया गया वहीं डीन का कार्यालय है। कांलेज प्रशासन ने बताया कि प्रदर्शनकारियों ने हंगामे के दौरान एक स्कूल कर्मचारी पर हमला किया। बर्नार्ड की अध्यक्ष लॉरा रोसेनबरी ने एक बयान में कहा कि प्रदर्शनकारी रात में मिलबैंक हॉल से "बिना किसी और घटना के" चले गए।
उन्होंने कहा, "लेकिन हम स्पष्ट कर दें कि हमारे समुदाय की सुरक्षा के प्रति उनकी उपेक्षा पूरी तरह से अस्वीकार्य है।" स्कूल ने चेतावनी दी थी कि यदि छात्र रात 9:30 बजे तक नहीं गए तो अधिकारी "हमारे परिसर की सुरक्षा के लिए अतिरिक्त, आवश्यक कदम उठाने" के लिए बाध्य हो सकते हैं।
कोलंबिया स्टूडेंट्स फॉर जस्टिस इन पैलेस्टाइन नामक छात्र समूह ने सोशल प्लेटफॉर्म एक्स पर कहा कि प्रशासन की ओर से गुरुवार दोपहर उनसे मिलने पर सहमति जताए जाने के बाद प्रदर्शनकारी तितर-बितर हो गए। समूह के अनुसार, प्रदर्शनकारियों ने फलस्तीन समर्थक कार्रवाई के लिए दंडित सभी छात्रों के लिए माफी, रोसेनबरी और डीन लेस्ली ग्रिनेज के साथ बैठक और दो छात्रों के निष्कासन को वापस लेने की मांग की।
प्रदर्शनकारियों ने एक्स पर पोस्ट कर की फलस्तीन को आजाद करने की मांग
प्रदर्शनकारियों ने दिन में पहले एक्स पर पोस्ट किया, "हम तब तक नहीं रुकेंगे जब तक हमारी मांगें पूरी नहीं हो जातीं। फलस्तीन को आजाद करो।" बर्नार्ड के रणनीतिक संचार उपाध्यक्ष रॉबिन लेविन ने एक बयान में कहा कि प्रदर्शनकारियों की ओर से हमला किए जाने के बाद एक कर्मचारी को अस्पताल भेजा गया, हालांकि उन्होंने कोई और ब्यौरा नहीं दिया। लेविन ने बताया कि प्रदर्शनकारियों ने अन्य लोगों को भी बिना पहचान के परिसर में आने के लिए प्रोत्साहित किया।
लेविन ने कहा, "बर्नार्ड प्रशासन ने पहले प्रदर्शनकारियों से मिलने की पेशकश की- ठीक वैसे ही जैसे हम अपने समुदाय के सभी सदस्यों से मिलते हैं। उन्होंने कहा कि इसके लिए सिर्फ एक साधारण शर्त रखी गई कि अपने मास्क हटा दें। उन्होंने मना कर दिया। हमने मध्यस्थता की भी पेशकश की है।"
छात्र समूह द्वारा पोस्ट किए गए वीडियो में मास्क और काफयेह स्कार्फ़ पहने हुए लोग गलियारे में नारे लगाते हुए दिखाई दिए। कुछ लोग ड्रम बजा रहे थे, जबकि अन्य के हाथ में मेगाफोन थे। दीवारों पर फलस्तीन झंडे लटकाए गए थे और “बर्नार्ड नरसंहार को वित्तपोषित करता है” व “फलस्तीन को मुक्त करो” जैसे नारे दीवारों पर लिखे गए थे।
हरियाणा के युवा किसान का सफल बदलाव: आधुनिक खेती से लाखों रुपये की कमाई
27 Feb, 2025 04:05 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
आजकल युवाओं में विदेश जानें का क्रेज बढ़ता जा रहा है। वहीं हरियाणा से खबर आई है जहां कुरुक्षेत्र के युवा ने दो बार विदेश जाने का प्रयास किया लेकिन उसके बाद भी वह विदेश नहीं जा पाया। विदेश जाने का सपना टूटा तो हरियाणा के युवा ने आधुनिक तरीके से खेती शुरू की। अब वह हर महीने तीन एकड़ जमीन से 4 से 5 लाख रुपए कमा रहा है, जबकि दूसरों को भी रोजगार दे रहा है। कुरुक्षेत्र के युवा किसान संजीव ने बताया कि उसने तीन एकड़ में पोली हाउस लगाकर सब्जियों की खेती शुरू की। वह यहां पर हाईटेक तरीके से खेती कर रहे हैं और उन्होंने तीन एकड़ में पोलीहाउस लगाया हुआ है। वहीं आधे एकड़ में एक पॉलीहाउस और लगाया जा रहा है, जिसमें आधुनिक तरीके से सब्जियों की नर्सरी तैयार होगी।
उन्होंने कहा कि एक फसल करीब तीन से चार महीने की होती है और उसमें उनका डेढ़ लाख से 2 लाख रुपए तक पूरा खर्चा आता है, जबकि उनका मुनाफा एक बार में 5 से 7 लाख तक का निकल जाता है। ऐसे में वह 3 एकड़ में एक महीने में चार से पांच लाख रुपए कमा रहे हैं। उन्होंने कहा कि विदेश में बैठे हुए लोगों से भी ज्यादा घर पर मालिक बनकर कमा रहा हूं, फिर अमेरिका के सपने क्यों देखूं।
UAE में रमजान के लिए नया वर्किंग शेड्यूल, शुक्रवार को सिर्फ 3 घंटे काम
27 Feb, 2025 12:41 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
रमजान का पवित्र महीने 1 मार्च से शुरू होने जा रहा है. पूरी दुनिया में इसको लेकर तैयारियां जारी हैं. इस पूरे महीने के दौरान मुसलमान रोजा (उपवास) रखते हैं, जिसमें वह करीब 13 से 14 घंटे बिना कुछ खाए-पिए रहते हैं. UAE की सरकार ने इस मौके पर नौकरीपेशा लोगों के लिए खास कदम उठाया है.
सोमवार को पोस्ट किए गए एक बयान में मंत्रालय ने कहा, “अपने काम की ज़रूरतों और प्रकृति के मुताबिक कंपनियां रमजान के दौरान काम के घंटो को कम कर सकती हैं.” UAE सरकार के बयान के मुताबिक UAE में रमजानों के दौरान 8 घंटे के शिफ्ट न होकर सिर्फ 5 से 3 घंटे की ही रहेगी. रमजान में शुक्रवार के दिन शिफ्ट 9 बजे से 12 बजे तक होगी और बाकी दिन 9 बजे से 2:30 PM तक काम किया जाएगा.
70 फीसद स्टाफ को दे सकते हैं वर्क फ्रॉम होम
UAE सरकार ने कंपनियों को अपने 70 फीसद स्टाफ को वर्क फ्रॉम होम देने की भी इजाजत दी है. ये सभी रियायतें देने के पीछे सरकार का मकसद रमजान के दौरान कर्मचारियों की प्रोडक्टिविटी और हेल्थ का ध्यान रखना है.
UAE के अलावा सऊदी, कतर आदि ने भी ऐसे ही कदम उठाए हैं. सऊदी अरब में 10 बजे से 3 बजे तक ही दफ्तरों में काम होगा, वहीं भारत में भी कुछ राज्य सरकारों ने मुस्लिम कर्मचारियों के लिए काम के घंटों में कटौती की है.
UAE में कितने घंटे का रोजा
UAE में इस साल लगभग 13 से 14 घंटो का रोजा होगा. जिसमें रोजदार मुसलमान सूर्योदय से लेकर सूर्यास्त तक बिना कुछ खाए और पिए रहते हैं. रमजान के दौरान मुसलमान नमाज, तरावीह और कुरान भी पाबंदी से पड़ते हैं और इस दौरान वह हर गलत काम से बचने की कोशिश करते हैं.
ट्रंप प्रशासन का बड़ा फैसला, ट्रांसजेंडर सैनिकों की भर्ती पर लगी रोक
27 Feb, 2025 12:31 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
वाशिंगटन। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप जब से सत्ता में आए हैं वो ट्रांसजेंडरों के खिलाफ कई कड़े फैसले ले रहे हैं। अब अदालत में दी गई जानकारी के अनुसार, ट्रंप सरकार ट्रांसजेंडर सैनिकों को अमेरिकी सेना से हटाने जा रही है।
ट्रांसजेंडर्स को पहले ही सेना में शामिल होने या सेवा करने से प्रतिबंधित कर दिया गया है। राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने पिछले महीने एक कार्यकारी आदेश पर हस्ताक्षर किए थे, जिसमें व्यक्तिगत रूप से ट्रांसजेंडर सैनिकों को निशाना बनाया गया था।
ट्रांसजेंडर पर क्या बोले ट्रंप?
ट्रंप ने कहा कि एक पुरुष जो खुद को महिला के रूप में पहचानता है, वह एक सैनिक नहीं बन सकता है। इस महीने, पेंटागन ने कहा था कि अमेरिकी सेना अब ट्रांसजेंडर व्यक्तियों को शामिल होने की अनुमति नहीं देगी और सेवा सदस्यों के लिए लिंग परिवर्तन से जुड़ी प्रक्रियाओं को सुविधाजनक बनाना बंद कर देगी।
ट्रांसजेंडर्स को 30 दिनों में बाहर किया जाएगा
ट्रंप सरकार ने कोर्ट में कहा कि हम 30 दिनों के भीतर ट्रांसजेंडर सैनिकों की पहचान करने के लिए एक प्रक्रिया बनाएंगे और फिर उसके 30 दिनों के भीतर उन्हें सेना से अलग करेंगे। पेंटागन द्वारा ये भी कहा गया है,
अमेरिकी सरकार की नीति है कि सैनिक की तत्परता, घातकता, सामंजस्य, ईमानदारी, विनम्रता, एकरूपता और अखंडता के लिए उच्च मानक स्थापित किए जाएं।
15000 से ज्यादा है ट्रांसजेंडर सैनिकों की संख्या
अमेरिकी रक्षा विभाग के आंकड़ों के अनुसार, सेना में लगभग 13 लाख सक्रिय सैनिक हैं। हालांकि, ट्रांसजेंडर अधिकार अधिवक्ताओं का कहना है कि 15,000 से अधिक ट्रांसजेंडर इसमें सेवा देते हैं।