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BLA के हमलों से पाक सेना में मचा हड़कंप, 2500 सैनिकों ने छोड़ी नौकरी
17 Mar, 2025 02:00 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
पाकिस्तान के बलूचिस्तान और खैबर पख्तूनख्वा में हाल ही में सेना और सुरक्षाबलों हमले बढ़ गए हैं. इन हमलों में बड़ी संख्या में सेना के जवानों की मौत भी हुई. इस बीच सामने आया है कि पाकिस्तान सेना के जवान बड़ी संख्या में नौकरी छोड़कर देश से भाग रहे हैं. रिपोर्ट ने रविवार को दावा कि एक हफ्ते में पाकिस्तान के करीब 2500 जवानों ने सेना की नौकरी छोड़ दी.
सूत्रों के हवाले से बताया कि पाकिस्तानी सेना पर लगातार हमले, बिगड़ते आर्थिक हालात की वजह से सेना के जवान नौकरी छोड़ रहे हैं. जिन फौजियों ने नौकरी छोड़ी, वो देश के बाहर मिडिल ईस्ट के देशों सऊदी अरब, कतर, कुवैत और यूएई में काम करने चले गए हैं. अपनी जान को दांव पर लगाने से बेहतर वो विदेश जाकर काम करना पसंद कर रहे हैं.
BLA के हमलों से पाक सैनिकों का मनोबल टूटा: रिपोर्ट
इस रिपोर्ट में दावा किया गया है कि पाकिस्तान की सेना के भीतर हालात काफी ज्यादा खराब हैं. ऐसे में सैनिक लगातार हमलों और असुरक्षा के बीच लड़ने को तैयार नहीं हो रहे हैं. पाकिस्तान में सुरक्षा की स्थिति बिगड़ने से उनका मनोबल टूट रहा है. बड़ी संख्या में सैनिकों का पलायन सेना की ताकत पर सवाल उठा रहा है. पाक सेना से जवानों का पलायन ऐसे समय में हो रहा है, जब एक ओर देश के अंदर सेना का विरोध का सामना करना पड़ रहा है, वहीं दूसरी ओर सुरक्षा के मुद्दे पर पाकिस्तान गंभीर चुनौतियों का सामना कर रहा है. अगर इसी तरह पाकिस्तानी फौजी सेना को छोड़ते रहे तो भविष्य में पाक सेना के वर्कफोर्स पर बड़ा असर पड़ सकता है.
पहले ट्रेन हाईजैक और फिर नौशिकी में फिदायीन हमला
पाकिस्तान के बलूचिस्तान में हाल ही में जाफर एक्सप्रेस को बलूचिस्तान लिबरेशन आर्मी (BLA) ने हाईजैक कर लिया था. बीएलए के लड़ाकों ने ट्रेन में मौजूद सेना के जवानों को चुन-चुनकर मारा. बीएलए ने सरकार को अल्टीमेटम देते हुए कहा था कि 48 घंटे के अंदर बलूच नेताओं को रिहा किया जाए और बलूचिस्तान से सरकार के नुमाइंदों को हटाया जाए. हालांकि पाकिस्तान सेना ने बीएलए के खिलाफ ऑपरेशन चलाकर सभी बंधकों को छुड़ा लिया. पाक सेना ने दावा किया इस घटना को अंजाम देने वाले सभी 33 लड़ाके मारे गए. इस घटना के बाद बीएलए ने दावा किया कि नौशिकी में सेना के काफिले पर आत्मघाती हमला किया, जिसमें 90 पाक सैनिक मारे गए. इन दोनों ही हमलों में बड़ी संख्या में पाक सैनिक जवान मारे गए. इसीलिए वहां के सैनिक अपनी जान को खतरे में नहीं डालना चाहते और वो सेना को छोड़कर दूसरे देशों में काम करने जा रहे हैं. हालांकि पाकिस्तान सेना या वहां की मीडिया ने इसको लेकर कोई रिपोर्ट जारी नहीं की है.
यूक्रेन के डोनेटस्क क्षेत्र में बढ़ते दबाव के बीच जेलेंस्की का अहम फैसला
17 Mar, 2025 12:45 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर ज़ेलेंस्की ने देश की सैन्य रणनीति को मज़बूत करने के लिए एक बड़ा फैसला लिया है. उन्होंने अंद्रीय हनातोव को यूक्रेन की सेना के जनरल स्टाफ का नया प्रमुख नियुक्त किया है. यह नियुक्ति ऐसे समय में हुई है जब यूक्रेन रूस के कुर्स्क क्षेत्र में लड़ाई लड़ रहा है और पूर्वी डोनेटस्क क्षेत्र में लगातार दबाव का सामना कर रहा है.
हनातोव ने अनातोली बारहिलेविच की जगह ली है, जो फरवरी 2024 से इस पद पर थे. यूक्रेन के जनरल स्टाफ ने रविवार को अपने टेलीग्राम चैनल पर इस बदलाव की घोषणा की.
फैसले के पीछे की वजह क्या है?
यूक्रेन के रक्षा मंत्री रुस्तम उमेरोव ने कहा है कि हम अपनी सेना को लगातार आधुनिक और प्रभावी बना रहे हैं. इस बदलाव का मकसद यूक्रेनी सेना की युद्धक क्षमता को और बढ़ाना है.बारहिलेविच को अब रक्षा मंत्रालय में जनरल इंस्पेक्टर की नई जिम्मेदारी दी गई है. रक्षा मंत्री उमेरोव ने कहा कि बारहिलेविच टीम का हिस्सा बने रहेंगे और सेना में अनुशासन और सैन्य मानकों को मज़बूत करने में अहम भूमिका निभाएंगे. इस फेरबदल के बावजूद, ओलेक्ज़ांडर सिरस्की यूक्रेन की सेना के कमांडर-इन-चीफ के पद पर बने रहेंगे.
युद्ध में मिल रही है यूक्रेन को चुनौती
यूक्रेन ने पिछले साल अगस्त में रूस को चौंकाते हुए सीमा पार हमला किया था और कुर्स्क क्षेत्र में लगभग 1300 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र पर कब्ज़ा कर लिया था. मगर अब युद्ध की स्थिति बदल रही है. और यूक्रेन की सेना पीछे हटने को मजबूर हो रही है. रूस ने शुक्रवार को दावा किया कि उसने कुर्स्क क्षेत्र के सबसे बड़े शहर सूज़ा पर नियंत्रण कर लिया है, जो पहले यूक्रेन के कब्जे में था. इसके अलावा, डोनेट्स्क क्षेत्र में भी यूक्रेनी सेना पर भारी दबाव है. रूसी सेना वहां लगातार आगे बढ़ रही है, जिससे यूक्रेन की स्थिति और चुनौतीपूर्ण होती जा रही है.
तो क्या बदल जाएगी युद्ध की रणनीति
यूक्रेन में सैन्य नेतृत्व में यह बड़ा बदलाव ऐसे समय में हुआ है जब युद्धविराम की संभावनाओं को लेकर चर्चाएं तेज़ हो रही हैं. यूक्रेन को अपने क्षेत्रीय नियंत्रण को बरकरार रखने और रूस के खिलाफ अपनी स्थिति को मज़बूत करने के लिए नई रणनीतियों की जरूरत है. ज़ेलेंस्की ने 2022 में रूस के हमले के बाद से सरकार और सेना में कई बड़े बदलाव किए हैं.
चीन और इथियोपिया में भूकंप, लोगों में दहशत, जानिए भूकंप की तीव्रता और असर
17 Mar, 2025 12:30 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
भूकंप के झटकों से धरती आज फिर कांप गई। आज अलसुबह भारत के पड़ोसी देश चीन में भूकंप आया। इसके अलावा इथियोपिया देश में भी देररात भूकंप आया और उसके बाद लगातार झटके लगे रहे हैं, जिनकी तीव्रता भी रिक्टर स्केल पर अलग-अलग है। चीन में आए भूकंप की तीव्रता रिक्टर स्केल पर 4.1 मापी गई। इस भूकंप का केंद्र चीन के Qinghai शहर के पास धरती के नीचे 10 किलोमीटर की गहराई में मिला।
इथियोपिया में सबसे पहले भूकंप देररात करीब 12 बजकर 23 मिनट पर आया, जिसकी तीव्रता रिक्टर स्केल पर 5.5 मापी गई। इसके बाद 4.3 और 5.1 की तीव्रता वाले झटके भी लगे। लगातार लोगों को झटकों से परेशान होना पड़ रहा है। हालांकि दोनों देशों में भूकंप से अभी तक किसी तरह के जान माल के नुकसान की खबर नहीं आई है, लेकिन लोगों में दहशत का माहौल बना हुआ। नेशनल सेंटर फॉर सिस्मोलॉजी ने दोनों देशों में आए भूकंप की पुष्टि की।
अमेरिका में तूफान और आंधी से भारी तबाही; 40 की मौत, घर और स्कूल हुए नष्ट
17 Mar, 2025 12:00 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
दक्षिण अमेरिका भयंकर तूफान की चपेट में है. इस तूफान की वजह से दक्षिण-पूर्व के ज्यादातर राज्य प्रभावित हैं. अब तक कुल 40 लोगों की मौत हो गई. लोगों के घर मलबे में बदल गए हैं. दूर-दूर फैले पेड़ पूरी तरह से नष्ट हो गए हैं. लोगों की कार तबाह हो गई हैं.
अमेरिका में आया प्रकृति का ये सैलाब इतना खतरनाक है कि लोग अभी भी इसके दृश्यों से सहमे हुए हैं. मिसौरी में शुक्रवार को आए इस चक्रवाती तूफान का सबसे ज्यादा प्रभाव देखने को मिला. यहां पर अब तक कुल 12 लोगों की मौत हो गई है. मिसौरी में गवर्नर माइक ने चिंताजनक स्थिति में कहा कि हमारे राज्य में तबाही का स्तर चौंका देने वाला है.
टेक्सास और कंसास में भी धूल भरी आंधी का कहर रहा. ये हवाएं इतनी तेज थीं कि वहां पर खड़ी गाड़ियां आपस में टकरा गईं, जिसकी वजह से उस समय ट्रैवल कर रहे कुछ लोगों की मौत हो गई और अन्य लोग घायल हो गए.
इस हवा की वजह से ओक्लाहोमा के जंगलों में आग भड़क गई. ये ऐसा क्षेत्र है, जहां 100 मिलियन से ज्यादा लोगों के घर हैं. इस तूफान की वजह से अर्कांसस, अलबामा और मिसिसिपी में भी मौत की खबरें सामने आई हैं.
ट्रंप ने कहा, प्रभावित लोगों के लिए प्रार्थना करें
अमेरिका के राष्ट्रपति ट्रंप ने कहा कि हम दक्षिण और मध्यपश्चिम के कई राज्यों में आए भयंकर तूफान पर सक्रिय रूप से नज़र रख रहे हैं. यहां पर बहुत से लोगों की जान चली गई है. नेशनल गार्ड को अर्कांसस में तैनात किया गया है.
मेरा प्रशासन राज्य और स्थानीय अधिकारियों की सहायता के लिए तैयार है. ये सभी अपने समुदायों को इस मुश्किल से बचाने में मदद कर रहे हैं. मेलानिया और मेरे साथ मिलकर इन भयानक तूफानों से प्रभावित लोगों के लिए प्रार्थना करें.
बाढ़ को लेकर जारी की गई चेतावनी
दक्षिण अमेरिका के ज्यादातर हिस्सों में अभी भी मौसम में सुधार आने की संभावना नहीं है. टेक्सास, लुइसियाना, अलबामा, अर्कांसस, टेनेसी, मिसिसिपी, जॉर्जिया, केंटकी और उत्तरी कैरोलिना ज्यादातर क्षेत्रों में बाढ़ को लेकर चेतावनी जारी की गई है.
खराब मौसम और बड़े स्तर पर हुई तबाही की वजह से यहां पर बिजली के खंभे उखड़ गए हैं. लोगों को आधारभूत सुविधाएं नहीं मिल पा रही हैं. बहुत से लोगों को पूरे-पूरे घर तबाह हो गए हैं. स्कूलों की इमारतें गिर गई हैं. लोगों का पूरा जनजीवन अस्त-व्यस्त हो गया है.
रिपोर्ट के मुताबिक, यहां रविवार को 320,000 से ज्यादा लोगों को बिजली के बिना अपने काम करने पड़े. अर्कांसस, जॉर्जिया और ओक्लाहोमा में आपातकाल की घोषणा की गई है.
सुनीता विलियम्स की वापसी का एलान, NASA करेगा लाइव कवरेज
17 Mar, 2025 10:45 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
अंतरिक्ष में फंसे सुनीता विलियम्स और बुच विलमोर को वापस लाने के तैयारी लगभग पूरी हो चुकी है। पिछले 9 महीनों से अंतरराष्ट्रीय स्पेस स्टेशन में फंसे दोनों अंतरिक्ष यात्रियों को 19 मार्च को सफलतापूर्वक धरती पर वापस लाया जाएगा। नासा ने दोनों के वापसी को लेकर बड़ा अपडेट दिया है।
कहां उतरेगा SpaceX का कैप्सूल?
नासा ने रविवार शाम को एक बयान में कहा कि दोनों अंतरिक्ष यात्री 18 मार्च (मंगलवार) को धरती पर वापसी करेंगे। नासा ने फ्लोरिडा तट दोनों यात्रियों के उतरने की उम्मीद जताई जा रही है।
वहीं, नासा वापसी की लाइव कवरेज भी टेलीकास्ट करने जा रहा है। लाइव कवरेज की शुरुआत ड्रैगन अंतरिक्ष यान के हैच बंद करने की तैयारी से शुरू होगी। नासा के अंतरिक्ष यात्री निक हेग और रोस्कोस्मोस (रूस) के अंतरिक्ष यात्री अलेक्सांद्र गोरबुनोव भी ड्रैगन कैप्सूल से वापस आएंगे।
बता दें कि शुक्रवार (14 मार्च) को स्पेसएक्स ने Crew-10 मिशन लॉन्च किया था। फॉल्कन-9 रॉकेट से Crew Dragaon कैप्शूल को लॉन्च किया गया था। NASA के कमर्शियल क्रू प्रोग्राम के तहत ISS के लिए यह ग्यारहवीं क्रू फ्लाइट है।
गौरतलब है कि सुनीता विलियम्स और बुच विल्मोर को मार्च के अंत तक धरती पर वापस आना था, लेकिन अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा एलन मस्क से उन्हें जल्दी वापस लाने का आग्रह करने के बाद इस मिशन में तेजी लाई गई।
सुनीता विलियम्स और बुच विल्मर पिछले साल 5 जून को इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन गए थे। उन्हें महज एक हफ्ते के बाद धरती पर वापस लौटना था, लेकिन बोइंग स्टारलाइनर में गड़बड़ी की वजह से दोनों वहां फंस गए। 9 महीने से ज्यादा समय से दोनों वहां फंसे हैं।
स्पेस स्टेशन पर सुनीता विलियम्स ने क्या किया?
स्पेस में रहते हुए सुनीता विलियम्स ने कई अहम रिसर्च एक्सपेरिमेंट किए। उन्होंने 900 घंटों से ज्यादा समय रिसर्च में बिताए। अपने मिशन के दौरान, उन्होंने बोइंग स्टारलाइनर को उड़ाने का भी काम किया, जिसे उन्होंने खुद बनाने में मदद की थी और जो नासा को 4.2 अरब डॉलर में पड़ा।
अंतरराष्ट्रीय स्पेस स्टेशन में उन्होंने कई चीजों को बदला, सफाई की और बहुत सा कचरा जमीन पर वापस भेजने में मदद की।
विदेशी शत्रु अधिनियम लागू करने के ट्रंप के आदेश पर कोर्ट ने दी अस्थायी रोक
17 Mar, 2025 09:20 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
वाशिंगटन। राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने निर्वासन में तेजी लाने के लिए 1798 के विदेशी शत्रु अधिनियम को लागू करते हुए कहा कि अमेरिका एक आपराधिक संगठन से आक्रमण का सामना कर रहा है, जो अपहरण, जबरन वसूली, संगठित अपराध और अनुबंध हत्याओं से जुड़ा है।
यह कदम वेनेजुएला के गिरोह ट्रेन डे अरागुआ के कथित सदस्यों के निर्वासन में तेजी लाने के लिए उठाया गया। हालांकि, आदेश के कुछ समय बाद ही एक संघीय न्यायाधीश ने युद्धकालीन कानून के इस्तेमाल के तहत होने वाले किसी भी निर्वासन को 14 दिनों के लिए अस्थायी रूप से रोक दिया है।
अधिनियम में राष्ट्रपति की घोषणा के लिए आधार नहीं
न्यायाधीश जेम्स बोसबर्ग ने कहा कि अधिनियम राष्ट्रपति की घोषणा के लिए आधार प्रदान नहीं करता, क्योंकि आक्रमण शब्द वास्तव में किसी भी राष्ट्र द्वारा किए गए शत्रुतापूर्ण कृत्यों से संबंधित है। अधिनियम को लागू करते हुए ट्रंप ने कहा था कि गिरोह के सदस्य राष्ट्र को अस्थिर करने के लिए शत्रुतापूर्ण कार्रवाई कर रहे हैं।
इस अधिनियम का उपयोग केवल युद्ध के समय किया जाता है। यह राष्ट्रपति को खतरे के रूप में चिह्नित प्रवासियों के उचित प्रक्रिया अधिकारों को दरकिनार करने और तेजी से निर्वासित करने की अनुमति देता है।
वेनेजुएला सरकार ने भी की निंदा
अमेरिकन सिविल लिबर्टीज यूनियन के वकील ली गेलरेंट ने कहा कि हम बहुत खतरनाक स्थिति में हैं, जब प्रशासन युद्धकालीन अधिकार का उपयोग आव्रजन उद्देश्यों या किसी अन्य गैर-सैन्य उद्देश्य के लिए करने की कोशिश करने जा रहा है, जब हम शांति में हैं।
वहीं, वेनेजुएला सरकार ने रविवार को अमेरिका द्वारा वेनेजुएला के गिरोह ट्रेन डी अरागुआ के 200 से अधिक कथित सदस्यों को अल साल्वाडोर निर्वासित करने के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले युद्धकालीन कानून के क्रियान्वयन की कड़ी निंदा की है।
इस बीच, अमेरिकी-अरब भेदभाव विरोधी समिति ने मुकदमा दायर कर ट्रंप प्रशासन के उस कदम को चुनौती दी है, जिसमें फलस्तीनी अधिकारों के लिए विरोध करने या समर्थन व्यक्त करने वाले अंतरराष्ट्रीय छात्रों और विद्वानों को निर्वासित करने की बात कही गई है। यह कोलंबिया विश्वविद्यालय के छात्र महमूद खलील की हिरासत के बाद आया है।
हिजाब को सख्ती से लागू करने के लिए ड्रोन, सर्विलांस तकनीक, फेशियल रिकग्निशन का इस्तेमाल कर रहा ईरान
16 Mar, 2025 11:21 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
तेहरान । हिजाब को लेकर सख्ती के चलते ईरान की दुनियाभर में फजीहत पहले भी हो चुकी है। इसके बावजूद वहां की इस्लामिक सरकार हिजाब को सख्ती से लागू करने के लिए जुटी हुई है। इसी कड़ी में ईरानी सरकार हिजाब को सख्ती से लागू करने के लिए ड्रोन, सर्विलांस तकनीक, फेशियल रिकग्निशन और मोबाइल एप का इस्तेमाल कर रही है। रिपोर्ट में कहा गया है कि महिलाओं को सजा देने और उनपर सख्त ड्रेस कोड लागू करने के लिए डिजिटल तकनीक का इस्तेमाल हो रहा है। रिपोर्ट में सामने आया है कि ईरान की सरकार आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का इस्तेमाल महिलाओं और लड़कियों पर नजर रखने के लिए कर रही है।
इसके अलावा ईरान की सरकार ने तेहरान और आसपास के इलाकों में हिजाब को सख्ती से लागू करने के लिए ड्रोन तैनात किए हैं। पहले यह सर्विलांस टैक्सी, एंबुलेंस और सरकारी वाहनों में यात्रा करने के दौरान था लेकिन अब निजी वाहनों और सार्वजनिक स्थानों को भी इसकी जद में लाया गया है। एआई तकनीक से लैस कैमरे विश्वविद्यालयों में भी लगवा दिए गए हैं।
ईरान ने हिजाब को सख्ती से लागू करने के लिए कानून बना दिया था। इसके अलावा कानून के तहत ईरान के सुरक्षाबलों को अधिकार मिल जाता है कि वे इसे सख्ती से लागू करवाएँ। इस्लामिक पीनल कोड के आर्टिकल 286 में यहां तक प्रावधान है कि करप्शन ऑफ अर्थ की दोषी महिलाओं को मौत की सजा दी जा सकती है।
जी-7 देशों ने वन चाइना नीति को दरकिनार किया, गुस्से से लाल हुआ ड्रैगन
16 Mar, 2025 10:15 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
ओटावा । जी-7 देशों ने अपने हालिया बयान में वन चाइना नीति के संदर्भ को हटाया है, इससे चीन नाराज हो गया है। चीन ने जी-7 के कदम को अपनी संप्रभुता के लिए खतरा करार देकर अहंकारी और दोहरे मापदंड वाला बताया है। इस बदलाव के चलते दोनों पक्षों के बीच तनाव बढ़ गया है।
जी-7 के विदेश मंत्रियों द्वारा जारी बयान में ताइवान को लेकर चीन की जबरदस्ती की निंदा की गई। रिपोर्ट्स के अनुसार, जी-7 ने अपने बयान से वन चाइना नीति का उल्लेख हटा दिया, जो दशकों से ताइवान मुद्दे पर पश्चिमी देशों की नीति का आधार रही है। विशेषज्ञों का मानना है कि यह बदलाव पश्चिमी देशों की चीन के प्रति कड़े रुख को दिखाता है। जी-7 देशों ने चीन के बढ़ते परमाणु जखीरे को लेकर भी चिंता जाहिर की। हालांकि, इस बार के बयान में शिनजियांग, तिब्बत और हांगकांग में मानवाधिकारों के उल्लंघन का जिक्र नहीं है। पिछले बयानों में चीन के साथ रचनात्मक और स्थिर संबंधों की इच्छा जाहिर की गई थी, लेकिन इस बार यह संदर्भ भी हटा दिया गया।
इस पर चीन ने जी-7 के बयान पर कड़ी प्रतिक्रिया दी है। कनाडा स्थित चीनी दूतावास ने तथ्यों की अनदेखी करने और चीन की संप्रभुता को ठेस पहुंचाने वाला बताया। चीन का कहना है कि ताइवान मुद्दे पर शांति और स्थिरता बनाए रखने के लिए वन चाइना सिद्धांत का पालन होना चाहिए।
जी-7 ने पूर्वी और दक्षिण चीन सागर में चीन के आक्रामक रवैये पर चिंता जाहिर की है। खासतौर पर, फिलीपींस और वियतनाम के खिलाफ चीन की खतरनाक सैन्य कार्रवाइयों और जल तोपों के इस्तेमाल की निंदा की गई।
अमेरिका और जापान का प्रभाव बढ़ा
ताइवान पर जबरदस्ती शब्द के इस्तेमाल को अमेरिका और जापान के बढ़ते प्रभाव के रुप में देखा जा रहा है। हाल ही में जापानी प्रधानमंत्री और अमेरिकी राष्ट्रपति के बीच हुई बैठक में इसी शब्दावली का उपयोग किया गया था। जी-7 देशों का यह रुख चीन के साथ उनके संबंधों को और तनावपूर्ण बना सकता है। शी जिनपिंग और अमेरिकी राष्ट्रपति के बीच संभावित बैठक की चर्चा चल रही है, जिससे आने वाले दिनों में इस मुद्दे पर और स्पष्टता आ सकती है।
22 फर्जी कर्मचारी बनाकर एचआर मैंनेजर ने लगाया कंपनी को 16 करोड़ का चूना
16 Mar, 2025 09:15 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
बीजिंग । किसी भी कंपनी के लिए उसका ह्यूमन रिसोर्स मैनेजर सबसे अहम होता है। कंपनी में एचआर मैंनेजर वहां होता है जो देखता है कि कंपनी को किस तरीके के और कितनी संख्या में लोगों की जरूरत है, लेकिन अगर ह्यूमन रिसोर्स डेस्क का मैनेजर ही फर्जीवाड़ा करने लगे तो.. ऐसा ही एक मामला चीन में सामने आया है। यहां एक कंपनी के एचआर मैनेजर ने 8 सालों तक 22 फर्जी कर्मचारियों की बिल्कुल सटीक अटेडेंस दर्ज कर उन्हें बराबर सैलरी देता रहा। इस तरीके से एचआर मैंनेजर ने कंपनी को करीब 16 मिलियन युआन यानी 18 करोड़ रुपये की घपलेबाजी कर दी।
रिपोर्ट के मुताबिक यांग नाम का एक व्यक्ति शंघाई में लेबर सर्विस कंपनी में मैनेजर के रूप में काम करता था। यहां पर आरोपी यांग का काम एक फर्म को दिए गए श्रमिकों के बदले में उनकी वेतन का प्रबंधन करने का था। आठ साल पहले यांग ने जब समझा की कर्मचारियों की नियुक्ति और वेतन देने तक में उसके अलावा कोई और व्यक्ति नहीं है, तब यांग ने इस कमी का फायदा उठने की सोची। सबसे पहले उसने सन नाम के एक फर्जी कर्मचारी को बनाया और एक महीने के बाद उसके नाम पर वेतन के भुगतान के लिए आवेदन कर दिया। यांग ने यहां पर पैसे एक फर्जी अकाउंट में ट्रांसफर करवा लिए।
यांग के कारनामे का पता किसी को भी नहीं चला और यह सब शांति से चलता रहा। 2014 में अपने कारनामे से खुश होकर यांग ने धीरे-धीरे और फर्जी कर्मचारी बनाना शुरू कर दिया। और 2022 तक आते-आते यांग करीब 22 कर्मचारियों को बना चुका था। 2022 में उसका यह भांडा फूट गया। इन कर्मचारियों की वेतन कितनी थी इसके बारे में कोई भी जानकारी सामने नहीं आई है।
कैसे फूटा भांडा
यांग 8 सालों तक इन कर्मचारियों के नाम की सैलरी उठाता रहा। लेकिन 2022 में फर्म के वित्त विभाग ने यांग की इस गड़बड़ी को नोटिस किया। उन्होंने देखा की सन नाम का कर्मचारी पिछले 8 सालों से लगातार काम पर आ रहा है और अपनी सैलरी भी ले रहा है लेकिन सन को आजतक किसी ने देखा नहीं है कंपनी में कोई भी उसका दोस्त या पहचानने वाला नहीं है। वित्त विभाग ने इसकी जानकारी कंपनी के अधिकारियों को दी।
ट्रेन हाईजैक पर सेना और सरकार के दावों पर उठे सवाल, सियासतदान पूछे रहे....80 लोग कहां चले गए
16 Mar, 2025 08:15 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
इस्लामाबाद ।पाकिस्तानी सेना और शाहबाज सरकार बलूचिस्तान में जाफर एक्सप्रेस ट्रेन पर हमले के मामले में घिरती दिख रही है। पाक सेना ने कहा है कि सफल ऑपरेशन चलाकर 36 घंटे से भी कम समय में सभी बंधकों को छुड़ाया गया है। इस ऑपरेशन के लिए शाहबाज सरकार ने भी अपनी सेना की जमकर तारीफ की है। हालांकि इसमें मरने वालों की संख्या पर कई सवाल उठ रहे हैं। ट्रेन हाईजैक करने वाले गुट बीएलए का कहना है कि 214 लोग मरे हैं। वहीं पाक सेना का कहना है कि इस हादसे में 26 लोगों की जान गई। लेकिन पाक सेना के बयान में कई झोल हैं, इसकारण सेना के दावों पर कई सवाल उठ रहे हैं। पाकिस्तान के पत्रकार और राजनीतिक टिप्पणीकार जो सवाल पूछ रहे हैं, उनका कोई जवाब फिलहाल पाक सेना के पास नहीं है।
भारत में पाकिस्तान के उच्चायुक्त रहे अब्दुल बासित ने ट्रेन हाईजैक मुद्दे पर कहा है कि शाहबाज सरकार के बयान चीजों को साफ नहीं कर रहे हैं। उन्होंने कहा, फौज ने बताया है कि ऑपरेशन में 339 लोग छुड़ाए गए हैं और 21 नागरिक इस दौरान मारे गए। जबकि पीएम शहबाज शरीफ ने खुद कहा है कि ट्रेन में 440 लोग सवार थे। अब सवाल ये है कि 80 लोग कहां चले गए। आखिर सरकार और सेना इस बात को साफ करे कि कितने लोग ट्रेन में थे, कितने लोग मारे गए और कितने बचाए गए। अगर 70-80 का फर्क बयानों में आ रहा है तब फिर कैसे सवाल नहीं उठेंगे। हमें संजीदगी दिखाने की जरूरत है, ये सीरियस मामला है।
दरअसल पाकिस्तान की सेना ने बताया कि बलूचिस्तान प्रांत में बलूच लिबरेशन आर्मी (बीएलए) के लड़ाकों ने जफर एक्सप्रेस ट्रेन को रोकते हुए यात्रियों को बंधक बना लिया था। बोलन जिले के एक दुर्गम पहाड़ी रास्ते में 440 से यात्रियों को बंधक बनाया था। पाक सुरक्षाबलों ने करीब 36 घंटे तक चले संघर्ष के बाद ट्रेन और यात्रियों को छुड़ाया है। पाक सेना का दावा है कि ऑपरेशन में 33 हमलावर मार गिराए। वहीं 21 यात्रियों की जान गई और चार सुरक्षाकर्मियों की मौत हुई।
पाकिस्तानी सेना के दावे के उलट बलूच लिबरेशन आर्मी ने 214 बंधकों को मारने का दावा किया है। शुक्रवार को जारी बयान में बीएलए ने बताया कि उसके लड़ाकों ने 214 को मारा है, जो सभी पाकिस्तानी सेना के जवान हैं। इतना ही नहीं ट्रेन से निकले यात्रियों ने भी कैमरे पर कहा है कि वह खुद निकलकर आए हैं ना कि उन्हें किसी ने छुड़ाया है।
हरियाणा के सोनीपत में भाजपा नेता सुरेंद्र जवाहरा की गोली मारकर हत्या, जमीनी विवाद में मौत
15 Mar, 2025 06:24 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
हरियाणा के सोनीपत में होली के दिन एक भाजपा नेता मुंडलाना मंडल अध्यक्ष सुरेंद्र जवाहरा की गोली मारकर हत्या कर दी गई. उन पर तीन गोलियां चलाई गई. बताया जा रहा है कि इस हत्या की वारदात को जमीनी विवाद के चलते अंजाम दिया गया है. सुरेंद्र को उनके पड़ोसी ने गोली मारी, जिसके साथ उनका जमीनी विवाद चल रहा था. इसी रंजिश में पड़ोसी ने सुरेंद्र जवाहरा की हत्या कर दी.
घटना की जानकारी मिलने के बाद पुलिस मौके पर पहुंची और शव को अपने कब्जे में ले लिया. अब सदर थाना पुलिस मामले की जांच में जुट गई है. पुलिस ने तीन टीमों का गठन किया है. जल्दी ही आरोपियों को गिरफ्तार किया जाएगा. मामले को लेकर मृतक की पत्नी कमला का बयान भी दर्ज कर लिया गया है. अब पुलिस हत्या की असल वजह जानने की कोशिश कर रही है. ये घटना शुक्रवार रात साढ़े 9 बजे की है, जब जवाहरा गांव में पड़ोसी ने मंडल अध्यक्ष सुरेंद्र जवाहरा को गोली मारकर मौत के घाट उतार दिया. सुरेंद्र ने अपने पड़ोसी से उनकी बुआ के नाम की जमीन खरीदी थी.
आरोपी ने माथे और पेट में मारी गोली
मृतक के जमीन खरीदने के बावजूद पड़ोसी मृतक सुरेंद्र को जमीन पर कदम न रखने की चेतावनी दे रहा था. इसी विवादित जमीन की बुआई करने पर गुस्साए पड़ोसी ने बीती रात 3 गोलियां मारकर सुरेंद्र की हत्या कर दी. सुरेंद्र ने पहले अपने परिवार और पार्टी कार्यकर्ताओं के साथ धूमधाम से होली मनाई. इसके बाद जब वह घर आए, तब पड़ोसी ने इस वारदात को अंजाम दिया. इस दौरान सुरेंद्र अपनी जान बचाने के लिए एक दुकान में घुस गए थे.
ये भी हो सकती है हत्या की वजह
सुरेंद्र के माथे और पेट में गोली लगी. हत्या करने के बाद आरोपी फरार हो गए. इसके बाद गांव में अफरा-तफरी मच गई. सुरेंद्र को लहूलुहान हालत में अस्पताल ले जाया गया, जहां डॉक्टरों ने उन्हें चेक किया और मृत घोषित कर दिया. जमीनी विवाद के साथ-साथ उनकी हत्या की एक और वजह बताई जा रही है. कहा जा रहा है कि उनकी पत्नी ने साल 2022 में सरपंच का चुनाव लड़ा था. हालांकि वह मामूली अंतर से हार गई थी, लेकिन इस दौरान कृष्ण सरपंच उनका विरोधी बन गया था. कृष्ण के साथ भी उनका एक विवाद था, जिसको लेकर कहा जा रहा है कि सुरेंद्र की हत्या की एक वजह ये विवाद भी हो सकता है.
बलूच लिब्रेशन आर्मी ने पाकिस्तान आर्मी के काफिले पर किया हमला, कई सैनिक घायल
15 Mar, 2025 03:22 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
बलूचिस्तानः बलूच लिब्रेशन आर्मी (BLA) ने पाकिस्तान पर एक और बड़ा हमला कर दिया है। BLA ने इस हमले में पाकिस्तानी सेना के एक काफिले को बम से उड़ा दिया है। यह दावा बलूचिस्तान पोस्ट के अनुसार किया गया है। खबर के अनुसार शनिवार सुबह करीब 9 बजे तरबत में दे बलूच के पास सी पीक रोड पर पाकिस्तानी सेना के काफिले में शामिल एक वाहन पर बम विस्फोट हुआ है। जानकारी के अनुसार इस विस्फोट में पाकिस्तानी सेना के जवान हताहत हुए हैं, हालांकि अधिकारियों ने अभी तक इस संबंध में कोई विवरण नहीं दिया है।
पिछले 24 घंटों में बड़ा हमला
बलूचिस्तान में पिछले 24 घंटों में पाकिस्तानी सेना पर यह दूसरा विस्फोट है। इससे एक दिन पहले हरनई में पाकिस्तानी सेना के बम निरोधक दस्ते के पैदल सैनिकों को उस समय निशाना बनाया गया, जब वे रेलवे ट्रैक पर सफाई में व्यस्त थे। वहीं इसी सप्ताह बलूच लिबरेशन आर्मी द्वारा किए गए एक बड़े हमले में बोलन में जाफर एक्सप्रेस पर कब्जा कर लिया गया था, जिसमें पाकिस्तानी सेना के कई जवान और बंधक मारे गए। बलूच लिबरेशन आर्मी ने कैदियों की अदला-बदली पर कर्मियों की रिहाई की शर्त रखी। शनिवार को इस घटना के चौथे दिन भी बड़ी संख्या में पाकिस्तानी सैनिक बोलन में मूवमेंट में जुटे हुए हैं, जबकि बलूच लिबरेशन आर्मी ने कल रात अपने बयान में कहा था कि पाकिस्तानी सेना के साथ लड़ाई जारी है।
एंटोनियो गुटेरेस ने बांग्लादेश की सुधार प्रक्रिया पर एकजुटता व्यक्त की, यूनुस से की मुलाकात
15 Mar, 2025 02:11 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
ढाका: चार दिवसीय दौरे पर बांग्लादेश पहुंचे संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने अंतरिम सरकार के सलाहकार मोहम्मद यूनुस से मुलाकात की। इस दौरान उन्होंने देश के घरेलू मुद्दों और रोहिंग्या की स्थिति पर चर्चा की। संयुक्त राष्ट्र महासचिव ने ढाका की सुधार और परिवर्तन प्रक्रिया को लेकर एकजुटता व्यक्त की। इससे पहले गुटेरेस ने कॉक्स बाजार पहुंचकर रोहिंग्या शरणार्थियों और उनकी मेजबानी करने वाले बांग्लादेशी लोगों से मुलाकात की।
महासचिव के प्रवक्ता स्टीफन दुजारिक ने कहा कि गुटेरेस को शरणार्थियों से मिलने का मौका मिला। इनमें से कई युवा पुरुष और महिलाएं थीं। शरणार्थियों ने संयुक्त राष्ट्र महासचिव को अपने अनुभवों और चिंताओं के बारे में बताया। उन्होंने बच्चों से भी बात की। शरणार्थियों ने बताया कि उन्हें म्यांमार में अपने घरों की कितनी याद आती है। गुटेरेस ने युवाओं से भी मुलाकात की। युवाओं ने उनको फंडिंग कटौती के बारे में बताया।
महासचिव ने सबको आश्वासन दिया कि वे फंडिंग कटौती को रोकने के लिए हर संभव प्रयास करेंगे। उन्होंने संयुक्त राष्ट्र और अंतरराष्ट्रीय समुदाय के म्यांमार संघर्ष को न रोक पाने पर लोगों से माफी मांगी। इसके अलावा गुटेरेस ने 60 हजार रोहिंग्या शरणार्थियों के साथ इफ्तार भी किया। गुटेरेस ने कहा कि हम फंडिंग कटौती के साथ एक गहरे मानवीय संकट का सामना कर रहे हैं। इससे कई लोग पीड़ित होंगे, और कुछ लोग मर भी सकते हैं। गुटेरेस ने कहा कि मेरी आवाज तब तक समाप्त नहीं होगी जब तक कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय यह नहीं समझ लेता कि रोहिंग्या शरणार्थियों में अब निवेश करना उनका दायित्व है।
अंतरिम सरकार के सलाहकार मोहम्मद यूनुस भी इफ्तार में मौजूद थे।उन्होंने द्विपक्षीय चर्चा के लिए अलग से मुलाकात की। गुटेरेस आखिरी बार 2018 में कॉक्स बाजार में आए थे और उन्होंने कहा कि चुनौतियां कई स्तरों पर बहुत बड़ी हैं। रमजान पवित्र और एकजुटता का महीना है। इस महीने में अंतरराष्ट्रीय समुदाय का बांग्लादेश में रोहिंग्याओं के लिए समर्थन कम करना अस्वीकार्य होगा। हम ऐसा न हो इसके लिए हर संभव प्रयास करेंगे।
संयुक्त राष्ट्र महासचिव ने बांग्लादेश के विदेश सलाहकार मोहम्मद तौहीद हुसैन और रोहिंग्या मुद्दों और प्राथमिकता मामलों पर बांग्लादेश के मुख्य सलाहकार के उच्च प्रतिनिधि खलीलुर रहमान से भी मुलाकात की। महासचिव और विदेश सलाहकार ने बांग्लादेश में चल रहे परिवर्तन और सुधार प्रयासों पर चर्चा की। महासचिव और उच्च प्रतिनिधि ने राखीन राज्य की स्थिति और म्यांमार में रोहिंग्या और अन्य अल्पसंख्यकों पर आगामी उच्च स्तरीय सम्मेलन पर चर्चा की।
डोनाल्ड ट्रंप का भारत को एफ-35 का ऑफर, यूरोपीय देशों में किल स्विच के कारण चिंता बढ़ी
15 Mar, 2025 12:44 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
वॉशिंगटन: डोनाल्ड ट्रंप की विदेश नीति ने अमेरिका की सुरक्षा को लेकर सहयोगी देशों को ही डरा दिया है। सहयोगी देशों में अब अमेरिका की 'किल स्विच' नीति पर जोरदार चर्चा हो रही है। खासकर जब डोनाल्ड ट्रंप भारत पर अमेरिकी एफ-35 स्टील्थ फाइटर जेट खरीदने के लिए दबाव बना रहे हैं, उस वक्त सवाल उठ रहे हैं कि क्या 'किल स्विच' को लेकर आशंका पहले ही साफ कर लेने की जरूरत नहीं है? अमेरिका अपनी इस नीति का इस्तेमाल फाइटर जेट्स को अपंग बनाने के लिए कर सकता है। 'किल स्विच' की वजह से ही पुर्तगाल ने एफ-35 लड़ाकू विमान खरीदने के फैसले को कैंसिल करने के संकेत दिए हैं।
हालांकि डोनाल्ड ट्रंप पहले से ही नॉर्थ अटलांटिक संधि संगठन (Nato) और यूरोपीय सहयोगियों की आलोचना करते रहे हैं। लेकिन उन्होंने अपने दूसरे कार्यकाल में अमेरिका की विदेश नीति की किताब को ही पलट दिया है। उन्होंने रूस का साथ देने का फैसला किया है और यूरोप को अपनी सुरक्षा खुद करने के लिए कहा है। यूरोपीय देशों में अब अमेरिका को लेकर विश्वास टूटता जा रहा है। डोनाल्ड ट्रंप ने वाइट हाउस में यूक्रेनी राष्ट्रपति को जिस अंदाज में बेइज्जत किया और जैसे उन्होंने यूक्रेन को हथियारों की आपूर्ति रोकी। उससे सवाल उठ रहे हैं कि क्या एफ-35 लड़ाकू विमान का इस्तेमाल करना किसी और देश के लिए सही फैसला होगा?
क्या एफ-35 में किल स्विच है?
डोनाल्ड ट्रंप के फैसलों से यूरोपीय देश काफी परेशान है। जिनमें से एक है डेनमार्क। डोनाल्ड ट्रंप ने डेनमार्क के ग्रीनलैंड द्वीप पर आक्रमण करने और उसे अपने कब्जे में लेने की धमकी दी है। ऐसी आशंका है कि अगर डोनाल्ड ट्रंप वाकई ग्रीनलैंड पर कब्जा करने का आदेश देते हैं। तो सबसे पहले अमेरिका दूर से डेनमार्क के एफ-35 लड़ाकू विमान को अपंग बना देगा। यानि एफ-35 किसी काम का नहीं रहेगा। किल स्विच के बारे में कहा जाता है कि अगर F-35 लड़ाकू विमान को ऑपरेट करने वाला कोई देश डोनाल्ड ट्रंप की आज्ञा का पालन नहीं करता है। तो संयुक्त राज्य अमेरिका इन किल स्विच को दूर से ही ट्रिगर कर सकता है ताकि ये युद्धक विमान बेकार हो जाएं। हालांकि एक्सपर्ट्स का कहना है कि ऐसा कोई किल स्विच मौजूद नहीं है जो F-35 को उड़ान भरने में असमर्थ बना सके।
हालांकि एफ-35 लड़ाकू विमान बनाने वाली कंपनी लॉकहीड मार्टिन और साथ ही एक ऑपरेटर स्विस सरकार ने सार्वजनिक रूप से यह कहा है कि किल स्विच जैसा कुछ नहीं है। लेकिन एक्सपर्ट्स का ये भी कहना है कि किल स्विच हो या न हो, ऐसे कई तरीके हैं जिनसे संयुक्त राज्य अमेरिका इन युद्धक विमानों को दूर से ही बेकार कर सकता है। सबसे पहली बात तो ये कि ये लड़ाकू विमान मेटिनेंस के लिए अमेरिका पर निर्भर होते हैं। दूसरा उनके कंपोनेंट्स और सॉफ्टवेयर को लगातार अमेरिका ही अपडेट करता है। इसके अलावा डेटा और खुफिया नेटवर्क भी अमेरिका से ही जुड़ा है। तीसरा एफ-35 लड़ाकू विमान को बेचते वक्त अमेरिका जो शर्तें तय करता है, उनमें ऐसे ऐसे प्रावधान शामिल किए जाते हैं कि अमेरिका की मंजूरी के बिना ये फाइटर जेट किसी लायक नहीं रहते हैं।
कैसे किल स्विच के बिना भी एफ-35 को बना सकता कबाड़?
भले ही ऐसे किसी किल-स्विच के फिलहाल कोई सबूत नहीं मिले हैं, ताकि अमेरिका दूर से ही उसे दबाकर एफ-35 लड़ाकू विमान को बेकार सक सके, लेकिन इन विमानों को बेकार करने के कई तरीके हैं। फिलहाल एफ-35 स्टील्थ फाइटर जेट का इस्तेमाल 16 देश कर रहे हैं। इन देशों को मिलाकर करीब 1000 एफ-35 फाइटर जेट एक्टिव हैं। इन देशों में ब्रिटेन, कनाडा, जर्मनी, इजरायल, इटली, नीदरलैंड, डेनमार्क और जापान जैसे देश शामिल हैं। इजरायल को छोड़कर बाकी सभी देशों के ऊपर एफ-35 फाइटर जेट के इस्तेमाल को लेकर कई तरह की शर्तें शामिल हैं। द एविएशनिस्ट में डेविड सेन्सियोटी और स्टेफानो डी'उर्सो ने लिखा है कि शर्तों की वजह से एफ-35 का इस्तेमाल करना किसी के लिए संभव नहीं है।
अमेरिकी बिक्री नीति के मुताबिक F-35 खरीदारों को "अमेरिकी नीति के आधार पर महाद्वीपीय संयुक्त राज्य अमेरिका (CONUS) के बाहर स्वतंत्र परीक्षण ऑपरेट करने की इजाजत नहीं है। यूनाइटेड स्टेट्स गवर्नमेंट (USG) सुरक्षा नियमों और राष्ट्रीय रक्षा नीति (NDP) के मुताबिक अमेरिकी नागरिकों को महत्वपूर्ण अमेरिकी टेक्नोलॉजी की सुरक्षा के लिए काम करने होंगे"। इसका मतलब यह है कि इन देशों को न सिर्फ अपने सभी मिशनों के लिए अमेरिका की इजाजत की जरूरत होगी, बल्कि वे अमेरिका के टेक्निकल कर्मियों के बिना इन फाइटर जेट्स का मरम्मत भी नहीं कर सकते हैं। भारत एफ-35 फाइटर जेट को लेकर अमेरिकी शर्तों को जानता है और माना जा रहा है कि अगर भारत इसे खरीदने का फैसला करता है तो निश्चित तौर पर इन शर्तों को लेकर बातचीत होगी।
इस्लामिक स्टेट के खतरनाक आतंकी अल-रिफाई की मौत, सुरक्षा बलों ने बड़ी सफलता की हासिल
15 Mar, 2025 12:32 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
बगदाद: इराक के प्रधानमंत्री मोहम्मद शिया अल-सुदानी ने शुक्रवार को ऐलान किया कि इस्लामिक स्टेट के प्रमुख अब्दल्लाह माकी मोसलेह अल-रिफाई को इराक में एक ऑपरेशन के दौरान ढेर कर दिया गया है। बता दें कि अब्दल्लाह माकी मोसलेह अल-रिफाई को 'अबु खदीजा' के नाम से भी जाना जाता था। इस ऑपरेशन को इराकी राष्ट्रीय खुफिया सेवा और अमेरिकी बलों ने संचालित किया। 'अबु खदीजा' को दुनिया में एक खतरनाक आतंकवादी के रूप में जाना जाता था और वह इराक के लिए लगातार एक बड़ा खतरा बना हुआ था।
'भगोड़े कट्टरपंथी को आज इराक में मार दिया गया'
इराक के प्रधानमंत्री मोहम्मद शिया अल-सुदानी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म 'X' पर एक बयान में कहा, 'इराक के लोग आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में अपनी प्रभावशाली जीत जारी रखे हुए हैं। अबु खदीजा आतंकवादी संगठन का डिप्टी खलीफा था और इराक तथा विश्व के सबसे खतरनाक आतंकवादियों में से एक था।' अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने शुक्रवार रात अपने सोशल मीडिया मंच 'ट्रुथ' पर कहा, 'ISIS के भगोड़े कट्टरपंथी को आज इराक में मार दिया गया। हमारे साहसी योद्धाओं ने इराकी सरकार और कुर्दिश क्षेत्रीय सरकार के सहयोग से उसे खोजकर मार गिराया।'
बगदादी की मौत के बाद से बेहाल है संगठन
एक सुरक्षा अधिकारी ने बताया कि यह ऑपरेशन इराक के पश्चिमी प्रांत अनबर में एक हवाई हमले के जरिए किया गया। एक अन्य अधिकारी के अनुसार, अभियान गुरुवार की रात शुरू किया गया था लेकिन अल-रिफाई की मौत की पुष्टि शुक्रवार को हुई। बता दें कि 2019 में इस्लामिक स्टेट के सबसे बड़े नेता अबू बक्र अल-बगदादी को अमेरिका के सैनिकों ने मार गिराया था और तभी से यह आतंकी संगठन नेतृत्व की समस्याओं का सामना कर रहा है। बगदादी की मौत के बाद से इसके तमाम नेताओं को मार गिराया गया है और यह संगठन बुरी तरह लड़खड़ाया हुआ है। हालांकि अभी भी यह समय-समय पर आतंकी घटनाओं को अंजाम देने में कामयाब रहता है।