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एलन मस्क की ट्रांस बेटी विवियन जेना विल्सन का इंटरव्यू, बताया पिता से रिश्ते का हाल
22 Mar, 2025 12:20 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
उद्योगपति एलन मस्क अक्सर सुर्खियों में रहते हैं. हाल ही में एलन मस्क की ट्रांस बेटी विवियन जेना विल्सन ने एक इंटरव्यू दिया है. अपने इस इंटरव्यू में विवियन ने बताया कि उनके पिता मस्क से कैसे रिश्ते हैं. मस्क इस समय परिवार को लेकर विवादों में घिरे हुए हैं, लेखिका एशले सेंट क्लेयर ने इस बात का खुलासा किया है कि उन्होंने साल 2024 में मस्क के बच्चे को जन्म दिया है. इसी को लेकर जब विवियन से उनके भाई-बहन को लेकर सवाल किया गया तो उन्होंने कहा, मुझे खुद नहीं पता है कि मेरे कितने भाई-बहन हैं.
विवियन विल्सन, एलन मस्क और एक्स पत्नी जस्टिन विल्सन की पहली संतान हैं. विवियन का जन्म 2004 में हुआ था और वो पैदाइश के समय एक लड़का थीं. उनका नाम जेवियर मस्क रखा गया था, लेकिन साल 2022 में विवियन ने अपने ट्रांस होने का ऐलान किया और कानूनी तौर पर अपना जेंडर और नाम भी बदल लिया.
पिता मस्क से कैसा रिश्ता?
विवियन इस समय जापान के टोक्यो में रहती हैं. टीन वोग (Teen Vogue) के साथ एक इंटरव्यू में विवियन ने कई बड़े खुलासे किए हैं. विवियन की उम्र 20 साल है. विवियन का पिता मस्क से ज्यादा करीबी रिश्ता नहीं है. उन्होंने इंटरव्यू में कहा कि वो आर्थिक रूप से एलन मस्क पर निर्भर नहीं है. उन्होंने कहा कि उन्होंने पिछले 5 सालों में मस्क से बात नहीं की है.
“मैं नहीं जानती मेरे कितने भाई-बहन हैं”
एलन मस्क और उनके बच्चों को लेकर विवियन ने कमेंट किया. उन्होंने कहा, मैं कहूंगी कि मैं सच में नहीं जानती कि मेरे कितने भाई-बहन हैं. साथ ही उन्होंने कहा कि उनको अपने ही परिवार के बारे में कोई जानकारी नहीं है. एलन मस्क के बच्चे होने की खबर जैसे पूरी दुनिया को होती है, वैसे ही उनको भी सोशल मीडिया और न्यूज के जरिए होती है.
अपने पिता के दुनिया के सबसे प्रभावशाली व्यक्तियों में से एक होने के बावजूद, विवियन उन से कोई रिश्ता नहीं रखना चाहती है. उन्होंने यह भी साफ कर दिया कि उन्हें लगातार बढ़ते मस्क फैमिली ट्री के साथ रिश्ते रखने में उनके बारे में जानकारी रखने में कोई दिलचस्पी नहीं है.
विवियन ने सोशल मीडिया हैंडल एक्स को छोड़ा
बेटी विवियन और पिता मस्क के रिश्तों में इतनी दूरियां है कि मस्क के सोशल मीडिया फीड से उनके बारी में विवियन जानकारी हासिल करती हैं. विवियन ने न सिर्फ अमेरिका छोड़ दिया है, बल्कि उसने अपने पिता के सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स को भी छोड़ दिया है और थ्रेड्स और ब्लूस्की पर अपने पिता की निंदा की है. विवियन ने कहा, मैं न्यूज में उनके बारे में चीजें देखती हूं और सोचती हूं कि ‘यह बकवास है, मुझे शायद इसके बारे में पोस्ट करना चाहिए और इसकी निंदा करनी चाहिए,’ जो मैंने कई बार किया है.
इंटरव्यू में, विवियन ने खुलासा किया कि वो अपने पिता से नहीं डरती हैं, जिनके पास अब डोनाल्ड ट्रंप प्रशासन में उनकी भूमिका के कारण बहुत अधिक ताकत है. उन्होंने कहा, मुझे इस आदमी से क्यों डरना चाहिए? क्योंकि वो अमीर है? ओह, नहीं, मैं कांप रही हूं, मैं इस बात की परवाह नहीं करती कि किसी के पास कितना पैसा है. वो ट्विटर के मालिक हैं, ठीक है उन्हें इस बात की बधाई हो.
अपने राजनीतिक विचार सामने रखते हुए विवियन ने कहा, मैं मुफ्त हेल्थ केयर में विश्वास करती हूं. मेरा मानना है कि खाना, घर और पानी मानव अधिकार हैं. मेरा मानना है कि पैसों की असमानता अमेरिका की सबसे बड़ी समस्याओं में से एक है, खासकर हमारी पीढ़ी की. विवियन ने कहा कि वह एक वामपंथी हैं.
पारिवारिक विवादों में घिरे मस्क
जहां एक तरफ विवियन ने कहा है कि वो खुद नहीं जानती हैं कि उन के कितने भाई-बहन है. वहीं, दूसरी तरफ हाल ही में लेखिका एशले सेंट क्लेयर ने सोशल मीडिया हैंडल एक्स पर दावा किया है कि उन्होंने साल 2024 में मस्क के बच्चे को जन्म दिया था. हालांकि, अब वो इसको लेकर मस्क पर कानूनी कार्रवाई कर रही हैं, उन्होंने मस्क पर अनुपस्थित पिता होने और एकमात्र हिरासत के लिए आवेदन करने के बाद वित्तीय सहायता में कटौती करने का आरोप लगाया है.
तुर्की में इस्तांबुल मेयर की गिरफ्तारी के बाद सड़कों पर प्रदर्शन, सरकार की नींद उड़ गई
22 Mar, 2025 12:11 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
मुस्लिम देश तुर्की में इस समय सड़कों पर जनता का प्रदर्शन देखने को मिल रहा है. प्रदर्शन के कारण सरकार की नींद उड़ चुकी है. इस प्रदर्शन और सरकार की नींद उड़ने की वजह एक मेयर की गिरफ्तारी को माना जा रहा है. तुर्की पुलिस ने बुधवार को इस्तांबुल के मेयर इक्रेम इमामोगलू को गिरफ्तार किया, वह राष्ट्रपति रेसेप तैयप एर्दोगन के प्रमुख प्रतिद्वंद्वी हैं. उन्हें कथित भ्रष्टाचार और आतंकी संबंधों की जांच के तहत गिरफ्तार किया गया है.
इमामोग्लू की गिरफ्तारी के बाद से ही देश भर में विरोध देखने को मिल रहा है. हजारों की संख्या में लोग सड़क पर उतर कर सरकार के खिलाफ विरोध कर रहे हैं. देश में हालात अब इतने बिगड़ गए हैं कि तुर्की के प्रशासन ने पिछले दिनों देश में अगले 4 दिनों तक किसी भी तरह के प्रदर्शन करने पर प्रतिबंध लगाया था.
शुक्रवार देर रात इस्तांबुल में हजारों लोग सड़कों पर उतर आए और रेसेप तैयप एर्दोगनकी चेतावनी को दरकिनार करते हुए जबरदस्त प्रदर्शन किया. ऐसा कहा जा रहा है कि इस तरह का प्रदर्शन तुर्की में एक दशक बाद देखने को मिल रहा है.
क्या है तुर्की का हालिया विवाद?
तुर्की में विपक्षी नेता ने एर्दोगनपर सवाल उठा रहे हैं कि वे अपनी विपक्षी नेताओं से घबरा गए हैं, इसलिए उन्होंने इक्रेम इमामोगलू को गिरफ्तार किया है. इक्रेम इस समय इस्तांबुल के मेयर हैं और विपक्ष के सबसे मजबूत चेहरे हैं. इकराम की पार्टी सीपीसी 23 मार्च को एक कांग्रेस करने वाली थी, जिसमें उन्हें विपक्ष की और से राष्ट्रपति का उम्मीदवार बनाया जाना तय था. ऐसे में उनकी गिरफ्तारी पर सवाल उठाए जा रहे हैं.
तुर्की में भी 2028 में चुनाव हैं, इक्रेम इमामोअलु की लोकप्रियता उनके लिए भविष्य में चुनौती हो सकती है, इसलिए अब देखना होगा कि रएर्दोगन इस बार सत्ता में काबिज रह पाएंगे या नहीं.
देश में सत्ता विरोधी लहर तेज
पूरे देश में एर्दोगनके दो दशकों से भी ज्यादा लंबे शासन के खिलाफ सत्ता विरोधी लहर तेज हो रही है, तुर्की के लोकप्रिय और दो बार के मेयर इमामोग्लू, को अगले कुछ दिनों में उनके रिपब्लिकन पीपल्स पार्टी (CHP) के आधिकारिक राष्ट्रपति उम्मीदवार के रूप में घोषित किया जाना था. इमामोग्लू कई सर्वेक्षणों में एर्दोगन से आगे चल रहे हैं. ऐसे में उनकी गिरफ्तारी के कारण भारी विरोध देखने को मिल रहा है.
तुर्की में अगला राष्ट्रपति चुनाव 2028 में होना है, लेकिन एर्दोगन पहले ही राष्ट्रपति के रूप में अपने दो बार के कार्यकाल की सीमा तक पहुंच चुके हैं. कई लोग इस गिरफ्तारी को एक लोकप्रिय विपक्षी नेता और एर्दोगन के प्रमुख प्रतिद्वंद्वी को अगले राष्ट्रपति पद की दौड़ में हटाने के लिए राजनीतिक रूप से प्रेरित प्रयास के रूप में देखते हैं.
देश में फिर 2013 जैसा विरोध प्रदर्शन
मीडिया की माने तो भ्रष्टाचार के आरोपों को लेकर इमामोग्लू से पुलिस ने चार घंटे तक पूछताछ की, जिसके दौरान उन्होंने सभी आरोपों से इनकार किया. शनिवार शाम को अभियोजकों की तरफ से पूछताछ के लिए उन्हें न्यायालय में ट्रांसफर किए जाने की उम्मीद थी. उनकी गिरफ्तारी ने 2013 के बाद से सबसे बड़े विरोध प्रदर्शनों को जन्म दिया है, जब तुर्की में बड़े पैमाने पर सरकार विरोधी प्रदर्शन हुए थे, जिसमें आठ लोग मारे गए थे.
खुद फंस गए रेसेप तैयप एर्दोगन?
तुर्की के खलीफा रेसेप तैयप एर्दोगन पिछले कुछ सालों से दुनिया के अन्य देशों की राजनीति में दखल देते नजर आए हैं. कई बार खलीफा एर्दोगन अपने आप को मुस्लिम वर्ल्ड का लीडर साबित करने की कोशिश भी की है. गाजा हो या फिर सीरिया हर देश के मसले पर उन्होंने दखल देने की कोशिश की है. इस बीच खुद को बड़ा दिखाने के चक्कर में खलीफा खुद मुश्किलों में घिरते नजर आ रहे हैं. यही कारण है कि वे अपने विपक्षी नेताओं और उनको टक्कर देने वाले हर नेता को गिरफ्तार करवा रहे हैं.
ऐसा करने के पीछे का साफ संदेश है कि वे किसी को भी अपने सामने खड़ा नहीं होने देना चाहते हैं. उनको डर है अगर ऐसे हालात रहे तो आने वाले समय में उन्हें अपनी कुर्सी से भी हाथ धोना पड़ सकता है. इस बात को और बल इसलिए भी मिल रहा है कि क्योंकि जनता अब बगावत पर उतर आई है. हालांकि यह पहली घटना नहीं है जब एर्दोगान सरकार के विरोध-प्रदर्शनों का सामना करना पड़ा है.
तुर्की आतंकवाद को बर्दाश्त नहीं करेगा- एर्दोगान
विपक्षी नेता ओजगुर ओज़ेल ने कहा कि यह कोई सीएचपी रैली नहीं है, यहां सभी दलों के लोग हैं और वे मेयर इमामोग्लू के साथ एकजुटता दिखाने और लोकतंत्र के लिए खड़े होने आए हैं. उन्होंने कहा कि एर्दोगान जुडीशरी की मदद से इमामोग्लू का हाथ मरोड़ना चाहते हैं. वह इसे एक हथियार की तरह इस्तेमाल कर रहे हैं.
जैसे-जैसे प्रोटेस्ट बढ़ा है तो एर्दोगान का इस मामले में बयान आया है. उन्होंने कहा है कि तुर्की गलियों के आतंकवाद को बर्दाश्त नहीं करेगा.
बांगलादेश में तख्ता पलट विरोध प्रदर्शनों में विदेशी फंडिंग का खुलासा, क्रिप्टोकरेंसी में भारी निवेश
22 Mar, 2025 12:02 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
बांग्लादेश में तख्ता पलट के दौरान हुए विरोध प्रदर्शनों के पीछे विदेशी फंडिंग की भूमिका सामने आई है. प्रदर्शनकारी नेताओं ने बड़ी मात्रा में क्रिप्टोकरेंसी में निवेश किया है, जिससे मनी लॉन्ड्रिंग का शक पैदा हुआ है. मीडिया रिपोर्ट में बताया गया कि इस आंदोलन के लिए विदेशों से फंडिग की गई थी, जिसके बाद कई नेताओं ने भारी मात्रा में बिटक्वाइन में निवेश किया है.
एडीएसएम (ADSM) लीडर और ‘जातीय नागरिक कमेटी’ के संस्थापक सरजिस आलम ने 7.65 मिलियन डॉलर (65 करोड़ रुपये) क्रिप्टोकरेंसी टेथर (Tether) में निवेश किए. सामान्य परिवार से आने वाले आलम का इतनी बड़ी संख्या में निवेश करना विदेशी फंडिंग की ओर इशारा कर रहा है.
अंतरिम सरकार में आईटी एडवाइजरी और एडीएसएम कोऑर्डिनेटर नाहिद इस्लाम ने 204.64 बिटकॉइन (BTC) का निवेश किया है, जिसकी कीमत 17.14 मिलियन डॉलर (147 करोड़ रुपये) है. इस भारी निवेश ने उनके पैसे के स्रोत पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं. इन नेताओं के अलावा भी कई छात्र नेताओं ने भी निवेश किया है.
विदेशी फंड से हुआ था बांग्लादेश में आंदोलन
अंतरिम सरकार के प्रेस सचिव और पत्रकार शफीकुल आलम के पास 93.06 बिटकॉइन हैं. इसकी कीमत 10 मिलियन डॉलर यानी 86 करोड़ रुपए है. इससे यह स्पष्ट होता है कि आंदोलन से जुड़े लोगों को विदेश से फंड प्राप्त हुआ है. यह खुलासा हुआ है कि बांग्लादेश में नेतृत्व परिवर्तन की मांग को लेकर चल रहे आंदोलन को विदेशी धन से वित्त पोषित किया गया था, जिसके बाद ही बांग्लादेश में तख्ता पलट को अंजाम दिया गया. बांग्लादेश के जिस आंदोलन को कभी छात्र-नेतृत्व वाले बदलाव का प्रयास माना जा रहा था, उस पर अब विदेशी फंडिंग के आरोप लग रहे हैं.
तख्तापलट के बाद आंदोलन शांत
पिछले साल अगस्त में बांग्लादेश में छात्रों ने आरक्षण के खिलाफ विरोध प्रदर्शन शुरू किया था. उस आंदोलन के कारण तत्कालीन प्रधानमंत्री शेख हसीना को देश छोड़ना पड़ा था. उनकी सरकार के पतन के बाद, आंदोलन धीरे-धीरे बंद हो गया. बांग्लादेश का नेतृत्व अब अंतरिम सरकार के हाथों में है. उम्मीद थी कि इस बीच चुनाव हो जाएंगे और नई लोकतांत्रिक सरकार सत्ता में आएगी, लेकिन ऐसा अभी तक नहीं हुआ है. जो छात्र सरकार को उखाड़ फेंकना चाहते थे, उन्होंने एक राजनीतिक पार्टी बना ली है. यही कारण है कि कई तरह के सवाल उठाए जा रहे हैं.
बांग्लादेश में तख्तापलट की साजिश, सेना और सरकार के बीच बढ़ी टकराव की स्थिति
22 Mar, 2025 11:50 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
बांग्लादेश में सेना ने शुक्रवार को 9वीं डिवीजन के सैनिकों को बड़ी संख्या में बख्तरबंद वाहनों में ढाका में इकट्ठा होने का आदेश जारी किया है. हर ब्रिगेड से 100 सैनिक तैनात हैं. बांग्लादेश सेना और छात्रों के बीच तनाव के बीच यह कदम उठाया गया है. ऐसे में इस बात के कयास काफी ज्यादा है कि आर्मी चीफ सभी गलतियों का ठीकरा मोहम्मद यूनुस पर फोड़ते हुए देश में अपनी स्थिति फिर से मजबूत कर सकते हैं.
शेख हसीना सरकार का तख्तापलट होने के बाद बांग्लादेश में नई सरकार बनने तक मोहम्मद यूनुस को अंतरिम सरकार का चीफ बनाया गया. माना जाने लगा कि यूनुस बांग्लादेश की डूबती नैया को पार लगाएंगे. लेकिन उनके कार्यकाल के दौरान ना सिर्फ भारत से रिश्ते खराब हुए बल्कि अमेरिका के साथ भी स्थितियां ज्यादा दिन अच्छी नहीं रह पाई. बांग्लादेश की सुरक्षा व्यवस्था के सूत्रों ने बताया कि सेना को देश पर अपनी पकड़ मजबूत करने में कुछ और दिन लगेंगे. जिसके चलते एहतियातन कदम उठाए गए हैं.
क्यों घबराई है बांग्लादेशी सेना?
बांग्लादेश सेना की 10 डिवीजन हैं. 9वीं इन्फैंट्री डिवीजन सावर में स्थित है, जबकि घाटाइल में फॉर्मेशन 19वीं इन्फैंट्री डिवीजन तैनात है. बांग्लादेश की सेना के डर की वजह कई हैं. ग्रामीण विकास और सहकारिता मंत्रालय के सलाहकार आसिफ महमूद शाजिब भुइयां का हाल ही में एक वीडियो वायरल हुआ था, जिसमें उन्होंने दावा किया था कि सेना प्रमुख जनरल वकार-उज़-ज़मान की इच्छा नहीं थी, कि नोबेल शांति पुरस्कार विजेता मोहम्मद यूनुस को अंतरिम प्राधिकरण का चीफ बनाया जाए. लेकिन उन्होंने सहमति दी. इससे पहले एक छात्र नेता हसनात अब्दुल्ला ने 11 मार्च को जनरल ज़मान के साथ एक गुप्त बैठक के बाद सार्वजनिक रूप से सेना के खिलाफ आंदोलन शुरू करने की धमकी दी थी. ऐसे में आर्मी चीफ सरकार से नाराज हैं.
छात्र आंदोलन की आशंका से सेना में खौंफ
बांग्लादेश की सेना को भुइयां के खुलासे और अब्दुल्ला की फेसबुक पोस्ट के बाद नया छात्र आंदोलन खड़ा होने का डर सता रहा है. यह अभी स्पष्ट नहीं है कि सेना कठोर कदम उठाएगी या नहीं. यूनुस 26 मार्च को तीन दिवसीय चीन यात्रा पर जाने वाले हैं. माना जा रहा है कि कानून और व्यवस्था की स्थिति बिगड़ने पर यूनुस अपनी चीन यात्रा रद्द कर सकते हैं. बांग्लादेश में अधिकांश लोग 11 मार्च की बैठक के विवरण से हैरान थे, जो सेना प्रमुख को खराब रोशनी में दिखाने और एक असफल आंदोलन को पुनर्जीवित करने के प्रयास के रूप में सार्वजनिक किए गए थे.
यरूशलम में हवाई हमले से अलर्ट करने बजने लगे सायरन
21 Mar, 2025 09:22 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
तेल अवीव। इजराइली सेना ने कहा कि यमन से मिसाइल दागे जाने के बाद मध्य यरूशलम और इजराइल के अन्य हिस्सों में हवाई हमलों के प्रति सचेत करने वाले सायरन बज उठे। इस मिसाइल हमले से कुछ घंटे पहले इजराइली सेना ने हूती विद्रोहियों की ओर से दागी मिसाइल को मार गिराने का दावा किया था। ईरान के समर्थन वाले हूती विद्रोहियों ने इजराइल और हमास के बीच अस्थाई संघर्ष-विराम के इस सप्ताह खत्म होने के बाद इजराइल पर फिर हमले शुरू कर दिए हैं।
अनिल विज ने केजरीवाल पर तंज करते हुए कहा 'जहां-जहां पैर पड़े संतन के, वहीं-वहीं बंटाधार'
21 Mar, 2025 08:09 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
हरियाणा के ऊर्जा, परिवहन एवं श्रम मंत्री अनिल विज ने दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल द्वारा पंजाब उप चुनाव को लेकर की जा रही बयानबाजी पर तंज कसते हुए कहा कि जहां-जहां पैर पड़े संतन के वहीं-वहीं बंटाधार. शुक्रवार को पत्रकारों से बातचीत करते हुए विज ने कहा कि केजरीवाल का दिल्ली में बंटाधार हो चुका है और अब पंजाब का बंटाधार करने के लिए केजरीवाल पंजाब में विराजमान हो गए हैं. उन्हें नहीं लगता कि भगवंत मान की सरकार पंजाब में ज्यादा दिन रह पाएगी.
विधानसभा में कैबिनेट मंत्री अनिल विज और कांग्रेस नेता भूपेंद्र सिंह हुड्डा के बीच तीखी तकरार को लेकर प्रतिक्रिया देते हुए उन्होंने कहा कि हुड्डा बिना आधार के मुद्दे उठाते हैं, पढ़कर नहीं आते लेकिन उन्हें जवाब तो देना पड़ेगा.
उन्होंने कहा कि भूपेंद्र हुड्डा डेमोक्रेसी की प्रथा में विश्वास नहीं रखते, यही कारण है कि जब हम विपक्ष में थे, वह तब भी किसी को बोलने नहीं देते थे और उठा उठा कर सदस्यों को बाहर फेंकते थे.
कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व पर उठाया सवाल
विपक्ष का नेता न चुनने पर कैबिनेट मंत्री अनिल विज बोले, यह कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व पर प्रश्न चिह्न है कि वह फैसला लेने में सक्षम नहीं है.
कैबिनेट मंत्री अनिल विज ने कांग्रेस द्वारा अब तक हरियाणा में विपक्ष का नेता न चुने जाने को लेकर भी अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि यह कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व पर प्रश्न चिह्न है कि वह फैसला लेने में सक्षम नहीं है. यही कारण है कि वह छह महीने में यह भी फैसला नहीं ले पाए कि हरियाणा विधानसभा में उनका लीडर कौन होगा?
उन्होंने कहा कि जिस तरीके से इन्हें हर प्रदेश से उखाड़ कर फेंका जा रहा है, उससे उनके फैसला लेने की क्षमता छिन्नभिन्न हो गई है. यही कारण है कि यह फैसला नहीं ले पा रहे और पर्याप्त संख्या होने के बावजूद भी सदन को विपक्ष का नेता नहीं मिला.
पहली बार इतना बेहतरीन बजट पेश किया गया है: विज
हरियाणा की भाजपा हाईकमान ने प्रदेश के मंत्रियों को अपने-अपने जिलों में प्रेस कांफ्रेंस करने के लिए कहा है. इस पर जब मंत्री अनिल विज से सवाल किया गया तो उन्होंने कहा कि हरियाणा में पहली बार इतना बेहतरीन बजट पेश किया गया है, जिसमें सर्वांगीण विकास को मध्य नजर रखते हुए 2 लाख करोड़ से ज्यादा का बजट पेश किया गया है.
इस दौरान विज ने जमकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तारीफ करते हुए कहा कि उनके मार्गदर्शन में इससे बेहतरीन बजट पेश नहीं हो सकता है.
पश्चिम बंगाल में कानून व्यवस्था फेल
पश्चिम बंगाल में सड़कों पर भारी मात्रा में आधार कार्ड मिलने के बाद से राजनीतिक गरमा गई है. इसे लेकर हरियाणा के कैबिनेट मंत्री अनिल विज ने पश्चिम बंगाल की ममता बनर्जी सरकार को घेरते हुए कहा कि पश्चिम बंगाल में कानून व्यवस्था पूरी तरह से फेल है और वहां हर तरह के गैरकानूनी काम होते हैं. उन्होंने आरोप लगाया कि पश्चिम बंगाल की सरकार किसी भी व्यवस्था को नहीं मानती है.
कैबिनेट मंत्री अनिल विज ने कहा कि पश्चिम बंगाल में बांग्लादेश से आने वाले लोगों की भी बहुत बड़ी संख्या है. पश्चिम बंगाल में हर तरह की अनियमितता हो रही है. विज ने कहा कि पश्चिम बंगाल की जनता इस समय त्राहि माम, त्राहि माम कर रही है और जब भी पश्चिम बंगाल में चुनाव आएंगे पश्चिम बंगाल की जनता इस सरकार को उखाड़ कर फेंक देगी और वहां पर भी प्रजातांत्रिक भारतीय जनता पार्टी की सरकार को बनाएगी.
दुबई में हाई-प्रोफाइल पार्टी के बाद यूक्रेनी मॉडल की हालत गंभीर, अस्पताल में भर्ती
21 Mar, 2025 07:06 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
दुबई में एक हाई-प्रोफाइल पार्टी में शामिल होने के बाद एक यूक्रेनी मॉडल की हालत गंभीर हो गई. उसे सड़क किनारे टूटी हुई रीढ़ की हड्डी, हाथ और पैर के साथ पड़ा पाया गया. 20 साल की इस OnlyFans मॉडल की हालत इतनी खराब थी कि वह बोल भी नहीं पा रही थी. बताया जा रहा है कि वह अरब शेखों के एक रहस्यमयी पोर्टा पॉटी पार्टी में शामिल हुई थी, जहां अमीर लोगों की घिनौनी इच्छाओं को पूरा करने के लिए महिलाओं का इस्तेमाल किया जाता है.
यह मामला तब सामने आया जब मॉडल 8 दिनों तक लापता रही. उसने अपने दोस्तों को बताया था कि उसे दुबई के एक होटल में पार्टी के लिए आमंत्रित किया गया है. इसके बाद से उसका कोई पता नहीं चला. मॉडल के परिवारवालों और दोस्तों ने उसकी तलाश शुरू की, लेकिन कोई सुराग नहीं मिला. जब वह सड़क किनारे गंभीर हालत में मिली, तो उसे तुरंत अस्पताल ले जाया गया. उसकी मां ने बताया कि मॉडल के पास न तो उसके दस्तावेज थे, न फोन और न ही कोई और सामान.
क्रूरता की शिकार बनी मॉडल?
इस मॉडल को एक सीक्रेट पार्टी में ले जाया गया, जहां वह शेखों और प्रभावशाली लोगों के बीच फंस गई. ऐसी आशंका जताई जा रही है कि उसे कई दिनों तक शारीरिक और मानसिक प्रताड़ना दी गई, फिर उसे मरने के लिए सड़क पर फेंक दिया गया. दुबई में होने वाली पोर्टा पॉटी पार्टियों के बारे में कहा जाता है कि इसमें सोशल मीडिया इंफ्लुएंसर्स और मॉडल्स को मोटी रकम देकर बुलाया जाता है, फिर उनसे अमानवीय काम करवाए जाते हैं.
चार सर्जरी के बाद भी हालत गंभीर
इस दर्दनाक घटना के बाद मॉडल की चार बड़ी सर्जरी कराई गई, लेकिन अब भी उसकी हालत गंभीर बनी हुई है. डॉक्टरों का कहना है कि उसके ठीक होने में लंबा समय लग सकता है. इस बीच रूस की एक वकील, कट्या गॉर्डन ने सोशल मीडिया पर इस मुद्दे को उठाया और मॉडल्स को चेतावनी दी कि वे इस तरह के आयोजनों से दूर रहें. उन्होंने कहा कि दुबई में ऐसी पार्टियों का चलन बढ़ता जा रहा है, जहां महिलाओं को यातनाएं दी जाती हैं और उनकी जिंदगी खतरे में डाल दी जाती है.
महिलाओं को चेतावनी
इस घटना के बाद कई संगठनों और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने मॉडल्स और सोशल मीडिया इंफ्लुएंसर्स को ऐसे खतरनाक ऑफर्स से बचने की सलाह दी है. यह पहली बार नहीं है जब पोर्टा पॉटी पार्टीज का मामला सामने आया हो. इससे पहले भी कई महिलाओं के लापता होने और प्रताड़ित किए जाने की घटनाएं रिपोर्ट की गई हैं. वकील गॉर्डन ने कहा कि लड़कियों, महिलाओं से मेरी अपील है सिर्फ पैसों के लिए ऐसी पार्टियों में मत जाओ, यह तुम्हारी जिंदगी बर्बाद कर सकता है.
दोस्तों की उम्मीदें बनी हुई हैं
मॉडल के परिवारवाले और दोस्त उसकी जल्द से जल्द ठीक होने की दुआ कर रहे हैं. एक दोस्त ने कहा, ‘हम सभी उम्मीद कर रहे हैं कि वह ठीक हो जाए. हम उन सभी का धन्यवाद करते हैं, जिन्होंने उसे ढूंढने और जानकारी देने में मदद की.’ हालांकि, यह मामला अब अंतरराष्ट्रीय स्तर पर चर्चा का विषय बन गया है और दुबई में होने वाली इन गुप्त पार्टियों की सच्चाई को उजागर करने की मांग तेज हो रही है.
दुबई में गुरु नानक दरबार गुरुद्वारे में हुआ अंतरधार्मिक रोजा इफ्तार का आयोजन
21 Mar, 2025 06:55 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
बई में आपसी भाईचारे की एक अनूठी मिसाल देखने को मिली. गुरु नानक दरबार गुरुद्वारे में इंटरफेथ इफ्तार (अंतरधार्मिक रोजा इफ्तार) का आयोजन किया गया. इस इफ्तार में केवल शाकाहारी भोजन परोसा गया और इसमें कई धर्मों से जुड़े 275 से अधिक लोगों ने हिस्सा लिया. इस आयोजन का उद्देश्य सांप्रदायिक सौहार्द और शांति का संदेश देना था.
यह इफ्तार खास इसलिए था क्योंकि इसमें सभी धर्मों के लोग एकसाथ शामिल हुए. आयोजन स्थल में प्रवेश करने से पहले सभी लोगों ने अपने जूते बाहर उतारे और सिर को ढका. इस आयोजन में सरकारी अधिकारी, धार्मिक नेता, राजनयिक और अन्य प्रतिष्ठित व्यक्ति शामिल हुए. गुरुद्वारे के अध्यक्ष सुरेंद्र सिंह कंधारी ने बताया कि यह आयोजन यूएई की धार्मिक सहिष्णुता और सांस्कृतिक विविधता को दर्शाता है.
हिंदू-मुस्लिम एकता की मिसाल
इस इफ्तार की एक और खास बात यह रही कि मुस्लिम समुदाय के लोगों ने अपने हिंदूओं के सम्मान में नॉनवेज से परहेज किया और केवल शाकाहारी भोजन ही किया. यह कदम हिंदू-मुस्लिम एकता और आपसी सम्मान को बढ़ाने की दिशा में एक बड़ा संदेश देता है.
गुरुद्वारे के अध्यक्ष ने कहा कि हम इस इफ्तार से शांति, प्रेम और मानवता का संदेश फैलाना चाहते हैं. यह आयोजन यूएई शासकों का आभार व्यक्त करने और मुस्लिम समुदाय के लिए प्रार्थना करने का अवसर भी है. इस आयोजन का स्पेशल महत्व इस साल घोषित ‘कम्युनिटी ईयर’ से भी जुड़ा है, जिसका उद्देश्य सभी समुदायों को साथ लाना है.
गुरुद्वारे की सेवा भावना
दुबई का यह गुरुद्वारा सेवा और सामुदायिक कार्यों के लिए जाना जाता है. यहां तीन समय का लंगर (मुफ्त भोजन सेवा) दिया जाता है, जिसमें किसी की जाति, धर्म या राष्ट्रीयता के आधार पर भेदभाव नहीं किया जाता. यह गुरुद्वारा सामाजिक सेवा और सामुदायिक एकता को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है.
इस कार्यक्रम में प्रमुख अमीराती नागरिक और पूर्व यूएई राजनयिक मिर्जा अल सायेघ भी शामिल हुए. उन्होंने कहा कि हर बार जब मैं इस इफ्तार में शामिल होता हूं, तो मुझे एहसास होता है कि सभी धर्म शांति और सद्भाव की बात करते हैं. यह आयोजन यूएई और भारत के रिश्तों को भी मजबूत बनाता है.
भारतीय कौंसुल जनरल ने की सराहना
दुबई में भारतीय कौंसुल जनरल सतीश कुमार सिवन ने इस इफ्तार की सराहना की और कहा कि गुरुद्वारे द्वारा इतने सालों से किए जा रहे इस आयोजन से सहिष्णुता, समावेशिता और मानवता की भावना मजबूत होती है. भारत और यूएई, दोनों ही देशों में विविधता और सहिष्णुता को प्राथमिकता दी जाती है.
अमेरिकी नागरिक भी बने हिस्सा
इस आयोजन में अबू धाबी से आए अमेरिकी नागरिक स्टीवन एरिक्सन ने भी भाग लिया. उन्होंने बताया कि वे पिछले साल से इस आयोजन में शामिल हो रहे हैं और इसे लेकर उत्साहित हैं. उन्होंने कहा कि हम गुरुद्वारे के साथ कई सामुदायिक सेवा कार्यक्रमों में हिस्सा लेते हैं. यहां सिर पर पगड़ी पहनना और जूते उतारना कोई असुविधा नहीं, बल्कि एक सम्मान की बात है.
धर्म से ऊपर इंसानियत का संदेश
इस अनोखे आयोजन ने एक बार फिर साबित कर दिया कि धर्म से ऊपर *इंसानियत और भाईचारा होता है. यह इफ्तार न सिर्फ हिंदू-मुस्लिम एकता को बढ़ावा देता है, बल्कि यूएई में धार्मिक सद्भाव और सहिष्णुता का भी एक महत्वपूर्ण उदाहरण पेश करता है
अमेरिका ने 200 वेनेजुएला नागरिकों को केवल टैटू के आधार पर डिपोर्ट किया, ट्रंप के आदेश पर हुआ कदम
21 Mar, 2025 06:39 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
अमेरिका में वेनेजुएला के करीब 200 नागरिकों को सिर्फ उनके टैटू के आधार पर खतरनाक गैंग ‘ट्रेन डे अरागुआ’ का सदस्य मानते हुए डिपोर्ट कर दिया गया. यह डिपोर्टेशन अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के आदेश से हुआ, जिन्होंने 18वीं सदी के युद्धकालीन कानून का हवाला देते हुए इन लोगों को बिना कानूनी प्रक्रिया के ही अल सल्वाडोर की एक कुख्यात जेल में भेज दिया.
न्यूयॉर्क स्थित कानूनी समूह द ब्रोंक्स डिफेंडर्स और अन्य वकीलों ने इस डिपोर्टेशन की आलोचना करते हुए कहा कि सरकार के पास यह साबित करने का कोई ठोस सबूत नहीं है कि डिपोर्ट किए गए लोग किसी गैंग का हिस्सा थे. उनके मुताबिक, सिर्फ जेनरल टैटू होने के कारण उन्हें खतरनाक गैंग का सदस्य मान लिया गया.
जबरन किया गिरफ्तार
इनमें से एक व्यक्ति जे.जी.जी. को अधिकारियों ने इसलिए पकड़ा क्योंकि उसके पास आंख का टैटू था. जब उसने अधिकारियों से कहा कि यह उसे गूगल पर पसंद आया था, तो उसकी बात को अनसुना कर दिया गया. इसी तरह, जेर्स रेयेस बारियोस नाम के एक व्यक्ति को इसलिए डिपोर्ट किया गया क्योंकि उसके टैटू में एक ताज, एक फुटबॉल और ‘Dios’ लिखा था.
टैटू और गैंग की पहचान
कुछ मामलों में, टैटू को अपराधियों की पहचान का संकेत माना जाता है. MS-13 जैसे कुख्यात गिरोह के सदस्यों के चेहरे पर टैटू होते हैं, जो उनकी गैंग से कनेक्शन को बताते हैं. हालांकि, विशेषज्ञों का कहना है कि ट्रेन डे अरागुआ गिरोह के लिए टैटू उतने जरूरी नहीं होते.
इसके अलावा, ताज, सितारे, घड़ियां आदि डिज़ाइन पूरी दुनिया में आम हैं और इनका कोई निश्चित अपराध से संबंध नहीं होता. उदाहरण के लिए, रेयेस बारियोस का टैटू स्पेनिश फुटबॉल क्लब रियल मैड्रिड से प्रेरित था, लेकिन अधिकारियों ने इसे अपराधी होने का प्रमाण मान लिया.
अमेरिका अधिकारियों का दावा
अमेरिकी अधिकारियों ने दावा किया कि केवल टैटू के आधार पर ही गिरफ्तारियां नहीं हुईं, लेकिन वकीलों और परिवारों का कहना है कि टैटू को बार-बार गैंग सदस्यता का प्रमाण बताया गया. इस डिपोर्टेशन से पहले, पीड़ितों को अपने वकीलों से मिलने तक की अनुमति नहीं दी गई. जब वे अपने वकीलों तक पहुंचे, तब तक वे अमेरिका से बाहर भेजे जा चुके थे. इससे सवाल उठता है कि क्या यह डिपोर्टेशन कानूनी प्रक्रियाओं का पालन करता है या नहीं.
इस मुद्दे को लेकर न्यायिक समीक्षा की मांग उठ रही है. अमेरिकी मानवाधिकार संगठनों का कहना है कि बिना किसी उचित जांच के इस तरह का डिपोर्टेशन गैरकानूनी है. वेनेजुएला सरकार ने भी इस पर नाराजगी जताई है और अमेरिका से स्पष्टीकरण की मांग की है.
कनाडा की विदेश मंत्री मेलानी जोली ने चीन पर गंभीर आरोप लगाए
21 Mar, 2025 11:48 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
इटली की प्रधानमंत्री जॉर्जिया मेलोनी जहां एक तरफ अपने बयान और एक्शन की वजह से सुर्खियों में रहती है. वहीं अब कनाडा के विदेश मंत्री मेलानी जोली की भी यूरोप से लेकर अमेरिका और एशिया तक चर्चा शुरू हो गई है. दरअसल, मेलानी जोली ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस कर चीन पर गंभीर आरोप लगाया है.
जोली का कहना है कि ड्रग्स तस्करी के आरोप में चीन ने 4 कनाडाई नागरिकों को फांसी पर चढ़ा दिया. मेलानी का कहना था कि चीन ने फांसी देने में अंतरराष्ट्रीय कानूनों का पालन नहीं किया.
चीन से अमेरिका तक पर हमलावर
एक हफ्ते पहले प्रेस कॉन्फ्रेंस कर मेलानी जोली ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप पर निशाना साधा था. जोली का कहना था कि ट्रंप के शासन में कोई भी अमेरिकी सुरक्षित नहीं है. मेलानी ने टैरिफ को लेकर भी ट्रंप पर जमकर निशाना साधा था.
ट्रंप को निशाने पर लेने के बाद मेलानी ने चीन पर भी हमला बोला है. चीन में चल रहे मानवाधिकार हनन पर मेलानी ने पूरी दुनिया को अलर्ट किया है.
कनाडा की मेलानी जोली कौन हैं?
कनाडा के विदेश मंत्री मेलानी जोली 46 वर्ष की हैं. जोली ने राजनीतिक करियर की शुरुआत 2013 में की थी. जोली ऑक्सफोर्ट यूनिवर्सिटी से पढ़ाई कर चुकी हैं. 2015 में पहली बार कनाडा संसद की जोली सदस्य बनी.
कनाडा की राजनीति में जोली को जस्टिन ट्रूडो का करीबी माना जाता है. ट्रूडो की ही सरकार में मेलानी को विदेश विभाग की कुर्सी मिली थी. जोली तेजतर्रार बोलने के लिए सुर्खियों में रहती हैं.
मेलानी जोली अब तक तीन बार कनाडा संसद के चुनाव में उतर चुकी हैं. तीनों ही चुनाव में उन्हें जीत मिली. जोली राजनीति में आने से पहले पेशे से वकील थी. वे कनाडा के पर्यटन विभाग में भी काम कर चुकी हैं.
जोली को कनाडा की सियासत में पीएम पद का दावेदार भी माना जा रहा था, लेकिन उन्होंने टैरिफ की लड़ाई लड़ने के लिए खुद को पीएम पद की दावेदारी से अलग कर लिया, जिसके बाद मार्क कार्नी पीएम पद के लिए नामित हुए.
अमेरिका ने किया खुलासा: उत्तर कोरियाई सैनिक रूस के लिए लड़ रहे हैं
21 Mar, 2025 11:24 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
रूस-यूक्रेन युद्ध को तीन साल हो चुके हैं, लेकिन यह जंग खत्म होने का नाम नहीं ले रही. अस्थाई सीजफायर पर सहमति अभी हाल ही मे बनी थी, मगर अब इसमें एक नया मोड़ आ गया है.
अमेरिका ने पहली बार खुले तौर पर स्वीकार किया है कि उत्तर कोरियाई सैनिक रूस के लिए लड़ रहे हैं. वॉशिंगटन का कहना है कि इन सैनिकों की मौजूदगी ने युद्ध को और लंबा कर दिया है और इसे पहले से ज्यादा खतरनाक बना दिया है.
अमेरिका ने पुतिन से की ये डिमांड
अमेरिकी विदेश मंत्रालय ने बुधवार को चेतावनी भरे लहजे में कहा कि रूस को उत्तर कोरियाई सैनिकों की तैनाती से फायदा हुआ है, जिससे यह संघर्ष और ज्यादा भयावह हो गया है. यह बयान ऐसे समय में आया है जब रूस के उप विदेश मंत्री आंद्रेई रुडेंको हाल ही में प्योंगयांग का दौरा कर लौटे हैं. इस दौरान दोनों देशों के बीच सैन्य सहयोग पर चर्चा हुई थी. जब अमेरिकी विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता टैमी ब्रूस से इस बारे में सवाल किया गया, तो उन्होंने सीधे तौर पर कहा कि उत्तर कोरिया के सैनिक इस जंग को और लंबा कर रहे हैं. अमेरिका ने रूस से मांग की है कि वह प्योंगयांग की सैन्य मदद लेना बंद करे.
कैसे लड़ते हैं उत्तर कोरियाई सैनिक?
उत्तर कोरियाई सैनिकों की लड़ाई का तरीका बेहद खतरनाक और आत्मघाती बताया जा रहा है. वे किसी भी कीमत पर पकड़े नहीं जाना चाहते, इसलिए कई सैनिक खुद के ही नीचे ग्रेनेड फोड़कर आत्महत्या कर लेते हैं. वे हमलों को अंजाम देने के लिए अपने साथी सैनिकों का भी बलिदान करने से पीछे नहीं हटते.
इसके अलावा, तेजी से हमले करने के लिए वे अपने बॉडी आर्मर और हेलमेट तक उतारकर लड़ते हैं. इससे उनकी क्रूरता का अंदाजा लगाया जा सकता है. पश्चिमी खुफिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, अब तक लगभग 12,000 उत्तर कोरियाई सैनिक रूस भेजे जा चुके हैं. इनमें से करीब 4,000 या तो मारे गए हैं या गंभीर रूप से घायल हुए हैं.
कैसे हुई रूस और उत्तर कोरिया की नजदीकी?
बीबीसी की एक रिपोर्ट के मुताबिक 2023 के आखिर में रूस और उत्तर कोरिया के बीच सैन्य सहयोग की शुरुआत हुई थी. यह वही उत्तर कोरिया है, जिस पर रूस ने खुद ही संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में प्रतिबंध लगाए थे. लेकिन जब यूक्रेन के साथ जंग में रूस को गोला-बारूद और मिसाइलों की कमी महसूस हुई, तो उसने उत्तर कोरिया से हथियार खरीदने शुरू कर दिए. बदले में रूस ने उत्तर कोरिया को तेल देना शुरू किया, जो कि संयुक्त राष्ट्र के प्रतिबंधों का उल्लंघन था.
2024 में पुतिन ने प्योंगयांग जाकर किम जोंग-उन से मुलाकात की. इससे पहले पुतिन 2000 में उत्तर कोरिया गए थे, तब वहां किम जोंग-उन के पिता किम जोंग-इल सत्ता में थे. इस दौरान दोनों देशों ने एक रणनीतिक साझेदारी समझौते पर हस्ताक्षर किए, जिसमें लिखा गया कि अगर किसी देश पर युद्ध की स्थिति आती है, तो वे एक-दूसरे की मदद करेंगे. इसके कुछ महीनों बाद ही उत्तर कोरियाई सैनिक रूस के लिए लड़ते दिखे. शुरुआत में रूस और उत्तर कोरिया ने इस तथ्य को नकार दिया कि उत्तर कोरियाई सैनिक रूस-यूक्रेन युद्ध में शामिल हैं. लेकिन अक्टूबर 2024 में पुतिन ने खुद स्वीकार किया कि अब उन्हें उत्तर कोरिया से सिर्फ गोला-बारूद ही नहीं बल्कि सैनिक भी मिल रहे हैं.
अमेरिका का अंडा संकट: राष्ट्रपति ट्रंप के सख्त टैरिफ नीतियों का असर
21 Mar, 2025 11:10 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप अपने सख्त टैरिफ नीतियों से भारत समेत पूरी दुनिया को हिला चुके है. आज वही अमेरिका खुद अंडों की किल्लत से जूझ रहा है. राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने जब वैश्विक बाज़ार में अपनी शर्तें थोपनी शुरू की थीं, तब शायद ही किसी ने सोचा होगा कि एक दिन यही सुपरपावर अपनी बुनियादी ज़रूरतों के लिए छोटे देशों के दरवाजे खटखटाएगा. लेकिन यही हकीकत है. अमेरिका में अंडों का संकट इतना गंभीर हो चुका है कि अब उसे यूरोप के छोटे-छोटे देशों से मदद मांगनी पड़ रही है.
बर्ड फ्लू के कारण लाखों मुर्गियों की मौत हो चुकी है, जिससे अंडों की सप्लाई बुरी तरह प्रभावित हुई है. हालत यह है कि कभी खाने की प्लेटों में भरपूर मौजूद रहने वाला अंडा अब अमेरिका में लग्जरी आइटम बन चुका है. संकट इतना गहरा गया है कि अमेरिका को अब लिथुआनिया जैसे देशों से अंडे मंगवाने की नौबत आ गई है.
कैसे आई अंडों की किल्लत?
पिछले दो महीनों में अमेरिका को घरेलू अंडा संकट से निपटने के लिए कई देशों की ओर रुख करना पड़ा है. इसका कारण है बर्ड फ्लू का गंभीर प्रकोप, जिसने लाखों मुर्गियों की जान ले ली. नतीजा? अंडों की कीमतें आसमान छूने लगीं. एक समय जो अंडा हर अमेरिकी की प्लेट में आसानी से उपलब्ध था, वह अब लग्जरी आइटम बन चुका है.
US से नहीं निकाला जाएगा भारतीय छात्र बदर, सरकार के आड़े आई अदालत
अमेरिका ने पहले फ़िनलैंड, डेनमार्क, स्वीडन और नीदरलैंड से संपर्क किया था. लेकिन फ़िनलैंड ने साफ इनकार कर दिया, और इस पर सोशल मीडिया पर जमकर मज़ाक भी उड़ाया गया. अब ताजा रिपोर्ट के मुताबिक, अमेरिका ने लिथुआनिया से संपर्क किया है ताकि वहां से अंडों का आयात संभव हो सके.
लिथुआनिया बना अमेरिका की नई उम्मीद?
लिथुआनियन पोल्ट्री एसोसिएशन के प्रमुख गाइटिस काउज़ोनस के मुताबिक, अमेरिका के वारसा दूतावास ने लिथुआनिया में अंडों के निर्यात की संभावनाओं पर चर्चा की है. यूरोपीय सोशल मीडिया यूजर्स ने इस खबर पर अमेरिका की जमकर खिल्ली उड़ाई.
कई लोगों ने इसे ट्रंप की कूटनीति और उनकी ‘अहंकारी’ व्यापार नीतियों का नतीजा बताया. एक व्यंग्यात्मक टिप्पणी में तो ये तक लिखा गया कि दुनिया का सबसे महान देश, और अंडे तक नहीं हैं. खैर, हकीकत तो यही है कि अमेरिका फिलहाल अंडों की भारी कमी से जूझ रहा है और अगर यह संकट लंबा चला तो अमेरिकी सरकार को और भी छोटे देशों से हाथ फैलाकर मदद मांगनी पड़ सकती है.
राष्ट्रपति के गोद लिए गांव में हुआ बड़ा घोटाला, पूर्व सरपंच की गिरफ्तारी
20 Mar, 2025 09:12 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
नूंह. हरियाणा के नूंह जिले की ग्राम पंचायत रोजका मेव में 25 करोड़ रुपए के घोटाले के आरोपी पूर्व सरपंच दीन मोहम्मद उर्फ धोना को गिरफ्तार कर लिया गया है. बुधवार को उन्हें जिला कोर्ट में पेश किया गया, जहां कोर्ट ने उन्हें 2 दिन की पुलिस रिमांड पर भेज दिया.
नारनौल पुलिस ने दीन मोहम्मद को तावडू क्षेत्र से गिरफ्तार किया और कोर्ट में पेश किया. अब देखना है कि पुलिस 2 दिन की रिमांड में उनसे क्या जानकारी निकाल पाती है. नूंह के तत्कालीन जिला उपायुक्त धीरेंद्र खडगटा ने एचएसआईआईडीसी के अधिकारियों, बैंक अधिकारियों, जिला राजस्व अधिकारी और रोजका मेव की पूर्व महिला सरपंच खातुनी और सरपंच प्रतिनिधि दीन मोहम्मद पर धोखाधड़ी और गबन के आरोप में पुलिस कार्रवाई के आदेश दिए थे. इसके बाद दीन मोहम्मद को निलंबित कर दिया गया था.
ग्राम पंचायत की वर्तमान सरपंच नाहिदा ने बताया कि दीन मोहम्मद ने 35 करोड़ रुपए का रिकॉर्ड अभी तक नहीं दिया है और पंचायत के 20 खाते खुलवाए थे, जिनमें 35 करोड़ रुपए का फर्जीवाड़ा किया गया. शिकायतकर्ता हाजी अर्जुन ने कहा कि राष्ट्रपति द्वारा गांव रोजका मेव को गोद लेने के बाद करीब 55 करोड़ रुपए का घोटाला हुआ था. घोटाला उजागर होने के बाद दीन मोहम्मद को पद से निलंबित कर दिया गया और मामला दर्ज किया गया.
अब देखना है कि 25 करोड़ के घोटाले के अलावा 35 करोड़ रुपए के रिकॉर्ड की जांच में क्या निकलता है. इस मामले में कई आरोपियों की पहले ही गिरफ्तारी हो चुकी है. दीन मोहम्मद उर्फ धोना अपने रसूखों की वजह से कई साल से बचता आ रहा था, लेकिन अब ईद शायद जेल में मनेगी.
हरियाणा में बनेगा पहला आईआईटी, केंद्र सरकार ने दी सैद्धांतिक मंजूरी
20 Mar, 2025 06:02 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
हरियाणा में जल्दी प्रदेश का पहला इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलाजी (आईआईटी) बनने जा रहा है। केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने हरियाणा में आईआईटी के निर्माण संबंधी प्रस्ताव को सैद्धांतिक मंजूरी प्रदान कर दी है।अब हरियाणा सरकार इस प्रस्ताव को सिरे चढ़ाने के लिए उपयुक्त तथा अनुकूल जमीन की व्यवस्था करेगी। हरियाणा में जमीन मिलना काफी चुनौतीपूर्ण काम है। राज्य में तीन केंद्रीय मंत्रियों मनोहर लाल, कृष्णपाल गुर्जर और राव इंद्रजीत समेत भाजपा के पांच सांसद हैं।
पांच सांसद कांग्रेस के हैं। ऐसे में मनोहर लाल के करनाल, कृष्णपाल गुर्जर के फरीदाबाद, राव इंद्रजीत के गुरुग्राम, चौधरी धर्मबीर सिंह के भिवानी-महेंद्रगढ़ और नवीन जिंदल के कुरुक्षेत्र संसदीय क्षेत्र में से किसी एक में आईआईटी की स्थापना होनी तय है।
IIT के लिए जरूरत पड़ेगी 300 एकड़ जमीन
केंद्र का पत्र मिलने के बाद तकनीकी शिक्षा विभाग के निदेशक की तरफ से प्रदेश के सभी जिला उपायुक्तों को पत्र लिखकर कम से कम 300 एकड़ जमीन आईआईटी के लिए चिन्हित करने को कह दिया गया है। हरियाणा में पहले भी कई बड़ी परियोजनाएं जमीन के अभाव में सिरे नहीं चढ़ सकी हैं। आईआईटी की इस बड़ी परियोजना के लिए एक ही स्थान पर 300 एकड़ जमीन की जरूरत पड़ेगी। अलग-अलग स्थानों पर जमीन का चयन कर प्रदेश सरकार द्वारा प्रस्ताव बनाकर केंद्र को भेजा जाएगा। इसके बाद केंद्रीय मानव संसाधन मंत्रालय की टीम द्वारा हरियाणा का दौरा कर किसी एक जमीन पर प्रोजेक्ट को स्वीकृति दी जाएगी। यह विभाग धर्मेंद्र प्रधान का है, जो कि विधानसभा चुनाव में हरियाणा के प्रभारी भी रहे हैं।
कुरुक्षेत्र में बनने की संभावना अधिक
संभावना जताई जा रही है कि केंद्रीय मंत्री मनोहर लाल ने धर्मेंद्र प्रधान को आईआईटी के लिए राजी किया है। मनोहर लाल करनाल से सांसद हैं, जबकि मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी कुरुक्षेत्र से सांसद रह चुके हैं और कुरुक्षेत्र जिले की लाडवा विधानसभा सीट से विधायक हैं। नायब सैनी करनाल से भी विधायक रह चुके हैं। हालांकि, राज्य के पांचों भाजपा सांसद अपने-अपने क्षेत्र में आईआईटी के लिए कोशिश करते नजर आएंगे, लेकिन संभावना है कि करनाल अथवा कुरुक्षेत्र में कहीं आईआईटी का तोहफा दिया जा सकता है। केंद्र में अपनी मजबूत पकड़ के चलते केंद्रीय राज्य मंत्री कृष्णपाल गुर्जर भी इस प्रोजेक्ट को लपक लें तो कोई हैरानी नहीं होगी। गुरुग्राम समेत इन सभी क्षेत्रों में जमीन काफी महंगी है। भिवानी क्षेत्र में जमीन की उपलब्धता अधिक रहती है, इस बात का फायदा धर्मबीर सिंह उठाने का कोई मौका नहीं छोड़ेंगे।
बलूच लिबरेशन आर्मी का बड़ा ऑपरेशन: बलूचिस्तान में 354 पाकिस्तानी सैनिकों की हत्या का दावा
20 Mar, 2025 02:22 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
बलूचिस्तान में हिंसक झड़पों के बीच बलोच लिबरेशन आर्मी ने ऑपरेशन दारा-ए-बलोन का जिक्र किया है. बलोच आर्मी का कहना है कि इस ऑपरेशन के तहत हमने 354 सैनिकों को मार गिराया है. बलूचिस्तान के इतिहास का इसे सबसे बड़ा ऑपरेशन बताया जा रहा है.
बलूचिस्तान पोस्ट के मुताबिक बलोच लड़ाकों ने इस ऑपरेशन के तहत पहले ट्रेन हाईजैक किया और फिर अलग-अलग जगहों पर पाकिस्तानी सैनिकों को मार गिराया. पाकिस्तान सरकार की तरफ से बीएलए के बयान पर कोई भी प्रतिक्रिया नहीं दी गई है.
कितने सैनिक मरे, फाइनल खुलासा
बलोच लिबरेशन आर्मी का कहना है कि हमारे क्षेत्र को पाकिस्तान ने जबरन कब्जा कर रखा है. यहां से रोज लोग गायब हो रहे हैं. पाकिस्तान की सेना लोगों का अपहरण कर रही है. इसी के खिलाफ हमने दारा-ए-बलोन नाम से ऑपरेशन की शुरुआत की थी.
बलोच लड़ाकों ने इस ऑपरेशन में 354 पाकिस्तानी सैनिकों को मारने का दावा किया है. दावे के मुताबिक मरने वाले जवानों में 41वें डिवीजन से 45, 17वीं पीओके रेजिमेंट से 56, ईएमई सेंटर से 47, 25वीं बलूच रेजिमेंट से 15, 6वीं आर्मर्ड रेजिमेंट से 26 और इन्फैंट्री स्कूल से 25 जवान शामिल थे.
बलोच आर्मी ने अपने बयान में कहा है कि इस तरह का ऑपरेशन आगे भी चलाया जाएगा. हमारा ऑपरेशन सफल रहा है. पाकिस्तान की सेना ज्यादा दिनों तक बलूचिस्तान में राज्य नहीं कर पाएगी.
समर्थन पर भी लगाई लताड़
ट्रेन हाईजैक को लेकर पाकिस्तान ने अफगानिस्तान और भारत पर आरोप लगाया था. बलोच लड़ाकों का कहना है कि यह सब बेबुनियाद है. पाकिस्तान की सेना खुद आतंकियों को पाल रही है. दाऊद और हाफिज जैसे दुनिया के मोस्ट वाटेंड पाकिस्तान में बैठे हैं.
बलोच सेना का कहना है कि हमारे पास लोगों का जनसमर्थन है और इसी के बूते हम पाकिस्तानी सैनिकों को पिट रहे हैं. बलोच ने अफगानिस्तान से अपना संबंध काफी पुराना बताया है. संगठन का कहना है कि ज्यादती के खिलाफ अफगानिस्तान अगर समर्थन करता है तो इसमें गलत कुछ भी नहीं है.