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साउथ कोरिया में पीएम हान डक-सू के महाभियोग पर अदालत ने दिया ऐतिहासिक फैसला
24 Mar, 2025 12:30 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
साउथ कोरिया की संवैधानिक अदालत ने प्रधानमंत्री हान डक-सू के महाभियोग को खारिज करने और उनकी शक्तियों को बहाल करने का फैसला सुनाया है। जो दो महीने से अधिक समय पहले कार्यवाहक राष्ट्रपति के रूप में उनके महाभियोग के बाद देश की राजनीतिक उथल-पुथल में नया मोड़ है।
हान ने राष्ट्रपति यून सूक येओल का स्थान लेते हुए कार्यवाहक नेता का पदभार संभाला, जिन पर पिछले साल अल्पकालिक मार्शल लॉ की घोषणा के कारण महाभियोग चलाया गया था। इस सिलसिले में पिछले हफ्ते दक्षिण कोरिया के सोल में शनिवार को हजारों समर्थक और प्रदर्शनकारी इकट्ठा हुए थे।
दो हफ्ते पहले संभाला था PM का पद
प्रधानमंत्री हान दो सप्ताह से भी कम समय तक पद पर रहे और 27 दिसंबर को संवैधानिक न्यायालय में तीन और न्यायाधीशों की नियुक्ति से इनकार करने पर विपक्ष के नेतृत्व वाली संसद के साथ टकराव के बाद उन्हें महाभियोग लगाया गया और निलंबित कर दिया गया। न्यायालय के न्यायाधीशों ने महाभियोग को खारिज करने के लिए सात से एक के बहुमत से फैसला सुनाया।
PM हान डक-सू पर क्या थे आरोप?
75 वर्षीय हान ने रूढ़िवादी और उदारवादी दोनों ही तरह के पांच राष्ट्रपतियों के अधीन तीन दशकों से अधिक समय तक नेतृत्व के पदों पर काम किया था। फिर भी, विपक्ष के नेतृत्व वाली संसद ने उन पर मार्शल लॉ घोषित करने के यून के फैसले को विफल करने के लिए पर्याप्त कदम नहीं उठाने का आरोप लगाया, एक आरोप जिसे उन्होंने नकार दिया।
राष्ट्रपति यून सुक येओल के खिलाफ महाभियोग
संवैधानिक न्यायालय ने सोमवार को कहा कि उसने हान के महाभियोग को पलटने का फैसला किया है,
कोर्ट ने अभी तक राष्ट्रपति यून के महाभियोग पर फैसला नहीं सुनाया है।
अब ऐसे में अगर न्यायालय यून के महाभियोग को बरकरार रखता है, तो दक्षिण कोरिया को नए राष्ट्रपति के लिए चुनाव कराना होगा।
अगर न्यायालय उनके पक्ष में फैसला सुनाता है, तो यून को पद पर बहाल कर दिया जाएगा और उन्हें राष्ट्रपति पद की अपनी शक्तियां वापस मिल जाएंगी।
यून के बाद बारी आई PM हान की
राष्ट्रपति यून के बाद दक्षिण कोरिया की मुख्य विपक्षी डेमोक्रेटिक पार्टी दिसंबर 2024 में प्रधानमंत्री और कार्यवाहक राष्ट्रपति हान डक-सू के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव लेकर आई। पूर्व राष्ट्रपति यून सूक योल की ओर से लगाए गए मार्शल लॉ समर्थन करने और योल के खिलाफ जांच को मंजूरी न देने पर विपक्षी दल ने संसद में यह प्रस्ताव पारित किया था।
विस्कॉन्सिन में ट्रंप समर्थक की पत्नी की गिरफ्तारी, इमिग्रेशन नीति पर असर
24 Mar, 2025 11:45 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
अमेरिका में डोनाल्ड ट्रंप के समर्थन में विस्कॉन्सिन के ब्रैडली बार्टेल ने 2016 में वोट दिया था, लेकिन उनकी इन नीतियों का असर उनकी पत्नी पर पड़ता दिखाई दे रहा है। कानूनी रूप से अमेरिकी नागरिक बनने की प्रक्रिया में होने के बावजूद, उनकी पत्नी को सैन जुआन एयरपोर्ट पर इमिग्रेशन अधिकारियों ने गिरफ्तार कर लिया है। इसको लेकर ब्रैडली बार्टेल ने कहा, उन्हें अपने फैसले पर कोई पछतावा नहीं है।
ब्रैडली बार्टेल की पत्नी कैमिला मुनोज जो पेरू की नागरिक हैं ने अपना वीजा खत्म होने के बाद भी अमेरिका में स्थायी निवास प्राप्त करने की दिशा में काम किया है। अपनी कठिनाइयों के बावजूद, बार्टेल अभी भी ट्रंप का समर्थन करते हैं, जिन्होंने अमेरिकी इतिहास में सबसे बड़े निर्वासन का संकल्प लिया है।
'मैंने सिस्टम नहीं बनाया है'
बार्टेल ने बताया,'मुझे वोट पर कोई पछतावा नहीं है।'बार्टेल ने आगे कहा, 'उन्होंने सिस्टम नहीं बनाया, लेकिन उनके पास इसे सुधारने का अवसर है। उम्मीद है कि यह सारा ध्यान इस बात को सामने लाएगा कि यह कितना टूटा हुआ है।'
वर्क-स्टडी वीजा पर विस्कॉन्सिन आई थीं पत्नी
मुनोज 2019 में वर्क-स्टडी वीजा पर विस्कॉन्सिन डेल्स पहुंचीं, जो कोविड-19 के कारण अंतर्राष्ट्रीय यात्रा पर रोक लगने के कारण समाप्त हो गया था। उन्होंने खेती और हॉस्पिटेलिटी में काम किया, जहां उनकी मुलाकात मिस्टर बार्टेल से हुई।
शुरू में उनका फोन नंबर खोने के बाद, बाद में उन्होंने फेसबुक पर उनसे फिर से संपर्क किया और उनके बीच एक गंभीर रिश्ता शुरू हुआ। इस कपल ने आखिरकार शादी कर ली, लेकिन महामारी के कारण अपने हनीमून में देरी कर दी।
क्या है पूरा मामला?
फरवरी में, वे हनीमून के लिए प्यूर्टो रिको गए। वापस लौटने पर, इमिग्रेशन एजेंटों ने मुनोज से उनकी नागरिकता की स्थिति के बारे में पूछा। जब उन्होंने बताया कि वह ग्रीन कार्ड प्राप्त करने की प्रक्रिया में हैं, तो उन्हें हिरासत में ले लिया गया। अब उन्हें लुइसियाना में एक ICE सुविधा में रखा गया है।
बार्टेल ने अपनी पत्नी की हिरासत को देखने के दुख का वर्णन किया। उन्होंने कहा, 'यह सब किसी बुरे सपने से कम नहीं है, हमारे पास एक वकील है। सिस्टम बहुत अक्षम है, इसलिए इसमें जितना समय लगना चाहिए, उससे ज्यादा समय लग रहा है।
दक्षिण कैरोलिना में जंगल की आग पर नियंत्रण पाने के लिए की आपातकाल की घोषणा
24 Mar, 2025 10:57 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
वाशिंगटन। अमेरिका के उत्तरी कैरोलिना में जंगल की आग भड़क उठी है। गंभीरता को देखते हुए यहां की एक काउंटी में लोगों को अनिवार्य रूप से निकालने के लिए मजबूर होना पड़ा। वहीं, दक्षिण कैरोलिना के गवर्नर ने बढ़ती जंगल की आग के कारण आपातकाल की घोषणा की।
आपातकालीन दल उस क्षेत्र में आग पर काबू पाने का प्रयास कर रहे हैं, जो अब भी तूफान हेलेन से उबर रहा है। यह क्षेत्र सितंबर में तूफान हेलेन से बुरी तरह प्रभावित हुआ था। तूफान ने 8,046 किलोमीटर सड़कों को क्षतिग्रस्त करने के साथ ही पुलों और पुलियों को नुकसान पहुंचाया था।
पोल्क काउंटी में अनिवार्य निकासी की घोषणा
उत्तरी कैरोलिना के सार्वजनिक सुरक्षा विभाग ने शनिवार रात 8:20 बजे (स्थानीय समय) से चार्लोट से लगभग 129 किलोमीटर पश्चिम में स्थित पश्चिमी उत्तरी कैरोलिना के पोल्क काउंटी के कुछ हिस्सों के लिए अनिवार्य निकासी की घोषणा की।
चेतावनी में कहा गया कि क्षेत्र में दृश्यता कम हो जाएगी और निकासी मार्ग अवरुद्ध हो सकते हैं। आप अभी नहीं निकलते हैं, तो फंस सकते हैं, घायल हो सकते हैं या मारे जा सकते हैं। वन सेवा के ऑनलाइन वाइल्डायर पब्लिक व्यूअर ने पोल्क काउंटी में तीन सक्रिय आग का संकेत दिया है, जिनमें से दो सबसे बड़ी 1,100 और 1,240 एकड़ के बीच फैली हुई थीं।
दो अन्य निकटवर्ती बर्क और मैडिसन काउंटियों में सक्रिय थीं। वर्जीनिया की उत्तरी सीमा पर स्टोक्स काउंटी में भी आग भड़क उठी है। दक्षिण कैरोलिना में गवर्नर हेनरी मैकमास्टर ने पिकेंस काउंटी में टेबल राक फायर नामक आग को रोकने के प्रयास के तहत आपातकाल की स्थिति घोषित की। उन्होंने कहा कि जंगल की आग फैलती जा रही है।
हूती विद्रोहियों ने इजरायल पर बैलेस्टिक मिसाइल से किया हमला, हवाई यातायात ठप
24 Mar, 2025 10:50 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
दोहा। गाजा, लेबनान और सीरिया में फिर शुरू हुए इजरायली हमलों के बाद अमेरिका अपना दूसरा विमानवाहक युद्धपोत यूएसएस हैरी एस ट्रूमैन को पश्चिम एशिया भेज रहा है।
जबकि यमन के नजदीक लाल सागर में अमेरिकी विमानवाहक पोत यूएसएस कार्ल विंसन अपने विध्वंसकों के साथ पहले से तैनात है। इस बीच अमेरिकी सेना ने रविवार को एक बार फिर हूती विद्रोहियों के कब्जे वाले यमन पर हवाई हमले किए।
होदेदा हवाई अड्डे को बनाया निशाना
इस बार होदेदा शहर के हवाई अड्डे को निशाना बनाया गया और वहां पर कुछ देर के अंतर पर तीन बार हमले किए गए। अमेरिकी विमानों ने सहर और किताफ शहरों पर भी बमबारी की। इसी प्रकार से मारिब प्रांत के मजार शहर पर भी हमले हुए।
सऊदी अरब के सरकारी टेलीविजन चैनल अल अरेबिया और अल हादत ने बताया है कि अमेरिकी हमले में हूती की नौसेना का कमांडर मंसूर अल-सादी मारा गया है। अमेरिका ने कहा है कि हमलों में हूती के अड्डों को निशाना बनाया गया है।
हाउती का इजरायल पर मिसाइल हमला
रविवार को ही हूती विद्रोहियों ने यमन से इजरायल पर बैलेस्टिक मिसाइल हमला किया। हूती ने बताया है कि तेल अवीव के बेन गुरियन हवाई अड्डे को निशाना बनाकर दागी गई मिसाइल से हुए नुकसान का पता नहीं चला है।
लेकिन उसके चलते इजरायल का हवाई यातायात आधा घंटे से ज्यादा ठप रहा। जबकि इजरायल ने कहा है कि उसने यमन की ओर से आई मिसाइल को आकाश में ही नष्ट कर दिया।
चंद्रयान-3 ने चंद्रमा पर पानी और बर्फ की खोज की दिशा में बढ़ाया कदम
23 Mar, 2025 04:06 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
चंद्रयान-3 ने चंद्रमा पर पानी और बर्फ की खोज की दिशा में एक अहम उपलब्धि हासिल की है। चंद्रमा की सतह तापीय भौतिकी प्रयोग से पानी और बर्फ की खोज में एक कदम बढ़ा दिया है। विक्रम लैंडर द्वारा किए गए इस प्रयोग ने चांद की उच्च अक्षांश वाली मिट्टी से असाधारण इन-सीटू तापमान माप प्रदान किए हैं, जिससे चांद के तापीय वातावरण के साथ पानी और बर्फ के जमा होने की संभावना जागी है।
इसरो के भौतिक अनुसंधान प्रयोगशाला के दुर्गा प्रसाद ने मीडिया को बताया कि पानी और बर्फ का पता लगाना चंद्रमा पर इंसानों के जीवन की संभावना और आगे बढ़ाने का एक अहम कदम है। चांद के तापमान न केवल पानी और बर्फ को निर्धारित करते हैं, बल्कि यह अन्य वैज्ञानिक और अन्वेषण पहलुओं को भी प्रभावित करते हैं।।
चंद्रयान-3 मिशन से नई जानकारी को एक पत्रिका में प्रकाशित भी किया गया है। चांद के दक्षिणी ध्रुव क्षेत्र में तापमान मापे हैं जो कि अपेक्षित 330के से 25के ज्यादा था। वैज्ञानिकों का मानना है कि यह वृद्धि लैंडर के सूरज की ओर झुके 6 डिग्री के स्थानीय ढलान पर स्थित होने के कारण बनी है। अवलोकनों के आधार पर टीम का कहना है कि 14 डिग्री से ज्यादा ढलान वाले बड़े पोलर क्षेत्रों में पानी और बर्फ के स्थिर जमा होने की संभावना है। ये क्षेत्र कम सौर विकिरण प्राप्त करते हैं और इसलिए तापमान कम बनाए रखते हैं, जिससे वे भविष्य के चांदी अन्वेषण और संभावित मानव जीवन के लिए ज्यादा उपयुक्त हैं।
चांद पर पानी की खोज और इसके संभावित उपयोग के लिए कई देशों की अंतरिक्ष एजेंसियां नजरें गड़ाए हुए हैं। चंद्रयान-3 से प्राप्त परिणाम भविष्य के चांद मिशनों और स्थायी मानव जीवन की संभावनाओं को आकार देने में अहम भूमिका निभा सकते हैं।
एलन मस्क ने की चीन से संभावित युद्ध को लेकर बैठक, अमेरिका में मचा बवाल
23 Mar, 2025 11:27 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
वाशिंगटन। डोनाल्ड ट्रंप को अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव जीतवाने में एलन मस्क का बड़ा योगदान रहा है। अब एलन मस्क अमेरिका में सुपर प्रेसिडेंट की तरह काम कर रहे हैं। वह बिना किसी संवैधानिक पद के अमेरिकी प्रशासन के गोपनीय फैसलों और तैयारियों का जायदा ले रहे हैं जिसको लेकर वहां बवाल मच गया है। हालांकि बवाल के बाद राष्ट्रपति ट्रंप मस्क का बचाव करने सामने में आए हैं।
अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप ने उन खबरों को खारिज कर दिया हैं, जिनमें कहा गया था कि डॉज के प्रमुख एलन मस्क को पेंटागन में चीन के साथ संभावित युद्ध की अमेरिकी सैन्य योजनाओं की जानकारी दी गई थी। ट्रंप ने ओवल ऑफिस से कहा कि मैं ऐसी योजनाएं किसी को नहीं दिखाना चाहता। हम चीन के साथ संभावित युद्ध की बात कर रहे हैं। हम ऐसा युद्ध नहीं चाहते, लेकिन अगर ऐसा हुआ, तो हम इसके लिए तैयार हैं।
ट्रंप ने यह बात तब कही जब लोग अनुमान लगा रहे थे कि मस्क शुक्रवार सुबह पेंटागन में क्यों गए थे। वहां उन्होंने रक्षा मंत्री पीट हेग्सेथ के साथ एक घंटे से ज्यादा समय तक बैठक की। मीडिया रिपोर्ट में बताया गया था कि मस्क को चीन के साथ संभावित संघर्ष की सैन्य योजना की जानकारी दी जा रही थी, लेकिन पेंटागन के अधिकारियों ने सोशल मीडिया पर इस खबर को सिरे से नकार दिया।
ट्रंप ने कहा था कि मस्क के चीन में अपने कारोबारी हित हैं, इसलिए अगर उन्हें युद्ध की योजना की जानकारी दी गई तो यह हितों के टकराव का कारण बन सकता है। ट्रंप ने कहा कि मैं ऐसी चीजें किसी को नहीं दिखाना चाहता, खासकर एक ऐसे व्यवसायी को जो हमारी इतनी मदद कर रहा है। एलन के चीन में कारोबार हैं, और शायद वह इसके प्रति संवेदनशील हो सकते हैं, लेकिन यह खबर पूरी तरह झूठी थी।
रिपोर्ट में दावा किया गया है कि एलन मस्क, जो ट्रंप के अधीन एक विशेष सरकारी कर्मचारी के रूप में काम कर रहे हैं, उनके पास शीर्ष गोपनीय सुरक्षा मंजूरी है। यह बैठक ऐसे समय हुई जब पेंटागन सैन्य नेतृत्व में बड़ी कटौती पर विचार कर रहा है, क्योंकि ट्रंप प्रशासन सरकार का आकार छोटा करना चाहता है। बताया जा रहा है कि रक्षा विभाग मस्क की डॉज के साथ मिलकर विभाग में धोखाधड़ी और बर्बादी का पता लगाने का काम करेगा।
मस्क ने पेंटागन में हेग्सेथ के साथ बैठक की थी बैठक के बाद मस्क ने कहा था कि बैठक शानदार होती है। मस्क ने मजाक में कहा कि मैं पहले भी यहां आ चुका हूं। दोनों हंसते हुए सीढ़ियों से नीचे चले गए, लेकिन यह नहीं बताया कि क्या उन्होंने चीन के बारे में बात की या यह कोई गोपनीय बैठक थी। मस्क के जाने के बाद हेग्सेथ से पूछा कि उन्होंने क्या चर्चा की, तो हेग्सेथ ने कहा कि मैं आपको क्यों बताऊं? उन्होंने कहा कि एलन मस्क एक देशभक्त अमेरिकी हैं और मैं उनकी सराहना करता हूं, लेकिन यह नहीं बताया कि उन्होंने क्या बात की।
क्यूबा, हैती, निकारागुआ और वेनेजुएला पर टूटा ट्रंप का कहर
23 Mar, 2025 10:26 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
वॉशिंगटन। डोनाल्ड ट्रंप प्रशासन ने ऐलान किया है कि वो संयुक्त राज्य अमेरिका में क्यूबाई, हैती, निकारागुआ और वेनेज़ुएला के कानूनी संरक्षण को रद्द करेगा। इस फैसले का असर यह होगा कि संभवत: 530,000 लोगों को करीब एक महीने के अंदर अमेरिका छोडऩा पड़ सकता है।अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप अवैध प्रवासियों पर लगातार अपनी कार्रवाई तेज कर रहे हैं। इन चार देशों के अप्रवासी अक्टूबर 2022 में फाइनेंसियल स्पॉन्सर के साथ संयुक्त राज्य अमेरिका में आए थे। इन्हें अमेरिका में रहने और काम करने के लिए दो साल का परमिट दिया गया था। अब होमलैंड सुरक्षा विभाग ने ऐलान किया है कि ऐसे लोग 24 अप्रैल को संघीय रजिस्टर में नोटिस प्रकाशित होने के 30 दिन बाद अपने लीगल स्टेटस को गंवा देंगे।
दो साल की दी गई थी पैरोल
इस कदम का व्यापक असर माना जा रहा है। पूर्व राष्ट्रपति जो बाइडेन के कार्यकाल में इन प्रवासियों को दो साल की पैरोल दी गई थी, जो अब प्रभावी रूप से समाप्त हो गई है। चारों देशों के नागरिकों को अमेरिकी स्पॉन्सर के साथ हवाई मार्ग से अमेरिका में प्रवेश करने की अनुमति मिली थी।
ट्रंप प्रशासन ने पैरोल समाप्त करने का लिया निर्णय
मानवीय पैरोल सिस्टम लंबे समय से चला आ रहा एक लीगल सिस्टम है, जिसका उपयोग राष्ट्रपतियों ने उन देशों के लोगों को अनुमति देने के लिए किया है जहां युद्ध या राजनीतिक अस्थिरता है। ऐसे में ये लोग अमेरिका में प्रवेश कर सकते हैं और अस्थायी रूप से रह सकते हैं। ट्रंप प्रशासन ने इस सिस्टम में व्यापक दुरुपयोग का आरोप लगाते हुए इसे समाप्त करने का निर्णय लिया है। होमलैंड सुरक्षा विभाग ने कहा कि अमेरिका में रहने के लिए वैध आधार के बिना यानी पैरोल पर आए लोगों को अपनी पैरोल समाप्ति तिथि से पहले अमेरिका छोड़ देना चाहिए। ट्रंप प्रशासन द्वारा पांच लाख प्रवासियों का लीगल स्टेटस रद्द करने के निर्णय से कई लोगों को निर्वासन का सामना करना पड़ सकता है। हालांकि, यह स्पष्ट नहीं है कि पैरोल प्रोग्राम के तहत अमेरिका में प्रवेश करने वाले कितने लोगों ने तब से सुरक्षा या लीगल स्टेटस के ऑप्शन हासिल किए हैं।
लंदन का हीथ्रो एयरपोर्ट 18 घंटे बाद खुला
23 Mar, 2025 09:24 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
लंदन। ब्रिटेन की राजधानी लंदन में हीथ्रो एयरपोर्ट 18 घंटे बाद खुल गया। ब्रिटिश एयरवेज की फ्लाइट यहां पर लैंड हुई। दरअसल एयरपोर्ट के पास एक इलेक्ट्रिकल सबस्टेशन में गुरुवार रात आग लग गई थी। जिससे एयरपोर्ट का ऑपरेशन बंद करना पड़ा था। बंद के चलते 1350 फ्लाइट्स सस्पेंड हुई, जिनसे 2 लाख 91 हजार पैसेंजर्स प्रभावित हुए। आग वेस्ट लंदन के हेस में लगी थी। इस वजह से 5 हजार से ज्यादा घरों की बिजली गुल हुई। ब्रिटेन की काउंटर टेररिज्म पुलिस इस मामले की जांच कर रही है। पुलिस ये पता लगाने की कोशिश कर रही है कि सबस्टेशन पर लगी आग के पीछे किसी का कोई गलत इरादा तो नहीं था।
पाकिस्तान में न जनता सुरक्षित न मुर्दे
23 Mar, 2025 08:23 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
इस्लामाबाद। आतंक की आग में झुलस रहे पाकिस्तान में अब अस्पताल में रखे शव भी सुरक्षित नहीं हैं। बलूच लिबरेशन आर्मी के विद्रोही पाकिस्तान में ट्रेन हाईजैक के दौरान अपने मारे गए साथियों के शव अस्पताल पर हमला कर ले भागे।
ट्रेन हाईजैक के बाद सेना द्वारा की कई कार्रवाई में कई बलूच विद्रोही मारे गए थे, जिनके शव बलूचिस्तान की प्रांतीय राजधानी क्वेटा के सिविल अस्पताल में रखे गए थे। कल बड़ी संख्या में बलूच विद्रोही अस्पताल पर हमला कर अपने साथियों के शव ले भागे। इस दौरान उनका विरोध करने वाला कोई मौजूद नहीं था। सेना के जो जवान अस्पताल की सुरक्षा में लगाए गए थे, वे भी बड़ी तादाद में पहुंचे बलूच विद्रोहियों से डरकर दुबक गए। उधर, अस्पताल में लापता व्यक्तियों के परिजनों का भी तांता लगा हुआ है और वे लोग शवों की पहचान करने की अनुमति देने की मांग कर रहे हैं। इस घटना में कुछ यात्रियों की भी मौत हुई थी, लेकिन सेना द्वारा केवल विद्रोहियों के मारे जाने की पुष्टि की गई है।
यज्ञ में बासी भोजन पर गुस्से का विरोध, सुरक्षा गार्डों की गोलीबारी
22 Mar, 2025 07:17 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
हरियाणा के कुरुक्षेत्र में यज्ञ के दौरान फायरिंग की घटना सामने आई है. गोली लगने से एक युवक घायल हुआ है. कार्यक्रम स्थल पर पत्थरबाजी और लाठियां भी चली हैं. एक युवक के सिर में पत्थर लगा है. यज्ञ में अलग-अलग राज्यों से ब्राह्मण बुलाए गए थे. सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, यज्ञ में शामिल हुए ब्राह्मणों पर लाठियां भांजी गई हैं. बाबा के बाउंसर पर गोलियां चलाने का आरोप है. घटना के पीछे बासी भोजन को लेकर हुआ विवाद बताया जा रहा है.
यज्ञ के दौरान गोली लगने से घायल होने वाले का नाम नाम आशीष बताया जा रहा है, जो उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ का रहने वाला है. उसकी जांघ में गोली लगी है. वही, दूसरा युवक प्रिंस है, जिसके सिर पर पत्थर लगा है. वह लखीमपुर खीरी का रहने वाला बताया गया है. घटना कुरुक्षेत्र के केशव पार्क में आयोजित महायज्ञ में सुबह की है. यज्ञ में आए ब्राह्मणों पर बाउंसरों द्वारा फायरिंग की गई, जिसमें एक ब्राह्मण गंभीर रूप से घायल हो गया. यज्ञ स्थल पर तोड़फोड़ भी की गई है.
ब्राह्मणों को दिया बासी खाना
मिली जानकारी के अनुसार, यज्ञ में शामिल ब्राह्मणों को बासी भोजन परोसा गया, जिसका उन्होंने विरोध किया. लगातार हो रहे विरोध के चलते सुबह आयोजकों के सुरक्षा गार्डों और ब्राह्मणों के बीच बहस हो गई. देखते ही देखते माहौल गरमा गया और गार्डों ने गुस्से में फायरिंग कर दी. इस हमले में लखनऊ से आए आशीष नामक ब्राह्मण को गोली लग गई. घायल को तुरंत एलएनजेपी अस्पताल ले जाया गया, जहां उनका इलाज चल रहा है.
बाब के बाउंसरों ने कराया बवाल!
केशव पार्क में 18 मार्च से 1008 कुंडीय शिव-शक्ति महायज्ञ आरंभ हुआ था. इसमें देश भर से 1500 से ज्यादा ब्राह्मणों को बुलाया गया था. इन ब्राह्मणों के ठहरने और खाने-पीने की व्यवस्था यज्ञ के आयोजकों ने की. ब्राह्मणों का आरोप है कि पहले दिन ने बाबा के सुरक्षा गार्ड (बाउंसर) उनके साथ किसी न किसी बात को लेकर परेशान कर रहे थे. कभी भी किसी के साथ मारपीट कर देते थे. कोई घूमता दिखाई देता तो उसे भी थप्पड़ या डंडा मार देते थे. यह यज्ञ 27 मार्च तक चलना है. इसमें बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष मोहन लाल, पूर्व मंत्री सुभाष सुधा, राम विलास शर्मा, सीएम नायब सैनी की धर्मपत्नी सुमन सैनी, पूर्व सांसद सुनीता दुग्गल समेत पार्टी के नेता शिरकत कर चुके हैं.
कौन हैं यज्ञ कराने वाले स्वामी हरिओम?
अपने आपको यज्ञ सम्राट कहने वाले स्वामी हरिओम स्वामी हरिओम ने 108 यज्ञ करवाने का संकल्प लिया हुआ है. कुरुक्षेत्र के थीम पार्क में यह 102 वां महायज्ञ था, जिसमें यज्ञ करवाने के लिए बुलाए गए ब्राह्मणों पर गोलियां चलाने से विघ्न पड़ गया. इससे पहले भी स्वामी दो बार कुरुक्षेत्र के इसी केशव पार्क में यज्ञ कर चुके हैं. पहले यज्ञ में बरसात के पानी से यज्ञ कुंड डूब गए थे और जलधारा से विघ्न पड़ा था. उसके बाद दूसरे यज्ञ में अग्निकांड होने से यज्ञ में विघ्न हुआ था. वहीं, अब तीसरे महायज्ञ में गोलीकांड से विघ्न पड़ गया.
सेना की वर्दी में रहते हैं बाउंसर
विश्व कल्याण हेतु महायज्ञ करवाने का दावा करने वाले स्वामी हरिओम अपने साथ बाउंसर लेकर चलते हैं, जो उनके साथ भारतीय सेना की वर्दी में तैनात रहते हैं. यह असली है या नकली है यह भी संदेह के घेरे में है. कुरुक्षेत्र में स्वामी जी संघ से जुड़े शिक्षा विभाग में सेवारत एक कर्मचारी के निवास पर आकर अक्सर रुकते हैं. यह कर्मचारी सरकारी सेवा में आने से पहले गीता निकेतन आवासीय विद्यालय में अपनी सेवाएं दे चुका है.
रमजान में चीनी की डिमांड बढ़ी, पाकिस्तान में खुदरा बाजार में 180 रुपये प्रति किलो बिक रही चीनी
22 Mar, 2025 03:30 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
पाकिस्तान में चीनी की कीमतों को लेकर हाहाकार मचा हुआ है. रमजान के महीने में पाकिस्तान में चीनी की खपत अधिक होने के कारण डिमांड काफी ज्यादा बढ़ गई है, लेकिन आपूर्ति कम होने के कारण खुदरा बाजार में चीनी 180 पाकिस्तानी रुपये प्रति किलो मिल रही है. हालांकि पाकिस्तान के उप प्रधानमंत्री इशाक डार ने कुछ दिनों पहले चीनी की कीमतों पर बढ़ोत्तरी को लेकर चेतावनी दी थी. उन्होंने कहा था कि पाकिस्तान में चीनी की कीमतें 164 रुपये प्रति किलोग्राम की तय सीमा को पार नहीं करनी चाहिए. लेकिन पाकिस्तान के खुदरा बाजारों में 180 रुपये की बिक्री के साथ चीनी की आसमान छू रहीं हैं.
कार्रवाई के बाद कीमत में आई मामूली गिरावट
कराची होलसेलर्स ग्रॉसर्स एसोसिएशन (KWGA) के अध्यक्ष ने कहा, "पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने 15 मार्च को चीनी जमाखोरों पर कार्रवाई की घोषणा की. इसके बाद कराची में चीनी की थोक कीमत 168 रुपये से घटकर 158 रुपये प्रति किलोग्राम हो गई." उन्होंने कहा, "हालांकि, चीनी की थोक कीमत में 10 रुपये की मामूली गिरावट भी खुदरा विक्रेताओं को चीनी की कीमतों से फायदा कमाने से रोकने में असफल रही. वहीं, रमजान का महीना होने के कारण चीनी की डिमांड में काफी ज्यादा बढ़ोत्तरी हुई है."
कीमत को स्थिर करने में सरकार हुई नाकाम
रउफ इब्राहिम ने आगे कहा, "पाकिस्तान की शहबाज शरीफ सरकार देश में चीनी की कीमत को स्थिर करने और उपभोक्ताओं को 130 रुपये प्रति किलोग्राम के सुनिश्चित दर से चीनी उपलब्ध कराने में नाकाम साबित हुई है." उन्होंने कहा, "पाकिस्तान में चीनी की बढ़ी कीमतों के कारण सबसे ज्यादा नुकसान चीनी के खुदरा विक्रेता उठा रहे हैं. वहीं, सरकार चीनी मिल मालिकों पर सिर्फ आरोप लगा रही है, कोई कार्रवाई नहीं कर रही है."
पानीपत में गोली मारकर जेजेपी नेता रविंद्र मिन्ना की हत्या, अपराधियों की तलाश जारी
22 Mar, 2025 02:53 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
हरियाणा के पानीपत में जननायक जनता पार्टी (जेजेपी) नेता रविंद्र मिन्ना की गोली मारकर हत्या कर दी गई है. इस वारदात को विकास नगर में अंजाम दिया गया है. बताया जा रहा है कि मिन्ना के सिर में गोली मारी गई है. फायरिंग में दो अन्य लोग भी घायल हुए हैं, जिनको अस्पताल में भर्ती कराया गया है. अभी तक हमलावरों का पता नहीं चल सका है.
साल 2014 के विधानसभा चुनाव में जननायक जनता पार्टी ने रविंद्र मिन्ना को पानीपत शहर सीट से टिकट दिया था. हालांकि, उनका टिकट काटकर बाद में भारतीय जनता पार्टी प्रत्याशी रोहिता रेवड़ी को समर्थन दे दिया था. इसके साथ ही रविंद्र भी भाजपा में शामिल हो गए थे. हालांकि, कुछ समय बाद उन्होंने भारतीय जनता पार्टी को अलविदा कहकर फिर से जेजेपी का दामन थाम लिया था.
14 मार्च को भाजपा नेता सुरेंद्र की हत्या हुई थी
हरियाणा में इस साल नेताओं की हत्या से जुड़ा ये तीसरा बड़ा मामला है. इसी महीने 14 मार्च को भाजपा नेता सुरेंद्र जवाहर की हत्या हुई थी. इस वारदात को सोनीपत जिले के जवाहरा गांव में अंजाम दिया गया था. भाजपा नेता और मुंडलाना मंडल अध्यक्ष सुरेंद्र जवाहर की हत्या उनके पड़ोसी ने गोली मारकर की थी. इस वारदात के बाद ये बात सामने आई थी कि हत्याकांड को जमीन विवाद के चलते अंजाम दिया गया.
24 जनवरी को बसपा नेता हरबिलास की हत्या
भाजपा नेता के मर्डर से पहले 24 जनवरी को बसपा नेता हरबिलास रज्जूमाजरा की हत्या कर दी गई थी. उन्हें अंबाला के नारायणगढ़ में आहलूवालिया पार्क के पास गोली मारी गई थी. हमलावरों ने उनकी कार पर ताबड़तोड़ फायरिंग की थी, जिससे उनकी छाती में 5 गोलियां लगी थीं. इस हमले में उनके दो साथी भी घायल हुए थे.
पाकिस्तान में बीएलए हमलों से बिगड़े हालात, आर्मी चीफ का प्रधानमंत्री पर आरोप
22 Mar, 2025 01:01 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
पाकिस्तान में हर तरफ हलचल है. कहीं बमबारी हो रही तो कहीं अज्ञात बंदूकधारी का खौफ है. कहीं पाक आर्मी खून के आंसू रो रही तो कहीं आवाम भूखे मर रही. पाकिस्तान की हालत पूरी तरह पस्त है. बीएलए यानी बलूचिस्तान लिब्रेशन आर्मी ने सरकार और सेना दोनों की बैंड बजा रखी है. आर्मी चीफ मुनीर हों या प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ, सबकी बीएलए ने नींद उड़ा रखी है. पाकिस्तान में सुरक्षा ताक पर है. कहीं भी बीएलए के लड़ाके या अज्ञात बंदूकधारी किसी को टपका दे रहे. पाकिस्तानी आर्मी से चीजें कंट्रोल नहीं हो रहीं. पाकिस्तान की सुरक्षा की जिम्मेदारी आर्मी चीफ जनरल असीम मुनीर पर है. मगर अब वह पाक को सेफ करने के बदले ब्लेम गेम वाला खेल खेलने लगे हैं. यह डर्टी गेम ठीक वैसा ही है, जैसा कभी परवेज मुशर्रफ ने नवाज शरीफ संग खेला था.
दरअसल, पाकिस्तान में तख्तापलट की आहट सुनाई देने लगी है. बीएलए की वजह से पाकिस्तान की आर्मी और शहबाज सरकार आमने-सामने है. जनरल असीम मुनीर अब पाकिस्तान में आय दिन हो रही घटनाओं के पीछे सरकार को जिम्मेदार ठहरा रहे हैं. वह हालिया घटनाओं को लेकर शहबाज शरीफ को घेर रहे हैं. पाकिस्तान जिस आतंकवाद की आग में जल रहा है, उससे उठ रहा धुआं तो पाकिस्तान में तख्तापलट की ओर ही इशारा कर रहा है. इसका सबूत खुद आर्मी चीफ मुनीर देते नजर आ रहे हैं. वह बीएलए के बहाने शहबाज शरीफ पर निशाना साध रहे हैं और उनकी रकार को कमजोर शासन बता रहे हैं.
शहबाज को यूं ही नहीं घेर रहे मुनीर
जी हां, पाकिस्तान के चीफ ऑफ आर्मी स्टाफ लेफ्टिनेंट जनरल असीम मुनीर ने हालिया घटनाओं को लेकर शहबाज शरीफ सरकार पर निशाना साधा. उन्होंने पाकिस्तान में सुरक्षा की गिरावट के लिए राजनेताओं को दोषी ठहराया. संयुक्त संसदीय समिति को सुरक्षा ब्रीफिंग में उन्होंने साफ-साफ कहा कि उग्रवाद से लड़ने के लिए बेहतर प्रशासन की जरूरत है और पाकिस्तान को एक कठोर राज्य बनाने पर जोर दिया है. उन्होंने सवाल किया कि पाकिस्तान कब तक कमजोर शासन के कारण लोगों की जान कुर्बान करता रहेगा. मुनीर की यह बात इस बात का इशारा करती है कि उनकी नजर में शहबाज शरीफ सरकार बेहतर नहीं है और वह कमजोर है.
क्यों तख्तापलट के मिल रहे संकेत
अब सवाल है कि आखिर पाकिस्तान की आवाम को मुनीर यह क्या संदेश दे रहे हैं? यही न कि शहबाज से देश संभल नहीं रहा. उग्रवाद और आतंरिक आतंकवाद से लड़ने में उनकी सरकार सक्षम नहीं है. पाकिस्तान को मजबूत नेतृत्व की जरूरत है. सेना ही पाकिस्तान को कठोर राज्य बना पाएगी. दरअसल, बलूचों को मोहरा बनाकर आर्मी चीफ मुनीर पाकिस्तान में तख्तापलट की पटकथा लिख रहे हैं. पाकिस्तान में भारत की तरह ही लोकतंत्र का शासन है. लोकतंत्र में सरकार अपना काम करती है. पाकिस्तानी आर्मी का काम है देश की सुरक्षा करना. अपने काम पर फोकस करने के बजाय मुनीर अब सरकार को ज्ञान और नसीहत दे रहे हैं. ऐसे में उनकी मंशा पर क्यों न सवाल उठे. ऐसा लग रहा है कि वह वही गंदा खेल खेलने में जुट गए हैं, जो कभी दशकों पहले परवेज मुशर्रफ ने शहबाज शरीफ के भाई नवाज शरीफ के साथ खेला था.
मुशर्रफ वाला गेम खेल रहे मुनीर
जी हां, मौजूदा प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ पर भी अपने भाई जैसा हाल होने का खतरा मंडरा रहा है. अब मन में यह सवाल उठता है कि आखिर परवेज मुशर्रफ ने नवाज शरीफ के साथ क्या किया था. दरअसल, जैसे मौजूदा आर्मी चीफ मुनीर बलोचों से जंग और पाक में हो रहे हमलों का ठीकरा शहबाज शरीफ पर फोड़ रहे हैं, ठीक उसी तरह आज से 25 साल पहले परवेज मुशर्रफ ने कारगिल हार का ठीकरा नवाज शरीफ फर फोड़ा था.
क्या था नवाज संग मुशर्रफ का कांड
जी हां, परवेज मुशर्रफ ने नवाज शरीफ को 12 अक्टूबर 1999 को एक सैन्य तख्तापलट के जरिए सत्ता से बेदखल किया था. उस समय मुशर्रफ पाकिस्तान के सेना प्रमुख थे. कारगिल युद्ध में पाकिस्तान की हार के बाद यह हुआ था. जबकि कारगिल युद्ध के मास्टरमाइंड और रणनीतिकार खुद परवेज मुशर्रफ थे. उन्होंने ही पाक की ओर से कारगिल युद्ध (मई-जुलाई 1999) में अहम भूमिका थी. उनके नेतृत्व में पाकिस्तानी सेना और उत्तरी लाइट इन्फैंट्री ने नियंत्रण रेखा (LoC) पार कर कारगिल क्षेत्र में घुसपैठ की थी. नवाज शरीफ को इसकी भनकर नहीं थी. कहते हैं कि नवाज शरीफ को इसके बारे में तब पता चला जब अटल बिहारी वाजपेयी ने उनसे संपर्क किया था.
तुर्की में राष्ट्रपति एर्दोगन के खिलाफ हिंसक प्रदर्शन, पुलिस ने किया बल प्रयोग
22 Mar, 2025 12:34 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
तुर्की में इस वक्त सबकुछ ठीक ठाक नहीं चल रहा है. राष्ट्रपति रेसेप तैयिप एर्दोगन के खिलाफ देश में हिंसक प्रदर्शन हो रहे हैं. राष्ट्रपति द्वारा इस्तांबुलए के मेयर इमामोग्लू को अरेस्ट करने का आदेश देने के बाद हालात बेकाबू होते नजर आ रहे हैं. ऐसे में तुर्की के खलीफा यानी एर्दोगन को भी अपनी कुर्सी जाने का डर सताने लगा है. शुक्रवार को तुर्की के कई शहरों में प्रदर्शन हिंसक हो गए. इमामोग्लू को राष्ट्रपति चुनाव के दौरान एर्दोगन का प्रतिद्वंदी माना जा रहा है. लोगों ने इस्तांबुल के मेयर के समर्थन में सड़कों पर रैली निकाली. इस्तांबुल में पुलिस ने सैकड़ों प्रदर्शनकारियों को पीछे धकेलने के लिए मिर्च स्प्रे, आंसू गैस और रबर की गोलियों का इस्तेमाल किया. इतना ही नहीं प्रदर्शनकारियों ने शहर के ऐतिहासिक वाटर-ब्रिज के सामने बैरिकेड को तोड़ने की कोशिश की.
मेयर पर करप्शन का आरोप
पुलिस पर पत्थरबाजी की गई और अन्य वस्तुएं तोड़ी गई. हजारों लोगों ने कई अन्य शहरों में एर्दोगन सरकार से इस्तीफे की मांग करते हुए मार्च निकाला. एसोसिएटिड प्रेस की रिपोर्ट में तुर्की के गृह मंत्री अली येरलिकाया के हवाले से बताया गया कि विरोध प्रदर्शनों के दौरान देशभर में कम से कम 97 लोगों को हिरासत में लिया गया. मेयर एकरेम इमामोग्लू को बुधवार सुबह उनके निवास पर छापेमारी के दौरान भ्रष्टाचार और आतंकवाद से जुड़े आरोपों के कारण अरेस्ट किया गया था. इसके बाद विपक्षी पार्टी के कई अन्य नेताओं को भी हिरासत में लिया गया.
100 से ज्यादा हिरासत में
बुधवार को मुख्य विपक्षी दल रिपब्लिकन पीपुल्स पार्टी (CHP) द्वारा प्राथमिक चुनाव आयोजित होना था. इससे पहले ही विपक्षी नेता को उठा लिया गया. राज्य द्वारा संचालित समाचार एजेंसी अनादोलु के अनुसार, बुधवार को मेयर इमामोग्लू से जुड़े लगभग 100 अन्य लोगों को भी हिरासत में लेने के आदेश जारी किए गए. इनमें उनके प्रेस सलाहकार मूरत ओंगुन भी शामिल हैं. हिरासत में लिए गए लोगों में इस्तांबुल जिले के निर्वाचित मेयर रेसुल इमराह सहान और मूरत कालिक भी शामिल हैं.
विपक्षी नेता के वीडियो के बाद शुरू हुआ प्रदर्शन
विपक्षी पार्टी ने राष्ट्रपति रेसेप तैयिप एर्दोगन पर तनाशाही का आरोप लगाया है. इमामोग्लू ने अरेस्ट से पहले एक वीडियो संदेश जारी किय, जिसमें कहा गया कि मुझे यह कहते हुए दुःख हो रहा है कि मुट्ठी भर लोग जनता की इच्छा को चुराने की कोशिश कर रहे हैं. उन्होंने प्रिय पुलिस, सुरक्षा बलों को इस गलत काम में शामिल करने के लिए भेजा है. सैकड़ों पुलिस अधिकारियों को मेरे घर के दरवाजे पर भेजा गया है.
भारत और चीन के बीच सीमा विवाद बढ़ा, भारत ने चीन के नए जिलों पर कड़ी आपत्ति जताई
22 Mar, 2025 12:28 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
चीन अपनी चालबाजियों से बाज नहीं आता. भारत से सटी सीमाओं पर आए दिन कुछ न कुछ कारिस्तानी दिखाता ही रहता है. अब उसने लद्दाख से सटे सीमावर्ती इलाके में दो नए जिलों की स्थापना का ऐलान किया है. चीन के इस ऐलान पर भारत ने कड़ी आपत्ति जताई है. केंद्र सरकार ने शुक्रवार को संसद में जानकारी दी कि इस मुद्दे पर कूटनीतिक माध्यमों से चीन के खिलाफ औपचारिक विरोध दर्ज कराया गया है.
विदेश राज्य मंत्री कीर्ति वर्धन सिंह ने लोकसभा में एक लिखित जवाब में कहा, 'भारत सरकार ने कभी भी इस क्षेत्र में भारतीय भूभाग पर चीन के अवैध कब्जे को स्वीकार नहीं किया है. इन नए जिलों का निर्माण भारत की संप्रभुता पर हमारे लंबे और स्पष्ट रुख को प्रभावित नहीं करेगा, न ही चीन के अवैध और जबरन कब्जे को कोई वैधता देगा.'
संसद में सरकार से यह सवाल पूछा गया था कि क्या उसे चीन द्वारा होटान प्रीफेक्चर में दो नए जिले बनाने की जानकारी है, जिसमें लद्दाख के भारतीय क्षेत्र का हिस्सा शामिल किया गया है. इसके अलावा, इस स्थिति से निपटने के लिए उठाए गए रणनीतिक और कूटनीतिक कदमों के बारे में भी जानकारी मांगी गई थी. मंत्री ने जवाब देते हुए कहा कि सरकार इस घोषणा से पूरी तरह अवगत है और वह चीन की ओर से सीमावर्ती क्षेत्रों में किए जा रहे बुनियादी ढांचे के विकास पर नजर रखे हुए है. उन्होंने कहा, 'भारत सरकार सीमा क्षेत्रों में बुनियादी ढांचे के विकास पर विशेष ध्यान देती है. ताकि न केवल इन क्षेत्रों का आर्थिक विकास हो, बल्कि भारत की रणनीतिक और सुरक्षा आवश्यकताओं को भी पूरा किया जा सके.'
मंत्रालय के अनुसार, 2014 से 2024 के बीच सीमा अवसंरचना के लिए बजट आवंटन में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है. बॉर्डर रोड ऑर्गनाइजेशन (BRO) का खर्च पिछले दशक की तुलना में तीन गुना बढ़ गया है. सड़क नेटवर्क, पुलों और सुरंगों की संख्या में भी उल्लेखनीय वृद्धि हुई है, जिससे स्थानीय समुदायों की कनेक्टिविटी बेहतर हुई है और सशस्त्र बलों के लिए लॉजिस्टिक सपोर्ट मजबूत हुआ है. सरकार ने स्पष्ट किया कि वह भारत की सुरक्षा से जुड़े हर घटनाक्रम पर करीबी नजर रखे हुए है और देश की संप्रभुता व क्षेत्रीय अखंडता की रक्षा के लिए हर आवश्यक कदम उठाएगी.