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फरीदाबाद: बिना हेलमेट घूमते पुलिसकर्मी काट रहे थे चालान, तस्वीर वायरल
16 May, 2025 12:48 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
फरीदाबाद: ट्रैफिक नियमों का उल्लंघन करने पर वाहन चालकों का चालान काटने वाले पुलिसकर्मी यदि खुद नियमों को ताक पर रखकर काम करेंगे तो उसे क्या कहेंगे। ऐसा ही मामला सामने आया है। आरोप है कि दो पुलिसकर्मी बगैर हेलमेट पहने बाइक से घूम घूमकर वाहनों का चालान काट रहे थे। पुलिसकर्मियों ने एक ट्रक चालक का नो पार्किंग में चालान काट दिया। ड्राइवर भी होशियार निकला। उसने बाइक सवार पुलिसकर्मिंयों का पीछा करके बगैर हेलमेट बाइक चलाते फोटो खींच लिया। पुलिसकर्मियों की ये तस्वीर सोशल मीडिया में खूब वायरल हो रही है।
बगैर हेलमेट बाइक चलाने का फोटो खींचा
जानकारी के अनुसार, यूपी के काशगंज निवासी हरिओम ट्रक ड्राइवर हैं। वह बुधवार को नोएडा से माल लोड कर आईएमटी खाली करने आए थे। सुबह करीब साढ़े दस बजे माल खाली करके भोजन की तलाश करने लगे। वह सड़क किनारे स्थित एक दुकान से बिरयानी पैक कराने लगे। इसी दौरान दो पुलिसकर्मी बगैर हेलमेट पहने आ धमके और ट्रक चालक द्वारा नो पार्किंग एरिया में ट्रक खड़ा करने का आरोप लगाकर चालान कर दिया। चालान करने के बाद जब पुलिसकर्मी जाने लगे तो नाराज ट्रक चालक ने उनका पीछा करना शुरू कर दिया और मोबाइल से उनकी ओर से बगैर हेलमेट बाइक चलाने का फोटो खींच लिया।
पुलिस वालों की फोटो सोशल मीडिया में वायरल
ड्राइवर का दावा है कि दोनों पुलिसकर्मी बगैर हेलमेट के घूम घूमकर वाहनों का चालान काटते रहे और कइयों को डंडे मारते रहे। बगैर हेलमेट के वर्दी में बाइक ड्राइव करने की फोटो सोशल मीडिया में वायरल हो रही है। इस मामले में पुलिस प्रवक्ता यशपाल का कहना है कि किसी का चालान काटना गलत नहीं है लेकिन खुद भी नियमों का पालन करना जरूरी है। उनका कहना है कि सभी के लिए कानून बराबर है। यदि कोई पुलिसकर्मी बगैर हेलमेट के बाइक ड्राइव कर रहा है तो वह भी कानून के उल्लंघन की श्रेणी में आएगा।
गाजा में इजरायली हमलों ने मचाई तबाही, कैंसर अस्पताल भी हुआ बंद
16 May, 2025 11:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
गाजा। गाजा में इजरायल लगातार हमास के ठिकानों पर हमला कर रहा है। गाजा के खान यूनिस में रात भर हुए हवाई हमलों में 50 से अधिक लोग मारे गए। भारी बमबारी लगातार दूसरी रात भी जारी रही। खान यूनिस में नासिर अस्पताल के मुर्दाघर में कई शवों को ले जाते देखा गया।
कैंसर अस्पताल बंद
फिलिस्तीनी चिकित्सा सूत्रों ने बताया कि गाजा में इजरायली हवाई हमलों में कम से कम 80 फिलिस्तीनी मारे गए और दर्जनों अन्य घायल हो गए। गाजा स्थित स्वास्थ्य अधिकारियों के अनुसार, गाजा यूरोपीय अस्पताल, जो एन्क्लेव में कैंसर रोगियों को चिकित्सा अनुवर्ती देखभाल प्रदान करने वाला एकमात्र अस्पताल है, हाल ही में इजरायली हमलों के कारण पूरी तरह से बंद हो गया।
अस्पताल की ओर जाने वाली सड़कें नष्ट
अधिकारियों ने एक प्रेस बयान में कहा कि इजरायली हमलों ने "बुनियादी ढांचे को काफी नुकसान पहुंचाया, जैसे कि सीवेज लाइनें, आंतरिक विभागों को नुकसान और अस्पताल की ओर जाने वाली सड़कें नष्ट हो गईं।"
दो महीने का युद्ध विराम समाप्त
इजरायल ने 18 मार्च को गाजा में बड़े पैमाने पर सैन्य अभियान फिर से शुरू किया, जिसके बाद दो महीने का युद्ध विराम समाप्त हो गया। गाजा में स्वास्थ्य अधिकारियों के अनुसार, तब से 2,876 फलस्तीनी मारे गए हैं और 7,800 से अधिक घायल हुए हैं।
भारी बमबारी लगातार दूसरी रात भी जारी रही
गाजा के खान यूनिस में रात भर हुए हवाई हमलों में 50 से अधिक लोग मारे गए। भारी बमबारी लगातार दूसरी रात भी जारी रही। खान यूनिस में नासिर अस्पताल के मुर्दाघर में कई शवों को ले जाते देखा गया। मरने वालों में टेलिविजन का पत्रकार भी शामिल हैं। पत्रकार हसन सामौर परिवार के 11 सदस्यों के साथ मारा गया।
राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप खाड़ी देशों का दौरा कर रहे हैं
इजरायली सेना ने हमलों पर तत्काल कोई टिप्पणी नहीं की है। इससे पहले बुधवार को उत्तरी और दक्षिणी गाजा पर हवाई हमलों में 70 लोग मारे गए थे। इनमें 22 बच्चे भी शामिल थे। ये हमले ऐसे समय में हुए हैं, जब अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप खाड़ी देशों का दौरा कर रहे हैं।
व्यापक उम्मीद थी कि ट्रंप की क्षेत्रीय यात्रा युद्ध विराम समझौते या गाजा को मानवीय सहायता के नवीनीकरण की शुरुआत कर सकती है। इस क्षेत्र पर इजराइली नाकाबंदी तीसरे महीने में पहुंच गई है।
गाजा में कैंसर अस्पताल पूरी तरह से ध्वस्त
विश्व स्वास्थ्य संगठन ने गुरुवार को कहा कि गाजा में कैंसर और हृदय संबंधी देखभाल प्रदान करने वाला अंतिम अस्पताल इजरायली हमले के बाद काम करना बंद कर चुका है।
स्वास्थ्य एजेंसी के प्रमुख ने एक्स पर कहा कि मंगलवार को हुए हमले के कारण खान यूनिस में यूरोपीय अस्पताल गंभीर रूप से क्षतिग्रस्त हो गया और पहुंच से बाहर हो गया। अस्पताल के बंद होने से न्यूरोसर्जरी, हृदय संबंधी देखभाल और कैंसर उपचार सहित महत्वपूर्ण सेवाएं बंद हो गई हैं - ये सभी गाजा में कहीं और उपलब्ध नहीं हैं।
अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप की हत्या की प्लानिंग? कोड '8647' से मचा हड़कंप
16 May, 2025 10:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की हत्या की साजिश रचने का मामला सामने आया है. ट्रंप को जान से मारने के लिए 8647 कोड जारी किया गया था. इस पूरे मामले की जांच सीक्रेट सर्विस और एफबीआई कर रही है. दरअसल, एफबीआई के पूर्व डायरेक्टर पर ट्रंप को मरवाने की साजिश का शक है. इस संबंध में अमेरिका की नेशनल इंटेलिजेंस डायरेक्टर तुलसी गबार्ड ने जानकारी दी है.
उनका कहना है कि जेम्स कॉमी ने हाल ही में अमेरिका के राष्ट्रपति की हत्या करने के लिए अपील की थी. वह एक पूर्व एफबीआई निदेशक रहा है, जिसने एक ऐसे व्यक्ति के रूप में अपने करियर का अधिकांश समय माफियाओं और गैंगस्टरों पर मुकदमा चलाने में बिताया, वह अच्छी तरह से जानता था कि वह क्या कर रहा है और उसे कानून की पूरी ताकत के तहत जवाबदेह ठहराया जाना चाहिए. उन्होंने कहा कि हम राष्ट्रपति ट्रंप की जान को खतरे में डालने वाले कॉमी की सीक्रेट सर्विस इंवेस्टीगेशन का पूरा समर्थन करते हैं.
बताया गया है कि ट्रंप की हत्या के लिए 8647 नंबर कोड जारी किया है. दरअसल, 86 हत्या करवाने का कोडवर्ड होता है और ट्रंप अभी 47वें नंबर के राष्ट्रपति हैं. यही वजह है कि उनकी हत्या के लिए 8647 कोट नबंर जारी किया गया.
चुनावी रैली के दौरान ट्रंप पर चली थी गोली
ट्रंप के कान में गोली लगने की घटना ने पूरे अमेरिका को हिला कर रख दिया था. यह घटना पिछले साल 13 जुलाई को पेंसिल्वेनिया में हुई थी, जब वे बटलर में एक चुनावी रैली को संबोधित कर रहे थे. जिस समय ट्रंप पर भाषण दे रहे थे उसी समय एक हमलावर ने उन पर गोली चला दी थी. गोली ट्रंप के दाहिने कान के ऊपरी हिस्से में लगी थी, जिससे वह घायल हो गए थे. घटना के बाद ट्रंप को तुरंत अस्पताल ले जाया गया, जहां उन्हें इलाज के बाद स्थिर हालत में छुट्टी दे दी गई थी.
इस गोलीकांड में एक अन्य व्यक्ति की भी मौत हो गई थी, जबकि दो अन्य घायल हो गए थे. हमलावर को सीक्रेट सर्विस के स्नाइपर ने मार गिराया था. उस समय के अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने इस घटना की निंदा करते हुए कहा था कि इस तरह की हिंसा के लिए अमेरिका में कोई जगह नहीं है. वहीं, ट्रंप पर गोली चलने को लेकर सिक्योरिटी एंजेकी और खुफिया एजेंसियों पर सवाल खड़े हो गए थे.
ऑपरेशन सिंदूर के बाद पाकिस्तान ने दिखाया झुकाव, शहबाज बोले- चाहते हैं अमन
16 May, 2025 09:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
इस्लामाबाद । पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने गुरुवार को कहा कि वे भारत के साथ शांति वार्ता के लिए तैयार हैं। रिपोर्ट के अनुसार , पाकिस्तान के पंजाब में कामरा एयर बेस के दौरे के दौरान शरीफ ने कहा कि उनका देश भारत के साथ शांति के लिए बातचीत करने के लिए तैयार है।
शांति की शर्तों में कश्मीर मुद्दा भी शामिल
हालांकि, उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि शांति की शर्तों में कश्मीर मुद्दा भी शामिल है। ऑपरेशन सिंदूर के बाद दोनों देशों के बीच चार दिनों तक सैन्य तनाव की स्थिति बनी रही।
एयरबेस पर शहबाज के साथ उप प्रधानमंत्री इशाक डार, रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ, सेना प्रमुख जनरल असीम मुनीर और एयर चीफ मार्शल जहीर अहमद बाबर सिद्धू भी मौजूद थे।
10 मई को दोनों देशों ने सीजफायर का एलान किया था
पाकिस्तान ने भारत पर ड्रोन और मिसाइलों से हमले किए। हालांकि, भारतीय एयर डिफेंस सिस्टिम ने पाकिस्तान के हर हमलों का करारा जवाब दिया। वहीं, भारतीय सेना ने पाकिस्तान पर जबरदस्त सैन्य कार्रवाई की। हांलांकि, चार दिनों तक चले सैन्य तनाव के बाद 10 मई को दोनों देशों ने सीजफायर का एलान किया था।
भारत ने लिया पहलगाम हमले का बदला
22 अप्रैल को पाकिस्तान परस्त आतंकियों ने जम्म कश्मीर के पहलगाम में 26 निर्दोष लोगों की जान ले ली। इस हमले के बाद भारत ने पाकिस्तान के खिलाफ कड़े फैसले लिए। इसके बाद भारतीय सेना ने ऑपरेशन सिंदूर के तहत पाकिस्तान और गुलाम कश्मीर में 9 ठिकानों पर जबरदस्त बमबारी की। सेना की कार्रवाई में 100 आतंकी से ज्यादा मारे गए।
ट्रम्प का बयान: सीजफायर में मेरी भूमिका सिर्फ मदद तक सीमित थी
15 May, 2025 10:45 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
भारत-पाकिस्तान मध्यस्थता वाले बयान से फिर पलटे ट्रम्प
दोहा। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प एक बार फिर भारत-पाकिस्तान सीजफायर को लेकर बयान देते दिखे, लेकिन इस बार वो अपने पिछले बयानों से पलट गए। गुरुवार को उन्होंने कहा कि मैंने दोनों देशों के बीच मध्यस्थता नहीं की, लेकिन मैंने मदद जरुर की है।
राष्ट्रपति ट्रम्प ने अपने पहले बयान के 5वें दिन कहा, कि मैं यह नहीं कहता कि यह सब मैंने किया है, लेकिन यह पक्का है कि पिछले हफ्ते भारत-पाकिस्तान के बीच जो हुआ, मैंने उसे सैटल करवाने में मदद की है। उन्होंने कहा कि भारत-पाकिस्तान के बीच और भी भयानक हो सकता था, आखिर दोनों ने अचानक एक दूसरे पर मिसाइल दागना शुरू कर दिया और हमने सब सैटल कर दिया।
यहां बताते चलें कि इससे पहले 10 मई को ट्रम्प ने दोनों देशों के बीच मध्यस्थता का ऐलान किया था। तब ट्रम्प ने कहा था, कि मुझे यह घोषणा करते हुए खुशी हो रही है कि अमेरिका की मध्यस्थता में एक लंबी बातचीत के बाद भारत और पाकिस्तान पूर्ण और तत्काल युद्धविराम पर सहमत हो गए हैं। दोनों मुल्कों को समझदारी दिखाने के लिए बधाई। इसके बाद लगातार ट्रम्प ने भारत-पाकिस्तान मध्यस्थता को लेकर बयान दिए, लेकिन आखिर में 5वें दिन उन्होंने अपने बयान से पलटी मारी और कह दिया कि दोनों देशों के बीच मध्यस्थता नहीं की, लेकिन मदद जरुर की है।
इससे पहले ट्रम्प कहते नजर आए थे कि मुझे विश्वास है कि मैं यहां से जाता और दो दिन बाद पता चलता कि मामला सुलझा ही नहीं, लेकिन मामला सुलझ गया। मैंने दोनों देशों से व्यापार करने को लेकर बात की। मैंने कहा, युद्ध के बजाय व्यापार करें। इससे पाकिस्तान बहुत खुश था, भारत भी बहुत खुश था। मुझे लगता है कि अब वे सही रास्ते पर हैं। यही नहीं ट्रम्प ने तो यहां तक कह दिया था, कि वे यानी भारत और पाकिस्तान बीते 1000 साल से लड़ते चले आ रहे हैं। मैंने उनसे कहा कि मैं समझौता करा सकता हूं...और मैंने समझौता करा दिया...।
ट्रम्प के बदलते बयान से लोग समझ ही नहीं पा रहे हैं कि आखिर वो सिद्ध क्या करना चाह रहे हैं, आखिर वो इस तरह के बयान बार-बार क्यों बदल रहे हैं?
पाकिस्तान के वित्त मंत्री इशाक डार ने स्पष्ट किया है कि यह सीजफायर 18 मई तक ही प्रभावी रहेगा
15 May, 2025 09:47 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
इस्लामाबाद । पाकिस्तान के विदेश मंत्री इशाक डार ने कहा है कि भारत-पाकिस्तान के बीच सीजफायर 18 मई तक ही है। डार ने यह बयान गुरुवार को नेशनल एसेंबली में दिया।
इशाक डार ने नेशनल एसेंबली में कहा, 10 मई में दोनों देशों के बीच डीजीएमओ स्तर की बातचीत में 12 मई तक सीजफायर पर सहमति बनी। 12 मई को जो बात हुई उससे 14 मई तक सीजफायर पर सहमति बनी। 14 मई को जो बात हुई उसमें 18 मई तक सीजफायर पर सहमति बनी। उन्होंने ये भी कहा कि सैन्य स्तर पर जो सहमति बनी है वह पूर्ण सहमति तभी बनेगी जब राजनीति स्तर पर जब दोनों देशों के बीच बातचीत हो।
दरअसल पहलगाम आतंकी हमले के बाद पाकिस्तान भारत के उन सख्त फैसलों से ज्यादा परेशान है, जिससे वो किसी भी समय भयंकर तबाही में पड़ सकता है। पाकिस्तान को सबसे बड़ा डर सिंधु समझौते को लेकर है।
सीजफायर की घोषणा के बाद भी भारत से स्पष्ट कर दिया है कि सिंधु समझौता स्थगित ही रहेगा। पाकिस्तान के साथ बात होगी तो आतंकवाद और पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर पर होगी। पाकिस्तान सिंधु समझौता का सस्पेंशन हटाना चाहता है। इसके लिए वह भारत को राजनीतिक बातचीत पर लाना चाहता है।
दरअसल पाकिस्तान यह चाह रहा है कि राजनीति स्तर पर बात हो। ताकि सिंधु जल संधि स्थगित करने को लेकर वह भारत से बात कर सके। हालांकि भारत पहले ही इसके लिए ना कह चुका है। भारत पहले आतंकवाद पर पाकिस्तान की ओर से पूरा गारंटी चाहता है कि वो भविष्य में ऐसा नहीं करेगा। भारत कह चुका है कि फिलहाल डीजीएमओ स्तर की बातचीत होगी। जिसके लिए भारत ने अपनी शर्तें भी तय कर दी हैं।
पाकिस्तान परस्ती पर तुर्की-अजरबैजान का हो रहा बॉयकॉट, भारत में गुस्सा
15 May, 2025 07:00 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में 22 अप्रैल को आतंकी हमला हुआ। इसे लेकर देशभर में पाकिस्तान के खिलाफ आक्रोश है। जहां एक ओर पाकिस्तान की आलोचना की जा रही है कि वे आतंकियों को अपने यहां शरण देता है। वहीं दूसरी ओर पाकिस्तान को समर्थन करने वाले दो देशों के खिलाफ बॉयकॉट अभियान भी शुरू हो चुका है। यहां जिन देशों की बात हो रही है, वे तुर्की और अजरबैजान हैं। पाकिस्तान में एयरस्ट्राइक के बाद दोनों उसके समर्थन में आ खड़े हुए हैं।
भारत ने पहलगाम आतंकी हमले को लेकर 7 मई को पाकिस्तान में एयरस्ट्राइक कर आतंकी ठिकानों को नेस्तनाबूद कर दिया। आतंकियों को मिट्टी में मिलाने के लिए ऑपरेशन सिंदूर चलाया गया था। हवाई हमलों के बाद से ही पाकिस्तान बिलबिलाया हुआ है और दुनियाभर में समर्थन जुटा रहा है। तुर्की और अजरबैजान ने पाकिस्तान को खुलकर समर्थन दिया है, जिसे लेकर अब भारत में लोगों ने इन दोनों देशों का बॉयकॉट शुरू कर दिया है। सोशल मीडिया पर भी इसे लेकर मुहीम चलाई जा रही है।
एस्टोनिया की बड़ी कार्रवाई: पुतिन के टैंकर 'Jaguar' को रोकने की कोशिश
15 May, 2025 06:03 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
यूक्रेन जंग के बीच रूस और NATO के रिश्तों में एक और तनावपूर्ण मोड़ आ गया है. इस बार मामला यूक्रेन नहीं, बल्कि एक छोटे से देश एस्टोनिया से जुड़ा है, जिसने समंदर में रूस के “शैडो फ्लीट” यानी गुपचुप जहाज पर बड़ी कार्रवाई की कोशिश की.
बताया जा रहा है कि एस्टोनिया की नेवी और एयरफोर्स ने बाल्टिक सागर में एक संदिग्ध रूसी तेल टैंकर को रोकने की कोशिश की, जिसके बाद दोनों देशों की वॉरशिप्स और फाइटर जेट्स आमने-सामने आ गए.
किस जहाज पर हुआ विवाद?
जिस जहाज पर विवाद हुआ, उसका नाम Jaguar है. ये 800 फीट लंबा कच्चा तेल ले जाने वाला टैंकर है, जो दिखावे के लिए गैबॉन का झंडा लगा कर चल रहा था, लेकिन ब्रिटेन ने हाल ही में इस पर प्रतिबंध लगाते हुए इसे रूस की शैडो फ्लीट का हिस्सा बताया, शैडो फ्लीट वो जहाज होते हैं जो रूस पर लगे प्रतिबंधों के बावजूद गुपचुप तरीके से तेल पहुंचाते हैं.
NATO और रूस के लड़ाकू विमान आमने-सामने
एस्टोनिया की ओर से जब इस जहाज को रोका गया, तो उसने सहयोग करने से इनकार कर दिया. इसके बाद NATO की ओर से पोलैंड के MiG-29 लड़ाकू विमानों को अलर्ट पर भेजा गया. जवाब में रूस ने अपना Su-35S फाइटर जेट भेज दिया, जिसने कथित तौर पर एस्टोनिया की हवाई सीमा का उल्लंघन किया. इसके बाद बाल्टिक सागर के ऊपर एक तनावपूर्ण डॉगफाइट यानी हवा में झड़प हुई, जिसका वीडियो सोशल मीडिया पर भी सामने आया.
हेलिकॉप्टर से चढ़ाई की कोशिश, लेकिन…
एस्टोनिया की तरफ से A139 हेलिकॉप्टर और M-28 Skytruck विमान भी भेजे गए. सैनिकों ने हेलिकॉप्टर से जहाज पर उतरने की कोशिश की, लेकिन रूसी क्रू मेंबर्स ने उन्हें पीछे हटा दिया. जहाज से रूसी भाषा में आवाज आई “इन जोकरों को देखो”, जो कि एस्टोनियाई सैनिकों के लिए कही गई थी. लंबे तनाव के बाद टैंकर Jaguar एस्टोनिया को चकमा देकर रूस के कब्जे वाले गोगलैंड द्वीप के पास पहुंच गया और वहां लंगर डाल दिया. रूसी मीडिया ने इसे बड़ी कामयाबी बताया और कहा कि पश्चिमी देशों की कोशिशें फेल हो गईं.
राजनयिक स्तर पर भी टकराव
इस घटना के बाद एस्टोनिया ने रूस के राजनयिक Lenar Salimullin को तलब कर सख्त विरोध दर्ज कराया. एस्टोनिया के विदेश मंत्री मार्गुस त्साहकना ने कहा है कि ये बेहद गंभीर और अस्वीकार्य घटना है. रूस पर कड़े और तेज़ प्रतिबंध लगाए जाने चाहिए. एस्टोनिया के डिफेंस मिनिस्टर हैनो पेवकुर ने कहा कि ये जहाज बिना किसी वैध राष्ट्रीयता के चल रहा था और देश की क्रिटिकल इन्फ्रास्ट्रक्चर के लिए खतरा बन सकता था. इसलिए हमने इसे रूसी जलसीमा तक पहुंचने तक एस्कॉर्ट किया.
बलूचिस्तान ने स्वतंत्र राष्ट्र के रूप में पहचान की करी घोषणा, 'पाकिस्तान हमारा हिस्सा नहीं'
15 May, 2025 05:24 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
पाकिस्तान पर भारत का सैन्य ऑपरेशन सिंदूर अभी भी जारी है, वहीं 14 मई 2025 को बलूच लेखक और कार्यकर्ता मीर यार बलूच ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर बलूचिस्तान गणराज्य की स्वतंत्रता की घोषणा की है। उन्होंने कहा कि बलूचिस्तान के लोगों ने अपना राष्ट्रीय निर्णय ले लिया है। बलूचिस्तान अब पाकिस्तान का हिस्सा नहीं है और दुनिया को चुप नहीं रहना चाहिए। उन्होंने भारत से नई दिल्ली में बलूच दूतावास खोलने की अनुमति मांगी और संयुक्त राष्ट्र से बलूचिस्तान लोकतांत्रिक गणराज्य को एक स्वतंत्र राष्ट्र के रूप में मान्यता देने और मुद्रा, पासपोर्ट और अन्य संसाधनों के लिए अंतरराष्ट्रीय सहायता प्रदान करने का अनुरोध किया है।
देखा जाए तो भारत के पास एक ऐसा अवसर आ रहा है। जो पाकिस्तान पर लगाम लगाने के लिए काफी है। भारत के पास उस देश से बदला लेने का एक बड़ा अवसर है जो भारत में आतंकवादी गतिविधियों को बढ़ाकर भारत को परेशान करता रहता है। सवाल यह उठता है कि क्या भारत को ऐसे अवसर का उपयोग पाकिस्तान को कमजोर करने के लिए करना चाहिए? क्या भारत को बलूच स्वतंत्रता सेनानियों को मान्यता देनी चाहिए और उनके साथ खड़ा होना चाहिए? क्या प्रकृति एक बार फिर 1971 को दोहरा रही है? क्या आज यह संभव है कि भारत बांग्लादेश के निर्माण की तरह पाकिस्तान को तोड़कर एक और स्वतंत्र देश बलूचिस्तान बनाए? इसका उत्तर निश्चित रूप से हां है। इतना ही नहीं, यह काम भी भारत को जल्दी से जल्दी करना चाहिए। क्योंकि भारत बलूचों को मान्यता देने वाला पहला देश होना चाहिए। यह न केवल पाकिस्तान को परेशान करने के लिए जरूरी है, बल्कि यह भारत का नैतिक कर्तव्य भी है।
जब से पाकिस्तान ने 1948 में सैन्य कार्रवाई के आधार पर बलूचिस्तान पर कब्जा किया है, तब से ज्यादातर बलूचों को यह धारणा हो गई है कि पाकिस्तान कभी उनका नहीं था और न ही कभी उनका हो सकता है। अंग्रेजों के जाने के साथ ही बलूचों ने अपनी आजादी की घोषणा कर दी। पाकिस्तान ने पहले तो इसे स्वीकार कर लिया था, लेकिन बाद में इससे इनकार कर दिया। अंग्रेजों ने 1876 में सबसे बड़े बलूच नेता खुदादाद खान (खान ऑफ कलात) के साथ जो संधि की थी, उसके अनुसार बलूचिस्तान एक स्वतंत्र देश था। कहा जाता है कि खुदादाद खान को जिन्ना पर भरोसा नहीं था और इसलिए वह भारत में शामिल होना चाहता था। लेकिन 1946 में पंडित जवाहरलाल नेहरू ने इसमें रुचि नहीं दिखाई। संभव है कि नेहरू ने ऐसा न किया हो। लेकिन यह माना जा सकता है कि अगर भारत ने बलूचिस्तान पर आंख नहीं मूंद ली होती, तो कम से कम जिन्ना उस पर कब्ज़ा नहीं कर पाते। इसके साथ ही यह भी कहा जा सकता है कि जिस तरह से जिन्ना ने कलात पर कब्ज़ा किया, भारत भी वैसा ही कर सकता था। कम से कम अगर भारत ने उस पर कब्ज़ा कर लिया होता, तो बलूचों को ये जुल्म के दिन नहीं देखने पड़ते। 2016 में स्वतंत्रता दिवस पर लाल किले से अपने भाषण में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बलूचिस्तान और गिलगित के लोगों के प्रति अपनी सहानुभूति दिखाई थी। मोदी के पास बलूच लोगों की मांगों पर विचार करने का मौका है, ताकि नेहरू की गलतियों को सुधारा जा सके और भारत को बलूचिस्तान को एक देश के रूप में मान्यता देने वाला पहला देश बनाया जा सके।
2- पाकिस्तान के खिलाफ भारत की जवाबी रणनीति
कश्मीर में पाकिस्तान के हस्तक्षेप को देखते हुए, कुछ लोगों का मानना है कि बलूचिस्तान का समर्थन करना भारत के लिए जवाबी रणनीति हो सकती है। बलूच नेताओं ने पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (POK) को खाली करने की भारत की मांग का समर्थन किया है और चेतावनी दी है कि पाकिस्तान की अड़ियल नीति क्षेत्रीय अस्थिरता को बढ़ा सकती है। भारत को कम से कम इतना तो करना ही चाहिए कि वह बलूच नेताओं की आज़ादी का समर्थन करे। बलूच स्वतंत्रता सेनानियों ने पाकिस्तान को परेशान कर रखा है। बलूच लिबरेशन आर्मी (BLA) का कहना है कि वह बलूचिस्तान की आज़ादी के लिए सशस्त्र संघर्ष में सक्रिय है। हाल के महीनों में, BLA ने पाकिस्तानी सेना और पुलिस के ठिकानों पर हमले तेज़ कर दिए हैं। 11 मई 2025 को, BLA ने सैन्य काफिले, पुलिस स्टेशनों और प्रमुख राजमार्गों सहित 51 स्थानों पर 71 हमले करने का दावा किया। बलूच क्रांतिकारियों ने डेरा बुगती में गैस क्षेत्रों पर हमला किया, जिससे 100 से ज़्यादा गैस कुएँ प्रभावित हुए।
3-भारत के लिए सामरिक महत्व
बलूचिस्तान पाकिस्तान का सबसे बड़ा प्रांत है, जो ग्वादर बंदरगाह और चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे (CPEC) का घर है। भारत के लिए, बलूचिस्तान की स्वतंत्रता का समर्थन करना पाकिस्तान और चीन की रणनीतिक योजनाओं को कमज़ोर करने का एक तरीका हो सकता है, क्योंकि CPEC भारत के लिए सुरक्षा चिंता का विषय है। यह भारत को ग्वादर बंदरगाह और अरब सागर पर भू-राजनीतिक लाभ देगा। बलूचिस्तान पाकिस्तान का सबसे बड़ा प्रांत है, जो इसके लगभग 44% भूभाग पर स्थित है। यदि बलूचिस्तान स्वतंत्र हो जाता है, तो पाकिस्तान अपनी भौगोलिक और आर्थिक शक्ति का एक बड़ा हिस्सा खो देगा, जिससे उसकी क्षेत्रीय स्थिति कमज़ोर हो जाएगी।
बलूचिस्तान की अरब सागर तटरेखा लगभग 700 किलोमीटर है, जो इसे भू-रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण बनाती है। एक स्वतंत्र बलूचिस्तान भारत को ग्वादर और होर्मुज जलडमरूमध्य के पास एक मित्र राष्ट्र प्रदान कर सकता है, जो वैश्विक तेल व्यापार के लिए एक महत्वपूर्ण मार्ग है। भारत का चाबहार बंदरगाह (ईरान में) ग्वादर का प्रतिद्वंद्वी है और अफ़गानिस्तान और मध्य एशिया तक पहुँच के लिए महत्वपूर्ण है। स्वतंत्र बलूचिस्तान भारत की चाबहार परियोजना को मजबूत कर सकता है, क्योंकि इससे पाकिस्तान का प्रभाव कम होगा। मित्रवत बलूचिस्तान भारत को अरब सागर में अपनी नौसैनिक उपस्थिति बढ़ाने का अवसर दे सकता है, जिससे पाकिस्तान और चीन की नौसैनिक गतिविधियों पर नज़र रखी जा सकती है।
4-बलूच नेताओं की भारत से बार-बार अपील
हाल के वर्षों में बलूच नेताओं और कार्यकर्ताओं ने अपनी आज़ादी के लिए बार-बार भारत से समर्थन मांगा है। इसी क्रम में 9 मई को बलूच नेताओं ने बलूचिस्तान गणराज्य की घोषणा की और भारत से मान्यता मांगी। दरअसल, बलूच नेताओं को भारत से बड़ी उम्मीदें रही हैं। बलूचों को लगता है कि जिस तरह भारत ने पूर्वी पाकिस्तान को एक स्वतंत्र देश में बदल दिया, उसी तरह भारत बलूचों के लिए भी कदम उठाएगा। बलूचिस्तान की स्वयंभू पीएम नायला कादरी 2023 में भारत की यात्रा पर थीं। वे हरिद्वार गई थीं, जहां उन्होंने मां गंगा की आरती के दौरान बलूचिस्तान की आज़ादी के लिए प्रार्थना की थी। नायला अक्सर भारत और वहां के लोगों से बलूचिस्तान के लिए समर्थन मांगती रही हैं।
इसी तरह मीर यार बलूच ने 9 मई 2025 को बलूचिस्तान की आज़ादी का ऐलान किया और भारत से दिल्ली में बलूच दूतावास खोलने की मांग की, जैसा कि इस लेख में बताया गया है। इसके अलावा कई एक्स पोस्ट में बलूच नेताओं ने भारत को सबसे पहले समर्थन देने वाला देश बनने की बात भी कही है, जैसे कि इस एक्स पोस्ट में कहा गया है कि भारत को बलूचिस्तान की आज़ादी को मान्यता देनी चाहिए ताकि पाकिस्तान को आर्थिक और सामरिक लाभ से वंचित किया जा सके। शायद यही वजह है कि भारत में भी बलूच आंदोलन को समर्थन देने की भावना बढ़ रही है। शायद यही वजह है कि भारत ही बलूचों की आखिरी उम्मीद है। इसलिए भारत को आगे बढ़कर बलूचिस्तान की आज़ादी को अपना नैतिक कर्तव्य मानते हुए मान्यता देनी चाहिए।
धारूहेड़ा में अवैध कॉलोनी पर चला प्रशासन का बुलडोजर, दो एकड़ में तोड़फोड़
15 May, 2025 04:38 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
रेवाड़ी के धारूहेड़ा में जिला नगर योजनाकार की टीम द्वारा नंदरामपुर बास रोड पर करीब दो एकड़ में विकसित की जा रही अवैध कॉलोनी में तोड़फोड़ की कार्रवाई की गई।
बता दें कि दोपहर को जिला नगर योजनाकार मनदीप सिंह की अगुवाई में टीम धारूहेड़ा पहुंची और वहां पर जेसीबी से दो एकड़ में अवैध रूप से विकसित हो रही अवैध कॉलोनी में चारदीवारी पर तोड़फोड़ की गई।
जिला नगर योजनाकार मनदीप सिंह ने आमजन से अनुरोध किया है कि नियंत्रित क्षेत्र में कोई भी अवैध निर्माण न करें और प्लाट खरीदने से पहले इस कार्यालय से उस कॉलोनी की वैधता बारे सुनिश्चित करें ताकि विभागीय कार्रवाई एवं आर्थिक नुकसान से बचाव हो सके।
किसी भी प्रकार का निर्माण करने से पहले सरकार के नियमानुसार अनुमति लेना जरूरी है।
यमुनानगर में विधवा महिला से 40 लाख की ठगी, जमीन दिलाने के नाम पर लूटा पैसा
15 May, 2025 04:31 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
यमुनानगर: हरियाणा के यमुनानगर जिले के गांव सारण निवासी विधवा रोशनी देवी की जमीन कागजों में चढ़वाने व अच्छे दामों में बिकवाने का झांसा देकर 40 लाख रुपये ठग लिए गए। आरोपित गांव सारण निवासी देशराज कश्यप, सेक्टर 17 निवासी रोहित मंगला, थाना छप्पर निवासी बलबीर, गुरमीत पर लगा है।
आरोपितों में से किसी ने खुद को तहसीलदार का पुत्र तो किसी ने पुलिस व डीसी कार्यालय में अधिकारी बताया। पीड़िता ने आरोपितों को यह रुपये भी मकान गिरवी रख, बैंक व रिश्तेदारों से उधार लेकर दिए। बुधवार को थाना छप्पर पुलिस ने मामले में केस दर्ज किया है।
क्या है पूरा मामला?
गांव सारण निवासी रोशनी देवी ने बताया कि उसकी गांव कलावड़ में चार कनाल आठ मरले जमीन है। गांव का ही देशराज कश्यप एक दिन घर पर आया। उसने कहा कि इस जमीन का कोई प्रूफ आपके पास नहीं है। इस जमीन को आपके नाम कागजों में चढ़ाकर अच्छे दामों पर बिकवा देंगे। उसकी बातों में आ गई। आारोपित अपने रोहित मंगला, बलबीर सिंह, अमित कुमार व गुरमीत सिंह के साथ आया।
आरोपित ने कहा कि रोहित मंगला तहसीलदार का बेटा है। बलबीर डीसी कार्यालय में बड़ा अधिकारी और गुरमीत सिंह पुलिस अधिकारी है। आरोपित गुरमीत वर्दी पहने हुए था। कहा कि यह बड़े अधिकारी व रसूख वाले लोग है। इस जमीन को एक करोड़ रुपये के आसपास बिकवा देंगे। जिस पर अपने बेटे जितेंद्र से बात की। वह भी तैयार हो गया।
आरोपियों ने ऐसे दिया झांसा
आरोपितों ने कहा कि जमीन की पैमाइस कराने व गिरदावरी चढ़ाने के लिए शुरूआत में पांच लाख रुपये देने होंगे, क्योंकि इसमें खर्च आएगा। उनकी बातों में आकर आरोपितों को चार लाख 51 हजार रुपये दे दिए। आरोपितों ने कहा कि यह रुपये तहसीलदार को दिए हैं। बाकी रुपयों का और इंतजाम कर लो। जमीन की पैमाइस सही तरीके से होने के बाद रकबा बढ़ जाएगा।
उसके बाद आरोपितों को साढ़े सात लाख रुपये दिए। इसके बाद आरोपित कभी हाई कोर्ट में केस करने तो कभी कुछ और बहाने लगाकर रुपये लेने लगे। आरोपितों को रुपये देने के लिए मकान तक गिरवी रख दिया, बैंक से लोन लिया और कुछ रुपये कतर में रह रहे अपने बेटे मांगे।
इस तरह से अलग-अलग कर आरोपितों ने 40 लाख रुपये ठग लिए। बाद में कोर्ट व तहसील से जाकर पता किया। जानकारी मिली कि उसकी जमीन से संबंधित कोई केस नहीं है। जब आरोपितों से इस संबंध में बात की तो वह हत्या कराने की धमकी देने लगे।
बांग्लादेश में राजनीतिक संकट गहराया, यूनुस की कुर्सी हिलने लगी
15 May, 2025 02:25 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के मुखिया डॉ. मोहम्मद यूनुस को सत्ता संभाले अभी साल भर भी नहीं हुए हैं, लेकिन विदेश मंत्रालय की अंदरूनी कलह और लगातार बढ़ती अव्यवस्था ने उनकी नेतृत्व क्षमता पर सवाल खड़े कर दिए हैं. यूनुस की तेज़ रफ्तार और निर्णायक शैली को जहां एक ओर उनके कुछ करीबी समर्थक सुधार की कोशिश बता रहे हैं, वहीं मंत्रालय के अंदर उनके सलाहकारों और सचिवों के साथ बढ़ती टकराव की स्थिति ने शासन व्यवस्था की नींव हिला दी है. मंत्रालय के भीतर फैसले लटक रहे हैं, सलाहकार एक-दूसरे पर दोष मढ़ रहे हैं और विदेश नीति में दिशा की कमी साफ झलक रही है.
सूत्रों के मुताबिक, विदेश मंत्रालय के शीर्ष स्तर पर चल रही खींचतान का केंद्र बने हैं विदेश सचिव मो. जसीम उद्दीन और सलाहकार तौहीद हुसैन. दोनों के बीच समन्वय की भारी कमी देखी जा रही है. बताया जा रहा है कि निर्णय प्रक्रिया में सुस्ती और कुछ मामलों में गलत फैसलों के चलते कई कूटनीतिक पहल अधर में लटक गए हैं. मंत्रालय के अंदरूनी सूत्र इसे डेडलॉक की स्थिति बता रहे हैं, जिससे नीतिगत फैसलों पर असर पड़ा है.
डैमेज कंट्रोल में यूनुस, लेकिन टीम में ही असहमति
मंत्रालय की बिगड़ती तस्वीर को सुधारने के लिए डॉ. मोहम्मद यूनुस ने लुत्फे सिद्दिकी, खालिलुर रहमान और सूफिउर रहमान जैसे अनुभवी नामों को ज़िम्मेदारियां दीं. इनमें से खालिलुर को राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार और सूफिउर को विदेश राज्य मंत्री जैसा दर्जा मिला. लेकिन यूनुस के इन कदमों को भी मंत्रालय के अंदर ही चुनौती मिलने लगी. खुद तौहीद हुसैन और सचिव जसीम उद्दीन ने सूफिउर की नियुक्ति पर आपत्ति जताई, जिससे हालात और उलझ गए.
जापान दौरे से पहले बड़ी बैठक टली, उठा सवाल
मुख्य सलाहकार यूनुस की प्रस्तावित जापान यात्रा से ठीक पहले विदेश मंत्रालय की एक अहम सलाहकार बैठक को अचानक टाल दिया गया. यह फैसला कूटनीतिक हलकों में चिंता का कारण बना. बाद में मामला किसी तरह सुलझा, लेकिन इससे मंत्रालय में असहमति और अंदरूनी कलह की तस्वीर सार्वजनिक हो गई.
सचिव के हटने की चर्चा, नेतृत्व परिवर्तन तय?
इन घटनाओं के बाद यह लगभग तय माना जा रहा है कि सरकार विदेश सचिव मो. जसीम उद्दीन को हटाने की योजना बना चुकी है. खुद जसीम एक “सम्मानजनक विदाई” की तलाश में हैं, लेकिन विदेश में राजदूत पद जैसे विकल्पों की फिलहाल उपलब्धता न होने से उनकी अगली भूमिका को लेकर संशय बना हुआ है. मंत्रालय में नेतृत्व परिवर्तन की संभावना अब बेहद प्रबल मानी जा रही है.
नूर खान एयरबेस पर भारत का हमला, परमाणु सुरक्षा यूनिट को भी नुकसान
15 May, 2025 02:11 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
भारत ने हाल ही में चार दिनों तक पाकिस्तान से चले टकराव के दौरान पाकिस्तान की सैन्य सुविधाओं और हवाई अड्डों को निशाना बनाया था, जिसमें भारत को 'साफ बढ़त' मिली है। टाइम्स की रिपोर्ट में हुआ है।
रिपोर्ट में क्या खुलासा हुआ?
रिपोर्ट के अनुसार, हमलों के पहले और बाद की हाई-रिजॉल्यूशन सैटेलाइट इमेज में भारतीय हमलों से पाकिस्तान के एयरबेस को 'स्पष्ट नुकसान' पहुंचा है। रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत और पाकिस्तान के बीच का यह संघर्ष बीते पचास वर्षों में सबसे ज्यादा बड़ा था और दोनों पक्ष ने एक दूसरे पर मिसाइलों का प्रयोग किया है।
रिपोर्ट के अनुसार, सैटेलाइट इमेज से पता चलता है कि हमले व्यापक थे, लेकिन नुकसान दावे से कहीं अधिक सीमित था और इन हमलों में पाकिस्तान को ज्यादा नुकसान पहुंचा है।
इसमें कहा गया है कि भले ही दोनों पक्षों ने एक-दूसरे पर गंभीर नुकसान पहुंचाने का दावा किया है, लेकिन सैटेलाइट इमेज से साफ पता चलता है कि भारत ने सटीक टारगेट पर निशाना साधा है।
भोलारी और नूर खान एयरबेस पर हमला
कराची के निकट भोलारी एयरबेस पर किया गया हमला काफी महत्वपूर्ण माना जा रहा है, जहां सैटेलाइट तस्वीरों से विमान हैंगर को पहुंचा नुकसान साफ दिखाई दे रहा है। कराची से करीब 100 मील दूर स्थित भोलारी एयरबेस पर भारत ने एयरक्राफ्ट हैंगर को टारगेट किया था।
रिपोर्ट में कहा गया है, "दृश्यों में हैंगर जैसी दिखने वाली जगह पर स्पष्ट नुकसान दिखाई दे रहा है।" इसके साथ ही रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि भारत का सबसे संवेदनशील हमला नूर खान एयरबेस पर था, जो पाकिस्तान की राजधानी इस्लामाबाद के पास स्थित है और सेना मुख्यालय और प्रधानमंत्री कार्यालय के करीब है।
नूर खान एयरबेस पर मौजूद यूनिट पाकिस्तान के परमाणु हथियारों की सुरक्षा देखती है। यहां की सुविधाओं को भारत ने सटीक हथियारों से नुकसान पहुंचाया है।
सरगोधा और रहीम यार खान एयरबेस पर हमला
भारत ने दावा किया है कि उसने पाकिस्तान के सरगोधा और रहीम यार खान एयरबेस के रनवे को भारी नुकसान पहुंचाया है। सैटेलाइट इमेज ने इन दावों का समर्थन किया, जिसमें प्रभावित बुनियादी ढांचों को दिखाया गया है।
पाकिस्तान के खोखले दावे
पाकिस्तान ने दावा किया था कि उसने भारत के उधमपुर एयरबेस को पूरी तरह से तबाह कर दिया है। लेकिन, 12 मई की सैटेलाइट तस्वीरें उस दावे की पुष्टि नहीं करती हैं और एयरबेस बिना किसी क्षति के है।
NYT के बाद वाशिंगटन पोस्ट ने खोली PAK की पोल
रिपोर्ट ने सबूतों के साथ पाकिस्तान को पहुंचे नुकसान को दिखाया है। अब वाशिंगटन पोस्ट ने भी अपनी रिपोर्ट में इस बात का खुलासा किया है कि भारत के हमले में पाकिस्तान के कम से कम 6 एयरबेसों पर रनवे और संरचनाओं को नुकसान पहुंचा है।
दो दर्जन से अधिक सैटेलाइट इमेज और उसके बाद के वीडियो की समीक्षा में पाया गया कि हमलों में वायुसेना की ओर से इस्तेमाल किए जाने वाले तीन हैंगर, दो रनवे और दो मोबाइल इमारतों को भारी नुकसान पहुंचा है। भारत द्वारा किए गए हमले पाकिस्तान के 100 मील के अंदर तक थे।
रूस-यूक्रेन वार्ता आज, क्या खत्म होगी जंग? दुनिया टिकी निगाहें
15 May, 2025 11:40 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
मॉस्को। दुनिया की निगाह आज होने वाली रूस-यूक्रेन वार्ता पर हैं क्योंकि तुर्किए में रूस और यूक्रेन के बीच पिछले तीन साल से जारी युद्ध को समाप्त करने के उद्देश्य से वार्ता होने जा रही है। रिपोर्ट के मुताबिक इस वार्ता से पुतिन दूर रहेंगे। वहीं, रूस-यूक्रेन वार्ता के लिए प्रतिनिधिमंडल की घोषणा की जा चुकी है।
पुतिन ने वार्ता में शामिल होने जा रहे अधिकारियों की घोषणा की
रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने उन अधिकारियों के नामों की घोषणा की है जो आज तुर्किए में होने वाली यूक्रेन के साथ नए सिरे से वार्ता में रूस का प्रतिनिधित्व करेंगे।
क्रेमलिन के सहयोगी व्लादिमीर मेडिंस्की रूसी प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व करेंगे, जिसमें उप विदेश मंत्री मिखाइल गालुजिन, उप रक्षा मंत्री अलेक्जेंडर फोमिन और इगोर कोस्ट्युकोव शामिल होंगे, जो रूसी सशस्त्र बलों के जनरल स्टाफ के मुख्य निदेशालय के प्रमुख हैं।
वार्ता में ये लोग भी रहेंगे मौजूद
पुतिन ने वार्ता का समर्थन करने के लिए विशेषज्ञों के एक समूह को भी नामित किया है। इनमें जनरल स्टाफ के सूचना विभाग के प्रथम उप प्रमुख अलेक्जेंडर जोरिन, मानवीय नीति के लिए राष्ट्रपति निदेशालय की उप प्रमुख येलेना पोडोब्रेयेव्स्काया, विदेश मंत्रालय में दूसरे सीआईएस विभाग के निदेशक एलेक्सी पोलिशचुक और रक्षा मंत्रालय के अंतर्राष्ट्रीय सैन्य सहयोग निदेशालय के उप प्रमुख विक्टर शेवत्सोव शामिल हैं।
इस्तांबुल में होने जा रही है रूस-यूक्रेन के बीच चर्चा
क्रेमलिन के सहायक यूरी उशाकोव ने पुष्टि की कि यूक्रेन के साथ चर्चा गुरुवार को इस्तांबुल में फिर से शुरू होगी। रिपोर्ट के अनुसार, इस्तांबुल जाने वाले रूसी प्रतिनिधिमंडल की योजना तकनीकी और राजनीतिक दोनों मुद्दों पर चर्चा करने की है।
पुतिन ने दिया था यूक्रेन को वार्ता का निमंत्रण
राष्ट्रपति पुतिन ने औपचारिक रूप से यूक्रेन को 11 मई को सीधी बातचीत फिर से शुरू करने के लिए बिना शर्त निमंत्रण दिया।
इससे पहले, यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोडिमिर जेलेंस्की ने कहा था कि यूक्रेन अपने अगले कदम तय करने से पहले इस बात पर बारीकी से नजर रख रहा है कि रूस तुर्किए में होने वाली आगामी वार्ता में किसे भेजता है। जेलेंस्की ने रूस के इरादों पर भी संदेह व्यक्त किया और मॉस्को से हाल ही में मिले संकेतों को अविश्वसनीय बताया।
जेलेंस्की ने पुतिन से आमने-सामने मिलने की इच्छा जताई
यूक्रेनी राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की ने भी गुरुवार (15 मई) को होने वाली वार्ता में अपने रूसी समकक्ष व्लादिमीर पुतिन से आमने-सामने बात करने की इच्छा जाहिर की है। लेकिन, जेलेंस्की के सलाहकार मिखाइलो पोडोल्याक ने दो टूक कहा है कि वह वार्ता में तभी भाग लेंगे, जब पुतिन भी वहां होंगे और वह पुतिन के अलावा किसी अन्य रूसी प्रतिनिधि से नहीं मिलेंगे।
ट्रंप को लेकर भी आया बयान
सूत्रों ने बताया कि पोडोल्याक ने क्रेमलिन को यह भी दिखाने की चुनौती दी है कि वह वाकई में ईमानदारी से शांति के लिए प्रयासरत है। हालांकि, ट्रंप ने जरूरत पड़ने पर खुद भी इस वार्ता में शामिल होने की पेशकश की है। लेकिन, एक वरिष्ठ अमेरिकी अधिकारी ने कहा है कि अभी यह स्पष्ट नहीं है कि रूसी सरकार का कोई प्रतिनिधि इसमें शामिल होगा या नहीं।
आर्थिक संकट में फंसे पाकिस्तान को IMF का सहारा, फिर मिला लोन
15 May, 2025 10:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
करांची। अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) ने पाकिस्तान के लिए 1.023 अरब अमेरिकी डॉलर की दूसरी किश्त जारी की है। केंद्रीय बैंक ने बुधवार को यह जानकारी दी।
दूसरी किस्त ऐसे समय जारी हुआ है, जब आईएमएफ पाकिस्तान के आगामी बजट पर वर्चुअल चर्चा कर रहा है, क्योंकि क्षेत्र में सुरक्षा चिंताओं के कारण उसके मिशन की इस्लामाबाद यात्रा में देरी हुई है। इस हस्तांतरण के साथ आईएमएफ की कुल वितरण लगभग 210 अमेरिकी डॉलर हो गया है।
आईएमएफ वार्ता 16 मई तक जारी रहेगी
इस पर पिछले साल पाकिस्तान और वैश्विक ऋणदाता के बीच हस्ताक्षर किए गए थे। फेडरल सरकार दो जून को वित्त वर्ष 2025-26 के लिए बजट पेश करने की योजना बना रही है। आईएमएफ वार्ता 16 मई तक जारी रहेगी।
वहीं, आइएमएफ जून में बांग्लादेश को 130 करोड़ अमेरिकी डॉलर जारी करने वाला है, जो उसके 470 करोड़ अमेरिकी डालर के ऋण कार्यक्रम की चौथी समीक्षा और विनिमय दर सुधारों पर बातचीत में सफलता के बाद होगा।