धर्म एवं ज्योतिष
छत की दीवार बनाते ही बढ़ जाती है मूर्ति की ऊंचाई! 800 साल पुराने हनुमान मंदिर की रहस्यमयी कहानी
29 Sep, 2024 06:45 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
जालोर जिले के कानीवाड़ा गांव में स्थित एक हनुमान मंदिर अपनी चमत्कारी मूर्ति के कारण विशेष प्रसिद्ध है. लगभग आठ सौ साल पहले जमीन से प्रकट हुई इस मूर्ति में हनुमानजी पांव जोड़कर बैठे हैं और खास बात यह है कि यह मूर्ति सूर्यमुखी है, यानी सूर्य की ओर मुख करके विराजमान है. मंदिर का सबसे बड़ा आकर्षण यह है कि हनुमानजी के सिर पर कोई छत नहीं है. जब भी मंदिर की दीवारों की ऊंचाई बढ़ाने की कोशिश की जाती है, हनुमान जी की मूर्ति की ऊंचाई भी अपने आप बढ़ने लगती है. इस चमत्कारी घटना ने मंदिर को विशेष पहचान दी है, जिससे इसे ‘चमत्कारिक हनुमान’ कहा जाता है.
जालोर स्टेशन से 10 किमी दूर है मंदिर
यहां आने वाले भक्तों का मानना है कि उनकी हर मनोकामना यहां पूर्ण होती है और इस मंदिर से उन्हें चमत्कारी अनुभव प्राप्त होते हैं. यह मंदिर जालोर से लगभग 10 किलोमीटर दूर है और सबसे नजदीकी रेलवे स्टेशन जालोर रेलवे स्टेशन भी 10 किलोमीटर की दूरी पर है. नेशनल हाइवे जालोर-जोधपुर से केवल 3 किलोमीटर पर स्थित यह मंदिर, भक्तों के लिए आसानी से पहुंचने योग्य है.
संतान प्राप्ति के लिए लोग मांगते हैं मन्नत
मंदिर के पुजारी हस्तीमल गर्ग ने लोकल 18 से बातचीत करते हुए बताया कि इस मंदिर में पीढ़ियों से दलित समाज के लोग पूजा अर्चना करते आ रहे हैं. मंगलवार व शनिवार को यहां हनुमान जी की विशेष पूजा होती है और भक्तगण संतान प्राप्ति और अन्य इच्छाओं की पूर्ति के लिए मन्नत मांगते हैं. पुजारी हनुमान जी की गदा से भक्तों को आशीर्वाद देते हैं. मंगलवार व शनिवार के दिन यहां मेला लगा रहता है, जहां जालौर से भक्तगढ़ पदयात्रा करके भी पहुंचते हैं.
मंदिर में आकर्षण यहां की 13 अखंड ज्योति है. मन्नत पूरी होने के बाद भक्त यहां अखंड ज्योत जलाते हैं, जिसे मंदिर के पुजारी नियमित रूप से घी और तेल से संभालते हैं. मंदिर में हनुमान जी के प्रसाद में बड़े मखाने का भोग लगता है और भक्तगण मूर्ति पर तेल सिंदूर और माली पन्ना चढ़ाते हैं।.
पितृपक्ष में ब्राह्मणों को करा रहे हैं भोजन तो गलती से भी न परोसें ये 2 सब्जियां, रुष्ट होकर पितर जा सकते हैं वापस
29 Sep, 2024 06:30 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
इन दिनों पितृपक्ष चल रहा है. 17 सितंबर से शुरू हुआ पितृ पक्ष 2 अक्टूबर को समाप्त हो जाएगा. आमतौर पर 15-16 दिनों तक होता है, जो भाद्रपदा पूर्णिमा से लेकर अश्विन अमावस्या तक चलता है. मुख्य रूप से पितृ पक्ष मृत पूर्वजों के सम्मान, उनकी आत्मा को शांति प्रदान करने और मोक्ष प्राप्ति के लिए मनाया जाता है. इन दिनों लोग अपने पितरों को सम्मान देने के लिए उनका श्राद्ध और तर्पण करते हैं. ऐसा माना जाता है कि इन दिनों में पूर्वज धरती पर आते हैं और पितरों के लिए तर्पण करने वाले परिवारों को आशीर्वाद देते हैं.
जैसा कि आप जानते हैं कि पितृपक्ष में पितरों का तर्पण, पिंडदान, श्राद्ध आदि किया जाता है. मान्यता है कि पितर इस दौरान पृथ्वी पर आते हैं. ऐसे में लोग अपने पूर्वजों का आशीर्वाद पाने के लिए उन्हें तृप्त करते हैं. इस दौरान ब्राह्मणों को लोग भोजन भी कराते हैं, ताकि पितरों की आत्मा को शांति मिले. उनका आशीर्वाद प्राप्त हो और वे प्रसन्न होकर यहां से लौटें. मान्यता है कि पितृपक्ष में ब्राह्मणों को भोजन कराने से शुभ होता है. लेकिन, भोजन में क्या देना चाहिए, इस बात का खास ख्याल रखना जरूरी होता है. इस दौरान कुछ चीजों को भूलकर भी उनकी थाली में नहीं परोसनी चाहिए. खासकर, दो तरह की सब्जियां तो बिल्कुल भी नहीं खिलानी चाहिए.
पितृ पक्ष में कौन सी सब्जी नहीं खिलानी चाहिए?
पितृ पक्ष में यदि आप ब्राह्मणों को भोजन नहीं कराते हैं तो यह अधूरा माना जाता है. ऐसे में श्राद्ध भी पूरा नहीं होता है. ऐसी मान्यता है कि जब आप श्राद्ध के दौरान ब्राह्मणों को भोजन कराते हैं तो वह सीधा पितरों तक पहुंचता है. आप भी ब्राह्मणों को भोजन कराने का सोच रहे हैं तो सब्जी खरीदते समय पत्ता गोभी और कुम्हड़ा की सब्जी ना खरीदें और ना ही पकाएं. कुम्हड़ा को कोहड़ा, कद्दू, पेठा, एश गार्ड आदि भी कहते हैं. आयुर्वेद में बेशक कुम्हड़ा के पौधे को औषधीय माना गया है, लेकिन पितृपक्ष के दौरान ब्राह्मण भोज में इन दोनों ही सब्जियों को शामिल करना शुभ नहीं होता है. इन सब्जियों को पितर ग्रहण नहीं करते. वे नाराज होकर वापस लौट सकते हैं. ऐसे में श्राद्ध कर्म के दौरान इन्हें खाने या खिलाने से बचना ही चाहिए.
पितृपक्ष में ब्राह्मणों को क्या खिला सकते हैं
ब्राह्मणों को भोजन कराएं तो उड़द की दाल, गाय के दूध से बनी खीर, तोरई की सब्जी आदि खिला सकते हैं.
पितृ पक्ष में कौए का घर में आना किस बात का संकेत? पानी पीते देखना भी विशेष, माना जाता है पितरों का संदेश
29 Sep, 2024 06:15 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
आमतौर पर कौआ किसी के लिए खास नहीं होता और आपने किसी को कौआ पालते या उसे खाना खिलाते भी नहीं देखा होगा. लेकिन जब पितृ पक्ष आते हैं तो लोग कौओं को ढूंढते हैं और खाना खिलाते हैं क्योंकि हिन्दू धर्म में कौओं को पितरों का प्रतीक माना गया है. ऐसा माना जाता है कि यदि आप कौओं को खाना खिलाते हैं तो इससे पितर खुश होते हैं. लेकिन कौओं से जुड़ी कुछ ऐसी घटनाएं भी आपके सामने होती हैं, जो आपको आपके पितरों का संदेश देती हैं.
1. कौए का आपके घर आना
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, कौए यदि आपके घर आते हैं तो जरूर कोई ना कोई संदेश लेकर आते हैं क्योंकि इन्हें धरती और यमलोक को जोड़ने वाला दूत भी माना जाता है. ये आपके पितरों का संदेश लाते भी हैं और आपका संदेश पितृ लोक तक पहुंचाते भी हैं.
2. कौए को पानी पीते देखना
यदि आप पितृ पक्ष के दौरान किसी कौए को पानी पीते हुए देखते हैं तो समझ जाइए कि आपकी जिंदगी की समस्याएं अब खत्म होने वाली हैं. इसके अलावा कौए को पानी पीते देखने का संकेत है कि आपके घर में शांति और सुख-समृद्धि आने वाली है.
3. कौए का सिर पर बैठने का संकेत
धार्मिक मान्यता है कि यदि कौआ किसी के सिर पर बैठता है तो उसकी मृत्यु टल जाती है. हालांकि, इसके लिए आपको उस व्यक्ति की मृत्यु की झूठी खबर अपने रिश्तोदारों को देनी होगी. आपके ऐसा करने से उस पर आने वाला काल टल सकता है.
4. कौए का चोंच में रोटी दबाना
यदि आप किसी कौए को चोंच में रोटी दबाते हुए देखते हैं या फिर कोई कौआ अपनी चोंच में रोटी दबाकर आपके घर या आंगन में ले आया है तो यह संकेत है कि आपके पितर आपसे खुश हैं. यह संकेत देता है कि आने वाले दिनों में आप पर धन-धान्य की कमी नहीं रहने वाली है.
महल जैसा है मुंबई का यह मंदिर, सुंदरता देख दीवाने हो जाते हैं लोग! इस वजह से भी है बहुत खास
29 Sep, 2024 06:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
मुंबई में जैन धर्म को मानने वाले बहुत लोग हैं. इसी शहर में कुछ ऐसे जैन मंदिर हैं, जहां रोज हजारों की संख्या में लोग दर्शन करने आते हैं. मुंबई के पाइधोनी में स्थित गोडिजी पार्श्वनाथ जैन मंदिर, शहर के सबसे प्रसिद्ध जैन मंदिरों में से एक है. जैन धर्म के 23वें तीर्थंकर भगवान पार्श्वनाथ को समर्पित है. इसका निर्माण मूल रूप से 1812 में एक प्रमुख जैन व्यापारी सेठ अमीचंद द्वारा किया गया था.
मुंबई के तीन खास जैन मंदिर
मुंबई के पाइधोनी में स्थित गोडिजी पार्श्वनाथ जैन मंदिर के पास दो और महत्वपूर्ण जैन मंदिर हैं, जो स्थानीय जैन समुदाय के लिए एक महत्वपूर्ण आध्यात्मिक नेटवर्क बनाते हैं. कुछ ही दूरी पर श्री जगवल्लभ पार्श्वनाथ जैन मंदिर है. जो अपने शांतिपूर्ण माहौल और जटिल नक्काशीदार वास्तुकला के लिए जाना जाता है. भगवान पार्श्वनाथ को समर्पित, यह मंदिर कई भक्तों को आकर्षित करता है और ध्यान और पूजा के लिए एक आदर्श स्थान है.
पास का एक अन्य मंदिर शांतिनाथ जैन मंदिर है, जो जैन धर्म के 16वें तीर्थंकर भगवान शांतिनाथ को समर्पित है. यह मंदिर अपने शांत वातावरण और खूबसूरती से सजाए गए गर्भगृह के कारण अलग दिखता है. गोडिजी पार्श्वनाथ मंदिर के साथ, ये मंदिर मुंबई के केंद्र में महत्वपूर्ण जैन धार्मिक स्थलों की एक त्रयी बनाते हैं.
मंदिर की बनावट महल के जैसी
इस मंदिर को मुख्य रूप से सफेद संगमरमर का उपयोग करके बनाया गया है. यह मंदिर शास्त्रीय भारतीय मंदिर वास्तुकला और अलंकृत शिल्प कौशल का मिश्रण प्रदर्शित करता है. प्रवेश द्वार जिसमें सुंदर नक्काशीदार खंभे, मेहराब और आंतरिक गर्भगृह की ओर जाने वाला एक स्वागत योग्य मंडप है. प्रत्येक स्तंभ को जैन तीर्थंकरों की विस्तृत नक्काशी, पुष्प रूपांकनों और ज्यामितीय पैटर्न से सजाया गया है, जो पवित्रता और आध्यात्मिक सद्भाव का प्रतीक है. मंदिर परिसर में अन्य जैन देवताओं को समर्पित छोटे मंदिर भी शामिल हैं, जिनमें से प्रत्येक को समान जटिल संगमरमर के काम से सजाया गया है.
दूर-दूर से देखने आते हैं लोग
इस मंदिर की बनावट ऐसी है, जैसे आप किसी महल में आ गए हों. तभी तो लोग इन मंदिरों को देखने के लिए दूर-दूर से आते हैं.
राशिफल: जानिए, कैसा रहेगा आपका आज का दिन (29 सितंबर 2024)
29 Sep, 2024 12:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
मेष राशि - दूर की यात्रा सफलता पूर्वक होगी, शत्रु पक्ष कमजोर होगा, कार्य में अवरोध होगा, धैर्य रखें।
वृष राशि - अच्छे गुणों की हानि होगी, स्त्री-संतान के कार्यों पर विशेष ध्यान देने की आवश्यकता है, सावधान रहें।
मिथुन राशि - आर्थिक कमी के कारण मानसिक क्लेश होगा, संतान पक्ष से कष्ट होगा, समय को ध्यान में रखकर आगे बढ़ें।
कर्क राशि - प्रिय-जनों से भेंट-मिलाप होगा, स्थिति में सुधार होगा, साधनों की प्राप्ति होगी, कार्य पर विशेष ध्यान दें।
सिंह राशि - संतान के स्वास्थ्य पर ध्यान दें, सभी कार्य में प्रगति होगी, रुके कार्य ध्यान देने से बनेंगे, आलस्य से हानि होगी।
कन्या राशि - राजकीय तथा नौकरी के कार्यों में सफलता मिलेगी, परिश्रम से लाभ होगा, कार्य को समय पर पूरा करें।
तुला राशि - यात्रा से हित का अवसर मिलेगा, विचारों का आदान-प्रदान होगा, वरिष्ठ जनों से मेल-मुलाकात होगी।
वृश्चिक राशि - स्वजनों का साथ मिलेगा, प्रयत्न से धन एवं वाहन की प्राप्ति होगी, आलस्य से हानि, कार्य पर ध्यान दें।
धनु राशि - साहसिक कार्यों में रुचि बढ़ेगी, भाग्योन्नति से पत्नी व संतान के दायित्वों की पूर्ति होगी, समय का लाभ लें।
मकर राशि - व्यवसाय में कोई परिवर्तन नहीं होगा, कार्य में बाधा बनेगी, व्यापार-व्यवसाय में ध्यान देने से लाभ होगा।
कुंभ राशि - उद्योग में बाधायें आयेंगी किन्तु यात्रा अवश्य करें, रुके कार्य समय पर पूर्ण करने का प्रयास अवश्य करें।
मीन राशि - अध्ययन में रुचि बढ़ेगी, मानसिक व शारीरिक भ्रम-बाधा बनेगी, कार्य की अधिकता रहेगी, श्रम से लाभ होगा।
पितृ पक्ष में क्या करना है सही और क्या गलत?
28 Sep, 2024 06:45 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
बल्लभगढ़ के सेक्टर 63 में रहते हैं, पिछले 18 वर्षों से ज्योतिष में विशेषज्ञता रखते हैं. उन्होंने पितृपक्ष के दौरान बरती जाने वाली सावधानियों और इस अवधि के अंत में लगने वाले सूर्य ग्रहण के बारे में जानकारी दी है. पं. उमा शंकर ज्योतिषाचार्य ने 16 दिनों के पितृपक्ष के दौरान बरती जाने वाली सावधानियों पर प्रकाश डाला. साथ ही उन्होंने 2 अक्टूबर को होने वाले सूर्य ग्रहण का भी उल्लेख किया, जो भारत में प्रभाव नहीं डालेगा लेकिन अन्य देशों में दिखाई देगा.
पितृपक्ष में बरती जाने वाली सावधानियां
पं. उमा शंकर के अनुसार, पितृपक्ष की अवधि 16 दिनों की होती है. इस दौरान निम्नलिखित सावधानियों का पालन करना अनिवार्य है:
-इस दौरान बाल नहीं कटवाने चाहिए और साबुन का उपयोग नहीं करना चाहिए.
-लहसुन और प्याज का सेवन वर्जित है.
-पितरों को समर्पित भोजन को शुद्धता और स्वच्छता से तैयार करना चाहिए. पितरों की शांति के उपाय
पं. उमा शंकर ने बताया कि पितरों की शांति के लिए श्राद्ध, तर्पण, नारायण बलि और गंगा में पिंडदान करना अनिवार्य है. पितृपक्ष के दौरान गया जाकर पिंडदान करने से सात से 21 पीढ़ियों तक के पितरों को मोक्ष प्राप्त होता है. पितरों की शांति से घर में सुख-समृद्धि आती है, और उनकी अशांति से समस्याएं उत्पन्न होती हैं.
सूर्य ग्रहण का महत्व और सावधानियां
पितृपक्ष के अंतिम दिन, 2 अक्टूबर को सूर्य ग्रहण लगेगा, जो रात 9:13 बजे से शुरू होकर 3:17 बजे तक रहेगा. हालांकि, यह ग्रहण भारत में नहीं दिखाई देगा, बल्कि अमेरिका, अफ्रीका, ईरान और इराक में दिखाई देगा.
पितरों की शांति के उपाय
पं. उमा शंकर ने बताया कि पितरों की शांति के लिए श्राद्ध, तर्पण, नारायण बलि और गंगा में पिंडदान करना अनिवार्य है. पितृपक्ष के दौरान गया जाकर पिंडदान करने से सात से 21 पीढ़ियों तक के पितरों को मोक्ष प्राप्त होता है. पितरों की शांति से घर में सुख-समृद्धि आती है, और उनकी अशांति से समस्याएं उत्पन्न होती हैं.
सूर्य ग्रहण का महत्व और सावधानियां
पितृपक्ष के अंतिम दिन, 2 अक्टूबर को सूर्य ग्रहण लगेगा, जो रात 9:13 बजे से शुरू होकर 3:17 बजे तक रहेगा. हालांकि, यह ग्रहण भारत में नहीं दिखाई देगा, बल्कि अमेरिका, अफ्रीका, ईरान और इराक में दिखाई देगा.
सूर्य ग्रहण के दौरान पालन करने योग्य बातें
सूर्य ग्रहण के समय भगवान का स्मरण, भजन-कीर्तन करना चाहिए. गर्भवती महिलाओं को विशेष सावधानी बरतनी चाहिए. इस दौरान दान करने, विशेषकर तुलादान और गंगा स्नान का अत्यधिक महत्व होता है. गंगा स्नान संभव न होने पर घर पर गंगाजल मिलाकर स्नान करने से भी गंगा स्नान का फल प्राप्त होता है.
एमपी के इस मंदिर में जलती 21 अखंड ज्योतियां,108 दीपों से होती है आरती
28 Sep, 2024 06:30 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
सतना के बिरला रोड स्थित सिद्धदात्री माता मंदिर है. जिसे स्थानीय लोग डिपो मंदिर के नाम से जानते हैं. शहरवासियों के लिए एक प्रमुख आस्था का केंद्र बन चुका है. लगभग 70 साल पुराने इस मंदिर में देवी दुर्गा के नौ रूपों और हनुमान जी की प्रतिमाएं स्थापित हैं. जो भक्तों के लिए विशेष श्रद्धा का प्रतीक हैं
मंदिर परिसर में एक 40 साल पुराना बेल का पेड़ है. जहां भक्त अपनी मन्नतें बांधते हैं. यह पेड़ मंदिर की धार्मिक महत्ता को और बढ़ाता है. इसके अलावा, 14 अप्रैल 1998 से यहाँ 21 अखंड ज्योतियां लगातार जल रही हैं, जो मंदिर की पवित्रता और आस्था को दर्शाती हैं.
आरती और पूजा विधि
मंदिर में प्रतिदिन पांच बार आरती होती है. पुजारी मृत्युंजय शुक्ला ने बताया कि मंदिर के पट सुबह 4 बजे खुलते हैं. सफाई के बाद पहली आरती सुबह 7 बजे होती है. अन्य आरतियां 9:30 बजे, 12 बजे, 7 बजे और रात 9 बजे की जाती हैं. खास बात यह है कि संध्या आरती के दौरान 108 दीपों से पूजा की जाती है. जो मंदिर की धार्मिक पवित्रता को और बढ़ाता है.
मंदिर का इतिहास और विकास
मंदिर के पुराने भक्त सुधाकर सिंह चौहान के अनुसार, इसका ढांचा डिपो के दो कर्मचारियों ने तैयार किया था. इसके पास एक पंडित द्वारा पीपल का पेड़ लगाया गया था. यहां धीरे-धीरे श्रद्धालुओं का आना-जाना शुरू हुआ. एक चायवाले ने पूजा-पाठ की परंपरा शुरू की. पहले नवरात्रि के समय माता की मूर्ति स्थापित की जाती थी. जिसे बाद में विसर्जित किया जाता था. लेकिन समय के साथ माता सिद्धदात्री की प्रतिमा को स्थायी रूप से विराजित कर दिया गया.
गजब रामलीला: कुंभकर्ण, रावण से लेकर हनुमान तक, इस रामलीला में होंगी सिर्फ महिलाएं
28 Sep, 2024 06:15 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
रामलीलाओं का मौसम आने वाला है. 3 अक्टूबर से नवरात्र शुरू होते ही देशभर में रामलीलाओं का मंचन भी शुरू हो जाएगा. अभी तक आपने भी खूब रामलीलाएं देखी होंगी लेकिन आज हम आपको एक ऐसी अनोखी रामलीला के बारे में बताने जा रहे हैं जहां उछल-कूद करते हनुमान भी और अट्टहास करते रावण का भी किरदार महिला निभाती है. इस रामलीला में पुरुषों का नामोनिशान नहीं होता, हर भूमिका में महिला होती है. खास बात है कि इस बार इसमें साढ़े 6 महीने की दुधमुंही बच्ची से लेकर 81 साल की बुजुर्ग महिला रामलीला में अभिनय करती नजर आएंगी.
आपको बता दें कि यह रामलीला पंजाब के जीरकपुर में पीरमुछल्ला ढकोली में आयोजित होने जा रही है. आपको सोचकर भी आश्चर्य होगा कि रावण, हनुमान, कुंभकर्ण जैसे भारी भरकम किरदारों में भी यहां महिलाएं ही नजर आने वाली हैं.
इस रामलीला को संचालित और निर्देशित करने वाली समाज सेविका एकता नागपाल News18hindi से बातचीत में बताती हैं कि महिलाओं की यह रामलीला 3 अक्टूबर से 12 अक्टूबर तक चलेगी. इस रामलीला की खास बात है कि इसके संचालन से लेकर अभिनय तक सिर्फ महिलाएं ही करेंगी. जो भी महिलाएं इस रामलीला में पार्ट प्ले कर रही हैं वे सभी महिलाएं बहुत पढ़ी-लिखी हैं और कामकाजी भी हैं. इस बार रिकॉर्ड 70 महिलाएं इसमें भाग लेने जा रही हैं.
मां बेटी निभाएंगी किरदार
एकता बताती हैं कि पिछले साल रामलीला मंचन में एक महिला प्रेग्नेंट थी. आज उसकी साढ़े 6 महीने की बच्ची है. इस बार रामलीला में मां और बेटी दोनों ही किरदार निभा रही हैं. जहां छोटी बच्ची दशरथ के चौथे बेटे शत्रुघ्न के किरदार में रहेगी वहीं उसकी मां भी रामलीला में अहम रोल करेगी.
इस बार खास होंगी ये चीजें
एकता कहती हैं कि रामलीला सिर्फ मनोरंजन न बनकर रह जाए, इससे समाज को सीख भी मिले इसके लिए इस बार कुछ चीजें खास की जा रही हैं. 10 दिन होने वाली रामलीला को 10 अलग-अलग सामाजिक कार्यों के लिए समर्पित किया जाएगा. जिनमें देश की सेना का सम्मान, दिव्यांगों के प्रति संवेदनशीलता, बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ, साइबर क्राइम से कैसे बचें आदि विषय शामिल होंगे. हर दिन इन पर एक प्रस्तुति रहेगी, साथ ही नवरात्र के महत्व को भी बतलाया जाएगा.
काशी में इस पेड़ पर रहते हैं हजारों भूत-प्रेत! जानें पिशाच मोचन कुंड की मान्यता
28 Sep, 2024 06:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
काशी महादेव की नगरी है. ऐसी मान्यता है कि यहीं से भगवान शिव ने सृष्टि रचना का प्रारम्भ किया था. धार्मिक मान्यता है कि यहां जो इंसान अंतिम सांस लेता है उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है इसीलिए कई लोग अपने अंतिम समय में काशी में ही आकर बस जाते हैं. मान्यता है कि काशी में मरने वाले लोगों के कान में भगवान शिव स्वयं तारक मंत्र बोलते हैं. इससे उनकी आत्मा सीधे जन्म-मरण के चक्र से मुक्त हो जाती है. लेकिन जो लोग काशी छोड़ दूसरी जगहों पर मरते हैं उनके मोक्ष प्राप्ति के लिए भी काशी में एक जगह है जिसे पिशाच मोचन तीर्थ के नाम से जाना जाता है. इसी पिशाच मोचन तीर्थ पर एक पुराना पेड़ है जहां सिक्के और कील में हजारों आत्माएं बसती है. ऐसी मान्यता है कि यहां पूजा के बाद उन अतृप्त और भटकती आत्माओं की मुक्ति के लिए उन्हें यहां बांधा जाता है. इसके लिए बाकायदा पूरी प्रकिया है.
पेड़ पर सिक्के और कील के साथ टंगे ये फोटो उन लोगों के है जिनकी किसी दुर्घटना में अकाल मृत्यु हुई है. मृत्यु के बाद उनकी आत्माएं प्रेत योनि में प्रवेश कर लोगों को सताती हैं. ऐसी भटकती आत्माओं के मुक्ति के लिए उनके परिजन काशी के पिशाच मोचन कुंड पर बकायदा पूजा पाठ के बाद उनकी फोटो को सिक्के और कील के जरिए इस पेड़ पर टांगते हैं. धार्मिक मान्यता के अनुसार पेड़ पर ऐसा करने से वो आत्माएं यहां बैठ जाती है और उन्हें प्रेत योनि से भी मुक्ति मिल जाती है.
सैकड़ों साल से जारी है परंपरा
पिशाच मोचन तीर्थ के पुरोहित नीरज कुमार पांडे ने लोकल 18 को बताया कि पितृपक्ष के दिनों में हजारों लोग जिनके परिजन की अकाल मृत्यु हुई है वो यहां आकर इस प्रकिया को करते हैं. इस कुंड पर त्रिपिंडी श्राद्ध और नारायण बलि से प्रेत योनि से मुक्ति मिलती है इसका उल्लेख शास्त्रों में है. लेकिन इस पेड़ पर सिक्के और कील से अतृप्त आत्माएं शांत होती है ऐसी सिर्फ लोक मान्यताएं हैं. जो सैकड़ों साल से चली आ रही है.
कील गाड़कर बैठाते है प्रेत
पुरोहित नीरज कुमार पांडे ने बताया कि जिन लोगों की मृत्यु किसी दुर्घटना में होती है उन्हें प्रेत से पितृ बनाने के लिए इस ऐतिहासिक पेड़ पर कील और सिक्का गाड़ा जाता है. पूजा और श्राद्ध के बाद कील गाड़कर लोग प्रेत को यहां बैठाते हैं. वैसे तो दिन के समय यहां काफी चहल पहल रहती है लेकिन रात के वक्त लोग कई बार यहां गुजरने से भी कतराते हैं
राशिफल: जानिए, कैसा रहेगा आपका आज का दिन (28 सितंबर 2024)
28 Sep, 2024 12:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
मेष राशि - राजकीय सम्मान तथा उच्च पद की प्राप्ति संभव है, संतान के कार्य बनेंगे, समय स्थिति का लाभ लें।
वृष राशि - धन लाभ होगा, स्वास्थ्य कुछ नरम-गरम रहेगा, मित्रों से प्रेम सहयोग बढ़ेगा, रुके कार्य ध्यान देने से बनेंगे।
मिथुन राशि - उत्तम विचार रहेंगे, भाग्योन्नति होगी, मानसिक अशांति रहेगी, कष्ट का वातावरण रहेगा, धैर्य रखें।
कर्क राशि - जमीन-जायजाद, मकान का लाभ मिलेगा, शारीरिक कष्ट होगा, निर्णय लेने में सावधानी अवश्य रखें।
सिंह राशि - दाम्पत्य जीवन में उल्लास रहेगा, झगड़े की स्थिति बनेगी, पड़ोसियों से लाभ होगा, वाद-विवाद से बचें।
कन्या राशि - दाम्पत्य में आकस्मिक झगड़े की स्थिति बनेगी, पड़ोसियों से कष्ट होगा, विवादपूर्ण स्थिति में धैर्य रखें।
तुला राशि - भाग्योन्नति होगी, व्यवसायिक जीवन में कमी, लाभ व उन्नति से बिगड़े कार्य बनेंगे, आलस्य से बचें।
वृश्चिक राशि - कार्य सिद्धि, स्त्री सुखादि में कमी, मन अशांत रहेगा, जीवन में सुखा रहेगा।
धनु राशि - सांसारिक सुखों में बाधा आयेगी, अनावश्यक धन व्यय होगा, कष्ट होगा, समय व धन नष्ट करने से बचें।
मकर राशि - शारीरिक स्वास्थ्य में कमी आयेगी, कार्य प्रगति में बाधा आयेगी, धन के अनावश्यक व्यय से कष्ट होगा।
कुंभ राशि - बौद्धिक विकास होगा, चतुराई एवं अधिकांश प्रयासों से लाभ होगा, समय पर कार्य करने से लाभ होगा।
मीन राशि - विभिन्न रोगों से शरीर पीड़ित रहेगा, संतान की शिक्षा में प्रगति होगी, परिश्रम से कार्यों में लाभ होगा।
इंदिरा एकादशी पर पूजा में शामिल करें ये 3 फूल, लक्ष्मी-नारायण का मिलेगा आशीर्वाद, पितृ दोष से भी पाएंगे मुक्ति!
27 Sep, 2024 06:45 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
हिन्दू धर्म में एकादशी तिथि का विशेष महत्व बताया गया है, वहीं अश्विन माह में आने वाली एकादशी को इंदिरा एकादशी के नाम से जाना जाता है. इस बार यह एकादशी 28 सितंबर को पड़ रही है. इस दिन संसार के कर्ताधर्ता श्रीहरि भगवान विष्णु और धन की देवी माता लक्ष्मी की पूजा की जाती है. ऐसी मान्यता है कि लक्ष्मी-नारायण की पूजा करने से जीवन के सभी कष्टों से मुक्ति मिलती है और सौभाग्य की प्राप्ति होती है. अश्विन माह में पितृ पक्ष के 15 दिन होते हैं. इस अवधि में आने वाली एकादशी पर पितरों का श्राद्ध और तर्पण करते हैं तो उनका भी आशीर्वाद मिलता है. भोपाल निवासी ज्योतिषाचार्य पंडित योगेश चौरे के अनुसार, भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी को यदि आप कुछ विशेष फूल चढ़ाते हैं तो आपको विशेष कृपा भी मिलती है. कौन से हैं ये फूल? आइए जानते हैं.
1. कमल के फूल
आपने माता लक्ष्मी और भगवान विष्णु का कोई ना कोई चित्र या प्रतिमा कमल के फूल के साथ जरूर देखी होगी. ऐसा कहा जाता है कि लक्ष्मी-नारायण दोनों को ही यह फूल बेहद पसंद है. पुराणों के अनुसार, समुद्र मंथन में श्रीहरि कमल के फूल पर विराजे थे. ऐसे में यदि आप एकादशी के दिन भगवान विष्णु और देवी लक्ष्मी को कमल का फूल चढ़ाते हैं तो आपको पापों से मुक्ति मिलती है और आपके जीवन में सुख-समृद्धि आती है.हिन्दू धर्म में एकादशी तिथि का विशेष महत्व बताया गया है, वहीं अश्विन माह में आने वाली एकादशी को इंदिरा एकादशी के नाम से जाना जाता है. इस बार यह एकादशी 28 सितंबर को पड़ रही है. इस दिन संसार के कर्ताधर्ता श्रीहरि भगवान विष्णु और धन की देवी माता लक्ष्मी की पूजा की जाती है. ऐसी मान्यता है कि लक्ष्मी-नारायण की पूजा करने से जीवन के सभी कष्टों से मुक्ति मिलती है और सौभाग्य की प्राप्ति होती है. अश्विन माह में पितृ पक्ष के 15 दिन होते हैं. इस अवधि में आने वाली एकादशी पर पितरों का श्राद्ध और तर्पण करते हैं तो उनका भी आशीर्वाद मिलता है. भोपाल निवासी ज्योतिषाचार्य पंडित योगेश चौरे के अनुसार, भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी को यदि आप कुछ विशेष फूल चढ़ाते हैं तो आपको विशेष कृपा भी मिलती है. कौन से हैं ये फूल? आइए जानते हैं.
2. गुलाब के फूल
भगवान विष्णु को गुलाब का फूल भी प्रिय है और गुलाब की सुगंध मन को शांत भी रखती है. ऐसे में यदि आप एकादशी के दिन भगवान विष्णु को गुलाब का फूल चढ़ाते हैं तो आपके सौभाग्य में वृद्धि होती है. अश्विन मास में पितृ पक्ष होने के चलते आपको पितरों का आशीर्वाद भी मिलता है और साथ ही पितृ दोष से मुक्ति भी मिलती है, इसलिए आपको इंदिरा एकादशी पर गुलाब का फूल जरूर चढ़ाना चाहिए.
3. सफेद फूल
आपको बता दें कि सफेद फूल को शांति का प्रतीक माना जाता है और यह भगवान विष्णु को भी बेहद प्रिय है. ऐसा माना जाता है कि जो भी व्यक्ति श्रीहरि को सफेद फूल अर्पित करता है, उसकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं. इसके अलावा सफेद फूल चढ़ाने से आपका मन शांत रहता है. खास तौर पर इंदिरा एकादशी पर लक्ष्मी-नारायण को सफेद फूल चढ़ाने से आपको आशीर्वाद मिलता है और आपका जीवन सुखमय होता है.
इस मंदिर से भरत जी सिर में रखकर अयोध्या लाए थे प्रभु श्री राम की चरण पादुका
27 Sep, 2024 06:30 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
धर्म नगरी चित्रकूट भारतीय संस्कृति और धार्मिक आस्था का महत्वपूर्ण केंद्र है. यह स्थान भगवान राम के वनवास का एक प्रमुख हिस्सा रहा है. वनवास काल के दौरान प्रभु श्री राम ने यहां साढ़े ग्यारह वर्ष बताया था. ऐसे में आज हम चित्रकूट में बने एक ऐसे मंदिर के बारे में बताने जा रहे हैं. जहां से भरत जी प्रभु श्री राम की चरण पादुका को सर में रखकर अयोध्या के लिए निकले थे. जिस मंदिर में आज भी हजारों की तादाद में श्रद्धालु पहुंचते हैं.
सर में चरण पादुका रखकर अयोध्या लौटे थे भरत
बता दें कि रामघाट के मंदाकिनी तट पर स्थित भरत मंदिर इस ऐतिहासिक संवाद का प्रतीक है.जब श्री राम वनवास के दौरान चित्रकूट आए, तब भरत जी अपनी तीनों माताओं केकई, कौशल्या और सुमित्रा के साथ अयोध्या से चित्रकूट पहुंचे थे. भरत जी की भक्ति और प्रेम के कारण राम जी ने उनसे मिलने का निर्णय लिया और भरत मंदिर में चार-पांच दिन तक रहे. इस दौरान भरत जी ने राम को अयोध्या लौटने के लिए मनाने की कोशिश की, लेकिन श्री राम ने अपने धर्म का पालन करते हुए वनवास को स्वीकार किया. इस दौरान भरत जी अयोध्या में राम राज्य चलाने के लिए उनकी चरण पादुका को लेकर भरत मंदिर से अयोध्या के लिए निकल गए थे.
पुजारी ने दी जानकारी
चित्रकूट भरत मंदिर के पुजारी श्याम दास ने लोकल 18 से बातचीत में बताया कि भरत जी अयोध्या से श्री राम को मनाने के लिए तीन माताओं और गुरुओं के साथ चित्रकूट आए थे. उन्होंने रामघाट के तट में मंदाकिनी नदी में स्नान किया और भरत मंदिर में श्री राम से चार-पांच दिन तक वार्ता भी की थी.और प्रभु श्री राम से घर वापस लौट चलने की जिद में अड़े हुए थे.हालांकि,श्री राम अयोध्या जाने के लिए राजी नहीं हुए. इस दौरान श्री राम ने भरत जी को आदेश दिया कि वे अयोध्या का राज्य संभालें तब भरत जी राम राज्य चलाने के लिए भाई राम से उनकी खड़ाऊं मांगी,प्रभु राम से अपनी चरण पादुका देकर भरत जी को अयोध्या भेज दिया, जबकि खुद चित्रकूट में वनवास के लिए रुक गए. आज भी इस मंदिर में दूर-दूर से भक्त मंदिर में विराजमान श्री राम के पूरे परिवार के दर्शन करने के लिए आते हैं. और अपनी मनोकामनाओं की पूर्ति करवाते हैं.
इस नीले फूल का उपाय बदल सकता है आपकी किस्मत, जल्द मिलेगी नौकरी, आर्थिक तंगी भी होगी दूर!
27 Sep, 2024 06:15 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
हर पूजा-पाठ में फूलों का खास महत्व होता हैं. देवी-देवताओं की आराधना में उन्हें फूल अर्पित करने से वो प्रसन्न होते हैं. कई फूल-पौधे देवताओं को विशेष रूप से प्रिय होते हैं. इनमें से एक है अपराजिता फूल, जिसे विष्णुकांता फूल भी कहा जाता है. इस फूल का इस्तेमाल कई ज्योतिष उपायों में भी किया जाता है. यह फूल भगवान विष्णु के साथ-साथ शनि देव को भी बहुत प्रिय है. अपराजिता के फूल से जुड़े इन आसान उपायों को करने से घर में सुख-शांति आती है. अपराजिता के फूल से जुड़े खास उपाय करने से आर्थिक तंगी से दूर हो जाती है. जानते हैं इन उपायों के बारे में.
मनोकामना की पूर्ति के लिए
हनुमान जी के चरणों में अपराजिता के फूल अर्पित करने से धन की कभी कमी नहीं होती है. अगर लंबे समय से आपकी कोई मनोकामना पूरी नहीं हो रही है तो अपराजिता फूल से जुड़ा ये उपाय कर सकते हैं. अपराजिता के फूलों की बनी माला मां दुर्गा, भगवान शिव और भगवान विष्णु को अर्पित करें. इससे आपकी मनोकामना जल्दी पूरी होगी. अपराजिता के कुछ फूल घर के ईशान कोण में रखने से नकारात्मक ऊर्जा नहीं आती है.
आर्थिक तंगी दूर करने के लिए
अगर आपके पास पैसे की किल्लत चल रही है तो आप अपराजिता फूल का टोटका करें, लाभ प्राप्त होगा. इसके लिए आपको मात्र इतना करना है कि शनिवार के दिन 3 अपराजिता के फूल जल में प्रवाहित करें. ऐसा तीन शनिवार तक करना है. इससे धन की कमी दूर होगी.
शीघ्र विवाह के लिए
अगर आपकी शादी में विलंब हो रहा है या फिर वैवाहिक जीवन में परेशानी चल रही है तो अपराजिता के 5 फूल किसी सूने जगह में ले जाकर दबा दें. जमीन खोदने के लिए लकड़ी का उपयोग करें.
परेशानियों से मुक्ति के लिए
अगर आपके जीवन में परेशानी चल रही है तो आप शनिवार के दिन भगवान शनिदेव को अपराजिता का फूल चढ़ाएं. परेशानी दूर होगी. वहीं सुख-शांति के लिए सोमवार के दिन भगवान भोलेनाथ को अपराजिता का फूल चढ़ाना उत्तम बताया गया है.
मनचाही नौकरी पाने के लिए
अगर आपको मनचाही नौकरी चाहिए तो 5 अपराजिता के फूल तथा 5 फिटकरी के छोटे टुकडे लेकर अपने इष्टदेव को चढ़ाएं तथा दूसरे दिन इंटरव्यू में जाने से पहले उन फूलों को आपने पर्स में रख लें. ऐसा करने से मनचाही नौकरी प्राप्त करने में सफलता मिलेगी.
धरती पर मानव रूप में जीवित हैं परशुराम, महादेव से मिला था चिरंजीवी का वरदान, 7 अमर लोगों में से हैं एक
27 Sep, 2024 06:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
हिन्दू धर्म में भगवान परशुराम को श्रीहरि विष्णु का छठवां अवतार माना जाता है. वे महादेव के अनन्य भक्तों में से एक थे और उनकी गाथा सतयुग से लेकर कलयुग तक सुनने को पढ़ने को मिलती हैं. पौराणिक कथाओं के अनुसार, परशुराम का जन्म ऋषि-मुनियों की रक्षा के लिए हुआ था. बेहद क्रोधी स्वभाव वाले परशुराम युद्ध कला में भी माहिर थे. उन्होंने महाभारत युद्ध के बड़े योद्धा भीष्म पितामह के अलावा द्रोणाचार्य और कर्ण जैसे कई योद्धाओं को शिक्षा दी थी.
कहा जाता है कि परशुराम का जन्म ऋषि-मुनियों की रक्षा के लिए हुआ था और उनके कई कार्य प्रशंसनीय थे, जिससे भगवान शिव ने प्रसन्न होकर उन्हें चिरंजीवी का वरदान दिया था. ऐसा कहा जाता है कि परशुराम आज भी धरती पर कहीं ना कहीं मानवरूप में जीवित हैं. आइए जानते हैं चिरंजीवी परशुराम के बारे में भोपाल निवासी ज्योतिषी एवं वास्तु सलाहकार पंडित हितेंद्र कुमार शर्मा से.
कैसे पड़ा परशुराम नाम
पौराणिक कथाओं के अनुसार, परशुराम भगवान विष्णु के छठवें अवतार हैं. परशुराम का जन्म प्रदोष काल में हुआ था और बचपन से ही वे भगवान शिव की भक्ति में लीन रहने लगे थे. महाभारत और विष्णु पुराण के अनुसार, परशुराम जी का मूल नाम राम था. चूंकि, वे भगवान शिव के अनन्य भक्त थे इसलिए एक बार उन्हें भगवान शिव ने परशु नामक अस्त्र प्रदान किया था और यह अस्त्र मिलने के बाद से ही वे परशुराम कहलाए थे.
भगवान गणेश पर किया था प्रहार
ग्रंथों में ऐसा उल्लेख मिलता है कि महादेव के भक्त होने के चलते परशुराम एक बार जब उनसे मिलने कैलाश पर्वत गए तो भगवान गणेश ने उन्हें रोक दिया था जिससे क्रोधित होकर परशुराम ने उन पर अपने सस्त्र परशु से प्रहार कर दिया था जिससे उनका एक दांत टूट गया था और तभी से वे एकदंत कहलाए. रामायण में भी वे सीता जी के स्वयंवर में आए थे और भगवान राम का अभिनंदन किया था.
भगवान गणेश पर किया था प्रहार
ग्रंथों में ऐसा उल्लेख मिलता है कि महादेव के भक्त होने के चलते परशुराम एक बार जब उनसे मिलने कैलाश पर्वत गए तो भगवान गणेश ने उन्हें रोक दिया था जिससे क्रोधित होकर परशुराम ने उन पर अपने सस्त्र परशु से प्रहार कर दिया था जिससे उनका एक दांत टूट गया था और तभी से वे एकदंत कहलाए. रामायण में भी वे सीता जी के स्वयंवर में आए थे और भगवान राम का अभिनंदन किया था.
राशिफल: जानिए, कैसा रहेगा आपका आज का दिन (27 सितंबर 2024)
27 Sep, 2024 12:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
मेष राशि - स्वजनों व मित्रों से वाद-विवाद की संभावना, कार्यक्षेत्र में अड़चने आयेंगी, वार्तालाप में सावधानी अवश्य रखें।
वृष राशि - उच्च पद की प्राप्ति होगी, अनेक सुखों का भोग तथा उच्च वर्ग का सानिध्य प्राप्त होगा, धन लाभ होगा।
मिथुन राशि - अनेक तरह की समस्याओं से मानसिक एवं व्यवसायिक रुकावटें बनेंगी, धैर्य एवं सावधानी से कार्य करें।
कर्क राशि - नवीन कार्य में सफलता तथा शारीरिक कष्टों से छुटकारा मिलेगा, परिश्रम से कार्य में लाभ होगा।
सिंह राशि - सतसंग एवं स्वाध्याय से लाभ होगा, विभागीय कार्य सावधानी से करें, स्वास्थ्य का ध्यान अवश्य रखें।
कन्या राशि - कार्य-व्यवासय में अर्थ लाभ होगा, स्वास्थ्य पर ध्यान दें, विभागीय कार्यों में सावधानी रखें।
तुला राशि - धन प्राप्ति के योग हैं, भाग्य आपका साथ देगा, स्वास्थ्य पर विशेष ध्यान देने की आवश्यकता है।
वृश्चिक राशि - दुष्टों की संगति से कार्य बिगड़ सकता है, शत्रुओं से सतर्क रहें, अपने कार्य पर ध्यान दें।
धनु राशि - व्यवसायिक सहयोग मिलेगा, बच्चों से सुख-शांति रहेगी, परिस्थिति अनुसार निर्णय कर आगे बढ़ें।
मकर राशि - कार्यक्षेत्र का विस्तार होगा, पारिवार में सुख-समृद्धि अवश्य होगी, समय का ध्यान अवश्य रखें।
कुंभ राशि - न्यायालीन कार्यों में सफलता अवश्य ही प्राप्त होगी, परिश्रम से कार्यों में सफलता मिलेगी, धन लाभ होगा।
मीन राशि - कार्य-व्यवसाय में अर्थलाभ होगा, विभागीय कार्यों पर ध्यान दें, आलस्य से बचें, परिश्रम से लाभ होगा।