धर्म एवं ज्योतिष
मकर संक्रांति पर बन रहा रवि योग, सूर्य पूजा से होंगे 5 बड़े फायदे, जान लें स्नान-दान मुहूर्त
3 Jan, 2024 06:30 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
इस साल 2024 में मकर संक्रांति के दिन रवि योग का निर्माण हो रहा है. मकर संक्रांति के अवसर पर स्नान दान के बाद सूर्य देव की पूजा करते है और रवि योग भी सूर्य पूजा के लिए उत्तम माना जाता है. सूर्य देव जिस समय मकर राशि में प्रवेश करते हैं, उस समय ही मकर संक्रांति होती है. मकर संक्रांति के दिन शुभ मुहूर्त में पवित्र नदियों में स्नान करना चाहिए. उसके बाद सूर्य देव को जल से अर्घ्य देना चाहिए. उसके बाद काला तिल, गुड़, चावल, गेंहू, गरम कपड़े आदि का दान करना चाहिए. वैसे भी रवि योग में यह दान उत्तम फल प्रदान करता है. तिरुपति के ज्योतिषाचार्य डॉ. कृष्ण कुमार भार्गव से जानते हैं कि मकर संक्रांति कब है? मकर संक्रांति के दिन रवि योग कब बन रहा है? मकर संक्रांति पर स्नान और दान का मुहूर्त क्या है?
मकर संक्रांति 2024 तारीख
वैदिक पंचांग के अनुसार, ग्रहों के राजा सूर्य देव शनि की राशि मकर में 15 जनवरी 2024 को 02:54 एएम पर प्रवेश करेंगे. उस समय सूर्य की मकर संक्रांति होगी. इस आधार पर मकर संक्रांति 15 जनवरी सोमवार को मनाई जाएगी. उस दिन पौष माह के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि है.
मकर संक्रांति 2024 स्नान-दान मुहूर्त
15 जनवरी को मकर संक्रांति के दिन महा पुण्यकाल 07:15 एएम से 09:00 एएम तक है. उस दिन महा पुण्यकाल पौने दो घंटे है. महा पुण्यकाल में मकर संक्रांति का स्नान और दान करना श्रेष्ठ है. हालांकि उस दिन ब्रह्म मुहूर्त से ही मकर संक्रांति का स्नान-दान प्रारंभ हो जाता है और पूरे दिन तक चलता है. उस दिन ब्रह्म मुहूर्त 05:27 एएम से 06:21 एएम तक है. मकर संक्रांति वाले दिन वरीयान योग सुबह से रात 11:11 पीएम तक है.
रवि योग में मकर संक्रांति 2024
इस साल मकर संक्रांति के अवसर पर रवि योग बन रहा है. रवि योग सुबह 07 बजकर 15 मिनट से सुबह 08 बजकर 07 मिनट तक है. उसके बाद अगले दिन सुबह 06 बजकर 10 मिनट से सुबह 07 बजकर 15 मिनट तक है. इस योग में स्नान, दान और सूर्य की पूजा करना बहुत ही कल्याणकारी होता है.
कैसे बनता है रवि योग?
रवि योग का निर्माण तब होता है, जब चंद्रमा का नक्षत्र सूर्य के नक्षत्र से चौथे, छठे, नौवें, दसवें, तेरहवें या बीसवें होता है. कुंडली में रवि योग के कारण व्यक्ति का मान-सम्मान और प्रभाव बढ़ता है. वह उच्च पद प्राप्त कर सकता है. व्यक्ति दान और सहयोग भी करता है. रवि योग सभी दोषों को नष्ट करता है. इस योग में आप जो भी कार्य करते हैं, उसका शुभ फल प्राप्त होता है.
मकर संक्रांति: रवि योग में सूर्य पूजा होंगे 5 बड़े फायदे
1. रवि योग में सूर्य पूजा करने से आपके जीवन के कष्ट दूर होने लगेंगे. सूर्य कृपा से आपकी आयु और सेहत में वृद्धि होगी. रोगों से मुक्ति मिल सकती है.
2. रवि योग के समय आप कोई कार्य करते हैं तो उसमें सफलता प्राप्ति की संभावना अधिक होती है. इस योग के कारण सभी दोष दूर होते हैं और कार्य सफल होते हैं.
3. रवि योग में भगवान भास्कर की पूजा करने से घर धन और धान्य से भरता है. मकर संक्रांति को सूर्य देव की कृपा से शनि महाराज का घर धन-धान्य से परिपूर्ण हो गया था.
4. सूर्य देव की पूजा रवि योग में करने से करियर में तरक्की के मार्ग प्रशस्त होते हैं. मकर संक्रांति को आप सूर्य देव से जुड़ी वस्तुओं गुड़, लाल वस्त्र, घी, तांबा आदि का दान करें.
5. रवि योग के शुभ फल को पाने के लिए अहंकार से दूर रहें. माता-पिता और बड़े-बुजुर्गों का अनादर न करें. नियम विरूद्ध कार्य न करें. अपने प्रभाव में वृद्धि के लिए सूर्य देव को पानी में लाल चंदन और लाल फूल डालकर अर्घ्य दें.
नए साल में 2 बार है सफला एकादशी, ऐसा क्यों? जानें विष्णु पूजा का मुहूर्त, व्रत पारण समय और महत्व
3 Jan, 2024 06:15 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
नए साल 2024 का पहला एकादशी व्रत सफला एकादशी है. हिंदू कैलेंडर के अनुसार, पौष माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को सफला एकादशी का व्रत रखा जाता है. नए साल में सफला एकादशी व्रत दो बार है. यह नववर्ष का पहला और अंतिम व्रत भी है. इस व्रत से एकादशी का प्रारंभ हो रहा और इससे ही इस वर्ष के एकादशी व्रत का समापन भी होगा. सफला एकादशी का व्रत रखकर भगवान विष्णु की पूजा करने से कार्यों में सफलता प्राप्त होती है. केंद्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय पुरी के ज्योतिषाचार्य डॉ. गणेश मिश्र से जानते हैं कि सफला एकादशी कब है? सफला एकादशी का पूजा मुहूर्त क्या है?
कब है सफला एकादशी 2024?
ज्योतिषाचार्य डॉ. मिश्र बताते हैं कि 7 जनवरी रविवार के दिन सफला एकादशी का व्रत रखा जाएगा. सफला एकादशी से इस वर्ष के एकादशी व्रतों का प्रारंभ होगा. यह व्रत पौष कृष्ण एकादशी तिथि को रखते हैं और अगले दिन पारण करते हैं.
पंचांग के अनुसार, इस साल 7 जनवरी को 12:41 एएम से पौष कृष्ण एकादशी तिथि का शुभारंभ होगा और यह तिथि 8 जनवरी 12:46 एएम पर खत्म होगी. व्रत और पूजा के लिए उदयातिथि की मान्यता है. इस आधार पर 7 जनवरी को सफला एकादशी होगी.
साल 2024 में 2 बार क्यों है सफला एकादशी?
दरअसल अंग्रेजी कैलेंडर में 24 घंटे का एक दिन और 365 दिनों का एक वर्ष होता है. वहीं हिंदू कैलेंडर में तिथियों के आधार पर व्रत और त्योहार आते हैं. तिथियां 24 घंटे से कम और ज्यादा भी होती हैं और कभी-कभी किसी तिथि का लोप भी हो जाता है. इस वजह से अंग्रेजी माह के 30 दिनों में 30 से अधिक तिथियां हो जाती हैं. इसलिए सफला एकादशी जो जनवरी में 7 तारीख को आएगी, वही सफला एकादशी साल के अंत में 26 दिसंबर को भी आएगी. साल 2024 के कैलेंडर में 7 जनवरी और 26 दिसंबर को पौष कृष्ण एकादशी तिथि है.
सफला एकादशी का पूजा मुहूर्त क्या है?
7 जनवरी को सफला एकादशी की पूजा का मुहूर्त 08:33 एएम से 12:27 पीएम तक है. इस समय में आप भगवान विष्णु की विधि विधान से पूजा करें. 26 दिसंबर को सफला एकादशी की पूजा आप सुबह 07:12 एएम से 08:30 एएम तक कर सकते हैं.
अनोखा मंदिर... धारी देवी के दर्शन बिना चारधाम यात्रा अधूरी, प्रेमी जोड़े नहीं कर सकते पूजा?
3 Jan, 2024 06:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
देवभूमि उत्तराखंड में कई ऐसे सिद्वपीठ और पौराणिक मंदिर हैं, जहां दर्शन मात्र से मनोकामना पूरी होने का दावा किया जाता है. वहीं, अलकनंदा नदी के बीचोंबीच पिलर के सहारे बने चारों धाम की रक्षक धारी देवी का मंदिर श्रद्धालुओं को अपनी ओर आकर्षित करता है. मंदिर में बड़ी संख्या में श्रद्वालु पहुंचते हैं. धारी देवी मंदिर को लेकर कई तरह की मान्यताएं भी जुड़ी हुई हैं. माना जाता है कि चारों धाम की यात्रा बिना धारी देवी के दर्शन किए सफल नहीं होती है. इस वजह से बड़ी संख्या में श्रद्धालु यहां तीर्थयात्रा के दौरान दर्शन करने पहुंचते हैं. इसके अलावा मंदिर को लेकर यह भी मान्यता है कि यहां देवी दिन में तीन बार रूप बदलती है. मान्यताओं के साथ कुछ भ्रांतियां भी मंदिर को लेकर प्रचलित हैं. कहा जाता है कि प्रेमी जोड़ों को शादी से पहले मां धारी देवी के दर्शन नहीं करने चाहिए. इससे वे कभी भी शादी के बंधन में नहीं बंध सकते हैं.
धारी देवी मंदिर के पुजारी रमेश चंद्र पांडेय ने बताया कि उनके पास कई ऐसे श्रद्धालु भी पहुंचते हैं, जिनके मन में इस तरह का संशय होता है. मंदिर को लेकर कई प्रकार की भ्रांतियां हैं, लेकिन यह पूर्ण रूप से गलत है. पुजारी ने प्रेमी जोड़ों को लेकर फैली भ्रांति का खंडन करते हुए कहा, ‘ यह बिल्कुल गलत है कि अगर शादी से पहले प्रेमी जोड़े यहां पहुंचे, तो उनकी शादी नहीं होगी या फिर उनका दांपत्य जीवन खुशहाल नहीं होगा.’
अफवाह न फैलाएं
पुजारी रमेश चंद्र पांडेय ने कहा कि धारी देवी में जो जोड़ा अपनी श्रद्धा से आता है और भविष्य में खुशहाल दांपत्य जीवन की कामना करता है, तो मां जरूर उनकी मनोकामना पूरी करती है. मंदिर को लेकर गलत अफवाह न फैलाएं. साथ ही बताया कि यहां प्रेमी जोड़े शादी के बंधन में बंधने के लिए भी आते हैं.
नये साल में लगी भीड़
पुजारी रमेश चंद्र पांडेय के मुताबिक, धारी देवी मंदिर में हर महीने श्रद्धालु बड़ी संख्या में पहुंचते हैं. नये साल के अवसर पर 12 हजार से अधिक भक्तों ने दर्शन किए. अब मंदिर में भी कई बदलाव किए गए हैं. श्रद्धालुओं की सुरक्षा को देखते हुए यहां बैरिकेडिंग के साथ मंदिर परिसर तक पहुंचने वाले मार्ग में टिन शेड और जालियां भी लगाई गई हैं, ताकि बंदर श्रद्धालुओं को परेशान न कर पाएं.
राशिफल: जानिए, कैसा रहेगा आपका आज का दिन (03 जनवरी 2024)
3 Jan, 2024 12:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
मेष राशि :- स्वभाव में प्रसन्नता, पारिवारिक सफलता मिल सकती है, व्यवसाय मेंं अच्छी उन्नति होगी।
वृष राशि :- कार्यों में सफलता मिले, मान-सम्मान की प्राप्ति होगी, शत्रु कमजोर होंगे।
मिथुन राशि :- सप्ताह उत्तम फलाकरी है, अधिकारियों का पूर्ण सहयोग-समर्थन मिलेगा।
कर्क राशि :- नौकरी मेंं व्यवधान हो सकता है, व्यवसाय ठीक नहीं रहेगा ध्यान दें।
fिसंह राशि :- आप आनंद का अनुभव करेंगे, केतु गृह पीड़ाकारक, आपसी मतभेद से बचकर चलें।
कन्या राशि :- मनोरंजन से अति हर्ष होगा, व्यवसाय में लाभ होगा, रुके कार्य अवश्य ही बनेंगे।
तुला राशि :- पारिवारिक उत्तरदायित्व की वृद्धि होगी, आमोद-प्रमोद में विशेष ध्यान रहेगा।
वृश्चिक राशि :- मानसिक तनाव अकस्मिक बढ़ेगा, स्वजनों से सहानुभूति अवश्य ही बढ़ेगी।
धनु राशि :- व्यवसाय की उन्नति से अर्थिक स्थिति में विशेष सुधार होगा, ध्यान रखें।
मकर राशि :- विलास सामग्री का संचय होगा, अधिकारी वर्ग की कृपा का लाभ अवश्य मिलेगा।
कुंभ राशि :- इष्ट मित्रों से अच्छा योग है, उन्नति एवं लाभ के योग अवश्य ही बनेंगे।
मीन राशि :- गृह-कलह, हीन मनोवृत्ति, शरीर पीड़ा से परेशानी अवश्य ही बन जायेगी।
14 या 15 जनवरी...कब है मकर संक्रांति? देवघर के ज्योतिषी ने दूर किया कंफ्यूजन
2 Jan, 2024 06:30 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
नववर्ष की शुरुआत हो चुकी है. वहीं, मकर संक्रांति को नववर्ष का पहला त्यौहार माना जाता है. मकर संक्रांति देशभर में अलग-अलग नाम के साथ और अलग-अलग परंपराओं में हसी खुशी से मनाई जाती है. उत्तर भारत में खिचड़ी और दक्षिण भारत में पोंगल के रूप में मकर संक्रांति का पर्व मनाया जाता है. मकर संक्रांति के दिन सूर्य देव को अर्घ देना बेहद शुभ माना जाता है. इस साल मकर संक्रांति को तिथि को लेकर थोड़ा सा कन्फ्यूजन चल रहा है. आइए देवघर के ज्योतिषाचार्य से जानें इस पर्व की सही तिथि.
देवघर के पागल बाबा आश्रम स्थित मुद्गल ज्योतिष केंद्र के प्रसिद्ध ज्योतिषाचार्य पंडित नंदकिशोर मुद्गल ने लोकल 18 को बताया कि मकर संक्रांति का पर्व तभी मनाया जाता है, जब सूर्य धनु राशि से निकल कर मकर राशि में प्रवेश करते हैं. इस राशि परिवर्तन को मकर संक्रांति के रूप में मनाया जाता है. मकर संक्रांति साल का सबसे पहला पर्व माना जाता है. साथ ही बताया कि मकर संक्रांति का पर्व देश के कोने-कोने में किसी ना किसी रूप में जरूर मनाया जाता है. फिर चाहे वह दक्षिण भारत में पोंगल हो, उत्तर भारत में खिचड़ी हो, गुजरात में उत्तरायण हो या फिर पंजाब में लोहड़ी. कई सालों से मकर संक्रांति का पर्व 14 जनवरी को मनाया जा रहा था, लेकिन इस साल तिथि में बदलाव हुआ है. इस साल मकर संक्रांति 15 जनवरी को मनाई जाएगी.
कब कर रहा है सूर्य मकर राशि में प्रवेश
पंडित नंदकिशोर मुद्गल के मुताबिक, सूर्य का राशि परिवर्तन संक्रांति के रूप में मनाया जाता है. दरअसल सूर्य जब धनु राशि से निकल कर मकर राशि में गोचर करते हैं, तो इसे मकर संक्रांति के रूप में मनाया जाता है. इस साल सूर्य मकर राशि में 15 जनवरी दिन सोमवार चतुर्थी तिथि को सुबह 09 बजकर 13 मिनट में जाएंगे, तभी से मकर संक्रांति की शुरुआत होगी.
सूर्य देव और शनि देव की बरसेगी कृपा
पंडित नंदकिशोर मुद्गल ने बताया कि मकर संक्रांति के दिन गंगा स्नान का विशेष महत्व माना गया है. इस दिन सुबह जल्दी उठकर गंगा स्नान कर तांबे के लोटे में जल भरकर उसमें काले तिल और गुड़ का टुकड़ा मिलकर भगवान सूर्य को अर्घ देकर सूर्य मंत्रों का जाप करें. इससे सूर्य देव और शनि देव की दोनों की कृपा बरसेगी. आपकी हर मनोकामना पूरी होगी.
सकट चौथ 28 या 29 जनवरी कब? जानें 2024 की पहली संकष्टी चतुर्थी की सही डेट
2 Jan, 2024 06:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
साल 2024 में माघ का महीना 21 जनवरी से शुरू होगा और 19 फरवरी, 2024 तक रहेगा. हिंदू धर्म में माघ महीने को पवित्र माह माना जाता है. इस महीने के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को संकष्टी चतुर्थी का व्रत रखा जाएगा. इसे सकट चौथ, लंबोदर चतुर्थी, माघी चतुर्थी , तिलकुटा चौथ के नाम से भी जाना जाता है. मान्यता है कि सकट चौथ व्रत के प्रभाव से संतान को दीर्धायु और बेहतर स्वास्थ का वरदान मिलता है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस दिन गणपति बप्पा की पूजन से घर में खुशहाली के साथ सुख,समृद्धि आती है. इसके अलावा जीवन के कष्ट और क्लेश भी दूर होते है.
काशी के ज्योतिषाचार्य पंडित संजय उपाध्याय ने बताया कि इस दिन भगवान गणेश को तिल और गुड़ चढ़ाने से पापों से मुक्ति और कष्टों से छुटकारा मिलता है. इसके अलावा दूर्वा घास चढ़ाने से मानसिक पीड़ा से मुक्ति मिलती है.
29 जनवरी को रखा जाएगा व्रत
हिन्दू पंचाग के अनुसार, 29 जनवरी की सुबह 6 जकर 10 मिनट से माघ मास की चतुर्थी तिथि शुरू होगी. जो अगले दिन 30 जनवरी को सुबह 8 बजकर 54 मिनट तक रहेगा. ऐसे में उदयातिथि के कारण 29 जनवरी को ही पूरे दिन चतुर्थी तिथि मानी जाएगी. लिहाजा यह पर्व 29 जनवरी को ही मनाया जाएगा.
कब करें पूजा?
पंडित संजय उपाध्याय ने बताया कि इस सुबह स्नान के बाद व्रत का संकल्प लेना चाहिए. उसके बाद गणेश मंदिर में दर्शन पूजन करना चाहिए. रात में चंद्रोदय के साथ चंद्रमा की पूजा के बाद भगवान गणेश की पूजा करन चाहिए. इस दौरान उन्हें लड्डू, मोदक का भोग लगाना चाहिए. इससे संतान की आयु दीर्घायु होती है.
नए साल पर इस मंदिर में 6 लाख भक्तों के आने का अनुमान, इंदौर में प्रसिद्ध है यह स्थान
1 Jan, 2024 06:45 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
मप्र का इंदौर धार्मिक नगरी भी कहलाता है. यहां अनेक प्राचीन और प्रसिद्ध मंदिर हैं. इन मंदिरों में शामिल एक मंदिर ऐसा भी है, जिसकी देश-विदेश में भी ख्याति है और लाखों लोग नए साल की शुरुआत में इस मंदिर में दर्शन करते हैं. इस साल भी अनुमान है कि करीब 6 लाख श्रद्धालु यहां दर्शन के लिए पहुंचेंगे.
इंदौर के प्रसिद्ध खजराना गणेश मंदिर में हर साल भक्तों की संख्या बढ़ती जा रही है. पिछले साल की तुलना में इस बार नए वर्ष के पहले दिन करीब डेढ़ लाख से ज्यादा भक्तों के आने की संभावना है, यानी लगभग इस बार 6 लाख से ज्यादा भक्त मंदिर पहुंचेंगे. जिसकों लेकर तैयारियां जोरों पर हैं.
तैयारियों का दौर जारी
बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं के आने को लेकर इन दिनों मंदिर में दर्शन व्यवस्था को लेकर तैयारियों का दौर जारी है. इसके चलते पुलिस और जिला प्रशासन द्वारा तैयारियां की जा रही हैं. इसमें सुरक्षा का भी खास ध्यान रखा जा रहा है.
पहली बार लगाया स्थायी शेड
मंदिर पहुंचने के बाद पार्किंग में भक्त वाहन खड़े कर अंदर आएंगे. प्रसाद-फूल लेने के बाद भक्तों को दर्शन के लिए लाइन में लगना होगा. परिसर में ही बैरिकेड्स लगाकर जिग-जैग लाइन बनाई गई है. यहां पहली बार स्थायी शेड लगाया है. यहां से आगे भक्त मंदिर परिसर में प्रवेश करेंगे.
20 से 25 मिनट में दर्शन
भगवान गणेश के दर्शन के लिए 4 स्टेप में 4 लाइन रहेगी. मंदिर प्रबंध समिति की कोशिश है कि लाइन में लगे भक्तों को अधिकतम 20 से 25 मिनट में भगवान के दर्शन हो जाएं.
फूलों की सज्जा और आकर्षक लाइटिंग
खजराना गणेश मंदिर में सुबह 6 से रात 12 बजे तक दर्शन होंगे. नए साल को देखते हुए पूरे मंदिर को फूलों से सजाया जाएगा और आकर्षक लाइटिंग की जाएगी. साथ ही परिसर में स्थित सभी मंदिरों पर साज-सज्जा की जाएगी. वहीं खजराना गणेश भगवान का आकर्षक श्रृंगार होगा.
80 सीसीटीवी कैमरों से नजर
सामान्य दिनों में मंदिर में 30 गार्ड सुरक्षा व्यवस्था संभालते हैं, लेकिन 1 जनवरी को लेकर इन गार्डों की संख्या बढ़ाकर 50 कर दी गई है, जो मंदिर परिसर में तैनात रहेंगे. साथ 80 सीसीटीवी कैमरों से नजर रखी जाएगी. 4 थानों का पुलिस बल भी यहां तैनात रहेगा.
नीम करौली बाबा ने रखी थी नैनीताल में बजरंग बली के इस मंदिर की नींव, हनुमान जी के दर्शन से करें नए साल की शुरुआत
1 Jan, 2024 06:30 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
उत्तराखंड के नैनीताल में हनुमान जी का एक प्रसिद्ध मंदिर है, जिसे हनुमान गढ़ी (Hanuman Garhi Nainital) कहा जाता है. यह मंदिर नीम करौली बाबा (Neem Karoli Baba) ने बनवाया था. महाराज 1950 में इस जगह आए थे. बाबा ने अपने अनुयायियों के साथ मिलकर यहां एक कुटिया का निर्माण किया. साथ ही कुटिया के पास छोटे हनुमान जी की मूर्ति की स्थापना की और 1953 में बाबा ने मंदिर में बड़े हनुमान जी की मूर्ति स्थापित की. जिसके बाद नीम करौली बाबा ने 1955 में यहां राम मंदिर और 1956 से 1957 के बीच हनुमान गढ़ी धाम में शिव जी का मंदिर भी बनवाया. नए साल के मौके पर नैनीताल आने वाले पर्यटक इस मंदिर के दर्शन करने जरूर आते हैं. यह शहर से करीब दो किलोमीटर दूर हल्द्वानी रोड पर स्थित है.
हनुमान गढ़ी मंदिर के प्रबंधक एमपी सिंह बताते हैं कि जब नीम करौली बाबा ने ट्रेन रोककर अपनी लीला दिखाई थी, उसके बाद महाराज जी यहां आए थे. हनुमान गढ़ी महाराज जी का यहां पहला स्थान है. यह मंदिर शहर से करीब दो किमी की दूरी पर स्थित है. इसके दूसरी तरफ पहाड़ी पर शीतला माता का मंदिर है. यहां सच्चे मन से मांगी गई हर मन्नत पूरी होती है.
हैड़ाखान बाबा ने की थी भविष्यवाणी
एमपी सिंह बताते हैं कि आज भी कथाओं में यह बात कही जाती है कि हैड़ाखान बाबा जब इस जगह पर अपने शिष्यों के साथ आए थे, तो उन्होंने कहा था कि कोई अंजनी का लाल आएगा जो इस जगह को जागृत करेगा. इससे पूर्व इस जगह पर कब्रिस्तान हुआ करता था. जब भी किसी बच्चे की मृत्यु हो जाती थी, तो उसे इस स्थान पर दफनाया जाता था. यही वजह थी कि लोग इस जगह पर आने से डरते थे. उन्होंने कहा कि बाबाजी ने जब यहां पर मंदिर स्थापित किया, तो एक विशाल भंडारे का भी आयोजन किया था. कहा जाता है कि उस भंडारे में प्रसाद लेने काफी बच्चों की भीड़ यहां उमड़ी थी और प्रसाद पाने के बाद वो बच्चे गायब हो गए. माना जाता है कि ये बच्चे वही थे, जिन्हें इस स्थान पर दफनाया गया था. बाबा ने अपनी चमत्कारी लीला से इन सभी बच्चों की आत्मा को मुक्ति प्रदान की थी.
सिद्धि मां भी इसी स्थान से जुड़ी थीं
उन्होंने आगे बताया कि नीम करौली बाबा से जुड़े लोग सर्वप्रथम इस स्थान से ही जुड़े थे. कात्यायनी का स्वरूप कही जाने वाली सिद्धि मां भी इसी स्थान से महाराज जी से जुड़ी थीं. मां का पहला कर्म स्थान भी हनुमान गढ़ी था. यहां आज मां का मंदिर स्थित है.
कैसे पहुंचे हनुमान गढ़ी?
यहां तक आप नैनीताल से हल्द्वानी की तरफ किसी भी कैब, टैक्सी या फिर पब्लिक ट्रांसपोर्ट की मदद से पहुंच सकते हैं. आप अपने निजी दोपहिया या चौपहिया वाहन से भी यहां तक आ सकते हैं.
घर में सौभाग्य के लिए लगाये शमी का पेड़
1 Jan, 2024 06:30 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
प्राचीन मान्यता है कि शमी का पेड़ घर में सौभाग्य लाता है। शमी का पेड़ लगाने से उसमें रहने वालों पर देवी-देवताओं की कृपा बनी रहती है और घर में सकारात्मक ऊर्जा के साथ सुख-समृद्धि भी बनी रहती है। भगवान शिव को शमी के फूल अति प्रिय माने जाते हैं। रोजाना पूजा के वक्त उन्हें यह फूल अर्पित करने से भगवान प्रसन्न होते हैं और सभी प्रकार के संकटों से दूर रहते हैं। शमी का पेड़ आपको शनि के प्रकोप से भी बचाता है।
ईशान कोण में लगायें
शमी के पौधे को घर के ईशान कोण यानी पूर्वोत्तर कोने में लगाना सबसे लाभकारी माना जाता है। इनमें प्राकृतिक तौर पर अग्नि तत्व भी छिपा होता है। न्याय के देवता शनि को प्रसन्न करने के लिए भी शमी के पेड़ का प्रयोग किया जाता है। हर शनिवार को शमी के पेड़ की जड़ के पास सरसों के तेल का दीपक जलाना चाहिए। वैसे तो शनि के प्रभाव में पीपल का वृक्ष भी आता है। परंतु पीपल के वृक्ष की विशालता के कारण इसे घर के अंदर लगा पाना संभव नहीं हो पाता है। इस कारण आप घर में शमी का पेड़ लगा सकते हैं।
नकारात्मक शक्तियों को समाप्त करता है
शमी के कांटों का प्रयोग तंत्र, मंत्र बाधा और नकारात्मक शक्तियों के नाश के लिए होता है। शमी के फूल, पत्ते, जड़ें, टहनी और रस का प्रयोग शनि संबंधी दोषों को दूर करने के लिए भी किया जाता है। आयुर्वेद में शमी के वृक्ष का प्रयोग गुणकारी औषधि के रूप में भी किया जाता है। पुराणों में भी शमी के वृक्ष का वर्णन देखने को मिलता है। मान्यता है कि लंका पर विजय प्राप्त करने के बाद भगवान राम ने भी शमी के पेड़ की पूजा की थी। हर शनिवार शमी के पत्ते शनिदेव को चढ़ाने से शनि के दोष कम होते हैं।
भगवान शिव और गणेश को हैं प्रिय
मान्यता है कि शमी भगवान शिव और गणेश को भी अति प्रिय है। सोमवार के दिन भगवान शिव का शनि के पत्ते को पुष्प चढ़ाने से लाभ होगा। गृहस्थ लोगों के जीवन में सुख-शांति आती है। वहीं गणेशजी को बुधवार के दिन दूर्वा के साथ आप शमी के पुष्प अर्पित करके लाभ प्राप्त कर सकते हैं। ऐसा करने से आपके घर में कभी पैसों की तंगी नहीं आती और मां लक्ष्मी का वास सदैव बना रहता है। एक मान्यता में यह भी बताया गया है कि पांडवों ने अज्ञातवास के वक्त शमी के पेड़ की जड़ में ही अपने अस्त्र-शस्त्र छिपा दिए थे, इसलिए शमी के पेड़ को इतना महत्वपूर्ण माना जाता है।
नए साल पर देहरादून में ही लगाएं बालाजी धाम में अर्जी, दूर होगा हर एक संकट!
1 Jan, 2024 06:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
भारत के कई हिस्सों में संकट मोचन हनुमान को बालाजी के नाम से जाना जाता है. राजस्थान के सिकराय तहसील के मेंहदीपुर में बालाजी धाम है, जिसके दर्शन करने के लिए लोग दूर-दूर से वहां जाते हैं. उसी की तर्ज पर उत्तराखंड की राजधानी देहरादून में भी बालाजी धाम बनाया गया है. अगर आप भी परेशान हैं और नए साल में अपनी परेशानियों को खत्म करना चाहते हैं, तो आप बालाजी धाम में अर्जी लगा सकते हैं. इसके लिए आपको राजस्थान जाने की जरूरत नहीं है बल्कि देहरादून के झाझरा में श्री सिद्ध हनुमान मंदिर बालाजी धाम के दर्शन कर सकते हैं.
मंदिर के पुजारी पंडित नागेंद्र डबराल शास्त्री ने जानकारी देते हुए कहा कि वैसे तो हनुमान जी का यह मंदिर काफी प्राचीन है, जो कभी बहुत छोटा हुआ करता था लेकिन साल 2007 में राजस्थान के बालाजी धाम के अनुरूप ही देहरादून में बालाजी धाम की स्थापना की गई ताकि जो लोग अपने संकटों से मुक्ति पाना चाहते हैं, उन्हें राजस्थान जाने की जरूरत ना पड़े. उन्होंने बताया कि यह मेहंदीपुर बालाजी धाम की शाखा है. वहीं से ही ज्योत लाई गई थी.
विशेष तरह का प्रसाद चढ़ता है
उन्होंने बताया कि इस मंदिर परिसर में संकट मोचन हनुमान, दण्डनायक प्रेतराज, सीता राम दरबार, बालाजी की सेना के सेनापति भैरव बाबा सभी विराजमान हैं, बिल्कुल उस तरह जिस तरह राजस्थान के बालाजी धाम में विराजमान हैं. यहां संकटमोचन के लिए अर्जियां लगती हैं. मंगलवार के दिन भक्तों की भीड़ उमड़ती है. यहां हर भगवान पर विशेष तरह का प्रसाद चढ़ाया जाता है, जैसे- बालाजी महाराज के लिए लड्डू, भैरव बाबा के लिए बताशा और प्रेतराज जी के लिए घी, नारियल और बूरा चढ़ाया जाता है. यहां लोग अपनी मनोकामना के लिए अर्जी लगाते हैं. कई लोग मन्नतों के लिए चुनरी बांधते हैं और जब पूरी होती है, तो वे इस चुनरी को खोल जाते हैं. कई लोग भंडारा करवाते हैं.
मंदिर में हर संकट का निवारण!
पंडित नागेंद्र डबराल ने बताया कि बालाजी धाम में आने से लोगों के संकट का निवारण होता है. व्यक्ति 100 फीसदी बेहतर होकर जाता है. जीवन में संकट, परिवार का कलेश, कारोबार और परिवार पर जादू, टोना-टोटका या भूत-प्रेत जैसी बाधा के साथ जब कोई व्यक्ति अर्जी लगाने आता है, तो बालाजी उसकी विपत्तियों को हर लेते हैं और प्रेतराज प्रेतों को दंड देते हैं. जिस व्यक्ति पर भूत-प्रेत का असर होता है, उसे प्रेतराज के सामने खड़ा किया जाता है. नकारात्मक शक्तियां प्रेतराज से डरकर हमेशा के लिए भाग जाती हैं. मंदिर में एक बार अर्जी लगती है और 7 बार भोग लगाया जाता है.
राशिफल: जानिए, कैसा रहेगा आपका आज का दिन (01 जनवरी 2024)
1 Jan, 2024 12:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
मेष राशि :- मान-प्रतिष्ठा बाल-बाल बचे, किन्तु कार्य व्यावसाय गति उत्तम होगी।
वृष राशि :- धन प्राप्त के योग बनेंगे, नवीन मैत्री व मंत्रणा अवश्य प्राप्त होगी।
मिथुन राशि :- इष्ट मित्र सहायक रहे, व्यावसायिक क्षमता में वृद्धि अवश्य होवेगी।
कर्क राशि :- सामाजिक मान प्रतिष्ठा, कार्यकुशलता से संतोष, रुके कार्य अवश्य बनेंगे।
सिंह राशि :- परिश्रम से समय पर सोचे कार्य पूर्ण होंगे तथा व्यावसाय गति मंद हो।
कन्या राशि :- अधिकारियों का समर्थन फलप्रद रहे, कार्य कुशलता से संतोष होगा।
तुला राशि :- दैनिक व्यावसाय गति उत्तम तथा व्यावसायिक चिन्ताएं कम रहेंगीं।
वृश्चिक राशि :- कार्यगति मेंं सुधार होगा, असमंजस तथा सफलता न मिलेगी, ध्यान दें।
धनु राशि :- स्थिति अनियंत्रित रहे किन्तु स्थिति नियंत्रित करना परम आवश्यक होगा।
मकर राशि :- मानसिक खिन्नता एवं भाव में अशांति उद्विघ्नता अवश्य बनेगी।
कुंभ राशि :- योजनाऐं फलीभूत होंगी, विघटनकारी तत्व परेशान अवश्य करेंगे।
मीन राशि :- मनोबल उत्साह वर्धक होगा तथा कार्यकुशलता से संतोष होगा।