धर्म एवं ज्योतिष
कब है भौम प्रदोष व्रत? बनेंगे 3 शुभ योग, जानें शिव पूजा मुहूर्त, शिववास समय, महत्व
6 Oct, 2024 06:30 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
अक्टूबर का पहला प्रदोष व्रत अश्विन माह के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि को रखा जाएगा. यह मंगलवार को होने की वजह से भौम प्रदोष व्रत है. हर माह में दो प्रदोष व्रत होते हैं. पहला कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी को और दूसरा शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि को. प्रदोष व्रत के दिन उपवास रखते हैं और शाम के समय में भगवान शिव की पूजा करते हैं. इस बार भौम प्रदोष व्रत के दिन 3 शुभ योग बन रहे हैं. इस दिन रुद्राभिषेक कराने के लिए शिववास भी है. कि भौम प्रदोष व्रत कब है? पूजा का मुहूर्त क्या है और 3 शुभ योग कौन से हैं?
भौम प्रदोष व्रत 2024 तारीख
इस साल अश्विन माह के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि 15 अक्टूबर को तड़के 3 बजकर 42 मिनट से प्रारंभ होगी. इस तिथि का समापन 26 अक्टूबर को 12 बजकर 19 एएम पर होगा. प्रदोष व्रत के पूजा मुहूर्त को देखते हुए भौम प्रदोष व्रत 15 अक्टूबर मंगलवार को रखा जाएगा.
भौम प्रदोष व्रत 2024 मुहूर्त
भौम प्रदोष व्रत के दिन शिव पूजा के लिए आपको 2 घंटे 30 मिनट का शुभ समय प्राप्त होगा. शिव पूजा का शुभ मुहूर्त शाम को 5 बजकर 51 मिनट से प्रारंभ है, जो रात 8 बजकर 21 मिनट तक रहेगा. इस समय में आपको शिव पूजा कर लेनी चाहिए.
3 शुभ योग में भौम प्रदोष व्रत
इस बार भौम प्रदोष व्रत के दिन 3 शुभ योग बन रहे हैं. उस दिन प्रात:काल से ही वृद्धि योग बनेगा, जो दोपहर 2 बजकर 14 मिनट तक रहेगा. उसके बाद से ध्रुव योग होगा. भौम प्रदोष व्रत पर रवि योग औार सर्वार्थ सिद्धि योग भी बनेंगे.
भौम प्रदोष व्रत पर सर्वार्थ सिद्धि योग रात में 10 बजकर 8 मिनट से शुरू होगा और अगले दिन 16 अक्टूबर को सुबह 6 बजकर 23 मिनट तक रहेगा. वहीं रवि योग भी रात में 10:08 बजे से लेकर अगले दिन सुबह 06:23 बजे तक है.
इन योग के अलावा उस दिन पूर्व भाद्रपद नक्षत्र है, जो प्रात:काल से रात 10 बजकर 8 मिनट तक रहेगा. उसके बाद से उत्तर भाद्रपद नक्षत्र है.
भौम प्रदोष व्रत 2024 शिववास
भौम प्रदोष व्रत के दिन आप रुद्राभिषेक करा सकते हैं. उस दिन शिववास नंदी पर है, जो 16 अक्टूबर को देर रात 12 बजकर 19 मिनट तक रहेगा. उसके बाद शिववास भोजन में है.
प्रदोष व्रत पर रोग पंचक
प्रदोष व्रत को पूरे दिन पंचक है. यह पंचक 13 अक्टूबर को 03:44 पी एम से लग रहा है. रविवार को लगने वाला पंचक रोग पंचक कहलाता है. रोग पंचक से लोगों को शारीरिक परेशानियां होती हैं.
भौम प्रदोष व्रत का महत्व
जो लोग भौम प्रदोष व्रत रखकर भगवान शिव की पूजा करते हैं, उन पर महादेव की कृपा होती है. शिव कृपा से उनके दुख दूर होते हैं, पाप मिटते हैं और जीवन सुखमय होता है. भोलेनाथ के आशीर्वाद से आरोग्य, धन, संपत्ति प्राप्त होती है. इसके अलावा व्यक्ति की मनोकामनाएं भी पूरी होती हैं.
नवरात्रि में कन्या पूजन करते समय इन बातों की न करें अनदेखी, मां दुर्गा होंगी रुष्ट!
6 Oct, 2024 06:15 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
नवरात्री मे कुंवारी कन्या का खास महत्व होता है. नवरात्री के दिनों मे कन्या पूजन से माता दुर्गा बेहद प्रशन्न होती है. भक्त को सुख समृद्धि का आशीर्वाद प्रदान करती है. क्योंकि कुंवारी कन्या को साक्षात् माता दुर्गा का ही रूप माना गया गया है. विशेषकर नवरात्री के अष्ट्मी और नवमी तिथि को कुंवारी कन्या पूजन किया जाता है. लेकिन कितने उम्र तक की बच्चियां कुंवारी कन्या का पूजन करना चाहिए ताकि शुभफल की प्राप्ति हो सके. देवघर के ज्योतिषाचार्य से जानते है.
3 अक्टूबर से नवरात्रि की शुरुआत हो चुकी है. 12 अक्टूबर तक चलने वाला है. वैसे तो नवरात्री के नौ दिनों तक कुंवारी कन्या पूजन का विधान है. लेकिन नवरात्र के अष्ट्मी के दिन भी और नवमी तिथि के दिन हवन, व्रत पारण और कन्या पूजन किया जाता है. इसका विशेष महत्व है. लेकिन, कुंवारी कन्या पूजन करते वक्त कुछ बातों का ध्यान रखना आवश्यक होता है. अन्यथा माता दुर्गा रुष्ट हो सकती है.आपका पूजा निष्फल हो सकता है.
कुंवारी कन्या पूजन मे रखे इन बातों का ध्यान
ज्योतिषाचार्य पंडित नंदकिशोर मुद्गल बताते हैं की वैसे तो नवरात्री मे हर रोज कुंवारी कन्या पूजन करना चाहिए. लेकिन नवरात्री के अष्ट्मी और नवमी के दिन नौ कुंवारी कन्या पूजन अवश्य करना चाहिए. इसके साथ ही उम्र का रखे ध्यान शास्त्र के अनुसार कन्या 1 वर्ष से लेकर 9 वर्ष तक होनी चाहिए. 1 से 9 साल के बिच तक का कुंवारी कन्या का माता दुर्गा का स्वरुप बनाकर पूजन और भोजन कराएं. वह भोजन स्वेयं भी ग्रहण करे. इससे माता दुर्गा बेहद प्रशन्न होगी.
कुंवारी कन्या मे एक बटुक का रहना बेहद जरुरी
ज्योतिषाचार्य बताता है कि नवरात्र में कई लोग सिर्फ कुंवारी कन्या का भोजन कराते हैं. लेकिन, इन कुंवारी कन्या में एक बटुक भैरव का रहना बेहद जरूरी होता है. क्योंकि कुंवारी कन्या से पहले बटुक भैरव की पूजा की जाती है. इससे पूजा सफल माना जाता है. जितने भी शक्तिपीठ है. उनके मुख्य द्वार पर बटुक भैरव विराजमान होता है. बटुक भैरव माता दुर्गा के रक्षक यानी गण माने जाते हैं.
करवा चौथ पर अखंड सौभाग्य के लिए जरूर करें ये 7 काम, लेकिन इन बातों का भी रखें विशेष ध्यान
6 Oct, 2024 06:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
हिंदू धर्म में करवा चौथ व्रत का बड़ा महत्व बताया गया है. यह सुहागिन महिलाओं के लिए सबसे खास व्रत है क्योंकि ये व्रत वे अपने पति की लंबी उम्र और सुख-समृद्धि के लिए रखती हैं. यह व्रत पूरी तरह से निर्जल रहकर रखना होता है और रात को चांद निकलने के बाद ही खोला जाता है. व्रत पूजा के दौरान महिलाएं छलनी से चांद के दर्शन करती हैं और पूजा संपन्न करती हैं. लेकिन इस दिन आपको कई बातों का ध्यान रखना चाहिए. जैसे आपको क्या करना चाहिए और क्या नहीं करना चाहिए. आइए जानते हैं इसके बारे में भोपाल निवासी ज्योतिषी एवं वास्तु सलाहकार पंडित हितेंद्र कुमार शर्मा से.
करवा चौथ पर क्या करें?
– इस दिन आपको सूर्योदय से पूर्व उठकर सरगी का सेवन करना चाहिए.
– सरगी में मेवे, फल, मिठाई शामिल होते हैं और इनका सेवन करना शुभ माना जाता है.
– इस दिन पूजा से पहले ही आप आवश्यक सामग्री तैयार कर लें.
– यह व्रत पूरे दिन निर्जल रखा जाता है और चंद्रमा को अर्घ्य देकर इसका पारण किया जाता है.
– इस व्रत में भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करने का विधान है.
– साथ ही इस दिन करवा माता की पूजा भी विधिवत की जाती है.
– करवा चौथ की पूजा के बाद कथा जरूर सुनना चाहिए.
करवा चौथ पर क्या ना करें?
– इस दिन आपको अपने अंदर नकारात्मकता नहीं लाना चाहिए और ना ही किसी के बारे में बुरा सोचना चाहिए.
– इस दिन आपको चाकू, कैंची जैसी तेज धार वाली वस्तुओं का इस्तमाल भी नहीं करना चाहिए.
– इस दिन किसी से भी कटु वचन नहीं बोलना चाहिए और ना ही झगड़ा करना चाहिए.
– यह व्रत पूरी तरह से निर्जला व्रत है, इसलिए आप कोइ भी चीज ना खा सकती हैं और ना ही पी सकती हैं.
– करवा चौथ के दिन आपको रोने से भी बचना चाहिए.
राशिफल: जानिए, कैसा रहेगा आपका आज का दिन (06 सितंबर 2024)
6 Oct, 2024 12:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
मेष राशि :- अधिकारियों का समर्थन फलप्रद होगा, कार्य व्यवसाय गति अनुकूल रहेगी, चिन्ता बनेगी।
वृष राशि :- कार्यवृत्ति में सुधार होगा, धन लाभ, मनोवृत्ति उत्तम रहेगी, मन उत्सावर्धक रहेगा, कार्य योजना बनेगी।
मिथुन राशि :- आशानुकूल सफलता का हर्ष होगा, बिगड़े कार्य बनेंगे, व्यवसायिक क्षमता अनुकूल रहेगी।
कर्क राशि :- समय की अनुकूलता के कारण बिगड़े कार्य बनेंगे, व्यवसायिक क्षमता अनुकूल रहेगी, समय का लाभ लें।
सिंह राशि :- मनोबल कमजोर होगा, विरोधियों से परेशानी बनेगी, कार्य असफलता से समय नष्ट होगा, धैर्य रखें।
कन्या राशि :- थकावट व बेचैनी का अनुभव होगा, दूसरों के कार्यों फंसने से तनाव बनेगा, मन असमंजस में रहेगा।
तुला राशि :- संघर्ष में सफलता के कार्य बनने से हर्ष होगा, समय स्थिति को ध्यान में रखकर आगे बढ़े, धैर्य अवश्य रखें।
वृश्चिक राशि :- सफलता के योग बनेंगे किन्तु समय अनुकूल नहीं, विशेष कार्य स्थगित रखें, अपने काम से काम रखें।
धनु राशि :- कार्य कुशलता से संतोष होगा, सामाजिक कार्य में प्रभुत्व वृद्धि होगी, कार्य समय पर बनेंगे ध्यान अवश्य दें।
मकर राशि :- कार्य सिद्धि, चिन्ता निवृत्ति, योजना फलीभूत होगी, बिगड़े कार्य परिश्रम से समय पर बनेंगे, मन शांत रखें।
कुंभ राशि :- धन हानि होगी, व्यर्थ क्लेश व अशांति से मानसिक विभ्रम, मन में उद्विघ्नता रहेगी, धन के व्यर्थ व्यय से बचें।
मीन राशि :- व्यवसायिक क्षमता मंद रहेगी, स्त्री शरीर कष्ट, मनोबल उत्साहवर्धक रहेगा, परिश्रम से कार्य बनेंगे ध्यान दें।
आप भी हवन और यज्ञ को समझते हैं एक, दोनों में होता है बड़ा अंतर, जानें इनसे होने वाले अनेक फायदों के बारे में
5 Oct, 2024 06:45 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
हिन्दू धर्म में धार्मिक अनुष्ठान पौराणिक काल से ही चले आ रहे हैं. वेद और पूजा पद्धतियों में यज्ञ व हवन का बड़ा महत्व बताया गया है. दोनों ही सनातन हिंदू संस्कृति का अहम हिस्सा रहे हैं. आपने भी अपने घर या अनुष्ठान वाले स्थान पर लोगों को यज्ञ या हवान करते देखा होगा. धार्मिक ग्रंथों में इनके बड़े लाभ भी बताए गए हैं लेकिन क्या आप जानते हैं हवन और यज्ञ दोनों ही धार्मिक क्रिया होने के बावजूद काफी अलग हैं. आइए जानते हैं इनके अंतर और होने वाले फायदे के बारे में भोपाल निवासी ज्योतिष आचार्य पंडित योगेश चौरे से.
क्या है यज्ञ?
धर्म ग्रंथों के अनुसार यज्ञ की रचना सबसे पहले परमपिता ब्रह्माजी ने की थी. यह एक वैदिक प्रक्रिया है और इसके नियम काफी कठिन माने जाते हैं. यदि किसी खास उद्देश्य से देवताओं को आहुति दी जाती है तो यह यज्ञ कहलाता है. यज्ञ किसी तरह के अनिष्ट को दूर करने या फिर किसी तरह की मनोकामना को पूर्ण करने के लिए किया जाता है. इसमें वेद मंत्रों का उच्चारण किया जाता है.
क्या है हवन ?
इसे यज्ञ का ही छोटा रूप कहा जाता है. जिसमें पूजा के बाद अग्नि देव को आहुति दी जाती है. सरल शब्दों में कहा जाए तो कुंड में अग्नि के माध्यम से देवता के निटक हवि (हवन सामग्री) पहुंचाने की प्रकिया ही हवन कहलाती है. हवन धार्मिक कार्यों के दौरान, गृह प्रवेश, नवग्रह शांति अथवा वास्तु दोष दूर करने के लिए किया जाता है.
हवन और यज्ञ के लाभ
बात चाहे यज्ञ की हो या हवन की दोनों के लिए कई फायदे होते हैं. दोनों में ही 55 तरह की अलग-अलग औषधि व लकड़ियों का उपयोग किया जाता है. दोनों से ही घर में नकारात्मकता खत्म होती है और सकारात्मकता आती है. हवन में उपयोग की जाने वाली औषधियों के धुएं से घर में मौजूद वैक्टीरिया खत्म होते हैं, इसलिए ये स्वास्थ्य की दृष्टि से भी महत्वपूर्ण माना जाता है.
नवरात्रि के दौरान घर में भूल से भी ना रखें ये चीजें, जानिए क्या कहते हैं धर्म शास्त्र? इन 3 चीजों को तुरंत करें घर से बाहर
5 Oct, 2024 06:30 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
शक्ति की भक्ति का पर्व नवरात्रि साल में चार बार आती हैं. जिनमें से एक चैत्र और दूसरे शारदीय नवरात्रि हैं. जबकि दो गुप्त नवरात्रि आते हैं. फिलहाल, अश्विन माह चल रहा है और इन दिनों में शारदीय नवरात्रि चल रही है जो सनातन धर्म में बेहद खास मानी जाती हैं. यह मां दुर्गा की आराधना का सबसे बड़ा पर्व माना गया है. इस दौरान पंडाल सजते हैं और मां दुर्गा की प्रतिमाओं की स्थापना की जाती है. लेकिन आपको बता दें कि, इन दिनों में कई सारे नियमों का पालन करना भी जरूरी होता है क्योंकि, मान्यता है कि इन दिनों में मां दुर्गा अपने नौ रूपों के साथ पृथ्वी पर भ्रमण करती हैं. ऐसे में आपको खास तौर पर अपने घर में भूलकर भी कुछ चीजों को नहीं रखना चाहिए. आइए जानते हैं इनके बारे में भोपाल निवासी ज्योतिषी एवं वास्तु सलाहकार पंडित हितेंद्र कुमार शर्मा से.
खंडित प्रतिमा ना रखें
धर्म शास्त्रों के अनुसार, हमें कभी भी अपने घर में खंडित मूर्ति को नहीं रखना चाहिए. इसके अलावा कई बार लोग पुरानी प्रतिमा को ही फिर से स्थापित कर लेते हैं, जो उचित नहीं माना गया है. इसकी जगह आप मातारानी की नई प्रतिमा लेकर आएं और पुरानी या खंडित मूर्ति को किसी पवित्र नदी में विसर्जित कर दें.
सुहाग की ये चीजें ना रखें
यदि आप अपने घर में सुहाग का सामान रखती हैं तो इसे देख लें कि ये पूरा है या नहीं. यदि आपके सुहाग की सामग्री अधूरी है तो उसे पूरा करें अथवा फिर उसे किसी को दान में दे दें. क्योंकि, ऐसी मान्यता है कि, इन दिनों में सुहागिन स्त्री को संपूर्ण सोलह श्रृंगार की सामग्री रखने से माता रानी की कृपा और अखंड सौभाग्य का आशीर्वाद मिलता है.
इस धातु का सामान ना रखें
कई घरों में बेकार और कबाड़ की चीजें पड़ी रहती हैं. खास तौर पर आपके घर में नवरात्रि के दौरान लोहे, प्लास्टिक और स्टील जैसी धातु की चीजें रखी हैं तो आप उन्हें इस महापर्व के पहले ही घर से बाहर कर दें. क्योंकि, हमारे धर्म शास्त्रों में इन धातुओं को अशुद्ध माना गया है, जिनके रखे होने से नकारात्मक ऊर्जा घर में बढ़ती है और शक्ति का प्रवेश रुक जाता है.
बेहद चमत्कारी है मां शाकंभरी का यह धाम, नवरात्रियों में यहां दर्शनों का है बड़ा महत्व, पूरी होती है हर मुराद!
5 Oct, 2024 06:15 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
सहारनपुर के शिवालिक पहाड़ियों के बीच स्थित मां दुर्गा के 9 सिद्धपीठ में से एक मां शाकंभरी देवी मंदिर पर शारदीय नवरात्र में विशाल मेले का आयोजन किया जाता है. इस मेले में देशभर के कई लाखों की संख्या में श्रद्धालु माता के दर्शन करने पहुंचते हैं. शाकंभरी देवी भगवान विष्णु के ही आग्रह करने पर शिवालिक की दिव्य पहाडियों पर स्वयंभू स्वरूप मे प्रकट हुई थी. माता शाकंभरी के स्वरूप का विस्तृत वर्णन दुर्गा सप्तशती के मूर्ती रहस्य अध्याय में मिलता है. कहा जाता है कि महाशक्ति ने आयोनिजा स्वरूप में प्रकट होकर शताक्षी अवतार धारण किया. देवी शताक्षी रचना का प्रतीक है. मान्यता है कि जो भी सच्चे मन से मां शाकंभरी से कुछ मांगने आता है, उसकी मनोकामनाएं जरुर पूर्ण होती है.
मां शाकंभरी के दर्शन करने के लिए कई किलोमीटर लंबी लाइन में घंटों खड़े होकर श्रद्धालु मां शाकंभरी के दर्शन करने पहुंचते हैं. पहले दिन यानी कि बृहस्पतिवार को सिद्धपीठ मां शाकंभरी देवी मंदिर में श्रद्धालुओं का जन सैलाब उमड़ पड़ा. कई घंटों तक लाइन में लगकर श्रद्धालुओं ने माता के दर्शन कर अपने परिवार की सुख समृद्धि की प्रार्थना की. दर्शन करने के लिए राजस्थान, हरियाणा, पंजाब, हिमाचल, उत्तराखंड सहित अन्य प्रदेशों से श्रद्धालु सहारनपुर में मां शाकुंभरी देवी के दर्शन करने पहुंचे.
श्रद्धालुओं को बिन मांगे सब दे देती है मां
विभिन्न प्रदेशों से दर्शन करने पहुंचे श्रद्धालुओं का कहना है कि वह पिछले कई सालों से मां शाकंभरी देवी के दर्शन करने पहुंचते हैं. तो कुछ श्रद्धालुओं का कहना है कि उनको बिन मांगे ही सब कुछ मिल जाता है और मनोकामना पूर्ण होने के बाद प्रसाद चढ़ाने जरूर आते हैं. कुछ श्रद्धालुओं का कहना था कि वह जन्म से ही मां शाकंभरी देवी में श्रद्धा रखते हैं और उनके सभी काम पूर्ण होते हैं. हर साल नवरात्रों में मां शाकंभरी देवी की पूजा अर्चना करने के साथ विशाल भंडारे का आयोजन भी करते हैं. तो वहीं कुछ श्रद्धालु मां शाकंभरी की अखंड ज्योत ले जाकर अपने घरों पर जगराता करते हैं.
शनिवार को विजयादशमी शुभ या अशुभ? नहीं मिल रहे अच्छे संकेत, इस दिन न करें ये काम,
5 Oct, 2024 06:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
शारदीय नवरात्रि शुरू हो चुके हैं. आज नवरात्रि का दूसरा दिन है. नवरात्रि के 9 दिन तक मां दुर्गा के 9 रूपों की पूजा की जाती है. इसके बाद दशमी को पारण के बाद मां को विदा किया जाता है. इस दिन को विजयादशमी भी कहते हैं. मान्यता है कि इसी दिन मां दुर्गा ने राक्षस महिषासुर का वध किया था. वहीं, भगवान राम ने विजयादशमी के दिन ही रावण का वध किया था.
यही कारण है कि शारदीय नवरात्रि की विजयादशमी को बेहद शुभ माना जाता है. कई लोग इस दिन नए व्यापार का आरंभ करते हैं. भूमि, भवन या वाहन खरीदते हैं. साथ ही बेटी अपने मायके या ससुराल जाती है. इसके अलावा लोग कई शुभ काम करते हैं. विजयदशमी के दिन अबूझ मुहूर्त माना जाता है, अर्थात पूरा दिन शुभ होता है. लेकिन, इस साल की विजयदशमी को ज्योतिषाचार्य शुभ नहीं बता रहे हैं, जानें क्यों…
कब शुरू होगी विजयादशमी तिथि
इस साल विजयदशमी तिथि की शुरुआत 12 अक्टूबर सुबह 11 बजकर 05 मिनट से प्रारंभ हो रही है और समापन अगले दिन 13 अक्टूबर सुबह 9 बजकर 54 मिनट पर होगा. इस साल विजयदशमी 12 अक्टूबर को ही मनाया जाएगा.
इसलिए नहीं है शुभ
ज्योतिषाचार्य ने बताया कि सनातन धर्म में दिन का खास महत्व होता है. दिन के अनुसार ही माता दुर्गा के आगमन और प्रस्थान की सवारी तय की जाती है. इस साल दिन के अनुसार माता का आगमन डोली पर होने जा रहा है, जो शुभ नहीं माना जाता है. वहीं, प्रस्थान विजयादशमी के दिन होता है. इस साल विजयादशमी शनिवार को है, जिससे प्रस्थान की सवारी बड़े पंजे वाले मुर्गा है, जो अशुभ संकेत है. इस साल विजयादशमी शनिवार के दिन होने के कारण शुभ नहीं मानी जा रही है.
विजयादशमी के दिन न करें ये कार्य
अगर आप भी इस साल विजयदशमी को शुभ मानकर कुछ नए कार्य की शुरुआत करना चाहते हैं या फिर भूमि, भवन या वाहन खरीदना चाहते हैं या फिर अपनी बेटी को ससुराल या मायके विदा करना चाहते हैं तो न करें. क्योंकि इस साल विजयादशमी का दिन शनिवार होने के कारण शुभ नहीं माना जा रहा है. ऐसा करने से नकारात्मक प्रभाव झेलना पड़ सकता है.
राशिफल: जानिए, कैसा रहेगा आपका आज का दिन (05 सितंबर 2024)
5 Oct, 2024 12:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
मेष राशि :- इष्ट मित्र सुखवर्धक होगा, भाग्य का सितारा प्रबल होगा, बिगड़े कार्य अवश्य ही बनेंगे ध्यान दें।
वृष राशि :- मनोवृत्ति शील बनेगी, आशानुकूल सफलता का हर्ष होगा, कार्यगति पर ध्यान देने से लाभ के अवसर बनेंगे।
मिथुन राशि :- आशानुकूल सफलता का हर्ष होगा, व्यवसायिक क्षमता में वृद्धि होगी, बिगड़े कार्य बनेंगे।
कर्क राशि :- मन अशांत रहेगा, तनाव व उपद्रव से मानसिक बेचैनी तथा धन का व्यर्थ व्यय होगा, कार्य रुकेंगे।
सिंह राशि :- क्लेश व अशांति का वातावरण रहेगा, धन का व्यर्थ व्यय करने से बचें, कार्य में बाधा बनेगी।
कन्या राशि :- किसी के शुभ कार्य में समय बीतेगा, आशानुकूल सफलता का हर्ष होगा, रुके कार्य ध्यान देने से बनेंगे।
तुला राशि :- स्थिति पर नियंत्रण रखें, कार्य-व्यवसाय क्षमता में वृद्धि होगी, रुके कार्य बनेंगे, आलस्य से हानि होगी।
वृश्चिक राशि :- तनाव, क्लेश व अशांति से मन उद्विघ्न रहेगा, अर्थ लाभ से कार्य सिद्धि होगी, प्रयोजन से सुख होगा।
धनु राशि :- कुटुम्ब में सुख-ऐश्वर्य, कार्ययोजना फलीभूत होगी, सफलता के साधन जुटायेंगे, कार्य को समय पर पूरा करें।
मकर राशि :- मानसिक विभ्रम, मन में उद्विघ्नता रहेगी, धन का व्यय होगा, रुके कार्य बनेंगे, कार्य बाधा से कष्ट।
कुंभ राशि :- आशानुकूल सफलता का हर्ष होगा, बिगड़े कार्य बनेंगे, परिवार में सुख-शांति रहेगी, हर्ष का वातावरण रहेगा।
मीन राशि :- अधिकारियों के मेल-मिलाप से लाभ होगा, स्त्री वर्ग से प्रसन्नता रहेगी, वातावरण अनुकूल रहेगा।
इस मंदिर में 9 सिर के साथ विराजमान है माता, नकारात्मक शक्तियों से बचाने के लिए की गई थी नवदुर्गा की आराधना
4 Oct, 2024 06:45 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
शारदीय नवरात्रों की शुरुआत हो चुकी है. इस मौके पर भक्त जगत जननी शक्ति स्वरूपा मां दुर्गा की आराधना कर रहे हैं. मंदिरों और घरों में मां के दरबार को सजाया गया है. आज हम आपको एक ऐसे मंदिर से रूबरू करवाने जा रहे हैं, जहां माता 9 सिर के साथ विराजमान हैं. जी हां अजमेर के नाग पहाड़ पर स्थित नौसर माता मंदिर में हर दिन बड़ी संख्या में भक्त अपनी मुरादें लेकर पहुंचते हैं. नौसर माता के नाम से विख्यात ये मंदिर अजमेर के नौसर पहाड़ी पर स्थित है. मंदिर के गर्भगृह में माता के 9 सिर वाली प्रतिमा है. स्थानीय लोग नवदुर्गा माता को नौसर माता के नाम से पुकारते हैं.
मंदिर के पुजारी ने बताया कि नवरात्रों की शुरुआत हो चुकी है ऐसे में दूर दराज से काफी संख्या में लोग माता के दर्शन करने आते हैं. पूरे 9 दिन तक माता के अलग-अलग कार्यक्रम होते हैं. मां की विशिष्ट पूजा होती है. पुजारी ने बताया कि नौसर माता भक्तों की मनोकामना पूरी करती हैं. लोगों में माता के प्रति काफी श्रद्धा और विश्वास है. मंदिर के पुजारी बताते हैं कि जब पुष्कर में सृष्टि यज्ञ किया जा रहा था, तो ब्रह्मा ने इस यज्ञ को नकारात्मक शक्तियों से बचाने के लिए नवदुर्गा की आराधना की थी. तभी से यहां मां के नौ स्वरूप विराजमान हैं, और भक्तों के लिए यह स्थान सदियों से आस्था का केंद्र बना हुआ है. इस मंदिर को कई समाज की कुलदेवी के रूप में पूजा जाता है.
कैसे पहुंचे नौसर माता मंदिर?
नौसर माता मंदिर अजमेर से सड़क मार्ग द्वारा आसानी से पहुंचा जा सकता है. पुष्कर में ठहरने के लिए कई धर्मशालाएं और भवन उपलब्ध हैं, और दिनभर वाहनों की सुविधा भी रहती है. भक्त यहां आकर मां के नौ स्वरूपों के दर्शन कर अपनी मनोकामनाएं पूरी करते हैं.
व्यापार में हो रहा घाटा, हर काम में बिगड़ रहा, इस नवरात्रि जरूर करें ये उपाय; कभी नहीं होगी पैसों की कमी!
4 Oct, 2024 06:30 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
शारदीय नवरात्रि की शुरुआत आज से हो चुकी है. नवरात्रि में माता दुर्गा के नौ दिनों तक नौ रूपों की पूजा-अर्चना की जाती है. इसके साथ ही माता दुर्गा को प्रसन्न करने के लिए लोग कई तरह के उपाय भी करते हैं. माना जाता है कि यदि माता दुर्गा की विधि विधान के साथ पूजा की जाए, तो जीवन में सभी प्रकार के संकट समाप्त हो जाते हैं. वहीं, यदि आपका हर कार्य बिगड़ रहा है और पैसे कमाने के बावजूद भी घर में टिक नहीं रहे हैं, तो ज्योतिष शास्त्र के अनुसार नवरात्र में कुछ उपाय अवश्य करना चाहिए. आइए जानते हैं, देवघर के ज्योतिषाचार्य से.
देवघर के प्रसिद्ध ज्योतिषाचार्य पंडित नंदकिशोर मुद्गल ने लोकल 18 के संवाददाता से बातचीत करते हुए बताया कि नवरात्रि 3 अक्टूबर से शुरू हो चुकी है और यह 12 अक्टूबर तक चलेगी. इस साल दुर्गा पूजा का कलश स्थापना हस्त नक्षत्र में होने वाला है, जो शास्त्र के अनुसार उत्तम है. यदि आपका व्यापार लगातार घाटा हो रहा है, कोई कार्य नहीं बन रहा है, या घर में लगातार गृह क्लेश हो रहा है, तो इस नवरात्रि माता दुर्गा से जुड़े कुछ उपाय कर लेना चाहिए. इससे माता दुर्गा प्रसन्न होंगी और आपके बिगड़े हुए कार्य सफल होंगे.
नवरात्रि में करें ये उपाय, कभी पैसे की कमी नहीं होगी
ज्योतिषाचार्य पंडित नंदकिशोर मुद्गल ने बताया कि इस नवरात्रि में माता दुर्गा को प्रसन्न करने और हर समस्या से छुटकारा पाने के लिए एक दिन कुंवारी कन्या को भोजन अवश्य कराएँ। अगर प्रत्येक दिन कुंवारी कन्या को भोजन नहीं करा पाते हैं, तो नवरात्रि की महा अष्टमी तिथि के दिन नौ कन्याओं की पूजा कर उन्हें भोजन कराएँ। नवमी तिथि के दिन कुंवारी कन्याओं को हल्दी, अक्षत और द्रव्य देकर विदाई करें। निश्चित रूप से, आपका व्यापार फिर से चलने लगेगा और हर बिगड़े हुए कार्य पूर्ण होंगे। साथ ही, घर में सुख-समृद्धि की वृद्धि होगी
बड़ा ही चमत्कारी है माता का यह मंदिर, यहां मां कई बार दे चुकी साक्षात दर्शन!
4 Oct, 2024 06:15 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
बुलंदशहर के नरौरा में स्थित मां सर्वमंगला देवी यानी बेलौन वाली मईया के मंदिर के बारे में मान्यता और इतिहास काफी गहरा रहा है. जनश्रुति और पौराणिक मान्यता के मुताबिक मां पार्वती को एक बार भगवान शिव ने बताया कि उन्हें समस्त धर्मग्रंथों के महत्व का ज्ञान पाने के लिए बेलौन जाना चाहिए, बेलौन नरौरा के गंगा नदी के पश्चिम छोर पर स्थित बेल के वन क्षेत्र का नाम है. वहां मां पार्वती ने एक शिला पर बैठकर ध्यान किया था. आगे चलकर यह स्थान सर्वमंगला देवी के नाम से जाना जाने लगा. मान्यता है कि यहां कई बार माता रानी ने साक्षात लोगों को किसी न किसी रूप में आकर दर्शन दिए हैं.
कहा जाता है कि एक बार राव भूप सिंह को स्वप्न में मां सर्वमंगला देवी ने दर्शन दिए थे और उन्हें उस जगह की खुदाई करवाकर मंदिर बनवाने को कहा था. मंदिर के प्रांगण में हर साल चैत्र शुक्ल की त्रयोदशी और आश्विन महीने के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी को बलिदान दिवस मनाया जाता है. मंदिर के आस-पास एक बाज़ार भी है. मंदिर में पूरे साल श्रद्धालुओं की भीड़ रहती है, लेकिन नवरात्रों में यहां भव्य मेला लगता है.
बेलौन मंदिर के पुजारी नरेश कुमार वशिष्ठ ने बताया मां सर्वमंगला मां बेलौन मईया का निर्माण गांव के ही राव भूप सिंह ने कराया था. मंदिर में नवरात्रि के नौ दिन काफी भीड़ भाड़ रहती है. मन्दिर में दूर दराज से श्रद्धालु पूजा पाठ करने आते हैं और मनोकामना मांगते हैं, जब श्रद्धालुओं की मनोकामना पूर्ण हो जाती है तो मां के दरबार में चांदी या सोने के मुकुट भी चढ़ाते हैं. बताया जाता है कि बेलौन मैया के मंदिर की मान्यता काफी है. कई बार माता रानी ने साक्षात लोगों को किसी न किसी रूप में आकर दर्शन दिए हैं और यही वजह है कि यहां के लोगों का विश्वास मां की प्रति अटूट है. इसीलिये जब भी कोई श्रद्धालु गंगा जी में नहाने आता है, वह मां बेलौन देवी के दर्शन जरूर करके आता है.
नवरात्रि में करें 5 ये अचूक उपाय, धन, शक्ति और सामर्थ्य में भी होगी वृद्धि, अयोध्या के ज्योतिषी से जानें सब
4 Oct, 2024 06:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
पूरे देश में शारदीय नवरात्रि शुरू हो चुकी है. माता रानी का आगमन हो चुका है नवरात्रि के पहले दिन माता शैलपुत्री की पूजा आराधना का विधान है. नवरात्रि में 9 दिनों तक मां दुर्गा के 9 अलग-अलग स्वरूपों की विशेष रूप से पूजा की जाती है. आश्विन माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि लेकर नवमी तिथि तक शारदीय नवरात्रि मनाई जाती है है. शुभ मुहूर्त में कलश स्थापना के साथ विधि-विधान से मां दुर्गा की पूजा और अनुष्ठान आरंभ होते हैं. नवरात्रि के 9 दिनों तक माता रानी अपने भक्तों के बीच में रहती हैं और उनकी समस्त परेशानियां दूर करती है. ऐसी स्थिति में आज हम आपको इस रिपोर्ट में बताएंगे की नवरात्रि के दिनों में कौन से उपाय करने चाहिए ताकि आप पर माता रानी की कृपा बरसती रहे तो चलिए इस रिपोर्ट में जानते हैं
दरअसल अयोध्या के ज्योतिषी पंडित कल्कि राम बताते हैं कि शारदीय नवरात्रि आज से शुरू हो गया है. 9 दिनों का यह त्योहार मां दुर्गा को समर्पित होता है. इन दिनों माता रानी की पूजा-अर्चना की जाती है और भक्त मां को प्रसन्न करने के लिए व्रत, पूजन और तमाम तरह के उपाय करते हैं. शारदीय नवरात्रि के दौरान कुछ विशेष उपाय करने से माता रानी खुश होती हैं और आपकी हर मनोकामना पूरी करती हैं. अगर आप नवरात्रि में ये उपाय करते हैं तो आपके धन-संपत्ति में बढ़ोतरी होगी. साथ ही घर में सुख-समृद्धि और खुशहाली बनी रहेगी.
धार्मिक रूप से नवरात्रि में चांदी का सिक्का घर लाना बेहद शुभ माना जाता है इससे माता लक्ष्मी भी प्रसन्न होती है.
इसके अलावा नवरात्रि के दोनों में आपको तुलसी का पौधा भी घर में लगाना चाहिए. नवरात्रि के पावन पर्व पर तुलसी का पौधा घर लाना भी शुभ माना जाता है. कहा जाता है माता तुलसी के आगे नवरात्रि में दीपक जलाने से माता जगत जननी जगदंबा प्रसन्न होती हैं घर में सुख समृद्धि बनी रहती है.
नवरात्रि में माता लक्ष्मी की तस्वीर अथवा मूर्ति लाना भी बेहद शुभ होता है. कहा जाता है नवरात्रि में मां दुर्गा की ही स्वरूप देवी लक्ष्मी भी होती हैं ऐसी स्थिति में पूजा आराधना के स्थान पर माता लक्ष्मी की भी मूर्ति को स्थापित करना चाहिए.
इसके साथ ही नवरात्रि में माता रानी का 16 श्रृंगार करना चाहिए. महिलाएं नवरात्रि में मां दुर्गा को 16 श्रृंगार अर्पित करें ऐसा करने से अखंड सौभाग्य की प्राप्ति होती है.
जो भी लोग आर्थिक संघर्ष से जूझ रहे हैं उन्हें नवरात्रि में कलश स्थापना से पूर्व एक नारियल का सूखा गोला लेके सूजी को देसी घी में भूनकर उस नारियल में डाल देना चाहिए. उसके बाद कलश स्थापना के बाद उसे किसी घर के आसपास मिट्टी में डाल दें. जैसे-जैसे चीटियां सूजी को खायेंगे वैसे-वैसे आपके संकट का नाश होगा.
राशिफल: जानिए, कैसा रहेगा आपका आज का दिन (04 सितंबर 2024)
4 Oct, 2024 12:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
मेष राशि :- आरोग्य भय बाधा से बचें, इष्ट मित्र सुखवर्धक होगा, आशानुकूल सफलता से लाभ होगा।
वृष राशि :- मान-प्रतिष्ठा बाल-बाल बचे, इष्ट मित्र सुखवर्धक होंगे, स्त्री वर्ग से हर्ष होगा, सुखद वातावरण रहेगा।
मिथुन राशि :- लेन-देन के मामले में अधिक व्यय संभव है, इष्ट मित्र से सुख एवं लाभ होगा, समय स्थिति का लाभ लें।
कर्क राशि :- अधिकारियों के मेल-मिलाप से सुख-सामर्थ्य में वृद्धि होगी, कार्य-कुशलता से लाभ अवश्य होगा ध्यान दें।
सिंह राशि :- भाग्य का सितारा प्रबल होगा, बिगड़े कार्य बनेंगे, आशानुकूल सफलता का हर्ष होगा, समय का ध्यान रखें।
कन्या राशि :- परिश्रम से कुछ सफलता जुटा सकते हैं, कार्यवृत्ति में सुधार होगा, परिश्रम से धन लाभ के योग बनेंगे।
तुला राशि :- स्त्री वर्ग से हर्ष-उल्लास होगा, सामाजिक कार्यों में प्रतिष्ठा-प्रभुत्व वृद्धि होगी, कार्य समय पर करने का प्रयास करें।
वृश्चिक राशि :- इष्ट मित्र सुखवर्धक होगा, तनाव, क्लेश व अशांति से मन विक्षुब्ध रहेगा, आरोप व विभ्रम की स्थिति रहेगी।
धनु राशि :- स्त्री शरीर कष्ट, मानसिक व्याधि का सामना करना पड़ेगा, स्वाभाव में उद्विघ्नता अवश्य बनेगी, धैर्य रखें।
मकर राशि :- धन लाभ होगा, सोचे कार्य समय पर पूर्ण होंगे, कार्यवृत्ति में सुधार होगा, समय का ध्यान अवश्य रखें।
कुंभ राशि :- इष्ट मित्र सुखवर्धक होगा, अधिकारी वर्ग से तनाव बनेगा, कार्य सावधानी से करें, स्थिति को ध्यान में रखकर आगे बढ़ें।
मीन राशि :- कार्यगति अनुकूल होगी, चिन्तायें कम होंगी, सफलता के साधन जुटायेंगे, समय स्थिति का लाभ लें।
कैसे हुई शारदीय नवरात्र की शुरुआत
3 Oct, 2024 07:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
शारदीय नवरात्र गुरुवार से शुरु हो रही है। नवरात्रि साल में दो बार मनाई जाती है। पहला मार्च से अप्रैल के बीच चैत्र मास में आने वाली चैत्र नवरात्र और दूसरा आश्विन मास में, जिसे शारदीय नवरात्रि कहते हैं। नवरात्रि के दिनों में नौ दिनों तक मां दुर्गा के नौ अलग-अलग स्वरूपों की पूजा होती है। आश्विन मास में मनाए जाने वाले नवरात्रों में दसवें दिन विजयदशमी यानी दशहरा त्यौहार के रूप में मनाया जाता है।
कैसे हुई थी शारदीय नवरात्र की शुरुआत
ऐसी मान्यता है कि शारदीय नवरात्र की शुरुआत भगवान राम ने की थी। भगवान राम ने सबसे पहले समुद्र के किनारे शारदीय नवरात्रों की पूजा की शुरुआत की। राम ने लगातार 9 दिनों तक शक्ति की पूजा की थी और तब जाकर उन्होंने लंका पर जीत हासिल की थी।
यही वजह है कि शारदीय नवरात्रों में नौ दिनों तक दुर्गा मां की पूजा के बाद दसवें दिन दशहरा मनाया जाता है। हर साल 10वें दिन तब से ही दशहरा मनाया जाता है और माना जाता है कि अधर्म की धर्म पर जीत, असत्य की सत्य पर जीत के लिए 10वें दिन दशहरा मनाते हैं।