धर्म एवं ज्योतिष
राशिफल: जानिए, कैसा रहेगा आपका आज का दिन (10 सितंबर 2024)
10 Oct, 2024 12:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
मेष राशि :- व्यवसायिक क्षमता अनुकूल रहेगी, किसी तनाव या विवादग्रस्त होने से बचें, कार्य में सावधानी अवश्य रखें।
वृष राशि :- स्त्री वर्ग से भोग-ऐश्वर्य की प्राप्ति होगी, कार्य संतोषप्रद रहेगा, स्त्री वर्ग से हानि होगी, समय का ध्यान रखें।
मिथुन राशि :- सामाजिक कार्यों में मान-प्रतिष्ठा व प्रभुत्व वृद्धि होगी, कार्य कुशलता से संतोष अवश्य होगा।
कर्क राशि :- कार्य कुशलता से संतोष एवं नवीन कार्य योजना फलप्रद होगी, रुके कार्य परिश्रम से बनेंगे ध्यान अवश्य दें।
सिंह राशि :- मान-प्रतिष्ठा, प्रभुत्व में वृद्धि होगी, अधिकारियों की अपेक्षा से कार्य हानि होगी, कार्यगति पर ध्यान अवश्य दें।
कन्या राशि :- दैनिक कार्यगति में सुधार होगा, तत्परता से रुके कार्य निपटा लें, कार्य बनने से चिन्तामुक्त होंगे।
तुला राशि :- तनाव व अशांति से कष्ट होगा, दुर्घटनाग्रस्त होने से बचें, रुके कार्य समय पर करने का प्रयास अवश्य करें।
वृश्चिक राशि :- स्त्री शरीर सुख, मनोबल उत्साहवर्धक होगा, आपके कार्यों का विरोध होगा, कार्य अवरोध से हानि होगी।
धनु राशि :- स्वाभाव में उद्विघ्नता व क्लेश से मन अशांत रहेगा, तनाव से बचें, कार्य अवरोध होगा, धैर्य अवश्य रखें।
मकर राशि :- सफलता के साधन जुटायेंगे, मनोबल उत्साहवर्धक रहेगा, समय का ध्यान अवश्य रखें, कार्य पर ध्यान दें।
कुंभ राशि :- विशेष कार्य स्थगित रखें, सामाजिक विभ्रम व उद्विघ्नता से बचें, समय परिस्थिति को समझकर आगे बढ़ें।
मीन राशि :- किसी तनाव व क्लेश से बचें, मानसिक उद्विघ्नता का वातावरण बनेगा, परेशानी का अनुभव होगा।
नवरात्रि में गाजियाबाद के इस मंदिर में करें माता के दर्शन, पूरी होगी हर मनोकामना
9 Oct, 2024 06:45 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
गाजियाबाद के मोहन नगर में स्थित विशाल माता रानी का मंदिर भक्तों के लिए विशेष आस्था का केंद्र है. ऐसी मान्यता है कि नवरात्रि के अवसर पर यहां माता रानी के दर्शन करने से भक्तों की हर मनोकामना पूरी होती है. आइए जानते हैं इस मंदिर से जुड़ी कुछ खास बातें.
मोहन नगर के माता रानी मंदिर की महिमा
मोहन नगर का माता रानी मंदिर गाजियाबाद के प्रमुख धार्मिक स्थलों में से एक है. यहां दूर-दूर से श्रद्धालु अपनी आस्था लेकर आते हैं और माता के चरणों में अपना शीश नवाते हैं. मंदिर की भव्यता और शांति वातावरण लोगों को आध्यात्मिक ऊर्जा प्रदान करता है.
नवरात्रि में विशेष पूजा और उत्सव
नवरात्रि के पावन दिनों में इस मंदिर में विशेष पूजा और अनुष्ठान किए जाते हैं. भक्त माता रानी के दर्शन के लिए लंबी कतारों में खड़े रहते हैं और माता की आराधना करते हैं. मंदिर को नवरात्रि के दौरान बेहद आकर्षक तरीके से सजाया जाता है, जिससे इसकी भव्यता और बढ़ जाती है.
भक्तों की सभी मनोकामनाएं होती है पूरी
इस मंदिर की एक खास मान्यता है कि जो भी श्रद्धालु सच्चे मन से माता रानी की पूजा करता है, उसकी हर मनोकामना पूरी होती है. नवरात्रि के समय यहां आकर लोग अपनी व्यक्तिगत और पारिवारिक समस्याओं के समाधान के लिए मन्नतें मांगते हैं.
मंदिर का इतिहास और धार्मिक महत्व
इस मंदिर का निर्माण कई साल पहले हुआ था और तब से यह गाजियाबाद और आस-पास के क्षेत्रों के लोगों के लिए आस्था का प्रमुख केंद्र बना हुआ है. मंदिर का इतिहास धार्मिक मान्यताओं से जुड़ा हुआ है और यहां के पुजारी बताते हैं कि यहां की पूजा-अर्चना से कई भक्तों को जीवन में सकारात्मक बदलाव मिले हैं.
कैसे पहुंचें मोहन नगर का माता रानी मंदिर?
गाजियाबाद के मोहन नगर में स्थित यह मोहन नगर मेट्रो स्टेशन के नजदीक है यहां आसानी से पहुंचा जा सकता है. आप मेट्रो, बस, या निजी वाहन द्वारा इस मंदिर तक पहुंच सकते हैं. नवरात्रि के दौरान यहां खास इंतजाम किए जाते हैं ताकि श्रद्धालुओं को किसी भी प्रकार की असुविधा न हो. नवरात्रि के पावन अवसर पर इस मंदिर में जाकर माता रानी का आशीर्वाद लें और अपनी सभी इच्छाओं को पूर्ण करने की प्रार्थना करें.
ग्रह डालते हैं जीवन पर गहरा असर, आइए जानते हैं, शश और हंस महापुरूष योग द्वारा सुपरस्टार चिरंजीवी की कहानी ग्रहों के जुबानी
9 Oct, 2024 06:30 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
ग्रहों का हमारे जीवन पर हमेशा ही असर रहता है. इस बात को कई लोग मानते हैं, कुछ कम मानते हैं, और कई लोग इस बात को नकार भी देते हैं. लेकिन सच तो यही है, कि यह सभी पर असर करते हैं. जैसे कि अगर हम तो एक सफल अभिनेता के ग्रहों के योग के साथ साथ ग्रहों के महादशा भी उतनी ही ज़रूरी होती है, अभिनय के दुनिया में अपनी जगह, रुतवा दर्शकों के मन में अपने लिये अपार प्यार और विश्वास बनाये रखने के लिये अभिनेताये अपनी अभिनय के जोर पर दर्शकों के मन मस्तिष्क पर गहरा प्रभाव डालते है दक्षिण भारत में तो कुछ अभिनेताओं को लोग भगवान तुल्य मानते है.
आइए जानते हैं, इस मामले पर ज्योतिष डॉ मधु प्रिया प्रसाद ने क्या जानकारी दी. उन्होंने बताया मेगास्टार चिरंजीवी ने भारतीय सिनेमा में सबसे ज़्यादा लोकप्रिय फ़िल्म स्टार के तौर पर गिनीज़ वर्ल्ड रिकॉर्ड में अपना नाम दर्ज कराया. चिरजीवी का जन्म 22.8.1955, 10-11 am के बीच नरसापुर में ,पंचमहापुरूष में से दो योगों के साथ हुआ.
तुला लग्न में जन्मे चिरंजीवी के लग्न में ही उच्च के शनि विधमान होकर शश महापुरूष योग बना रहे है ,इस योग में जन्म लेने वाला व्यक्ति उच्चपदाधिकारी, राजनेता, न्यायाधिपति ,दीर्घायु होता है. साथ में दसम भाव में केंद्र में उच्च के वृहस्पति से हंस नामक महापुरूष योग बन रहा है. इस योग में जन्म लेने वाला व्यक्ति बुद्धिमान व आध्यात्मिक होता है एवं विद्वानों द्वारा प्रशंसनीय होता है.
वृहस्पति के दशा में 1977 में इन्होंने अपना कैरियर शुरू किया 1982 -83 में वृहस्पति में शनि के अंतरदशा ने चिरंजीवी को अभिनेता से सुपरस्टार बना दिया. और सफलता की सीढ़ियाँ चढ़ते गए.
दसम भाव पर शनि और राहु के दृष्टि के कारण जब शनि के महादशा में राहु की अंतर् दशा में इन्होंने प्रजाराज्यम नामक एक रणनीति पार्टी के नींव भी रखी.
स्वगृही सूर्य के एकादश लाभ स्थान में भावेश बुध और लग्नेश शुक्र का सप्तमेश मंगल के युति के कारण इन्हें बार बार सम्मान और देश विदेश में प्रसिद्धि मिलती रही पद्म विभूषण पद्म भूषण गिनीज़ वर्ल्ड रिकॉर्ड में नाम इन्हें ग्रहों के शुभ प्रभाव का असर है.
अनोखा है देवघर का ये देवी मंदिर, मनोकामना पूर्ण होने पर भक्त चढ़ाते हैं इस बड़े जानवर की बली
9 Oct, 2024 06:15 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
देवघर देवो की नगरी कहा जाता है. यहां के कण कण में भगवान शिव वास करते हैं. वहीं माना जाता है कि यहां पर भगवान शिव से पहले शक्ति का वास हुआ था. इसलिए जिस तरह से भगवान शिव की पूजा धूमधाम से की जाती है.इस तरह नवरात्रि के दिनों में देवघर जिले में मां दुर्गा की भी पूजा धूमधाम से की जाती है.
देवघर ऐतिहासिक शहर के रूप में जाना जाता है. यहां कई ऐसे दुर्गा मंदिर है जो ऐतिहासिक होने के साथ-साथ धार्मिक रूप से काफी शुभ भी माना जाता है. उन्हीं में से एक देवघर जिले के साथ प्रखंड के कुकराहा दुर्गा मंदिर. इस मंदिर मे करीब 500वर्षो से भी ज्यादा मां दुर्गा की पूजा चलती आ रही है.
क्या है मान्यता इस दुर्गा मंदिर का
मंदिर के पुजारी भगवान तिवारी ने लोकल18 से कहा की यहां पर करीब 500वर्ष से माता दुर्गा की पूजा आराधना की जाती है. इस मंदिर माता दुर्गा की मूर्ति नही बनाई जाती है बल्कि माता विंध्याचल के स्वरुप को पूजा जाता है. क्योंकि माता विंध्याचल खुद यहां पर वास की है. इसके पीछे रोचक कहानी है. पंडीत जी बताते है कि जब गांव के एक व्यक्ति नदी किनारे अपने खेत मे काम कर रहा था तभी एक कुंवारी कन्या ने वस्त्र की मांग की और अपने गाँव ले जाने की बात कही. व्यक्ति ने कुंवारी कन्या को वस्त्र देकर दौर कर गांव गया और लोगों को बात सुनाई जब सभी गांव वाले वापस उस जगह पर कुंवारी कन्या को देखने पहुंचे वह गायब थी. उसी रात व्यक्ति के स्वप्न मे मे वह कुंवारी कन्या आयी और बोली मे माता विंध्याचल हूं. गांव में वास करना चाहती हूं. तभी से पूजा आरम्भ हो गयी.सालों भर विशेष कर नवरात्री मे राज्य के कई जगहों से दुमका, गोड्डा, धनबाद, रांची के साथ आस परोस के राज्य जैसे बिहार, बंगाल उत्तरप्रदेश के लोग भी पहुंचते है.
देर रात आती है घुंगरू की आवाज़
मंदिर के पुजारी और ग्रामीणों का कहना है कि कुकराहा के इस दुर्गा मंदिर मे कभी कभी देर रात्रि घुंगरू की मद्धिम स्वर सुनाई पड़ता है. मानो ऐसा जैसे एक साथ कई स्त्रियां नृत्य कर रही हो. मान्यता है कभी भी कोई भी भक्त यहां से निराश होकर नही लौटा है. इस मंदिर मे मांगी कई मनोकामना जरूर पूर्ण होती है.
इस मंदिर मे हर रोज किया जाता है कुंवारी कन्या पूजन
मंदिर जानकार बताते है कि नवरात्री प्रारम्भ होते ही यहां हर रोज गेरूवा वस्त्रधारी, साधुसंत का जमघट लगा रहता है. इसके साथ ही इस मंदिर मे हर रोज कुंवारी कन्या को भोजन कराया जाता है.
मनोकामना पूर्ण होने पर दी जाती है भैसों की बली
मंदिर के पुजारी भगवान तिवारी बताते है कि इस मंदिर के दर मे जिसने भी अपनी मनोकामना लिए माथा टेका है. उनकी मनोकामना अवश्य पूर्ण हुई है. कई लोग मनोकामना पूर्ण होने पर भैंस की बली चढ़ाते है. इसलिए कुकराहा के इस दुर्गा मंदिर मे नवरात्री मे पहले 2000से भी ज्यादा बकरे की बली दी जाती है. उसके बाद भैसों की बली दी जाती है. यह दुर्गा मंदिर एक नही बल्कि 20 से भी ज्यादा गांव की कुलदेवी है.
राशिफल: जानिए, कैसा रहेगा आपका आज का दिन (09 सितंबर 2024)
9 Oct, 2024 12:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
मेष राशि :- धन का व्यर्थ व्यय होगा, मानसिक अशांति से कष्ट होगा, कार्य में विलम्ब से मन दु:खी होगा।
वृष राशि :- चिन्ताग्रस्त होने से बचें, व्यवसायिक क्षमता में वृद्धि होगी, कार्यों को समय पर पूर्ण करने का प्रयास करें।
मिथुन राशि :- तनाव व क्लेश का वातावरण रहेगा, अशांति व असमर्थता का वातावरण कष्टप्रद रहेगा, धैर्य अवश्य रखें।
कर्क राशि :- किसी व्यर्थ प्रयोजन से बचें अन्यथा परेशानी में फंस सकते हैं तथा समय को ध्यान में रखकर कार्य करें।
सिंह राशि :- तनाव, क्लेश व अशांति से मन दु:खी रहेगा, असमर्थता का वातावरण कष्टप्रद अवश्य ही होगा।
कन्या राशि :- कुटुम्ब की समस्यायें सुलझेंगी, कार्यवृत्ति में सुधार होगा, आलस्य से हानि होगी, कार्यगति पर ध्यान दें।
तुला राशि :- विवादग्रस्त होने की संभावना है, वाद-विवाद से बचने का प्रयास करें, सोचे कार्य समय पर पूर्ण होंगे।
वृश्चिक राशि :- कार्य-कुशलता से संतोष होगा, दैनिक समृद्धि के साधन अवश्य ही बनेंगे, कार्य समय पर करें।
धनु राशि :- अधिकारियों से तनाव, मित्र वर्ग की उपेक्षा से मन अशांत रहेगा, तनाव पूर्ण वातावरण से अवश्य बचें।
मकर राशि :- मान-प्रतिष्ठा में कमी से तनाव, मित्र वर्ग से कष्ट, कार्यगति में बाधा बनेगी, सोचे कार्य पूर्ण करने का प्रयास करें।
कुंभ राशि :- किसी घटना का शिकार होने से बचें, चोटादि का भय बनेगा, कार्य सावधानी से करें, धैर्य अवश्य रखें।
मीन राशि :- स्त्री वर्ग से सुख-हर्ष मिलेगा, बिगड़े कार्य बनेंगे, समय का लाभ अवश्य लें, अनुकूल वातावरण रहेगा।
बड़ा चमत्कारी है काली मां का यह मंदिर, जमीन चीरकर प्रकट हुई थी माता, दिन में तीन बार बदलती है स्वरूप
8 Oct, 2024 06:45 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
गोरखपुर के गोलघर स्थित मां काली का प्राचीन मंदिर आस्था का प्रमुख केंद्र है, जहां प्रतिदिन हजारों श्रद्धालु अपनी मनोकामनाओं को लेकर पहुंचते हैं. इस मंदिर से जुड़ी मान्यताएं बेहद खास हैं कहा जाता है कि, यहां स्थापित मां काली की प्रतिमा स्वयं धरती से प्रकट हुई थी, और तब से लेकर आज तक यह मंदिर चमत्कारों का साक्षी बना हुआ है.
मां काली का जमीन चीरते हुए हुई प्रकट
मंदिर के पुजारी और स्थानीय लोग बताते हैं कि इस स्थान पर पहले घना जंगल हुआ करता था. वर्षों पहले इसी जंगल में जमीन को चीरते हुए मां काली का मुखड़ा प्रकट हुआ था. इस घटना ने स्थानीय लोगों को चकित कर दिया और धीरे धीरे इस स्थान पर भक्तों का जमावड़ा लगने लगा. पूर्व उपसभापति मनू जायसवाल बताते हैं कि उनके पूर्वज जंगीलाल जायसवाल ने इस स्थान पर श्रद्धालुओं की आस्था को देखते हुए मंदिर का निर्माण कराया.
भक्तों के विश्वास का केंद्र
मंदिर में स्थापित मां काली की प्रतिमा के नीचे, उसी स्थान पर धरती से प्रकट हुआ स्वयंभू मुखड़ा आज भी स्थित है. यह स्थान श्रद्धालुओं के लिए विशेष महत्व रखता है. कहा जाता है कि, मां काली की कृपा से भक्तों की हर मुराद पूरी होती है, और यही कारण है कि यहां आने वाले श्रद्धालुओं की संख्या दिन प्रतिदिन बढ़ती जा रही है. सुबह होते ही मंदिर के पट खुलते ही लंबी कतारें लग जाती हैं, और विशेष रूप से नवरात्र के समय मंदिर परिसर में मेले जैसा माहौल हो जाता है.
काली मां के दिव्य रूप में बदलाव
मंदिर के पुजारी श्रवण सैनी के अनुसार, गोलघर की मां काली को सिद्ध माता माना जाता है. उनका कहना है कि काली मां की प्रतिमा के स्वरूप में दिन में तीन बार बदलाव होता है. सुबह, दोपहर और शाम को माता का रूप अलग-अलग दिखता है. यह अद्भुत घटना श्रद्धालुओं के लिए बेहद खास होती है और उनके विश्वास को और भी गहरा करती है.
नवरात्रि में विशेष आयोजन
नवरात्रि के दौरान यहां भक्तों का मेला लगता है. दूर दूर से लोग आकर विधि विधान से पूजा करते हैं और सुख समृद्धि की कामना करते हैं. इस समय मंदिर के आसपास प्रसाद और पूजन सामग्री की दुकानों की रौनक देखते ही बनती है, और भक्त मां काली की कृपा पाने के लिए यहां उमड़ पड़ते हैं.
यहां भक्तों को मुंह मांगा वरदान देती हैं देवी मां, आंखों की रोशनी भी आ सकती है वापस
8 Oct, 2024 06:30 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
3 अक्टूबर से नवरात्रि 2024 का पर्व चालू हो गया है और आज शारदीय नवरात्र का 5वां दिन है. ऐसे में देवी मंदिरों में भक्तो की अच्छी खासी भीड़ देखने को मिल रही है. बात करें अगर धर्म नगरी चित्रकूट की हो तो यहां 52 शक्ति पीठों में से एक शिवानी शक्ति पीठ में देवी के भक्तो का तांता लगा रहता है. यहां श्रद्धालु दूर दराज से आकर देवी मां की श्रद्धा भाव से पूजा पाठ करते हुए नजर आ रहे हैं.
52 शक्ति पीठों में से एक है यह मंदिर
बता दें कि यह शक्ति पीठ चित्रकूट के मंदाकनी नदी के तट पर रामगिरी स्थान पर शिवानी शक्तिपीठ के नाम से जाना जाता है. यह मंदिर फूलमती माता के नाम से भी विख्यात है. ऐसी मान्यता है कि माता शिवानी का दांया स्तन यहां पर कट कर गिरा था, जो यह 52 शक्ति पीठों में से एक शक्ति पीठ शिवानी शक्ति पीठ के रूप जाना जाता है.
भगवान राम भी कर चुके है मंदिर में पूजा
स्थानीय लोगों का कहना है कि जब भगवान श्रीराम वनवास आए थे, तो भगवान श्रीराम भी इस मंदिर में पूजा पाठ करते थे, जिसे उस समय वन देवी के नाम से जाना जाता था. तभी से इस विख्यात मंदिर में हजारों की तादाद में श्रद्धालु रोजाना दर्शन करने के लिए आते हैं और नवरात्र में तो देवी मां के दर्शन के करने के लिए श्रद्धालुओं का तांता लगा रहता है. सुबह से भक्तो की लंबी लाइन लगी रहती है. भक्त माता शिवानी का जल,पुष्प ,चुनरी आदि प्रसाद चढ़ाते हैं. जहां माता शिवानी खुले आसमान के नीचे बिराजमान हैं.
पुजारी ने दी जानकारी
वहीं, मंदिर के पुजारी अजीत ने बताया है कि बहुत से भक्तों ने माता शिवानी को मंदिर बनाने का आग्रह किया, लेकिन माता रानी ने उन भक्तों को सपना दिखा देती हैं कि वह खुले आसमान में ही रहेंगी. पुजारी ने बताया कि माता दूसरों को छाया देती हैं, ऐसे में उन्हें छाया की आवश्यकता नहीं है.
इसीलिए माता शिवानी देवी खुले आसमान के नीचे विराजमान हैं. वहीं, पुजारी ने बताया कि माता रानी सभी भक्तों की मनोकामना पूर्ण करती हैं. कहा जाता है कि जिनके आंखों की रोशनी चली जाती है, माता रानी के दरबार में सच्चे मन से आराधना करने पर उसकी रोशनी वापस लौट आती है.
महाराजगंज में यहां है बौद्ध कालीन स्तूप, अब तक बिल्कुल है अनछुआ, जानें इससे जुड़ी धार्मिक मान्यताएं
8 Oct, 2024 06:15 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
उत्तर प्रदेश के महाराजगंज जिले का एक बड़ा हिस्सा वन क्षेत्र वाला है. इन क्षेत्रों में अलग-अलग धार्मिक स्थल और अन्य ऐतिहासिक स्थल मौजूद हैं. इन धार्मिक स्थलों की अपनी अलग-अलग कहानी और अलग-अलग मान्यताएं हैं. महाराजगंज जिला बौद्ध कालीन इतिहास की विरासत को भी आज तक संजोए रखा है. जिले के चौक क्षेत्र स्थित रामग्राम में बौद्ध कालीन स्तूप मौजूद है.
रामग्राम में स्थित इस बौद्ध स्तूप का संबंध गौतम बुद्ध के महापरिनिर्वाण से है. विश्व के अलग-अलग हिस्सों में मौजूद बौद्ध स्तूपों की तुलना में यह स्तूप सबसे अलग है. रामग्राम स्थित बौद्ध स्तूप के रहस्य से अभी तक पूर्ण रूप से पर्दा नहीं उठा है. इसके साथ ही यह स्तूप अब तक का सबसे अलग और अनछुआ स्तूप भी माना जाता है.
यहां मौजूद है गौतम बुद्ध के महापरिनिर्वाण की अस्थि
महाराजगंज जिले के रामग्राम में मौजूद बौद्ध स्तूप के रहस्यों से अभी तक पर्दा नहीं उठा है. प्रसिद्ध लेखक और इतिहासकार डॉ. परशुराम गुप्त ने लोकल 18 को बताया कि गौतम बुद्ध के महापरिनिर्वाण के बाद अस्थियों को आठ भागों में विभाजित कर दिया गया था. इन अस्थियों को अलग-अलग हिस्सों में बांट दिया गया था. इन अस्थियों में से एक भाग रामग्राम के तत्कालीन निवासी अर्थात रामग्राम के कोलियों को मिला. गौतम बुद्ध के महापरिनिर्वाण के अस्थियों के आठवें भाग पर रामग्राम के इस बौद्ध स्तूप का निर्माण हुआ है. रामग्राम स्थित बौद्ध स्तूप अन्य दूसरे स्तूपों की तुलना में इसलिए भी अलग है, क्योंकि अभी तक इस स्तूप की खुदाई नहीं हुई है. वहीं विश्व के अलग-अलग हिस्सों में मौजूद बौद्ध स्तूपों की खुदाई हो चुकी है और उनके रहस्यों से पर्दा भी उठ चुका है.
सम्राट अशोक भी नहीं कर पाए थे स्तूप की खुदाई
डॉ. परशुराम गुप्त बताते हैं कि सम्राट अशोक बौद्ध धर्म के प्रचार-प्रसार के उद्देश्य से विश्व के अलग-अलग हिस्सों में मौजूद बौद्ध स्तूपों की खुदाई करा रहे थे. इसी उद्देश्य से सम्राट अशोक रामग्राम भी आए थे. हालांकि रामग्राम के तत्कालीन निवासी कोलियों ने सम्राट अशोक से रामग्राम के बौद्ध स्तूप की खुदाई ना करने का आग्रह किया. इस सिलसिले में सम्राट अशोक और रामग्राम के कोलीय इस बौद्ध स्तूप के पास लगभग एक हफ्ते तक डटे रहे. अंत में सम्राट अशोक ने रामग्राम में स्थित बौद्ध स्तूप की खुदाई ना करने का फैसला लिया. इस घटना की बाद रामग्राम का यह स्तूप दुनिया का सबसे अलग स्तूप बना, जिसकी अभी तक खुदाई नहीं हुई है और रहस्यों से भी भरा हुआ है.
राशिफल: जानिए, कैसा रहेगा आपका आज का दिन (08 सितंबर 2024)
8 Oct, 2024 12:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
मेष राशि :- चिन्तायें कम होंगी, सफलता के साधन जुटायेंगे, बिगड़े कार्य बनाने के लिये प्रयास अवश्य करें।
वृष राशि :- तर्क-वितर्क से बचें, दैनिक कार्य योजना बनेगी, सफलता के साधन अवश्य जुटायेंगे, कार्य पर ध्यान दें।
मिथुन राशि :- कार्यवृत्ति अनुकूल बनेगी, कार्य योजना बनेगी, सफलता के साधन जुटायेंगे, समय का ध्यान अवश्य रखें।
कर्क राशि :- कुटुम्ब की समस्यायें सुलझेंगी, अर्थ-व्यवस्था अनुकूल होगी, कार्य योजना का विस्तार होगा।
सिंह राशि :- विशेष कार्य स्थगित रखे, लेन-देन के कार्य में हानि की संभावना, झूठे व्यवहार से बचकर चलें।
कन्या राशि :- रुके कार्य समय पर बना लें, पारिवारिक समस्या सुलझेगी, स्त्री वर्ग से हर्ष एवं सुख रहेगा।
तुला राशि :- स्त्री वर्ग से हर्ष-उल्लास, सुख लाभ, सामाजिक कार्यों में प्रतिष्ठा निश्चय ही बढ़ेगी, कार्य पर ध्यान दें।
वृश्चिक राशि :- मनोवृत्ति संवेदनशील रहेगी, कार्य अवश्य बनेंगे, स्त्री वर्ग से हर्ष-उल्लास रहेगा, कार्य पूर्ण अवश्य करें।
धनु राशि :- तनाव, क्लेश, अशांति, किसी के धोके व अरोप में फंसने की संभावना, सावधानी से कार्य करें।
मकर राशि :- इष्ट मित्रों से क्लेश व अशांति, धोके एवं आरोप से बचें, विरोधी की गतिविधि से सावधान अवश्य रहें।
कुंभ राशि :- स्त्री शरीर कष्ट, मानसिक अशांति तथा मन को कष्ट होगा, विशेष दु:ख का सामना करना पड़ सकता है।
मीन राशि :- सामाजिक कार्यों में मान-प्रतिष्ठा मिलेगी, लोगों से मेल-मिलाप होगा, समय स्थिति का लाभ अवश्य लें।
इस मंदिर में गिरा था माता सती के शरीर का ऊपरी भाग, आदि शंकराचार्य ने की थी इसकी स्थापना
7 Oct, 2024 06:45 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
उत्तराखंड देवताओं की भूमि है. यही वजह है कि इस पावन भूमि को देवभूमि के नाम से जाना जाता है. यहां पर विराजमान आस्था के केंद्र इसे अलग ही पहचान दिलाते हैं. इन्हीं आस्था के केंद्रों में सिद्धपीठ मां कुंजापुरी का मंदिर भी है. इसे सिद्धपीठ के रूप में पूजा जाता है. जिसका वर्णन स्कंद पुराण के केदारखंड में भी मिलता है. ये मंदिर ऋषिकेश से लगभग 30 किलोमीटर दूर स्थित एक प्रसिद्ध धार्मिक स्थल है. यह मंदिर शिवालिक पहाड़ियों की चोटी पर स्थित है, जहां से भक्तों को गंगोत्री, बंदरपूंछ, स्वर्गारोहिणी और चैखंबा जैसे हिमालयी शिखरों के अद्भुत दृश्य दिखाई देते हैं. सूर्योदय और सूर्यास्त का यहां से दिखाई देने वाला नज़ारा भी बेहद मनमोहक है. यहां नवरात्रों में भव्य मेला लगता है और इस समय यहां श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ती है.
51 शक्तिपीठों में से एक माता कुंजापुरी मंदिर
दौरान उत्तराखंड में स्थित ऋषिकेश के स्थानीय निवासी महंत रामेश्वर गिरी ने बताया कि पुराणों के अनुसार इस मंदिर की स्थापना आदिगुरु शंकराचार्य द्वारा की गई थी. ये मंदिर ऋषिकेश के पास स्थित एक प्रसिद्ध शक्तिपीठ है, जहां माता सती के शरीर का ऊपरी भाग गिरा था. यह मंदिर भगवान शिव और माता सती की प्राचीन कथा से जुड़ा हुआ है, जब भगवान शिव माता सती के वियोग में तांडव करने लगे थे. भगवान विष्णु ने सुदर्शन चक्र से माता सती के शरीर के टुकड़े कर दिए, जो 51 शक्तिपीठों में विभाजित हो गए. यह मंदिर ऋषिकेश से लगभग 25 किलोमीटर और नरेंद्र नगर से 8 किलोमीटर की दूरी पर है, जिसे कुंजापुरी या कुंचा देवी मंदिर के नाम से भी जाना जाता है.
नवरात्रों में लगता है भव्य मेला
कुंजापुरी मंदिर में एक विशेष सिरोही पेड़ है, जिस पर श्रद्धालु अपनी मनोकामनाएं पूर्ण करने के लिए धागा या चुनरी बांधते हैं. मान्यता है कि मां कुंजापुरी सच्चे मन से की गई सभी मनोकामनाएं पूरी करती हैं, और मनोकामना पूर्ण होने पर भक्त पुनः आकर मां को नारियल और चुनरी अर्पित करते हैं. यहां नवरात्रों में भव्य मेला लगता है और इस समय यहां श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ती है.
नवरात्रि पर आज करें यह उपाय, माता कुष्मांडा होंगी प्रसन्न, नहीं आएगा गर्भ में पल रहे बच्चे पर कोई संकट!
7 Oct, 2024 06:30 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
शारदीय नवरात्र के तीन दिन बीत चुके हैं और आज नवरात्रि का चौथा दिन है. नवरात्रि के चौथे दिन मां कुष्मांडा के पूजन का विधान है. मां कुष्मांडा को आदिशक्ति के नाम से भी जाना जाता है. धार्मिक कथाओं के अनुसार जब इस सृष्टि का अस्तित्व नहीं था, तब देवी ने ब्रह्मांड की रचना की थी. देवी के तेज से ही सभी दिशाएं प्रकाशवासन होती हैं.
काशी के ने बताया कि नवरात्रि के चौथे दिन माता कुष्मांडा के दर्शन से हर तरह के भय से मुक्ति मिलती है. इसके अलावा जिन्हें गर्भ में पल रहे बच्चों पर संकट होता है या गर्भधारण में बार बार मुश्किलें आती है, वो भी यदि नवरात्रि के चौथे दिन देवी की पूजा उपासना पूरे विधि विधान से करें, तो मां कुष्मांडा उनकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण करती हैं.
इन चीजों से देवी होंगी प्रसन्न
मां कुष्मांडा के पूजन के दौरान उन्हें लाल चुनरी, लाल गुड़हल के फूल, रोली, लाल पेड़ा अपर्ण कर उनकी पूजा आराधना करनी चाहिए. इस दौरान उनके सामने घी का दीपक भी जरूर जलाना चाहिए. इससे देवी अतिशीघ्र ही प्रसन्न होती है और भक्तों पर उनकी कृपा भी सदैव बनी रहती है.
ऐसा है देवी का स्वरूप
पुराणों के अनुसार मां कुष्मांडा की आठ भुजाएं हैं. इसलिए इन्हें अष्टभुजा देवी के नाम से भी जाना जाता है. इनके आठ भुजाओं में धनुष, कमंडल, बाण, कमलपुष्प, चक्र, गदा, अमृतकलश और जपमाला है. मां कुष्मांडा की सवारी शेर है और इनके हाथों में अष्ट सिद्धि और नौ निधियां हैं. इनके दर्शन से यश, बल, आरोग्य की वृद्धि होती है.
ये है देवी का मंत्र
बताया कि नवरात्रि के चौथे दिन पूजा के दौरान ‘ऊं कुष्मांडायै नम:’ मंत्र का जाप करना चाहिए. इसके अलावा आप ‘या देवी सर्वभूतेषु माँ कूष्माण्डा रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।’ मंत्र का जाप भी कर सकते हैं.
मेहनत तो खूब करते पर हाथ नहीं आता पैसा? आपके साथ भी है ऐसा तो दशहरे पर करें यह उपाय, घर में होने लगेगी बरकत!
7 Oct, 2024 06:15 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
दशहरे का दिन बुराई पर अच्छाई की जीत के लिए जाना जाता है. क्योंकि, इस दिन बुराई के प्रतीक रावण का दहन होता है. ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, आज के दिन नक्षत्र और ग्रह ऐसा योग बनाते हैं, जिनमें यदि कोई उपाय किया जाए जो तो उसका लाभ साल भर बना रहता है. इस साल दशहरा 12 अक्टूबर दिन शनिवार को है. इस दिन लोग अपने जीवन को सफल बनाने के लिए तमाम उपाय करते हैं. लेकिन, शमी वृक्ष का पूजन अधिक फलदायी हो सकता है.
शमी के वृक्ष की पत्तियों को मां महालक्ष्मी और भगवान भोलेनाथ को भी समर्पित किया जाता है. कहा जाता है कि, ऐसा करने से घर में संपन्नता आती है. साथ ही शनि दोष से भी मुक्ति मिलती है. अब सवाल है कि आखिर धन लाभ के लिए दशहरे पर शमी के वृक्ष की पूजा कैसे करें? क्यों शुभ फलदायी माना जाता है शमी? दशहरे पर शमी वृक्ष की पूजा के लाभ? इस बारे में News18 बता रहे हैं उन्नाव के ज्योतिषाचार्य ऋषिकांत मिश्र शास्त्री-
क्या है शमी और शनि का संबंध
शमी का संबंध शनिदेव से है और यह भगवान शिव को भी बहुत प्रिय होता है. इसलिए शमी के वृक्ष की पूजा करने से शनि ग्रह संबंधी दोष जैसे शनि की साढ़े साती, शनि की ढैय्या आदि समाप्त होते हैं.
धन की बरकत के लिए उपाय
दशहरा इस बार 12 अक्टूबर शनिवार के दिन है इसलिए सुबह जल्दी उठें और शमी के गमले की रेत में एक सुपारी और एक सिक्का गाढ़ दें. फिर हर रोज लगातार 7 दिन तक शमी के पेड़ के नीचे तिल के तेल का दीपक जलाएं, ऐसा करने से आपके धन में बरकत होगी.
शमी वृक्ष की पौराणिक कथा
महाभारत की एक कथा के अनुसार, जब पांडवों को अज्ञातवास मिला था, तब उन्होंने अपने अस्त्र-शस्त्र शमी वृक्ष में छिपाकर रखे थे. इसके बाद उन्होंने महाभारत युद्ध में इन्हीं हथियारों का उपयोग कर विजय प्राप्त की थी. इससे शमी वृक्ष को विजय और शक्ति का प्रतीक माना जाता है.
दशहरे पर शमी की ऐसे करें पूजा
दशहरे के दिन शमी के पेड़ की पूजा करने के लिए सबसे पहले आप शमी के पेड़ के पास पहुंचकर प्रणाम करें. फिर जल की धारा प्रवाहित करें. चंदन अक्षत लगाएं. साथ ही पुष्प अर्पित करें. फिर शमी के पेड़ के पास दीपक जलाकर आरती उतारें. हाथ जोड़कर प्रार्थना करें.
दशहरे के दिन शमी वृक्ष की पूजा करने से व्यक्ति कई प्रकार के संकटों से बचता है. साथ ही उसे हर क्षेत्र में सफलता मिलती है.
विजयदशमी के दिन अगर शमी की पूजा की जाए तो घर से हर तरह का तंत्र-मंत्र व बाधा का असर खत्म हो जाता है.
साथ ही शमी का पूजा करने से सभी प्रकार के दोष समाप्त हो जाते हैं. शनि की साढ़ेसाती, ढैय्या का प्रभाव भी कम होता है.
इस बार नवमी-दशमी एक ही दिन, कब करें कलश विसर्जन?
7 Oct, 2024 06:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
शारदीय नवरात्रि में पूरे नौ दिन तक नवदुर्गा की पूजा की जाती है. कई भक्त अपने घर में कलश स्थापना कर दुर्गा सप्तशती का पाठ करते हैं. माना जाता है कि ऐसा करने से माता दुर्गा बेहद प्रसन्न होती हैं. वहीं, हर साल कलश विसर्जन विजयादशमी के दिन किया जाता है. लेकिन, इस साल नवमी तिथि छय रहने के कारण विजयादशमी में ही नवमी तिथि पड़ रही है. ऐसे मे कलश विसर्जन कब करें, इसको लेकर कन्फ्यूजन की स्थिति है.
देवघर के प्रसिद्ध ज्योतिषाचार्य पंडित नंदकिशोर मुद्गल ने लोकल 18 को बताया कि 03 अक्टूबर से शारदीय नवरात्रि की शुरुआत हो चुकी है और 12 अक्टूबर तक चलने वाली है. वहीं, इस बार एक तिथि क्षय होने के कारण नवमी और दशमी तिथि एक ही दिन पड़ रही है. इस कारण विजयादशमी के दिन कलश विसर्जन को लेकर भक्तों में संशय है. इसलिए सही मुहूर्त जानना जरूरी है, नहीं तो भूलवश कलश विसर्जन गलत हो सकता है.
12 या 13 अक्टूबर कब होगा विसर्जन?
इस साल दशमी तिथि की शुरुआत 12 अक्टूबर प्रातः 10 बजकर 54 मिनट पर हो रही है. समापन अगले दिन यानी 13 अक्टूबर प्रातः 09 बजकर 08 मिनट पर होगा. कलश और माता दुर्गा प्रतिमा विसर्जन श्रवण नक्षत्र दशमी तिथि के दिन अपराह्न के समय करना शुभ माना जाता है, इसलिए 12 अक्टूबर को ही माता दुर्गा प्रतिमा और कलश विसर्जन शुभ रहने वाला है.
विसर्जन करने का शुभ मुहूर्त
ज्योतिषाचार्य बताते हैं कि कलश और प्रतिमा विसर्जन विजयादशमी के दिन किया जाता है. इस साल 12 अक्टूबर दिन शनिवार को कलश और प्रतिमा विसर्जन किया जाएगा. विसर्जन करने का शुभ मुहूर्त शनिवार के दिन दोपहर 02 बजे के बाद है, जो बेहद शुभ रहेगा.
राशिफल: जानिए, कैसा रहेगा आपका आज का दिन (07 सितंबर 2024)
7 Oct, 2024 12:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
मेष राशि :- आशानुकूल सफलता का हर्ष होगा, धन लाभ होगा, बिगड़े कार्य अवश्य ही बनेंगे ध्यान अवश्य दें।
वृष राशि :- विवादास्पद स्थिति सामने आयेगी, इष्ट मित्रों से तनाव बनेगा, समय स्थिति को ध्यान में रखकर आगे बढ़ें।
मिथुन राशि :- समय की अनुकूलता से लाभांवित होंगे, आशानुकूल सफलता से लाभ होगा, कार्य पर ध्यान दें।
कर्क राशि :- आर्थिक असमंजस रहेगा, विरोधियों से लाभ होगा किन्तु तनाव तथा मानसिक बेचैनी कष्टप्रद रहेगा।
सिंह राशि :- अशुद्ध गोचर रहने से विशेष कार्य स्थगित रखें, धन लाभ के अवसर मिलेंगे, विभ्रम की स्थिति रहेगी।
कन्या राशि :- समय की अनुकूलता से लाभांवित होंगे, वाद-विवाद से मन अस्थिर रहेगा, धैर्य से काम लें।
तुला राशि :- तनाव, क्लेश व अशांति की स्थिति रहेगी, विवाद की संभावना किन्तु अर्थ लाभ से कार्य सिद्धि होगी।
वृश्चिक राशि :- लेन-देन के मामले में हानि, विरोधी तत्व कष्टप्रद होंगे, मित्रों से क्लेश, कार्य सावधानी से करें।
धनु राशि :- सतर्कता से कार्य करें, इष्ट मित्र फलप्रद होगा, क्लेश व अशांति का वातावरण बनेगा, वाद-विवाद से बचें।
मकर राशि :- दैनिक कार्यगति में बाधा आयेगी, मन असमंजस में रहेगा, व्यर्थ की बातों से बचने का प्रयास करें।
कुंभ राशि :- प्रत्येक कार्य में बाधा से मन असमंजस में रहेगा, समय की अनुकूलता से लाभ लें, सोच-विचार कर निर्णय लें।
मीन राशि :- कुटुम्ब की चिन्तायें मन व्याग्र रखें, कार्य विफलत्व से परेशानी होगी, समय परिस्थिति को ध्यान में रखकर निर्णय लें।
चांद देखते समय छलनी पर क्यों रखा जाता है दीया? जानें क्या है इसके पीछे का रहस्य
6 Oct, 2024 06:45 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
सुहागिन महिलाओं के लिए सबसे बड़े व्रत में से एक है करवा चौथ. जो कि हर साल कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी के दिन रखा जाता है. इस वर्ष यह व्रत 20 अक्टूबर, दिन रविवार को रखा जाएगा. यह व्रत पूरी तरह से निर्जल रखा जाता है और सुहागिन महिला अपने पति की लंबी उम्र के लिए रखती है. चांद दिखाई देने के बाद यह व्रत खोला जाता है और इस दौरान वे छलनी पर दीया रखती हैं. लेकिन ऐसा क्यों किया जाता है ऐसा?
छलनी पर क्यों रखा जाता है दीया
पौराणिक कथा के अनुसार, भगवान गणेश ने चंद्रदेव को कलंकित होने का श्राप दिया था. जिसके चलते करवा चौथ पर चंद्रमा के दर्शन सीधे तौर पर नहीं किए जाते और यही एक कारण है कि चंद्रमा छलनी में से देखा जाता है.
सुहागिन महिलाओं के लिए सबसे बड़े व्रत में से एक है करवा चौथ. जो कि हर साल कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी के दिन रखा जाता है. इस वर्ष यह व्रत 20 अक्टूबर, दिन रविवार को रखा जाएगा. यह व्रत पूरी तरह से निर्जल रखा जाता है और सुहागिन महिला अपने पति की लंबी उम्र के लिए रखती है. चांद दिखाई देने के बाद यह व्रत खोला जाता है और इस दौरान वे छलनी पर दीया रखती हैं. लेकिन ऐसा क्यों किया जाता है ऐसा? आइए जानते हैं भोपाल निवासी ज्योतिषी एवं वास्तु सलाहकार पंडित हितेंद्र कुमार शर्मा से.
छलनी पर क्यों रखा जाता है दीया
पौराणिक कथा के अनुसार, भगवान गणेश ने चंद्रदेव को कलंकित होने का श्राप दिया था. जिसके चलते करवा चौथ पर चंद्रमा के दर्शन सीधे तौर पर नहीं किए जाते और यही एक कारण है कि चंद्रमा छलनी में से देखा जाता है.
ऐसा माना जाता है चंद्रमा को छलनी से देखने पर सुहागिन महिला को कलंक नहीं लगता और उसके पति के जीवन में यदि अंधकार है तो वह भी दूर हो जाता है. इसलिए छलनी के साथ दीया भी रखा जाता है.
धर्म शास्त्रों के अनुसार, यदि आपकी पूजा या किसी धार्मिक अनुष्ठान में आपसे कोई भूलचूक हो जाती है तो दीया जलाने से गलतियों को दूर किया जा सकता है और आपको किसी प्रकार का दोष भी नहीं लगता.