धर्म एवं ज्योतिष
इस मंदिर में बस एक बार मांग लीजिए मन्नत, 24 से 36 घंटे में हो जाएगी पूरी!
25 May, 2025 06:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
जयपुर जिले के चाकसू तहसील में एक ऐसा चमत्कारी मंदिर मौजूद है, जहां कुछ घंटे में ही भक्तों की मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं. मुराद पूरी होने पर कुछ भक्त यहां सोना-चांदी अर्पित भी करते हैं. यहां स्थापित मंदिर सैकड़ों साल पुराना है. यहां आने वाले भक्तों के अनुसार यह मंदिर बहुत चमत्कारी है. लोगों का मानना है कि जो भी भक्त यहां आता है, उसकी मनोकामना जरूर पूरी होती है. यह अद्भुत और चमत्कारी मंदिर चाकसू के कादेड़ा गांव में स्थित है, जो माता बगलामुखी को समर्पित है.
मांगी गई मन्नत पूरी करती हैं माता
भक्तों की मान्यताओं के अनुसार, अगर कोई सच्चे मन से इस मंदिर में माता बगलामुखी से इच्छा मांगता है, तो 24 से 36 घण्टे में पूरी होती है. जब भक्त की कोई भी इच्छा पूरी हो जाती है, तो यहां श्रद्धा और आस्था के साथ वापस माता के दरबार में जरूर पहुंचता है. मंदिर सेवकों के अनुसार, माता बगलामुखी दस महाविद्याओं में से आठवीं महाविद्या हैं, जिन्हें शत्रुओं को पराजित करने और वाकसिद्धि प्रदान करने वाली देवी माना जाता है. उनकी पूजा से जीवन के संकट और भय दूर होते हैं और शत्रुओं से मुक्ति मिलती है.
बिजनेस में सफलता और डिप्रेशन से मिलती मुक्ति
बंगलामुखी माता के मंदिर में कई सालों से एक धुंआ जल रहा है. हर महीने की अष्टमी को इस मंदिर में विशाल हवन का आयोजन होता है, जिसमें बिजनेस में सफलता और डिप्रेशन से मुक्ति के लिए विशेष रूप से पूजा अर्चना की जाती है. अष्टमी पर यहां राजस्थान ही नहीं, बल्कि अन्य राज्यों से भी श्रद्धालु इस मंदिर में पहुंचते हैं.
इसके अलावा इस मंदिर में बुरी शक्तियों के नाश के लिए भी पूजा अर्चना की जाती है. इस मंदिर में होने वाला हवन मंदिर के महंत पीठाधीश्वर आशुतोष महाराज द्वारा किया जाता है. आपको बता दें कि प्रधानमंत्री मोदी की लंबी आयु के लिए इस मंदिर में बहुत बड़ा यज्ञ भी हो चुका है, जिसमें आसपास के गांवों के हजारों लोगों ने भी भाग लिया था.
राशिफल: कैसा रहेगा आपका आज का दिन
25 May, 2025 12:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
मेष राशि :- कार्य लाभ में आशानुकूल सफलता का हर्ष होगा, रुके कार्य बनेंगे, ध्यान दें।
वृष राशि :- योजना पूर्ण होगी, शुभ समाचार से मन प्रसन्न हो, सोचे हुये कार्य अवश्य बनेंगे।
मिथुन राशि :- कार्य-व्यावसाय में थकावट, बेचैनी, कुछ असफलता के साधन अवश्य बनेंगे।
कर्क राशि :- दैनिक व्यावसाय गति मंद रहे, असमर्थता का वातावरण बना ही रहेगा।
सिंह राशि :- आलोचना से बचिये, कार्य-कुशलता से पूर्ण संतुष्टी तथा संतोषवान स्थिती रहेगी।
कन्या राशि :- भोग-एश्वर्य में समय बीते, शारीरिक थकावट, बेचैनी कार्य में बढ़ेगी, ध्यान रखें।
तुला राशि :- मित्र-वर्ग विशेष लाभप्रद रहें, आशानुकूल सफलता से हर्ष होगा, ध्यान दें।
वृश्चिक राशि :- मित्र वर्ग विशेष लाभप्रद रहें, कार्य में सफलता प्राप्त होगी, रुके कार्य अवश्य ही बनेंगे।
धनु राशि :- तनावपूर्ण वार्ता चलाती ही रहेगी तथा सुखवर्धक योग अवश्य ही बनेंगे।
मकर राशि :- कार्यवृत्ति में सुधार, सामाजिक कार्य में मान-प्रतिष्ठा अवश्य ही बनेगी।
कुंभ राशि :- कार्य-व्यावसाय में सुधार, सामाजिक कार्य में मान-प्रतिष्ठा अवश्य प्राप्त होगी।
मीन राशि :- आशानुकूल सफलता का हर्ष, बिगड़े कार्य की योजना अवश्य ही बनेगी।
द्रौपदी के लिए दुर्योधन की ये इच्छा सालों तक दबी रही, मकसद पूरा करने के लिए पांडवों को जाल में फंसाया, फिर कर डाला...
24 May, 2025 06:45 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
महाभारत केवल एक युद्ध की कहानी नहीं है, बल्कि यह मानव स्वभाव, भावनाओं और भूलों का आईना है. इसमें कई ऐसे मोड़ हैं जो आज भी समाज को सोचने पर मजबूर कर देते हैं. इन्हीं में से एक घटना है चौसर का खेल, जिसमें युधिष्ठिर ने अपनी पत्नी द्रौपदी तक को दांव पर लगा दिया. यह न सिर्फ परिवार, समाज और नारी सम्मान के लिए दुखद था, बल्कि न्याय और नीति की उस समय की नींव को भी हिला देने वाला था. यह घटना केवल एक व्यक्तिगत हार नहीं थी. इसमें यह भी स्पष्ट हुआ कि कैसे जुआ और अहंकार मिलकर इंसान को अंधा कर सकते हैं. द्रौपदी जैसी बुद्धिमान और साहसी स्त्री को अपमानित करना, उस युग की नारी शक्ति के लिए सबसे बड़ा आघात था. यह वह क्षण था जब धर्म, नीति और मर्यादा सब मौन हो गए. यही वह बिंदु था जिसने भविष्य के विनाश की नींव रखी.
चौसर की चाल
इस खेल की शुरुआत यूं हुई कि दुर्योधन ने युधिष्ठिर को चौसर खेलने के लिए बुलाया. दुर्योधन पांडवों से जलता था और उनके सम्मान को ठेस पहुंचाना चाहता था. शकुनि की मदद से वह ऐसा जाल बुन चुका था जिसमें फंसना तय था. शकुनि अपने चालाक दांवों और जादुई पासों के लिए जाना जाता था. युधिष्ठिर जानते थे कि खेल में ईमानदारी की कोई जगह नहीं है, फिर भी उन्होंने इसे तलवार और खून से बेहतर मानते हुए स्वीकार कर लिया.
धन से लेकर आत्मसम्मान तक की हार
खेल के दौरान युधिष्ठिर अपनी सारी संपत्ति हार गए. राज्य, सेना, महल और अंत में खुद को भी. जब वो अपनी स्वतंत्रता खो बैठे, तब भी उनका लालच रुका नहीं. दुर्योधन ने उन्हें यह कहकर बहकाया कि अगर वे द्रौपदी को दांव पर लगाएंगे और जीत जाएंगे, तो सब कुछ वापस मिल सकता है. युधिष्ठिर ने यह बात मान ली और द्रौपदी को भी हार गए.
युद्ध की नींव यहीं से रखी गई
यहीं से शुरू हुआ वो अपमान का सिलसिला जो इतिहास में एक शर्मनाक अध्याय बन गया. द्रौपदी को दरबार में बुलाया गया, उनके साथ अभद्रता की गई और वस्त्रहरण का प्रयास किया गया. यह वो क्षण था जिसने पांडवों की आत्मा को झकझोर दिया और एक भयानक युद्ध की नींव रखी. उस समय सभा में मौजूद कोई भी व्यक्ति, यहां तक कि भीष्म और द्रोणाचार्य भी चुप रहे, जिससे यह घटना और भी अधिक पीड़ादायक बन गई.
दुर्योधन का असली मकसद
दुर्योधन के इस अपमानजनक व्यवहार के पीछे एक छिपी भावना थी. कहा जाता है कि दुर्योधन द्रौपदी के प्रति गुप्त रूप से आकर्षित था, लेकिन उसकी गरिमा और दृढ़ता के सामने वह खुद को असहाय महसूस करता था. इसी कारण जब उसे अवसर मिला, तो उसने अपने पुराने अपमान का बदला लेने का प्रयास किया- एक ऐसी घिनौनी तरकीब से जिसे कोई भी सभ्य समाज कभी स्वीकार नहीं करेगा.
नैतिकता और विवेक की हार
इस घटना ने यह भी दिखा दिया कि जब लालच, गुस्सा और अहंकार किसी के मन में एक साथ बसते हैं, तो वह व्यक्ति चाहे कितना भी धर्मशील क्यों न हो, उससे भी गलती हो सकती है. युधिष्ठिर जैसे व्यक्ति से भी, जो नीति और धर्म की बातें करता था, ऐसी भयानक भूल हो गई. उस दिन उन्होंने अपने विवेक को ताक पर रख दिया और द्रौपदी जैसी स्त्री को एक दांव में रखकर पूरे युग के सामने एक कलंक छोड़ दिया.
गुरुवार को मनी प्लांट में डालें खास जल डालें, पाएं धन, शांति और गुरु ग्रह की शुभता, बढ़ाएं सकारात्मक ऊर्जा
24 May, 2025 06:30 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
हर किसी की चाहत होती है कि उसके घर में सुख-शांति बनी रहे और आर्थिक स्थिति मजबूत हो. ऐसे में लोग कई उपाय करते हैं, जो घर की ऊर्जा को बेहतर बना सकें. इसी कड़ी में मनी प्लांट एक ऐसा पौधा माना जाता है, जो ना केवल घर को सुंदर बनाता है बल्कि धन को भी आकर्षित करता है. वास्तु और ज्योतिष दोनों ही इसे शुभ मानते हैं. अब बात करते हैं एक खास उपाय की, जो कई लोग मनी प्लांट के साथ अपनाते हैं. आप ने सुना होगा कि कुछ लोग इस पौधे में हल्दी मिला पानी डालते हैं, लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि इसका असर क्या होता है?
क्यों डालते हैं हल्दी वाला पानी
हल्दी का रंग पीला होता है और यह भगवान विष्णु का प्रिय रंग माना जाता है. साथ ही, हल्दी का संबंध गुरु ग्रह से भी होता है. ऐसे लोग जिनकी कुंडली में गुरु कमजोर हो, उनके लिए यह उपाय काफी फायदेमंद माना गया है. मनी प्लांट में हल्दी वाला जल डालने से न सिर्फ पौधा अच्छी तरह बढ़ता है, बल्कि यह घर की सकारात्मक ऊर्जा को भी बढ़ाता है.
इसके फायदे
1. आर्थिक स्थिति मजबूत होती है
हल्दी वाला पानी मनी प्लांट में डालने से देवी लक्ष्मी की कृपा बनी रहती है. यह पौधा वैसे भी धन को आकर्षित करता है, लेकिन जब इसमें हल्दी का पवित्र तत्व जुड़ता है, तो इसका प्रभाव और बढ़ जाता है. कहा जाता है कि इससे घर में कभी धन की कमी नहीं होती.
2. नकारात्मकता होती है दूर
यह उपाय घर में मौजूद नकारात्मक ऊर्जा को कम करता है. अगर आपके घर का माहौल लगातार तनावपूर्ण रहता है या बार-बार कोई समस्या आती है, तो मनी प्लांट में हल्दी मिलाकर पानी डालना लाभदायक हो सकता है.
3. गुरु ग्रह होता है मजबूत
हल्दी को गुरु ग्रह से जोड़ा जाता है, जो शिक्षा, विवाह, धन और ज्ञान से जुड़ा ग्रह है. ऐसे में यह उपाय करने से इन सभी क्षेत्रों में सुधार देखा जा सकता है.
4. भाग्य देता है साथ
अगर आप अपने करियर या कारोबार में तरक्की चाहते हैं, तो गुरुवार के दिन यह उपाय करना सबसे अच्छा होता है. माना जाता है कि इस दिन भगवान विष्णु विशेष रूप से प्रसन्न होते हैं और भाग्य भी साथ देने लगता है.
कैसे करें यह उपाय
एक गिलास साफ पानी में एक चुटकी हल्दी मिलाएं. अब इस मिश्रण को मनी प्लांट के गमले में धीरे-धीरे डालें. ध्यान रखें कि हल्दी की मात्रा अधिक न हो, नहीं तो मिट्टी को नुकसान हो सकता है. इस उपाय को हफ्ते में एक बार, खासकर गुरुवार के दिन करें.
काली गाय को रोटी खिलाने से केवल शनि ही नहीं, राहु और केतु भी रहते हैं शांत, जानें इसके अनेक फायदे
24 May, 2025 06:15 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
भारतीय संस्कृति में गाय को देवी माना गया है, और उसमें भी काली गाय को विशेष शुभ और प्रभावशाली माना जाता है. ऐसा माना जाता है कि गाय के शरीर में देवी-देवताओं का वास होता है. विशेष रूप से काली गाय को शनि देव से जुड़ा हुआ माना जाता है, इसलिए यह ग्रहों की शांति के लिए बेहद लाभकारी होती है. धार्मिक ग्रंथों और ज्योतिष शास्त्र के अनुसार काली गाय को रोटी खिलाने से जीवन में कई सकारात्मक बदलाव आते हैं. यह सिर्फ एक धार्मिक परंपरा नहीं है, बल्कि इसके पीछे गहरे ज्योतिषीय रहस्य छिपे हुए हैं. साथ ही, यह एक सरल और प्रभावशाली उपाय है जिसे कोई भी व्यक्ति अपने जीवन में अपना सकता है. आइए जानते हैं काली गाय को रोटी खिलाने से कौन-कौन से ग्रह मजबूत होते हैं और इससे हमें क्या लाभ प्राप्त होते हैं. इस बारे में बता रहे हैं
काली गाय और शनि ग्रह का गहरा संबंध
ज्योतिष के अनुसार काली गाय का सीधा संबंध शनि ग्रह से होता है. शनि को कर्मों का दंडाधिकारी माना गया है. अगर किसी की कुंडली में शनि अशुभ स्थिति में हो, शनि की साढ़ेसाती या ढैय्या चल रही हो, तो ऐसे व्यक्ति को काली गाय को रोटी खिलाने की सलाह दी जाती है. ऐसा करने से शनि देव की कृपा प्राप्त होती है और जीवन में आ रही रुकावटें, बाधाएं और कर्ज जैसी समस्याएं धीरे-धीरे दूर होने लगती हैं
राहु और केतु पर भी असर
काली गाय को रोटी खिलाने से सिर्फ शनि ही नहीं बल्कि राहु और केतु जैसे छाया ग्रह भी शांत होते हैं. अगर कुंडली में कालसर्प दोष हो या राहु-केतु की दशा चल रही हो, तो यह उपाय बेहद लाभकारी साबित होता है. इन ग्रहों के दुष्प्रभाव से मानसिक तनाव, डर, भ्रम और दुर्घटनाएं हो सकती हैं. लेकिन काली गाय को नियमित रोटी खिलाने से ये प्रभाव कम होते हैं और मानसिक शांति मिलती है.
किस प्रकार और कब खिलानी चाहिए रोटी?
हर शनिवार को सुबह स्नान करके, काली गाय को गुड़ या तिल मिलाकर बनी रोटी खिलानी चाहिए. इसे खिलाते समय मन से ‘ॐ शं शनैश्चराय नमः’ मंत्र का जाप करें. ऐसा करने से सकारात्मक ऊर्जा बढ़ती है और ग्रहों की कृपा प्राप्त होती है. हो सके तो रोटी में थोड़ा सा सरसों का तेल लगाकर खिलाएं, यह शनि के लिए विशेष रूप से शुभ माना गया है.
काली गाय को रोटी खिलाने से मिलते हैं ये लाभ
1. कर्ज से मुक्ति – जिन लोगों पर भारी कर्ज हो, उन्हें यह उपाय करना चाहिए. इससे धीरे-धीरे आर्थिक स्थिति सुधरती है.
2. नौकरी और प्रमोशन में सफलता – अगर बार-बार प्रयास के बावजूद सफलता नहीं मिल रही हो तो यह उपाय बहुत कारगर साबित हो सकता है.
3. दाम्पत्य जीवन में शांति – पारिवारिक कलह दूर होती है और रिश्तों में मिठास आती है.
4. नकारात्मक ऊर्जा से मुक्ति – काली गाय को रोटी खिलाने से घर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है और बुरी शक्तियां दूर रहती हैं.
करियर और जीवन की उलझनों में समाधान चाहिए? तो अपनाएं कृष्ण-अर्जुन की सीख, बन सकती है आपके जीवन की रोशनी
24 May, 2025 06:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
हर इंसान की ज़िंदगी में कभी न कभी एक ऐसा दौर आता है जब वह यह तय नहीं कर पाता कि उसे करना क्या है. कई बार ऐसा होता है कि हम किसी और की राह पकड़ लेते हैं, सिर्फ इसलिए क्योंकि समाज, माता-पिता या साथियों ने वही राह चुनी होती है. फिर एक समय ऐसा आता है जब भीतर से आवाज़ आती है क्या यही रास्ता मेरा है? यही उलझन आज के युवाओं की सबसे बड़ी समस्या है. बहुत से लोग ऐसे हैं जिनका कोई ठोस लक्ष्य नहीं है. वह समझ ही नहीं पाते कि उन्हें आगे क्या करना है. ऐसे में एक छोटा सा कदम, एक मामूली सा बदलाव आपकी सोच की दिशा को पूरी तरह बदल सकता है.
अगर आप जीवन में उलझे हुए हैं, आपके पास कोई ठोस योजना नहीं है या आप अपने विचारों में स्पष्टता नहीं पा रहे, तो अपने घर के उत्तर-पूर्व कोने में एक खास चित्र लगाइए. यह चित्र वह हो जिसमें भगवान कृष्ण, अर्जुन को कुरुक्षेत्र के मैदान में उपदेश दे रहे हों. यह वही क्षण है जब अर्जुन संशय में था, दुविधा में था और कृष्ण ने उसे उसका उद्देश्य समझाया.
उत्तर-पूर्व दिशा को मानसिक ऊर्जा की दिशा माना गया है. यहां सकारात्मकता जल्दी असर करती है. जब आप रोज़ उस चित्र को देखते हैं, तो आपके भीतर धीरे-धीरे वही भावना जागने लगती है जो अर्जुन में जगी थी. धैर्य, स्पष्टता और संकल्प. यह कोई टोना-टोटका नहीं, बल्कि मनोवैज्ञानिक प्रक्रिया है. जिस चीज़ को आप लगातार देखते हैं, वह आपके अवचेतन मन में बैठ जाती है और जब मन तैयार होता है, तो राह अपने आप बनने लगती है
आज के युवा कई बार अलग-अलग करियर विकल्पों के बीच फंस जाते हैं. पहले सोचा कि इंजीनियर बनना है, फिर लगा नहीं, कुछ और बेहतर होगा. कभी लगा कि सरकारी नौकरी ठीक है, फिर YouTube या सोशल मीडिया में दिलचस्पी आने लगी. हर बार राह बदली, क्योंकि मन में स्थिरता नहीं थी. और जब तक सोच स्थिर नहीं होगी, दिशा नहीं मिलेगी.
इसलिए ज़रूरी है कि आप अपने दिमाग की गति को एक दिशा दें. वह दिशा आप खुद तय नहीं कर पा रहे, तो एक ऐसी प्रेरणा का सहारा लीजिए जो सदियों से मानवता का मार्गदर्शन करती आई है. कृष्ण और अर्जुन का संवाद सिर्फ धार्मिक प्रसंग नहीं है, वह एक मनोवैज्ञानिक गहराई है जो हमें खुद से जोड़ता है.
इस बदलाव का असर आपको कुछ ही दिनों में दिखने लगेगा. सोचने का तरीका बदलने लगेगा. मन में जो कोहरा है, वह धीरे-धीरे छंटने लगेगा. आपको अपने अंदर ही वो आवाज़ सुनाई देने लगेगी, जो कहेगी “तू यही करने के लिए बना है”.
राशिफल: कैसा रहेगा आपका आज का दिन
24 May, 2025 12:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
मेष राशि :- तनाव व उदर रोग, मित्र लाभ, राज भय होगा, विवेक से कार्य बनाने का ध्यान रखे।
वृष राशि :- मनोवृत्ति संवेदनशील रहे, कार्यगति अनुकूल चिन्ता कम होगी, ध्यान रखे।
मिथुन राशि :- किसी प्रयोजन से हानि, मनोवृत्ति संवेदनशील रहेगी, कार्यगति उत्तम होगी।
कर्क राशि :- कार्य व्यवस्था की चिंता बनी ही रहेगी, प्रयास करने से लाभ अवश्य होगा।
fिसंह राशि :- भोग ऐश्वर्य की प्राप्ति होगी, कार्य गति उत्तम सुख के साधन अवश्य ही बनेंगे।
कन्या राशि :- आर्थिक योजना पूर्ण होगी, समय पर सोचे कार्य पूरे होंगे, रुके कार्य बन ही जायेंगे।
तुला राशि :- पारिवारिक बाधायें परेशान करेगी, विरोधी तत्व कष्ट प्रद होंगे, ध्यान रखे।
वृश्चिक राशि :- मानसिक बेचैनी, उदविघ्नता से बचे तथा समय पर लाभान्वित अवश्य होंगे।
धनु राशि :- कुटुम्ब की समस्याएं कष्ट प्रद हो तथा व्यर्थ भ्रमण से व्यय अवश्य ही होगा।
मकर राशि :- योजनाएं फलीभूत हो, सफलता के साधन जुटाए तथा कार्य बने ध्यान दे।
कुंभ राशि :- स्वभाव से खिन्नता, मानसिक बेचैनी तथा मानसिक कष्ट से स्वस्थ्य शरीर पीड़ा होगी।
मीन राशि :- तनाव क्लेश व अशांति बनेगी, परिश्रम विफल होगे, कार्यगति मंद होगी।
वट सावित्री व्रत में क्या करें और क्या न करें? जानिए सभी जरूरी नियम और शुभ विधि
23 May, 2025 06:30 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
हिंदू धर्म में वट सावित्री व्रत का बहुत खास महत्व है. यह व्रत सुहागन महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र और अच्छे स्वास्थ्य के लिए करती हैं. धार्मिक ग्रंथों में वट सावित्री व्रत को विशेष फल देने वाला बताया गया है. यदि इसे सही विधि-विधान से किया जाए तो कई तरह के लाभ मिलते हैं.
ज्येष्ठ मास में वट सावित्री व्रत दो बार आता है. एक बार कृष्ण पक्ष की अमावस्या को और दूसरी बार शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा को. ज्येष्ठ कृष्ण पक्ष में यह व्रत करने से वैधव्य दोष दूर होता है. वहीं शुक्ल पक्ष में करने से पति की लंबी उम्र होती है और जीवन की सभी परेशानियां खत्म होती हैं. पुराणों में इस व्रत का विशेष वर्णन मिलता है.
महाभारत में भी मिलता है इस व्रत का उल्लेख
हरिद्वार के ज्योतिष पंडित श्रीधर शास्त्री के अनुसार, वट सावित्री व्रत का हिंदू धर्म में सबसे ज्यादा महत्व है. सुहागन महिलाएं अपने पति की लंबी आयु और स्वस्थ जीवन के लिए यह व्रत करती हैं. महाभारत और अन्य धार्मिक ग्रंथों में सावित्री और सत्यवान की कथा का उल्लेख मिलता है, जिसमें सावित्री ने यमराज से अपने पति के प्राण वापस लिए थे. इसी कथा के आधार पर माना जाता है कि यह व्रत करने से वैधव्य दोष दूर होता है और जीवन की सभी कठिनाइयां खत्म हो जाती हैं.
वट सावित्री पर इस चीज से करें परहेज
पंडित श्रीधर शास्त्री बताते हैं कि इस साल वट सावित्री व्रत 10 जून मंगलवार को मनाया जाएगा. इस दिन तामसिक भोजन से परहेज करना चाहिए. ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान करें, ध्यान लगाएं और व्रत का संकल्प लें. व्रत के दौरान फल और हल्का भोजन ग्रहण करें. वट वृक्ष की पूजा करना और सूती धागे से वट वृक्ष की सात परिक्रमा करना शुभ माना जाता है. इससे पति की आयु लंबी होती है.
धार्मिक मान्यता है कि वट वृक्ष यानी बरगद के पेड़ में ब्रह्मा, विष्णु, महेश और अन्य देवी-देवताओं का वास होता है. इसलिए इस व्रत में वट वृक्ष की पूजा करने से जीवन की सभी समस्याएं दूर हो जाती हैं और सुख-समृद्धि आती है. व्रत के दौरान वट सावित्री की कथा पढ़ना भी शुभ माना जाता है.
इस व्रत को विधिपूर्वक करने से जीवन में खुशहाली आती है और पति-पत्नी के बीच प्रेम बढ़ता है. इसलिए हर सुहागन महिला को इस वट सावित्री व्रत का पालन जरूर करना चाहिए.
भूलकर भी न करें ये 5 काम, वरना रुष्ट हो सकते हैं न्याय के देवता शनिदेव!
23 May, 2025 06:15 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
शनि देवता को हिंदू ज्योतिष में “न्याय का देवता” माना जाता है. वह न कर्म से डरते हैं, न पद से प्रभावित होते हैं. उनका न्याय अचूक है जिसने अच्छा किया, वह ऊंचा उठा; जिसने अन्याय किया, वह नीचे गिरा. ऐसे में Shani Jayanti, यानी उनके जन्मदिन पर की गई पूजा, आपके जीवन का रुख बदल सकती है लेकिन यदि आप भूल कर भी कुछ गलतियां न करें.
शनि जयंती पर भूलकर भी न करें ये गलतियाँ
1. तामसिक भोजन से करें परहेज़
मांस, मदिरा या किसी भी तरह के तामसिक भोजन को इस दिन ग्रहण करना अशुभ माना जाता है. शनि जयंती के दिन सात्विक और शुद्ध शाकाहारी भोजन ही करें.
2. तेल का दान
तेल चढ़ाना शुभ है, लेकिन गंदा या पुराना तेल चढ़ाना वर्जित है. शनिदेव को सरसों के तेल का दीपक जलाएं और तेल का दान शुद्ध मन और नीयत से करें.
3. अन्याय या अपमान बिल्कुल न करें
गरीबों, ज़रूरतमंदों या पशु-पक्षियों के साथ कठोर व्यवहार शनिदेव को अप्रसन्न कर सकता है. इस दिन अधिक से अधिक सेवा करें, सहायता करें और सभी के साथ सम्मान से पेश आएं.
कैसे करें शनिदेव को प्रसन्न
पीपल के पेड़ पर जल चढ़ाएं और सरसों के तेल का दीपक जलाएं.
शनिदेव की प्रतिमा के सामने काली उड़द, काला तिल, सरसों का तेल, काले वस्त्र या काला छाता दान करें.
“ॐ शं शनैश्चराय नमः” मंत्र का 108 बार जाप करें.
शनि मंदिर में जाकर शांति और श्रद्धा से प्रार्थना करें.
इन उपायों से साढ़ेसाती, ढैय्या और अन्य कष्टों से राहत मिल सकती है.
राशिफल: कैसा रहेगा आपका आज का दिन
23 May, 2025 12:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
मेष राशि :- कार्य लाभ, आशानुकूल सफलता का हर्ष तथा रुके कार्य अवश्य ही बनेंगे।
वृष राशि :- कार्य योजना पूर्ण होगा, शुभ समाचार से मन प्रसन्न हो, सोचे कार्य अवश्य ही बनेंगे।
मिथुन राशि :- कार्य व्यवसाय में थकावट, बैचेनी, कुछ असफलता के साधन अवश्य ही बनेंगे।
कर्क राशि :- दैनिक व्यवसाय गति मंद रहे, असमर्थता का वातावरण अवश्य बना ही रहेगा।
fिसंह राशि :- आलोचना से बचिए, कार्यकुशलता से पूर्ण संतुष्ट तथा संतोष बना ही रहेगा।
कन्या राशि :- भोग ऐश्वर्य में समय बीतें, शारीरिक थकावट बेचैनी कार्य में बढ़े ध्यान दे।
तुला राशि :- मित्र वर्ग विशेष फलप्रद रहे, आशानुकूल सफलता से संतोष होगा।
वृश्चिक राशि :- मित्र वर्ग विशेष फलप्रद रहे, कार्य में सफलता प्राप्त होगी, रुके कार्य बनेंगे।
धनु राशि :- तनाव पूर्ण वार्तालाप चलती रहेगी तथा सुखवर्धक योग अवश्य होगा।
मकर राशि :- कार्य वृत्ति में सुधार, सामाजिक कार्य में मान प्रतिष्ठा अवश्य ही बन जाएगी।
कुंभ राशि :- कार्य व्यवसाय गति मंद, चोट आदि का भय रहेगा तथा मानसिक तनाव बनेगा।
मीन राशि :- आशानुकूल सफलता का हर्ष, बिगड़े कार्य की योजना अवश्य ही बनेगी।
भगवान कार्तिकेय के मंदिर में महिलाओं को नहीं मिलता है प्रवेश
22 May, 2025 06:45 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
भगवान कार्तिकेय के भारत में अनेकों मंदिर हैं। खासकर दक्षिण भारत में स्वामी कार्तिकेय के अनेकों मंदिर हैं। जहां पर स्वामी कार्तिकेय की पूजा की जाती है। हालांकि वहां पर महिलाओं का जाना वर्जित है। एक ऐसा ही मंदिर पिहोवा के सरस्वती तीर्थ पर स्वामी कार्तिकेय के नाम से जाना जाता है।
हरियाणा के पिहोवा में एक ऐसा मंदिर है, जहां पर महिलाओं के प्रवेश पर पाबंदी लगी है। हालांकि महिलाएं खुद इस मंदिर में नहीं जाना चाहती हैं। इस मंदिर में महिलाओं के न जाने की वजह मंदिर के श्राप को माना जाता है। इस श्राप का डर महिलाओं के दिमाग में इस कदर है कि यहां पर वह खुद से नहीं जाना चाहती हैं। इस मंदिर में महिलाओं के न जाने का क्या कारण है। भगवान कार्तिकेय द्वारा स्त्री को श्राप देना है। पौराणिक मान्यता है कि है कि जब भगवान भोलेनाथ और मां पार्वती ने भगवान गणेश और भगवान कार्तिकेय से पृथ्वी का चक्कर लगाने को कहा। तो कार्तिकेय जी मोर पर बैठकर पृथ्वी का चक्कर लगाने निकल गए। लेकिन भगवान गणेश मां पार्वती और शिवजी के चक्कर लगाने लगे। तीन चक्कर लगाने के बाद गणेश ने कहा कि उन्होंने संपूर्ण जगत की परिक्रमा कर ली है। जिसके बाद भगवान शिव ने गणेश का राजतिलक कर दिया। साथ ही गणेश जी को शुभ-अशुभ कार्यों में पूजा का अधिकार दे दिया।
इस घटना के बारे में देवर्षि नारद ने भगवान कार्तिकेय को बताया। वहीं कार्तिकेय ने मां पार्वती से कहा का कि माता आपने मेरे साथ छल किया है। बड़ा होने के कारण राजतिलक का अधिकार मेरा था। इस घटना से क्रोधित होकर अपनी खाल और मांस उतारकर माता के चरणों में रख दिए। उन्होंने गुस्से में पूरी नारी जाति को श्राप देते हुए कहा कि जो भी स्त्री उनके इस रूप के दर्शन करेगी, वह सात जन्म तक विधवा रहेगी। हालांकि देवताओं ने कार्तिकेय को शारीरिक शांति के लिए तेल और सिंदूर का अभिषेक किया। वहीं गुस्सा शांत होने के बाद अन्य देवताओं ने भगवान कार्तिकेय को देव सेना का सेनापति बना दिया। इसी मान्यता को देखते हुए सिर्फ पुरुष ही भगवान कार्तिकेय के पिंडी रूप के दर्शन कर सकते हैं। वहीं महिलाएं यहां पर दर्शन नहीं कर सकती हैं।
भक्तों को चावल के दानों में दर्शन देते हैं भगवान श्रीनाथजी
22 May, 2025 06:30 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
नाथद्वार में स्थित भगवान श्रीनाथजी का चमत्कारी मंदिर है। यह मंदिर कई चमत्कारी कहानियों के लिए जाना जाता है। माना जाता है कि श्रीनाथजी खुद भगवान विष्णु के अवतार हैं। पौराणिक मान्यता है कि जब भगवान श्रीकृष्ण सात साल के थे, तब वह यहां पर विराजमान हो गए थे। इस दौरान मंदिर में मौजूद श्रीकृष्ण की काले रंग की मूर्ति को एक पत्थर से तराशा गया है। वहीं यह अपने आप में हैरान कर देने वाली चीज है। यहां भगवान भक्तों को चावल के दानों में दर्शन देते हैं। इसलिए श्रद्धालु अपने साथ चावल लेकर जाते हैं। दर्शन के बाद श्रद्धालु इन चावलों को अपनी तिजोरी में रखते हैं, जिससे कि घर में धन कमी न हो।
उस समय श्रीनाथजी की मूर्ति जोधपुर के पास चौपासनी गांव में थी। चौपासनी गांव में कई समय तक बैलगाड़ी में श्रीनाथजी की मूर्ति की पूजा होती रही। हालांकि अब यह गांव जोधपुर का हिस्सा बन गया है। वहीं जिस जगह ये बैलगाड़ी खड़ी थी, वहां पर श्रीनाथजी का मंदिर बना है। कोटा से करीब 10 किमी दूर श्रीनाथजी की चरण पादुकाएं उसी दौरान आज तक वहीं रखी हुई है। इस स्थान को चरण चौकी के नाम से जानते हैं।
मंदिर से जुड़े नियमों के मुताबिक सर्दियों में प्रभु श्रीनाथजी को उठाकर भोग लगाया जाता है। वहीं रात में प्रभु को सुलाने के लिए कवियों के पदों का गान किया जाता है। श्रीनाथजी के शयनानन्तर तक बीन भी बजाई जाती है। वहीं गर्मी में उनके लिए पंखे की सेवा की जाती है। वहीं सर्दियों में उनको ठंड से बचाने के लिए श्रीनाथजी की मूर्ति के पास अंगीठी रखी जाती है।
कामधेनु गाय देती है शुभ फल
22 May, 2025 06:15 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
हमारे जीवन में वास्तु शास्त्र का महत्व काफी ज्यादा बताया गया है। कहा जाता है अगर किसी भी कार्य को करने से पहले या फिर करने के दौरान वास्तु शास्त्र में बताये गए नियमों का पालन किया जाता है तो इसके परिणाम काफी शुभ और सकारात्मक होते हैं. वहीं, जब इन नियमों को नजरअंदाज किया जाता है तो इसके परिणाम भी उतने ही बुरे हो सकते हैं। सनातन धर्म के अनुसार कामधेनु गाय में देवी-देवताओं का निवास होता है। इसे घर पर रखने से इंसान की हर मनोकामना पूरी होती है। वास्तु शास्त्र की अगर मानें तो जब आप इसे रखते हैं तो इससे सुख समृद्धि का वास आपके घर पर होता है.
किस जगह रखें कामधेनु की मूर्ति?
वास्तु शास्त्र की अगर मानें तो आपको कामधेनु गाय की मूर्ति को अपने घर के ईशान कोण में रखना चाहिए। इसे सबसे ज्यादा शुभ माना जाता है। आप अगर चाहें तो कामधेनु गाय की मूर्ति को घर के पूजास्थल या फिर मुख्य द्वार पर रख सकते हैं। अगर आप मूर्ति नहीं रख पा रहे हैं तो ऐसे में तस्वीर लगाना भी काफी शुभ माना जाता है.
अगर आप अपने घर पर कामधेनु गाय की मूर्ति स्थापित करने जा रहे हैं तो इस बात का ख्याल रखें कि वह सोना, चांदी, पीतल, तांबे या फिर मार्बल की बनी हुई हो। आप अगर चाहें तो चीनी मिटटी से बनी मूर्ति भी अपने घर पर रख सकते हैं। अगर आप अपने घर में सही जगह पर कामधेनु गाय की मूर्ति स्थापित करते हैं तो इससे आपको वास्तु दोषों से छुटकारा मिल सकता है। केवल यहीं नहीं, जब आप इसे अपने घर पर रखना शुरू कर देते हैं तो आपकी आर्थिक स्थिति भी बेहतर हो जाती है।
8 अंक वालों पर रहती है शनिदेव की कृपा
22 May, 2025 06:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
मानव जीवन में अंक शास्त्र और ज्योतिष शास्त्र का विशेष योगदान होता है। अंक शास्त्र के अनुसार अंकों के माध्यम से ही किसी भी व्यक्ति के भविष्य स्वभाव अथवा व्यवहार के बारे में काफी हद तक जाना जाता है। अंकों के द्वारा ही मूल्यांकन और भाग्यांक बनाया जाता है।
हर एक मूल्यांकन का अलग-अलग ग्रह स्वामी भी होते हैं। उसी के आधार पर वह फल भी देते हैं। ऐसे में 8 मूल्यांकन वाले जातक के ऊपर शनिदेव की विशेष कृपा भी रहती है। यह लोग अपने भाग्य से ज्यादा कर्मों पर विश्वास रखते हैं। ऐसी स्थिति में शनि देव की कृपा से धन संपदा समाज में मान सम्मान की वृद्धि भी होती है
किस पर मेहरबान होते हैं शनिदेव?
जिन जातक का जन्म 26, 17, 8 आदि तिथियां में हुआ होता है तो इसका कुल मिलाकर 8 ही बनता है। ऐसे में इस तारीख को जन्म लेने वाले जातकों का मूलांक 8 होता है 8 मूल्यांकन वाले हमेशा सफल होने की चाहत भी रखते हैं। इसी वजह से हर चीज को यह बहुत ही व्यवस्थित तरीके से करना पसंद भी करते हैं।
8 मूल्यांकन वाले जातक
8 मूल्यांकन वाले जातक अपनी मेहनत के बल पर खूब पैसा कमाते हैं. इसके साथ ही यह बचत करने में कामयाब भी होते हैं। इन्हें इस बात की अच्छी से इल्म होती है कि कब कहां और कितना धन खर्च करना सही होता है। किसी के कारण इनका अच्छा खासा बैंक बैलेंस भी होता है।
शनिदेव की विशेष कृपा
इसके अलावा अंक शास्त्र के अनुसार मूल्यांकन 8 वाले जातक बहुत ही अधिक मेहनती भी होते हैं। यह हर एक चीज को बहुत ही व्यवस्थित तरीके से करते हैं। इसी वजह से हमेशा यह सफल भी होते हैं इसी कारण इस राशि के जातक के ऊपर शनिदेव की विशेष कृपा भी रहती है।
राशिफल: कैसा रहेगा आपका आज का दिन
22 May, 2025 12:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
मेष राशि :- समय विफल हो कार्य गति में बाधा, चिन्ता, व्यर्थ भ्रमण, कार्य अवरोध होगा।
वृष राशि :- इष्ट मित्रों से सुख, अधिकारियों से मेल मिलाप होवें तथा रुके कार्य बनेंगे।
मिथुन राशि :- भाग्य का सितारा प्रबल हो बिगड़े कार्य अवश्य ही बनेंगे, समय का लाभ ले।
कर्क राशि :- भाग्य प्रबल है रुके कार्य बना ले, समस्याओं का समाधान बन जायेगा।
सिंह राशि :- इष्ट मित्र सुख वर्धक होगे, कुटुम्ब की समस्यायें सुलझे, स्त्री वर्ग में हर्ष होगा।
कन्या राशि :- भावनायें संवेदनशील रहे, कुटुम्ब में सुख धन अवश्य प्राप्त होगा।
तुला राशि :- समय अनुकूल नहीं, स्वास्थ्य नरम रहे, किसी धारणा का अनदेखा अवश्य होगा।
वृश्चिक राशि :- स्त्री शरीर कष्ट, मानसिक उद्विघ्नता, स्वभाव में असमर्थता अवश्य हो।
धनु राशि :- आशानुकूल सफलता, स्थिति में सुधार व्यवसाय गति उत्तम अवश्य होगी।
मकर राशि :- व्यर्थ धन का व्यय, मानसिक उद्विघ्नता हानिप्रद होगी, ध्यान अवश्य रखे।
कुंभ राशि :- इष्ट मित्र सहयोगी, कार्य बनेंगे तथा कार्य गति अनुकूल होगी ध्यान दे।
मीन राशि :- भाग्य का सितारा प्रबल हो, बिगड़े कार्य अवश्य ही बन जायेंगे, ध्यान दे।