धर्म एवं ज्योतिष
इस प्राचीन कुंड में भगवान राम ने किया था स्नान, नहाने से ठीक हो जाती है बीमारियां
13 Apr, 2025 06:45 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
राजस्थान की हिल स्टेशन माउंट आबू को धर्म नगरी के रूप में भी जाना जाता है. इस नगरी को भगवान राम के गुरु ऋषि वशिष्ठ की तपोस्थली माना जाता है मान्यता है कि भगवान राम ने यहां गुरू वशिष्ठ आश्रम में शिक्षा ग्रहण की थी. आज हम आपको माउंट आबू के एक ऐसे कुंड के बारे में बताने जा रहे हैं. जहां भगवान राम ने स्नान किया था. जी हां, हम बात कर रहे हैं. सर्वेश्वर रघुनाथ मंदिर से करीब 1 किलोमीटर की दूरी पर स्थित राम कुंड की.
माउंट आबू में नक्की लेक के किनारे अतिप्राचीन सर्वेश्वर रघुनाथ मंदिर में बना है. किसी महल जैसे नजर आने वाले इस मंदिर से करीब 1 किलोमीटर की दूरी पर जंगल में के कुंड बना हुआ है. जिसे राम कुंड के नाम से जाना जाता है. एक पहाड़ी के नीचे गुफा में बना है. यह कुंड काफी पवित्र माना जाता है. भगवान राम जब गोमुख वशिष्ठ आश्रम में गुरू वशिष्ठ से शिक्षा ग्रहण करने के बाद इस कुंड में स्नान किया था. भक्तों में इस कुंड के पानी को प्रसाद के रूप में माना जाता है. इस कुंड के पानी से कई बीमारियां भी ठीक हो जाती है. मन को भी शांति मिलती है.
दो दिवसीय पाटोत्सव पर घोषित होता है अवकाश
रघुनाथ मंदिर के महत्व को इस बात से समझा जा सकता है कि जिला प्रशासन द्वारा इस मंदिर के दो दिवसीय पाटोत्सव पर पूरे माउण्ट आबू ब्लॉक का अवकाश घोषित कर दिया जाता है. माउंट आबू घूमने आने वाले पर्यटकों की यात्रा ये मंदिर इज़लिये भी अनोखा है. यहां पर भगवान राम बिना भाई लक्ष्मण एवं माता सीता के अकेले विराजमान हैं.
भगवान से जुड़ी है माउंट आबू में कई जगह
मंदिर के महंत आचार्य डॉ. सियारामदास महाराज ने बताया कि भगवान राम ने माउंट आबू में गुरु वशिष्ठ से शिक्षा ग्रहण की थी. यहां विराजे प्रभु श्रीराम की मूर्ति साढ़े तीन फीट है एवं मूर्ति का मुख पूर्व दिशा की ओर है. यहां प्रभु बाल स्वरूप रूप में अकेले विराजमान हैं, जो राजस्थान का पहला ऐसा मंदिर है. भगवान राम की यह मूर्ति 5500 साल पुरानी स्वयंभू है. 700 साल पहले जगद्गुरु रामानंदाचार्य ने प्रतिमा को मंदिर में स्थापित किया था. रामानंद संप्रदाय के साधु ही मंदिर में पूजा करते हैं.
26 या 27 मई.. कब है वट सावित्री व्रत, इस दिन ये कथा जरूर सुनें, जानें पूजा का शुभ मुहूर्त
13 Apr, 2025 06:30 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
पति की लंबी उम्र के लिए सुहागिन महिलाएं साल भर में कई व्रत रखती हैं. उनमें से एक वट सावित्री व्रत है. सनातन धर्म में वट सावित्री व्रत का विशेष महत्व होता है. मान्यता है कि वट सावित्री पूजा के दिन अगर सुहागिन महिलाएं विधि-विधान से व्रत रखकर वट वृक्ष की पूजा करें तो उन्हें अखंड सौभाग्य का वरदान प्राप्त होता है. देवघर के आचार्य से जानिए पूजा विधि, शुभ मुहूर्त.
ज्येष्ठ माह की अमावस्या तिथि के दिन वट सावित्री पूजा की जाती है. इस दिन सुहागिन महिलाएं लाल वस्त्र पहनकर निर्जला व्रत रखती हैं. वट वृक्ष की पूजा करती हैं. साथ ही श्रृंगार का सामान भी अर्पण करती हैं. इससे सुहागिन महिलाओं को अखंड सौभाग्यवती का आशीर्वाद प्राप्त होता है
जानिए कब है वट सावित्री व्रत
ज्योतिषाचार्य बताते हैं कि ऋषिकेश पंचांग के अनुसार, वट सावित्री व्रत की शुरुआत 26 मई सुबह 11 बजकर 21 मिनट से हो रही है और समापन अगले दिन यानी 27 मई सुबह 08 बजकर 12 मिनट पर होगा. अमावस्या में रात्रि का विशेष महत्व होता है, इसलिए 26 मई को ही वट सावित्री व्रत रखा जाएगा.
करें भगवान शिव की पूजा
ज्योतिषाचार्य बताते हैं कि वट सावित्री व्रत के दिन 26 मई को वट वृक्ष की पूजा षोडशोपचार विधि से शुभ मुहूर्त में करनी चाहिए. पूजा का शुभ मुहूर्त सुबह 04 बजकर 24 मिनट से 07 बजकर 25 मिनट तक रहेगा. अगर इस मुहूर्त में पूजा नहीं कर पाते हैं तो अभिजीत मुहूर्त में पूजा कर सकते हैं. अभिजीत मुहूर्त 11 बजकर 40 मिनट से 12 बजकर 45 मिनट तक रहेगा.
यह कथा जरूर सुनें..
मान्यता है कि सबसे पहले वट सावित्री का व्रत राजा अश्वपति की पुत्री सावित्री ने अपने पति सत्यवान के लिए रखा था. तभी से सुहागिन महिलाएं अपने पति की लंबी आयु के लिए यह व्रत रखती हैं. वट सावित्री व्रत पर सत्यवान-सावित्री की कथा पढ़ने या श्रवण करने से अधिक पुण्य फल की प्राप्ति होती है.
सपने में उल्लू को चिल्लाते या उड़ते देखना आम बात नहीं! जीवन के कई पहलुओं को करता है प्रभावित! जानें क्या कहता है स्वप्न शास्त्र
13 Apr, 2025 06:15 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
रात के सन्नाटे में जब सब कुछ शांत होता है, तभी उल्लू की आवाज़ कई बार डर पैदा कर देती है. लेकिन अगर यही उल्लू आपके सपने में दिखाई दे, तो क्या इसका कोई मतलब होता है? कई बार हमारे सपनों में ऐसे जीव दिखते हैं जिनसे हम जुड़े नहीं होते, लेकिन उनका आना कुछ न कुछ इशारा जरूर देता है. उल्लू भी उन्हीं में से एक है. सपने किसी फिल्म की तरह होते हैं, जिसमें हर दृश्य के पीछे कोई न कोई बात छुपी होती है. कुछ सपने हमें परेशान कर देते हैं, तो कुछ सोचने पर मजबूर कर देते हैं. सपनों में उल्लू का आना एक खास संकेत हो सकता है. यह सिर्फ एक पक्षी नहीं, बल्कि आपकी जिंदगी में होने वाले बदलाव, सतर्कता या नए रास्तों का प्रतीक भी हो सकता है. इस विषय में अधिक जानकारी दे रहे हैं
1. उल्लू का सपना: समझदारी और ज्ञान का संदेश
अगर आपने सपने में उल्लू को शांति से बैठे या आपको देखता हुआ देखा है, तो यह इस बात का संकेत हो सकता है कि आपको अपने अंदर की सोच पर ध्यान देने की ज़रूरत है. ये सपना यह भी कह सकता है कि आपके पास किसी बात की समझ है, बस उस पर भरोसा करने की देर है. अगर आप किसी उलझन में हैं और ऐसा सपना आया है, तो इसका मतलब हो सकता है कि आपके सवाल का जवाब आपके अंदर ही छुपा है.
2. सावधानी बरतने की चेतावनी भी हो सकता है उल्लू
कई बार उल्लू का सपना किसी खतरे या धोखे की चेतावनी भी दे सकता है. अगर उल्लू परेशान या उड़ता हुआ दिखे, तो यह संकेत हो सकता है कि आपकी ज़िंदगी में कुछ लोग झूठ बोल रहे हैं या आपके साथ चाल चल रहे हैं. यह सपना आपको आगाह करता है कि आप किसी भी फैसले से पहले सोच समझकर कदम उठाएं.
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3. बदलाव की शुरुआत का प्रतीक
सपनों में उड़ता हुआ उल्लू देखना जीवन में किसी बदलाव का संकेत हो सकता है. ये सपना दिखा सकता है कि अब वक्त है पुरानी बातों को पीछे छोड़कर आगे बढ़ने का. ये बदलाव करियर, रिश्तों या सोच में हो सकता है. यह सपना आपको कहता है कि डर को पीछे छोड़ो और अपने नए सफर को अपनाओ.
4. नई शुरुआत की ओर इशारा
कुछ लोग उल्लू के सपनों को एक डरावनी चीज़ मानते हैं, लेकिन जरूरी नहीं कि इसका मतलब कुछ बुरा ही हो. कई बार इसका मतलब होता है कि आपकी ज़िंदगी का एक दौर अब खत्म हो रहा है और अब कुछ नया शुरू होने वाला है. जैसे एक पुरानी आदत का अंत या सोच में बदलाव.
क्या करें अगर बार बार दिखे उल्लू?
अगर आपको बार बार ऐसा सपना आ रहा है, तो ये जरूरी हो सकता है कि आप अपने आसपास की चीजों पर ध्यान दें. कुछ बातों को अनदेखा कर रहे हैं या कोई मौका आपके हाथ से निकल रहा है. ऐसे में अपने भीतर की आवाज़ सुनें और सोच समझकर फैसले लें.
अगर बीमारियां नहीं छोड़ रही हैं पीछा, तो धारण करें यह धातु, मिलेगा आराम!
13 Apr, 2025 06:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
अक्सर हमने देखा है कि लोगों के मन में यह सवाल रहता है कि उनके द्वारा किस धातु का प्रयोग किया जाए. लोग पूछते हैं कि सोना या चांदी या अन्य कोई धातु उनके लिए शुभ है या नहीं. आज हम आपको सभी धातुओं के अलग-अलग लाभ बताने जा रहे हैं. यदि आपको कोई बीमारी लगी रहती है तो आप अपनी सुविधा और बीमारी के अनुसार उसे धातु का अपने ऊपर प्रयोग कर सकते हैं. आईए जानते हैं किस बीमारी में हमें किस धातु का प्रयोग करना चाहिए.
यदि कोई व्यक्ति सोने की अंगूठी अनामिका उंगली में पहना है इससे उसका ब्लड सर्कुलेशन अच्छा हो जाता है और दिल मजबूत होता है.
चांदी की पायल मस्तिष्क में शीतलता देता है इसलिए पैरों में चांदी की पायल पहनने से शरीर की गर्मी संतुलित रहती है और मासिक धर्म में नियमितता बनी रहती है.
कलाई में तांबे का कड़ा पहनने से व्यक्ति का रक्त शुद्ध होता है और टॉक्सिन बाहर निकलने लगते हैं.
यदि आप अपने हाथ में पीतल की एक चूड़ी पहनते हैं तो इससे आपकी सांस से संबंधित समस्या खत्म हो जाती है और फेफड़े मजबूत होते हैं.
मन की शांति के लिए व्यक्ति को अपने गले में भारत की माला पहननी चाहिए. इससे उसका ध्यान और मजबूत हो जाता है.
दाहिने हाथ की कलाई में यदि आप कांसे का कड़ा पहनते हैं तो इससे आपकी याददाश्त तेज हो जाएगी. छात्रों का पढ़ाई में मन लगने लगेगा.
किसी भी हाथ की मध्यमा उंगली में लोहे की रिंग पहनने से शरीर में हीमोग्लोबिन का स्तर बढ़ता है और शारीरिक कमजोरी दूर होती है.
तर्जनी उंगली में जस्ता की अंगूठी पहनने से घाव जल्दी भर जाता है और किसी भी प्रकार का संक्रमण नहीं होता है. डायबिटीज से पीड़ित लोग इस अंगूठी को पहने इससे उनकी चोट आदि के घाव शीघ्र भर जाएंगे.
यदि आपके मन में सदैव ही नकारात्मक विचार आते हैं या रात में सोते समय खराब सपने आते हैं तो आपको गले में पंचधातु की माला पहननी चाहिए. इससे आपके अंदर से नकारात्मकता दूर हो जाएगी.
यदि किसी व्यक्ति को एजिंग की समस्या है तो उसे प्लैटिनम का लॉकेट पहनना चाहिए. लॉकेट सदैव ही हृदय के पास रहना चाहिए. इससे आपकी चेहरे पर भी चमक बढ़ जाएगी.
यदि कोई व्यक्ति मानसिक रूप से बीमार रहता है तो उसे गले में चांदी की माला पहनना चाहिए.इससे उसका तनाव कम होगा और मानसिक शांति मिलेगी.
राशिफल: कैसा रहेगा आपका आज का दिन
13 Apr, 2025 12:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
मेष राशि :- विरोधियों से तनाव, क्लेश, कष्ट, धन का व्यय तथा समय की हानि होगी।
वृष राशि :- आर्थिक योजना फलीभूत हो, स्त्री वर्ग से सुख, कार्य में सुधार होगा।
मिथुन राशि :- क्रोध व अशांति से विवाद ग्रस्त हों, व्यावसायिक क्षमता बढ़ेगी, ध्यान दें।
कर्क राशि :- बिगड़े हुये कार्य बनें, कार्य योजना फलीभूत होगी, मनोवृत्ति संवेदनशील बनी रहेगी।
सिंह राशि :- इष्ट-मित्र सुखवर्धक हों, तनाव व आरोप से बचिये, अशांति बनेगी।
कन्या राशि :- कुछ बाधायें व विलम्ब संभव, मानसिक तनाव तथा मन उद्विघ्न बना रहेगा।
तुला राशि :- धन हानि, शरीर कष्ट, मानसिक बेचैनी बढ़ेगी, व्यर्थ भ्रमण तथा धन का व्यय होगा।
वृश्चिक राशि :- आर्थिक योजना पूर्ण हो, सफलता के साधन बनें तथा कार्य कुशलता से संतोष होगा।
धनु राशि :- दैनिक समृद्धि के साधन बनें, अचानक कोई शुभ समाचार में अवश्य जाना होगा।
मकर राशि :- व्यावसायिक समृद्धि के साधन जुटायें, स्त्री-वर्ग से सुख, रुके कार्य बनेंगे।
कुंभ राशि :- भाग्य का सितारा साथ देगा, बिगड़े कार्य बनेंगे, कार्य में विशेष सफलता मिलेगी।
मीन राशि :- कार्य विफल हों, प्रयत्नशील बने रहने पर ही सफलता मिलेगी, ध्यान रखें।
महर्षि बाल्मीकि से पहले हनुमान जी ने लिखी थी रामायण, फिर अचानक गायब कैसे हो गई! पढ़ें हनुमत गाथा
12 Apr, 2025 06:45 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
रामायण को महर्षि बाल्मीकि द्वारा लिखा गया. इसे लिखने में उनको बहुत परिश्रम और समय देना पड़ा. लेकिन एक रामायण ऐसी भी है जिसे बाल्मीकि जी से पहले हनुमान जी ने लिख डाला था.हनुमान जी ने इस रामायण को कब और कैसे लिखा एवं इस रामायण का क्या हुआ? आइये विस्तार से जानते हैं इस कथा के बारे में.
हनुमद रामायण: ऐसा माना जाता है कि प्रभु श्रीराम की रावण के ऊपर विजय प्राप्त करने के पश्चात ईश्वर की आराधना के लिये हनुमान हिमालय पर चले गये थे. वहां जाकर उन्होंने पर्वत शिलाओं पर अपने नाखून से रामायण की रचना की जिसमे उन्होनें प्रभु श्रीराम गाथा का उल्लेख किया था. कुछ समयोपरांत जब महर्षि वाल्मिकी हनुमानजी को अपने द्वारा रची गई रामायण दिखाने पहुंचे तो उन्होंने हनुमानजी द्वारा रचित रामायण भी देखी. उसे देखकर वाल्मिकी थोड़े निराश हो गये तो हनुमान ने उनसे उनकी निराशा का कारण पूछा तो महर्षि बोले कि उन्होने कठोर परिश्रम के पश्चात जो रामायण रची है वो हनुमान की रचना के समक्ष कुछ भी नहीं है अतः आने वाले समय में उनकी रचना उपेक्षित रह जायेगी. ये सुनकर हनुमान ने रामायण रचित पर्वत शिला को एक कन्धे पर उठाया और दूसरे कन्धे पर महर्षि वाल्मिकी को बिठा कर समुद्र के पास गये और स्वयं द्वारा की गई रचना को राम को समर्पित करते हुए समुद्र में समा दिया. तभी से हनुमान द्वारा रची गई हनुमद रामायण उपलब्ध नहीं है. तदुपरांत महर्षि वाल्मिकी ने कहा कि तुम धन्य हो हनुमान, तुम्हारे जैसा कोइ दूसरा नहीं है और साथ ही उन्होंने ये भी कहा कि वो हनुमान की महिमा का गुणगान करने के लिये एक जन्म और लेंगे. इस बात को उन्होने अपनी रचना के अंत मे कहा भी है.
महाकवि तुलसीदास जी ही थे महर्षि बाल्मीकि का का अवतार : माना जाता है कि रामचरितमानस के रचयिता कवि तुलसी दास कोई और नहीं बल्कि महर्षि वाल्मिकी का ही दूसरा अवतार थे.
तुलसीदास को मिली हनुमद रामायण की एक शिला : महाकवि तुलसीदास के समय में ही एक पटलिका को समुद्र के किनारे पाया गया जिसे कि एक सार्वजनिक स्थल पर टांग दिया गया था. ताकी विद्यार्थी उस गूढ़लिपि को पढ़कर उसका अर्थ निकाल सकें. माना जाता है कि कालीदास ने उसका अर्थ निकाल लिया था और वो ये भी जान गये थे कि ये पटलिका कोई और नहिं बल्कि हनुमान द्वारा उनके पूर्व जन्म में रची गई हनुमद् रामायण का ही एक अंश है. जो कि पर्वत शिला से निकल कर ज़ल के साथ प्रवाहित होके यहां तक आ गई है. उस पटलिका को पाकर तुलसीदास ने अपने आपको बहुत भग्यशाली माना कि उन्हें हनुमद रामायण के श्लोक का एक पद्य प्राप्त हुआ.
गाय को रोटी खिलाने से चमक जाएगा भाग्य! जानिए इसके अनेक फायदों के बारे में
12 Apr, 2025 06:15 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
हिंदू धर्म में गाय को पवित्र और मां के समान माना गया है. गौ माता के अंदर सभी देवी-देवताओं का वास होता है. यह परंपरा कि हर दिन की पहली रोटी गाय के लिए बनाई जाती है, ये भारतीय घरों में बहुत आम है. यह केवल परंपरा नहीं, बल्कि एक शक्तिशाली ज्योतिषीय और आध्यात्मिक उपाय है. जिस घर में गौ माता की सेवा होती है, उस घर में सुख, शांति और लक्ष्मी का वास होता है.
धन और समृद्धि बढ़ती है
ज्योतिष में गाय को गुरु ग्रह (बृहस्पति) से जोड़ा जाता है, जो ज्ञान, धन और खुशहाली का प्रतीक है. गाय को रोटी खिलाने से घर में लक्ष्मी का वास होता है और आर्थिक स्थिति मजबूत होती है. यह उपाय गुरु ग्रह को मज़बूत करने में मदद करता है.
सेहत में सुधार होता है
गाय को पोषण और स्वास्थ्य का प्रतीक माना जाता है. खासकर शुभ दिनों पर गाय को रोटी या हरा चारा खिलाने से स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं कम होती हैं और व्यक्ति की शारीरिक व मानसिक ताकत बढ़ती है.
पाप और बुरा कर्म कम होता है
गाय को रोटी खिलाना एक पुण्य का काम माना जाता है. यह नकारात्मक कर्मों को कम करने और पिछले जन्म या इस जन्म के दोषों को हल्का करने में सहायक होता है. इससे जीवन में पॉजिटिव बदलाव आते हैं.
पारिवारिक संबंध मजबूत होते हैं
गाय को भोजन देने से घर-परिवार में प्रेम और सामंजस्य बढ़ता है. यह उपाय घरेलू कलह को दूर करने और आपसी रिश्तों को बेहतर बनाने में मदद करता है.
ग्रहों के दोषों का समाधान
अगर किसी की कुंडली में गुरु ग्रह कमज़ोर हो या कोई ग्रह दोष हो, तो ज्योतिष में गाय को रोटी, गुड़, हरा चारा या चने खिलाने की सलाह दी जाती है. यह उपाय ग्रहों के बुरे प्रभाव को कम करता है.
काली गाय को रोटी खिलाने से लाभ?
सफेद गाय को रोटी खिलाने से माता लक्ष्मी की कृपा प्राप्त होती है. यह सौभाग्य, धन और सुख-शांति प्रदान करने वाला उपाय माना गया है. वहीं काली गाय को रोटी खिलाने से शनि दोषों से मुक्ति मिलती है.
कुछ खाते-खाते कट गई है अचानक जीभ? ये घटना देती है जीवन से जुड़े बड़े संकेत
12 Apr, 2025 06:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
बचपन में जब भी गलती से हमारी जीभ कट जाती थी, तो घर के बड़े अक्सर कहते थे कि “कोई तुम्हें बुरा भला कह रहा है.” हम भी उस बात को बिना सोचे समझे सच मान लेते थे. लेकिन जैसे जैसे उम्र बढ़ती है, इंसान सवाल करने लगता है और हर चीज को समझने की कोशिश करता है. अब सवाल यह है कि क्या वास्तव में जीभ कटने के पीछे कोई विशेष संकेत होता है? क्या ज्योतिष में इसका कोई मतलब बताया गया है? आइए जानते हैं. भोपाल निवासी ज्योतिषी एवं वास्तु सलाहकार पंडित हितेंद्र कुमार शर्मा से.
जब कोई अचानक अपनी जीभ काट लेता है, तो यह सिर्फ एक शारीरिक घटना नहीं मानी जाती, बल्कि कुछ लोग इसे आध्यात्मिक संकेत मानते हैं. माना जाता है कि ऐसी घटनाएं हमें किसी गहरे भाव या चेतावनी की ओर इशारा करती हैं.
क्या कहता है ज्योतिष शास्त्र?
-ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, जीभ कटने की घटना कई बातों का प्रतीक हो सकती है. सबसे पहली बात, यह एक चेतावनी हो सकती है कि आपको अपने बोलने के तरीके में सावधानी बरतनी चाहिए. हो सकता है आप किसी से कुछ ऐसा कह चुके हों, जो नहीं कहना चाहिए था या आगे कुछ बोलने वाले हों जो किसी को ठेस पहुंचा सकता है.
-दूसरी बात यह भी मानी जाती है कि यह घटना आपको खुद पर नियंत्रण रखने का संकेत देती है. अगर आप अपने जीवन में लापरवाह हो गए हैं या किसी गलत आदत में फंसे हैं, तो यह संकेत आपको रोकने के लिए आता है कि अब वक्त है संभलने का.
-कुछ ज्योतिषी मानते हैं कि यह आपके आस पास की नकारात्मक ऊर्जा का भी संकेत हो सकता है. ऐसे में कहा जाता है कि अपनी सोच और संगत पर ध्यान देना जरूरी है. कहीं ऐसा तो नहीं कि आप किसी गलत सोच या झूठे व्यक्ति के संपर्क में आ गए हैं?
छुपे हुए खतरे और आत्मनिरीक्षण
कभी कभी जीभ कटना यह भी बताता है कि आपके आसपास कोई खतरा है, जो आपको दिख नहीं रहा. यह खतरा मानसिक भी हो सकता है और किसी रिश्ते या हालात से जुड़ा हुआ भी. इसलिए जरूरी है कि आप अपने आसपास की चीजों को गहराई से देखें और सोचें कि क्या कुछ गलत हो रहा है.
-यह घटना आत्मनिरीक्षण का मौका भी होती है. यह हमें याद दिलाती है कि हमें ईमानदारी से अपनी गलतियों को स्वीकार करना चाहिए और उन्हें सुधारने की कोशिश करनी चाहिए.
राशिफल: कैसा रहेगा आपका आज का दिन
12 Apr, 2025 12:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
मेष राशि :- कुछ विरोधी तत्व परेशान करेंगे, कुटुम्ब में घोर अशांति अवश्य ही बनेगी।
वृष राशि :- मन उद्विघ्न रहे, स्वास्थ्य नरम रहे, विरोधियों की परेशानी से बचेंगे।
मिथुन राशि :- विरोधी परेशान करें, आकस्मिक दुर्घटना से बचें, मानसिक विभ्रम बना रहेगा।
कर्क राशि :- अधिकारियों के तनाव से बचिये, दैनिक व्यवसाय गति उत्तम अवश्य ही बनेगी।
सिंह राशि :- अग्नि-चोटादि का भय, सतर्कता से कार्य करें, लाभ अवश्य ही होगा।
कन्या राशि :- विभ्रम, आवेग, अशांति, हानि तथा असमय की स्थिति सदैव बनी रहेगी।
तुला राशि :- विरोधी तत्व परेशान करें, अनायास बाधा, शरीर कष्ट, चोटादि की संभावना।
वृश्चिक राशि :- परिश्रम करने पर भी सफलता दिखायी न पड़ेगी तथा क्लेश, अशांति अवश्य बनेगी।
धनु राशि :- अनायास विभ्रम अवश्य ही बनेगा, परिश्रम करने पर भी सफलता दिखाई न दे।
मकर राशि :- सतर्कता से कार्य करें, अधिकारियों का समर्थन मिले, कार्यगति विभ्रम होगा।
कुंभ राशि :- आर्थिक योजना पूर्ण हो, सफलता के साधन बनें तथा कार्य कुशल होवें।
मीन राशि :- धन हानि, शरीर कष्ट, मानसिक वेदना, व्यर्थ भ्रमण तथा धन हानि अवश्य होगी।
बहुत खास है इस बार हनुमान जयंती, खुद हनुमान जी करेंगे शनि की पीढ़ा से बेड़ा पार! करें यह उपाय
11 Apr, 2025 06:45 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि को हनुमान जी का जन्मोत्सव मनाया जाता है. इस साल हनुमान जयंती 12 अप्रैल को शनिवार के दिन मनाई जाएगी. मान्यता है कलयुग के सबसे सिद्ध देवता है हनुमान जी. जो आज भी जीवित है और अपने भक्तों पर समय-समय पर कृपा करके देश और दुनिया के सामने चमत्कार के अनूठे नजारे पेश करते हैं.
बहुत खास है इस बार हनुमान जयंती : वर्ष 2025 यानी इस वर्ष हनुमान जयंती इसलिए भी खास है कि इस दिन कई राजयोग का निर्माण हो रहा है. मीन राशि में बुध शुक्र शनि राहु और सूर्य जैसे बड़े ग्रह पंचग्रही योग बना रहे हैं. इसके अलावा बुधादित्य, शुक्रादित्य, लक्ष्मी नारायण और मालव्य राजयोग बनेंगे.
हनुमान जी को लगाएं भोग : हनुमान जी को भोग के रूप में बनारसी पान का भोग लगाएं. ध्यान रहे इस पान में चूना और तम्बाकू नहीं होना चाहिए.साथ ही गोला, गुलकंद, लोंग,सुगंधित किमाम आदि सभी चीज होनी चाहिए. इसके अलावा हनुमान जी को मीठी बूंदी या रोट अर्पित करना चाहिए. भोग लगाने के पश्चात वहां मौजूद लोगों में उसे वितरित करें और स्वयं भी प्रसाद ग्रहण करें.
शनि देव की मिलेगी कृपा : जिन जातकों की जन्म कुंडली में शनि की साडेसाती अथवा पनौती या दशा चल रही है उन लोगों के लिए यह हनुमान जयंती किसी वरदान से काम नहीं है. शनि की पीड़ा से मुक्ति के लिए हनुमान जी की भक्ति बहुत कारगर उपाय है और इस बार हनुमान जयंती शनिवार के दिन ही है. इसलिए सनी से प्रभावित जातक इस दिन भंडारे का आयोजन करें. यदि यह संभावना हो तो चने का भोग हनुमान जी को अर्पित करें और गरीबों में उसे वितरित करें.
साढ़े साती से बचाएंगे हनुमान जी : जिस चाहता हूं की जन्म कुंडली में साडेसाती चल रही है उन जातकों को दक्षिण मुखी हनुमान जी की पूजा करनी चाहिए. दक्षिण मुखी हनुमान जी को चोला चढ़ाएं एवं उनके समक्ष स्वच्छ आसन पर बैठकर राम रक्षा स्त्रोत और बजरंग बाण का पाठ करें. साथ ही शनिदेव की पीड़ा से मुक्ति पाने की प्रार्थना करें.
भक्त के सम्मान के लिए भगवान ने उगा ली मूंछ! तब से पड़ गया ये नाम, चमत्कार से कम नहीं इस महावीर मंदिर की कहानी
11 Apr, 2025 06:30 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
भारत में ऐसे कई मंदिर हैं, जो अपने चमत्कार और अलग-अलग मान्यताओं के लिए अपनी पहचान रखते हैं. ऐसे में हम आपको भारत के ऐसे मंदिर के बारे में बताएंगे, जहां भगवान महावीर की प्रतिमा पर आपको मूंछ नजर आएगी और भारत का एक मात्र ऐसा मंदिर है, जो पाली जिले के घाणेराव में स्थित है. इस मंदिर का नाम मुछाला महावीर तीर्थ है, जो अपने आप में काफी खास है.
खास इसलिए है, क्योंकि यहां भगवान महावीर की प्रतिमा पर मूंछ नजर आती है. भारत में इसके अलावा कहीं भी भगवान महावीर की प्रतिमा में मूंछ नहीं मिलती. पाली शहर से करीब 73 किलोमीटर दूर है सादड़ी शहर. इस क्षेत्र के अरावली की पहाड़ियों और जंगल से घिरे गांव घाणेराव से 6 किलोमीटर दूर पूर्व दिशा में सूकी नदी के किनारे यह पुराना चमत्कारी मंदिर बना हुआ है, जिसको सभी मुछाला महावीर तीर्थ के नाम से जानते हैं.
मंदिर में नृत्य करती देवी-देवताओं की प्रतिमाएं
मंदिर का मुख्य द्वार उत्तर दिशा में है. दोनों ओर पत्थर के हाथी बने हुए हैं. मंदिर में प्रवेश करने पर खंभों पर टिका विशाल खुला मंडप मिलता है. मंदिर का गगनचुंबी शिखर और बड़ा रंगमंडप, फेरी के झरोखों की बारीक नक्काशी दार जालियां बेहतरीन स्थापत्य कला का नमूना पेश करती हैं. मंदिर में नृत्य करती देवी देवताओं की प्रतिमाएं मन-मोहक हैं. मंदिर में चारों ओर कतारबद्ध देहरियां हैं. मंदिर के गर्भगृह में भगवान विराजमान हैं और चारों तरफ परिक्रमा मार्ग है.
मंदिर के निर्माण की यह कहानी
ईश्वर के भव्य विमान के जैसे इस चौबीस जिनालय वाले भव्य मंदिर का निर्माण कब और किसने कराया, इसके पुख्ता सबूत नहीं मिलते. फिर भी पुरावेत्ताओं और स्थापत्य विशेषज्ञों का मानना है कि यह मंदिर 10वीं-11वीं सदी में निर्मित हो सकता है. ऐसा भी कहा जाता है कि मंदिर का निर्माण भगवान महावीर के बड़े भाई नंदीवर्द्धन के परिवार से संबधित सोहन सिंह ने करवाया था. यह उल्लेख यहां प्राचीन लिपि में एक शिलालेख पर भी मिलता है.
मंदिर से जुड़ी अनोखी दंतकथा
पाषाण की प्रतिमा के मुख पर मूंछें निकल आने को लेकर इस मंदिर से जुड़ी एक दंतकथा प्रचलित है. कहते हैं कि एक बार मेवाड़ के महाराणा कुंभा अपने सामन्तों के साथ यहां दर्शन करने आए. मंदिर के पुजारी अक्षयचक्र ने भगवान की प्रतिमा को नहलाया जल अर्पित कर आदर किया, तो जल में एक बाल नजर आया. एक सामंत ने इस पर कटाक्ष किया, तो पुजारी अक्षयचक्र ने जवाब में कहा कि भगवान समय-समय पर अपनी इच्छा के अनुसार अनेक रूप धारण करते रहते हैं.
पुजारी को मिला 3 दिन का समय
इस पर हठीले महाराणा कुंभा ने इस बात को साबित करने का आदेश दे दिया. पुजारी को 3 दिन का समय दिया गया. कहते हैं कि पुजारी अक्षयचक्र ने तीन दिन तक अखंड व्रत किया. जब उन्होंने मंदिर के गेट खोले, तो सच में महावीर स्वामी की प्रतिमा के मुख पर मूंछें निकल आई थी. इस पर महाराणा कुंभा को यकीन नहीं हुआ. वे प्रतिमा के नजदीक गए और मूंछ का एक बाल खींचा.
मालामाल बना देते हैं हरी इलायची के 4 सरल उपाय, इस खास मंत्र का करें जाप, कभी खाली नहीं होगी आपकी तिजोरी!
11 Apr, 2025 06:15 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
हर किसी की ख्वाहिश होती है कि उसकी जिंदगी में पैसा और सुख शांति बनी रहे, लेकिन कई बार मेहनत करने के बावजूद भी आर्थिक स्थिति में सुधार नहीं हो पाता. अगर आप भी ऐसे हालात का सामना कर रहे हैं, तो आपके लिए एक बेहद आसान और असरदार उपाय है-हरी इलायची. यह छोटी सी चीज सिर्फ खाने या मसाले में ही नहीं, बल्कि ज्योतिष के नजरिए से भी काफी खास मानी जाती है.
दरअसल, हरी इलायची को घर की सकारात्मक ऊर्जा बढ़ाने और धन की राह में आ रही रुकावटों को दूर करने के लिए बहुत उपयोगी माना गया है. ऐसा माना जाता है कि इसमें कुछ खास तरह की ऊर्जा होती है, जो नकारात्मक असर को खत्म करती है और खुशहाली को बुलावा देती है. कौनसे हैं
1. घर से निकलते वक्त दो इलायची मुंह में रखें
अगर आप किसी काम के लिए बाहर जा रहे हैं, खासकर अगर वो काम पैसे से जुड़ा है जैसे नौकरी का इंटरव्यू, बिज़नेस डील या कोई खास मीटिंग, तो घर से निकलते समय दो हरी इलायची अपने मुंह में रख लें. माना जाता है कि इससे आत्मविश्वास बढ़ता है, सोच में सकारात्मकता आती है और कामयाबी मिलने की संभावना बढ़ जाती है.
2. इलायची के साथ ‘श्रीं’ मंत्र का जाप करें
अगर आप आर्थिक तरक्की चाहते हैं, तो मुंह में इलायची रखकर तीन बार ‘श्रीं’ मंत्र का उच्चारण करें. यह मंत्र लक्ष्मी जी से जुड़ा हुआ है और इसे धन आकर्षित करने वाला माना जाता है. ऐसा करने से आपकी आर्थिक सोच मजबूत होती है और आपके आस पास की ऊर्जा भी आपसे सहयोग करने लगती है.
3. रात को तकिए के नीचे रखें दो इलायची
यह उपाय बहुत आसान है लेकिन असरदार. जब भी आप सोने जाएं, तो अपने तकिए के नीचे दो हरी इलायचियां रख लें. कहा जाता है कि इससे नींद बेहतर होती है, तनाव कम होता है और दिमाग में नए विचार आने लगते हैं जो भविष्य में आर्थिक सुधार का रास्ता दिखाते हैं.
4. घर की उत्तर पूर्व दिशा में रखें इलायची
अगर आप चाहते हैं कि आपके घर में हमेशा सुख शांति और पैसों की कमी न हो, तो एक कटोरे में इलायची भरकर उसे घर की उत्तर पूर्व दिशा में रख दें. हर 21 दिन बाद इलायची बदल दें और पुरानी इलायची को किसी पेड़ या पौधे की जड़ में दबा दें. इससे आपके घर में सकारात्मक माहौल बना रहेगा.
23 या 24 अप्रैल! इस दिन रखा जाएगा वरुथिनी एकादशी का व्रत
11 Apr, 2025 06:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
चैत्र पूर्णिमा समाप्ति के बाद वैशाख का महीना शुरू हो जाएगा. हिंदू कैलेंडर के अनुसार वैशाख का महीना बेहद शुभ और पवित्र माना जाता है. वैशाख के महीने में भगवान श्री कृष्ण की पूजा का विधान है. इसलिए यह महीना भगवान श्री कृष्ण को समर्पित रहता है. वहीं वैशाख महीने की पहली एकादशी जल्द ही आने वाली है. माना जाता है कि जो भी जातक व्रत रखकर एकादशी के दिन भगवान श्री कृष्णा और माता लक्ष्मी की पूजा आराधना करते हैं, उनकी मनोकामनाएं अवश्य पूर्ण होती है. घर में सुख समृद्धि की वृद्धि होती है. वैशाख महीने की पहली एकादशी की तिथि को लेकर थोड़ी सी असमंजस की स्थिति बनी हुई है.
क्या कहते हैं देवघर के ज्योतिषाचार्य?
देवघर के पागल बाबा आश्रम स्थित मुद्गल ज्योतिष केंद्र के प्रसिद्ध ज्योतिष आचार्य पंडित नंदिनी किशोर मुद्गल ने लोकल 18 के संवाददाता से बातचीत करते हुए कहा कि हिंदू धर्म में वरुथनी एकादशी का खास महत्व है. हर साल वरुथनी एकादशी का पर्व वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को मनाया जाता है. इस साल 23 अप्रैल को वरुथनी एकादशी का त्यौहार मनाया जाएगा. इस दिन लक्ष्मी नारायण की पूजा करने से सभी प्रकार की मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं.
कब से हो रही है एकादशी तिथि की शुरुआत
ऋषिकेश पंचांग के अनुसार एकादशी तिथि की शुरुआत 23 अप्रैल शाम 04 बजकर 43 मिनट से हो रही है और समापन अगले दिन यानी 24 अप्रैल शाम 04 बजकर 13 मिनट मे हो रहा है. उदया तिथि 24 अप्रैल होने की वजह से 24 अप्रैल को ही और उसने एकादशी का व्रत रखा जाएगा.
क्या महत्व है वरुथिनी एकादशी का
ज्योतिषाचार्य बताते हैं कि वरुथिनी एकादशी के दिन भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की विधि विधान के साथ अगर पूजा आराधना करें हर मनोकामना पूर्ण होती है.खासकर जिनके विवाह में देरी हो रही है वैसे जातक वरुथिनी एकादशी के दिन पूरा दिन व्रत रख अपनी मनोकामना लिये भगवान विष्णु के सहस्त्र नाम का जाप करे और माता लक्ष्मी को हल्दी का गांठ अर्पण करे.जल्द ही मनोकामना पूर्ण होगीं.
राशिफल: कैसा रहेगा आपका आज का दिन
11 Apr, 2025 12:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
मेष राशि :- कुछ विद्युत कार्य करना परेशान करेगा, कुटुम्ब में घोर अशांति बनेगी, कार्य बना लें।
वृष राशि :- स्त्री वर्ग से चिन्ता, तनाव, क्लेश तथा मानसिक उद्विघ्नता अवश्य ही बनेगी, ध्यान दें।
मिथुन राशि :- तनाव, क्लेश व अशांति, मानसिक विभ्रम तथा अनावश्यक उद्विघ्नता बनेगी।
कर्क राशि :- भाग्य का सितारा साथ देगा, बिगड़े कार्य अवश्य ही बन जायेंगे, योजना बनेगी।
सिंह राशि :- आशानुकूल सफलता का हर्ष होगा तथा कार्य में सुधार अवश्य ही होगा।
कन्या राशि :- क्लेश व अशांति, कार्य-व्यवसाय में बाधा अवश्य होगी, भ्रमण होगा।
तुला राशि :- मानसिक उद्विघ्नता, स्वास्थ्य नरम रहेगा, धन का व्यर्थ व्यय होगा।
वृश्चिक राशि :- तनाव, क्लेश व अशांति, मानसिक बेचैनी, धन का व्यर्थ व्यय होगा।
धनु राशि :- चिन्तायें कम हों, इष्ट मित्र सुख वर्धक होंगे, तनाव, क्लेश व अशांति अवश्य बनेगी।
मकर राशि :- धन कष्ट, व्यय, चोटादि की संभावना, सतर्कता बरतें, समय का ध्यान रखें।
कुंभ राशि :- कार्य-कुशलता से संतोष एवं समृद्धि के योग अवश्य ही बनेंगे, ध्यान दें।
मीन राशि :- भाग्य का सितारा मंद रहे, तनाव, क्लेश व अशांति होगी, ध्यान दें।
सनातन धर्म में तुलसी से जुड़ी है कई मान्यताएं
10 Apr, 2025 07:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
सनातन धर्म में तुलसी के पौधे का विशेष महत्व है। धार्मिक मान्यता है कि तुलसी के पौधे में मां लक्ष्मी का वास होता है। इसके अलावा, तुलसी को लेकर तमाम मान्यताएं भी हैं। , तुलसी के पास छिपकली का दिखना शुभ संकेत है। माना जाता है कि, यदि तुलसी के पौधे के पास छिपकली दिखाई देती तो इसका मतलब है कि धन-लाभ और समृद्धि हो सकती है।
यह घर में सुख-समृद्धि और खुशहाली लाने वाला माना जाता है। इसके अलावा तुलसी के पौधे के पास छिपकली का दिखना घर में सकारात्मक ऊर्जा के बढ़ने और अच्छे समय के आगमन का प्रतीक माना जाता है। अगर तुलसी पर छिपकली दिखाई दे और वह सुरक्षित रूप से चली जाए, तो इसे शुभ माना जाता है और यह संकेत करता है कि आपकी मनोकामनाएं पूरी होने वाली हैं। कुछ संस्कृतियों में, छिपकली को बुरी शक्तियों से सुरक्षा प्रदान करने वाला माना जाता है। इसलिए, तुलसी के पास छिपकली का दिखना घर और परिवार की सुरक्षा का प्रतीक भी माना जाता है। वहीं ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, लेकिन यदि छिपकली बार-बार तुलसी के पौधे पर आती दिखे, तो यह घर में कलह या विवाद का संकेत हो सकता है। तुलसी में मंजरी आने का मतलब है कि जीवन में आने वाले संकटों से निजात मिलेगी। इसके लिए तुलसी की मंजरी को लाल कपड़े में बांधकर अपने घर के उस स्थान पर रख दें, जहां आप अपना धन रखते हैं। ऐसा करने से आपके घर में मां लक्ष्मी का वास होगा.