धर्म एवं ज्योतिष
एमपी के इस शहर में 51 लाख की लागत से होगा संत रविदास के मंदिर का पुनर्निर्माण
26 Jan, 2024 06:15 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
शहर जबलपुर के तिलवारा घाट के समीप स्थित संत रविदास मंदिर शहर के दलित प्रतीक गुरु रविदास को समर्पित है. संत रविदास के इस मंदिर का पुनः निर्माण होना है, जिसके बाद यह मंदिर क्षेत्र का सबसे बड़ा संत रविदास मंदिर कहलाएगा.
51 लाख की लागत से होगा पुनः निर्माण
सूर्यवंशी संत रविदास सभा समिति के महामंत्री रामकृपाल चौधरी के अनुसार, 1976 में इस समिति का गठन किया गया था. संत रविदास मंदिर की नींव भी 1976 में ही रखी गई थी. रविदास जी के इस मंदिर का पुनः निर्माण लगभग 51 लाख रुपये की लागत से किया जाना है. इसके बाद यह मंदिर जबलपुर का एकमात्र संत रविदास का सबसे भव्य मंदिर कहलाएगा.
6 फीट की प्रतिमा
महामंत्री ने बताया कि मंदिर में स्थापित की जाने वाली संत रविदास जी की प्रतिमा लगभग 6 फीट की है और समिति के सदस्यों द्वारा ही मंदिर का पुनर्निर्माण करवाया जाएगा. जिसमें सभी सदस्यों द्वारा चंदा एकत्र कर 51 लाख की लागत से इस मंदिर को बनाने का प्रस्ताव पारित किया गया है. इसके बाद संविधान चौक से आने जाने-वाले लोगों को यह मंदिर दूर से दिखाई देगा और सभी रविदास के दर्शन कर सकेंगे.
कौन थे संत रविदास
संत रविदास का जन्म माघ मास की पूर्णिमा में 1376 को हुआ था. रविदास के पिता का नाम राहु और माता का नाम करमा बताया जाता है. इनकी पत्नी का नाम लोना बताया जाता है. इन्हें संत रविदास, गुरु रविदास, रैदास, रूहिदास और रोहिदास जैसे कई नामों से जाना जाता है. रविदास जयंती और माघी पूर्णिमा के दिन गंगा स्नान का विशेष महत्व है. साथ ही पौराणिक ग्रंथों के अनुसार, संत रविदास का जन्म रविवार के दिन हुआ था इसलिए इनका नाम रविदास रखा गया. इनको संत शिरोमणि सतगुरु की उपाधि दी गई है. इन्होंने रविदासीया पंथ की स्थापना की और इनके रचे कुछ भजन सिखों के पवित्र ग्रंथ गुरु ग्रंथ साहिब में भी हैं. इन्होंने जात-पात का घोर खंडन करते हुए आत्मज्ञान का मार्ग दिखाया.
नरक निवारण चतुर्दशी 8 को, इस आसान काम से होगी महादेव की कृपा, जानें व्रत के नियम और फल
26 Jan, 2024 06:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
भगवान भोलेनाथ हर संकट को सरलता से दूर करते हैं. ऐसे में लोग देवों के देव महादेव को प्रसन्न करने के लिए अलग-अलग व्रत करते हैं. वहीं, इस बार 2024 में नरक निवारण चतुर्दशी का व्रत मनाया जाएगा. जानकारी देते हुए पूर्णिया के पंडित उदय कांत झा (मुन्ना झा) कहते हैं कि मिथिला पंचांग के अनुसार माघ महीने के कृष्ण पक्ष के चतुर्दशी तारीख 8 फरवरी को नरक निवारण चतुर्दशी मनाई जाती है. उन्होंने कहा कि इस बार नरक निवारण चतुर्दशी 8 फरवरी को मनाई जाएगी. यह व्रत सभी लोगों के लिए मान्य है. सभी लोग इस व्रत को कर पाएंगे. हालांकि, उन्होंने कहा इस व्रत को करने से पहले कुछ नियम को जानना जरूरी होता है. जिससे अधिक शुभ फल प्राप्त होता है.
पंडित उदय कांत झा ने कहा कि शास्त्रों की मानें तो इस बार नरक निवारण चतुर्दशी 8 फरवरी दिन गुरुवार को मनाई जाएगी. नरक निवारण चतुर्दशी प्रदोष व्रत है जिसमें भगवान शिव जी की आराधना की जाती है. उन्होंने कहा व्रत करने वाले व्यक्ति को एक दिन पूर्व नहाए खाए के नियमित रूप का पालन करके फिर 8 फरवरी गुरुवार को संपूर्ण व्रत करें और भगवान शिव जी की आराधना करें. साथ ही साथ इस व्रत को करने से शास्त्र के अनुसार उसमें फल की प्राप्ति होती है. उसी दिन भगवान कुशेश्वर महावीर की प्राण प्रतिष्ठा भी हुई थी. इसलिए शास्त्रों में इस दिन को विशेष महत्व दिया गया है.
सभी लोगों को करना चाहिए ये व्रत
नरक निवारण चतुर्दशी व्रत का शास्त्रों में कहना है कि इस व्रत को हर व्यक्ति विवाहित, अविवाहित, बच्चे बूढ़े अपनी श्रद्धा के बलबूते इस व्रत को कर सकते हैं. हालांकि, उन्होंने कहा इस व्रत को करने से नरक यानी सभी कष्टों से मुक्ति मिलती है. नरक यानी कष्ट दुख दरिद्रता का समापन होता है. खासतौर पर इस बार नरक निवारण चतुर्दशी अमृत सिद्धि योग में पड़ने से और भी शुभ फलदायी हैं. इसलिए उन्होंने कहा यह व्रत हम सभी सनातनी को जरूर करना चाहिए.
व्रत के दौरान इन मंत्रों का करें जाप
इस व्रत को करने के दौरान हो सके तो भगवान शिव को प्रसन्न करने की पूरी कोशिश करें. साथ ही साथ भगवान शिव को खुश करने के लिए जलाभिषेक, रुद्राभिषेक व उनके अनेक मंत्रों का भी जाप कर सकते हैं. संभव हो तो महामृत्युंजय मंत्र का जाप करें या आप पंचक्षार मंत्र ओम नमः शिवाय का जाप करें. निश्चित ही हर मनोकामना और शुभ फल की प्राप्ति होगी. हालांकि, उन्होंने कहा इस पर्व को करने के दौरान आप एक बार दिन में फलाहार कर सकते हैं. सुबह होकर अमावस्या के दिन पारण करें. यही व्रत का विधान है. यह व्रत करने से सभी लोगों का कष्ट निवारण होता है. पुत्र प्राप्ति, धन- धान्य और सौभाग्य की प्राप्ति होती है. इस व्रत का पारण करने के लिए व्रती को गंगाजल या गाय के कच्चे दूध से पारण करना चाहिए.
राशिफल: जानिए, कैसा रहेगा आपका आज का दिन (26 जनवरी 2024)
26 Jan, 2024 12:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
मेष राशि :- मानप्रतिष्ठा बाल बाल बचे, कार्य व्यवसाय गति उत्तम, स्त्री वर्ग से क्लेश होगा।
वृष राशि :- धन प्राप्ति के योग बनेंगे, नवीन मैत्री व मंत्रणा प्राप्त होगी, ध्यान अवश्य रखें।
मिथुन राशि :- इष्ट मित्र वर्ग सहायक रहे, व्यवसायिक क्षमता में वृद्धि होवे तथा कार्य बनेंगे।
कर्क राशि :- सामाजिक मान प्रतिष्ठा, कार्य कुशलता, संतोषजनक रहे, कार्य बनने लगेगे।
सिंह राशि :- परिश्रम से समय पर सोचे कार्य पूर्ण होंगे तथा व्यवसाय गति उत्तम होगी।
कन्या राशि :- अधिकारियों का समर्थन फलप्रद रहे, कार्यकुशलता से संतोष होगा, कार्य बनें।
तुला राशि :- दैनिक व्यवसाय गति उत्तम तथा व्यवसायिक चिन्ताएं कम अवश्य होगी।
वृश्चिक राशि :- कार्य वृत्ति में सुधार होगा, असमंजस तथा सफलता न मिलें कार्य अवरोध होगा।
धनु राशि :- स्थिति अनियंत्रित रहे तथा नियंत्रण करना आवश्यक होगा, कलह से बचें।
मकर राशि :- मानसिक खिन्नता एवं स्वभाव में मानसिक उद्विघ्नता रहे।
कुंभ राशि :- योजनाएं फलीभूत हो, विघटनकारी तत्व आय को परेशान अवश्य करेगा।
मीन राशि :- मनोबल उत्साह वर्धक हो, कार्य कुशलता से संतोष हो।
त्रिशूल का निशान होता है शुभ
25 Jan, 2024 07:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
हस्तरेखा ज्योतिष में लोगों की हाथ की लकीरें और निशान देखकर उनके भविष्य के बारें में कई बातों का पता लगाया जा सकता है। हथेली पर कई निशान होते है इन्हीं निशानों में से एक निशान ऐसा होता है जो हजार लोगों में से एक व्यक्ति के हाथ में बना होता है। यह निशान होता है त्रिशूल। तो आइए जानते हैं हथेली पर किस-किस जगह बने त्रिशूल के निशान का क्या मतलब होता है।
यदि ह्रदय रेखा के सिरे पर गुरु पर्वत के समीप त्रिशूल का निशान हो ऐसा व्यक्ति बेहद प्रतिभाशाली होता है।
सूर्य रेखा पर त्रिशूल का निशान होने पर उच्च पद और सरकारी क्षेत्र की प्राप्ति होती है। वहीं त्रिशूल के चिन्ह के साथ अन्य रेखाएं होने पर परिणाम विपरीत होंगे। यदि ये चिन्ह भाग्य रेखा पर हो तो वह व्यक्ति बहुत ही भाग्यशाली होता है और उसे सभी सुखों की प्राप्ति होती है।वहीं जिसकी हाथ की दस उंगलियों में भगवान विष्णु के प्रतीक चक्र का चिन्ह हो वह चक्रवर्ती होता है। ऐसी रेखाओं से मिलती है हर कदम पर सफलता।
मोटापे का ग्रहों से भी संबंध
25 Jan, 2024 06:30 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
मोटापे के लिए ग्रहों को भी जिम्मेदार माना गया है। इसका कारण है कि मोटापे का ग्रहों से भी संबंध बताया जाता है। ऐसे में ज्योतिष के अनुसार ही अग्नि, जल एवं तत्व की राशियों को मोटापा दूर करने के लिए कुछ उपाय करने चाहिए।
शरीर में मोटापा बढ़ाने के लिए मुख्य रूप से बृहस्पति जिम्मेदार होता है। इसके अलावा चन्द्रमा व्यक्ति को गोल मटोल कर देता है जिनकी कुण्डलियों में बृहस्पति शरीर को प्रभावित करता है, वहाँ मोटापा बढ़ जाता है। जल तत्व की प्रधानता होने पर भी व्यक्ति मोटा और गोल मटोल हो जाता है, इसीलिए जल तत्व प्रधान राशियों के लोग मोटे हो जाते हैं।
कौन से ग्रह व्यक्ति को दुबला पतला बनाते हैं?
शनि मुख्य रूप से व्यक्ति को दुबला पतला बनाता है
इसके अलावा मंगल और सूर्य भी मोटा नहीं होने देते
परन्तु शनि प्रधान व्यक्ति आम तौर पर दुबला बना रहता है
जबकि मंगल और सूर्य वाले कभी कभी मोटे हो जाते हैं
शुक्र या बुध की प्रधानता होने पर व्यक्ति का व्यक्तित्व शानदार हो जाता है
ऐसे लोग स्मार्ट होते हैं न ज्यादा मोटे न ज्यादा पतले
किन किन राशियों पर मोटापे का क्या असर पड़ता है?
अग्नि राशियां यानि मेष सिंह और धनु के लोग आम तौर पर मोटे नहीं होते
इनका मोटापा अगर बढ़ता भी है तो मध्य आयु के बाद
पृथ्वी राशियां यानि वृष कन्या और मकर में या तो शुरू से ही मोटापा होता है या कभी नहीं होता
इनके लिए मोटापा अक्सर अन्य बीमारियों का कारण बनता है
वायु तत्व की राशियों के लोग, यानि मिथुन तुला और कुम्भ मोटे नहीं होते
परन्तु भोजन का शौक अक्सर इनका पेट अलग से निकाल देता है
जल तत्व की राशियों. यानि कर्क वृश्चिक और मीन.में मोटापे की प्रवृत्ति होती है
जरा सी लापरवाही से तुरंत मोटापा बढ़ने लगता है
मोटापे से बचने के क्या उपाय करें?
नियमित रूप से सूर्य को रोली मिलाकर जल अर्पित करें
पद्मासन में बैठने का अभ्यास करें
अगर मोटापा तेजी से बढ़ रहा हो तो पीला पुखराज न धारण करें
पेट पर नाभि के ऊपर एक लाल धागा बाधें
सूर्यास्त के बाद भारी खाना न खाएं
प्रातः काल पपीते का सेवन जरूर करें
काली बिल्ली रास्ता काटे तो माना जाता है अशुभ ?
25 Jan, 2024 06:15 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
प्राचीन काल से ही ऐसी मान्यता प्रचलित है कि अगर बिल्ली आपका रास्ता काट दे तो आपको कुछ देर रूक जाना चाहिए या उस रास्ते से नहीं गुजरना चाहिए, खासकर यदि काली बिल्ली आपका रास्ता काटे तो इसे बहुत अशुभ माना जाता है।
हमारे परिजन भी हमेशा हमें बिल्ली द्वारा रास्ता काटने पर आगे न जाने की सलाह देते हैं। बिल्ली के रास्ता काटने को अशुभ का संकेत माना जाता है। यह मान्यता है कि बिल्ली अन्य जीवों की अपेक्षा अधिक संवेदनशील प्राणी है जो कि भविष्य में होने वाली घटनाओं को काफी सटीक और पहले ही भांप लेती है। उसके द्वारा रास्ता काटना एक चेतावनी माना जाता है जिसे समझकर हम दुर्घटनाओं से बच सकते हैं।
वैज्ञानिक आधार
अनेक लोग इसे अंधविश्वास मानते हैं। हालांकि वैज्ञानिक तथ्य भी यह कहते हैं कि अनेक जीवों में प्रकृति की घटनाओं के घटित होने से पूर्व समझने की शक्ति होती है। यह भी देखा गया है कि बड़ी-बड़ी घटनाओं के पहले अनेक जानवरों के व्यवहार में अचानक परिवर्तन आ जाता है। जब जापान में सुनामी आई थी तब उसके ठीक पहले तटीय क्षेत्रों के पालतू जीवों के व्यवहार में स्पष्ट परिवर्तन देखने को मिला था। बिल्कुल उसी तरह बिल्ली के व्यवहार को भी कुछ लोग सही मानते हैं और बिल्ली के रास्ता काटने के बाद कुछ देर रूक कर आगे बढ़ने को कहते हैं, जिससे भावी दुर्घटनाओं की आशंका टाली जा सके।
सावधानी ही सुरक्षा
वर्तमान युग में इस बात पर यकीन करना मुश्किल है लेकिन न केवल भारत में बल्कि प्राचीन यूनान, मिस्र आदि अनेक देशों में भी बिल्ली के रास्ता काटने को अशुभ माना जाता है। यूरोप और अमेरिका में भी बिल्ली के रास्ता काटने को अशुभ मानते हैं जबकि जापान में बिलकुल इसके उलट है। जापान में बिल्ली के रास्ता काटने को अच्छा समझा जाता है। वहीं ऐसे लोगों की भी कमी नहीं जो बिल्ली के रास्ता काटने को केवल एक अंधविश्वास मात्र समझते हैं। इसलिए इस तरह की बातों को मानना या नहीं मानना पूरी तरह व्यक्ति विशेष पर निर्भर करता है।
मंगलसूत्र धारण करने के नियम और इसका महत्व
25 Jan, 2024 06:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
सनातन धर्म में विवाह में मंगलसूत्र का सबसे अहम स्थान है। इसके साथ ही वैवाहिक जीवन का प्रतीक माने जाने वाले मंगलसूत्र को धारण करने के नियम और सावधानियां भी बतायी गयी हैं।
मंगलसूत्र एक काले मोतियों की माला होती है, जिसे महिलाएं अपने गले में धारण करती हैं। इसके अंदर बहुत सारी चीज़ें जुड़ी होती हैं और हर चीज़ का सम्बन्ध शुभता से होता है। माना जाता है कि मंगलसूत्र धारण करने से पति की रक्षा होती है और पति के जीवन के सारे संकट कट जाते हैं जबकि यह महिलाओं के लिए भी रक्षा कवच और सम्पन्नता का काम करता है।
मंगलसूत्र के अंदर क्या-क्या चीज़ें होती हैं?
मंगलसूत्र में पीला धागा होता है
इसी पीले धागे में काली मोतियाँ पिरोई जाती हैं
साथ में एक सोने या पीतल का लॉकेट भी लगा हुआ होता है
यह लॉकेट गोल या चौकोर , दोनों हो सकता है
मंगलसूत्र में सोना या पीतल भले ही न लगा हो पर पीले धागे में काली मोतियाँ जरूर होनी चाहिए
मंगलसूत्र में लगी हुयी चीज़ें कैसे ग्रहों को नियंत्रित करती हैं ?
मंगलसूत्र का पीला धागा और सोना या पीतल बृहस्पति का प्रतीक है
जिससे महिलाओं का बृहस्पति मजबूत होता है
काले मोतियों से महिलाएं और उनका सौभाग्य बुरी नज़र से बचे रहते हैं
यह भी मानते हैं कि मंगलसूत्र का पीला हिस्सा माँ पार्वती है और काले हिस्सा भगवान शिव
शिव जी की कृपा से महिला और उसके पति की रक्षा होती है
तथा माँ पार्वती की कृपा से वैवाहिक जीवन सुखमय बना रहता है
मंगलसूत्र धारण करने के नियम और सावधानियां क्या हैं ?
मंगलसूत्र या तो स्वयं खरीदें या अपने पति से लें
किसी अन्य से मंगलसूत्र लेना उत्तम नहीं होता
मंगलसूत्र मंगलवार को न खरीदें
धारण करने के पूर्व इसे माँ पार्वती को अर्पित करें
जब तक बहुत ज्यादा जरूरी न हो मंगलसूत्र को न उतारें
मंगलसूत्र में लगा हुआ सोना अगर चौकोर हो तो बहुत उत्तम होगा
राशिफल: जानिए, कैसा रहेगा आपका आज का दिन (25 जनवरी 2024)
25 Jan, 2024 12:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
मेष राशि :- धन का व्यय संभव है, तनाव पूर्ण वार्ता से बचिएगा, कार्य का ध्यान अवश्य रखें।
वृष राशि :- अधिकारियों के समर्थन से सफलता, कार्य कुशलता से संतोष होवे, बिगड़े कार्य बनेंगे।मिथुन राशि :- चिन्ताएं कम हो, सफलता के साधन जुटाए तथा शुभ समाचार अवश्य मिलेंगे।
कर्क राशि :- बड़े-बड़े लोगों से मेल मिलाप होवे तथा सुख समृद्धि के साधन अवश्य बनेंगे।
सिंह राशि :- स्त्रीवर्ग से हर्ष उल्लास होवे, भोग कार्य की प्राप्ति होगी, कार्य गति उत्तम बनें।
कन्या राशि :- प्रतिष्ठा बाल बाल बचें, संघर्ष से अधिकार प्राप्त करें, भाग्य का साथ दें।
तुला राशि :- कुटुम्ब और धन की चिन्ता बनी रहे, परिश्रम से सोचे कार्य अवश्य ही बनेंगे, ध्यान दें।
वृश्चिक राशि :- प्रत्येक कार्य में बाधाएं, क्लेश युक्त रखे, स्थिति साम्थर्य के योग अवश्य बनें।
धनु राशि :- भावनाएं विक्षुब्ध रखे, दैनिक कार्यगति मंद रहे, परिश्रम से कार्य अवश्य बनेंगे।
मकर राशि :- तनाव क्लेश व अशांति, धन का व्यय, मानसिक खिन्नता, अवश्य बनेगी।
कुंभ राशि :- कार्य कुशलता से संतोष, व्यवसायिक समृद्धि के साधन।
मीन राशि :- कुटुम्ब के कार्यों में समय बीतें तथा हर्षप्रद समाचार प्राप्त हो।
श्रीराम का अनोखा मंदिर, यहां प्रतिमाओं पर दिखेगी मूंछ, पहली बार आए भक्त हो जाते हैं हैरान
24 Jan, 2024 06:45 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
भगवान राम और माता सीता के साथ लक्ष्मण और हनुमान जी की आकर्षक प्रतिमाएं अधिकांश मंदिरों में विराजित हैं. भक्त पूरे भक्ति भाव से पूजा करते हैं. लेकिन मां अहिल्या की नगरी कहलाने वाले इंदौर में भगवान राम का एक अनूठा मंदिर हैं. यहां रामजी और लक्ष्मणजी की मूंछे हैं. लाल पत्थरों से बने इस मंदिर को लोग ‘मूंछों वाले राम मंदिर’ के नाम से भी जानते हैं. इस मंदिर में पहली बार आने वाले भक्त कहते हैं कि ऐसी प्रतिमाएं पहली बार देखीं.
यह अनूठा मंदिर जूनी इंदौर इलाके में है. मंदिर करीब 200 साल पुराना बताया जाता है. इसकी स्थापना क्षत्रिय मेवाड़ा कुमावत पंच ने की थी. पूरा मंदिर लाल पत्थर से बनाया गया है, इसलिए इसे लाल मंदिर भी कहा जाता है. यहां भगवान राम और लक्ष्मण की मूंछों वाली प्रतिमाएं हैं. श्रीराम दरबार के साथ ही इस मंदिर में राधा-कृष्ण और गणेशजी की भी मूर्तियां हैं. मंदिर में रामायण और महाभारत से जुड़े प्रसंगों की भी आकर्षक तस्वीरें लगाई गई हैं.
1888 में हुआ था मंदिर निर्माण
इस मंदिर को क्षत्रिय मेवाड़ा पंच ने राजस्थान की शैली में बनवाया था. मंदिर का निर्माण करीब 180 साल पहले यानी साल 1888 में हुआ था. यहां भगवान राम लक्ष्मण और मां सीता विराजित हैं, लेकिन जो मूर्ति राम-लक्ष्मण की है, उनमें मूंछों वाला रूप देखने को मिलता है. ऐसा माना जाता है कि इस तरह का दुर्लभ मंदिर मध्य प्रदेश में तो संभवत: इसके अलावा कहीं और नहीं है.
इसलिए बनाए मूछों वाले राम-लक्ष्मण
मंदिर के पुजारी सचिन तिवारी का कहना है कि मनुष्य अवतार में सहज रूप से दर्शन हो सकते हैं और भक्तों के लिए सहज रूप से जो उपलब्ध हो सकता है वह मनुष्य का होता है. तो मानव रूप में भगवान राम ने अवतार लिया और मानव के कल्याण के लिए सहज दर्शन हो सके और भक्ति हो सके, इसी भावना से इस मंदिर को मूंछ वाले राम के रूप में बनाया गया है.
इस दिन होते हैं विशेष आयोजन
मंदिर में रामनवमी, हनुमान जयंती और जन्माष्टमी पर विशेष आयोजन होते हैं. रामनवमी और जन्माष्टमी पर निसंतान महिलाओं की गोद भराई की रस्म भी होती है. 22 जनवरी को अयोध्या में रामलला की प्राण-प्रतिष्ठा के उपलक्ष्य में मंदिर में उत्सव मनाया गया. भगवान को पारंपरिक वस्त्र पहनाए गए. पंजीरी, खीर सहित अन्य भोग लगे.
विंध्याचल के इस देवी मंदिर में दर्शन करने से पूरी होती है संतान की कामना! कई राज्यों से यहां आते हैं श्रद्धालु
24 Jan, 2024 06:30 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
भारत में मिर्जापुर विंध्य नगरी के तौर पर अपनी पहचान रखता है. यहां कण-कण में देवी मां का वास माना जाता है. मिर्जापुर में दुर्गम पहाड़ों में मौजूद प्राचीन देवालयों का अहम स्थान है. इन्हीं प्राचीन धार्मिक धरोहरों में एक सुप्रसिद्ध नाम अष्टभुजा पहाड़ी पर मौजूद षष्ठी माता का मंदिर है, जो निसंतान दंपतियों को संतान का सुख देने के लिए जाना जाता है. तो चलिए हम भी जानते हैं माता के इस मंदिर और उससे जुड़ी मान्यताओं के बारे में विस्तार से.
दरअसल, संतान सुख की कामना हर किसी के मन में होती है. इसके बगैर दांपत्य जीवन सफल नहीं माना जाता है. उत्तर प्रदेश के मिर्जापुर में विंध्याचल के पावन धरती स्थित षष्ठी माता का मंदिर आस्था का बड़ा केंद्र है. ऐसी मान्यता है कि यहां पर पूजा करने से निसंतान दंपति की संतान पाने की मुराद पूरी हो जाती है. भक्त माता की पूजा अर्चना कर अपने मन की मुराद मांगते हैं .
भर जाती है सुनी गोद
अध्यात्मिक धर्मगुरु त्रियोगी नारायण उर्फ मिठ्ठू मिश्र ने बताया कि विंध्य क्षेत्र के पावन धरा पर स्थित मां षष्ठी के कृपा से अनगिनत लोगों के जीवन में चमत्कारिक परिवर्तन हुआ है. उन्होंने बताया कि यह मां का धाम विंध्य त्रिकोण के अंतर्गत आता है. विंध्याचल में शायद ही ऐसा परिवार हो जो मां के चमत्कारिक शक्ति से अनजान हो . मां षष्ठी के कृपा से 10 से 15 सालों तक रहने वाली सुनी गोद भी भर जाती है, इसके काफी संख्या में लोग गवाह हैं. यही वजह है कि पुत्र/पुत्री के प्राप्ति के लिए यहां काफी संख्या में लोग दर्शन पूजन करने जाते हैं.
शादी के 13 साल बाद हुआ पुत्र
विंध्याचल के रहने वाले दीपक मिश्रा ने बताया कि मां की अद्भुत कृपा है. उनको लगभग 7 सालों से संतान की प्राप्ति नहीं हो रही थी. वो डॉक्टरों के संपर्क में थे, दवा करवा रहे थे. कुछ रिस्पॉन्स नजर नहीं आ रहा था. षष्ठी मां के दरबार में गए, मन्नत मांगी. जिसके बाद उनको पुत्री रत्न की प्राप्ति हुई. वो आगे बताते हैं कि उनकी बहन को भी संतान प्राप्ति को लेकर 13 साल से ज्यादा समय से बाधा थी. लेकिन अष्टभुजा पहाड़ी पर स्थित मां के दरबार में जाने के बाद बहन को साल भर के अंदर ही पुत्र की प्राप्ति हुई.
गरुण पुराण की इन बातों में छिपा है... अगले जन्म का राज, जानें कैसा पाप करने पर क्या बनेंगे आप?
24 Jan, 2024 06:15 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
गीता में कहा गया है कि आत्मा अजर-अमर है, जिस प्रकार व्यक्ति अपने कपड़ों को बदलता है, वैसे ही आत्मा भी शरीर को बदलती है. गरुड़ पुराण में मनुष्य के जीवन से मृत्यु तक के कर्म का लेखा-जोखा बताया गया है. इसी आधार पर मनुष्य के पाप एवं पुण्य निर्धारित होते हैं.
ज्योतिषाचार्य पं. पंकज पाठक ने बताया कि मान्यता है कि व्यक्ति को अपनी मृत्यु के बाद कर्मों के आधार पर स्वर्ग एवं नरक की प्राप्ति होती है. पुराण में यह भी बताया गया कि कर्मों के आधार पर अगले जन्म में व्यक्ति क्या बनेगा. जानिए इस विशेष में गुरुण पुराण क्या कहता है.
– जो व्यक्ति अपने गुरु का अपमान करते हैं तो उसे भगवान का अपमान माना गया है. ऐसा करने वाले व्यक्ति के लिए नरक के द्वार खोलने जैसा है. गरुड़ पुराण में बताया गया है कि गुरु से कुतर्क करने वाले शिष्य अगले जन्म में जल रहित वन में ब्रह्मराक्षस बनता है. वहीं जो व्यक्ति महिलाओं का शोषण करते हैं या कराते हैं, ऐसे व्यक्ति अगले जन्म में भयानक रोगों से पीड़ित होते हैं. साथ ही अप्राकृतिक रूप से संबंध बनाने वाला व्यक्ति अगले जन्म में नपुंसक तथा गुरु पत्नी के साथ दुराचार करने वाला कुष्ठ रोगी होता है.
– जो व्यक्ति माता-पिता या भाई-बहन को प्रताड़ित करता है, ऐसे व्यक्ति को अगला जन्म तो मिलता है, लेकिन उस व्यक्ति के धरती पर आने से पहले ही उसकी मृत्यु गर्भ में हो जाती है. पुराण के अनुसार, जो व्यक्ति हिंसा करके अपने परिवार का पालन-पोषण करते हैं, जैसे लूटपाट, जानवरों को सताना या शिकार खेलने वाले व्यक्ति अगले जन्म में किसी कसाई के हत्थे चढ़ने वाला बकरा बनते हैं.
– यदि कोई व्यक्ति महिलाओं वाला आचरण करता है एवं अपने स्वभाव में महिलाओं वाली आदतें ले आता है, तब ऐसे व्यक्ति को अगले जन्म में स्त्री का रूप मिलता है. साथ ही गरुड़ पुराण में बताया गया है कि जो व्यक्ति छल, कपट एवं धोखा देते हैं वो अगले जन्म में उल्लू बनते हैं. साथ ही व्यक्ति झूठी गवाही देता है वह अगले जन्म में अंधा पैदा होता है.
– जो व्यक्ति स्त्री की हत्या करता है, गर्भपात करने या कराने वाला भिल्ल रोगी, गाय की हत्या करने वाला मूर्ख एवं कुबड़ा, ये दोनों नरक की यातनाएं भोगने के बाद अगले जन्म में चांडाल योनी में ही पैदा होते हैं. साथ ही अगर कोई मृत्यु के समय भगवान का नाम लेता है तो वो मुक्ति के मार्ग पर अग्रसर हो जाता है. इसलिए शास्त्रों में कहा गया है कि मरते समय राम का नाम लेना चाहिए. व्यक्ति को भगवान नाम का ही सहारा लेना चाहिए, इससे जिंदगी में किए गए पाप कट जाते हैं.
कब है सोमवती अमावस्या? जान लें स्नान-दान का मुहूर्त, इंद्र योग, पूजा विधि और महत्व
24 Jan, 2024 06:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
साल 2024 की सबसे महत्वपूर्ण अमावस्या मौनी अमावस्या है, जो 9 फरवरी दिन शुक्रवार को मनाई जाएगी. मौनी अमावस्या के बाद सबसे महत्वपूर्ण सोमवती अमावस्या मानी गई है. सोमवती अमावस्या के अवसर पर ब्रह्म मुहूर्त में पवित्र नदियों में स्नान किया जाता है. उसके बाद अपनी क्षमता के अनुसार दान करने का विधान है. सोमवती अमावस्या पर व्रत रखकर माता पार्वती और देवों के देव महादेव की पूजा की जाती है. उनकी कृपा से दांपत्य जीवन सुखमय होता है. तिरुपति के ज्योतिषाचार्य डाॅ. कृष्ण कुमार भार्गव से जानते हैं कि सोमवती अमावस्या कब है? सोमवती अमावस्या के दिन स्नान और दान कब करें? सोमवती अमावस्या की पूजा विधि क्या है?
किस दिन है सोमवती अमावस्या 2024?
वैदिक पंचांग के अनुसार, चैत्र अमावस्या को सोमवती अमावस्या है. इस साल चैत्र माह के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि 08 अप्रैल को प्रातः 08 बजकर 21 मिनट पर शुरू होगी. यह तिथि उस रात 11 बजकर 50 मिनट तक मान्य होगी. ऐसे में सोमवती अमावस्या 8 अप्रैल दिन सोमवार को है, उस दिन चैत्र अमावस्या भी होगी.
कब होती है सोमवती अमावस्या?
हिंदू कैलेंडर के अनुसार, जो भी अमावस्या सोमवार के दिन पड़ती है, उसे सोमवती अमावस्या कहते हैं. वैसे ही मंगलवार के दिन पड़ने वाली अमावस्या भौमवती अमावस्या और शनिवार के दिन होने वाली अमावस्या शनि अमावस्या या शनैश्चरी अमावस्या कहलाती है.
सोमवती अमावस्या का स्नान-दान मुहूर्त
8 अप्रैल को सोमवती अमावस्या का स्नान और दान ब्रह्म मुहूर्त में 04:32 एएम से लेकर 05:18 एएम से शुरू होगी. इस समय से पवित्र नदियों में आस्था की डुबकी लगाई जाएगी. प्रातःकाल से ही इंद्र योग और उत्तर भाद्रपद नक्षत्र है.
सोमवती अमावस्या पूजा विधि
सोमवती अमावस्या को स्नान और दान करने के बाद व्रत और पूजा संकल्प लें. उसके बाद भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करें. भगवान शिव को अक्षत्, बेलपत्र, भांग, मदार, धूप, दीप, शहद, नैवेद्य आदि अर्पित करें. माता पार्वती को अक्षत्, सिंदूर, फूल, फल, धूप, दीप, श्रृंगार सामग्री आदि अर्पित करें. इसके बाद शिव चालीसा और पार्वती चालीसा का पाठ करें. फिर दोनों की आरती करें.
सोमवती अमावस्या का महत्व
सोमवती अमावस्या के दिन व्रत रखकर शिव और पार्वती की पूजा करने से सभी संकट दूर होते हैं, पाप से मुक्ति मिलती है. वैवाहिक जीवन की समस्याएं दूर होती हैं. सोमवती अमावस्या पर स्नान और दान करने से पितर खुश होते हैं. तर्पण करने से पितरों का आशीर्वाद प्राप्त होता है.
राशिफल: जानिए, कैसा रहेगा आपका आज का दिन (24 जनवरी 2024)
24 Jan, 2024 12:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
मेष राशि :- समय विफल हो, कार्यगति में बाधा, चिन्ता व्यर्थ भ्रमण कार्य अवरोध होगा।
वृष राशि :- इष्ट मित्रों से सुख, अधिकारियों से मेल मिलाप होगा, कार्य अवश्य बनेंगे।
मिथुन राशि :- भाग्य का सितारा प्रबल हो, अधिकारियों के सर्मथन से सफलता अवश्य मिलें।
कर्क राशि :- भाग्य का सितारा प्रबल हो, बिगड़े कार्य अवश्य ही बनेंगे, ध्यान अवश्य ही दें।
सिंह राशि :- इष्ट मित्र सुखवर्धक हो, कुटुम्ब की समस्याएं सुलझे, स्त्री वर्ग से हर्ष होगा।
कन्या राशि :- भावनाएं संवेदन शील रहे, कुटुम्ब में सुख व शान्ति के साधन बनेंगे।
तुला राशि :- समय अनुकूल नहीं, स्वास्थ्य नरम रहे, किसी धारणा का अंदेशा अवश्य होगा।
वृश्चिक राशि :- शरीर, स्त्रीकष्ट, मानसिक उद्विघ्नता, स्वभाव में असमर्थता अवश्य होगी।
धनु राशि :- आशानुकूल सफलता स्थिति में सुधार, व्यवसाय गति उत्तम बनेगी।
मकर राशि :- व्यर्थ धन का व्यय, मानसिक उद्विघ्नता हानि प्रद होगी, ध्यान अवश्य दें।
कुंभ राशि :- इष्ट मित्रों से सहयोग कार्य बनेंगे तथा कार्यगति अनुकूल।
मीन राशि :- भाग्य का सितारा प्रबल हो, बिगड़े कार्य अवश्य ही बनेंगे।
झारखंड में यहां दिल्ली की तर्ज पर होगा रामलीला मंचन, देशभर के 80 से अधिक कलाकार लेंगे भाग
22 Jan, 2024 06:45 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
22 जनवरी को राम मंदिर अयोध्या का प्राण प्रतिष्ठा होने वाला है. जिस कारण देशभर में उत्साह का माहौल है. प्राण प्रतिष्ठा को लेकर देश भर में भिन्न-भिन्न जगह पर कार्यक्रम का आयोजन किया जा रहा हैं. ऐसा ही हजारीबाग के बड़ा अखाड़ा परिसर में रामलीला का मंचन किया जा रहा है. यह कार्यक्रम 21 जनवरी को होगा जिसमें देश भर से आए 80 से अधिक कलाकार भाग लेंगे. इस कार्यक्रम का आयोजन श्री रामलीला कृष्ण लीला महासमिति के द्वारा किया जा रहा है.
इस संबंध में महासमिति के कार्यक्रम संयोजक सुबोध आकाश ने कहा कि श्री राम के आगमन के दिन को विशेष बनाने के लिए हजारीबाग में समिति के द्वारा दो दिवसीय रामउत्सव कार्यक्रम किए जा रहा है. जिसमें दिनांक 21 जनवरी को सभी आयु वर्गो के लिए सुबह 11 बजे से पेंटिंग,फैंसी ड्रेस और, रामायण क्विज प्रतियोगिता का आयोजन, शाम 4 बजे से संगीत सह भक्ति समूह नृत्य एवं शाम 5 बजे से दिल्ली रामलीला मैदान के तर्ज पर 80 कलाकारो से सुसज्जित भव्य रामलीला का प्रदर्शन किया जाएगा.
सुबह 8 बजे से हनुमान चालीसा का पाठ
उन्होंने आगे बताया कि इस रामलीला के लिए कलाकारों के द्वारा पिछले 15 दिनों से अभ्यास किया जा रहा है. राम उत्सव के दूसरे दिन दिनांक 22 जनवरी को सुबह 8 बजे से हनुमान चालीसा का पाठ , सुबह 9 बजे से राम दरबार पूजा अर्चना ,सुबह 11 से 1 बजे तक अयोध्या रामलल्ला प्राण प्रतिष्ठा लाइव प्रसारण एवं दोपहर 2 बजे से शोभा यात्रा श्री राम जनकी रथ का प्रस्थान नगर भ्रमण के बाद बड़ा अखाड़ा में वापसी एवं प्रसाद वितरण होगा.महासिमिति के मीडिया प्रभारी प्रदीप पाठक बताते है कि इसके लिए बडा अखाड़ा के परिसर को दुल्हन के तरह सजाया जा रहा है. लाइट और साउंड के मदद से रामलीला का मंचन अदभुत होगा जिसे देख यहां के लोग प्रपुल्लित हो उठेंगे. रामलीला के अभी से ही मंच तैयार किया जा रहा है.
घी के 1751 दीपों की रोशनी से जगमगाए "श्रीराम", महिलाओं ने गए मंगल गीत
22 Jan, 2024 06:30 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
अयोध्या धाम में होने वाले राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा को लेकर देश भर में उत्साह है. लोग अपने परमात्मा को याद करते हुए भगवान श्री राम के जयकारों को लगा रहे हैं. भारत पाकिस्तान सीमा पर बसे बाड़मेर में 1751 घी के दीपकों से जयश्री राम लिखा गया है.
बाड़मेर जिला मुख्यालय पर ऑफिसर्स कॉलोनी स्थित मनोकामना पूर्ण महादेव मंदिर में राम लला का स्वागत शनिवार शाम 1751 दीपों की जगमगाहट से किया गया है. मनोकामना पूर्ण महादेव मंदिर सेवा समिति के अध्यक्ष और पुजारी गजेंद्र रामावत ने बताया कि अयोध्या धाम में राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा हेतु सभी सनातनियों में हर्ष और उत्साह का माहौल है. संपूर्ण भारतवर्ष में कई कार्यक्रमों का आयोजन हो रहा है.
1751 दीपों से लिखा राम नाम
पश्चिम सरहद पर बसे बाड़मेर में 20 से 22 जनवरी तक स्थानीय मंदिर में भी कार्यक्रमो की धूम चल रही है. श्रीगणेश मंदिर प्रांगण में जय श्री राम नाम को 1751 दीपों से सजाया गया है. सायं कालीन आरती के बाद इसको प्रज्ज्वलित कर रामलला का स्वागत किया गया है. इसके बाद 22 जनवरी को प्राण प्रतिष्ठा के दोपहर 12 बजे से मारुति नंदन सुंदरकांड परिवार द्वारा भव्य सुंदरकांड पाठ का आयोजन किया जाएगा. साथ ही रामलला की मूर्ति प्राण प्रतिष्ठा का सीधा प्रसारण मनोकामना पूर्ण महादेव मंदिर में किया जाएगा.