धर्म एवं ज्योतिष
सूर्य देव उपासना से पूरे होंगे सभी काम
1 Feb, 2024 06:45 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
रविवार के दिन सूर्य देव की आराधाना से मान सम्मान मिलता है। इस दिन व्रत रखने से सूर्यदेव शीघ्र प्रसन्न होते हैं। अगर आपके मन में कई सारी इच्छाएं और मनोकामनाएं हैं, तो आप उनको पूरा करने रविवार का व्रत करें। सूर्य देव की कृपा के लिए रविवार का व्रत सबसे श्रेष्ठ माना जाता है, क्योंकि ये व्रत सुख और शांति देता है। पौराणिक धार्मिक ग्रंथों में भगवान सूर्य के अर्घ्यदान का विशेष महत्व बताया गया है। रविवार का दिन सूर्य उपासना के लिए सर्वोत्तम है। ऐसा माना जाता है कि रविवार के दिन सूर्य की पूजा विशेष फलदाय़ी होती है1 इससे मान-सम्मान और तेज की प्राप्ति होती है।
सूर्य देव को प्रसन्न करने के उपाय।
तांबे के लोटे में जल लें
उसमें लाल फूल, चावल डालें
प्रसन्न मन से सूर्य मंत्र का जाप करते रहें
भगवान सूर्य को अर्घ्य दें
अर्घ्यदान से भगवान सूर्य प्रसन्न होंगे
सूर्य पूजा के नियम-
रोजाना सूर्योदय से पहले शुद्ध होकर स्नान कर लें
इसके बाद सूर्यनारायण को तीन बार अर्घ्य देकर प्रणाम करें
संध्या के समय फिर से सूर्य को अर्घ्य देकर प्रणाम करें
सूर्य देव की कृपा से मिलेगी हृदय रोग से मुक्ति-
जल में लाल फूल डालकर सूर्यदेव को अर्पित करें
सूर्य देव को गुड़ का भोग लगाएं, लाल चन्दन की माला अर्पित करें
ॐ आदित्याय नमः का जाप करें
पूजा के उपरान्त माला को गले में धारण करें
शत्रुओं पर विजय दिलाएंगे सूर्य देव-
रविवार के दिन उपवास रखें, नमक न खाएं
स्नान करके सूर्य देव को जल अर्पित करें.
सूर्य की रौशनी में बैठकर आदित्य ह्रदय स्तोत्र का पाठ करें
- विजय प्राप्ति की प्रार्थना करें
सूर्य देव देंगे मान-सम्मान
जल में रोली, चन्दन और फूल मिलाएं
इसे सूर्य देव को अर्पित करें
ताम्बे का एक चौकोर टुकड़ा भगवान सूर्य को अर्पित करें
ॐ भास्कराय नमः का जाप करें
इसके बाद तांबे का चौकोर टुकड़ा अपने पास रख लें
रविवार के दिन करें ये महा उपाय-
भगवान सूर्य को गुड़हल या आक के फूल अर्पित करें
गेंहू, गुड़ और ताम्बे के बरतनों का दान करें
उपवास रखें या सात्विक आहार ग्रहण करें
रविवार को माणिक्य पहनें, विशेष लाभ होगा
भक्तों पर कृपा-दृष्टि भी रखते हैं शनिदेव
1 Feb, 2024 06:15 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
आम तौर पर लोग शनि देव के प्रकोप से भयभीत रहते हैं। लोगों के मन में भय रहता है कि जाने,अनजाने कहीं शनि भगवान नाराज न हो जाए। शनिदेव का नाराज होना वाकई कष्टदायी हो सकता है। शनिदेव प्रसन्न हो जाएं तो रंक को राजा वहीं क्रोधित हो जाएं तो राजा को रंक बनने में देर नहीं लगती है। इसलिए लोग शनिदेव को प्रसन्न करने में कोई कसर नहीं छोड़ते हैं हालांकि ऐसा नहीं है कि शनिदेव सिर्फ भयभीत करते हैं, शनिदेव अपने भक्तों पर पूरी कृपा-दृष्टि भी रखते हैं।
समस्त 9 ग्रहों में सिर्फ शनि ही कर्मों के हिसाब से फल प्रदान करते हैं। इसलिए उन्हें प्रसन्न करने के लिए लोग कई तरह तरह के उपाय अपनाते हैं। शनिदेव की खास बात यही है कि वह कर्म के आधार पर ही फल प्रदान करते हैं। मान्यता है कि जिनके कर्म पवित्र होते हैं, शनिदेव उन्हें सुख-समृद्धि प्रदान करते हैं। साथ ही बुरे कर्म वालों को सबक भी सिखाते हैं। शनिदेव गरीब और असहाय लोगों पर दया दृष्टि रखते हैं। अगर किसी की कुंडली में शनिदोष है तो उस व्यक्ति को शनिवार के दिन कुछ बातों का खास रखना चाहिए।
कर्मों का फल देते हैं शनिदेव
जो लोग हमेशा दूसरों की सहायता करने वाले होते हैं ऐसे लोगों पर शनि की महान कृपा रहती है। ये एक राशि में तीस महीने तक रहते हैं तथा मकर और कुंभ राशि के स्वामी माने जाते हैं। शनि की महादशा 19 वर्ष तक रहती है। शनि प्राणियों को सभी कर्मों का फल प्रदान करते हैं।
इस तरह शनिदेव रखते हैं लेखा-जोखा
शनि में पृथ्वी से 95वें गुना ज्यादागुरुत्वाकर्षण कर्षण शक्ति मानी जाती है। कहा जाता है कि इसी गुरुत्व के चलते हमारे अच्छे और बुरे विचार चुंबकीय शक्ति के माध्यम से शनि तक पहुंचते हैं, कर्मों के अुसार, जिनका परिणाम भी जल्द मिलता है।
सत्कर्मी लोगों को नुकसान नहीं पहुंचाते
यदि कोई मनुष्य किसी के साथ छल, धोखा-धड़ी, अन्याय और अत्याचार नहीं करता है अर्थात दुष्कर्म नहीं करता है तो शनि आपको कभी हानि नहीं पहुंचा सकते हैं। शनि सत्कर्मी पुरुष को कष्ट नहीं पहुंचाते हैं। इसलिए शनिदेव को कर्मों का देवता कहा जाता है, क्योंकि अच्छे कर्म करने पर अच्छा और बुरा करने पर बुरा फल प्रदान करते हैं।
शिव की कृपा से देते हैं शुभ अवसर
मान्यता है कि भगवान शिव से शनिदेव को समस्त जनों को उनके किए गए कर्मों के आधार पर फल देने का वरदान मिला था। जिस वजह से शनि देव समस्त प्राणियों को उनके द्वारा पूर्व एवं वर्तमान काल में किए गए बुरे कर्मों के अनुसार ही जीवन में रोग, चिंता, अपयश, दुख, कष्ट आदि दंड प्रदान कर सत्कर्म करने का अवसर देते हैं।
सादा दूध या दही नहीं पीना चाहिए
शनिवार के दिन कुछ खास उपाय अपनाकर शनिदेव को प्रसन्न किया जा सकता है। इस दिन दूध या दही का कभी सादा नहीं खाना चाहिए। इसमें हल्दी या गुड़ मिलाकर पीना लाभकारी होता है।
खट्टा नहीं खाना चाहिए
शनिवार के दिन आम का अचार खाने से परहेज करना चाहिए। दरअसल कच्चा आम स्वाद में खट्टा और कसैला होता है और शनि कसैली खाद्य पदार्थों के शत्रु माने गए हैं।
शनिवार के दिन लाल मिर्च का प्रयोग नहीं करना चाहिए। ऐसा करने से शनिदेव नाराज हो जाते हैं हालांकि काली मिर्च का प्रयोग जरूर करना चाहिए। शनिवार से भोजन में काली मिर्च व काले नमक का अवश्य प्रयोग शुरू करना लाभदायी होता है।
चना, उड़द और मूंग का करें प्रयोग
शनिवार के दिन चना, उड़द और मूंग की दाल तो खाई जा सकती है, लेकिन मसूर की दाल खाने से बचना चाहिए। यह मंगल से प्रभावित होने के चलते शनि की क्रूर दृष्टि को बढ़ाती है। जिससे हानि होने की संभावना रहती है।
मदिरापान से होता है यह नुकसान
शनिवार के दिन मदिरा का सेवन करने से कुंडली में शुभ शनि होने के बावजूद भी शनि का शुभ फल नहीं मिलता है। साथ ही दुर्घटना की आशंका भी बढ़ जाती है।
करें ये विशेष उपाय
शनिवार से काले घोड़े के पैर की मिट्टी काले कपड़े में ताबीज के रूप में गले में बांधकर धारण करें। शनि का विशेष अनुकूल फल प्राप्त होगा।
शनि को इस तरह करते हैं प्रसन्न
प्रत्येक शनिवार को पीपल के पेड़ पर जल चढ़ाने और सरसों के तेल का दीया जलाने से प्रसन्न किया जा सकता हैं। शनिवार को सुंदरकांड या हनुमान चालीसा का पाठ करने के साथ शनि चालीसा का पाठ विशेष फल देने वाला होता है।
इस तरह बरसाते हैं कृपा
शनिदेव के लिए कहा जाता है कि वह पक्षपात से रहित निर्णय देते हैं। यदि वह पाप कर्म की सजा देते हैं तो सत्कर्मी पुरूष को सभी सुविधाएं और वैभव भी प्रदान करते हैं। जो भी सच्ची श्रद्धा से उनकी पूजा अर्चना करते हैं वह पाप के मार्ग जाने से भी बच जाते हैं। यदि कभी आपसे कोई पाप कर्म हुआ हो तो उसके लिए शनि देव से क्षमा याचना मांग लेनी चाहिए।
व्रत के साथ करने चाहिए ये सभी काम
शनिवार को उपवास रखने से, किसी कमजोर वर्ग का शोषण न करने से, पक्षियों को दाना डालने, व्यभिचार से बचने वाले, माता-पिता व बड़ों का सम्मान करने वाले लोगों से शनि सदैव प्रसन्न रहते हैं। ऐसे लोगों के कष्टों को दूर करते हुए मनोकामना पूरी करते हैं।
दान से भी मिलता है लाभ
शनि देव के अशुभ प्रभाव से बचाव के लिए शनिवार के दिन काले तिल, काले जूते, छतरी, कंबल, काले पुष्प, वस्त्र, नीलम, भैंस, सरसों का तेल, लोहा आदि का दान करना चाहिए।
नि:स्वार्थ भाव से करें दान
1 Feb, 2024 06:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
सनातन धर्म में दान का अपना महत्व है। दान देने से जो वास्तविक आनंद प्राप्त होता ही है, मनुष्य के जीवन में उसका महत्व सबसे ज्यादा है। दान भी अलग-अलग तरह का होता है। किसी व्यक्ति को शिक्षित करना, आर्थिक रूप से उसकी मदद करना, भूखे को भोजन कराना, भटके हुए को सही मार्ग दिखाना, जरूरतमंद की मदद करना सभी दान के ही रूप हैं। हां, दान करते समय मन की धारणा अवश्य सच्ची होनी चाहिए। केवल दिखावे के दान से उसका पुण्य नहीं मिलता। दान वह होता है जो नि:स्वार्थ भाव से दिया जाता है।’
दान भी धर्म का ही एक रूप है। दान से बढ़कर और कोई धर्म नहीं है। जो व्यक्ति नि:स्वार्थ भाव और प्रेम से दान करता है वह उत्तम पुरुष है। प्रभु ने हाथ इसलिए बनाए हैं ताकि इनके माध्यम से हम नेक कर्म करें।दान देने से व्यक्ति का धन, मान-सम्मान और ज्ञान बढ़ता ही है। दान से प्राप्त आनंद श्रेष्ठ होता है जो जीवन में सुख देता है।
राशिफल: जानिए, कैसा रहेगा आपका आज का दिन (01 फ़रवरी 2024)
1 Feb, 2024 12:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
मेष राशि :- व्यवसाय मंद रहे एवं कुछ चिन्ताएं संभंव होगी।
वृष राशि :- धन का व्यय एवं चिंता बनी रहे किसी आरोप से बचकर अवश्य ही चलें।
मिथुन राशि :- स्त्री वर्ग से कष्टचिंता, व्यावसायिक कार्यो में आरोप होगा, धन की हानि होगी।
कर्क राशि :- अधिकारियों का समर्थन फलप्रद रहेगा, मान प्रतिष्ठा के योग अवश्य ही बनेंगे।
सिंह राशि :- स्वभाव में क्लेश व अशांति, अधिकारियों के आरोपों से विक्षुब्ध रहेंगे, कार्य बनेंगे।
कन्या राशि : परिश्रम से कार्य सफल होगे, सफलता में आय की योजना पूर्ण अवश्य होगी।
तुला राशि :- भोग एश्वर्य की प्राप्ति कार्यगति उत्तम सफलता के साधन जुटायें, कार्य बनेंगे।
वृश्चिक राशि :- किसी का कार्य बनने से मनोबल ऊंचा होगा, तनाव क्लेश व अशांति हेगी।
धनु राशि :- झूठे आरोप क्लेश असमंजसयुक्त रखे, तनाव तथा शरीर कष्ट हेगा, शत्रु से बचे।
मकर राशि :- दूसरों के कार्यो में व्यर्थ समय नष्ट न करें, तनाव क्लेश क्रोध हेगा, सावधानी रखें।
कुंभ राशि :- धनलाभ बिगड़े हुए कार्य बनेंगे, आशानुकूल सफलता का हर्ष होगा, धन प्राप्त होंगा।
मीन राशि :- कार्यगति सामान्य आर्थिक योजनापूर्ण होगी, संतोष बना रहेगा।
चमत्कारी है हनुमानजी का यह मंदिर, यहां रामायण सुनने आती है वानर सेना, मां नर्मदा भी करती हैं दर्शन!
31 Jan, 2024 06:45 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
संकट मोचन हनुमानजी को कलयुग का राजा माना गया है. ऐसा माना जाता है कि आज भी वह किसी न किसी रूप में भक्तों को खुद के होने का आभास कराते रहते हैं. वैसे तो हनुमानजी के सभी मंदिरों की काफी मान्यताएं हैं, लेकिन मां नर्मदा के किनारे स्थित इस हनुमान मंदिर की कहानी अद्भुत है. यहां विराजित बजरंगबली अपने सिंदूरी रूप में भक्तों पर कृपा बरसा रहे हैं.
मां नर्मदा करने आती हैं दर्शन!
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, हनुमानजी को सिंदूर अति प्रिय है और मंगलवार को सच्चे मन के साथ हनुमानजी को जो भी सिंदूर लगाता है उसकी समस्त मनोकामनाएं जरूर पूर्ण होती हैं. जबलपुर के तिलवारा घाट स्थित संकट मोचन हनुमान मंदिर के पुजारी दामोदर दास के मुताबिक, मां नर्मदा के किनारे स्थित हनुमानजी के मंदिरों की विशेष मान्यताएं होती हैं. बताया कि मां नर्मदा स्वयं यहां पर आकर हनुमान जी के दर्शन करती हैं और उन्होंने इस बात का अनुभव स्वयं किया है. बताया कि कोई सुबह-सुबह इस मंदिर में जरूर आता है और बाहर से दर्शन कर चला जाता है.
ताकि महिलाएं न छुएं प्रतिमा
पुजारी के अनुसार, हनुमानजी एक ब्रह्मचारी हैं और शास्त्रों के अनुसार किसी भी स्त्री को ब्रह्मचारी का स्पर्श नहीं करना चाहिए. इसलिए मंदिर में हनुमानजी की प्रतिमा के इर्द-गिर्द पारदर्शी शेड लगाया गया है, जिससे महिलाएं हनुमानजी की प्रतिमा को न छुएं. साथ ही एक ब्रह्मचारी को स्पर्श करने के पाप से भी दूर रहें. पुजारी जी ने बताया कि हनुमानजी के मंदिरों में जाकर प्रतिमा को छूने की महिलाओं को इजाजत नहीं है, जिसके चलते 24 घंटे उनकी प्रतिमा के इर्द-गिर्द पारदर्शी शेड लगा रहता है.
बंदर आते हैं पाठ सुनने
पुजारी जी ने बताया कि जब-जब मंदिर में हनुमान चालीसा या रामायण का पाठ होता है तब श्रीराम की वानर सेना भी यहां मंदिर में आकर बैठ जाती है. हनुमान चालीसा के पाठ और रामायण के पाठ को सुनती है. उनका कहना है कि बंदर उस समय आते हैं, पाठ सुनते हैं और चले जाते हैं. न किसी भक्त को छेड़ते हैं और न कोई भक्त उन्हें छेड़ता है.
इस दिन से शुरू होगी 10 महाविद्याओं की पूजा, देवी साधना के लिए उज्जैन में ये स्थान विशेष
31 Jan, 2024 06:30 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
हिंदू धर्म में नवरात्रि सबसे पवित्र पर्वों में से है. नवरात्रि के दिनों में माता दुर्गा के नौ रूपों की पूजा आराधना की जाती है. माना जाता है कि साल भर में कुल चार नवरात्रि आती हैं. शारदीय और चैत्र नवरात्रि को छोड़कर दो गुप्त नवरात्रि भी होती हैं. गुप्त नवरात्रि में मां दुर्गा के नौ रूपों की पूजा गुप्त तरीके से की जाती है. इससे भक्त के सभी तरह के कष्ट समाप्त हो जाते हैं और माता दुर्गा की विशेष कृपा बरसती है.
उज्जैन के पंडित भोला शास्त्री ने बताया कि देवी आराधना का पर्व माघी गुप्त नवरात्रि 10 फरवरी से आरंभ होगी. इस बार गुप्त नवरात्रि पूरे नौ दिन की रहेगी. 18 फरवरी को नवरात्रि की पूर्णाहुति होगी. गुप्त नवरात्रि में मां काली और दस महाविद्या की पूजा गुप्त रूप से की जाती है. साधक तंत्र-मंत्र, यंत्र की सिद्धि के लिए गुप्त साधना करेंगे. शक्तिपीठ हरसिद्धि मंदिर में गोपनीय अनुष्ठान होंगे. प्रतिदिन शाम को दीपमाला भी प्रज्वलित की जाएगी.
गुप्त नवरात्रि में मां दुर्गा के इन रूपों की होती है पूजा
पहला दिन मां काली, दूसरा दिन मां तारा, तीसरा दिन मां त्रिपुर सुंदरी, चौथा दिन मां भुवनेश्वरी, पांचवा दिन मां छिन्नमस्तिका, छठा दिन मां त्रिपुर भैरवी, सातवां दिन मां धूमावती, आठवां दिन मां बगलामुखी, नौवां दिन मां मातंगी, दसवें दिन मां कमला.
उज्जैन में ये स्थान देवी साधना के लिए विशेष
देवी की शक्ति साधना सिद्ध स्थान पर करने से साधक को निश्चित सफलता प्राप्त होती है. उज्जैन में शक्तिपीठ हरसिद्धि, सिद्धपीठ गढ़कालिका, चौसठ योगिनी, भूखी माता, नगरकोट, चामुंडा माता, बगलामुखी धाम देवी साधना के प्रमुख स्थान हैं. भक्त इन मंदिरों में काम्य अनुष्ठानों के अलावा देवी कृपा प्राप्त करने के लिए नित्य दर्शन करने भी आते हैं.
उज्जैन की भूमि पर शीघ्र फलित होती है साधना
पृथ्वी के नाभि केंद्र पर स्थित उज्जैन में दक्षिणेश्वर महाकाल, शक्तिपीठ हरसिद्धि तथा भैरव पर्वत पर काल भैरव विराजित हैं. साधना की सिद्धि के लिए इन तीनों की साक्षी शीघ्र फल प्रदान करती है. गुप्त नवरात्रि में दूरदराज से साधक महाकाल वन में साधना करने आते हैं.
हर दुख से पाना चाहते हैं छुटकारा, इस तरह करें नवग्रह शांति का एक उपाय, जीवन में जल्द दिखेंगे बदलाव
31 Jan, 2024 06:15 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
सनातन धर्म में पूजा पाठ के दौरान नवग्रह की पूजा का विशेष महत्व होता है. ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, नवग्रह की पूजा के विशेष लाभ बताए गए हैं. ऐसी मान्यता है कि नवग्रह की पूजा से हर दुखों से छुटकारा मिलता है. मंगलवार के दिन मंगल ग्रह की पूजा की जाती है. मंगलवार को हनुमान जी का दिन माना जाता है. भोपाल निवासी ज्योतिषी एवं वास्तु सलाहकार पंडित हितेंद्र कुमार शर्मा के अनुसार अगर आप मंगलवार के दिन सुबह के समय स्नानादि से निवृत्त होकर नवग्रह की पूजा करते हैं तो आपको बहुत फायदा हो सकता है. इसके लिए आपको नवग्रह चालीसा पढ़ना होगा. नवग्रह को शांत और प्रबल करने के लिए उनकी चालीसा का पाठ करना शुभ माना जाता है.
नवग्रह चालीसा
श्री गणपति गुरुपद कमल, प्रेम सहित सिरनाय।
नवग्रह चालीसा कहत, शारद होत सहाय॥
जय जय रवि शशि सोम बुध, जय गुरु भृगु शनि राज।
जयति राहु अरु केतु ग्रह, करहुं अनुग्रह आज ॥
चौपाई
प्रथमहि रवि कहं नावौं माथा, करहुं कृपा जनि जानि अनाथा ।
हे आदित्य दिवाकर भानू, मैं मति मन्द महा अज्ञानू ।
अब निज जन कहं हरहु कलेषा, दिनकर द्वादश रूप दिनेशा ।
नमो भास्कर सूर्य प्रभाकर, अर्क मित्र अघ मोघ क्षमाकर ।
चन्द्र स्तुति
शशि मयंक रजनीपति स्वामी, चन्द्र कलानिधि नमो नमामि ।
राकापति हिमांशु राकेशा, प्रणवत जन तन हरहुं कलेशा ।
सोम इन्दु विधु शान्ति सुधाकर, शीत रश्मि औषधि निशाकर ।
तुम्हीं शोभित सुन्दर भाल महेशा, शरण शरण जन हरहुं कलेशा ।
मंगल स्तुति
जय जय जय मंगल सुखदाता, लोहित भौमादिक विख्याता ।
अंगारक कुज रुज ऋणहारी, करहुं दया यही विनय हमारी ।
हे महिसुत छितिसुत सुखराशी, लोहितांग जय जन अघनाशी ।
अगम अमंगल अब हर लीजै, सकल मनोरथ पूरण कीजै ।
बुध स्तुति
जय शशि नन्दन बुध महाराजा, करहु सकल जन कहं शुभ काजा ।
दीजै बुद्धि बल सुमति सुजाना, कठिन कष्ट हरि करि कल्याणा ।
हे तारासुत रोहिणी नन्दन, चन्द्रसुवन दुख द्वन्द्व निकन्दन ।
पूजहिं आस दास कहुं स्वामी, प्रणत पाल प्रभु नमो नमामी ।
बृहस्पति स्तुति
जयति जयति जय श्री गुरुदेवा, करूं सदा तुम्हरी प्रभु सेवा ।
देवाचार्य तुम देव गुरु ज्ञानी, इन्द्र पुरोहित विद्यादानी ।
वाचस्पति बागीश उदारा, जीव बृहस्पति नाम तुम्हारा ।
विद्या सिन्धु अंगिरा नामा, करहुं सकल विधि पूरण कामा ।
शुक्र स्तुति
शुक्र देव पद तल जल जाता, दास निरन्तन ध्यान लगाता ।
हे उशना भार्गव भृगु नन्दन, दैत्य पुरोहित दुष्ट निकन्दन ।
भृगुकुल भूषण दूषण हारी, हरहुं नेष्ट ग्रह करहुं सुखारी ।
तुहि द्विजबर जोशी सिरताजा, नर शरीर के तुमही राजा ।
शनि स्तुति
जय श्री शनिदेव रवि नन्दन, जय कृष्णो सौरी जगवन्दन ।
पिंगल मन्द रौद्र यम नामा, वप्र आदि कोणस्थ ललामा ।
वक्र दृष्टि पिप्पल तन साजा, क्षण महं करत रंक क्षण राजा ।
ललत स्वर्ण पद करत निहाला, हरहुं विपत्ति छाया के लाला ।
राहु स्तुति
जय जय राहु गगन प्रविसइया, तुमही चन्द्र आदित्य ग्रसइया ।
रवि शशि अरि स्वर्भानु धारा, शिखी आदि बहु नाम तुम्हारा ।
सैहिंकेय तुम निशाचर राजा, अर्धकाय जग राखहु लाजा ।
यदि ग्रह समय पाय हिं आवहु, सदा शान्ति और सुख उपजावहु ।
केतु स्तुति
जय श्री केतु कठिन दुखहारी, करहु सुजन हित मंगलकारी ।
ध्वजयुत रुण्ड रूप विकराला, घोर रौद्रतन अघमन काला ।
शिखी तारिका ग्रह बलवान, महा प्रताप न तेज ठिकाना ।
वाहन मीन महा शुभकारी, दीजै शान्ति दया उर धारी ।
नवग्रह शांति फल
तीरथराज प्रयाग सुपासा, बसै राम के सुन्दर दासा ।
ककरा ग्रामहिं पुरे-तिवारी, दुर्वासाश्रम जन दुख हारी ।
नवग्रह शान्ति लिख्यो सुख हेतु, जन तन कष्ट उतारण सेतू ।
जो नित पाठ करै चित लावै, सब सुख भोगि परम पद पावै ॥
दोहा
धन्य नवग्रह देव प्रभु, महिमा अगम अपार ।
चित नव मंगल मोद गृह, जगत जनन सुखद्वार ॥
यह चालीसा नवोग्रह, विरचित सुन्दरदास ।
पढ़त प्रेम सुत बढ़त सुख, सर्वानन्द हुलास ॥
महाशिवरात्रि पर इन 4 शिव मंदिरों में पार्टनर संग टेकें माथा, 7 जन्म तक नहीं टूटेगी जोड़ी
31 Jan, 2024 06:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
रांची के चुटिया स्थित सुरेश्वरधाम में शिवलिंग की स्थापना की गई. इस मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा काशी के पुरोहितों द्वारा की गयी है. इस शिवलिंग की ऊंचाई 108 फीट है. बता दें कि कर्नाटक के कौटिल्य लिंगेश्वर मंदिर में जो शिवलिंग है उसकी ऊंचाई भी 108 फीट ही है. कर्नाटक के मंदिर की तर्ज पर ही रांची में भी भव्य शिवलिंग की स्थापना की गयी है. कहा जाता है कि यहां पर जोड़ा साथ में मन्नत मंगता है तो उसकी मन्नत जरूर पूरी होती है.
रांची के नामकोम स्थित मराशिलि पहाड़ है. इसे शिव धाम के नाम से भी जाना जाता है. दरअसल, इस पहाड़ के ऊपर शिव भगवान का स्वम्भू मौजूद है. यहां पर मन्नत मांगने के लिए महिलाएं दूर-दूर से आती है. सिर्फ रांची नहीं बल्कि बंगाल, छत्तीसगढ़ और यूपी तक के लोग यहां पर माथा टेकने आते हैं. यहां पर लोगों की गहरी आस्था है और कई लोगों की मन्नत मात्र 6 महीने के अंदर ही पूरी हो गई है.
शिव मंदिर की बात हो और रांची के पहाड़ी मंदिर की बात ना हो ऐसा हो ही नहीं सकता. यह रांची का सबसे पुराना शिव मंदिर है. कहा जाता है कि इस पहाड़ पर कभी अंग्रेज क्रांतिकारियों को फांसी पर लटकाया करते थे. आज यहां पर भोलेनाथ का सबसे पुराना शिवलिंग है और महाशिवरात्रि पर यहां का नजारा देखते ही बनता है. यहां पर दंपति धागा बांधकर 7 जन्म तक साथ रहने की मन्नत मांगते हैं
रांची से 40 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है अंगराबड़ी शिव मंदिर. कहा जाता है कि इसे एक दंपति ने बनवाया था. यहां पर लोगों की बहुत ही गहरी आस्था है. खासकर पति की लंबी आयु के लिए महिलाएं यहां मन्नत मांगती हैं और कहा जाता है कि यहां पर हर मन्नत पूरी होती है. खासकर महाशिवरात्रि के मौके पर यहां लोगों का जमावड़ा लगा रहता है.
राशिफल: जानिए, कैसा रहेगा आपका आज का दिन (31 जनवरी 2024)
31 Jan, 2024 12:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
मेष राशि :- कुटुम्ब में सामान्य क्लेश व अशांति, व्यर्थ धन का व्यय तथा पीड़ा होगी।
वृष राशि :- इष्ट मित्रों से सुख, अधिकारियों से मेल मिलाप लाभप्रद रहेगा, ध्यान रखें।
मिथुन राशि :- अर्थ व्यवस्था अनुकूल होगी, सफलता के साधन जुटाएं तथा कार्य बनेंगे।
कर्क राशि :- मनोवृत्ति उदार बनाए रखे, तनाव क्लेश से हानि संभव होगी, ध्यान रखे।
सिंह राशि :- समय नष्ट हो, व्यवसाय गति मंद, असंमजस की स्थिति से बचिएगा।
कन्या राशि :- आर्थिक योजना सफल हो, व्यवसायिक क्षमता अनुकूल बनी रहेगी, कार्य बनेंगे।
तुला राशि :- धन का व्यय, व्यर्थ परिश्रम से हानि संभव होवे, ध्यान रखें तथा कार्य अवश्य बनें।
वृश्चिक राशि :- स्त्री वर्ग से क्लेश व अशांति तथा विघटनकारी तत्व परेशान अवश्य करेंगे।
धनु राशि :- कुटुम्ब की समस्या सुलझे तथा धन का व्यय, व्यर्थ भ्रमण, कार्य अवरोध होगा।
मकर राशि :- अर्थ व्यवस्था छिन्न-भिन्न हो, कार्य व्यवसाय गति मध्य बनी ही रहें।
कुंभ राशि :- दैनिक कार्यवृत्ति में सुधार, चिन्ताएं कम हो तथा सफलता अवश्य ही मिलेगी।
मीन राशि :- मनोबल उत्साह वर्धक हो, कार्यगति अनुकूल बनी रहे।
बसंत पंचमी पर इस बार दो शुभ योग, सरस्वती पूजा से बढ़ेगी विद्यार्थियों की बुद्धि! जानें मुहूर्त, तिथि, विधि
30 Jan, 2024 06:45 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
हिंदू धर्म में बसंत पंचमी का बहुत खास माना जाता है. खासकर विद्यार्थियों के लिए बसंत पंचमी का पर्व अति शुभ होता है. इस दिन छात्र माता सरस्वती की विधि विधान के साथ पूजा करते हैं, जिससे उनके ऊपर मां की विशेष कृपा बरसती है. बसंत पंचमी का पर्व कला, विद्या, ज्ञान की देवी मां सरस्वती को समर्पित होता है.
माना जाता है कि बसंत पंचमी के दिन मां सरस्वती की पूजा आराधना करने से माता लक्ष्मी और माता काली, माता पार्वती भी प्रसन्न होती हैं. वहीं, इस साल सरस्वती पूजा की तारीख को लेकर असमंजस की स्थिति बनी हुई है. तो चलिए, देवघर के ज्योतिषाचार्य से जानते हैं कि सरस्वती पूजा फरवरी महीने की किस तारीख को है?
बसंत ऋतु का होगा आगमन
देवघर के पागल बाबा आश्रम स्थित मुद्गल ज्योतिष केंद्र के प्रसिद्ध ज्योतिषाचार्य पंडित नंद किशोर मुद्गल ने बताया कि बसंत पंचमी का पर्व हर साल माघ महीने के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को मनाया जाता है, इसलिए 2024 में बसंत पंचमी यानी सरस्वती पूजा का पर्व 14 फरवरी को मनाया जाएगा. बसंत पंचमी से शरद ऋतु का अंत और बसंत ऋतु का आगमन माना गया है. इस दिन छात्र अगर माता सरस्वती की विधि विधान के साथ पूजा आराधना करें तो उनके जीवन में सकारात्मक परिणाम आते हैं. छात्रों को पढ़ाई में मन लगता है और प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी करने में सफलता मिलती है.
कब से शुरू हो रही पंचमी तिथि?
ऋषिकेश पंचांग के अनुसार, 14 फरवरी को पंचमी तिथि में सरस्वती पूजा की जाएगी, लेकिन पंचमी तिथि की शुरुआत 13 फरवरी की दोपहर 3 बजकर 12 मिनट से होने जा रही है. समापन अगले दिन यानी 14 फरवरी को शाम 5 बजकर 34 मिनट पर होगा. इसलिए उदया तिथि के अनुसार 14 फरवरी को ही सरस्वती पूजा की जाएगी. वहीं, इस दिन रवि योग और अमृत योग का भी निर्माण होने जा रहा है. सरस्वती पूजा का शुभ मुहूर्त 14 फरवरी को 12 बजकर 30 मिनट से लेकर 1 बजकर 30 मिनट तक रहने वाला है.
कैसे करें पूजा
सरस्वती पूजा के दिन सुबह स्नान कर पीला वस्त्र पहनकर पूजा का संकल्प लें. वहीं, शुभ मुहूर्त में माता सरस्वती की पूजा करें. पूजा के वक्त पीला फूल, सफ़ेद चंदन, अक्षत, पीले रंग की रोली, पीला गुलाब, धूप, दीप, गंध आदि अर्पित करें. सरस्वती पूजा के दिन सरस्वती वंदना के साथ ही सरस्वती कवच का पाठ करें. इससे छात्रों को पढ़ाई मे मन लगेगा और सकरात्मक रिजल्ट आएगा.
संकष्टी चतुर्थी पर कब होगा चंद्रोदय? जानें शुभ मुहूर्त और पूजा की विधि
30 Jan, 2024 06:30 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
माघ मास की चतुर्थी तिथि को संकष्टी चतुर्थी कहते है. इसे संकष्टी चतुर्थी, तिलकुटा चौथ या माघी चौथ भी कहते हैं. इस बार यह व्रत सोमवार यानी 29 जनवरी यानि आज है. इस दिन भगवान गणेश की पूजा का विधान है. इस दिन चंद्रोदय के साथ पूरे विधि विधान से भगवान गणेश की पूजा की होती है. संतान की सलामती और उनके दीर्घायु की कामना से यह पूजा की जाती है.आइए जानते है आज संकष्टी चतुर्थी के दिन चंद्रोदय कब होगा .
काशी के ज्योतिषाचार्य पंडित संजय उपाध्याय ने बताया कि आज चंद्रोदय के साथ भगवान गणेश की आराधना की जाती है. हिन्दू पंचाग के अनुसार,सोमवार को रात 8 बजकर 48 मिनट पर चंद्रोदय होगा. उसके बाद व्रती महिलाएं भगवान गणेश की पूजा करेंगी.
संकष्टी चतुर्थी का धार्मिक महत्व
पंडित संजय उपाध्याय ने बताया कि धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, संकष्टी चतुर्थी पर भगवान गणेश की पूजा से जीवन के सारे कष्ट भी दूर होते है और हर तरह के बाधाओं का नाश भी होता है. इसके अलावा संतान प्राप्ति और उनके उन्नति की कामना के लिए यह पूजा और व्रत किया जाता है.
अर्घ्य से पहले गणेश मंदिर में जरूर करें पूजा
पंडित संजय उपाध्याय ने बताया कि इस दिन सुबह स्नान के बाद भगवान गणेश को याद करके व्रत की शुरुआत होती है. पूरे दिन व्रत रखने के बाद रात में चंद्रोदय के समय काले तिल के लड्डू, गुड़ का हलवा और फल अर्पण कर छत पर भगवान गणेश की पूजा की जाती है और फिर उसके बाद चंद्रमा को अर्घ्य दिया जाता है. इस पूजा से पहले गणेश मंदिर में पूजा भी जरूर करनी चाहिए.
हरिद्वार ही नहीं नैनीताल में भी है हर की पौड़ी, ब्रह्मा जी के बेटों ने की थी मंदिर में तपस्या!
30 Jan, 2024 06:15 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
उत्तराखंड के नैनीताल जिले में वैसे तो कई पौराणिक मंदिरों के साथ ही पौराणिक स्थान भी हैं, जिनकी अपनी अलग-अलग मान्यताएं हैं. ऐसा ही एक पौराणिक स्थल नैनीताल से लगभग 27 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है, जिसका नाम है नौकुचियाताल, जो अपने 9 कोनों के लिए जाना जाता है. पर्यटक स्थल होने के साथ ही इस जगह का आध्यात्मिक महत्व भी कहीं ज्यादा है. नौकुचियाताल में झील के किनारे हर की पौड़ी मंदिर (Har ki Pauri in Naukuchiatal) भी स्थित है, जिसकी काफी मान्यता है. यहां समय-समय पर धार्मिक अनुष्ठान किए जाते हैं.
नौकुचियाताल निवासी डॉ विनोद पाठक ने कहा कि हर की पौड़ी मंदिर काफी प्राचीन है. इस मंदिर के पास स्नान की मान्यता है, जिस वजह से कई जगहों से श्रद्धालु यहां स्नान करने के लिए पहुंचते हैं. नौकुचियाताल स्थित इस हर की पौड़ी का वर्णन स्कन्द पुराण के मानसखंड में भी है, जिसमें इसे 9 कुण यानी नौ कोनों वाला सरोवर कहा गया है. उन्होंने कहा कि नौकुचियाताल का पौराणिक नाम सनत सरोवर है. हर की पौड़ी मंदिर में ब्रह्मा जी के चार बेटों सनक, सनातन, सनंदन और सनत कुमार ने कई वर्षों तक तपस्या की थी और कई वर्षों के कठोर तप के बाद अपने तपोबल से इस सरोवर का निर्माण किया था, इसलिए इसकी तुलना हर की पौड़ी से की जाती है क्योंकि इस जगह का संपर्क सीधे हरिद्वार से बताया गया है. हरिद्वार स्थित हर की पौड़ी के समान ही यहां के जल की भी मान्यता है, जो खराब नहीं होता है.
हर की पौड़ी पर यज्ञोपवीत संस्कार और श्राद्ध
उन्होंने आगे कहा कि यह स्थान अन्य महत्वपूर्ण तीर्थ स्थान के भांति ही विशेषता रखता है. यहां की महत्वता इतनी है कि स्थानीय लोग यहां खासकर मकर संक्रांति, बसंत पंचमी, नवरात्रि, हरेला और जालसायनी एकादशी के दिन जरूर स्नान करने आते हैं. इसके अलावा इस सरोवर में देव डांगर भी नहलाए जाते हैं. वहीं इस पवित्र हर की पौड़ी में यज्ञोपवीत संस्कार व श्राद्ध भी संपन्न किए जाते हैं.
क्यों कहते हैं विष्णु भगवान को नारायण
30 Jan, 2024 06:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
भगवान विष्णु के हजारों नाम हैं। इनमें एक प्रमुख नाम है नारायण। फिल्मों, टीवी सीरियल या रामलीला में आपने देखा होगा कि नारद मुनि भगवान विष्णु को नारायण नाम से पुकारते हैं। इस नाम का धार्मिक रूप से बड़ा महत्व है। इस एक नाम में सृष्टि का संपूर्ण सार छिपा हुआ है। इसलिए शास्त्रों में अधिकांश स्थानों पर विष्णु भगवान को नारायण नाम से संबोधित किया गया है।
हिन्दू धर्म में अठारह पुराणों का वर्णन मिलता है। इन अठारह पुराणों में विष्णु पुराण एक है। इस पुराण में सृष्टि की रचना का वर्णन किया गया है। इसी प्रम में बताया गया है किस प्रकार विष्णु भगवान ने वाराह रूप धारण करके पृथ्वी को रसातल यानी पाताल लोक से उठाकर जल के मध्य में स्थित किया। इसके बाद ब्रह्मा जी ने सत्व, रज और तम गुणों से असुर, देव, राक्षस, यक्ष, मनुष्य, सर्प एवं अन्य जीव-जन्तुओं की रचना की।
विष्णु पुराण में बताया गया है कि सृष्टि के समाप्ति के समय सब कुछ जल में समा जाता है और संपूर्ण ब्रह्माण्ड अंधकारमय हो जाता है। भगवान विष्णु चिर निद्रा में जल में शयन करते हैं। देवताओं का दिन आरंभ होने पर भगवान विष्णु फिर से सृष्टि की रचना करते हैं और ब्रह्मा एवं शिव की उत्पत्ति उन्हीं से होती है। भगवान विष्णु प्रथम नर रूप में व्यक्त होते हैं। इसलिए शास्त्रों में इन्हें आदिपुरूष कहा गया है। आदि पुरूष विष्णु का निवास यानी आयन नार यानी जल है इसलिए भगवान विष्णु को नारायण नाम से संबोधित किया जाता हैं।
राशिफल: जानिए, कैसा रहेगा आपका आज का दिन (30 जनवरी 2024)
30 Jan, 2024 12:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
मेष राशि :- कार्यकुशलता से संतोष तथा मनोबल उत्साह वर्धक अवश्य बना ही रहेगा।
वृष राशि :- स्वभाव में खिन्नता होने से हीन भावना से बचिएगा, अव्यवस्था कार्य मंद होगा।
मिथुन राशि :- अशांति तथा विषमता से बचिए तथा झगड़ा होने की संभावना बनेगी, ध्यान रखे।
कर्क राशि :- स्त्री वर्ग से भोग ऐश्वर्य की प्राप्ति होगी, रुके कार्य अवश्य ही बनेंगे।
सिंह राशि :- आलोचनाओं से बचिए कार्यकुशलता से संतोष होगा।
कन्या राशि :- धीमी गति से सुधार अपेक्षित है, तथा सामाजिक प्रतिष्ठा में वृद्धि होगी।
तुला राशि :- स्त्रीवर्ग से हर्ष, उल्लास, गुप्त शत्रुओं से चिन्ता तथा कुटुम्ब को समस्या बनें।
वृश्चिक राशि :- योजना फलीभूत हो तथा इष्ट मित्र सुखवर्धक होंगे।
धनु राशि :- कुटुम्ब की समस्या कष्टप्रद हो तथा व्यर्थ धन का व्यय अवश्य होगा।
मकर राशि :- कुटुम्ब में सुख, मान, प्रतिष्ठा बढ़े, बड़े-बड़े लीगों से मेल मिलाप होगा।
कुंभ राशि :- भाग्य का सितारा प्रबल, दैनिक गति मंद तथा बिगड़े कार्य अवश्य ही बनेंगे।
मीन राशि :- कार्य व्यवसाय में अनुकूलता बनेगी, समृद्धि के साधन अवश्य जुटाएंगे, ध्यान रखें।
कब है सरस्वती पूजा? उस दिन कर लें यह खास काम, लक्ष्मी और सुख समृद्धि दौड़ी चली आएंगी
29 Jan, 2024 06:45 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
विद्या की देवी मां सरस्वती की पुजा इस साल 14 फरवरी को मनाई जाएगी.जिसे लेकर देश भर में तैयारी जोर शोर से चल रही है. पूरे देश में विद्यादायिनी,हंसवाहिनी मां सरस्वती की मूर्तियां बनाई जा रही है. इस साल सरस्वती पूजा के दिन रवि योग और रेवती योग का अदभुत संयोग बन रहा है. यह समय अत्यंत शुभ है.इस दौरान कोई भी कार्य करने से सफलता प्राप्त होगी.रवि योग और रेवती नक्षत्र 14 फरवरी को सुबह 10 बजकर 43 मिनट से शुरू होकर 15 फरवरी सुबह 7 बजे तक रहेगा.
गुमला के प्रसिद्ध पुजारी हरिशंकर मिश्रा ने कहा कि वैदिक पंचाग के अनुसार माघ माह के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि के दिन मां सरस्वती की पूजा अर्चना की जाती है. इस वर्ष 14 फरवरी दिन बुधवार को मां सरस्वती की पूजा आराधना करने का शुभ योग बन रहा है. इस दिन 4 अति उत्तम शुभ योग बन रहे हैं. रवि योग ,शुभ योग,शुक्ल योग और रवि नक्षत्र. इस समय पूजा पाठ करना अति शुभ माना जाता है.
मिलता है सुख समृद्धि और शांति
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार मां सरस्वती की उपासना करने से मनुष्य को सुख, शांति, समृद्धि,विद्या प्राप्त होती है. माघ शुक्ल पंचमी 13 फरवरी दिन मंगलवार को दोपहर 2:41 से शुरू होगी जो 14 फरवरी दिन मंगलवार को दोपहर 12 :09 में समाप्त होगी.वहीं 14 फरवरी को सरस्वती पूजा के लिए सुबह 7:01 बजे से दोपहर 12.35 बजे तक अति शुभ मुहूर्त बन रहा है.यानि की 5 घंटे 35 मिनट का शुभ मुहूर्त है.इस दौरान पूजा करना अत्यंत शुभ रहेगा.इस दौरान मां सरस्वती की पूजा अर्चना करने से ज्ञान की देवी प्रसन्न होगी. बल, बुद्धि, विद्या,ज्ञान का वर देगी.शास्त्रों के अनुसार मां सरस्वती विद्या व संगीत की देवी है.जो लोग रोजाना मां सरस्वती की पूजा अर्चना, उपासना करते हैं. उन्हें सभी सिद्धि की प्राप्ति होती है.व जीवन में सफलता मिलती है.
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