धर्म एवं ज्योतिष
माघ मास में 4 चीजों को खरीदना लाता है सौभाग्य, जानें इनका महत्व, इस खास योग में करें खरीदारी
29 Jan, 2024 06:30 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
माघ का महीना शुरू हो गया है. माघ के महीने का हिंदू धर्म में विशेष महत्व है. इस माह में लोग पवित्र नदी में स्नान करते हैं, इसके साथ ही पवित्र तीर्थ स्थानों पर यात्रा करने के लिए जाते हैं. ऐसी मान्यता है कि माघ के महीने में भगवान विष्णु की विधिवत पूजा करने से सभी कार्यों में सफलता मिलती है. इस महीने का मां लक्ष्मी से भी खास संबंध माना जाता है. माघ के महीने में बड़े-बड़े तीर्थ स्थानों में मेलों का आयोजन किया जाता है. आइए जानते हैं भोपाल निवासी ज्योतिषी एवं वास्तु सलाहकार पंडित हितेंद्र कुमार शर्मा से कि माघ के महीने में क्या खरीदना शुभ माना जाता है.
बन रहा शुभ योग
इस बार माघ महीने में रवि पुष्य योग का निर्माण हो रहा है, जिसे बहुत ही शुभ माना जाता है. ज्योतिषी पंडित हितेंद्र कुमार शर्मा ने बताया कि इस योग में और माघ के महीने में क्या खरीदना चाहिए.
1. काला तिल
काले तिल का खरीदना बहुत शुभ माना जाता है। कहा जाता है कि माघ के महीने में काला तिल खरीदकर अगर भगवान शंकर को अर्पित किया जाए तो इससे कई तरह की परेशानियां दूर होती हैं और इंसान के जीवन में नई खुशियां आती हैं.
2. तुलसी
माघ के महीने में तुलसी की भी पूजा की जाती है. तुलसी का पौधा खरीदना शुभ माना जाता है. इस माघ के महीने में आप तुलसी का पौधा खरीदकर अपने घर में लाकर लगाएं. माना जाता है कि तुलसी का पौधा खरीदने से आपके घर में सौभाग्य बना रहता है इसके साथ ही आपके जीवन में भगवान विष्णु की भी कृपा बनी रहती है.
3. सरसों खरीदना शुभ होता है
माघ महीने में सरसों की खरीदी को भी शुभ माना जाता है. सरसों खरीदने से कुंडली में शनि दोष से मुक्ति मिलती है. माघ के शनिवार को सरसों खऱीदना चाहिए. ऐसा करने से आपके जीवन में खुशहाली आएगी.
4. श्रीयंत्र
इसके अलावा माघ मास में भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा करने के लिए श्रीयंत्र जरूर खरीदें. घर में इसकी पूजा करने से लाभ बना रहता है.
ध्यान दें! इन चीजों के बिना अधूरी है सकट चौथ की पूजा, नोट कर लें पूजन सामग्री और विधि
29 Jan, 2024 06:15 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
हिंदू धर्म में सकट चौथ को बेहद शुभ माना जाता है और यह माघ कृष्ण चतुर्थी तिथि को मनाई जाती है. इसे तिलकुट चतुर्थी और माघी चतुर्थी भी कहा जाता है. इस दिन को एकादशी के रूप में भगवान गणेश का विशेष महत्व है, और भक्तगण इस दिन उन्हें प्रसन्न करने के लिए विशेष उपाय करते हैं. इस साल, सकट चौथ 29 जनवरी को मनाई जाएगी.
पंडित सीताराम ने बताया कि निर्जला सकट चौथ का व्रत रखकर गणेश जी की पूजा से संकटों का निवारण होता है. इस दिन, गणेश जी को तिल और गुड़ से बने तिलकुट का भोग चढ़ाया जाता है. महिलाएं व्रत रखकर अपने परिवार की सुख-समृद्धि की कामना करती हैं. सकट चौथ को सामान्यत: माघ महीने के दौरान उत्तर भारतीय क्षेत्रों में मनाया जाता है, और इसे कृष्ण पक्ष चतुर्थी के रूप में भी जाना जाता है. यह दिन देवी सकट को समर्पित है, और माताएं इस दिन व्रत रखकर अपने पुत्रों की भलाई की कामना करती हैं. सकट चौथ की पौराणिक कथा देवी सकट की देखभाल करने वाले रवैये पर जोर देती है.
ऐसे करें भगवान की पूजा…
सुबह स्नान करने के बाद, गणेश अष्टोत्तर का पाठ करें.
शाम के समय, भगवान गणेश की प्रतिमा को एक बेदाग आसन पर रखें और उसे सुंदर फूलों से सजाएं.
मूर्ति के सामने एक दीया और एक अगरबत्ती जलाएं.
देवताओं को फलों का प्रसाद चढ़ाएं और उन्हें ग्रहण करने का आमंत्रण दें.
अपनी प्रार्थनाएं भगवान को अर्पित करें, अपने मन की शुद्धि और भक्ति से उनसे आशीर्वाद प्राप्त करें.
भगवान गणेश को आरती अर्पित करें, उनके नामों का स्मरण करें और उन्हें स्तुति दें.
चंद्रमा को अर्घ्य, तिल के लड्डू और दूर्वा अर्पित करें. इसके साथ ही चंद्रमा को जल और दूध का मिश्रण भी अर्पित करें.
बेहद चमत्कारी है भैरो बाबा का यह मंदिर, यहां प्रसाद चढ़ाने से कष्टों और दुश्मनों का हो जाता है सर्वनाश!
29 Jan, 2024 06:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
सहारनपुर में प्राचीन भैरो बाबा का मंदिर श्रद्धलुओं की आस्था का एक प्रसिद्ध धार्मिक स्थल है. दाल मंडी पुल के पास स्थित यह मंदिर सैंकड़ो वर्ष पुराना है. मान्यता है कि यह मंदिर एक तिलस्मी मंदिर भी है. भैरो बाबा के मंदिर में आस्था के साथ पूजा करने व प्रसाद अर्पित करने से व्यक्ति के सभी दुश्मनों का सर्वनाश हो जाता है औऱ सभी कष्ट दूर हो जाते हैं.
सहारनपुर में दाल मंडी पुल के पास स्थित भैरो बाबा के मंदिर की कहानी बहुत प्राचीन है. मन्दिर के पुजारी मनोज पंडित में बताया कि यह मंदिर करीब 400 वर्ष प्राचीन है. अंग्रेजी शासन से भी पूर्व से भैरो बाबा का यह मंदिर अस्तित्व में है. उन्होंने बताया कि इस मंदिर में श्रद्धालुओं की बहुत आस्था है. शनिवार, रविवार व मंगलवार को मंदिर में श्रद्धालु काफी संख्या में पूजा अर्चना कर अपनी मनोकामना पूर्ति की कामना करने आते हैं. उन्होंने बताया कि सहारनपुर ही नहीं बल्कि आस पास के देहात क्षेत्र के लोग भी भैरो बाबा की पूजा करने मंदिर में आते हैं. मान्यता है कि इस मंदिर में आकर भैरो बाबा की पूजा करने से भक्तों के सभी कष्टों व दुश्मनों का सर्वनाश हो जाता है.
विशेष प्रसाद अर्पित कर भक्त करते हैं मनोकामना पूर्ति की याचना
सहारनपुर के भैरो बाबा के मंदिर के पुजारी मनोज़ पंडित ने बताया कि शनिवार व मंगलवार को श्रद्धालु भारी संख्या में भैरो बाबा की पूजा करते हैं. इस मंदिर में पूजा करने के लिए भक्त विशेष प्रकार का प्रसाद अर्पित करते हैं. उन्होंने बताया कि भले का प्रसाद, धार का पतझड़ व इमरती का प्रसाद का भोग भैरो बाबा को अर्पित किया जाता है. इस प्रसाद को बाबा के चरणों मे अर्पित करने व भोग लगाने से भक्तो की मनोकामना पूर्ण हो जाती है तथा समस्त कष्ट का निवारण भी हो जाता है. मनोज पंडित ने बताया कि उनकी चौथी पीढ़ी इस मंदिर में पुजारी के रूप में भैरो बाबा की सेवा में लगी हुई है. उनके परदादा, दादा व पिता के बाद वह भैरो बाबा के मंदिर में पुजारी हैं.
राशिफल: जानिए, कैसा रहेगा आपका आज का दिन (29 जनवरी 2024)
29 Jan, 2024 12:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
मेष राशि :- किसी आरोप से बचिए, मान प्रतिष्ठाा प्रभुत्व वृद्धि में आंच आ सकती है।
वृष राशि :- कुछ बाधाएं कष्टप्रद हो, स्त्री शरीर कष्ट करोबार में बाधा होगी।
मिथुन राशि :- स्त्री वर्ग से कष्ट, चिन्ता व्यावसायिक कार्यों में आरोप से अवश्य ही बचेंगे।
कर्क राशि :- दैनिक व्यवसाय, गतिमंद रहे, असमर्थता का वातावरण बना ही रहेगा।
सिंह राशि :- व्यर्थ धन व्यय, दूसरों के कार्यो में हस्तक्षेप करने से हानि होगी।
कन्या राशि :- विशेष कार्य स्थिगित रखें, फिर भी सब कार्य सफलता पूर्वक चलेगा।
तुला राशि :- आशानुकूल सफलता से हर्ष, दैनिक व्यवसाय गति उत्तम बनी रहेगी।
वृश्चिक राशि :- अधिकारियों का मेल मिलाप फलप्रद, कार्य योजना की चिन्ता बनी रहेगी।
धनु राशि :- विशेष कार्य स्थिगित रखे, परिश्रम में सफलता कार्य व्यवसाय उत्तम होवे।
मकर राशि :- मनोबल उत्साह वर्धक हो, कार्य गति में सुधार योजना अवश्य बनेगी।
कुंभ राशि :- कार्य क्षमता में बाधा, अचानक असमर्थता का वातावरण बना ही रहेगा।
मीन राशि :- अर्थ व्यवस्था में संतोष, सुख, धन, समृद्धि के साधन अवश्य जुटाए।
शनि देव का चमत्कारी मंदिर, दर्शन करने उमड़ती है भक्तों की भीड़
28 Jan, 2024 06:45 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
सूर्य देव और देवी छाया के पुत्र न्याय के देवता शनि देव व्यक्ति के कर्मों के हिसाब से उन्हें फल देते हैं. शनि देव को सारे ग्रहों में सबसे क्रूर ग्रह माना जाता है. देश भर में शनिदेव के कई प्राचीन मंदिर बने हैं. हर मंदिर की अलग अलग मान्यता है. हिंदू धर्म में शनि देव का स्थान बहुत ही महत्वपूर्ण है. शनिदेव साक्षात रूद्र हैं. ज्योतिष शास्त्र में यह भी बताया गया है कि शनि देव न्याय के देवता हैं और समस्त देवताओं में शनिदेव ही एक मात्र ऐसे देवता है. जिनकी पूजा प्रेम के कारण नहीं बल्कि डर के कारण की जाती है. शनिदेव कर्मों के अनुसार सभी को फल प्रदान करते हैं. जिस जातक के अच्छे कर्म होते हैं. उन पर शनिदेव की कृपा बनी रहती है और और जो व्यक्ति बुरे कर्मों में लिप्त रहता है. उन पर शनिदेव का प्रकोप बरसता है.
आप सभी ने शनि देव के अधिकतम मंदिरों में उन्हें शिला रूप में विराजित देखा होगा लेकिन शनि देव के चतुर्भुज रूप के दर्शन की भी विशेष महिमा है. जबलपुर रेलवे स्टेशन से करीब 8 किलोमीटर दूर रामपुर छापर क्षेत्र पर स्थित है. यहां पर शनि देव अपने साकार चतुर्भुज रूप में विराजित है. शनिदेव के चतुर्भुज रूप के दर्शन बहुत कम मंदिरों में ही मिलते है .जबलपुर का चतुर्भुज शनिदेव का मंदिर उन्ही विशेष मंदिरों में से एक है.
अनोखा है शानी देव का यह मंदिर
मंदिर के पुजारी आचार्य विवेक तिवारी ने कहा कि शनिदेव का यह मंदिर अन्य मंदिरों की तरह ना तो भव्य है और ना ही व्यवस्थाओं से भरा हुआ है. यह मंदिर उतना ही साधारण है जितनी अनोखी यहां पर स्थापित शनिदेव की यह प्रतिमा है. यहां पर शनि देव अपने साक्षात चतुर्भुज रूप में विराजित हैं.जिनके दर्शन मात्र से मनुष्य की जिंदगी में आई समस्त दुविधाएं दूर हो जाती है.मंदिर के पुजारी के मुताबिक शनिदेव स्वयं छाया के देवता है और ऐसे में स्वयं छाया के देवता को अपने ऊपर छाया की जरूरत नहीं होती इसलिए जिस जगह पर शनिदेव की यह चतुर्भुज प्रतिभा स्थापित है वहां पर मंदिर निर्माण नहीं करवाया गया है सिर्फ बारिश से रक्षा हेतु एक शेड ऊपर लगाया गया है और चारों तरफ से यह मंदिर भक्तों के लिए खुला हुआ है.
घर की दिशा की ओर नही किया जाता शनि देव को स्थापित
मंदिर के पुजारी आचार्य विवेक तिवारी ने बताया कि मंदिर में शनि देव को घर की दिशा से दूसरी दिशा में स्थापित किया गया है.उनका कहना है घर की दिशा की ओर शनिदेव की सीधी वक्र दृष्टि एक अच्छा संकेत नहीं देती है इसलिए उन्हें दूसरी दिशा में स्थापित किया गया है ताकि उनकी वक्र दृष्टि सीधे घर पर ना पड़े.
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सूर्य की गति के साथ बदलता है इस शिव मंदिर के गुंबद पर लगा त्रिशूल!
28 Jan, 2024 06:30 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
रायबरेली जनपद के लालगंज तहसील अंतर्गत बाल्हेमऊ गांव में स्थित बाल्हेश्वर महादेव मंदिर लगभग 500 वर्ष पुराना है. यहां के लोगों का मानना है कि इस मंदिर के गुंबद पर लगा त्रिशूल सूर्य की गति के सापेक्ष परिवर्तित होता रहता है. यहां पर भक्तों की अटूट आस्था है.
इस मंदिर परिसर में एक सरोवर भी स्थित है. जिसके बारे में लोगों की मान्यता है की इस मंदिर में भारत के सभी तीर्थों,नदियों का जल लाकर डाला गया था. जिससे भगवान शिव का जलाभिषेक किया जाता है. यहां आने वाले सभी भक्त इसी सरोवर से जल लेकर भगवान का जलाभिषेक करते हैं.
इस मंदिर का शिवलिंग स्वयंभू है. इसे स्थापित नहीं किया गया है. लोग बताते हैं कि यहां पर पहले विशालकाय जंगल हुआ करता था. जहां पास के गांव के ही गाय चरने आया करती थी. जो गाय यहां चरने आती थी उन्हीं में से एक गाय ने दूध देना बंद कर दिया तो गाय स्वामी को चिंता हुई कि आखिर गाय का दूध कौन चोरी करता है. तभी उन्होंने देखा की धारा बह रही है. यह देख गाय का स्वामी अचंभित रह गया और वापस आने पर अपने घर वालों को बताया तो उन्होंने वहां जाकर देखा तो वहां पर एक शिवलिंग दिखाई दिया तभी से लोग वहां पर पूजा पाठ करने लगे.
इस मंदिर परिसर में एक दुर्गा मंदिर भी है. जिसके बारे में लोगों में मान्यता है की यहां पर नवरात्रि के दिनों में दर्शन करने मात्र से सभी मन्नते पूरी होती हैं. इसीलिए यहां पर नवरात्रि के दिनों में भारी भीड़ होती है.
बाल्हेश्वर महादेव मंदिर के मुख्य पुरोहित झिलमिल महाराज बताते हैं कि यह मंदिर लगभग 500 वर्ष पुराना है. यहां पर विराजमान शिवलिंग स्वयंभू है. साथ ही इसके परिसर में एक सरोवर भी उपस्थित है. जिसके बारे में पूर्वज बताते थे कि इस सरोवर में भारत वर्ष के सभी प्रमुख तीर्थ स्थलों ,नदियों का जलाकर डाला गया था. उसके बाद से ही भगवान शिव का जलाभिषेक शुरू हुआ तब से लेकर आज तक यहां पर आने वाले सभी भक्त इसी सरोवर से जल लेकर भगवान शिव का जलाभिषेक करते हैं. यहां पर हर सोमवार भक्तों की भारी भीड़ रहती है.
सकट चौथ के दिन करें ये उपाय, सभी संकटों से मिलेगी मुक्ति; घर में आएंगी खुशियां
28 Jan, 2024 06:15 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
भगवान गणेश को सभी देवताओं में प्रथम पूजनीय देवता माना जाता है. भगवान गणेश को संकटहर्ता विघ्नहर्ता भी कहा जाता है. माना जाता है कि भगवान गणेश की विधि विधान से पूजा आराधना करने से सभी प्रकार के संकट दूर होते हैं. वहीं नए साल 2024 में सकट चौथ का व्रत 29 जनवरी दिन सोमवार को रखा जाएगा. इस सकट चौथ को संकट चतुर्थी या तिलकुट चतुर्थी भी कहा जाता है.
हर साल सकट चौथ माघ महीने की कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को मनाया जाता है. इस दिन कई ऐसे उपाय हैं जो करने से भगवान गणेश प्रसन्न होते हैं और सभी प्रकार के दुखों का नाश भी करते हैं. तो आइए देवघर के ज्योतिषाचार्य से जानते हैं कि सकट चौथ के दिन क्या उपाय करना चाहिए?
देवघर के पागल बाबा आश्रम स्थित मुद्गल ज्योतिष केंद्र के प्रसिद्ध ज्योतिष आचार्य पंडित नंदकिशोर मुद्गल ने लोकल 18 के संवाददाता से बातचीत करते हुए कहा कि सकट चौथ या संकष्टी चतुर्थी का व्रत 29 जनवरी को रखा जाएगा. यह व्रत महिलाओं द्वारा अपनी संतान की लंबी आयु और सुखों की प्राप्ति के लिए रखा जाता है. अगर इस दिन व्रत रखकर विधि विधान के साथ भगवान गणेश की पूजा करें तो विघ्नहर्ता भगवान श्री गणेश सारे संकटों को दूर कर देते हैं. इसके साथ ही अगर भक्त कई दुखों से परेशान हैं तो सकट चौथ के दिन यह उपाय जरूर कर लें.
सकट चौथ के दिन जरूर करें ये उपाय…
1. सकट चौथ के दिन भक्त भगवान श्री गणेश के सामने इलायची और सुपारी रखें और इसकी पूजा करें. इससे उनके जीवन में आने वाली सारी बधाएं दूर हो जाएंगी.
2. सकट चौथ के दिन भगवान श्री गणेश की पूजा में तिल, तिलकुट या सफेद दूर्वा अवश्य अर्पण करनी चाहिए.
3. संतान की लंबी आयु के लिए सकट चौथ या संकष्टी चतुर्थी के दिन चंद्रोदय के समय जल में दूध मिलाकर चंद्रमा को अर्घ्य देना चाहिए.
4. सकट चौथ के दिन चंद्रोदय से कुछ समय पहले भगवान गणेश की पूजा कर 108 बार गणेश बीज मंत्र का जाप करें. इससे भक्त के जीवन में आने वाले सभी संकट समाप्त हो जाएंगे.
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भारत में एक नहीं दो स्वर्ण मंदिर, किसने बनवाया दूसरा, कितना सोना लगा है?
28 Jan, 2024 06:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
आपने अमृतसर के गोल्डन टेंपल (Golden Temple) का नाम तो जरूर सुना होगा! पर क्या आप जानते हैं कि भारत में एक और गोल्डन टेंपल है. इस मंदिर में अमृतसर के गोल्डन टेंपल से दोगुना सोना लगा है और करीब सात साल में बनकर तैयार हुआ है. यह मंदिर है तमिलनाडु के वेल्लोर स्थित श्रीलक्ष्मी नारायणी गोल्डन टेंपल (Sri Lakshmi Narayani Golden Temple)
अमृतसर का गोल्डन टेंपल जहां सिख धर्म के सबसे पवित्र तीर्थ स्थलों में से एक है, तो वहीं श्रीलक्ष्मी नारायणी गोल्डन टेंपल एक हिंदू मंदिर है और हिंदू धर्म की आस्था का केंद्र है. इस मंदिर को श्रीपुरम गोल्डन टेंपल (Sripuram Golden Temple) के नाम से भी जानते हैं.
श्रीलक्ष्मी नारायणी गोल्डन टेंपल (Sripuram Golden Temple), तमिलनाडु में थिरुमलाइकोडी (मलाइकोडी) वेल्लोर में छोटी पहाड़ियों के तल पर श्रीपुरम आध्यात्मिक पार्क में स्थित है. यह तिरुपति से करीब 120 किमी दूर है. तो चेन्नई से 145 किमी, पुदुचेरी से 160 किमी और बेंगलुरु से 200 किमी की दूरी है.
101 एकड़ में फैले श्रीपुरम गोल्डन टेंपल का निर्माण दक्षिण के चर्चित आध्यात्मिक गुरु नारायणी अम्मा ने करवाया है, जिन्हें श्री शक्ति नारायणी अम्मा (Sri Sakthi Narayani Amma) भी कहा जाता है. इस मंदिर के निर्माण की शुरुआत साल 2000 के आसपास हुई थी और 2007 में बनकर तैयार हुआ.
मां लक्ष्मी के इस मंदिर के उपरी हिस्से को सोने से कवर किया गया है. रिपोर्ट के मुताबिक मंदिर के ऊपर करीब 1500 किलो सोने की परत चढ़ाई गई है. तारे के आकार के इस मंदिर पर 9 से 10 लेयर की गोल्ड कोटिंग है.
आपको बता दें कि अमृतसर के गोल्डन टेंपल में करीब 750 किलो सोना इस्तेमाल किया गया है. महाराजा रणजीत सिंह ने गुरुद्वारे का ऊपरी हिस्सा 750 किलो शुद्ध सोने से मढ़वाया था. इस हिसाब से श्रीपुरम गोल्डन टेंपल में, अमृतसर के स्वर्ण मंदिर के मुकाबले करीब दोगुना सोना लगा है.
श्रीपुरम स्वर्ण मंदिर (Sripuram Golden Temple Timings) साल भर खुला रहता है. यदि कोई दिव्य दर्शन सेवा का लाभ उठाना चाहता है, तो उसे 100 रुपये का भुगतान करना होगा. हालांकि शनिवार और रविवार को यह निशुल्क होता है. मंदिर या पार्क में प्रवेश के लिए कोई प्रवेश शुल्क नहीं है.
राशिफल: जानिए, कैसा रहेगा आपका आज का दिन (28 जनवरी 2024)
28 Jan, 2024 12:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
मेष राशि :- मन में अशांति, किसी परेशान से बचिए, कुटुम्ब की समस्याओं में समय बीतेगा।
वृष राशि :- संवेदनशील होने से बचिएगा नहीं तो अपने किए पर पछताना पड़ेगा, ध्यान दें।
मिथुन राशि :- मानसिक कार्य में सफलता से संतोष, धन लाभ बिगड़े हुए कार्य अवश्य बनेंगे।
कर्क राशि :- विरोधी वर्ग का समर्थन फलप्रद हो तथा शुभ कार्यों के योग अवश्य बनेंगे।
सिंह राशि :- व्यवसायिक क्षमता अनुकूल रहे, स्थिति पूर्ण नियंत्रण पर बनी रहेगी, ध्यान दें।
कन्या राशि :- सामाजिक कार्यों में प्रभुत्व वृद्धि होगी, धन लाभ आशानुकूल सफलता का हर्ष हो।
तुला राशि :- अधिकारी वर्ग से समर्थन फलप्रद रहे तथा कार्य अवश्य ही बनेंगे।
वृश्चिक राशि :- धन लाभ, कार्यकुशलता से संतोष, पराक्रम एवं समृद्धि के योग बनेंगे।
धनु राशि :- स्त्री शरीर चिन्ता, विवाद ग्रस्त होने से बचिए, कार्य बनने के योग बनेंगे।
मकर राशि :- मनोबल उत्साह वर्धक हो, दैनिक कार्य गति में सफलता मिलेगी।
कुंभ राशि :- कार्य व्यवसाय में उत्तेजना, धन का व्यय एवं शांति निष्फल होवेगी।
मीन राशि :- समृद्धि के साधन जुटाए, इष्ट मित्र सुख वर्धक होवे।
ब्रह्म दोष की मुक्ति के लिए इस मंदिर में शत्रुघ्न ने की थी मौन तपस्या, रोचक है कहानी
27 Jan, 2024 06:45 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
देवभूमि उत्तराखंड में स्थित ऋषिकेश एक पावन तीर्थ स्थल है. देश के अलग-अलग हिस्सों से लोग यहां पूजा पाठ के लिए आते हैं. ऋषिकेश में काफी सारे प्राचीन मंदिर स्थापित हैं, उन्हीं में से एक है राम झूला के पास स्थित श्री शत्रुघ्न मंदिर. इस मंदिर का भी अपना इतिहास है. दूर-दूर से लोग इस मंदिर में दर्शन के लिए आते हैं. वैसे तो यहां हर पर्व बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है, पर इस मंदिर के दो मुख्य पर्व हैं जन्माष्टमी और रामनवमी.
शत्रुघ्न ने की थी मौन तपस्या
Local 18 के साथ हुई बातचीत के दौरान श्री शत्रुघ्न मंदिर के महंत मनोज प्रपांचार्य बताते हैं कि आदिकाल में भगवान शत्रुघ्न ने यहां मौन तपस्या की थी, जिस कारणवश इस स्थल को मौन की रेती के नाम से जाना जाता था और अब यह जगह मुनी की रेती के नाम से सभी के बीच प्रसिद्ध है. भगवान शत्रुघ्न द्वारा रावण के परिवार के लवणासुर का वध हुआ था, जिस कारण शत्रुघ्न को ब्रह्म दोष लगा था. उसी ब्रह्म दोष के निवारण के लिए वह ऋषिकेश आए और ऋषिकेश के इस स्थल पर उन्होंने मौन तपस्या की थी. तभी से यह मंदिर शत्रुघ्न मंदिर के नाम से जाना जाता है.
शत्रुघ्न मंदिर के दो मुख्य पर्व
महंत मनोज प्रपांचार्य आगे बताते हैं कि शत्रुघ्न मंदिर में हर पर्व बड़े धूमधाम से मनाया जाता है, लेकिन जन्माष्टमी और रामनवमी इस मंदिर के मुख्य पर्व हैं. इन दोनों ही पर्वों पर इस मंदिर को बड़ी सुंदर तरीके से सजाया जाता है और साथ ही इस मंदिर में भजन कीर्तन का आयोजन कराया जाता है. श्रद्धालु बड़ी दूर दूर से इस मंदिर में दर्शन के लिए आते हैं.
श्री आदि बद्रीनारायण नाम से भी जाना जाता है मंदिर
आपको बता दें इस मंदिर को शत्रुघ्न मंदिर के साथ-साथ श्री आदि बद्रीनारायण नाम से भी जाना जाता है. इस मंदिर में शत्रुघ्न, भगवान राम, माता सीता, लक्ष्मण के साथ-साथ आपको भगवान विष्णु की प्रतिमाओं के भी दर्शन होंगे. यह मंदिर देश-विदेश से दर्शन करने आए भक्तगणों के लिए सुबह 7 बजे खुलता है और शाम के समय गंगा आरती के बाद इस मंदिर के कपाट बंद कर दिए जाते हैं. इस मंदिर में प्रतिदिन दो समय आरती होती है. अगर आप भी ऋषिकेश घूमने आए हैं या आने वाले हैं, तो इस प्राचीन श्री शत्रुघ्न मंदिर के दर्शन करना ना भूलें.
सपने में भगवान राम के दर्शन करना देता है बड़े संकेत, जानें क्या कहता स्वप्न शास्त्र
27 Jan, 2024 06:30 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
अयोध्या में रामलला विराजमान हो चुके हैं. देश और दुनिया भर में हिन्दू धर्म को मानने वाले लोग राम भक्ति में डूबे हुए है. ऐसे में कुछ भक्त ऐसे भी हैं, जिनके सपने में भगवान राम ने दर्शन दिए हैं. स्वप्न शास्त्र के अनुसार, सपने व्यक्ति को आने वाले भविष्य के बारे में संकेत देते हैं. इनमें कुछ सपने शुभ होते हैं और कुछ अशुभ. स्वप्न शास्त्र मानता है कि भगवान राम या देवी-देवताओं से जुड़ी चीजें सपने में देखना, व्यक्ति को जीवन में कुछ ख़ास तरह के संकेत देता है. तो ऐसे में यदि आपको भी सपने में भगवान राम ने दर्शन दिए हैं, तो यह आपके लिए एक ख़ास संकेत हो सकता है. आइए जानते हैं भोपाल निवासी ज्योतिषी एवं वास्तु सलाहकार पंडित हितेंद्र कुमार शर्मा से स्वप्न शास्त्र के अनुसार सपने में भगवान श्री राम या राम भक्त हनुमान को देखने का क्या मतलब है?
सपने में प्रभु राम को देखने का मतलब
स्वप्न शास्त्र के अनुसार यदि आपको आपके सपने में भगवान राम दिखाई देते हैं, तो यह आपके लिए एक शुभ सपना हो सकता है. सपने में देवी-देवताओं को देखना जीवन में आपार सफलता मिलने को दर्शाता है. सपने में भगवान राम को देखना जीवन की सभी बाधाओं के दूर होने का संकेत है.
सपने में राम मंदिर देखने का मतलब
बहुत से राम भक्तों को अपने सपने में राम मंदिर दिखाई देता है. यदि आप भी उनमें से एक हैं, जिन्हें सपने में राम मंदिर दिखाई देता है, तो यह आपके लिए एक शुभ सपना है. इस तरह के सपने का अर्थ है कि जल्द ही आपके सभी अटके हुए कार्य बनने वाले हैं और आपका तय किया हुआ लक्ष्य पूर्ण होने वाला है.
सपने में राम और हनुमान जी को देखने का मतलब
यदि किसी राम भक्त के सपने में भगवान राम और हनुमान जी एक साथ दिखाई देते हैं, तो यह सपना उस व्यक्ति के लिए बेहद शुभ होने के साथ साथ लाभप्रद भी होता है. श्री राम और हनुमान जी को एक साथ देखने का अर्थ है कि आपके जीवन से सभी संकट दूर होने वाले है.
सपने में हनुमान जी को देखना
यदि आपको अपने सपने में पवनपुत्र हनुमान के दर्शन होते हैं या फिर सपने में आप हनुमान मंदिर या उनकी मूर्ति को देखते हैं, तो ये सपना आपके लिए बेहद शुभ है. इस सपने का अर्थ है कि जल्द ही आप पर हनुमान जी की कृपा होने वाली है और आप अपने सभी शत्रुओं पर विजयी होंगे.
सकट चौथ पर ऐसे करें गणपति की उपासना, दूर होंगे सारे संकट
27 Jan, 2024 06:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
हर वर्ष माघ मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि के दिन सकट चौथ का व्रत किया जाता है. इस व्रत को करने से संतान निरोगी दीर्घायु एवं सुख समृद्धि से परिपूर्ण होती है. ज्योतिषाचार्य पं पंकज पाठक ने बताया कि सकट चौथ पर श्री गणपति जी की उपासना से सारे संकट दूर हो जाते हैं. इस पर्व पर माताएं अपनी संतान की लंबी आयु एवं परिवार की सुख समृद्धि की कामना के लिए उपवास रखती हैं.
सकट चौथ को संकष्टी चतुर्थी, तिलकुट, माघ चतुर्थी आदि नामों से भी जाना जाता है. यह व्रत भगवान गणेश जी को समर्पित होता है. इस व्रत में चंद्रमा को अर्घ्य देने का भी विशेष महत्व माना गया है. इस व्रत को करने से विघ्नहर्ता गणेश जी संतान के सारे संकटों को दूर करते हैं. माना जाता है कि इस व्रत को करने से संतान के ऊपर आने वाले सभी संकट दूर हो जाते हैं. इस साल सकट चौथ का व्रत 29 जनवरी को माना गया है.
व्रत में पान के प्रयोग का महत्व
पं पंकज पाठक ने बताया कि शास्त्रों के अनुसार, भगवान श्रीगणेश जी की पूजा में पान का प्रयोग सभी प्रकार की मनोकामनाओं को पूरा करने वाला माना गया है. मान्यता यह है कि माता मां लक्ष्मी को भी पान अति प्रिय है. कहते हैं कि सकट चौथ की पूजन में भगवान गणेश जी को पान अर्पित करने से माता मां लक्ष्मी का आशीर्वाद प्राप्त होता है.
व्रत पूजा सामग्री इस प्रकार
इस सकट चौथ पूजा के लिए लकड़ी की चौकी, पीला जनेऊ, सुपारी, पान का पत्ता, गंगाजल, लौंग, इलायची, सिंदूर, अक्षत, मौली, इत्र, रोली, मेहंदी, 21 गांठ दूर्वा, लाल फूल, भगवान श्रीगणेश जी की प्रतिमा या मूर्ति, गुलाल, गाय का शुद्ध घी, दीप, धूप, तिल के लड्डू, फल, कथा की पुस्तक, चंद्रमा को अर्घ्य देने के लिए दूध, गंगाजल, कलश, चीनी आदि जरूरी है.
इस मंत्र का जाप करें
सबसे पहले इस दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान करें. स्वच्छ वस्त्र धारण करें. भगवान गणेश जी की फूल, दूर्वा, लड्डू से विधि-विधान पूर्वक पूजा करें. समस्त विघ्नों को हरने वाले भगवान श्रीगणेश जी के मंत्र ‘ॐ गणपतए नमः’ का जाप करें. संतान की लंबी आयु के लिए सकट चौथ व्रत की कथा सुने. इसके बाद रात्रि में चंद्रमा को अर्घ्य देकर व्रत संपन्न करें.
शुभ मुहूर्त
चतुर्थी तिथि का प्रारम्भ 29 जनवरी को 06:10 AM से चतुर्थी तिथि समाप्त 30 जनवरी को सुबह 08:54 बजे तक रहेगा. इसके साथ ही चन्द्रोदय समय रात 09:10 है पर देश के अलग- अलग हिस्सों में चंद्रोदय का समय अलग अलग होता है.
पूजा-विधि इस प्रकार
सबसे पहले सुबह स्नान ध्यान करके भगवान गणेश जी की पूजा कीजिए. फिर इसके बाद सूर्यास्त के बाद स्नान करके साफ स्वच्छ वस्त्र को पहनें. अब श्री गणेश जी की मूर्ति के पास एक कलश में जल भर कर रख दें. इसके बाद धूप-दीप, नैवेद्य, तिल, लड्डू, शकरकंद, अमरूद, गुड़ एवं घी अर्पित कीजिए.
राशिफल: जानिए, कैसा रहेगा आपका आज का दिन (27 जनवरी 2024)
27 Jan, 2024 12:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
मेष राशि :- मानप्रतिष्ठा बाल बाल बचे, कार्य व्यवसाय गति उत्तम, स्त्री वर्ग से क्लेश होगा।
वृष राशि :- धन प्राप्ति के योग बनेंगे, नवीन मैत्री व मंत्रणा प्राप्त होगी, ध्यान अवश्य रखें।
मिथुन राशि :- इष्ट मित्र वर्ग सहायक रहे, व्यवसायिक क्षमता में वृद्धि होवे तथा कार्य बनेंगे।
कर्क राशि :- सामाजिक मान प्रतिष्ठा, कार्य कुशलता, संतोषजनक रहे, कार्य बनने लगेगे।
सिंह राशि :- परिश्रम से समय पर सोचे कार्य पूर्ण होंगे तथा व्यवसाय गति उत्तम होगी।
कन्या राशि :- अधिकारियों का समर्थन फलप्रद रहे, कार्यकुशलता से संतोष होगा, कार्य बनें।
तुला राशि :- दैनिक व्यवसाय गति उत्तम तथा व्यवसायिक चिन्ताएं कम अवश्य होगी।
वृश्चिक राशि :- कार्य वृत्ति में सुधार होगा, असमंजस तथा सफलता न मिलें कार्य अवरोध होगा।
धनु राशि :- स्थिति अनियंत्रित रहे तथा नियंत्रण करना आवश्यक होगा, कलह से बचें।
मकर राशि :- मानसिक खिन्नता एवं स्वभाव में मानसिक उद्विघ्नता रहे।
कुंभ राशि :- योजनाएं फलीभूत हो, विघटनकारी तत्व आय को परेशान अवश्य करेगा।
मीन राशि :- मनोबल उत्साह वर्धक हो, कार्य कुशलता से संतोष हो।
एमपी के इस शहर में है इकलौता सूर्य देव मंदिर, जानें मान्यता और महत्व
26 Jan, 2024 06:45 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
हिंदू धर्म में सूर्य देव एक मात्र ऐसे देवता हैं, जिनके पूरे विश्व को प्रत्यक्ष तौर पर दर्शन होते हैं. इतना ही नहीं सूर्य देवता को शक्ति का स्रोत माना गया है. ऐसा माना जाता है कि सूर्य देव के दर्शन से कई रोगों से मुक्ति मिलती है.खास बात यह है कि सूर्य देवता एकमात्र ऐसे देवता भी है, जिनकी अगर आप पूजा ना भी करें तो वह आपको प्रत्यक्ष तौर पर दर्शन जरूर देते हैं. भारत में सूर्य देव के कई दैविक स्थान मौजूद है और आज हम आपको मध्य प्रदेश के शहर जबलपुर के ऐसे ही एक सूर्य देव के मंदिर के बारे में बताने जा रहे हैं जो की जबलपुर का इकलौता और सबसे पहला सूर्य देव का मंदिर है.
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, सूर्य देव प्रत्यक्ष रूप से दर्शन देने वाले देवता हैं. पौराणिक वेदों में सूर्य का उल्लेख विश्व की आत्मा और ईश्वर के नेत्र के तौर पर किया गया है. सूर्यदेव की पूजा से जीवनशक्ति, मानसिक शांति, ऊर्जा और जीवन में सफलता की प्राप्ति होती है. यही वजह है कि लोग उगते हुए सूर्य को अर्घ्य देते हैं. मान्यता यह भी है कि सूर्य देव का व्रत रखने से सभी इच्छाएं पूरी होती हैं. रामायण में भी इस बात का जिक्र है कि भगवान राम ने लंका के लिए सेतु निर्माण से पहले सूर्य देव की आराधना की थी. भगवान श्रीकृष्ण के पुत्र सांब ने भी सूर्य की आराधना करके ही कुष्ठ रोग से मुक्ति पाई थी.
जबलपुर के संविधान चौक पर स्थित सूर्य देव के इस मंदिर की नींव सन 1981 में रखी गई थी. इस मंदिर की स्थापना रघुवंशी रविदास के द्वारा की गई थी. इस मंदिर के पुजारी ने कहा कि सूर्य देव का यह मंदिर जबलपुर शहर का इकलौता और सबसे पहला भगवान सूर्यदेव का मंदिर है. इस मंदिर से कई भक्तों की विशेष आस्था जुड़ी हुई है.यहां दूर विदेश में रहने वाले भक्त भी जो इस मंदिर से जुड़े हुए हैं जब भी उनका शहर आना होता है वह यहां जरूर आते हैं साथ ही सूर्य भगवान के 12 नाम के साथ रोजाना सुबह-सुबह सूर्य भगवान को जल चढ़ाने से रोगों से मुक्ति तो मिलती ही है साथ ही मनचाहा वरदान भी मिलता है.मंदिर में स्थापित सूर्य देव की यह प्रतिमा भी पूरे शहर में एक ही ऐसी अनोखी प्रतिमा है जिसमें सूर्य देव अपने 7 अश्वों वाले रथ पर विराजित है और इसे देखकर ऐसा प्रतीत होता है की सूर्य देव अपने रथ पर बैठकर पृथ्वी के दौरे पर निकले हुए हैं.
चित्रकूट में कादमगिरी की भी संध्या आरती शुरू, जानिए इस पर्वत का महत्व, श्रीराम ने दिया था क्या वरदान
26 Jan, 2024 06:30 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
चित्रकूट. चित्रकूट के घाट पर सिर्फ संतन की ही नहीं श्रद्धालुओं की भी भीड़ रहती है. हिंदुओं के इस पवित्र तीर्थस्थल का अपना अलग महत्व है. चाहें राम की बात हो या तुलसीदास की चित्रकूट का जिक्र हर जगह मौजूद है. चित्रकूट के कादमकदगिरी पर्वत की भी आरती शुरू हो गयी है.
चित्रकूट धाम मंदाकनी नदी के किनारे बसा हुआ है. यहां के कण-कण में भगवान राम, माता सीता और लक्ष्मण की यादें बसी हुई हैं. भगवान श्री राम की तपोस्थली चित्रकूट में अगर आप घूमने का मन बना रहे हैं तो अब आपको दो जगह आरती में शामिल होने का सौभाग्य मिलेगा. साधु संतों की मांग के बाद प्रशासन ने अब कामदगिरि पर्वत की भी आरती शुरू कर दी है.
रामघाट के बाद कादमगिरी में भी संध्या आरती
कामदगिरि गिरी पर्वत चित्रकूट के परिक्रमा मार्ग पर है. यहां अब रोज शाम 6:30 बजे बनारस की तर्ज पर आरती होगी. अभी तक सिर्फ रामघाट में बनारस की तर्ज पर आरती हुआ करती थी. लेकिन अब कामदगिरिपर्वत की भी आरती शुरू हो गयी है. इस तरह श्रद्धालुओं को चित्रकूट में रोज शाम दो जगह आरती का अवसर मिलेगा. कामदगिरि पर्वत की 5 कि.मी. लंबी परिक्रमा की शुरुआत रामघाट में डुबकी के साथ होती है.
जानिए क्यों खास है कामदगिरि पर्वत
मान्यता है प्रभु श्री राम अपने वनवास काल में कादमगिरी पर्वत में रहते थे. यहां से जाने के बाद उन्होंने इस पर्वत को वरदान दिया था जो भी भक्त इस पहाड़ के दर्शन करेगा उसकी सारी मनोकामनाएं पूरी हो जाएंगी. चित्रकूट धाम की यात्रा भी इस पर्वत की परिक्रमा के बाद ही पूरी मानी जाएगी. हजारों श्रद्धालु मुराद लेकर यहां आते हैं और कामदगिरि पर्वत की परिक्रमा करते हैं.
ऐसी है मान्यता
पुजारी शिव शंकर ने बताया कामदगिरि पर्वत की आरती श्री रामलला के प्राण प्रतिष्ठा के दिन से शुरू हुई है. आरती के लिए सभी साधु संतों और भक्तों की इच्छा थी. यह आरती विपिन विराट महाराज के प्रयासों के बाद शुरू हुई.