धर्म एवं ज्योतिष
राशिफल: जानिए, कैसा रहेगा आपका आज का दिन (05 फ़रवरी 2024)
5 Feb, 2024 12:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
मेष राशि :- प्रत्येक कार्य में बाधा, विलम्ब कष्टप्रद होगा तथा थकावट, बेचैनी अवश्य होगी।
वृष राशि :- कुटुम्ब की समस्याओं में समय बीते, धन का व्यय, समय नष्ट न होने दें।
मिथुन राशि :- स्त्री वर्ग से हर्ष-उल्लास, प्रेम संबंध सफल होवे, रुके कार्य अवश्य ही बन जयेंगे।
कर्क राशि :- आर्थिक योजनापूर्ण होगी, भाग्य का सितारा प्रबल हो, कार्य अधिक होवेगा।
सिंह राशि :- साधन सम्पन्नता के योग बनेंगे, दैनिक व्यवसाय गति उत्तम अवश्य ही बनेगी।
कन्या राशि :- मान-प्रतिष्ठा, प्रभुत्व में वृद्धि, नवीन कार्ययोजना फलप्रद अवश्य ही बनेगी।
तुला राशि :- मनोबल उत्साहवर्धक होगा, कार्यगति में सुधार, विरोधी पराजित होंगे।
वृश्चिक राशि :- लेनदेन के मामले में हानि, विरोधी तत्व में परेशानी होगी, ध्यान रखें।
धनु राशि :- दैनिक सफलता के साधन सम्पन्न होंगे, स्वभाव में क्रोध तथा हानि होगी।
मकर राशि :- दैनिक सम्पन्नता के साधन बनेंगे किन्तु विरोधी तत्वों से परेशानी बनें, कार्य बन जायेंगे।
कुंभ राशि :- बिगड़े कार्य बनेंगे, योजनाएं फलीभूत होगी तथा रुके कार्य बन जायेंगे।
मीन राशि :- स्त्री वर्ग से हर्ष, चिन्ताएं कम हों, विशेष कार्य स्थिगित रखें, कार्य अवश्य होंगे।
बहुत शक्तिशाली है यह शिव मंत्र, जपने मात्र से होंगे ये 7 चमत्कारी फायदे
4 Feb, 2024 06:45 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
हिन्दू धर्म में भगवान शिव को प्रमुख देवताओं में से एक माना जाता है. भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए “ॐ नमः शिवाय” मंत्र का जाप करते हैं. हिन्दू धर्म की परंपराओं में जितने भी मन्त्र हैं, उन सभी का अपना एक विशेष महत्व है. साथ ही इनका उच्चारण करने से कई लाभ भी प्राप्त होते हैं. आज की व्यस्त जीवनशैली के कारण हर व्यक्ति योग और अध्यात्म का सहारा लेकर अपने जीवन से तनाव और चिंता मिटाना चाहता है. “ॐ नमः शिवाय” मंत्र को आत्मा की शुद्धि, तनाव मुक्ति का एक आसान मंत्र माना गया है. सनातन धर्म ग्रंथों में जो मंत्र बताए गए हैं, उन मंत्रों का जाप करने से एक प्रकार का कंपन्न उत्पन्न होता है, जो जीवन को सकारात्मकता देता है. तो चलिए जानते हैं दिल्ली के रहने वाले ज्योतिष आचार्य आलोक पाण्ड्या से भगवान शिव के मंत्र “ॐ नमः शिवाय” के शक्तिशाली प्रभाव और उसके महत्व के बारे में.
ओम नमः शिवाय मंत्र का महत्व
भगवान भोलेनाथ को समर्पित इस मंत्र को पंचाक्षर मंत्र भी कहा जाता है. हिंदू धर्म शास्त्रों में बताया गया है कि इस मंत्र में पंच तत्वों का समायोजन है. मान्यता के अनुसार इस मंत्र के पहले अक्षर “ॐ” से सूर्य का निर्माण हुआ है. “ॐ” अक्षर भगवान शिव को प्रिय भी है, इसलिए जब हम “ॐ” कहते हैं, तो भगवान शिव के साथ-साथ सूर्य देव की आराधना भी होती है. वहीं “नमः शिवाय” का अर्थ ही भगवान शिव के चरणों में ख़ुद का समर्पण, इसलिए हिन्दू धर्म में इस मंत्र का जाप प्रतिदिन करने के लिए कहा गया है.
ओम नमः शिवाय मंत्र जपने के लाभ
1- हिन्दू धर्म ग्रंथों के अनुसार “ॐ नमः शिवाय” मंत्र का जाप करने से ही व्यक्ति में तेज उत्पन्न होता है.
2- जो व्यक्ति इस मंत्र का प्रतिदिन उच्चारण करते हैं. उन व्यक्तियों का व्यवहार और उनका व्यक्तित्व आकर्षक बनता है.
3- इसके अलावा ऐसे व्यक्ति के जीवन के सभी संकट दूर होते हैं.
4- “ॐ नमः शिवाय” मंत्र का जप करने से भगवान शिव की कृपा मिलती है.
5- मान्यता के अनुसार इस मंत्र का जप करने से व्यक्ति के अंदर की नकारात्मकता दूर होती है और उसके जीवन में खुशियां आती हैं.
6- “ॐ नमः शिवाय” मंत्र का जाप करने से भगवान भोलेनाथ के साथ सूर्यदेव की कृपा भी मिलती है.
7- सूर्यदेव को नौ ग्रहों का राजा माना जाता है, ऐसे में यदि कुंडली में सूर्य देव शांत होंगे तो अन्य सभी ग्रह भी शांत हो जाएंगे.
माघ की पहली एकादशी इस दिन, पूजा में इस्तेमाल करें सिर्फ सफेद तिल, इस बार अमृत योग भी
4 Feb, 2024 06:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
एकादशी का दिन भगवान विष्णु को समर्पित रहता है. हर माह में दो एकादशी का व्रत रखा जाता है. एक शुक्ल पक्ष में और दूसरा कृष्ण पक्ष में. माघ माह की कृष्ण पक्ष की एकादशी को षटतिला एकादशी का व्रत रखा जाएगा. षटतिला एकादशी के दिन भगवान विष्णु को तिल का भोग लगता है.
वहीं, ज्योतिषविदों की मानें तो इस दिन भगवान विष्णु की विधि विधान के साथ पूजा आराधना की जाए तो भगवान विष्णु की विशेष कृपा बरसती है और भक्तों को मरने के उपरांत मोक्ष की प्राप्ति होती है. देवघर के ज्योतिषाचार्य ने बताया कि षटतिला एकादशी व्रत क्यों महत्वपूर्ण है और इस दिन क्या करना चाहिए.
खास है मान्यता
देवघर के पागल बाबा आश्रम स्थित मुद्गल ज्योतिष केंद्र के प्रसिद्ध ज्योतिषाचार्य पंडित नंदकिशोर मुद्गल ने बताया कि हर साल माघ महीने की पहली एकादशी को षटतिला एकादशी का व्रत रखा जाता है. इस साल 6 फरवरी को षटतिला एकादशी का व्रत रखा जाएगा. षटतिला एकादशी के दिन भगवान विष्णु की पूजा की जाती है और श्वेत तिल का भोग लगाया जाता है. साथ ही इस दिन श्वेत तिल का दान भी किया जाता है. मान्यता है कि षटतिला एकादशी के दिन जो जितना तिल का दान करता ,है उतने हजार वर्ष वह स्वर्ग में वास करता है.
अमृत योग का हो रहा निर्माण
माघ महीने के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि की शुरुआत 5 फरवरी को शाम 6 बजकर 12 मिनट से शुरू होने जा रही है और समापन अगले दिन यानी 6 फरवरी शाम 7 बजकर 14 मिनट पर होगा. उदया तिथि के अनुसार एकादशी का व्रत 6 फरवरी को रखा जाएगा. वहीं, षटतिला एकादशी की पूजा का शुभ मुहूर्त सुबह 8 बजकर 43 मिनट से दोपहर 12 बजकर 26 मिनट तक रहने वाला है. इस समय में अमृत योग का निर्माण होने वाला है और पूजा के लिए अमृत योग बहुत ही शुभ माना जाता है.
षटतिला एकादशी के दिन करें यह कार्य
ज्योतिषाचार्य ने बताया कि षटतिला एकादशी के दिन भक्त को सुबह स्नान कर व्रत का संकल्प लेना चाहिए. साथ ही इस दिन भगवान विष्णु की विधि विधान के साथ पूजा करने के बाद तिल का भोग लगाना चाहिए और तिल का दान भी करना चाहिए. वहीं इस एकादशी के दिन रात को तिल से ‘ऊं नमो भगवते वासुदेवाय’ मंत्र का 108 बार जाप कर हवन करना चाहिए. इससे घर में सुख समृद्धि की वृद्धि होती है. साथ ही कष्ट से मुक्ति मिलती है.
राशिफल: जानिए, कैसा रहेगा आपका आज का दिन (04 फ़रवरी 2024)
4 Feb, 2024 12:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
मेष राशि :- समय विफल हो, कार्यगति में बाधा, चिन्ता, व्यर्थ भ्रमण तथा कार्य अवरोध होवेगा।
वृष राशि :- इष्ट मित्रों से सुख, अधिकारियों से मेल-मिलाप होवे तथा रुके कार्य अवश्य बनेंगे।
मिथुन राशि :- भाग्य का सितारा प्रबल हो, अधिकारियों के समर्थन से सफलता अवश्य मिलेगी।
कर्क राशि :- भाग्य का सितारा प्रबल हो, बिगड़े कार्य अवश्य ही बनेंगे, कार्य पर ध्यान अवश्य देवें।
सिंह राशि :- इष्ट मित्र सुख वर्धक हों, कुटुम्ब की समस्याएं सुलझें, स्त्री वर्ग से हर्ष होगा।
कन्या राशि :- भावनाएं संवेदनशील रहें, कुटुम्ब में सुख-धन प्राप्ति के योग अवश्य बनेंगे।
तुला राशि :- समय अनुकूल नहीं, स्वास्थ्य नरम रहे, किसी धारणा का अंदेशा अवश्य ही होगा।
वृश्चिक राशि :- शरीर कष्ट, मानसिक उद्विघ्नता, स्वभाव में असमर्थता अवश्य ही रहेगी, ध्यान दें।
धनु राशि :- आशानुकूल सफलता स्थिति में सुधार, व्यवसायिक गति उत्तम अवश्य ही बनेगी।
मकर राशि :- व्यर्थ धन का व्यय, मानसिक उद्विघ्नता हानिप्रद होगी, ध्यान अवश्य रखें।
कुंभ राशि :- इष्ट मित्रों से सावधान रहें, विरोधाभास होगा, व्यवहार बिगड़ेंगे, कार्य न हो।
मीन राशि :- भाग्य का सितारा प्रबल हो, बिगड़े कार्य अवश्य ही बनेंगे, समय का ध्यान रखें।
9 फरवरी को है मौनी अमावस्या, इस दिन करें ये खास उपाय; पितृदोष-शनिदोष से मिलेगी मुक्ति
3 Feb, 2024 06:45 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
हिंदू धर्म में गंगा स्नान का बेहद ही खास महत्व होता है. माघ महीने में गंगा स्नान करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है. विशेष कर माघ महीने की मौनी अमावस्या के दिन. मौनी अमावस्या के दिन मुनियों सा आचरण किया जाता है, इसलिए इसे मौनी अमावस्या कहते हैं. अगर जातक इस दिन व्रत रखकर गंगा स्नान करता है तो सभी तरह के पाप धुल जाते हैं. इसके साथ ही पितृ दोष और शनि दोष से भी छुटकारा मिलता है. तो आइए देवघर के ज्योतिषाचार्य से जानते हैं कि कब है मौनी अमावस्या और इस दिन का क्या महत्व है.
देवघर के पागल बाबा आश्रम स्थित मुद्गल ज्योतिष केंद्र के प्रसिद्ध ज्योतिष आचार्य पंडित नंदकिशोर मुद्गल ने लोकल 18 के संवाददाता से बातचीत करते हुए कहा कि माघ महीने में मौनी अमावस्या के व्रत का खास महत्व होता है. वहीं 9 फरवरी को मौनी अमावस्या का व्रत रखा जाएगा. इस दिन जातक बिना कुछ बोले व्रत का पालन करती हैं. मौनी अमावस्या के दिन पितृ धरती पर आते हैं. अगर जातक इस दिन गंगा किनारे पिंडदान करते हैं. इसके साथ ही पीपल पेड़ में जल अर्पण करने से और संध्या के समय दीपक जलाने से इससे पितृ प्रसन्न होते हैं और पितृ दोष से मुक्ति मिलती है. इसके साथ ही मौनी अमावस्या के दिन गंगा स्नान करने से शनि दोष से भी छुटकारा मिलता है.
कब से शुरू हो रही है मौनी अमावस्या
ज्योतिषआचार्य बताते हैं कि ऋषिकेश पंचांग के अनुसार मौनी अमावस्या की तिथि 9 फरवरी को सुबह 7 बजकर 42 मिनट से शुरू हो रहा है और समापन अगले दिन 10 फरवरी सुबह 04 बजकर 52 मिनट में होने जा रहा है. पूरा उदया तिथि 9 फरवरी को है. इसलिए 9 फरवरी को ही मौनी अमावस्या का गंगा स्नान किया जाएगा. इसके साथ ही व्रत भी 9 फरवरी को ही रखा जाएगा.
षटतिला एकादशी पर पढ़ें यह व्रत कथा, विष्णु कृपा से मिलेगा मोक्ष, जानें पूजा मुहूर्त, पारण समय
3 Feb, 2024 06:30 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
षटतिला एकादशी का व्रत माघ कृष्ण एकादशी तिथि को रखा जाता है. इस साल षटतिला एकादशी व्रत 6 फरवरी दिन मंगलवार को है. तिरुपति के ज्योतिषाचार्य डॉ. कृष्ण कुमार भार्गव का कहना है कि इस बार षटतिला एकादशी की तिथि 5 फरवरी को शाम 05:24 पीएम से 6 फरवरी को शाम 04:07 पीएम तक है. 6 फरवरी को व्रती को स्नान के बाद व्रत और पूजा का संकल्प करना चाहिए. शुभ समय में भगवान विष्णु की पूजा करते हैं और उस दौरान षटतिला एकादशी व्रत की कथा पढ़नी चाहिए. आइए जानते हैं षटतिला एकादशी व्रत की कथा, पूजा मुहूर्त और पारण समय के बारे में.
षटतिला एकादशी व्रत कथा
एक बार भगवान विष्णु ने नारद जी को षटतिला एकादशी की व्रत विधि और महत्व के बारे में बताया. इस व्रत के महत्व को जानने के लिए षटतिला एकादशी की कथा भी सुनाई. पौराणिक कथा के अनुसार, धरती पर एक नगर में ब्राह्मण दंपत्ति रहते थे. एक दिन पति की मृत्यु हो गई, जिससे उसकी पत्नी विधवा हो गई. वह विधवा ब्राह्मणी भगवान विष्णु की भक्ति में अपना समय व्यतीत करती थी. हर मास में एकादशी का व्रत रखती थी.
उस ब्राह्मणी की श्रद्धा और भक्ति को देखकर भगवान विष्णु प्रसन्न हो गए. एक दिन वे साधु का रूप धारण करके एस ब्राह्मणी के पास भिक्षा मांगने पहुंच गए. उस ब्राह्मणी ने उनको अन्न आदि न देकर मिट्टी का एक पिंड दान कर दिया. कुछ देर बाद भगवान विष्णु उस पिंड के साथ बैकुंठ धाम चले गए.
समय व्यतीत होता गया और एक दिन उस ब्राह्मणी की मृत्यु हो गई. व्रत से अर्जित पुण्य के कारण ब्राह्मणी को बैकुंठ धाम में स्थान प्राप्त हुआ. वहां पर उसे एक झोपड़ी मिली और वहां एक आम का पेड़ था. उस झोपड़ी में कुछ भी नहीं था. उसने श्रीहरि से पूछा कि पूरे जीवन व्रत और पूजा पाठ करने के बाद उसे बैकुंठ में स्थान तो मिल गया लेकिन उसकी झोपड़ी खाली क्यों है.
राजा की कुंडली तय करती है बद्रीनाथ धाम के कपाट खुलने की तारीख!
3 Feb, 2024 06:15 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
भगवान नारायण के विश्व प्रसिद्ध धाम बद्रीनाथ (Badrinath Dham) में हर साल लाखों की संख्या में देश-विदेश से श्रद्धालु आते हैं. धाम के कपाट साल में 6 माह के लिए बंद रहते हैं, जबकि दर्शन के लिए 6 माह के लिए खोले जाते हैं. बद्री विशाल के कपाट खुलने एवं बंद होने दोनों प्रक्रियाएं बेहद रोचक है. दरअसल बद्रीनाथ धाम के कपाट खुलने की तिथि प्रत्येक वर्ष वसंत पंचमी को टिहरी के राजदरबार में घोषित होती है.
मान्यता है कि पहले जनता के लिए राजा ही भगवान हुआ करते थे और राजा के ग्रहों की अनुकूलता को देखकर ही राजपुरोहित तिथि घोषित करते थे. सदियों से चली आ रही यह प्रक्रिया आज भी ज्यों की त्यों बनी हुई है और आज भी भगवान के प्रतिनिधि के तौर पर राजा की कुंडली देखकर ही धाम के कपाट खुलने की तिथि घोषित की जाती है.
बसंत पंचमी को निकाला जाएगा शुभ मुहूर्त
श्री बद्रीनाथ धाम के कपाट खुलने की तिथि बसंत पंचमी को प्रत्येक साल टिहरी के नरेंद्रनगर राजमहल में तय होती है. इस वर्ष बसंत पंचमी बुधवार यानि 14 फरवरी को है. इसी दिन राजदरबार नरेंद्रनगर (टिहरी) में विधि-विधान से पंचांग गणना के बाद कपाट खुलने की तारीख तय होगी. इसमें महाराजा मनुजयेंद्र शाह, सांसद माला राज्यलक्ष्मी शाह, श्री बदरीनाथ- केदारनाथ मंदिर समिति अध्यक्ष अजेंद्र अजय, राजकुमारी शिरजा शाह सहित बद्रीनाथ धाम के रावल की उपस्थिति में राजपुरोहित आचार्य कृष्ण प्रसाद उनियाल और टिहरी के महाराजा बद्रीनाथ के कपाट खुलने तिथि की घोषणा करेंगे.
टिहरी के राजा को क्यों कहा जाता है “बोलांदा बद्रीश”
टिहरी दरबार के प्रतिनिधि भवानी प्रताप बताते हैं कि टिहरी दरबार के राजपरिवार के लोग बद्रीनाथ जी के तेल कलश, गाडु कलश को ले जाने की जिम्मेदारी हजारों वर्षों से निभा रहे हैं. टिहरी राजवंश के पहले राजा सुदर्शन शाह को “बोलांदा बद्रीश” के नाम से भी जाना जाता था. मान्यता है कि जो भक्त भगवान बद्री विशाल के दर्शन करने नहीं पहुंच पाते थे, राजा के दर्शन मात्र से उन्हें धाम के दर्शन के समान पुण्य मिल जाता था.
राजमहल करता है बद्रीनाथ की व्यवस्था
बीकेटीसी के मीडिया प्रभारी डॉ हरीश गौड़ बताते हैं कि राजशाही के समय से ही धाम की व्यवस्था राजमहल से ही देखी जाती रही है. जिस कारण आज भी ज्योतिष गणना के बाद राजा की कुंडली में ग्रहों की अनुकूलता देखी जाती है, जिसके बाद विधि विधान के साथ मुहूर्त तय किया जाता है.
त्रेता युग में जैसे अपने राम को जगाती थीं माता कौशल्या, वैसे जगाते हैं यहां
3 Feb, 2024 06:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
अयोध्याःअयोध्या में विराजमान प्रभु राम बालक रूप में विराजमान हैं. उनकी सेवा बालक रूप में की जाती है. बालक राम की नृत्य पूजा विशेष संहिता के अनुसार होती है. इसके लिए बकाया पौराणिक पूजा पद्धति तथा ग्रंथ के अध्ययन के बाद एक नूतन पोथी तैयार की गई है. जिसके हिसाब से प्रभु राम की पूजा आराधना की जाती है. विराजमान बालक राम की दिनचर्या इन दिनों सुबह 4:30 बजे से लेकर रात्रि 10:00 बजे तक है प्रभु राम को पुजारी और अर्चक सुबह 4:30 बजे इस तरह जागते हैं. जैसे त्रेता युग में माता कौशल्या अपने लल्ला को जगाती थी .
प्रभु राम की आज्ञा लेने के बाद ही अर्चक और पुजारी गर्भ ग्रह में प्रवेश करते हैं. इसके बाद जयकारा किया जाता है बालक राम का विस्तर ठीक किया जाता है. मंजन कराया जाता है. उन्हें स्नान कराया जाता है. उसके बाद रामलला को नवीन वस्त्र धारण कर कर मुकुट धारण कराया जाता है. प्रभु राम राजकुमार है इसलिए खुले सर वह दर्शन नहीं देते मुकुट धारण करा कर ही दर्शन देते हैं. उसके बाद फल रबड़ी मालपुआ माखन मिश्री मलाई आदि का भोग लगाया जाता है. उसके बाद मंगला आरती की जाती है फिर रामलला को सफेद गाय और गज का दर्शन कराया जाता है. उसके बाद बाल भोग लगाया जाता है श्रृंगार आरती होती है. उसके बाद प्रभु राम पूरे देश से आए राम भक्तों को अद्भुत दर्शन देते हैं.
सुबह 4:30 श्रृंगार आरती 6:30 बजे मंगला आरती
इतना ही नहीं प्रतिदिन भगवान राम लाल की पांच आरती होती है जिसमें सुबह 4:30 श्रृंगार आरती 6:30 बजे मंगला आरती. इसके बाद दोपहर 12:00 बजे भोग आरती शाम 7:30 बजे संध्या आरती 8:00 आरती तथा 10:00 बजे शयन आरती होती है. प्रतिदिन लाखों की संख्या में राम भक्त दर्शन पूजन करते हैं. अगर राम मंदिर ट्रस्ट की मानी तो 12 दिनों में विराजमान होने के बाद 25 लाख से ज्यादा राम भक्त ने दर्शन पूजन किया है.
प्रभु राम की सेवा आराधना बालक स्वरूप की जाती है
राम जन्मभूमि के मुख्य पुजारी आचार्य सत्येंद्र दास ने बताया कि प्रभु राम की सेवा आराधना बालक स्वरूप की जाती है. जैसे एक बालक की उसके माता-पिता सेवा आराधना करते हैं. वैसे ही पुजारी 5 वर्ष के बालक प्रभु राम की सेवा आराधना में लीन रहते हैं. सुबह भर में बाकायदा मित्रों का उच्चारण करते हुए प्रभु राम को जगाया जाता है. उनको मंजन कराया जाता है भोग लगाया जाता है. माथे पर मुकुट धारण कराया जाता है. आरती उतारी जाती है उसके बाद प्रभु राम अपने भक्तों को अद्भुत दर्शन देते हैं. इतना ही नहीं जिस तरह त्रेता युग में माता कौशल्या अपने लल्ला को जागती थी. वैसे ही विराजमान होने के बाद प्रभु राम को पुजारी सुबह जागते हैं.
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राशिफल: जानिए, कैसा रहेगा आपका आज का दिन (03 फ़रवरी 2024)
3 Feb, 2024 12:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
मेष राशि :- अशुद्ध गोचर रहने से विशेष रुप से आय सतर्क रहें, थकान व बेचैनी बढ़ेगी।
वृष राशि :- अशुद्ध गोचर रहने से कार्य में बाधा होगी, शरीरिक कष्ट तथा भय होगा।
मिथुन राशि :- कुटुम्ब से तनाव व क्लेश, अशांति तथा मानसिक विभ्रम अवश्य ही होगा।
कर्क राशि :- अशुद्ध गोचर रहने से विशेष कार्य स्थगित रखें, मानसिक शुद्धता बनेगी।
सिंह राशि :- स्त्री वर्ग से कष्ट, चिन्ता तथा व्यवसाय नरम होगा, बने कार्य रुकेंगे।
कन्या राशि :- अधिकारियों से तनाव, क्लेशप्रद स्थिति से बचिये, दैनिक कार्यगति मंद अवश्य होगी।
तुला राशि :- अशुद्ध गोचर रहने से विशेष कार्यगति स्थगित रखें, समय को अनुकूल बनायें।
वृश्चिक राशि :- अशुद्ध गोचर रहने से विशेष कार्य बाधा होगी, परिश्रम सफल होगा ध्यान दें।
धनु राशि :- व्यवसाय में बेचैनी, तनाव की स्थिति रहेगी, परिश्रम से सफलता मिलेगी।
मकर राशि :- चोटादि की संभावना है, अशुद्ध गोचर रहने से कार्य हानि होगी।
कुंभ राशि :- स्त्री वर्ग व संतान से तनाव, क्लेश व अशांति, मानसिक बेचैनी अवश्य बनेगी।
मीन राशि :- समय ठीक नहीं विशेष कार्य स्थगित रखें, कार्य व्यवसाय बनेगा, समय का ध्यान रखें।
बसंत पंचमी के दिन छात्र जरूर करें ये सरल उपाय, बरसेगी मां सरस्वती की कृपा; सफलता चूमेगी कदम!
2 Feb, 2024 06:45 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
सरस्वती पूजा हर साल माघ महीने के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को मनाई जाती है. इस साल बसंत पंचमी यानी सरस्वती पूजा 14 फरवरी को मनाई जाएगी. सरस्वती पूजा के दिन कई लोग अपने-अपने तरीके से माता सरस्वती की पूजा आराधना करते हैं. शास्त्रों के अनुसार बसंत पंचमी के दिन माता सरस्वती हाथों में पुस्तक वीणा और माला लिए श्वेत कमल फूल पर विराजमान होकर प्रकट हुई थीं.
सरस्वती पूजा के दिन माता सरस्वती की अगर विधि विधान के साथ पूजा आराधना की जाए तो छात्रों के जीवन में सफलता का योग बनता है. वहीं कई ऐसे उपाय हैं जो आप सरस्वती पूजा के दिन करते हैं तो छात्रों के जीवन में बुद्धि बढ़ती है और सफलता भी मिलती है. देवघर के ज्योतिषआचार्य जी से जानते हैं कि ये उपाय क्या हैं?
क्या कहते हैं देवघर के ज्योतिषआचार्य
देवघर के पागल बाबा आश्रम स्थित मुद्गल ज्योतिष केंद्र के प्रसिद्ध ज्योतिष आचार्य पंडित नंदकिशोर मुद्गल ने लोकल 18 के संवाददाता से बातचीत करते हुए कहा कि छात्रों के जीवन के लिए बसंत पंचमी का दिन यानी सरस्वती पूजा का दिन बहुत ही महत्वपूर्ण होता है, क्योंकि माता सरस्वती विद्या की देवी मानी जाती हैं. छात्रों को शिक्षा से संबंधित जो भी परेशानियां होती हैं वह सरस्वती पूजा के दिन अगर माता सरस्वती की पूजा आराधना विशेष कर करते हैं तो सारी परेशानियां दूर हो जाती हैं. वहीं कई ऐसे उपाय हैं जिससे माता सरस्वती प्रसन्न होती हैं और छात्रों पर विशेष कृपा बरसती है.
सरस्वती पुजा के दिन छात्र करें ये उपाय
ज्योतिष आचार्य बताते हैं कि जिन छात्रों को सफलता नहीं मिल रही है या पढ़ाई में मन नहीं लग रहा है वैसे छात्र अगर सरस्वती पूजा के दिन पीला पुष्प यानी कनेल के पुष्प की माला, पीला वस्त्र और पीला चंदन माता सरस्वती को अर्पण करते हैं तो इससे माता सरस्वती बेहद प्रसन्न होती हैं. माता सरस्वती का प्रिय रंग पीला है. इसके साथ ही जिस रूम में आप पढ़ाई करते हैं उस रूम में सरस्वती पूजा के दिन माता सरस्वती का एक चित्र जरूर लगाएं और स्नान कर पूजा आराधना करें. इसके बाद सरस्वती बीज मंत्र की पाठ 108 बार करें. इससे माता सरस्वती की विशेष कृपा आप पर बरसेगी.
क्या है शुभ मुहूर्त
सरस्वती पूजा के दिन रवि योग और अमृत योग का भी निर्माण होने जा रहा है. सरस्वती पूजा का शुभ मुहूर्त 14 फरवरी को 12 बजकर 30 मिनट से लेकर 1 बजकर 30 मिनट तक रहने वाला है.
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कालाष्टमी के दिन कर लें एक आसान उपाय, काल भैरव होंगे प्रसन्न, भय और नकारात्मकता से मिलेगी मुक्ति
2 Feb, 2024 06:30 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
फरवरी 2024 का मासिक कालाष्टमी व्रत 2 फरवरी दिन शुक्रवार को है. यह माघ का भी मासिक कालाष्टमी व्रत है. कालाष्टमी व्रत वाले दिन काल भैरव की पूजा करने का विधान है. काल भैरव की पूजा का मुहूर्त देर रात 12 बजकर 08 मिनट से 01 बजकर 01 मिनट तक है. काल भैरव की पूजा निशिता मुहूर्त में की जाती है. काशी के ज्योतिषाचार्य चक्रपाणि भट्ट के अनुसार, मासिक कालाष्टमी की तिथि 2 फरवरी शुक्रवार को 04:02 पीएम से लेकर 3 फरवरी को 05:20 पीएम तक रहेगी. कालाष्टमी वाले दिन अभिजीत मुहूर्त 12:13 पीएम से 12:57 पीएम मिनट तक है.
काल भैरव को प्रसन्न करने का एक उपाय
मासिक कालाष्टमी वाले दिन आपको काल भैरव को प्रसन्न करने के लिए भैरव स्तोत्र का पाठ करना चाहिए. उससे पहले आप काल भैरव की विधि विधान से पूजा कर लें. उसके बाद उनकी इमरती, लगा हुआ पान आदि का भोग लगाएं. उसके बाद भैरव स्तोत्र का पाठ करें. यह स्तोत्र संस्कृत में लिखा है, इसका शुद्ध उच्चारण करते हुए पाठ करें. भैरव स्तोत्र का पाठ करने से भय दूर होता है. तंत्र-मंत्र की नकारात्मकता मिटती है. काल भैरव को तंत्र मंत्र का देवता माना जाता है. इनकी सिद्धि के लिए उनकी पूजा होती है. आइए जानते हैं भैरव स्तोत्र के बारे में.
महाकाल भैरव स्तोत्र
ओम महाकाल भैरवाय नम:
जलद् पटलनीलं दीप्यमानोग्रकेशं,
त्रिशिख डमरूहस्तं चन्द्रलेखावतंसं!
विमल वृष निरुढं चित्रशार्दूलवास:,
विजयमनिशमीडे विक्रमोद्दण्डचण्डम्!!
बिकट कटि कराळं ह्यट्टहासं विशाळम्!
करगतकरबालं नागयज्ञोपवीतं,
भज जन शिवरूपं भैरवं भूतनाथम्!!
भैरव स्तोत्र
यं यं यं यक्ष रूपं दशदिशिवदनं भूमिकम्पायमानं।
सं सं सं संहारमूर्ती शुभ मुकुट जटाशेखरम् चन्द्रबिम्बम्।।
दं दं दं दीर्घकायं विकृतनख मुखं चौर्ध्वरोयं करालं।
पं पं पं पापनाशं प्रणमत सततं भैरवं क्षेत्रपालम्।।
रं रं रं रक्तवर्ण कटक कटितनुं तीक्ष्णदंष्ट्राविशालम्।
घं घं घं घोर घोष घ घ घ घ घर्घरा घोर नादम्।।
कं कं कं काल रूपं घगघग घगितं ज्वालितं कामदेहं।
दं दं दं दिव्यदेहं प्रणमत सततं भैरवं क्षेत्रपालम्।।
लं लं लं लम्बदंतं ल ल ल ल लुलितं दीर्घ जिह्वकरालं।
धूं धूं धूं धूम्र वर्ण स्फुट विकृत मुखं मासुरं भीमरूपम्।।
रूं रूं रूं रुण्डमालं रूधिरमय मुखं ताम्रनेत्रं विशालम्।
नं नं नं नग्नरूपं प्रणमत सततं भैरवं क्षेत्रपालम्।।
वं वं वं वायुवेगम प्रलय परिमितं ब्रह्मरूपं स्वरूपम्।
खं खं खं खड्ग हस्तं त्रिभुवननिलयं भास्करम् भीमरूपम्।।
चं चं चं चालयन्तं चलचल चलितं चालितं भूत चक्रम्।
मं मं मं मायाकायं प्रणमत सततं भैरवं क्षेत्रपालम्।।
कब शुरू होगी गुप्त नवरात्रि? तंत्र-मंत्र की साधना के लिए है खास
2 Feb, 2024 06:15 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
सनातन धर्म में हर पर्व हर त्योहार का बड़ा अधिक महत्व माना जाता है. हिंदू पंचांग के मुताबिक साल में चार बार नवरात्र का पर्व मनाया जाता है. जिसमें दो नवरात्रि काफी प्रचलन में है. नवरात्रि के नौ दिनों में माता दुर्गा के नौ स्वरूपों की पूजा आराधना की जाती है. प्रत्येक वर्ष में दो गुप्त नवरात्रि जिसमे एक माघ की गुप्त नवरात्रि तो दूसरा आषाढ़ की गुप्त नवरात्रि इसके साथ ही एक चैत्र रामनवमी और दूसरा कुवार की नवरात्रि मनाई जाती है. धार्मिक मान्यता के मुताबिक नवरात्रि के नौ दिनों में मां जगत जननी जगदंबा के 9 स्वरूपों की पूजा आराधना की जाती है. आज हम आपको इस रिपोर्ट में बताएंगे की गुप्त नवरात्रि की 10 महाविद्याएं कौन है.
अयोध्या के ज्योतिष पंडित कल्कि राम बताते हैं कि गुप्त नवरात्रि का पर्व 10 फरवरी से शुरू हो रहा है. जिसमें घट स्थापना का शुभ मुहूर्त 10 फरवरी सुबह 8:45 से सुबह 10:10 तक रहेगा तो वहीं अभिजीत मुहूर्त दोपहर 12:13 से 12:58 तक रहेगा. 18 फरवरी को माघ माह की गुप्त नवरात्रि समाप्त होगी.गुप्त नवरात्रि में मां काली और दस महाविद्या की पूजा गुप्त रूप से की जाती है.
गुप्त नवरात्रि के 10 महाविद्या
मां काली, मां तारा, मां छिन्नमस्ता, मां षोडशी, मां भुवनेश्वरी, मां त्रिपुर भैरवी, मां धूमावती, मां बगलामुखी, मां मातंगी और मां कमला की पूजा करने का विधान है और यह 10 महाविद्या मां दुर्गा के ही रूप मानी जाती है. माना जाता है कि इसकी आराधना करने से साधक की सिद्धि पूरी होती है.
दस महाविद्या की पूजा के लाभ
माघ माह की गुप्त नवरात्रि के दौरान मुख्य रूप से 9 दिनों में 10 महाविद्याओं की पूजा आराधना की जाती है. इस पूजा को तंत्र मंत्र की साधना के लिए भी खास माना जाता है. इतना ही नहीं अधिकतर अघोरी द्वारा गुप्त नवरात्रि की पूजा आराधना की जाती है. माना जाता है कि इस पूजा अनुष्ठान को जितना गुप्त रखा जाता है उतना ही मनोकामना भी पूरी होती है. यही वजह है कि इस नवरात्र को गुप्त नवरात्र के नाम से जाना जाता है. 9 दिनों तक अखंड दीप जलाया जाता है.
साल 2024 में इतने दिन बजेगी शहनाई, ये हैं शुभ मुहूर्त, इस दिन का अलग ही महत्व
2 Feb, 2024 06:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
भारत में मांगलिक कार्यों के लिए शुभ मुहूर्त देखा जाता है. इसका कारण है कि जब भी कोई व्यक्ति कोई मांगलिक काम करता है तो वह अच्छे से संपन्न हो इसके लिए वह एक दिन चुनता है. शादी व्यक्ति की जिंदगी का एक अद्भुत पल होता है जिसे लोग अच्छे से निर्विघ्न संपन्न करना चाहते हैं. साल 2024 में 16 जनवरी से मांगलिक कार्य फिर से शुरू हुए हैं. जनवरी निकालने के बाद फरवरी में शादी-विवाह के 20 दिन शुभ मुहूर्त है.
इस बार लीप ईयर होने के कारण फरवरी 29 दिन की होगी. केवल 9 दिन छोड़कर हर दिन बैंड-बाजा बारात की धूम रहेगी. एक तरह से पूरे महीने विवाह व अन्य मांगलिक कार्यों के शुभ मुहूर्त है. गली-मोहल्लों में शहनाई की गूंज सुनाई देगी. इस साल सर्वाधिक मुहूर्त वाला महीना फरवरी है. मई-जून और अगस्त-सितम्बर जैसे महीनों में तो विवाह मुहूर्त है ही नहीं. पूरे साल में शादी के लिए कुल 77 दिन शुभ मुहूर्त है पूरे महीने में बीस दिन विवाह के मुहूर्त है. महीना का आखिरी दिन भी 29 फरवरी को भी शहनाई बजेगी.
जानें 2024 में शुभ मुहूर्त
भीलवाड़ा सहित प्रदेश भर में 2024 के मांगलिक कार्यो की शुरुआत हो चुकी हैं यह पूरा साल शादियों के सीजन से भरा रहने वाला हैं. वहीं, अगर 2024 साल में फरवरी के बाद के शुभ मुहूर्त की बात की जाए तो फरवरी का महीना शादी और प्यार का महीना रहेगा क्योंकि सबसे ज्यादा सावे भी इसी महीने में हैं. फरवरी के महीने में तारीख 1 से 8, 12, 13, 14, 17, 18, 19, 23 से 27 और 29 तक शुभ मुहूर्त रहने वाले हैं. वहीं, दूसरी तरफ अगले महीने यानी कि मार्च माह में 1 से 7 और 11, 12 तक और अप्रैल के महीने में 18 से 22, जुलाई के महीने में 3 और 9 से 15 तक ,नवम्बर के महीने में 16 से 18 व 22 से 26 तक इसके साथ ही अंत में दिसंबर के आखिरी महीने में 2 से 5, 9 से 13 और 14, 15 तक शादियों के लिए विशेष मुहूर्त रहने वाले हैं.
फरवरी में 20 मुहूर्त
मांगलिक कार्यों के चलते अब सभी जगह पर तैयारी होती दिखाई दे रही है. टेंट वाले, हलवाई, बैंड बाजा, घोड़ी सभी पूरे साल के लिए बुक हो चुके हैं. इस साल अगस्त व सितंबर बिल्कुल सूखा रहेगा तो वहीं, फरवरी माह में सबसे ज्यादा 20 दिन सावे हैं. कोरोना की मार के बाद अब सभी व्यवसाय अच्छे से अपनी रफ्तार पकड़ रहे हैं जिससे इसके साथ लगने वाले छोटे व्यापारियों को भी आय हो रही है.
29 फरवरी शादी के लिए स्पेशल
इस बार 2024 का साल लीप ईयर होने के कारण फरवरी 29 दिन की होने वाली है. यह एक ऐसा एक ऐसा समय है जिसमें करीब 4 साल के 5 फरवरी के महीने में 29 तारीख का दिन आता है और इस दिन शादी का विशेष मुहूर्त होने के वजह से कहीं ना कहीं लोगों के बीच यह है काफी विशेष दिन माना जा रहा है. इस दिन के लिए हर किसी को बेसब्री से इंतजार है और शादी के मौके पर 29 फरवरी का एक अलग ही महत्व और क्रेज रहा है.
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राशिफल: जानिए, कैसा रहेगा आपका आज का दिन (02 फ़रवरी 2024)
2 Feb, 2024 12:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
मेष राशि :- कार्य व्यवसाय में विचलित होंगे, स्त्री शरीर कष्ट, मानसिक बेचैनी बनेगी।
वृष राशि :- आकस्मिक बेचैनी, स्वभाव में खिन्नता, थकावट, असमंजस व अस्थिरता की स्थिति बनेगी।
मिथुन राशि :- अकारण बेचैनी, शरीर कष्ट, चोट-चपेट व कष्टप्रद स्थिति बनेगी, धैर्य रखें।
कर्क राशि :- धन लाभ, आशानुकूल सफलता से लाभ होगा, बिगड़े कार्य बनेंगे ध्यान दें।
सिंह राशि :- मन में बेचैनी, धन लाभ, आशानुकूल सफलता से लाभ होगा, समय का ध्यान रखें।
कन्या राशि :- अर्थलाभ कुटुम्ब की समस्यायें अवश्य ही सुलझेंगी, स्त्री कार्य से हर्ष होगा।
तुला राशि :- विरोधी परेशान करेंगे, प्रतिष्ठा पर आंच आने का भय सावधान रहें, मानसिक तनाव।
वृश्चिक राशि :- कार्यवृत्ति में सुधार, प्रगति की ओर बढ़ेंगे, मित्रों के सहयोग से कार्य होंगे।
धनु राशि :- अधिकारियों से तनाव व क्लेश, मान-प्रतिष्ठा बाल-बाल बचे, रुके कार्य बनेंगे।
मकर राशि :- चिन्तायें कम होंगी, सफलता के साधन जुटायें, कार्य अवश्य ही होंगे।
कुंभ राशि :- आर्थिक परेशानी हो सकती है, कार्यवृत्ति में सुधार होगा, समय का ध्यान रखें।
मीन राशि :- इष्ट मित्र सुखवर्धक होंगे, आर्थिक योजना पूर्ण होगी, समय पर कार्य करें।
हस्तरेखा से जानें कब आएगा धन
1 Feb, 2024 07:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
आपके हाथ की रेखाएं भी काफी कुछ बताती हैं। ज्योतिष और हस्तरेखा के अनुसार रेखाएं यह भी बताती हैं कि वह धनवान बनेगा या नहीं। इस बात में कुछ सच्चाई तो है कि आपके हाथ की लकीरें आपकी किस्मत का हाल बताती हैं। इन लकीरों में किस्मत से जुड़े कई रहस्य निहित रहते हैं। ज्यादातर लोग यही जानना चाहते हैं कि उनके जीवन में धन की क्या स्थिति रहेगी। आज हम आपको हाथ की रेखाओं से जुड़े उन संकेतों के बारे में बताएंगे जिनसे जीवन में धन की स्थिति के बारे में पता चलता है।
अचानक मिलता है लाभ
यदि आपकी हथेली भारी और उंगलियों का आधार एकसमान होता है, साथ ही भाग्यरेखा एक से अधिक हो तो यह भाग्य में एक से अधिक धन प्राप्ति के साधन और लाभ का संकेत देता है। ऐसे व्यक्तियों को अचानक लाभ मिलता है।
व्यवसाय में होता है नाम
किसी मनुष्य की भाग्य रेखा हथेली में मोटी से पतली होती प्रतीत हो और जीवन रेखा गोल और शनि पर्वत ऊंचा हो तो व्यक्ति व्यवसाय में खूब पैसा अर्जित करता है और धनवान रहता है।
पैतृक संपत्ति से होता है लाभ
यदि किसी व्यक्ति की जीवन रेखा के साथ मंगल रेखा चल रही हो और हथेली भारी हो तो यह इस बात का संकेत है कि वह व्यक्ति करोड़पति बन सकता है। साथ ही ऐसे व्यक्ति को अपनी पुश्तैनी संपत्ति से भी बड़ा लाभ मिलता है।
विदेश में मिल सकता है धन
हाथ की हथेली में भाग्य रेखा अगर जीवन रेखा से दूर और चंद्र पर्वत से एक पतली रेखा निकलकर भाग्यरेखा से मिलती प्रतीत हो तो व्यक्ति विदेश में रहकर खूब धन यश कमा सकता है। ऐसे लोगों का भाग्योदय शादी के बाद होता है।
धनवान बनाती है यह रेखा
किसी व्यक्ति की हथेली में चंद्रमा से एक रेखा जाकर भाग्यरेखा से मिले लेकिन भाग्य रेखा पतली प्रतीत हो और सीधे शनि पर्वत पर खत्म हो रही तो यह आपके करोड़पति बनने की सूचक होती है।
तिल बनाता है करोड़पति
किसी व्यक्ति के हाथ की उंगलियां सीधी हो और जीवन रेखा गोल आकार में हो साथ ही शुक्र पर्वत पर तिल का निशान हो तो आप निश्चित ही बहुत धन कमाएंगे।
त्रिकोण का निशान देता है यह संकेत
किसी व्यक्ति के हाथ में भाग्य रेखा, बुध रेखा और मस्तिष्क से त्रिकोण का निशान बनता हो तो वह आगे चलकर अमीर आदमी बनता है।