धर्म एवं ज्योतिष
इस मंदिर के दर्शन बिना अधूरी रह जाएगी बद्रीनाथ धाम की यात्रा, 500 साल पुराना है इतिहास
24 Feb, 2024 06:45 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
देवभूमि उत्तराखंड में स्थित योगनगरी ऋषिकेश एक पावन तीर्थ स्थल है. हर साल देश विदेश से लाखों की संख्या में लोग यहां घूमने व मंदिरों के दर्शन करने आते हैं. यहां स्थापित मंदिर व घाट मुख्य आकर्षण का केंद्र है. यहां कई सारे प्राचीन मंदिर स्थापित हैं, जिनमें से एक सत्यनारायण भगवान का मंदिर भी है.
मंदिर के महंत कृष्ण मुरारी दास बताते हैं कि इस मंदिर की गिनती ऋषिकेश के प्राचीन मंदिरों में की जाती है. यह लक्ष्मण झूला के पास ही में स्थित 500 साल पुराना मंदिर है. प्राचीन होने के साथ ही यह मंदिर भगवान सत्यनारायण का ऋषिकेश में एकमात्र मंदिर भी है, जिसकी स्थापना महंत माधव दास जी महाराज ने की थी और अभी वर्तमान में इस मंदिर का संचालन मनीराम छावनी अयोध्या श्री श्री 108 श्री महंत नित गोपाल जी महाराज द्वारा किया जा रहा है.
सत्यनारायण कथा का होता है आयोजन
महंत कृष्ण मुरारी बताते हैं कि चूंकि यह मंदिर भगवान सत्यनारायण को समर्पित है, इसलिए पूर्णमासी के अवसर पर यहां सत्यनारायण की कथा का आयोजन कराया जाता है. साथ ही साधु सेवा इस मंदिर की परंपरा है. मणि राम दास जी द्वारा शुरु की गई परंपरा का इस मंदिर में अभी भी विधिवत पालन होता है. अभी भी इस मंदिर में सभी साधु संतों की विशेष सेवा की जाती है.
मंदिर के दर्शन किए बिना अधूरी है बद्रीनाथ धाम की यात्रा
वह आगे बताते हैं कि सालों पहले जब मोटर मार्ग की सुविधा उपलब्ध नहीं थी. चारधाम यात्रा कर रहे यात्री यहां विश्राम किया करते थे. यही नहीं, इस मंदिर के दर्शन किए बिना बद्रीनाथ धाम की यात्रा अधूरी मानी जाती थी. बद्रीनाथ धाम जा रहे यात्री पहले इस मंदिर के दर्शन करते, उसके बाद ही बद्रीनाथ धाम के दर्शन करते थे. अगर आप ऋषिकेश घूमने आए हुए हैं या फिर आने की सोच रहे हैं, तो इस मंदिर के दर्शन जरूर करें. आपकी जानकारी के लिए बता दें कि इस मंदिर के कपाट प्रातः गंगा आरती के बाद भक्तजनों के लिए खुल जाते हैं और संध्याकाल आरती के बाद करीब 8 बजे मंदिर के कपाट बंद हो जाते हैं.
महाशिवरात्रि से लेकर होली...मार्च में हैं ये प्रमुख पर्व-त्योहार
24 Feb, 2024 06:30 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
साल 2024 का तीसरा महीना यानी मार्च शुरू होने वाला है. इस महीने में कई प्रमुख व्रत और त्योहार है. महाशिवरात्रि, होली जैसे बड़े त्योहार भी इस महीने में है. त्योहार और व्रत के हिसाब से यह महीना बेहद खास है.
हिन्दू पंचांग के अनुसार, यह महीना फाल्गुन कृष्ण पक्ष की षष्ठी तिथि से शुरू हो रही है. आइये जानते हैं काशी के ज्योतिषाचार्य पंडित संजय उपाध्याय से इस महीने कौन-कौन से प्रमुख व्रत और त्योहार कब कब हैं.
विजया एकादशी (6 मार्च 2024): मार्च महीने में 6 तारीख को विजया एकादशी है.भगवान विष्णु की कृपा पाने और व्रत के लिए यह दिन खास है.
महाशिवरात्रि (8 मार्च 2024): महाशिवरात्रि का पर्व शिवभक्तों के लिए खास होता है. इस बार यह पर्व 8 मार्च को है. इस दिन भगवान शिव की कृपा पाने के लिए मंदिरों में शिवभक्तों की कतार लगी होती है.इस दिन व्रत और रुद्राभिषेक का भी विशेष महत्व है.
फाल्गुन अमावस्या (10 मार्च 2023): पितरों की कृपा पाने के लिए यह तिथि बेहद शुभ है.इस दिन स्नान और दान से पितर प्रसन्न होते है.इस दिन गरीबों को भोजन करना बेहद अच्छा होता है.
आमलकी एकादशी (20 फरवरी 2024):इस दिन आंवले के पेड़ की पूजा करनी चाहिए. इसके अलावा भगवान विष्णु की पूजा और व्रत करना चाहिए.इससे भगवान विष्णु के साथ माता लक्ष्मी की कृपा मिलेगी.
होलिका दहन (24 मार्च 2024): होलाष्टक के आखरी दिन होलिका जलाई जाती है.इस दिन हिरण्यकश्यप की बहन होलिका अग्नि में जल गई थी.होलिका के अगले दिन ही होली मनाई जाती है.
होली,फाल्गुन (25 मार्च 2024): रंगों का त्योहार होली 25 मार्च को मनाया जाएगा.यह त्योहार हिंदुओं का प्रमुख त्योहार में से एक है.पूरे देश में यह दिन बेहद धूमधाम से मनाया जाएगा.
संकष्ठी चतुर्थी (28 मार्च 2024):भगवान गणेश की कृपा पाने के लिए यह दिन बेहद खास होता है.इस दिन गणपति के पूजन के साथ व्रत करने का भी खासा महत्व है.
सपने में किसी की शादी देखना हो सकता है अशुभ संकेत, ऐसे स्वप्न को न करें नजरअंदाज
24 Feb, 2024 06:15 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
लोगों को अपने सपने में अलग-अलग चीज़ें दिखाई देती हैं. सपने में दिखाई देने वाली चीज़ों के बारे में जानने को लेकर लोगों के मन में उत्सुकता रहती है, जबकि बहुत से लोग इस ओर ज़्यादा ध्यान नहीं देते. स्वप्न शास्त्र मानता है कि सपने में दिखाई देने वाली चीज़ें हमारे भविष्य की घटनाओं की ओर संकेत करती हैं. कई बार लोगों को सपने में ख़ुद की या अपने किसी मित्र की शादी होते हुए दिखाई देती है. स्वप्न शास्त्र के अनुसार सपने में विवाह दिखाई देने का अलग-अलग मतलब हो सकता है. तो चलिए जानते हैं दिल्ली के रहने वाले ज्योतिष आचार्य पंडित आलोक पाण्ड्या से सपने में विवाह होते हुए देखना शुभ है या अशुभ?
1. सपने में खुद की शादी होते हुए देखना
यदि किसी व्यक्ति को सपने में खुद की शादी होते हुए दिखाई दे, तो यह उस व्यक्ति के लिए एक अशुभ संकेत है. स्वप्न शास्त्र के अनुसार इस सपने का अर्थ है कि भविष्य में आपके साथ कोई बड़ी घटना घट सकती है या फिर आपको व्यापार या नौकरी में नुकसान उठाना पड़ सकता है.
2. सपने में किसी दोस्त या रिश्तेदार की शादी देखना
यदि किसी व्यक्ति को अपने सपने में किसी दोस्त या नज़दीकी रिश्तेदार की शादी होते हुए दिखाई दे तो यह उस व्यक्ति के लिए एक अशुभ संकेत माना जाएगा. स्वप्न शास्त्र मानता है कि इस सपने का अर्थ है कि उस व्यक्ति के कार्यों में बाधाएं उत्पन्न होने वाली हैं. ऐसे व्यक्ति को आर्थिक तंगी का सामना करना पड़ सकता है.
3. सपने में दोबारा शादी होते हुए देखना
यदि किसी व्यक्ति को सपने में अपनी शादी दोबारा होते हुई दिखाई दे, तो यह सपना उस व्यक्ति के लिए शुभ नहीं माना जाएगा. स्वप्न शास्त्र के अनुसार, इस सपने का अर्थ है कि उस व्यक्ति के वैवाहिक जीवन में कई प्रकार की बाधाएं उत्पन्न हो सकती हैं. दाम्पत्य जीवन में वाद-विवाद की स्थिति का निर्माण होगा. ऐसे में वैवाहिक जीवन का कोई भी निर्णय बिना सोचे-समझे नहीं लें.
कृष्ण मंदिर में जब सगीर अंसारी बजाते हैं बांसुरी, सुध-बुध खो बैठते हैं हिंदू भक्त, बहने लगते हैं आंसू
24 Feb, 2024 06:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
बिहार के गोपालगंज में हिंदू मुस्लिम एकता की अद्भुत बयार बहती है. यहां के प्रसिद्ध गोपाल मंदिर में हिंदू मुस्लिम एकता का ऐसा नजारा दिखता है जिसे देखकर भक्त भावों की गंगा में बहने लगते हैं. इस मंदिर में एक मुस्लिम भक्त कृष्ण की प्रिय बांसुरी बजाता है. ये नजारा सुबह शाम दोनों वक्त रहता है. इस मुस्लिम भक्त की बांसुऱी की धुन पर ही मंदिर में पूजा की जाती है.
गोपालगंज के हथुआ गांव में एक गोपाल मंदिर है. इस मंदिर की अपनी खासियत तो है ही. उसके बाहर का दृश्य भी कम दिलचस्प नहीं रहता. यहां आपको रोज एक मुस्लिम भक्त बैठे दिखाई देंगे. उनके हाथ में बांसुरी होती है. जैसे ही वो बांसुरी की तान छेड़ते हैं. मंदिर में आरती शुरू हो जाती है. ये मुस्लिम भक्त हैं सगीर अंसारी, जो पिछले 9 साल से गोपाल मंदिर में बांसुरी बजाते आ रहे हैं.
300 साल की परंपरा
हथुआ के इस गोपाल मंदिर का इतिहास काफी पुराना है. यह मंदिर हथुआ स्टेट से भी जुड़ा हुआ है. इस मंदिर में 300 साल से मुस्लिम कारीगर बांसुरी चढ़ाते आ रहे हैं. उनके बांसुरी चढ़ाने के बाद ही पूजा-पाठ और आरती शुरू होती है. पूजा के समय मुस्लिम समुदाय के लोग ही बांसुरी बजाते आ रहे हैं. अपने पुरखों की इसी इसी परंपरा को सगीर आगे बढ़ा रहे हैं. वो कहते हैं 300 वर्ष के इतिहास में ऐसा कभी नहीं हुआ कि मुस्लिम कारीगर ने बांसुरी न चढ़ायी हो और बांसुरी ना बजायी हो.
इंसान का इंसान से हो भाईचारा
सगीर अंसारी कहते हैं इस मंदिर में बांसुरी बजाकर सुखद अनुभूति होती है. वो बांसुरी बनाने का भी काम जानते हैं. वो बड़ी समझदारी से कहते हैं मजहबी बातों में आने से लोगों को परहेज करना चाहिए. आपसी एकता में देश और बिहार की तरक्की संभव है. यहां हिंदू-मुसलमान दोनों मिलकर रहते हैं. इंसान को इंसानयित की ही बात करनी चाहिए. गोपाल मंदिर के मुख्य पुजारी आशुतोष तिवारी ने बताया सगीर अंसारी 9 साल से यहां बांसुरी बजाने आते हैं. उनके मन में जरा सा भी संकोच नहीं है. नि:स्वार्थ भाव से प्रभु की सेवा करते आ रहे हैं.
राशिफल: जानिए, कैसा रहेगा आपका आज का दिन (24 फ़रवरी 2024)
24 Feb, 2024 12:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
मेष राशि :- स्थिति नियंत्रण में रखें, अचानक दूसरों के कार्यों में सहयोग न करें अन्यथा हानि होगी।
वृष राशि :- मानसिक उदासीनता, असमंजस की स्थिति बनेगी, कार्य अवरोध तथा कार्य में ध्यान दें।
मिथुन राशि :- सफलता के साधन जुटायें, धन लाभ, आशानुकूल सफलता से प्रसन्नता अवश्य होगी।
कर्क राशि :- संघर्ष बना रहेगा, भावनायें मन को उद्विघ्न रखेंगी, ध्यान पूर्वक कार्य करें।
सिंह राशि :- भाग्य का सितारा प्रबल होगा, बिगड़े हुये कार्य अवश्य ही बनेंगे, समय का ध्यान रखें।
कन्या राशि :- अर्थ-व्यवस्था में अनुकूलता, इष्ट मित्र सुखवर्धक होंगे, समय का लाभ अवश्य लें।
तुला राशि :- असमर्थता व असमंजस की स्थिति बनेगी, धन का व्यय अवश्य होगा।
वृश्चिक राशि :- अधिकारियों का समर्थन फलप्रद होगा, इष्ट मित्र सुखवर्धक होंगे।
धनु राशि :- सभी का समर्थन फलप्रद होगा, आर्थिक योजना में लाभ अवश्य होगा ध्यान दें।
मकर राशि :- सामाजिक कार्यों में प्रतिष्ठा, प्रभुत्व वृद्धि तथा क्रोध बढ़ेगा, धैर्य पूर्वक कार्य करें।
कुंभ राशि :- आवश्यकता के अनुरूप चिन्ता से मुक्त होंगे, परिश्रम से कार्य करने पर ही लाभ होगा।
मीन राशि :- किसी के अरोप से बचें, प्रत्येक कार्य में बाधा होगी, सावधानी से कार्य करें।
रुद्राक्ष और उनके महत्व
22 Feb, 2024 07:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
रुद्राक्ष की का धार्मिक महत्व जगजाहिर है। मान्यता है कि रुद्राक्ष की उत्पत्ति भगवान शिव के अश्रुओं से हुई है। रुद्राक्ष को प्राचीन काल से आभूषण के रूप में,सुरक्षा के लिए,ग्रह शांति के लिए और आध्यात्मिक लाभ के लिए प्रयोग किया जाता रहा है। कुल मिलाकर मुख्य रूप से सत्तरह प्रकार के रुद्राक्ष पाए जाते हैं, परन्तु ग्यारह प्रकार के रुद्राक्ष विशेष रूप से प्रयोग में आते हैं। रुद्राक्ष का लाभ अदभुत होता है और प्रभाव सटीक पर यह तभी सम्भव है जब सोच समझकर नियमों का पालन करके रुद्राक्ष धारण किया जाय। बिना नियमों को जाने गलत तरीके से रुद्राक्ष को धारण करने से लाभ की जगह हानि भी हो सकती है।
रुद्राक्ष धारण करने के नियम
रुद्राक्ष कलाई , कंठ और ह्रदय पर धारण किया जा सकता है। इसे कंठ प्रदेश तक धारण करना सर्वोत्तम होगा।
कलाई में बारह,कंठ में छत्तीस और ह्रदय पर एक सौ आठ दानो को धारण करना चाहिए।
एक दाना भी धारण कर सकते हैं पर यह दाना ह्रदय तक होना चाहिए तथा लाल धागे में होना चाहिए.
सावन में,सोमवार को और शिवरात्री के दिन रुद्राक्ष धारण करना सर्वोत्तम होता है
रुद्राक्ष धारण करने के पूर्व उसे शिव जी को समर्पित करना चाहिए तथा उसी माला या रुद्राक्ष पर मंत्र जाप करना चाहिए .
जो लोग भी रुद्राक्ष धारण करते हैं उन्हें सात्विक रहना चाहिए तथा आचरण को शुद्ध रखना चाहिए अन्यथा रुद्राक्ष लाभकारी नहीं होगा।
विभिन्न रुद्राक्ष और उनका महत्व-
एक मुखी - यह साक्षात शिव का स्वरुप माना जाता है।
सिंह राशी वालों के लिए यह अत्यंत शुभ होता है।
जिनकी कुंडली में सूर्य से सम्बंधित समस्या हो ऐसे लोगों को एक मुखी रुद्राक्ष जरूर धारण करना चाहिए।
दो मुखी- यह अर्धनारीश्वर स्वरुप माना जाता है।
कर्क राशी के जातकों को यह अत्यंत उत्तम परिणाम देता है।
अगर वैवाहिक जीवन में समस्या हो या चन्द्रमा कमजोर हो दो मुखी रुद्राक्ष अत्यंत लाभकारी होता है।
तीन मुखी- यह रुद्राक्ष अग्नि और तेज का स्वरुप होता है।
मेष राशी और वृश्चिक राशी के लोगों के लिए यह उत्तम परिणाम देता है।
मंगल दोष के निवारण के लिए इसी रुद्राक्ष का प्रयोग किया जाता है।
चार मुखी- यह रुद्राक्ष ब्रह्मा का स्वरुप माना जाता है।
मिथुन और कन्या राशी के लिए सर्वोत्तम।
त्वचा के रोगों और वाणी की समस्या में इसका विशेष लाभ होता है.
पांच मुखी- इसको कालाग्नि भी कहा जाता है।
इसको धारण करने से मंत्र शक्ति तथा अदभुत ज्ञान प्राप्त होता है।
जिनकी राशी धनु या मीन हो या जिनको शिक्षा में लगातार बाधाएँ आ रही हों ,ऐसे लोगों को पांच मुखी रुद्राक्ष धारण करना चाहिए।
छः मुखी- इसको भगवान कार्तिकेय का स्वरुप माना जाता है।
इसको धारण करने से व्यक्ति को आर्थिक और व्यवसायिक लाभ होता है।
अगर कुंडली में शुक्र कमजोर हो अथवा तुला या वृष राशी हो तो छः मुखी रुद्राक्ष धारण करना शुभ होता है।
सात मुखी- यह सप्तमातृका तथा सप्तऋषियों का स्वरुप माना जाता है।
मारक दशाओं में तथा अत्यंत गंभीर स्थितियों में इसको धारण करने से लाभ होता है।
अगर मृत्युतुल्य कष्टों का योग हो अथवा मकर या कुम्भ राशी हो तो यह अत्यंत लाभ देता है.
आठ मुखी- यह अष्टदेवियों का स्वरुप है तथा इसको धारण करने से अष्टसिद्धियाँ प्राप्त होती हैं।
इसको धारण करने से आकस्मिक धन की प्राप्ति सहज होती है तथा किसी भी प्रकार के तंत्र मंत्र का असर नहीं होता।
जिनकी कुंडली में राहु से सम्बन्धी समस्याएँ हों ऐसे लोगों को इसे धारण करना शुभ होता है।
ग्यारह मुखी- एकादश मुखी रुद्राक्ष स्वयं शिव का स्वरुप माना जाता है।संतान सम्बन्धी समस्याओं के निवारण के लिए तथा संतान प्राप्ति के लिए इसको धारण करना शुभ होता है।
इन वस्तुओं का करें दान
22 Feb, 2024 06:45 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
दान की महिमा सब जानते हैं, इसलिए धर्म में दान पर जोर दिया जाता है। यह सही है कि दान सभी को करना चाहिये पर कुछ वस्तुओं का दान हमारे लिए नुकसानदेह हो सकता है इसलिए उससे बचना चाहिये। अन्नदान, वस्त्रदान, विद्यादान, अभयदान और धनदान, ये सारे दान इंसान को पुण्य का भागी बनाते हैं। किसी भी वस्तु का दान करने से मन को सांसारिक आसक्ति यानी मोह से छुटकारा मिलता है। हर तरह के लगाव और भाव को छोड़ने की शुरुआत दान और क्षमा से ही होती है। अगर आप भी अपने भीतर की सच्ची खुशी को महसूस करना चाहते हैं तो जरूरतमंदों को दान करिए. इससे आपको अद्भुत आत्मसुख मिलेगा।
महत्व
दान एक ऐसा कार्य है, जिसके जरिए हम न केवल धर्म का ठीक-ठीक पालन कर पाते हैं, बल्कि अपने जीवन की तमाम समस्याओं से भी निकल सकते हैं। आयु, रक्षा और सेहत के लिए तो दान को अचूक माना जाता है। जीवन की तमाम समस्याओं से निजात पाने के लिए भी दान का विशेष महत्व है। दान करने से ग्रहों की पीड़ा से भी मुक्ति पाना आसान हो जाता है।
ज्योतिष के जानकारों की मानें तो अलग-अलग वस्तुओं के दान से अलग-अलग समस्याएं दूर होती हैं। उनका ये भी कहना है कि वेदों में लिखा है कि सैकड़ों हाथों से कमाना चाहिए और हजार हाथों वाला होकर दान करना चाहिए।
जानें कि अलग-अलग वस्तुओं के दान से कैसे संवरता है जीवन और कौन-सी चीजों का दान करना आपके लिए सबसे उत्तम होगा -
अनाज का दान
अनाज का दान करने से जीवन में अन्न का अभाव नहीं होता।
अनाज का दान बिना पकाए हुए करें तो ज्यादा अच्छा होगा।
धातुओं का दान
धातुओं का दान विशेष दशाओं में ही करें।
यह दान उसी व्यक्ति को करें जो दान की गई चीज का प्रयोग करें.
धातुओं का दान करने से आई हुई विपत्ति टल जाती है.
वस्त्रों का दान
वस्त्रों का दान करने से आर्थिक स्थिति हमेशा उत्तम रहती है.
उसी स्तर के कपड़ों का दान करें, जिस स्तर के कपड़े आप पहनते हैं.
फटे पुराने या खराब वस्त्रों का दान कभी भी न करें।
ज्योतिष के जानकारों की मानें तो जिस इंसान को दान करने में आनंद मिलता है, उसे ईश्वर की असीम कृपा प्राप्त होती है क्योंकि देना इंसान को श्रेष्ठ और सत्कर्मी बनाता है।
पांच प्रमुख अंगों से बना है पंचांग
22 Feb, 2024 06:30 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
स्नातन धर्म में पंचांग का हर पूजा और शुभ काम में खास महत्व होता है। पंचांग देखे बिना कोई भी शुभ कार्य नहीं किया जाता है। पंचांग के 5 अंगों के बारे में जानकारी इस प्रकार है। हिंदू धर्म में कुछ भी शुभ काम करने से पहले मुहूर्त जरूर देखा जाता है। दरअसल, मान्यता है कि किसी भी शुभ कार्य से पहले पंचांग जरूर देखना चाहिए। पंचांग एक प्राचीन हिंदू कैलेंडर को कहा जा सकता है। पंचांग पांच अंग शब्द से बना है। हम इसे पंचांग इसलिए कहते हैं क्योंकि यह पांच प्रमुख अंगों से बना है। वो पांच प्रमुख अंग हैं- नक्षत्र, तिथि, योग, करण और वार। कौन सा दिन कितना शुभ है और कितना अशुभ, ये इन्हीं पांच अंगो के माध्यम से जाना जाता है। आइए जानते हैं पंचांग के महत्व और इसके पांच अंगों के बारे में जानें।
ये हैं पंचांग के पांच अंग-
नक्षत्र- पंचांग का पहला अंग नक्षत्र है। ज्योतिष के मुताबिक 27 प्रकार के नक्षत्र होते हैं लेकिन मुहूर्त निकालते समय एक 28वां नक्षत्र भी गिना जाता है। उसे कहते है, अभिजीत नक्षत्र। शादी, ग्रह प्रवेश, शिक्षा, वाहन खरीदी आदि करते समय नक्षत्र देखे जाते हैं।
तिथि- पंचांग का दूसरा अंग तिथि है। तिथियां 16 प्रकार की होती हैं। इनमें पूर्णिमा और अमावस्या दो प्रमुख तिथियां हैं। ये दोनों तिथियां महीने में एक बार जरूर आती हैं। हिंदी कैलेंडर के अनुसार महीने को दो भाग में बांटा गया है, शुक्ल पक्ष और कृष्ण पक्ष। अमवस्या और पूर्णिमा के बीच की अवधि को शुक्ल पक्ष कहा जाता है। वहीं पूर्णिमा और अमावस्या के बीच की अवधि को कृष्ण पक्ष कहा जाता है। वैसे ऐसी मान्यता है कि कोई भी बड़ा या महत्तवपूर्ण काम कृष्ण पक्ष के समय नहीं करते। ऐसा इसलिए कहा जाता है क्योंकि इस समय चंद्रमा की शक्तियां कमजोर पड़ जाती हैं और अंधकार हावी रहता है. तो इसलिए सभी शुभ काम जैसे की शादी का निर्णय शुक्ल पक्ष के समय किया जाता है।
योग- पंचांग का तीसरा अंग योग है। योग किसी भी व्यक्ति के जीवन पर गहरा प्रभाव डाल सकते हैं। पंचांग में 27 प्रकार के योग माने गए हैं। इसके कुछ प्रकार है- विष्कुंभ, ध्रुव, सिद्धि, वरीयान, परिधि, व्याघात आदि।
करण- पंचांग का चौथा अंग करण है। तिथि के आधे भाग को करण कहा जाता है। मुख्य रूप से 11 प्रकार के करण होते हैं। इनमें चार स्थिर होते हैं और सात अपनी जगह बदलते हैं। बव, बालव, तैतिल, नाग, वाणिज्य आदि करण के प्रकार हैं।
वार- पंचांग का पांचवा अंग वार है। एक सूर्योदय से दूसरे सर्योदय के बीच की अवधि को वार कहा जाता है। रविवार, सोमवार, बुधवार, बृहस्पतिवार, शुक्रवार, और शनिवार, सात प्रकार के वार होते हैं। इनमें सोमवार, बुधवार, बृहस्पतिवार और शुक्रवार को शुभ माना गया हैं।
सफेद रंग और उसका सभी राशियों पर प्रभाव
22 Feb, 2024 06:15 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
सफेद रंग को वैसे तो शांति का प्रतीक माना जाता है पर यह रंग सेहत पर भी सकारात्मक प्रभाव रखता है। सफेद रंग कभी भी अपना अशुभ प्रभाव नहीं रखता है। सफेद रंग का राशियों पर पड़ने वाला प्रभाव इस प्रकार है।
मेष राशि- सफ़ेद रंग इनके लिए एक वरदान की तरह है। इनके लिए सफ़ेद रंग उत्तम परिणाम देता है. जब भी जीवन में स्थाईत्व की समस्या हो सफ़ेद रंग का प्रयोग बढ़ा देना चाहिए।
वृष राशि- यहाँ सफ़ेद रंग का प्रयोग करना कभी कभी सर्दी और अस्थमा की समस्या दे देता है। इसका प्रयोग करना यहां बहुत उत्तम नहीं होगा। इनको ऑफ़ व्हाइट रंग का इस्तेमाल करना ज्यादा अच्छा होगा।
मिथुन राशि- यहाँ सफ़ेद रंग बेहतरीन परिणाम देता है। ख़ास तौर से अगर एकाग्रता की समस्या हो तो यह रंग यहाँ अति उत्तम हो जाता है। सफ़ेद रंग के प्रयोग से इन्हे आर्थिक फायदा भी खूब होता है।
कर्क राशि- सफ़ेद रंग इनके स्वास्थ्य और इनके मूड से सम्बन्ध रखता है। इनके लिए सफ़ेद रंग अत्यंत शुभ होगा , इसका नियमित प्रयोग इनको स्वस्थ रखेगा। इनके नौकरी व्यापार की समस्या भी सफेद रंग द्वारा खत्म हो सकती है।
सिंह राशि- सफ़ेद रंग भी मध्यम परिणाम देता है। करियर और विदेश यात्रों के मामले में सफ़ेद रंग लाभकारी होता है। अगर आध्यात्मिक उपलब्धि की इच्छा हो तो सफ़ेद रंग का खूब प्रयोग करना चाहिए इससे जरूर लाभ होगा।
कन्या राशि- यहाँ सफ़ेद रंग मध्यम परिणाम देता है। सफ़ेद रंग का ज्यादा प्रयोग इनको कभी कभी बातूनी बना देता है। सफ़ेद रंग का ज्यादा प्रयोग करने से ये आलसी भी हो जाते हैं।
तुला राशि- सफ़ेद रंग इनके लिए अनुकूल होता है। सफ़ेद रंग इनको बेहतर और अच्छा स्वास्थ्य देता है और नौकरी व्यापार की समस्याएँ भी इसी रंग द्वारा खत्म होती है।
वृश्चिक राशि- इनके लिए सफ़ेद रंग बेहतरीन होता है। जीवन में भाग्य का पक्ष अगर बेहतर करना हो तो इस रंग का खूब प्रयोग करना चाहिए। यह रंग जीवन में आनंद भी पैदा करता है।
धनु राशि- सफ़ेद रंग के प्रयोग से इनका वैवाहिक जीवन और आर्थिक पक्ष अच्छा रहता है। सफ़ेद रंग का प्रयोग इनको दुर्घटनाओं से भी बचाता है।
मकर राशि- सफ़ेद रंग के परिणाम इनके लिए मध्यम हैं. सफ़ेद रंग इनको कभी कभी सूट करता है, ख़ास तौर से जब मामला करियर का हो तो शुभ परिणाम दे ही देता है।
कुंभ राशि- सफ़ेद रंग के प्रयोग से इनका भाग्य हमेशा इनका साथ देता है। सफ़ेद रंग के प्रयोग से इनका मन भी बेहतर रहता है।
मीन राशि- इनके लिए सफ़ेद रंग काफी उत्तम होता है। इसके नियमित प्रयोग से इनके जीवन की सारी समस्याएं सुलझ जाती हैं। संतान से सम्बंधित समस्याएं हों तो सफ़ेद रंग विशेष लाभकारी होता है।
विष योग के नकारात्मक प्रभाव से बचने करें ये उपाय
22 Feb, 2024 06:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
कुछ योग जीवन में कष्टकारी रहते हैं और ऐसे समय में संयम और सावधानी की जरुरत होती है। चन्द्रमा और शनि साथ आ जाएं तो विष योग बन जाता है। यह विष योग 2 मार्च शनिवार दोपहर 12 बजे तक रहेगा। अभी शनि धनु राशि में हैं। चंद्रमा धनु राशि में आ गया है। चन्द्रमा और शनि साथ आ जाएं तो विष योग बन जाता है। यह विष योग 36 घंटे तक भारी रहता है। विष योग जीवन में सब कुछ विपरीत कर सकता है। पढ़ाई, परीक्षा, नौकरी-व्यापार और सेहत में इंसान की चाल बिगाड़ सकता है।
इसके नकारात्मक प्रभाव से बचने के लिए कुछ उपाय कर सकते हैं।
एक सूखा नारियल गोले में शक्कर भर कर पीपल के नीचे रखें।
शनिवार को शनि मंदिर में तेल चढ़ाएं।
सरसों तेल का दीपक जलाएं।
आठ राशियों पर विष योग का असर होगा।
आठ राशियों पर ख़तरा है। पढ़ाई, नौकरी-व्यापार पर ख़तरा आ सकता है। शत्रु या विरोधी परेशान कर सकते हैं। पैसे की तंगी होगी, क़र्ज़ में डूब सकते हैं। वृषभ राशि पर शनि की ढैया है। कन्या राशि पर शनि की चतुर्थ ढैया है। वृश्चिक, धनु और मकर राशि पर शनि की साढ़े साती चल रही है। मकर और कुम्भ राशि पर तो शनि ही हैं।
ये उपाय करें-
विष योग के बाद शनिवार से चने दान करे।
शनिवार काले तिल डालकर नहाएं।
किसी गरीब को भोजन कराएं।
दवाई खरीदकर गरीब को दें।
शनि चंद्र का विष योग, सेहत हो सकती है खराब।
बदलते मौसम में सेहत ख़राब हो सकती है। वायरल बुखार, सर्दी जुकाम से बचें, फोड़े-फुंसी, रोग से बचने के के लिए नीम या तुलसी या सहजन का सेवन करें। पांच दिनों तक इनकी ख़ास सब्ज़ी का सेवन करें। नीम की पत्तियों को बैंगन में डाल कर सब्ज़ी बना कर चावल के साथ सेवन करें।
चंद्र शनि के विष योग से आएगी मुसीबत-
परीक्षा ख़राब हो सकती है। धन की कमी हो सकती है, नौकरी व्यापार में अचानक कोई बड़ी मुसीबत आ सकती है। विष योग का उपाय करें। शनि मंदिर या पीपल के पेड़ पर एक दीपक जलाएं। चने या काली उड़द -चावल की खिचड़ी दान करें और शनि मंदिर में पूजा करते रहें। शनि मन्त्र का जाप करें - ॐ शनिश्चराय नमः।
राशिफल: जानिए, कैसा रहेगा आपका आज का दिन (22 फ़रवरी 2024)
22 Feb, 2024 12:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
मेष राशि :- स्त्री वर्ग से हर्ष-उल्लास एवं कार्य कुशलता से निश्चय ही संतोष होगा।
वृष राशि :- योजनायें फलीभूत होंगी तथा स्वभाव में बेचैनी, कष्टप्रद स्थिति बनेगी।
मिथुन राशि :- कार्यक्षमता अनुकूल, कार्यवृत्ति में सुधार होगा तथा संघर्ष बना रहेगा।
कर्क राशि :- आर्थिक हानि, योजना बनकर बिगड़े, कार्य-व्यवसाय रुक कर बनेंगे।
सिंह राशि :- झगड़े के कारण व्यय होगा तथा आप आरोपित होने से बचिये।
कन्या राशि :- कार्य कुशलता से संतोष, इष्ट मित्र सुखवर्धक होंगे, ध्यान से कार्य करें।
तुला राशि :- योजनायें फलीभूत होंगी, इष्ट मित्र सुखवर्धक होंगे, समय का ध्यान अवश्य रखें।
वृश्चिक राशि :- मानसिक विभ्रम से हानि, समय स्थिति को ध्यान में रखते हुये कार्य अवश्य बना लें।
धनु राशि :- मानसिक विभ्रम, उपद्रव, असमंजस की स्थिति बनेगी तथा कार्य रुकेंगे।
मकर राशि :- दैनिक कार्यगति में सुधार, आर्थिक योजना अवश्य ही सुधरेगी ध्यान दें।
कुंभ राशि :- चिन्तायें कम होंगी, कुटुम्ब के कार्य में समय बीतेगा, कार्य अवरोध होगा।
मीन राशि :- स्त्री वर्ग से सुख-भोग, ऐश्वर्य की प्राप्ति, दैनिक कार्यगति अनुकूल होगी।
कुंडली के इस भाव में बैठा है ये ग्रह तो लगती है नशे की लत! जानें बचाव का उपाय
21 Feb, 2024 06:45 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
आपकी जिंदगी में होने वाली सभी घटनाओ का आपकी कुंडली से विशेष संबंध होता है. आपका खान-पान, रहन-सहन, आपकी वाणी इन सब का संबंध भी आपकी कुंडली से होता है. ऐसे में अगर आपके किसी भी साथी या रिश्तेदार को नशे की लत है तो यह भी आपकी कुंडली के जरिए पता लगाया जा सकता है.
ज्योतिषाचार्य राधा मोहन तिवारी के मुताबिक कुंडली में 12 भाव और 9 ग्रह होते है. जिससे, संपूर्ण जीवन का चक्रण देखा जाता है. कुंडली में जो दूसरा भाव होता है उसे धन का भाव भी माना जाता है, वाणी का भाव और मुख का भाव भी कहा जाता है. ऐसे में अगर आपकी कुंडली में दूसरे भाव पर श्रेष्ठ ग्रह बैठे हो तो यह आपको धनवान बनाता है वहीं, अगर पाप का ग्रह जैसे राहु अगर कुंडली में दूसरे भाव में बैठा हो तो ये जातक नशे की ओर आगे बढ़ाता है. नशे की लत लगवाता है.
करें राहु के ये उपाय
ज्योतिषाचार्य राधा मोहन तिवारी ने कहा कि अगर आपके घर में भी किसी परिजन को या दोस्त को नशे की लत है तो समझ लीजिए की उसकी कुंडली के दूसरे भाव में राहु बैठा है, जो जातक को नशे की तरफ लेकर जा रहा है. हालांकि, अगर उस भाव में किसी शुभ ग्रह की दृष्टि हो तो जातक कहीं ना कहीं नशे की लत से बचा रहता है. लेकिन अगर क्रूर ग्रह जैसे राहु उच्च का है तो ये जातक को नशे की ओर ले जा सकता है. जातक की नशे की लत को दूर करवाने के लिए बुद्ध का ये उपाय अगर जातक करेंगे तो उनको नशे जैसी समस्याओं से निजात मिलेगी. बुधवार के दिन ऐसे जातक किसी गरीब या अपाहिच को खाने पदार्थ दान करें तो कुछ ही समय बाद जातक की नशे की लत छूटती हुई दिखाई देने लगेगी.
रास्ते पर पैसों का पड़ा मिलना देता है घटनाओं का संकेत, समझ लीजिए... फिर नहीं होगी धन की कमी!
21 Feb, 2024 06:30 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
अगर आपको सड़क पर गिरा पैसा मिले तो क्या करेंगे? जाहिर है, दाएं-बाएं देखेंगे और झट से उठा लेंगे. ऐसा अमूमन सभी लोग करते होंगे. सड़क पर अगर ज्यादा बड़ी नोट मिल जाए तब तो खुशी दोगुनी हो जाती है. लेकिन, क्या आपको पता है कि ऐसे पैसे का क्या करना चाहिए और सड़क पर मिलने वाला पैसा या नोट किस बात का संकेत होते हैं?
उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पंडित रवि शुक्ला बताते हैं कि सड़क पर मिलने वाला पैसा हमें कई बार जीवन की शुभ घटनाओं का संकेत देता है. यदि आपको रास्ते में गिरा हुआ पैसा मिलता है तो यह इस बात की ओर संकेत करता है कि जल्द ही आप किसी काम की शुरुआत करने वाले हैं, जो आपको तरक्की और पैसा देने वाला हो सकता है. इसके अलावा और भी कई मतलब निकलते हैं.
मां लक्ष्मी की कृपा
जिन लोगों को रास्ते में पैसा गिरा हुआ मिलता है तो यह इस बात का संकेत है कि मां लक्ष्मी आपके ऊपर प्रसन्न हैं. आपको अचानक धन लाभ हो सकता है. यदि आप उस समय किसी प्रॉपर्टी में निवेश करते हैं तो लाभ होगा.
शुभ समाचार मिल सकता है
अगर आपको रास्ते में चलते हुए सड़क पर कई सिक्के मिल जाएं तो इसका मतलब है कि भगवान आपके साथ हैं और जल्द ही आपके जीवन में कुछ अच्छा घटित होने वाला है या कुछ शुभ समाचार मिलने वाला है.
यदि पैसों से भरा पर्स मिले तो
यदि आपको सड़क पर पैसों से भरा पर्स मिलता है तो यह बहुत ही शुभ संकेत है. पैसों से भरा पर्स मिलना इस बात की ओर इशारा करता है कि आपको जल्द ही बड़ा धन लाभ होने वाला है. पैतृक संपत्ति मिलने की संभावना है. हां, संभव हो तो वह पर्स जिसका हो ईमानदारी से लौटा दें. इससे ईश्वर आपके हर कार्य में सहायक होगा.
सिक्का मिलने का मतलब
जब आपको सड़क पर सिक्का मिले तो उसे संभाल कर रखें. इसके पीछे की वजह यह है कि वह सिक्का कई लोगों के हाथ से गुजर कर आया होता है. उसमें कुछ सकारात्मक ऊर्जा रहती है, जिससे वह पावर बीम की तरह काम करता है. यदि आप उस सिक्के को अपने पास रखते हैं तो आपकी तरक्की में मदद हो सकती है.
दैवीय आशीर्वाद भी
यदि सड़क पर पड़ी कोई पुरानी धातु का सिक्का मिले तो इसे दैवीय कृपा माननी चाहिए. आज कल बाजार में चलने वाला सामान्य सिक्का भी धातु ही होता है, इसलिए इसे भी लोग दैवीय आशीर्वाद मानते हैं.
माघ पूर्णिमा पर क्या करें-क्या न करें, बैद्यनाथ धाम के पुरोहित बता रहे हैं उपाय, दावा-घर में आएगी खुशहाली
21 Feb, 2024 06:15 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
हिंदू धर्म में माघ पूर्णिमा का अपना अलग महत्व है. इस बार ये पूर्णिमा 24 फरवरी को पड़ रही है. माघ पूर्णिमा के दिन स्नान दान का महत्व बताया गया है. भोलेनाथ की नगरी देवघर में पूर्णिमा के दिन गंगा नदी में स्नान के लिए भक्तों की भीड़ उमड़ती है. माना जाता है आप अगर पूर्णिमा के दिन भगवान शिव पर गंगाजल अर्पण करते हैं तो शिव के साथ भगवान विष्णु की भी विशेष कृपा भक्त पर बरसती है.
भीष्म तर्पण माघ महीने में ही मनाया जाता है इसलिए अपने पितरों के लिए माघ पूर्णिमा के दिन तर्पण करने का भी महत्व है. मान्यता है इससे पितृ प्रसन्न होते हैं. कई ऐसे उपाय हैं जिसे माघ पूर्णिमा के दिन करने से शुभ फल की प्राप्ति होती है. देवघर बैद्यनाथ मंदिर के तीर्थपुरोहित से जानते हैं कि वह क्या उपाय हैं?
क्या कहते हैं तीर्थ पुरोहित
देवघर बैद्यनाथ धाम मंदिर के तीर्थ पुरोहित प्रमोद श्रृंगारी से लोकल 18 ने बातचीत की. उन्होंने मान्यताएं और पौराणिक कथाएं सुनायीं. पुजारी जी ने कहा-ऐसा माना जाता है कि माघ पूर्णिमा के दिन ही देवताएं गंगा स्नान के लिए धरती पर आते हैं. इसलिए माघ पूर्णिमा के दिन स्नान दान और जप का खास महत्व है. माघ पूर्णिमा के दिन पितरों का भी तर्पण करना चाहिए. इससे भगवान विष्णु के साथ-साथ पितृ भी प्रसन्न होते हैं और घर में सुख समृद्धि होती है. पूर्णिमा के दिन कुछ ज्योतिषी उपाय करके आप अपने आर्थिक पक्ष को मजबूत कर सकते हैं. इससे आपके घर में सुख शांति बनी रहेगी.
पूर्णिमा के दिन अवश्य करें यह उपाय :
– माघ महीने की पूर्णिमा के दिन तिल का अर्पण भगवान पर अवश्य करना चाहिए. इससे भगवान विष्णु और पितृ प्रसन्न होते हैं.
– माघ पूर्णिमा के दिन लक्ष्मी नारायण स्त्रोत का पाठ अवश्य करना चाहिए. इससे घर में कभी धन-धान्य की कमी नहीं होगी.
– पूर्णिमा के दिन पितृ का तर्पण अवश्य करें. इससे संतान सुख की प्राप्ति होती है और पितरों के आशीर्वाद से घर में सुख समृद्धि और खुशहाली आती है.
– माघ पूर्णिमा के दिन जल मे दूध मिलाकर चंद्रमा को अर्पण अवश्य करना चाहिए इससे चंद्र दोष से भी मुक्ति मिलती है.
– माघ पूर्णिमा में दान का भी काफी खास महत्व है इसलिए गरीबों को ठंड के कपड़े, अनाज अवश्य दान करना चाहिए.
ईश्वर से प्रेम करना है वास्तविक प्रेम
21 Feb, 2024 06:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
बहुत से ऐसे लोग मिलेंगे जो कहेंगे कि उन्हें किसी से प्यार हो गया है। अपने प्रेम को पाने के लिए वह दुनिया छोड़ने की बात करेंगे। लेकिन वास्तव में प्रेम को पाने के लिए दुनिया छोड़ने जरूरत ही नहीं है। प्रेम तो दुनिया में रहकर ही किया जाता है। जो दुनिया छोड़ने की बात करते हैं वह तो प्रेमी हो ही नहीं सकते है। दुनिया छोड़ने की बात करने वाले लोग वास्तव में रूप के आकर्षण में बंधे हुए लोग होते हैं। वह प्रेम के वास्तविक स्वरूप से अनजान होते हैं। ऐसी स्थिति कभी रामचरित मानस के रचयिता तुलसीदास जी की भी थी, लेकिन जब उन्हें प्रेम का सही बोध हुआ तब वह परम पद को पाने में सफल हुए।
तुलसीदास जी के युवावस्था के समय की बात है इनका विवाह एक अति रूपवती कन्या से हुआ जिसका नाम रत्नावली था। रत्नवती के रूप में तुलसीदास ऐसे खो गये कि उनके बिना एक क्षण जीना उनके लिए कठिन प्रतीत होने लगा। एक बार रत्नावली अपने मायके चली आयी तो तुलसीदास बचैन हो गये। आधी रात को आंधी तूफान की परवाह किये बिना रत्नावती से मिलने चल पड़े। नदी उफन रही थी जिसे पार करने के लिए वह एक आश्रय का सहारा लेकर तैरने लगे।
रत्नावली के ख्यालों में तुलसीदास जी ऐसे खोये हुए थे कि उन्हें यह पता भी नहीं चला कि वह जिस चीज का आश्रय लेकर नदी पार कर रहे हैं वह किसी व्यक्ति का शव है। रत्नावली के कमरे में प्रवेश के लिए तुलसीदास जी ने एक सांप का पूंछ रस्सी समझकर पकड़ लिया जो उस समय रत्नावली के कमरे की दीवार पर चढ़ रहा था।
रत्नावली ने जब तुलसीदास को अपने कमरे में इस प्रकार आते देखा तो बहुत हैरान हुई और तुलसीदास जी से कहा कि हाड़-मांस के इस शरीर से जैसा प्रेम है वैसा प्रेम अगर प्रभु से होता तो जीवन का उद्देश्य सफल हो जाता है। तुलसीदास को पत्नी की बात सुनकर बड़ी ग्लानि हुई और एक क्षण रूके बिना वापस लैट आए। तुलसीदास का मोह भंग हो चुका था। इस समय उनके मन में भगवान का वास हो चुका था और अब वह सब कुछ साफ-साफ देख रहे थे। नदी तट पर उन्हें वही शव मिला जिसे उन्होंने नदी पार करने के लिए लकड़ी समझकर पकड़ लिया था।
तुलसीदास जी अब प्रेम का सच्चा अर्थ समझ गये थे। तुलसीदास जान चुके थे कि वह जिस प्रेम को पाने के लिए बचैन थे वह तो क्षण भंगुर है। यह प्रेम तो संसार से दूर ले जाता है। वास्तविक प्रेम तो ईश्वर से हो सकता है जो कण-कण में मौजूद है उसे पाने के लिए बेचैन होने की जरूरत नहीं है उसे तो हर क्षण अपने पास मौजूद किया जा सकता है। इसी अनुभूति के कारण तुलसीदास राम के दर्शन पाने में सफल हुए। जिस पत्नी से मिलने के लिए तुलसी अधीर रहते थे वही उनकी शिष्य बनकर उनका अनुगमन करने लगी।