धर्म एवं ज्योतिष
घर के मंदिर में कैसे और कितनी बार करें आरती?
5 Mar, 2024 06:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
आजकल घरों में खूबसूरत मंदिर बनवाना आस्था के साथ-साथ फैशन भी बन गया है. इन मंदिरों में देवी-देवताओं की खूबसूरत प्रतिमा स्थापित की जाती हैं. इन मंदिरों में सुबह और शाम नित्य पूजा होती है और धूप, दीप और कपूर से देव विग्रह की आरती भी उतारी जाती है. देव विग्रह के आरती को लेकर शास्त्रों में कुछ जरूरी नियम बताए गए हैं. इन नियमों का पालन करने से देवी -देवताओं का आशीर्वाद अतिशीघ्र प्राप्त होता है. आइए जानते है काशी के ज्योतिषाचार्य से इसके बारे में…
पंडित सजंय उपाध्याय ने लोकल 18 को बताया कि देव विग्रह की आरती प्रायः धूप, अगरबत्ती, दीप और कपूर से होती है. आरती के लिए जब भी धूप अगरबत्ती का प्रयोग करें तो इनकी संख्या हमेशा विषम होनी चाहिए. यानी 3,5,7 या फिर 9 अगरबत्ती धूप जलाकर देवताओं की आरती करनी चाहिए. दीप से आरती के लिर भी उसमे 3,5 या फिर 7 बत्ती लगानी चाहिए.
आरती के दौरान संख्या का रखें ध्यान
पंडित सजंय उपाध्याय ने लोकल 18 को बताया कि इसके अलावा जब आरती की शुरुआत करें तो सबसे पहले 4 बार देव विग्रह के पांव की तरफ आरती दिखानी चाहिए. इसके बाद 2 बार नाभी, 1 बार मुख या मस्तक और 7 बार पांव से लेकर मुख तक कि आरती धूप, अगरबत्ती या दीप से करनी चाहिए. शास्त्रों में 14 बार देव विग्रह के आरती करने की बात बताई गई है.
ॐ के आकार में करें आरती
पंडित सजंय उपाध्याय ने लोकल 18 को बताया कि इसके अलावा जब भी देव विग्रह की आरती उतारे तो उस वक्त धूप, अगरबत्ती और दीप से ॐ के आकार देते हुए किसी भी देवी देवता की आरती उतारनी चाहिए. इससे देवता प्रसन्न होते है और उनकी कृपा भक्तों पर हमेशा बनी रहती है.
राशिफल: जानिए, कैसा रहेगा आपका आज का दिन (05 मार्च 2024)
5 Mar, 2024 12:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
मेष राशि :- कुटुम्ब में तनाव क्लेश व अशांति वृथा धन व्यय तनाव पीड़ा हानि होवेगी।
वृष राशि :- इष्टमित्रों से सुख मिलेगा, अधिकारियों से मेल मिलाप तथा लाभप्रद बना ही रहेगा।
मिथुन राशि :- अर्थ व्यवस्था अनुकूल हो, सफलता के साधन जुटाये, कार्य अवश्य ही बनेगा।
कर्क राशि :- मनोवृत्ति उदार बनाये रखें, तनाव क्लेश से हानि संभावित बनी रहेगी, लाभ मिलेगा।
सिंह राशि - समय नष्ट होवेगा, व्यवसाय गतिमंद असमंजस की स्थति से बचकर चलेंगे।
कन्या राशि :- आर्थिक योजना सफल होगी, व्यवसायिक क्षमता अनुकूल बनेगी, ध्यान रखें।
तुला राशि :- धन का व्यय वृथा परिश्रम से हानि मानसिक उद्विघ्नता से बचकर चलें।
वृश्चिक राशि :- स्त्री वर्ग से क्लेश व हानि विघटनकारी तत्व आपको परेशान करेंगे, ध्यान रखें।
धनु राशि - कुटुम्ब की समस्या सुलझेगी, धन का व्यय होवेगा, वृथा भ्रमण की स्थिति बनेगी।
मकर राशि - अर्थ व्यवस्था छिन्न-भिन्न होवेगी, कार्य व्यवसाय गतिमंद व भय अवश्य होवेगा।
कुंभ राशि - दैनिक कार्यगति में सुधार होगा, चिंताएं कम होंगी, कार्यो में सफलता मिलेगी।
मीन राशि - मनोबल उत्साह वर्धक होवेगा तथा कार्यगति अनुकूल अवश्य ही बनेगी, ध्यान दें।
विजया एकादशी के दिन इस विधि से करें भगवान विष्णु की पूजा, मिलेगी सफलता और समृद्धि!
2 Mar, 2024 06:45 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
उत्तराखंड में स्थित ऋषिकेश योगनगरी होने के साथ ही भगवान विष्णु की नगरी भी है. वैसे तो ऋषिकेश में सभी तीज त्योहारों और व्रत पर मंदिरों के दर्शन के लिए भक्तों की लाइन लगी रहती है, लेकिन एकादशी के दिन ये नजारा कुछ अलग होता है. एकादशी के दिन ऋषिकेश के भरत मंदिर में भक्तों की काफी भीड़ दिखाई देती है. हिंदू पंचांग के अनुसार, 6 मार्च को विजया एकादशी (Vijaya Ekadashi 2024) का व्रत रखा जाएगा. इस दिन भक्त भगवान विष्णु की पूजा-अर्चना के लिए ऋषिकेश के भरत मंदिर आते हैं ताकि उन्हें विजय और समृद्धि प्राप्त हो.
Local 18 के साथ हुई बातचीत के दौरान उत्तराखंड के ऋषिकेश में स्थित श्री सच्चा अखिलेश्वर महादेव मंदिर के पुजारी शुभम तिवारी बताते हैं कि विजया एकादशी, हिन्दू धर्म में महत्वपूर्ण पर्व है जो भगवान विष्णु की पूजा के रूप में मनाया जाता है. इस दिन भक्ति और व्रत के माध्यम से व्यक्ति अपने जीवन में सकारात्मक परिवर्तन की कामना करता है. लोग इस दिन सुबह से रात तक विष्णु जी की पूजा और कथा सुनते हैं, जो उन्हें भक्ति में लीन करता है. उपवास और ध्यान के माध्यम से मन को शुद्धि मिलती है और जीवन में समर्थन और सफलता की कामना होती है.
विजया एकादशी व्रत की टाइमिंग
पुजारी शुभम बताते हैं कि विजया एकादशी एक धार्मिक, सामाजिक और आध्यात्मिक सहजता का प्रतीक है, जो लोगों को आपसी समरसता और उत्कृष्टता की दिशा में मार्गदर्शन करता है. पंचांग के अनुसार, इस साल विजया एकादशी व्रत की शुरुआत 06 मार्च को सुबह 06 बजकर 30 मिनट से होगा और 07 मार्च को सुबह 04 बजकर 13 मिनट पर इस व्रत का समापन होगा.
ऐसे करें भगवान विष्णु की पूजा
वे बताते हैं कि इस दिन प्रातः उठकर गंगाजल से स्नान करने के बाद पीले वस्त्र पहनने चाहिए. उसके बाद सूर्यदेव को जल अर्पित करें और लाल रंग का कपड़ा बिछाकर कर उसपे भगवान विष्णु की मूर्ति की स्थापना करें. जिसके बाद दीया जलाकर भगवान विष्णु को पीले फूल चढ़ाए और उनकी कथा पड़े. जिसके बाद भगवान विष्णु को खीर का भोग लगाएं.
25 साल बाद बन रही सूर्य-राहु की युति, खतरनाक ग्रहण योग से सावधान रहें ये 3 राशि वाले, तुला वाले हो जाएं सतर्क!
2 Mar, 2024 06:30 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
ग्रहों के राजा सूर्य अपना राशि परिवर्तन करने वाले हैं. सूर्य मकर राशि से निकलकर मीन राशि में गोचर करने वाले हैं. वही ज्योतिषविदों की माने तो ग्रह एक निश्चित समय पर अपना राशि परिवर्तन करता है जिससे शुभ और अशुभ योग का निर्माण होता है. इस योग का प्रभाव सभी राशियों के ऊपर होता है कुछ राशियों के ऊपर सकारात्मक पड़ता है. तो कई राशि वालों के लिए यह योग काफी नकारात्मक होता है.
वहीं मार्च के महीने में सूर्य और राहु की युति होने जा रही है इससे कई राशियों को सावधान रहने की जरूरत है. आइये देवघर के ज्योतिषाचार्य से जानते है की सूर्य और राहु की युति कब हो रही है और कौन सा योग बनने जा रहा है?
क्या कहते है देवघर के ज्योतिषाचार्य
देवघर के पागल बाबा आश्रम स्थित मुद्गल ज्योतिष केंद्र के प्रसिद्ध ज्योतिषआचार्य पंडित नंदकिशोर मुद्गल ने कहा कि 25 सालों के बाद सूर्य और राहु की युति होने जा रही है. दरअसल राहु पहले से ही मीन राशि में विराजमान है और सूर्य 14 तारीख को मीन राशि में गोचर करने जा रहा है. यानी 14 मार्च को सूर्य और राहु की युति मीन राशि में होने जा रही है और जब भी सूर्य और राहु की युति होती है तो ग्रहण योग का निर्माण होता है. कुछ योग शुभ होते हैं तो कुछ योग अशुभ होते हैं.
वहीं ग्रहण योग अशुभ योग में से एक है. इस योग के निर्माण से तीन राशि वालों को सावधान रहने की जरूरत है. यदि सावधान नहीं रहे तो नुकसान उठाना पड़ सकता है. वह तीन राशि है सिंह, तुला और कुंभ.
वहीं ग्रहण योग अशुभ योग में से एक है. इस योग के निर्माण से तीन राशि वालों को सावधान रहने की जरूरत है. यदि सावधान नहीं रहे तो नुकसान उठाना पड़ सकता है. वह तीन राशि है सिंह, तुला और कुंभ.
राशियों पर ये होगा असर
सिंहः सिंह राशि जातक के ऊपर सूर्य और राहु की कुदृष्टि पड़ने वाली है. सबसे ज्यादा स्वास्थ्य पर असर पड़ सकता है अस्पताल के चक्कर काटने पड़ सकते हैं. स्वास्थ्य को लेकर सावधान रहने की जरूरत है. आय कम और खर्च ज्यादा रहने वाला है. व्यापार में भूलकर भी बड़ा निवेश न करें वरना आर्थिक हानि हो सकती है.
तुलाः तुला राशि जातक के ऊपर ग्रहण योग का प्रभाव नकारात्मक रहने वाला है. किसी बात को लेकर जीवनसाथी के साथ अनबन हो सकती है.हर तरह की समस्या उत्पन्न हो सकती है. शत्रु आप पर हावी हो सकता है. कोई पुराना रोग भी आपको परेशान कर सकता है. किसी को भी पैसा उधार ना दें वरना फंस सकता है.
कुंभः कुंभ राशि जातक के ऊपर सूर्य राहु का नकारात्मक प्रभाव पड़ने वाला है. ज्यादा वाद विवाद में ना पड़े. मौसमी बीमारी की चपेट में आ सकते हैं सतर्क रहें. वाहन चलाते समय सावधान रहें दुर्घटना का योग बन रहा है. गृह क्लेश बढ़ सकता है. किसी भी बात को ज्यादा तुल ना दें.
उपाय – ग्रहण योग से बचने के लिए लगातार एक महीना तक भगवान सूर्य की आराधना करें. स्नान करने के बाद भगवान सूर्य को जल से अर्घ प्रदान करें इससे कष्ट में कमी आएगी.
134 साल पुराना है हनुमान जी का यह चमत्कारी मंदिर, यहां दर्शन मात्र से कष्ट हो जाते हैं दूर!
2 Mar, 2024 06:15 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
देवभूमि उत्तराखंड को पवित्र भूमि माना गया है. राजधानी देहरादून में भी कई प्राचीन सिद्धपीठ मंदिर हैं. देहरादून के हनुमान चौक पर ब्रिटिशकाल में बनवाया गया एक हनुमान मंदिर है. 1890 में इसका निर्माण कराया गया. यहां हर मंगलवार को पवनपुत्र के भक्तों की भीड़ उमड़ती है. मान्यता है कि इस मंदिर में हनुमान जी के दर्शन मात्र से सभी कष्ट दूर हो जाते हैं. मंदिर के पुजारी उपेंद्र गौड़ ने कहा कि यह देहरादून का प्रसिद्ध हनुमान मंदिर है.पहले यहां हनुमान जी की एक कच्ची मूर्ति हुआ करती थी. बाद में हनुमान जी की एक सुंदर सी प्रतिमा तैयार कराई गई. इस मंदिर से कई मान्यताएं जुड़ी हुई हैं, जिन्हें लेकर लोग बजरंगबली की शरण में आते हैं. देहरादून के अलग-अलग इलाकों से भक्त यहां मंगलवार के दिन जरूर आते हैं.
मंदिर पहुंचे बजरंगबली के भक्त पंकज शर्मा ने कहा कि वह कई साल पहले देहरादून में शिफ्ट हो गए थे, तब से ही इस मंदिर में आते हैं. यहां आकर वह हनुमान चालीसा और सुंदरकांड का पाठ करते हैं. उन्होंने संघर्ष के दिन देखे हैं, जिनमें उन्हें प्रभु श्रीराम और हनुमान जी ने ही संभाला था. उन्होंने कहा कि वह बिल्कुल मायूस हो गए थे और कॉन्फिडेंस एकदम खत्म हो गया था. यहां आने के बाद धीरे-धीरे उनके अंदर एक शक्ति पैदा हुई और वह सामान्य हुए.देहरादून के विजय पार्क निवासी एक भक्त कहते हैं कि वह पहले इस मंदिर में कभी-कभी आते थे, लेकिन फिर लगातार आने लगे. हनुमान ज्ञान गुण सागर हैं और उन्हें यहां आकर बहुत अच्छा लगता है. वह एक ज्योतिषी हैं और उन्हें यहां ज्योतिषीय ज्ञान की प्राप्ति महसूस हुई है. बजरंगबली के भक्त बीएस नेगी ने कहा कि वह बचपन से इस मंदिर में आ रहे हैं. हनुमान जी अपने भक्तों के सभी कष्टों को दूर करते हैं. वह जब भी परेशानी में होते हैं, तब बाबा ही उन्हें मुसीबत से बाहर निकालते हैं.
कैसे पहुंचे हनुमान मंदिर?
वैसे तो राजधानी देहरादून में बजरंगबली के कई मंदिर हैं, लेकिन हनुमान चौक स्थित मंदिर सबसे पुराने मंदिरों में से एक है. यहां पहुंचने के लिए आप सबसे पहले देहरादून के आईएसबीटी पर पहुंचे और वहां से आप मुख्य बाजार होते हुए हनुमान चौक पहुंच सकते हैं, जहां यह प्राचीन मंदिर स्थित है.
राशिफल: जानिए, कैसा रहेगा आपका आज का दिन (02 मार्च 2024)
2 Mar, 2024 12:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
मेष राशि :- लेनदेन के मामले स्थिगित रखें, व्यर्थ धन और समय का व्यय होवेगा, ध्यान रखें।
वृष राशि :- स्वभाव में खिन्नता होने से हीन भावना से बचिएगा, अन्यथा कार्यमंद होवेगा।
मिथुन राशि :- अशांति तथा विषमता से बचिए तथा झगड़ा होने की संभावना बनेगी।
कर्क राशि :- स्त्री वर्ग से भोग एश्वर्य की प्राप्ति होगी, रुके हुए कार्य बनेंगे, लाभ मिलेगा।
सिंह राशि - आलोचनाओं से बचिए कार्य कुशलता से संतोष होवेगा, ध्यान रखेंगे।
कन्या राशि :- धीमी गति से सुधार अपेक्षित है, तथा सामाजिक प्रतिष्ठा में वृद्धि होगी।
तुला राशि :- स्त्री वर्ग से हर्ष उल्लास होवेगा, गुप्त शत्रुओं से चिंता तथा कुटुम्ब की समस्या बनेगी।
वृश्चिक राशि :- योजना फलीभूत होगी, तथा इष्टमित्र सुख वर्धक होंगे तथा कार्य अवश्य बनेंगे।
धनु राशि - कुटुम्ब की समस्या कष्टप्रद हो तथा व्यर्थ धन का व्यय अवश्य होवेगा ध्यान दें।
मकर राशि - कुटुम्ब में सुख मान प्रतिष्ठा बढ़ेगी, बड़े-बड़े लोगों से मेल मिलाप होगा।
कुंभ राशि - भाग्य का सितारा प्रबल दैनिक गतिमंद तथा बिगड़े कार्य अवश्य ही बनेंगे।
मीन राशि - कार्य व्यवसाय में अनुकूलता बनेगी, समृद्धि के साधन अवश्य जुटायेंगे।
होली के दिन लग रहा चंद्र ग्रहण, देवघर के ज्योतिषी ने बताया किसके लिए रहेगा शुभ
1 Mar, 2024 06:45 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
साल को पहला चंद्रग्रहण 25 मार्च को लगने जा रहा है. उस दिन चंद्रमा कन्या राशि में विराजमान रहेंगे, जहां पहले से ही राहु मौजूद है. वहीं 25 मार्च को होली को त्यौहार भी पूरे देश भर में मनाया जाएगा. देखा जाए तो साल का पहला चंद्रग्रहण होली के दिन ही लगने जा रहा है. हालांकि यह चंद्र ग्रहण भारत में दृश्य नहीं है जिसका सूतक काल भी मान्य नहीं रहने वाला है. लेकिन चंद्र ग्रहण का प्रभाव सभी राशियों के ऊपर जरूर पड़ने वाला है.
चंद्र ग्रहण किन राशि वालों के लिए शुभ और किन राशि वालों के लिए अशुभ रहने वाला है, चलिए जानते हैं देवघर के ज्योतिषाचार्य से?
क्या कहते है देवघर के ज्योतिषाचार्य :
देवघर के पागल बाबा आश्रम स्थित मुद्गल ज्योतिष केंद्र के प्रसिद्ध ज्योतिष आचार्य पंडित नंदकिशोर मुद्गल ने कहा कि इस साल कुल 5 ग्रहण लगने जा रहे हैं जिसमें तीन चंद्र ग्रहण और दो सूर्य ग्रहण लगने वाला है. साल का पहला चंद्र ग्रहण होली के दिन यानी 25 मार्च को लगने जा रहा है. यह चंद्र ग्रहण भारत में तो दृश्य नहीं रहने वाला है, लेकिन राशियों पर प्रभाव जरूर बढ़ने वाला है. कुछ राशियों को चंद्र ग्रहण के दिन सावधान रहने की जरूरत है. तो कुछ राशि वालों के लिए ग्रहण किस्मत चमकाएगी.
ग्रहण को प्रभाव इन राशियों पर पड़ेगा शुभ :
मेषः मेष राशि जातक के ऊपर ग्रहण का प्रभाव शुरू करने वाला है. आप विश्वास में वृद्धि होगी स्वास्थ्य भी ठीक रहने वाला है. आर्थिक संकट से मुक्ति मिलेगी.
मकरः ग्रहण का प्रभाव मकर राशि के ऊपर सकारात्मक करने वाला है.परिवार में खुशी का माहौल रहेगा.माता-पिता से व्यवहार अच्छा रहने वाला है.
कर्कः कर्क राशि जातक के ऊपर ग्रहण का प्रभाव सकारात्मक रहने वाला है. संतान पक्ष से कोई शुभ समाचार मिल सकता है.पुलिस और फौज की तैयारी कर रहे छात्रों को सफलता मिलने वाली है. माता-पिता के साथ समय बिताने का मौका मिलने वाला है.
कन्याः कन्या राशि जातक के ऊपर ग्रहण का प्रभाव शुभ पड़ने वाला है. धन लाभ का योग बन रहा है इसके साथ यात्रा को भी योग बन रहा है, वह यात्रा काफी लाभप्रद रहने वाला है.
धनुः धनु राशि जातक के ऊपर ग्रहण का प्रभाव सकारात्मक रहने वाला है. भूमि भवन खरीदने का योग बन रहा है. व्यापार में आर्थिक लाभ का भी योग बन रहा है. संतान पक्ष से कोई शुभ समाचार मिल सकता है.
ये राशि वाले रहे सावधान :
मिथुनः मिथुन राशि के ऊपर ग्रहण का प्रभाव नकारात्मक पढ़ने वाला है. चोट-चपेट की संभावनाएं ज्यादा रहेगी. वाद विवाद में बिल्कुल भी ना पड़े. मानसिक तनाव हो सकता है.
सिं हःसिंह राशि के ऊपर ग्रहण का प्रभाव नकारात्मक पड़ने वाला है. व्यापार में आर्थिक हानि हो सकती है. घर में गृह क्लेश बढ़ सकता है. मान सम्मान को क्षति पहुंच सकती है. किसी भी प्रकार का मृत्यु तुल्य कष्ट हो सकता है. स्वास्थ्य को लेकर ज्यादा सावधान रहने की जरूरत है.
वृश्चिकः वृश्चिक राशि जातक के ऊपर ग्रहण का प्रभाव नकारात्मक पड़ने वाला है. स्त्री पीड़ा हो सकती है. किसी प्रकार का दुख हो सकता है. कार्य पूरा न होने के कारण चिंता में रह सकते हैं. खर्च ज्यादा हो सकता है. जीवनसाथी के साथ किसी बात को लेकर खटपट भी हो सकती है. ज्यादा वाद-विवाद में ना पड़े. ग्रहण के दिन मन शांत रखने की कोशिश करें.
इन राशियों के लिए रहने वाला है सामान्य :
विचार राशि ऐसे हैं जिनके ऊपर ग्रहण का प्रभाव कुछ भी नहीं पड़ने वाला है यानी सामान्य रहने वाला है वह राशि है. वृषभ, तुला, कुंभ और मीन यह चार राशि वालों के लिए ग्रहण को प्रभाव सामान्य रहने वाला है.
किसी भी त्योहार या व्रत के दिन गृह प्रवेश करना सही या गलत? राहुकाल कर सकता है नुकसान?
1 Mar, 2024 06:30 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
हर व्यक्ति अपने घर में प्रवेश करने से पहले पूजा-पाठ जरूर करवाते हैं. मान्यता है घर में रहने से पहले पूजा करवाने से वहां रहने वाले लोगों के जीवन में किसी तरह की कोई परेशानी नहीं आती. इसके अलावा उन्हें सुख, समृद्धि, सौभाग्य और वैभव की प्राप्ति होती है. घर में वास्तु पूजा करवाने के कुछ नियम वास्तु शास्त्र में बताए गए हैं, जिनका पालन करने से आपके घर में वास्तु दोष नहीं लगता. इसके अलावा किस दिन वास्तु की पूजा करना चाहिए और किस दिन नहीं? इस बारे में अधिक जानकारी दे रहे हैं भोपाल निवासी ज्योतिषी एवं वास्तु सलाहकार पंडित हितेंद्र कुमार शर्मा. इस दौरान राहुकाल का क्या प्रभाव होता है? ये भी जानेंगे
क्या किसी व्रत या त्योहार पर किया जा सकता है गृह प्रवेश?
गृह प्रवेश किसी भी व्रत या त्योहार पर नहीं करवा सकते क्योंकि हिंदू धर्म के ज्यादातर त्योहार पूर्णिमा, अमावस्या या प्रतिपदा, चतुर्थी, षष्ठी, अष्टमी, नवमी और चतुर्दर्शी तिथियों पर मनाए जाते हैं. इस दौरान गृह प्रवेश वर्जित माने गए हैं. इसके अलावा मंगलवार, शनिवार और रविवार के दिन भी गृह प्रवेश करना वर्जित माना गया है.
कब करवा सकते हैं गृह प्रवेश?
ऊपर बताए गए दिनों और तिथियों के अलावा सप्ताह और दिनों पर गृह प्रवेश किया जा सकता है. गृह प्रवेश के लिए शुक्ल पक्ष की द्वितीया, तृतीया, पंचमी, सप्तमी, दशमी, ग्यारस, द्वादशी और त्रयोदशी तिथियां सबसे शुभ मानी गई हैं.
हिंदू पंचांग के अनुसार गृह प्रवेश करने के लिए सबसे पहले तिथि, नक्षत्र, वार और समय देखा जाता है. गृह प्रवेश की पूजा किसी विद्वान पंडित से ही करवानी चाहिए. जो पूरे विधि-विधान से मंत्रोच्चार के साथ गृह प्रवेश करवा सके.
किस माह में करा सकते हैं गृह प्रवेश?
गृह प्रवेश के लिए सबसे उत्तम माह माघ, फाल्गुन, वैशाख और ज्येष्ठ माने गए हैं.
इसके अलावा आषाढ़, श्रावण, भाद्रपद, आश्विन, पौष गृह प्रवेश के लिए ठीक नहीं माने गए हैं.
राहुकाल का असर
वास्तु शास्त्र और वैदिक ज्योतिष में राहुकाल को बेहद अशुभ समय माना जाता है. गृह प्रवेश जैसी पवित्र पूजा कभी भी राहुकाल में नहीं की जाती. ना ही राहुकाल कोई शुभ काम किया जाता है. गृह प्रवेश के लिए सबसे शुभ मुहूर्त निकाला जाता है और पूरे विधि विधान से इसकी पूजा की जाती है.
मंदिर में रात के समय क्यों डालते हैं पर्दा?
1 Mar, 2024 06:15 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
धार्मिक ग्रंथों में बताया गया है कि नियमित रूप से भगवान की पूजा कर कुछ नियमों का पालन किया जाए, तो आपके जीवन में आ रही परेशानियां दूर होती हैं और खुशियों का आगमन होने लगता है. कई नियमों में एक नियम यह भी है कि रात के समय पूजा घर का पर्दा बंद कर दिया जाता है. इसके पीछे की क्या वजह है? इस बारे में अधिक जानकारी दे रहे हैं भोपाल निवासी ज्योतिषी एवं वास्तु सलाहकार पंडित हितेंद्र कुमार शर्मा. आइए जानते हैं ज्योतिष शास्त्र में इसका क्या महत्व है.
रात में मंदिर में क्यों लगाते हैं पर्दा?
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार रात के समय मंदिर का पर्दा लगाना जरूरी माना गया है, जिस तरह रात में इंसान को विश्राम की आवश्यकता होती है ठीक उसी तरह देवी-देवता भी रात के समय विश्राम करते हैं.
रात में मंदिर में क्यों लगाते हैं पर्दा?
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार रात के समय मंदिर का पर्दा लगाना जरूरी माना गया है, जिस तरह रात में इंसान को विश्राम की आवश्यकता होती है ठीक उसी तरह देवी-देवता भी रात के समय विश्राम करते हैं.
धार्मिक ग्रंथों में कहा गया है
धार्मिक ग्रंथों के अनुसार बाहरी लोगों की नजर से खुद को बचाने के लिए जिस तरह हम अपने घर में दरवाजे या पर्दे लगा कर रखते हैं, ठीक उसी तरह भगवान और देवी-देवताओं को भी नजर से बचाने के लिए पर्दा लगाया जाता है.
माना जाता है सम्मान का प्रतीक
धार्मिक ग्रंथों के अनुसार मंदिर में जाते समय हम भगवान के सम्मान में अपना सिर ढकते हैं, उसी तरह घर में बने मंदिर में भी हम पूजा के हर नियम का पालन करते हुए, भगवान की आरती, उनका भोग और उनके विश्राम का अच्छी तरह से ध्यान रखते हैं. इन नियमों का पालन करना भगवान के प्रति हमारी श्रद्धा और हमारे मन में उनके लिए सम्मान दर्शाता है. यह साक्ष्य है कि हम पूजा के सभी नियमों का बखूबी पालन कर रहे हैं.
पैसों की होगी बारिश, मिलेगा संतान सुख, मोक्ष के खुल जाएंगे रास्ते, फागुन में कर लीजिए ये उपाय
1 Mar, 2024 06:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
हिंदू कैलेंडर का आखिरी यानी 12वां महीना फागुन मास शुरू हो चुका है, जो आने वाले 25 मार्च तक चलेगा. फागुन माह का प्राकृतिक, वैज्ञानिक और धार्मिक रूप से खास महत्व है. इस माह में महाशिवरात्रि व होली दो बड़े त्योहार बड़े धूमधाम से मनाए जाएंगे, पूरे महीने फाग महोत्सव की धूम रहेगी. जिस प्रकार माघ मास में दान का महत्व है ठीक उसी प्रकार फागुन के महीने में दान का धार्मिक महत्व है. अपनी श्रद्धानुसार गरीबों को दान और पितरों के निमित्त तर्पण आदि जरूर करना चाहिए. फागुन मास में शुद्ध घी, तिल, सरसों का तेल, मौसमी फल आदि का दान बहुत ही पुण्य फल प्रदान करने वाला माना गया है.
ज्योतिषाचार्य चंद्रशेखर दाधीच ने बताया कि इस महीने की पूर्णिमा पर चंद्रमा फाल्गुनी नक्षत्र में होते हैं. इस कारण इस महीने को फागुन कहा जाता है. इस माह के व्रत ऊर्जा से भरपूर होते हैं. वैसे तो साल के 12 महीने हम किसी भी देवी देवता की आराधना करते हैं. लेकिन कुछ महीने ऐसे हैं जिनमें भगवान की खास आराधना की जाती है. मान्यता है कि रोगों से मुक्ति पाने के लिए फागुन का माह उत्तम होता है. इस माह में भोलेशंकर को सफेद चंदन अर्पित करने से स्वास्थ्य लाभ होता है, साथ ही, मां लक्ष्मी की पूजा से आर्थिक तंगी से छुटकारा मिलता है.
फाल्गुन मास में कृष्ण भक्ति का मिलता है विशेष लाभ
फागुन मास में भगवान कृष्ण की पूजा का विशेष महत्व है. मान्यता है यदि इस महीने में भगवान कृष्ण के तीन स्वरूप अर्थात बाल कृष्ण, युवा कृष्ण और गुरु कृष्ण की पूजा की जाए तो उनकी सभी मनोकामनाएं पूरी होती है. यदि किसी को संतान सुख चाहिए तो वह बाल गोपाल की आराधना करें, जिन्हें अपने दाम्पत्य जीवन में सुख चाहिए तो उन्हें युवा कृष्ण की और जिन्हे जीवन में मोक्ष और वैराग्य की तलाश है, उन्हें गुरू कृष्ण की साधना करनी चाहिए.
फाल्गुन मास के व्रत-त्योहार
1 मार्च यशोदा जयंती, 3 मार्च शबरी जयंती, भानु सप्तमी, मार्च जानकी जयंती, 6 मार्च विजया एकादशी, 8 मार्च महाशिवरात्रि,10 मार्च फाल्गुन अमावस्या, 12 मार्च फुलेरा दूज, रामकृष्ण जयंती, 13 मार्च विनायक चतुर्थी, 14 मार्च मीन संक्रांति, 20 मार्च आमलकी एकादशी, 22 मार्च प्रदोष व्रत, 24 मार्च होलिका दहन, पूर्णिमा व्रत, 25 मार्च होली, महाप्रभु जयंती रहेगी.
राशिफल: जानिए, कैसा रहेगा आपका आज का दिन (01 मार्च 2024)
1 Mar, 2024 12:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
मेष राशि :- लेनदेन के मामले स्थिगित रखें, व्यर्थ धन और समय का व्यय होवेगा, ध्यान रखें।
वृष राशि :- स्त्री वर्ग से क्लेश व अशांति होवेगी, कुटुम्ब की समस्याओं से बचिएगा, लाभ मिलेगा।
मिथुन राशि :- आरोप क्लेश संदिग्ध वातावरण बनाये रखें तथा धन का लाभ होवेगा।
कर्क राशि :- सामाजिक कार्यो में मान प्रतिष्ठा बढ़े, प्रेम प्रभुत्व में वृद्धि होवे, कार्य बनेंगे, आय प्राप्त होगी।
सिंह राशि - धनलाभ आशानुकूल सफलता का हर्ष तथा कार्यवृत्ति में सुधार होवेगा, धन मिलेगा।
कन्या राशि :- कार्य विफलत्व वृथा परिश्रम तथा असमंजस की स्थति बनी रहेगी, लाभ मिलेगा।
तुला राशि :- व्यर्थ भ्रमण विवादग्रस्त होगी, स्त्री वर्ग से विवाद अवश्य ही होवेगा, ध्यान दें।
वृश्चिक राशि :- प्रभुत्व वृद्धि कार्यकुशलता दैनिक समृद्धि के साधन अवश्य ही बनेंगे।
धनु राशि - मेल मिलाप फलप्रद विशेष कार्य स्थिगित रखें, लेनदेन के मामले में सावधानी रखें।
मकर राशि - तनाव क्लेश व अशांति से बचिएगा, इष्टमित्रों से अच्छा खासा सहयोग मिलेगा।
कुंभ राशि - मान प्रतिष्ठा एवं मनोवृत्ति संवेदनशील बनी रहेगी, परिवार में खुशियों का माहौल बनेगा।
मीन राशि - स्त्री वर्ग से हर्ष, कुटुम्ब में सुख, कार्यगति में सामान्य स्थिति बनी रहेगी, ध्यान दें।
फाल्गुन माह में करना है गृह प्रवेश, विवाह, मुंडन संस्कार या दुकान का उद्घाटन, देखें मार्च के शुभ मुहूर्त
29 Feb, 2024 06:45 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
अंग्रेजी कैलेंडर के नए माह मार्च 2024 का प्रारंभ होने जा रहा है, वहीं हिंदी कैलेंडर का अंतिम माह फाल्गुन शुरु हो चुका है. मार्च 2024 में जिन लोगों को अपने घर गृह प्रवेश, विवाह, मुंडन संस्कार, नामकरण या दुकान का उद्घाटन कराना है, उनको मार्च 2024 के शुभ मुहूर्त के बारे में जान लेना चाहिए. श्री कल्लाजी वैदिक विश्वविद्यालय के ज्योतिष विभागाध्यक्ष डॉ मृत्युञ्जय तिवारी बता रहे हैं मार्च 2024 के विवाह, गृह प्रवेश, मुंडन, जनेऊ, नामकरण के शुभ मुहूर्त के बारे में.
मार्च 2024 के दुकान मुहूर्त
2 मार्च, शनिवार, फाल्गुन कृष्ण सप्तमी, अनुराधा नक्षत्र
3 मार्च, रविवार, फाल्गुन कृष्ण अष्टमी, अनुराधा नक्षत्र
13 मार्च, बुधवार, फाल्गुन शुक्ल तृतीया, अश्विनी नक्षत्र
मार्च 2024 के मुंडन संस्कार मुहूर्त
08 मार्च, शुक्रवार: 06:52 से 22:00 तक
20 मार्च, बुधवार, 06:42 से 22:39 तक
27 मार्च, बुधवार, 06:36 से 30:36 तक
28 मार्च, गुरुवार, 06:35 से 18:38 तक
मार्च 2024 उपनयन संस्कार या जनेऊ मुहूर्त
27 मार्च, बुधवार, 09:36 से 16:15 तक
29 मार्च, शुक्रवार, 20:36 से 27:01 तक
मार्च 2024 के नामकरण के मुहूर्त
1, 3, 6, 7, 8, 11, 15, 17, 20, 24, 25, 27, 28 और 29 मार्च.
मार्च 2024 के गृह प्रवेश मुहूर्त
2 मार्च, शनिवार, मुहूर्त: दोपहर 02:42 बजे से अगली सुबह 06:44 बजे तक
6 मार्च, बुधवार, मुहूर्त: दोपहर 02:52 बजे से अगली सुबह 04:13 बजे तक
11 मार्च, सोमवार, मुहूर्त: सुबह 10:44 बजे से अगली सुबह 06:34 बजे तक
15 मार्च, शुक्रवार, मुहूर्त: रात 10:09 बजे से अगली सुबह 06:29 बजे तक
16 मार्च, शनिवार, मुहूर्त: सुबह 06:29 बजे से रात 09:38 बजे तक
27 मार्च, बुधवार, मुहूर्त: सुबह 06:17 बजे से शाम 04:16 बजे तक
29 मार्च, शुक्रवार, मुहूर्त: रात 08:36 बजे से अगली सुबह 06:13 बजे तक
30 मार्च, शनिवार, मुहूर्त: सुबह 06:13 बजे से रात 09:13 बजे तक
मार्च 2024 के विवाह मुहूर्त
1 मार्च, शुक्रवार, विवाह मुहूर्त: 06:46 एएम से 12:48 पीएम
2 मार्च, शनिवार, विवाह मुहूर्त: 08:24 पीएम से 06:44 एएम, मार्च 03
3 मार्च, रविवार, विवाह मुहूर्त: 06:44 एएम से 03:55 पीएम
4 मार्च, सोमवार, विवाह मुहूर्त: 10:16 पीएम से 06:42 एएम, मार्च 05
5 मार्च, मंगलवार, विवाह मुहूर्त: 06:42 एएम से 02:09 पीएम
6 मार्च, बुधवार, विवाह मुहूर्त: 02:52 पीएम से 06:40 एएम, मार्च 07
7 मार्च, गुरुवार, विवाह मुहूर्त: 06:40 एएम से 08:24 एएम
10 मार्च, रविवार, विवाह मुहूर्त: 01:55 एएम से 06:35 पीएम, मार्च 11
11 मार्च, सोमवार, विवाह मुहूर्त: 06:35 एएम से 06:34 एएम, मार्च 12
12 मार्च, मंगलवार, विवाह मुहूर्त: 06:34 एएम से 03:08 पीएम
कब है विजया एकादशी? इस विधि से करें भगवान विष्णु की पूजा, खुश होकर बरसाएंगे विशेष आशीर्वाद
29 Feb, 2024 06:30 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
सनातन धर्म में एकादशी तिथि विशेष महत्वपूर्ण तिथि मानी जाती है. प्रत्येक माह एकादशी तिथि के दिन भगवान विष्णु की विधि विधान पूर्वक पूजा आराधना करने का विधान है. साथ ही इस दिन व्रत करने का भी विधान बताया गया है. साल में कई एकादशी का व्रत रखा जाता है. हर एकादशी के व्रत की मान्यता अलग-अलग होती है, लेकिन एकादशी की तिथि जगत के पालनहार भगवान श्री हरि विष्णु को समर्पित होती है. प्रत्येक महीने शुक्ल पक्ष और कृष्ण पक्ष में एकादशी का व्रत रखा जाता है. फागुन माह की एकादशी तिथि 6 मार्च दिन बुधवार को है. जिसे विजया एकादशी के नाम से जाना जाता है तो चलिए इस रिपोर्ट में आज जानते हैं एकादशी की शुभ मुहूर्त और पूजा विधि.
अयोध्या के ज्योतिषी नीरज भारद्वाज बताते हैं कि फागुन माह की एकादशी तिथि 6 मार्च को है. सुबह 6:30 से एकादशी तिथि प्रारंभ हो रहा है जो 7 मार्च सुबह 4:13 पर समाप्त होगा. ऐसी स्थिति में विजया एकादशी का व्रत 6 मार्च को रखा जाएगा. धार्मिक मान्यता के मुताबिक इस दिन भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा का विधान है. इस दिन पूजा पाठ करने से जीवन में सुख समृद्धि का वास होता है.
भगवान विष्णु की चालीसा का पाठ
विजय एकादशी तिथि के दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान ध्यान और स्वच्छ वस्त्र धारण करना चाहिए. उसके बाद भगवान सूर्य को जल अर्पित करना चाहिए. एक साफ चौकी पर पीला या लाल वस्त्र बिछाकर भगवान विष्णु की मूर्ति स्थापित करनी चाहिए. उसके बाद पीले रंग का फल, फूल आदि विशेष सामग्री भगवान विष्णु को अर्पित करनी चाहिए. दीपक जलाकर भगवान विष्णु की चालीसा का पाठ करना चाहिए. भगवान विष्णु को खीर और मिठाई का भोग लगाना चाहिए. उसके बाद पूरे दिन अगर संभव हो तो विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ करना चाहिए. ऐसा करने से सुख समृद्धि का वास होता है और भगवान विष्णु जल्द प्रसन्न होते हैं.
ॐ भूरिदा भूरि देहिनो, मा दभ्रं भूर्या भर। भूरि घेदिन्द्र दित्ससि।
ॐ भूरिदा त्यसि श्रुत: पुरूत्रा शूर वृत्रहन्। आ नो भजस्व राधसि।
विजय एकादशी के दिन भगवान विष्णु के इन मंत्रों का जाप करना चाहिए. इस मंत्र के जप करने से भगवान विष्णु जल्द प्रसन्न होते हैं. अपनी कृपा हमेशा व्यक्ति के ऊपर बनाए रहते हैं.
क्यों लगाई जाती है देवी-देवता की परिक्रमा? जानें क्या हैं इसके फायदे, कैसे और कितनी करें प्रदक्षिणा
29 Feb, 2024 06:15 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
सनातन धर्म में पूजा-पाठ के बाद और पूजा-पाठ के दौरान कई सारे नियमों का पालन किया जाता है. इन्हीं में से एक है पूजा-पाठ के बाद देवी-देवताओं की परिक्रमा करना. परिक्रमा के बाद भगवान का आशीर्वाद ग्रहण किया जाता है. मंदिर में परिक्रमा हो या फिर भगवान के सामने एक स्थान पर घूमकर की गई परिक्रमा हो. हिंदू धर्म में भगवान की परिक्रमा का काफी महत्व बताया गया है. इनका धार्मिक और वैज्ञानिक दोनों ही महत्व है. इसके बारे में हमें बता रहे हैं दिल्ली निवासी ज्योतिष आचार्य पंडित आलोक पाण्ड्या. आइए जानते हैं कि आखिर क्यों भगवान की परिक्रमा लगाई जाती है?
भगवान गणेश और कार्तिकेय ने लगाई थी परिक्रिमा
प्रचलित कहानी के अनुसार, एक बार भगवान शिव और माता पार्वती ने अपने पुत्रों गणेश और कार्तिकेय को पूरी सृष्टि का चक्कर लगाने और सबसे पहले आने वाले को विजेता घोषित करने की एक प्रतियोगिता रखी. इस प्रतियोगिता में भगवान गणेश भगवान शंकर और माता पार्वती के चारों तरफ तीन बार घूम गए और उन्होंने ये प्रतियोगिता जीत ली. इसी के आधार पर सारी सृष्टि के लोग भगवान को ही माता-पिता मानकर उनकी परिक्रमा करते हैं. तभी से परिक्रमा की शुरुआत हुई.
सकारात्मक ऊर्जा का प्रसार
सनातन धर्म में परिक्रमा लगाना बेहद शुभ माना गया है. मान्यता है कि जो भगवान की परिक्रमा लगाता है , उसे सकारात्मक ऊर्जा प्राप्त होती है और जब वह व्यक्ति घर जाता है तो घर में फैली नकारात्मक ऊर्जा नष्ट हो जाती है. इसलिए भगवान की परिक्रमा करना फायदेमंद माना जाता है.
घर में आती है सुख-समृद्धि
धार्मिक मान्यता के अनुसार परिक्रमा करने से घर में सुख-समृद्धि और धन-धान्य की कमी नहीं होती. इससे जीवन में खुशियां आती हैं.
इस तरह लगाएं परिक्रिमा
1. धार्मिक ग्रंथों के अनुसार परिक्रमा हमेशा घड़ी की सुई की दिशा में लगानी चाहिए. यानी भगवान के दाएं हाथ से बाएं हाथ की तरफ परिक्रमा लगाना शुभ माना जाता है.
2. हमेशा परिक्रमा विषम संख्या में लगाई जाती है, जैसे 1, 3, 5, 7 या 9.
3. परिक्रमा करते समय बात नहीं करना चाहिए.
4. परिक्रमा करते समय भगवान का ध्यान करना सर्वोत्तम माना जाता है.
क्या है वैज्ञानिक दृष्टिकोण?
परिक्रमा लगाना शरीर के लिए फायदेमंद माना जाता है. जिस जगह पर प्रतिदिन पूजा होती है, वहां सकारात्मक ऊर्जा का प्रसार बढ़ जाता है और जब यह ऊर्जा इंसान के शरीर में प्रवेश करती है तो उस व्यक्ति का आत्मबल मजबूत होता है और उसको मानसिक शांति मिलती है.
इन 5 चीजों से करें रूद्राभिषेक, रोग होंगे खत्म, भगवान शिव की मिलेगी कृपा!
29 Feb, 2024 06:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
योग नगरी ऋषिकेश एक पावन तीर्थ स्थल है. यहां भगवान शिव के कई सारे प्राचीन मंदिर स्थापित हैं. रोजाना बड़ी संख्या में भक्त यहां रुद्राभिषेक करने आते हैं. वहीं हम आपको ऐसी 5 चीजों के बारे में बताने जा रहे हैं, जिनसे रुद्राभिषेक करने से कई फायदे होते हैं और साथ ही भगवान शिव की असीम कृपा प्राप्त होती है.
योग नगरी ऋषिकेश एक पावन तीर्थ स्थल है. यहां भगवान शिव के कई सारे प्राचीन मंदिर स्थापित हैं. रोजाना बड़ी संख्या में भक्त यहां रुद्राभिषेक करने आते हैं. वहीं हम आपको ऐसी 5 चीजों के बारे में बताने जा रहे हैं, जिनसे रुद्राभिषेक करने से कई फायदे होते हैं और साथ ही भगवान शिव की असीम कृपा प्राप्त होती है.
गंगा जल से रुद्राभिषेक करना अनेक आध्यात्मिक और शारीरिक लाभ प्रदान करता हैं. यह जल रोगों के इलाज में मदद करता है और मानसिक स्वास्थ्य को सुधारता है. रुद्राभिषेक के दौरान गंगा जल का उपयोग शिव भक्ति में भी होता है, जिससे आत्मा में शांति और ऊर्जा बढ़ती है. इसके अलावा, यह पवित्र जल स्नान करने वालों को पुण्य और शुभकामनाएं प्रदान करता है. इसके साथ ही इससे रुद्राभिषेक करने से घर के कलेश से मुक्ति मिलती है.
भांग के रस का रुद्राभिषेक में उपयोग कई संस्कृति-संबंधित त्योहारों में होता है और इसके कुछ आध्यात्मिक और शारीरिक फायदे हो सकते हैं. भांग का सेवन तंतु, तात्कालिक, और मानव तंत्र को सकारात्मक रूप से प्रभावित करता है.. यह मानसिक तनाव को कम करने और आत्मा को शांति प्रदान करने में मदद करता है. इससे रुद्राभिषेक करने से भगवान शिव की असीम कृपा प्राप्त होती है और अच्छी सेहत का वरदान मिलता है.
घी से रुद्राभिषेक करना एक प्राचीन रीति है, जो आध्यात्मिक और शारीरिक लाभ प्रदान करती है. घी का उपयोग शिव पूजा में होता है और इसमें कई गुण होते हैं जो स्वास्थ्य को सुधारते हैं. घी में विटामिन्स, एंटीऑक्सीडेंट्स, और हेल्दी फैट्स होता है, जो शारीरिक क्षमता को बढ़ावा देते हैं और त्वचा को नरमी प्रदान करते हैं. इससे रुद्राभिषेक करने से घर में सुख समृद्धि बनी रहती हैं.
शक्कर के पानी से रुद्राभिषेक का काफी महत्व है और इसके कई आध्यात्मिक और शारीरिक लाभ होते हैं. यह पानी तात्कालिक और मानव तंत्र को पौष्टिक तत्वों से भरपूर करता है, जो शरीर को ऊर्जा प्रदान करने में मदद करते हैं.शक्कर के पानी का सेवन भक्ति में भी किया जाता है और इससे रुद्राभिषेक से शिव की कृपा मिलती है, साथ ही मां लक्ष्मी की भी कृपा प्राप्त होती है.