धर्म एवं ज्योतिष
राशिफल: जानिए, कैसा रहेगा आपका आज का दिन (29 फ़रवरी 2024)
29 Feb, 2024 12:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
मेष राशि :- किसी आरोप से बचें, मान प्रतिष्ठा प्रभुत्व वृद्धि होगी।
वृष राशि :- सतर्कता से कार्य करें, पराक्रम मनोबल उत्साह वर्धक होगा।
मिथुन राशि :- कहीं विवादग्रस्त होने से बचिएगा तथा विभ्रम से बचें, कष्ट होगा।
कर्क राशि :- मान प्रतिष्ठा, प्रभुत्व वृद्धि स्त्री वर्ग से हर्ष उल्लास अवश्य ही बनेगा ।
सिंह राशि :- भाग्य का सितारा प्रबल रहेगा, कार्य व्यवस्था अनुकूल रुप से चलेगी।
कन्या राशि :- सामाजिक कार्यो में प्रभुत्व वृद्धि होगी, अधिकारियों का समर्थन फलप्रद होगा।
तुला राशि :- चिंताएं कम होगी, अधिकारी वर्ग से सतर्क रहें, विशेष समर्थन फलप्रद रहेगा।
वृश्चिक राशि :- समय अनुकूल नहीं, विशेष कार्य स्थगित रखे, कार्य में रुकावट बनेंगी।
धनु राशि :- बेकार की दौड़धूम में समय की बर्बादी होगी, मनोचित लाभ नहीं मिलेगा।
मकर राशि :- मानसिक उद्विघ्नता हानिप्रद, तनाव क्लेश व आशांति अवश्य होगी।
कुंभ राशि :- स्वभाव में क्रोध आवेश से हानि वृथा धन व्यय होगा, कार्य होगा।
मीन राशि :- अर्थ व्यवस्था से सुख, संतोष, सुख समृद्धि के साधन अवश्य ही जुटाये, कार्य होगा।
देश का एकमात्र तारा माता का मंदिर, बंगाल से जोत के रूप में आयी थीं देवी, दर्शनमात्र से पूरी होगी मनोकामना!
27 Feb, 2024 06:45 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
देवभूमि उत्तराखंड अपने तीर्थस्थलों, नदियों के कारण पूजी जाती है. यहां कण कण में भगवान और पग पग पर मंदिर हैं. इनमें से कई का रोचक इतिहास और महत्व है. धर्म और योगनगरी ऋषिकेश भी अपने प्राचीन मंदिरों के लिए मशहूर है. उन्हीं प्राचीन मंदिरों में से एक है तारा माता का मंदिर. इसके बारे में कई मान्यताएं और कहानियां हैं.
तारा माता का मंदिर त्रिवेणी घाट के पास ही केवलानंद चौक पर है. Local 18 के साथ बातचीत में तारा माता मंदिर के महंत संध्या गिरी बताते ने बताया कि तारा माता को 10 महा विद्याओं में से द्वितीय महाविद्या के रूप में पूजा जाता है.
प्रज्जवलित जोत
महंत प्रकाश गिरी महाराज 1965 में बंगाल से प्रज्जवलित जोत के रूप में तारा माता को ऋषिकेश लाए थे. जिस स्थान पर यह जोत रखी गई, वहीं तारा माता की मूर्ति की स्थापना की गई और मंदिर बना. उनके बाद श्री बद्रीश, श्री हिमालय पीठाधीश्वर उत्तराखण्ड राजगुरु, ब्रह्मलीन श्री श्री 1008 श्री महंत श्री गोदावरी गिरि ने इस मंदिर का जीर्णोद्धार करवाया और मंदिर को एक भव्य रूप दिया.
सबकी झोली भर दे मां
कहते हैं सच्चे मन से जो भी मांगों माता तारा उसे देती हैं. महंत संध्या गिरि बताते हैं यह मंदिर और इसका द्वार भव्य है. यहां सभी पर्व बड़े हर्षोल्लास से मनाए जाते हैं. लेकिन नवरात्रि और गुरु पूर्णिमा का खास महत्व है. अगर आप ऋषिकेश घूमने आए हुए हैं या फिर आने की सोच रहे हैं, तो इस मंदिर के दर्शन जरूर करें. तारा माता मंदिर के कपाट प्रातः 5 बजे खुलते हैं और रात 9 बजे बंद हो जाते हैं.
सिर्फ महाशिवरात्रि पर मिलता है... महाकाल का यह अद्भुत प्रसाद, घर ले जाते ही बजेगी शहनाई!
27 Feb, 2024 06:30 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
विश्व प्रसिद्ध महाकाल ज्योतिर्लिंग भारत के 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है. यहां की परंपरा बाकी जगहों से अलग है. महाकाल के बारे में कहा जाता है कि यह पृथ्वी का एक मात्र मान्य शिवलिंग है. दक्षिणमूखी होने के कारण इसकी मान्यता और बढ़ जाती है. यहां महाशिवरात्रि के पहले शिव नवरात्रि मनाई जाती है, इसलिए भी इसका खास महत्व है.
आयोजन के दौरान 9 दिन तक बाबा अपने भक्तों को अलग-अलग स्वरूप में दर्शन देते हैं. प्रथम दिन बाबा की जलाधारी पर हल्दी लगाई जाती है. इस बार 29 फरवरी को यह आयोजन होगा. मंदिर के महेश पुजारी ने बताया कि इस विशेष पर्व पर महाकाल को दूल्हा बनाने की परंपरा है. हिंदू धर्म की मान्यता के अनुसार, दूल्हे को हल्दी का उबटन लगाया जाता है. इस हल्दी को प्रसाद स्वरूप लेने के लिए दूर-दूर से लोग आते हैं.
विवाह की बाधा होती है दूर
शिव नवरात्रि के प्रथम दिन हल्दी का उबटन बाबा महाकाल की जलधारी, जिसे मां पार्वती का अंग माना जाता है उस पर धारण कराई जाती है. इस हल्दी का प्रसाद लेने भक्त भारी संख्या में मंदिर पहुंचते हैं. महेश पुजारी ने बताया कि ऐसी मान्यता है कि जिन लोगों के विवाह कार्य में बाधा आ रही हो, वे महाकाल से यह हल्दी ले जाते हैं. घर जाकर इस हल्दी को पानी मे मिलाकर स्नान करते हैं. उनके विवाह कार्य जल्दी ही संपन्न हो जाते हैं. पुजारी ने बताया कि भगवान की हर वस्तु का अपना एक अलग ही महत्व है.
घर के मंदिर में भूलकर भी न रखें इन 5 देवी-देवताओं की मूर्ति, लग सकता है दोष,
27 Feb, 2024 06:15 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
हिंदू धर्म में हम हजारों देवी-देवताओं का पूजन करते हैं. लेकिन घर में पूजा करते हुए हमें ये भी ध्यान रखना चाहिए कि किस देवी-देवता का कौनसा स्वरूप हम पूज रहे हैं. ये भी बहुत अहम होता है. इसके साथ ही घर वो जगह होती है, जहां ग्रहस्थ आश्रम का पालन होता है. ऐसे में सनातन धर्म के अनुसार हमें घर के पूजा-घर में देवी-देवताओं की स्थापना करते वक्त कुछ चीजों का विशेष ध्यान रखना चाहिए. जहां कुछ देवी-देवताओं की स्थापना से घर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है, वहीं कुछ देवी-देवताओं को मंदिरों में पूजना चाहिए, पर उन्हें घर पर स्थापित नहीं करना चाहिए.
घर में पूजा-ग्रह हमेशा ईशान कोंण यानी उत्तर-पूर्व दिशा में होना चाहिए. इस दिशा में सर्वाधिक सकारात्मक उर्जा होती है. पूजा घर में खंडित मूर्ती या खंडित सामग्री नहीं रखनी चाहिए. आइए ज्योतिष व वास्तु एक्सपर्ट डॉ. मधु प्रिया से जानते हैं, कि घर में किस-किस देवी-देवता की मूर्ती रखनी चाहिए और किस तरह की मूर्तियां गलती से भी अपने पूजाघर में न रखें.
ज्योतिषाचार्य डॉ. मधु प्रिया बताती हैं कि ज्योतिष शास्त्र के अनुसार कभी भी रुद्र मुद्रा वाली देवी-देवताओं की मूर्तियां अपने घर में या घर के पूजाघर में नहीं रखनी चाहिए. पूजाघर वो जगह है जो हमारे घर में सकारात्मक पूजा का विस्तार करता है. इसके साथ ही हमें कोई भी ऐसी मूर्ति नहीं रखनी चाहिए जो प्लास्टर ऑफ पेरिस से बनी हुई हो. इसके अलावा घर के मंदिर में कोई भी मूर्ती प्लास्टिक या संगमरमर के पत्थर से बनी हुई भी नहीं रखनी चाहिए.
अपने घर के मंदिर में जब भी मूर्ती रखें, हमेशा कोशिश करें कि वो चांदी, पीतल, सोने या फिर मिट्टी की बनी होनी चाहिए. इसके अलावा आप अपने घर के मंदिर में तस्वीरें भी रख सकते हैं.
गणेश जी की मूर्ती- घर में गणेश जी की एक ही मूर्ती होनी चाहिए. मां लक्ष्मी के बांई और सरस्वती जी को लक्ष्मी जी के दांई ओर रखना चाहिए. अपने पूजाघर में कभी भी गणेश जी की खड़ी हुई या नृत्य करती हुई प्रतिमा नहीं रखनी चाहिए.
कई लोग शिवलिंग घर में रखना पसंद करते हैं. लेकिन घर में शिवलिंग नहीं रखना चाहिए. इसके साथ ही शिवजी की कोई ऐसी मुद्रा जिसमें उनका रौद्र रूप दिखता हो, वो भी घर में नहीं रखनी चाहिए. अगर आप शिवजी को अपने मंदिर में रखना चाहती हैं तो शिव-परिवार की तस्वीर लगाना ज्यादा अच्छा होता है.
मां दुर्गा की बात करें तो हमें ध्यान रखना चाहिए कि उनका कौनसा स्वरूप हम अपने घर में रख रहे हैं. जैसे महिषासुर मर्दिनी का रूप, संघार करती हुई चंडिका देवी का रूप, ऐसी प्रतिमा या तस्वीर कभी भी घर के मंदिर में नहीं रखनी चाहिए.
मां दुर्गा का हमेशा सौम्य रूप ही घर में रखें. यदि आप मां दुर्गा की तस्वीर रख रहे हैं तो हमेशा ध्यान रखें कि उनके शेर का मुंह बंद होना चाहिए.
माता लक्ष्मी की हमेशा बैठी हुई तस्वीर/मूर्ती ही घर में लगाएं.
शनि, राहू, केतु या जो भी ग्रह वाले देवी-देवता होते हैं, उनकी तस्वीर कभी भी घर के मंदिर में नहीं रखनी चाहिए.
वहीं इस सृष्टि को संचालित करने वाले त्रिदेव की बात करें तो विष्णु और शिव जी के ही रूपों को स्थापित किया जा सकता है. ब्रह्मा जी को घर के मंदिर में कभी स्थापित नहीं करना चाहिए.
महाशिवरात्रि पर जपें भगवान शिव के 5 बीज मंत्र, दिलाएंगे हर समस्या से छुटकारा, आप भी रहेंगे रोग मुक्त
27 Feb, 2024 06:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
इस वर्ष महाशिवरात्रि का पर्व 8 मार्च 2024 को मनाया जा रहा है. इस दिन शिवालयों में भक्तों की खूब भीड़ देखने को मिलती है. हर भक्त अपने महादेव का आशीर्वाद पाने के लिए शिव मंदिर पहुंचता है. महाशिवरात्रि के दिन भोलेनाथ और माता पार्वती की पूजा करना बहुत शुभ माना गया है. अगर आप किसी तरह की परेशानी से जूझ रहे हैं और उससे छुटकारा पाना चाहते हैं तो महाशिवरात्रि के दिन भगवान शिव के 5 मंत्रों का जाप कर लाभांवित हो सकते हैं. ये प्रभावशाली मंत्र आपके जीवन की हर समस्या को खत्म कर सकते हैं. वे कौनसे मंत्र हैं आइए जानते हैं भोपाल निवासी ज्योतिषी एवं वास्तु सलाहकार पंडित हितेंद्र कुमार शर्मा.
1. रोग मुक्ति के लिए
पांच अक्षर का ये मंत्र भोलेनाथ का सबसे प्रिय मंत्र माना जाता है. इस मंत्र का अर्थ है कि मैं भगवान शिव के सामने झुकता हूं. अगर आप इस मंत्र का प्रतिदिन 108 बार जाप करते हैं तो आपका शरीर रोग मुक्ति होगा साथ ही आपका दिमाग भी शांत रहेगा. इस मंत्र के जाप से भगवान शिव की कृपा भी आपके ऊपर बनी रहेगी.
2. अप्रिय घटना से बचाने के लिए
महामृत्युंजय भगवान शिव का बेहद प्रभावशाली मंत्र माना जाता है. इस मंत्र का नियमित जाप इंसान को अकाल मृत्यु के भय से मुक्ति दिलाता है. इस मंत्र के जाप से उस व्यक्ति के साथ कभी कोई अप्रिय घटना नहीं होती.
3. मनोकामना पूरी करने के लिए
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार भगवान शिव के रुद्र मंत्र के नियमित जाप से जातक की हर मनोकामना पूरी हो सकती है. ये मंत्र इतना शक्तिशाली है कि ये आपकी हर इच्छा भगवान भोलेनाथ तक पहुंचा सकता है.
4. सुख-समृद्धि के लिए
भोलेनाथ का गायत्री मंत्र सर्वशक्तिशाली मंत्र माना जाता है. जो व्यक्ति इस मंत्र का नियमित रूप से जाप करता है उसे हर सुख की प्राप्ति होती है, उसके जीवन में शांति बनी रहती है.
5. पाप से मुक्ति के लिए
अगर किसी इंसान से जाने-अनजाने में कोई पाप हो जाए जो इस मंत्र के जाप से उसे मुक्ति मिल सकती है. कहा जाता है इस मंत्र के जाप से महादेव से अपने कर्मों की क्षमा याचना की जा सकती है.
राशिफल: जानिए, कैसा रहेगा आपका आज का दिन (27 फ़रवरी 2024)
27 Feb, 2024 12:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
मेष राशि :- किसी आरोप से बचें, मानसिक पीड़ा तथा प्रतिष्ठा में आंच आने की स्थिति बनेगी।
वृष राशि :- सतर्कता से कार्य करें, पराक्रम तथा मनोबल उत्साहवर्धक होगा, समय का ध्यान रखें।
मिथुन राशि :- कहीं विवादग्रस्त होने से बचें अन्यथा कार्य में निराशा तथा धन हानि होगी।
कर्क राशि :- मान-प्रतिष्ठा तथा प्रभुत्व वृद्धि, कार्य कुशलता से संतोष अवश्य ही होगा, समय का ध्यान रखें।
सिंह राशि :- भाग्य का सितारा प्रबल रहेगा, रुके कार्य रूपरेखा बनाकर समय पर निपटा लें।
कन्या राशि :- सामाजिक कार्यों में प्रतिष्ठा-प्रभुत्व वृद्धि तथा आर्थिक कार्य योजना सफल होगी।
तुला राशि :- कहीं विवादग्रस्त होने से बचें, समय की अनुकूलता रहेगी, समय पर कार्य करें।
वृश्चिक राशि :- समय अनुकूल नहीं विशेष कार्य स्थगित रखें, कार्य अवरोध से बचकर चलें।
धनु राशि :- स्वभाव में क्रोध व अवेश से हानि होगी, समय स्थिति का लाभ अवश्य लें।
मकर राशि :- मानसिक उद्विघ्नता हानिप्रद रहेगी, समय स्थिति का ध्यान रखकर कार्य करें।
कुंभ राशि :- स्वभाव में क्रोध व आवेश हानिप्रद, समय को समझकर काम बना लें।
मीन राशि :- अर्थ व्यवस्था से सुख-समृद्धि के साधन जुटाकर कार्य बनाने का प्रयास करें।
झारखंड के इस पहाड़ पर बसे हैं बुढ़वा महादेव, 400 साल से हो रही पूजा, भर जाती है सूनी गोद!
26 Feb, 2024 06:45 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
आने वाले मार्च के महीने में शिवरात्रि का पर्व है. शिवरात्रि के दिन लोग भगवान शिव के दर्शन करने के लिए आते है. यहां जलार्पण करने के लिए शिव मंदिर जाते है. हजारीबाग जिले के बड़कागांव प्रखंड के महुदी पहाड़ स्तिथ बुढ़वा महादेव मंदिर की महत्वता कुछ अलग ही है.
यहां जलाभिषेक और पूजा अर्चना करने के श्रद्धालु साल भर आते है. कहा जाता है कि 500 मीटर ऊंचे पर स्थित यह मंदिर 400 साल से अधिक पुराना है. पहाड़ी पर होने के कारण यहां पूजा-पाठ के अलावा लोग पर्यटन के ख्याल से भी आते हैं. इस पहाड़ पर कई स्थानीय और भोजपुरी फिल्म की भी शूटिंग हो चुकी है.
यहां जलाभिषेक करने की परंपरा 17 वीं सदी पुरानी
मंदिर समिति के सुबेंद्र कुमार बताते है कि यहां जलाभिषेक करने की परंपरा 17 वीं सदी में कर्णपुरा राज्य के राजा दलेल सिंह ने शुरू की थी. रामगढ़ राज्य की राजधानी बादाम बड़कागांव हुआ करता था. राजा दलेल सिंह खुद बहुत बड़े शिव भक्त थे. उन्होंने अपने जीवन काल में भगवान शिव पर कई गीत लिखे थे. उन्होंने आगे बताया कि राजा के द्वारा निर्माण करवाए गए किले आज भी पहाड़ी में मौजूद है. उस समय जल अर्पण करने के लिए यहां पर तालाब बनवाया गया था. जिसे रानीपोखर के नाम से जाना जाता है. यहां कई शिवलिंग की स्थापना उस समय करवाई गई थी. जिसका प्रमाण अभी भी पहाड़ के गुफा में मौजूद है.
पहाड़ पर मौजूद है 4 गुफा
कांडतरी निवासी राज मेहता बताते है कि महूदी पहाड़ में शेषनाग शिलाएं हैं. रास्ते के दोनो तरफ ये शिलाएं आपको अपनी और बुलाएगी. पूरे पहाड़ में 4 गुफा देखा जा सकता है. इन गुफाओं में पूजा अर्चना करने से मन्नत पूरी हो जाती है.वहीं, मंदिर पुजारी हेमराज महतो ने कहा कि राजा के द्वारा उस समय शिलाएं में पूजा पाठ की जाती थी. लेकिन मन्दिर के भवन का निर्माण 1960 में किया गया है. बड़कागांव के निवासी थानेदार यादव को पुत्र नहीं था. उन्होंने बाबा से मन्नत मांगी. बाबा ने आशीर्वाद दिया. पुत्र प्राप्ति के बाद यहां थानेदार यादव ने इस मंदिर भवन का निर्माण करवाया. यहां लोग पुत्र प्राप्ति की मन्नत मांगने आते हैं.
सपने में किसी व्यक्ति को गंजा देखना किस बात का संकेत? खुद को गंजा देखना शुभ या अशुभ, पंडित जी से जानें हकीकत
26 Feb, 2024 06:30 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
सपने देखने पर किसी का बस नहीं चलता. ये एक सामान्य प्रक्रिया है. सपने में हम कई प्रकार की चीज़ें देखा करते हैं. सपने में दिखने वाली कुछ चीज़ें शुभ मानी जाती है, और कुछ अशुभ. स्वप्न शास्त्र के अनुसार दिखाई देने वाला प्रत्येक सपना हमें हमारे भविष्य के बारे में कुछ संकेत देता है. कुछ सपने ऐसे भी होते हैं. जिनसे आर्थिक स्थिति पर प्रभाव पड़ सकता है. ऐसे में सपने में बच्चे को गंजा देखने का मतलब क्या होता है आइए जानते हैं दिल्ली के रहने वाले ज्योतिष आचार्य पंडित आलोक पाण्ड्या से.
सपने में बच्चे को गंजा देखना
यदि किसी व्यक्ति को उसके सपने में कोई बच्चा गंजा दिखाई दे तो इसका मतलब है कि उस व्यक्ति के आत्मविश्वास में कमी आ रही है. बच्चे को सपने में गंजा देखने का एक अर्थ ये भी है कि आपका कोई साथी आपके साथ विश्वासघात कर सकता है, या आपके जीवन में आर्थिक समस्या, दरिद्रता आने वाली है. ऐसे में आपको सतर्क रहने की बहुत ज़रूरत है.
सपने में ख़ुद को गंजा देखना
यदि आप अपने आप को सपने में गंजा देखते हैं. तो यह संकेत है कि आगे आने वाले भविष्य में आपके साथ कोई समस्या उत्पन्न हो सकती है. परिवार में वाद विवाद की स्थिति बन सकती है. ऐसे में जिस दिन आपको यह सपना दिखाई दे, उसके अगले दिन माता लक्ष्मी की विधिवत रूप से पूजा करें.
सपने में किसी महिला को गंजा देखना
यदि कोई महिला अपने आप को सपने में गंजा देखती है. तो ये संकेत है कि उस महिला के दाम्पत्य जीवन में सौभाग्य आने वाला है, और उस महिला के जीवन साथी को हर क्षेत्र में सफलता प्राप्त होगी.
देवताओं के लिए भी दुर्लभ है यह स्तोत्र, पाठ करने से दूर होंगी जीवन की सभी बाधाएं!
26 Feb, 2024 06:15 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
मां दुर्गा की कृपा प्राप्त करने के लिए बहुत से भक्त सिद्ध कुंजिका स्तोत्र का पाठ करते हैं. इस पाठ को बहुत फलदायी माना जाता है. मान्यता है कि इस पाठ से व्यक्ति के जीवन में आने वाली सभी प्रकार की बाधाएं दूर होती हैं. पंडित अनिल महाराज ने बताया कि मार्कंडेय पुराण से दुर्गा सप्तशती का उत्पत्ति हुई है. दुर्गा सप्तशती का पाठ करना बेहद लाभकारी है.
अगर आप अर्गला स्तोत्र, दुर्गा कवच, कीलक, दुर्गा सप्तशती के 13 अध्याय नहीं करते हैं तो केवल सिद्ध कुंजिका का पाठ करने से पूरे सप्तशती पाठ के बराबर फल की प्राप्ति होती है. भगवान शंकर कहते हैं कि सिद्ध कुंजिका स्त्रोत का पाठ करने वाले को देवी कवच, अर्गला, कीलक, रहस्य, सूक्त, ध्यान, न्यास और यहां तक कि अर्चन भी आवश्यक नहीं है. केवल, कुंजिका के पाठ मात्र से दुर्गा पाठ का फल प्राप्त हो जाता है.
इस मंत्र का करना होगा जाप
पंडित जी ने बताया कि आमतौर पर साधक संक्षिप्त मंत्र ”ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे॥” का जाप करते हैं. लेकिन सिद्ध कुंजिका स्त्रोत्र में संपूर्ण मंत्र दिया गया है, जो इस प्रकार है- ”ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे। ॐ ग्लौं हुं क्लीं जूं स: ज्वालय ज्वालय ज्वल ज्वल प्रज्वल प्रज्वल ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे ज्वल हं सं लं क्षं फट् स्वाहा।।”
ऐसे करना होगा पाठ
पंडित जी ने बताया कि सुबह 3 बजकर 45 मिनट पर ब्रह्म मुहूर्त में स्नान आदि करने के बाद उत्तर दिशा में जमीन में बैठकर पवित्र होकर पहले आचमन करें. फिर कितने मंत्र का आप पाठ करेंगे, इसका संकल्प लें. अपनी मनोकामनाएं भी मन में बोलें. कम से कम 11 पाठ सिद्ध कुंजिका के करने से घर में उन्नति, खुशाली, मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं. किसी प्रकार की घर में नकारात्मक ऊर्जा, रोग, बाधाएं नहीं आती हैं. विधि पूर्वक सिद्ध कुंजिका स्तोत्र का पाठ करने से बहुत जल्द ही मनोवांछित फलों की प्राप्ति हो सकती है. ब्रह्म मुहूर्त के दौरान इसका पाठ करना बेहद प्रभावशाली माना जाता है.
बेहद लाभकारी है पाठ
सिद्ध कुंजिका स्तोत्र बेहद कल्याणकारी और शक्तिशाली स्रोत है. अगर आप इसका पाठ कर लेते हैं तो इसके बाद आप को किसी अन्य जाप या पूजा करने की आवश्यकता नहीं होती है. कुंजिका स्त्रोत के पाठ करने से आपके सभी जाप सिद्ध हो जाते हैं और मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती हैं. शत्रुओं के नाश के लिए या उनसे मुक्ति पाने के लिए भी आप सिद्ध कुंजिका स्तोत्र का पाठ कर सकते हैं. इसके पाठ से देवी भगवती की कृपा प्राप्त होती है और दुर्गा जी के आशीर्वाद से जीवन की सभी समस्याएं दूर होती हैं.
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राशिफल: जानिए, कैसा रहेगा आपका आज का दिन (26 फ़रवरी 2024)
26 Feb, 2024 12:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
मेष राशि :- व्यवसाय मंद रहेगा एवं कुछ चिंताएं संभव होगी, मनोबल बना रहेगा।
वृष राशि :- धन का व्यय एवं चिंता बनी रहे, किसी आरोप से बचकर चले।
मिथुन राशि :- स्त्रीवर्ग से कष्ट, चिन्ता, व्यवसाय कार्यों में आरोप, धन की हानि होगी।
कर्क राशि :- अधिकारियों का समर्थन फलप्रद रहे, मान प्रतिष्ठा के योग बनेंगे।
सिंह राशि :- स्वभाव में क्लेश व अशांति, अधिकारियों के आरोप लगेंगे।
कन्या राशि :- परिश्रम से कार्य सफल होंगे, सफलता में आपकी योजना पूर्ण होगी।
तुला राशि :- भोग ऐश्वर्य की प्राप्ति, कार्यगति उत्तम, सफलता के साधन जुटाए।
वृश्चिक राशि :- किसी का कार्य बनने में मनोबल ऊँचा होगा, तनाव क्लेश होगा।
धनु राशि :- झूठे आरोप व क्लेश असमंजस मुक्त रखे, तनाव क्लेश होगा।
मकर राशि :- दूसरों के कार्यो में वृथा समय नष्ट न करें, तनाव तथा शरीर कष्ट हो।
कुंभ राशि :- तनाव से लाभ बिगड़े, कार्य बनेंगे, आशानुकूल सफलता का हर्ष होगा।
मीन राशि :- कार्यगति सामान्य, आर्थिक योजना पूर्ण होगी तथा संतोष बना ही रहेगा, ध्यान रखें।
महाशिवरात्रि के दिन महादेव पर क्यों चढ़ाते हैं बेर
25 Feb, 2024 06:45 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
हिंदू धर्म में महाशिवरात्रि का विशेष महत्व है. हर साल फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष की चतुदर्शी तिथि को महाशिवरात्रि पर्व मनाया जाता है. इस दिन शिव भक्त पूरे विधि-विधान के साथ माता पार्वती और भोलेनाथ की आराधना करते हैं. इस साल महाशिवरात्रि 8 मार्च को है. महाशिवरात्रि को भक्त दिन भर भोलेनाथ की पूजा-अर्चना करते हैं और विभिन्न तरह का प्रसाद चढ़ाते हैं. इन्हीं में से एक फल है बेर, जिसका शिवरात्रि पर खास महत्व है.
भगवान शिव को यह फल अतिप्रिय है. दरअसल बेर एक मौसमी फल है, जो आकार में छोटा लेकिन सबका पसंदीदा होता है. इसके अलावा यह कई पोषक तत्वों से भरपूर भी होता है. इसमें विटामिन सी, कैल्शियम, आयरन, फास्फोरस, पोटेशियम के साथ जस्ता जैसे कई पोषक तत्व प्रचुर मात्रा में पाए जाते हैं, जो इम्युनिटी बूस्ट करने में काफी मददगार हैं. साथ ही इसका धार्मिक महत्व भी है.
क्यों चढ़ाया जाता है बेर?
उत्तराखंड के चमोली निवासी पंडित मदन मैखुरी बताते हैं कि सनातन धर्म में महाशिवरात्रि का विशेष महत्व है. इस दिन भक्त भोलेनाथ के मंदिर जाते हैं, शिवलिंग पर जल, दूध, शहद, बेलपत्र आदि अर्पित करते हैं और उन्हें फल के रूप में बेर चढ़ाते हैं. मान्यता है कि भोलेनाथ कैलाश पर्वत पर रहते हैं क्योंकि पहाड़ों में अक्सर फलाहार के रूप में कंदमूल फलों का ही सेवन किया जाता रहा है. इसीलिए भक्त आज भी प्रसाद रूप में भोलेनाथ को कंदमूल चढ़ाते हैं. वह आगे कहते हैं कि शिवरात्रि पर जो भी भक्त अपनी मनोकामना लेकर भोलेनाथ को जल चढ़ाते हैं, उन्हें प्रसाद के रूप में बेर आदि चढ़ाते हैं, भगवान शिव निश्चित रूप से उनकी इच्छा पूरी करते हैं.
पोषक तत्वों की खान है बेर
चमोली के गौचर अस्पताल में कार्यरत डॉक्टर रजत बताते हैं कि महाशिवरात्रि पर भगवान शिव को चढ़ाया जाने वाला फल बेर कई पोषक तत्वों से भरपूर होता है. यह शरीर के लिए काफी फायदेमंद है क्योंकि इसमें ‘ सैपोनिन’ और ‘पॉलीसेकेराइड’जैसे फ्लेवोनॉयड तत्व प्रचुर मात्रा में पाए जाते हैं, जो अनिद्रा की समस्या से परेशान लोगों के लिए काफी फायदेमंद है. वह आगे कहते हैं कि कब्ज की समस्या से परेशान रहने वाले लोगों के लिए भी यह काफी फायदेमंद है. साथ ही मोटापा, ब्लड सर्कुलेशन को कंट्रोल करने के साथ साथ बेर चेहरे के लिए भी काफी अच्छा है.
क्या आप जानते है शिवरात्रि और महाशिवरात्रि में अंतर? एक वर्ष में होती हैं इतनी शिवरात्रि
25 Feb, 2024 06:30 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
हम सभी अच्छी तरह जानते है, कि हर महीने में एक शिवरात्रि जरूर आती है. इसी प्रकार एक वर्ष में 12 मासिक शिवरात्रि होती है. लेकिन शिवरात्रि और महाशिवरात्रि में क्या अंतर बताया गया है विस्तार से जानते है. ज्योतिषाचार्य पं पंकज पाठक ने कहा कि हर माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को शिवरात्रि मनाई जाती है. पर फाल्गुन माह में पड़ने वाली शिवरात्रि को महाशिवरात्रि कहा जाता है. शिव पुराण में ऐसी कई महत्वपूर्ण तिथियों का वर्णन है. जिनपर, भगवान शिव की पूजा की जाती है. इसके साथ ही व्रत रखा जाता है. भगवान शिव को बाकी देवताओं से जल्दी प्रसन्न होते है. भगवान शिव मात्र एक लोटा जल श्रद्धा पूर्वक चढ़ाने से ही प्रसन्न हो जाते है. यही कारण है कि भगवान शिव को भोलेनाथ कहा जाता है. भगवान शिव के लिए सोमवार, सावन का महीना, प्रदोष व्रत, शिवरात्रि एवं महाशिवरात्रि के व्रत रखें जाते है. फिर भी शिवरात्रि एवं महाशिवरात्रि में कुछ लोगों को संशय रहता है. तो आईए जानते है इनका अंतर.
ज्योतिषाचार्य के अनुसार फाल्गुन माह में आने वाली शिवरात्रि को महाशिवरात्रि कहा जाता है. सभी शिवरात्रियों में इसका महत्व सबसे ज्यादा होता है. इस शिवरात्रि को महाशिवरात्रि इसलिए कहा गया है. क्योंकि, इस दिन भगवान शिव ने वैराग्य त्यागकर देवी पार्वती से विवाह किया था. महाशिवरात्रि के दिन शिव जी के साथ माता पार्वती की भी पूजा की जाती है. हर वर्ष भगवान शिव के भक्त महाशिवरात्रि के दिन को श्रद्धाभाव एवं पूरे हर्षोल्लास के साथ मनाते हैं.
इस वर्ष महाशिवरात्रि
भगवान शिव जी की पूजा प्रदोष काल में की जाती है. इस दिन उदया तिथि देखना जरूर नहीं होता है. इस वर्ष महाशिवरात्रि का व्रत 8 मार्च को रखा जाएगा. पंडित पंकज पाठक के अनुसार पंचांग के अनुसार फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि की शुरुआत 8 मार्च को संध्याकाल 09:57 मिनट पर होगी. फिर इसका समापन अगले दिन यानी 9 मार्च को संध्याकाल 06:17 मिनट पर होगा.
पूजन का शुभ मुहूर्त
भगवान शिव की पूजन महाशिवरात्रि यानी 8 मार्च के दिन शाम को 06:25 मिनिट से 09:28 मिनिट तक रहेगा.
कुंडली में एक साथ बैठे हैं सूर्य और शनि? पिता-पुत्र के रिश्तों में पड़ सकती है दरार
25 Feb, 2024 06:15 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
पितरों के आशीर्वाद से परिवार और घर फलता-फूलता है लेकिन अगर पूर्वज नाराज हो तो कई पीढ़ियों तक पितृ दोष का दर्द झेलना पड़ता है. कुंडली में पितृ दोष होने पर व्यक्ति को जीवन में कई समस्याओं का सामना करना पड़ता है. कई बार बनते-बनते काम भी बिगड़ जाते हैं. बिजनेस से लेकर नौकरी तक में हानि होने लगती है. ज्यादातर लोगों को पितृदोष के चलते जीवन में कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है. जब किसी का पिता से बार-बार कलेश हो रहा हो, एक ही घर में रहते हुए न बन रही हो, व्यक्ति को संतान सुख न मिल रहा हो, इसके अलावा उसके पिता कष्ट में हों, तो ये संकेत पितृदोष से जुड़े हो सकते हैं.
उत्तराखंड की राजधानी देहरादून के रहने वाले पंडित संजय मित्तल बताते हैं कि पितृ दोष के कारण आमतौर पर व्यक्ति परेशानियों से घिर जाता है. निवारण के लिए उसे समस्या का पता होना जरूरी है. भगवान श्रीराम की कुंडली में भी पितृदोष था, यही वजह थी कि वह और उनके पिता राजा दशरथ एक साथ एक ही छत के नीचे नहीं रह पाए. यह पहला संकेत है. वहीं जब व्यक्ति शादी के बाद पिता बनने के सुख से वंचित रहता है, यह भी पितृदोष का संकेत है. इसके अलावा अगर व्यक्ति के बच्चे या उसके पिता किसी बीमारी या परेशानी से जूझ रहे हों, इसे भी पितृदोष का एक लक्षण माना जा सकता है.
कब लगता है पितृदोष?
पंडित संजय मित्तल बताते हैं कि कुंडली के अनुसार जब सूर्य और शनि एक साथ बैठे हों या उनका टकराव होता है, तो पितृदोष होता है. वर्तमान में गोचर में सूर्य और शनि एक साथ बैठे हैं, तो पिता और पुत्र का टकराव हो रहा है. उदाहरण के लिए हम प्रजा और सरकार का टकराव मान सकते हैं. जैसे इस समय किसान आंदोलन हो रहा है.
पितृ दोष से मुक्ति के उपाय
पंडित संजय मित्तल बताते हैं कि अगर आप की जिंदगी में भी ऐसी ही उठापटक हो रही है और आप पितृदोष से मुक्ति से मुक्ति पाना चाहते हैं, तो आप गीता, गायत्री और गंगा स्नान से पितृ दोष से मुक्ति पा सकते हैं, इसलिए पितृ दोष की मुक्ति के लिए अमावस्या के दिन गंगा स्नान किया जाता है. वहीं अपनी राशि के अनुसार जो गीता का अध्याय है, उसे पढ़ें और गायत्री मंत्र के उच्चारण के अलावा उसे लिखने से भी लाभ मिलता है.
जहां विराजमान हैं नीलम के राम, साथ में है महादेव का अनोखा रूप
25 Feb, 2024 06:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
अलवर जिले में वैसे तो कई मंदिर हैं, जो अपने आप में काफी विशेष महत्व रखते हैं. कई मंदिर इतिहास में दर्ज हैं, तो कई पिछले कुछ सालों में बनाए गए हैं. लेकिन अलवर शहर से करीब 10 किलोमीटर दूरी पर स्थित प्राचीन बाला किला परिसर में सीताराम जी का मंदिर है, जो कई सालों से यहां पर स्थापित है. यह मंदिर अपने आप में एक खास विशेषता रखता है, क्योंकि इस मंदिर में सीताराम जी के साथ नीलम से निर्मित भगवान राम की प्रतिमा और अलवर रियासत के राजा-महाराजाओं के कुलदेवी भी विराजित हैं.
अब मंदिर के प्रांगण में होती है पूजा
अलवर के इतिहासकार हरिशंकर गोयल ने बताया कि अलवर में स्थित बाला किला एक प्राचीन पुरातत्व पर्यटन स्थल है. इसी के प्रांगण में पिछले कई सालों से सीताराम जी का मंदिर बना हुआ है. पहले के समय मंदिर में विराजित मूर्तियां बाला किला के पिछले हिस्से में रखी हुई थी और वहीं पर पूजा अर्चना की जाती थी. खंडहर होने के बाद इन मूर्तियों को वहां से निकालकर बाला किला के प्रांगण में रखा गया. इस मंदिर में खास बात यह है कि भगवान की प्रतिमाओं के साथ इस मंदिर में राजशाही जमाने के कुलदेवी त्रिपुरा सुंदरी माता की भी मूर्ति श्री यंत्र पर निर्मित की गई हैं, जो की 1100 सालों से भी ज्यादा पुरानी है.
श्री राम जी व सीता माता की प्रतिमा है आकर्षण का केंद्र
मंदिर में पूजा-अर्चना करने वाले महंत ने बताया कि इस मंदिर में भगवान सीताराम जी, भैरू बाबा की प्रतिमा के साथ विशेष आकर्षण श्री राम जी व सीता माता की प्रतिमा है. इसमें श्री राम जी की प्रतिमा नीलम के पत्थर से निर्मित है, तो वहीं सीता जी की प्रतिमा अष्टधातु से निर्मित है. इनके दर्शन करने के लिए लोग दूर-दूर से आते हैं. इसके साथ ही बाला किला आने वाले पर्यटक भी इस मंदिर में मत्था टेंकते हैं.
बाला किला के सीताराम जी मंदिर प्रांगण में पंचमुखी शिवजी की एक छोटी सी प्रतिमा भी विराजित है, जो अपने आप में खास है. इसका कारण है कि सामान्य तौर पर किसी भी मंदिर में पंचमुखी शिवजी विराजित नहीं होते, लेकिन इस मंदिर में भगवान शिव अपने परिवार के साथ विराजित हैं. इस पंचमुखी शिव प्रतिमा की पूजा के लिए भी लोग यहां आते है.
राशिफल: जानिए, कैसा रहेगा आपका आज का दिन (25 फ़रवरी 2024)
25 Feb, 2024 12:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
मेष राशि :- व्यवसाय मंद रहेगा, कुछ चिंताएं संभव होवेगी, मनोबल उत्साह वर्धक रहेगा।
वृष राशि :- धन का व्यय एवं चिंता बनी रहेगी एवं किसी के आरोप से बचकर चलेंगे ।
मिथुन राशि :- स्त्री वर्ग से कष्ट, चिंता व्यवसायी कार्यो में आरोप होगें, धन से हानि होवेगी।
कर्क राशि :- अधिकारियों का समर्थन फलप्रद रहेगा, तथा मान प्रतिष्ठा के योग अवश्य बनेंगे।
सिंह राशि :- स्वभाव में क्लेश व अशांति होगी, अधिकारियों के आचरण से दुखी होंगे।
कन्या राशि :- परिश्रम से आप सफल होंगे, सफलता में आपकी योजना पूर्ण अवश्य होगी।
तुला राशि :- भोग विलास, ऐश्वर्य की प्राप्ति, कार्य गति उत्तम, सफलता के साधन होवेंगे।
वृश्चिक राशि :-किसी का कार्य बनने से मनोबल ऊंचा होवेगा, तनाव क्लेश व अशांति होवेगी।
धनु राशि :- झूठे आरोप असमंजस क्लेशयुक्त रखें, तनाव तथा शरीर में कष्ट होवेगा।
मकर राशि :- दूसरों के कार्यो में वृथा समय नष्ट न करें, तनाव क्लेश व क्रोध होवेगा।
कुंभ राशि :- धन लाभ होगा, बिगड़े हुए कार्य बनेंगे, आशानुकूल सफलता का हर्ष बनेगा।
मीन राशि :- कार्यगति सामान्य होने से आर्थिक योजना पूर्ण होवेगी, मन में संतोष होगा।