धर्म एवं ज्योतिष
राशिफल: जानिए, कैसा रहेगा आपका आज का दिन (09 मार्च 2024)
9 Mar, 2024 12:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
मेष राशि - साधन सम्पन्नता के योग फलप्रद हो, आर्थिक योजना अवश्य सफल होगी।
वृष राशि - अपने किए पर पछताना पड़ेगा, मानसिक बेचैनी क्लेश व अशांति होगी।
मिथुन राशि - सफलता के साधन जुटाए, व्यावसायिक क्षमता में वृद्धि होगी, ध्यान दें।
कर्क राशि - दैनिक कार्यों में सफलता, स्त्री से सुख, इष्टमित्र सुखवर्धक होगे, ध्यान दें।
सिंह राशि - स्त्रीवर्ग से हर्ष, उल्लास होगा, भोग ऐश्वर्य की प्राप्ति होगी, कार्यगति मध्यम रहेगी।
कन्या राशि धन लाभ आशानुकूल सफलता का हर्ष, बिगड़े कार्य बने, योजना अवश्य बनेंगे।
तुला राशि - आशानुकूल सफलता से हर्ष, बिगड़े हुए कार्य अवश्य ही बनेंगे, कार्य होंगे।
वृश्चिक राशि - दैनिक समृद्धि के साधन बनेंगे, अधिकारियों से लाभ होगा, ध्यान दें।
धनु राशि - योजना पूर्ण बने, बड़े बड़े लोगों से मेल मिलाप होगा, कार्य अवरोध से बचे।
मकर राशि - कार्य कुशलता से संतोष, स्थितियों में सुधार तथा चिन्ता कम होगी, ध्यान दें।
कुंभ राशि - आर्थिक योजना पूर्ण होगी, शरीर कष्ट, मानसिक बेचैनी होगी।
मीन राशि - दैनिक कार्यो में बाधा, चिन्ता उद्विघ्नता बने, धन व्यय हो।
महाशिवरात्रि, शुक्र प्रदोष व्रत साथ, शिव पूजा से होगा सबका कल्याण, जान लें मुहूर्त, शुभ योग, राहुकाल
8 Mar, 2024 06:45 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
आज के दिन महाशिवरात्रि और शुक्र प्रदोष व्रत दोनों साथ हैं. आज फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि, श्रवण नक्षत्र, शिव योग, गर करण, शुक्रवार दिन और पश्चिम दिशाशूल है. त्रयोदशी तिथि 09:57 पीएम पर खत्म होगी और चतुर्दशी प्रारंभ होगी. शुक्र प्रदोष और महाशिवरात्रि व्रत एक साथ रखे जाएंगे. शुक्र प्रदोष की पूजा शाम 06 बजकर 25 मिनट से लेकर रात 08 बजकर 52 मिनट के मध्य कभी भी कर सकते हैं. वहीं महाशिवरात्रि की पूजा आप पूरे दिन कभी भी कर सकते हैं. आज के दिन आप व्रत और शिव पूजा से महाशिवरात्रि और प्रदोष व्रत दोनों का पुण्य प्राप्त कर सकते हैं. शुक्र प्रदोष व्रत के पुण्य से सभी दोष मिटते हैं और धन, सुख, समृद्धि बढ़ती है. महाशिवरात्रि व्रत और पूजा सभी कष्टों को दूर करके मनोकामनाओं की पूर्ति का उत्तम माध्यम है.
महाशिवरात्रि और शुक्र प्रदोष व्रत की पूजा करते समय शिव जी को बेलपत्र, धतूरा, भांग, शमी के पत्ते, फूल, बेर, फल, मिठाई आदि अर्पित करते हैं. पूजा के दौरान महाशिवरात्रि और शुक्र प्रदोष व्रत की कथा सुननी चाहिए. पूजा का समापन आरती से करें. शुक्रवार का दिन माता लक्ष्मी की पूजा का भी है. रात के समय में लक्ष्मी पूजा करें. उनको लाल गुलाब, कमल के फूल आदि अर्पित करें. खीर, दूध से बनी सफेद मिठाई, बताशा आदि का भोग लगाएं. लक्ष्मी पूजा के समय आप कनकधारा स्तोत्र या फिर श्रीसूक्त का पाठ करें. इससे धन और दौलत बढ़ेगा. वैदिक पंचांग से जानते हैं आज का सूर्योदय, चंद्रोदय, शुभ मुहूर्त, योग, सूर्यास्त, चंद्रास्त, अशुभ समय, राहुकाल, दिशाशूल आदि.
महाशिवरात्रि का पंचांग, 8 मार्च 2024
आज की तिथि- फाल्गुन कृष्ण त्रयोदशी – 09:57 पीएम, फिर चतुर्दशी तिथि
आज का नक्षत्र- श्रवण – 10:41 एएम, फिर धनिष्ठा
आज का करण- गर – 11:41 एएम तक, फिर वणिज – 09:57 पीएम तक
आज का पक्ष- कृष्ण
आज का योग- शिव – 00:46 एएम, मार्च 09, फिर सिद्ध
आज का दिन- शुक्रवार
चंद्र राशि- मकर – 09:20 पीएम तक, फिर कुंभ
सूर्योदय-सूर्यास्त और चंद्रोदय-चंद्रास्त का समय
सूर्योदय- 06:38 एएम
सूर्यास्त- 06:25 पीएम
चन्द्रोदय- 05:59 एएम, 9 मार्च
चन्द्रास्त- 04:12 पीएम
अभिजीत मुहूर्त- 12:08 पीएम से 12:56 पीएम तक
ब्रह्म मुहूर्त- 05ः01 एएम से 05:50 एएम तक
आज के बने शुभ योग
सर्वार्थ सिद्धि योग: 06:38 एएम से 10:41 एएम तक
पूजा मुहूर्त
शुक्र प्रदोष मुहूर्त: 06:25 पीएम से रात 08:52 पीएम तक
महाशिवरात्रि निशिता मुहूर्त: देर रात 12:07 एएम से 12:56 एएम तक
अशुभ समय
राहु काल – 11:04 एएम से 12:32 पीएम तक
गुलिक काल – 08:07 एएम से 09:35 एएम तक
भद्रा: 09:57 पीएम से 06:37 एएम, 09 मार्च
पञ्चक: 09:20 पीएम से 06:37 एएम, 09 मार्च
दिशाशूल – पश्चिम
बड़ा चमत्कारी है ये शिवलिंग! लोग बोरिंग में डालते हैं यहां चढ़ाया गया जल, हैरान कर देगी मान्यता
8 Mar, 2024 06:30 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
मां अहिल्या की नगरी इंदौर में भगवान भोलेनाथ का एक अनोखा व चमत्कारी शिवलिंग है. मान्यता है कि इस शिवलिंग पर अर्पित जल को ट्यूबवेल या घर में बोरिंग वाली जगह पर डालो तो वहां पानी जल्दी निकल आता है. इस मंदिर में दूर-दूर से भक्त पूजन दर्शन करने आते हैं और ज्यादातर लोग अपने यहां कराए जाने वाली बोरिंग व ट्यूबवेल के लिए मंदिर से जल लेकर जाते हैं. मान्यता तो ये भी थी कि जब शहर में बारिश नहीं होती थी तब लोग यहां प्रार्थना करते थे और तब बरसात जरूर होती थी.
4 हजार साल पुराना है मंदिर
इंदौर के पंढरीनाथ थाने के पीछे बने इंद्रेश्वर महादेव मंदिर के बारे में कहा जाता है कि यह करीब 4 हजार साल पुराना है. इंदौर शहर का नाम भी इसी मंदिर के नाम से रखा गया है. प्राचीन इंद्रेश्वर महादेव के दर्शन के लिए आज भी हजारों श्रद्धालु यहां पर पहुंचते हैं और अपनी मनोकामनाएं भगवान के सामने कहते हैं.
बारिश के लिए होती है प्रार्थना
इस मंदिर के तलघर में इंद्रेश्वर महादेव विराजमान हैं. मान्यता है कि जब कभी शहर में बारिश या सूखे की स्थिति बनती थी तो शहरवासी यहां पर आकर जल चढ़ाकर भगवान भोलेनाथ से प्रार्थना करते थे, इसके बाद बारिश हो जाती थी. वहीं एक मान्यता यह भी है कि यहां शिवलिंग पर चढ़ाए गए जल को जिस भी भूमि पर डालकर बोरिंग कराई जाती है, वहां पानी जल्दी निकल आता है. इसी वजह से कई साल तक लोग बोरिंग खोदने से पहले यहां से जल ले जाया करते थे.
शिव महापुराण में भी जिक्र
इंद्रेश्वर महादेव मंदिर का जिक्र शिव महापुराण में भी मिलता है. मंदिर में प्रत्येक वर्ष श्रावण माह में आने वाले सोमवार, महाशिवरात्रि सहित अन्य पर्वों और त्योहारों को उत्साह के साथ श्रद्धालु मनाते हैं.
स्वामी इंद्रपुरी ने की थी स्थापना
मंदिर के प्राचीन इतिहास के बारे में कहा जाता है कि इस मंदिर में महादेव की स्थापना स्वामी इंद्रपुरी ने की थी. इस मंदिर में जो शिवलिंग है, उसे कान्ह नदी से निकलवाकर प्रतिस्थापित किया गया था. बाद में तुकोजीराव प्रथम ने मंदिर का जीर्णोद्धार किया.
तो होगी महालक्ष्मी की कृपा
8 Mar, 2024 06:15 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
महालक्ष्मी की कृपा कब मिलेगी, यह जानने के लिए ज्योतिष में कुछ संकेत बताए गए हैं। मान्यता है कि जब भी ये संकेत मिलते हैं तो समझ लेना चाहिए कि व्यक्ति को लक्ष्मी की कृपा मिलने वाली है और पैसों की परेशानियां दूर होने वाली हैं।सुबह-सुबह उठते ही आपकी नजर अगर दूध या दही से भरे बर्तन पर पड़े तो समझ लें कि कुछ शुभ होने वाला है।
सुबह शंख ,मंदिर की घंटियों की आवाज सुनाई दे तो यह बहुत ही शुभ होता है।
यदि किसी व्यक्ति को सुबह शाम गन्ना दिखाई दे तो उसे निकट भविष्य में धन सबंधी मामलो में सफलता मिल सकती है.
यदि किसी व्यक्ति के सपनों में बार-बार पानी ,हरियाली ,लक्ष्मी जी का वाहन उल्लू दिखाई दे तो समझ लेना चाहिए कि आने वाले समय में मां लक्ष्मी जी की कृपा से धन सबंधी परेशानियां दूर होने वाली हैं।
यदि हम किसी आवश्यक काम के लिए जा रहे हैं और रास्ते में लाल साड़ी में पुरे सोलह श्रृंगार में कोई महिला दिख जाए तो यह भी महालक्ष्मी की कृपा का इशारा ही है ऐसा होने पर उस दिन कार्यों में सफलता मिलने की सम्भवना अधिक है।
नारियल, शंख, मोर, हंस, फूल आदि चीजें सुबह दिखाई देती है तो बहुत शुभ है
शास्त्रों के अनुसार शुक्रवार को महालक्ष्मी की पूजा करने से विशेष कृपा मिलती है। इस दिन यदि कोई कन्या आपको सिक्का दे तो यह शुभ संकेत है. ऐसा होने पर समझ लेना चाहिए की निकट भविष्य में धन लाभ होने वाला है.
यदि घर से निकलते ही गाय दिखाई दे तो यह शुभ संकेत है। अगर गाय सफेद हो तो यह बहुत ही शुभ संकेत है।
यदि किसी व्यक्ति के सपने में सफेद सांप, सोने के जैसा सांप दिखाई देने लगे तो यह भी महालक्ष्मी की कृपा का इशारा है ऐसा होने पर निकट भविष्य में कोई विशेष उपलब्धि हासिल हो सकती है।
यदि घर से निकलते ही कोई सफाई कर्मी दिखाई दे तो यह भी शुभ संकेत होता है
तुम्हारी सम्पदा है निष्ठा
8 Mar, 2024 06:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
यदि तुम सोचने हो कि ईश्वर में तुम्हारी निष्ठा ईश्वर का कुछ हित कर रही है, तो यह भूल है। ईश्वर या गुरु में तुम्हारी निष्ठा ईश्वर या गुरु का कुछ नहीं करती। निष्ठा तुम्हारी सम्पदा है। निष्ठा तुम्हें बल देती है। तुममें स्थिरता, केंद्रीयता, प्रशांति और प्रेम लाती है। निष्ठा तुम्हारे लिए आशीर्वाद है। यदि तुममें निष्ठा का अभाव है, तुम्हें निष्ठा के लिए प्रार्थना करनी होगी।
परन्तु प्रार्थना के लिए निष्ठा की आवश्यकता है यह विरोधाभासी है। लोग संसार में निष्ठा रखते हैं परन्तु समस्त संसार सिर्फ साबुन का बुलबुला है। लोगों की स्वयं में निष्ठा है परन्तु वे नहीं जानते कि वे स्वयं कौन हैं! लोग सोचते है कि ईश्वर में उनकी निष्ठा है परन्तु वे सचमुच नहीं जानते कि ईश्वर कौन है।
निष्ठा तीन प्रकार की होती है- पहली है स्वयं में निष्ठा- स्वयं में निष्ठा के बिना तुम सोचते हो, मैं यह नहीं कर सकता, यह मेरे लिए नहीं, मैं कभी इस जिंदगी से मुक्त नहीं हो पाऊंगा। दूसरी है संसार में निष्ठा-संसार में तुम्हें निष्ठा रखनी ही होगी वरना तुम एक इन्च भी नही बढ़ सकते। यदि तुम सब पर शक करोगे, तब तुम्हारे लिए कुछ नहीं हो सकता।
तीसरे ईश्वर में निष्ठा रखो, तभी तुम विकसित होगे। ये सभी निष्ठाएं आपस में जुड़ी हैं।प्रत्येक को मजबूत होने के लिए तुममें तीनों ही होनी चाहिए। यदि तुम एक पर भी शक करोगे, तुम सब पर शक करना आरम्भ कर दोगे। ईश्वर, संसार और स्वयं के प्रति निष्ठा का अभाव भय लाता है।
निष्ठा तुम्हें पूर्ण बनाती है-सम्पूर्ण संसार के प्रति निष्ठा होते हुए भी ईश्वर में निष्ठा न होने से पूर्ण शान्ति नहीं मिलती। यदि तुममें निष्ठा और प्रेम है तो स्वत: ही तुममें शांति और स्वतत्रता होगी।अत्यधिक अशान्त व्यक्तियों को समस्याओं से निकलने के लिए ईश्वर में निष्ठा रखनी चाहिए। निष्ठा और विश्वास में फर्क है। निष्ठा आरम्भ है, विश्वास परिणाम है। स्वयं के प्रति निष्ठा स्वतंत्रता लाती है। संसार में निष्ठा तुम्हें मन की शांति देती ह। ईश्वर में निष्ठा तुममें प्रेम जागृत करती है।
घर में सौभाग्य के लिए लगाये शमी का पेड़
7 Mar, 2024 07:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
प्राचीन मान्यता है कि शमी का पेड़ घर में सौभाग्य लाता है। शमी का पेड़ लगाने से उसमें रहने वालों पर देवी-देवताओं की कृपा बनी रहती है और घर में सकारात्मक ऊर्जा के साथ सुख-समृद्धि भी बनी रहती है। भगवान शिव को शमी के फूल अति प्रिय माने जाते हैं। रोजाना पूजा के वक्त उन्हें यह फूल अर्पित करने से भगवान प्रसन्न होते हैं और सभी प्रकार के संकटों से दूर रहते हैं। शमी का पेड़ आपको शनि के प्रकोप से भी बचाता है।
ईशान कोण में लगायें
शमी के पौधे को घर के ईशान कोण यानी पूर्वोत्तर कोने में लगाना सबसे लाभकारी माना जाता है। इनमें प्राकृतिक तौर पर अग्नि तत्व भी छिपा होता है। न्याय के देवता शनि को प्रसन्न करने के लिए भी शमी के पेड़ का प्रयोग किया जाता है। हर शनिवार को शमी के पेड़ की जड़ के पास सरसों के तेल का दीपक जलाना चाहिए। वैसे तो शनि के प्रभाव में पीपल का वृक्ष भी आता है। परंतु पीपल के वृक्ष की विशालता के कारण इसे घर के अंदर लगा पाना संभव नहीं हो पाता है। इस कारण आप घर में शमी का पेड़ लगा सकते हैं।
नकारात्मक शक्तियों को समाप्त करता है
शमी के कांटों का प्रयोग तंत्र, मंत्र बाधा और नकारात्मक शक्तियों के नाश के लिए होता है। शमी के फूल, पत्ते, जड़ें, टहनी और रस का प्रयोग शनि संबंधी दोषों को दूर करने के लिए भी किया जाता है। आयुर्वेद में शमी के वृक्ष का प्रयोग गुणकारी औषधि के रूप में भी किया जाता है। पुराणों में भी शमी के वृक्ष का वर्णन देखने को मिलता है। मान्यता है कि लंका पर विजय प्राप्त करने के बाद भगवान राम ने भी शमी के पेड़ की पूजा की थी। हर शनिवार शमी के पत्ते शनिदेव को चढ़ाने से शनि के दोष कम होते हैं।
भगवान शिव और गणेश को हैं प्रिय
मान्यता है कि शमी भगवान शिव और गणेश को भी अति प्रिय है। सोमवार के दिन भगवान शिव का शनि के पत्ते को पुष्प चढ़ाने से लाभ होगा। गृहस्थ लोगों के जीवन में सुख-शांति आती है। वहीं गणेशजी को बुधवार के दिन दूर्वा के साथ आप शमी के पुष्प अर्पित करके लाभ प्राप्त कर सकते हैं। ऐसा करने से आपके घर में कभी पैसों की तंगी नहीं आती और मां लक्ष्मी का वास सदैव बना रहता है। एक मान्यता में यह भी बताया गया है कि पांडवों ने अज्ञातवास के वक्त शमी के पेड़ की जड़ में ही अपने अस्त्र-शस्त्र छिपा दिए थे, इसलिए शमी के पेड़ को इतना महत्वपूर्ण माना जाता है।
भगवान शिव के रूद्र अवतार हैं हनुमान
7 Mar, 2024 06:45 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
भगवान शिव को अनंत कहा गया है और हनुमान जी को इनका रूद्र अवतार माना गया है। शिव के हनुमान रूप में जन्म लेने की कथा इस प्रकार है। भगवान शिव भक्तों की पूजा से जल्द प्रसन्न होने वाले देव हैं और हर युग में अपने भक्तों की रक्षा के लिए अवतार लिए हैं। भगवान शिव ने 12 रूद्र अवतार लिए हैं जिनमें से हनुमान अवतार को श्रेष्ठ माना गया है।
हनुमान के जन्म पर क्या कहते हैं शास्त्र
शास्त्रों में रामभक्त हनुमान के जन्म की दो तिथि का उल्लेख मिलता है। जिसमें पहला तो उन्हें भगवान शिव का अवतार माना गया है, क्योंकि रामभक्त हनुमान की माता अंजनी ने भगवान शिव की घोर तपस्या की थी और उन्हें पुत्र के रूप में प्राप्त करने का वर मांगा था।
तब भगवान शिव ने पवन देव के रूप में अपनी रौद्र शक्ति का अंश यज्ञ कुंड में अर्पित किया था और वही शक्ति अंजनी के गर्भ में प्रविष्ट हुई थी। फिर चैत्र शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा को हनुमानजी का जन्म हुआ था।
पौराणिक कथा के अनुसार
पौराणिक कथाओं के अनुसार रावण का अंत करने के लिए भगवान विष्णु ने राम का अवतार लिया था। उस समय सभी देवताओं ने अलग-अलग रूप में भगवान राम की सेवा करने के लिए अवतार लिया था।
उसी समय भगवान शंकर ने भी अपना रूद्र अवतार लिया था और इसके पीछे वजह थी कि उनको भगवान विष्णु से दास्य का वरदान प्राप्त हुआ था। हनुमान उनके ग्यारहवें रुद्र अवतार हैं। इस रूप में भगवान शंकर ने राम की सेवा भी की और रावण वध में उनकी मदद भी की थी।
मान सम्मान इस प्रकार रहेगा बरकरार
7 Mar, 2024 06:30 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
मनुष्य के जीवन में मान सम्मान का बड़ा महत्व है। हर व्यक्ति को मान सम्मान पाने की आकांक्षा होती है। मनुष्य को अपनी प्रतिष्ठा बनाने में वर्षों लग जाते हैं। अपयश की स्थिति का कोई भी सामना नहीं करना चाहता है। समाज में प्रतिष्ठा बनी रहे और लगातार इसमें वृद्धि हो, इसके लिए वास्तु में कुछ आसान से उपाय बताए गए हैं। आइए जानते हैं इनके बारे में।
सुबह स्नान करते वक्त जल में गुड़, सोने की कोई वस्तु, हल्दी, शहद, शक्कर, नमक, पीले फूल आदि में से कोई भी एक चीज डालकर स्नान करें। ऐसा करने से गुरु दोष की शांति होती है और समाज में मान सम्मान की प्राप्ति होती है। सुबह स्नान कर तांबे के पात्र में जल भरकर भगवान सूर्य को अर्घ्य दें। दुर्गा सप्तशती के द्वादश अध्याय का नियमित पाठ करने से मनुष्य की सामाजिक प्रतिष्ठा में वृद्धि होती है। रोजाना पक्षियों को दाना खिलाएं, ऐसा करने से भी सम्मान में वृद्धि होती है। रात में सोते समय अपने पलंग के नीचे एक बर्तन में थोड़ा सा पानी रख लें और सुबह इस पानी को घर के बाहर डाल दें। ऐसा करने से मिथ्या लांछन या अपमान की स्थिति से हमेशा बचाव होता है।
महाशिवरात्रि पर दिव्यलिंग स्वरूप में प्रकट हुए थे भगवान शिव
7 Mar, 2024 06:15 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
महाशिवरात्रि का पावन पर्व शुक्रवार 08 मार्च को मनाया जाएगा। सनातन धर्म में महाशिवरात्रि के दिन भगवान भोलेनाथ की पूजा के साथ ही व्रत रखा जाता है। लोगों की मान्यता है कि महाशिवरात्रि के दिन भगवान शिव और माता पार्वती का विवाह हुआ था। भगवान शिव सबसे पहले महाशिवरात्रि पर दिव्यलिंग स्वरूप में प्रकट हुए थे। शिव पुराण में महाशिवरात्रि के बारे में क्या बताया गया है
भगवान शिव और माता पार्वती का मिलन मार्गशीर्ष माह में हुआ था, जो नवंबर या दिसंबर माह में आती है। फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को उनका विवाह नहीं हुआ था। लोग उनके विवाह को भी महाशिवरात्रि से जोड़ देते हैं। शिव महापुराण के रुद्रसंहिता में बताया गया है कि शिव-पार्वती का विवाह मार्गशीर्ष यानी अगहन माह के कृष्ण पक्ष की द्वितीया तिथि को हुआ था। इसके बारे में रुद्रसंहिता के 58-61वें श्लोक में बताया गया है।
ईशान संहिता में बताया गया है कि फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को भगवान भोलेनाथ लिंग रूप में प्रकट हुए थे। ईशान संहिता में दिव्य शिवलिंग के प्रकट होने के संदर्भ में श्लोक है- माघकृष्ण चतुर्दश्यामादिदेवो महानिशिशिवलिंगतयोद्रूत: कोटिसूर्यसमप्रभ॥
इस वजह से उस दिन महाशिवरात्रि मनाते हैं। भगवान विष्णु और ब्रह्म देव ने सबसे पहले शिवलिंग की पूजा की थी। महाशिवरात्रि को भगवान शिव के प्राकट्य दिवस के रूप में मनाते हैं और शिवलिंग पूजा करते हैं.
वहीं ये भी मानना मानते हैं कि शिव शक्ति के बिना अधूरे हैं। शिवलिंग में शिव और पार्वती दोनों ही शामिल हैं। एक के बिना दूसरा अधूरा है। शिव और शक्ति का संयुक्त रूप दिव्य शिवलिंग था। दोनों पहली बार एक साथ इस रूप में ही प्रकट हुए। इस वजह से आम जनमानस में महाशिवरात्रि को शिव-पार्वती विवाह की तिथि के रूप में माना जाता है।
महाशिवरात्रि के मुहूर्त
इस साल फाल्गुन कृष्ण चतुर्दशी तिथि 08 मार्च को रात 09:57 बजे से लेकर 9 मार्च को शाम 06:17 बजे तक है। 8 मार्च को महाशिवरात्रि की रात्रि पूजा मुहूर्त 12:07 सुबह से 12:56 शाम तक है।
8 मार्च को महाशिवरात्रि, इस विधान से करे पूजा....मिलेगा शुभ फल
7 Mar, 2024 06:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को महाशिवरात्रि का पर्व मनाया जाता है। हिंदु धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक इस तिथि पर देवों के देव महादेव और मां पार्वती का शुभ विवाह हुआ था। इसकारण इस तिथि पर महाशिवरात्रि मनाई जाती है। इसके लिए देशभर में मंदिरों में महाशिवरात्रि के दिन शिव भक्तों में अधिक उत्साह देखने को मिलता है। हिंदु धर्म के साधक मंदिर और घर में भगवान भोले और माता पार्वती की विशेष पूजा-अर्चना करते हैं। साथ ही व्रत करते हैं। मान्यता के अनुसार, ऐसा करने से भगवान शिव प्रसन्न होते हैं और शुभ फल की प्राप्ति होती है।
महाशिवरात्रि का पर्व भगवान शिव को समर्पित है। पंचांग के अनुसार, फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी की शुरुआत 08 मार्च को रात में 09 बजकर 57 मिनट से होगी और इसके अगले दिन यानी 09 मार्च को शाम को 06 बजकर 17 मिनट पर समापन होगा। सनातन धर्म में महादेव की पूजा प्रदोष काल में करने का विधान है। इसकारण 08 मार्च को महाशिवरात्रि को मनेगी।
महाशिवरात्रि के दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठें और दिन की शुरुआत महादेव और मां पार्वती के ध्यान से करें। इस दिन सुबह स्नान कर साफ वस्त्र धारण करें और सूर्य देव को जल अर्पित करें। चौकी पर लाल या पीला कपड़ा बिछाकर भगवान शिव और माता पार्वती की प्रतिमा स्थापित करें। इसके बाद उनका गंगाजल, कच्चे दूध और दही सहित विशेष चीजों से अभिषेक करें। इसके बाद दीपक जलाकर भगवान शिव और मां पार्वती की विधिपूर्वक पूजा करें। अब महदेव को मदार के पत्ते, बेल पत्र, नैवेद्य, भांग, धतूरा, फल, फूल सहित आदि चीजें अर्पित करें।
राशिफल: जानिए, कैसा रहेगा आपका आज का दिन (07 मार्च 2024)
7 Mar, 2024 12:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
मेष राशि :- भाग्य का सितारा साथ देगा, बिगड़े कार्य बनेंगे, योजनापूर्ण अवश्य होवेगी।
वृष राशि :- नवीन मैत्री मंत्रणा सफल होगा, संवेदनशील होने से बचिएगा, ध्यान रखें।
मिथुन राशि :- स्त्री वर्ग से हर्ष कुछ चिंता व्यवसायिक कार्य में आरोप कष्टप्रद रहेगा।
कर्क राशि :- व्यग्रता मन उद्विघ्नता रखें, कार्यगति मंद होवे, कार्य बनेंगे, स्थति का ध्यान रखें।
सिंह राशि - साधन संपन्नता के योग बनेंगे, दैनिक व्यवसाय गति अनुकूल बनेगी, हानि होवेगी।
कन्या राशि :- विरोधी परेशान करें, वृथा धन का व्यय असमंजस अस्थिरता बनी रहेगी।
तुला राशि :- कार्य व्यवसाय में बाधा तथा तनाव क्लेश से आप बचने का प्रयास करें।
वृश्चिक राशि :- चिंता बनी रहेगी, कुटुम्ब की समस्याओं को समझदारी से निपटाने का प्रयास करें।
धनु राशि - बिगड़े हुए कार्य बनने से सफलता के योग बनेंगे, सहयोग प्राप्त होने के आसार बनेंगे।
मकर राशि - स्थति में सुधार कार्य कुशलता से संतोष होवेगा, बिगड़े कार्य अवश्य बनेंगे।
कुंभ राशि - स्वास्थ्य नरम गरम एवं कहीं तनावपूर्ण कष्टप्रद होवेगी तथा कार्य अवरोध होवेगा।
मीन राशि - दूसरों के कार्यो में समय और धन नष्ट न करें, समय व स्थिति का ध्यान रखें।
दूल्हा बनेंगे बाबा विश्वनाथ, लगाई जाएगी अयोध्या की हल्दी!
6 Mar, 2024 06:45 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
महाशिवरात्रि के दिन काशी में बाबा विश्वनाथ का विवाह होता है. विवाह से पहले काशी में इससे जुड़ी दूसरी रस्में भी निभाई जाती हैं. इस बार 6 मार्च से ही विवाह के कार्यक्रम शुरू हो जाएंगे .हल्दी की रस्म से इसकी शुरुआत होगी. वाराणसी के टेढ़ी नीम स्थित महंत आवास पर शादी की रस्में निभाई जाएंगी. इस दौरान भक्तों की भीड़ भी वहां एकत्र होती है.
हल्दी की रस्म की शुरुआत के साथ ही मंगल गीत और मंगल ध्वनि के साथ शहनाई की धुन भी महंत आवास पर गूंजेगी. काशी विश्वनाथ मंदिर के पूर्व महंत कुलपति तिवारी ने बताया कि 350 साल से अधिक समय से महाशिवरात्रि पर बाबा विश्वनाथ के विवाह का उत्सव मनाया जाता है. इस बार इस उत्सव में पहली बार बाबा को लगाई जाने वाली हल्दी अयोध्या से मंगाई गई है. पंडित राघवेंद्र पांडेय ने इस महाराष्ट्र के खंडोवा की हल्दी को भेजा है .
मेरे लिए सौभाग्य की बात
राघवेंद्र पांडेय ने बताया कि यह उनके लिए सौभाग्य को बात है कि उनके हाथों से भेजी गई हल्दी से काशी के पुराधिपति बाबा विश्वनाथ को हल्दी लगाई जाएगी. उन्होंने कहा कि जीवन भर वह अब इस रस्म को निभाएंगे.
जानें शिव विवाह का पूरा शेड्यूल
गौरतलब है कि 6 मार्च को हल्दी के रस्म के बाद 7 मार्च को मंगल गीतो से महंत आवास गुंजयमान होगा और 8 मार्च यानी महाशिवरात्रि के दिन धूम धाम से बाबा विश्वनाथ और माता पार्वती का विवाह होगा. महाशिवरात्रि पर विवाह के बाद रंगभरी एकादशी पर माता गौरा का गौना होगा.
धरती पर एक ऐसा लोक जहां कलयुग की अभी तक नहीं हुई एंट्री, यहां के बिना अधूरी है चारधाम यात्रा
6 Mar, 2024 06:15 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
कलयुग का दूसरा चरण चल रहा है. हर जगह कलयुग का प्रभाव देखने को मिलता है. लेकिन धरती पर खासकर भारत में एक ऐसी जगह है जहां अभी तक कलयुग का प्रभाव नहीं पहुंचा है. ट्रैवलॉग में आज हम आपको ऐसी जगह लेकर चल रहे हैं जिसका इतिहास बहुत ही प्राचीन है. यह एक ऐसा तीर्थ स्थान है जहां के दर्शन के बिना आपकी चार धाम की यात्रा भी अधूरी मानी जाती है. इसे इस पावन भूमि का महान तीर्थ बताया गया है. इसे तीर्थों में तीर्थ कहा गया है. इसका वर्णन वेद-पुराण से लेकर हर हिंदू धर्मग्रंथ में मिलता है. श्रीमद्भागवत महापुराण, महाभारत, वायु पुराण, वामन पुराण, पद्म पुराण, शिव पुराण, देवी भागवत पुराण, यजुर्वेद का मंत्र भाग श्वेताश्वर उपनिषद्, प्रश्नोपनिषद, अग्नि पुराण, गरुड़ पुराण, स्कंद पुराण, विष्णु पुराण, कालिका तंत्र, कर्म पुराण, शक्ति यामल तंत्र, श्रीरामचरित मानस, योगिनी तंत्र आदि ग्रंथों में इस स्थान का उल्लेख मिलता है. यह वही स्थान है जहां महापुराणों की रचना हुई. महाभारत काल में युधिष्ठिर और अर्जुन भी यहां आए थे. इतना ही नहीं प्राचीन काल में 88 हजार ऋषि-मुनियों ने इसी स्थान पर कठोर तपस्या की थी. इसलिए इसे तपोभूमि भी कहा जाता है. नैमिषारण्य का प्राचीनतम उल्लेख वाल्मीकि रामायण के युद्ध काण्ड में होता है. यहां उल्लेख है कि लव और कुश ने गोमती नदी के किनारे राम के अश्वमेध यज्ञ में सात दिनों में वाल्मीकि रचित काव्य का गायन किया.
हम बात कर रहे हैं नैमिषारण्य की. उत्तर प्रदेश के सीतापुर में है यह महान तीर्थ. लखनऊ से 80 किलोमीटर दूर गोमती नदी के तट पर स्थित यह प्रसिद्ध हिन्दू तीर्थ. इस स्थान को नैमिषारण्य, नैमिष या नीमषार के नाम से भी जाना जाता है. नैमिष यानी निमिष किंवा निमेष तथा आरण्य यानी अरण्य अर्थात वन क्षेत्र परमात्म तत्व का क्षेत्र.
कहा जाता है कि ब्रह्मा जी ने खुद भी इस स्थान को, ध्यान योग के लिए सबसे उत्तम बताया था. इस स्थान के मुख्य आकर्षण की बात करें तो इनमें चक्रतीर्थी, भूतेश्वरनाथ मंदिर, व्यास गद्दी, हवन कुंड, ललिता देवी का मंदिर, पंचप्रयाग, शेष मंदिर, हनुमान गढ़ी, शिवाला-भैरव जी मंदिर, पंच पांडव मंदिर, पंचपुराण मंदिर, मां आनंदमयी आश्रम, नारदानन्द सरस्वती आश्रम-देवपुरी मंदिर, रामानुज कोट, रुद्रावर्त आदि शामिल हैं.
चक्रतीर्थ (Chakratirtha Naimisharanya)
नैमिषारण्य स्टेशन से लगभग एक मील दूर चक्रतीर्थ सरोवर है. यह एक बड़ा गोलाकार जलाशय है. घेरे के चारों ओर बाहर जल भरा रहता है, जिसमें श्रद्धालु स्नान करते हैं. जल में चलते हुए इस गोल चक्र की परिक्रमा भी करते हैं. जल के भरे हुए घेरे के बाद चारों ओर सीढ़ियां बनी हुई हैं. यहां विभिन्न देवी-देवताओं के मंदिर हैं. मुख्य मंदिर भूतनाथ महादेव का है.
चक्रतीर्थ के बारे में कथा प्रचलित है कि एक बार अट्ठासी हजार ऋषि-मुनियों ने ब्रह्मा जी से निवेदन कि जगत कल्याण के लिए उन्हें तपस्या करनी है और तपस्या के लिए दुनिया में सर्वश्रेष्ठ पवित्र, सौम्य और शांन्त भूमि के बारे में बताएं. यह घटना महाभारत के युद्ध के बाद की है. ऋषि-मुनि कलयुग के प्रारंभ को लेकर भी चिंतित थे. ब्रह्मा जी ने अपने मन से एक चक्र उत्पन्न करके ऋषियों कहा कि इस चक्र के पीछे चलते हुए जाएं. जिस भूमि पर इस चक्र का मध्य भाग यानी नेमि खुद गिर जाए तो समझ लेना कि पॄथ्वी का मध्य भाग वही है. ब्रह्माजी ने यह भी कहा कि वह स्थान कलयुग के प्रभाव से मुक्त रहेगा. कहा जाता है कि इसी स्थान पर चक्र का नेमि गिरा था, जिस वजह से इसका नाम नैमिषारण्य पड़ा और यह जगह चक्रतीर्थ कहलाई. यह भी कहा जाता है कि नैमिषारण्य वो स्थान है जहां पर ऋषि दधीचि ने लोक कल्याण के लिए अपने दुश्मन देवराज इन्द्र को अपनी अस्थियां दान की थीं. ऐसी मान्यता है कि इस परम पवित्र भूमि के दर्शन बिना सभी तीर्थ अधूरे रहते हैं.
84 कोस की परिक्रमा
नैमिषारण्य की परिक्रमा भी की जाती है. यह 84 कोस की परिक्रमा है. परिक्रमा हर साल फाल्गुनमास की अमावस्या के बाद की प्रतिपदा तिथी से शुरू होकर पूर्णिमा तक चलती है. यहां पंचप्रयाग नाम से एक पक्का सरोवर है. सरोवर के किनारे अक्षयवट नामक वृक्ष हैं.
हजारों साल पुराना है शिव का यह चमत्कारी मंदिर, यहां आने से हर मन्नत हो जाती है पूरी!
6 Mar, 2024 06:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
वैसे तो देश भर में भगवान शिव के काफी बड़े-बड़े और प्रसिद्ध मंदिर हैं लेकिन फिरोजाबाद के एक गांव में स्थित भगवान शिव का यह मंदिर महाभारत काल की याद दिलाता है. यहां राजा शांतनु भगवान शिव की उपासना किया करते थे. तब से इस मंदिर पर पूजा अर्चना की जा रही है. महाशिवरात्रि पर यहां भव्य मेले का आयोजन होता है और देशभर से लोग यहां दर्शन के लिए आते हैं.
मंदिर के पुजारी रमेश गोस्वामी ने बताया कि सांति गांव में यह मंदिर हज़ारों साल पुराना है. महाभारत काल के राजा शांतनु ने इस गांव के पास आकर एक शिवलिंग की स्थापना की थी. उसके बाद यह शिवलिंग खुदाई के दौरान जमीन से प्रकट हुआ,तब से यहां गांव के लोग भगवान शिव की पूजा अर्चना कर रहे हैं. वहीं इस मंदिर को राजा शांतनु के नाम शांतेश्वर महादेव के नाम से जाना जाता है.
होती है सभी मनोकामाएं पूरी
पुजारी ने बताया कि महाशिवरात्रि का पर्व जहां बड़े ही धूमधाम के साथ मनाया जाता है. मंदिर के पास एक भव्य मेले का आयोजन भी होता है. जहां भक्त आकर के प्रसाद लेते हैं और भगवान शिव पर बेलपत्र के साथ-साथ दुग्धभिषेक भी करते हैं. वहीं भगवान भोलेनाथ यहां आने वाले सभी भक्तों की मनोकामनाएं अवश्य पूरी करते हैं.
दूर-दूर से दर्शन के लिए आते हैं भक्त
मंदिर के पुजारी ने बताया के यह मंदिर इतना चमत्कारिक है कि यहां दर्शन के लिए फिरोजाबाद ही नहीं बल्कि यूपी एमपी और दिल्ली तक के लोग शिवरात्रि पर दर्शन के लिए आते हैं. यहां भक्तों की लंबी लाइन लगती है और सुबह से ही दर्शन के लिए भक्त आना शुरू कर देते हैं. वहीं उन्होंने बताया कि भगवान शांतेश्वर महादेव यहां आने वाले हर भक्त के कष्टों को दूर करते हैं और उन्हें आशीर्वाद देते हैं.
राशिफल: जानिए, कैसा रहेगा आपका आज का दिन (06 मार्च 2024)
6 Mar, 2024 12:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
मेष राशि :- बैचेनी उद्विघ्नता से बचिए समय पर सोचे हुए कार्य अवश्य ही बनेंगे, ध्यान दें।
वृष राशि :- चिंताएं कम होंगी, सफलता के साधन जुटायें, अचानक लाभ के योग बनेंगे ।
मिथुन राशि :- सफलता के साधन जुटाये, व्यवसायिक क्षमताओं में वृद्धि अवश्य बनेंगी।
कर्क राशि :- व्यथा धन का व्यय समय व शक्ति नष्ट होवेगी, विघटनकारी तत्व परेशान करेंगे।
सिंह राशि - भोग एश्वर्य से स्वास्थ्य नरम रहेगा, विरोधी वर्ग अवश्य ही परेशान करेंगे।
कन्या राशि :- धन व समय नष्ट होगा, क्लेश व अशंति मात्र से कष्ट चिंता होवेगी, ध्यान रखें।
तुला राशि :- परिश्रम से सफलता के साधन जुटायें कार्य में बाधा उत्पन्न होने से कार्य रुकेंगे।
वृश्चिक राशि :- चोट आदि से बचिए क्लेश व अशांति होवेगी, मानसिक उद्विघ्नता बनेगी।
धनु राशि - क्लेश व अशांति से बचिए भाग्य का सितारा बड़ा ही प्रबल होवेगा, ध्यान रखें।
मकर राशि - परिश्रम विफल होगा, चिंता व यात्रा व्यग्रता तथा स्वास्थ्य नरम गरम रहेगा।
कुंभ राशि - आकस्मिक घटनाओं से कष्ट चोट आदि का भय होगा, ध्यान अवश्य रखेंगे।
मीन राशि - अधिकारियों से कष्ट मित्र सहायक न होवे, समय का ध्यान अवश्य रखें।