धर्म एवं ज्योतिष
राशिफल: जानिए, कैसा रहेगा आपका आज का दिन (26 मार्च 2024)
27 Mar, 2024 12:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
मेष राशि :- तनाव कष्ट रोग, मित्र लाभ राज भय तथा परिवारिक समस्या उलझेगी, ध्यान दे।
वृष राशि - अनुभव सुख मंगल कार्य, विरोध मामले मुकदमों पर प्राप्त जीत की संम्भावना है।
मिथुन राशि - कुसंगत हानि, विरोध भय यात्रा, सामाजिक कार्यो में व्यवधान अवश्य बनेगें।
कर्क राशि - भूमि लाभ, स्त्री सुख, प्रगति, स्थिति में सुधार, लाभ अवश्य ही होगा ध्यान रखें।
सिंह राशि - तनाव व विवाद से बचें, विरोधियों की चिन्ता, राजकार्यो से प्रतिष्ठा मिलेगी।
कन्या राशि - भूमि लाभ स्त्री सुख, हर्ष प्रगति, स्थिति में सुधार लाभ तथा कार्य उत्तम होगा।
तुला राशि - प्रगति वाहन का भय भूमि, लाभ कलह कुछ अच्छे कार्य कर सकेगें, ध्यान दें।
वृश्चिक राशि - कार्य सिद्ध, विरोध लाभ हर्ष कष्ट, व्यय होवे व्यापार में सुधार होने खर्च होवें।
धनु राशि - यात्रा में हानि, मित्र कष्ट, कमी किन्तु कुछ व्यवस्था का अनुभव हावेगा।
मकर राशि - शुभ कार्य, वाहन आदि रोग, कार्य कुछ अच्छे कार्य हो सकते हैं, ध्यान देवें।
कुंभ राशि - अभीष्ट सिद्ध, राजभय, कार्य बाधा, राज कार्यो में रूकावट का अनुभव होगा।
मीन राशि - अल्प हानि, रोग भय, सम्पर्क लाभ, राज कार्य में विलम्ब, परेशानी होवेगी।
होली में अपने परिवार को बुरी नजर से बचाएं, तंत्र-मंत्र से सुरक्षित करेगी भगवान नरसिंहा की उपासना
25 Mar, 2024 06:45 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
होली रंगों का त्योहार है. रंग हमारे जीवन में खुशियों का प्रतिनिधित्व करते हैं. इस साल आज यानी 24 मार्च रविवार के दिन होलिका दहन होगा. होली असत्य पर सत्य की जीत के साथ-साथ एक भक्त की उसके ईष्ट देव के प्रति अटूट श्रद्धा और भक्ति को भी दर्शाती है. वहीं इसके उलट दुष्ट प्रकृति के मनुष्य इस समय विभिन्न तंत्र, मंत्र, यंत्र, जादू-टोना इत्यादि खूब करते हैं. क्योंकि इस समय सभी ग्रह उग्र रहते हैं, तो वटकर्म जैसे – मारण, मोहन, सतम्भन, उच्चाइन, विदुषण, वशीकरण बहुत आसानी से तथा तीव्रता के साथ किया जा सकता है. कैसे भगवान नरसिंहा की पूजा कर आप खुद और अपने परिवार को इन तंत्र-मंत्र से बचा सकते हैं.
क्या है होलाअष्टक
राक्षस राज हिरण्य कश्यप, जो स्वंय को भगवान समझता था, अपने विष्णु भक्त पुत्र प्रहलाद्ध को घोर यातनाएं देकर डराकर, धमकाकर अपने अधीन करना चाहता था. उसने प्रहलाद को आठ दिन घोर यातनाएं दीं. इसी अवधि को होलाष्टक कहा जाता है. यह फाल्गुन मास की शुक्ल पक्ष की अष्टमी से शुरू होकर फाल्गुन मास की पूर्णिमा तक माना जाता है. इसका अंत होलिका दहन के साथ हो जाता है. यह समय बहुत उग्र तथा नकारात्मक उर्जा से भरा रहता है. इसलिये मान्यताओं के अनुसार इस समय की भी शुभ कार्य नहीं किया जाता है.
होलिका दहन 2024 का समय (Timing of Holika Dahan)
इस वर्ष 24 मार्च को होलिका दहन किया जाएगा. इसके लिए शुभ मुहूर्त देर रात 11:13 बजे से लेकर 12:27 मिनट तक रहेगा. ऐसे में होलिका दहन के लिए आपको कुल 1 घंटे 14 मिनट का समय मिलेगा.
इस बार सोमवती अमावस्या पर खास संयोग, पितृ दोष से मुक्ति पाने का उत्तम समय
25 Mar, 2024 06:30 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
हिन्दू पंचांग के अनुसार, साल में 12 अमावस्याएं होती हैं. ज्योतिष शास्त्र और धार्मिक दृष्टिकोण से अमावस्या बहुत महत्वपूर्ण होती है. पुराणों के अनुसार, इस दिन पितृ दोष से मुक्ति पाने के लिए विशेष महत्व है, क्योंकि ऐसा कहा जाता है कि यह दिन तर्पण, स्नान, दान आदि के लिए फलदायी होता है.
इस बार चैत्र अमावस्या 8 अप्रैल को पड़ रही है. इस दिन इन्द्र योग और उत्तरा भाद्रपद नक्षत्र का संयोग भी बन रहा है. इस दिन व्रत, स्नान-दान करने से पितरों को मोक्ष के लिए किया गया कार्य फलदायी होगी. पितरों के निमित्त किए गए उपाय भी प्रभावी होंगे.
सोमवती अमावस्या 2024 तिथि
वैदिक पंचांग के अनुसार, चैत्र अमावस्या को सोमवती अमावस्या कहते हैं. इस साल चैत्र माह के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि 08 अप्रैल को प्रातः 8 बजकर 21 मिनट पर शुरू होगी. यह तिथि उस रात 11 बजकर 50 मिनट तक मान्य होगी. ऐसे में सोमवती अमावस्या 8 अप्रैल दिन सोमवार को ही मानी जाएगी.
क्या है अमावस्या का महत्व
सोमवती अमावस्या के दिन अधिकांश रूप से सुहागिन महिलाएं व्रत करके भगवान शिव के साथ माता पार्वती की पूजा करती हैं. सुहाग की सामग्री मां पार्वती को अर्पित करती हैं. मान्यता है कि इस व्रत को करने से वैवाहिक जीवन की समस्याएं दूर होती हैं. परिवार में सुख शांति बढ़ती है. इस दिन पवित्र नदी में स्नान करके दान-पुण्य करने से पितरों का आशीर्वाद प्राप्त होता है.
पितृ दोष से मुक्ति पाने के उपाय
– सोमवती अमावस्या के दिन पवित्र नदी में स्नान-दान करने के बाद पितरों का स्मरण करते हुए तर्पण करें. ऐसा करने से नाराज पितृ खुश होते हैं.
– अगर आप पितृ दोष से मुक्ति पाना चाहते हैं तो सोमवती अमावस्या पर कुत्ते, गाय, कौवा को भोजन कराना चाहिए. ऐसा करने से पितृ दोष से निजात मिलती है.
– सोमवती अमावस्या को ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए.
होली पर करें एक महाउपाय, प्रसन्न हो उठेंगे सारे ग्रह, हर परेशानी से मिलेगी मुक्ति
25 Mar, 2024 06:15 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
हिंदू धर्म में मनाए जाने वाले प्रमुख त्योहारों में होली का त्योहार भी बहुत खास है और बड़े ही हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है. हिंदू पंचाग के अनुसार, फाल्गुन माह के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि पर होली का पर्व मनाया जाता है. इस बार 24 मार्च को होलिका दहन किया जा रहा है और 25 मार्च को रंगों वाली होली खेली जाएगी. होली के दिन किए जाने वाले उपाय के जल्द ही सकारात्मक परिणाम देखने को मिलते हैं. न्यूज़18 हिंदी को भोपाल निवासी ज्योतिषी एवं वास्तु सलाहकार पंडित हितेंद्र कुमार शर्मा ने बताया कि जो व्यक्ति होली वाले दिन नवग्रह चालीसा का पाठ करता है उसके जीवन में कभी धन की कमी नहीं होती, उसे हर क्षेत्र में सफलता मिलती है और घर में सुख-समृद्धि में वृद्धि होती है.
॥नवग्रह चालीसा॥
”दोहा”
श्री गणपति गुरुपद कमल, प्रेम सहित सिरनाय ।
नवग्रह चालीसा कहत, शारद होत सहाय ॥
जय जय रवि शशि सोम बुध, जय गुरु भृगु शनि राज।
जयति राहु अरु केतु ग्रह, करहुं अनुग्रह आज ॥
।।चौपाई।।
श्री सूर्य स्तुति
प्रथमहि रवि कहं नावौं माथा,
करहुं कृपा जनि जानि अनाथा ।
हे आदित्य दिवाकर भानू,
मैं मति मन्द महा अज्ञानू ।
अब निज जन कहं हरहु कलेषा,
दिनकर द्वादश रूप दिनेशा ।
नमो भास्कर सूर्य प्रभाकर,
अर्क मित्र अघ मोघ क्षमाकर ।
श्री चन्द्र स्तुति
शशि मयंक रजनीपति स्वामी,
चन्द्र कलानिधि नमो नमामि ।
राकापति हिमांशु राकेशा,
प्रणवत जन तन हरहुं कलेशा ।
सोम इन्दु विधु शान्ति सुधाकर,
शीत रश्मि औषधि निशाकर ।
तुम्हीं शोभित सुन्दर भाल महेशा,
शरण शरण जन हरहुं कलेशा ।
श्री मंगल स्तुति
जय जय जय मंगल सुखदाता,
लोहित भौमादिक विख्याता ।
अंगारक कुज रुज ऋणहारी,
करहुं दया यही विनय हमारी ।
हे महिसुत छितिसुत सुखराशी,
लोहितांग जय जन अघनाशी ।
अगम अमंगल अब हर लीजै,
सकल मनोरथ पूरण कीजै ।
श्री बुध स्तुति
जय शशि नन्दन बुध महाराजा,
करहु सकल जन कहं शुभ काजा ।
दीजै बुद्धि बल सुमति सुजाना,
कठिन कष्ट हरि करि कल्याणा ।
हे तारासुत रोहिणी नन्दन,
चन्द्रसुवन दुख द्वन्द्व निकन्दन ।
पूजहिं आस दास कहुं स्वामी,
प्रणत पाल प्रभु नमो नमामी ।
श्री बृहस्पति स्तुति
जयति जयति जय श्री गुरुदेवा,
करूं सदा तुम्हरी प्रभु सेवा ।
देवाचार्य तुम देव गुरु ज्ञानी,
इन्द्र पुरोहित विद्यादानी ।
वाचस्पति बागीश उदारा,
जीव बृहस्पति नाम तुम्हारा ।
विद्या सिन्धु अंगिरा नामा,
करहुं सकल विधि पूरण कामा ।
श्री शुक्र स्तुति
शुक्र देव पद तल जल जाता,
दास निरन्तन ध्यान लगाता ।
हे उशना भार्गव भृगु नन्दन,
दैत्य पुरोहित दुष्ट निकन्दन ।
भृगुकुल भूषण दूषण हारी,
हरहुं नेष्ट ग्रह करहुं सुखारी ।
तुहि द्विजबर जोशी सिरताजा,
नर शरीर के तुमही राजा ।
श्री शनि स्तुति
जय श्री शनिदेव रवि नन्दन,
जय कृष्णो सौरी जगवन्दन ।
पिंगल मन्द रौद्र यम नामा,
वप्र आदि कोणस्थ ललामा ।
वक्र दृष्टि पिप्पल तन साजा,
क्षण महं करत रंक क्षण राजा ।
ललत स्वर्ण पद करत निहाला,
हरहुं विपत्ति छाया के लाला ।
श्री राहु स्तुति
जय जय राहु गगन प्रविसइया,
तुमही चन्द्र आदित्य ग्रसइया ।
रवि शशि अरि स्वर्भानु धारा,
शिखी आदि बहु नाम तुम्हारा ।
सैहिंकेय तुम निशाचर राजा,
अर्धकाय जग राखहु लाजा ।
यदि ग्रह समय पाय हिं आवहु,
सदा शान्ति और सुख उपजावहु ।
श्री केतु स्तुति
जय श्री केतु कठिन दुखहारी,
करहु सुजन हित मंगलकारी ।
ध्वजयुत रुण्ड रूप विकराला,
घोर रौद्रतन अघमन काला ।
शिखी तारिका ग्रह बलवान,
महा प्रताप न तेज ठिकाना ।
वाहन मीन महा शुभकारी,
दीजै शान्ति दया उर धारी ।
नवग्रह शांति फल
तीरथराज प्रयाग सुपासा, बसै राम के सुन्दर दासा ।
ककरा ग्रामहिं पुरे-तिवारी, दुर्वासाश्रम जन दुख हारी ।
नवग्रह शान्ति लिख्यो सुख हेतु, जन तन कष्ट उतारण सेतू ।
जो नित पाठ करै चित लावै, सब सुख भोगि परम पद पावै ॥
दोहा
धन्य नवग्रह देव प्रभु, महिमा अगम अपार ।
चित नव मंगल मोद गृह, जगत जनन सुखद्वार ॥
यह चालीसा नवोग्रह, विरचित सुन्दरदास ।
पढ़त प्रेम सुत बढ़त सुख, सर्वानन्द हुलास ॥
बेहद चमत्कारी है बाबा दूधानाथ का धाम, यहां अर्जी लगाने से पूरी होती है हर मुराद!
25 Mar, 2024 06:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
अमेठी के गौरीगंज जिला मुख्यालय पर स्थित बाबा दूधनाथ धाम का मंदिर काफी प्राचीन है. यह मंदिर काफी प्राचीन है. मान्यता है कि लोग यहां के संतों को भगवान का दर्जा देते हैं. लोग अपनी मान्यताओं को लेकर यहां आते हैं और बाबा सब की मनोकामना पूर्ण करते हैं.
बाबा दूधनाथ धाम में लोग अपनी अर्जी लगाते हैं. मान्यता है कि यहां अर्जी लगाने से बाबा मनोकामना पूरी कर देते हैं. यह मंदिर अमेठी जिले के गौरीगंज जिला मुख्यालय के चौक बाजार में स्थित है. मन्दिर में प्रतिवर्ष बड़ा भंडारा करीब तीन दिनों तक चलता है. इसके साथ ही भव्य शोभायात्रा भी निकलती है. मंदिर परिसर में अन्य छोटे-छोटे देवी देवताओं के मन्दिर भी हैं. जहां पर लोग दर्शन पूजन करते हैं.
जानिए कौन हैं बाबा दूधनाथ
कठिन तपस्या कर ईश्वर की साधना में लीन रहने वाले बाबा दूधनाथ बाबा बालक दास के शिष्य थे. बाबा बालक दास की शरण में रहकर वे गौरीगंज के इसी मंदिर परिसर में एक पेड़ के नीचे तपस्या किया करते थे. तपस्या करते हुए ईश्वर की साधना में वे इतनी लीन हो गए कि वह जो कह देते थे वह सही हो जाता था. ऐसे में लोग अब उनकी मूर्ति की स्थापना कर उन्हें भगवान का दर्जा देते हैं. मंदिर शताब्दी वर्ष प्राचीन का है. हर वर्ष फरवरी माह में एक विशाल शोभायात्रा भी उनकी स्मृति में निकाली जाती है. शोभा यात्रा पूरे गौरीगंज कस्बे में भ्रमण करती है और फिर तीन दिनों तक बड़े भंडारे का आयोजन स्थानीय लोगों के सहयोग से होता है.
बाबा पूरी करते हैं भक्तों की सभी मुराद
मंदिर के पुजारी प्रेम आचार्य ने बताया कि इस मंदिर की मान्यता है कि यहां पर सभी कष्ट दूर होते हैं. लोग अपने शुभ कार्यों की शुरुआत इसी मंदिर पर शुरू करते हैं. मंदिर के पुजारी बताते हैं कि यहां पर दर्शनों के लिए लोग दूर-दूर से आते हैं और बाबा दूधनाथ का आशीर्वाद लेते हैं.
भक्तों को मिलती है शांति
भक्त आरती देवी बताती हैं कि यहां पर हम वर्षों से आ रहे हैं. करीब 40 45 साल से हम लगातार यहां दर्शन पूजन करने आते हैं. यहां पर बड़ा सुकून मिलता है. मंदिर काफी प्राचीन है और पूजा पाठ के लिए हम सब यहां आते हैं. सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं.
राशिफल: जानिए, कैसा रहेगा आपका आज का दिन (25 मार्च 2024)
25 Mar, 2024 12:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
मेष राशि - धन लाभ आशानुकूल सफलता का हर्ष, कार्यवृत्ति में सुधार होवे।
वृष राशि - मान प्रतिष्ठा, कार्य कुशलता से संतोष होवे एवं कार्य पूण संतुष्ट होवे।
मिथुन राशि - सामर्थ्य वृद्धि भी संभंव है, विरोधियों से डटकर मुकाबला करें।
कर्क राशि - तनाव पूर्ण क्लेश से अशांति से चिन्ता व मानसिक व्यग्रता संभंव होगी।
सिंह राशि - दैनिक कार्य वृत्ति में सुधार, चिन्ताएं कम हो तथा परिश्रम सफल होगा।
कन्या राशि शारीरिक थकावट, बैचेनी बढ़ेगी तथा समय और सामर्थ्य व्यर्थ जाएगा।
तुला राशि - दैनिक कार्यगति अनुकूल, समय की अनुकूलता का समय का उपयोग करें।
वृश्चिक राशि - योजनाएं विफल जाए, परिश्रम से कुछ सफलता निरर्थक दिखाई दें।
धनु राशि - मनोबल बनाए रखें तथा कार्य व्यवसाय में योजना परिपूर्ण अवश्य होवे।
मकर राशि - कुटुम्ब की समस्याओं में अर्थ व्यवस्था, बाधा पैदा अवश्य ही होगी।
कुंभ राशि - धन लाभ आशानुकूल सफलता का हर्ष होगा, तथा मन उत्तम बना रहें।
मीन राशि - सफलता के साधन जुटाए तथा विशेष कार्य स्थिगित रखे, ध्यान रखे।
होलिका दहन की रात करें ये 3 उपाय! माता लक्ष्मी होंगी प्रसन्न, धन का संकट होगा दूर
24 Mar, 2024 06:45 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
सनातन धर्म में होली का पर्व बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है. हिंदू पंचांग के मुताबिक प्रत्येक वर्ष पूर्णिमा तिथि के दिन होली का पर्व मनाया जाता है. इस वर्ष 25 मार्च को होली का पर्व है और 24 मार्च की रात्रि में होलिका दहन होगा. होलिका दहन पूर्णिमा की रात में होता है. पूर्णिमा की रात में मां लक्ष्मी की पूजा का विशेष महत्व होता है. आइए जानते हैं होलिका दहन रात में मां लक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए कुछ अचूक उपाय जो आपको तरक्की के साथ सुख समृद्धि भी देंगे.
अयोध्या के ज्योतिष पंडित कल्कि राम बताते हैं की माता लक्ष्मी दीपावली पर ही नहीं बल्कि होली पर भी धन की वर्षा करती हैं. ऐसी स्थिति में पूर्णिमा तिथि पर माता लक्ष्मी की विशेष पूजा आराधना की जाती है. पूर्णिमा की रात्रि में माता लक्ष्मी को खीर अथवा केसर दूध और मखाने से बनी खीर का भोग लगाना चाहिए. इस दिन ऐसा करने से माता लक्ष्मी जल्द प्रसन्न होती हैं और सुखी और संपन्न होने का आशीर्वाद भी देती हैं. इसके अलावा जरूरतमंद कन्याओं को इस दिन खीर को दान करना चाहिए. उसके बाद पूरे परिवार में खीर को प्रसाद के रूप में वितरित करना चाहिए. कहा जाता है ऐसा करने से परिवार के सभी लोगों की पूरे साल तरक्की होती है.
पंडित कल्कि राम बताते हैं कि माता लक्ष्मी का सबसे प्रिय फल नारियल माना जाता है. एक नारियल लें और उसके ऊपर मिश्री रखकर होलिका की अग्नि में चढ़ा दें. ऐसा करने से आर्थिक तंगी से मुक्ति मिलती है. इसके साथ ही नारियल को चढ़ाने के बाद होलिका के चारों तरफ 11 बार परिक्रमा करनी चाहिए. ऐसा करने से धन संबंधित सभी परेशानियां दूर होंगी.
पंडित कल्कि राम बताते हैं कि होली पर पान के पत्ते के उपाय करना बहुत अच्छा माना जाता है. होलिका दहन के दिन 7 पान के पत्ते लें और हर पत्ते पर एक इलायची रखकर हर पत्ते पर एक जोड़ा लौंग रख दें. जिस स्थान पर होलिका जलाई जाती है उसकी परिक्रमा करें. हर बार परिक्रमा करने के बाद एक पान का पत्ता होलिका की अग्नि में समर्पित करें .7 बार ऐसा करने से माता लक्ष्मी प्रसन्न होती हैं और धन संबंधित सभी परेशानियां दूर होंगी
पंडित कल्कि राम बताते हैं कि होलिका दहन करने के बाद जब घर लौटे तो घर के मुख्य द्वार पर दोनों तरफ दीपक जलाना चाहिए. ऐसा करने से माता लक्ष्मी जल्द प्रसन्न होती हैं और सभी मनोकामनाएं पूरी करती हैं.
होलिका दहन में सामग्री अर्पित करते समय करें इन मंत्रों का जाप, अज्ञात भय से मिलेगी मुक्ति
24 Mar, 2024 06:15 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
होली रंगों का त्योहार है जो फाल्गुन माह में मनाया जाता है. यह दो दिनों का उत्सव है. पहले दिन होलिका दहन किया जाता है और दूसरे दिन अलग-अलग रंगों से होली खेली जाती है. इन दोनों दिनों का अपना-अपना अलग महत्व है. इस साल 25 मार्च होली को मनाई जाएगी. वहीं होली के 1 दिन पहले शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि को होलिका दहन किया जाएगा. धार्मिक मान्यता के अनुसार होलिका दहन से पहले नरसिंह भगवान की पूजा करने का विधान है. इस दिन विधि-विधान से नरसिंह भगवान की पूजा करने से जातकों को अज्ञात भय से मुक्ति मिलती है. साथ ही सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं.
अयोध्या के ज्योतिषी पंडित कल्कि राम बताते हैं कि सनातन धर्म में होली को बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है.फाल्गुन माह की पूर्णिमा तिथि को होली का पर्व मनाया जाता है. इस वर्ष यह पर्व 25 मार्च को मनाया जाएगा और 24 मार्च को होली का दहन होगा. होलिका दहन का शुभ मुहूर्त रात्रि में 11:13 बजे से लेकर 12:27 बजे तक रहेगा यानी की 1 घंटे 14 मिनट तक होलिका दहन किया जा सकता है.
ज्योतिषी पंडित कल्कि राम बताते हैं कि धार्मिक मान्यता के अनुसार होलिका दहन से ठीक पहले नरसिंह भगवान की पूजा करने का विधान है. मान्यता है कि विधिपूर्वक नृसिंह भगवान की पूजा और आरती करने से जातकों को अज्ञात भय से मुक्ति मिलती है और सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं. होलिका दहन में में सामग्री अर्पित करते समय इस मंत्र का जाप कर सकते हैं.
अहकूटा भयत्रस्तैः कृता त्वं होलि बालिशैः। अतस्वां पूजयिष्यामि भूति-भूति प्रदायिनीम्।
होलिका पूजन मंत्र
होलिका के लिए मंत्र- ॐ होलिकायै नम:
परमभक्त प्रह्लाद के लिए मंत्र- ॐ प्रह्लादाय नम:
भगवान नरसिंह के लिए मंत्र- ॐ नृसिंहाय न
नरसिंह भगवान की आरती
ओम जय नरसिंह हरे, प्रभु जय नरसिंह हरे।
स्तंभ फाड़ प्रभु प्रकटे, स्तंभ फाड़ प्रभु प्रकटे, जनका ताप हरे॥
ओम जय नरसिंह हरे
तुम हो दिन दयाला, भक्तन हितकारी, प्रभु भक्तन हितकारी।
अद्भुत रूप बनाकर, अद्भुत रूप बनाकर, प्रकटे भय हारी॥
ओम जय नरसिंह हरे
सबके ह्रदय विदारण, दुस्यु जियो मारी, प्रभु दुस्यु जियो मारी।
दास जान आपनायो, दास जान आपनायो, जनपर कृपा करी॥
ओम जय नरसिंह हरे
ब्रह्मा करत आरती, माला पहिनावे, प्रभु माला पहिनावे।
शिवजी जय जय कहकर, पुष्पन बरसावे॥
ओम जय नरसिंह हरे
होली पर भगवान को रंग लगाना धार्मिक दृष्टि से सही या गलत? काशी के विद्वान से जानें सच
24 Mar, 2024 06:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
रंगों के त्योहार होली में एक दूसरे को रंग लगाने की परंपरा बहुत पुरानी है. सदियों से यह परंपरा निरंतर चली आ रही है. धार्मिक कथाओं के अनुसार, द्वापर युग में भगवान कृष्ण भी गोपियों संग ब्रज में होली खेलते थे. होली खेलने की परंपरा सिर्फ आम लोगों में ही नहीं बल्कि भगवान के साथ भी हैं. अलग-अलग जगहों पर लोग भगवान के साथ भी होली खेलते हैं.
दुनिया के प्राचीनतम शहरों में से एक बाबा विश्वनाथ की नगरी बनारस में भक्त बाबा विश्वनाथ और माता गौरा के साथ होली खेलते हैं. अयोध्या में रामलला के साथ भी भक्त गुलाल और फूलों की होली खेलते हैं और मथुरा में भगवान कृष्ण के साथ भी भक्त होली खेलते हैं. इसके अलावा अलग-अलग जगहों पर अपने आराध्य के साथ होली खेलने की परंपरा है.
होली पर गुलाल और रंग लगाने की मान्यता
काशी के पंडित संजय उपाध्याय ने बताया कि होली की शुरुआत द्वापर युग में हुई थी. धार्मिक कथाओं के अनुसार ब्रज में भगवान श्री कृष्ण गोपियों संग होली खेलते थे तभी से इसकी शुरुआत हुई. भगवान श्रीकृष्ण की होली ही दुनिया में सबसे मशहूर है. मथुरा में लठमार होली के साथ रंग, गुलाल और फूलों की होली खेली जाती है .शास्त्रों में इसका जिक्र किया गया है कि हर देवी या देवता को एक रंग अति प्रिय होता है. कहते हैं कि होली पर भगवान को उनका पसंदीदा रंग लगाने से जीवन में सुख एवं समृद्धि आती है, साथ ही कई आर्थिक परेशानियां भी दूर हो जाती हैं.
मनोकामनाएं होती हैं पूरी
पंडित संजय उपाध्याय ने बताया कि धार्मिक मान्यताओं के अनुसार भगवान के साथ होली खेलने से अलग-अलग तरह की मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं और इन्ही मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए लोग भगवान के साथ होली खेलते है.
राशिफल: जानिए, कैसा रहेगा आपका आज का दिन (24 मार्च 2024)
24 Mar, 2024 12:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
मेष राशि - यात्रा भय, कष्ट व्यवसाय में बाधा, लाभकारी परिस्थिति बनेगी, समस्या से उलझन बनेगी।
वृष राशि - राजभय, रोग, स्वजन सुख, शिक्षा व लेखन कार्य में सफलता तथा प्रगति होगी।
मिथुन राशि - वाहन भय, कष्ट, हानि तथा अशांति का वातावरण बनेगा, धैर्य रखें।
कर्क राशि - सफलता, उन्नति होगी, शुभ कार्य, विवाद, राजकार्य-मामले में जीत होगी।
सिंह राशि - शरीर कष्ट, कार्य में व्यय, सफलता, आर्थिक सुधार होगा, कार्य बनेंगे।
कन्या राशि - खर्च, विवाद, स्त्री कष्ट, विद्या लाभ, धीर-धीरे कार्य में सुधार होगा।
तुला राशि - यात्रा से हर्ष, राज लाभ, शरीर कष्ट, यात्रा में व्यय होगा।
वृश्चिक राशि - कार्यवृत्ति में लाभ, यात्रा, सम्पत्ति लाभ, व्यापारिक गति में सुधार होगा।
धनु राशि - अल्प लाभ, चोटादि-अग्नि भय, मानसिक बेचैनी से परेशानी होगी।
मकर राशि - शत्रु से हानि, कार्य व्यय, शारीरिक सुख होगा, कष्टकारी स्थिति बनेगी।
कुंभ राशि - सुख, व्यय, संतान सुख, कार्य सफलता, उत्साह वृद्धि होगी, समय का ध्यान रखें।
मीन राशि - पदोन्नति, राजभय, न्याय लाभ-हानि, अधिकारियों से मनमुटाव होगा।
नई नवेली दुल्हन को नहीं देखना चाहिए होलिका दहन, शास्त्रों में माना गया है वर्जित, पंडित ने बताई कहानी
23 Mar, 2024 06:45 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
इस बार होली 25 और 26 मार्च को मनाई जाएगी. वहीं रंग उत्सव का पर्व 26 मार्च को मनाया जाएगा. इसपर विशेष जानकारी देते हुए पंडित मनोत्पल झा ने लोकल 18 को बताया कि होलिका दहन होने के बाद ही रंगोत्सव यानी होली का पर्व खुशी से मनाया जाता है. होलिका दहन में कई चीजों का खास ख्याल रखना जरूरी होता है. खासकर नव विवाहिता दुल्हन को इसका खास ख्याल रखना चाहिए. उन्होंने कहा कि होलिका दहन होली की पहली सीढ़ी होती है, जिसके बाद रंग उत्सव का पर्व मनाया जाता है. होलिका दहन होली के दिन पूर्व मध्य रात्रि को मनाया जाता है. इस दिन लोग अपने घरों से जलावन ले जाकर होलिका दहन करते हैं. लेकिन नई दुल्हन को होलिका दहन नहीं देखना चाहिए.
नव विवाहिता को होलिका दहन देखना वर्जित
शास्त्रों में नव विवाहित दुल्हन को होलीका दहन देखना वर्जित माना गया है. इसका कारण बताते हुए पंडित मनोत्पल झा ने Local 18 से कहा कि होलिका की शादी होते ही उसे आग के हवाले कर दिया गया था, जिसके बाद उनकी समाप्ति हो जाती है. इसके बाद उनकी दूसरी शादी करने के लिए आए राक्षस वापस लौट जाते हैं. यानि एक शादी होते ही उसी रात होलिका चिता में जल जाना एक दुर्भाग्यपूर्ण बात माना जाता है. इसलिए शास्त्रों के मुताबिक नव विवाहिता महिलाएं और नव दुल्हन को होलिका दहन देखना वर्जित माना गया है.
बुराई पर अच्छाई के जीत का प्रतीक है होली
पंडित मनोत्पल झा आगे कहते हैं कि होली निष्ठा, विश्वास और धर्म का प्रतीक है. बुराई पर अच्छाई की प्रतीक होली को हमलोग हर्षोल्लास के साथ मनाते हैं. उन्होंने कहा कि होली पूर्णिया जिला के बनमनखी के धरहरा से हुई थी. यहां पर भगवान विष्णु ने अपने भक्त प्रह्लाद को हिरणकश्यप जैसे राक्षस से बचाने के लिए स्वयं अवतार लिया था और अपने भक्त प्रह्लाद की रक्षा की थी. जिसकी कई निशानियां अभी इस मंदिर में साक्ष्य के तौर पर मौजूद हैं.
भागवत कथा का है बेहद खास महत्व, इसको सुनने मात्र से होती है पुण्य फल की प्राप्ति!
23 Mar, 2024 06:30 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
श्रीमद भागवत कथा का सनातन धर्म में खास महत्व है. शास्त्रों में बताया गया है कि पहली बार कथा श्रवण मात्र से ही राजा परीक्षित को मोक्ष की प्राप्ति हुई और उनका अकाल मृत्यु से बचाव हुआ था. यही कारण है कि समय-समय पर भक्त श्रीमद भागवत कथा का आयोजन अपने घर, सार्वजनिक स्थलों आदि पर करवाते रहते हैं. इन दिनों उत्तराखंड के चमोली जिले के गौचर के नजदीकी गांव (धारीनगर) के रघुनाथ मंदिर में 7 दिवसीय श्रीमद्भागवत कथा आयोजित की गई है. लोकल 18 से बातचीत में कथा वाचक आचार्य हिमांशु कंडवाल ने कथा सुनने से मिलने वाले पुण्य, नियम और यदि कथा न सुन पाएं, तो किस प्रकार पुण्य फल की प्राप्ति हो सकती है, के बारे में जानकारी दी है.
उन्होंने बताया कि श्रीमद भागवत कथा सभी वेदों का सार है. इसे सुनने से मनुष्य तृप्त होता है और जन्म जन्मांतर के पाप से मुक्त हो जाता है. साथ ही कथा सुनने या किसी भी शुभ काम को करवाने या करने के पीछे का उद्देश्य परम लक्ष्य की प्राप्ति ही होता है. वह कहते हैं कि कथा आयोजन स्थल में प्रवेश करने से पहले सांसारिक जीवन के दुख तकलीफों को भूलकर उस परम परमेश्वर ईश्वर का चिंतन मनन करना जरूरी है और घर से जिस उद्देश्य को लेकर कथा सुनने आते हैं, उसे पूरा जरूर करना चाहिए.
कलयुग में केवल प्रभु स्मरण से उद्धार
आचार्य हिमांशु कंडवाल आगे कहते हैं कि ‘कलयुग केवक नाम अधारा, सुमिर सुमिर नर उतरहि पारा’, इसका मतलब है किकलयुग में केवल प्रभु का स्मरण ही भव से पार किए जाने का एकमात्र आधार है. यदि आपके पास एक स्थान पर बैठकर प्रभु का नाम लेने का समय नहीं है, तो आप चलते फिरते भी अपने मन मंदिर में परम परमेश्वर का स्मरण कर सकते हैं. ऐसा करने पर भी आपको भागवत कथा श्रवण का पुण्य फल प्राप्त होगा.
यहां होलिका दहन पर अग्निदेव को समर्पित की जाती है नई फसल
23 Mar, 2024 06:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
ज्योतिष शास्त्रों में होलिका दहन को काफी खास स्थान दिया गया है. होलिका दहन की रात को दीपावली और नवरात्रि की तरह ही खास माना गया है. कहा जाता है कि दीपावली, नवरात्रि और महाशिवरात्रि के रात में दैवीय शक्तियां जागृत होती है. ठीक इसी प्रकार होलिका दहन की रात भी दैवीय शक्तियां जागृत रहती है. इसलिए होलिका दहन को काफी विशेष माना जाता है और इस दिन लोग देवी-देवताओं को प्रसन्न करने के लिए कई उपाय करते हैं. प्राचीन काल से यह परंपरा चली जा रही है कि इस दिन होलिका दहन की सामाग्री को कच्चे सूते से लपेटकर पहले उसकी पूजा की जाती है. उसके बाद ही होलिका दहन किया जाता है. होलिका दहन के बाद लोग उसकी सात परिक्रमा भी करते हैं. ऐसी मान्यता है कि ऐसा करने से रोग और दुख का नाश होता है तथा नकारात्मक शक्तियां मिट जाती है.
यहां खास तरह से जलाई जाती है होलिका
क्या आप जानते हैं कि बिहार के कई इलाकों में होलिका दहन को काफी खास तरीके से मनाया जाता है. दरअसल, होलिका दहन के बाद बिहार में नई फसलों की आहुति देने की परंपरा है. जिस प्रकार हवन के दौरान लोग धूप इत्यादि अग्नि में डालकर हवन करते हैं, ठीक उसी प्रकार होलिका की अग्नि में भी लोग नई फसलों की बालियों की आहुति देते हैं. होलिका जलाने के बाद लोग उसकी अग्नि में नई फसल जैसे गेहूं, जौ, चना इत्यादि की सात बालियों की आहुति देते हैं. फिर उस जली हुई बालियों को प्रसाद के रूप में ग्रहण भी करते हैं. इसके पीछे का कारण काफी पौराणिक भी है और ज्योतिष शास्त्र के अनुसार काफी महत्वपूर्ण भी है.
आखिर गेहूं की बालियों की आहुति क्यों देते हैं लोग
ज्योतिषाचार्य पंडित मनोहर आचार्य बताते हैं कि प्राचीन परंपरा रही है कि होलिका दहन में लोग सात फेरा लगाने के बाद गेहूं या जौ की सात बालियों की आहुति देते हैं. उन्होंने बताया कि हिंदू धर्म में यह मान्यता है कि नई फसल को सबसे पहले भगवान या पूर्वजों को अर्पित किया जाता है और ऐसा करने से परिवार में पूरे साल सुख, शांति और समृद्धि बनी रहती है. यही वजह है कि होलिका दहन की अग्नि में भी गेहूं या जौ की बालियों की आहुति दी जाती है. उन्होंने बताया कि सात गेहूं की बाली को जलाने के पीछे का उद्देश्य यही है कि 7 शुभ अंक है और यही कारण है कि सप्ताह में 7 दिन और विवाह में सात फेरे होते हैं. इसलिए होलिका की अग्नि के 7 फेरे लगाए जाते हैं तथा उसमें 7 गेहूं के बालियों को ही अर्पण किया जाता है.
राशिफल: जानिए, कैसा रहेगा आपका आज का दिन (23 मार्च 2024)
23 Mar, 2024 12:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
मेष राशि - तनाव, क्लेश का योग, मित्र लाभ, राजभय तथा पारिवारिक समस्या उलझेंगी।
वृष राशि - अनुभव का सुख मिलेगा, मांगलिक कार्य होगा, मामले-मुकदमे में प्राय जीत होगी।
मिथुन राशि - कुसंगति से हानि, विरोध, भय, यात्रा, सामाजिक कार्य में व्यवधान अवश्य होगा।
कर्क राशि - भूमि लाभ, स्त्री सुख, हर्ष, प्रगति, स्थिति में सुधार, लाभ तथा उत्तम कार्य होंगे।
सिंह राशि - तनाव तथा विवाद से बचें, विरोधियों की चिन्ता, राजकार्य में प्रतिष्ठा अवश्य मिलेगी।
कन्या राशि - भूमि लाभ, स्त्री सुख, हर्ष, प्रगति में सुधार, लाभ तथा कार्य उत्तम होगा।
तुला राशि - कार्य प्रगति, वाहन का भय, भूमि लाभ, कलह तथा कुछ अच्छे कार्य कर सकेंगे।
वृश्चिक राशि - कार्य सिद्धी, विरोध, लाभ, हर्ष होगा, व्यापार में सुधार किन्तु खर्च होगा।
धनु राशि - यात्रायें होंगी, हानि, मित्र कष्ट, व्यय की कमी, व्यापार में सुधार तथा व्यय होगा।
मकर राशि - शुभ कार्य, वाहन आदि योग, धार्मिक कार्य के साथ ही कुछ अच्छे कार्य सम्पन्न होंगे।
कुंभ राशि - अभीष्ट सिद्ध, राजभय, कार्य बाधा, कार्य में उलझन का अनुभव होगा।
मीन राशि - अल्प हानि, रोगभय, सम्पर्क, राजकार्य में विलम्ब, परेशानी अवश्य होगी।
क्या है अश्वत्थामा का वो सच, जिसे पर्दे पर उतारेंगे शाहिद कपूर, 5000 से ज्यादा साल से है जिंदा
22 Mar, 2024 06:45 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
सनातन हिंदू धर्म में ये माना जाता है कि इस दुनिया में 7 चिरंजीवी हैं. यानी 7 ऐसे लोग हैं जो सदियों से जीवित हैं और उन्होंने युगों को, सदियों को अपने सामने गुजरते हुए देखा है. ये 7 चिरंजीवी हैं, 1.परशुराम, 2. हनुमान, 3. महर्षि वेद व्यास, 4. विभीषण, 5 कृपाचार्य, 6 अश्वत्थामा और 7 महाबली. आज हम आपको इन चिरंजीवियों में से अश्वत्थामा की कहानी बता रहे हैं. अश्वत्थामा इन दिनों एक बार फिर से सुर्खियों में है, जिसकी वजह है अमेजन प्राइम पर अनाउंस हुई एक्टर शाहिद कपूर की नई फिल्म, ‘अश्वत्थामा’. हालांकि आपको याद दिला दें कि शाहिद कपूर से पहले इसी टाइटल की फिल्म का अनाउंसमेंट एक्टर विक्की कौशल के साथ किया गया था. हम आपको बताने जा रहे हैं इसी अश्वत्थामा के बारे में जिसके किरदार को पर्दे पर उतारने के लिए फिल्मी दुनिया के लोग बेचैन हैं. अश्वत्थामा, जिसे आशीर्वाद की वजह से नहीं बल्कि श्री कृष्ण के अभिशाप ने चिरंजीवी बनाया है.
कौरवों-पांडवों का गरुपुत्र था अश्वत्थामा
चिरंजीवी का अर्थ होता है, जो अमर हो यानी वह व्यक्ति जिसने जीवन और मृत्यू की सीमाओं को पार कर लिया है. ऐसे ही चिरंजीवी कहे जाते हैं द्रोणपुत्र अश्वत्थामा. अश्वत्थामा, कौरवों और पांडवों के गुरु द्रोणाचार्य और कृपि के पुत्र हैं. द्रोणाचार्य ने ही कौरवों और पांडवों को शस्त्र विद्या सिखाई थी. हस्तिनापुर के प्रति अपना पक्ष समझते हुए गुरु द्रोण ने कौरवों की तरफ से युद्ध लड़ने का फैसला लिया. वो कौरवों के सेनापति बने थे. अश्वत्थामा भी उन्हीं के साथ था और वह दुर्योधन का अच्छा मित्र भी था.
अश्वत्थामा मारा गया…
महाभारत के युद्ध में गुरु द्रोणाचार्य ने कौरवों की तरफ से युद्ध लड़ा था. गुरु द्रोण के आगे पांडवों की सेन लाचार पड़ रही थी. वहीं अश्वत्थामा ने भी युद्ध में कई पांडवों के योद्धाओं को मारा था. इस पिता-पुत्र की जोड़ी के होते हुए पांडवों का महाभारत का युद्ध जीतना असंभव लग रहा था. ऐसे में श्री कृष्ण ने युधिष्ठिर से कूटनीति का सहारा लेने को कहा. युद्ध के दौरान ये खबर फैला दी गई कि ‘अश्वत्थामा मारा गया…’ ये सुन द्रोण विचलित हो गए और उन्होंने युधिष्ठिर से सत्य जानना चाहा. युधिष्ठिर धर्मराज थे और कभी झूठ नहीं बोलते थे. ऐसे में जब द्रोणाचार्य ने सच पूछा तो युधिष्ठि ने कहा ‘अश्वत्थामा हतो नरो वा कुंजरो वा’ (अश्वत्थामा मारा गया है, किंतु गज). ‘किंतु गज’ उन्होंने बहुत धीरे बोला जिसे द्रोण सुन न सके और शस्त्र त्याग अपनी आंखें बंद पर पुत्र के लिए विलाप करने लगे. गुरु द्रोण का निहत्था देख द्रौपदी के भाई द्युष्टद्युम्न ने तलवार से द्रोणाचार्य का सिर काट दिया. द्रोणाचार्य की मृत्यू के बाद ही पांडवों की युद्ध में वापसी हुई और अब धीरे-धीरे कौरवा कमजोर हो गए. दुर्योधन की मृत्यू के साथ ही महाभारत का ये भीषण युद्ध समाप्त हो गया.
द्रौपदी के 5 पुत्रों का हत्यारा अश्वत्थामा
महाभारत का युद्ध खत्म होने के बाद भी अश्वत्थामा अपने पिता की मृत्यू का बदला पांडवों से लेना चाहता था और पांडवों को खत्म करना चाहता था. ऐसे में उसने योजना बनाई कि वो पांडवों के शिविर में जाएगा. शिविर में द्रोपदी के पांच बेटे सो रहे थे. अश्वत्थामा ने अंधेरे में पांडव समझकर इन पांचों को मार दिया. अश्वत्थामा यहीं नहीं रुका, उसने पांडवों से युद्ध किया और उन्हें खत्म करने के लिए ब्रह्मास्त्र निकाला. अश्वत्थामा को ब्रह्मास्त्र चलाता देख अर्जुन ने भी ब्रह्मास्त्र छोड़ दिया. लेकिन ये शस्त्र इतना शक्तिशाली होता है कि इससे पूरी दुनिया खत्म हो सकती थी. ऐसे में श्रीकृष्ण ने अर्जुन से ब्रह्मास्त्र वापस लेने को कहा, तो अर्जुन ने ऐसा ही किया. लेकिन अश्वत्थामा से जब ब्रह्मास्त्र वापस लेने को कहा गया तो उसे ये वापस लेना नहीं आता था, बल्कि उसने इसकी दिशा बदल दी और इसकी दिशा अभिमन्यु की विधवा उत्तरा की कोख में पल रहे बच्चे की तरफ इसकी दिशा कर दी. इसी घटना पर श्री कृष्ण ने अश्वत्थामा को ये अभिशाप दिया कि उसके माथे पर लगी ये चमत्कारिक मणी छीन ली जाए और अब ये घाव हमेशा रिसता और दुखता रहेगा. उसने कोख में पल रहे बच्चे को मारा है, वह खुद अब मृत्यू के लिए तरसेगा और इस धरती के अंत तक भटकता रहेगा.