धर्म एवं ज्योतिष
नवरात्रि में घोड़े पर सवार होकर आ रही हैं मां दुर्गा
2 Apr, 2024 06:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
सनातन धर्म में नवरात्र का विशेष महत्व होता है. धार्मिक मान्यता के मुताबिक वर्ष में चार बार नवरात्रि का पर्व मनाया जाता है. जिसमें एक चैत्र नवरात्रि तो दूसरा शारदीय नवरात्रि इसके अलावा दो गुप्त नवरात्रि का पर्व सनातन धर्म में मनाया जाता है. नवरात्रि के दौरान मां दुर्गा के नौ रूपों की पूजा आराधना करने का विधान है. साथ ही जीवन में सुख और शांति के लिए व्रत किया जाता है. मान्यता के अनुसार नवरात्रियों में जिसमें सवार होकर मां दुर्गा आती है, उसका अलग ही महत्व होता है. तो चलिए इस बार जानते हैं. माता रानी की सवारी क्या होगी और क्या इसके संकेत हैं.
अयोध्या के ज्योतिषी पंडित कल्कि राम बताते हैं कि इस वर्ष चैत्र नवरात्रि की शुरुआत 9 अप्रैल से हो रही है. जिसका समापन 17 अप्रैल को होगा. ज्योतिषीय गणना के मुताबिक इस वर्ष नवरात्रि में माता का आगमन घोड़े पर होगा. मां दुर्गा के वाहन को इस बार शुभ नहीं माना जा रहा है. धार्मिक ग्रंथो के मुताबिक जब भी माता रानी घोड़े पर सवार होकर आती है. इसे अशुभ माना जाता है. इसका संकेत है कि युद्ध की स्थिति पैदा होगी. प्राकृतिक आपदा आने की संभावना है. कई चीजों में बदलाव देखने को मिल सकता है.
जानिए क्या है घट स्थापना का मुहूर्त
ज्योतिषीय गणना के मुताबिक चैत्र नवरात्रि की शुरुआत 9 अप्रैल को हो रही है. जिसमें घट स्थापना का शुभ मुहूर्त प्रात काल 6ः00 बजे से लेकर 10ः16 तक रहेगा. इसके अलावा 11ः57 से लेकर दोपहर 12ः48 के मध्य अभिजीत मुहूर्त में भी घट स्थापना की जा सकेगी.
राशिफल: जानिए, कैसा रहेगा आपका आज का दिन (02 अप्रैल 2024)
2 Apr, 2024 12:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
मेष राशि :- स्त्री वर्ग से हर्ष-उल्लास एवं कार्य कुशलता से संतोष होगा।
वृष राशि - योजनाए फलीभूत होगी तथा स्वभाव में बैचेनी कष्ट प्रद होगा, ध्यान दें।
मिथुन राशि - कार्यक्षमता अनुकूलता, कार्यवृत्ति में सुधार तथा संघर्ष बना रहे ध्यान दें।
कर्क राशि - आर्थिक हानि योजना बनकर बिगड़े तथा व्यवसाय होगा कार्य होवे।
सिंह राशि - झगड़े के कारण व्यय होगा, आप आरोपित होने से बचियें ध्यान रखें।
कन्या राशि - कार्यकुशलता से संतोष, इष्टमित्र सुखवर्धक होगे, ध्यान दें कार्य बनें।
तुला राशि - योजनाएं फलीभूत हो इष्टमित्र सुखवर्धक होगे, ध्यान रखें।
वृश्चिक राशि - मानसिक भ्रम विभ्रम की स्थिति से हानि उठायेंगे, ध्यान दें।
धनु राशि - मानसिक विभ्रम उपद्रव असमजंस की स्थिति बनेगी, कार्य होवे।
मकर राशि - दैनिक कार्यवृत्ति में सुधार, आर्थिक योजना अवश्य ही रहेगे।
कुंभ राशि - चिन्ताएं कम हो, कुटुम्ब के कार्य में समय बीतेगा।
मीन राशि - स्त्री वर्ग से सुख भोग ऐश्वर्य की वृद्धि दैनिक गति अनुकूल हो।
आपके दाएं हाथ में अचानक होती है खुजली? हो सकता है धन लाभ का संकेत, शरीर के अलग-अलग अंगों पर खुजली का क्या है अर्थ?
1 Apr, 2024 06:45 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
सनातन धर्म में हर चीज के महत्व के बारे में जानकारी दी गई है. शरीर में खुजली होना आम बात है, लेकिन क्या आपको पता है कि खुजली को लेकर भी हमारे ज्योतिष शास्त्र में महत्व बताया गया है. ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, शरीर के अलग-अलग अंगों में खुजली होने के कई तरह के संकेत होते हैं. कई संकेत हमारे लिए शुभ होते हैं तो कई संकेत हमारे लिए किसी तरह की अनहोनी को भी दर्शाते हैं. शरीर के किस अंग में खुजली का क्या महत्व है
1. दाएं हाथ में खुजली
दाएं हाथ में खुजली होने का सीधा संबंध धन से है. अगर लगातार खुजली हो रही है तो इसका अर्थ है कि जल्द ही आपको धन लाभ होने वाला है. अगर आप जॉब में हैं तो आपकी सैलरी बढ़ सकती है. व्यापार कर रहे हैं तो लाभ होगा.
2. बाएं हाथ में खुजली होना
बाएं हाथ में खुजली होने का अर्थ है खर्च का बढ़ाना. अगर आपके साथ भी ऐसा हो रहा है तो इसका मतलब है कि आपके खर्ज में वृद्धि होने वाली है. कहीं से आपको धन की हानि भी हो सकती है.
3. आंख में खुजली होना
आंख में या आंख के आस-पास की जगह में खुजली का मतलब है आपको पैसे मिलेंगे. कहीं से आपको धन लाभ के योग बन रहे हैं. आपका रुका हुआ पैसा भी लौट सकता है.
4. सीने पर खुजली होना
सीने पर खुजली का अर्थ है कि आपको पैतृक संपत्ति मिलने वाली है. वहीं, अगर किसी महिलाओं के सीने पर खुजली होती है तो यह संतान से जुड़ा होता है. आपके संतान पर कोई ना कोई परेशान का संकेत देता है.
5. होठों पर खुजली होना
होठों पर खुजली का मतलब है कि जल्द ही स्वादिष्ट भोजन खाने का मौका मिलेगा. कहीं से निमंत्रण आ सकता है या फिर घर में ही अच्छा खाना मिल जाए. होठों की खुजली मीठी वाणी को भी दर्शाता है.
6. इन स्थानों पर खुजली का मतलब
पीठ में खुजली होने का अर्थ बीमारी या कष्ट का उत्पन्न होना. पैरों में खुजली यात्रा योग को दर्शाता है. दांए कंधे पर खुजली होना संतान सुख को दर्शाता है.
कब है चैत्र नवरात्रि, सूर्य ग्रहण, हिंदू नववर्ष? अप्रैल में कौन से हैं ग्रह गोचर
1 Apr, 2024 06:30 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
अंग्रेजी कैलेंडर का चौथा माह अप्रैल प्रारंभ होने वाला है. अप्रैल में हिंदू नववर्ष और सौर नववर्ष का शुभारंभ होगा. हिंदू नववर्ष का प्रारंभ चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से होता है, वहीं सौर नववर्ष का शुभारंभ सूर्य देव के मेष राशि में प्रवेश करने पर होता है. हिंदू नववर्ष के दिन से ही चैत्र नवरात्रि भी शुरू होती है, जिसमें मां दुर्गा के 9 स्वरूपों की पूजा होती है और व्रत रखा जाता है. नवरात्रि की शुरुआत कलश स्थापना के साथ होती है और पहले दिन मां शैलपुत्री की पूजा करते हैं. वह नवदुर्गा में प्रथम हैं. महाराष्ट्र में उस दिन गुड़ी पडवा मनाते हैं. नवरात्रि के नौवें दिन भगवान श्रीराम का जन्मदिन होगा. उस दिन राम नवमी मनाई जाएगी. अयोध्या के राम मंदिर में भव्य आयोजन होगा.
अप्रैल में ही साल 2024 का पहला सूर्य ग्रहण लगने वाला है. पंजाब और हरियाणा में वैशाखी का उत्सव मनाया जाएगा. मुस्लिम समुदाय के प्रमुख त्योहारों में से एक ईद भी अप्रैल में आने वाली है. इस माह में चार बड़े ग्रहों सूर्य, मंगल, बुध और शुक्र का राशि परिवर्तन भी होगा, जो सभी 12 राशियों पर सकारात्मक और नकारात्मक प्रभाव डालेगा. भगवान श्रीराम के परम भक्त वीर बजरंगबली का भी जन्मोत्सव हनुमान जयंती मनाई जाएगी. इनके अतिरिक्त मासिक चतुर्थी, कालाष्टमी, एकादशी, प्रदोष, शिवरात्रि, अमावस्या और पूर्णिमा के व्रत भी होंगे. चैत्र अमावस्या को साल की पहली सोमवती अमावस्या होगी. तिरुपति के ज्योतिषाचार्य डॉ. कृष्ण कुमार भार्गव से जानते हैं कि अप्रैल के ये व्रत और त्योहार कब हैं?
अप्रैल 2024 के व्रत, त्योहार और ग्रह गोचर
1 अप्रैल, सोमवार: शीतला सप्तमी
2 अप्रैल, मंगलवार: बसौड़ा, शीतला अष्टमी, मासिक कालाष्टमी
4 अप्रैल, गुरुवार: बुध अस्त
5 अप्रैल, शुक्रवार: पापमोचनी एकादशी व्रत
6 अप्रैल, शनिवार: शनि प्रदोष व्रत
7 अप्रैल, रविवार: चैत्र मासिक शिवरात्रि
8 अप्रैल, सोमवार: साल का पहला सूर्य ग्रहण, सोमवती अमावस्या, चैत्र अमावस्या
9 अप्रैल, मंगलवार: चैत्र नवरात्रि प्रारंभ, कलश स्थापना, मां शैलपुत्री पूजा, हिंदू नववर्ष प्रारंभ, झूलेलाल जयंती, गुड़ी पडवा, मीन में बुध गोचर
11 अप्रैल, गुरुवार: गणगौर, मत्स्य जयंती, ईद
12 अप्रैल, शुक्रवार: विनायक चतुर्थी
13 अप्रैल, शनिवार: मेष संक्रांति, सौर नववर्ष प्रारंभ, वैशाखी, मेष राशि में सूर्य गोचर
14 अप्रैल, रविवार: यमुना छठ
16 अप्रैल, मंगलवार: दुर्गा अष्टमी
17 अप्रैल, बुधवार: राम नवमी, चैत्र नवरात्रि पारण
19 अप्रैल, शुक्रवार: कामदा एकादशी व्रत
20 अप्रैल, शनिवार: वामन द्वादशी
21 अप्रैल, रविवार: महावीर जयंती, रवि प्रदोष व्रत, अनंग त्रयोदशी
23 अप्रैल, मंगलवार: हनुमान जयंती, चैत्र पूर्णिमा व्रत, मीन राशि में मंगल गोचर
24 अप्रैल, बुधवार: चैत्र पूर्णिमा का स्नान-दान
25 अप्रैल, गुरुवार: वैशाख माह का प्रारंभ, मेष राशि में शुक्र गोचर
27 अप्रैल, शनिवार: विकट संकष्टी चतुर्थी
शीतला अष्टमी या बसोड़ा? जानें पूजा विधि, घर पर क्यों नहीं जलाते चूल्हा
1 Apr, 2024 06:15 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
शीतला अष्टमी का पर्व भक्तों के लिए बेहद खास होता है. इस दिन माता को मीठे चावलों का भोग लगाया जाता है. खासतौर पर इस दिन मां शीतला को बासी पकवानों का भोग लगाया जाता है और खुद भी बासी और ठंडा भोजन ग्रहण किया जाता है. होली के 7 दिनों बाद शीतला सप्तमी मनाई जाती है. कुछ लोग शीतला अष्टमी भी मनाते हैं शीतला सप्तमी को बसौड़ा भी कहा जाता है इस दिन माता शीतला की पूजा की जाती है.
जो लोग शीतला सप्तमी पर माता शीतला की पूजा करते हैं, वे 1 अप्रैल के दिन पूजन करेंगे . शीतला अष्टमी इस साल 2 अप्रैल को है. शीतला माता का उल्लेख स्कंद पुराण में मिलता है. माना जाता है कि इनकी पूजा और ये व्रत करने से चेचक, अन्य तरह की बीमारियां और संक्रमण नहीं होता है. शीतला सप्तमी 1 अप्रैल 2024 को है. स्कंद पुराण के अनुसार, देवी शीतला का रूप अनूठा है. देवी शीतला का वाहन गधा है. देवी शीतला अपने हाथ के कलश में शीतल पेय, दाल के दाने और रोगानुनाशक जल रखती हैं, तो दूसरे हाथ में झाड़ू और नीम के पत्ते रखती हैं. माना जाता है कि इनकी पूजा और ये व्रत करने से चेचक, अन्य तरह की बीमारियां और संक्रमण नहीं होता है.माता शीतला की आराधना से व्यक्ति को बीमारियों से मुक्ति मिलती है.
शीतला अष्टमी पूजा विधि
शीतला अष्टमी व्रत के दिन सुबह जल्दी उठकर ब्रह्म मुहूर्त में स्नान करें और व्रत का संकल्प लें.
एक थाली में एक दिन पहले बनाए गए पकवान जैसे मीठे चावल, हलवा, पूरी आदि रख लें.
पूजा के लिए एक थाली में आटे के दीपक, रोली, हल्दी, अक्षत, वस्त्र बड़कुले की माला, मेहंदी, सिक्के आदि रख लें. इसके बाद शीतला माता की पूजा करें.माता शीतला को जल अर्पित करें. वहां से थोड़ा जल घर के लिए भी लाएं और घर आकर उसे छिड़क दें.माता शीतला को यह सभी चीजें अर्पित करें फिर परिवार के सभी लोगों को रोली या हल्दी का टीका लगाएं. यदि पूजन सामग्री बच जाए तो गाय को अर्पित कर दें. इससे आपके जीवन में खुशहाली बनी रहेगी.
इस दिन नहीं बनता है खाना
शीतला अष्टमी के दिन चूल्हा नहीं जलाना चाहिए. इस दिन बासी भोजन ही करना चाहिए. मां शीतला को ताजा भोजन का बिल्कुल भी भोग न लगाएं, बल्कि शीतला सप्तमी के दिन बनाए गए भोजन का ही सेवन करे. शीतला अष्टमी के दिन घर में झाड़ू लगाने की मनाही होती है. शीतला अष्टमी के दिन नए कपड़े या फिर डार्क कलर के कपड़े पहनने से बचना चाहिए. इस दिन मांस-मदिरा का सेवन बिल्कुल भी नहीं करना चाहिए. मान्यताओं के अनुसार, शीतला अष्टमी के दिन सुई में धागा नहीं डालना चाहिए और न ही सिलाई करनी चाहिए.
राशिफल: जानिए, कैसा रहेगा आपका आज का दिन (01 अप्रैल 2024)
1 Apr, 2024 12:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
मेष राशि :- आशानुकूल सफलता से हर्ष, कार्यवृत्ति में सुधार तथा कार्य होगा, ध्यान रखें।
वृष राशि - कार्य व्यवसाय में बाधा, चिता व व्यग्रता, मानसिक उदाशीलता होगा।
मिथुन राशि - इष्ट मित्र सुखवर्धक हो, दैनिक कार्यगति अनुकूल होगा, ध्यान दें।
कर्क राशि - विशेष परिवर्तन स्थिगित रखे, प्रयास करने पर थोड़ी सी सफलता होगी।
सिंह राशि - सामाजिक कार्य में हर्ष, उल्लास, स्त्रीवर्ग से सुधार, मनोवृत्ति होगी।
कन्या राशि - आशानुकूल सफलता से हर्ष, कार्यवृत्ति में सुधार, मनोवृत्ति होगी।
तुला राशि - अशुद्ध गोचर रहने से उत्साह हीनता बनेगी, असमर्थता होगी।
वृश्चिक राशि - इष्टमित्रों से लाभ, बिगड़े कार्य बनने भाग्य प्रबल होकर, कार्य बनें, ध्यान दें।
धनु राशि - मनोवृत्ति संवेदनशील रहे, स्त्रीवर्ग से हर्ष उल्लास बना ही रहेगा।
मकर राशि - विशेष कार्य बिगड़े रहेगे तथा किसी विवाद झगड़े के कारण होंगे।
कुंभ राशि - अकारण ही मन उदाशील रहेगा, चिन्ता बने, सफलता के साधन हो।
मीन राशि - दैनिक कार्य गति अनुकूल, चिन्ताएं कम होगी, धन के साधन बने।
कैसे हुई नवरात्रि की शुरुआत, सबसे पहले इस 'राजा' ने किया था 9 दिन का व्रत
31 Mar, 2024 06:45 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
नवरात्रि के दौरान देवी दुर्गा के नौ रूपों की पूजा की जाती है. शक्तिस्वरूपा देवी दुर्गा को प्रसन्न करने के लिए भक्त साल में दो बार शारदीय और चैत्र नवरात्रि के दौरान देवी दुर्गा की पूजा करते हैं. नवरात्रि में देवी पूजा की परंपरा सदियों से चली आ रही है. लेकिन, क्या आप जानते हैं कि सबसे पहले नवरात्रि में 9 दिनों का व्रत किसने रखा था? नवरात्रि की शुरुआत कैसे हुई? अगर नहीं तो आज हम आपको बताने जा रहे हैं कि कैसे हुई थी नवरात्रि की शुरुआत और किसने रखा था पहली बार नवरात्रि व्रत.
इस तरह से नवरात्रि की शुरुआत हुई
शूकर क्षेत्र फाउंडेशन के अध्यक्ष और ज्योतिषाचार्य डॉ. गौरव कुमार दीक्षित के मुताबिक, देवी दुर्गा स्वयं शक्ति का एक रूप हैं और आध्यात्मिक शक्ति, सुख और समृद्धि के लिए भक्तों द्वारा नवरात्रि के दौरान उनकी पूजा की जाती है. नवरात्रि शुरू करने वालों ने भी मां से आध्यात्मिक शक्ति और जीत की प्रार्थना की. वाल्मिकी रामायण में वर्णन है कि लंका पर चढ़ाई करने से पहले भगवान राम ने किष्किंधा के पास ऋष्यमूक पर्वत पर देवी दुर्गा की पूजा की थी. भगवान ब्रह्मा ने श्री राम को देवी दुर्गा के एक रूप चंददेवी की पूजा करने की सलाह दी. ब्रह्मा जी की सलाह मानकर भगवान राम ने प्रतिपदा तिथि से नवमी तिथि तक चन्देवी का पाठ किया.
भगवान राम को उनकी माता का आशीर्वाद प्राप्त था
चंडी के जाप के साथ-साथ बहामाजी ने रामजी से यह भी कहा कि पूजा तभी सफल होगी जब चंडी पूजन और हवन के बाद 108 नीले कमल चढ़ाए जाएं. ये नीले कमल अत्यंत दुर्लभ माने जाते हैं. रामजी को अपनी सेना की सहायता से ये 108 नीले कमल प्राप्त हुए, लेकिन जब रावण को इसके बारे में पता चला, तो उसने अपनी जादुई शक्तियों से उनमें से एक नीले कमल को नष्ट कर दिया. चंडी पूजा के अंत में, जब भगवान राम ने कमल का फूल चढ़ाया, तो एक कमल गायब पाया गया. यह देखकर वह चिंतित हो गए, लेकिन अंततः उन्होंने कमल की जगह अपनी एक आंख माता चंडी को चढ़ाने का फैसला किया. जैसे ही उन्होंने अपनी आंखें चढ़ाने के लिए तीर उठाया, माता चंडी प्रकट हो गईं. मां चंडी उनकी भक्ति से प्रसन्न हुईं और उन्हें जीत का आशीर्वाद दिया.
नवमी तक श्री राम ने माता चंडी को प्रसन्न करने के लिए अन्न या जल तक ग्रहण नहीं किया. नौ दिनों तक मां दुर्गा के स्वरूप चंददेवी की पूजा करने के बाद राम ने रावण को हराया था. ऐसा माना जाता है कि तभी से नवरात्रि की शुरुआत हुई और भगवान राम पहले राजा और पहले मानव थे जिन्होंने नवरात्रि के 9 दिनों का व्रत रखा था.
चैत्र नवरात्रि 2024
2024 में 9 अप्रैल से नवरात्रि शुरू होगी. देवी मां का आशीर्वाद पाने के लिए भक्तों द्वारा किए जाने वाले ये व्रत बहुत शुभ और फलदायी माने जाते हैं. श्रद्धापूर्वक मां की पूजा करने से जीवन की सभी परेशानियों से छुटकारा मिल जाता है.
जीवन में चाहते हैं ऐशो आराम...तो शनिवार के दिन करें ये काम, अयोध्या के ज्योतिषी ने खोले राज़
31 Mar, 2024 06:30 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
अयोध्याःहिंदू धर्म में सप्ताह का प्रत्येक दिन बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है. सप्ताह का हर दिन किसी न किसी देवी देवता को समर्पित रहता है. हिंदू धर्म में शनिवार का दिन बेहद शुभ माना जाता है. धार्मिक मान्यता के मुताबिक इस दिन भगवान शनि देव की पूजा आराधना करने का विधान है. कहा जाता है शनिवार के दिन शनि की विधि विधान पूर्वक पूजा राधा करने से पूरा आशीर्वाद प्राप्त होता है. लंबे समय से शनि दोष से पीड़ित रहने वाले जातक या फिर किसी ऐसी समस्या से मुक्ति पाने के लिए उन्हें प्रत्येक शनिवार के दिन उपवास रखने का भी विधान है.
ज्योतिष गणना के मुताबिक कई लोग शनिवार के दिन भगवान शनि से जुड़े हुए उपाय भी करते हैं. आज हम आपको इस रिपोर्ट में बताते हैं कि शनिवार को अगर आप कुछ उपाय करते हैं तो जीवन में ऐशो आराम मिलेगा. अयोध्या के ज्योतिष पंडित कल्कि राम बताते हैं कि शनिवार का दिन शनि देव की पूजा के लिए समर्पित होता है. इस दिन शनि की पूजा आराधना करने से पूर्ण आशीर्वाद प्राप्त होता है. जो जातक लंबे समय से शरीर दोस्त से पीड़ित है. उन्हें शनिवार का उपवास करना जरूरी होता है. साथ ही पीपल के पेड़ के सामने सरसों के तेल का दीपक जलाना चाहिए. इसके अलावा शनिवार के दिन शनि चालीसा का पाठ करना भी कल्याणकारी माना जाता है.
अनुसरण करने से आपको लाभ होगा
शनि चालीसा में शनि देव की महिमा और उनके प्रभावों के बारे में बताया गया है. घर पर लोग शनि देव की मूर्ति नहीं रखते हैं.ऐसे में आप शनि मंदिर में शनिवार के दिन जाकर पूजन करें और शनि चालीसा का पाठ करें तो ज्यादा प्रभावी होगा. शनि चालीसा में शनि ग्रह को शांत कराने और शनि दोष से मुक्ति के उपाय भी बताए गए हैं. उनका अनुसरण करने से आपको लाभ होगा
श्री शनि चालीसादोहाजय गणेश गिरिजा सुवन, मंगल करण कृपाल।दीनन के दुख दूर करि, कीजै नाथ निहाल॥जय जय श्री शनिदेव प्रभु, सुनहु विनय महाराज।करहु कृपा हे रवि तनय, राखहु जन की लाज॥
चौपाईजयति जयति शनिदेव दयाला।करत सदा भक्तन प्रतिपाला॥चारि भुजा, तनु श्याम विराजै।माथे रतन मुकुट छबि छाजै॥
परम विशाल मनोहर भाला।टेढ़ी दृष्टि भृकुटि विकराला॥कुण्डल श्रवण चमाचम चमके।हिय माल मुक्तन मणि दमके॥
कर में गदा त्रिशूल कुठारा।पल बिच करैं अरिहिं संहारा॥पिंगल, कृष्णो, छाया नन्दन।यम, कोणस्थ, रौद्र, दुखभंजन॥
सौरी, मन्द, शनी, दश नामा।भानु पुत्र पूजहिं सब कामा॥जा पर प्रभु प्रसन्न ह्वैं जाहीं।रंकहुँ राव करैं क्षण माहीं॥
पर्वतहू तृण होई निहारत।तृणहू को पर्वत करि डारत॥राज मिलत बन रामहिं दीन्हयो।कैकेइहुँ की मति हरि लीन्हयो॥
बनहूँ में मृग कपट दिखाई।मातु जानकी गई चुराई॥लखनहिं शक्ति विकल करिडारा।मचिगा दल में हाहाकारा॥
रावण की गति-मति बौराई।रामचन्द्र सों बैर बढ़ाई॥दियो कीट करि कंचन लंका।बजि बजरंग बीर की डंका॥
नृप विक्रम पर तुहि पगु धारा।चित्र मयूर निगलि गै हारा॥हार नौलखा लाग्यो चोरी।हाथ पैर डरवायो तोरी॥
भारी दशा निकृष्ट दिखायो।तेलिहिं घर कोल्हू चलवायो॥विनय राग दीपक महं कीन्हयों।तब प्रसन्न प्रभु ह्वै सुख दीन्हयों॥
हरिश्चन्द्र नृप नारि बिकानी।आपहुं भरे डोम घर पानी॥तैसे नल पर दशा सिरानी।भूंजी-मीन कूद गई पानी॥
श्री शंकरहिं गह्यो जब जाई।पारवती को सती कराई॥तनिक विलोकत ही करि रीसा।नभ उड़ि गयो गौरिसुत सीसा॥
पाण्डव पर भै दशा तुम्हारी।बची द्रौपदी होति उघारी॥कौरव के भी गति मति मारयो।युद्ध महाभारत करि डारयो॥
रवि कहँ मुख महँ धरि तत्काला।लेकर कूदि परयो पाताला॥शेष देव-लखि विनती लाई।रवि को मुख ते दियो छुड़ाई॥
वाहन प्रभु के सात सुजाना।जग दिग्गज गर्दभ मृग स्वाना॥जम्बुक सिंह आदि नख धारी।सो फल ज्योतिष कहत पुकारी॥
गज वाहन लक्ष्मी गृह आवैं।हय ते सुख सम्पति उपजावैं॥गर्दभ हानि करै बहु काजा।सिंह सिद्धकर राज समाजा॥
जम्बुक बुद्धि नष्ट कर डारै।मृग दे कष्ट प्राण संहारै॥जब आवहिं प्रभु स्वान सवारी।चोरी आदि होय डर भारी॥
तैसहि चारि चरण यह नामा।स्वर्ण लौह चाँदी अरु तामा॥लौह चरण पर जब प्रभु आवैं।धन जन सम्पत्ति नष्ट करावैं॥
समता ताम्र रजत शुभकारी।स्वर्ण सर्व सर्व सुख मंगल भारी॥जो यह शनि चरित्र नित गावै।कबहुं न दशा निकृष्ट सतावै॥
अद्भुत नाथ दिखावैं लीला।करैं शत्रु के नशि बलि ढीला॥जो पण्डित सुयोग्य बुलवाई।विधिवत शनि ग्रह शांति कराई॥
पीपल जल शनि दिवस चढ़ावत।दीप दान दै बहु सुख पावत॥कहत राम सुन्दर प्रभु दासा।शनि सुमिरत सुख होत प्रकाशा॥
दोहापाठ शनिश्चर देव को, की हों भक्त तैयार।करत पाठ चालीस दिन, हो भवसागर पार॥
शनि देव की जय! शनि देव की जय! शनि देव की जय!
इस मुक्तिधाम को माना जाता है मोक्ष का द्वार, जागृत है यहां का श्मशान घाट, इससे जुड़ी हैं कई मान्यताएं
31 Mar, 2024 06:15 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
विश्वामित्र की तपोभूमि बक्सर का मुक्तिधाम कई मायनों में पवित्र स्थान माना जाता है. बहुत से लोग शवों की अंत्येष्टि के लिए बनारस नहीं जा पाते हैं. वैसे लोगों की कामना रहती है कि बक्सर के मुक्तिधाम में ही शवों का अंतिम संस्कार किया जाए. पौराणिक मान्यता ये है कि गंगा जब उत्तरवाहिनी होती है तब मोक्ष प्रदायनी होती है. बिहार में कुछ जगहों पर गंगा उत्तरवाहिनी है, जिसमें बक्सर भी शामिल है. यहां कैमूर, रोहतास, भोजपुर और बाकी जगहों से भी लोग शव का अंतिम संस्कार करने पहुंचते हैं.
बक्सर श्मशान घाट में दिन-रात चिताएं जलती रहती हैं. यहां एक दिन में 100 से अधिक शव आते हैं. मुक्तिधाम के पांडा जोगेंद्र ने बताया कि यहां दिन-रात चिताएं जलती रहती हैं. ये स्थान मोक्ष प्राप्ति का स्थान है. ऐसी मान्यता है कि यहां बनारस में रहकर जब कोई अपना देह त्यागता है तो उसके शव को वहीं जलाने पर मुक्ति मिलती है. वहीं, मृत शरीर को बक्सर में जलाने से मुक्ति मिलती है. जोगेंद्र ने बताया कि यहां गंगा उत्तरवाहिनी है, जो मोक्ष प्रदान करने वाली है.
जागृत है बक्सर का श्मशान घाट
जोगेंद्र पांडा ने बताया कि शाहाबाद से लोग अपने परिजन के पार्थिव शरीर को यहां मोक्ष की कामना लेकर आते हैं. उन्होंने बताया कि यहां हर वक्त चिताएं जलती रहती हैं. इस श्मशान का एक नियम है कि रात 12 बजे कोई भी शव को जलाने से रोक दिया जाता है, क्योंकि लोक मान्यताओं के अनुसार पंच तत्व विश्राम की मुद्रा में रहते हैं. जैसे गंगा मइया उस वक्त विश्राम करती हैं, वैसे ही धरती, आकाश, अग्नि, वायु भी विश्राम करते हैं. ये सोच कर मध्य रात्रि को चिता जलाना निषेध है. बक्सर श्मशान जागृत श्मशानों में एक है. श्मशान में स्थित माता काली की मंदिर भी जागृत मंदिरों में से एक है.
कब बनवाएं बाल-दाढ़ी, कब काटें नाखून? जानें हफ्ते के सातों दिन में ऐसा करने का शुभ-अशुभ प्रभाव
31 Mar, 2024 06:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
हिंदू धर्म में दैनिक जीवन से जुड़ी अनेक मान्यताएं और परंपराएं हैं. ऐसी ही एक मान्यता है नाखून, दाढ़ी व बाल कटवाने से जुड़ी. माना जाता है कि सप्ताह के कुछ दिन ऐसे होते हैं जब नाखून, दाढ़ी व बाल कटवाना हमारे धर्म ग्रंथों में शुभ नहीं माना गया है. ऐसी मान्यता है कि इन दिनों में नाखून काटने या फिर दाढ़ी बाल कटवाने से ग्रहों के अशुभ प्रभाव आप पर पड़ते हैं और आर्थिक तंगी आपके जीवन में प्रवेश कर जाती है. जबकि इसके विपरीत कुछ दिनों को इन कामों के लिए शुभ माना गया है. गया मंत्रालय वैदिक पाठशाला के पंडित राजा आचार्य से जानते हैं शास्त्र के अनुसार किस दिन बाल या नाखून कटवाना शुभ माना जाता है.
सोमवार को काटने से यह होता है प्रभाव
ज्योतिष ग्रंथ मुर्हूत चिंतामणि के अनुसार सोमवार का संबंध चंद्रमा से होता है. ज्योतिष में चंद्रमा को संतान और स्वास्थ्य का कारक माना जाता है. सोमवार को बाल या नाखून काटना काटने से मानसिक तनाव बढ़ता है और यह संतान के स्वास्थ्य के लिए अच्छा नहीं माना गया है. ऐसा करने से आप चंद्रमा के अशुभ प्रभाव के कारण स्वयं भी बीमार हो सकते हैं.
मगंलवार को होता है असर
मंगलवार को बाल कटवाना व दाढ़ी बनाना उम्र कम करने वाला माना गया है. धार्मिक मान्यता के अनुसार मंगलवार का संबंध हनुमानजी से होता है और ज्योतिषीय मान्यता के अनुसार मंगलवार का संबंध मंगल ग्रह से होता है. मंगल को स्वभाव से काफी उग्र माना जाता है और इन्हें साहस और पराक्रम का कारक माना जाता है. मंगलवार को नाखून या बाल काटने से आपके अंदर क्रोध बढ़ सकता है. इसके साथ ही यह माना जाता है कि मंगलवार को नाखून या बाल काटने से उम्र कम होती है.
बरकत के साथ लक्ष्मी का होगा आगमन
बुधवार के दिन नाखून और बाल कटवाने से घर में बरकत रहती है व लक्ष्मी का आगमन होता है. बुधवार का दिन नाखून और बाल व दाढ़ी कटवाने के लिए शुभ माना जाता है. ऐसा करने से आपके घर में बरकत आती है और मां लक्ष्मी आपसे प्रसन्न होती हैं. बुधवार को बाल काटने आपकी कुंडली में बुध की स्थिति मजबूत होती है. बुध की कृपा से आपको अच्छी नौकरी मिलती है और रुपया-पैसा दौलत शोहरत बढ़ती है.
गुरुवार को काटने से यह होता है प्रभाव
गुरुवार को भगवान विष्णु का वार माना गया है. इस दिन बाल कटवाने से लक्ष्मी का नुकसान और मान-सम्मान की हानि होती है. इस दिन का संबंध गुरु ग्रह से भी माना गया है. इस दिन यदि आप बाल कटवाते हैं मां लक्ष्मी आपसे नाराज होकर आपका घर छोड़कर चली जाती हैं. साथ ही आपको कुंडली में गुरु के अशुभ प्रभाव भी झेलने पड़ते हैं. इसलिए भूलकर भी गुरुवार को बाल न कटवाएं.
शुक्रवार को नाखून काटने से मिलता है लाभ, धन और यश
शुक्र ग्रह को ग्लैमर का प्रतीक माना गया है. इस दिन बाल और नाखून कटवाना शुभ होता है. इससे लाभ, धन और यश मिलता है. शुक्रवार का धन और सौंदर्य के कारक माने जाने वाले ग्रह शुक्र का होता है और इसका संबंध मां लक्ष्मी से भी होता है. ऐसा करने से आपके जीवन में सफलता की संभावना बढ़ जाती है.
शनिवार को होता है यह प्रभाव
शनिवार का दिन बाल कटवाने के लिए अशुभ होता है यह जल्दी मृत्यु का कारण माना जाता है. शनिवार का दिन बाल या नाखून कटवाने के लिए शुभ नहीं माना गया है. कहते हैं इस दिन यह काम करने से अकाल मृत्यु की आशंका बढ़ती है और धन की हानि होती है. इस दिन बाल या दाढ़ी बनवाने से पितृ दोष भी लगता है.
रविवार को होता है यह नुकसान
रविवार को बाल कटवाना अच्छा नहीं माना जाता है. महाभारत के अनुशासन पर्व में बताया गया है कि ये सूर्य का वार है इससे धन, बुद्धि और धर्म का नाश होता है. रविवार को बहुत जरूरी न हो तो बाल और दाढ़ी न बनवाएं.
राशिफल: जानिए, कैसा रहेगा आपका आज का दिन (31 मार्च 2024)
31 Mar, 2024 12:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
मेष राशि :- स्त्री वर्ग से हर्ष-उल्लास एवं कार्यकुशलता से संतोष होगा।
वृष राशि :- योजनाएं फलीभूत होगी तथा स्वभाव में बेचैनी कष्ट प्रद होगा, ध्यान दे।
मिथुन राशि :- कार्य क्षमता अनुकूल, कार्यवृत्ति में सुधार तथा संघर्ष बना रहें, ध्यान दें।
कर्क राशि :- आर्थिक हानि, योजना बनकर बिगड़े तथा व्यवसाय होगा, कार्य होवे।
सिंह राशि :- झगड़े के कारण व्यय होगा, आप आरोपित होने से बचिए, ध्यान दें।
कन्या राशि :- कार्यकुशलता से संतोष, इष्टमित्र सुखवर्धक होंगे, ध्यान दें कार्य बनें।
तुला राशि :- योजनाएं फलीभूत हो, इष्टमित्र सुखवर्धक होंगे, ध्यान रखें।
वृश्चिक राशि :- मानसिक भ्रम, विभ्रम की स्थिति से हानि उठायेंगे, ध्यान दें।
धनु राशि :- मानसिक विभ्रम, उपद्रव असंमजस की स्थिति बनेगी, कार्य होवे।
मकर राशि :- दैनिक कार्यवृत्ति में सुधार, आर्थिक योजना अवश्य ही रहेंगे।
कुंभ राशि :- चिन्ताएं कम हो, कुटुम्ब के बाद के कार्य में समय ही बीतेगा।
मीन राशि :- स्त्रीवर्ग से सुख भोग, ऐश्वर्य की वृत्ति दैनिक गति अनुकूल हो।
1 या 2....कब है बसौड़ा या बसियौरा? क्यों करते हैं ठंडे भोजन का सेवन
30 Mar, 2024 06:45 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
चैत्र मास में शीतला माता के लिए शीतला सप्तमी 1 अप्रैल और अष्टमी 2 अप्रैल का व्रत-उपवास किया जाता है. इस व्रत में ठंडा खाना खाने की परंपरा है. जो लोग ये व्रत करते हैं, वे एक दिन पहले बनाया हुआ खाना ही खाते हैं. 31 मार्च को रांधा पुआ होगा और 1 अप्रैल को शीतला सप्तमी के दिन ठंडा भोजन खाया जाएगा .
पाल बालाजी ज्योतिष संस्थान जयपुर जोधपुर के निदेशक ज्योतिषाचार्य डा. अनीष व्यास ने लोकल 18 को बताया कि 31 मार्च को रांधा पुआ होगा और 1 अप्रैल को शीतला सप्तमी के दिन ठंडा भोजन खाया जाएगा. कहीं पर सप्तमी के दिन और कहीं पर अष्टमी के दिन ठंडा भोजन किया जाता है. 2 अप्रैल को मंगलवार होने की वजह से 1 अप्रैल को शीतला सप्तमी के दिन भोग लगाया जाएगा और ठंडा भोजन किया जाएगा.
जानें क्या है पूजा का शुभ मुहूर्त
दरअसल ये समय शीत ऋतु के जाने का और ग्रीष्म ऋतु के आने का समय है. इस दौरान मौसमी बीमारियां होने की संभावनाएं बढ़ जाती हैं. ऐसी मान्यता है कि शीतला सप्तमी और अष्टमी पर ठंडा खाना खाने से हमें मौसमी बीमारियों से लड़ने की शक्ति मिलती है. चैत्र कृष्ण अष्टमी तिथि 01 अप्रैल 2024 को रात्रि 09:09 बजे शुरू होगी, जो 02 अप्रैल 2024 को रात्रि 08:08 बजे तक रहेगी.
भविष्यवक्ता और कुण्डली विश्ल़ेषक डा. अनीष व्यास ने Local 18 को आगे बताया कि कुछ जगह शीतला माता की पूजा चैत्र महीने के कृष्णपक्ष की सप्तमी को और कुछ जगह अष्टमी पर होती है. इस बार ये तिथियां 1और 2 अप्रैल को रहेंगी. सप्तमी तिथि के स्वामी सूर्य और अष्टमी के देवता शिव होते हैं. दोनों ही उग्र देव होने से इन दोनों तिथियों में शीतला माता की पूजा की जा सकती है. निर्णय सिंधु ग्रंथ के मुताबिक इस व्रत में सूर्योदय व्यापिनी तिथि ली जाती है. इसलिए सप्तमी की पूजा और व्रत सोमवार को किया जाना चाहिए. वहीं शीतलाष्टमी मंगलवार को मनाई जाएगी.
इस मंत्र का करें जाप, मिलेगा रोग से छुटकारा
डा. अनीष व्यास ने बताया कि ऐसी प्राचीन मान्यता है कि जिस घर की महिलाएं शुद्ध मन से इस व्रत को करती हैं, उस परिवार को शीतला देवी धन-धान्य से पूर्ण कर प्राकृतिक विपदाओं से दूर रखती हैं. मां शीतला का पर्व किसी न किसी रूप में देश के हर कोने में मनाया जाता है. अगर आप भय और रोग आदि से छुटकारा पाना चाहते हैं, तो आपको देवी शीतला के इस मंत्र का 21 बार जप करना चाहिए.
मंत्र है-
वन्देSहं शीतलां देवीं सर्वरोग भयापहम्।
यामासाद्य निवर्तेत विस्फोटक भयं महत्।।
मृणाल तन्तु सदृशीं नाभि हृन्मध्य संस्थिताम्।
यस्त्वां संचिन्त येद्देवि तस्य मृत्युर्न जायते।।
ठंडा खाने की परंपरा
शीतला माता का ही व्रत ऐसा है, जिसमें शीतल यानी ठंडा भोजन करते हैं. इस व्रत पर एक दिन पहले बनाया हुआ भोजन करने की परंपरा है. इसलिए इस व्रत को बसौड़ा या बसियौरा भी कहते हैं. माना जाता है कि ऋतुओं के बदलने पर खान-पान में बदलाव करना चाहिए है. इसलिए ठंडा खाना खाने की परंपरा बनाई गई है. माना जाता है कि देवी शीतला चेचक और खसरा जैसी बीमारियों को नियंत्रित करती हैं और लोग उन बीमारियों को दूर करने के लिए उनकी पूजा करते हैं.
सुख-समृद्धि के लिए व्रत
डा. अनीष व्यास ने बताया कि हिन्दू धर्म के अनुसार सप्तमी और अष्टमी तिथि पर महिलाएं अपने परिवार और बच्चों की सलामती के लिए और घर में सुख-शांति के लिए बासौड़ा बनाकर माता शीतला को पूजती हैं. माता शीतला को बासौड़ा में कढ़ी-चावल, चने की दाल, हलवा, बिना नमक की पूड़ी चढ़ावे के एक दिन पहले ही रात में बना लेते हैं. अगले दिन ये बासी प्रसाद देवी को चढ़ाया जाता है. पूजा के बाद महिलाएं अपने परिवार के साथ प्रसाद ग्रहण करती हैं.
नवरात्रि में भूलकर भी न करें ये 5 काम, नहीं तो माता रानी हो जाएंगी नाराज
30 Mar, 2024 06:30 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से चैत्र नवरात्रि की शुरुआत होती है. इसे वासंतिक नवरात्रि भी कहते है. नवरात्रि के नौ दिनों में आदिशक्ति देवी दुर्गा की पूजा और आराधना का विशेष महत्व है. इससे शक्ति का संचार होता है और जीवन के कष्ट क्लेश भी दूर होते हैं.
नवरात्रि के नौ दिनों में कई ऐसे काम हैं, जिसे भूलकर भी नहीं करना चाहिए. शास्त्रों में इसकी मनाही भी है. धार्मिक मान्यता है कि इन कामों को करने से देवी रुष्ट हो जाती है. आइये जानते हैं काशी के ज्योतिषाचार्य पंडित संजय उपाध्याय से इसके बारे में.
मातृ का करना चाहिए सम्मान
मातृ शक्ति का अपमान नहीं करना चाहिए. मां, बहन, पत्नी या किसी भी स्त्री पर अभद्र, अशोभनीय टिप्पणी और विवाद से बचना चाहिए. इसके अलावा उनका सम्मान करना चाहिए.
छोटी कन्याओं की करें पूजा
नवरात्रि के नौ दिन छोटी कन्याएं, जिनकी उम्र 1 से 12 वर्ष है. उन्हें पूरे श्रद्धा भाव के साथ प्रणाम करना चाहिए और उनके पैर छूने चाहिए.
बिस्तर पर सोने से करें परहेज
इसके अलावा नवरात्रि के नौ दिनों में बिस्तर का त्याग कर जमीन पर सोना चाहिए. इससे भी देवी का आशीर्वाद भक्तों पर बना रहता है.
शुद्ध सात्विक भोजन करें
इसके अलावा नवरात्रि के नौ दिनों में शुद्ध और सात्विक भोजन ही ग्रहण करना चाहिए. इस समय लहसुन, प्याज, मांस, मदिरा आदि का सेवन भूलकर भी नहीं करना चाहिए.
नाखून बाल न काटें
इसके अलावा जो व्यक्ति नौ दिन व्रत रखता है, उन्हें नवरात्रि में बाल, नाखून, दाड़ी नहीं काटनी चाहिए. इससे देवी रुष्ट हो जाती है.
रंग पंचमी, शमी पूजा से पाएं शनि कृपा, देखें मुहूर्त, रवि योग, अशुभ समय, राहुकाल, दिशाशूल
30 Mar, 2024 06:15 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
आज चैत्र माह के कृष्ण पक्ष की पंचमी तिथि, अनुराधा नक्षत्र, सिद्धि योग, कौलव करण, पूर्व का दिशाशूल और शनिवार दिन है. आज रंग पंचमी है, जिसे श्रीपंचमी, देव पंचमी, कृष्ण पंचमी आदि नामों से जाना जाता है. यह होली से पांच दिन बाद मनाया जाता है. रंग पंचमी के दिन भगवान श्रीकृष्ण और राधारानी की पूजा करते हैं. इस दिन देवी और देवताओं को रंग-गुलाल अर्पित करते हैं, जिससे वे प्रसन्न होकर मनोकामनाएं पूरी करते हैं और आशीर्वाद देते हैं. रंग पंचमी को अधर्म पर धर्म की जीत का प्रतीक माना जाता है. आज के दिन रवि योग बना है. इस योग में सूर्य का प्रभाव अधिक होता है और इसमें सभी प्रकार के दोष मिट जाते हैं.
आज शनिवार व्रत औार न्याय के देवता शनि महाराज की पूजा का दिन है. शनिवार को शनि देव की पूजा करने से साढ़ेसात और ढैय्या का प्रकोप कम होता है. उसके दुष्प्रभाव खत्म होते हैं. शनि देव को प्रसन्न करने के लिए उनको काला तिल, सरसों का तेल, काला या नीला कपड़ा, उड़द की दाल आदि चढ़ाते हैं. इसके अलावा शनिवार को शमी के पेड़ की पूजा करने और शाम को उसके नीचे सरसों के तेल का दीपक जलाने से शनि देव प्रसन्न होते हैं. शमी शनि देव का प्रिय पेड़ है. पूजा के समय उनको भी शमी के पत्ते चढ़ाते हैं. शमी एक देव वृक्ष है, जिसकी पत्तियां भगवान भोलेनाथ और गणेश जी को अर्पित करते हैं.
शनिवार के दिन गरीब और जरूरतमंद लोगों की मदद करने, उनकी सेवा करने और दान देने से शनि देव प्रसन्न होते हैं. आज के पंचांग से जानते हैं शुभ मुहूर्त, योग, सूर्योदय, सूर्यास्त, चंद्रोदय, चंद्रास्त, राहुकाल, दिशाशूल आदि.
आज का पंचांग, 30 मार्च 2024
आज की तिथि- पंचमी, 09:13 पीएम तक, उसके बाद षष्ठी तिथि
आज का नक्षत्र- अनुराधा – 10:03 पी एम तक, फिर ज्येष्ठा
आज का करण- कौलव – 08:51 एएम तक, तैतिल – 09:13 पीएम तक, फिर गर
आज का पक्ष- कृष्ण
आज का योग- सिद्धि – 10:47 पीएम तक, फिर व्यतीपात
आज का दिन- शनिवार
चंद्र राशि- वृश्चिक
सूर्योदय-सूर्यास्त और चंद्रोदय-चंद्रास्त का समय
सूर्योदय- 06:13 एएम
सूर्यास्त- 06:38 पीएम
चन्द्रोदय- 11:28 पीएम
चन्द्रास्त- 08:55 एएम, 31 मार्च
अभिजीत मुहूर्त- 12:01 पीएम से 12:50 पीएम तक
ब्रह्म मुहूर्त- 04:40 एएम से 05:27 एएम तक
आज का शुभ योग
रवि योग: 10:03 पीएम से 06:12 एएम तक, 31 मार्च
अशुभ समय
राहुकाल – 09:19 एएम से 10:52 एएम तक
गुलिक काल – 06:13 एएम से 07:46 एएम तक
दिशाशूल – पूर्व
शिववास
नन्दी पर – 09:13 पीएम तक, उसके बाद भोजन में
इस साल घोड़े पर होगा आगमन और हाथी पर करेंगी मां दुर्गा प्रस्थान, जानें कब से शुरू होगा हिन्दू नववर्ष
30 Mar, 2024 06:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
शक्ति की उपासना का महापर्व चैती नवरात्र 09 अप्रैल से शुरू होने जा रही है. इस दौरान लोग माता दुर्गा के नौ स्वरूपों की पूजा-अर्चना करेंगे. पटना के शक्तिपीठ श्री छोटी पाटन देवी के आचार्य पंडित विवेक द्विवेदी बताते हैं कि 9 अप्रैल को कलश स्थापन के साथ ही पहली पूजा शुरू हो जाएगी. इसके साथ ही हिन्दू नववर्ष भी शुरू हो जाएगा. पंडित विवेक द्विवेदी बताते हैं कि चैत्र नवरात्रि हिन्दू नववर्ष के प्रथम दिन से शुरू होती है.
बन रहा शुभ संयोग
पंडित विवेक द्विवेदी की मानें तो मां दुर्गा नवरात्रि पर पृथ्वी पर हर बार किसी न किसी सवारी पर सवार होकर आती हैं. इस साल चैत नवरात्रि मंगलवार 09 अप्रैल से शुरू हो रही है. मंगलवार का दिन होने के कारण मां दुर्गा का वाहन घोड़ा होगा. पंडित विवेक द्विवेदी Local 18 को बताते हैं कि बहुत से लोग घोड़े की सवारी पर मां दुर्गा के आगमन को अशुभ मानते हैं, पर ऐसा है नहीं. पंडित विवेक आगे कहते हैं कि दरअसल, घोड़े पर मां दुर्गा का आगमन परिवर्तन कारक और अंततः फलदाई ही सिद्ध होगा. जबकि, इस बार मां दुर्गा का प्रस्थान हाथी पर होगा, जो समृद्धि देने वाला होगा.
जानें शुभ मुहूर्त
पंडित विवेक द्विवेदी की मानें तो इस साल चैत्र माह की प्रतिपदा तिथि 08 अप्रैल को रात 11:50 बजे से शुरू होगी, जो 9 अप्रैल को रात 08:30 बजे समाप्त होगी. इस कारण 09 अप्रैल को दो शुभ योग अमृतसिद्धि और सर्वार्थ सिद्धि बन रहा है. पंडित विवेक द्विवेदी आगे बताते हैं कि सच्चे मन से स्वच्छ होकर 09 दिनों तक माता की आराधना करने वाले भक्तों के सभी कष्ट माता हर लेती हैं. वे आगे बताते हैं कि माता को लाल चुनरी, लाल वस्त्र, श्रृंगार का सामान, दीपक, घी, तेल, धूप, नारियल, साफ चावल, कुमकुम, फूल, देवी की प्रतिमा या फोटो, पान, सुपारी, लौंग, इलायची, बताशे या मिसरी, कपूर, फल-मिठाई और कलावा चढ़ाया जा सकता है.
ऐसे करें कलश की स्थापना
पंडित विवेक द्विवेदी ने बताया कि कलश स्थापना मंदिर के उत्तर-पूर्व दिशा में करनी चाहिए और मां की चौकी लगा कर कलश को स्थापित करना चाहिए. इसके लिए सबसे पहले उस जगह को गंगाजल छिड़क कर पवित्र कर लें. फिर लकड़ी की चौकी पर लाल रंग से स्वास्तिक बनाकर कलश को स्थापित करें.
किस दिन किस देवी की होगी पूजा?
पंडित विवेक द्विवेदी बताते हैं कि 09 अप्रैल को कलश स्थापना व माता शैलपुत्री की पूजा होगी. इसके बाद दूसरे दिन 10 अप्रैल को माता ब्रह्मचारिणी, तीसरे दिन 11 अप्रैल को माता चंद्रघंटा, चौथे दिन 12 अप्रैल को माता कुष्मांडा, पांचवें दिन 13 अप्रैल को स्कंदमाता और महाषष्ठी रविवार 14 अप्रैल को माता कात्यायनी की पूजा होगी.
महासप्तमी 15 अप्रैल को होगी, जिसमें माता कालरात्रि की पूजा होगा. वहीं, 16 अप्रैल को महाष्टमी व्रत और माता महागौरी की पूजा होगी. इसके बाद 17 अप्रैल को महानवमी को माता सिद्धिरात्रि और 18 अप्रैल को दशमी को पारण और दुर्गा विसर्जन के साथ नवरात्रि समाप्त होगी.